• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance TERI MERI KHAHANI (love story)

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
“ओह नो” वरुण सलोनी का दुल्हन बना फ़ोटो देख कर चकरा गया। “ये तीनों माँ बाप और बेटी धोखेबाज़ है, इन्होंने हमारे साथ जो किया वही तुम्हारे साथ भी करेंगे, यहीं इन लोगों का धंधा है” “कैसा धंधा” वरुण ने चौक कर पूछा। “कुछ देर घर चल, वहां आराम से बैठ कर बात करते हैं” कंवल वरुण को घर ले गया जहां वो उसके माँ पापा से भी मिला। उन लोगों ने वरुण को शुरू से आखिर तक सारी बातें बताई जिससे सुन कर वरुण के कदमों तले ज़मीन खिसक गई। “देख वरुण, ये सब तेरे साथ भी होने वाला है क्योंकि जहां तक मुझे पता चला है कि सलोनी 3 महीने से ज्यादा किसी के साथ नहीं रहती। जो लोग उनके जुल्म के शिकार हुए हैं उन सभी ने रिपोर्ट नहीं कराई क्योंकि उनके पास कुछ सबूत नहीं होता। मैं भी इसलिए ही चुप रहा पर अब तेरे पास मौका है वरुण” कंवल ने समझते हुए कहा। “पर ये सब होगा कैसे कंवल” “दहेज के लिए ससुराल वालों पर इल्जाम लगाने के लिए सलोनी अपना हाथ जलती है”
 
  • Like
Reactions: mashish

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
“हाँ उसके हाथ पर है जलने के निशान” वरुण ने सोचते हुए कहा। “यस, बस तुम्हें अपने किचन में cctv camera लगाना होगा। ध्यान रहे इस चीज़ का पता सलोनी को नहीं चलना चाहिए। फिर जैसे ही वो अपना ड्रामा शुरू करेगी सब रिकार्ड हो जायेगा” कंवल ने सुझाया। “सही कहता है तू। इनका धंधा अब खत्म होने का वक़्त आ गया है। मैं चलता हूँ बहुत कुछ तैयारी करनी है अब इन लोगों को पकड़ने के लिए” वरुण फैसला करता उठ खड़ा हुआ। “थैंक यू वरुण मेरा विश्वास करने के लिए” कंवल ने वरुण को गले लगाते हुए कहा। अपने घर पहुँच कर वरुण ने सलोनी की साजिश को रिकार्ड करने का सारा इंतज़ाम कर दिया। बस अब उसे इंतज़ार था कि सलोनी कब अपना ड्रामा शुरू करती है। वो समय भी जल्द ही आ गया। सलोनी ने ज़रा सी बात को बढ़ा दिया था। उसे अपना मकसद पूरा करने के लिए कुछ न कुछ झगड़ा तो करना ही था। वरुण फोन पर अपनी सहकर्मी से बात कर रहा था जब उसके कानों में डाइनिंग टेबल पर हो रहे झगड़े की आवाज़ आयी।
 
  • Like
Reactions: mashish

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
“मम्मी अपने क्यों मना किया मुझे मायके जाने से” सलोनी सास के बराबर खड़ी चिल्ला रही थी। “बेटा मैं मना नहीं कर रही, चली जाना पर इतनी जल्दी क्या है.. अभी 10 दिन पहले ही तो तुम मिल कर आई हो। ऐसे रोज़ रोज़ जाना सही नहीं.. अब ये तुम्हारा घर है वो नहीं” वरुण की माँ सलोनी को समझने की कोशिश कर रही थी। “सलोनी, क्या ड्रामा लगा रखा है तुमने घर में” वरुण रूम से निकल आया। वरुण ने आ कर सलोनी को डाँटा। शायद वो चाहता था कि बात बढ़े और अब ये ड्रामा खत्म हो जाये और उसकी जान छूटे ऐसी धौंके बाज़ लड़की से। “ड्रामा मैंने लगा रखा है या तुम्हारी माँ ने” सलोनी वरूण पर चिल्लाई। “तमीज़ से बात करो मेरी माँ से वरना..” अपनी माँ के बारे में उलटा सुन कर वरुण ने सलोनी पर हाथ उठा दिया जो वरुण के छोटे भाई ने सही वक़्त पर आ कर रोक दिया। “भाई क्या कर रहे हैं आप, आपकी बीवी है ये” “तुम नहीं जानते ये हमारी माँ के साथ कितनी बत्तमीजी से बात कर रही है”
 
  • Like
Reactions: mashish

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
“तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझ पर हाथ उठाने की। तुम्हें ये हाथ उठाना बहुत महँगा पड़ेगा वरुण” सलोनी अपनी बेइज़्ज़ती पर गुस्से से दनदनाती रसोई में गयी और वही किया जो कंवल के घर किया था। “आह.. मम्मी दहेज़ की मांग पूरी नहीं कर पाने की वजह से अपने मेरा हाथ जला दिया” सलोनी ने रटी रटाई लाइन बोली। “भाभी ये क्या कह रही हो माँ के बारे में, अपने खुद अपना हाथ जलाया है” “बस बहुत हो गया। रुको मैं तुम्हारे माँ बाप को बुला लुँ, उनके सामने ही अब कोई बात होगी” वरुण ने सलोनी के घर फ़ोन मिला दिया। सलोनी के माता पिता के आने पर उसने जोर ज़ोर से रोना शुरू कर दिया, साथ ही सलोनी की माँ उन्हें पुलिस में पकड़वाने की धमकियां देने लगी जिस पर वरुण की माँ घबरा गई। “बहन ये क्या बोल रही हैं आप। यकीन जानिए आपकी बेटी ने खुद गुस्से में अपना हाथ जलाया है” “नहीं पुलिस का आना ठीक नहीं शरीफों के घर” वरुण वहीं सोफे पर बैठता बोला।
 
  • Like
Reactions: mashish

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
“तो फिर ये ठीक रहेगा कि तुम लोग हमें 3 लाख रुपये दे दो” सलोनी की माँ बोली। “3 लाख, वो किस बात के” वरुण बोला। “इस बात के कि दहेज न मिलने पर मेरी बेटी को जला कर मारने की कोशिश की आप लोगों ने तो धारा 498A के तहत जुर्माने का साथ 2 साल तक जेल में रहना पसंद करेंगे या 3 लाख रुपये दे कर बात को यहीं रफा दफा करेंगे” सलोनी के पिता अब मतलब की बात पर आ गए थे। “ओह, अगर मैं पैसे ना दूँ तो” वरुण बोला। “तो हम तुम सब को जेल करवा देंगे” सलोनी के पिता बोले। “जेल क्यों.. हाथ तो सलोनी ने खुद जलाया है” “हा हा हा! ये तुम जानते हो पुलिस और अदालत नहीं जानती। तुम्हारे खिलाफ रिपोर्ट करने पर तुम ही मुजरिम ठहरोगे” सलोनी ने भी ससुराल वालों की हँसी उड़ाई। “तो तुमने कंवल और दूसरे ससुराल वालों से भी 3 लाख ही मांगे थे या मुझसे ही ज़्यादा मांग रही हो” वरुण ने कहा जिस पर वहां मौजूद सब के चेहरे वरुण को देखने लगे। सलोनी और उसके माँ बाप के चेहरों के रंग उड़ चुके थे। “कौन कंवल” सलोनी घबरा कर बोली।
 
  • Like
Reactions: mashish

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
“अरे मुझसे पहले वाला पति.. एक साल में ही भूल गयी क्या” “फालतू बातें ना करो, मतलब की बात पर आओ” सलोनी के पिता ने वरुण को घुड़का। “मैं पुलिस को फोन लगता हूँ। वो मतलब की बात करेगी” वरुण ने पुलिस को फ़ोन लगा कर बताये पाते पर फौरन आने को कहा। “हाँ बुला लो पुलिस को, जब तुम सब जेल जाओगे तब पता चलेगा” सलोनी की माँ बोली। “जेल हम नहीं तुम तीनों जाओगे, वो देखो कैमरा जिसमें तुम लोगों की सब हरकतें और बातें रिकार्ड हो गयी है। अब जेल जा कर 3 लाख डंडे खाना पुलिस के” वरुण ने उन तीनों के मकसद पर पानी फेर दिया था। जब तक पुलिस नहीं आ गयी वरुण ने उन लोगों को एक कमरे में बंद रखा। पुलिस के आते ही वरुण ने 498A के शिकारी पुलिस के हवाले कर दिया साथ ही कैमरे की रिकॉर्डिंग भी थमाई। वरुण और उसका परिवार बड़े नुकसान से बच गया था। वरुण ने कंवल को फ़ोन कर ये उस भी ये खुशखबरी सुना दी थी।
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
वो अकेली लड़की और रात
मेघना ट्रेन में बैठी सुबक सुबक कर रो रही थी। बगल में बैग दबाये विंडो सीट पर बैठी खिड़की से बाहर रात के फैले साये अपने अंदर उतरता महसूस कर रही थी। बहते आँसू छिपाने की कोशिश में चुपके चुपके साड़ी के पल्लू से आंखें साफ करती आस पास बैठे मुसाफिरों को देख रही थी। कोई ऊपर के बर्थ पर सोने की कोशिश में करवटें बदल रहा था, कोई सीट पर बैठा उँग रहा था तो कोई आपस में बातें करने में मगन था। मेघना ने सब पर नज़र दौड़ाई। उसे लगा जैसे सब उसे ही घूर रहे है। उसके कुछ दूर पर 4-5 लड़के बैठे ज़ोर ज़ोर से हँसी ठिठोली कर रहे थे। एक दूसरे के हाथ पर हाथ मार कर अपनी दुनिया में मस्त थे। मेघना की नज़र उन पर पड़ी तो उनमें से एक लड़के ने मेघना को देखा। उस लड़के ने बाकी लड़कों को इशारा किया तो सब ने मेघना की तरफ मुड़ कर देखा और फिर बातों में लग गए। सब की नज़रों के खोफ से वो कुछ और अपने अंदर सिमट गई। ट्रेन हल्की हल्की सीटी दे कर अपनी पूरी रफ्तार पकड़ चुकी थी। अब ट्रेन से नीचे उतरना ना मुमकिन था। शादी के बाद पहली बाद मेघना अपने पति अमित के साथ अमित के मामा जी के यहां कानपुर जा रही थी
 
  • Like
Reactions: mashish

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
मामा जी ने बहुत प्रेम से बुलाया था दोनों को। अमित में ट्रेन का टिकट कल ही ऑनलाइन बुक कर दिया था। आज घर से निकले तो मेघना ने बताया कि वो पहली बार ट्रेन में बैठने जा रही है। जिस पर अमित खूब हँसा। “अरे बाप रे, ऐसा कैसे हो गया कि तुम कभी ट्रेन में नहीं बैठी” जिस पर मेघना बुरा मान गयी। “तो इसमें हँसने वाली क्या बात है, मैं वाकई नहीं बैठी ट्रेन में” “अच्छा बाबा ठीक है, नाराज़ क्यों होती हो, आज बैठ जाना” अमित ने मुसकुराते हुए अपनी नई नवेली बीवी को मनाया। स्टेशन पहुंच कर दोनों अपनी बूकिंग की हुई सीट्स पर बैठ गए और बातें करने लगे। तभी मेघना बोली “अमित फलों वाला रेपर तो मैं घर पर ही भूल गयी” “अरे यार, ध्यान कहाँ था तुम्हारा” अमित कुछ गुस्से में बोला। “आई एम सॉरी अमित” मेघना रुआ सी हो कर बोली। “चलो कोई नहीं, मैं देखता हूँ यहां आस पास कुछ मिल जाये तो। ऐसे खाली हाथ जाना अच्छा नहीं लगता” इतना कह कर अमित उठने लगा। “मैं भी चलती हुँ आपके साथ” मेघना बोली।
 
  • Like
Reactions: mashish

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
“नहीं यार, तुम यहीं बैठो, मैं दो मिनट में आया” अमित के कहने पर मेघना बैठी रही पर उसे अकेले बैठने में डर लग रहा था ओर उसका डर सच बन गया। अमित को गया 15 मिनट से ऊपर हो गए थे। तभी ट्रेन ने सिटी दी। सिटी के साथ हल्के हल्के चलने लगी तो मेघना की नजरें विंडो से बाहर अमित को खोजने लगी। मेघना ने फौरन अपने बैग से मोबाइल निकाला कि अमित को फ़ोन कर सके पर उसकी बेटरी डेड थी। अमित के 2 साला भतीजे ने गेम खेल कर बेटरी खत्म कर दी थी। मेघना ने देखा और सोचा मामा जी के घर जा कर चार्ज कर लुंगी अभी तो कोई ज़रूरत नहीं मोबाइल की पर मोबाइल की कभी भी ज़रूरत पड़ सकती है उसे अब एहसास हुआ। मोबाइल की बेटरी डेड देख कर मेघना और डर गई। भाग कर ट्रेन के दरवाजे तक पहुंची पर ट्रेन ने धीरे धीरे रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी थी जिस कारण उसकी नीचे उतरने की हिम्मत नहीं हो सकती। ट्रेन में पहली बार सफर करने के कारण व घबराहट में उसे चैन खींचने का भी ख्याल नहीं आया। बेचैन होती, रोती अपनी सीट पर आ कर बैठ गयी। यूँ अनजान अजनबियों पर भरोसा भी नहीं कर सकती थी इसलिए चुप बैठे सिसकती रही और ट्रेन शाम ढलते रात के साये में जा घुसी थी। 4 घंटे के सफर के बाद कानपुर आ गया था। ट्रेन अपने मुसाफिरों को रात के काले साये
 
  • Like
Reactions: mashish
Top