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है. हमें कुछ और सोचना होगा.” रोहन ने कहा
उन तीनों को बातें करता हुआ देख विक्रम कुछ सोचने लगा और फिर कहने लगा.
“अगर आप लोगों को इस जंगल से निकलना है तो में इसमें आप लोगों की मदद कर सकता हूँ.”
“वो कैसे?” रोहन ने कहा.
“स्टोर रूम में तीन या चार ट्रांक्विललाइज़र गन्स होगी. अगर हम उसके डार्ट्स के अंदर यह आंटिडोट भर देंगे तो शायद हम उनका मुकाबला आसानी से कर सकते है.” विक्रम जवाब में कहा.
“हम” से तुम्हारा क्या मतलब? क्या तुम भी हमारे साथ आना चाहते हो?” श्रुति ने विक्रम की तरफ देखते हुए कहा.
“हां.हां….बिलकुल…मुझे भी यहां से जल्द से जल्द निकलना है. क्योंकि अगर में यहां रहा तो में बेमौत मारा जाऊंगा.” विक्रम ने कहा.
“क्यों? इसके बारे में तुम्हें पहले ख्याल नहीं आया था जब तुम इन जानवरों पर अपना एक्सपेरिमेंट कर रहे थे?” श्रुति ने थोड़ा व्यंग करते हुए कहा.
“देखो में मानता हूँ की मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था. में अपने किए पर शर्मिंदा भी हूँ.” फिर विक्रम थोड़ा रुक कर फिर कहने लगा. ” लेकिन अगर आप लोग मुझे अपने साथ लेकर चलते है तो इसमें आप लोगों का भी भला होगा.”
“इसमें भला हमारा क्या भला है भाई?” परवेज़ ने कहा.
“देखो इन बंदारो में जो बीमारी है इसके बारे में सिर्फ़ मुझे पता है, तो यह संभव है की इसका तोड़ भी मेरे पास है. अगर में आप लोगों के साथ में रहूँगा तो उन सब से निपटने में आप लोगों की सहायता भी कर सकूँगा.” विक्रम ने कहा.
“हां परवेज़!! यह ठीक कह रहा है. इसका हमारा साथ में रहना जरूरी है.” रोहन ने कहा.
“लेकिन रोहन यह गलत है. यह आदमी ना जाने कितने मासूमों का हत्यारा है. इसने जो कांड किया है उसके लिए इसे सजा मिलनी चाहिए.” श्रुति ने कहा.
“श्रुति जी!!! वो सब ठीक है. अगर हम इसे सजा दिलवाने जाएँगे तो हमें भी लेने के देने पढ़ जाएँगे. हमें इस वक्त बस इस जंगल से निकालने के बारे में सोचना चाहिए.” परवेज़ ने कहा.
“ठीक है परवेज़ भाई अगर तुम्हारी बात मान भी लेते है तो भी प्रॉब्लम्स खत्म नहीं होगी क्योंकि इस आदमी के अनुसार जिन बंदारो में यह वाइरस होता है वो एक दूसरे में शामिल करते है. अगर उनका कोई तोड़ नहीं ढूंढ़ा गया तो यह दरिंदे अभी फिलहाल इस जंगल में है, अगर इनकी आबादी तरफ जाएगी तो यह शहरो में भी अपना आतंक मचा देंगे. और हो सकता है और भी कई सारी मासूमू की जाने चली जाए. इन दरिंदो को आतंक मचाने से अगर कोई रोक सकता है तो इस वक्त हम ही है. तो प्लीज़ मेरी मानो तो इसे यहां के अतॉरिटी के हवाले कर दो इसी में सब की भलाई रहेगी.” श्रुति ने कहा.
“अरे लेकिन अगर………” परवेज़ कुछ और कहता रोहन उसे चुप करता हुआ बोला.
“श्रुति ठीक कह रही परवेज़!! हम इतने सारे मासूमों की जान के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते. हमें इस कुत्ते को फोरेस्ट ऑफिसर्स के हवाले करना पड़ेगा.” फिर परवेज़, रोहन घसीटता हुआ एक कोने में ले गया और धीमे धीमे कहने लगा.
“आबे तेरा दिमाग खराब हो गया है? फोरेस्ट ऑफिसर्स के पास जाएगा तो जानता है ना क्या होगा?”
“हां जानता हूँ, वह हमें गिरफ्तार कर लेंगे. यही ना? तो ठीक है. एक काम करते तू श्रुति को अपने साथ इस जंगल से बाहर ले जा और में इस कमीने को फोरेस्ट ऑफिसर्स के हवाले कर देता हूँ. बाद में अगर वह लोग मुझे गिरफ्तार करेंगे तो कार्नो दो.”
“आबे तू पागल…..”
“बस मुझे जो कहना है मैंने कह दिया. अब जैसे में कह रहा हूँ तू वैसा कर” कहते हुए रोहन, श्रुति की तरफ बढ़ने लगा.
“श्रुति तुम एक काम करो तुम परवेज़ के साथ चली जाओ में इसे अकेला ही फोरेस्ट ऑफिसर्स के हवाले कर देता हूँ.” रोहन, श्रुति के तरफ देख कर कहा.
“अकेले…? में कुछ समझी नहीं?” श्रुति ने कहा.
“अब इसमें समझना क्या है. परवेज़ तुम्हें यहां से हिफ़ाज़त से बाहर निकाल ले जाएगा.” रोहन ने कहा.
“नहीं रोहन तुम जानते हो में ऐसा नहीं कर सकती. में भी तुम्हारे साथ चलूंगी.”
“यह नहीं हो सकता श्रुति, अगर हम दोनों वहां गये तो हम दोनों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा. इसलिए कह रहा हूँ प्लीज़ इसके साथ में चली जाओ.”
“अगर परवेज़ भाई जाना चाहते है तो वह जा सकते है लेकिन में तुम्हारे साथ ही जाओंगी. और अगर तुम और ज़बरदस्ती करोगे तो में इसी वक्त बाहर चली जाओंगी, फिर चाहे वह दरिंदे मुझे मर डाले या कुछ भी कर डाले.” श्रुति ने कहा.
“श्रुति जी ठीक कह रही है रोहन…तू क्या समझता है मुझे बचाने के लिए तू अकेला जाकर गिरफ्तार हो जाएगा तो क्या मुझे अच्छा लगेगा. आबे दोस्त हूँ में तेरा……तो हर हाल में दोस्ती निभाओंगा अगर गिरफ्तार होना ही है तो हम दोनों गिरफ्तार होंगे. तू अकेला क़ुर्बानी क्यों देगा.” परवेज़ ने कहा. रोहन के पास कहने के लिए अब कुछ भी नहीं बच्चा था. उसे उन दोनों की बात माननी ही पढ़ी.
“ठीक है ठीक है…ज्यादा जज़्बाती मत बन.. चल मेरे साथ. लेकिन हम यहां से जाएँगे कैसे? हमें तो पता भी नहीं है की फोरेस्ट ऑफिसर्स वालो का…