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Thriller The cold night (वो सर्द रात) (completed)

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Mast updates hai,ek to Romesh vs Vijay. Aur khoon ka suspense bdhta hi ja raha hai... Maza aa rahe hai.
Aap ko maja aane ki liye hi to likh rahe hai hai sarkar, or suspense nahi to story me maja kaha??
Thank you very much for your wonderful review and support ❣️ priya.
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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dev61901

" Never let an old flame burn you twice "
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Bahut badhiya update

J N ko to lagta ha dara dara ke hi mar dega romesh itna dara diya ha romesh ne ki sab force laga ke betha ha wo lekin kuchh ho nahi raha usse

Kher lekin yahan akhir me lagta ha romesh ki hoshiyari us per bhari padne wali ha idhar batala ko pata lag gaya ha or ab JN ko bhi lag jayega dekhte han romesh apne mission ko anjam de pata ha ya fir JN ke hathon chadh jata ha
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Bahut badhiya update

J N ko to lagta ha dara dara ke hi mar dega romesh itna dara diya ha romesh ne ki sab force laga ke betha ha wo lekin kuchh ho nahi raha usse

Kher lekin yahan akhir me lagta ha romesh ki hoshiyari us per bhari padne wali ha idhar batala ko pata lag gaya ha or ab JN ko bhi lag jayega dekhte han romesh apne mission ko anjam de pata ha ya fir JN ke hathon chadh jata ha
Bilkul theek, itna aasaan kaha hota hai kisi mantri pe hath dalna? Or jis tarike se romesh dhindhora peet raha tha, to ye kaise possible hai ki pata na chale???? Thank you so much for your wonderful review and support dev61901 bhai :thanx:
 

Rajizexy

❣️and let ❣️
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# 17

जनार्दन नागा रेड्डी के सामने बटाला खड़ा था।

"चप्पे-चप्पे पर अपने आदमी फैला दो, दूर के स्टेशनों के बूथ और दूसरे बूथों के आस पास रात के वक्त तुम्हारे आदमी होने चाहिये। जैसे भी हो इस आदमी का पता लगाओ कि यह है कौन? इसे हमारे कोड्स का पता कैसे लग गया? यह मेरे गुप्त ठिकानों के बारे में कैसे जानता है ? वैसे तो इस काम में पुलिस भी जुट गई है. लेकिन तुम्हें अपने ढंग से पता लगाना है।"

"यस सर ! आप समझ लें, दो दिन में हम उसका पता लगा लेगा और साले को खलास कर देगा।"

"जाओ काम पर लग जाओ।" बटाला सलाम मारकर चला बना।

जे.एन.आज इसलिये फिक्रमंद था, क्यों कि विगत रात माया के फ्लैट पर उसे अज्ञात आदमी का फोन आया था। यह बात उसे कैसे पता थी कि उस वक्त जे.एन. माया रानी के फ्लैट पर होगा ?
उसने पुलिस कमिश्नर को फोन मिलाया। थोड़ी देर तक उधर बात करता रहा। पुलिस की तरफ से पूरी सुरक्षा की गारंटी दी जा रही थी। वैसे तो सिक्योरिटी गार्ड्स अभी भी उसकी सेफ्टी के लिए थे।

"चार स्पेशल कमांडो आपके साथ हर समय रहेंगे।" कमिश्नर ने कहा,

"वैसे लगता तो यही है कि कोई सिरफिरा आदमी आपको बेकार में तंग कर रहा है, फिर भी हम पूरे मामले पर नजर रखे हैं।"

"थैंक्यू कमिश्नर।" जनार्दन नागा रेड्डी ने फोन के बाद अपने पी .ए. को बुलाया।

"यस सर।" मायादास हाज़िर हो गया, "क्या हुक्म है ?"

"मायादास जी, आप मेरे सबसे नजदीकी आदमी हैं। मैं चाहता हूँ कि फ़िलहाल अब कुछ वक्त मुम्बई से बाहर गुजार लिया जाये, कौन सी जगह बेहतर रहेगी ?"

"मेरे ख्याल से आप दूर न जायें, तो बेहतर है। हम आपको अपनी सुरक्षा टीम के दायरे से बाहर नहीं भेजना चाहते।"

"क्या सचमुच मुझे कोई खतरा हो सकता है ? पुलिस कमिश्नर तो कह रहा था कि यह किसी सिरफिरे का काम है, बस दिमाग में कुछ टेंशन सी रहती है, इसलि ये जाना चाहता हूँ।"

"सुनो आप खंडाला चले जाइए, वहाँ आपकी एक विला तो है ही। हमारे लोग वहाँ उसकी हिफाजत भी करते रहेंगे। बात ये भी तो है कि कभी भी आपको दिल्ली बुलाया जा सकता है, इसलिये मुम्बई से ज्यादा दूर रहना तो वैसे भी आपके लिए ठीक नहीं होगा।"

"आप ठीक कहते हैं, मैं खंडाला चला जाता हूँ। किसी को मत बताना, कोई ख़ास बात हो, तो मुझे फोन कर देना।"

"ठीक है।"

"मैं वहाँ बिलकुल अकेला रहना चाहता हूँ, समझ गये ना।"

"बेशक।"

जनार्दन नागा रेड्डी उसी दिन खंडाला के लिए रवाना हो गया। शाम तक वह विला में पहुँच गया। उसके पहुंचने से पहले वहाँ दो स्टेनगन धारी कमांडो चौकसी पर लग चुके थे, उन्होंने जे.एन. को सैल्यूट किया। जे.एन. विला में चला गया।


विला में खाने-पीने का सब सामान मौजूद था। रात को नौ बजेणमायादास का फ़ोन आया, उसने कुशल पूछी और थोड़ी देर तक औपचारिक बातों के बाद फोन बंद कर दिया। जे.एन.बियर पीता रहा, फिर वह कुछ पत्रिकायें पलटता रहा। इसी तरह रात के ग्यारह बज गये। वह सोने की तैयारी करने लगा।

अचानक फोन की घंटी बजने लगी। अभी वह बिस्तर पर पूरी तरह लेट भी नहीं पाया था कि चिहुंककर उठ बैठा। वह फोन को घूरने लगा। क्या मायादास का फोन हो सकता है? किन्तु मायादास तो फोन कर चुका है, वह दोबारा तो तभी फोन करेगा जब कोई ख़ास बात हो।

रात के ग्यारह और बारह के बीच तो उसी कातिल का फोन आता है। तो क्या उसी का फोन है ? घंटी बजती रही। आखिर जे.एन. को फोन का रिसीवर उठाना ही पड़ा। किन्तु वह कुछ बोला नहीं, वह तब तक बोलना ही नहीं चाहता था, जब तक मायादास की आवाज न सुन ले। किन्तु दूसरी तरफ से बोलने वाला मायादास नहीं था।

"मैं तेरा होने वाला कातिल बोल रहा हूँ बे ! क्यों अब बोलती भी बंद हो गई, अभी तो छ: दिन बाकी है। यहाँ खंडाला क्या करने आ गया तू, वैसे तेरा कत्ल करने के लिए इससे बेहतर जगह तो कोई हो भी नहीं सकती।" जे.एन. ने फोन पर कोई जवाब नहीं दिया और रिसीवर क्रेडिल पर रख कर फ़ोन काट दिया। दोबारा फोन की घंटी न बजे इसलिये उसने रिसीवर क्रेडिल से उठा कर एक तरफ रख दिया। इतनी सी देर में उसके माथे पर पसीना भरभरा आया था।

पहली बार जे.एन. को खतरे का अहसास हुआ। उसे लगा वह कोई सिरफिरा नहीं है। या तो कोई शख्स उसे भयभीत कर रहा है या फिर सचमुच कोई हत्यारा उसके पीछे लग गया है। लेकिन कोई हत्यारा इस तरह चैलेंज करके तो कत्ल नहीं करता। अगली सुबह ही जनार्दन नागा रेड्डी ने खंडाला की विला भी छोड़ दी और वह वापिस अपनी कोठी पर आ गया। जनार्दन ने अंधेरी में एक नया बंगला बना या था, वह सरकारी आवास की बजाय इस बंगले में आ गया। मायादास को भी उसने वहीं बुला लिया।
शाम को इंस्पेक्टर विजय उससे मिलने आया। उसके साथ चार कमांडो भी थे।

"कमिश्नर साहब ने आपकी हिफाजत के लिए मेरी ड्यूटी लगाई है।" विजय ने कहा,

"यह चार शानदार कमांडो हर समय आपके साथ रहेंगे। हमारी कौशिश यह भी है कि हम उस अज्ञात व्यक्ति का पता लगायें, इसके लिए हमने टेलीफोन एक्सचेंज से मदद ली है। जिन-जिन फोन नम्बरों पर आप उपलब्ध रहते हैं, वह सब हमें नोट करा दें, वैसे तो यह शख्स कोई सिरफिरा है जो…।"

"नहीं वह सिरफिरा नहीं है इंस्पेक्टर! वह मेरे इर्द-गिर्द जाल कसता जा रहा है। तुम फौरन उसका पता लगाओ। मैं तुम्हें अपने फोन नम्बर नोट करवा देता हूँ और अगर मैं कहीं बाहर गया, तो वह नंबर भी तुम्हें नोट करवा दूँगा।"

इस पहली मुलाकात में न तो मायादास ने विजय का नाम पूछा, न जे.एन. ने! संयोग से दोनों ने इंस्पेक्टर विजय का नाम तो सुना था, परन्तु आमना-सामना कभी नहीं हुआ था। उस रात रोमेश ने एक सिनेमा हॉल के बाहर बूथ से जे.एन. को फोन किया। उस वक्त नाईट शो का इंटरवल चल रहा था। पास ही पान सिगरेट की एक दुकान थी। फोन करने के बाद रोमेश उसी तरफ बढ़ गया, मोटर साइकिल पार्किंग पर खड़ी थी।

"अरे साहब, फ़िल्म वाला साहब आप।" पान की दुकान पर डिपार्टमेंटल स्टोर का सेल्समैन खड़ा था,

"क्या नाम बताया था, ध्यान से उतर गया ?"

"रोमेश सक्सेना।" तभी एक और ग्राहक ने पलटकर कहा ।

"एडवोकेट रोमेश सक्सेना।" यह दूसरा शख्स राजा था। राजा ने अगला सवाल दागा ,

"वह कत्ल हुआ की नहीं ?"

"अभी नहीं , दस जनवरी की रात होना है।"

"मेरे कू अदालत वाला डायलॉग अभी तक याद है, बोल के दिखाऊं।" चन्दू ने कहा।

"पर यह तो बताइये जनाब कि आखिर आप किसका खून करना चाहते हैं ?" राजा ने मजाकिया अंदाज में कहा। आसपास कुछ लोग भी जमा हो गये थे। चर्चा ही ऐसी थी।

"अब तुम लोग जानना ही चाहते हो तो …।"

"मैं बताता हूँ।" रोमेश की बात किसी ने बीच में ही काट दी। पीछे से जो शख्सियत सामने आई, वह कासिम खान था। संयोग से तीनों ही फ़िल्म देखने आये थे, नई फ़िल्म थी और हिट जा रही थी। हाउसफुल चल रहा था। इंटरवल होने के कारण बाहर भीड़ थी।

"यह जनाब जिस शख्स का कत्ल करने वाले हैं, उसका नाम जनार्दन नागा रेड्डी है।"

"जनार्दन नागा रेड्डी।" चन्दू उछल पड़ा,

"क्या बोलता है बे ? वो चीफ मिनिस्टर तो नहीं अरे ? अपना लीडर जे.एन.?"

"कासिम ठीक कह रहा है, बात उसी जे.एन.की है। और यह कोई फ़िल्मी कहानी नहीं है, एक दिन तुम अख़बार में उसके कत्ल की खबर पढ़ लेना। ग्यारह जनवरी को छप जायेगी।" रोमेश इतना कहकर आगे बढ़ गया।

भीड़ में से एक व्यक्ति तीर की तरह निकला और टेलीफोन बूथ में घुस गया। वह बटाला को फोन मिला रहा था।


"हैलो।" फोन मिलते ही उसने कहा,

"उस आदमी का पता चल गया है, जो जे.एन.साहब को फोन पर धमकी देता है।"

"कौन है ? " बटाला ने पूछा।

"उसका नाम रोमेश सक्सेना है, एडवोकेट रोमेश सक्सेना।"

"ओह, तो यह बात है। रस्सी जल गई, मगर बल अभी बाकी है, ठीक है।" दूसरी तरफ से बिना किसी निर्देश के फोन कट गया। उसी वक्त बटाला का फोन जे.एन.को भी पहुँच गया।



जारी रहेगा…..✍️✍️
Lagta to nhi ke Reddy ko dhamki dene wala Ramesh hai. Anyways top jasusi update, padhte samay aisi feeling hoti hai jese mai koi jasusi novel padh rhi hun.
Gazab thriller. 👌👌👌✔️✔️💯
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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# 18

"रोमेश सक्सेना।" जे.एन. मुट्ठियाँ भींचे अपने ड्राइंगरूम में चहलकदमी कर रहा था ।

"उसकी ये मजाल !" मायादास सामने हाथ बांधे खड़ा था।

"वैसे तो जो आप कहेंगे, वह हो जायेगा।" मायादास ने कहा,
"मगर हमें जल्दी बाजी में कुछ नहीं करना चाहिये, हमें हर काम का नकारात्मक रुख भी तो देखना चाहिये। अगर रोमेश सक्सेना सारे शहर में यह गाता फिर रहा है कि वह आपका कत्ल करेगा, तो यकीनन आपका कत्ल नहीं होने वाला।
हाँ, इससे वह आपको उत्तेजित करके कोई ऐसा कदम उठवा सकता है कि आप कानून के दायरे में आ जायें।"

"कानून ! कानून हमारे लिए है क्या? कानून तो हम बनाते हैं मायादास।"

"ठीक है, यह सब ठीक है। मगर जरा यह तो सोचिये कि सावंत के कत्ल का मामला गर्मी न पकड़े, इसलिये आपको थोड़े दिन के लिए चीफ मिनिस्टर की सीट छोड़नी पड़ी। अब अगर हम सब वकील के क़त्ल का बीड़ा उठाते हैं और किसी वजह से वह बच गया, तब क्या होगा ? पूरा कानून का जमावड़ा, अख़बार वाले हमारे पीछे पड़ जायेंगे, हालाँकि पकड़े तो आप तब भी नहीं जायेंगे, मगर मंत्री पद तो खतरे में पड़ ही सकता है।"

"देखिये, यह तो आप भी महसूस कर रहे होंगे कि कातिल का नाम जानने के बाद आप रिलैक्स महसूस कर रहे हैं। क्यों कि यह बात आप भी समझते हैं कि रोमेश जैसा व्यक्ति आपका कत्ल नहीं कर सकता, आपको तो क्या वह किसी को भी नहीं मार सकता, वह कानून का एक ईमानदार प्रतीक माना जाता है, ऐसा शख्स कत्ल कैसे कर सकता है ? वो भी इस तरह कि सारे शहर को बता कर चले। तारीख मुकर्रर कर दे।"

"हाँ, यह तो है, मगर धमकी देकर मुझे तो परेशान किया ही न उसने।"

"अब पुलिस को उससे निपटने दें और अगर ऐसी कोई आशंका होगी भी, तो हम साले को नौ जनवरी को ही ठिकाने लगा देंगे, मगर अभी उसको कुछ नहीं कहना।"

"बटाला से कहो कि वह उसके फ्लैट की घेरा बंदी हटा दे।"

"घेरा बन्दी तो चलने दे, अब हम भी तो उस पर कड़ी नजर रखेंगे। उसकी बीवी उसे छोड़कर चली गई है, इसी वजह से हो सकता है कि वह कुछ पगला गया हो।"

"उसकी बीवी कहाँ है ?"

"यह हमें भी नहीं मालूम, हमने जरूरत भी नहीं समझी, हम उसे सबक तो पढ़ाना चाहते थे पर सबक का मतलब यह तो नहीं कि उसे कत्ल कर डालें, कत्ल तो अंतिम स्टेज है। जब सारे फ़ॉर्मूले फेल हो जायें और पानी सर से ऊपर चला जाये, अभी तो पानी घुटनों में भी नहीं है।"

"मायादास तुम वाकई अक्लमंद आदमी हो, हम तो गुस्से में उसे मरवा ही देते।"

"अब आप माफिया किंग नहीं, एक लीडर हैं। सियासी लोग हर चाल सोच-समझकर चलते हैं।" जनार्दन नागा रेड्डी अब नॉर्मल था। वह रात के फोन का इन्तजार करने लगा। वह जानता था कि रोमेश का फोन फिर आयेगा, आज जे.एन. उसका जमकर उपहास उड़ाना चाहता था।


उधर माया देवी की नौकरानी ने फ्लैट का दरवाजा खोला।

"कहिये आपको किससे मिलना है?" रोमेश ने अपना विजिटिंग कार्ड देते हुए कहा :

"मैडम माया देवी से कहिये, मैं उनसे एक केस के सिलसिले में मिलना चाहता हूँ, उनके फायदे की बात है।"

नौकरानी द्वार बंद करके अन्दर चली गई। कुछ देर बाद वह आई और उसने रोमेश को अंदर आने का संकेत किया। रोमेश सिटिंग रूम में बैठ गया। थोड़ी देर बाद माया देवी प्रकट हुई, वह लम्बे छरहरे कद की खूबसूरत महिला थी। नीली बिल्लौरी आँखें, गोरा रंग, गदराया हुआ यौवन, सचमुच जे.एन की पसंद जोर की थी।

कुछ देर तक तो रोमेश उसे ठगा-सा देखता रह गया। "नौकरानी पानी लेकर आ गई।"

"लीजिये !" माया देवी ने कहा, "पानी।"

"हाँ ।" रोमेश ने गिलास लिया और फिर पानी पी गया,

"मुझे रोमेश कहते हैं।" पानी पीने के बाद उसने कहा।

"नाम सुना है अख़बारों में। कहिये कैसे आना हुआ मेरे यहाँ ?"

रोमेश सीधा हो गया। उसने नौकरानी की तरफ देखा। रोमेश का आशय समझ कर माया ने नौकरानी को किचन में भेज दिया।

"अब बोलिये।"

"मैं आपको एक मुकदमे में गवाह बनाने आया हूँ।"

"इंटरेस्टिंग, किस किस्म का मुकदमा है ?"

"मर्डर केस ! कोल्ड ब्लडेड मर्डर केस।"

"ओह माई गॉड ! मैं किसी मर्डर केस में गवाह..।"

"हाँ, चश्मदीद गवाह! यानि आई विटनेस !"

"आप कुछ पहेली बुझा रहे हैं, मैंने तो आज तक कोई मर्डर होते हुए नहीं देखा।"

"अब देख लेंगी।" रोमेश ने सिगरेट सुलगाते हुए कहा,

"आप एक मर्डर की चश्मदीद गवाह बनेंगी, डेम श्योर ! आप घबराना मत।"

"आप तो पहेली बुझा रहे हैं ?"

"दस तारीख की रात यह पहेली खुद हल हो जायेगी, बस आप मुझे पहचानकर रखें।" रोमेश ने उठते हुए कहा !

"मेरा यह गेटअप पसंद आया आपको, इसी को पहन कर मैंने एक कत्ल करना है और उसी वक्त की आप चश्मदीद गवाह बनेंगी।

अदालत में मुलजिम के कटघरे में, मैं खड़ा होऊंगा और तब आप कहेंगी, योर ऑनर यही वह शख्स है, जो पांच जनवरी को मेरे पास आकर बोला कि मैं तुम्हारे सामने ही एक आदमी का कत्ल करूंगा और इसने कर दिया।"

"इंटरेस्टिंग स्टोरी, अब आप जाने का क्या लेंगे ?"

"मैं जा ही रहा हूँ, लेकिन मेरी बात याद रखना मैडम माया देवी ! आप जैसी हसीन बला को आई विटनेस बनाते हुए मुझे बड़ी ख़ुशी होगी , गुडलक। "

रोमेश ने मफलर चेहरे पर लपेटा और सीटी बजाता बाहर निकल गया। माया देवी ने फ्लैट की खिड़की से उसे मोटर साइकिल पर बैठकर जाते देखा और फिर बड़बड़ाई,

"शायद पागल हो गया है।" रात को रोमेश ने फिर जनार्दन को फोन किया। इस बार जनार्दन जैसे पहले से तैयार बैठा था।

"हैल्लो, जे.एन. स्पीकिंग।" जनार्दन ने बड़े संयत स्वर में कहा।

"मैं रोमेश बोल रहा हूँ।" रोमेश ने मुस्कुरा कर कहा,

"एडवोकेट रोमेश सक्से तुम्हारा…। "

"होने वाला कातिल।" बाकी जुमला जे.एन. ने पूरा किया।

"तो तुम्हें मालूम हो चुका है ?" रोमेश ने कहा।

"हाँ, मैं तो तुम्हारे फोन का ही इंतजार कर रहा था। मैं सोच रहा था कि इस बार हमारा पाला किसी खतरनाक आदमी से पड़ गया है, मगर यह तो वह कहावत हुई-खोदा पहाड़ निकली चुहिया।"

"इस बात का पता तो तुम्हें दस जनवरी को लगेगा जे.एन.।"

"अरे दस किसने देखी, तू अभी आजा ! जितने चाकू तूने हमें मारने के लिए खरीदे हैं, सब लेकर आजा। तेरे लिए तो मैं गार्ड भी हटा दूँगा।"

"हर काम शुभ मुहूर्त में अच्छा होता है। तुम्हारी जन्म कुंडली में दस जनवरी का दिन बड़ा मनहूस दिन है और मेरी जन्म कुंडली का सबसे खुशनसीब दिन, इस दिन मैं कातिल बन जाऊंगा और तुम दुनिया से कूच कर चुके होंगे।"

"खैर मना कि तू अभी तक जिन्दा है साले ! जे.एन. को गुस्सा आ गया होता, तो जहाँ तू है, वहीं गोली लग जाती और इतनी गोलियां लगतीं कि तेरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी धुआं उठता नजर आता।"

"मालूम है। चार आदमी अभी भी मेरी निगरानी कर रहे हैं। जाहिर है कि हथियारों से लैस होंगे। मेरी तरफ से पूरी छूट है, चाहे जितनी गोलियां चला सकते हो। ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा। तुम चूकना चाहो, तो चूक जाओ जे.एन. ! मगर मैं चूकने वाला नहीं।"

इतना कहकर रोमेश ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया। रोमेश ने वहीं से एक नंबर और मिलाया। दूसरी तरफ से कुछ देर बाद एक लड़की बोली।

"हाजी बशीर को लाइन दो मैडम !"

"कौन बोलता ?" मैडम ने पूछा।

"बोलो एडवोकेट रोमेश सक्सेना का फोन है। "

"होल्ड ऑन प्लीज।" रोमेश ने होल्ड किये रखा। कुछ देर बाद ही बशीर की आवाज फोन पर सुनाई दी

"कहो बिरादर, हम बशीर बोल रहे हैं।"

"हाजी बशीर, मैंने फैसला किया है कि आइन्दा आपके सभी केस लडूँगा।"

"वाह जी, वाह ! क्या बात है ? यह हुई न बात। अब तो हम दनादन ठिकाने लगायेंगे अपने दुश्मनों को। आ जाओ, दावत हो जाये इसी बात पर।"

"मेरे पी छे कुछ गुंडे लगे हैं।"

"गुण्डे, लानत है। साला मुम्बई में हमसे बड़ा गुंडा कौन है, कहाँ से बोल रहे हो?"

"माहिम स्टेशन के पास।"

"गुण्डों की पहचान बताओ और एक गाड़ी का नंबर नोट करो। MD 9972 ये हमारा गाड़ी है, अभी माहिम स्टेशन के लिए रवाना होगा।
तुम अभी स्टेशन से बाहर मत निकलना, हमारा गाड़ी देखकर निकलना, हमारा आदमी की पहचान नोट करो, वो कार से उतरकर स्टेशन पर टहलेगा। बस उसको बता देना कि गुंडा किधर है, उसका लम्बी-लम्बी मूंछें हैं, दाढ़ी रखता है, काले रंग का पहलवान, गले में लाल रुमाल होगा। वो तुमको जानता है, सीधा तुम्हारे पास पहुँचेगा और फिर जैसा वो कहे, वैसा करना।
ओ.के. ?"

"ओ.के.।"

"डोंट वरी यार, हाजी बशीर को यार बनाया है, तो देखो कैसा मज़ा आता है जिन्दगी का।" रोमेश ने फोन काट दिया। उसकी मोटर साइकिल पार्किंग पर खड़ी थी, एक गुंडा तो स्टेशन पर टहल रहा था, दो पार्किंग में अपनी कार में बैठे थे, चौथा एक रेस्टोरेंट के शेड में खड़ा था। रोमेश ने उस कार का नम्बर भी नोट कर लिया था। वो स्टेशन पर ही टहलता रहा। कुछ देर बाद ही बशीर द्वारा बताये नंबर की कार स्टेशन के बाहर रुकी। उससे काला भुजंग पहलवान सरीखा व्यक्ति बाहर निकला। उसने इधर-उधर देखा, फिर उसकी निगाह रोमेश पर ठहर गई।

वह स्टेशन में दाखिल हुआ, कार आगे बढ़ गई। रोमेश प्लेटफार्म नंबर एक पर आ गया। वह व्यक्ति भी रोमेश के पास आकर इस तरह खड़ा हो गया, जैसे गाड़ी की प्रतीक्षा में हो।

"हुलिया नोट करो।" रोमेश ने कहा, "एक बाहर ही खड़ा है दुबला-पतला, काली पतलून लाल कमीज पहने, देखो प्लेटफार्म पर इधर ही आ रहा है।"

"आगे बोलो।"

"बाकि तीन बाहर है, दो गाड़ी में, गाड़ी नंबर।" रोमेश ने नंबर बताया।

"अब हम जो बोलेगा , वो सुनो।"

"बोलो।"

"इधर से तुम होटल अमर पैलेस पहुँचो, उधर तुम डिस्को क्लब में चले जाना। उसके बाद सब हम पर छोड़ दो, वो होटल अपुन के बशीर भाई का है।"

रोमेश स्टेशन से बाहर निकला और फिर पार्किंग से अपनी मोटरसाइकिल उठा कर चलता बना। अब उसकी मंजिल होटल अमर पैलेस था। वरसोवा के एक चौक पर यह होटल था। रोमेश ने जैसे ही मोटरसाइकिल रोकी, उसे पीछे एक धमाका-सा सुनाई दिया, उसने पलटकर देखा, तो नाके पर दो गाड़ियाँ आपस में टकरा गई थी। उनमें से एक कार पलटा खा गई थी। पलटा खाने वाली वह कार थी, जिसमें उसका पीछा करने वाले सवार थे। उस कार में एक तो कार में फंसा रह गया। तीन बाहर निकले। उधर बशीर के आदमी भी बाहर निकल आए थे। दोनों पार्टियों में मारपीट शुरू हो गई। देखते-देखते वहाँ पुलिस भी आ गई, परन्तु तब तक बशीर के आदमियों ने पीछा करने वालों की अच्छी खासी मरम्मत कर दी थी। जाहिर था कि आगे का मामला पुलिस को निपटा ना था। आश्चर्यजनक रूप से पुलिस ने उन्हीं लोगों को पकड़ा, जो पिटे थे और पीछा कर रहे थे। बशीर के आदमी धूल झाड़ते हुए अपनी कार में सवार हुए और आगे बढ़ गये। लोग दूर से तमाशा जरुर देखते रहे, लेकिन कोई करीब नहीं आया। रोमेश अमर पैलेस में मजे से डिनर कर रहा था।


जारी रहेगा …..✍️✍️
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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जनार्दन नागा रेड्डी के सामने बटाला खड़ा था।

"चप्पे-चप्पे पर अपने आदमी फैला दो, दूर के स्टेशनों के बूथ और दूसरे बूथों के आस पास रात के वक्त तुम्हारे आदमी होने चाहिये। जैसे भी हो इस आदमी का पता लगाओ कि यह है कौन? इसे हमारे कोड्स का पता कैसे लग गया? यह मेरे गुप्त ठिकानों के बारे में कैसे जानता है ? वैसे तो इस काम में पुलिस भी जुट गई है. लेकिन तुम्हें अपने ढंग से पता लगाना है।"

"यस सर ! आप समझ लें, दो दिन में हम उसका पता लगा लेगा और साले को खलास कर देगा।"

"जाओ काम पर लग जाओ।" बटाला सलाम मारकर चला बना।

जे.एन.आज इसलिये फिक्रमंद था, क्यों कि विगत रात माया के फ्लैट पर उसे अज्ञात आदमी का फोन आया था। यह बात उसे कैसे पता थी कि उस वक्त जे.एन. माया रानी के फ्लैट पर होगा ?
उसने पुलिस कमिश्नर को फोन मिलाया। थोड़ी देर तक उधर बात करता रहा। पुलिस की तरफ से पूरी सुरक्षा की गारंटी दी जा रही थी। वैसे तो सिक्योरिटी गार्ड्स अभी भी उसकी सेफ्टी के लिए थे।

"चार स्पेशल कमांडो आपके साथ हर समय रहेंगे।" कमिश्नर ने कहा,

"वैसे लगता तो यही है कि कोई सिरफिरा आदमी आपको बेकार में तंग कर रहा है, फिर भी हम पूरे मामले पर नजर रखे हैं।"

"थैंक्यू कमिश्नर।" जनार्दन नागा रेड्डी ने फोन के बाद अपने पी .ए. को बुलाया।

"यस सर।" मायादास हाज़िर हो गया, "क्या हुक्म है ?"

"मायादास जी, आप मेरे सबसे नजदीकी आदमी हैं। मैं चाहता हूँ कि फ़िलहाल अब कुछ वक्त मुम्बई से बाहर गुजार लिया जाये, कौन सी जगह बेहतर रहेगी ?"

"मेरे ख्याल से आप दूर न जायें, तो बेहतर है। हम आपको अपनी सुरक्षा टीम के दायरे से बाहर नहीं भेजना चाहते।"

"क्या सचमुच मुझे कोई खतरा हो सकता है ? पुलिस कमिश्नर तो कह रहा था कि यह किसी सिरफिरे का काम है, बस दिमाग में कुछ टेंशन सी रहती है, इसलि ये जाना चाहता हूँ।"

"सुनो आप खंडाला चले जाइए, वहाँ आपकी एक विला तो है ही। हमारे लोग वहाँ उसकी हिफाजत भी करते रहेंगे। बात ये भी तो है कि कभी भी आपको दिल्ली बुलाया जा सकता है, इसलिये मुम्बई से ज्यादा दूर रहना तो वैसे भी आपके लिए ठीक नहीं होगा।"

"आप ठीक कहते हैं, मैं खंडाला चला जाता हूँ। किसी को मत बताना, कोई ख़ास बात हो, तो मुझे फोन कर देना।"

"ठीक है।"

"मैं वहाँ बिलकुल अकेला रहना चाहता हूँ, समझ गये ना।"

"बेशक।"

जनार्दन नागा रेड्डी उसी दिन खंडाला के लिए रवाना हो गया। शाम तक वह विला में पहुँच गया। उसके पहुंचने से पहले वहाँ दो स्टेनगन धारी कमांडो चौकसी पर लग चुके थे, उन्होंने जे.एन. को सैल्यूट किया। जे.एन. विला में चला गया।


विला में खाने-पीने का सब सामान मौजूद था। रात को नौ बजेणमायादास का फ़ोन आया, उसने कुशल पूछी और थोड़ी देर तक औपचारिक बातों के बाद फोन बंद कर दिया। जे.एन.बियर पीता रहा, फिर वह कुछ पत्रिकायें पलटता रहा। इसी तरह रात के ग्यारह बज गये। वह सोने की तैयारी करने लगा।

अचानक फोन की घंटी बजने लगी। अभी वह बिस्तर पर पूरी तरह लेट भी नहीं पाया था कि चिहुंककर उठ बैठा। वह फोन को घूरने लगा। क्या मायादास का फोन हो सकता है? किन्तु मायादास तो फोन कर चुका है, वह दोबारा तो तभी फोन करेगा जब कोई ख़ास बात हो।

रात के ग्यारह और बारह के बीच तो उसी कातिल का फोन आता है। तो क्या उसी का फोन है ? घंटी बजती रही। आखिर जे.एन. को फोन का रिसीवर उठाना ही पड़ा। किन्तु वह कुछ बोला नहीं, वह तब तक बोलना ही नहीं चाहता था, जब तक मायादास की आवाज न सुन ले। किन्तु दूसरी तरफ से बोलने वाला मायादास नहीं था।

"मैं तेरा होने वाला कातिल बोल रहा हूँ बे ! क्यों अब बोलती भी बंद हो गई, अभी तो छ: दिन बाकी है। यहाँ खंडाला क्या करने आ गया तू, वैसे तेरा कत्ल करने के लिए इससे बेहतर जगह तो कोई हो भी नहीं सकती।" जे.एन. ने फोन पर कोई जवाब नहीं दिया और रिसीवर क्रेडिल पर रख कर फ़ोन काट दिया। दोबारा फोन की घंटी न बजे इसलिये उसने रिसीवर क्रेडिल से उठा कर एक तरफ रख दिया। इतनी सी देर में उसके माथे पर पसीना भरभरा आया था।

पहली बार जे.एन. को खतरे का अहसास हुआ। उसे लगा वह कोई सिरफिरा नहीं है। या तो कोई शख्स उसे भयभीत कर रहा है या फिर सचमुच कोई हत्यारा उसके पीछे लग गया है। लेकिन कोई हत्यारा इस तरह चैलेंज करके तो कत्ल नहीं करता। अगली सुबह ही जनार्दन नागा रेड्डी ने खंडाला की विला भी छोड़ दी और वह वापिस अपनी कोठी पर आ गया। जनार्दन ने अंधेरी में एक नया बंगला बना या था, वह सरकारी आवास की बजाय इस बंगले में आ गया। मायादास को भी उसने वहीं बुला लिया।
शाम को इंस्पेक्टर विजय उससे मिलने आया। उसके साथ चार कमांडो भी थे।

"कमिश्नर साहब ने आपकी हिफाजत के लिए मेरी ड्यूटी लगाई है।" विजय ने कहा,

"यह चार शानदार कमांडो हर समय आपके साथ रहेंगे। हमारी कौशिश यह भी है कि हम उस अज्ञात व्यक्ति का पता लगायें, इसके लिए हमने टेलीफोन एक्सचेंज से मदद ली है। जिन-जिन फोन नम्बरों पर आप उपलब्ध रहते हैं, वह सब हमें नोट करा दें, वैसे तो यह शख्स कोई सिरफिरा है जो…।"

"नहीं वह सिरफिरा नहीं है इंस्पेक्टर! वह मेरे इर्द-गिर्द जाल कसता जा रहा है। तुम फौरन उसका पता लगाओ। मैं तुम्हें अपने फोन नम्बर नोट करवा देता हूँ और अगर मैं कहीं बाहर गया, तो वह नंबर भी तुम्हें नोट करवा दूँगा।"

इस पहली मुलाकात में न तो मायादास ने विजय का नाम पूछा, न जे.एन. ने! संयोग से दोनों ने इंस्पेक्टर विजय का नाम तो सुना था, परन्तु आमना-सामना कभी नहीं हुआ था। उस रात रोमेश ने एक सिनेमा हॉल के बाहर बूथ से जे.एन. को फोन किया। उस वक्त नाईट शो का इंटरवल चल रहा था। पास ही पान सिगरेट की एक दुकान थी। फोन करने के बाद रोमेश उसी तरफ बढ़ गया, मोटर साइकिल पार्किंग पर खड़ी थी।

"अरे साहब, फ़िल्म वाला साहब आप।" पान की दुकान पर डिपार्टमेंटल स्टोर का सेल्समैन खड़ा था,

"क्या नाम बताया था, ध्यान से उतर गया ?"

"रोमेश सक्सेना।" तभी एक और ग्राहक ने पलटकर कहा ।

"एडवोकेट रोमेश सक्सेना।" यह दूसरा शख्स राजा था। राजा ने अगला सवाल दागा ,

"वह कत्ल हुआ की नहीं ?"

"अभी नहीं , दस जनवरी की रात होना है।"

"मेरे कू अदालत वाला डायलॉग अभी तक याद है, बोल के दिखाऊं।" चन्दू ने कहा।

"पर यह तो बताइये जनाब कि आखिर आप किसका खून करना चाहते हैं ?" राजा ने मजाकिया अंदाज में कहा। आसपास कुछ लोग भी जमा हो गये थे। चर्चा ही ऐसी थी।

"अब तुम लोग जानना ही चाहते हो तो …।"

"मैं बताता हूँ।" रोमेश की बात किसी ने बीच में ही काट दी। पीछे से जो शख्सियत सामने आई, वह कासिम खान था। संयोग से तीनों ही फ़िल्म देखने आये थे, नई फ़िल्म थी और हिट जा रही थी। हाउसफुल चल रहा था। इंटरवल होने के कारण बाहर भीड़ थी।

"यह जनाब जिस शख्स का कत्ल करने वाले हैं, उसका नाम जनार्दन नागा रेड्डी है।"

"जनार्दन नागा रेड्डी।" चन्दू उछल पड़ा,

"क्या बोलता है बे ? वो चीफ मिनिस्टर तो नहीं अरे ? अपना लीडर जे.एन.?"

"कासिम ठीक कह रहा है, बात उसी जे.एन.की है। और यह कोई फ़िल्मी कहानी नहीं है, एक दिन तुम अख़बार में उसके कत्ल की खबर पढ़ लेना। ग्यारह जनवरी को छप जायेगी।" रोमेश इतना कहकर आगे बढ़ गया।

भीड़ में से एक व्यक्ति तीर की तरह निकला और टेलीफोन बूथ में घुस गया। वह बटाला को फोन मिला रहा था।


"हैलो।" फोन मिलते ही उसने कहा,

"उस आदमी का पता चल गया है, जो जे.एन.साहब को फोन पर धमकी देता है।"

"कौन है ? " बटाला ने पूछा।

"उसका नाम रोमेश सक्सेना है, एडवोकेट रोमेश सक्सेना।"

"ओह, तो यह बात है। रस्सी जल गई, मगर बल अभी बाकी है, ठीक है।" दूसरी तरफ से बिना किसी निर्देश के फोन कट गया। उसी वक्त बटाला का फोन जे.एन.को भी पहुँच गया।



जारी रहेगा…..✍️✍️
Hmm
Interesting, रोमेश ने गजब का खेल रचा है, अब देखते हैं कि जेएन को उसके बारे में पता लगने पर क्या रोमेश अपने प्लान में सफल होगा?
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Yar index update karo iska

intezaar rahega....

इंतजार है

बहुत ही इंटरेस्टिंग अपडेट!
खून करने का तरीक़ा क्या होगा, इस पर हम लोग तो बस क़यास ही लगा सकते हैं।
इतने खुलेआम, ढिंढोरा पीट पीट कर सभी साज़ो-सामान खरीदने का मतलब है कि अदालत में पेशी के समय रोमेश जज साहब के मन में sufficient doubt पैदा करना चाहता होगा।
क़त्ल के समय वो कहीं और होगा? मतलब उसकी alibi पक्की होगी।
ख़ैर, अपना दिमाग न लगा कर, कहानी का आनंद लेता हूँ।
Raj_sharma भाई मेहनत कर ही रहे हैं :)

बढ़िया

रोमेश की प्लानिंग समझ आ गई मुझे, कहानी बहुत शानदार तरीके से लिख रहे हो Raj_sharma भाई।


Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....

रोमेश साहब यह क्या बवाल मचा रहे है ? कत्ल करने से पहले हर जगह खुद ही ढोल नगाड़े के साथ आलाप किए जा रहे है कि वो एक हस्ती का खून करने जा रहे है !
ऐसा कौन करता है भाई ? यह तो आ बैल मुझे मार वाली कहावत हो गई ।
क्या वह यह सब इसलिए कर रहे है कि अदालत मे यह सब संज्ञान आने के बाद जज साहब भ्रमित हो जाए कि एक रियल कातिल ऐसा नही करता । खुद को ही फंसाने के लिए ऐसी हरकतें नही करता । खुद ही एलिबाई की फौज खड़ा नही करता ।
और फिर संदेह के आधार पर वो अदालत से बरी कर दिया जाता ।
लेकिन अगर खून उसी रामपुरी चाकू से किया जाए और उस चाकू के मुठ पर रोमेश साहब के उँगलियों के निशान पाए जाए तब वह क्या करेंगे ? क्या दस्ताने पहन कर रोमेश साहब कत्ल करने वाले है ताकि एक और भ्रम फैलाया जाए ?

लेकिन जिस तरह से रोमेश साहब भूतपूर्व चीफ मिनिस्टर साहब के कत्ल की बात कर रहे है उससे ताज्जुब होता है कि अबतक कपड़े वाले कर्मचारी ने , चाकू बेचने वाले दुकानदार ने , चाकू पर निशान बनाने वाले कारीगर ने पुलिस स्टेशन जाने का जहमत तक नही उठाया ।
अगर वह लोग पुलिस के पास जाते तब रोमेश साहब कुछ करने से पहले ही हिरासत मे ले लिए जाते ।

देखते है रोमेश साहब क्या खिचड़ी पका रहे है !
बहुत खुबसूरत अपडेट शर्मा जी ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।

Nice update...

Awesome.
dimag ka dahi kr dia

Behad shandar update he Raj_sharma Bhai,

Romy ne shatranj ki ek aisi bisat bichayi he jisme vo bilkul bhi nahi fasenga..........police aur court dono ko chutiya banakar vo saaf nikal jayega

JN ke sath vo mind game khel raha he............uske man me ek darr baitha diya he usne aur sath hi sath uski power ko bhi lakara he.........

Ab intezar he 10 January ka

Keep rocking Bro

Nice update....

Raj_sharma bhai General DONG ka favorite dailog yad aagya mujhe
.
SHOM SHOM SHOM SHOM
SHAMOOO SASHAAAA
😉😉😉

Kya baat bhai Lajawab Jabardast superb mast ekdum dhasu update 👌 :yes1::rock1::thankyou:

Hum to tayaar baithe hai bhai🎊🎊🎊🎊🎉🎉🎉

एक और??

आज का पहला किधर है?

जल्दी से दो ना भाई जीतने भी रेडी है सारे के सारे अपडेट दे दो और कितना सस्पेंस है

Mast updates hai,ek to Romesh vs Vijay. Aur khoon ka suspense bdhta hi ja raha hai... Maza aa rahe hai.

Shandar jabardast update

Bahut badhiya update

J N ko to lagta ha dara dara ke hi mar dega romesh itna dara diya ha romesh ne ki sab force laga ke betha ha wo lekin kuchh ho nahi raha usse

Kher lekin yahan akhir me lagta ha romesh ki hoshiyari us per bhari padne wali ha idhar batala ko pata lag gaya ha or ab JN ko bhi lag jayega dekhte han romesh apne mission ko anjam de pata ha ya fir JN ke hathon chadh jata ha

Superb update

Lagta to nhi ke Reddy ko dhamki dene wala Ramesh hai. Anyways top jasusi update, padhte samay aisi feeling hoti hai jese mai koi jasusi novel padh rhi hun.
Gazab thriller.👌👌👌✔️✔️💯

kamdev99008
Tiger 786
Mahi Maurya


Update posted friends 🧡
 
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