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Fantasy THE DARKNESS RISING [Completed]

Killerpanditji(pandit)

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(UPDATE-96)


देखने लगी. विजय ने भी खड़े उचकाकर इस बात का इशारा दिया की उसे भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.
“मामा, पापा, रोहन!! अगर में आज आप लोगों के सामने ज़िंदा हूँ तो सिर्फ़ उसी की वजह से.”
“यह तुम क्या कह रही हो श्रुति? जिसने तुम्हारा किडनॅप किया तुम उसी के लिए कह रही हो की उसने तुम्हारी जान बाचाई. यह तो अच्छा हुआ हम सब समय रहते हुए वहां पहुंच गये. वरना वो कमीना तुम्हारा साथ और क्या करता.” विजय ने कहा.
“आपको किसने कहा की उसने मेरा किडनॅप किया था? और वैसे वो है कहा इस वक्त?” श्रुति ने कहा. सौंदर्या और विजय एक दूसरे को अजीब सी नज़रो से देखने लगे. उनको कुछ ना बोलता देख श्रुति थोड़ा चिंचित होते हुए फिर से कहने लगी.
“मामा! पापा! आप लोग कुछ बोलते क्यों नहीं कहा है रोहन…..और उसका दोस्त परवेज़ वो कहा है?” अपनी बेटी को उनके बारे में इतना चिंचित होते हुए देख कर वह भी थोड़े चिंतित हो गये. यह देखकर सौंदर्या , श्रुति से कहने लगी.
“श्रुति? तुम उन दोनों को लेकर इतना क्यों टेन्शन में हो?”
“मामा प्लीज़………..पहले मुझे बताओ रोहन इस वक्त कहा है?” श्रुति एक दम बेक़ारारी से कहने लगी
“वह दोनों इस वक्त पुलिस की गिरफ्त में है.” विजय ने कहा.
“क्या कहा!! पुलिस की गिरफ्त में? पर क्यों??” श्रुति एक दम से व्याकुल होते हुए कहा. अब उन दोनों को श्रुति को संभालना मूसखिल हो रहा था क्योंकि वो अब अपने आपे से बाहर हो रही थी. फिर काफी देर बाद उन दोनों ने बड़ी मुश्किल से उसे काबू में किया और उसके बाद विजय और सौंदर्या ने बारे आराम से उसे बताया की कैसे उन दोनों को पता चला की श्रुति इस जंगल में है और कैसे छाया के जरिए उन्हें यह पता चला की रोहन और परवेज़ उसे और उसके दोस्तों को किडनॅप किया था. जब श्रुति को यह पता चला की छाया ज़िंदा है तो पहले उसे बड़ी हैरत हुई यह की वो कैसे उन दरिंदो से बच गयी. फिर उसे वो बातें याद आने लगी जो रोहन ने उसे बताया था जो छाया और उसके दोस्त उसके साथ मिलकर करने वाले थे. फिर वो यह सोचने लगी के एक तो रोहन और परवेज़ पर पहले से ही फोरेस्ट ऑफिसर्स की नज़र थी और उसके बाद छाया की वजह से उन्हें यह भी पता चल गया की वह दोनों अब किडनॅपिंग में भी शामिल थे. इसका मतलब अब उन दोनों पर अब डबल चरगेशीट लगेगा. एक तो उनके पोचेर्स होने का और दूसरे किडनॅपिंग का. अब वो बजाए जज़्बाती होने वो यही सोच रही थी के उनको बचाया कैसे जाए. सबसे पहले उसने यह काम किया की छाया और उसके दोस्तों का जो प्लान था उसके खिलाफ उस बारे में उसने किसी से उसका जिक्र करना अभी ठीक नहीं समझा. वो चाहती थी की यह बात डायरेक्ट छाया से की जाए. और फिर यही सब सोच कर वो एक प्लान करने लगी.

फिर उसके 4 दीं बाद,
रोहन और परवेज़ जेल की काल खोत्री में कैद थे. जहाँ पर रोहन अपने और श्रुति के रिश्ते के बारे में सोच रहा था. वो सोच रहा था की वो और परवेज़ क्या करने आए थे इस जंगल में और क्या हो गया उनके साथ में. वह दोनों तो यही सोचकर आए थे की की आखिरी बार एक बड़ा हाथ मारेंगे और फिर उसके बाद इस धंधे को चोद वह एक इज्जत की जिंदगी जियेंगे. लेकिन उनके साथ क्या हो गया. पहले वह दोनों फोरेस्ट ऑफिसर्स से च्चिपने के लिए श्रुति और उसके दोस्तों की किडनॅपिंग की , फिर उसके बाद उन भयानक जानवरो से उनका सामना हुआ, फिर उसके बाद उसे प्यार हो गया वो भी उस लड़की के साथ जिसे उसने ही किडनॅप किया था और अब उसकी यह गिरफ्तारी. फिर वो सोचने लगा की यह तो होना ही था. देर सवेर उसे इन लोगों के हाथ तो लगना ही था. लेकिन अब समस्या यह थी अब उसे श्रुति से प्यार हो गया था और वो उसके बिना एक पल भी जिंदगी जीने का तसवउर भी नहीं कर सकता था. फिर उसने यह सोचा की चलो एक तरह से यह अच्छा ही हो गया क्योंकि अगर वो श्रुति के साथ भी रहा तो क्या जिंदगी देगा उसे. क्योंकि वो जानता था की श्रुति ऊंचे महलो वाली लड़की है, वो उसे गरीबी के अलावा कुछ नहीं दे सकता था. वो और भी यह बातें सोचता रहा की तभी अचानक उसकी काल खोत्री का दरवाजा खुला और एक हवलदार अंदर आया और उन्हें बताने लगा.
“बाहर चलो. तुम दोनों की ज़मानत हो गयी है.” उन दोनों के कानों को तो विश्वास ही नहीं हो रहा था की वह दोनों अभी अभी क्या सुने है. उन्हें बड़ा आश्चर्य हो रहा था की भला उनकी ज़मानत कौन करा सकता है. फिर वह दोनों जब बाहर निकले तो उन्हें एक महिला दिखी जिसने उन दोनों की ज़मानत करवाई थी.
“तुम दोनों अब जा सकते हो. लेकिन याद रखना आज के बाद यह काम किए तो काफी महँगा पड़ेगा.” उस थाने के इंचार्ज….
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Killerpanditji(pandit)

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(UPDATE-97)


ने कहा.फिर वो महिला उन दोनों के पास आई और उन दोनों से कहा.
“मेरे साथ ज़रा बाहर आओ.” फिर उन दोनों ने वैसा ही किया जैसा उस महिला ने कहा था. बाहर आकर वो महिला फिर उनसे कहने लगी.
“जानते हो में कौन हूँ?” रोहन और परवेज़ पहले एक दूसरे को देखे फिर उस महिला की तरफ देखते हुए कहा.
“नहीं हम नहीं जानते. कौन है आप और हमारी ज़मानत क्यों कराईए आपने.” रोहन ने कहा.
“अपनी बेटी से मजबूर होकर मैंने तुम दोनों की ज़मानत कराई है.”
“में कुछ समझा नहीं.” रोहन ना समझने वाले अंदाज़ में कहा.
“मतलब यह की में श्रुति की मां हूँ. और उसी की वजह से मुझे मजबूर होना पड़ा.” रोहन और परवेज़ को हैरत होने लगी की आख़िर श्रुति की मां उन दोनों की ज़मानत क्यों कराएगी.
“बड़ी बदकिस्मती की बात है मेरी बेटी तुम जैसे लफंगे से प्यार करने लगी है. पता नहीं तुमने उसपर क्या जादू कर दिया है. एनीवे उसी की वजह से तुम दोनों के ऊपर से किडनॅपिंग के चार्जस हटाए गये है. इसलिए तुम दोनों की ज़मानत आराम से हो पाई है. मेरा बस इतना कहना है की अब तुम्हें यह जो
नयी जिंदगी मिली है उसे ढंग से जियो और जितनी जल्दी हो सके श्रुति के दिल से और इस शहर से हमेशा हमेशा के लिए चले जाओ.”
“में एक बार श्रुति से बात करना चाहता हूँ.” रोहन ने कहा.
“कोई जरूरत नहीं है इसकी. और वैसे भी क्या बात करोगे. तुम जाओगे और उससे मीठी मीठी बातें करोगे और वो फिर से पिघल जाएगी. वो तो अभी नादान है, नहीं समझती है इन बातों को की तुम्हारे साथ रहकर वो क्या करेगी. लेकिन तुम तो समझते हो ना. अगर तुम उससे सच्चा प्यार करते हो तो क्या तुम यह बर्दाश्त कर सकोगे की वो महलो से निकल कर तुम्हारे साथ गरीबी की जिंदगी गुजरे. बेहतर यही होगा की तुम अभी और इसी वक्त यहां से निकल जाओ.” कहने के साथ ही सौंदर्या अपनी गाड़ी में बैठ गयी.
“अब क्या करेगा रोहन?” सौंदर्या के जाने के बाद परवेज़ ने रोहन से कहा.
“वो ठीक ही कह रही है परवेज़. मेरे साथ रहकर श्रुति का कोई भाविशया नहीं है. वो जहां है वही उसे रहने देना चाहिए. तू एक काम देहरादून चलने की तैयारी कर वही जाकर अब हम कोई दूसरा काम देखेंगे.” रोहन ने कहा.


श्रुति गुमसुम सी अपने कमरे में बैठे हुई थी. वो इतनी बड़ी मुसीबत से और इतने भयानक जंगल से निकल कर आई थी यह सोचकर उसे खुश होना चाहिए था. लेकिन हो रहा था उसके उलट. वो सोच रही थी भले ही भी उस भयानक जंगल और उन दरिंदो के बीच घिरी हुई थी, लेकिन उसे फिलहाल वही अच्छा लग रहा था क्योंकि उस वक्त उसके साथ उसका महबूब रोहन था. वो सोच रही थी की भले ही वो कितनी भी बड़ी परेशानी में थी लेकिन वो रोहन से कितनी प्यार बातें किया करती थी. यही वो वक्त था जहाँ अपने सपने वाले शहज़ादे से मिली थी. उसे तो रोहन अब अपने सपने वाले शहज़ादे से भी प्यारा लग रहा था. उसका बहुत मन कर रहा था अपने रोहन से दोबारा मिलने का, लेकिन वो मजबूर थी. क्योंकि उसकी मां सौंदर्या को रोहन पसंद नहीं था और उसने धमकी दी थी की अगर उसने रोहन से कोई रिश्ता नहीं थोड़ा तो वो रोहन और परवेज़ को और बुरी तरह फंस्वाकार उन्हें लंबे समय के लिए जेल की हवा खिलवाएगी. श्रुति ऐसा बिलकुल भी नहीं चाहती थी की उसका महबूब जेल की सलाखों के पीछे अपनी उमर गुज़ारे. वो यही सोच रही थी की रोहन से दूर होने में ही उसकी भलाई है क्योंकि कम से कम वो भले ही तक़लीफ़ में रहे लेकिन रोहन आज़ाद होकर अपनी जिंदगी दोबारा से शुरू कर सकता है और इसके अलावा उसके ऊपर उसके परिवार की ज़िम्मेदारिया भी है. यही सब सोचकर उसने रोहन से दूर रहना ही बेहतर समझा. फिर काफी देर श्रुति यही सब बातें सोचती रही की तभी उसकी सोच का सिलसिला तब टूटा जब उसके कमरे में प्रवेश होती अपनी मां को उसने देखा. वो झट से अपनी जगह से उठी और अपनी मां के पास जाते हुए कहा.
“क्या हुआ मामा? उन्हें ज़मानत मिली?”
“हां मिली. और मैंने रोहन से कह दिया है की वो तुम्हारे जिंदगी से और इस शहर से दूर चला जाए. और आज के बाद तुम भी उससे कोई कॉंटॅक्ट करने की कोशिश नहीं करोगी. क्योंकि तुमने मुझसे वादा किया था की अगर में उन्हें ज़मानत दिलवती हूँ तो तुम उसे भूल जाओगी. वरना तुम भी अच्हसे से जानती हो की वह दोनों कितनी बड़ी मुश्किल में पढ़ने वाले थे.” सौंदर्या ने कहा.
“ओके……मामा….जैसा आप कहें……वैसा ही होगा.” श्रुति ने रोते हुए कहा. श्रुति को रोता देख सौंदर्या को थोड़ा एहसास हुआ की उसे इतने खातोर् लहज़े में बात नहीं करनी चाहिए थी इसलिए वो थोड़ा नर्म पढ़ते हुए बोली.
“देखो बेटी बुरा मत मना, में तुम्हारे भले की लिए बोल रही हूँ. रोहन के साथ जिंदगी गुजार कर तुम्हारा कोई फ्यूचर नहीं था. खुद रोहन भी इस बात को समझ गया है….
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Killerpanditji(pandit)

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क्योंकि मैंने उसे और उसके दोस्त को रेलवे स्टेशन की तरफ जाते हुए देखा था. क्योंकि वो जानता है की तुम अभी नादान हो. तुम्हारे आगे पूरी जिंदगी पढ़ी है. तुम कहा उसके साथ रहकर गरीबी की जिंदगी गुज़रगी.” लेकिन जवाब में श्रुति ने कुछ नहीं कहा बस जाकर अपने बेड के ताक़िए से अपना मुंह छुपा कर ज़ोर ज़ोर से रोने लगी. यह देख कर सौंदर्या उसके करीब जाकर उसे दिलासा देने लगी. उसे श्रुति का रोना नहीं देखा जा रहा था आख़िर वो मां जो ठहरी. लेकिन उसे यह नहीं मालूम था की श्रुति और उसके बीच अभी जो बातचीत हुई उसे दरवाजा पर खड़ा विजय ने सुन लिया था.
“सौंदर्या!! यह तुम क्या कर रही हो. फिर से अपनी बेटी की जिंदगी तबाह करने पर तुली हुई हो.” पहले तो विजय को यूँ अचानक देखकर सौंदर्या थोड़ा घबरा गयी, फिर संभालते हुए कहा.
“यह तुम क्या कह रहे हो विजय? में इसकी जिंदगी संवारने की कोशिश कर रही हूँ और तुम कह रहे हो की में तबाह कर रही हूँ?” लेकिन विजय, सौंदर्या की किसी बात का जवाब ना देते हुए श्रुति के करीब जाकर उसका खंडा पकड़ उसे उठाने लगा. फिर उसने देखा की श्रुति का रो रो के बुरा हाल था.
“देखो सौंदर्या इसकी आँखों में देखो. क्या तुम्हें इस पर रहम नहीं आता. तुम्हें क्या लगता है तुम रोहन को इससे दूर करोगी तो क्या यह खुश रही पाएगी. नहीं!! जीते जी यह मर जाएगी क्योंकि यह उससे सच्चा प्यार करने लगी है. और में अपने बेटी के जज़्बात का पूरा सम्मान करता हूँ. मेरी बेटी ने जिंदगी में पहला कोई काम अच्छा किया है. मुझे फख्र है अपनी बेटी पर और मुझे उम्मीद है रोहन पर की वो मेरी श्रुति को जिंदगी भर खुश रखेगा क्योंकि अगर श्रुति हमारे सामने है तो सिर्फ़ रोहन की मेहरबानियो की वजह से.”
“यह तुम क्या कह रहे हो? उसने कोई एहसान नहीं किया है इस पर क्योंकि वो इसी की वजह से उस जंगल में फाँसी थी. यह तो उसका फर्ज था जो उसने इसकी जिंदगी बचाई है.” सौंदर्या ने कहा.
“ सौंदर्या तुम्हें पूरी बात मालूम नहीं है इसलिए तुम ऐसा कह रही हो लेकिन जब तुम बाहर गयी हुई थी तब श्रुति ने मुझे सारी बात बताई. रोहन ने उसे उस उन दरिंदो से ही नहीं बल्कि उसके दरिंदे दोस्तों से भी बचाया है.” विजय ने बताया.
“इसके दोस्तों से!! में कुछ समझी नहीं तुम क्या कह रहे हो विजय.” फिर विजय ने उसे पूरा घटनाक्रम बताया की कैसे उसके दोस्त उसे बहका कर फ़ायरवेल्ल पार्टी के लिए उसके साथ क्या करना चाहते थे फिर कैसे रोहन ने उन लोगों का किडनॅप करके श्रुति को उन लोगों से बच्चा लिया था. पूरी बात सुन कर सौंदर्या का दिमाग एक दम से चकरा गया. वो सोच भी नहीं सकती थी श्रुति के दोस्त इतनी नीच भारी हरकत भी कर सकते थे.
“विजय हमें उनके खिलाफ एक्शन लेना चाहिए. वह ऐसा कैसे कर सकते है हमारी बेटी के खिलाफ.”
“नहीं मामा इसकी कोई जरूरत नहीं है. और वैसे भी किसके खिलाफ एक्शन लेंगे क्योंकि सिर्फ़ छाया के अलावा अब कोई ज़िंदा नहीं बच्चा है. उन सभी को अपने किए की सजा मिल चुकी है.” फिर उसके बाद सौंदर्या ने भी इस बात पर कोई बहस नहीं की.
“चलो बेटी में तुम्हें तुम्हारे रोहन से मिलवा दम, अगर देर हो गयी तो उसके ट्रेन चली जाएगी.” विजय ने श्रुति से कहा.
“लेकिन विजय यह तो सोचो श्रुति उसके साथ कैसे जिंदगी गुज़ारेगी? वो क्या खिलाएगा हमारी फूल जैसी बच्ची को?” सौंदर्या चिंचित होते हुए बोली.
“देखो सौंदर्या अब हमारी श्रुति बड़ी हो गयी है अगर उसे लगता है की वो रोहन के साथ अपनी पूरी जिंदगी बसर कर सकती है चाहे गरीबी में रहे या कैसे भी रहे तो इस बात का फैसला हमें इस पर छोड देना चाहिए.” फिर विजय, श्रुति की तरफ देखकर कहा. “ श्रुति जल्दी चलो, कही देर ना हो जाए!”
अब की बार सौंदर्या ने भी कुछ नहीं कहा और विजय ने श्रुति का हाथ पकड़ अपनी गाड़ी में बिठाया और चल पड़ा रेलवे स्टेशन की और.


रोहन और परवेज़ ट्रेन में बैठ चुके थे. उनकी ट्रेन को छूटने में 10 मिनिट्स बाकी थे. रोहन एक दम उदास सा अपना सर सीट पर टिकाए हुए आँखें बंद कर पता नहीं क्या सोच रहा था और परवेज़ भी अपने दोस्त को गमगीन होते हुए देखकर खुद भी गमगीन होकर खिड़की के बाहर देखे जा रहा था. उसे बड़ा गुस्सा आ रहा था श्रुति की मां पर उसने कैसे दो प्यार करने वालो को जुड़ा कर दिया था और चाह कर भी वो कुछ नहीं कर पा रहा था. अभी वो यही सब सोच ही रहा था की वो एक दम से चौंक गया क्योंकि उसने अपनी खिड़की से कुछ ऐसा देखा की उसे बड़ी हैरत हुई. उसने जल्दी से रोहन को हिलाते हुए खिड़की से बाहर दिखाने लगा.
“क्या हुआ परवेज़? क्या दिखा रहा है तू मुझे?” रोहन यहां वहां देखकर बोला.
“आबे अंधे वो देख कौन है.” परवेज़ अपनी उंगली से एक तरफ इशारा करता हुआ कहने….
Fantastic update
 

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(UPDATE-99)


लगा. फिर रोहन भी उसी दिशा में देखने लगा की तभी वो भी एक दम से शॉक्ड हो गया क्योंकि उसने श्रुति को अपने बाप विजय के साथ देख लिया था. लेकिन फिर वो कुछ सोचने लगा. उसको सोच में देखकर परवेज़ ने कहा.
“आबे क्या सोच रहा है. देख वो कितनी बेक़रार है वो भी तेरे साथ जाने के लिए आई है. चल जल्दी से उसे बुलाले इससे पहले की ट्रेन चुत जाए.” कहने के साथ ही परवेज़ अपनी जगह से उठ गया और चलने लगा की तभी रोहन उसका पकड़ कर कहने लगा.
“नहीं परवेज़ रहने दे. यह ठीक नहीं होगा. अगर वो मेरे साथ आएगी तो बड़ी मुश्किल हो जाएगी. कैसे वो मेरे साथ जिंदगी गुजार पाएगी.” रोहन ने कहा.
“इसका फैसला करने वाला तू कौन होता है. जब उसे कोई फर्क नहीं पढ़ता तो तू क्यों इतना सोच रहा है?” परवेज़ ने कहा.
“अरे यार तू बात को समझना…….वो अभी नादान है नहीं समझती है इन बातों को….” रोहन, परवेज़ को आँख दिखाते हुए कहा.
“मेरे हिसाब से तू नहीं समझता उसके जज़्बातों को. तू यही बैठा रही में जा रहा हूँ उसे लेने के लिए.” कहने के बाद परवेज़ अपना हाथ च्छूदते हुए ट्रेन के बाहर निकल गया. और फिर श्रुति की तरफ हाथ दिखाने लगा.
“श्रुति बाभ…..ओह सॉरी…श्रुति जी……इधर इधर…..” फिर श्रुति ने भी देख लिया था परवेज़ को और वो उसके पास जाने लगी.
“मुझे पता था की तुम जरूर आओगी.” परवेज़, श्रुति को देखता हुआ बोला
“रोहन कहा है परवेज़ भाई??” श्रुति एक दम रोहँसी और घबराई हुई सी थी.
“वो अंदर ही बैठा है. वो नहीं चाहता है की तुम उसके साथ चलो क्योंकि वो समझता है की तुम उसके साथ गरीबी की जिंदगी नहीं गुजार पाएगी.”
“मुझे उसके पास ले चलो” श्रुति ने कहा.
“तुम चलो में तुम्हारे लिए टिकट का बँदबस्त करके अभी आता हूँ.” कहते हुए विजय टिकट रिज़र्वेशन काउंटर की और जाने लगा.
फिर परवेज़, श्रुति को उधर ले जाता है जहाँ रोहन बैठा हुआ था. श्रुति, रोहन को देखते ही उसके गले लग जाती है.
“मुझे अपने साथ लिए बगैर जा रहे थे. क्यों रोहन??”
“श्रुति समझा करो. में तुम्हारी भलाई के लिए यह सब कर रहा था.”
“मेरी भलाई सिर्फ़ तुम्हारे साथ जिंदगी गुज़ारने में है रोहन. में तुम्हारे बगैर जिंदगी गुज़ारने के बारे में सोच भी नहीं सकती.”
“देखो श्रुति नादान मत बनो. तुम्हें इस तरह की जिंदगी जीने की आदत नहीं है. तुम अगर मेरे साथ रहोगी तो हर वक्त तक़लीफो का सामना करने पड़ेगा तुम्हें.”
“रोहन!! जिस जंगल से हम मौत के मुंह से बच कर निकले है ना अगर तुम मुझे वापस उसी जगह जाकर रहने के लिए कहोगे तो में वहां भी रहने के लिए तैयार हूँ. तो फिर तुम्हारे घर रहने में मुझे क्या प्राब्लम होगी.बस शर्त यह है की तुम मेरे साथ रहो. और वैसे भी मैंने तुमसे प्यार किया है और जो प्यार करते है वह यह नहीं देखते की उन्हें कहा रहना है और कहा नहीं. वह जिस हाल में रहते है उसी हाल में खुश रहते है.” अब रोहन के पास कहने के लिए कुछ भी नहीं बच्चा था क्योंकि श्रुति ने अपनी बातों से उसे कायल कर लिया था.
“ठीक है श्रुति अगर तुम्हें कोई प्राब्लम नहीं है तो मुझे भी कोई प्राब्लम नहीं है.”
“सच!! ओह रोहन ई लव यू!!! कहने के साथ ही श्रुति, रोहन के गालों को किस करने लगी.
“अरे श्रुति यह क्या कर रही हो?”
“ओह सॉरी!!” फिर श्रुति नज़रे झुका कर यहां वहां देखने लगी की सबकी नज़रे उन्हीं दोनों पर थी. इतने लोगों की नज़रे अपने ऊपर देख कर वो थोड़ा शर्मा गयी. रोहन ने भी यह देख लिया था और उसकी झेंप मिटाने के लिए वो श्रुति का हाथ पकड़ कर अपने पास बिता लिया और कहना लगा.
“वो तो सब ठीक है श्रुति. लेकिन तुम्हें और प्रॉब्लम्स भी से गुजरना पड़ेगा.”
“और भी प्रॉब्लम्स से मतलब? में कुछ समझी नहीं.” श्रुति हैरत से रोहन की तरफ देखने लगी.
“तुम्हें मेरे घर पर एक भारतीय नारी की तरह रहना पड़ेगा. मेरा मतलब है तुम्हें अपनी सास यानि के मेरी मां का खूब ख्याल रखना पड़ेगा और सुबह सवेरे उठ कर घर के सारे काम काज़ करने पड़ेंगे. तुम तैयार हो इसके लिए?”
“अगर तुम जिंदगी भर मेरे साथ रहने का वादा करो तो यह सब भी मेरे लिए कोई मुश्किल नहीं है.” मुस्कुराते हुए श्रुति, रोहन के खड़े पर अपना सर रख दी.फिर उसके बाद रोहन को कुछ याद आता है और फिर वो श्रुति से कुछ पूछने लगता है.
“अच्छा श्रुति एक बताओ? हमारे ऊपर से यह अचानक किडनॅपिंग का इल्जाम कैसे हाथ गया. क्या तुम्हें इस बारे कुछ में पता है?”
“जब मुझे पता चला की छाया ज़िंदा है तो जाहिर सी बात है वो तुम दोनों के खिलाफ कंप्लेंट की होगी हमारी किडनॅपिंग को लेकर. में यही सोच रही थी की कैसे तुम दोनों को इस इल्जाम से बचाओ की तभी मुझे अचानक वो बात याद आई जो तुमने मुझे बताई थी की मेरे सारे दोस्त मेरे खिलाफ क्या प्लान कर रहे थे. तब फिर मैंने सोचा की अगर में छाया को इसी बात पर धमकी दम की अगर वो….
Zabardast update dost
 

Killerpanditji(pandit)

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(UPDATE-100) FINAL UPDATE


तुम दोनों के ऊपर से लगाया हुआ इल्जाम वापस नहीं लेती है तो में उसकी शिकायत कर दूँगी. बस फिर क्या था मैंने यह बात डायरेक्ट छाया से कहा. मेरी बात सुनकर तो पहले उसे यकीन ही नहीं हुआ लेकिन जब मैंने उसे काफी धमकाया तो वो डर गयी और अपना बयान वापस लेने के लिए राजी हो गयी. फिर हमने फोरेस्ट डिपार्टमेंट वालो के सामने यह बयान दिया की जिन्होंने हमारा किडनॅप किया था वह तुम दोनों नहीं बल्कि कोई और थे. लेकिन फिर भी उन्होंने तुम दोनों को पोचिंग के इल्जाम में गिरफटकार किया. लेकिन सिर्फ़ यही चार्जस होने की वजह से और मेरी मामा की बारे लोगों में कॉंटॅक्ट्स होने की वजह से तुम दोनों की ज़मानत आराम से हो पाई.”
वह और भी इसी तरह की बातें करते रहे फिर उसके बाद विजय ने श्रुति की टिकट उसे पकड़ा दी और अपनी बेटी और दामाद को आशीर्वाद देकर रुखसत कर दिया.


फिर उसके 1 हफ्ते बाद,
रोहन सुबह सुबह अपने घर के बरामदे में बैठा हुआ अख़बार पढ़ रहा था. जिसमें लिखा था पीच्छले कुछ दीनों से जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में जिन दरिंदो ने आतंक मचाया हुआ था अब मिलिटरी की मदद से उनको दरिंदो से वापस उनकी पुरानी अवस्था में ला दिया गया है. अब वहां की प्रशासन ने सभी को आश्वासन दे दिया है की अब हालात पहले से बेहतर हो गये है और अब किसी को भी इस जंगल में आने में किसी तरह की कोई भी परेशानी नहीं होगी. यह खबर पढ़ कर रोहन का ध्यान उस और जाने लगा जो उसके , श्रुति, परवेज़ और ना जाने कितने लोगों को उन दरिंदो से परेशानी उठानी पढ़ी थी और ना जाने कितने ही लोगों ने अपनी जाने भी गँवाए थे और वो भी सिर्फ़ एक साइंटिस्ट की नलायकी की वजह से. वो यही सब सोचे जा रहा था की तभी पीछे से उसे आवाज़ आई.
“चाय!!” रोहन ने देखा की श्रुति सलवार कमीज़ पहने हुए, माथे पर सिंदूर और गले में उसके नाम का मंगलसूत्र पहने हुए और हाथ में चाय का कप लिए हुए एक सच्ची भारतीय नारी लग रही थी. उसे बड़ी हैरत हो रही थी श्रुति जैसी लड़की कैसे अपने आपको उसके माहौल में ढाल ली थी. यह अपने आप में ही बहुत बड़ी बात थी. वो अपने आपको दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान समझने लगा की उसे श्रुति जैसे खूबसूरत, समझदार और उस पर मर मिटने वाली लड़की मिली थी. वो यूँही उसे एक टुक देखे जा रहा था की तभी श्रुति उसे टोकते हुए कहा.
“कहा खो गये? यह लो अपनी चाय पकड़ो मुझे और भी ढेर सारा काम है.” कहते हुए श्रुति उसे चाय का कप पकड़ा दी और वापस जाने के लिए मुड़ी ही थी के रोहन उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ कर लिया.
“अरे दो मिनट रुको तो. ज़रा कुछ देर मेरे से बात तो करो.” रोहन ने उससे कहा.
“क्या बात कर रहे हो रोहन अभी मुझे मां को दवा देनी है और खाना भी बनाना है और भी ना जाने कितने काम है. अगर में तुम्हारे से बातें ही करूँगी तो यह सब काम कब करूँगी?”
“तो फिर में तुमसे बातें कब करूं?”
“ओफफ़ो रोहन!! तुम्हीं ने तो कहा था मुझे मां का खायल रखना पड़ेगा, खाना बनाना पड़ेगा , घर के और भी काम करने पड़ेंगे. अगर में तुमसे दिन भर बातें ही किया करूँगी तो फिर यह सब काम कौन करेगा.?” फिर रोहन को अपनी तरफ हैरत से देखते हुए श्रुति ने कहा.
“डोंट वरी जब हम रात को अपने कमरे में जाएँगे तो जितनी बातें तुम्हें मुझसे करनी है कर लेना. ओके???” कहने के साथ ही श्रुति रोहन का हाथ च्चूधकर जाने लगी. फिर अचानक कुछ सोच कर रुकी और रोहन की तरफ देखते हुए कहा.
“बायें थे वे…..मुझे तुम्हें एक खुशख़बरी देनी है.”
“क्या?” रोहन ने कहा.
“मुझे आज उल्टिया हो रही थी.”
“उल्टिया हो रही थी!! कैसे? यह खुशख़बरी है? क्यों क्या हुआ तुम्हें? तुम्हारी तबीयत तो ठीक है. चलो में तुम्हें डॉक्टर को दिखा दम.” रोहन एक दम घबराते हुए कहा.
“अरे भूद्धू किसी औरत को उल्टियाँ होती है तो इसका मतलब तुम्हें पता नहीं है क्या?” श्रुति अपना माता ठोनकटे हुए कहा.
“क्यों? क्या मतलब होता है?” रोहन ना समझने वाले अंदाज़ में कहा.
“कुछ मतलब नहीं होता है. भूधहू!!” हंसते हुए श्रुति अंदर की तरफ चली गयी. और रोहन हैरत से उसे जाता हुआ देख रहा था.


बस ऐसे ही हसीं खुशी सब अपनी जिंदगी मे मस्त हो गए और अपने पुराने झकमो को भूल गए जो उन्हें मिले थे।

THE END
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AK 24

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Aakash.

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Hello Everyone :hello:
We are Happy to present to you The annual story contest of Xforum "The Ultimate Story Contest" (USC)..

Jaisa ki aap sabko maalum hai abhi pichle hafte he humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time Pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit chat thread toh pehle se he Hind section mein khulla hai.

Iske baare Mein thoda aapko btaadun ye ek short story contest hai jisme aap kissi bhi prefix ki short story post kar shaktey ho jo minimum 700 words and maximum 7000 words takk ho shakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap Iss contest Mein apne khayaalon ko shabdon kaa Rupp dekar isme apni stories daalein jisko pura Xforum dekhega ye ek bahot acha kadam hoga aapke or aapki stories k liye kyunki USC Ki stories ko pure Xforum k readers read kartey hain.. Or jo readers likhna nahi caahtey woh bhi Iss contest Mein participate kar shaktey hain "Best Readers Award" k liye aapko bus karna ye hoga ki contest Mein posted stories ko read karke unke Uppar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske aalwa aapko apna thread apne section mein sticky karne kaa mouka bhi milega Taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab k liye ye ek behtareen mouka hai Xforum k sabhi readers k Uppar apni chaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna suru kar shaktey hain or woh thread 21st February takk open rahega Iss dauraan aap apni story daal shaktey hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna suru kardein toh aapke liye better rahega.

Koi bhi issue ho toh aap kissi bhi staff member ko Message kar shaktey hain..

Rules Check karne k liye Iss thread kaa use karein :- Rules And Queries Thread.

Contest k regarding Chit chat karne k liye Iss thread kaa use karein :- Chit Chat Thread.

Regards :Xforum Staff.

 

masterji1970

मम्मी का दीवाना (पागल)
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(UPDATE-51)



रेस्ट हाउस तक पहुंच जाए. पर उसने ऐसा ना करने की बजाए कही और चला गया. पर क्यों???” परवेज़ अब भी सवालों के घेरे में घिरा हुआ था.
“हो सकता है सरकार, की इस जानवर को मारने के बाद उन्हें कोई और जानवर दिख गया हो या फिर वो उन्हें मारने की कोशिश कर रहा हो. और वो उसी से बचते बचाते हुए कही दूर निकल गये होंगे.” भीमा ने शंका जाहिर की.
“हम……मुझे भी कुछ ऐसा ही लग रहा है. खैर यहां खड़े रहने से और बातें करने से कोई फायदा नहीं होगा. बल्कि हमें आगे बढ़ना चाहिए. मेरे ख्याल से हमें इस खाई की और आगे बढ़ना चाहिए जहाँ से इसकी ढलान कम होती होगी. हो सकता है रोहन यही सोच कर आगे बढ़ा होगा की ढलान अगर कम हो जाए तो रोड पर जाकर किसी की मदद माँग लेगा.”
“ठीक है जैसा तुम ठीक समझो” परवेज़ ने कहा.
फिर वो तीनों उसी दिशा की और बढ़ने लगे. अभी वो कुछ देर ही आगे तरफ पाए थे की तभी, भीमा को अपने डायन और की झाड़ियों में जैसे कुछ सुरसूराहट सी आवाज़ आने लगी. पहले तो उसने अपना वहाँ समझ कर कोई ध्यान नहीं दिया. लेकिन कुछ दूर और आगे बढ़ने पर उसे फिर वही सुरसूराहट दोबारा सुनाई दी तो हूँ ठिठक कर रुक गया. और उस झाड़ियों की और देखने लगा.
“क्या हुआ भीमा?” भीमा को अपने पीछे ना आता हुआ देख कर परवेज़ ने उससे पूछा.
“स्शह……” भीमा अपनी उंगली से परवेज़ को खँसो रहने के लिए कहा और अपने हाथ के इशारे से बताने लगा की वहां पर कुछ है. सुशांत भी देख लिया था की भीमा रुक गया है और उस झाड़ियों की और देख कर किसी के होने का इशारा कर रहा है. भीमा के इशारा करने पर सुशांत और परवेज़ अपनी अपनी गुण संभाल लिए और उसी झाड़ियों की तरफ बढ़ने लगे. अभी वो तीनों कुछ ही दूर गये थे की तभी उन्हें कुछ लाल सी रोशनी सा दिखा. यह देख कर वो रुके और सोचने लगे की यह क्या चीज़ है. वो अभी कुछ समझ पाते की इससे पहले हूँ लाल रोशनी आगे की और बढ़ने लगी. जब हूँ लाल रोशनी उनके कुछ करीब आई तो उन्हें पता चला की वो कोई लाल रोशनी नहीं थी बल्कि वो लावे से भारी हुई आँखें थी. और उस आँखों का मालिक कोई और नहीं वैसा ही एक दरिन्दा था जिसे उन्होंने वहां पर मारा हुआ पाया था. उन्हें उस वक्त वो दरिन्दा मारा हुआ जितना भयानक लग रहा था उससे कही ज्यादा उन्हें वो वहशी, ज़िंदा रहते हुए लग रहा था. वो दरिन्दा अब उन्हीं की और तरफ रहा था उन्हें अपना अगला शिकार बनाना के लिए. उसे अपनी तरफ बढ़ता देख भीमा की चीख निकल गयी.
“यययययएह….कयययया…हाीइ…हे भगवान. बचाऊओ….” चिल्लाता हुआ भीमा अपनी उल्टी दिशा में भागने लगा लेकिन, उसे भागने का कोई मौका ही नहीं मिला क्योंकि, वो वहशी दरिन्दा अपने मुंह से एक भयानक दहाड़ निकालते हुए भीमा को अपने तेज नाखूनओ वाले पंजे से पकड़ा और झट से उसकी गर्दन उसके धड़ से आज़ाद कर दिया. भीमा को तो अपनी मौत का मातम करने का भी समय नहीं मिला. परवेज़ और सुशांत तो मानो एकदम सुन्न से हो गये थे, जैसे उनके बदन में कोई खून ही ना हो. अभी वो दरिन्दा भीमा को चियर फाड़ ही रहा था की सुशांत को जैसे होश आ गया की उसने अभी अभी क्या देखा है और भीमा के साथ क्या हुआ है. उसे ख्याल आया की अगर हूँ ऐसे ही खड़ा रहा तो यह हैवान उन्हें भी नीवाला बना देगा. उसने जल्दी से अपनी गुण उस दरिंदे की और तानी और निशाने लेते हुए उस दरिंदे के दिमाग में गोलियाँ दागने लगा. वो जब तक गोलियाँ चलता रहा जब तक वो दरिन्दा मर नहीं गया. कुछ देर जब उसे लगा की यह मर गया है तो वो गोलियाँ चलना बंद कर दिया. दहशत के मारे परवेज़ और सुशांत के मुंह से कोई आवाज़ ही नहीं निकल रही थी. वो दोनों एक दूसरे की और देख रहे थे. मानो पूंछ रहे हो की यह एकदम से क्या हो गया…अभी उन्हें संभालने का वक्त भी नहीं मिला था की तभी परवेज़ ने देखा की सुशांत से थोड़ी दूरी पर दो वही वहशी दरिंदे दहाड़ते हुए आ रहे है. सुशांत भी उनकी दहाड़ सुनकर पलटकर देखने लगा उन हैवानो को. एक पल के लिए वो फिर से वही जम सा गया की तभी….परवेज़ ने चिल्लाकर कहा.
“सुशांत भागो….जल्दी…हम उनका मुकाबला अपनी बंदूक से नहीं कर पाएँगे. जितनी जल्दी हो सके भागो यहां से..” परवेज़ की आवाज़ सुशांत के कानों में पढ़ते ही जैसे उसके पैर में जान आई हो और फिर वो भी परवेज़ के साथ में भागने लगा. वो दोनों इतनी तेजी से भाग रहे थे जैसे वो मॅरतॉन दौड़ रहे हो. जैसे उन्हें अव्वल आना हो. कुछ देर तक ऐसे ही भागते भागते जब उन्हें इस बात का एहसास हुआ की अब वो खूनी दरिंदे उनके पीछे नहीं है तो दोनों रुके और अपनी अपनी साँसें बेहाल करने लगे.
“यह क्या….
बड़े अफ़सोस की बात है अपडेट आगे पीछे पोस्ट हो रहा है कोई भी कमेंट्स नहीं दे रहा है //

अपडेट 22 मिस्सिंग
 
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