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Update 14
फ्रेश सुबह~
कल जब "दोस्ती के नकाब" .....के पीछे का चेहरा ....काव्या के सामने आया, तो .......वह टूट गई थी..... लेकिन आज... उसके लिए एक नई सुबह थी_
उम्मअह्ह... अंगड़ाई लेते हुए वह नींद से बाहर आती है, पर उसके सामने....... आज वीर का चेहरा नहीं था..
वह टेबल पर रखी..... अपनी और वीर की तस्वीर को देख.... मुस्कुराती है,और उठाके चूमते हुए .....कहती है "आप कब आओगे"??
जैसी उसकी रात बीती थी, उस हिसाब से उसे बहुत ही फ्रेश महसूस हो रहा था...
काव्या: बहुत दिन हो गए ध्यान नहीं लगाया.... यही सोचकर वह नीचे आके पद्मासन की स्थिति में..... ध्यान मुद्रा धारण करके बैठ जाती है...
इंदौर~
वीर, सुबह-सुबह ही ध्यानवस्था से बाहर आया था...... एक तो इन्टरव्यू की टैंशन में वह जल्दी सो नहीं पाया .... ऊपर से उसकी नींद भी जल्दी खुल गई........ कल तक इसे लेकर वह इतना परेशान नहीं था लेकिन जैसे जैसे साक्षात्कार की घड़ियां पास आती जा रही थी...... उसके अंदर एक अजीब सी मनोवस्था ने जन्म ले लिया था
जिसकी वजह से.... कभी वो ध्यान लगता तो कभी कुछ और ....करता, जिससे उसका मन शांत बना रहे!!
यही होता है जब आप बार बार साक्षात्कार तक पहुंच के भी अपना सिलेक्शन न ले पाएं.... वीर अपनी मनोस्थिति को सुधारने के लिए इंटरनेट से अच्छे अच्छे उद्धरण पढ़ने लगा (उद्धरण~कोट्स)
थोड़ी देर बाद जब उसका मूड थोड़ा अच्छा हुआ ...तो वह काव्या की तस्वीरें देखने लगा..... 'काव्या का ब्राइडल लुक' आज भी उसके मन में बसा हुआ था...ऐसे ही स्क्रॉल करते करते उसे काव्या की एक काफी पुरानी तस्वीर दिखाई दी...
ये उसने तब खींची थी ......जब वह काव्या के बर्थडे पर वह किरण से मिलने से मिलने गया था....
वीर के गिफ्ट को देख कितनी खुश हुई थी काव्या...... उसे सब याद आने लगा
खैर अब उसका मन हल्का हो चुका था ....तो वह नाश्ता करने के लिए बाहर निकल आता है.... सुबह-सुबह पोहा जलेबी खाना उसे बहुत पसंद था.....ये आदत भी उसे इंदौर आने के बाद ही लगी थी..
भोपाल~
काव्या अब, ध्यान से बाहर आ चुकी थी साथ ही उसने स्नान भी कर लिया था....
किचेन में गाना गुनगुनाते हुए वो नाश्ता तैयार कर रही थी तभी रिया वहां आती है..
रिया: क्या बात है, भाभी आज बहुत खुश लग रही हो??
काव्या: हां दी! आज बहुत ही हल्का लग रहा है
रिया: लाओ भाभी, इसे मै कर देती हूं.......और नाश्ता बनाने में ......वह काव्या की मदद करने लगी
थोड़ी देर बाद:
जब सभी नाश्ता कर चुके थे.... काव्या अपने रूम में तैयार हो रही थी...... तभी उसका फोन रिंग करने लगता है..
काव्या: हेलो
कीर्ति: हां, भाभी! कैसे हो ??
काव्या: मै तो बढ़िया हूं.....लेकिन तुम कहां बिजी रहती हो.....रूही तो कॉल करती रहती है, .......तुम्हारा ही कहीं पता ही नहीं चलता...
कीर्ति: भाभी!! ऐसा बिल्कुल नहीं है,आप ही...... मुझे कभी याद नहीं करती ... जबसे भोपाल गई हो एक बार भी कॉल किया आपने
काव्या: ठीक है, बाबा! मेरी गलती ....... मां कैसी है??
कीर्ति: यहां सब ठीक है भाभी..... भैया यहां है नहीं तो जैक भाई ही घर का सारा काम देखते है....
डिंग डांग..
कीर्ति, कॉलेज के लिए लेट हो जाएगा ....मै तुम्हे बाद में कॉल करती हूं....
रिया ने दरवाजा खोल दिया था तो.....यशस्वी चहकते हुए काव्या के रूम में घुस जाती है..
यशस्वी: क्या बात है....आज तो पार्टी बहुत खुश लग रही है?
काव्या: पार्टी?? कौन सी पार्टी??
यशस्वी: अरे! दी आप और कौन.....
मुझे तो लगा था, कल की बात से आप अभी तक परेशान होंगी, इसलिए जल्दी आ गई थी
काव्या: 5 मिनिट पहले आने को जल्दी नही बोलते..
यशस्वी: लेकिन मुझे तो 5 ही मिनिट लगते है.... किसी का भी मूड ठीक करने में .....
देखो आपको हंसा दिया न...... ऐसी ही गोल मोल बाते करते हुए यशस्वी, काव्या को तैयार होते देखती है..
और थोड़ी देर बाद.....दोनों निकल पड़ती है कॉलेज ......आज भी वही गाड़ी उनका पीछा कर रही थी
यशस्वी: दी! याद है न आज ........आपको अकेले .....कहीं .....भी नहीं जाना ???
काव्या: याद हैं बाबा..... अगर जाऊंगी भी...... तो पहले..... तुम्हे कॉल करूंगी!!!
यशस्वी(गुस्साते हुए): नहीं दी!!! जाना ही नहीं है??.....बस
काव्या: ठीक है!....ठीक है, मेरी मां....अब तू क्लास में जा..
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वहीं इंदौर में, वीर भी ....बढ़िया से तैयार होके निकल चुका था........ इंटरव्यू के लिए, आज..... उसे एक अलग ही फीलिंग आ रही थी.... उसने अपनी कलाई पे बंधे लाल धागे को चूमा और आगे बढ़ गया...
~~~
क्लास पहुंचते ही, काव्या को वही सेम....कल वाला शो देखने को मिला, जिसमें लकी और जानवी एक बेंच पर बैठे..... बात कर रहे थे..
काव्या जाके..... अपने डिबेट पार्टनर की पीछे वाली बेंच पर बैठ जाती है.... और उससे टॉपिक से संबंधित बातचीत करने लगती है.....तभी लकी जानवी के कान में कुछ बोलके चला गया.......तो जानवी उठ के काव्या के पास पहुंच गई..
जानवी: यार! काव्या काफी दिन हो गए....इससे पहले कि वो आगे कुछ बोल पाती....
काव्या: अभी नहीं यार बिजी हूं...और फिर से टॉपिक पर बात करने लग जाती है !
जानवी: अरे! काव्या सुन तो।।।
काव्या: नहीं न...
जानवी: अरे! भड़क क्यों रही है, चल ब्रेक में बाहर घूम के आते है
काव्या: नहीं...
जानवी: अरे! सनसेट व्यूपॉइंट तक ही चल ले ना....
काव्या: फिर तू अकेली ही चली जा, वैसे वहां जाके करेगी क्या??
आस पास के सभी लोग हंसने लगे...."ये दोपहर में सनसेट देखेगी"....
मजाक उड़ाए जाने पर गुस्सा तो बहुत आया जानवी को .....लेकिन वो कर भी क्या सकती थी....चुपचाप जाके अपनी बेंच पर बैठ गई...
जलन~ दोस्तों, एक ऐसी चीज है जो व्यक्ति को कहां से कहां पहुंचा देती है ....... अगर सही तरीके से काम में लिया..... जाए तो अर्श पर .....नहीं तो फर्श पर...
लकी के ब्लैकमैल करने... मात्र से जानवी इतने आगे नहीं बढ़ी थी, उसके पीछे और भी बोहोत सारे कारण थे..... जैसे मार्क्स, काव्या के मार्क्स हमेशा ही जानवी से अच्छे आते थे (हालांकि वह टॉपर नहीं थी) ....
काव्या के पास अक्सर ही पैसे खत्म हो जाया करते, लेकिन जानवी......... जब भी उसे देखती, खुश ही देखती (अब उसे कौन बताए? जो टॉर्चर काव्या के साथ घर में सुबह शाम होता था..... बाहर आना तो उसके लिए स्वर्ग जैसा था)......
और लड़के भी जानवी के पास आके, हमेशा ......काव्या के बारे में पूंछा करते!!!!
जानवी ने इन छोटी छोटी बातों को इतनी तवज्जो दी कि ........आज वह उसके लिए नफरत का कारण बन गई...... अब उसे काव्या की खुशियां ..... पल भर के लिए भी बर्दाश्त नहीं थी...
थोड़ी देर बाद जानवी, काव्या के पास फिर से गई .....और उससे साथ बैठने के लिए कहा, तो..
काव्या ने डिबेट की बातचीत का वास्ता देकर उसे वापिस भेजना चाहा... पर जानवी
जानवी: अरे! क्लास का टाइम हो गया है, अब क्या ही बात हो पाएगी चल न वहां साथ बैठते है
काव्या: नहीं...
जानवी: देख काव्या बोहोत हो गई नौटंकी, चलती है कि ... इतने क्लास टीचर की एंट्री हो गई....और जानवी को अपनी जगह वापिस आना पड़ा
(आज की ये सारी बातें कोई और भी...... बहुत ही करीब से नोटिस कर रहा था)
जैसे~जैसे क्लासेस चलती गई, जानवी का गुस्सा बढ़ता रहा...... और जब ब्रेक हुआ....... काव्या उठके सीधे निकल गई, यशस्वी के पास...... वो भी इतनी जल्दी कि .....जानवी उसे रोक ही नहीं पाई।।।.....
पर फिर वो भी निकल पड़ी..... काव्या के पीछे~पीछे...
काव्या के आते ही यशस्वी.... दी!! हाई~फाइव🫸🫷 और दोनों साथ बैठ जाती है...
यशस्वी: तो दी, कैसा रहा आज?......मजा तो आया ही होगा
काव्या: हां~हां बहुत मजा आया.....पहले कुछ ऑर्डर करलें, फिर खाते खाते बताती हूं
यशस्वी ने ऑर्डर दिया ही था कि जानवी वहां पहुंच गई...
तू मुझे इग्नोर क्यों कर रही है??
काव्या: मैने ऐसा कुछ नहीं किया??
जानवी: देख काव्या, सुबह से देख रही हूं, अब तेरा बहुत हो गया...
काव्या:पर मैने क्या किया है???
मन ही मन दोनो तरफ के मजे लेते हुए यशस्वी ..... वाह! काव्या दी .....क्या एक्टिंग करती हो
काव्या: बता ना!!! आखिर मुझे भी तो पता चले....... मैने क्या गलती कर दी?
जानवी(गुस्से से): ज्यादा नाटक मत कर ......
इस बार वो थोड़ा, ज़ोर से बोल गई ....और जब सभी लोग उसे ही देखने लगे....तो वो कैंटीन से ही बाहर निकल गई...
यशस्वी: ये हुई न मेरी दी वाली बात.... मजा ही आ गया
काव्या: हम्मम....लेकिन मैने उसे कुछ ज्यादा ही ......गुस्सा दिला दिया ???
यशस्वी(ओम पूरी की मिमिक्री करते हुए): अरे! उसके गुस्सा होने से कोन्हों फरक पड़ता है का???.....
काव्या और यशस्वी, दोनो इस बात पर, बहुत जोर से हंसी.....
वहीं कैंटीन से बाहर आते ही जानवी को लकी मिल गया.....क्या हुआ, मान गई??
जानवी: मुंडी हिलाते हुए, नहीं!....
लकी: रण्डी तुझसे एक काम ढंग से नहीं होता, ....साली तू उसकी दोस्त है, भी या नहीं?......
जानवी: पता नहीं!! उसे क्या हो गया है?? जो मेरी एक बात नहीं सुन रही..... कही ऐसा तो नहीं...... उसे हमारे प्लान के बारे में सब पता चल गया हो..
लकी: इसके बारे में तेरे अलावा किसी को नहीं पता था, कुतिया... कहीं तूने ही तो..
जानवी: नहीं! नहीं! मैने किसी को कुछ नहीं बताया
"वैसे भी मै ज्यादा नफरत...उसी से तो करती हूं "
तभी पीछे से सोनू आते हुए: क्या बात है! भाई, नहीं आ रही क्या वो??
जानवी: तो तुमने! इसे भी बताया है...??
लकी: वो मेरा दोस्त है, कुतिया ....जो मैं खाता वो भी वही खाता है, शुक्र मना उसे तुझमें जरा भी दिलचस्पी नहीं है..
सोनू: लेकिन भाई! अब मेरा मूड बदल रहा है, क्यों न इसे भी चख कर देख ही लूं
लकी: जब भी चाहिए हो.... कॉल कर देना, ये रण्डी दौड़ी चली आएगी...
जानवी: न..नहीं, मै नहीं आऊंगी?
लकी: सुन कुतिया!!! अगर आज तूने उस रण्डी को नहीं मनाया.... तो तुझे कुत्तों के सामने डालने से पहले........ ज़रा भी नहीं सोचूंगा
सोनू: समझ गई न रानी चल अब...... निकल यहां से!!
जानवी जाके पेड़ के नीचे एक बेंच पर बैठ जाती है...... और सोचती है, आज ये क्या हो रहा है, मेरे साथ??
सुबह से जो कुछ भी उसके साथ हुआ था ....उसे सोच सोचकर उसका गुस्सा .....बढ़ता ही जा रहा था.... काव्या की बच्ची
तभी उसके पास से काव्या और यशस्वी निकलने ही वाली थी कि.....वो उन्हें रोक लेती हैं...
जानवी: काव्या! तुझे हुआ क्या है?.... अब तू कैंटीन जाने लगी है, मुझसे ठीक से बात नहीं करती, पैसों का ज्यादा घमंड आ गया है क्या??.......
भूल मत जब भी तुझे पैसों की जरूरत पड़ती थी ..........मै ही काम आती थी!!
यशस्वी: और वो पैसे कितने होते थे?
जानवी: ये! तू चुप रह.... मै काव्या से बात कर रही हूं
यशस्वी: हां हां सौ पचास का ताना देने में शर्म तो आ नहीं रही होगी..
काव्या: अरे! यशु तू रुक.......तो तुम्हें और क्या चाहिए?...... जितने दिनों के लिए मै पैसे उधार लेती थी...... उससे ज्यादा तो तुम्हारी पढ़ाई में मदद कर देती थी..
जानवी: तू न बोहोत बदल गई है, काव्या.... अब इस जैसी लड़कियों के साथ रहेगी तो...... ऐसा तो होगा ही..
यशस्वी: क्या मतलब, इस जैसी लड़कियां.... मै न तुमसे हजार गुना अच्छी हूं..... और जल्दी से मोबाइल निकाल के उसके साथ सेल्फी ले लेती है..
काव्या को दिखाते हुए ...ये देखो दी मै इससे ज्यादा सुंदर हु कि नहीं??.....ये देख के काव्या हंसी ही छूट गई??
जानवी: हंस लो जितना हंसना है, फिर आगे से मेरी मदद मांगने मत आना...
तो यशस्वी काव्या की तरफ देखती है... और फिर से जोर जोर से हंसने लगती है.... काव्या यशस्वी का हंसना देख के अपनी हंसी छुपा रही थी..
जानवी: बहुत हो गया काव्या, आखिर बार पूंछ रही हूं छुट्टी के बाद मेरे साथ चलेगी कि नहीं?
यशस्वी:
और दोनों जोर जोर से हंसने लगती हैं....
जानवी गुस्से से लाल पीली होके.... वहां से चली गई....दूर खड़ा एक लड़का ये सब नोटिस कर रहा था...साथ ही किसी और की भी नज़रे काव्या पर थी
वहीं दूसरी अशोक को भी कन्फर्मेशन आ गया था.... वो 2 दिन बाद से अस्पताल ज्वाइन करने वाला था..
ब्रिजपुर~
कीर्ति, रूही और मम्मी बैठे गप्पे लड़ा रही थी..
रूही: मम्मी! मै परसों भाभी के पास जा रही हूं तीन दिनों के लिए....
मम्मी: हां हां चली जाना....और कीर्ति तू जाएगी या नहीं?
कीर्ति: नहीं मम्मी मेरे बोर्ड्स है.... और अगर मैं वहां चली गई तो आपकी यहां मदद कौन करेगा??...तभी बाहर से आते हुए..
ये छुटकी मै हूं न.... तुझे जाना है तो बिंदास जा
कीर्ति: अरे! मेरे भाई...मै कही नहीं जा रही, और वैसे भी भाभी की छुटियां तो अगले महीने होंगी ही... तब मेरी भी छुटियां रहेगी..... तो सारी मस्ती यहीं करेंगे...
रूही: लेकिन, मै तो जाऊंगी ...... वहां भाभी को एक छोटी बहन मिल गई है, उसके साथ मस्ती करनी है और रिया दीदी से भी काफी समय हो
गया ......नहीं मिली, तो उनके साथ भी मस्ती करूंगी
मम्मी: ठीक है!..ठीक है!... जिसको जिसको जाना है जा सकता है..
कॉलेज~
क्लासेस खत्म होते ही एक बार फिर काव्या और जानवी का आमना सामना हुआ.... काव्या नॉर्मल रही पर जानवी ने उसे खा जाने वाली नजरों से देखा, ..... वो समझ नहीं पा रही थी...कल तक तो सब ठीक था....आखिर ऐसा हुआ क्या ??? जो काव्या उसकी बातों को इग्नोर करने लगी
जानवी: पहले तो खुद ही मनाने आ जाती थी.... अब पैसे आ गए, आईफोन ले लिया..... कुछ तो बात है जो काव्या मुझे इग्नोर कर रही है..... इन्हीं ख्यालों में डूबी जानवी, पार्किंग की ओर जा रही थी, तभी उसके बगल में सोनू आ जाता है
सोनू: क्या हुआ?.......नहीं मना पाई, चल अब तू कुछ मत कर......आगे का हम सम्हाल लेंगे........ तू बस संडे को आके मुझे खुश कर दे...और हंसते हुए उसके बगल से निकल गया..
पार्किंग में.....यशस्वी~चले
काव्या: हम्मम!........और दोनों निकल पड़ती है घर की ओर....वह गाड़ी भी उनका पीछा कर रही थी...
यशस्वी: दी! क्या हुआ? ....सब ठीक रहा न...आप इतने चुप क्यों हो??
काव्या: हम्मम, सब ठीक रहा....लेकिन अगर तुमने मुझे वो रिकॉर्डिंग न सुनाई होती, तो.. यशस्वी बीच में ही..... तो भी आपको कुछ नहीं होता, ज्यादा फालतू सोचने की जरूरत नहीं है ....चिल करो!!!....और गाड़ी एक कैफे की तरफ मोड देती है...
काव्या: अरे! अरे!!.... यहां क्यू ले आई??
यशस्वी: यहीं तो मजा है....आओ जल्दी से, बैठो यहां पे .......और दो एस्प्रेसो, साथ में वेज सैंडविच ऑर्डर कर देती है
काव्या: अरे! इसकी क्या जरूरत थी..
यशस्वी: मैने बोला न.... चिल!!
काव्या: ठीक है, ठीक है..
और दोनो काफी एंजॉय करते हुए बातें करती है....
काव्या: कल, क्लासेस खत्म होने के बाद .... मेरी एक डिबेट है, तो क्या...
यशस्वी: अरे! अरे! बिल्कुल.... मै भी आपकी डिबेट सुन लूंगी......तभी काव्या का मोबाईल रिंग करने लगा..
काव्या ने स्क्रीन को देखा तो उसके चेहरे पे मुस्कान खिल गई....
यशस्वी: अरे जल्दी उठाओ न .....मुझे भी सुनना है.....
काव्या, कॉल पिक करते हुए~हेलो!!
वीर: कहां हो वाइफी?....पीछे से म्यूजिक की भी आवाज आ रही है..
काव्या: नहीं बस, कैफे आई थी..
वीर: ठीक है, एंजॉय करो..
काव्या: अरे! अरे! ...रखना मत, आपका इंटरव्यू कैसा रहा???
वीर: बाद में बताता हूं, तुम एंजॉय करो और डिबेट की प्रिपरेशन भी
काव्या: पर आपको कैसे पता डिबेट के बारे में....??
वीर: वो..वो! मुझे रिया दी ने बताया था...... ठीक है तुम एंजॉय करो मै. रखता हूं.....और कॉल कट कर देता है..
यशस्वी....जो कान लगाए बैठी थी....इस म्यूजिक ने सब बिगाड़ दिया.... नहीं तो जीजू इतनी जल्दी फोन थोड़े न रखते ..
काव्या:...पर मैने तो रिया दी को डिबेट के बारे में कुछ नहीं बताया... हम्मम.. कही तुमने तो ...
यशस्वी: अरे! दी, मुझे तो अभी~अभी डिबेट के बारे में पता चला है ..... तो मैं उन्हें कैसे, कुछ बता सकती हूं..??
काव्या: फिर उन्हें कैसे पता....मेरी डिबेट के बारे में
यशस्वी: अरे! दी चिल .... इससे तो यही लगता है...जीजू को आपकी बहुत फिक्र है..
काव्या (शर्माते हुए): हम्म... सही कहा
....और दोनों ऐसे ही थोड़ी देर बातचीत करती है, फिर घर के लिए निकल जाती है...(उसी काली गाड़ी ने उन्हें घर तक फॉलो किया)
~~
वीर: अरे! बच गया!!!.......है, तो ये लड़की भोली~ भाली....पर न कई बार बात पकड़ लेती है.....तभी वीर का फोन रिंग करने लगता है.... अब ये क्यूँ कॉल कर रहा है???
वीर: हां, संकलित...... "तो संकलित आज घटित सारी कहानी वीर को संक्षेप में बताता है".... (और संकलित वही लड़का है, जिससे वीर कॉलेज के पहले दिन, गेट पर मिला था और...... उससे काव्या का ध्यान रखने के लिए कहा था)
संकलित: हां,!! भैया..... मैंने पार्किंग तक भी देखा, भाभी ने उससे बात तक नहीं की......... कल तक तो साथ ही जाया करती थीं???
वीर: जरूर कुछ हुआ होगा, उनके बीच....(या कहीं उसे...नहीं नहीं, ऐसी कोई बात होती तो वो मुझसे जरूर बताती)
वीर: ठीक है! डिबेट की तैयारी पूरी रखना,हारना मत!....चलो रखता हूं...
संकलित: जी भैया!.... और कॉल कट जाती है (यही है, काव्या का डिबेट पार्टनर भी ~संकलित)
तभी वीर के पास उसका दोस्त आ जाता है, दरअसल इंटरव्यू के तुरंत बाद ही वो वीर को मॉल ले आया था..
फ्रेंड: हां भाई! क्या बात करी भाभी से ???
वीर: अबे! हट न यार.... कबसे कपड़े ही नहीं सिलेक्ट कर पा रहा है, और अब अंडरवेयर लेने गया तो इतनी देर लगा दी
फ्रेंड: अरे! वो सेक्शन ढूंढने में ही बहुत टाइम लग गया.....लेकिन तू टॉपिक चेंज मत कर, बता ना क्या कहा भाभी ने..
वीर: कह रही थी... चिपकू दोस्तों से दूर रहना.....और तू, तेरी गर्लफ्रेंड है तो सही....उससे बात क्यू नहीं करता??
फ्रेंड: ठीक है!!! ठीक है!!!..... मै तो ये जानना चाह रहा था कि...... मैरिड कपल आखिर बात.... क्या करते है??
वीर: कुछ नहीं करते.... तू चल चुपचाप
तभी जैसे ही वीर मॉल से बाहर आया .... उसे एक जानी पहचानी सी आवाज सुनाई दी..
ओए, वीरू??....वीर ने अगल बगल देखा... अरे!!... सुमित भाई, क्या हाल चाल ??
सुमित:बढ़िया भाई! तू बता ....यहां कैसे ??
वीर: बस यार! इंटरव्यू था आज..
सुमित: तो कैसा रहा, हो तो जाएगा न इस बार
वीर: हम्मम.... उम्मीद तो पूरी है
सुमित: वैसे यहां कहा रुका है??.....वीर अपने फ्रेंड की ओर इशारा करते हुए, इसके साथ रुका हूं, हम साथ ही तैयारी करते थे ....अब ये यहां बच्चों को कोचिंग देता है...
सुमित: बढ़िया भाई बढ़िया.....वैसे तूने अपना नंबर बदल दिया क्या??
वीर: हां, लेकिन मेरे पास तेरा नंबर है ....मै कॉल करता हूं, सेव करले....
.....ऐसे ही थोड़ी देर बातचीत के बाद वीर ने सुमित से विदा ली..
रात में~
वीर और उसका फ्रेंड...... दोनो खाना बना रहे थे....यार तेरे इंटरव्यू के चक्कर में हमने ज्यादा बाते ही नहीं की??
वीर: हां यार!! तुझे तो पता ही है, ऐसी सिचुएशन सिर पे हो तो.... मैं ज्यादा बातें नहीं करता!!
फ्रेंड: चलो, आखिर तेरे एकांत में रहने का ड्रामा..... तो खत्म हुआ!!
वीर: अबे यार, तू फिर शुरू हो गया, बोला ना तुझे......केवल कल ही मुझे एकांत चाहिए था
फ्रेंड: ठीक है, ठीक है....वैसे तूने शादी के लिए इंदौर क्यों छोड़ दिया, शादी करके भाभी को यहीं ले आता!!
वीर: अबे ऐसा नहीं है..... मैने पहले ही सोच रखा था, शादी के बाद बाद घर में ही रहूंगा ... वहीं से एग्जाम्स दूंगा, हुआ तो ठीक ....नहीं तो कोई बिज़नेस डाल लेंगे..
फ्रेंड: ठीक है! चल खाना खाते हैं....तो फिर दोनों साथ में....डिनर करते है
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रात में काव्या आज जो कुछ हुआ...... उसके बारे में ही सोच रही थी...... साथ ही ....डिबेट को लेकर भी परेशान थी.....
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वहीं वीर खाने के बाद लेटे~लेटे अपने कॉलेज के दिनों में चला गया.... और वजह थी सुमित का यूं अचानक से मिल जाना ......फिर उसे याद आता है, कि उन दिनों वह कितना एमेच्योर था...
स्कूल लाइफ खत्म हो जाने के बाद भी कॉलेज के शुरुआती दिनों में.....वो कैसे अपने स्कूल लव को ही याद करता रहता ........
जब तक उसे श्रेया नजर नहीं आई थी और बाद में श्रेया भी उसे ........उसी की तरह ही......छोड़ के चली गई..
फिर किरण आई और वीर के चेहरे पे मुस्कान खिल गई ..... अब चाहे जो भी हुआ हो लेकिन उसी की वजह से आज वो काव्या...... के साथ था..
~इसी तरह दोनों अपने ख्यालों और परेशानियों के विषय में गहराई से सोच रहे थे~
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अब आगे क्या होने वाला है
जानने के लिया बने रहिए!!