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Fantasy THE DARKNESS RISING [Completed]

Pass1234

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ANUJ KUMAR

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Story mast hai bhai
 
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AK 24

Supreme
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Shandar Story thi Bro, and very nice end too
Saare update ek se badkar ek hai bro ...super fantastic and excellent
Bhima maara gaya .....aur Rohan shruti k duriya khatam hogayi ....
jabardust ...ab dekhte hai kaise un jaanwaro ka saamna karta hai Rohan aur apni manzil tak pahunchta hai..
:yourock: :yourock::yourock:


kahani toh chalti rahegi bro personal life comes first.....take rest & enjoy
AMAZING UPDATE BHAI
Story mast hai bhai
Thanks bhailog :rose:
 

ANUJ KUMAR

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(UPDATE-49)





बार मौत का सामना करना पढ़ रहा था. फिर भी रोहन ने कैसे कैसे कर के श्रुति को समझाया और उससे कहना लगा.
“देख अभी ज्यादा रोने ढोने से कोई फायदा नहीं होगा. यह जंगल है और इस तरह की चीज़ें यहां पर होती रहती है. और हम उन भयानक जानवरो से भी घिरे हुए है. समझ लो की पल पल हम मौत के साए में जी रहे है. इस तरह रोने से बात नहीं बनेगी बल्कि हमें इस जंगल से जल्द से जल्द निकालने के बारे में सोचना होगा. और इसके लिए तुझे हिम्मत से काम लेना होगा. समझी?” श्रुति को रोहन समझते हुए कहा. श्रुति ने अपने जबान से कुछ नहीं कहा बस अपने सर से हामी भारी.
वो दोनों फिर आगे बढ़ने लगे और इस जंगल से निकालने का रास्ता तलाश करने लगे. पर वो अभी जिस रास्ते से चल रहे वो रास्ते में थोड़ा ढलान था और उसमें थोड़ा कीचड़ भी था जिसकी वजह से दोनों को चलने में दुश्वारी हो रही थी. रोहन पलट के देखना चाहता था की श्रुति कैसे चल रही है इस रास्ते से. वो श्रुति की तरफ अपना हाथ बढ़ने लगा ताकि उसे सहारा दे सके पर, जैसे ही उसने उसकी तरफ हाथ बढ़ाया था की अचानक उसका दाया पैर कीचड़ की वजह से फिसल गया और रोहन अपना संतुलन खोते हुए वहां पड़े एक पत्थर पे जा गिरा और बेहोश हो गया क्योंकि उसका माता उस पट्तर से टकरा गया था जिसके वजह से वो अपना होश खो बैठा था. रोहन को गिरता देख श्रुति उसके पास गयी और उसे हिलाने लगी.
“तुम ठीक हो?? ओह हेलो……जब रोहन कुछ नहीं बोला तो श्रुति ने उसे फिर से हिलाने लगी.
“आए उठो…..क्या नाम है इसका? श्रुति सोचने लगी की इतनी देर तक दोनों साथ में है और वो दोनों एक दूसरे का नाम भी नहीं जानते है.
“क्या हुआ तुम्हें……तुम ठीक हो….?” जब इतना हिलाने पर भी रोहन कुछ जवाब नहीं दे रहा तो था श्रुति समझ गयी यह बेहोश हो गया है.
“ऑफ हो अब यह एक नयी मुसीबत. अब में क्या करूं? कैसे इसे उठाओ? श्रुति सोचने लगी. अभी वो ऐसे ही सोच ही रही थी की अचानक बदल गरजने लगे.
“ओह नो!! यह तो बारिश होने वाली है. शीत!!!! अब यही बाकी था. श्रुति आसमान की तरफ देख कर कहने लगी. उसके कुछ समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या करे की तभी एक दम से ज़ोर ज़ोर से बरसात होने लगी. श्रुति भाग कर एक पेड़ के नीचे जाकर अपने आपको बारिश में भीगने से अपने आपको बचाने लगी. फिर उसने देखा की वो तो इस पेड़ के नीचे आकर अपने को जैसे तैसे कर के बच्चा लिया है पर वहां पड़ा हुआ वो बेहोश आदमी भीग रहा है.उसे महसूस हुआ की एक तो ऐसे ही इतनी ठंड है और ऊपर से यह बारिश, अगर यह आदमी ऐसे ही भीगता रहा तो उसे कुछ हो ना जाए या बीमार ना पढ़ जाए. वो कुछ देर तक ऐसे ही सोचते रही फिर जब उसने देखा की रोहन वहां पड़े पड़े भीग रहा है तो वो आगे बढ़ी और उसे खींचने लगी. पहले तो उसने उसका पैर पकड़ कर खींचना चाहा पर ऐसा करने से रोहन के सर पर घसीटने से कही चोट ना लग जाए उसने उसे हाथ से पकड़ कर खींचे लगी. मगर ऐसा करने में उसे काफी खातिनआइओ का सामना करना पढ़ रहा था. एक तो रोहन का लंबा चौड़ा बदन जो 80 से 85 किलो तक होगा उसे खींचना और ऊपर से वो घायल भी थी. फिर भी हिम्मत करके वो उसे उस पेड़ के नीचे ले आई और ऐसा करने में वो भी पूरी तरह भीग चुकी थी. अब बरसात पहले से भी ज्यादा तेज हो गयी थी इसलिए वो पेड़ भी उन्हें बारिश के पानी से बच्चा नहीं पा रहा था. मगर श्रुति के पास वही काढ़े रहने के अलावा कोई चारा नहीं था. मगर उसके लिए प्राब्लम यह थी के अगर वो इसी तरह यहां खड़ी रही तो भीग कर वो और यह जो बेहोश पढ़ा हुआ है कही बीमार ना पढ़ जाए. उसने सोचा की उसे जल्द से जल्द कोई सूखी जगह तलाश करनी होगी . पर उसके लिए प्राब्लम यही थी के ऐसे जंगल में उसे सूखी जगह कहा से मिलेगी. फिर भी कुछ देर ऐसे ही भीगते रहने के बाद उसने यहां वहां नज़र अपनी दौड़ाने लगी, फिर थोड़ा आगे जाकर भी उसने देखा पर उसे ऐसा कुछ नज़र नहीं आ रहा था की तभी अचानक उसे थोड़े ही दूर पर एक कुतिया जैसा कोई घर नज़र आने लगा. वो खुश हो गयी और सोचने लगी की चलो कुछ तो यहां मिला इस जंगल में. वो फौरन रोहन के पास गयी और उसका खंडा पकड़ के उसे घसीटते हुए वो उसे उस घर के पास ले जाने लगी.



परवेज़! इधर देखो…” सुशांत, परवेज़ को कोई चीज़ दिखाते हुआ बोला.
“क्या बात है सुशांत? क्या हुआ? “ परवेज़ भी उसी दिशा में देखता हुआ सुशांत से कहा. सुशाण टॉर्च की रोशनी में परवेज़ को कुछ दिखाते हुए….
Super update
 

ANUJ KUMAR

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(UPDATE-54)




से पकड़ा और उसे पलंग पर डालने लगी. मगर जब वो उसे पलंग पर लिटा रही तो उसे में अचानक रोहन के ऊपर लिपटा हुआ वो चादर रोहन के ऊपर से सरक गया और श्रुति को रोहन के पूरे जंगल का नज़ारा दिखा दिया….. यह देख कर श्रुति एक दम चीख मर के रोहन को ऐसे ही पलंग में चोद कर दूसरी तरफ देखने लगी. उसका दिमाग एक दम झांजना गया था रोहन के लंड को देख कर. उसने अपनी जिंदगी में पहली बार किसी मर्द का लंड देखा था. श्रुति ने जल्दी से रोहन के ऊपर वो चादर डाली. वो कुछ देर ऐसे ही बैठी रही. उसके दिमाग में रही रही कर रोहन का लंड का नज़ारा घूम रहा था.


फिर वो अपने दिमाग को झटक कर अपना ध्यान कही और लगाने की कोशिश करने लगी. उसे अचानक ख्याल आया की रोहन की तरह वो भी पूरी तरह भीग चुकी थी. अगर वो भी अपने कपड़े नहीं बदलेगी तो वो बीमार पढ़ जाएगी. वो सोचने लगी के रोहन को ढकने के लिए तो उसे पलंग की चादर मिल गयी थी पर वो अपने कपड़े उतार कर फिर क्या पहनेगी. इसके सामने बिना कपड़े के भी नहीं रही सकती क्या पता इसे कब होश आ जाए. यही सब सोचते सोचते वो फिर से पूरे घर में कोई कपड़ा तलाश करने लगी ताकि उसे अपना टन ढकने के लिए कोई कपड़ा मिल जाए. मगर इतना ढूंढ़ने पर भी उसे कोई कपड़ा नहीं मिला तभी, उसकी नज़र अचानक बाहर वाले कमरे पर पढ़ी. उसने देखा की उस कमरे की खिड़की पर एक छोटा सा परदा लगा हुआ था. वो उस खिड़की की तरफ गयी तो उसने देखा की उस खिड़की पर जो परदा लगा हुआ था वो काफी छोटा था और वो उसका टन ढांकने के लिए नाकाफ़ी था. मगर श्रुति के पास इसके अलावा कोई चारा भी तो नहीं था. उसने आख़िर मान मसोसकर उस खिड़की पर लगा हुआ वो छोटा सा परदा खिच लिया. वो सोचने लगी के वो अपने कपड़े उतारकर सूखने के लिए डाल देगी और अंदर वाले कमरे के छ्हॉकट पर बैठ जाएगी ताकि अगर कभी रोहन की आँख खुले तो उसे आभास हो जाए और फिर वो उसे बाहर वाले कमरे में आने से रोक देगी ताकि वो उसे इस रूप में ना देख सके. यही सब सोचते हुए श्रुति ने अपने कपड़े उतारना शुरू कर दिया.. कपड़े उतारने के दौरान में श्रुति बार बार उसी कमरे और देख रही थी जहां रोहन बेहोश पढ़ा हुआ था. उसे डर था की कही वो होश में ना आ जाए और उसे कपड़े बदलते हुए ना देख ले. जब श्रुति ने अपने पूरे कपड़े उतार लिए तो उसने वही परदा जो खिड़की पर लगा हुआ था उसे अपने बदन पर लपेटने लगी. मगर वो परदा इतना छोटा था की श्रुति का पूरा बदन उसमें नहीं समा पा रहा था. फिर भी कैसे करके उस पर्दे से अपने बदन को ढँकने लगी, उस पर्दे को अपने बदन से लिपटाने के बाद ऊपर से श्रुति के आधे से ज्यादा चुचियां नुमाया हो रही थी और नीचे से उसकी पूरी झांगे दिख रही थी. वो परदा नीचे से सिर्फ़ उसकी चुत ही ढक पा रहा था. श्रुति ने एक बार सोचा की वो वापस से अपना कपड़ा पहेनले पर, ऐसा करने में उसे कोई समझदारी नहीं लगी क्योंकि उसके कपड़े पूरे गीले हो चुके थे और वापस से गीले कपड़े पहनने का मतलब था बीमार पढ़ना जो वो नहीं चाहती थी. श्रुति ने सोचा क्या फर्क पढ़ता है अगर वो उसका पूरा टन नहीं ढक पा रहा है क्योंकि यहां इस आदमी के अलावा है ही कौन. वो उसे उस कमरे से बाहर आने ही नहीं देगी तो किसे को उसको ऐसी हालत में देखने का सवाल ही नहीं पैदा होता. यही सब सोचने के बाद श्रुति ने अपनी ब्रा, पैंटी, जीन्स और रोहन की वो जॅकेट जो रोहन ने उसे दी थी पहनने लिए उसे भी सूखने के लिए डाल दिया. फिर उसे याद आया की रोहन के कपड़े भी तो गीले है अगर वो उसे सूखने के लिए नहीं डालेंगी तो वो भी गीले रही जाएँगे. मगर उसके लिए दिक्कत यह थी की ऐसी हालत में रोहन के कमरे में जाए कैसे. अगर वो ऐसे हालत में गयी तो कही उसकी आँखें ना खुल जाए.” मगर जाना तो पड़ेगा” सोचते हुए श्रुति अपने हाथ से अपने सीने को ढँकते हुए रोहन के कमरे में गयी और उसकी शर्ट, जीन्स को उठाने लगी की तभी उसकी निगाह रोहन की आंडरवेयर पर पढ़ी, और वो सोचने लगी के इसे उठाए की नहीं. उसने दो सेकेंड तक सोचा फिर उस आंडरवेयर को रोहन की शर्ट से पकड़ते हुए उठा लिया और उस कमरे से बाहर निकल गयी फिर सारे कपड़े सूखने के लिए डाल दिया. फिर श्रुति रोहन के कमरे के बाहर वाले दरवाजे की ओट लेते हुए इस तरह बैठ गयी के अगर रोहन जगह जाए तो उसे आभास हो जाए और वो रोहन को कमरे से बाहर आने पर रोक दे.

श्रुति….
Super update
 

ANUJ KUMAR

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(UPDATE-85)


नहीं कह सकता, लेकिन हां उनका मोबाइल जो आखिरी बार बंद हुआ था वो जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में हुआ था.” अतुल चतुर्वेदी ने बताया.

“जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क?? यह कैसे हो सकता है?? वह लोग तो नैनीताल के लिए निकले थे वहां कैसे पहुंच गये?” विजय कपूर ने हैरत से भरे लहज़े में कहा.

“इसमें इतना शॉकिंग वाली कोई बात नहीं विजय जी. जिम कॉर्बेट नैनीताल जाने के रास्ते में पढ़ता है. बच्चे है वो, हो सकता है अपना मूंड़ चेंज कर लिया होगा उन्होंने. नैनीताल जाने के बजाए वह जिम कॉर्बेट चले गये होंगे. “

“लेकिन यह तो बड़ा गज़ब हो गया…..!! आप तो जानते है में क्या कहना चाह रहा हूँ.”

“हां…..में समझ गया..आपका मतलब क्या है..वो नेशनल पार्क इस वक्त खतरे से खाली नहीं है. किसी जंगली जानवरो ने आतंक मचाया हुआ है वहां पर..”

“तो अब क्या होगा अतुल जी…कही मेरी बेटी श्रुति को कुछ…….”
“घबराइए नहीं विजय जी…बच्चों को कुछ नहीं होगा..में अभी अपनी एक टीम जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के लिए रवाना करता हूँ और में खुद वहां के फोरेस्ट डिपार्टमेंट वालो को फोन करके उन बच्चों के बारे में पता लगाने के लिए कहता हूँ..”

“आपका शुक्रिया अतुल जी….!!

“कैसे बातें कर रहे है विजय जी….इसमें शुक्रिया कहने वाली कोन से बात है. यह तो हमारा काम है.” फिर वह दोनों के कुछ और जरूरी बातें करने के बाद फोन डिसकनेक्ट कर दिए. विजय कपूर बेचैन हो गया था यह सुनकर की श्रुति और उसके दोस्त इस वक्त जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में हैं. कहा वो यह डर रहा था श्रुति के नैनीताल जाने पर की वो जंगल उस शहर के करीब में है, उस वक्त उसे यह डर था की हो सकता है उनमें से कुछ जानवर वहां पर भी चले जायें. लेकिन अब तो उसका डर दुगुना नहीं बल्कि कई गुना तरफ गया था क्योंकि वह उस जंगल के पास नैनीताल में नहीं बल्कि खुद उसी जंगल में थे. अब तो खतरा उन लोगों के ऊपर और तरफ चुका था.

“क्या कहा उस कमिशनर ने?” सौंदर्या ने विजय को फोन रखने के बाद गुमसुम देखा तो कहा. विजय कपोर ने जवाब में कुछ नहीं कहा, सिर्फ़ सौंदर्या को घूर कर देखा. उसे इस वक्त बहुत गुस्सा आ रहा था अपनी बीवी पर. क्योंकि यह सब उसी का किया धारा था. अगर वो पहले ही दिन से श्रुति से कॉंटॅक्ट करने की कोशिश करती तो यह नौबत नहीं आती. वह लोग उस वक्त कोशिश करते तो उसे ढूँढ सकते थे. लेकिन जो न्यूज उसने सुना था उसके बाद तो उसे भी खुद उम्मीद नहीं थी की श्रुति के साथ इस वक्त क्या हुआ होगा.


“क्यों पूंछ रही हो? आख़िर तुम्हारा हक क्या बनता है पूच्छने का? जब सब कुछ बिगाड़ लिया तो अब आई हो अपनी बेटी की ख़ैरियत जाने के लिए.” विजय ज़हर उगलता हुआ सौंदर्या से कहने लगा.

“विजय प्लीज़!!!!! यह सब बातों को अभी यह रहने दो. मुझे जल्दी से बताओ क्या कहा अतुल जी ने?” सौंदर्या ने विजय से विनती करते हुए कहा. विजय का मन कर रहा था की वो सौंदर्या को और खड़ी खोती सुनाए लेकिन वो जानता था की इन सब बातों का कुछ मतलब नहीं है. जो होना था वो तो हो चुका है अब उसे सिर्फ़ यही करना की जल्द से जल्द श्रुति को उस जंगल से निकाल ले. वो कुछ देर तक अपने दिमाग को शांत किया फिर सौंदर्या को वो बताने लगा जो उसे अतुल चतुर्वेदी ने कहा था. फिर उसके बाद सौंदर्या की भी वही हालत हो गयी थी जो विजय की थी इस वक्त.

“विजय !! चलो अभी और इसी वक्त उसी पार्क में. हमें कुछ ना कुछ करना होगा, पता ना हमारी श्रुति इस वक्त किस हाल में होगी.” कहते हुए सौंदर्या रोने लगी. सौंदर्या को रोता देख विजय का दिल भी पिघल गया. वो यही सोचने लगा की सौंदर्या जैसे भी है श्रुति की मां है. आज श्रुति तक़लीफ़ में है तो एक मां का दिल टूट गया है. वो एक मां का दिल नहीं दुखाना चाहता था. यही सब सोचकर उसने आगे बढ़कर सौंदर्या को गले लगा लिया और उसे दिलासा देने लगा. फिर उसके बाद वह लोग जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क की और निकल पढ़े. सिर्फ़ वह दोनों ही नहीं बल्कि और पेरेंट्स के यह जाने के बाद की उनके बच्चे आखिरी बार जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में पा गये थे उस और के लिए चल पढ़े.

परवेज़ भूखा प्यासा अकेला चला जा रहा था. उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या करे. वो और सुशांत और उनकी टोली निकले थे ढूंढ़ने रोहन को लेकिन खुद ही एक एक करके उस आदमख़ोर दरिंदो का शिकार हो गये थे. अब उन सबमें अकेला परवेज़ ही बच्चा था. उसकी हालत इस वक्त एक दम खराब थी. भूखा प्यासा वो उस आदमख़ोर दरिंदो से बचता बचाता हुआ अपनी मंजिल तलाश कर रहा था. लेकिन उसके साथ में भी वही परेशानी हो गयी थी जो रोहन और श्रुति के साथ में थी. वो भी रास्ते से भटक गया था. खैर, फिर भी जल्द से जल्द अपनी मंजिल…
Super update
 

Killerpanditji(pandit)

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(UPDATE-01)
“आबे अरविंद देख के चल, मरवाएगा क्या? एक तो साला यहां इतना अंधेरा है की कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा है…..और तू है की धक्का दे रहा है.” कहते हुए संजय ने कहा….”संजय सर! में खुद अंधेरे की वजह से पत्थर नहीं देख पाया जिसके वजह से मेरा पैर लड़खड़ा गया…सॉरी सर! “ अरविंद ने कहा…”चल जाने दे कोई बात नहीं…..अभी तो फिलहाल उस बंदर पे ध्यान लगाना पड़ेगा, साला पता नहीं कहा भाग गया है…वक्त रहते अगर नहीं ढूँढ पाए तो मुसीबत हो जाएगी और विक्रम सर हमारी जान ले लेंगे वो अलग”.”डोंट वरी सर, पहले भी उस बंदर ने ऐसा कर चुका है…..कितना दूर गया होगा, मिल जाएगा…..” अरविंद ने कहा. “वो तो ठीक है पर मुझे डर लग रहा है की साले पर पता नहीं क्या असर हुआ होगा उस इंजेक्शन का…कहीं कोई साइड एफेक्ट ना हो जाए”….संजय ने कहा…”वो तो है सर. सर! क्या लगता है आपको यह जो एक्सपेरिमेंट है विक्रम सर का क्या कामयाब हो पाएगा?” “अब तो तब पता चलेगा जब बंदर को ढूंढ. लेंगे और उसे पिंजरे में बाँध करेंगे और सुबह तक वेट करेंगे की क्या उस पर उस केमिकल का रिएक्शन हुआ है. फिर उसके बाद विक्रम सर आएँगे और टेस्ट करेंगे की उनका एक्सपेरिमेंट कितना सक्सेस्फुल हुआ है, समझे? लेकिन उससे पहले हमें उस कमबख्त बंदर को ढूंढ़ना होगा वरना कल हमारी खैर नहीं है.” संजय ने कहा…. अरविंद और संजय जो एक साइंटिस्ट विक्रम के यहां पर उनके असिस्टेंट के तोर पर काम करते थे….विक्रम थोड़ा सनकी किस्म का साइंटिस्ट था जो अजीब अजीब तरह के एक्सपेरिमेंट किया करता था. जब उसका कोई प्रयोग कामयाब हो जाता था तो वो उसे ब्लैक मार्केट में बेच देता था . कभी कभी उसेक प्रयोग का असर उल्टा पढ़ जाता. जिसकी वजह से उसे आगे कोई प्रयोग करने पर बन लग चुका था. पर विक्रम रुकने वाला नहीं था वो सब से च्छूपाते अपने फार्म हाउस पर जो की एक जंगल के करीब बना हुआ था अपने दो असिस्टेंट के साथ किसी केमिकल का प्रयोग कर रहा था. और इस बार उसने अपने प्रयोग के लिए एक बंदर पर प्रयोग कर रहा था.उसका कहना था की अगर यह टेस्ट कामयाब हो जाएगा तो ब्लैक मार्केट में इसे हाथों हाथ लिया जाएगा . पर उसे क्या पता था की जो सुनहरे ख्वाब वो देख रहा है क्या वो पूरा भी होगा. क्योंकि जो टेस्ट वो कर रहा था उस बंदर पर उसका असर कुछ उल्टा ही दिखाई दे रहा था. वो एक छोटा सा बंदर था जिस पर ना जाने कितने ही केमिकल टेस्तकिए गये थे अचानक….वो अपने ऊपर किए गये इतने ढेर सारे टेस्ट से कुछ विचलित हो रहा था. वो बार बार अपने पिंजरे में उछल कूद करता और फिर पेट के बाल लेट जाता. उसे अपने अंदर कुछ परिवर्तन सा महसूस होने लगा था. उसे ऐसा लगने लगा था जैसे उसके अंदर एक नयी शक्ति का संचार हो रहा है और फिर वो पिंजरे के दरवाजे को पकड़ पकड़ कर पीट रहा था. उसे ऐसा लगने लगा था जैसे उसके अंदर उस पिंजरे के दरवाजे को तोड़ने की ताक़त हो और वो उसे तोड़ सकता है….बस वो एक पल भी नहीं रुका और उस पिंजरे का दरवाजा तोड़ कर बाहर कूद पड़ा और यहां वहां देखने लगा. फिर अचानक उसे लब की कीडखी दिखाई दी और वही से नीचे कूद के पेड़ों के सहारे वहां से भाग गया.


जब विक्रम उस रात अपना प्रयोग को खत्म करने के बाद जब सोने गया था तो उसे यह पता नहीं था तो उसकी गैर मौजूदगी में वहां उस लब में क्या घटित हुआ था. संजय और अरविंद की जिम्मेदारी थी लॅप को देखने की…. पर उस दिन दोनों को तलब लगी हुई थी शराब पीने की और….वो दोनों जब शराब के नशे में जब चोद थे तब जिस बंदर पर उन्होंने केमिकल का टेस्ट किया हुआ था जो की एक पिंजरे में कैद था, ना जाने कैसे पिंजरे का दरवाजा तोड़ के भाग गया थाई था.इन दोनों का खबर तब हुई जब संजय शराब के नशे में चोद था, फिर उसे सौचाले जाने की तलब हुई, पर लब के बाथरूम में ना जाकर वो शराब के नशे में चोद होकर वो बाहर इतनी सर्दी में पेशाब करने गया….जब संजय पेशाब कर रहा था तो उसे किसी चीज़ के पेड़ पर किसी के चढ़ने से पत्तो की आवाज़ आई, वैसे तो वो शराब के नशे में चोद था पर उसे इस बात का एहसास था की कोई चीज़ लब की खिड़की से पेड़ पर कूदी है पर वो क्या है यह तो उसे वही जाकर मालूम पड़ेगा…..उसने जल्दी जल्दी अपनी पेशाब खत्म की और फिर भाग कर लब की खिड़की के नीचे जाकर देखने लगा की आख़िर माजरा क्या है, पर उसने जब देखा की उस लब की खिड़की से पेड़ पर जो चीज़ कूदी थी वो कोई और नहीं बल्कि वही बंदर था जिसपर वो लोग केमिकल का टेस्ट कर रहे थे. वो बहुत घबरा गया था और चाहा की झट….
Badhiya hai bhai Update
 

Killerpanditji(pandit)

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{UPDATE-02}
से जाकर बंदर को पकड़ ले, पर वो ऐसा नहीं कर पाया की क्योंकि उसके वहाँ जाने से पहले ही बंदर वहां से झाड़ियों के बीचो बीच भाग चुका था. संजय ने चाहा की वो भी उन्हीं झाड़ियों में जाकर देखे पर उसे ऐसा करने में खतरा लग रहा था. एक तो इतना घना जंगल, ऊपर से उसके पास इस वक्त ट्रांक्विललाइज़र गुण ( जिससे जानवरो को बेहोश किया जाता है.) नहीं थी जिससे वो बंदर को पकड़ के बेहोश कर सके. वो फौरन लब के अंदर भागा और जाकर अरविंद को सारा घटनाक्रम बताया और उसे अपने साथ चलने को कहा….अरविंद भी संजय के साथ चलने को तैयार हो गया. इस बीच संजय ने टूल्स रूम में ट्रणक़ुल्लिसेर्ट गुण और टॉर्च लेने आ गया .फिर उन्होंने उस बंदर की तलाश में उस घनी झाड़ियों के पीछे भाग लिए

पर उन्हें क्या मालूम था की जिस बंदर की खोज में वो दोनों निकले है, जिसके ऊपर उन लोगों ने ना जाने क्या क्या टेस्ट किए है वो अब एक आम सा दिखने वाला बंदर नहीं रहा था . वो अब एक खूणकार जानवर बन चुका था. अरविंद और संजय उस बंदर को ढूंढ़ते ढूंढ़ते काफी आगे आ चुके थे और इसी वक्त उन्हें एक खूणकार, जहरीली आँखें देख रही थी. उसे अपने अंदर एक नयी शक्ति प्रतीत हो रही थी, उसे ऐसा लग रहा था की वो अब एक आम सा एक डाल से डाल पर कूदने वाला जानवर नहीं था, बल्कि उसे अपने अंदर एक वहशी दरिंदे जैसे शक्ति का आभास हो रहा था. वो देख रहा थे उन दो व्यक्तियों को जिन्हो ने उस पर ना जाने कितने अत्याचार किए थे अब उसके अंदर एक बदले की भावना के साथ साथ इंसानो का खून पीने भावना भी जगह रही थी. पूरा नरभक्षी बनने को तैयार थे वो जो कभी एक आम सा जानवर हुआ करता था.


इधर अरविंद को अचानक कुछ दिखाई देता है, कुछ लाल लाल जैसा. वो तिथक जाता है और संजय को रोक के कहता है “सर! एक मिनट रुकिये मैंने वहां कुछ देखा है अभी.” क्या? क्या देखा तूने? संजय ने कहा.
“सर मैंने कुछ लाल लाल जैसा देखा जैसे कोई लाल रोशनी हो.” अरविंद ने जवाब दिया.
“लाल रोशनी? तेरा दिमाग खराब है अभी यहां कौन रोशनी जलाएगा? संजय ने उसी तरफ जाते हुए कहा जहां अरविंद ने उसे इशारा किया था.
“सर संभाल कर जाए शायद कही कोई खतरा ना हो.” अरविंद ने फ़िक्रमंद होते हुए कहा.
“अरे देखना तो पड़ेगा ही ना की तूने वहां क्या देखा. लाल रोशनी जैसा क्या हो सकता है? शायद कोई लेज़र लाइट जलाया होगा. पर इतनी रात को और इस घने जंगल में यहां कौन आएगा? वैसे तू अपनी गुण के साथ अलर्ट रहना देखे तो सही वहां क्या है.” संजय ने कहा और उस झाड़ी के झुर्मुट में आगे बढ़ता गया. अचानक उसे कुछ आवाजें आने लगी जैसे कोई बहुत सूखे हुए पत्तो पर चल रहा हो. वो सोच में पढ़ गया की यहां कौन हो सकता है. पर जब वो उस चीज़ को अपने सामने देखता है तो उसके तो पूरे होशो हवास उड़ जाते है. वो देखता है जैसे उसके सामने कोई बालों से भरा हुआ कोई जानवर खड़ा है, दिखने में तो उसकी शक्ल बंदर जैसे ही पर उसका कद बंदारो जैसा नहीं बल्कि उसी के ही कद का या फिर उससे ही बड़ा है.
और उसकी आँखें…आँखें नहीं लग रही थी जैसे वो दहाकता हुआ लावा हो जिसे अरविंद लाल रोशनी समझ रहा था वो उसकी यह भयानक आँखें थी. उसे देख कर उन दोनों के तो होश ही उड़ गये थे फिर भी अरविंद ने हिम्मत कर के बोला “सर यह….कक्ककया…. है? इतना भयानक जीभ मैंने अपने पूरे जिंदगी में भी नहीं देखा .”
“आबे तो मैंने देखा है क्या? पर यह आया कहा से? इसकी शक्ल तो बंदर जैसी लग रही है. यह किस टाइप का बंदर है.” कहते हुए संजय ने कहा. “सर! कही यह वही बंदर तो नहीं जिसकी तलाश में हम भटक रहे है? कही विक्रम सर का एक्सपेरिमेंट की वजह से इसको तो कुछ नहीं हुआ?” डरते हुए अरविंद ने कहा.
“ ओह हां! ऐसा ही है, उसी एक्सपेरिमेंट की वजह से इस पर कुछ उल्टा रिएक्शन हुआ होगा. तू जल्दी से अपनी गुण रेडी रख हमें इसे बेहोश करना है, और जीतने भी डार्ट्स है गुण में सब इस पर झोंक डाल वरना कही लेने के देने ना पड़ जाए.” पर लेने के देने तो पहले से पड़ ही चुके थे क्योंकि उस वहशी बंदर ने उन दोनों को अपने सामने पकड़ और खूनकर हो चुका था. उन्हें गुण चलाने के नौबत ही नहीं आई क्योंकि उससे पहले ही वो दरिन्दा लंबी लंबी छलांग मारता हुआ उन पर एक झटके में झपट पड़ा और अपने छ्छूरी से भी तेज नाख़ूने से उन दोनों को चियर फाड़ डाला. जब उन दोनों का दम निकल गया तो वो उन दोनों का खून पीने लगा और खून के पीने बाद उसे बहुत सुकून मिला जैसे कितने बरसों का प्यासा था. फिर उसके बाद वो उन….
Nice update bro
 

Killerpanditji(pandit)

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{UPDATE-03}

लाशों का पूरा माँस कहा गया. सिर्फ़ हड्डी ही बची थी. जब उसने अपना भोजन खत्म कर लिया तो एक लंबी दहाड़ उसने लगाई के जैसे अगर वहां कोई शेयर भी आ जाता तो वो भी डर जाता…..फिर वो निकल पड़ा अपने और शिकार के लिए क्योंकि वो खून च्चक चुका था…अब एक आम बंदर नहीं बल्कि एक आदमख़ोर बंदर बन चुका था, एक दरिन्दा, एक हैवान जिसे अगर रोका नहीं गया तो कोहराम मच जाएगा…

सुबह विक्रम की आँख ज़रा देर से खुली, उसने घड़ी पे देखा तो 9 बज रहे थे. उसे बड़ी हैरत हुई वो इतना देर कैसे और इतनी गहरी नींद में कैसे सोता रही गया की उसे टाइम का कुछ होश ही नहीं था, क्योंकि विक्रम टाइम का बहुत पड़ा पाबंद था. हर काम वो टाइम पे करने का आदि था. फिर उसने सोचा की वो पिछले तीन रातों से सोया नहीं था शायद इस वजह से उसे इतनी गहरी नींद आ गयी होगी.
फिर उसने सोचा कोई बात नहीं जब आँख खुले तभी सवेरा और भरपूर नींद लेने की वजह से उसे थकान का एहसास भी नहीं हो रहा था. यही सब सोचते हुए बाथरूम में फ्रेश होने के लिए जाने लगा और अपने नौकर से कहा की जल्दी से उसका नाश्ता लगा दे.

नाश्ता करने के बाद फिर वो अपनी लब के निकल पड़ा. उसका लब उसके बंगलों के पीछे एक बाऔग था, और उस बाऔग को पार करने के बाद एक मंज़िला घर था, उसी में उसने अपना लब बनाया हुआ था. जब विक्रम लब से थोड़े ही दूरी पे था तो उसे कुछ अजीब लगा, क्योंकि उस का मैं दरवाजा खुला हुआ था. ऐसा कभी नहीं होता था क्योंकि विक्रम की सख्त आदेश था अरविंद और संजय को की चाहे कुछ भी हो जाए हम तीनों के अलावा यहां कोई नहीं आना चाहिए. वो नहीं चाहता था की इस बात का किसी को पता चले की वो यहां चोरी चोरी एक लब में किसी प्रकार का प्रयोग कर रहा है और वहां एक बंदारो पे कुछ एक्सपेरिमेंट भी कर रहा है.


जब उसने देखा की लब का मैं दरवाजा खुला हुआ है तो वो घबरा गया और अंदर की तरफ भागा और संजय और अरविंद को आवाजें देने लगा. जब उसे उन दोनों की कोई खबर नहीं मिली तो उसे उन दोनों पर बहुत गुस्सा आया. वो मान ही मान बड़बड़ाने लगा. “साले कहा मर गये दोनों हराम खोर….कुत्तों का कही कुछ पता नहीं है. कही साले फिर से तो नहीं दारू पी के कही पड़े होंगे.” उसने फिर से उन दोनों को आवाजें दी. फिर वो मैं लब की तरफ भागा जहां वो अपना एक्सपेरिमेंट कर रहा था. पर वहां देख के तो उसके होश ही उड़ गये. उसने देखा की जिस बंदर पर वो किसी केमिकल का टेस्ट कर रहा था वो बंदर अपने पिंजरे से गायब है और उस पिंजरे का दरवाजा भी खुला है. वो एक दम से घबरा गया की यह आख़िर ऐसा कैसे हो गया. उसके दोनों असिस्टेन्स का भी कुछ पता नहीं है, बंदर भी गायब है. उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की वो कहा उन्हें ढूँढे. फिर उसके मान में ख्याल आया की कही उनके साथ कुछ बुरा तो नहीं हुआ है, वो दोनों कितने भी नशेड़ी थे पर यूँ इतनी बड़ी लापरवाही उन्होंने कभी नहीं की थी.

फिर उसने तय किया की वो उन्हें बाहर जाकर ढूंढ़ने की कोशिश करेगा. फिर वो उस इमारत से बाहर आ गया और उस इमारत के पिछवाड़े में उन्हें तलाश करने की कोशिश करने लगा. वहां भी उसे उन दोनों का कुछ भी पता ना चला तो उसने की आख़िर यह दोनों कहा गये होंगे. फिर वो उस इमारत के बाहर आकर उन्हें तलाश करने की कोशिश करने लगा की तभी उसके निगाह इमारत के बाईं और झाड़ियों पर पड़ी. उसके मान में ख्याल आया की वो उन्हें वहां उस झाड़ियों में जाकर तलाश करना चाहिए. पर वहां अकेले जाने में खतरा है इसलिए उसने सोचा कुछ हथियार अपने साथ ले लेता हूँ. और यह सोचकर वो स्टोर रूम की तरफ रुख किया. जब उसने स्टोर रूम के अंदर एंट्री किया तो उसे शॉक लगा के यहां पर दो ट्रांक्विललाइज़र गुण गायब है. “ओह कही ऐसा तो नहीं की वो बंदर वो बंदर अपने पिंजरे से भाग गया होगा तो वो उसे पकड़ने गये होंगे.” विक्रम सोचने लगा. उसने भी तय किया की वो उस जंगल में जाकर देखेगा की आख़िर माजरा क्या है . फिर उसने भी वहां से एक ट्रांक्विललाइज़र गुण उठा ली और लब के बाहर आने के बाद उसका मैं दरवाजा अच्छे से बंद कर लिया और उस जंगल की तरफ रुख कर लिया.
बहुत देर उन्हें ढूँदने के बाद भी उसे उन दोनों का कुछ सुराग नहीं मिला तो उसके मान में अजीब अजीब से ख्याल आने लगे की कही उन दोनों के साथ कूह बुरा तो नहीं हुआ है. और इसी सोच में डूबा हुआ वो जब आगे तरफ रहा था तब अचानक उसके कदम तिटक गये. उसने देखा की कुछ खून की….
Mast update bro
 
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