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★ INDEX ★
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♡ Family Introduction ♡ |
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Last edited:
♡ Family Introduction ♡ |
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To laalchi aadmi , itna lalach theek nahi hai Sudhar jaoSorry Shaktimaan man mai lalach aa gaya tha
रोमेश साहब की बीवी - सीमा मैडम - के रंग ढंग , चाल चलन शुरू से एक आदर्श पत्नी के जैसे नही थे । लेट नाइट पार्टी करना , मिड नाइट घर आना , शराब पीना , अपने हसबैंड से सब समय पैसे की तंगी को लेकर झगड़े करना एक अच्छी पत्नी की पहचान नही होती । और जो कुछ बाकी बचा वह शंकर साहब के साथ एक्स्ट्रा मैरिटल रिलेशनशिप बनाकर पुरा कर दिया ।
वैसे सीमा मैडम का अपने हसबैंड के घर त्यागने से पहले पच्चीस लाख रुपए डिमांड करना और उसके कुछ दिन बाद ही शंकर साहब को रोमेश साहब को पच्चीस लाख रुपए ऑफर करना ' टू प्लस टू = फोर ' के बराबर ही थे ।
अब स्पष्ट जाहिर हो रहा है कि रोमेश साहब के साथ चाल चली गई । उन्हे धोखा दिया गया । उन्हे मैनिपुलेट किया गया । और यह सब सीमा मैडम और शंकर ने मिलकर किया ।
लेकिन रोमेश साहब जैसे कानून के पुजारी को कत्ल जैसे अपराध नही करना चाहिए था । बेहतर होता वह कानून के दायरे मे रहकर उन्हे अदालत के कटघरे तक ले जाते ।
खैर निष्कर्ष यह हुआ कि रोमेश साहब को न माया मिली और न ही राम । बीवी बेवफा निकली । दोस्त दोस्त ना रहा । धन दौलत के नाम पर मुफलिसी नसीब हुआ । और अंततः एक कातिल भी बनना पड़ा ।
लेकिन लाख रुपए का सवाल अब भी वहीं खड़ा है कि वह जे एन साहब का कत्ल किस तरह से किए ?
कहीं जेलर साहब के साथ कोई मिलीभगत तो नही कर ली ?
खुबसूरत अपडेट शर्मा जी ।
आउटस्टैंडिंग अपडेट ।
Very interesting & thrilling update
update full of suspense
भाई, मैं तो प्रेम के विषय पर ही कहानियाँ लिखता हूँ। इसलिए मेरी कहानियों का प्रीफ़िक्स रोमांस ही होता है।
हाँ - एक दो बार मैंने रक्त-संबंधों के बीच प्रेम दिखाया है, लेकिन उसके मूल में प्रेम ही है। इसलिए उन कहानियों को इन्सेस्ट का प्रीफ़िक्स नहीं दिया।
यहाँ पाठक इतने मूर्ख हैं कि उनको लगता है कि सेक्स केवल इन्सेस्ट या अडल्ट्री वाली कहानियों में ही हो सकता है। इसलिए वो रोमांस वाली कहानियाँ पढ़ते ही नहीं।
इस फ़ोरम की कुछ बहुत ही बेहतरीन कहानियाँ मैंने रोमांस में ही पढ़ीं। कुछ बार इन्सेस्ट पढ़ने का प्रयास किया, लेकिन वही घिसा-पिटा और बेहूदा फ़ॉर्मूला देखने को मिला।
आपने और Kala Nag भाई ने थ्रिलर कहानियाँ लिख कर आनंद दे दिया। फिलहाल तो इन दोनों कहानियों के अतिरिक्त कोई अन्य कहानी पढ़ने लायक नहीं है यहाँ।
हाँ - komaalrani जी की एक कहानी पढ़ने का मन है! उनसे वायदा भी किया था... लेकिन न जाने क्यों, समय ही नहीं मिल पा रहा है।
इसलिए अपने मन का लिखिए।
आप अच्छा लिखते हैं। ठहर कर लिखिए। हो सके तो पब्लिश भी करिए। क्या पता - जीवन आगे कौन सी राह दिखा दे?!
Wow nice Vijay ne two days me two clues khoj liye
.. amazing update.
Nice update....
Bhot hi umda update lagata to nahi ki romesh kuch bole but Vijay ko bhi underestimate nahi kar skate......so see in the next update what will happen....
Mene isi lie to parso vali comments me kaha tha ki apna dimag nahi lagaungi. Bas story enjoy karungi. Nahi to feel kho bethenge. Katil kon kyo kese sab idea lag hi ja raha tha. Ese me enjoy karna ho to lagatar aage badhte jao sur story enjoy karo. Tab hi maza aaega.
Nahi to malum hai muje jese daylog aap hi ko sun ne milenge.
Koi baat nhi Raj_sharma bhai mai kr deta hu
आज की रात मैं अपडेट लिखने मे बिताने वाला हू भाई कल सुबह से आपकी कहानी पर रहूँगा
कहानी खूनी कौन से अब दूसरा कौन बन गई।
खैर, ये तो पहले से ही क्लियर था की खूनी कोई और है, पर कौन?
मायादास, या कोई ऐसा जो इस कहानी में अभी तक सामने आया ही नहीं।
विजय ने अच्छी प्रोग्रेस की है वैसे, all thanks to वैशाली
Shandar jabardast dhanshu update
Badhiya update bhai
Vijay ne apna dimag lagana shuru kar diya ha or use ye bhi pata pad gaya ha ki khuni koi or ha romesh nahi lekin romesh us khuni ko kyon bacha raha ha aisa lagta ha ki khuni uska koi kareebi ha jiska name romesh sabke samne lana nahi chhahta or ye vijay pahunch gaya ha maya devi ke bangle pe ab agar maya devi mili hui ha to wo hadbadahat me real katil ka name na le jisse vijay real katil tak pahunch jaye kher apun ek tukka mar leta ha ki ( real katil vishali ka bhai nikle jise shuru me romesh ne bachaya tha ) kya pata madad ke badle madad kar de
बहुत ही रोमांचक और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अब विजय पुलिसीया दिमाख लगा कर जे एन के कत्ल का फिर से मुआयना करने लगा और कुछ हद तक उसने रोमेश की चाल को सुलझा भी लिया
बहुत खुब
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
ओह तेरी की मतलब सीमा पहले से तयार बैठी थी धोखा देने के लिए रोमेष को बेचारा बिना मतलब की बलि का बकरा बनने जा रहा था रोमेश खेर अब कहानी ने एक और दिलचस्प मोड़ लिया है कातिल आखिर कॉन हो सकता है ये बात तो पक्की है जिसने भी किया है कत्ल वो रोमेश तो नही था बस उसने वो कपड़े जरूर पहने थे जो रोमेश ने खरीदे थे दुकान से
क्या करके मानोगे
Bhai ji kya baat Jabardast Lajawab superb mast romanchak ekdum dhasu update
Awesome update
Vijay ab romesh ban कर केस सॉल्व करने की kosis में है देखते है रहता क्या है
वैसे विजय अपने असूल का pkka है और रोमेश भी।
एक जिगरी को अपने दोस्त पर बीती हर बात मालूम हो गई लेकिन अभी वो अपने कर्तव्य को देख रहा है सब इग्नोर करके।
विजय को सीमा के चरित्र के बारे में मालूम करके ज्यादा कुछ फर्क नहीं पड़ा क्या उसे पहले से अंदेशा था सीमा के बारे में की उसकी आदरणीय भाभी जी ऐसा कुछ कांड कर सकती है
एक नाजायज रिश्ते में जाकर उसके दोस्त को कतल जैसे संगीन जुर्म में।फसाकर फिर उसे मजबूर किया बरी होने को और फिर पैसा लेकर आशिक के साथ शादी करने का प्लान
Nice and superb update....
Nice update....
भाई कहानी अब इतने रोचक मोड़ पर है लास्ट 3 अपडेट से प्रतिक्रिया की बजाए और कहानी सोचने को विवश करती है ।
मुझे शुरुवात से ये कहानी बड़ी पसंद आई मेरे रेगुलर कमेंट्स आप ने देखे ही है ।
इसीलिए अब कहानी के आगे बढ़ने और समापन का इंतज़ार है ।
बाक़ी सीमा डार्लिंग तो रही नहीं ना उसने रोमेश को कही का छोड़ा है बताओ इत्ता बड़ा वकील रंडवा अच्छा लगे है । ऊपर से विजय उसको जलाने को अपनी फटाखड़ी वैशाली से बियाह और कर रहा है
घना ही दुख हो रया है मने तो
Bhot hi romanchak or best or behtreen update...... suspence Abhi tak bhi barkarrar h dekhte h ye kaisa mod leta h
intezaar rahega next update ka Raj_sharma bhai....
Shandar jabardast update# 32
तब तक विजय अन्दर कदम रख चुका था, वह ड्राइंगरूम में कमर पर हाथ रखे और टांगे फैलाये खड़ा था, तभी माया देवी ने ड्राइंगरूम में कदम रखा।
"तुम !" वह चीख पड़ी,
"रोमेश सक्सेना, तुम ! मैं अभी पुलिस को फोन करती हूँ, तुम यहाँ क्यों आये ? क्या फिर किसी का खून ?"
विजय ने सिर से हेट उतारा और फिर चेहरे से मफलर। अब विजय को सामने देखकर माया भी हैरान हो गयी। वह हैरत से फटी आँखों से विजय को देख रही थी।
"अ… आप ?"
"हाँ , मैं !"
"म… मगर… ब… बैठिये।" विजय बैठ गया।
"मगर यह सब क्या है ?"
"मैं एक शक दूर करना चाहता था।"
"क्या ? "
"माया देवी अगर आपने पुलिस को बयान देते वक्त यह बताया होता कि फ्लैट में दाखिल होने वाले रोमेश ने अपना चेहरा मफलर में छिपाया हुआ था, तो कहानी कुछ और बनती। मैं अदालत में कभी केस न डालता और सबसे पहले यह जानने की कौशिश करता कि जिस रोमेश सक्सेना का आपने चेहरा नहीं देखा, वह दरअसल रोमेश ही था या कोई और।"
"त… तो क्या वह रोमेश नहीं था ?"
"नहीं मैडम, वह कोई और था।"
"मगर उससे पहले जब रोमेश मिला था, तो वह धमकी देकर गया था, उसने यही ड्रेस पहना हुआ था।"
"सारा धोखा ड्रेस का ही तो है, पहली बार यहाँ आया और तुम्हें गवाह बनाने के लिये कह गया। क्या उस वक्त भी उसने चेहरा मफलर में ढ़का हुआ था ?"
"नहीं , लेकिन वापिस जाते समय उसने चेहरा मफलर में छिपा लिया। उस वक्त मैंने यह समझा कि हो सकता है, वह अपना चेहरा छिपाना चाहता हो। ताकि कोई राह चलता शख्स उसकी शिनाख्त न कर बैठे। क़त्ल की रात वह इसी तरह मफलर लपेटे था।"
"और तुमने केवल उसका गेटअप देखकर यह समझ लिया कि वह रोमेश है। लेकिन वह कोई और था। जिसकी कद-काठी हूबहू रोमेश से मिलती थी, हो सकता है कि उसकी चाल ढाल भी रोमेश जैसी हो। यह भी हो सकता है कि उसने रोमेश की आवाज की नक़ल करने की भी प्रैक्टिस भी कर ली हो।" विजय उठ खड़ा हुआ।
छठा दिन ।
विजय इंस्पेक्टर की ड्रेस में नहीं था। वह उसी गेटअप में था, मफलर चेहरे पर लपेटे, काली पैन्ट, काली शर्ट, ओवरकोट। रोमेश उसे देखकर चौंका, जब विजय अन्दर दाखिल हुआ, तो पीछे से हवलदार ने लॉकअप में ताला डाल दिया। विजय दीवार की तरफ चेहरा किये खड़ा हो गया।
"तुम… तुम कैसे पकड़े गये ?" रोमेश के मुँह से निकला ।
विजय चुप रहा । उसने कोई उत्तर नहीं दिया ।
"मेरे सवाल का जवाब दो सोमू, तुम्हें तो अब तक लंदन पहुंच जाना था। तुम कैसे पकड़े गये, बोलो ?" रोमेश उठ खड़ा हुआ ।
रोमेश, विजय के पास पहुँचा। उसने विजय का कंधा पकड़कर एक झटके में घुमाया, विजय के चेहरे से मफलर खिंच गया और हैट विजय ने स्वयं उतार दी।
"माई गॉड !" रोमेश पीछे हटता चला गया।
"उस पेचीदा सवाल का जवाब तुमने खुद दे दिया है रोमेश, अब गुत्थी सुलझ गई।
“वह शख्स जो तुम्हारी जगह क़त्ल करने माया के फ्लैट पर पहुँचा, उसका नाम सोमू था। सोमू यानि वैशाली का बड़ा भाई, मेरा साला। "
"अब बात समझ में आ रही है, वह पिछले दिनों कह रहा था कि लंदन में उसे नौकरी मिल गई है। उसने अपना वीजा पासपोर्ट भी बनवा लिया था। शायद तुमने उसे पैसे के मामले में हेल्प की होगी, वह अपनी बहन की शादी की वजह से रुक न गया होता, तो यह गुत्थी कभी न सुलझ पाती कि जब सोमू ने तुम्हारे प्लान के अनुसार क़त्ल किया, तो खंजर पर उसके बजाय तुम्हारी उंगलियों के निशान कैसे पाये गये। अब हमें सारे सवालों का जवाब मिल जायेगा।"
रोमेश एक बार फिर चुप हो गया।
"तुम अपने ही बनाये गेटअप से धोखा खा गये रोमेश, तो भला माया देवी क्यों न खाती।" इतना कहकर विजय बाहर निकल गया ।
सातवां दिन।
विजय एक बार फिर लॉकअप में था।
"अपराधी कितना भी चालाक क्यों न हो, कितनी ही चतुराई से फुलप्रूफ प्लान क्यों न बनाये, उससे कहीं न कहीं चूक तो हो ही जाती है। दरअसल इस पूरे मामले में पुलिस ने एक ही लाइन पर काम किया। उसने यह पहले ही मान लिया कि क़त्ल रोमेश ने ही किया है और जुनूनी हालत के कारण किया।"
"बस यह सबसे बड़ी भूल थी। इसका परिणाम था कि पूरे घटनाक्रम की बारीकी से जांच ही नहीं की गयी। अगर उस ख़ंजर की बारीकी से जांच की गयी होती, जो चाकू जे.एन. की लाश में पैवस्त पाया गया था, तो साफ पता चल जाता कि क़त्ल उस चाकू से नहीं हुआ, उस पर सिर्फ जे.एन. का खून लगा था। उसे केवल घाव में फंसाया गया था, वह बिल्कुल नया का नया था और उससे कोई वार भी नहीं किया गया था। लेकिन तुमसे एक चूक हो गयी। तुमने सोमू को उस चाकू के बारे में कोई निर्देश नहीं दिया था, जिससे जे.एन. का क़त्ल हुआ।"
विजय कुछ पल के लिए खामोश हो गया।
"और हमने वह चाकू बरामद कर लिया है। जब उसकी जांच होगी, तो पता चल जायेगा कि उस पर भी वह खून लगा, जो जे.एन. के शरीर से बहा था। यह चाकू सोमू ने उसी रात अपने घर के आंगन में गाड़ दिया था और अब वैशाली की मदद से उससे सब मालूम कर लिया है।"
आठवें दिन विजय ने बड़े नाटकीय अन्दाज में कहना शरू किया।
"मिस्टर रोमेश सक्सेना, आपने पूरा प्लान इस तरह बनाया। आप इस मर्डर की भूमिका इस तरह बनाना चाहते थे कि अगर जे.एन. का क़त्ल कोई भी करता, तो पुलिस आपको ही गिरफ्तार करती। आपने यह तय कर लिया था कि सबूत और गवाहों का रास्ता भी दुनिया के लिये आसान रहे, उसे कुछ भी तफ्तीश न करनी पड़े और अदालत में आप यह साबित कर डालते कि आप उस समय कानून की कस्टडी में थे।"
"उसके लिए यह भी जरूरी था कि आप दूसरे शहर में पकड़े जायें, किसी भी शहर में जाकर थाने में बन्द होना और जेल की हवा खाना बड़ा ही आसान काम है। प्लान के अनुसार आपको नौ तारीख को यह काम करना था और इत्तफाक से मैंने नौ तारीख की टिकट आपको थमा दी। आपके प्लान में एक ऐसे शख्स की जरूरत थी, जो आपकी कदकाठी का हो और क़त्ल भी कर सकता हो।"
विजय कुछ रुका ।
"सोमू पर आपका यह अहसान था कि उसे आपने बरी करवाया था और वैशाली का भी मार्ग प्रशस्त किया था, वैशाली ने जब घर में जिक्र किया कि आप पर जनार्दन नागा रेड्डी को क़त्ल करने का भूत सवार है, तो सोमू दौड़ा-दौड़ा आपके पास पहुँचा।
सोमू ने आपसे कहा कि आपको किसी का खून करने की क्या जरूरत है, वह किस काम आयेगा ? आपने सोमू को जांचा-परखा। उसकी कदकाठी आपसे मिलती थी, बस आपको वह शख्स बैठे-बिठाये मिल गया, जिसकी आपको तलाश थी।"
विजय ने पैकट से एक सिगरेट निकाली और पैकेट रोमेश की तरफ बढ़ाया, वह रोमेश की ब्राण्ड का ही पैक था।
रोमेश ने अनजाने में सिगरेट निकालकर होंठों में दबा लिया । विजय ने उसका सिगरेट सुलगा दिया।
"यह वो कहानी थी, जिसे न तो पुलिस समझ सकती थी और न अदालत। इस तरह तुम एक ही वक्त में दो जगह खड़े दिखाई दिये, आज तुम्हारा थाने में आखिरी दिन है। मैं परसों तुम्हें पेश कर दूँगा और जनार्दन नागा रेड्डी का मुकदमा री-ओपन करने की दरख्वास्त करूंगा।"
नौवें दिन विजय ने वह चाकू रोमेश को दिखाया, जिससे क़त्ल हुआ था।
"अब मैं तुम्हें बताता हूँ कि वहाँ तुम्हारी उंगलियों के निशान किस तरह पाये गये। बियर की बोतल और गिलास जिस पर तुम्हारी उंगलियों के निशान थे, वह ओवरकोट की जेब में डाला गया था। जिस चाकू पर तुम्हारी उंगलियों के निशान थे, उसे भी वह साथ ले गया था।
चाकू को जख्म में फंसा कर छोड़ दिया गया, जो बियर उसने फ्रिज से निकलकर पी थी, उसकी जगह दूसरी बोतल रख दी। हमारे डिपार्टमेंट ने दूसरी जगह उंगलियों के निशान उठाने की कौशिश तो की, लेकिन फॉर्मेल्टी के तौर पर वहाँ उन्हें कहीं भी तुम्हारी उंगलियों के निशान नहीं मिले और हमने यह जानने की कौशिश नहीं की; कि चाकू पर जो निशान थे, बियर की बोतल और गिलास पर भी वही थे, तो दूसरी जगह पर क्यों नहीं पाये गये ?"
"ऐसे बहुत से सवाल हैं, जिनका जवाब हमें उसी वक्त तलाश लेना चाहिये था किन्तु तुमने जो ट्रैक बनाया था, वह इतना शानदार और नाकाबन्दी वाला था कि हम ट्रैक से बाहर दौड़ ही नहीं सकते थे। हम उसी ट्रैक पर दौड़ते हुए तुम तक पहुंचे और तुम अपने प्लान में कामयाब हो गये।" रोमेश ने मुस्कराते हुए कहा,
"मगर यह सब तुम साबित नहीं कर पाओगे।"
"मैं साबित कर दूँगा रोमेश !"
जारी रहेगा.......
धन्यवाद लोह पुरुष भैया आपके सपोर्ट के लिएShandar jabardast update
बहुत ही मस्त और रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया# 32
तब तक विजय अन्दर कदम रख चुका था, वह ड्राइंगरूम में कमर पर हाथ रखे और टांगे फैलाये खड़ा था, तभी माया देवी ने ड्राइंगरूम में कदम रखा।
"तुम !" वह चीख पड़ी,
"रोमेश सक्सेना, तुम ! मैं अभी पुलिस को फोन करती हूँ, तुम यहाँ क्यों आये ? क्या फिर किसी का खून ?"
विजय ने सिर से हेट उतारा और फिर चेहरे से मफलर। अब विजय को सामने देखकर माया भी हैरान हो गयी। वह हैरत से फटी आँखों से विजय को देख रही थी।
"अ… आप ?"
"हाँ , मैं !"
"म… मगर… ब… बैठिये।" विजय बैठ गया।
"मगर यह सब क्या है ?"
"मैं एक शक दूर करना चाहता था।"
"क्या ? "
"माया देवी अगर आपने पुलिस को बयान देते वक्त यह बताया होता कि फ्लैट में दाखिल होने वाले रोमेश ने अपना चेहरा मफलर में छिपाया हुआ था, तो कहानी कुछ और बनती। मैं अदालत में कभी केस न डालता और सबसे पहले यह जानने की कौशिश करता कि जिस रोमेश सक्सेना का आपने चेहरा नहीं देखा, वह दरअसल रोमेश ही था या कोई और।"
"त… तो क्या वह रोमेश नहीं था ?"
"नहीं मैडम, वह कोई और था।"
"मगर उससे पहले जब रोमेश मिला था, तो वह धमकी देकर गया था, उसने यही ड्रेस पहना हुआ था।"
"सारा धोखा ड्रेस का ही तो है, पहली बार यहाँ आया और तुम्हें गवाह बनाने के लिये कह गया। क्या उस वक्त भी उसने चेहरा मफलर में ढ़का हुआ था ?"
"नहीं , लेकिन वापिस जाते समय उसने चेहरा मफलर में छिपा लिया। उस वक्त मैंने यह समझा कि हो सकता है, वह अपना चेहरा छिपाना चाहता हो। ताकि कोई राह चलता शख्स उसकी शिनाख्त न कर बैठे। क़त्ल की रात वह इसी तरह मफलर लपेटे था।"
"और तुमने केवल उसका गेटअप देखकर यह समझ लिया कि वह रोमेश है। लेकिन वह कोई और था। जिसकी कद-काठी हूबहू रोमेश से मिलती थी, हो सकता है कि उसकी चाल ढाल भी रोमेश जैसी हो। यह भी हो सकता है कि उसने रोमेश की आवाज की नक़ल करने की भी प्रैक्टिस भी कर ली हो।" विजय उठ खड़ा हुआ।
छठा दिन ।
विजय इंस्पेक्टर की ड्रेस में नहीं था। वह उसी गेटअप में था, मफलर चेहरे पर लपेटे, काली पैन्ट, काली शर्ट, ओवरकोट। रोमेश उसे देखकर चौंका, जब विजय अन्दर दाखिल हुआ, तो पीछे से हवलदार ने लॉकअप में ताला डाल दिया। विजय दीवार की तरफ चेहरा किये खड़ा हो गया।
"तुम… तुम कैसे पकड़े गये ?" रोमेश के मुँह से निकला ।
विजय चुप रहा । उसने कोई उत्तर नहीं दिया ।
"मेरे सवाल का जवाब दो सोमू, तुम्हें तो अब तक लंदन पहुंच जाना था। तुम कैसे पकड़े गये, बोलो ?" रोमेश उठ खड़ा हुआ ।
रोमेश, विजय के पास पहुँचा। उसने विजय का कंधा पकड़कर एक झटके में घुमाया, विजय के चेहरे से मफलर खिंच गया और हैट विजय ने स्वयं उतार दी।
"माई गॉड !" रोमेश पीछे हटता चला गया।
"उस पेचीदा सवाल का जवाब तुमने खुद दे दिया है रोमेश, अब गुत्थी सुलझ गई।
“वह शख्स जो तुम्हारी जगह क़त्ल करने माया के फ्लैट पर पहुँचा, उसका नाम सोमू था। सोमू यानि वैशाली का बड़ा भाई, मेरा साला। "
"अब बात समझ में आ रही है, वह पिछले दिनों कह रहा था कि लंदन में उसे नौकरी मिल गई है। उसने अपना वीजा पासपोर्ट भी बनवा लिया था। शायद तुमने उसे पैसे के मामले में हेल्प की होगी, वह अपनी बहन की शादी की वजह से रुक न गया होता, तो यह गुत्थी कभी न सुलझ पाती कि जब सोमू ने तुम्हारे प्लान के अनुसार क़त्ल किया, तो खंजर पर उसके बजाय तुम्हारी उंगलियों के निशान कैसे पाये गये। अब हमें सारे सवालों का जवाब मिल जायेगा।"
रोमेश एक बार फिर चुप हो गया।
"तुम अपने ही बनाये गेटअप से धोखा खा गये रोमेश, तो भला माया देवी क्यों न खाती।" इतना कहकर विजय बाहर निकल गया ।
सातवां दिन।
विजय एक बार फिर लॉकअप में था।
"अपराधी कितना भी चालाक क्यों न हो, कितनी ही चतुराई से फुलप्रूफ प्लान क्यों न बनाये, उससे कहीं न कहीं चूक तो हो ही जाती है। दरअसल इस पूरे मामले में पुलिस ने एक ही लाइन पर काम किया। उसने यह पहले ही मान लिया कि क़त्ल रोमेश ने ही किया है और जुनूनी हालत के कारण किया।"
"बस यह सबसे बड़ी भूल थी। इसका परिणाम था कि पूरे घटनाक्रम की बारीकी से जांच ही नहीं की गयी। अगर उस ख़ंजर की बारीकी से जांच की गयी होती, जो चाकू जे.एन. की लाश में पैवस्त पाया गया था, तो साफ पता चल जाता कि क़त्ल उस चाकू से नहीं हुआ, उस पर सिर्फ जे.एन. का खून लगा था। उसे केवल घाव में फंसाया गया था, वह बिल्कुल नया का नया था और उससे कोई वार भी नहीं किया गया था। लेकिन तुमसे एक चूक हो गयी। तुमने सोमू को उस चाकू के बारे में कोई निर्देश नहीं दिया था, जिससे जे.एन. का क़त्ल हुआ।"
विजय कुछ पल के लिए खामोश हो गया।
"और हमने वह चाकू बरामद कर लिया है। जब उसकी जांच होगी, तो पता चल जायेगा कि उस पर भी वह खून लगा, जो जे.एन. के शरीर से बहा था। यह चाकू सोमू ने उसी रात अपने घर के आंगन में गाड़ दिया था और अब वैशाली की मदद से उससे सब मालूम कर लिया है।"
आठवें दिन विजय ने बड़े नाटकीय अन्दाज में कहना शरू किया।
"मिस्टर रोमेश सक्सेना, आपने पूरा प्लान इस तरह बनाया। आप इस मर्डर की भूमिका इस तरह बनाना चाहते थे कि अगर जे.एन. का क़त्ल कोई भी करता, तो पुलिस आपको ही गिरफ्तार करती। आपने यह तय कर लिया था कि सबूत और गवाहों का रास्ता भी दुनिया के लिये आसान रहे, उसे कुछ भी तफ्तीश न करनी पड़े और अदालत में आप यह साबित कर डालते कि आप उस समय कानून की कस्टडी में थे।"
"उसके लिए यह भी जरूरी था कि आप दूसरे शहर में पकड़े जायें, किसी भी शहर में जाकर थाने में बन्द होना और जेल की हवा खाना बड़ा ही आसान काम है। प्लान के अनुसार आपको नौ तारीख को यह काम करना था और इत्तफाक से मैंने नौ तारीख की टिकट आपको थमा दी। आपके प्लान में एक ऐसे शख्स की जरूरत थी, जो आपकी कदकाठी का हो और क़त्ल भी कर सकता हो।"
विजय कुछ रुका ।
"सोमू पर आपका यह अहसान था कि उसे आपने बरी करवाया था और वैशाली का भी मार्ग प्रशस्त किया था, वैशाली ने जब घर में जिक्र किया कि आप पर जनार्दन नागा रेड्डी को क़त्ल करने का भूत सवार है, तो सोमू दौड़ा-दौड़ा आपके पास पहुँचा।
सोमू ने आपसे कहा कि आपको किसी का खून करने की क्या जरूरत है, वह किस काम आयेगा ? आपने सोमू को जांचा-परखा। उसकी कदकाठी आपसे मिलती थी, बस आपको वह शख्स बैठे-बिठाये मिल गया, जिसकी आपको तलाश थी।"
विजय ने पैकट से एक सिगरेट निकाली और पैकेट रोमेश की तरफ बढ़ाया, वह रोमेश की ब्राण्ड का ही पैक था।
रोमेश ने अनजाने में सिगरेट निकालकर होंठों में दबा लिया । विजय ने उसका सिगरेट सुलगा दिया।
"यह वो कहानी थी, जिसे न तो पुलिस समझ सकती थी और न अदालत। इस तरह तुम एक ही वक्त में दो जगह खड़े दिखाई दिये, आज तुम्हारा थाने में आखिरी दिन है। मैं परसों तुम्हें पेश कर दूँगा और जनार्दन नागा रेड्डी का मुकदमा री-ओपन करने की दरख्वास्त करूंगा।"
नौवें दिन विजय ने वह चाकू रोमेश को दिखाया, जिससे क़त्ल हुआ था।
"अब मैं तुम्हें बताता हूँ कि वहाँ तुम्हारी उंगलियों के निशान किस तरह पाये गये। बियर की बोतल और गिलास जिस पर तुम्हारी उंगलियों के निशान थे, वह ओवरकोट की जेब में डाला गया था। जिस चाकू पर तुम्हारी उंगलियों के निशान थे, उसे भी वह साथ ले गया था।
चाकू को जख्म में फंसा कर छोड़ दिया गया, जो बियर उसने फ्रिज से निकलकर पी थी, उसकी जगह दूसरी बोतल रख दी। हमारे डिपार्टमेंट ने दूसरी जगह उंगलियों के निशान उठाने की कौशिश तो की, लेकिन फॉर्मेल्टी के तौर पर वहाँ उन्हें कहीं भी तुम्हारी उंगलियों के निशान नहीं मिले और हमने यह जानने की कौशिश नहीं की; कि चाकू पर जो निशान थे, बियर की बोतल और गिलास पर भी वही थे, तो दूसरी जगह पर क्यों नहीं पाये गये ?"
"ऐसे बहुत से सवाल हैं, जिनका जवाब हमें उसी वक्त तलाश लेना चाहिये था किन्तु तुमने जो ट्रैक बनाया था, वह इतना शानदार और नाकाबन्दी वाला था कि हम ट्रैक से बाहर दौड़ ही नहीं सकते थे। हम उसी ट्रैक पर दौड़ते हुए तुम तक पहुंचे और तुम अपने प्लान में कामयाब हो गये।" रोमेश ने मुस्कराते हुए कहा,
"मगर यह सब तुम साबित नहीं कर पाओगे।"
"मैं साबित कर दूँगा रोमेश !"
जारी रहेगा.......