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Fantasy THE DARKNESS RISING [Completed]

AK 24

Supreme
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259
(UPDATE-49)





बार मौत का सामना करना पढ़ रहा था. फिर भी रोहन ने कैसे कैसे कर के श्रुति को समझाया और उससे कहना लगा.
“देख अभी ज्यादा रोने ढोने से कोई फायदा नहीं होगा. यह जंगल है और इस तरह की चीज़ें यहां पर होती रहती है. और हम उन भयानक जानवरो से भी घिरे हुए है. समझ लो की पल पल हम मौत के साए में जी रहे है. इस तरह रोने से बात नहीं बनेगी बल्कि हमें इस जंगल से जल्द से जल्द निकालने के बारे में सोचना होगा. और इसके लिए तुझे हिम्मत से काम लेना होगा. समझी?” श्रुति को रोहन समझते हुए कहा. श्रुति ने अपने जबान से कुछ नहीं कहा बस अपने सर से हामी भारी.
वो दोनों फिर आगे बढ़ने लगे और इस जंगल से निकालने का रास्ता तलाश करने लगे. पर वो अभी जिस रास्ते से चल रहे वो रास्ते में थोड़ा ढलान था और उसमें थोड़ा कीचड़ भी था जिसकी वजह से दोनों को चलने में दुश्वारी हो रही थी. रोहन पलट के देखना चाहता था की श्रुति कैसे चल रही है इस रास्ते से. वो श्रुति की तरफ अपना हाथ बढ़ने लगा ताकि उसे सहारा दे सके पर, जैसे ही उसने उसकी तरफ हाथ बढ़ाया था की अचानक उसका दाया पैर कीचड़ की वजह से फिसल गया और रोहन अपना संतुलन खोते हुए वहां पड़े एक पत्थर पे जा गिरा और बेहोश हो गया क्योंकि उसका माता उस पट्तर से टकरा गया था जिसके वजह से वो अपना होश खो बैठा था. रोहन को गिरता देख श्रुति उसके पास गयी और उसे हिलाने लगी.
“तुम ठीक हो?? ओह हेलो……जब रोहन कुछ नहीं बोला तो श्रुति ने उसे फिर से हिलाने लगी.
“आए उठो…..क्या नाम है इसका? श्रुति सोचने लगी की इतनी देर तक दोनों साथ में है और वो दोनों एक दूसरे का नाम भी नहीं जानते है.
“क्या हुआ तुम्हें……तुम ठीक हो….?” जब इतना हिलाने पर भी रोहन कुछ जवाब नहीं दे रहा तो था श्रुति समझ गयी यह बेहोश हो गया है.
“ऑफ हो अब यह एक नयी मुसीबत. अब में क्या करूं? कैसे इसे उठाओ? श्रुति सोचने लगी. अभी वो ऐसे ही सोच ही रही थी की अचानक बदल गरजने लगे.
“ओह नो!! यह तो बारिश होने वाली है. शीत!!!! अब यही बाकी था. श्रुति आसमान की तरफ देख कर कहने लगी. उसके कुछ समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या करे की तभी एक दम से ज़ोर ज़ोर से बरसात होने लगी. श्रुति भाग कर एक पेड़ के नीचे जाकर अपने आपको बारिश में भीगने से अपने आपको बचाने लगी. फिर उसने देखा की वो तो इस पेड़ के नीचे आकर अपने को जैसे तैसे कर के बच्चा लिया है पर वहां पड़ा हुआ वो बेहोश आदमी भीग रहा है.उसे महसूस हुआ की एक तो ऐसे ही इतनी ठंड है और ऊपर से यह बारिश, अगर यह आदमी ऐसे ही भीगता रहा तो उसे कुछ हो ना जाए या बीमार ना पढ़ जाए. वो कुछ देर तक ऐसे ही सोचते रही फिर जब उसने देखा की रोहन वहां पड़े पड़े भीग रहा है तो वो आगे बढ़ी और उसे खींचने लगी. पहले तो उसने उसका पैर पकड़ कर खींचना चाहा पर ऐसा करने से रोहन के सर पर घसीटने से कही चोट ना लग जाए उसने उसे हाथ से पकड़ कर खींचे लगी. मगर ऐसा करने में उसे काफी खातिनआइओ का सामना करना पढ़ रहा था. एक तो रोहन का लंबा चौड़ा बदन जो 80 से 85 किलो तक होगा उसे खींचना और ऊपर से वो घायल भी थी. फिर भी हिम्मत करके वो उसे उस पेड़ के नीचे ले आई और ऐसा करने में वो भी पूरी तरह भीग चुकी थी. अब बरसात पहले से भी ज्यादा तेज हो गयी थी इसलिए वो पेड़ भी उन्हें बारिश के पानी से बच्चा नहीं पा रहा था. मगर श्रुति के पास वही काढ़े रहने के अलावा कोई चारा नहीं था. मगर उसके लिए प्राब्लम यह थी के अगर वो इसी तरह यहां खड़ी रही तो भीग कर वो और यह जो बेहोश पढ़ा हुआ है कही बीमार ना पढ़ जाए. उसने सोचा की उसे जल्द से जल्द कोई सूखी जगह तलाश करनी होगी . पर उसके लिए प्राब्लम यही थी के ऐसे जंगल में उसे सूखी जगह कहा से मिलेगी. फिर भी कुछ देर ऐसे ही भीगते रहने के बाद उसने यहां वहां नज़र अपनी दौड़ाने लगी, फिर थोड़ा आगे जाकर भी उसने देखा पर उसे ऐसा कुछ नज़र नहीं आ रहा था की तभी अचानक उसे थोड़े ही दूर पर एक कुतिया जैसा कोई घर नज़र आने लगा. वो खुश हो गयी और सोचने लगी की चलो कुछ तो यहां मिला इस जंगल में. वो फौरन रोहन के पास गयी और उसका खंडा पकड़ के उसे घसीटते हुए वो उसे उस घर के पास ले जाने लगी.


परवेज़! इधर देखो…” सुशांत, परवेज़ को कोई चीज़ दिखाते हुआ बोला.
“क्या बात है सुशांत? क्या हुआ? “ परवेज़ भी उसी दिशा में देखता हुआ सुशांत से कहा. सुशाण टॉर्च की रोशनी में परवेज़ को कुछ दिखाते हुए….
 

u.sir.name

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(UPDATE-49)





बार मौत का सामना करना पढ़ रहा था. फिर भी रोहन ने कैसे कैसे कर के श्रुति को समझाया और उससे कहना लगा.
“देख अभी ज्यादा रोने ढोने से कोई फायदा नहीं होगा. यह जंगल है और इस तरह की चीज़ें यहां पर होती रहती है. और हम उन भयानक जानवरो से भी घिरे हुए है. समझ लो की पल पल हम मौत के साए में जी रहे है. इस तरह रोने से बात नहीं बनेगी बल्कि हमें इस जंगल से जल्द से जल्द निकालने के बारे में सोचना होगा. और इसके लिए तुझे हिम्मत से काम लेना होगा. समझी?” श्रुति को रोहन समझते हुए कहा. श्रुति ने अपने जबान से कुछ नहीं कहा बस अपने सर से हामी भारी.
वो दोनों फिर आगे बढ़ने लगे और इस जंगल से निकालने का रास्ता तलाश करने लगे. पर वो अभी जिस रास्ते से चल रहे वो रास्ते में थोड़ा ढलान था और उसमें थोड़ा कीचड़ भी था जिसकी वजह से दोनों को चलने में दुश्वारी हो रही थी. रोहन पलट के देखना चाहता था की श्रुति कैसे चल रही है इस रास्ते से. वो श्रुति की तरफ अपना हाथ बढ़ने लगा ताकि उसे सहारा दे सके पर, जैसे ही उसने उसकी तरफ हाथ बढ़ाया था की अचानक उसका दाया पैर कीचड़ की वजह से फिसल गया और रोहन अपना संतुलन खोते हुए वहां पड़े एक पत्थर पे जा गिरा और बेहोश हो गया क्योंकि उसका माता उस पट्तर से टकरा गया था जिसके वजह से वो अपना होश खो बैठा था. रोहन को गिरता देख श्रुति उसके पास गयी और उसे हिलाने लगी.
“तुम ठीक हो?? ओह हेलो……जब रोहन कुछ नहीं बोला तो श्रुति ने उसे फिर से हिलाने लगी.
“आए उठो…..क्या नाम है इसका? श्रुति सोचने लगी की इतनी देर तक दोनों साथ में है और वो दोनों एक दूसरे का नाम भी नहीं जानते है.
“क्या हुआ तुम्हें……तुम ठीक हो….?” जब इतना हिलाने पर भी रोहन कुछ जवाब नहीं दे रहा तो था श्रुति समझ गयी यह बेहोश हो गया है.
“ऑफ हो अब यह एक नयी मुसीबत. अब में क्या करूं? कैसे इसे उठाओ? श्रुति सोचने लगी. अभी वो ऐसे ही सोच ही रही थी की अचानक बदल गरजने लगे.
“ओह नो!! यह तो बारिश होने वाली है. शीत!!!! अब यही बाकी था. श्रुति आसमान की तरफ देख कर कहने लगी. उसके कुछ समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या करे की तभी एक दम से ज़ोर ज़ोर से बरसात होने लगी. श्रुति भाग कर एक पेड़ के नीचे जाकर अपने आपको बारिश में भीगने से अपने आपको बचाने लगी. फिर उसने देखा की वो तो इस पेड़ के नीचे आकर अपने को जैसे तैसे कर के बच्चा लिया है पर वहां पड़ा हुआ वो बेहोश आदमी भीग रहा है.उसे महसूस हुआ की एक तो ऐसे ही इतनी ठंड है और ऊपर से यह बारिश, अगर यह आदमी ऐसे ही भीगता रहा तो उसे कुछ हो ना जाए या बीमार ना पढ़ जाए. वो कुछ देर तक ऐसे ही सोचते रही फिर जब उसने देखा की रोहन वहां पड़े पड़े भीग रहा है तो वो आगे बढ़ी और उसे खींचने लगी. पहले तो उसने उसका पैर पकड़ कर खींचना चाहा पर ऐसा करने से रोहन के सर पर घसीटने से कही चोट ना लग जाए उसने उसे हाथ से पकड़ कर खींचे लगी. मगर ऐसा करने में उसे काफी खातिनआइओ का सामना करना पढ़ रहा था. एक तो रोहन का लंबा चौड़ा बदन जो 80 से 85 किलो तक होगा उसे खींचना और ऊपर से वो घायल भी थी. फिर भी हिम्मत करके वो उसे उस पेड़ के नीचे ले आई और ऐसा करने में वो भी पूरी तरह भीग चुकी थी. अब बरसात पहले से भी ज्यादा तेज हो गयी थी इसलिए वो पेड़ भी उन्हें बारिश के पानी से बच्चा नहीं पा रहा था. मगर श्रुति के पास वही काढ़े रहने के अलावा कोई चारा नहीं था. मगर उसके लिए प्राब्लम यह थी के अगर वो इसी तरह यहां खड़ी रही तो भीग कर वो और यह जो बेहोश पढ़ा हुआ है कही बीमार ना पढ़ जाए. उसने सोचा की उसे जल्द से जल्द कोई सूखी जगह तलाश करनी होगी . पर उसके लिए प्राब्लम यही थी के ऐसे जंगल में उसे सूखी जगह कहा से मिलेगी. फिर भी कुछ देर ऐसे ही भीगते रहने के बाद उसने यहां वहां नज़र अपनी दौड़ाने लगी, फिर थोड़ा आगे जाकर भी उसने देखा पर उसे ऐसा कुछ नज़र नहीं आ रहा था की तभी अचानक उसे थोड़े ही दूर पर एक कुतिया जैसा कोई घर नज़र आने लगा. वो खुश हो गयी और सोचने लगी की चलो कुछ तो यहां मिला इस जंगल में. वो फौरन रोहन के पास गयी और उसका खंडा पकड़ के उसे घसीटते हुए वो उसे उस घर के पास ले जाने लगी.



परवेज़! इधर देखो…” सुशांत, परवेज़ को कोई चीज़ दिखाते हुआ बोला.
“क्या बात है सुशांत? क्या हुआ? “ परवेज़ भी उसी दिशा में देखता हुआ सुशांत से कहा. सुशाण टॉर्च की रोशनी में परवेज़ को कुछ दिखाते हुए….
Nice update brother....
keep writing...
keep posting.....
 
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