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Thriller The cold night (वो सर्द रात) (completed)

Raj_sharma

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park

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# 25.

राजदान ने आगे कहा,

"इसलिये मैं मुलजिम पर जुर्म साबित करने की इजाजत चाहूँगा।" राजदान के होंठों पर व्यंगात्मक मुस्कान थी।

"इजाजत है।"
न्यायाधीश ने कहा। राजदान, रोमेश के पास पहुंचा,

"हर बार तुम मुझसे मुकदमा जीतते रहे, आज बारी मेरी है और मैं कानून की कोई प्रक्रिया नहीं तोड़ने वाला मिस्टर एडवोकेट रोमेश सक्सेना। इस बार मैं तुमसे जरूर जीतूँगा , डेम श्योर।"


"अदालत के फैसले से पहले जीत-हार का अनुमान लगाना मूर्खता होगी।" रोमेश ने कहा,

"बहरहाल मेरी शुभकामनायें आपके साथ हैं।"

''योर ऑनर ! मैं गवाह पेश करने की इजाजत चाहता हूँ।"

अदालत ने गवाह पेश करने की अगली तारीख दे दी। अदालत की अगली तारीख। फिर वही दृश्य, खचाखच भरी अदालत। रोमेश सक्सेना को अदालत में पेश किया गया। रोमेश को कटघरे में पहुंचाया गया। राजदान आज पुलिस की तरफ से सबूत पेश करने वाला था। लोगों में और भी उत्सुकता थी।


"योर ऑनर।" राजदान ने अदालत में सीलबन्द चाकू खोलकर कहा,

"यह वह हथियार है, जिससे मुलजिम रोमेश सक्सेना ने दस जनवरी की रात जनार्दन नागा रेड्डी का बेरहमी से कत्ल कर डाला।" राजदान ने चाकू न्यायाधीश की मेज पर निरीक्षण हेतु रखा।


"इस पर मौजूद फिंगर प्रिंटस रोमेश सक्सेना के हैं। उंगलियों के निशानों से साफ जाहिर होता है कि रोमेश सक्सेना ने इस चाकू का इस्तेमाल किया और बाकायदा योजना बद्ध तरीके से जनार्दन नागा रेड्डी को इस हथियार से मार डाला।"

न्यायाधीश ने चाकू को उलट-पलटकर देखा और फिर यथा स्थान रख दिया।

"एनी क्वेश्चन।" न्यायाधीश ने रोमेश से पूछा।

"नो मीलार्ड।" रोमेश ने उत्तर दिया।

"मेरे काबिल दोस्त के पास अब सिवाय नो मीलार्ड कहने के कोई चारा भी नहीं है।" राजदान ने व्यंगात्मक मुस्कान के साथ कहा। राजदान के साथ-साथ बहुत से लोगों के होंठों पर भी मुस्कान आ गई।

राजदान ने सबूत पक्ष की ओर से सीलबन्द लिबास निकाला। काला ओवरकोट, काली पैन्ट शर्ट, मफलर, बेल्ट।

"बिल्कुल फिल्मी अंदाज है योर ऑनर ! जरा इस गेटअप पर गौर फरमाये। इस पर पड़े खून के छींटों का निरीक्षण करने पर पता चला कि यह छींटे उसी ब्लड ग्रुप के हैं, जो चाकू पर पाया गया और यह ग्रुप जनार्दन नागा रेड्डी का था। यह रही एग्जामिन रिपोर्ट।"

राजदान ने रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट पढ़ने के बाद न्यायाधीश ने रोमेश की तरफ देखा।

"आई रिपीट नो मीलार्ड।"
इस बार रोमेश ने मुस्करा कर कहा, तो अदालत में बैठे लोग हँस पड़े। अदालत में वैशाली भी मौजूद थी,जो खामोश गम्भीर थी। वह सरकारी वकीलों की बेंच पर बैठी थी और राजदान के साथ वाली सीट पर ही थी।

"मिस वैशाली, प्लीज गिव मी पोस्टमार्टम रिपोर्ट।" राजदान ने कहा। वैशाली ने एक फाइल उठा कर राजदान को दे दी।

"यह पोस्टमार्टम रिपोर्ट।"
राजदान ने रिपोर्ट न्यायाधीश के सामने रखी,

"रिपोर्ट से पता चलता है कि कत्ल 10 जनवरी की रात दस से ग्यारह के बीच हुआ और किसी धारदार शस्त्र से चार वार किये गये, चारों वार पेट की आंतों पर किये गये। आंतें कटने से तेज रक्तस्त्राव हुआ, जिससे मकतूल मौका-ए-वारदात पर ही खत्म हो गया और योर ऑनर इसका ग्रुप चाकू पर लगे खून का ग्रुप, कपड़ों पर लगे खून एक ही वर्ग का है।"

उसके बाद अदालत में बियर की दो बोतलें पेश की गई, जिनमें से एक पर जे.एन. की उंगलियों के निशान थे, दूसरी पर रोमेश की उंगलियों के। रोमेश का हर बार एक ही उत्तर होता।

"नो क्वेश्चन मीलार्ड।"

"अब मैं जिन्दा गवाह पेश करने की इजाजत चाहता हूँ योर ऑनर।" राजदान ने कहा।

"इजाजत है।"

"मेरा पहला गवाह है चंदूलाल चन्द्राकर।"

"चंदूलाल चंद्राकर हाजिर हो।" चपरासी ने आवाज लगाई। डिपार्टमेन्टल स्टोर का सेल्समैन चंदू तैयार ही था। वह चलता हुआ, विटनेस बाक्स में जा पहुँचा। इससे पहले कि उसके हाथ में गीता रखी जाती, कटघरे में पहुंचते ही उसने रोमेश को देखा, मुस्कराया और बिना किसी लाग लपेट के शुरू हो गया।

"योर ऑनर, मैं गीता, रामायण, बाइबिल, कुरान की कसम खा कर कहता हूँ, जो कुछ कहूँगा, वही कहूँगा, जो मैं कई दिन से तोते की तरह रट रहा हूँ, कह दूँ।"

लोग ठहाका मारकर हँस पड़े। राजदान ने उसे रोका,

"मिस्टर चंदूलाल चन्द्राकर, जरा रुकिये। मेरे कहने के बाद ही कुछ शुरू करना।"

"यह मुझसे नहीं कहा गया था कि आपके पूछने पर शुरू करना है,क्यों मिस्टर?" उसने रोमेश की तरफ घूरा,

"ऐसा ही है क्या ?"
रोमेश ने सिर हिला कर हामी भरी।

"चलो ऐसे ही सही ।"
अब सरकारी वकील ने गीता की कसम खिलाई।

"जो मैं कहूँ, वही दोहराते रहना। उसके बाद गव ही देना।"

"ठीक है-ठीक है।" चंदू ने कहा और फिर अदालत की कसम खाने वाली रस्म पूरी की। इस रस्म के बाद राजदान ने पूछा :

"तुम्हारा नाम ?"

"चन्दूलाल चन्द्राकर।" चन्दू ने कहा ।

"क्या करते हो ?"

"डिपार्टमेन्टल स्टोर में रेडीमेड शॉप का सेल्समैन हूँ।"

''यह कपड़े तुम्हारे स्टोर से खरीदे गये थे।"

"जी हाँ।"

"अब सारी बात अदालत को बताओ।" चंदू ने तनिक गला खंखार कर ठीक किया और फिर बोला ,

"योर ऑनर ! यह शख्स जो कटघरे में मुलजिम की हैसियत से खड़ा है, इसका नाम है रोमेश सक्सेना। योर ऑनर 31 दिसम्बर की शाम यह शख्स मेरी दुकान पर आया और इसने मेरी दुकान से इन कपड़ों को खरीदा, जो खून से सने हुए आपके सामने रखे हैं। इसने मुझसे कहा कि मैं इन कपड़ों को पहनकर एक आदमी का कत्ल करूंगा और इसने सचमुच ऐसा कर दिखाया।"


"मुलजिम को यदि इस गवाह से कोई सवाल करना हो, तो कर सकता है योर ऑनर।" राजदान ने कहा।

"नो क्वेश्चन।" मुलजिम रोमेश ने कहा। अदालत ने गवाह चंदू की गवाही दर्ज कर ली। सबूत पक्ष का दूसरा गवाह राजा था।

"चाकू छुरी बेचना मेरा धंधा है माई बाप ! मैं इस शख्स को अच्छी तरह जानता हूँ, यह एडवोकेट रोमेश सक्सेना है। जिस चाकू से इसने कत्ल किया, वह इसने मेरी दुकान से खरीदा था और सरेआम कहा था कि इस चाकू से वह मर्डर करने वाला है। किसी को यकीन ही नहीं आया। सब लोग इसे पागल कह रहे थे, भला ऐसा कहाँ होता है कि कोई आदमी इस तरह कत्ल का ऐलान करे। मगर रोमेश सक्सेना ने वैसा ही किया, जैसा कहा था।


"तीसरा गवाह नाम गोदने वाला कासिम था। "

आमतौर पर मेरे यहाँ बर्तनों पर नाम लिखे जाते हैं और ज्यादातर मियां बीवी के नाम होते हैं। जबसे मैंने होश संभाला और धंधा कर रहा हूँ, तबसे मेरी जिन्दगी में ऐसा कोई शख्स नहीं आया, जो मियां बीवी की बजाय मकतूल और कातिल का नाम खुदवाये ! कटघरे में खड़े मुलजिम रोमेश सक्सेना ने दो नाम मुझसे लिखवाये। एक उसका जिसका कत्ल होना था जनार्दन नागा रेड्डी। यह नाम चाकू की ब्लैड पर लिखवाया गया, दूसरा नाम मूठ पर लिखवाया गया। यह नाम खुद रोमेश सक्सेना का था। इन्होंने मुझसे कहा कि इस चाकू से वह जनार्दन नागा रेड्डी का ही कत्ल करेगा।"

"क्या यही वह चाकू है ?"
राजदान ने चाकू दिखाते हुए कहा, "जिस पर दो नाम गुदे थे।"

"जी हाँ, यही चाकू है।"

"योर ऑनर मेरा चौथा और आखरी गवाह है माया देवी ! वह औरत, जिसकी आँखों के सामने कत्ल किया गया। इस वारदात की चश्मदीद गवाह।"

"नो क्वेश्चन।" रोमेश ने पहले ही कहा, रोमेश के होंठों पर मुस्कराहट थी। लोग हँस पड़े।



जारी रहेगा...........✍️✍️
Nice and superb update....
 

dhalchandarun

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#10

विजय के तो छक्के छूट गये। रोमेश जिस आत्मविश्वास से कह रहा था, उससे साफ जाहिर था कि वह जो कह रहा है, वही होगा।

''तो फिर तुम ही बताओ, असली कातिल कौन है?"

"तुम्हारा सी.एम. ! जे.एन. है उसका कातिल।"

विजय उछल पड़ा। वह इधर-उधर इस प्रकार देखने लगा, जैसे कहीं किसी ने कुछ सुन तो नहीं लिया।

"एक मिनट।'' वह उठा और दरवाजा बंद करके आ गया।

''अब बोलो।'' वह फुसफुसाया।

''तुम इस केस से हाथ खींच लो।'' रोमेश ने भी फुसफुसा कर कहा।

''य...यह नहीं हो सकता।''

''तुम चीफ कमिश्नर को गिरफ्तार नहीं कर सकते। नौकरी चली जायेगी। इसलिये कहता हूँ, तुम इस तफ्तीश से हाथ खींच लोगे, तो जांच किसी और को दी जायेगी। वह
चंदन को ही पकड़ेगा और मैं चंदन को छुड़ा लूँगा। तुम्हारा ना कोई भला होगा, ना नुकसान।''

''यह हो ही नहीं सकता।'' विजय ने मेज पर घूंसा मारते हुए कहा।

''नहीं हो सकता तो वर्दी की लाज रखो, ट्रैक बदलो और सी एम को घेर लो। मैं तुम्हारासाथ दूँगा और सबूत भी। जैसे ही तुम ट्रैक बदलोगे, तुम पर आफतें टूटनी शुरू होंगी।
डिपार्टमेंटल दबाव भी पड़ सकता है और तुम्हारी नौकरी तक खतरे में पड़ सकती है।

परंतु शहीद होने वाला भले ही मर जाता है, लेकिन इतिहास उसे जिंदा रखता है और जो इतिहास बनाते हैं, वह कभी नहीं मरते। कई भ्रष्ट अधिकारी तुम्हारे मार्ग में रोड़ा बनेंगे,
जिनका नाम काले पन्नों पर होगा।"

''मैं वादा करता हूँ रोमेश ऐसा ही होगा। परंतु ट्रैक बदलने के लिए मेरे पास सबूत तो होना चाहिये।''

"सबूत मैं तुम्हें दूँगा।"

"ठीक है।" विजय ने हाथ मिलाया और उठ खड़ा हुआ।

रोमेश ने अगले दिन दिल्ली फोन मिलाया। कैलाश वर्मा को उसने रात भी फोन पर ट्राई किया था, मगर कैलाश से बात नहीं हो पायी। ग्यारह बजे ऑफिस में मिल गया।

"मैं रोमेश ! मुम्बई से।"

"हाँ बोलो। अरे हाँ, समझा।
मैं आज ही दस हज़ार का ड्राफ्ट लगा दूँगा। तुम्हारी पेमेंट बाकी है।''

"मैं उस बाबत कुछ नहीं बोल रहा। ''

"फिर खैरियत?"

"अखबार तो तुम पढ़ ही रहे होगे।"

''पुलिस की अपनी सोच है, हम क्या कर सकते हैं? जो हमारा काम था, हमने वही करना होता है, बेकार का लफड़ा नहीं करते।"

"लेकिन जो काम तुम्हारा था, वह नहीं हुआ।"

''तुम कहना क्या चाहते हो?"

"तुमने सावंत को …।"

"एक मिनट! शार्ट में नाम लो।

यह फोन है मिस्टर! सिर्फ एस. बोलो।"

"मिस्टर एस. को जो जानकारी तुमने दी, उसमें उसी का नाम है, जिस पर तर्क हो रहा है। तुमने असलियत को क्यों छुपाया? जो सबूत मैंने दिया, वही क्यों नहीं दिया, यह दोगली हरकत क्यों की तुमने?"

"मेरे ख्याल से इस किस्म के उल्टे सीधे सवाल न तो फोन पर होते हैं, न फोन पर उनका जवाब दिया जाता है। बाई द वे, अगर तुम दस की बजाय बीस बोलोगे, वो भेज दूँगा, मगर अच्छा यही होगा कि इस बाबत कोई पड़ताल न करो।"

"मुझे तो अब तुम्हारा दस हज़ार भी नहीं चाहिये और आइंदा मैं कभी तुम्हारे लिए काम भी नहीं करने का।"

"यार इतना सीरियस मत लो, दौलत बड़ी कुत्ती शै होती है। हम वैसे भी छोटे लोग हैं।
बड़ों की छाया में सूख जाने का डर होता है ना, इसलिये बड़े मगरमच्छों से पंगा लेना ठीक नहीं होता। तुम भी चुप हो जाना और मैं बीस हज़ार का ड्राफ्ट बना देता हूँ।"

''शटअप ! मुझे तुम्हारा एक पैसा भी नहीं चाहिये और मुझे भाषण मत दो।
तुमने जो किया, वह पेशे की ईमानदारी नहीं थी। आज से तुम्हारा मेरा कोई संबंध नहीं रहा।"

इतना कहकर रोमेश ने फोन काट दिया। करीब पन्द्रह मिनट बाद फोन की घंटी फिर बजी।रोमेश ने रिसीवर उठाया ।

''एडवोकेट रोमेश ''

''मायादास बोलते हैं जी। नमस्कार जी।"

"ओह मायादास जी , नमस्कार।"

"हम आपसे यह बताना चाहते थे कि फिलहाल जे.एन. साहब के लिए कोई केस नहीं
लड़ना है, प्रोग्राम कुछ बदल गया है।
हाँ , अगर फिर जरूरत पड़ी , तो आपको याद किया जायेगा। बुरा मत मानना ।"

''नहीं-नहीं । ऐसी कोई बात नहीं है।
वैसे बाई द वे जरूरत पड़ जाये, तो फोन नंबर आपके पास है ही ।''

"आहो जी ! आहो जी ! नमस्ते ।'' माया-दास ने फोन काट दिया ।

रोमेश जानता था कि दो-चार दिन में ही मायादास फिर संपर्क करेगा और रोमेश को अभी उससे एक मीटिंग और करनी थी, तभी जे.एन. घेरे में आ सकता था।

तीन दिन बाद विजय ने चंदन को चार्ज से हटा लिया और अखबारों में बयान दिया कि चंदन को शक के आधार पर तफ्तीश में लिया गया था किंतु बाद की जांच के मामले ने
दूसरा रूप ले लिया और इस कत्ल की वारदात के पीछे किसी बहुत बड़ी हस्ती का हाथ होने का संकेत दिया ।

सावंत कांड अभी भी समाचार पत्रों की सुर्खियों में था। विजय ने इसे एक बार फिर नया मोड़ दे दिया था।
उसी दिन शाम को मायादास का फोन आ गया।

''आपकी जरूरत आन पड़ी वकील साहब।"

"आता हूँ।"

"उसी जगह, वक्त भी आठ।“

"ठीक है ।"

रोमेश ठीक वक्त पर होटल जा पहुँचा। मायादास के अलावा उस समय वहाँ एक और आदमी था।
वह व्यक्ति चेहरे से खतरनाक दिखता था और उसके शरीर की बनावट भी
वेट-लिफ्टिंग चैंपियन जैसी थी। उसके बायें गाल पर तिल का निशान था और सामने के दो दांत सोने के बने थे। सांवले रंग का वह लंबा तगड़ा व्यक्ति गुजराती मालूम पड़ता था ,
उम्र होगी कोई चालीस वर्ष ।

"यह बटाला है।" मायादास ने उसका परिचय कराया ।

"वैसे तो इसका नाम बटाला है, लेकिन अख्तर बटाला के नाम से इसे कम ही लोग जानते हैं। पहले जब छोटे-मोटे हाथ मारा करता था, तो इसे बट्टू चोर के नाम से जाना जाता था। फिर यह मिस्टर बटाला बन गया और कत्ल के पेशे में आ गया, इसका निशाना सधा हुआ है। जितना कमांड इसका राइफल, स्टेनगन या पिस्टल पर है, उतना ही भरोसा रामपुरी पर है। जल्दी ही हज करने का इरादा रखता है, फि र तो हम इसे हाजी साहब कहा करेंगे ।''

बटाला जोर-जोर से हंस पड़ा ।

''अब जरा दांत बंद कर।" मायादास ने उसे जब डपटा, तो उसके मुंह पर तुरंत ब्रेक का जाम लग गया।

''वकील लोगों से कुछ छुपाने का नहीं मांगता।" वह बोला !

"और हम यह भी पसंद नहीं करते कि हमारा कोई आदमी तड़ी पार चला जाये । अगर बटाला को जुम्मे की नमाज जेल में पढ़नी पड़ गई, तो लानत है हम पर ।''

"पण जो अपुन को तड़ी पार करेगा, हम उसको भी खलास कर देगा" बटाला ने फटे बास की तरह घरघराती आवाज निकाली।"

"तेरे को कई बार कहा, सुबह-सुबह गरारे किया कर, वरना बोला मत कर।"
मायादास ने उसे घूरते हुए कहा । बटाला चुप हो गया।

''सावंत का कत्ल करते वक्त इस हरामी से कुछ मिस्टेक भी हो गयी। इसने जुम्मन की टैक्सी को इस काम के लिये इस्तेमाल किया और जुम्मन उसी दिन से लापता है। उसकी टैक्सी गैराज में खड़ी है। यह जुम्मन इसके गले में पट्टा डलवा सकता है।

मैंने कहा था- कोई चश्मदीद ऐसा ना हो, जो तुम्हें पहचानता हो। जुम्मन की थाने में हिस्ट्री शीट खुली हुई है और अगर वह पुलिस को बिना बताए गायब होता है, तो पुलिस उसे रगड़ देगी।
ऐसे में वह भी मुंह खोल सकता है। जुम्मन डबल क्रॉस भी कर सकता है, वह भरोसे का आदमी नहीं है।"

बटाला ने फिर कुछ बोलना चाहा, परंतु मायादास के घूरते ही केवल हिनहिना कर रह गया।

''तो सावंत का मुजरिम ये है।'' रोमेश बोला ।

''आपको इसे हर हालत में सेफ रखना है वकील साहब, बोलो क्या फीस मांगता ?"

"फीस में तब ले लूँगा, जब काम शुरू होगा। अभी तो कुछ है ही नहीं , पहले पुलिस को बटाला तक तो पहुंचने दो, फिर देखेंगे।"


जारी रहेगा……..✍️✍️
Hmmm. New character Batala interesting....aur udhar Vijay ne Chandan ko lekar ek naya mod de diya case me... thrilled to read...
 

Raj_sharma

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kya baat bhai ji adhbhut lekhni jabardast lajawab mast ekdum dhasu nishabad magar bhai ji ye romesh saxena karna kya chah raha hai main janane ke liye utsuk hoon :ban: :vhappy1::budhabudhi::cowboy1::thankyou:
Wo imaandari ki taang bana hua hai bhai😀😀 dekhte hai aage kya hota hai, Thank you very much for your wonderful review and support Shekhu69 bhai :thanx:
 

Raj_sharma

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Nice and superb update....
Thanks brother :thanx:
 

dhalchandarun

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#11.

रोमेश डिनर के बाद फ्लैट पर पहुँचा, तो उसके पास सारी बातचीत का टेप मौजूद था। फिर भी उसने विजय को कुछ नहीं बता या। अगले ही दिन समाचार पत्रों में छपा की, विजय ने वह टैक्सी बरामद कर ली है, जिसे कातिल ने प्रयोग किया था।

टैक्सी के मालिक रूप सुंदर को एक रात हवालात में रखने के बाद सुबह छोड़ दिया गया था। चालक जुम्मन गायब था। रोमेश के होंठों पर मुस्कुराहट उभर आई, इसका मतलब मायादास को पहले से पता था कि टैक्सी का सुराग पुलिस को मिल गया है, और जुम्मन कभी भी आत्मसमर्पण कर सकता है।
जुम्मन के हाथ आते ही बटाला का नकाब भी उतर जायेगा। शाम को रोमेश से विजय खुद मिला।

''तुम्हारी बात सच निकली रोमेश।''

"कुछ मिला ?"

"जुम्मन ने सब बता दिया है।"

"जुम्मन तुम्हारे हाथ आ गया, कब ?"

"वह रात ही हमारे हाथ लग गया था, लेकिन मैंने उसे हवालात में नहीं रखा। बैंडस्टैंड के एक सुनसान बंगले में है।"

"यह तुमने अक्लमंदी की।"

"मगर तुम जुम्मन को कैसे जानते हो?"

"यह छोड़ो, एक बात मैं तुम्हें बताना चाहता था, तुम्हारे थाने का तुम्हारा कोई सहयोगी अपराधियों तक लिंक में है। कौन है, यह तुम पता लगाओगे।''

"मुझे पता लग चुका है। इसलिये तो मैंने जुम्मन से हवालात में पूछताछ नहीं की। बलदेव, सब इंस्पेक्टर बलदेव!

फिलहाल मैंने उसे फील्डवर्क से भी हटा लिया है। जुम्मन ने बटाला का नाम खोल दिया है। स्टेनगन बटाला के पास है, आज रात मैं उसके अड्डे पर धावा बोल दूँगा।"

"वह घाटकोपर में देसी बार चलाता है। मेरे पास उसकी सारी डिटेल आ गई है। चाहो तो रेड पर चल सकते हो।"

''नहीं, यह तुम्हारा काम है और फिर जब तुम बटाला को धर लो, तो जरा मुझसे दूर-दूर ही रहना।"

"क्यों ? क्या उसका भी केस लड़ोगे?''

"नहीं, मैं पेशे के प्रति ईमानदार रहना चाहता हूँ। हालांकि तुम खुद बटाला तक पहुंच गये हो, लेकिन इन लोगों को अगर पता चला कि उस केस के सिलसिले में तुम वहाँ जा रहे हो, तो वे यही समझेंगे कि यह सब मेरा किया धरा है। मैंने तुम्हें लाइन सिर्फ इसलिये दी, क्यों कि तुम गलत दिशा में भटक गये थे। अब सबूत जुटाना तुम्हारा काम है।''

''लेकिन जनाब अगले हफ्ते नया साल शुरू होने वाला है और दस जनवरी को आपकी शादी की वर्षगांठ होती है, याद है।'' इतना कहकर विजय ने सौ-सौ के नोटों की छः गड्डियां रोमेश के हवाले करते हुए कहा, "तुम तो तकाजा भी भूल गये।''

''यार सचमुच तूने याद दिला दिया , मेरे को तो याद भी नहीं था। माय गॉड, सीमा वैसे भी आजकल मुझसे बहुत कम बोलती है। मैरिज एनिवर्सरी पर मैं उसे गिफ्ट दूँगा इस बार।''

घाटकोपर की एक बस्ती में। बटाला का अवैध शराब का बार चलता था । बटाला देसी बार के ऊपर वाले कमरे में बैठा था। उसकी बगल में एक पेशेवर औरत थी, जिसके साथ वह रमी खेल रहा था। पास ही एक बोतल रखी थी। तभी एक चेला अंदर आया।

"मुखबिर का खबर आयेला।''

"क्या?"

"पुलिस का रेड इधर पड़ेला।''

"आने दे कोई नया इंस्पेक्टर होगा। जब आजाये तो बोल देना, ऊपर कू आए, मेरे से बात कर लेने का क्या, अब फुट जा।

'तभी पुलिस का सायरन बजा। बटाला पर कोई असर नहीं पड़ा। वह उसी प्रकार रमी खेलता रहा। खबर देने वाला नीचे चला गया। कुछ ही देर में बार में तोड़फोड़ की आवाजें गूंजने लगी। चेला फिर हाँफता काँपता ऊपर आया।


"इंस्पेक्टर विजय है। तुमको गिरफ्तार करने आया है।'' बटाला ने उठकर एक झन्नाटेदार थप्पड़ चेले के मुँह पर मारा। अपनी रिवॉल्वर हवा में घुमाई और फिर उसे जेब में डालता उठ खड़ा हुआ। उसी वक्त बटाला ने फोन मिलाने के लिए डायल पर उंगली घुमाई, लेकिन वह चौंक पड़ा, टेलीफो न डेड पड़ा था।

''हमारा काम करने का तरीका कुछ पसंद आया।'' अचानक विजय ने उसी कमरे के दरवाजे पर कदम रखा,

''अब तुम किसी नेता को फोन नहीं मारेगा, थाने चलेगा सीधा।''

''साले ! " बटाला ने रिवॉल्वर निकाली। लेकिन फायर करने से पहले विजय ने एक जोरदार ठोकर बटाला पर रसीद कर दी, बटाला लड़खड़ाया, विजय एकदम चीते की तरह उस पर झपटा और फिर विजय की रिवॉल्वर बटाला के सीने पर थी।

''पुलिस पर गोली चलाएगा साले। “

“मैं तेरे को बर्बाद कर दूँगा। अपुन को ठीक से जान लेने का, नहीं तो नौकरी से हाथ धोलेगा।"

"जनार्दन रेड्डी के कुत्ते।" विजय ने उसे एक ठोकर और जड़ दी,

''इधर पूरी बस्ती को घेरा है मैंने। कोई तेरी मदद को नहीं आएगा, मुम्बई के जितने भी तेरे जैसे लोग हैं, मेरा नाम सुनते ही सब का पेशाब निकल जाता है। सावंत का कत्ल किया तूने, चल।" विजय ने बटाला के हाथों में हथकड़ियां डाल दी।

"ऐ चल भाग यहाँ से।'' विजय ने पेशेवर युवती से कहा। बटाला को गिरफ्तार करके विजय गोरेगांव के लिए चल पड़ा। अभी बटाला से कुछ पूछताछ भी करनी थी, इसी लिये वह उसे लेकर सीधा थाने नहीं गया, बैंडस्टैंड के उसी बंगले में गया, जहाँ जुम्मन बंद था।

"यह तो थाना नहीं है।" "बटाला जी पर यह मेरा प्राइवेट थाना है, साले यहाँ भूत भी नाचने लगते हैं मेरी मार से। अभी तो तेरे से स्टेनगन बरामद करना है।" उसके बाद बटाला की ठुकाई शुरू हो गई। बटाला को अधिक देर तक प्राइवेट कस्टडी में नहीं रखा जा सकता था, विजय ने सुबह जब उसे लॉकअप में बन्द किया, तो स्टेनगन भी बरामद कर ली थी।

अब उसने पूरा मामला तैयार कर लिया था। उसे मालूम था, बटाला को गिरफ्तार करते ही हंगामा होगा और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी उससे जवाब तलबी कर सकते थे। हुआ भी यही। मामला सीधा आई.जी. के पास पहुँचा। खुद एस.एस.पी. सीधा थाने पहुंच गया।

"आज तक तुम्हारे खिलाफ कोई शिकायत नहीं आई।" एस.एस.पी. ने कहा,

"इसलिये बटाला को छोड़ दो, तुमने ठाणे जिले में कैसे हाथ डाल दिया, वहाँ की पुलिस…।"

"सर। अगर मैं वहाँ की पुलिस को साथ लेता, तो बटाला हाथ नहीं आता, आखिरी वक्त तक वो यही समझता रहा कि उसी के थाने की पुलिस होगी, अगर उसे जरा भी पता चल जाता कि उसे सावंत मर्डर केस में अरेस्ट किया जा रहा है, तो वह हाथ नहीं आता।"

"सावंत मर्डर केस पहले चंदन, फिर यह बटाला। "

"मैंने स्टेनगन भी बरामद कर ली।"

"देखो इंस्पेक्टर विजय, आई.जी. का दबाव है, घाटकोपर की उस बस्ती में तुम्हारे खिलाफ नारे लगा रहे हैं, कोई ताज्जुब नहीं कि जुलूस निकलने लगे, तुम पुलिस इंस्पेक्टर हो, इसका यह मतलब नहीं कि…।"

"सर प्लीज, आप केवल रिजल्ट देखिये, ये मत देखिये कि मैंने कौन सा काम किस तरह किया है। यही शख्स सावंत का हत्यारा है। मैं इसका रिमांड लूँगा, ताकि असली हत्यारे को भी फंसाया जा सके।"

"इसकी सावंत से क्या दुश्मनी थी ?"

"इसकी नहीं, यह तो मोहरा भी नहीं है, प्यादा भर है। इसने शूट किया, शूट किसी और ने करवाया, मैं मुकदमा दायर कर चुका हूँ, अब रिमांड लूँगा और उस शख्स को गिरफ्तार करूंगा, जिसने कत्ल करवाया है।"

विजय ने एस.एस.पी. की एक न सुनी। बटाला लॉकअप में बन्द था।

"मुझे मालूम है सर, मेरी सर्विस भी जा सकती है, लेकिन इस थाने का चार्ज और सावंत मर्डर केस की तफ्तीश कर रहा हूँ मैं, जब तक मेरी वर्दी मेरे पास है, पुलिस महकमे का बड़े से बड़ा ऑफिसर भी मुझे काम करने से नहीं रोक सकता।"

"ठीक है, आई.जी . के सामने मैंने तुम्हारी बहुत तारीफ की थी, अब अपनी तारीफ खुद कर लेना, लेकिन मेरी व्यक्तिगत सलाह यही है कि…।"

"सॉरी सर।"

और एस.एस.पी. पैर पटकते हुए चला गया।


जारी रहेगा…….✍️✍️
Hmmm interesting Batala gaya behind the bar...kya CM JAYEGA ANDAR IS CASE ME...
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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Hmmm. New character Batala interesting....aur udhar Vijay ne Chandan ko lekar ek naya mod de diya case me... thrilled to read...
Batala ek naami gunda hai area ka ,
Thank you very much for your wonderful review and support dhalchandarun :thanx:
 

Raj_sharma

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Hmmm interesting Batala gaya behind the bar...kya CM JAYEGA ANDAR IS CASE ME...
CM koi chota mota chhor thodi hai bhai? Usko undar nahi dal sakte itna easily, thank you for your wonderful review and support bhai :hug:
 

dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
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CM koi chota mota chhor thodi hai bhai? Usko undar nahi dal sakte itna easily, thank you for your wonderful review and support bhai :hug:
Janta hoon isliye maine sirf question puchha tha?
 

Raj_sharma

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Janta hoon isliye maine sirf question puchha tha?
Okay bhai
 
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