• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Thriller The cold night (वो सर्द रात) (completed)

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
18,720
38,276
259
Per jo nahi jante unke samne jag hasai to na ho? Sayad yahi soch ho uski,
भाई, आप लेखक हो, जैसा चाहे लिखो, पर मुझे ले लॉजिक बचकाना लगा।

A hoe is always a hoe, no matter dead or alive.
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
20,458
52,869
259
Doston is kahani ko mai is mukaam tak pahucha paya iska poora credit aap sabka hi hai, isme mera koi lena dena hi nahi hai, aapke support or reviews mujhe prerit karte gaye, or mujhe ye bolne me koi problem nahi hai, ke aapke sujhaav kahani ko mode dene me madad karte hai
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
20,458
52,869
259

dhparikh

Well-Known Member
10,079
11,636
228
# 32

तब तक विजय अन्दर कदम रख चुका था, वह ड्राइंगरूम में कमर पर हाथ रखे और टांगे फैलाये खड़ा था, तभी माया देवी ने ड्राइंगरूम में कदम रखा।

"तुम !" वह चीख पड़ी,

"रोमेश सक्सेना, तुम ! मैं अभी पुलिस को फोन करती हूँ, तुम यहाँ क्यों आये ? क्या फिर किसी का खून ?"

विजय ने सिर से हेट उतारा और फिर चेहरे से मफलर। अब विजय को सामने देखकर माया भी हैरान हो गयी। वह हैरत से फटी आँखों से विजय को देख रही थी।

"अ… आप ?"

"हाँ , मैं !"

"म… मगर… ब… बैठिये।" विजय बैठ गया।

"मगर यह सब क्या है ?"

"मैं एक शक दूर करना चाहता था।"

"क्या ? "

"माया देवी अगर आपने पुलिस को बयान देते वक्त यह बताया होता कि फ्लैट में दाखिल होने वाले रोमेश ने अपना चेहरा मफलर में छिपाया हुआ था, तो कहानी कुछ और बनती। मैं अदालत में कभी केस न डालता और सबसे पहले यह जानने की कौशिश करता कि जिस रोमेश सक्सेना का आपने चेहरा नहीं देखा, वह दरअसल रोमेश ही था या कोई और।"


"त… तो क्या वह रोमेश नहीं था ?"

"नहीं मैडम, वह कोई और था।"

"मगर उससे पहले जब रोमेश मिला था, तो वह धमकी देकर गया था, उसने यही ड्रेस पहना हुआ था।"


"सारा धोखा ड्रेस का ही तो है, पहली बार यहाँ आया और तुम्हें गवाह बनाने के लिये कह गया। क्या उस वक्त भी उसने चेहरा मफलर में ढ़का हुआ था ?"

"नहीं , लेकिन वापिस जाते समय उसने चेहरा मफलर में छिपा लिया। उस वक्त मैंने यह समझा कि हो सकता है, वह अपना चेहरा छिपाना चाहता हो। ताकि कोई राह चलता शख्स उसकी शिनाख्त न कर बैठे। क़त्ल की रात वह इसी तरह मफलर लपेटे था।"


"और तुमने केवल उसका गेटअप देखकर यह समझ लिया कि वह रोमेश है। लेकिन वह कोई और था। जिसकी कद-काठी हूबहू रोमेश से मिलती थी, हो सकता है कि उसकी चाल ढाल भी रोमेश जैसी हो। यह भी हो सकता है कि उसने रोमेश की आवाज की नक़ल करने की भी प्रैक्टिस भी कर ली हो।" विजय उठ खड़ा हुआ।

छठा दिन ।

विजय इंस्पेक्टर की ड्रेस में नहीं था। वह उसी गेटअप में था, मफलर चेहरे पर लपेटे, काली पैन्ट, काली शर्ट, ओवरकोट। रोमेश उसे देखकर चौंका, जब विजय अन्दर दाखिल हुआ, तो पीछे से हवलदार ने लॉकअप में ताला डाल दिया। विजय दीवार की तरफ चेहरा किये खड़ा हो गया।

"तुम… तुम कैसे पकड़े गये ?" रोमेश के मुँह से निकला ।

विजय चुप रहा । उसने कोई उत्तर नहीं दिया ।

"मेरे सवाल का जवाब दो सोमू, तुम्हें तो अब तक लंदन पहुंच जाना था। तुम कैसे पकड़े गये, बोलो ?" रोमेश उठ खड़ा हुआ ।

रोमेश, विजय के पास पहुँचा। उसने विजय का कंधा पकड़कर एक झटके में घुमाया, विजय के चेहरे से मफलर खिंच गया और हैट विजय ने स्वयं उतार दी।

"माई गॉड !" रोमेश पीछे हटता चला गया।

"उस पेचीदा सवाल का जवाब तुमने खुद दे दिया है रोमेश, अब गुत्थी सुलझ गई।



“वह शख्स जो तुम्हारी जगह क़त्ल करने माया के फ्लैट पर पहुँचा, उसका नाम सोमू था। सोमू यानि वैशाली का बड़ा भाई, मेरा साला। "

"अब बात समझ में आ रही है, वह पिछले दिनों कह रहा था कि लंदन में उसे नौकरी मिल गई है। उसने अपना वीजा पासपोर्ट भी बनवा लिया था। शायद तुमने उसे पैसे के मामले में हेल्प की होगी, वह अपनी बहन की शादी की वजह से रुक न गया होता, तो यह गुत्थी कभी न सुलझ पाती कि जब सोमू ने तुम्हारे प्लान के अनुसार क़त्ल किया, तो खंजर पर उसके बजाय तुम्हारी उंगलियों के निशान कैसे पाये गये। अब हमें सारे सवालों का जवाब मिल जायेगा।"

रोमेश एक बार फिर चुप हो गया।

"तुम अपने ही बनाये गेटअप से धोखा खा गये रोमेश, तो भला माया देवी क्यों न खाती।" इतना कहकर विजय बाहर निकल गया ।

सातवां दिन।

विजय एक बार फिर लॉकअप में था।

"अपराधी कितना भी चालाक क्यों न हो, कितनी ही चतुराई से फुलप्रूफ प्लान क्यों न बनाये, उससे कहीं न कहीं चूक तो हो ही जाती है। दरअसल इस पूरे मामले में पुलिस ने एक ही लाइन पर काम किया। उसने यह पहले ही मान लिया कि क़त्ल रोमेश ने ही किया है और जुनूनी हालत के कारण किया।"


"बस यह सबसे बड़ी भूल थी। इसका परिणाम था कि पूरे घटनाक्रम की बारीकी से जांच ही नहीं की गयी। अगर उस ख़ंजर की बारीकी से जांच की गयी होती, जो चाकू जे.एन. की लाश में पैवस्त पाया गया था, तो साफ पता चल जाता कि क़त्ल उस चाकू से नहीं हुआ, उस पर सिर्फ जे.एन. का खून लगा था। उसे केवल घाव में फंसाया गया था, वह बिल्कुल नया का नया था और उससे कोई वार भी नहीं किया गया था। लेकिन तुमसे एक चूक हो गयी। तुमने सोमू को उस चाकू के बारे में कोई निर्देश नहीं दिया था, जिससे जे.एन. का क़त्ल हुआ।"


विजय कुछ पल के लिए खामोश हो गया।

"और हमने वह चाकू बरामद कर लिया है। जब उसकी जांच होगी, तो पता चल जायेगा कि उस पर भी वह खून लगा, जो जे.एन. के शरीर से बहा था। यह चाकू सोमू ने उसी रात अपने घर के आंगन में गाड़ दिया था और अब वैशाली की मदद से उससे सब मालूम कर लिया है।"


आठवें दिन विजय ने बड़े नाटकीय अन्दाज में कहना शरू किया।

"मिस्टर रोमेश सक्सेना, आपने पूरा प्लान इस तरह बनाया। आप इस मर्डर की भूमिका इस तरह बनाना चाहते थे कि अगर जे.एन. का क़त्ल कोई भी करता, तो पुलिस आपको ही गिरफ्तार करती। आपने यह तय कर लिया था कि सबूत और गवाहों का रास्ता भी दुनिया के लिये आसान रहे, उसे कुछ भी तफ्तीश न करनी पड़े और अदालत में आप यह साबित कर डालते कि आप उस समय कानून की कस्टडी में थे।"


"उसके लिए यह भी जरूरी था कि आप दूसरे शहर में पकड़े जायें, किसी भी शहर में जाकर थाने में बन्द होना और जेल की हवा खाना बड़ा ही आसान काम है। प्लान के अनुसार आपको नौ तारीख को यह काम करना था और इत्तफाक से मैंने नौ तारीख की टिकट आपको थमा दी। आपके प्लान में एक ऐसे शख्स की जरूरत थी, जो आपकी कदकाठी का हो और क़त्ल भी कर सकता हो।"

विजय कुछ रुका ।

"सोमू पर आपका यह अहसान था कि उसे आपने बरी करवाया था और वैशाली का भी मार्ग प्रशस्त किया था, वैशाली ने जब घर में जिक्र किया कि आप पर जनार्दन नागा रेड्डी को क़त्ल करने का भूत सवार है, तो सोमू दौड़ा-दौड़ा आपके पास पहुँचा।
सोमू ने आपसे कहा कि आपको किसी का खून करने की क्या जरूरत है, वह किस काम आयेगा ? आपने सोमू को जांचा-परखा। उसकी कदकाठी आपसे मिलती थी, बस आपको वह शख्स बैठे-बिठाये मिल गया, जिसकी आपको तलाश थी।"

विजय ने पैकट से एक सिगरेट निकाली और पैकेट रोमेश की तरफ बढ़ाया, वह रोमेश की ब्राण्ड का ही पैक था।


रोमेश ने अनजाने में सिगरेट निकालकर होंठों में दबा लिया । विजय ने उसका सिगरेट सुलगा दिया।

"यह वो कहानी थी, जिसे न तो पुलिस समझ सकती थी और न अदालत। इस तरह तुम एक ही वक्त में दो जगह खड़े दिखाई दिये, आज तुम्हारा थाने में आखिरी दिन है। मैं परसों तुम्हें पेश कर दूँगा और जनार्दन नागा रेड्डी का मुकदमा री-ओपन करने की दरख्वास्त करूंगा।"

नौवें दिन विजय ने वह चाकू रोमेश को दिखाया, जिससे क़त्ल हुआ था।


"अब मैं तुम्हें बताता हूँ कि वहाँ तुम्हारी उंगलियों के निशान किस तरह पाये गये। बियर की बोतल और गिलास जिस पर तुम्हारी उंगलियों के निशान थे, वह ओवरकोट की जेब में डाला गया था। जिस चाकू पर तुम्हारी उंगलियों के निशान थे, उसे भी वह साथ ले गया था।
चाकू को जख्म में फंसा कर छोड़ दिया गया, जो बियर उसने फ्रिज से निकलकर पी थी, उसकी जगह दूसरी बोतल रख दी। हमारे डिपार्टमेंट ने दूसरी जगह उंगलियों के निशान उठाने की कौशिश तो की, लेकिन फॉर्मेल्टी के तौर पर वहाँ उन्हें कहीं भी तुम्हारी उंगलियों के निशान नहीं मिले और हमने यह जानने की कौशिश नहीं की; कि चाकू पर जो निशान थे, बियर की बोतल और गिलास पर भी वही थे, तो दूसरी जगह पर क्यों नहीं पाये गये ?"


"ऐसे बहुत से सवाल हैं, जिनका जवाब हमें उसी वक्त तलाश लेना चाहिये था किन्तु तुमने जो ट्रैक बनाया था, वह इतना शानदार और नाकाबन्दी वाला था कि हम ट्रैक से बाहर दौड़ ही नहीं सकते थे। हम उसी ट्रैक पर दौड़ते हुए तुम तक पहुंचे और तुम अपने प्लान में कामयाब हो गये।" रोमेश ने मुस्कराते हुए कहा,

"मगर यह सब तुम साबित नहीं कर पाओगे।"

"मैं साबित कर दूँगा रोमेश !"




जारी रहेगा.......✍️✍️
Nice update....
 

Ajju Landwalia

Well-Known Member
3,440
13,433
159
# 32

तब तक विजय अन्दर कदम रख चुका था, वह ड्राइंगरूम में कमर पर हाथ रखे और टांगे फैलाये खड़ा था, तभी माया देवी ने ड्राइंगरूम में कदम रखा।

"तुम !" वह चीख पड़ी,

"रोमेश सक्सेना, तुम ! मैं अभी पुलिस को फोन करती हूँ, तुम यहाँ क्यों आये ? क्या फिर किसी का खून ?"

विजय ने सिर से हेट उतारा और फिर चेहरे से मफलर। अब विजय को सामने देखकर माया भी हैरान हो गयी। वह हैरत से फटी आँखों से विजय को देख रही थी।

"अ… आप ?"

"हाँ , मैं !"

"म… मगर… ब… बैठिये।" विजय बैठ गया।

"मगर यह सब क्या है ?"

"मैं एक शक दूर करना चाहता था।"

"क्या ? "

"माया देवी अगर आपने पुलिस को बयान देते वक्त यह बताया होता कि फ्लैट में दाखिल होने वाले रोमेश ने अपना चेहरा मफलर में छिपाया हुआ था, तो कहानी कुछ और बनती। मैं अदालत में कभी केस न डालता और सबसे पहले यह जानने की कौशिश करता कि जिस रोमेश सक्सेना का आपने चेहरा नहीं देखा, वह दरअसल रोमेश ही था या कोई और।"


"त… तो क्या वह रोमेश नहीं था ?"

"नहीं मैडम, वह कोई और था।"

"मगर उससे पहले जब रोमेश मिला था, तो वह धमकी देकर गया था, उसने यही ड्रेस पहना हुआ था।"


"सारा धोखा ड्रेस का ही तो है, पहली बार यहाँ आया और तुम्हें गवाह बनाने के लिये कह गया। क्या उस वक्त भी उसने चेहरा मफलर में ढ़का हुआ था ?"

"नहीं , लेकिन वापिस जाते समय उसने चेहरा मफलर में छिपा लिया। उस वक्त मैंने यह समझा कि हो सकता है, वह अपना चेहरा छिपाना चाहता हो। ताकि कोई राह चलता शख्स उसकी शिनाख्त न कर बैठे। क़त्ल की रात वह इसी तरह मफलर लपेटे था।"


"और तुमने केवल उसका गेटअप देखकर यह समझ लिया कि वह रोमेश है। लेकिन वह कोई और था। जिसकी कद-काठी हूबहू रोमेश से मिलती थी, हो सकता है कि उसकी चाल ढाल भी रोमेश जैसी हो। यह भी हो सकता है कि उसने रोमेश की आवाज की नक़ल करने की भी प्रैक्टिस भी कर ली हो।" विजय उठ खड़ा हुआ।

छठा दिन ।

विजय इंस्पेक्टर की ड्रेस में नहीं था। वह उसी गेटअप में था, मफलर चेहरे पर लपेटे, काली पैन्ट, काली शर्ट, ओवरकोट। रोमेश उसे देखकर चौंका, जब विजय अन्दर दाखिल हुआ, तो पीछे से हवलदार ने लॉकअप में ताला डाल दिया। विजय दीवार की तरफ चेहरा किये खड़ा हो गया।

"तुम… तुम कैसे पकड़े गये ?" रोमेश के मुँह से निकला ।

विजय चुप रहा । उसने कोई उत्तर नहीं दिया ।

"मेरे सवाल का जवाब दो सोमू, तुम्हें तो अब तक लंदन पहुंच जाना था। तुम कैसे पकड़े गये, बोलो ?" रोमेश उठ खड़ा हुआ ।

रोमेश, विजय के पास पहुँचा। उसने विजय का कंधा पकड़कर एक झटके में घुमाया, विजय के चेहरे से मफलर खिंच गया और हैट विजय ने स्वयं उतार दी।

"माई गॉड !" रोमेश पीछे हटता चला गया।

"उस पेचीदा सवाल का जवाब तुमने खुद दे दिया है रोमेश, अब गुत्थी सुलझ गई।



“वह शख्स जो तुम्हारी जगह क़त्ल करने माया के फ्लैट पर पहुँचा, उसका नाम सोमू था। सोमू यानि वैशाली का बड़ा भाई, मेरा साला। "

"अब बात समझ में आ रही है, वह पिछले दिनों कह रहा था कि लंदन में उसे नौकरी मिल गई है। उसने अपना वीजा पासपोर्ट भी बनवा लिया था। शायद तुमने उसे पैसे के मामले में हेल्प की होगी, वह अपनी बहन की शादी की वजह से रुक न गया होता, तो यह गुत्थी कभी न सुलझ पाती कि जब सोमू ने तुम्हारे प्लान के अनुसार क़त्ल किया, तो खंजर पर उसके बजाय तुम्हारी उंगलियों के निशान कैसे पाये गये। अब हमें सारे सवालों का जवाब मिल जायेगा।"

रोमेश एक बार फिर चुप हो गया।

"तुम अपने ही बनाये गेटअप से धोखा खा गये रोमेश, तो भला माया देवी क्यों न खाती।" इतना कहकर विजय बाहर निकल गया ।

सातवां दिन।

विजय एक बार फिर लॉकअप में था।

"अपराधी कितना भी चालाक क्यों न हो, कितनी ही चतुराई से फुलप्रूफ प्लान क्यों न बनाये, उससे कहीं न कहीं चूक तो हो ही जाती है। दरअसल इस पूरे मामले में पुलिस ने एक ही लाइन पर काम किया। उसने यह पहले ही मान लिया कि क़त्ल रोमेश ने ही किया है और जुनूनी हालत के कारण किया।"


"बस यह सबसे बड़ी भूल थी। इसका परिणाम था कि पूरे घटनाक्रम की बारीकी से जांच ही नहीं की गयी। अगर उस ख़ंजर की बारीकी से जांच की गयी होती, जो चाकू जे.एन. की लाश में पैवस्त पाया गया था, तो साफ पता चल जाता कि क़त्ल उस चाकू से नहीं हुआ, उस पर सिर्फ जे.एन. का खून लगा था। उसे केवल घाव में फंसाया गया था, वह बिल्कुल नया का नया था और उससे कोई वार भी नहीं किया गया था। लेकिन तुमसे एक चूक हो गयी। तुमने सोमू को उस चाकू के बारे में कोई निर्देश नहीं दिया था, जिससे जे.एन. का क़त्ल हुआ।"


विजय कुछ पल के लिए खामोश हो गया।

"और हमने वह चाकू बरामद कर लिया है। जब उसकी जांच होगी, तो पता चल जायेगा कि उस पर भी वह खून लगा, जो जे.एन. के शरीर से बहा था। यह चाकू सोमू ने उसी रात अपने घर के आंगन में गाड़ दिया था और अब वैशाली की मदद से उससे सब मालूम कर लिया है।"


आठवें दिन विजय ने बड़े नाटकीय अन्दाज में कहना शरू किया।

"मिस्टर रोमेश सक्सेना, आपने पूरा प्लान इस तरह बनाया। आप इस मर्डर की भूमिका इस तरह बनाना चाहते थे कि अगर जे.एन. का क़त्ल कोई भी करता, तो पुलिस आपको ही गिरफ्तार करती। आपने यह तय कर लिया था कि सबूत और गवाहों का रास्ता भी दुनिया के लिये आसान रहे, उसे कुछ भी तफ्तीश न करनी पड़े और अदालत में आप यह साबित कर डालते कि आप उस समय कानून की कस्टडी में थे।"


"उसके लिए यह भी जरूरी था कि आप दूसरे शहर में पकड़े जायें, किसी भी शहर में जाकर थाने में बन्द होना और जेल की हवा खाना बड़ा ही आसान काम है। प्लान के अनुसार आपको नौ तारीख को यह काम करना था और इत्तफाक से मैंने नौ तारीख की टिकट आपको थमा दी। आपके प्लान में एक ऐसे शख्स की जरूरत थी, जो आपकी कदकाठी का हो और क़त्ल भी कर सकता हो।"

विजय कुछ रुका ।

"सोमू पर आपका यह अहसान था कि उसे आपने बरी करवाया था और वैशाली का भी मार्ग प्रशस्त किया था, वैशाली ने जब घर में जिक्र किया कि आप पर जनार्दन नागा रेड्डी को क़त्ल करने का भूत सवार है, तो सोमू दौड़ा-दौड़ा आपके पास पहुँचा।
सोमू ने आपसे कहा कि आपको किसी का खून करने की क्या जरूरत है, वह किस काम आयेगा ? आपने सोमू को जांचा-परखा। उसकी कदकाठी आपसे मिलती थी, बस आपको वह शख्स बैठे-बिठाये मिल गया, जिसकी आपको तलाश थी।"

विजय ने पैकट से एक सिगरेट निकाली और पैकेट रोमेश की तरफ बढ़ाया, वह रोमेश की ब्राण्ड का ही पैक था।


रोमेश ने अनजाने में सिगरेट निकालकर होंठों में दबा लिया । विजय ने उसका सिगरेट सुलगा दिया।

"यह वो कहानी थी, जिसे न तो पुलिस समझ सकती थी और न अदालत। इस तरह तुम एक ही वक्त में दो जगह खड़े दिखाई दिये, आज तुम्हारा थाने में आखिरी दिन है। मैं परसों तुम्हें पेश कर दूँगा और जनार्दन नागा रेड्डी का मुकदमा री-ओपन करने की दरख्वास्त करूंगा।"

नौवें दिन विजय ने वह चाकू रोमेश को दिखाया, जिससे क़त्ल हुआ था।


"अब मैं तुम्हें बताता हूँ कि वहाँ तुम्हारी उंगलियों के निशान किस तरह पाये गये। बियर की बोतल और गिलास जिस पर तुम्हारी उंगलियों के निशान थे, वह ओवरकोट की जेब में डाला गया था। जिस चाकू पर तुम्हारी उंगलियों के निशान थे, उसे भी वह साथ ले गया था।
चाकू को जख्म में फंसा कर छोड़ दिया गया, जो बियर उसने फ्रिज से निकलकर पी थी, उसकी जगह दूसरी बोतल रख दी। हमारे डिपार्टमेंट ने दूसरी जगह उंगलियों के निशान उठाने की कौशिश तो की, लेकिन फॉर्मेल्टी के तौर पर वहाँ उन्हें कहीं भी तुम्हारी उंगलियों के निशान नहीं मिले और हमने यह जानने की कौशिश नहीं की; कि चाकू पर जो निशान थे, बियर की बोतल और गिलास पर भी वही थे, तो दूसरी जगह पर क्यों नहीं पाये गये ?"


"ऐसे बहुत से सवाल हैं, जिनका जवाब हमें उसी वक्त तलाश लेना चाहिये था किन्तु तुमने जो ट्रैक बनाया था, वह इतना शानदार और नाकाबन्दी वाला था कि हम ट्रैक से बाहर दौड़ ही नहीं सकते थे। हम उसी ट्रैक पर दौड़ते हुए तुम तक पहुंचे और तुम अपने प्लान में कामयाब हो गये।" रोमेश ने मुस्कराते हुए कहा,

"मगर यह सब तुम साबित नहीं कर पाओगे।"

"मैं साबित कर दूँगा रोमेश !"




जारी रहेगा.......✍️✍️

Wah Raj_sharma Bhai Wah,

Maan gaye romy bhaiyya ko..............plan to ekdum full proof banaya tha...............

Aur police aur court ne use maan bhi liya tha............

Lekin vijay ne haar nahi mani aur romesh ka plan khol hi diya............

Lekin jaisa romy ne kaha court me sabit nahi kar payega vijay..............

Ab jo updates aayegi badi hi khatarnak hone wali he..........
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
20,458
52,869
259
Wah Raj_sharma Bhai Wah,

Maan gaye romy bhaiyya ko..............plan to ekdum full proof banaya tha...............

Aur police aur court ne use maan bhi liya tha............

Lekin vijay ne haar nahi mani aur romesh ka plan khol hi diya............

Lekin jaisa romy ne kaha court me sabit nahi kar payega vijay..............

Ab jo updates aayegi badi hi khatarnak hone wali he..........
Vijay ko khunnas hai ro.esh se, kyu ki uski wajah se uska devotion ho gaya, isi tarah se badla lene ke xhakkar me wo bhool gaya ki romesh uska dost bhi hai, aur vaishali ka guru bhi👍 thank you very much for your wonderful review and support bhai :hug:
 
Top