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Fantasy THE DARKNESS RISING [Completed]

Killerpanditji(pandit)

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(UPDATE-86)



पा लेना चाहता था क्योंकि उसे मालूम था की अगर वो ऐसे ही भटकता रहा तो वो भी सुशांत और उसके साथियों की तरह मारा जाएगा. रही रही कर उसके सामने वही दृश्या घूम रहे थे जब उन हैवानो ने उन सब पर हमला किया था. उसने देखा था वह कुल चार दरिंदे थे और किस तरह अचानक उन लोगों पर हमला करने लगे थे. उन लोगों को तो कुछ समझ ही नहीं आया की यह बाला है. परवेज़ ने अपनी पूरी जिंदगी में इस तरह भयानक जानवर नहीं देखा था. वह उन लोगों को एक एक करके शिकार करके अपना नीवाला बना रहे थे. उनके सारे हथियार किसी काम नहीं आए थे क्योंकि उन्हें उन दरिंदो ने मौका ही नहीं दिया था हथियार इस्तेमाल करने का. लेकिन परवेज़ किसी तरह उन दरिंदो से अपनी जान बच्चा कर वहां से भाग निकला था. लेकिन वो यही सोच रहा था की वो कब तक यूँही भटकता रहेगा ऐसे ही. उसे 24 घंटे से भी ज्यादा हो गये थे इसी तरह भटकते हुए. भूख के मारे वो एक दम बेहाल हुआ जा रहा था. जब काफी देर तक ऐसे ही चलते रहने के बाद भी उम्मीद की किरण नज़र नहीं आई तो उसने थोड़ा आराम करने का सोच कर एक पेड़ के पास जाकर बैठ गया. तक हारा हुआ परवेज़ इस समय अपने दोस्त रोहन के बारे में सोचने लगा. वो सोच रहा था के पता नहीं रोहन इस समय किधर होगा. ज़िदना भी होगा के नहीं. अगर इन आदमख़ोरो के हटते चढ़ गया होगा तो फिर कुछ भी कहना मुश्किल है. यही सब सोचते सोचते वो नींद की आगोश में जाने लगा. लेकिन उसकी आँख लगे अभी कुछ देर हुआ था की वो खत से अपनी आँखें खोल दिया. कारण था उसे आवाजें आनी लगी जैसे सूखे हुए पत्तो पर जैसे कोई चल रहा हो. खौफ के मारे वो एक दम चौकन्ना हो गया. और इधर उधर देखने की कोशिश करने लगा की आवाजें कहा से आ रही है. थोड़ा गौर करने पर उसे महसूस की वो आवाज़ उसके डायन और से आ रही है. वो एक दम घबराने लगा क्योंकि उसे डर था की कही यह आवाज़ उन दरिंदो के चलने की वजह से तो नहीं आ रही है. अभी वो यही सोच ही रहा था की वो आवाज़ अब उसे साफ साफ सुनाई दे रही थी जैसे अब वो उसके करीब पहुंच गये हो. परवेज़ जल्दी से अपनी जगह से खड़े होकर दूर भागता हुआ एक घनी सी झाड़ियों में चुप कर आने वाले को देखने की कोशिश करने लगा. अभी उसे उस झाड़ियों में बैठे हुए कुछ देर हुआ था की उसे अपने आस पास जैसे कोई चीज़ रेंगती हुई महसूस होने लगी. उसने जल्दी से अपने आस पास देखने की कोशिश करने लगा लेकिन रात हो जाने की वजह से अंधेरा काफी तरफ गया था और उसे ठीक से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. वो अपने हाथों से उस रेंगती हुई चीज़ को छू कर महसूस करने की कोशिश करने लगा. बस उसका इतना करना ही था की उसे जैसे बिजली का झटका जैसा लगा. क्योंकि वो एक शिकारी था इसलिए उसे समझने में देर नहीं लगी की वो रेंगती चीज़ कुछ और नहीं बल्कि एक आज़गार साँप था. परवेज़ की हालत एक दम पतली हो गयी.. पीछे खाई और आगे कुँवा वाली उसकी इस समय हालत हो गयी थी. उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या करे. लेकिन कुछ ना कुछ तो करना पड़ेगा ही वरना बाहर जो कोई भी है वो तो बाद में नुकसान पहुचाएगा उससे पहले यह आज़गार उसे अपना नीवाला बना देगा. यही सोच कर परवेज़ जल्दी से उस झाड़ियों से बाहर की और कूड़ा. लेकिन जैसे ही वो बाहर आया उसने वही दो खूनकर लाल लाल आँखें देखा जिन्होंने सुशांत और उसके साथियों को मौत के घाट उतारा था..परवेज़ ने देखा की उसके बाहर आने से उस दरिन्दा का ध्यान उसकी और आकर्षित हो गया है और वो दौड़ता हुआ उस ही की और तरफ रहा था. परवेज़ की हालत एक दम पतली हो गयी थी उसे अपनी तरफ बढ़ता हुआ देखकर. उसे अपनी मौत साफ नज़र आ रही थी. लेकिन वो इतनी आसानी से नहीं मारना चाहता था. उसने सोचा मारना तो है ही तो क्यों ना मुकाबला करके ही मारा जाए. इसलिए उसने अपना चाकू निकाला और वो चाकू लेकर एक लंबी छलांग लगाई उस दरिंदे पर. लेकिन वो चूक गया और वो चाकू उस दरिंदे के बाजू को ही जख्मी कर पाया. अपना वार खाली जाता देख वो दरिन्दा और भौक्ला गया और फिर से दोबारा पलट कर तेजी से अपना हाथ पर परवेज़ पर चलाया. उसका यह वार तो परवेज़ बच्चा लिया था लेकिन अपने भाई तरफ के बाजू को जख्मी होने से नहीं बच्चा पाया.. परवेज़ इस हमले से दूर जा गिरा था और उसका चाकू उसके थोड़ी दूर पर गिर गया था. फिर परवेज़ ने देखा की वो दरिन्दा उस पर फिर हमला करने की तैयारी कर रहा था. परवेज़….
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जल्दी से अपना वो चाकू उठाने की कोशिश करने लगा लेकिन अपने बाएँ वाले बाजू के घायल होने की वजह से वो थोड़ा लड़खड़ा रहा था और चाकू की तरफ नहीं पहुंच पा रहा था. फिर परवेज़ ने देखा की वो भयंकर जानवर अपने लंबे लंबे दाँतों और नाखूनओ से उसपर हमला करने के लिए अपने हाथ बढ़ा चुका था. उसे अपनी मौत साफ नज़र आ रही थी. खौफ के मारे उसने अपनी आँखें बंद करली . वो अब मरने के लिए तैयार हो चुका था, लेकिन इससे पहले की वो दरिन्दा उस पर हमला करता उस दरिंदे के मुंह से एक जोरदार चीख निकली जैसे उसे किसी ने बहुत ज्यादा ही दर्द दिया हो. परवेज़ थोड़ा चौका की इसे क्या हुआ अचानक. यह देखने के लिए उसने आँखें खोली तो उसने देखा की उसका वही चाकू से कोई उस दरिंदे के दिमाग पर हमला करे जा रहा था. और फिर जब उस आदमी का हाथ रुका तो वो दरिन्दा छटपटाने लगा और कुछ ही देर में दम तोड़ दिया. परवेज़ को बड़ी हैरत हुई के इस भयंकर जानवर को मारने के लिए कौन इतनी बहादुरी दिखा सकता है. वो जल्दी से खड़े होकर अपने उस मसीहा का चेहरा देखने की कोशिश करने लगा.

वो पास जाकर उस मसीे को अपनी तरफ किया तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना ना रहा क्योंकि वो मसीहा कोई और नहीं बल्कि उसका जिगरी दोस्त रोहन ही था. परवेज़ बहुत खुश हो गया. उसे सिर्फ़ यह खुशी नहीं थी की रोहन ने उसकी जान बचाई बल्कि यह भी थी के उसका प्यारा दोस्त रोहन ज़िंदा था. वो रोहन को अपने सामने देख कर फूला नहीं समा रहा था.

“ओये रोहन तू……??? तू ज़िंदा है मेरे दोस्त???

“क्यों…..तू मेरे मरने की दुआ कर रहा था क्या?

“नहीं यार….कैसे बात कर रहा है?

“अच्छा ठीक है……पहले यह बता तुझे तो रेस्ट हाउस पर होना चाहिए था तो तू यहां क्या कर रहा था?” रोहन, परवेज़ से सवाल पूछते हुए कहा.

“इसका जिम्मेदार तू है खंभाक़त मारे के….!! अकेले निकल पढ़ा था उन लौंदो और लौंदीयों को सबक सिखाने के लिए और जब तू काफी देर तक आया नहीं तो हम सब को फिक्र होने लगी. फिर क्या था में भीमा और सुशांत निकल पढ़े तुझे ढूंढ़ने के लिए लेकिन………” कहते हुए परवेज़ खामोश हो गया.

“लेकिन क्या परवेज़? सुशांत और भीमा अगर तेरे साथ में थे तो कहा है वो दोनों इस वक्त?

“वह दोनों अब ज़िंदा नहीं है. उन्हें इसी क़िस्म के जानवरो ने मौत के घाट उतार दिया.” दुख भारी आवाज़ में परवेज़ बोला.


“ओह नहीं!!” रोहन भी उन दोनों की मौत के बारे में सुनकर अफ़सोस करने लगा.

“लेकिन तू साले किधर था हराम खोर. लंड के बॅया…..” परवेज़ कुछ और कहता उससे पहले ही रोहन अपने हाथों से परवेज़ का मुंह बंद कर दिया और दूर खड़ी श्रुति की तरफ इशारा किया. जब परवेज़ ने श्रुति की तरफ देखा तो हैरत में पढ़ गया. उस दरिंदे के हाथों मरने से और रोहन के इस तरह अचानक मिल जाने से वो इतना खुश था की उसे अपने पास कौन खड़ा है दिख ही नहीं रहा था. परवेज़ थोड़ा संभला और रोहन के कान में कुछ कहने लगा.

“आबे यह तो उन्हीं लौंदीयों में से एक है ना जिन्हें हमने किडनॅप किया था और जिस पर तू अपनी गुण भी रखा था??

“हां यह वही है.” रोहन भी फुसफुसते हुए परवेज़ के कान में कहा.

“तो यह ज़िंदा है!! जब हमने उधर इन लोगों की गाड़ी के पास मानव कंकाल देखे थे तो मुझे लगा था की सब के सब उस जानवरो का शिकार हो गये है.”

“मुझे यह तो नहीं पता की उन लोगों में से कौन बच्चा कौन नहीं क्योंकि में और श्रुति….मेरा मतलब है यह लड़की उस खाई से नीचे गिर गये थे.” फिर रोहन ने परवेज़ को आगे की घटना के बारे में भी विस्तार से बता दिया. पूरी बात सुनाने के बाद परवेज़, रोहन का चेहरा हैरत से देख रहा था.

“क्यों क्या हुआ? ऐसे आँखें फाड़ फाड़ के क्या देख रहा है?” रोहन, परवेज़ से कहने लगा

“मुझे बड़ी हैरत हो रही है यार…..तू इस लड़की के साथ तीन दीं से है? क्या बात है….? परवेज़ थोड़ा दाँत दिखाते हुए रोहन को छेड़ने लगा.”आबे कुछ मामला सेट किया की नहीं पत्थर दिल आदमी?”

“चुप बैठ तू. ज्यादा फॉककेट मत बोल.” रोहन कहते हुए श्रुति की तरफ देखा जो काफी देर से दो दोस्तों को मिलते हुए देख रही थी.

“श्रुति? यह मेरा दोस्त परवेज़ है…..मैंने बताया था ना तुम्हें?

“हां हां….मुझे याद है. हेलो परवेज़ भाई!! “ श्रुति के मुंह से भाई शब्द सुनकर उसे एक झटका सा लग गया था.

“और परवेज़ यह श्रुति है……” रोहन, परवेज़ को श्रुति का तरफ करते हुए कहा. थोड़े देर तक वह तीनों यूँही एक दूसरे का मुंह देखते रहे क्योंकि उनकी समझ नहीं आ रहा था की आगे क्या कहें. परवेज़ तो श्रुति से नज़रे ही नहीं मिला पा रहा था क्योंकि उसे वही सब बातें याद आ रही जो उन दोनों ने इसके साथ में किया था. फिर भी उसने हिम्मत करके कहा.

“श्रुति जी…….रोहन का तो मुझे पता नहीं…..शायद….
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Fa
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इसने आपसे माफी माँग भी ली हो…..तो…..इसलिए…..में भी माफी माँगता हूँ आप लोगों के साथ जो मैंने किया…..मेरा मतलब है हम दोनों ने किया…..” कहते हुए परवेज़ अपने हलक़ुए से थूक निगलने लगा. परवेज़ की बात सुनकर पहले श्रुति, रोहन की और देखने लगी की क्या जवाब दे उसका, लेकिन कुछ सोच कर वो खुद ही बोली

“नहीं….नहीं….परवेज़ भाई इसकी कोई जरूरत नहीं है!!”

“अरे जरूरत क्यों नहीं है. हम दोनों ने वाक़ई में आपके साथ में बहुत बुरा किया था. हमें ऐसा नहीं…….”वो आगे कुछ और कहता रोहन उसे चुप करते हुए कहने लगा.

“बस बस……उसे सब समझ आ गया है….उसे किसी भी बात का बुरा नहीं लगा है. मैंने सब समझ दिया है. तू बस अब बिलकुल खामोश हो जा क्योंकि हमें यहां से निकालने के बारे में भी सोचना है.”

“अच्छा ऐसा है क्या? ठीक है जैसे तू बोलता है. लेकिन हम यहां से जाएँगे कहा? तुझे कोई रास्ता पता है क्योंकि में तो रास्ता भटक गया हूँ” परवेज़ ने कहा.

“अजीब अहमक (बेवक़ूफ़) है तू. अगर मुझे रास्ता पता होता तो अब तक यही भटकता? रोहन उस पर च्चिदते हुए कहा.

“अच्छा बाबा ठीक है. माफ करदे मुझे, लेकिन कुछ तो तूने सोचा होगा तूने क्योंकि दिमाग तो सिर्फ़ तेरे पास है?” परवेज़ भी तंज़िया अंदाज़ में कहा.

“बस सीधा चलते है. कही ना कही से रास्ता मिल ही जाएगा.”

“वो तो ठीक है यार लेकिन एक प्राब्लम है? परवेज़ ने कहा.

“अब क्या हुआ?”

“यार अब मुझसे इतना लंबा चला नहीं जाएगा क्योंकि एक तो बहुत तक चुका हूँ और दूसरे मुझे भूख भी बहुत ज़ोर की लगी है.”

“वो तो में तेरी हालत देख कर ही समझ गया था. लेकिन परवेज़ बात को समझ हम लोग इस तरह एक जगह पर देर तक नहीं रुक सकते. यह खतरे से खाली नहीं होगा. हमें जल्द से जल्द यहां से निकलना होगा वरना फिर से कही वो जानवर आ गये तो मुसीबत हो जाएगी. और रही बात तेरी भूख मिटानी की तो आगे कोई ना कोई पेड़ ऐसा होगा जिसमें खाने लायक फल होंगे तो हम सब उसी से अपना पेट भर लेंगे.” रोहन, परवेज़ को समझते हुए कहा.

“लेकिन रोहन, परवेज़ भाई के बाजू तो पूरी तरह जख्मी है इसका क्या करेंगे?” श्रुति ने कहा. परवेज़ को बड़ी हैरत हो रही थी की श्रुति उसको भाई कहकर पुकार रही थी और रोहन को सिर्फ़ ‘रोहन’. वो सोचने लगा की आख़िर चक्कर क्या है या फिर इनके बीच सही में कोई चक्कर तो नहीं चल गया.


“उसके बारे में भी हम आगे चल कर कोई जड़ी बूटी वाली कोई पट्टी देखकर उसका लेप लगा लेंगे. लेकिन फिलहाल यहां से जितनी जल्दी हो सके निकल होगा.

“हम….शायद तू ठीक कह रहा है.” कहते हुए परवेज़ चलने के लिए तैयार हो गया.” लेकिन एक बात बता यार यह किस तरह के जानवर थे यार तेरी कुछ समझ में आ रहा है? परवेज़ ने कहा.

“नहीं यार अभी तक तो में भी नहीं समझा हूँ की यह क्या चीज़ है. यह इतने खूनकर और भयानक है की इंसानो को संभालने का मौका भी नहीं देते.”

“दिखने में इनकी शकलें तो बंदरों जैसी है……” परवेज़ ने कहा.

“वो तो है. पता नहीं यह बंदरों की कोन से ज़ात है?” रोहन ने कहा. फिर परवेज़ ने श्रुति की तरफ देख कर कहा.

“श्रुति जी अगर बुरा ना मैंने तो आप थोड़ा आगे आगे चलेंगे क्योंकि मुझे मेरे दोस्त से कुछ प्राइवेट बातें करनी है?” इससे पहले की श्रुति कुछ कह पति रोहन, परवेज़ की तरफ देख कर कहा.

“अब क्या बातें करनी है? जो भी कहना है कह दे इनके सामने.”

“ओके ओके नो प्राब्लम! तुम लोग करो अपनी प्राइवेट बातें. में थोड़ा आगे चलती हूँ.” कहते हुए श्रुति उनसे इतने आगे चलने लगी के उसे वो लोग की बातें करने की आवाजें ना आए. श्रुति को आगे जाते देख रोहन घूर के देखना लगा परवेज़ को.

“बोल क्या बकना है?

“मुझे वही सब बता जो तूने मुझे अब तक नहीं बताया है?”

“मतलब?”

“आबे मतलब के बच्चे सब समझ रहा हूँ तुम दोनों के बीच क्या चल रहा है.”

“आबे तू क्या कह रहा है मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा है.” रोहन समझ गया था की परवेज़ क्या पूछना चाहता है.

“ज्यादा भोला मत बन. मुझे उस लड़की की आँखों में साफ दिख रहा है.”

“क्या दिख रहा है?” रोहन फिर अंजान बनते हुए कहा.

“पागल समझ रखा मुझे क्या? में उस लड़की और तेरे बर्ताव से समझ गया था की तुम दोनों के बीच जरूर कोई खिचड़ी पकई हुई है. और यह लड़की जो जॅकेट पहनी हुई है यह मेरी जॅकेट है जो मैंने तुझे दी थी पहनने के लिए. और तूने इसे दी है पहनने के लिए, ऐसा कोई तब करता है जब कोई किसी की ज्यादा परवाह करता है.”

“क्या अनाप शनाप बेक जा रहा है. तेरा दिमाग खराब है? आबे कोई किसी को कुछ पहनने के लिए दे दे तो क्या उसे प्यार करने लगता है इंसानियत नाम की कोई चीज़ नहीं होती?” अब रोहन हल्का सा गुस्सा करते हुए कहा.

“ठीक है बेटा कर नाटक. मत बता मुझे में इसी लौंडिया से पूछता हूँ.” कहते हुए परवेज़,श्रुति की तरफ कदम बढ़ने लगा.
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इज्जत से बात कर.” रोहन उसे रोकते हुए कहा.

“क्यों तुझे क्यों मिर्ची लग रही है?” परवेज़, रोहन की आँखों में झाँकते हुए कहा.

“क्योंकि बाभी है वो तेरी!”

“हाअ…..अब निकला ना मुंह से तेरे सच!! यही बात पहले ढंग से नहीं बता सकता था?”

“क्यों? तू इतना बेक़रार क्यों था जाने के लिए?” अभी परवेज़, रोहन की बात का कुछ जवाब देता उससे पहले श्रुति ने उन दोनों की तरफ घूम कर कहा

“रोहन!! वहां देखो.” श्रुति ने अपनी डायन और कुछ ही दूरी पर बने हुए एक घर की तरफ इशारा किया. रोहन और परवेज़ भी उसी के बताए हुई जगह पर देखने लगे. उन्होंने ने भी देखा की वो एक मंज़िला घर था.

“यह तो किसी का मकान लग रहा है? और वहां पर रोशनी भी है. इसका मतलब वहां जरूर कोई रहता होगा” परवेज़ ने कहा.

“हां….तुम ठीक कह रहे हो. चलो उधर ही चल कर देखते है.” रोहन ने कहा. फिर वह तीनों उसी मकान की और चलने लगे. जब वह मकान के करीब पहुंचे तो उन्होंने पाया की उसका मैं दरवाजा अंदर से लॉक्ड था

“यह तो लॉक्ड है” श्रुति ने कहा.

“अंदर से लॉक है. और घर के अंदर से रोशनी भी आ रही है इसका मतलब अंदर जरूर कोई है.” रोहन ने कहा.

“वो तो है, लेकिन हम अंदर कैसे जाएँगे और उनसे मदद कैसे माँगेंगे.” परवेज़ ने कहा. रोहन ने जवाब में कुछ नहीं कहा. वो आगे तरफ कर दरवाजा को ज़ोर ज़ोर हिलाने लगा शायद उसके हिलने की आवाज़ से अंदर जो भी है बाहर की और आ जाए.
“अंदर कोई है?” दरवाजा को हिलाने के बाद भी कोई बाहर की और नहीं आया तो रोहन आवाजें देने लगा.

“कमाल है कोई बाहर झाँकने को तैयार ही नहीं है.” परवेज़ ने कहा.

“अब क्या करेंगे?” श्रुति ने कहा.

“करना क्या है अब इस दरवाजा के उप्पर से कूद कर जाना पड़ेगा.” रोहन ने कहा.

“लेकिन यह ठीक रहेगा? ई मीन किसी के घर में इस तरह से घूसना ठीक नहीं लगता मुझे.” श्रुति ने कहा. रोहन उसकी बात पर थोड़ा मुस्कुराते हुए कहा.

“तुम भी कमाल करती हो शूति,यहां हमारी जान पर बन आई है और तुम हो की……” रोहन पूरी बात बोले बिना ही दरवाजा पर चढ़ने लगा. दरवाजा पर चढ़ने के बाद वो दरवाजा के दूसरी तरफ से उतरने लगा. फिर जब वो दरवाजा के उस पार पहुंच गया तो उसने श्रुति से कहने लगा.

“चलो तुम भी इधर आ जाओ जैसे में इधर आया.” रोहन, श्रुति की तरफ देख कर कहा. फिर पहले श्रुति दरवाजा के उप्पर चढ़ के उस तरफ गयी फिर उसके परवेज़ ने भी वैसा ही किया.


“आओ चलो अंदर चल कर देखते है.” फिर वो परवेज़ की तरफ घूम कर कहा. “ज़रा होशियार रहना अंदर कुछ भी हो सकता है.” परवेज़ ने जवाब अपनी गर्दन हिलाकर अपनी सहमति जताई. श्रुति थोड़ा घबराई हुई थी इसलिए उसने रोहन का बायन हाथ पकड़ कर चल रही थी. परवेज़ भी यह सब देख रहा था की कैसे यह लड़की रोहन से चिपक कर चल रही है. उसे बड़ी हैरत हो रही थी की यह कैसे हो गया रोहन एक लड़की से प्यार करने लगा, क्योंकि वो लड़की के ज़ात से ही नफरत करता था. लेकिन उसने सोचा की यह वक्त इन बातों के सोचने का नहीं है. वो किसी और वक्त रोहन से इस बारे में पुच्छ लेगा की आख़िर उसका पत्थर जैसा दिल कैसे पिघल गया.

उन तीनों ने देखा की उस घर का दरवाजा भी अंदर से लॉक्ड था. काफी खटकटने के बावजूद भी उधर से कोई जवाब नहीं आया .

“अगर यह दरवाजा अंदर से बंद है तो जरूर अंदर कोई होगा, लेकिन कोई खोलता क्यों नहीं दरवाजा.” रोहन ने कहा.

“हो सकता है कोई सो रहा हो.” श्रुति ने कहा.

“अब ऐसी कैसी नींद की इतना दरवाजा पीटने पर भी ना खुले.” परवेज़ ने कहा.

“मुझे तो कुछ गड़बड़ लगती है. ” कहते हुए रोहन उस घर के चारों तरफ घूम कर देखने लगा की तभी उसे एक खिड़की खुली हुई मिल
“परवेज़, श्रुति !! अंदर जाने का रास्ता मिल गया. ” दोनों को खिड़की का रास्ता दिखाते हुए रोहन उस खिड़की से अंदर जाने की
कोशिश करने लगा. फिर उसका देखा देखी वो दोनों भी अंदर घुस गये. जब वह तीनों उस अंदर पहुंचे तो उन्होंने पाया
की वो एक बड़ा सा हॉल था जो तकरीबन खाली खाली सा था. फर्नीचर वगैरह कुछ भी नहीं था. उन्हें थोड़ा अजीब लग
रहा था. फिर रोहन ने एक सीधी की तरफ इशारा करते हुए कहा

“उधर देखो! वहां ऊपर के किसी कमरे से रोशनी आ रही है. चलो चल कर देखते है.” फिर वह तीनों उस सीढ़ियों से
चढ़ कर उस कमरे के करीब पहुंचे जहां से रोशनी आ रही थी. उन्हें थोड़ा डर भी लग रहा था उस जगह को देख कर
फिर भी रोहन उस कमरे के दरवाजे का करीब पहुंच कर उसे खोलने की कोशिश करने लगा. लेकिन उसे ज्यादा कोशिश नहीं
करनी पढ़ी क्योंकि वो दरवाजा पहले से ही खुला हुआ था. फिर वह तीनों कदम संभाल संभाल कर अंदर जाने
लगे. लेकिन जब उन्होंने उस कमरे का पूरे दृश्या देखा तो उन्हें एक ज़ोर का झटका लगा. क्योंकि वो एक….
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लॅबोरेटरी थी. उन्हें
अच्ंभा होने लगा की इस वीरने जंगल में यह लॅबोरेटरी किसने खोल कर रखी हुई है.

“यह क्या है?? लॅबोरेटरी?? वो भी इस वीरने जंगल में?” कहते हुए श्रुति लॅबोरेटरी के चारों और देखने लगी.

“मेरी भी समझ में नहीं आ रहा की यह क्या माजरा है.” रोहन ने कहा.

“रोहन!! उधर देख वहां क्या है.” परवेज़ ने कहा.रोहन, परवेज़ की दिखाई हुई दिशा में देखने लगा तो जैसे उसे 100 वॉल्ट
का बिजली का झटका लगा हुआ हो.

“यह तो….यह तो …..बंदर है.” रोहन उस बंदर के पिंजरे के करीब जाते हुए कहा.

“ओह अब में समझी!! इस लॅबोरेटरी में इस बंदर पर जरूर कोई एक्सपेरिमेंट किया जा रहा होगा.” श्रुति ने कहा.

“और शायद वह सब खूनकर दरिंदे इसी एक्सपेरिमेंट का नतीजा है.” रोहन ने कहा.

“हां…ऐसा ही है…तभी में बोलू की यह किस प्रकार के जानवर है जो दिखने में तो बंदर जैसे है पर इतने खूनकर क्यों है.” परवेज़ ने कहा..


“क्या किया गया होगा इस बंदर के साथ जो यह इतना खूनकर हो गया.” श्रुति उस बंदर के पिंजरे के पास जाते हुए कहा जिसके अंदर वो बंदर एक दम से बेसुध पढ़ा हुआ था. श्रुति जिज्ञासा के मारे उस पिंजरे के करीब जाकर उस बंदर का निरक्षण करने लगी की तभी वो बंदर एक दम से एक अजीब सी आवाज़ निकालता हुआ उसी पिंजरे के अंदर से श्रुति को काट खाने लिए झपटा. श्रुति एक दम से चीख मार्टी हुई पीछे हटी और रोहन से जाकर चिपक गयी. रोहन भी उस बंदर के पास जाकर देखा की इसे अचानक क्या हुआ था. लेकिन वो बंदर थोड़ी देर तक तड़प्ता रहा फिर शांत हो गया.
“यह क्या माजरा है? कुछ समझ में नहीं आ रहा है. कौन इन बंदरों पर इतना बुरा एक्सपेरिमेंट कर रहा है जिसकी वजह से यह लोग की यह हालत हो गयी है.” परवेज़ ने कहा. इससे पहले की रोहन कुछ और कहता अचानक उन्हें लब के बाहर से किसी के कदमों की आवाज़ आने लगी. कदमों की आवाज़ सुनकर वह तीनों पहले थोड़ा चौंके फिर एक कोने में जाकर छिप गये. फिर लब में कोई प्रवेश हुआ. उसके चेहरे पर परेशानी के भाव साफ समझ में आ रहे थे. ऐसा लग रहा था मानो उस पर कितना बड़ा पहाड़ टूट पढ़ा हो. रोहन उस व्यक्ति को देख रहा था की वो उस बंदर के पिंजरे के पास जाकर कुछ मुयएना कर रहा था. फिर कुछ देर बाद उसने पास में रखी हुई एक सरिंज निकाली और फिर उसमें कुछ भरने लगा. फिर उसके बाद वही सरिंज उसने उस बेसुध से पढ़े हुए बंदर को लगाया. उसके कुछ ही पलों बाद वो बंदर एक बार फिर से झपट्टा मारा और उस पिंजरे में इधर उधर तड़प्ता रहा और फिर खामोश हो गया. वो अपनी तसल्ली के लिए एक डंडे से उस बंदर को हिलाने दुलाने लगा. वो यह तय करना चाहता था की उसके अंदर जो दवा उसने डाली है उसका क्या असर हुआ है उस बंदर पर .. उस व्यक्ति के द्वारा जब उस बंदर को हिलाने दुलाने के बाद वो बंदर नहीं हिला तो वो समझ गया की इस बंदर पर वो जो प्रयोग करना चाहता था वो उसमें वो सफल हो गया है. फिर उसके बाद उस व्यक्ति के चेहरे पर एक इत्मीनान सा आ गया मानो उसे ऐसा लग रहा हो जैसे उसके सर पर रखा हुआ भोजा हाथ गया हो. रोहन, परवेज़ और श्रुति यह सब नज़ारा देख रहे थे और समझने की कोशिश कर रहे थे की यह व्यक्ति क्या कर रहा था उस बंदर के साथ और क्यों कर रहा था. लेकिन उनकी कुछ समझ में नहीं आ रहा था इसलिए रोहन अपनी जगह से खड़ा हुआ और सीधा जाकर उस व्यक्ति को जो अब कुर्सी पर इत्मीनान से बैठा हुआ था एक जोरदार मारी की वो कुर्सी समेट दूर जा गिरा. उस व्यक्ति को कुछ समझ में नहीं आया की अचानक यह क्या हुआ. वो पलट कर अपने हमलवार को देखा जो एक बार फिर से उसकी तुकाई करने के लिए तैयार था.
“के..सीसी…कौन हो तुम? “ उसने कहा.
“पहले तू बता मादरचोड़….तू कौन है और इन बंदरों के साथ तू क्या कर रहा है?” कहते हुए रोहन फिर एक जोरदार लात उसकी पिच्छवाड़े पर मारा. वो व्यक्ति रोहन के इस वार से एक दम भॉकला गया.
“त..तुम….कहा से आ आए हो और तुम्हें क्या चाहिए?”
“आबे भोसड़ी के मुझसे सवाल बाद में पूछना पहले यह बता तू कौन है और इस वीरने जंगल में यह सब क्या कर रहा है?” रोहन उसकी बात का जवाब ना देते हुए अब उसके कॉलर से उसको पकड़ते हुए कहा. अब इतनी देर में श्रुति और परवेज़ भी उसके करीब आ चुके थे.
“बब्ब…बताता हूँ…..मेरा नाम……विक्रम है. में एक साइंटिस्ट हूँ और यहां पर में एक केमिकल का टॉक्सिकॉलजी टेस्ट कर रहा था. जिसके लिए मैंने इन बंदरों को छूना था अपने एक्सपेरिमेंट के लिए…..”
“क्या कर रहा था में समझा नहीं?” परवेज़, विक्रम की बात काटते हुए कहा.
“परवेज़ भाई इसका मतलब है की यह जिस केमिकल का टेस्ट कर रहा उसका क्या असर रहता है इसके लिए इसने इन….
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बंदरों को छूना था अपने एक्सपेरिमेंट के लिए.” श्रुति, परवेज़ को समझते हुए कहा.
“वो तो ठीक है. लेकिन तेरे इस एक्सपेरिमेंट से इन बंदरों पर क्या असर पढ़ा है. यह इतने खूनकर क्यों हो गये?” रोहन, विक्रम की और देखते हुए कहा.
“दरसा यह मेरे दो सहायक थे उनकी गलती से हुआ था. उन्होंने शराब के नशे में एक बंदर पर उस केमिकल का ओवेरडोज़े टेस्ट कर लिया था. जिसकी वजह से उस बंदर पर केमिकल रिएक्शन हुआ और वो खूनकर हो गया.” विक्रम ने कहा.
“तुम लोगों ने कितने बंदरों पर यह एक्सपेरिमेंट किया था?” श्रुति ने विक्रम की तरफ देखते हुए कहा.
“सिर्फ़ एक बंदर था उस वक्त.” विक्रम ने जवाब दिया.
“सिर्फ़ एक! लेकिन बाहर तो कई ऐसे बंदर है जिसपर यह एक्सपेरिमेंट किया हुआ लग रहा है. मेरा मतलब है अगर तूने सिर्फ़ एक बंदर पर यह एक्सपेरिमेंट किया था तो यह लोग की तादाद इतनी कैसे हो गयी?” रोहन ने कहा.
“वाइरस! वाइरस की वजह से. मेरे कहने का मतलब है जो केमिकल रिएक्शन उस बंदर पर हुआ था उसने वही चीज़ अपने साथी बंदर को दे दी और उसके साथी बंदर ने दूसरों को. और इसी तरह एक बंदर दूसरे बंदर को अपनी तरह खूनकर बनाते गये.”
“लेकिन मेरी समझ में यह नहीं आया की यह बीमारी सिर्फ़ बंदरों में क्यों ट्रांसफर हो रही है……इंसानो में या कोई दूसरे जानवर में क्यों नहीं हुई?” इस बार परवेज़ ने कहा.
“वो इसलिए की…उस केमिकल रिएक्शन की वजह से वह सारे बंदर इतने खूनकर हो जाते है और फिर उन्हें हर वक्त खून और माँस की तलाश रहती है. वह अपनी बिरादरी को तो कुछ नहीं करते है लेकिन जैसे ही उन्हें उनकी बिरादरी से कोई बाहर वाला दिखता है तो वो झपट पढ़ते है उसपर और तब तक उस पर झपते रहते है जब तक उसके जिस्म से माँस का एक एक टुकड़ा ना कहा ले. तो ऐसी सूरत में जब कोई बंदरों के अलावा ज़िंदा ही नहीं बचेगा तो वो वाइरस कैसे दूसरों में पहुंचेगा.” इतना कहते हुए विक्रम खामोश हो गया. फिर रोहन, विक्रम का गला पकड़ते हुए कहता है.
“लेकिन तुझे इस जंगल में यह एक्सपेरिमेंट करने की क्या जरूरत पढ़ गयी?” जब थोड़ी देर तक विक्रम, रोहन की बात का कोई जवाब नहीं दिया तो रोहन ने एक तमंचा उसके गाल पे खींच के मारा. रोहन का जोरदार हाथ पढ़ते ही विक्रम बिलबिला उठा और कहने लगा.
“ववओो….में गैर कानोनी तरीके से यह सब एक्सपेरिमेंट करता हूँ और फिर उन्हें ब्लैक मार्केट में बेच देता हूँ. और इसके लिए मुझे ऐसी ही एकांत जगह चाहिए थी.”
“साले मादरचोड़!! तेरे इस एक्सपेरिमेंट की वजह हम सब की मां बहन हुई वो अलग और ना जाने कितनों की जान चली गयी बहनचोद!!!”
“हां बहनचोद बोल!! क्यों किया तूने ऐसा?” इस बार श्रुति ने कहा. रोहन और परवेज़ हैरत से श्रुति की तरफ देखने लगे.
“ययएएः….क्या बक रही हो?” रोहन, श्रुति की तरफ देखते हुए कहा.
“क्यों गाली सिर्फ़ तुम ही बक सकते हो में नहीं?” श्रुति भी जवाब देते हुए कहा.
“अरे लेकिन….तुम पर अच्छा नहीं लगता है.”
“तो तुम्हारे ऊपर भी अच्छा नहीं लगता है. जब तक तुम गाली देना बंद नहीं करोगे में भी तुम्हारी तरह यूँही गालियाँ देती रहूंगी. तभी तुम्हें एहसास होगा जब तुम गालियाँ बकते हो तो मुझे कितना बुरा लगता है.”
“अच्छा अच्छा ठीक है. नहीं देता में गाल्यान, लेकिन आज के बाद तुम यह सब नहीं कहोगी.”
“वाह बेटा वाह!! इतनी जल्दी पलटी कहा गया. मेरे मना करने पर तो आज तक यह आदत छ्छूती नहीं और आज इनकी एक आवाज़ पर तूने मिंटो में गाली देना छोड दिया.” परवेज़ तंज़ करता हुआ बोला. परवेज़ की बात सुनकर श्रुति थोड़ा सा खिलखिला कर हँसने लगी.
“अच्छा ठीक है . यह वक्त इन बातों का नहीं है. पहले ज़रा हम इस नमूने से तो निपट ले.” रोहन ने कहा.. फिर रोहन विक्रम की तरफ देख कर कहा.
“अब यह बता की जो बीमारी तूने इन जानवरो में फेलाइ है इसका कोई तोड़ है?”
“हां..हां…मैंने अभी अभी एक आंटिडोट तैयार किया है. और अभी मैंने जो इंजेक्शन इस बंदर को दिया है यह वही आंटिडोट है. जिसके कारण यह अपनी पुरानी अवस्था में आ गया है.” विक्रम ने पिंजरे की तरफ इशारा करते हुए कहा जिसमें वो बंदर एक दम बेसुध पढ़ा हुआ गहरी गहरी साँसें ले रहा था.


“अरे वाह!! यह तो बहुत बढ़िया हो गया!! अब हम आसानी से इन दरिंदो को मर कर इस जंगल से निकल सकते है.” परवेज़ ने कहा.
“वो तो ठीक है. लेकिन हम इतने सारे दरिंदो को एक साथ इंजेक्शन तो नहीं दे सकते ना.” रोहन ने कहा.
“हां यार! बात तो तेरी ठीक है. मैंने तो इस बारे में सोचा ही नहीं. अब हम क्या करे?” परवेज़ ने कहा.
“हम एक काम कर सकते है. हम इसे यहां के फोरेस्ट ऑफिसर के हवाले कर देंगे. फिर जब उन्हें इन बंदारो के बारे में मालूम पड़ेगा तो वह कुछ ना कुछ इसका हाल जरूर निकालेंगे.” श्रुति ने कहा.
“यह नहीं हो सकता क्योंकि हम दोनों फोरेस्ट ऑफिसर्स के सामने नहीं जा सकते, इसमें खतरा है.” परवेज़, श्रुति की तरफ देखते हुए कहा.
“परवेज़ ठीक कह रहा….
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है. हमें कुछ और सोचना होगा.” रोहन ने कहा
उन तीनों को बातें करता हुआ देख विक्रम कुछ सोचने लगा और फिर कहने लगा.
“अगर आप लोगों को इस जंगल से निकलना है तो में इसमें आप लोगों की मदद कर सकता हूँ.”
“वो कैसे?” रोहन ने कहा.
“स्टोर रूम में तीन या चार ट्रांक्विललाइज़र गन्स होगी. अगर हम उसके डार्ट्स के अंदर यह आंटिडोट भर देंगे तो शायद हम उनका मुकाबला आसानी से कर सकते है.” विक्रम जवाब में कहा.
“हम” से तुम्हारा क्या मतलब? क्या तुम भी हमारे साथ आना चाहते हो?” श्रुति ने विक्रम की तरफ देखते हुए कहा.
“हां.हां….बिलकुल…मुझे भी यहां से जल्द से जल्द निकलना है. क्योंकि अगर में यहां रहा तो में बेमौत मारा जाऊंगा.” विक्रम ने कहा.
“क्यों? इसके बारे में तुम्हें पहले ख्याल नहीं आया था जब तुम इन जानवरों पर अपना एक्सपेरिमेंट कर रहे थे?” श्रुति ने थोड़ा व्यंग करते हुए कहा.
“देखो में मानता हूँ की मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था. में अपने किए पर शर्मिंदा भी हूँ.” फिर विक्रम थोड़ा रुक कर फिर कहने लगा. ” लेकिन अगर आप लोग मुझे अपने साथ लेकर चलते है तो इसमें आप लोगों का भी भला होगा.”
“इसमें भला हमारा क्या भला है भाई?” परवेज़ ने कहा.
“देखो इन बंदारो में जो बीमारी है इसके बारे में सिर्फ़ मुझे पता है, तो यह संभव है की इसका तोड़ भी मेरे पास है. अगर में आप लोगों के साथ में रहूँगा तो उन सब से निपटने में आप लोगों की सहायता भी कर सकूँगा.” विक्रम ने कहा.
“हां परवेज़!! यह ठीक कह रहा है. इसका हमारा साथ में रहना जरूरी है.” रोहन ने कहा.
“लेकिन रोहन यह गलत है. यह आदमी ना जाने कितने मासूमों का हत्यारा है. इसने जो कांड किया है उसके लिए इसे सजा मिलनी चाहिए.” श्रुति ने कहा.
“श्रुति जी!!! वो सब ठीक है. अगर हम इसे सजा दिलवाने जाएँगे तो हमें भी लेने के देने पढ़ जाएँगे. हमें इस वक्त बस इस जंगल से निकालने के बारे में सोचना चाहिए.” परवेज़ ने कहा.
“ठीक है परवेज़ भाई अगर तुम्हारी बात मान भी लेते है तो भी प्रॉब्लम्स खत्म नहीं होगी क्योंकि इस आदमी के अनुसार जिन बंदारो में यह वाइरस होता है वो एक दूसरे में शामिल करते है. अगर उनका कोई तोड़ नहीं ढूंढ़ा गया तो यह दरिंदे अभी फिलहाल इस जंगल में है, अगर इनकी आबादी तरफ जाएगी तो यह शहरो में भी अपना आतंक मचा देंगे. और हो सकता है और भी कई सारी मासूमू की जाने चली जाए. इन दरिंदो को आतंक मचाने से अगर कोई रोक सकता है तो इस वक्त हम ही है. तो प्लीज़ मेरी मानो तो इसे यहां के अतॉरिटी के हवाले कर दो इसी में सब की भलाई रहेगी.” श्रुति ने कहा.
“अरे लेकिन अगर………” परवेज़ कुछ और कहता रोहन उसे चुप करता हुआ बोला.
“श्रुति ठीक कह रही परवेज़!! हम इतने सारे मासूमों की जान के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते. हमें इस कुत्ते को फोरेस्ट ऑफिसर्स के हवाले करना पड़ेगा.” फिर परवेज़, रोहन घसीटता हुआ एक कोने में ले गया और धीमे धीमे कहने लगा.
“आबे तेरा दिमाग खराब हो गया है? फोरेस्ट ऑफिसर्स के पास जाएगा तो जानता है ना क्या होगा?”
“हां जानता हूँ, वह हमें गिरफ्तार कर लेंगे. यही ना? तो ठीक है. एक काम करते तू श्रुति को अपने साथ इस जंगल से बाहर ले जा और में इस कमीने को फोरेस्ट ऑफिसर्स के हवाले कर देता हूँ. बाद में अगर वह लोग मुझे गिरफ्तार करेंगे तो कार्नो दो.”
“आबे तू पागल…..”
“बस मुझे जो कहना है मैंने कह दिया. अब जैसे में कह रहा हूँ तू वैसा कर” कहते हुए रोहन, श्रुति की तरफ बढ़ने लगा.
“श्रुति तुम एक काम करो तुम परवेज़ के साथ चली जाओ में इसे अकेला ही फोरेस्ट ऑफिसर्स के हवाले कर देता हूँ.” रोहन, श्रुति के तरफ देख कर कहा.
“अकेले…? में कुछ समझी नहीं?” श्रुति ने कहा.
“अब इसमें समझना क्या है. परवेज़ तुम्हें यहां से हिफ़ाज़त से बाहर निकाल ले जाएगा.” रोहन ने कहा.
“नहीं रोहन तुम जानते हो में ऐसा नहीं कर सकती. में भी तुम्हारे साथ चलूंगी.”
“यह नहीं हो सकता श्रुति, अगर हम दोनों वहां गये तो हम दोनों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा. इसलिए कह रहा हूँ प्लीज़ इसके साथ में चली जाओ.”
“अगर परवेज़ भाई जाना चाहते है तो वह जा सकते है लेकिन में तुम्हारे साथ ही जाओंगी. और अगर तुम और ज़बरदस्ती करोगे तो में इसी वक्त बाहर चली जाओंगी, फिर चाहे वह दरिंदे मुझे मर डाले या कुछ भी कर डाले.” श्रुति ने कहा.
“श्रुति जी ठीक कह रही है रोहन…तू क्या समझता है मुझे बचाने के लिए तू अकेला जाकर गिरफ्तार हो जाएगा तो क्या मुझे अच्छा लगेगा. आबे दोस्त हूँ में तेरा……तो हर हाल में दोस्ती निभाओंगा अगर गिरफ्तार होना ही है तो हम दोनों गिरफ्तार होंगे. तू अकेला क़ुर्बानी क्यों देगा.” परवेज़ ने कहा. रोहन के पास कहने के लिए अब कुछ भी नहीं बच्चा था. उसे उन दोनों की बात माननी ही पढ़ी.
“ठीक है ठीक है…ज्यादा जज़्बाती मत बन.. चल मेरे साथ. लेकिन हम यहां से जाएँगे कैसे? हमें तो पता भी नहीं है की फोरेस्ट ऑफिसर्स वालो का…
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हेडक्वॉर्टर्स कहा होगा?”
“मुझे पता है.” श्रुति का इतना कहना ही था की वह दोनों हैरत से श्रुति की तरफ देखने लगे जो इस वक्त अपने सामने रखे हुए टेबल पर कुछ पेपर्स को पढ़ रही थी..
“तुम्हें पता है? पर कैसे? हम दोनों को नहीं पता और तुम्हें कैसे पता चल गया.?” रोहन हैरत से कहा.
“इस नक्शे की वजह से” श्रुति उन पेपर्स में से कुछ उठाते हुए दिखाई जो एक नक्शा था.
“नक्शा? यह कैसा नक्शा है?” रोहन हैरत से श्रुति के हाथ में नक्शे को देखते हुए कहा.
“यह इस नेशनल पार्क का पूरा नक्शा है. कौनसा रास्ता किस तरफ जाएगा इसके बारे में पूरी इन्फार्मेशन दी हुई है इसमें.”
“रोहन यह तो बहुत अच्छा हुआ अब आसनई से यहां से निकल सकते है. वैसे हम इस वक्त किधर है श्रुति जी?” परवेज़ ने कहा. शरइत ने नक्शे में किसी एक तरफ उंगली रखकर बताया.
“चलो इस नमूने ने कुछ तो अच्छा काम किया है.” परवेज़ ने कहा.
“अब हमें और देर नहीं करना चाहिए और फौरन फोरेस्ट डिपार्टमेंट के हेडक्वॉर्टर जाना चाहिए. जितनी जल्दी हो सके हमें इस आफत को रोकना होगा.” रोहन, श्रुति से वो नक्शा अपने हाथ में लिया और बारे गौर से फोरेस्ट डिपार्टमेंट के हेडक्वॉर्टर के जाने का रास्ता समझने लगा.


इधर फोरेस्ट डिपार्टमेंट के हेडक्वॉर्टर में…
“विजय जी!! आप घबराए नहीं आपकी बेटी के बारे में जल्द ही हमें कुछ ना कुछ खबर जरूर मिल जाएगी.मैंने अपने कुछ ऑफिसर्स को श्रुति और उसके दोस्तों की तलाश के लिए भेजा है” उमेश ने कहा.
“ज़रा जल्दी करिए उमेश जी!! आप तो जानते है जंगल में कितने खूनकर जानवर घूम रहे है. कही मेरी श्रुति को कुछ हो ना जाए.” विजय से पहले सौंदर्या ने रोते हुए उमेश से कहा.
“देखिए मैडम हम अपनी पूरी कोशिश कर रहे है आप लोग……” अभी वो कुछ और कहते की इतने में उसके केबिन में कोई जूनियर ऑफिसर आकर कहने लगा.
“सर! अभी एक लड़की मिली है. जिसकी हालत इस वक्त बहुत नाज़ुक है और वो बहुत बुरी तरह से जख्मी भी है. हमें जो गुमशुदा बच्चों की रिपोर्ट मिली है यह उन्हीं में से एक लग रही है क्योंकि यह अपना नाम छाया बता रही है.” इतना सुनना था की एक तरफ खड़े छाया के मां बाप चौंक गये और झट से उस ऑफिसर की तरफ बढ़ने लगे.
“कहा है हमारी बच्ची!! हम….हम उसके पेरेंट्स है….प्लीज़ जल्दी से हमें उससे मिलवओ..” इतनी देर उमेश भी उन दोनों के पास आ गया और उस ऑफिसर से कहने लगा.
“इस वक्त वो लड़की किधर है?” उमेश ने कहा
“सर! यही सर उसका ट्रीटमेंट चल रहा है.” उस ऑफिसर ने जवाब दिया.
“ओके चलो देखते है उसे!! आप लोग भी आइये मेरे साथ.” उमेश उन सारे पेरेंट्स से कहता हुआ उधर चला गया जहां छाया का उपचार चल रहा था.
छाया जो इस वक्त एक दम बेहाल हुई थी. जगह जगह से उसके कपड़े पाते हुए थे और उन पाते हुई जगह से उसके गहरे गहरे जख्म साफ नज़र आ रहे थे. दूर से देखने में मालूम पढ़ रहा था की उसपर कितना अत्याचार हुआ होगा.डॉक्टर्स और नर्स उसका जल्दी से उपचार करने लगे. अभी उसकी सारी ड्रेसिंग अभी पूरी हुई थी की उस कमरे में यकायक ढेर सारे लोग प्रवेश कर गये. पहले उमेश आया फिर उसके पीछे पीछे छाया के मां बाप. और आते ही वह छाया से गले लग रख रोते रहे. फिर काफी देर वो भावक शान खत्म हुआ तो उमेश ने छाया से सवाल पूछने लगा.
“छाया? अब तुम कैसा फील कर रही हो?”
“पहले से बेहतर.” छाया ने जवाब दिया
“अच्छा छाया तुम्हारे दोस्त कहा है इस वक्त?” उमेश ने कहा. उमेश का इतना कहना था की छाया फिर से फूट फूट कर रोने लगी.
“क्या हुआ छाया बेटी तुम कुछ बोलती क्यों नहीं? कहा है मेरा बेटा निखिल?” संजीव सान्याल जो निखिल के पिता थे काफी देर से चुप बैठे हुआ था. छाया को रोता देख कर उससे पूछने लगे.
“अंकल…..निखिल इस नो मोर .” रोते रोते छाया ने बताया. इतना सुनना था की संजीव ज़ोर ज़ोर से रोने लगा. और इतना सुनना था की बाकी के और पेरेंट्स भी घबरा गये और सब एक साथ अपने बच्चों के बारे में छाया से सवाल पूछने लगे. यह देखकर छाया और घबरा गयी. उमेश ने उन्हें बड़ी मुश्किल से रोका और फिर से छाया से पूछने लगा.
“छाया? क्या तुम हमें पूरी बात बनाएगी की तुम यहां कैसे पहुँची? क्योंकि तुम लोग का प्लान तो नैनीताल जाने का था तो यहां कैसे तुम सब लोग पहुंच गये?”
“वो दो गुंडों की वजह से.” छाया ने रोते हुए कहा.
“गुंडे? कौन गुंडे और इस वक्त कहा है?” उमेश थोड़ा हैरत से पूछा.
“मुझे नहीं पता वह दोनों इस वक्त कहा है. वह बस हमें अपने साथ में बंदी बनाकर यहां लाए थे और फिर हमें अकेला छोड कर चले गये थे.”
“एक काम करो छाया तुम हमें शुरू से सारी बताओ की तुम्हारे साथ में क्या क्या हुआ था और यह गुंडे कौन थे जो तुम्हें और तुम्हारे दोस्त से मिले थे.” उमेश ने कहा. फिर उसके बाद छाया ने सारी बात बता दी ढाबे से लेकर और नेशनल पार्क….
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में रोहन और परवेज़ ने उन्हें बंदी बनाकर लाए थे सब बता दिया.
“लेकिन वह तुम लोगों को ज़बरदस्ती अपने साथ क्यों इस नेशनल पार्क में लाए थे जब वह यूँही तुम लोगों को छोड़ दिए.”
“ई डोंट नो……..शायद उन्हें नेशनल पार्क एंट्री करने में किसी चीज़ का डर था….मेरे ख्याल से वह हमें इसलिए अपने साथ लाए थे ताकि अगर हम सब उनके साथ रहेंगे तो उन पर किसी का शक़ुए नहीं जाएगा और वह आसानी से नेशनल पार्क में एंटरयकर लेंगे.”
“सर!! मेरे ख्याल से यह उन्हीं पोचर्स में से कोई होंगे जिनकी हमें तलाश थी. शायद उन्हें कही से मालूम पढ़ गया होगा की हमें उनकी तलाश है तो इन्हें अपनी ढाल बनाकर यहां पर लाए होंगे.” उस जूनियर ओफ्फ्सेर्स ने उमेश से कहा.
“हम….यही हो सकता है. वरना वह इन्हें नेशनल पार्क में एंट्री करने के बाद यूँही नहीं छोड देते.” उमेश थोड़ा घंभी स्वर में कहते हुए कहा.
“ओके छाया फिर उसके बाद क्या हुआ. जब वह दोनों तुम सबको छोड कर चले गये थे?” उमेश ने फिर से छाया से सवालों का सिलसिला चालू कर दिया. उसके बाद छाया ने विस्तार से उन सबको वही बताया जो उसके और उसके दोस्तों के साथ उन बंदारो का हमला हुआ था.
“खैर में कैसे कैसे कर के अपनी जान बचाकर वहां से भाग निकली. मुझे नहीं लगता शायद मेरे अलावा कोई और बच्चा होगा. वह इतने खूनकर थे की वह शायद ही किसी को बख़्शे होंगे.” छाया ने कहा. छाया का इतना कहना था की बाकी के सारे पेरेंट्स हें हें करने की आवाजें आने लगी वह अपने बच्चों की मौत की खबर जो सुन लिए थे. लेकिन फिर भी विजय को भरोसा नहीं था की उसकी श्रुति इतनी आसानी से उसे छोड कर जा सकती है. वो फिर से छाया से सवाल पूछने लगा.
“छाया बेटा? क्या तुमने श्रुति को भी उन दरिंदो का शिकार बनते ड्यू देखा था?”
“नहीं अंकल मैंने तो नहीं देखा था……..” फिर छाया कुछ सोचते हुए बोली .” हां मुझे याद आया की उन जानवरो में से एक ने श्रुति के पीछे लपका जरूर था लेकिन वो उसे पकड़ नहीं पाया था क्योंकि उससे पहले ही श्रुति उस खाई में गिर गयी थी.” यह सुनकर सौंदर्या एक घबरा गयी.
“क्या!!!! मेरी बेटी खाई में गिर गयी थी. ओह नूऊऊओ…….विजय अब क्या होगा?”
“एक मिनट सौंदर्या रुको….” सौंदर्या को चुप कराकर विजय फिर से छाया से पूछने लगा.
“अच्छा छाया यह बताओ जिस खाई की तुम बात कर रही हो क्या वो बहुत गहरी थी? मेरा मतलब है की अगर वहां से कोई गिरता है तो क्या जरूरी है की वो अपनी जान खो बैठे?”
“ई थिंक……नो………ऐसा कोई जरूरी तो नहीं है क्योंकि वो खाई इतनी डीप भी नहीं मगर इतनी शॅलो (कम गहरी) भी नहीं थी.मेरे ख्याल से हो सकता है श्रुति वहां से गिरकर ज़िंदा भी हो. लेकिन उन जानवारो का कोई भरोसा नहीं अगर वो इतने दीनों तक ज़िंदा भी होगी तो वह जरूर उसे कोई ना कोई नुकसान जरूर पहुंचाए हुए होंगे.”
“हो सकता है जिस तरह तुम अपनी जान बच्चा कर आई हो उसी तरह मेरी श्रुति भी आ जाए.” सौंदर्या ने रोते हुए कहा.
“ हो सकता है और नहीं भी. अगर उसकी किस्मत अच्छी रही तो वो शायद ज़िंदा भी बच जाए.” छाया थोड़ा मुंह बनाते हुए बोली क्योंकि अभी तक उसके दिल में श्रुति के लिए नफरत जो भारी थी.
“जरूर आएगी मेरी बेटी.” कहते हुए विजय, उमेश की तरफ देख कर कहा.
“उमेश जी!! ई होप के मेरी बेटी अभी भी ज़िंदा हो सकती है. हमें एक बार फिर से उसे जगह पर जाकर देखना चाहिए. शायद वो हमें मिल जाए. पता नहीं मेरी बेटी इस वक्त किस हाल में होगी.”
“रिलॅक्स मिस्टर. विजय! हम एक बार फिर जाएँगे श्रुति को ढूँढे. बस मुश्किल यह है की इस वक्त रात के अंधेरे में किसी की तलाश करना मूसखिल है. अब हमें सुबह ही सर्च ऑपरेशन करना पड़ेगा.


उधर सवेरा होते ही रोहन, श्रुति और परवेज़ , विक्रम की गाड़ी लेकर हेडक्वॉर्टर के लिए निकल पढ़े थे. उन्होंने ने विक्रम को भी अपने साथ बंदी बनकर लिया हुआ था और उन दरिंदो से सामना करने के लिए वो डार्ट गन्स भी ली हुई थी अपने साथ. अभी वह आधा ही रास्ता पार किए थे की अचानक जिस गाड़ी पर वह बैठे हुए थे उस पर गोलियाँ चलने लगी और एक गोली जाकर गाड़ी के तैयार पर जा लगी. रोहन जो गाड़ी चला रहा था अचानक हुए इस हमले से अपना नियंत्रण खो बैठा और गाड़ी सीधा जाकर एक पेड़ से जा टकराई. अचानक हुए इस हमले से कोई संभाल नहीं पाया था और अंदर बैठे सभी लोगों को चोटें भी आई थी. श्रुति आगे की सीट पर बैठे होने के कारण बेहोश हो गयी थी और रोहन भी काफी हद तक घायल हो गया था. पीछे बैठे हुए परवेज़ और विक्रम को हल्की सी चोटें आई थी. रोहन को समझ ही नहीं आ रहा था यह अचानक कौन इन पर गोलियाँ बरसाने लगा था. वो अपनी हालत को सुधरते हुए यह सब सोच ही रहा था की तभी उस गाड़ी का….
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दरवाजा खोलते हुए कई सारे फोरेस्ट रेंजर्स अपनी गुण से उसको निशाने बनाने लगे.
“बाहर निकलो!! जल्दी!!” वो फोरेस्ट रेंजर चिल्लाता हुआ रोहन से कहा. रोहन उस फोरेस्ट रेंजर की बातों को नजरअंदाज करते हुए अपनी भाई और देखा जहां श्रुति घायल अवस्था में बेहोश पढ़ी हुई थी.
“श्रुति? शुर्ती? तुम ठीक हो??” रोहन, श्रुति को हिलाते हुए कहा. रोहन को अपनी बातों पर अमल ना करते हुए उस फोरेस्ट रेंजर ने उसकी तरफ का दरवाजा खोला और उसे जबरन बाहर निकालने लगा. फिर देखते ही देखते उन्होंने सभी को अपने हिरासत में ले लिया. श्रुति को उन्होंने अपनी एक गाड़ी में बारे प्यार से लिटा दिया था. अचानक हुए इस हमले को रोहन समझ ही रहा था की तभी उसने देखा की एक औरत और एक आदमी जिनकी उमर 45 से 50 के आस पास थी और उन दोनों के साथ में एक लड़की भी उसे नज़र आई. लेकिन उस लड़की को देखकर उसे 1000 वॉल्ट का झटका सा लगा क्योंकि यह लड़की कोई और नहीं बल्कि उन्हीं लड़कों और लड़कियों में से एक थी जिन्हें वो और परवेज़ बंदी बनाकर लाए थे. उसे बड़ी हैरत हो रही की यह लड़की उन दरिंदो के हमले में कैसे बच गयी. फिर तभी उसे एहसास हुआ की अचानक उन लोगों पर यह हमला क्यों हुआ था. क्योंकि वो समझ गया था की यह लड़की फोरेस्ट डिपार्टमेंट वालो को उसके और परवेज़ के बारे में सब बता दी होगी और तभी यह लोग उनको ढूँढते हुए यहां तक आ गये.
“यही है सर!! यही दोनों है!! जिन्होंने मुझे और मेरे दोस्तों को किडनॅप करके यहां लाए थे. और उन लोगों को की मौत के जिम्मेदार भी यही दोनों है.” छाया, उमेश को रोहन और परवेज़ के बारे में बताने लगी
“लेकिन मेरी श्रुति किधर है?” सौंदर्या जो एक दम घबराई हुई थी उसने कहा. तभी उन फोरेस्ट रेंजर में एक ने कहा.
“हमें इनके पास से एक लड़की बेहोशी की अवस्था में मिली है, आइये और उसे शिनाकस्ट कीजिए.” कहता हुआ वो ऑफिसर विजय और सौंदर्या को उस गाड़ी की तरफ ले गया जिसमें श्रुति बेहोशी की अवस्था में थी. और फिर जैसे ही उन दोनों ने श्रुति को घायल और बेहोशी की अवस्था में देखा तो बिलक बिलक कर रोने लगे.
“हां यही तो है हमारी श्रुति. ओह माइ गॉड!!! इसकी हालत तो देखो विजय!. क्या किया है इस जालिम ने मेरी बेटी के साथ में.” श्रुति को अपने से गले लगते हुए सौंदर्या ने कहा.
“घबराइए नहीं इसे ज्यादा चोट नहीं आई है. इसे जल्द ही होश आ जाएगा.” उस ऑफिसर ने कहा. सौंदर्या को श्रुति के पास चोद कर विजय एक दम गुस्से की हालत में सीधा जाकर रोहन के गाल पर लगातार थप्पड़ मारने लगा.
“कमीने तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी फूल जैसी बेटी के साथ यह सब करने की. में तेरा वो हाल करूँगा की तेरी सात पुश्ते भी तुझे पहचान नहीं पाएगी हरंखोर!!!!!!” फिर बड़ी मुश्किल से उसे च्छुदाया गया. जब विजय को रोहन से अलग किया गया तो रोहन, उमेश की तरफ देखते हुए कहा.
“सर में मानता हूँ मैंने गलत काम किया है. लेकिन यह वक्त इन सब बातों का नहीं है. हमें सबसे पहले उन जानवरो को रोकना पड़ेगा जो इस जंगल में आतंक मचा के रखे हुए है. और उन्हें रोकने के लिए मैंने मेरे पास इसका तोड़ भी है.” रोहन की बात सुनकर उमेश एक दम चौंक सा गया.
“क्या कहा तुमने?? तुम्हारे पास इसका तोड़ है. कैसे??” फिर रोहन ने उसे सारी बात बता दी. सारी बात जाने के बाद उमेश का तो सर ही घूम गया.
“कुत्ते कमीने तेरी नालयकी की वजह से हमें कितनी बड़ी मुसीबत उतनी पढ़ रही इसका तुझे अंदाज़ा है? उमेश, विक्रम को लताड़ता हुए कहा. फिर उमेश ने अपने जूनियर ऑफिसर को बुलाया और कहने लगा.
“लगता है हमें मिलिटरी की मदद लेनी पड़ेगी इस पूरे ऑपरेशन के लिए. तुम एक काम करो जल्द से कुछ साइंटिस्ट्स की टीम तैयार करो, और इस ससेंटिस्ट ने जो आंटिडोट तैयार किया है उसी फ़ॉर्मूले के बसे पर और आंटिडोट तैयार करो. हमें जल्द से जल्द उन जानवरो को रोकना पड़ेगा वरना प्रलय आ जाएगी.”
फिर कुछ देर बाद्ष्रुति को होश आता है तो वो देखती है की उसके मम्मी और पापा उसके पास खड़े हुए थे. वो उठने की कोशिश करने लगी तो उसके सर में थोड़ा दर्द होने लगा. उसने अपने हाथ को अपने सर पर रखा तो मालूम पड़ा की उसके सर पर पट्टी बँधी हुई है. फिर उसे अचानक याद आया की उसके सर में चोट कैसे लगी थी. फिर वो और शॉक हो गयी की उसके मम्मी और पापा यहां पर कैसे आ गये और रोहन और परवेज़ किधर है.
“मामा, पापा आप दोनों यहां पर कैसे?” लेकिन सौंदर्या उसकी बात का जवाब ना देते हुए सीधे उसके हाल चाल पूछने लगी.
“मेरी बच्ची तुम्हें होश आ गया! अब तुम कैसा फील कर रही हो?”
“ई’में ओके मामा. बस सर में थोड़ा दर्द है. लेकिन आप यह बताए की आप दोनों यहां कैसे पहुंच गये? और रोहन कहा है?”
“रोहन? कौन रोहन?” सौंदर्या, विजय की तरफ सवालिया निगाहों से….
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