Gaurav1969
Nobody dies as Virgin. .... Life fucks us all.
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Thank you...Lootera bro aapki story ne to dil hi loot liya
Yrr likhne ka man nahi krta..... Socha tha logo ka response achha aayega..... (ab to m bhi kuchh points miss na kr du aane wale updates me....bohot time se dhyan nhi diya).storyline achhi hai sath mein characters bhi .abhi 12 hi update aaye hai isiliye jyada clear nahi hua hai .par story achhi hai aur mai ye story pura padhna chahunga so waiting for next update
Nice update bro
अच्छी कहानी है
Kal late night .... update aa jaygaUpdate kab ayega brother
Thank youBro starting humesha achhi nahi hoti par journey badhiya ho jaati hai aur ending jabardast .
Mai to updates hi de sakta hu ..... Baaki promo vagera nhiAap updates post kijiye sath hi thoda promo bhi .
Nii nii thik h.... Signature me mat dalo abhi utni achhi likhai h nhi meriMain abhi ise apne signature mein daal raha hu taaki meri tarah sochne wale readers wahan se aapki story tak pahunch ske .
Thanks for your motivationIntezaar rahega next update ka .
Tata ke bhi starting mein 1 ya 2 customer hi aaye honge ab dekho
Mast update hai or aise hi update jaldi hi denaUpdate 13
सुबह, जैसे ही नींद खुलती है वीर सामने काव्या के चेहरे को देखकर सोचता है "ये सोते हुए भी कितनी प्यारी लगती है" और मुस्कुराते हुए उसके चेहरे पे आए बालों को कान के पीछे कर देता है, जिससे काव्या जाग जाती है लेकिन, अपनी आंखें नहीं खोलती ....... तभी वीर आह्ह्हह!!!....करके चिल्लाता है!
दरअसल काव्या ने उसके के हाथ पर काट लिया था.. ....और हंस रही थी...
तो वीर भी काव्या के बमटे पर मारते हुए "मेरी बिल्ली कुछ ज्यादा ही जंगली हो रही है"
काव्या(प्यार से): वीर के गले में हाथ डालते हुए, अच्छा! और रात में कौन जंगली हुआ जा रहा था .....देखो!!! (कपड़े हटाकर दिखाते हुए) ये क्या किया आपने "अभी तक बॉडी में पेन हो रहा है" (आखिर ये इतने एनर्जेटिक क्यूं है)
वीर(काव्या के माथे पर किस करते हुए): अच्छा! पर मेरी वाइफी ने तो रात बोहोत एंजॉय किया...
काव्या: हम्मम...लेकिन दर्द तो अभी तक हो रहा है न..
वीर काव्या को गले लगाते हुए... अच्छा!!! आओ तुम्हारा सारा का सारा दर्द अभी निकलता हूं.....
उसे किस करने ही वाला था के..
काव्या : अरे!! हटो आप भी न ......
"सुबह सुबह रोमांस सूझ रहा है"
वो उठकर बाथरूम भाग जाती है..
जबकि वीर यहां, लेटे लेटे सोच रहा था..... इतने दिनों तक दूर......कैसे रहेगा???
काव्या अब उसकी आदत बन गई थी..
तो वो उठकर जाता है और बाथरूम का गेट नोक करता है.....
काव्या: अंदर से ही....हां, क्या है???
वीर: जरा एक मिनट, गेट खोलना......काव्या जैसे ही गेट खोलती है....वीर उसपर झपट पड़ता है और बाथरूम की दीवार से लगाते हुए, किस करने लगता है...
वीर का एक हाथ काव्या के सिर के पीछे था..... पहले तो काव्या उसका साथ नही दे रही थी, लेकिन जैसे ही वीर का दूसरा हाथ उसकी बैक पर चलते हुए ब्रा स्ट्रैप से टकराता है...
वह चिहुंक उठती है और किस का रिस्पॉन्स करने लगती है...
किस करते हुए ही वीर उसे उठा लेता है....अब काव्या के दोनों पैर वीर की कमर के इर्द गिर्द लिपटे हुए थे...इस बीच उनका किस ज़रा सी देर के लिए भी नहीं टूटता
वीर उसे दूसरी दीवार पर लगाते हुए ऊपर से शावर ऑन कर देता है दोनो भीगते हुए भी किस किए ही जा रहे थे...दोनों एक दूसरे में मगन थे
और जब उनकी किस टूटती है.....
काव्या: मुझे कॉलेज भी जाना है, तो अभी नहीं, ....लेकिन वीर उसे पकड़ लेता है "कल मेरा इंटरव्यू है" आज तो मै चला जाऊंगा लेकिन उससे पहले..
वीर जब काव्या के कंधों को पकड़कर नीचे की तरफ पुश करता है तो काव्या नीचे बैठ जाती है ....और वीर के लंड को जल्दी जल्दी चूसने लगती है....
जैसे वीर का लंड चिकना हुआ उसने काव्या को दीवार के सहारे आगे की तरफ झुकाया और पैंटी साइड में करते ही...एक झटके में अपना पूरा का पूरा लंड काव्या के अंदर उतार दिया.... आह्हह्ह... करके काव्या काफी जोर से चीखी, अभी वो इस तरह हमले के लिए पूरी तरह से तैयार भी नहीं हो पाई थी....
वीर धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगता है अआआआहहहह्.... आआआ... हम््ममम... यंय्ययययय ..उम्ममम ....
वीर अपनी रफ्तार को अब और गति दे रहा था जिससे काव्या की सिसकियां और भी तेज होती जा रही थी....अम्मम ममम...आहहाहाहहह.. तेज़जज.....औऔ...र्रृररर तेजज्ज्ज ....
वीर काव्या की सिसकियां सुनकर उसके बालों को खींचकर पकड़ता है और तेजी से धक्के लगाने लगता है .....
काव्या: आह्हह्ह मैं गई.... आह्हह्ह..अह्न
दोनों को ही जल्दी थी इसीलिए काव्या तो झड़ गई लेकिन वीर का अभी नहीं हुआ था ....तो वह अपनी रफ्तार और बढ़ाने लगा
काव्या....ओह्ह मांअ्अआ धीरे .....थोड़अ्अ् ....धीर््रररे.....आह्हहह.. आह्ह्.... अम्मम....
गांड़ पर थप्पड़ जड़ते हुए वीर, तेजी से काव्या की ले रहा था..... काव्या अइस्ससस..... आंह्हह.... आंह्हह.... अम्मम .... इस्ससस.... अहहहहह...हु्म्मम की आवाजे निकाल रही थी
वीर भी अब जल्दी से जल्दी झड़ना चाहता था लेकिन उसका हो ही नहीं रहा था...
वीर सटाक से अपना लंड बाहर निकलता है और गांड पर सेट करते ही...एक जोर के झटके के साथ काव्या की गांड में उतार देता है...
आह्हह्ह...काव्या पहले से भी ज्यादा जोर से चीखी...अब वह थक चुकी थी...
तभी वीर ने दूसरा झटका दिया....और अब पूरा का पूरा लंड काव्या की गांड में चला गया
काव्या आह्ह् करके चिल्लाती है....वीर अब धीरे धीरे धक्के लगाना चालू करता है
काव्या... ्अ्यियी...यस्स्स.. अहह... आंह्हह धध्धधीरर््र्र्रे अ्म्मम...
्वीर अब काफी जोर से काव्या को चोद रहा था काव्या.. अंह्हहहंहु.... आअह्हह...ओहह््ह.... अब वीर झड़ने के काफी करीब था इसीलिए और भी जोर से धक्के लगाता है.... अहहह अब्ब... बस्ससस......कर्र्रररो...आंह्््हहह..... अंह्ह.. ...हहंहु..... आह्ह्.... और वीर झड़ जाता है
दोनो साथ में नहाते है........इस बीच भी वीर काव्या को किस करने का कोई मौका नहीं छोड़ता..
दोनो एक दूसरे पर साबुन मलते है और जब दोनो बाहर आते है तो वीर तैयार होके अपनी पैकिंग करने लगता है....
जबकि काव्या तैयार होते ही नाश्ता बनाने चली गई...... अभी उसने अपने बाल खोले हुए थे क्योंकि वीर ने अभी अभी उसे वहां निशान दे दिया था जो सीधे ही नजर आ रहा था...
काव्या उसे बालों से छुपाने की कोशिश कर रही थी तभी रिया भी किचेन में आती है और काव्या की मदद करती है नाश्ता बनाने में.....
थोड़ी देर बाद सभी नाश्ता करते है, रंभा नाश्ता करते ही अस्पताल के लिए निकल जाती है वहीं काव्या.... भी कॉलेज के लिए रेडी होने चली जाती है!!
रिया: तो बेटू....अब कब तक वापिस आओगे??
वीर: पता नहीं दी, वहां मुझे कुछ और भी काम निपटाने है तो वक्त लग सकता है... आप काव्या का ध्यान रखना!!
रिया (घूरते हुए) : ऐसा क्या!!
वीर: अरे!! दी... गलत मत समझना... मैं तो यूं ही कह रहा था......
रिया(हँसते हुए): अरे!! बाबा मैं भी तो अपने भाई की खिंचाई कर रही थी!!!
तभी यशस्वी वहां आ जाती है...
यशस्वी : तो चले!! जीजू ...
वीर(यशस्वी से): आज तो तुम्हे ही काव्या को ले जाना होगा... मैं तो बाहर जा रहा हूं
यशस्वी: ओके! .....और तिरछी नजरों से वीर की ओर देखने लगती है..
तभी काव्या बाहर आती है और छिच््छ....
करके
वीर को अंदर आने का इशारा करती हैं.... वहीं यशस्वी, काव्या के इस अंदाज को देखकर मन ही मन ख्याली पुलाव पकाती है...
अगर मेरी शादी जीजू से हुई होती तो
वो मन ही मन मुस्कुरा ही रही थी....तभी
रिया: क्या बात है?? यशी... हुम्म!!....और जोरो से हंसने लगती है....
यशस्वी शर्माकर अपना चेहरा हाथों से धक लेती है
वहीं रूम में
काव्या: यहां आइए.....वीर जब उसके पास जाता है तो वो उसे बेड पर बैठा देती है..
काव्या अब उसे अपना हाथ आगे लाने को कहती है..
वीर जब अपना हाथ आगे बढ़ाता है तो काव्या एक लाल धागा उसके हाथ में बांध देती है...
वीर: ये क्या है?....
काव्या: इसे बांध कर रखना ये धागा आपकी हर बाधा को पार करने में मदद करेगा!!
वीर ने उसकी तरफ हैरानी से देखा....
जब मैं सोमवार व्रत रखती थी... तो मंदिर में, एक बाबा जी ने मुझे ये दिया था!! और कहा था
जब सुहागन हो जाना तब आवश्यक होने पर इसे बांध लेना
वीर: तो बाबा ने ये धागा तो तुम्हें दि...(काव्या उसके मुंह पर हाथ रखते हुए)....आपके और मेरे बीच सब कुछ हमारा है
वीर(इमोशनल होकर): काव्या को गले लगा लेता है...
"मेरे लिए ये संभव नहीं, कि पूरी दुनिया तुम्हारे नाम कर दूं, लेकिन मेरी जो दुनिया है, वो बस तुम्हारी है"
और माथे पर किस करते हुए काव्या से अलग हो जाता है
तभी बाहर से (यशस्वी की आवाज आती है)..
काव्या: आई!....
और जल्दी से वीर के गाल पर किस करते हुए बाहर चली जाती है
यशस्वी काव्या को ही...मुस्कुराते हुए देखे जा रही थी, दोनो जैसे ही घर के बाहर आती है..
यशस्वी: अरे दी!! अपने दुपट्टा ऐसे क्यूँ पहना है?
उसे ठीक करने लगती है.......तभी उसकी नजर काव्या के गले के लव बाइट पर जाती है जो अभी तक लाल था...
यशस्वी(छेड़ते हुए): वाओ दी!!...क्या? इसी के लिए अभी जीजू को रूम बुलाया था?
काव्या: अरे! पागल, ये अभी का थोड़े है....और अपनी जीभ दांतों तले दबा लेती है (ये क्या बोल गई मैं)
यशस्वी: अब तो पक्का हो गया !! ये वही है.....
काव्या: अरे! छोड़ न, चल जल्दी.....कही देर न हो जाए और दोनों स्कूटी के पास पहुंच जाती है..
वहीं दूसरी ओर....
अशोक रंभा के ख्यालों में खोया हुआ था...
[जब यशस्वी का जन्म हुआ.... तो इसकी सबसे ज्यादा खुशी अशोक को हुई थी, लेकिन उसके कुछ ही समय बाद, उसकी बीवी किसी और के साथ भाग गई...
इसीलिए उसने आगे किसी और औरत पर कभी भरोसा नहीं किया और खुद ही यशस्वी की परवरिश की.... यहां तक कि जब यशस्वी स्कूल जाने लायक हुई तो उसने अपनी डाक्टरी छोड़ दी....(जब यशस्वी छोटी थी तो वो उसे अपने साथ ही हॉस्पिटल ले जाता था)....
उसने रिजाइन किया और उसी स्कूल का टीचर बना जिसमें यशस्वी को भेजना था ....
लेकिन अब यशस्वी कॉलेज जाने लगी है]
...इस वक्त अशोक के दिमाग में यही चल रहा था, क्यूं न सरकारी अस्पताल ज्वाइन किया जाए जहां वह रंभा से भी मिल पाएगा!!!
घर पर...
रिया: बेटू! सब तैयारी हो गई??....
अच्छे से जाना और हां इस बार इंटरव्यू निकाल कर ही आना!
वीर: हम्मम!!
रिया: वहां कहां रुकोगे?
वीर: दी! मेरे फ्रेंड्स है वहां पर.... आप उसकी टेंशन मत लो..
रिया: ठीक है 'बेस्ट ऑफ लक'.....
वीर रिया के पैर छूकर.... सिटी में बैठकर निकल पड़ता है मंजिल के लिए...
वहीं यशस्वी और काव्या दोनो कॉलेज जा रही थी....
यशस्वी: दी!! इस संडे रेडी रहना मै आपको स्कूटी सिखाऊंगी .....
काव्या: ओके!!
(उनके पीछे ही एक गाड़ी उन्हें फॉलो कर रही थी)
काव्या: यशु! क्या तुम्हे कभी प्यार हुआ है?
यशस्वी: नो वे!! मैं कभी प्यार व्यार के चक्कर में नहीं पड़ती ....मुझे सिर्फ अपने पापा से प्यार है....
इतना सुनते ही काव्या अपनी पुरानी यादों में चली जाती है.... जहां न तो उसे मां का प्यार मिला न ही बाप ने.. कभी उसका साथ दिया!
यशस्वी: क्या हुआ दीदी....कहा खो गई??
काव्या: क्क..कहीं नहीं.... तभी कॉलेज आ गया!.....
काव्या और यशस्वी को तो पार्किंग वाले गेट से एंट्री मिल गई जहां गाड़ी खड़ी करके वो अंदर जा सकती थी!!
लेकिन जो उनके पीछे गाड़ी थी उसे गार्ड ने रोक दिया....आप गेट न.1 से जाइए (दरअसल! यहां से केवल स्टूडेंट्स की एंट्री होती है..... लेकिन अगर कोई किसी और कारण से कॉलेज विजिट करना चाहता है तो उसे मैंन गेट से एंट्री करके जाना पड़ता है)....खैर उसने गाड़ी चालू की और अगले गेट पर दस्तखत करते हुए एंट्री ली
काव्या और यशस्वी दोनो ही बाते करते हुए अपनी अपनी क्लास की ओर बढ़ रही थी....... वही उनके पीछे वो शख्स भी अपनी नजरे बनाए हुए था!!
काव्या अपनी क्लास में पहुंचती है... वहां कुछ ही स्टूडेंट्स थे, जिनमें जानवी और लकी साथ बैठे बातें कर रहे थे....और काव्या के आते ही दोनों के एक दूसरे को अजीब तरीके से देखने लगे...
काव्या दूसरे बेंच पर बैठने जा ही रही थी कि..
जानवी: अरे! काव्या यहां आ!! (दरअसल दोनो अक्सर ही साथ में बैठा करती थी लेकिन अभी वहां लकी था, तो काव्या उसके जाने का ही वेट कर रही थी)
लकी बेंच से उठते हुए मैं अपनी क्लास ही जाने वाला था...
लेकिन काव्या उसकी ओर देखती तक नहीं और उसी बेंच पर बैठ जाती है.....तो
लकी(जानवी से): तू ब्रेक में आके मुझसे मिल और काव्या की तरफ स्माइल करते हुए बाहर चला जाता है..
यहां इनकी क्लासेस चल रही थी...
वहीं अशोक जो पहले प्राइवेट हॉस्पिटल में डॉक्टर था... अब सरकारी अस्पताल ज्वाइन करना चाहता था इसीलिए अपने कॉन्टैक्ट्स से जुगाड़ सेट करने की कोशिश करता है... ताकि प्रोसैस के पचड़े से न गुजरना पड़े...
(वो भी अपने समय में सिटी का जाना माना डॉक्टर था)
क्लास खत्म होने पर..... जैसे ही ब्रेक होता है जानवी बाहर जाने लगती है...
काव्या: अरे! "रुक.... में भी आती हू"
(अब जानवी को तो अकेले जाना था क्योंकि लकी ने उसे बुलाया था.... अब वो करे तो क्या करे...यही सोच रही थी)
तभी उनके पास क्लास की CR आती है और दोनों से आने वाले डिबेट कंप्टीशन में भाग लेने के लिए कहती है..
जानवी(CR से): अभी मुझे जरूरी काम है तुम काव्या से बात करो...और उन्हें वहां छोड़कर जानवी पहुंच जाती है रूफ टॉप तक जाने वाली सीढ़ियों के पास....
(अब छत पर जाना तो एलाऊड था नहीं इसलिए ऊपर का गेट हमेशा ही बंद रहता था लेकिन बच्चे एकांत के लिए सीढ़ियों पर बैठ जाया करते थे)
तभी लकी आता है, और जानवी से बातें करने लगता है...
सीढ़ियों के ऊपर ही....यशस्वी बैठे अपने मोबाइल में कुछ मॉडल्स की तस्वीरों को जूम कर-करके देख रही थी....और मुस्कुरा रही थी
(सीढ़ियां घुमावदार थी थोड़ा स्पेस छोड़कर 90 डिग्री के 3 टर्न थे)
जानवी और लकी सीढ़ियों के बीच बैठे बाते कर रहे थे, जिसे उनसे थोड़ा ऊपर उनके बगल में बैठी यशस्वी भी सुन पा रही थी....दीवार की आड़ होने की वजह से उन्हें पता ही नहीं लगा कि उनके दूसरी तरफ भी कोई है
यहां CR और काव्या के बीच टॉपिक को लेकर चर्चा हो रही थी... क्योंकि उसने लगभग सभी विषयों के लिए कैंडिडेट्स चुन लिए थे...अब बस उसे इक्वलिटी(समानता) पर डिबेट करने के लिए ही एक कैंडिडेट की जरूरत थी, और अंत में काव्या को वो मना ही लेती है...
वहीं, जानवी और लकी की बातें....अब खत्म हो चुकी थी इसलिए जानवी, जल्दी से काव्या के पास पहुंच जाती है...
लेकिन काव्या तो उसके डिबेट पार्टनर के साथ बातचीत पर बिजी थी...
काव्या; इक्वलिटी एक ऐसा विषय है जिसे हमें व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखना होगा........पता नहीं डिबेट किस प्रकार की समानता की ओर जाएगी वो लोग इसे जेंडर इक्वलिटी या अधिकारों की समानता पता नहीं कहां से कहां तक ले जाए... इसीलिए इस बारे में अभी से सोचना शुरू कर दो......
खैर ब्रेक खत्म होता है...और क्लास में टीचर की एंट्री होती है......अब काव्या ने डिबेट में भाग तो ले लिया था....लेकिन...उसे...इसका जरा भी अनुभव नहीं था........
इसलिए क्लास में भी सारा वक्त उसका ध्यान डिबेट की ओर ही रहा....
(उसके पास सिर्फ दो दिन थे तैयारी के लिए) ....
क्लासेस खत्म करने के बाद काव्या पार्किंग में जाती है जहां यशस्वी उसका इंतेज़ार कर रही थी....
अब क्योंकि हॉस्टल वैन भी पार्किंग तक आती थी इसीलिए काव्या के साथ साथ जानवी भी वहीं आ रही थी ....
यशस्वी जो बात काव्या से करना चाहती थी वो वहां होना संभव नहीं थी..
यशस्वी: दी! चलें
काव्या: जानवी को बाय करते हुए.... हम्म..चलो और दोनों निकल पड़ती है घर के लिए...
जैसी ही पार्किंग से निकलकर वो मैंन रोड पर आतीं है फिर से वही गाड़ी उनका पीछा करने लगती है...
यशस्वी: दीदी, मुझे आपको कुछ बताना था
काव्या: हम्म, बताओ क्या है??
यशस्वी: यहां नहीं घर चलके!....वैसे आपकी ओर जानवी दी की दोस्ती हुई कैसे...
काव्या.. पहले कुछ देर चुप रहती है लेकिन कुछ देर सोचने के बाद उसे बताती है....
कैसे वो हॉस्टल में एक ही रूम में रहती थी... . और जरूरत पड़ने पर जानवी.... कैसे? काव्या को पैसे देती थी और काव्या भी उसकी पढ़ाई में मदद करती इत्यादि इत्यादि...
यशस्वी: तो क्या आपने अभी भी उसके पैसे लिए हुए है??
काव्या: अरे नहीं!! वो तो कभी कभार इमर्जेंसी आ जाती थी तो ले लेती थी, लेकिन जल्दी से लौटा भी देती थी.....
पर तुम ये सब क्यूँ पूछ रही हो??
यशस्वी: नहीं! बस ऐसे ही....और गाड़ी चलाते वक्त उनकी ज्यादा बातें नहीं हुई ..
अब काव्या और जानवी दोनो ही घर पहुंच चुकी थी....
यशस्वी: दी! आपके रूम में चलो आपसे कुछ जरूरी बातें करनी है!!
काव्या: हम्म.... आओ पता नहीं तुम्हारे दिमाग में क्या क्या चलता रहता, बताओ क्या बात है??...
दोनों काव्या के रूम में आ जाती है, यशस्वी पहले तो गेट बंद करती है और फिर अपना मोबाइल निकालर रिकॉर्डिंग प्ले कर देती है..
जानवी: मैं कर तो रही हूँ जितना कर सकती हूं..
लकी: अरे! क्या खाक कर रही है.....तू साली कुतिया किसी काम की नहीं है, तुझसे एक छोटा सा काम भी नहीं होता...
अब मेरी सुन!! तू उस रण्डी को किसी तरह मना और सनसेट व्यूपॉइंट की तरफ उसे घुमाने ले आ बाकी मैं सम्हाल लूंगा...
जानवी: लल्ल..लेकिन जबसे उसकी शादी हुई है ....उसके सामने तुम्हारी बात करने पर लगता है कहीं वो मेरा खून ही न कर दे...
लकी: तेरे दिमाग में भूसा भरा है क्या??
मैंने कब कहा तू उससे मेरी बात कर.... तू बस उसे वहां तक लेके आ....
जानवी: लेकिन...."अगर काव्या नहीं मानी तो"
लकी(गुस्से से): तेरी दोस्त है न वो... और अपने हाथ से जानवी का मुंह दबाते हुए..... मुझे न सुनने की आदत नहीं है.....समझी!!..
जानवी: ठ्ठठ..ठीक है!!..
रिकॉर्डिंग खत्म...
काव्या की आंखों में आंसु थे....तो यशस्वी ने उसे गले लगा लिया....
यशस्वी: अरे! दीदी में हूं न.... मै आपको कहीं अकेले जाने ही नहीं दूंगी... बस अब आप उस कुतिया की बात मत सुनना....
यशस्वी: वैसे दी! क्या आप इस आवाज वाले लड़के को जानती हो???
काव्या कुछ बोल ही नहीं रही थी उसे बहुत बड़ा झटका लगा था...
तभी काव्या का मोबाइल रिंग करने लगता है जिसे वह उठा तो लेती है...लेकिन उसके मुंह से आवाज ही नहीं निकलती...
फोन पर रूही थी..
रूही: हेलो!! ..भाभी....हेलो!!...(पर जब उसे काव्या की आवाज नहीं आई तो उसने कॉल काट दिया)
यशस्वी: दीदी! आप चिंता क्यों करती हो मै हूं न .....तभी फिर से रूही का कॉल आने लगता है.....इस बार वीडियो कॉल था जिसे यशस्वी उठा लेती है!!
रूही: अरे! तुम कौन हो, और भाभी कहा है....फोन स्पीकर पर था इसीलिए काव्या अपने आंसु पोंछने लगती है
यशस्वी: मै, आपकी भाभी की छोटी बहनऔर फिर काव्या को भी फ्रेम में ले लेती है...
रूही: भाभी!!..क्या मै आपके पास आ जाऊं
मेरी 3 दिन की छुटियां आने वाली है....काव्या तो कुछ नहीं बोलती लेकिन...
यशस्वी: हां हां बिल्कुल आ जाओ, खूब मस्ती करेंगे ..... और दोनों यहां वहां की बातें करने लगती है....
फिर काव्या भी थोड़ी देर रूही से बातें करती है और कॉल कट हो जाता है..
यशस्वी खड़े होकर अपने डोले जो कि थे नहीं दिखाते हुए...
"मेरे रहते आपको घबराने की जरूरत नहीं है.... मैं सबको देख लूंगी"
यशस्वी की बातों से काव्या का मन पहले ही हल्का हो चुका था इसीलिए वो भी हंस देती है..
यशस्वी: अच्छा! दी अब मैं चलती हूं.....यशस्वी के जाते ही काव्या के मन में फिर से तरह तरह के विचार आने लगे....
वो वीर को ये सब बताकर इंटरव्यू से पहले परेशान नहीं कर सकती थी..कल ही उसका इंटरव्यू था....वह सोचती है अगर वह जानवी की बात नहीं मानेगी तो कुछ नहीं होगा...
तभी वीर का कॉल आता है...वो पहुंच चुका था, इसीलिए काव्या से यहां वहां की बातें करता है काव्या भी उसे कल के लिए बेस्ट ऑफ लक कहके फोन काटने ही वाली थी कि...वीर, मेरी बिल्ली को कॉल रखने की इतनी जल्दी क्यों है??
काव्या: न्ननहीं तो.... वो मै, अभी अभी कॉलेज से आई ....फिर रूही से बातें करने लगी तो अभी तक चेंज नहीं किया है..
वीर: अच्छा! बाबा ठीक है ... रख दो फिर.. काव्या उसे कॉल पर ही किस करते हुए फोन रख देती है!!!
यशस्वी के घर...
अशोक: यशु बेटा! मैने सोचा है, क्यों न फिर से डॉक्टर बन जाऊ!!!
यशस्वी: पापा! आप तो मेरे सुपरमैन हो.... आपको जो ठीक लगे??
(अब यशस्वी को क्या पता कि उसके पापा उसके लिए मम्मी लाने की फ़िराक में है)
अशोक: ठीक है, बेटा......
'अशोक ने तो पूरी तैयारी पहले ही कर ली थी... बस उसे किस दिन से ज्वाइन करना है इसी का इंतजार था'
रात में..
डिनर के बाद काव्या, आने वाली डिबेट के लिए तैयारी कर रही थी.... और ज्यादा से ज्यादा पॉइंट्स तैयार कर रही थी जिससे डिबेट का रुख मोड़ जा सके लेकिन बीच बीच में उसे फिर वही ख्याल आ रहे थे!!!
काव्या: नहीं!! जानवी ऐसा कैसे कर सकती है? मेरे साथ???
मैं यहां तक कभी क्यों नहीं सोच पाई? उसने हमेशा से ही मुझसे सिर्फ लकी की बातें की .... इसके पीछे उसका मकसद इतना घिनौना होगा मैने सोचा ही नहीं था....
मैने उसके अलावा किसी और को कभी इतना करीबी दोस्त नहीं बनाया...
और जिसे बनाया वो ही मुझसे मेरा सबकुछ छीनना चाहती है....
इन्हीं सब बातों से परेशान काव्या पढ़ाई पर अपना ध्यान नहीं लगा पा रही थी..
इसीलिए बिस्तर पर आके लेट जाती है.... और मोबाइल में अपनी और वीर की शादी की फोटो देखने लगती है,
फिर पिछले एक डेढ़ महीने के बारे में सोचती है....
कैसे जल्दबाजी में उसकी शादी हुई और उसकी जिंदगी में इतनी सारी खुशियां एक साथ आ गई...
उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है, जिस प्यार की उसने कल्पना भी नहीं की थी वो उसे मिला...
साथ ही एक ऐसा परिवार जहां सास के रूप में एक मां और ननद के रूप में दो बहने मिली .....उसके लिए ये किसी सपने से कम नहीं था.....जिंदगी में पहली बार उसे पता चला कि घर क्या होता है...
यही सब सोचते सोचते वह नींद के आगोश में चली जाती है..
Thank you....yaha tak bane rehne k liye
Nice update lootera bro . Lucky ki planning se 2 kadam aage hi veer ne plan kar rakha hai bas dekhna hai ki kaise lucky ko toda jata hai.Update 13
सुबह, जैसे ही नींद खुलती है वीर सामने काव्या के चेहरे को देखकर सोचता है "ये सोते हुए भी कितनी प्यारी लगती है" और मुस्कुराते हुए उसके चेहरे पे आए बालों को कान के पीछे कर देता है, जिससे काव्या जाग जाती है लेकिन, अपनी आंखें नहीं खोलती ....... तभी वीर आह्ह्हह!!!....करके चिल्लाता है!
दरअसल काव्या ने उसके के हाथ पर काट लिया था.. ....और हंस रही थी...
तो वीर भी काव्या के बमटे पर मारते हुए "मेरी बिल्ली कुछ ज्यादा ही जंगली हो रही है"
काव्या(प्यार से): वीर के गले में हाथ डालते हुए, अच्छा! और रात में कौन जंगली हुआ जा रहा था .....देखो!!! (कपड़े हटाकर दिखाते हुए) ये क्या किया आपने "अभी तक बॉडी में पेन हो रहा है" (आखिर ये इतने एनर्जेटिक क्यूं है)
वीर(काव्या के माथे पर किस करते हुए): अच्छा! पर मेरी वाइफी ने तो रात बोहोत एंजॉय किया...
काव्या: हम्मम...लेकिन दर्द तो अभी तक हो रहा है न..
वीर काव्या को गले लगाते हुए... अच्छा!!! आओ तुम्हारा सारा का सारा दर्द अभी निकलता हूं.....
उसे किस करने ही वाला था के..
काव्या : अरे!! हटो आप भी न ......
"सुबह सुबह रोमांस सूझ रहा है"
वो उठकर बाथरूम भाग जाती है..
जबकि वीर यहां, लेटे लेटे सोच रहा था..... इतने दिनों तक दूर......कैसे रहेगा???
काव्या अब उसकी आदत बन गई थी..
तो वो उठकर जाता है और बाथरूम का गेट नोक करता है.....
काव्या: अंदर से ही....हां, क्या है???
वीर: जरा एक मिनट, गेट खोलना......काव्या जैसे ही गेट खोलती है....वीर उसपर झपट पड़ता है और बाथरूम की दीवार से लगाते हुए, किस करने लगता है...
वीर का एक हाथ काव्या के सिर के पीछे था..... पहले तो काव्या उसका साथ नही दे रही थी, लेकिन जैसे ही वीर का दूसरा हाथ उसकी बैक पर चलते हुए ब्रा स्ट्रैप से टकराता है...
वह चिहुंक उठती है और किस का रिस्पॉन्स करने लगती है...
किस करते हुए ही वीर उसे उठा लेता है....अब काव्या के दोनों पैर वीर की कमर के इर्द गिर्द लिपटे हुए थे...इस बीच उनका किस ज़रा सी देर के लिए भी नहीं टूटता
वीर उसे दूसरी दीवार पर लगाते हुए ऊपर से शावर ऑन कर देता है दोनो भीगते हुए भी किस किए ही जा रहे थे...दोनों एक दूसरे में मगन थे
और जब उनकी किस टूटती है.....
काव्या: मुझे कॉलेज भी जाना है, तो अभी नहीं, ....लेकिन वीर उसे पकड़ लेता है "कल मेरा इंटरव्यू है" आज तो मै चला जाऊंगा लेकिन उससे पहले..
वीर जब काव्या के कंधों को पकड़कर नीचे की तरफ पुश करता है तो काव्या नीचे बैठ जाती है ....और वीर के लंड को जल्दी जल्दी चूसने लगती है....
जैसे वीर का लंड चिकना हुआ उसने काव्या को दीवार के सहारे आगे की तरफ झुकाया और पैंटी साइड में करते ही...एक झटके में अपना पूरा का पूरा लंड काव्या के अंदर उतार दिया.... आह्हह्ह... करके काव्या काफी जोर से चीखी, अभी वो इस तरह हमले के लिए पूरी तरह से तैयार भी नहीं हो पाई थी....
वीर धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगता है अआआआहहहह्.... आआआ... हम््ममम... यंय्ययययय ..उम्ममम ....
वीर अपनी रफ्तार को अब और गति दे रहा था जिससे काव्या की सिसकियां और भी तेज होती जा रही थी....अम्मम ममम...आहहाहाहहह.. तेज़जज.....औऔ...र्रृररर तेजज्ज्ज ....
वीर काव्या की सिसकियां सुनकर उसके बालों को खींचकर पकड़ता है और तेजी से धक्के लगाने लगता है .....
काव्या: आह्हह्ह मैं गई.... आह्हह्ह..अह्न
दोनों को ही जल्दी थी इसीलिए काव्या तो झड़ गई लेकिन वीर का अभी नहीं हुआ था ....तो वह अपनी रफ्तार और बढ़ाने लगा
काव्या....ओह्ह मांअ्अआ धीरे .....थोड़अ्अ् ....धीर््रररे.....आह्हहह.. आह्ह्.... अम्मम....
गांड़ पर थप्पड़ जड़ते हुए वीर, तेजी से काव्या की ले रहा था..... काव्या अइस्ससस..... आंह्हह.... आंह्हह.... अम्मम .... इस्ससस.... अहहहहह...हु्म्मम की आवाजे निकाल रही थी
वीर भी अब जल्दी से जल्दी झड़ना चाहता था लेकिन उसका हो ही नहीं रहा था...
वीर सटाक से अपना लंड बाहर निकलता है और गांड पर सेट करते ही...एक जोर के झटके के साथ काव्या की गांड में उतार देता है...
आह्हह्ह...काव्या पहले से भी ज्यादा जोर से चीखी...अब वह थक चुकी थी...
तभी वीर ने दूसरा झटका दिया....और अब पूरा का पूरा लंड काव्या की गांड में चला गया
काव्या आह्ह् करके चिल्लाती है....वीर अब धीरे धीरे धक्के लगाना चालू करता है
काव्या... ्अ्यियी...यस्स्स.. अहह... आंह्हह धध्धधीरर््र्र्रे अ्म्मम...
्वीर अब काफी जोर से काव्या को चोद रहा था काव्या.. अंह्हहहंहु.... आअह्हह...ओहह््ह.... अब वीर झड़ने के काफी करीब था इसीलिए और भी जोर से धक्के लगाता है.... अहहह अब्ब... बस्ससस......कर्र्रररो...आंह्््हहह..... अंह्ह.. ...हहंहु..... आह्ह्.... और वीर झड़ जाता है
दोनो साथ में नहाते है........इस बीच भी वीर काव्या को किस करने का कोई मौका नहीं छोड़ता..
दोनो एक दूसरे पर साबुन मलते है और जब दोनो बाहर आते है तो वीर तैयार होके अपनी पैकिंग करने लगता है....
जबकि काव्या तैयार होते ही नाश्ता बनाने चली गई...... अभी उसने अपने बाल खोले हुए थे क्योंकि वीर ने अभी अभी उसे वहां निशान दे दिया था जो सीधे ही नजर आ रहा था...
काव्या उसे बालों से छुपाने की कोशिश कर रही थी तभी रिया भी किचेन में आती है और काव्या की मदद करती है नाश्ता बनाने में.....
थोड़ी देर बाद सभी नाश्ता करते है, रंभा नाश्ता करते ही अस्पताल के लिए निकल जाती है वहीं काव्या.... भी कॉलेज के लिए रेडी होने चली जाती है!!
रिया: तो बेटू....अब कब तक वापिस आओगे??
वीर: पता नहीं दी, वहां मुझे कुछ और भी काम निपटाने है तो वक्त लग सकता है... आप काव्या का ध्यान रखना!!
रिया (घूरते हुए) : ऐसा क्या!!
वीर: अरे!! दी... गलत मत समझना... मैं तो यूं ही कह रहा था......
रिया(हँसते हुए): अरे!! बाबा मैं भी तो अपने भाई की खिंचाई कर रही थी!!!
तभी यशस्वी वहां आ जाती है...
यशस्वी : तो चले!! जीजू ...
वीर(यशस्वी से): आज तो तुम्हे ही काव्या को ले जाना होगा... मैं तो बाहर जा रहा हूं
यशस्वी: ओके! .....और तिरछी नजरों से वीर की ओर देखने लगती है..
तभी काव्या बाहर आती है और छिच््छ....
करके
वीर को अंदर आने का इशारा करती हैं.... वहीं यशस्वी, काव्या के इस अंदाज को देखकर मन ही मन ख्याली पुलाव पकाती है...
अगर मेरी शादी जीजू से हुई होती तो
वो मन ही मन मुस्कुरा ही रही थी....तभी
रिया: क्या बात है?? यशी... हुम्म!!....और जोरो से हंसने लगती है....
यशस्वी शर्माकर अपना चेहरा हाथों से धक लेती है
वहीं रूम में
काव्या: यहां आइए.....वीर जब उसके पास जाता है तो वो उसे बेड पर बैठा देती है..
काव्या अब उसे अपना हाथ आगे लाने को कहती है..
वीर जब अपना हाथ आगे बढ़ाता है तो काव्या एक लाल धागा उसके हाथ में बांध देती है...
वीर: ये क्या है?....
काव्या: इसे बांध कर रखना ये धागा आपकी हर बाधा को पार करने में मदद करेगा!!
वीर ने उसकी तरफ हैरानी से देखा....
जब मैं सोमवार व्रत रखती थी... तो मंदिर में, एक बाबा जी ने मुझे ये दिया था!! और कहा था
जब सुहागन हो जाना तब आवश्यक होने पर इसे बांध लेना
वीर: तो बाबा ने ये धागा तो तुम्हें दि...(काव्या उसके मुंह पर हाथ रखते हुए)....आपके और मेरे बीच सब कुछ हमारा है
वीर(इमोशनल होकर): काव्या को गले लगा लेता है...
"मेरे लिए ये संभव नहीं, कि पूरी दुनिया तुम्हारे नाम कर दूं, लेकिन मेरी जो दुनिया है, वो बस तुम्हारी है"
और माथे पर किस करते हुए काव्या से अलग हो जाता है
तभी बाहर से (यशस्वी की आवाज आती है)..
काव्या: आई!....
और जल्दी से वीर के गाल पर किस करते हुए बाहर चली जाती है
यशस्वी काव्या को ही...मुस्कुराते हुए देखे जा रही थी, दोनो जैसे ही घर के बाहर आती है..
यशस्वी: अरे दी!! अपने दुपट्टा ऐसे क्यूँ पहना है?
उसे ठीक करने लगती है.......तभी उसकी नजर काव्या के गले के लव बाइट पर जाती है जो अभी तक लाल था...
यशस्वी(छेड़ते हुए): वाओ दी!!...क्या? इसी के लिए अभी जीजू को रूम बुलाया था?
काव्या: अरे! पागल, ये अभी का थोड़े है....और अपनी जीभ दांतों तले दबा लेती है (ये क्या बोल गई मैं)
यशस्वी: अब तो पक्का हो गया !! ये वही है.....
काव्या: अरे! छोड़ न, चल जल्दी.....कही देर न हो जाए और दोनों स्कूटी के पास पहुंच जाती है..
वहीं दूसरी ओर....
अशोक रंभा के ख्यालों में खोया हुआ था...
[जब यशस्वी का जन्म हुआ.... तो इसकी सबसे ज्यादा खुशी अशोक को हुई थी, लेकिन उसके कुछ ही समय बाद, उसकी बीवी किसी और के साथ भाग गई...
इसीलिए उसने आगे किसी और औरत पर कभी भरोसा नहीं किया और खुद ही यशस्वी की परवरिश की.... यहां तक कि जब यशस्वी स्कूल जाने लायक हुई तो उसने अपनी डाक्टरी छोड़ दी....(जब यशस्वी छोटी थी तो वो उसे अपने साथ ही हॉस्पिटल ले जाता था)....
उसने रिजाइन किया और उसी स्कूल का टीचर बना जिसमें यशस्वी को भेजना था ....
लेकिन अब यशस्वी कॉलेज जाने लगी है]
...इस वक्त अशोक के दिमाग में यही चल रहा था, क्यूं न सरकारी अस्पताल ज्वाइन किया जाए जहां वह रंभा से भी मिल पाएगा!!!
घर पर...
रिया: बेटू! सब तैयारी हो गई??....
अच्छे से जाना और हां इस बार इंटरव्यू निकाल कर ही आना!
वीर: हम्मम!!
रिया: वहां कहां रुकोगे?
वीर: दी! मेरे फ्रेंड्स है वहां पर.... आप उसकी टेंशन मत लो..
रिया: ठीक है 'बेस्ट ऑफ लक'.....
वीर रिया के पैर छूकर.... सिटी में बैठकर निकल पड़ता है मंजिल के लिए...
वहीं यशस्वी और काव्या दोनो कॉलेज जा रही थी....
यशस्वी: दी!! इस संडे रेडी रहना मै आपको स्कूटी सिखाऊंगी .....
काव्या: ओके!!
(उनके पीछे ही एक गाड़ी उन्हें फॉलो कर रही थी)
काव्या: यशु! क्या तुम्हे कभी प्यार हुआ है?
यशस्वी: नो वे!! मैं कभी प्यार व्यार के चक्कर में नहीं पड़ती ....मुझे सिर्फ अपने पापा से प्यार है....
इतना सुनते ही काव्या अपनी पुरानी यादों में चली जाती है.... जहां न तो उसे मां का प्यार मिला न ही बाप ने.. कभी उसका साथ दिया!
यशस्वी: क्या हुआ दीदी....कहा खो गई??
काव्या: क्क..कहीं नहीं.... तभी कॉलेज आ गया!.....
काव्या और यशस्वी को तो पार्किंग वाले गेट से एंट्री मिल गई जहां गाड़ी खड़ी करके वो अंदर जा सकती थी!!
लेकिन जो उनके पीछे गाड़ी थी उसे गार्ड ने रोक दिया....आप गेट न.1 से जाइए (दरअसल! यहां से केवल स्टूडेंट्स की एंट्री होती है..... लेकिन अगर कोई किसी और कारण से कॉलेज विजिट करना चाहता है तो उसे मैंन गेट से एंट्री करके जाना पड़ता है)....खैर उसने गाड़ी चालू की और अगले गेट पर दस्तखत करते हुए एंट्री ली
काव्या और यशस्वी दोनो ही बाते करते हुए अपनी अपनी क्लास की ओर बढ़ रही थी....... वही उनके पीछे वो शख्स भी अपनी नजरे बनाए हुए था!!
काव्या अपनी क्लास में पहुंचती है... वहां कुछ ही स्टूडेंट्स थे, जिनमें जानवी और लकी साथ बैठे बातें कर रहे थे....और काव्या के आते ही दोनों के एक दूसरे को अजीब तरीके से देखने लगे...
काव्या दूसरे बेंच पर बैठने जा ही रही थी कि..
जानवी: अरे! काव्या यहां आ!! (दरअसल दोनो अक्सर ही साथ में बैठा करती थी लेकिन अभी वहां लकी था, तो काव्या उसके जाने का ही वेट कर रही थी)
लकी बेंच से उठते हुए मैं अपनी क्लास ही जाने वाला था...
लेकिन काव्या उसकी ओर देखती तक नहीं और उसी बेंच पर बैठ जाती है.....तो
लकी(जानवी से): तू ब्रेक में आके मुझसे मिल और काव्या की तरफ स्माइल करते हुए बाहर चला जाता है..
यहां इनकी क्लासेस चल रही थी...
वहीं अशोक जो पहले प्राइवेट हॉस्पिटल में डॉक्टर था... अब सरकारी अस्पताल ज्वाइन करना चाहता था इसीलिए अपने कॉन्टैक्ट्स से जुगाड़ सेट करने की कोशिश करता है... ताकि प्रोसैस के पचड़े से न गुजरना पड़े...
(वो भी अपने समय में सिटी का जाना माना डॉक्टर था)
क्लास खत्म होने पर..... जैसे ही ब्रेक होता है जानवी बाहर जाने लगती है...
काव्या: अरे! "रुक.... में भी आती हू"
(अब जानवी को तो अकेले जाना था क्योंकि लकी ने उसे बुलाया था.... अब वो करे तो क्या करे...यही सोच रही थी)
तभी उनके पास क्लास की CR आती है और दोनों से आने वाले डिबेट कंप्टीशन में भाग लेने के लिए कहती है..
जानवी(CR से): अभी मुझे जरूरी काम है तुम काव्या से बात करो...और उन्हें वहां छोड़कर जानवी पहुंच जाती है रूफ टॉप तक जाने वाली सीढ़ियों के पास....
(अब छत पर जाना तो एलाऊड था नहीं इसलिए ऊपर का गेट हमेशा ही बंद रहता था लेकिन बच्चे एकांत के लिए सीढ़ियों पर बैठ जाया करते थे)
तभी लकी आता है, और जानवी से बातें करने लगता है...
सीढ़ियों के ऊपर ही....यशस्वी बैठे अपने मोबाइल में कुछ मॉडल्स की तस्वीरों को जूम कर-करके देख रही थी....और मुस्कुरा रही थी
(सीढ़ियां घुमावदार थी थोड़ा स्पेस छोड़कर 90 डिग्री के 3 टर्न थे)
जानवी और लकी सीढ़ियों के बीच बैठे बाते कर रहे थे, जिसे उनसे थोड़ा ऊपर उनके बगल में बैठी यशस्वी भी सुन पा रही थी....दीवार की आड़ होने की वजह से उन्हें पता ही नहीं लगा कि उनके दूसरी तरफ भी कोई है
यहां CR और काव्या के बीच टॉपिक को लेकर चर्चा हो रही थी... क्योंकि उसने लगभग सभी विषयों के लिए कैंडिडेट्स चुन लिए थे...अब बस उसे इक्वलिटी(समानता) पर डिबेट करने के लिए ही एक कैंडिडेट की जरूरत थी, और अंत में काव्या को वो मना ही लेती है...
वहीं, जानवी और लकी की बातें....अब खत्म हो चुकी थी इसलिए जानवी, जल्दी से काव्या के पास पहुंच जाती है...
लेकिन काव्या तो उसके डिबेट पार्टनर के साथ बातचीत पर बिजी थी...
काव्या; इक्वलिटी एक ऐसा विषय है जिसे हमें व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखना होगा........पता नहीं डिबेट किस प्रकार की समानता की ओर जाएगी वो लोग इसे जेंडर इक्वलिटी या अधिकारों की समानता पता नहीं कहां से कहां तक ले जाए... इसीलिए इस बारे में अभी से सोचना शुरू कर दो......
खैर ब्रेक खत्म होता है...और क्लास में टीचर की एंट्री होती है......अब काव्या ने डिबेट में भाग तो ले लिया था....लेकिन...उसे...इसका जरा भी अनुभव नहीं था........
इसलिए क्लास में भी सारा वक्त उसका ध्यान डिबेट की ओर ही रहा....
(उसके पास सिर्फ दो दिन थे तैयारी के लिए) ....
क्लासेस खत्म करने के बाद काव्या पार्किंग में जाती है जहां यशस्वी उसका इंतेज़ार कर रही थी....
अब क्योंकि हॉस्टल वैन भी पार्किंग तक आती थी इसीलिए काव्या के साथ साथ जानवी भी वहीं आ रही थी ....
यशस्वी जो बात काव्या से करना चाहती थी वो वहां होना संभव नहीं थी..
यशस्वी: दी! चलें
काव्या: जानवी को बाय करते हुए.... हम्म..चलो और दोनों निकल पड़ती है घर के लिए...
जैसी ही पार्किंग से निकलकर वो मैंन रोड पर आतीं है फिर से वही गाड़ी उनका पीछा करने लगती है...
यशस्वी: दीदी, मुझे आपको कुछ बताना था
काव्या: हम्म, बताओ क्या है??
यशस्वी: यहां नहीं घर चलके!....वैसे आपकी ओर जानवी दी की दोस्ती हुई कैसे...
काव्या.. पहले कुछ देर चुप रहती है लेकिन कुछ देर सोचने के बाद उसे बताती है....
कैसे वो हॉस्टल में एक ही रूम में रहती थी... . और जरूरत पड़ने पर जानवी.... कैसे? काव्या को पैसे देती थी और काव्या भी उसकी पढ़ाई में मदद करती इत्यादि इत्यादि...
यशस्वी: तो क्या आपने अभी भी उसके पैसे लिए हुए है??
काव्या: अरे नहीं!! वो तो कभी कभार इमर्जेंसी आ जाती थी तो ले लेती थी, लेकिन जल्दी से लौटा भी देती थी.....
पर तुम ये सब क्यूँ पूछ रही हो??
यशस्वी: नहीं! बस ऐसे ही....और गाड़ी चलाते वक्त उनकी ज्यादा बातें नहीं हुई ..
अब काव्या और जानवी दोनो ही घर पहुंच चुकी थी....
यशस्वी: दी! आपके रूम में चलो आपसे कुछ जरूरी बातें करनी है!!
काव्या: हम्म.... आओ पता नहीं तुम्हारे दिमाग में क्या क्या चलता रहता, बताओ क्या बात है??...
दोनों काव्या के रूम में आ जाती है, यशस्वी पहले तो गेट बंद करती है और फिर अपना मोबाइल निकालर रिकॉर्डिंग प्ले कर देती है..
जानवी: मैं कर तो रही हूँ जितना कर सकती हूं..
लकी: अरे! क्या खाक कर रही है.....तू साली कुतिया किसी काम की नहीं है, तुझसे एक छोटा सा काम भी नहीं होता...
अब मेरी सुन!! तू उस रण्डी को किसी तरह मना और सनसेट व्यूपॉइंट की तरफ उसे घुमाने ले आ बाकी मैं सम्हाल लूंगा...
जानवी: लल्ल..लेकिन जबसे उसकी शादी हुई है ....उसके सामने तुम्हारी बात करने पर लगता है कहीं वो मेरा खून ही न कर दे...
लकी: तेरे दिमाग में भूसा भरा है क्या??
मैंने कब कहा तू उससे मेरी बात कर.... तू बस उसे वहां तक लेके आ....
जानवी: लेकिन...."अगर काव्या नहीं मानी तो"
लकी(गुस्से से): तेरी दोस्त है न वो... और अपने हाथ से जानवी का मुंह दबाते हुए..... मुझे न सुनने की आदत नहीं है.....समझी!!..
जानवी: ठ्ठठ..ठीक है!!..
रिकॉर्डिंग खत्म...
काव्या की आंखों में आंसु थे....तो यशस्वी ने उसे गले लगा लिया....
यशस्वी: अरे! दीदी में हूं न.... मै आपको कहीं अकेले जाने ही नहीं दूंगी... बस अब आप उस कुतिया की बात मत सुनना....
यशस्वी: वैसे दी! क्या आप इस आवाज वाले लड़के को जानती हो???
काव्या कुछ बोल ही नहीं रही थी उसे बहुत बड़ा झटका लगा था...
तभी काव्या का मोबाइल रिंग करने लगता है जिसे वह उठा तो लेती है...लेकिन उसके मुंह से आवाज ही नहीं निकलती...
फोन पर रूही थी..
रूही: हेलो!! ..भाभी....हेलो!!...(पर जब उसे काव्या की आवाज नहीं आई तो उसने कॉल काट दिया)
यशस्वी: दीदी! आप चिंता क्यों करती हो मै हूं न .....तभी फिर से रूही का कॉल आने लगता है.....इस बार वीडियो कॉल था जिसे यशस्वी उठा लेती है!!
रूही: अरे! तुम कौन हो, और भाभी कहा है....फोन स्पीकर पर था इसीलिए काव्या अपने आंसु पोंछने लगती है
यशस्वी: मै, आपकी भाभी की छोटी बहनऔर फिर काव्या को भी फ्रेम में ले लेती है...
रूही: भाभी!!..क्या मै आपके पास आ जाऊं
मेरी 3 दिन की छुटियां आने वाली है....काव्या तो कुछ नहीं बोलती लेकिन...
यशस्वी: हां हां बिल्कुल आ जाओ, खूब मस्ती करेंगे ..... और दोनों यहां वहां की बातें करने लगती है....
फिर काव्या भी थोड़ी देर रूही से बातें करती है और कॉल कट हो जाता है..
यशस्वी खड़े होकर अपने डोले जो कि थे नहीं दिखाते हुए...
"मेरे रहते आपको घबराने की जरूरत नहीं है.... मैं सबको देख लूंगी"
यशस्वी की बातों से काव्या का मन पहले ही हल्का हो चुका था इसीलिए वो भी हंस देती है..
यशस्वी: अच्छा! दी अब मैं चलती हूं.....यशस्वी के जाते ही काव्या के मन में फिर से तरह तरह के विचार आने लगे....
वो वीर को ये सब बताकर इंटरव्यू से पहले परेशान नहीं कर सकती थी..कल ही उसका इंटरव्यू था....वह सोचती है अगर वह जानवी की बात नहीं मानेगी तो कुछ नहीं होगा...
तभी वीर का कॉल आता है...वो पहुंच चुका था, इसीलिए काव्या से यहां वहां की बातें करता है काव्या भी उसे कल के लिए बेस्ट ऑफ लक कहके फोन काटने ही वाली थी कि...वीर, मेरी बिल्ली को कॉल रखने की इतनी जल्दी क्यों है??
काव्या: न्ननहीं तो.... वो मै, अभी अभी कॉलेज से आई ....फिर रूही से बातें करने लगी तो अभी तक चेंज नहीं किया है..
वीर: अच्छा! बाबा ठीक है ... रख दो फिर.. काव्या उसे कॉल पर ही किस करते हुए फोन रख देती है!!!
यशस्वी के घर...
अशोक: यशु बेटा! मैने सोचा है, क्यों न फिर से डॉक्टर बन जाऊ!!!
यशस्वी: पापा! आप तो मेरे सुपरमैन हो.... आपको जो ठीक लगे??
(अब यशस्वी को क्या पता कि उसके पापा उसके लिए मम्मी लाने की फ़िराक में है)
अशोक: ठीक है, बेटा......
'अशोक ने तो पूरी तैयारी पहले ही कर ली थी... बस उसे किस दिन से ज्वाइन करना है इसी का इंतजार था'
रात में..
डिनर के बाद काव्या, आने वाली डिबेट के लिए तैयारी कर रही थी.... और ज्यादा से ज्यादा पॉइंट्स तैयार कर रही थी जिससे डिबेट का रुख मोड़ जा सके लेकिन बीच बीच में उसे फिर वही ख्याल आ रहे थे!!!
काव्या: नहीं!! जानवी ऐसा कैसे कर सकती है? मेरे साथ???
मैं यहां तक कभी क्यों नहीं सोच पाई? उसने हमेशा से ही मुझसे सिर्फ लकी की बातें की .... इसके पीछे उसका मकसद इतना घिनौना होगा मैने सोचा ही नहीं था....
मैने उसके अलावा किसी और को कभी इतना करीबी दोस्त नहीं बनाया...
और जिसे बनाया वो ही मुझसे मेरा सबकुछ छीनना चाहती है....
इन्हीं सब बातों से परेशान काव्या पढ़ाई पर अपना ध्यान नहीं लगा पा रही थी..
इसीलिए बिस्तर पर आके लेट जाती है.... और मोबाइल में अपनी और वीर की शादी की फोटो देखने लगती है,
फिर पिछले एक डेढ़ महीने के बारे में सोचती है....
कैसे जल्दबाजी में उसकी शादी हुई और उसकी जिंदगी में इतनी सारी खुशियां एक साथ आ गई...
उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है, जिस प्यार की उसने कल्पना भी नहीं की थी वो उसे मिला...
साथ ही एक ऐसा परिवार जहां सास के रूप में एक मां और ननद के रूप में दो बहने मिली .....उसके लिए ये किसी सपने से कम नहीं था.....जिंदगी में पहली बार उसे पता चला कि घर क्या होता है...
यही सब सोचते सोचते वह नींद के आगोश में चली जाती है..
Thank you....yaha tak bane rehne k liye
Thank youMast update hai or aise hi update jaldi hi dena
JaroorNice update lootera bro . Lucky ki planning se 2 kadam aage hi veer ne plan kar rakha hai bas dekhna hai ki kaise lucky ko toda jata hai.
This is what a romantic story needs..Kabbu aur veer ki chemistry interesting hai .
This kind of charcters can add a special flavour to the storyYashasvi bhi chulbuli si hai awww.
Thank youSo cute .
Keep writing keep growing.
Kal raat aayega .... brobhai update kab de rahe ho waiting too eagerly