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(UPDATE-59)
में उसके सामने खड़ी थी. मगर इस समय हालत कुछ और थे. वो अब रोहन से शर्मा नहीं रही थी बल्कि वो चाह रही थी वो उसकी जिस्म से खेले, जो उसकी मर्जी में आए करे, उसे वो जन्नत की सैर कराए. रोहन से श्रुति को अपने गोद में उठाया और उसे ले जाकर पलंग में लिटा दिया. जब रोहन ने श्रुति को पलंग में लिटाया तो दोनों की आँखें एक दूसरे से मिली. श्रुति उसे देख कर थोड़ा सा मुस्कराई जैसे कह रही हो अब देर किस बात की जल्दी से मेरा काम तमाम कर दो क्योंकि अब मुझे बर्धाष्त नहीं हो रहा है. रोहन भी जैसे उसके जज़्बात समझ गया था. उसने अपने बदन पर पलंग का लिपटा हुआ चादर अपने बदन से हटा दिया . श्रुति ने देखा की रोहन के ऊपर लिपटी हुई चादर के हटने से उसे वो चीज़ दिखी जो उसने रोहन को इस पलंग पर लिटाते हुए देखा था. लेकिन तब वो कितना छोटा और कितना शांत था.. मगर इस वक्त वो ऐसा लग रहा था जैसे दाहाकता हुआ कोयला, एक दम ताना हुआ.
रोहन, श्रुति के ऊपर झुकते हुए उसे फिर से उसके होठों पर चूमने लगा. श्रुति भी इस खेल में उसका भरपूर साथ देने लगी. वो भूल चुकी थी की वो अपनी जवानी किसी और के लिए महफूज़ रखी थी. उसे तो बस इस वक्त अपने अंदर उठ रहे तूफ़ानो को शांत करना था और इसके लिए वो रोहन का साथ दे रही थी. रोहन, श्रुति के होठों पर चूमने के बाद नीचे आता हुआ उसके गले पर चूमने लगा फिर कुछ देर तक ऐसे चूमते रहने के बाद वो और थोड़ा नीचे आया और एक हाथ से श्रुति के चूची को पकड़ा और दूसरी चूची को अपने मुंह लेकर उसके निप्पल को चूसने लगा. श्रुति एक दम पागल हुई जा रही थी. वो रोहन के सर के बालों को पकड़ कर उसे और अपनी तरफ दबा रही थी. जिसका मतलब यह था वो उसे और श्ििडडत से उसके निप्पल को चूज़. रोहन उसका इशारा समझते हुए वैसा ही कर रहा था. वो बड़ी बड़ी दोनों निपल्स को चूसते जा रहा था. जब काफी देर तक उसने उसके निपल्स को चूस लिया तो वो और नीचे आकर उसके पेट को चूमने लगा फिर थोड़ी देर बाद वो श्रुति के नाभि की और गया और उसकी नाभि के अंदर अपनी जबान फेरने लगा. रोहन का ऐसा करना ही था की श्रुति एक दम से अपनी कमर उठाने लगी. वो एक दम जंगली बिल्ली की तरह छटपटाने लगी. वो रोहन के बालों को एक दम तेजी पकड़ कर उसे भींचने लगी. इतना भीचने लगी की रोहन को थोड़ा दर्द भी होने लगा लेकिन उसने अफ नहीं किया और अपने कार्य को करने में लगा रहा. जब काफी देर तक वो उसकी नाभि से खेल चुका तो उसने थोड़ा और नीचे आते हुए श्रुति के ग्राय्न एरिया (दो टांगों के बीच का हिस्सा) के पास आया और वहां पर चूमने लगा. रोहन की इस हरकत से श्रुति एक दम से बिलबिला उठी और एक आवाज़ निकालते हुए आआआआआआआआअहह……………..उसकी चुत ने ढेर सारा पानी छोडा. रोहन ने भी देखा उसकी इस हरकत से श्रुति झाड़ चुकी थी. फिर उसके बाद रोहन रुका नहीं बल्कि अपने कार्य में और तेजी लाता हुआ श्रुति की चुत की चिड़िया को चूमने लगा. फिर उसके बाद उसकी चुत पर अपनी जबान फेरने लगा. श्रुति जो अभी अभी झड़ी थी रोहन की एक और हरकत पर वापस से जोश में आने लगी थी. उसे रोहन का उसकी चुत में इस तरह से चूमना बहुत अच्छा लग रहा था. जब रोहन काफी देर तक उसकी चुत ऐसे ही चाटता रहा तो उसे बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने आख़िर कार अपने मुंह खोला और कहने लगी.
“प्लीज़……अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा………प्लीज़ जल्दी करो…..प्लीज़!!!!!! रोहन समझ गया था की उसका क्या मतलब है. वो चाहती है की वो उसकी चुत में अपना गर्म लोहा डाल दे. उसने भी सोचा की इसे और तड़पाना अच्छा नहीं है बल्कि वो भी जल्द से जल्द उसकी चुत में समा जाना चाहता था. फिर उसके बाद रोहन अपने घुटने के बाल बैठा और अपने लंड को अपने हाथ में लेते हुए श्रुति की चुत के मूहने पर रख दिया और फिर श्रुति के ऊपर लेट गया. फिर उसके बाद उसने आहिस्ता आहिस्ता अपना लंड श्रुति की चुत में डालने लगा. लेकिन अभी उसने थोड़ा ही ज़ोर लगाया था की श्रुति एक दम दर्द से चिल्लाने लगी.
“आाआहिसतीए……..दर्द ……हो रहा है.” श्रुति ने एक दम दर्द में आकर कहने लगी. रोहन को थोड़ी हैरत होने लगी उसे क्यों इतना दर्द हो रहा है. इतना दर्द तो उसे होता जो पहली बार किसी का लंड अपनी चुत में लेती है. यानि की वो लड़की जो कुँवारी होती है……तो इसका मतलब यह कुँवारी है……रोहन को विश्वास नहीं हो रहा था की यह लड़की जिस सोसाइटी से ताल्ल्लुक रखती है वहां पर भी कोई ऐसी लड़की होगी जो कुँवारी हो…..खैर उसने इसके आगे कुछ और नहीं सोचा और श्रुति जैसा कह रही थी….
में उसके सामने खड़ी थी. मगर इस समय हालत कुछ और थे. वो अब रोहन से शर्मा नहीं रही थी बल्कि वो चाह रही थी वो उसकी जिस्म से खेले, जो उसकी मर्जी में आए करे, उसे वो जन्नत की सैर कराए. रोहन से श्रुति को अपने गोद में उठाया और उसे ले जाकर पलंग में लिटा दिया. जब रोहन ने श्रुति को पलंग में लिटाया तो दोनों की आँखें एक दूसरे से मिली. श्रुति उसे देख कर थोड़ा सा मुस्कराई जैसे कह रही हो अब देर किस बात की जल्दी से मेरा काम तमाम कर दो क्योंकि अब मुझे बर्धाष्त नहीं हो रहा है. रोहन भी जैसे उसके जज़्बात समझ गया था. उसने अपने बदन पर पलंग का लिपटा हुआ चादर अपने बदन से हटा दिया . श्रुति ने देखा की रोहन के ऊपर लिपटी हुई चादर के हटने से उसे वो चीज़ दिखी जो उसने रोहन को इस पलंग पर लिटाते हुए देखा था. लेकिन तब वो कितना छोटा और कितना शांत था.. मगर इस वक्त वो ऐसा लग रहा था जैसे दाहाकता हुआ कोयला, एक दम ताना हुआ.
रोहन, श्रुति के ऊपर झुकते हुए उसे फिर से उसके होठों पर चूमने लगा. श्रुति भी इस खेल में उसका भरपूर साथ देने लगी. वो भूल चुकी थी की वो अपनी जवानी किसी और के लिए महफूज़ रखी थी. उसे तो बस इस वक्त अपने अंदर उठ रहे तूफ़ानो को शांत करना था और इसके लिए वो रोहन का साथ दे रही थी. रोहन, श्रुति के होठों पर चूमने के बाद नीचे आता हुआ उसके गले पर चूमने लगा फिर कुछ देर तक ऐसे चूमते रहने के बाद वो और थोड़ा नीचे आया और एक हाथ से श्रुति के चूची को पकड़ा और दूसरी चूची को अपने मुंह लेकर उसके निप्पल को चूसने लगा. श्रुति एक दम पागल हुई जा रही थी. वो रोहन के सर के बालों को पकड़ कर उसे और अपनी तरफ दबा रही थी. जिसका मतलब यह था वो उसे और श्ििडडत से उसके निप्पल को चूज़. रोहन उसका इशारा समझते हुए वैसा ही कर रहा था. वो बड़ी बड़ी दोनों निपल्स को चूसते जा रहा था. जब काफी देर तक उसने उसके निपल्स को चूस लिया तो वो और नीचे आकर उसके पेट को चूमने लगा फिर थोड़ी देर बाद वो श्रुति के नाभि की और गया और उसकी नाभि के अंदर अपनी जबान फेरने लगा. रोहन का ऐसा करना ही था की श्रुति एक दम से अपनी कमर उठाने लगी. वो एक दम जंगली बिल्ली की तरह छटपटाने लगी. वो रोहन के बालों को एक दम तेजी पकड़ कर उसे भींचने लगी. इतना भीचने लगी की रोहन को थोड़ा दर्द भी होने लगा लेकिन उसने अफ नहीं किया और अपने कार्य को करने में लगा रहा. जब काफी देर तक वो उसकी नाभि से खेल चुका तो उसने थोड़ा और नीचे आते हुए श्रुति के ग्राय्न एरिया (दो टांगों के बीच का हिस्सा) के पास आया और वहां पर चूमने लगा. रोहन की इस हरकत से श्रुति एक दम से बिलबिला उठी और एक आवाज़ निकालते हुए आआआआआआआआअहह……………..उसकी चुत ने ढेर सारा पानी छोडा. रोहन ने भी देखा उसकी इस हरकत से श्रुति झाड़ चुकी थी. फिर उसके बाद रोहन रुका नहीं बल्कि अपने कार्य में और तेजी लाता हुआ श्रुति की चुत की चिड़िया को चूमने लगा. फिर उसके बाद उसकी चुत पर अपनी जबान फेरने लगा. श्रुति जो अभी अभी झड़ी थी रोहन की एक और हरकत पर वापस से जोश में आने लगी थी. उसे रोहन का उसकी चुत में इस तरह से चूमना बहुत अच्छा लग रहा था. जब रोहन काफी देर तक उसकी चुत ऐसे ही चाटता रहा तो उसे बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने आख़िर कार अपने मुंह खोला और कहने लगी.
“प्लीज़……अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा………प्लीज़ जल्दी करो…..प्लीज़!!!!!! रोहन समझ गया था की उसका क्या मतलब है. वो चाहती है की वो उसकी चुत में अपना गर्म लोहा डाल दे. उसने भी सोचा की इसे और तड़पाना अच्छा नहीं है बल्कि वो भी जल्द से जल्द उसकी चुत में समा जाना चाहता था. फिर उसके बाद रोहन अपने घुटने के बाल बैठा और अपने लंड को अपने हाथ में लेते हुए श्रुति की चुत के मूहने पर रख दिया और फिर श्रुति के ऊपर लेट गया. फिर उसके बाद उसने आहिस्ता आहिस्ता अपना लंड श्रुति की चुत में डालने लगा. लेकिन अभी उसने थोड़ा ही ज़ोर लगाया था की श्रुति एक दम दर्द से चिल्लाने लगी.
“आाआहिसतीए……..दर्द ……हो रहा है.” श्रुति ने एक दम दर्द में आकर कहने लगी. रोहन को थोड़ी हैरत होने लगी उसे क्यों इतना दर्द हो रहा है. इतना दर्द तो उसे होता जो पहली बार किसी का लंड अपनी चुत में लेती है. यानि की वो लड़की जो कुँवारी होती है……तो इसका मतलब यह कुँवारी है……रोहन को विश्वास नहीं हो रहा था की यह लड़की जिस सोसाइटी से ताल्ल्लुक रखती है वहां पर भी कोई ऐसी लड़की होगी जो कुँवारी हो…..खैर उसने इसके आगे कुछ और नहीं सोचा और श्रुति जैसा कह रही थी….
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