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Thriller The cold night (वो सर्द रात) (completed)

RANSA

त्वयि मे'नन्या विश्वरूपा
Supreme
295
957
93
Khali gawahi se kya hota hai bhai, pukhta saboot bhi to hone chahiye, aur ilu-ilu ke liye to fasi bhi nahi hoti:D Wakeel ke seedhepan ka fayda uthaya gaya hai, tum morcha kholo, mai tumhare sath hi:good: Thanks brother for your amazing support and valuable review :thanx:
Ab yahi kaam rah gaya
Akhil bhartiya patni peedit samuh ka adhyaksh tumhe hi banaunga mai
 
Last edited:

Rajizexy

Punjabi Doc
Supreme
46,043
47,766
304
#.33
अंतिम अपडेट :declare:


"अदालत इस केस में मुझे बरी कर चुकी है, अब यह मुकदमा दोबारा मुझ पर नहीं चलाया जा सकता। मैं कानून की धाराओं का सहारा लेकर इसका पूरा विरोध करूंगा।"

"कानून की जितनी धाराओं की जानकारी तुम्हें है, उतनी ही वैशाली को भी है रोमेश ! वह सरकारी वकील के रूप में कोर्ट में तुम्हारे खिलाफ खड़ी होगी।"

"देखा जायेगा।" रोमेश ने मुस्कराते हुए कहा !

"लेकिन तुम लोग को इससे क्या फर्क पड़ता है, मुझे सीमा के क़त्ल के जुर्म में सजा तो होनी है। वह सजा या तो फाँसी होगी या आजन्म कारावास ! मैं कह चुका हूँ कि किसी भी जुर्म की दो बार फाँसी नहीं दी जा सकती, न ही आजन्म कारावास।"

"मैं वह केस तुम्हें सजा दिलवाने के लिए नहीं अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए री-ओपन करूंगा और उसे जीतकर दिखाऊंगा, भले ही तुम्हें उसमें सजा न हो।"

"लेकिन सोमू…।"

"वह भी उतना ही गुनहगार है, जितने कि तुम।"

"यह उसके ज्यादती होगी। उसका इसमें कोई कसूर नहीं।"

"है एडवोकेट साहब, वह भी फाँसी का ही मुजरिम है।"

"सुनो विजय, मुझसे शतरंज खेलने की कौशिश मत करो। अगर तुमने बिसात बिछा दी है, तो कानून की बिसात पर एक बार फिर तुम हार जाओगे और मुझे सीमा की हत्या के जुर्म में सजा नहीं दिलवा पाओगे। इसलिये मुझ पर दांव मत खेलो। यह सोचकर तुम केस री-ओपन करना कि तुम दोनों केस हारोगे या जीतोगे, फिर यह न कहना कि तुम सब-इंस्पेक्टर भी नहीं रहे।"

दसवें दिन।

"मैं तुम्हें एक आखिरी खबर और देना चाहता हूँ। अब तक मैं एक गुत्थी नहीं सुलझा पा रहा था, वो ये कि जब तुमने क़त्ल का प्लान बनाया, तो यह सोचकर बनाया कि जनार्दन नागा रेड्डी शनिवार की रात माया देवी के फ्लैट पर गुजारता है। दस जनवरी भी शनिवार का दिन था, इसलिए तुमने सोचा कि हर शनिवार की तरह वह इस शनिवार को भी वहाँ जरुर जायेगा और तुमने मर्डर के लिए वह जगह तय कर दी।"

"जाहिर है।"


"लेकिन तुम्हें शत-प्रतिशत यह यकीन कैसे होगा कि वह उस रात यहाँ पहुंचेगा ही। ऐसी सूरत में जबकि तुम उसे क़त्ल करने की धमकी दे चुके थे और बाकायदा तारीख घोषित कर चुके थे, क्या यह मुमकिन नहीं था कि वह उस दिन कहीं और रात गुजारता ? जबकि तुम माया देवी को भी बता चुके थे कि वह चश्मदीद गवाह होगी।"


"दरअसल बात सिर्फ यह थी कि जनार्दन नागा रेड्डी पिछले तीन साल से, हर शनिवार की रात माया के फ्लैट पर गुजारता था, यहाँ तक कि एक बार वह लंदन में था, तो भी फ्लाईट से मुम्बई आ गया और शनिवार की रात माया के फ्लैट पर ही सोया, अगली सुबह वह फिर लंदन फ्लाईट पकड़कर गया था। वह शख्स माया को बहुत चाहता था। सार्वजनिक रूप से उससे शादी नहीं कर सकता था। परन्तु वह उसकी पत्नी ही थी। उसका सख्त निर्देश होता था कि शनिवार की रात उसका कोई अपॉइंटमेंट न रखा जाये।"

रोमेश कुछ रुक कर बोला:

"मैंने इन सब बातों का पता लगा लिया था और कहावत है कि जब गीदड़ की मौत आती है, तो वह शहर की तरफ भागता है।"

"नहीं रोमेश, इतने से ही तुम संतुष्ट नहीं होने वाले थे। तुम्हें जनार्दन नागा रेड्डी हर कीमत पर उस रात उस फ्लैट में ही चाहिये था, वरना तुम्हारा सारा प्लान चौपट हो जाता।"

"ऐनी वे, इससे मुकदमे पर कोई विशेष फर्क नहीं पड़ने वाला कि वह मर्डर स्पॉट पर कैसे और क्यों पहुँचा?"


“लेकिन मैंने मायादास को भी अरेस्ट कर लिया है।”

"क्या ? "

"हाँ, मायादास भी इस प्लान में शामिल था। बल्कि मायादास इस मर्डर का सेंट्रल प्वाइंट है।"


"तुम चाहो, तो सारे शहर को लपेट सकते हो।"

"अब मैं तुम्हें अदालत में उपस्थित करने से पहले इस मर्डर प्लान की इनडोर स्टोरी सुनाता हूँ। दरअसल यह तो बहुत पहले तय हो गया था कि जे.एन. का मर्डर किया जाना है। मायादास और शंकर दोनों ही एक थैली के चट्टे-बट्टे हैं। दोनों की निगाह जनार्दन की अरबों की जायदाद पर थी। मायादास को यह भी डर था कि कहीं जनार्दन, माया देवी से विवाह न कर ले। यह शख्स शंकर का आदमी था और जे.एन. की दौलत का पच्चीस प्रतिशत साझीदार इसे बनना था। मायादास इस मर्डर का मेन प्वाइंट है।“

“पहले उसने सोचा कि मर्डर करके अगर कोई गिरफ्तारी भी होती है, तो किसी ऐसे वकील की व्यवस्था की जाये, जो उन्हें साफ बचा कर ले जाये, उसकी नजर में ऐसे वकील तुम थे।"

"हो सकता है ।" रोमेश ने कहा।

"उसने शंकर से तुम्हारा जिक्र किया। संयोग से शंकर तुम्हारी पत्नी को पहले से जानता था और क्लबों में मिलता रहा था। उसने यह बात सीमा भाभी से भी पूछी होगी। उधर मायादास ने भी तुम्हें टटोल लिया और इस नतीजे पर पहुंचे कि तुम इस काम में उनकी मदद नहीं करोगे। इसी बीच एम.पी. सांवत का मर्डर हो गया और मायादास को एक मौका मिल गया। उसने ऐसा ड्रामा तैयार कर डाला कि तुम्हारी जे.एन. से ठन जाये।“


“हालांकि उस वक्त जे.एन. भी तुमसे सख्त नाराज था, क्यों कि तुम्हारी मदद से उसका आदमी पकड़ा गया था, जे.एन. तुम्हें इसका कड़ा सबक सिखाना चाहता था, इसी का फायदा उठा कर मायादास, शंकर और सीमा ने मिलकर एक ड्रामा स्टेज किया। तुम्हारे बैडरूम में सीमा भाभी को जो अपमानित और टॉर्चर किया गया, वह नाटक का एक हिस्सा था। या यूं समझ लो, वह किसी फिल्म का शॉट था।"


"नहीं, ऐसा नहीं हो सकता।"


"ऐसा ही था मित्र, यहीं से सीमा ने तुमसे पच्चीस लाख की डिमांड रखी और तुम्हें छोड़कर चली गई। अब तुम्हारे दिमाग में एक फितूर था कि यह सब जे.एन. के कारण हुआ। तुमने जे.एन. को सबक सिखाने की सोच भी ली, लेकिन तुम उस वक्त उसे कानूनी तौर पर बांधना चाहते थे।"


"ठीक उसी वक्त गर्म लोहे पर चोट कर दी गयी, यानि शंकर फ्रेम में आ गया, पच्चीस लाख की ऑफर लेकर और तुमने स्वीकार कर ली, क्यों कि तुम यह जान चुके थे कि जे.एन. को कानूनी तौर पर सजा नहीं दी जा सकती, तुम उसे खुद मौत के घाट उतारने के लिए तैयार हो गये।"

रोमेश के चेहरे पर पीड़ा के भाव उभर आये।

"मुझे मत सुनाओ यह सब, इसीलिये तो मैंने सीमा को दंड दिया। मैं उसे बेइन्तहा प्यार करता था और उसने मुझे क्या दिया, क्या सिला दिया उसने और तुम तो सब जानते ही थे। क्या कमी थी मुझमें ? मैंने उसकी कौन-सी ख्वाइश पूरी नहीं की ? उसके क्लबों के बिल भी भुगतता था। मैंने उसकी आजादी में कभी टांग नहीं अड़ाई। फिर उसने ऐसा क्यों किया मेरे साथ ?”


“देखो विजय, अगर यह सब बातें अदालत में उधड़कर आएँगी, तो मेरी सामाजिक जिन्दगी तबाह हो कर रह जायेगी। मैं इज्जत के साथ मरना चाहता हूँ। यह सब मैं सुनना भी नहीं चाहता, वह मर चुकी है,उसे सजा मिल चुकी है।"

"उसे सजा मिल चुकी, लेकिन मुझे किस गुनाह की सजा मिली, जो मेरा एक स्टार उतार दिया गया। खैर मैं तुम्हें बताता हूँ कि जनार्दन नागा रेड्डी खुद मर्डर स्पॉट पर कैसे घुस गया।"

"उसे मायादास ने वहाँ पहुंचाया था।"


"हाँ, तुमने इसी बीच शंकर को फोन किया था और उस समस्या का समाधान चाहा। शंकर ने कह दिया कि समाधान हो जायेगा, वह मर्डर स्पॉट तय करे, जे.एन. को वहाँ पहुँचा दिया जायेगा। तुमने सही जगह तय की और उधर से ग्रीन सिग्नल दिया गया। जे.एन. के सारे प्रोग्राम मायादास ही तय करता था, उसके अपॉइंटमेंट भी मायादास तय करता था। जे.एन. को उस जगह पहुंचाने में मायादास को जरा भी परेशानी नहीं उठानी पड़ी।

दैट्स आल मीलार्ड !" विजय बाहर निकल गया।

अगले दिन :…….
अदालत और अदालत से बाहर एक बार फिर तिल रखने की जगह न थी। रोमेश सक्सेना की दोबारा गिरफ्तारी भी कम सनसनी खेज नहीं थी। इस बार पुलिस की तरफ से सरकारी वकील राजदान नहीं था बल्कि वैशाली वहाँ खड़ी थी।

"योर ऑनर, इस संगीन मुकदमे पर प्रकाश डालने से पहले मैं अदालत से दरख्वास्त करूंगी कि मुझे जे.एन. मर्डर केस पर एक बार फिर प्रकाश डालने का अवसर दिया जाये, क्यों कि सीमा मर्डर केस का सीधा सम्बन्ध जनार्दन नागा रेड्डी के मर्डर केस से जुड़ता है और क़त्ल की इन दोनों ही वारदातों का मुल्जिम एक ही व्यक्ति है, रोमेश सक्सेना !"


"जनार्दन नागा रेड्डी मर्डर के बारे में कानून, अदालत, न्यायाधीश पुलिस को एक शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ा था। कानून के साथ खिलवाड़ करने का अधिकार किसी को नहीं है, इसलिये अदालत जनार्दन नागा रेड्डी मर्डर केस को दोबारा शुरू करने की अनुमति देती है।"

"थैंक्यू योर ऑनर !"

"आई ऑब्जेक्ट योर ऑनर !" रोमेश ने आपत्ति प्रकट की !


"यह मुकदमा जे.एन. मर्डर केस नहीं है। जे.एन. मर्डर केस का फैसला हो चुका है, अदालत अपना दिया फैसला कैसे बदल सकती है ?"

"बदल सकती है।" वैशाली ने दलील दी,


"ठीक उस तरह जैसे सेशन कोर्ट में दिया गया फैसला हाईकोर्ट बदल देती है और हाईकोर्ट में दिया फैसला सुप्रीम कोर्ट बदल सकती है। हाँ, सुप्रीम कोर्ट का दिया फैसला, फिर कोई अदालत नहीं बदल सकती।"

"आप तो कानून के दिग्गज खिलाड़ी है सर रोमेश सक्सेना ! आप तो जानते हैं कि जब एक मुलजिम को सजा हो जाती है, तो वह सुप्रीम कोर्ट तक अपील कर सकता है। अब अगर पुलिस कोर्ट केस हार जाती है, तो सभी ऊपरी अदालतों में अपील कर सकती है, आपको सेशन कोर्ट ने बरी किया है, हाईकोर्ट ने नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने नहीं। इसलिये मुकदमा अभी खत्म नहीं होता, इसे री-ओपन करने का कानूनी हक़ अभी हमें है।"

कानूनी बहसों के बाद वैशाली का पक्ष उचित ठहराया गया, यह अलग बात है कि जे.एन. मर्डर केस को हाईकोर्ट में री-ओपन करने की इजाजत दी गयी। रोमेश सक्सेना के यह दोनों ही केस हाईकोर्ट में ट्रांसफर हो गये।

रोमेश के अतिरिक्त मायादास और सोमू भी मुलजिम थे। तीनो को आजन्म कारावास की सजा हो गयी। वैशाली ने मुकदमा जीत लिया। जेल जाते समय वैशाली और विजय ने रोमेश से मुलाकात की।


"हाँ, मैं हार गया। सचमुच हार गया। तुम्हें बधाई देता हूँ वैशाली ! याद रखना मेरे बाद तुम्हें मेरे आदर्शों पर चलना है।"

"वही सब तो किया है मैंने सर ! कानून के आदर्शों को स्थापित किया।"

"मुझे तुम पर फख्र है और विजय तुम पर भी। आखिर जीत सच्चाई की होती है, अब मैं चलता हूँ। कुछ आराम करना चाहता हूँ।”

"आपको और सोमू को हमारी शादी में आना है, इसके लिए हमने पैरोल की एप्लीकेशन लगवा दी है।" विजय ने कहा।

"उचित होता कि तुम इस अवसर पर न बुलाते।"

"नहीं, यह हमारा जाति मामला है। वैशाली को आपने आशीर्वाद देना है। कानून की लड़ाई तो खत्म हो चुकी, अब हमारे पुराने सम्बन्ध तो खत्म नहीं होते। हम जेल में भी मिलने आते रहेंगे। शादी में तो शामिल होना ही होगा रोमेश।"


"ओ.के. ! ओ.के. !!"

रोमेश ने विजय और वैशाली के हाथ जोड़े और उन्हें थपथपाया फिर वह सलाखों के पीछे चला गया।



समाप्त__:happy:
Perfect thriller, perfect finish
✔️✔️✔️✔️✔️✔️
👌👌👌👌👌
💯💯💯💯
Mujhe tum jese writer bahut ache lagte hain jo story ko beech mein nhi chhod te, complete karte hain.
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
5,844
27,498
204
#.33
अंतिम अपडेट :declare:


"अदालत इस केस में मुझे बरी कर चुकी है, अब यह मुकदमा दोबारा मुझ पर नहीं चलाया जा सकता। मैं कानून की धाराओं का सहारा लेकर इसका पूरा विरोध करूंगा।"

"कानून की जितनी धाराओं की जानकारी तुम्हें है, उतनी ही वैशाली को भी है रोमेश ! वह सरकारी वकील के रूप में कोर्ट में तुम्हारे खिलाफ खड़ी होगी।"

"देखा जायेगा।" रोमेश ने मुस्कराते हुए कहा !

"लेकिन तुम लोग को इससे क्या फर्क पड़ता है, मुझे सीमा के क़त्ल के जुर्म में सजा तो होनी है। वह सजा या तो फाँसी होगी या आजन्म कारावास ! मैं कह चुका हूँ कि किसी भी जुर्म की दो बार फाँसी नहीं दी जा सकती, न ही आजन्म कारावास।"

"मैं वह केस तुम्हें सजा दिलवाने के लिए नहीं अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए री-ओपन करूंगा और उसे जीतकर दिखाऊंगा, भले ही तुम्हें उसमें सजा न हो।"

"लेकिन सोमू…।"

"वह भी उतना ही गुनहगार है, जितने कि तुम।"

"यह उसके ज्यादती होगी। उसका इसमें कोई कसूर नहीं।"

"है एडवोकेट साहब, वह भी फाँसी का ही मुजरिम है।"

"सुनो विजय, मुझसे शतरंज खेलने की कौशिश मत करो। अगर तुमने बिसात बिछा दी है, तो कानून की बिसात पर एक बार फिर तुम हार जाओगे और मुझे सीमा की हत्या के जुर्म में सजा नहीं दिलवा पाओगे। इसलिये मुझ पर दांव मत खेलो। यह सोचकर तुम केस री-ओपन करना कि तुम दोनों केस हारोगे या जीतोगे, फिर यह न कहना कि तुम सब-इंस्पेक्टर भी नहीं रहे।"

दसवें दिन।

"मैं तुम्हें एक आखिरी खबर और देना चाहता हूँ। अब तक मैं एक गुत्थी नहीं सुलझा पा रहा था, वो ये कि जब तुमने क़त्ल का प्लान बनाया, तो यह सोचकर बनाया कि जनार्दन नागा रेड्डी शनिवार की रात माया देवी के फ्लैट पर गुजारता है। दस जनवरी भी शनिवार का दिन था, इसलिए तुमने सोचा कि हर शनिवार की तरह वह इस शनिवार को भी वहाँ जरुर जायेगा और तुमने मर्डर के लिए वह जगह तय कर दी।"

"जाहिर है।"


"लेकिन तुम्हें शत-प्रतिशत यह यकीन कैसे होगा कि वह उस रात यहाँ पहुंचेगा ही। ऐसी सूरत में जबकि तुम उसे क़त्ल करने की धमकी दे चुके थे और बाकायदा तारीख घोषित कर चुके थे, क्या यह मुमकिन नहीं था कि वह उस दिन कहीं और रात गुजारता ? जबकि तुम माया देवी को भी बता चुके थे कि वह चश्मदीद गवाह होगी।"


"दरअसल बात सिर्फ यह थी कि जनार्दन नागा रेड्डी पिछले तीन साल से, हर शनिवार की रात माया के फ्लैट पर गुजारता था, यहाँ तक कि एक बार वह लंदन में था, तो भी फ्लाईट से मुम्बई आ गया और शनिवार की रात माया के फ्लैट पर ही सोया, अगली सुबह वह फिर लंदन फ्लाईट पकड़कर गया था। वह शख्स माया को बहुत चाहता था। सार्वजनिक रूप से उससे शादी नहीं कर सकता था। परन्तु वह उसकी पत्नी ही थी। उसका सख्त निर्देश होता था कि शनिवार की रात उसका कोई अपॉइंटमेंट न रखा जाये।"

रोमेश कुछ रुक कर बोला:

"मैंने इन सब बातों का पता लगा लिया था और कहावत है कि जब गीदड़ की मौत आती है, तो वह शहर की तरफ भागता है।"

"नहीं रोमेश, इतने से ही तुम संतुष्ट नहीं होने वाले थे। तुम्हें जनार्दन नागा रेड्डी हर कीमत पर उस रात उस फ्लैट में ही चाहिये था, वरना तुम्हारा सारा प्लान चौपट हो जाता।"

"ऐनी वे, इससे मुकदमे पर कोई विशेष फर्क नहीं पड़ने वाला कि वह मर्डर स्पॉट पर कैसे और क्यों पहुँचा?"


“लेकिन मैंने मायादास को भी अरेस्ट कर लिया है।”

"क्या ? "

"हाँ, मायादास भी इस प्लान में शामिल था। बल्कि मायादास इस मर्डर का सेंट्रल प्वाइंट है।"


"तुम चाहो, तो सारे शहर को लपेट सकते हो।"

"अब मैं तुम्हें अदालत में उपस्थित करने से पहले इस मर्डर प्लान की इनडोर स्टोरी सुनाता हूँ। दरअसल यह तो बहुत पहले तय हो गया था कि जे.एन. का मर्डर किया जाना है। मायादास और शंकर दोनों ही एक थैली के चट्टे-बट्टे हैं। दोनों की निगाह जनार्दन की अरबों की जायदाद पर थी। मायादास को यह भी डर था कि कहीं जनार्दन, माया देवी से विवाह न कर ले। यह शख्स शंकर का आदमी था और जे.एन. की दौलत का पच्चीस प्रतिशत साझीदार इसे बनना था। मायादास इस मर्डर का मेन प्वाइंट है।“

“पहले उसने सोचा कि मर्डर करके अगर कोई गिरफ्तारी भी होती है, तो किसी ऐसे वकील की व्यवस्था की जाये, जो उन्हें साफ बचा कर ले जाये, उसकी नजर में ऐसे वकील तुम थे।"

"हो सकता है ।" रोमेश ने कहा।

"उसने शंकर से तुम्हारा जिक्र किया। संयोग से शंकर तुम्हारी पत्नी को पहले से जानता था और क्लबों में मिलता रहा था। उसने यह बात सीमा भाभी से भी पूछी होगी। उधर मायादास ने भी तुम्हें टटोल लिया और इस नतीजे पर पहुंचे कि तुम इस काम में उनकी मदद नहीं करोगे। इसी बीच एम.पी. सांवत का मर्डर हो गया और मायादास को एक मौका मिल गया। उसने ऐसा ड्रामा तैयार कर डाला कि तुम्हारी जे.एन. से ठन जाये।“


“हालांकि उस वक्त जे.एन. भी तुमसे सख्त नाराज था, क्यों कि तुम्हारी मदद से उसका आदमी पकड़ा गया था, जे.एन. तुम्हें इसका कड़ा सबक सिखाना चाहता था, इसी का फायदा उठा कर मायादास, शंकर और सीमा ने मिलकर एक ड्रामा स्टेज किया। तुम्हारे बैडरूम में सीमा भाभी को जो अपमानित और टॉर्चर किया गया, वह नाटक का एक हिस्सा था। या यूं समझ लो, वह किसी फिल्म का शॉट था।"


"नहीं, ऐसा नहीं हो सकता।"


"ऐसा ही था मित्र, यहीं से सीमा ने तुमसे पच्चीस लाख की डिमांड रखी और तुम्हें छोड़कर चली गई। अब तुम्हारे दिमाग में एक फितूर था कि यह सब जे.एन. के कारण हुआ। तुमने जे.एन. को सबक सिखाने की सोच भी ली, लेकिन तुम उस वक्त उसे कानूनी तौर पर बांधना चाहते थे।"


"ठीक उसी वक्त गर्म लोहे पर चोट कर दी गयी, यानि शंकर फ्रेम में आ गया, पच्चीस लाख की ऑफर लेकर और तुमने स्वीकार कर ली, क्यों कि तुम यह जान चुके थे कि जे.एन. को कानूनी तौर पर सजा नहीं दी जा सकती, तुम उसे खुद मौत के घाट उतारने के लिए तैयार हो गये।"

रोमेश के चेहरे पर पीड़ा के भाव उभर आये।

"मुझे मत सुनाओ यह सब, इसीलिये तो मैंने सीमा को दंड दिया। मैं उसे बेइन्तहा प्यार करता था और उसने मुझे क्या दिया, क्या सिला दिया उसने और तुम तो सब जानते ही थे। क्या कमी थी मुझमें ? मैंने उसकी कौन-सी ख्वाइश पूरी नहीं की ? उसके क्लबों के बिल भी भुगतता था। मैंने उसकी आजादी में कभी टांग नहीं अड़ाई। फिर उसने ऐसा क्यों किया मेरे साथ ?”


“देखो विजय, अगर यह सब बातें अदालत में उधड़कर आएँगी, तो मेरी सामाजिक जिन्दगी तबाह हो कर रह जायेगी। मैं इज्जत के साथ मरना चाहता हूँ। यह सब मैं सुनना भी नहीं चाहता, वह मर चुकी है,उसे सजा मिल चुकी है।"

"उसे सजा मिल चुकी, लेकिन मुझे किस गुनाह की सजा मिली, जो मेरा एक स्टार उतार दिया गया। खैर मैं तुम्हें बताता हूँ कि जनार्दन नागा रेड्डी खुद मर्डर स्पॉट पर कैसे घुस गया।"

"उसे मायादास ने वहाँ पहुंचाया था।"


"हाँ, तुमने इसी बीच शंकर को फोन किया था और उस समस्या का समाधान चाहा। शंकर ने कह दिया कि समाधान हो जायेगा, वह मर्डर स्पॉट तय करे, जे.एन. को वहाँ पहुँचा दिया जायेगा। तुमने सही जगह तय की और उधर से ग्रीन सिग्नल दिया गया। जे.एन. के सारे प्रोग्राम मायादास ही तय करता था, उसके अपॉइंटमेंट भी मायादास तय करता था। जे.एन. को उस जगह पहुंचाने में मायादास को जरा भी परेशानी नहीं उठानी पड़ी।

दैट्स आल मीलार्ड !" विजय बाहर निकल गया।

अगले दिन :…….
अदालत और अदालत से बाहर एक बार फिर तिल रखने की जगह न थी। रोमेश सक्सेना की दोबारा गिरफ्तारी भी कम सनसनी खेज नहीं थी। इस बार पुलिस की तरफ से सरकारी वकील राजदान नहीं था बल्कि वैशाली वहाँ खड़ी थी।

"योर ऑनर, इस संगीन मुकदमे पर प्रकाश डालने से पहले मैं अदालत से दरख्वास्त करूंगी कि मुझे जे.एन. मर्डर केस पर एक बार फिर प्रकाश डालने का अवसर दिया जाये, क्यों कि सीमा मर्डर केस का सीधा सम्बन्ध जनार्दन नागा रेड्डी के मर्डर केस से जुड़ता है और क़त्ल की इन दोनों ही वारदातों का मुल्जिम एक ही व्यक्ति है, रोमेश सक्सेना !"


"जनार्दन नागा रेड्डी मर्डर के बारे में कानून, अदालत, न्यायाधीश पुलिस को एक शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ा था। कानून के साथ खिलवाड़ करने का अधिकार किसी को नहीं है, इसलिये अदालत जनार्दन नागा रेड्डी मर्डर केस को दोबारा शुरू करने की अनुमति देती है।"

"थैंक्यू योर ऑनर !"

"आई ऑब्जेक्ट योर ऑनर !" रोमेश ने आपत्ति प्रकट की !


"यह मुकदमा जे.एन. मर्डर केस नहीं है। जे.एन. मर्डर केस का फैसला हो चुका है, अदालत अपना दिया फैसला कैसे बदल सकती है ?"

"बदल सकती है।" वैशाली ने दलील दी,


"ठीक उस तरह जैसे सेशन कोर्ट में दिया गया फैसला हाईकोर्ट बदल देती है और हाईकोर्ट में दिया फैसला सुप्रीम कोर्ट बदल सकती है। हाँ, सुप्रीम कोर्ट का दिया फैसला, फिर कोई अदालत नहीं बदल सकती।"

"आप तो कानून के दिग्गज खिलाड़ी है सर रोमेश सक्सेना ! आप तो जानते हैं कि जब एक मुलजिम को सजा हो जाती है, तो वह सुप्रीम कोर्ट तक अपील कर सकता है। अब अगर पुलिस कोर्ट केस हार जाती है, तो सभी ऊपरी अदालतों में अपील कर सकती है, आपको सेशन कोर्ट ने बरी किया है, हाईकोर्ट ने नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने नहीं। इसलिये मुकदमा अभी खत्म नहीं होता, इसे री-ओपन करने का कानूनी हक़ अभी हमें है।"

कानूनी बहसों के बाद वैशाली का पक्ष उचित ठहराया गया, यह अलग बात है कि जे.एन. मर्डर केस को हाईकोर्ट में री-ओपन करने की इजाजत दी गयी। रोमेश सक्सेना के यह दोनों ही केस हाईकोर्ट में ट्रांसफर हो गये।

रोमेश के अतिरिक्त मायादास और सोमू भी मुलजिम थे। तीनो को आजन्म कारावास की सजा हो गयी। वैशाली ने मुकदमा जीत लिया। जेल जाते समय वैशाली और विजय ने रोमेश से मुलाकात की।


"हाँ, मैं हार गया। सचमुच हार गया। तुम्हें बधाई देता हूँ वैशाली ! याद रखना मेरे बाद तुम्हें मेरे आदर्शों पर चलना है।"

"वही सब तो किया है मैंने सर ! कानून के आदर्शों को स्थापित किया।"

"मुझे तुम पर फख्र है और विजय तुम पर भी। आखिर जीत सच्चाई की होती है, अब मैं चलता हूँ। कुछ आराम करना चाहता हूँ।”

"आपको और सोमू को हमारी शादी में आना है, इसके लिए हमने पैरोल की एप्लीकेशन लगवा दी है।" विजय ने कहा।

"उचित होता कि तुम इस अवसर पर न बुलाते।"

"नहीं, यह हमारा जाति मामला है। वैशाली को आपने आशीर्वाद देना है। कानून की लड़ाई तो खत्म हो चुकी, अब हमारे पुराने सम्बन्ध तो खत्म नहीं होते। हम जेल में भी मिलने आते रहेंगे। शादी में तो शामिल होना ही होगा रोमेश।"


"ओ.के. ! ओ.के. !!"

रोमेश ने विजय और वैशाली के हाथ जोड़े और उन्हें थपथपाया फिर वह सलाखों के पीछे चला गया।



समाप्त__:happy:
End to kafi Intresting raha
Sath he Hila Dene wala such jo Romesh sapne me bhi nahi soch sakta tha bakiyoo ko chodo uski Bivi Seema ne use kia uska dosro ke sath mil ke sirf paiso ke leye wah Styug ki bivi bechara Romesh jiske samne mujrim tik na paya uske sath ache se khela gaya
.
Romesh ke leye kafi dukh hua mujhe
Lekin story jarabdast thi
Very well Raj_sharma bhai
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
5,844
27,498
204
भाई सत्य ये था की शंकर ही असली हत्यारा था, वो शुरू से ही इस साजिश का सूत्रधार था। और उसको ही सरकारी गवाह बना कर सस्ते में छोड़ दिया।

अंत सुखद किसने मांगा, अंत न्यायपूर्ण नही हुआ। सिर्फ सीमा को ही उसकी करनी का फल मिला, और असली गुनहगार शंकर ३ साल में बाहर।

हां एक सरकारी गवाह को मैक्सिमम यही सजा होती है। बल्कि रोमेश को प्रोवोक करा कर हत्या करवाई गई, सीमा की हत्या sudden provocation के अंतर्गत आयेगी, और उसमे भी उसको ३ साल से ज्यादा की सजा नही हो सकती। लेकिन आपने उसे जीवन भर कारावास करवा दिया।

इसीलिए मैं तो बस इस अंतिम अपडेट से निराश हूं, बाकी में कभी कोई शिकायत नहीं की है भाई।
Perfect bola hai bhai ne
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
5,844
27,498
204

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
20,101
50,917
259
Badhiya update

First of all Congratulation for complete the story
First time thriller section ki story padhi or complete bhi kari

Vijay ne puri story suna dali romesh ko case ki kya hua tha kon kon shamil tha uski biwi shankar or mayadas ne kaisa khel racha uski biwi kaise shankar se mili jo ki sab guess kar hi liya tha kher vishali romesh ke nakshe kadam per chalti hui usne kanooni tor per sabko saja dilwai jo pehle romesh karta tha sabko saja mili lekin ant thoda nirashajanak raha 😮‍💨😮‍💨 romesh somu mayadas ko sabko saja mili jo unhone kiya tha lekin shankar ko kyon nahi jisne sara khel racha use hi saja nahi mili romesh ne bewafai ki saja sima ko to de di lekin uske ashiq ko to nahi de paya bas isi se nirash hu baki to puri story hi dhamakedar thi aise hi agli dhamakedar kahani ka intezar rahega


Thank you very much dev61901 bhai for your amazing review and superb support :thanx: maana ki sankar doshi tha per agar seema bewafai na karti to ye sab hota hi nahi:nope: To usko to saja milni hi thi, rahi baat sankar ki, to ab wo uske liye mayne hi nahi rakhta, kyu ki ab romesh ko khud hi saja bhogni thi, warna wo khoon karne ke baad farar ho jata or sankar ko nipta deta:declare:
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
20,101
50,917
259

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
20,101
50,917
259
Perfect thriller, perfect finish
✔️✔️✔️✔️✔️✔️
👌👌👌👌👌
💯💯💯💯
Mujhe tum jese writer bahut ache lagte hain jo story ko beech mein nhi chhod te, complete karte hain.
Thank you very much for your wonderful support and valuable review , the one and only, super sexy Rajizexy 💕💗💖❣️❤️♥️💓
 
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