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Looteraaa

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Update 14



फ्रेश सुबह~


कल जब "दोस्ती के नकाब" .....के पीछे का चेहरा ....काव्या के सामने आया, तो .......वह टूट गई थी..... लेकिन आज... उसके लिए एक नई सुबह थी_


उम्म‌अह्ह... अंगड़ाई लेते हुए वह नींद से बाहर आती है, पर उसके सामने....... आज वीर का चेहरा नहीं था..


वह टेबल पर रखी..... अपनी और वीर की तस्वीर को देख.... मुस्कुराती है,
और उठाके चूमते हुए .....कहती है "आप कब आओगे"??
जैसी उसकी रात बीती थी, उस हिसाब से उसे बहुत ही फ्रेश महसूस हो रहा था...


काव्या:🤔 बहुत दिन हो गए ध्यान नहीं लगाया.... यही सोचकर वह नीचे आके पद्मासन की स्थिति में..... ध्यान मुद्रा धारण करके बैठ जाती है...

attachment_65835944



इंदौर~

वीर, सुबह-सुबह ही ध्यानवस्था से बाहर आया था...... एक तो इन्टरव्यू की टैंशन में वह जल्दी सो नहीं पाया .... ऊपर से उसकी नींद भी जल्दी खुल गई........ कल तक इसे लेकर वह इतना परेशान नहीं था लेकिन जैसे जैसे साक्षात्कार की घड़ियां पास आती जा रही थी...... उसके अंदर एक अजीब सी मनोवस्था ने जन्म ले लिया था

जिसकी वजह से.... कभी वो ध्यान लगता तो कभी कुछ और ....करता, जिससे उसका मन शांत बना रहे!!


यही होता है जब आप बार बार साक्षात्कार तक पहुंच के भी अपना सिलेक्शन न ले पाएं.... वीर अपनी मनोस्थिति को सुधारने के लिए इंटरनेट से अच्छे अच्छे उद्धरण पढ़ने लगा (उद्धरण~कोट्स)


थोड़ी देर बाद जब उसका मूड थोड़ा अच्छा हुआ ...तो वह काव्या की तस्वीरें देखने लगा..... 'काव्या का ब्राइडल लुक' आज भी उसके मन में बसा हुआ था...ऐसे ही स्क्रॉल करते करते उसे काव्या की एक काफी पुरानी तस्वीर दिखाई दी...

IMG-20241025-232414.jpg


ये उसने तब खींची थी ......जब वह काव्या के बर्थडे पर वह किरण से मिलने से मिलने गया था....
वीर के गिफ्ट को देख कितनी खुश हुई थी काव्या...... उसे सब याद आने लगा


खैर अब उसका मन हल्का हो चुका था ....तो वह नाश्ता करने के लिए बाहर निकल आता है.... सुबह-सुबह पोहा जलेबी खाना उसे बहुत पसंद था.....ये आदत भी उसे इंदौर आने के बाद ही लगी थी..




भोपाल~

काव्या अब, ध्यान से बाहर आ चुकी थी साथ ही उसने स्नान भी कर लिया था....

किचेन में गाना गुनगुनाते हुए वो नाश्ता तैयार कर रही थी तभी रिया वहां आती है..


रिया: क्या बात है, भाभी आज बहुत खुश लग रही हो??
काव्या: हां दी! आज बहुत ही हल्का लग रहा है

रिया: लाओ भाभी, इसे मै कर देती हूं.......और नाश्ता बनाने में ......वह काव्या की मदद करने लगी


थोड़ी देर बाद:

जब सभी नाश्ता कर चुके थे.... काव्या अपने रूम में तैयार हो रही थी...... तभी उसका फोन रिंग करने लगता है..


काव्या: हेलो😊
कीर्ति: हां, भाभी! कैसे हो ??

काव्या: मै तो बढ़िया हूं.....लेकिन तुम कहां बिजी रहती हो.....रूही तो कॉल करती रहती है, .......तुम्हारा ही कहीं पता ही नहीं चलता...
कीर्ति: भाभी!! ऐसा बिल्कुल नहीं है,आप ही...... मुझे कभी याद नहीं करती ... जबसे भोपाल गई हो एक बार भी कॉल किया आपने


काव्या: ठीक है, बाबा! मेरी गलती ....... मां कैसी है??
कीर्ति: यहां सब ठीक है भाभी..... भैया यहां है नहीं तो जैक भाई ही घर का सारा काम देखते है....

डिंग डांग..
कीर्ति, कॉलेज के लिए लेट हो जाएगा ....मै तुम्हे बाद में कॉल करती हूं....

रिया ने दरवाजा खोल दिया था तो.....यशस्वी चहकते हुए काव्या के रूम में घुस जाती है..


यशस्वी: क्या बात है....आज तो पार्टी बहुत खुश लग रही है?
काव्या: पार्टी?? कौन सी पार्टी??
यशस्वी: अरे! दी आप और कौन.....

मुझे तो लगा था, कल की बात से आप अभी तक परेशान होंगी, इसलिए जल्दी आ गई थी


काव्या😀: 5 मिनिट पहले आने को जल्दी नही बोलते..
यशस्वी: लेकिन मुझे तो 5 ही मिनिट लगते है.... किसी का भी मूड ठीक करने में .....

देखो आपको हंसा दिया न...... ऐसी ही गोल मोल बाते करते हुए यशस्वी, काव्या को तैयार होते देखती है..


और थोड़ी देर बाद.....दोनों निकल पड़ती है कॉलेज ......आज भी वही गाड़ी उनका पीछा कर रही थी

यशस्वी: दी! याद है न आज ........आपको अकेले .....कहीं .....भी नहीं जाना ???
काव्या: याद हैं बाबा..... अगर जाऊंगी भी...... तो पहले..... तुम्हे कॉल करूंगी!!!


यशस्वी(गुस्साते हुए): नहीं दी!!! जाना ही नहीं है??.....बस
काव्या: ठीक है!....ठीक है, मेरी मां....अब तू क्लास में जा..


~~~

वहीं इंदौर में, वीर भी ....बढ़िया से तैयार होके निकल चुका था........ इंटरव्यू के लिए, आज..... उसे एक अलग ही फीलिंग आ रही थी.... उसने अपनी कलाई पे बंधे लाल धागे को चूमा और आगे बढ़ गया...

~~~

क्लास पहुंचते ही, काव्या को वही सेम....कल वाला शो देखने को मिला, जिसमें लकी और जानवी एक बेंच पर बैठे..... बात कर रहे थे..

काव्या जाके..... अपने डिबेट पार्टनर की पीछे वाली बेंच पर बैठ जाती है.... और उससे टॉपिक से संबंधित बातचीत करने लगती है.....तभी लकी जानवी के कान में कुछ बोलके चला गया.......तो जानवी उठ के काव्या के पास पहुंच गई..


जानवी: यार! काव्या काफी दिन हो गए....इससे पहले कि वो आगे कुछ बोल पाती....
काव्या: अभी नहीं यार बिजी हूं...और फिर से टॉपिक पर बात करने लग जाती है !
जानवी: अरे! काव्या सुन तो।।।
काव्या: 😠नहीं न...


जानवी: अरे! भड़क क्यों रही है, चल ब्रेक में बाहर घूम के आते है
काव्या: नहीं...
जानवी: अरे! सनसेट व्यूपॉइंट तक ही चल ले ना....

काव्या: फिर तू अकेली ही चली जा, वैसे वहां जाके करेगी क्या??


😄आस पास के सभी लोग हंसने लगे😆...."ये दोपहर में सनसेट देखेगी"....😀



मजाक उड़ाए जाने पर गुस्सा तो बहुत आया जानवी को .....लेकिन वो कर भी क्या सकती थी....चुपचाप जाके अपनी बेंच पर बैठ गई...

जलन~ दोस्तों, एक ऐसी चीज है जो व्यक्ति को कहां से कहां पहुंचा देती है ....... अगर सही तरीके से काम में लिया..... जाए तो अर्श पर .....नहीं तो फर्श पर...


लकी के ब्लैकमैल करने... मात्र से जानवी इतने आगे नहीं बढ़ी थी, उसके पीछे और भी बोहोत सारे कारण थे..... जैसे मार्क्स, काव्या के मार्क्स हमेशा ही जानवी से अच्छे आते थे (हालांकि वह टॉपर नहीं थी) ....


काव्या के पास अक्सर ही पैसे खत्म हो जाया करते, लेकिन जानवी......... जब भी उसे देखती, खुश ही देखती (अब उसे कौन बताए? जो टॉर्चर काव्या के साथ घर में सुबह शाम होता था..... बाहर आना तो उसके लिए स्वर्ग जैसा था)......


और लड़के भी जानवी के पास आके, हमेशा ......काव्या के बारे में पूंछा करते!!!!


जानवी ने इन छोटी छोटी बातों को इतनी तवज्जो दी कि ........आज वह उसके लिए नफरत का कारण बन गई...... अब उसे काव्या की खुशियां ..... पल भर के लिए भी बर्दाश्त नहीं थी...



थोड़ी देर बाद जानवी, काव्या के पास फिर से गई .....और उससे साथ बैठने के लिए कहा, तो..

काव्या ने डिबेट की बातचीत का वास्ता देकर उसे वापिस भेजना चाहा... पर जानवी
जानवी: अरे! क्लास का टाइम हो गया है, अब क्या ही बात हो पाएगी चल न वहां साथ बैठते है
काव्या: नहीं...


जानवी😡: देख काव्या बोहोत हो गई नौटंकी, चलती है कि ... इतने क्लास टीचर की एंट्री हो गई....और जानवी को अपनी जगह वापिस आना पड़ा

(आज की ये सारी बातें कोई और भी...... बहुत ही करीब से नोटिस कर रहा था)

जैसे~जैसे क्लासेस चलती गई, जानवी का गुस्सा बढ़ता रहा...... और जब ब्रेक हुआ....... काव्या उठके सीधे निकल गई, यशस्वी के पास...... वो भी इतनी जल्दी कि .....जानवी उसे रोक ही नहीं पाई।।।.....


पर फिर वो भी निकल पड़ी..... काव्या के पीछे~पीछे...


काव्या के आते ही यशस्वी.... दी!! ✋🏻हाई~फाइव🫸🫷 और दोनों साथ बैठ जाती है...

यशस्वी: तो दी, कैसा रहा आज?......मजा तो आया ही होगा😉
काव्या: हां~हां बहुत मजा आया.....पहले कुछ ऑर्डर करलें, फिर खाते खाते बताती हूं


यशस्वी ने ऑर्डर दिया ही था कि जानवी वहां पहुंच गई...

तू मुझे इग्नोर क्यों कर रही है??
काव्या: मैने ऐसा कुछ नहीं किया??
जानवी: देख काव्या, सुबह से देख रही हूं, अब तेरा बहुत हो गया...
काव्या:🤔पर मैने क्या किया है???

मन ही मन दोनो तरफ के मजे लेते हुए यशस्वी 🥳🥳🥳
..... वाह! काव्या दी .....क्या एक्टिंग करती हो👏 👏👏


काव्या: बता ना!!! आखिर मुझे भी तो पता चले....... मैने क्या गलती कर दी?
जानवी(गुस्से से): ज्यादा नाटक मत कर ......


इस बार वो थोड़ा, ज़ोर से बोल गई ....और जब सभी लोग उसे ही देखने लगे....तो वो कैंटीन से ही बाहर निकल गई...


यशस्वी: ये हुई न मेरी दी वाली बात.... मजा ही आ गया👏
काव्या: हम्मम....लेकिन मैने उसे कुछ ज्यादा ही ......गुस्सा दिला दिया ???

यशस्वी(ओम पूरी की मिमिक्री करते हुए): अरे! उसके गुस्सा होने से कोन्हों फरक पड़ता है का???.....

काव्या और यशस्वी, दोनो इस बात पर, बहुत जोर से हंसी.....


वहीं कैंटीन से बाहर आते ही जानवी को लकी मिल गया.....क्या हुआ, मान गई??
जानवी: मुंडी हिलाते हुए, नहीं!....
लकी: रण्डी तुझसे एक काम ढंग से नहीं होता, ....साली तू उसकी दोस्त है, भी या नहीं?......


जानवी: पता नहीं!! उसे क्या हो गया है?? जो मेरी एक बात नहीं सुन रही..... कही ऐसा तो नहीं...... उसे हमारे प्लान के बारे में सब पता चल गया हो..


लकी: इसके बारे में तेरे अलावा किसी को नहीं पता था, कुतिया... कहीं तूने ही तो..
जानवी: नहीं! नहीं! मैने किसी को कुछ नहीं बताया

"वैसे भी मै ज्यादा नफरत...उसी से तो करती हूं "


तभी पीछे से सोनू आते हुए: क्या बात है! भाई, नहीं आ रही क्या वो??


जानवी: तो तुमने! इसे भी बताया है...??
लकी: वो मेरा दोस्त है, कुतिया ....जो मैं खाता वो भी वही खाता है, शुक्र मना उसे तुझमें जरा भी दिलचस्पी नहीं है..


सोनू: लेकिन भाई! अब मेरा मूड बदल रहा है, क्यों न इसे भी चख कर देख ही लूं
लकी: जब भी चाहिए हो.... कॉल कर देना, ये रण्डी दौड़ी चली आएगी...


जानवी: न..नहीं, मै नहीं आऊंगी?
लकी😡: सुन कुतिया!!! अगर आज तूने उस रण्डी को नहीं मनाया.... तो तुझे कुत्तों के सामने डालने से पहले........ ज़रा भी नहीं सोचूंगा

सोनू: समझ गई न रानी चल अब...... निकल यहां से!!


जानवी जाके पेड़ के नीचे एक बेंच पर बैठ जाती है...... 🤔और सोचती है,
आज ये क्या हो रहा है, मेरे साथ??


सुबह से जो कुछ भी उसके साथ हुआ था ....उसे सोच सोचकर उसका गुस्सा .....बढ़ता ही जा रहा था.... काव्या की बच्ची🤬

तभी उसके पास से काव्या और यशस्वी निकलने ही वाली थी कि.....वो उन्हें रोक लेती हैं...



जानवी: काव्या! तुझे हुआ क्या है?.... अब तू कैंटीन जाने लगी है, मुझसे ठीक से बात नहीं करती, पैसों का ज्यादा घमंड आ गया है क्या??.......
भूल मत जब भी तुझे पैसों की जरूरत पड़ती थी ..........मै ही काम आती थी!!


यशस्वी: और वो पैसे कितने होते थे?
जानवी: ये! तू चुप रह.... मै काव्या से बात कर रही हूं
यशस्वी: हां हां सौ पचास का ताना देने में शर्म तो आ नहीं रही होगी..


काव्या: अरे! यशु तू रुक.......तो तुम्हें और क्या चाहिए?...... जितने दिनों के लिए मै पैसे उधार लेती थी...... उससे ज्यादा तो तुम्हारी पढ़ाई में मदद कर देती थी..
जानवी: तू न बोहोत बदल गई है, काव्या.... अब इस जैसी लड़कियों के साथ रहेगी तो...... ऐसा तो होगा ही..

यशस्वी:😠 क्या मतलब, इस जैसी लड़कियां.... मै न तुमसे हजार गुना अच्छी हूं..... और जल्दी से मोबाइल निकाल के उसके साथ सेल्फी 🤳ले लेती है..


काव्या को दिखाते हुए 🤳 ...ये देखो दी मै इससे ज्यादा सुंदर हु कि नहीं??.....ये देख के काव्या हंसी ही छूट गई??


जानवी: हंस लो जितना हंसना है, फिर आगे से मेरी मदद मांगने मत आना...


तो यशस्वी काव्या की तरफ देखती है... और फिर से जोर जोर से हंसने लगती है.... काव्या यशस्वी का हंसना देख के अपनी हंसी छुपा रही थी..

जानवी: बहुत हो गया काव्या, आखिर बार पूंछ रही हूं छुट्टी के बाद मेरे साथ चलेगी कि नहीं?


यशस्वी:

images


और दोनों जोर जोर से हंसने लगती हैं....


जानवी गुस्से से लाल पीली होके.... वहां से चली गई....दूर खड़ा एक लड़का ये सब नोटिस कर रहा था...साथ ही किसी और की भी नज़रे काव्या पर थी


वहीं दूसरी अशोक को भी कन्फर्मेशन आ गया था.... वो 2 दिन बाद से अस्पताल ज्वाइन करने वाला था..


ब्रिजपुर~

कीर्ति, रूही और मम्मी बैठे गप्पे लड़ा रही थी..
रूही: मम्मी! मै परसों भाभी के पास जा रही हूं तीन दिनों के लिए....
मम्मी: हां हां चली जाना....और कीर्ति तू जाएगी या नहीं?
कीर्ति: नहीं मम्मी मेरे बोर्ड्स है.... और अगर मैं वहां चली गई तो आपकी यहां मदद कौन करेगा??...तभी बाहर से आते हुए..


ये छुटकी मै हूं न.... तुझे जाना है तो बिंदास जा
कीर्ति: अरे! मेरे भाई...मै कही नहीं जा रही, और वैसे भी भाभी की छुटियां तो अगले महीने होंगी ही... तब मेरी भी छुटियां रहेगी..... तो सारी मस्ती यहीं करेंगे...


रूही: लेकिन, मै तो जाऊंगी ...... वहां भाभी को एक छोटी बहन मिल गई है, उसके साथ मस्ती करनी है और रिया दीदी से भी काफी समय हो
गया ......नहीं मिली, तो उनके साथ भी मस्ती करूंगी
मम्मी: ठीक है!..ठीक है!... जिसको जिसको जाना है जा सकता है..


कॉलेज~

क्लासेस खत्म होते ही एक बार फिर काव्या और जानवी का आमना सामना हुआ.... काव्या नॉर्मल रही पर जानवी ने उसे खा जाने वाली नजरों से देखा, ..... वो समझ नहीं पा रही थी...कल तक तो सब ठीक था....आखिर ऐसा हुआ क्या ??? जो काव्या उसकी बातों को इग्नोर करने लगी


जानवी: 🤔पहले तो खुद ही मनाने आ जाती थी.... अब पैसे आ गए, आईफोन ले लिया..... कुछ तो बात है जो काव्या मुझे इग्नोर कर रही है..... इन्हीं ख्यालों में डूबी जानवी, पार्किंग की ओर जा रही थी, तभी उसके बगल में सोनू आ जाता है


सोनू: क्या हुआ?.......नहीं मना पाई, चल अब तू कुछ मत कर......आगे का हम सम्हाल लेंगे........ तू बस संडे को आके मुझे खुश कर दे...और हंसते हुए उसके बगल से निकल गया..


पार्किंग में.....यशस्वी~चले
काव्या: हम्मम!........और दोनों निकल पड़ती है घर की ओर....वह गाड़ी भी उनका पीछा कर रही थी...

यशस्वी: दी! क्या हुआ? ....सब ठीक रहा न...आप इतने चुप क्यों हो??
काव्या: हम्मम, सब ठीक रहा....लेकिन अगर तुमने मुझे वो रिकॉर्डिंग न सुनाई होती, तो..
यशस्वी बीच में ही..... तो भी आपको कुछ नहीं होता, ज्यादा फालतू सोचने की जरूरत नहीं है ....चिल करो!!!....और गाड़ी एक कैफे की तरफ मोड देती है...


काव्या: अरे! अरे!!.... यहां क्यू ले आई??
यशस्वी: यहीं तो मजा है....आओ जल्दी से, बैठो यहां पे .......और दो एस्प्रेसो, साथ में वेज सैंडविच ऑर्डर कर देती है


काव्या: अरे! इसकी क्या जरूरत थी..
यशस्वी: मैने बोला न.... चिल!!
काव्या: ठीक है, ठीक है..


और दोनो काफी एंजॉय करते हुए बातें करती है....
काव्या: कल, क्लासेस खत्म होने के बाद .... मेरी एक डिबेट है, तो क्या...
यशस्वी: अरे! अरे! बिल्कुल.... मै भी आपकी डिबेट सुन लूंगी......तभी काव्या का मोबाईल रिंग करने लगा..


काव्या ने स्क्रीन को देखा तो उसके चेहरे पे मुस्कान खिल गई....
यशस्वी: अरे जल्दी उठाओ न .....मुझे भी सुनना है.....
काव्या, कॉल पिक करते हुए~हेलो!!


वीर: कहां हो वाइफी?....पीछे से म्यूजिक की भी आवाज आ रही है..
काव्या: नहीं बस, कैफे आई थी..
वीर: ठीक है, एंजॉय करो..
काव्या: अरे! अरे! ...रखना मत, आपका इंटरव्यू कैसा रहा???
वीर: बाद में बताता हूं, तुम एंजॉय करो और डिबेट की प्रिपरेशन भी
काव्या: पर आपको कैसे पता डिबेट के बारे में....??
वीर: वो..वो! मुझे रिया दी ने बताया था...... ठीक है तुम एंजॉय करो मै. रखता हूं.....और कॉल कट कर देता है..



यशस्वी....जो कान लगाए बैठी थी....इस म्यूजिक ने सब बिगाड़ दिया🤬.... नहीं तो जीजू इतनी जल्दी फोन थोड़े न रखते ..
काव्या:🤔...पर मैने तो रिया दी को डिबेट के बारे में कुछ नहीं बताया... हम्मम
.. 🤔कही तुमने तो ...


यशस्वी: अरे! दी, 🤦🏻मुझे तो अभी~अभी डिबेट के बारे में पता चला है ..... तो मैं उन्हें कैसे, कुछ बता सकती हूं..🤷??
काव्या: फिर उन्हें कैसे पता....मेरी डिबेट के बारे में🤔


यशस्वी: अरे! दी चिल .... इससे तो यही लगता है...जीजू को आपकी बहुत फिक्र है..
काव्या (शर्माते हुए): हम्म... सही कहा🙃


....और दोनों ऐसे ही थोड़ी देर बातचीत करती है, फिर घर के लिए निकल जाती है...(उसी काली गाड़ी ने उन्हें घर तक फॉलो किया)


~~

वीर: अरे! बच गया!!!.......🤔है, तो ये लड़की भोली~ भाली....पर न कई बार बात पकड़ लेती है.....तभी वीर का फोन रिंग करने लगता है.... 🤔अब ये क्यूँ कॉल कर रहा है???

वीर: हां, संकलित...... "तो संकलित आज घटित सारी कहानी वीर को संक्षेप में बताता है".... (और संकलित वही लड़का है, जिससे वीर कॉलेज के पहले दिन, गेट पर मिला था और...... उससे काव्या का ध्यान रखने के लिए कहा था)

संकलित: हां,!! भैया..... मैंने पार्किंग तक भी देखा, भाभी ने उससे बात तक नहीं की......... 🤔कल तक तो साथ ही जाया करती थीं???

वीर: जरूर कुछ हुआ होगा, उनके बीच....(🤔या कहीं उसे...नहीं नहीं, ऐसी कोई बात होती तो वो मुझसे जरूर बताती)

वीर: ठीक है! डिबेट की तैयारी पूरी रखना,हारना मत!....चलो रखता हूं...
संकलित: जी भैया!.... और कॉल कट जाती है (यही है, काव्या का डिबेट पार्टनर भी ~संकलित)


तभी वीर के पास उसका दोस्त आ जाता है, दरअसल इंटरव्यू के तुरंत बाद ही वो वीर को मॉल ले आया था..
फ्रेंड: हां भाई! क्या बात करी भाभी से ???
वीर: अबे! हट न यार.... कबसे कपड़े ही नहीं सिलेक्ट कर पा रहा है, और अब अंडरवेयर लेने गया तो इतनी देर लगा दी
फ्रेंड: अरे! वो सेक्शन ढूंढने में ही बहुत टाइम लग गया.....लेकिन तू टॉपिक चेंज मत कर, बता ना क्या कहा भाभी ने..



वीर: कह रही थी... चिपकू दोस्तों से दूर रहना.....और तू, तेरी गर्लफ्रेंड है तो सही....उससे बात क्यू नहीं करता??
फ्रेंड: ठीक है!!! ठीक है!!!..... मै तो ये जानना चाह रहा था कि...... मैरिड कपल आखिर बात.... क्या करते है??
वीर: कुछ नहीं करते.... तू चल चुपचाप



तभी जैसे ही वीर मॉल से बाहर आया .... उसे एक जानी पहचानी सी आवाज सुनाई दी..

ओए, वीरू??....वीर ने अगल बगल देखा... अरे!!... सुमित भाई, क्या हाल चाल ??
सुमित:बढ़िया भाई! तू बता ....यहां कैसे ??
वीर: बस यार! इंटरव्यू था आज..
सुमित: तो कैसा रहा, हो तो जाएगा न इस बार
वीर: हम्मम.... उम्मीद तो पूरी है


सुमित: वैसे यहां कहा रुका है??.....वीर अपने फ्रेंड की ओर इशारा करते हुए, इसके साथ रुका हूं, हम साथ ही तैयारी करते थे ....अब ये यहां बच्चों को कोचिंग देता है...


सुमित: बढ़िया भाई बढ़िया.....वैसे तूने अपना नंबर बदल दिया क्या??
वीर: हां, लेकिन मेरे पास तेरा नंबर है ....मै कॉल करता हूं, सेव करले....

.....ऐसे ही थोड़ी देर बातचीत के बाद वीर ने सुमित से विदा ली..


रात में~


वीर और उसका फ्रेंड...... दोनो खाना बना रहे थे....यार तेरे इंटरव्यू के चक्कर में हमने ज्यादा बाते ही नहीं की??
वीर: हां यार!! तुझे तो पता ही है, ऐसी सिचुएशन सिर पे हो तो.... मैं ज्यादा बातें नहीं करता!!


फ्रेंड: चलो, आखिर तेरे एकांत में रहने का ड्रामा..... तो खत्म हुआ!!
वीर: अबे यार, तू फिर शुरू हो गया, बोला ना तुझे......केवल कल ही मुझे एकांत चाहिए था


फ्रेंड: ठीक है, ठीक है....वैसे तूने शादी के लिए इंदौर क्यों छोड़ दिया, शादी करके भाभी को यहीं ले आता!!
वीर: अबे ऐसा नहीं है..... मैने पहले ही सोच रखा था, शादी के बाद बाद घर में ही रहूंगा ... वहीं से एग्जाम्स दूंगा, हुआ तो ठीक ....नहीं तो कोई बिज़नेस डाल लेंगे..


फ्रेंड: ठीक है! चल खाना खाते हैं....तो फिर दोनों साथ में....डिनर करते है


~~

रात में काव्या आज जो कुछ हुआ...... उसके बारे में ही सोच रही थी...... साथ ही ....डिबेट को लेकर भी परेशान थी.....

~~

वहीं वीर खाने के बाद लेटे~लेटे अपने कॉलेज के दिनों में चला गया.... और वजह थी सुमित का यूं अचानक से मिल जाना ......फिर उसे याद आता है, कि उन दिनों वह कितना एमेच्योर था...

स्कूल लाइफ खत्म हो जाने के बाद भी कॉलेज के शुरुआती दिनों में.....वो कैसे अपने स्कूल लव को ही याद करता रहता ........

जब तक उसे श्रेया नजर नहीं आई थी और बाद में श्रेया भी उसे ........उसी की तरह ही......छोड़ के चली गई..

फिर किरण आई और वीर के चेहरे पे मुस्कान खिल गई ..... अब चाहे जो भी हुआ हो लेकिन उसी की वजह से आज वो काव्या...... के साथ था..


~इसी तरह दोनों अपने ख्यालों और परेशानियों के विषय में गहराई से सोच रहे थे~
.
.
.
.
.
अब आगे क्या होने वाला है
जानने के लिया बने रहिए!!❣️
 

Sanket1025

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फ्रेश सुबह~


कल जब "दोस्ती के नकाब" .....के पीछे का चेहरा ....काव्या के सामने आया, तो .......वह टूट गई थी..... लेकिन आज... उसके लिए एक नई सुबह थी_


उम्म‌अह्ह... अंगड़ाई लेते हुए वह नींद से बाहर आती है, पर उसके सामने....... आज वीर का चेहरा नहीं था..


वह टेबल पर रखी..... अपनी और वीर की तस्वीर को देख.... मुस्कुराती है,
और उठाके चूमते हुए .....कहती है "आप कब आओगे"??
जैसी उसकी रात बीती थी, उस हिसाब से उसे बहुत ही फ्रेश महसूस हो रहा था...


काव्या:🤔 बहुत दिन हो गए ध्यान नहीं लगाया.... यही सोचकर वह नीचे आके पद्मासन की स्थिति में..... ध्यान मुद्रा धारण करके बैठ जाती है...

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इंदौर~

वीर, सुबह-सुबह ही ध्यानवस्था से बाहर आया था...... एक तो इन्टरव्यू की टैंशन में वह जल्दी सो नहीं पाया .... ऊपर से उसकी नींद भी जल्दी खुल गई........ कल तक इसे लेकर वह इतना परेशान नहीं था लेकिन जैसे जैसे साक्षात्कार की घड़ियां पास आती जा रही थी...... उसके अंदर एक अजीब सी मनोवस्था ने जन्म ले लिया था

जिसकी वजह से.... कभी वो ध्यान लगता तो कभी कुछ और ....करता, जिससे उसका मन शांत बना रहे!!


यही होता है जब आप बार बार साक्षात्कार तक पहुंच के भी अपना सिलेक्शन न ले पाएं.... वीर अपनी मनोस्थिति को सुधारने के लिए इंटरनेट से अच्छे अच्छे उद्धरण पढ़ने लगा (उद्धरण~कोट्स)


थोड़ी देर बाद जब उसका मूड थोड़ा अच्छा हुआ ...तो वह काव्या की तस्वीरें देखने लगा..... 'काव्या का ब्राइडल लुक' आज भी उसके मन में बसा हुआ था...ऐसे ही स्क्रॉल करते करते उसे काव्या की एक काफी पुरानी तस्वीर दिखाई दी...

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ये उसने तब खींची थी ......जब वह काव्या के बर्थडे पर वह किरण से मिलने से मिलने गया था....
वीर के गिफ्ट को देख कितनी खुश हुई थी काव्या...... उसे सब याद आने लगा


खैर अब उसका मन हल्का हो चुका था ....तो वह नाश्ता करने के लिए बाहर निकल आता है.... सुबह-सुबह पोहा जलेबी खाना उसे बहुत पसंद था.....ये आदत भी उसे इंदौर आने के बाद ही लगी थी..




भोपाल~

काव्या अब, ध्यान से बाहर आ चुकी थी साथ ही उसने स्नान भी कर लिया था....

किचेन में गाना गुनगुनाते हुए वो नाश्ता तैयार कर रही थी तभी रिया वहां आती है..


रिया: क्या बात है, भाभी आज बहुत खुश लग रही हो??
काव्या: हां दी! आज बहुत ही हल्का लग रहा है

रिया: लाओ भाभी, इसे मै कर देती हूं.......और नाश्ता बनाने में ......वह काव्या की मदद करने लगी


थोड़ी देर बाद:

जब सभी नाश्ता कर चुके थे.... काव्या अपने रूम में तैयार हो रही थी...... तभी उसका फोन रिंग करने लगता है..


काव्या: हेलो😊
कीर्ति: हां, भाभी! कैसे हो ??

काव्या: मै तो बढ़िया हूं.....लेकिन तुम कहां बिजी रहती हो.....रूही तो कॉल करती रहती है, .......तुम्हारा ही कहीं पता ही नहीं चलता...
कीर्ति: भाभी!! ऐसा बिल्कुल नहीं है,आप ही...... मुझे कभी याद नहीं करती ... जबसे भोपाल गई हो एक बार भी कॉल किया आपने


काव्या: ठीक है, बाबा! मेरी गलती ....... मां कैसी है??
कीर्ति: यहां सब ठीक है भाभी..... भैया यहां है नहीं तो जैक भाई ही घर का सारा काम देखते है....

डिंग डांग..
कीर्ति, कॉलेज के लिए लेट हो जाएगा ....मै तुम्हे बाद में कॉल करती हूं....

रिया ने दरवाजा खोल दिया था तो.....यशस्वी चहकते हुए काव्या के रूम में घुस जाती है..


यशस्वी: क्या बात है....आज तो पार्टी बहुत खुश लग रही है?
काव्या: पार्टी?? कौन सी पार्टी??
यशस्वी: अरे! दी आप और कौन.....

मुझे तो लगा था, कल की बात से आप अभी तक परेशान होंगी, इसलिए जल्दी आ गई थी


काव्या😀: 5 मिनिट पहले आने को जल्दी नही बोलते..
यशस्वी: लेकिन मुझे तो 5 ही मिनिट लगते है.... किसी का भी मूड ठीक करने में .....

देखो आपको हंसा दिया न...... ऐसी ही गोल मोल बाते करते हुए यशस्वी, काव्या को तैयार होते देखती है..


और थोड़ी देर बाद.....दोनों निकल पड़ती है कॉलेज ......आज भी वही गाड़ी उनका पीछा कर रही थी

यशस्वी: दी! याद है न आज ........आपको अकेले .....कहीं .....भी नहीं जाना ???
काव्या: याद हैं बाबा..... अगर जाऊंगी भी...... तो पहले..... तुम्हे कॉल करूंगी!!!


यशस्वी(गुस्साते हुए): नहीं दी!!! जाना ही नहीं है??.....बस
काव्या: ठीक है!....ठीक है, मेरी मां....अब तू क्लास में जा..


~~~

वहीं इंदौर में, वीर भी ....बढ़िया से तैयार होके निकल चुका था........ इंटरव्यू के लिए, आज..... उसे एक अलग ही फीलिंग आ रही थी.... उसने अपनी कलाई पे बंधे लाल धागे को चूमा और आगे बढ़ गया...

~~~

क्लास पहुंचते ही, काव्या को वही सेम....कल वाला शो देखने को मिला, जिसमें लकी और जानवी एक बेंच पर बैठे..... बात कर रहे थे..

काव्या जाके..... अपने डिबेट पार्टनर की पीछे वाली बेंच पर बैठ जाती है.... और उससे टॉपिक से संबंधित बातचीत करने लगती है.....तभी लकी जानवी के कान में कुछ बोलके चला गया.......तो जानवी उठ के काव्या के पास पहुंच गई..


जानवी: यार! काव्या काफी दिन हो गए....इससे पहले कि वो आगे कुछ बोल पाती....
काव्या: अभी नहीं यार बिजी हूं...और फिर से टॉपिक पर बात करने लग जाती है !
जानवी: अरे! काव्या सुन तो।।।
काव्या: 😠नहीं न...


जानवी: अरे! भड़क क्यों रही है, चल ब्रेक में बाहर घूम के आते है
काव्या: नहीं...
जानवी: अरे! सनसेट व्यूपॉइंट तक ही चल ले ना....

काव्या: फिर तू अकेली ही चली जा, वैसे वहां जाके करेगी क्या??


😄आस पास के सभी लोग हंसने लगे😆...."ये दोपहर में सनसेट देखेगी"....😀



मजाक उड़ाए जाने पर गुस्सा तो बहुत आया जानवी को .....लेकिन वो कर भी क्या सकती थी....चुपचाप जाके अपनी बेंच पर बैठ गई...

जलन~ दोस्तों, एक ऐसी चीज है जो व्यक्ति को कहां से कहां पहुंचा देती है ....... अगर सही तरीके से काम में लिया..... जाए तो अर्श पर .....नहीं तो फर्श पर...


लकी के ब्लैकमैल करने... मात्र से जानवी इतने आगे नहीं बढ़ी थी, उसके पीछे और भी बोहोत सारे कारण थे..... जैसे मार्क्स, काव्या के मार्क्स हमेशा ही जानवी से अच्छे आते थे (हालांकि वह टॉपर नहीं थी) ....


काव्या के पास अक्सर ही पैसे खत्म हो जाया करते, लेकिन जानवी......... जब भी उसे देखती, खुश ही देखती (अब उसे कौन बताए? जो टॉर्चर काव्या के साथ घर में सुबह शाम होता था..... बाहर आना तो उसके लिए स्वर्ग जैसा था)......


और लड़के भी जानवी के पास आके, हमेशा ......काव्या के बारे में पूंछा करते!!!!


जानवी ने इन छोटी छोटी बातों को इतनी तवज्जो दी कि ........आज वह उसके लिए नफरत का कारण बन गई...... अब उसे काव्या की खुशियां ..... पल भर के लिए भी बर्दाश्त नहीं थी...



थोड़ी देर बाद जानवी, काव्या के पास फिर से गई .....और उससे साथ बैठने के लिए कहा, तो..

काव्या ने डिबेट की बातचीत का वास्ता देकर उसे वापिस भेजना चाहा... पर जानवी
जानवी: अरे! क्लास का टाइम हो गया है, अब क्या ही बात हो पाएगी चल न वहां साथ बैठते है
काव्या: नहीं...


जानवी😡: देख काव्या बोहोत हो गई नौटंकी, चलती है कि ... इतने क्लास टीचर की एंट्री हो गई....और जानवी को अपनी जगह वापिस आना पड़ा

(आज की ये सारी बातें कोई और भी...... बहुत ही करीब से नोटिस कर रहा था)

जैसे~जैसे क्लासेस चलती गई, जानवी का गुस्सा बढ़ता रहा...... और जब ब्रेक हुआ....... काव्या उठके सीधे निकल गई, यशस्वी के पास...... वो भी इतनी जल्दी कि .....जानवी उसे रोक ही नहीं पाई।।।.....


पर फिर वो भी निकल पड़ी..... काव्या के पीछे~पीछे...


काव्या के आते ही यशस्वी.... दी!! ✋🏻हाई~फाइव🫸🫷 और दोनों साथ बैठ जाती है...

यशस्वी: तो दी, कैसा रहा आज?......मजा तो आया ही होगा😉
काव्या: हां~हां बहुत मजा आया.....पहले कुछ ऑर्डर करलें, फिर खाते खाते बताती हूं


यशस्वी ने ऑर्डर दिया ही था कि जानवी वहां पहुंच गई...

तू मुझे इग्नोर क्यों कर रही है??
काव्या: मैने ऐसा कुछ नहीं किया??
जानवी: देख काव्या, सुबह से देख रही हूं, अब तेरा बहुत हो गया...
काव्या:🤔पर मैने क्या किया है???

मन ही मन दोनो तरफ के मजे लेते हुए यशस्वी 🥳🥳🥳
..... वाह! काव्या दी .....क्या एक्टिंग करती हो👏 👏👏


काव्या: बता ना!!! आखिर मुझे भी तो पता चले....... मैने क्या गलती कर दी?
जानवी(गुस्से से): ज्यादा नाटक मत कर ......


इस बार वो थोड़ा, ज़ोर से बोल गई ....और जब सभी लोग उसे ही देखने लगे....तो वो कैंटीन से ही बाहर निकल गई...


यशस्वी: ये हुई न मेरी दी वाली बात.... मजा ही आ गया👏
काव्या: हम्मम....लेकिन मैने उसे कुछ ज्यादा ही ......गुस्सा दिला दिया ???

यशस्वी(ओम पूरी की मिमिक्री करते हुए): अरे! उसके गुस्सा होने से कोन्हों फरक पड़ता है का???.....

काव्या और यशस्वी, दोनो इस बात पर, बहुत जोर से हंसी.....


वहीं कैंटीन से बाहर आते ही जानवी को लकी मिल गया.....क्या हुआ, मान गई??
जानवी: मुंडी हिलाते हुए, नहीं!....
लकी: रण्डी तुझसे एक काम ढंग से नहीं होता, ....साली तू उसकी दोस्त है, भी या नहीं?......


जानवी: पता नहीं!! उसे क्या हो गया है?? जो मेरी एक बात नहीं सुन रही..... कही ऐसा तो नहीं...... उसे हमारे प्लान के बारे में सब पता चल गया हो..


लकी: इसके बारे में तेरे अलावा किसी को नहीं पता था, कुतिया... कहीं तूने ही तो..
जानवी: नहीं! नहीं! मैने किसी को कुछ नहीं बताया

"वैसे भी मै ज्यादा नफरत...उसी से तो करती हूं "


तभी पीछे से सोनू आते हुए: क्या बात है! भाई, नहीं आ रही क्या वो??


जानवी: तो तुमने! इसे भी बताया है...??
लकी: वो मेरा दोस्त है, कुतिया ....जो मैं खाता वो भी वही खाता है, शुक्र मना उसे तुझमें जरा भी दिलचस्पी नहीं है..


सोनू: लेकिन भाई! अब मेरा मूड बदल रहा है, क्यों न इसे भी चख कर देख ही लूं
लकी: जब भी चाहिए हो.... कॉल कर देना, ये रण्डी दौड़ी चली आएगी...


जानवी: न..नहीं, मै नहीं आऊंगी?
लकी😡: सुन कुतिया!!! अगर आज तूने उस रण्डी को नहीं मनाया.... तो तुझे कुत्तों के सामने डालने से पहले........ ज़रा भी नहीं सोचूंगा

सोनू: समझ गई न रानी चल अब...... निकल यहां से!!


जानवी जाके पेड़ के नीचे एक बेंच पर बैठ जाती है...... 🤔और सोचती है,
आज ये क्या हो रहा है, मेरे साथ??


सुबह से जो कुछ भी उसके साथ हुआ था ....उसे सोच सोचकर उसका गुस्सा .....बढ़ता ही जा रहा था.... काव्या की बच्ची🤬

तभी उसके पास से काव्या और यशस्वी निकलने ही वाली थी कि.....वो उन्हें रोक लेती हैं...



जानवी: काव्या! तुझे हुआ क्या है?.... अब तू कैंटीन जाने लगी है, मुझसे ठीक से बात नहीं करती, पैसों का ज्यादा घमंड आ गया है क्या??.......
भूल मत जब भी तुझे पैसों की जरूरत पड़ती थी ..........मै ही काम आती थी!!


यशस्वी: और वो पैसे कितने होते थे?
जानवी: ये! तू चुप रह.... मै काव्या से बात कर रही हूं
यशस्वी: हां हां सौ पचास का ताना देने में शर्म तो आ नहीं रही होगी..


काव्या: अरे! यशु तू रुक.......तो तुम्हें और क्या चाहिए?...... जितने दिनों के लिए मै पैसे उधार लेती थी...... उससे ज्यादा तो तुम्हारी पढ़ाई में मदद कर देती थी..
जानवी: तू न बोहोत बदल गई है, काव्या.... अब इस जैसी लड़कियों के साथ रहेगी तो...... ऐसा तो होगा ही..

यशस्वी:😠 क्या मतलब, इस जैसी लड़कियां.... मै न तुमसे हजार गुना अच्छी हूं..... और जल्दी से मोबाइल निकाल के उसके साथ सेल्फी 🤳ले लेती है..


काव्या को दिखाते हुए 🤳 ...ये देखो दी मै इससे ज्यादा सुंदर हु कि नहीं??.....ये देख के काव्या हंसी ही छूट गई??


जानवी: हंस लो जितना हंसना है, फिर आगे से मेरी मदद मांगने मत आना...


तो यशस्वी काव्या की तरफ देखती है... और फिर से जोर जोर से हंसने लगती है.... काव्या यशस्वी का हंसना देख के अपनी हंसी छुपा रही थी..

जानवी: बहुत हो गया काव्या, आखिर बार पूंछ रही हूं छुट्टी के बाद मेरे साथ चलेगी कि नहीं?


यशस्वी:

images


और दोनों जोर जोर से हंसने लगती हैं....


जानवी गुस्से से लाल पीली होके.... वहां से चली गई....दूर खड़ा एक लड़का ये सब नोटिस कर रहा था...साथ ही किसी और की भी नज़रे काव्या पर थी


वहीं दूसरी अशोक को भी कन्फर्मेशन आ गया था.... वो 2 दिन बाद से अस्पताल ज्वाइन करने वाला था..


ब्रिजपुर~

कीर्ति, रूही और मम्मी बैठे गप्पे लड़ा रही थी..
रूही: मम्मी! मै परसों भाभी के पास जा रही हूं तीन दिनों के लिए....
मम्मी: हां हां चली जाना....और कीर्ति तू जाएगी या नहीं?
कीर्ति: नहीं मम्मी मेरे बोर्ड्स है.... और अगर मैं वहां चली गई तो आपकी यहां मदद कौन करेगा??...तभी बाहर से आते हुए..


ये छुटकी मै हूं न.... तुझे जाना है तो बिंदास जा
कीर्ति: अरे! मेरे भाई...मै कही नहीं जा रही, और वैसे भी भाभी की छुटियां तो अगले महीने होंगी ही... तब मेरी भी छुटियां रहेगी..... तो सारी मस्ती यहीं करेंगे...


रूही: लेकिन, मै तो जाऊंगी ...... वहां भाभी को एक छोटी बहन मिल गई है, उसके साथ मस्ती करनी है और रिया दीदी से भी काफी समय हो
गया ......नहीं मिली, तो उनके साथ भी मस्ती करूंगी
मम्मी: ठीक है!..ठीक है!... जिसको जिसको जाना है जा सकता है..


कॉलेज~

क्लासेस खत्म होते ही एक बार फिर काव्या और जानवी का आमना सामना हुआ.... काव्या नॉर्मल रही पर जानवी ने उसे खा जाने वाली नजरों से देखा, ..... वो समझ नहीं पा रही थी...कल तक तो सब ठीक था....आखिर ऐसा हुआ क्या ??? जो काव्या उसकी बातों को इग्नोर करने लगी


जानवी: 🤔पहले तो खुद ही मनाने आ जाती थी.... अब पैसे आ गए, आईफोन ले लिया..... कुछ तो बात है जो काव्या मुझे इग्नोर कर रही है..... इन्हीं ख्यालों में डूबी जानवी, पार्किंग की ओर जा रही थी, तभी उसके बगल में सोनू आ जाता है


सोनू: क्या हुआ?.......नहीं मना पाई, चल अब तू कुछ मत कर......आगे का हम सम्हाल लेंगे........ तू बस संडे को आके मुझे खुश कर दे...और हंसते हुए उसके बगल से निकल गया..


पार्किंग में.....यशस्वी~चले
काव्या: हम्मम!........और दोनों निकल पड़ती है घर की ओर....वह गाड़ी भी उनका पीछा कर रही थी...

यशस्वी: दी! क्या हुआ? ....सब ठीक रहा न...आप इतने चुप क्यों हो??
काव्या: हम्मम, सब ठीक रहा....लेकिन अगर तुमने मुझे वो रिकॉर्डिंग न सुनाई होती, तो..
यशस्वी बीच में ही..... तो भी आपको कुछ नहीं होता, ज्यादा फालतू सोचने की जरूरत नहीं है ....चिल करो!!!....और गाड़ी एक कैफे की तरफ मोड देती है...


काव्या: अरे! अरे!!.... यहां क्यू ले आई??
यशस्वी: यहीं तो मजा है....आओ जल्दी से, बैठो यहां पे .......और दो एस्प्रेसो, साथ में वेज सैंडविच ऑर्डर कर देती है


काव्या: अरे! इसकी क्या जरूरत थी..
यशस्वी: मैने बोला न.... चिल!!
काव्या: ठीक है, ठीक है..


और दोनो काफी एंजॉय करते हुए बातें करती है....
काव्या: कल, क्लासेस खत्म होने के बाद .... मेरी एक डिबेट है, तो क्या...
यशस्वी: अरे! अरे! बिल्कुल.... मै भी आपकी डिबेट सुन लूंगी......तभी काव्या का मोबाईल रिंग करने लगा..


काव्या ने स्क्रीन को देखा तो उसके चेहरे पे मुस्कान खिल गई....
यशस्वी: अरे जल्दी उठाओ न .....मुझे भी सुनना है.....
काव्या, कॉल पिक करते हुए~हेलो!!


वीर: कहां हो वाइफी?....पीछे से म्यूजिक की भी आवाज आ रही है..
काव्या: नहीं बस, कैफे आई थी..
वीर: ठीक है, एंजॉय करो..
काव्या: अरे! अरे! ...रखना मत, आपका इंटरव्यू कैसा रहा???
वीर: बाद में बताता हूं, तुम एंजॉय करो और डिबेट की प्रिपरेशन भी
काव्या: पर आपको कैसे पता डिबेट के बारे में....??
वीर: वो..वो! मुझे रिया दी ने बताया था...... ठीक है तुम एंजॉय करो मै. रखता हूं.....और कॉल कट कर देता है..



यशस्वी....जो कान लगाए बैठी थी....इस म्यूजिक ने सब बिगाड़ दिया🤬.... नहीं तो जीजू इतनी जल्दी फोन थोड़े न रखते ..
काव्या:🤔...पर मैने तो रिया दी को डिबेट के बारे में कुछ नहीं बताया... हम्मम
.. 🤔कही तुमने तो ...


यशस्वी: अरे! दी, 🤦🏻मुझे तो अभी~अभी डिबेट के बारे में पता चला है ..... तो मैं उन्हें कैसे, कुछ बता सकती हूं..🤷??
काव्या: फिर उन्हें कैसे पता....मेरी डिबेट के बारे में🤔


यशस्वी: अरे! दी चिल .... इससे तो यही लगता है...जीजू को आपकी बहुत फिक्र है..
काव्या (शर्माते हुए): हम्म... सही कहा🙃


....और दोनों ऐसे ही थोड़ी देर बातचीत करती है, फिर घर के लिए निकल जाती है...(उसी काली गाड़ी ने उन्हें घर तक फॉलो किया)


~~

वीर: अरे! बच गया!!!.......🤔है, तो ये लड़की भोली~ भाली....पर न कई बार बात पकड़ लेती है.....तभी वीर का फोन रिंग करने लगता है.... 🤔अब ये क्यूँ कॉल कर रहा है???

वीर: हां, संकलित...... "तो संकलित आज घटित सारी कहानी वीर को संक्षेप में बताता है".... (और संकलित वही लड़का है, जिससे वीर कॉलेज के पहले दिन, गेट पर मिला था और...... उससे काव्या का ध्यान रखने के लिए कहा था)

संकलित: हां,!! भैया..... मैंने पार्किंग तक भी देखा, भाभी ने उससे बात तक नहीं की......... 🤔कल तक तो साथ ही जाया करती थीं???

वीर: जरूर कुछ हुआ होगा, उनके बीच....(🤔या कहीं उसे...नहीं नहीं, ऐसी कोई बात होती तो वो मुझसे जरूर बताती)

वीर: ठीक है! डिबेट की तैयारी पूरी रखना,हारना मत!....चलो रखता हूं...
संकलित: जी भैया!.... और कॉल कट जाती है (यही है, काव्या का डिबेट पार्टनर भी ~संकलित)


तभी वीर के पास उसका दोस्त आ जाता है, दरअसल इंटरव्यू के तुरंत बाद ही वो वीर को मॉल ले आया था..
फ्रेंड: हां भाई! क्या बात करी भाभी से ???
वीर: अबे! हट न यार.... कबसे कपड़े ही नहीं सिलेक्ट कर पा रहा है, और अब अंडरवेयर लेने गया तो इतनी देर लगा दी
फ्रेंड: अरे! वो सेक्शन ढूंढने में ही बहुत टाइम लग गया.....लेकिन तू टॉपिक चेंज मत कर, बता ना क्या कहा भाभी ने..



वीर: कह रही थी... चिपकू दोस्तों से दूर रहना.....और तू, तेरी गर्लफ्रेंड है तो सही....उससे बात क्यू नहीं करता??
फ्रेंड: ठीक है!!! ठीक है!!!..... मै तो ये जानना चाह रहा था कि...... मैरिड कपल आखिर बात.... क्या करते है??
वीर: कुछ नहीं करते.... तू चल चुपचाप



तभी जैसे ही वीर मॉल से बाहर आया .... उसे एक जानी पहचानी सी आवाज सुनाई दी..

ओए, वीरू??....वीर ने अगल बगल देखा... अरे!!... सुमित भाई, क्या हाल चाल ??
सुमित:बढ़िया भाई! तू बता ....यहां कैसे ??
वीर: बस यार! इंटरव्यू था आज..
सुमित: तो कैसा रहा, हो तो जाएगा न इस बार
वीर: हम्मम.... उम्मीद तो पूरी है


सुमित: वैसे यहां कहा रुका है??.....वीर अपने फ्रेंड की ओर इशारा करते हुए, इसके साथ रुका हूं, हम साथ ही तैयारी करते थे ....अब ये यहां बच्चों को कोचिंग देता है...


सुमित: बढ़िया भाई बढ़िया.....वैसे तूने अपना नंबर बदल दिया क्या??
वीर: हां, लेकिन मेरे पास तेरा नंबर है ....मै कॉल करता हूं, सेव करले....

.....ऐसे ही थोड़ी देर बातचीत के बाद वीर ने सुमित से विदा ली..


रात में~


वीर और उसका फ्रेंड...... दोनो खाना बना रहे थे....यार तेरे इंटरव्यू के चक्कर में हमने ज्यादा बाते ही नहीं की??
वीर: हां यार!! तुझे तो पता ही है, ऐसी सिचुएशन सिर पे हो तो.... मैं ज्यादा बातें नहीं करता!!


फ्रेंड: चलो, आखिर तेरे एकांत में रहने का ड्रामा..... तो खत्म हुआ!!
वीर: अबे यार, तू फिर शुरू हो गया, बोला ना तुझे......केवल कल ही मुझे एकांत चाहिए था


फ्रेंड: ठीक है, ठीक है....वैसे तूने शादी के लिए इंदौर क्यों छोड़ दिया, शादी करके भाभी को यहीं ले आता!!
वीर: अबे ऐसा नहीं है..... मैने पहले ही सोच रखा था, शादी के बाद बाद घर में ही रहूंगा ... वहीं से एग्जाम्स दूंगा, हुआ तो ठीक ....नहीं तो कोई बिज़नेस डाल लेंगे..


फ्रेंड: ठीक है! चल खाना खाते हैं....तो फिर दोनों साथ में....डिनर करते है


~~

रात में काव्या आज जो कुछ हुआ...... उसके बारे में ही सोच रही थी...... साथ ही ....डिबेट को लेकर भी परेशान थी.....

~~

वहीं वीर खाने के बाद लेटे~लेटे अपने कॉलेज के दिनों में चला गया.... और वजह थी सुमित का यूं अचानक से मिल जाना ......फिर उसे याद आता है, कि उन दिनों वह कितना एमेच्योर था...

स्कूल लाइफ खत्म हो जाने के बाद भी कॉलेज के शुरुआती दिनों में.....वो कैसे अपने स्कूल लव को ही याद करता रहता ........

जब तक उसे श्रेया नजर नहीं आई थी और बाद में श्रेया भी उसे ........उसी की तरह ही......छोड़ के चली गई..

फिर किरण आई और वीर के चेहरे पे मुस्कान खिल गई ..... अब चाहे जो भी हुआ हो लेकिन उसी की वजह से आज वो काव्या...... के साथ था..


~इसी तरह दोनों अपने ख्यालों और परेशानियों के विषय में गहराई से सोच रहे थे~
.
.
.
.
.
अब आगे क्या होने वाला है
जानने के लिया बने रहिए!!❣️
Mast update hai bhai
 

Gaurav1969

Nobody dies as Virgin. .... Life fucks us all.
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Update 14



फ्रेश सुबह~


कल जब "दोस्ती के नकाब" .....के पीछे का चेहरा ....काव्या के सामने आया, तो .......वह टूट गई थी..... लेकिन आज... उसके लिए एक नई सुबह थी_


उम्म‌अह्ह... अंगड़ाई लेते हुए वह नींद से बाहर आती है, पर उसके सामने....... आज वीर का चेहरा नहीं था..


वह टेबल पर रखी..... अपनी और वीर की तस्वीर को देख.... मुस्कुराती है,
और उठाके चूमते हुए .....कहती है "आप कब आओगे"??
जैसी उसकी रात बीती थी, उस हिसाब से उसे बहुत ही फ्रेश महसूस हो रहा था...


काव्या:🤔 बहुत दिन हो गए ध्यान नहीं लगाया.... यही सोचकर वह नीचे आके पद्मासन की स्थिति में..... ध्यान मुद्रा धारण करके बैठ जाती है...

attachment_65835944



इंदौर~

वीर, सुबह-सुबह ही ध्यानवस्था से बाहर आया था...... एक तो इन्टरव्यू की टैंशन में वह जल्दी सो नहीं पाया .... ऊपर से उसकी नींद भी जल्दी खुल गई........ कल तक इसे लेकर वह इतना परेशान नहीं था लेकिन जैसे जैसे साक्षात्कार की घड़ियां पास आती जा रही थी...... उसके अंदर एक अजीब सी मनोवस्था ने जन्म ले लिया था

जिसकी वजह से.... कभी वो ध्यान लगता तो कभी कुछ और ....करता, जिससे उसका मन शांत बना रहे!!


यही होता है जब आप बार बार साक्षात्कार तक पहुंच के भी अपना सिलेक्शन न ले पाएं.... वीर अपनी मनोस्थिति को सुधारने के लिए इंटरनेट से अच्छे अच्छे उद्धरण पढ़ने लगा (उद्धरण~कोट्स)


थोड़ी देर बाद जब उसका मूड थोड़ा अच्छा हुआ ...तो वह काव्या की तस्वीरें देखने लगा..... 'काव्या का ब्राइडल लुक' आज भी उसके मन में बसा हुआ था...ऐसे ही स्क्रॉल करते करते उसे काव्या की एक काफी पुरानी तस्वीर दिखाई दी...

IMG-20241025-232414.jpg


ये उसने तब खींची थी ......जब वह काव्या के बर्थडे पर वह किरण से मिलने से मिलने गया था....
वीर के गिफ्ट को देख कितनी खुश हुई थी काव्या...... उसे सब याद आने लगा


खैर अब उसका मन हल्का हो चुका था ....तो वह नाश्ता करने के लिए बाहर निकल आता है.... सुबह-सुबह पोहा जलेबी खाना उसे बहुत पसंद था.....ये आदत भी उसे इंदौर आने के बाद ही लगी थी..




भोपाल~

काव्या अब, ध्यान से बाहर आ चुकी थी साथ ही उसने स्नान भी कर लिया था....

किचेन में गाना गुनगुनाते हुए वो नाश्ता तैयार कर रही थी तभी रिया वहां आती है..


रिया: क्या बात है, भाभी आज बहुत खुश लग रही हो??
काव्या: हां दी! आज बहुत ही हल्का लग रहा है

रिया: लाओ भाभी, इसे मै कर देती हूं.......और नाश्ता बनाने में ......वह काव्या की मदद करने लगी


थोड़ी देर बाद:

जब सभी नाश्ता कर चुके थे.... काव्या अपने रूम में तैयार हो रही थी...... तभी उसका फोन रिंग करने लगता है..


काव्या: हेलो😊
कीर्ति: हां, भाभी! कैसे हो ??

काव्या: मै तो बढ़िया हूं.....लेकिन तुम कहां बिजी रहती हो.....रूही तो कॉल करती रहती है, .......तुम्हारा ही कहीं पता ही नहीं चलता...
कीर्ति: भाभी!! ऐसा बिल्कुल नहीं है,आप ही...... मुझे कभी याद नहीं करती ... जबसे भोपाल गई हो एक बार भी कॉल किया आपने


काव्या: ठीक है, बाबा! मेरी गलती ....... मां कैसी है??
कीर्ति: यहां सब ठीक है भाभी..... भैया यहां है नहीं तो जैक भाई ही घर का सारा काम देखते है....

डिंग डांग..
कीर्ति, कॉलेज के लिए लेट हो जाएगा ....मै तुम्हे बाद में कॉल करती हूं....

रिया ने दरवाजा खोल दिया था तो.....यशस्वी चहकते हुए काव्या के रूम में घुस जाती है..


यशस्वी: क्या बात है....आज तो पार्टी बहुत खुश लग रही है?
काव्या: पार्टी?? कौन सी पार्टी??
यशस्वी: अरे! दी आप और कौन.....

मुझे तो लगा था, कल की बात से आप अभी तक परेशान होंगी, इसलिए जल्दी आ गई थी


काव्या😀: 5 मिनिट पहले आने को जल्दी नही बोलते..
यशस्वी: लेकिन मुझे तो 5 ही मिनिट लगते है.... किसी का भी मूड ठीक करने में .....

देखो आपको हंसा दिया न...... ऐसी ही गोल मोल बाते करते हुए यशस्वी, काव्या को तैयार होते देखती है..


और थोड़ी देर बाद.....दोनों निकल पड़ती है कॉलेज ......आज भी वही गाड़ी उनका पीछा कर रही थी

यशस्वी: दी! याद है न आज ........आपको अकेले .....कहीं .....भी नहीं जाना ???
काव्या: याद हैं बाबा..... अगर जाऊंगी भी...... तो पहले..... तुम्हे कॉल करूंगी!!!


यशस्वी(गुस्साते हुए): नहीं दी!!! जाना ही नहीं है??.....बस
काव्या: ठीक है!....ठीक है, मेरी मां....अब तू क्लास में जा..


~~~

वहीं इंदौर में, वीर भी ....बढ़िया से तैयार होके निकल चुका था........ इंटरव्यू के लिए, आज..... उसे एक अलग ही फीलिंग आ रही थी.... उसने अपनी कलाई पे बंधे लाल धागे को चूमा और आगे बढ़ गया...

~~~

क्लास पहुंचते ही, काव्या को वही सेम....कल वाला शो देखने को मिला, जिसमें लकी और जानवी एक बेंच पर बैठे..... बात कर रहे थे..

काव्या जाके..... अपने डिबेट पार्टनर की पीछे वाली बेंच पर बैठ जाती है.... और उससे टॉपिक से संबंधित बातचीत करने लगती है.....तभी लकी जानवी के कान में कुछ बोलके चला गया.......तो जानवी उठ के काव्या के पास पहुंच गई..


जानवी: यार! काव्या काफी दिन हो गए....इससे पहले कि वो आगे कुछ बोल पाती....
काव्या: अभी नहीं यार बिजी हूं...और फिर से टॉपिक पर बात करने लग जाती है !
जानवी: अरे! काव्या सुन तो।।।
काव्या: 😠नहीं न...


जानवी: अरे! भड़क क्यों रही है, चल ब्रेक में बाहर घूम के आते है
काव्या: नहीं...
जानवी: अरे! सनसेट व्यूपॉइंट तक ही चल ले ना....

काव्या: फिर तू अकेली ही चली जा, वैसे वहां जाके करेगी क्या??


😄आस पास के सभी लोग हंसने लगे😆...."ये दोपहर में सनसेट देखेगी"....😀



मजाक उड़ाए जाने पर गुस्सा तो बहुत आया जानवी को .....लेकिन वो कर भी क्या सकती थी....चुपचाप जाके अपनी बेंच पर बैठ गई...

जलन~ दोस्तों, एक ऐसी चीज है जो व्यक्ति को कहां से कहां पहुंचा देती है ....... अगर सही तरीके से काम में लिया..... जाए तो अर्श पर .....नहीं तो फर्श पर...


लकी के ब्लैकमैल करने... मात्र से जानवी इतने आगे नहीं बढ़ी थी, उसके पीछे और भी बोहोत सारे कारण थे..... जैसे मार्क्स, काव्या के मार्क्स हमेशा ही जानवी से अच्छे आते थे (हालांकि वह टॉपर नहीं थी) ....


काव्या के पास अक्सर ही पैसे खत्म हो जाया करते, लेकिन जानवी......... जब भी उसे देखती, खुश ही देखती (अब उसे कौन बताए? जो टॉर्चर काव्या के साथ घर में सुबह शाम होता था..... बाहर आना तो उसके लिए स्वर्ग जैसा था)......


और लड़के भी जानवी के पास आके, हमेशा ......काव्या के बारे में पूंछा करते!!!!


जानवी ने इन छोटी छोटी बातों को इतनी तवज्जो दी कि ........आज वह उसके लिए नफरत का कारण बन गई...... अब उसे काव्या की खुशियां ..... पल भर के लिए भी बर्दाश्त नहीं थी...



थोड़ी देर बाद जानवी, काव्या के पास फिर से गई .....और उससे साथ बैठने के लिए कहा, तो..

काव्या ने डिबेट की बातचीत का वास्ता देकर उसे वापिस भेजना चाहा... पर जानवी
जानवी: अरे! क्लास का टाइम हो गया है, अब क्या ही बात हो पाएगी चल न वहां साथ बैठते है
काव्या: नहीं...


जानवी😡: देख काव्या बोहोत हो गई नौटंकी, चलती है कि ... इतने क्लास टीचर की एंट्री हो गई....और जानवी को अपनी जगह वापिस आना पड़ा

(आज की ये सारी बातें कोई और भी...... बहुत ही करीब से नोटिस कर रहा था)

जैसे~जैसे क्लासेस चलती गई, जानवी का गुस्सा बढ़ता रहा...... और जब ब्रेक हुआ....... काव्या उठके सीधे निकल गई, यशस्वी के पास...... वो भी इतनी जल्दी कि .....जानवी उसे रोक ही नहीं पाई।।।.....


पर फिर वो भी निकल पड़ी..... काव्या के पीछे~पीछे...


काव्या के आते ही यशस्वी.... दी!! ✋🏻हाई~फाइव🫸🫷 और दोनों साथ बैठ जाती है...

यशस्वी: तो दी, कैसा रहा आज?......मजा तो आया ही होगा😉
काव्या: हां~हां बहुत मजा आया.....पहले कुछ ऑर्डर करलें, फिर खाते खाते बताती हूं


यशस्वी ने ऑर्डर दिया ही था कि जानवी वहां पहुंच गई...

तू मुझे इग्नोर क्यों कर रही है??
काव्या: मैने ऐसा कुछ नहीं किया??
जानवी: देख काव्या, सुबह से देख रही हूं, अब तेरा बहुत हो गया...
काव्या:🤔पर मैने क्या किया है???

मन ही मन दोनो तरफ के मजे लेते हुए यशस्वी 🥳🥳🥳
..... वाह! काव्या दी .....क्या एक्टिंग करती हो👏 👏👏


काव्या: बता ना!!! आखिर मुझे भी तो पता चले....... मैने क्या गलती कर दी?
जानवी(गुस्से से): ज्यादा नाटक मत कर ......


इस बार वो थोड़ा, ज़ोर से बोल गई ....और जब सभी लोग उसे ही देखने लगे....तो वो कैंटीन से ही बाहर निकल गई...


यशस्वी: ये हुई न मेरी दी वाली बात.... मजा ही आ गया👏
काव्या: हम्मम....लेकिन मैने उसे कुछ ज्यादा ही ......गुस्सा दिला दिया ???

यशस्वी(ओम पूरी की मिमिक्री करते हुए): अरे! उसके गुस्सा होने से कोन्हों फरक पड़ता है का???.....

काव्या और यशस्वी, दोनो इस बात पर, बहुत जोर से हंसी.....


वहीं कैंटीन से बाहर आते ही जानवी को लकी मिल गया.....क्या हुआ, मान गई??
जानवी: मुंडी हिलाते हुए, नहीं!....
लकी: रण्डी तुझसे एक काम ढंग से नहीं होता, ....साली तू उसकी दोस्त है, भी या नहीं?......


जानवी: पता नहीं!! उसे क्या हो गया है?? जो मेरी एक बात नहीं सुन रही..... कही ऐसा तो नहीं...... उसे हमारे प्लान के बारे में सब पता चल गया हो..


लकी: इसके बारे में तेरे अलावा किसी को नहीं पता था, कुतिया... कहीं तूने ही तो..
जानवी: नहीं! नहीं! मैने किसी को कुछ नहीं बताया

"वैसे भी मै ज्यादा नफरत...उसी से तो करती हूं "


तभी पीछे से सोनू आते हुए: क्या बात है! भाई, नहीं आ रही क्या वो??


जानवी: तो तुमने! इसे भी बताया है...??
लकी: वो मेरा दोस्त है, कुतिया ....जो मैं खाता वो भी वही खाता है, शुक्र मना उसे तुझमें जरा भी दिलचस्पी नहीं है..


सोनू: लेकिन भाई! अब मेरा मूड बदल रहा है, क्यों न इसे भी चख कर देख ही लूं
लकी: जब भी चाहिए हो.... कॉल कर देना, ये रण्डी दौड़ी चली आएगी...


जानवी: न..नहीं, मै नहीं आऊंगी?
लकी😡: सुन कुतिया!!! अगर आज तूने उस रण्डी को नहीं मनाया.... तो तुझे कुत्तों के सामने डालने से पहले........ ज़रा भी नहीं सोचूंगा

सोनू: समझ गई न रानी चल अब...... निकल यहां से!!


जानवी जाके पेड़ के नीचे एक बेंच पर बैठ जाती है...... 🤔और सोचती है,
आज ये क्या हो रहा है, मेरे साथ??


सुबह से जो कुछ भी उसके साथ हुआ था ....उसे सोच सोचकर उसका गुस्सा .....बढ़ता ही जा रहा था.... काव्या की बच्ची🤬

तभी उसके पास से काव्या और यशस्वी निकलने ही वाली थी कि.....वो उन्हें रोक लेती हैं...



जानवी: काव्या! तुझे हुआ क्या है?.... अब तू कैंटीन जाने लगी है, मुझसे ठीक से बात नहीं करती, पैसों का ज्यादा घमंड आ गया है क्या??.......
भूल मत जब भी तुझे पैसों की जरूरत पड़ती थी ..........मै ही काम आती थी!!


यशस्वी: और वो पैसे कितने होते थे?
जानवी: ये! तू चुप रह.... मै काव्या से बात कर रही हूं
यशस्वी: हां हां सौ पचास का ताना देने में शर्म तो आ नहीं रही होगी..


काव्या: अरे! यशु तू रुक.......तो तुम्हें और क्या चाहिए?...... जितने दिनों के लिए मै पैसे उधार लेती थी...... उससे ज्यादा तो तुम्हारी पढ़ाई में मदद कर देती थी..
जानवी: तू न बोहोत बदल गई है, काव्या.... अब इस जैसी लड़कियों के साथ रहेगी तो...... ऐसा तो होगा ही..

यशस्वी:😠 क्या मतलब, इस जैसी लड़कियां.... मै न तुमसे हजार गुना अच्छी हूं..... और जल्दी से मोबाइल निकाल के उसके साथ सेल्फी 🤳ले लेती है..


काव्या को दिखाते हुए 🤳 ...ये देखो दी मै इससे ज्यादा सुंदर हु कि नहीं??.....ये देख के काव्या हंसी ही छूट गई??


जानवी: हंस लो जितना हंसना है, फिर आगे से मेरी मदद मांगने मत आना...


तो यशस्वी काव्या की तरफ देखती है... और फिर से जोर जोर से हंसने लगती है.... काव्या यशस्वी का हंसना देख के अपनी हंसी छुपा रही थी..

जानवी: बहुत हो गया काव्या, आखिर बार पूंछ रही हूं छुट्टी के बाद मेरे साथ चलेगी कि नहीं?


यशस्वी:

images


और दोनों जोर जोर से हंसने लगती हैं....


जानवी गुस्से से लाल पीली होके.... वहां से चली गई....दूर खड़ा एक लड़का ये सब नोटिस कर रहा था...साथ ही किसी और की भी नज़रे काव्या पर थी


वहीं दूसरी अशोक को भी कन्फर्मेशन आ गया था.... वो 2 दिन बाद से अस्पताल ज्वाइन करने वाला था..


ब्रिजपुर~

कीर्ति, रूही और मम्मी बैठे गप्पे लड़ा रही थी..
रूही: मम्मी! मै परसों भाभी के पास जा रही हूं तीन दिनों के लिए....
मम्मी: हां हां चली जाना....और कीर्ति तू जाएगी या नहीं?
कीर्ति: नहीं मम्मी मेरे बोर्ड्स है.... और अगर मैं वहां चली गई तो आपकी यहां मदद कौन करेगा??...तभी बाहर से आते हुए..


ये छुटकी मै हूं न.... तुझे जाना है तो बिंदास जा
कीर्ति: अरे! मेरे भाई...मै कही नहीं जा रही, और वैसे भी भाभी की छुटियां तो अगले महीने होंगी ही... तब मेरी भी छुटियां रहेगी..... तो सारी मस्ती यहीं करेंगे...


रूही: लेकिन, मै तो जाऊंगी ...... वहां भाभी को एक छोटी बहन मिल गई है, उसके साथ मस्ती करनी है और रिया दीदी से भी काफी समय हो
गया ......नहीं मिली, तो उनके साथ भी मस्ती करूंगी
मम्मी: ठीक है!..ठीक है!... जिसको जिसको जाना है जा सकता है..


कॉलेज~

क्लासेस खत्म होते ही एक बार फिर काव्या और जानवी का आमना सामना हुआ.... काव्या नॉर्मल रही पर जानवी ने उसे खा जाने वाली नजरों से देखा, ..... वो समझ नहीं पा रही थी...कल तक तो सब ठीक था....आखिर ऐसा हुआ क्या ??? जो काव्या उसकी बातों को इग्नोर करने लगी


जानवी: 🤔पहले तो खुद ही मनाने आ जाती थी.... अब पैसे आ गए, आईफोन ले लिया..... कुछ तो बात है जो काव्या मुझे इग्नोर कर रही है..... इन्हीं ख्यालों में डूबी जानवी, पार्किंग की ओर जा रही थी, तभी उसके बगल में सोनू आ जाता है


सोनू: क्या हुआ?.......नहीं मना पाई, चल अब तू कुछ मत कर......आगे का हम सम्हाल लेंगे........ तू बस संडे को आके मुझे खुश कर दे...और हंसते हुए उसके बगल से निकल गया..


पार्किंग में.....यशस्वी~चले
काव्या: हम्मम!........और दोनों निकल पड़ती है घर की ओर....वह गाड़ी भी उनका पीछा कर रही थी...

यशस्वी: दी! क्या हुआ? ....सब ठीक रहा न...आप इतने चुप क्यों हो??
काव्या: हम्मम, सब ठीक रहा....लेकिन अगर तुमने मुझे वो रिकॉर्डिंग न सुनाई होती, तो..
यशस्वी बीच में ही..... तो भी आपको कुछ नहीं होता, ज्यादा फालतू सोचने की जरूरत नहीं है ....चिल करो!!!....और गाड़ी एक कैफे की तरफ मोड देती है...


काव्या: अरे! अरे!!.... यहां क्यू ले आई??
यशस्वी: यहीं तो मजा है....आओ जल्दी से, बैठो यहां पे .......और दो एस्प्रेसो, साथ में वेज सैंडविच ऑर्डर कर देती है


काव्या: अरे! इसकी क्या जरूरत थी..
यशस्वी: मैने बोला न.... चिल!!
काव्या: ठीक है, ठीक है..


और दोनो काफी एंजॉय करते हुए बातें करती है....
काव्या: कल, क्लासेस खत्म होने के बाद .... मेरी एक डिबेट है, तो क्या...
यशस्वी: अरे! अरे! बिल्कुल.... मै भी आपकी डिबेट सुन लूंगी......तभी काव्या का मोबाईल रिंग करने लगा..


काव्या ने स्क्रीन को देखा तो उसके चेहरे पे मुस्कान खिल गई....
यशस्वी: अरे जल्दी उठाओ न .....मुझे भी सुनना है.....
काव्या, कॉल पिक करते हुए~हेलो!!


वीर: कहां हो वाइफी?....पीछे से म्यूजिक की भी आवाज आ रही है..
काव्या: नहीं बस, कैफे आई थी..
वीर: ठीक है, एंजॉय करो..
काव्या: अरे! अरे! ...रखना मत, आपका इंटरव्यू कैसा रहा???
वीर: बाद में बताता हूं, तुम एंजॉय करो और डिबेट की प्रिपरेशन भी
काव्या: पर आपको कैसे पता डिबेट के बारे में....??
वीर: वो..वो! मुझे रिया दी ने बताया था...... ठीक है तुम एंजॉय करो मै. रखता हूं.....और कॉल कट कर देता है..



यशस्वी....जो कान लगाए बैठी थी....इस म्यूजिक ने सब बिगाड़ दिया🤬.... नहीं तो जीजू इतनी जल्दी फोन थोड़े न रखते ..
काव्या:🤔...पर मैने तो रिया दी को डिबेट के बारे में कुछ नहीं बताया... हम्मम
.. 🤔कही तुमने तो ...


यशस्वी: अरे! दी, 🤦🏻मुझे तो अभी~अभी डिबेट के बारे में पता चला है ..... तो मैं उन्हें कैसे, कुछ बता सकती हूं..🤷??
काव्या: फिर उन्हें कैसे पता....मेरी डिबेट के बारे में🤔


यशस्वी: अरे! दी चिल .... इससे तो यही लगता है...जीजू को आपकी बहुत फिक्र है..
काव्या (शर्माते हुए): हम्म... सही कहा🙃


....और दोनों ऐसे ही थोड़ी देर बातचीत करती है, फिर घर के लिए निकल जाती है...(उसी काली गाड़ी ने उन्हें घर तक फॉलो किया)


~~

वीर: अरे! बच गया!!!.......🤔है, तो ये लड़की भोली~ भाली....पर न कई बार बात पकड़ लेती है.....तभी वीर का फोन रिंग करने लगता है.... 🤔अब ये क्यूँ कॉल कर रहा है???

वीर: हां, संकलित...... "तो संकलित आज घटित सारी कहानी वीर को संक्षेप में बताता है".... (और संकलित वही लड़का है, जिससे वीर कॉलेज के पहले दिन, गेट पर मिला था और...... उससे काव्या का ध्यान रखने के लिए कहा था)

संकलित: हां,!! भैया..... मैंने पार्किंग तक भी देखा, भाभी ने उससे बात तक नहीं की......... 🤔कल तक तो साथ ही जाया करती थीं???

वीर: जरूर कुछ हुआ होगा, उनके बीच....(🤔या कहीं उसे...नहीं नहीं, ऐसी कोई बात होती तो वो मुझसे जरूर बताती)

वीर: ठीक है! डिबेट की तैयारी पूरी रखना,हारना मत!....चलो रखता हूं...
संकलित: जी भैया!.... और कॉल कट जाती है (यही है, काव्या का डिबेट पार्टनर भी ~संकलित)


तभी वीर के पास उसका दोस्त आ जाता है, दरअसल इंटरव्यू के तुरंत बाद ही वो वीर को मॉल ले आया था..
फ्रेंड: हां भाई! क्या बात करी भाभी से ???
वीर: अबे! हट न यार.... कबसे कपड़े ही नहीं सिलेक्ट कर पा रहा है, और अब अंडरवेयर लेने गया तो इतनी देर लगा दी
फ्रेंड: अरे! वो सेक्शन ढूंढने में ही बहुत टाइम लग गया.....लेकिन तू टॉपिक चेंज मत कर, बता ना क्या कहा भाभी ने..



वीर: कह रही थी... चिपकू दोस्तों से दूर रहना.....और तू, तेरी गर्लफ्रेंड है तो सही....उससे बात क्यू नहीं करता??
फ्रेंड: ठीक है!!! ठीक है!!!..... मै तो ये जानना चाह रहा था कि...... मैरिड कपल आखिर बात.... क्या करते है??
वीर: कुछ नहीं करते.... तू चल चुपचाप



तभी जैसे ही वीर मॉल से बाहर आया .... उसे एक जानी पहचानी सी आवाज सुनाई दी..

ओए, वीरू??....वीर ने अगल बगल देखा... अरे!!... सुमित भाई, क्या हाल चाल ??
सुमित:बढ़िया भाई! तू बता ....यहां कैसे ??
वीर: बस यार! इंटरव्यू था आज..
सुमित: तो कैसा रहा, हो तो जाएगा न इस बार
वीर: हम्मम.... उम्मीद तो पूरी है


सुमित: वैसे यहां कहा रुका है??.....वीर अपने फ्रेंड की ओर इशारा करते हुए, इसके साथ रुका हूं, हम साथ ही तैयारी करते थे ....अब ये यहां बच्चों को कोचिंग देता है...


सुमित: बढ़िया भाई बढ़िया.....वैसे तूने अपना नंबर बदल दिया क्या??
वीर: हां, लेकिन मेरे पास तेरा नंबर है ....मै कॉल करता हूं, सेव करले....

.....ऐसे ही थोड़ी देर बातचीत के बाद वीर ने सुमित से विदा ली..


रात में~


वीर और उसका फ्रेंड...... दोनो खाना बना रहे थे....यार तेरे इंटरव्यू के चक्कर में हमने ज्यादा बाते ही नहीं की??
वीर: हां यार!! तुझे तो पता ही है, ऐसी सिचुएशन सिर पे हो तो.... मैं ज्यादा बातें नहीं करता!!


फ्रेंड: चलो, आखिर तेरे एकांत में रहने का ड्रामा..... तो खत्म हुआ!!
वीर: अबे यार, तू फिर शुरू हो गया, बोला ना तुझे......केवल कल ही मुझे एकांत चाहिए था


फ्रेंड: ठीक है, ठीक है....वैसे तूने शादी के लिए इंदौर क्यों छोड़ दिया, शादी करके भाभी को यहीं ले आता!!
वीर: अबे ऐसा नहीं है..... मैने पहले ही सोच रखा था, शादी के बाद बाद घर में ही रहूंगा ... वहीं से एग्जाम्स दूंगा, हुआ तो ठीक ....नहीं तो कोई बिज़नेस डाल लेंगे..


फ्रेंड: ठीक है! चल खाना खाते हैं....तो फिर दोनों साथ में....डिनर करते है


~~

रात में काव्या आज जो कुछ हुआ...... उसके बारे में ही सोच रही थी...... साथ ही ....डिबेट को लेकर भी परेशान थी.....

~~

वहीं वीर खाने के बाद लेटे~लेटे अपने कॉलेज के दिनों में चला गया.... और वजह थी सुमित का यूं अचानक से मिल जाना ......फिर उसे याद आता है, कि उन दिनों वह कितना एमेच्योर था...

स्कूल लाइफ खत्म हो जाने के बाद भी कॉलेज के शुरुआती दिनों में.....वो कैसे अपने स्कूल लव को ही याद करता रहता ........

जब तक उसे श्रेया नजर नहीं आई थी और बाद में श्रेया भी उसे ........उसी की तरह ही......छोड़ के चली गई..

फिर किरण आई और वीर के चेहरे पे मुस्कान खिल गई ..... अब चाहे जो भी हुआ हो लेकिन उसी की वजह से आज वो काव्या...... के साथ था..


~इसी तरह दोनों अपने ख्यालों और परेशानियों के विषय में गहराई से सोच रहे थे~
.
.
.
.
.
अब आगे क्या होने वाला है
जानने के लिया बने रहिए!!❣️
Nice update bro .
Veer has alot of reserves fir bhi wo interview de raha hai matlab ye hua ki wo kavya ke sath city mein hi future dekh raha hai .
Kavya aur jhanvi ki friendship bhi kuch din ki hi mehman hai aur lucky ka kya hi hone wala hai jab wo apni limit cross karega .
Kavya aur yashasvi ki bonding bhi improve ho rahi hai .
Keep it up bro
I am waiting for next
 

Gaurav1969

Nobody dies as Virgin. .... Life fucks us all.
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Update 14



फ्रेश सुबह~


कल जब "दोस्ती के नकाब" .....के पीछे का चेहरा ....काव्या के सामने आया, तो .......वह टूट गई थी..... लेकिन आज... उसके लिए एक नई सुबह थी_


उम्म‌अह्ह... अंगड़ाई लेते हुए वह नींद से बाहर आती है, पर उसके सामने....... आज वीर का चेहरा नहीं था..


वह टेबल पर रखी..... अपनी और वीर की तस्वीर को देख.... मुस्कुराती है,
और उठाके चूमते हुए .....कहती है "आप कब आओगे"??
जैसी उसकी रात बीती थी, उस हिसाब से उसे बहुत ही फ्रेश महसूस हो रहा था...


काव्या:🤔 बहुत दिन हो गए ध्यान नहीं लगाया.... यही सोचकर वह नीचे आके पद्मासन की स्थिति में..... ध्यान मुद्रा धारण करके बैठ जाती है...

attachment_65835944



इंदौर~

वीर, सुबह-सुबह ही ध्यानवस्था से बाहर आया था...... एक तो इन्टरव्यू की टैंशन में वह जल्दी सो नहीं पाया .... ऊपर से उसकी नींद भी जल्दी खुल गई........ कल तक इसे लेकर वह इतना परेशान नहीं था लेकिन जैसे जैसे साक्षात्कार की घड़ियां पास आती जा रही थी...... उसके अंदर एक अजीब सी मनोवस्था ने जन्म ले लिया था

जिसकी वजह से.... कभी वो ध्यान लगता तो कभी कुछ और ....करता, जिससे उसका मन शांत बना रहे!!


यही होता है जब आप बार बार साक्षात्कार तक पहुंच के भी अपना सिलेक्शन न ले पाएं.... वीर अपनी मनोस्थिति को सुधारने के लिए इंटरनेट से अच्छे अच्छे उद्धरण पढ़ने लगा (उद्धरण~कोट्स)


थोड़ी देर बाद जब उसका मूड थोड़ा अच्छा हुआ ...तो वह काव्या की तस्वीरें देखने लगा..... 'काव्या का ब्राइडल लुक' आज भी उसके मन में बसा हुआ था...ऐसे ही स्क्रॉल करते करते उसे काव्या की एक काफी पुरानी तस्वीर दिखाई दी...

IMG-20241025-232414.jpg


ये उसने तब खींची थी ......जब वह काव्या के बर्थडे पर वह किरण से मिलने से मिलने गया था....
वीर के गिफ्ट को देख कितनी खुश हुई थी काव्या...... उसे सब याद आने लगा


खैर अब उसका मन हल्का हो चुका था ....तो वह नाश्ता करने के लिए बाहर निकल आता है.... सुबह-सुबह पोहा जलेबी खाना उसे बहुत पसंद था.....ये आदत भी उसे इंदौर आने के बाद ही लगी थी..




भोपाल~

काव्या अब, ध्यान से बाहर आ चुकी थी साथ ही उसने स्नान भी कर लिया था....

किचेन में गाना गुनगुनाते हुए वो नाश्ता तैयार कर रही थी तभी रिया वहां आती है..


रिया: क्या बात है, भाभी आज बहुत खुश लग रही हो??
काव्या: हां दी! आज बहुत ही हल्का लग रहा है

रिया: लाओ भाभी, इसे मै कर देती हूं.......और नाश्ता बनाने में ......वह काव्या की मदद करने लगी


थोड़ी देर बाद:

जब सभी नाश्ता कर चुके थे.... काव्या अपने रूम में तैयार हो रही थी...... तभी उसका फोन रिंग करने लगता है..


काव्या: हेलो😊
कीर्ति: हां, भाभी! कैसे हो ??

काव्या: मै तो बढ़िया हूं.....लेकिन तुम कहां बिजी रहती हो.....रूही तो कॉल करती रहती है, .......तुम्हारा ही कहीं पता ही नहीं चलता...
कीर्ति: भाभी!! ऐसा बिल्कुल नहीं है,आप ही...... मुझे कभी याद नहीं करती ... जबसे भोपाल गई हो एक बार भी कॉल किया आपने


काव्या: ठीक है, बाबा! मेरी गलती ....... मां कैसी है??
कीर्ति: यहां सब ठीक है भाभी..... भैया यहां है नहीं तो जैक भाई ही घर का सारा काम देखते है....

डिंग डांग..
कीर्ति, कॉलेज के लिए लेट हो जाएगा ....मै तुम्हे बाद में कॉल करती हूं....

रिया ने दरवाजा खोल दिया था तो.....यशस्वी चहकते हुए काव्या के रूम में घुस जाती है..


यशस्वी: क्या बात है....आज तो पार्टी बहुत खुश लग रही है?
काव्या: पार्टी?? कौन सी पार्टी??
यशस्वी: अरे! दी आप और कौन.....

मुझे तो लगा था, कल की बात से आप अभी तक परेशान होंगी, इसलिए जल्दी आ गई थी


काव्या😀: 5 मिनिट पहले आने को जल्दी नही बोलते..
यशस्वी: लेकिन मुझे तो 5 ही मिनिट लगते है.... किसी का भी मूड ठीक करने में .....

देखो आपको हंसा दिया न...... ऐसी ही गोल मोल बाते करते हुए यशस्वी, काव्या को तैयार होते देखती है..


और थोड़ी देर बाद.....दोनों निकल पड़ती है कॉलेज ......आज भी वही गाड़ी उनका पीछा कर रही थी

यशस्वी: दी! याद है न आज ........आपको अकेले .....कहीं .....भी नहीं जाना ???
काव्या: याद हैं बाबा..... अगर जाऊंगी भी...... तो पहले..... तुम्हे कॉल करूंगी!!!


यशस्वी(गुस्साते हुए): नहीं दी!!! जाना ही नहीं है??.....बस
काव्या: ठीक है!....ठीक है, मेरी मां....अब तू क्लास में जा..


~~~

वहीं इंदौर में, वीर भी ....बढ़िया से तैयार होके निकल चुका था........ इंटरव्यू के लिए, आज..... उसे एक अलग ही फीलिंग आ रही थी.... उसने अपनी कलाई पे बंधे लाल धागे को चूमा और आगे बढ़ गया...

~~~

क्लास पहुंचते ही, काव्या को वही सेम....कल वाला शो देखने को मिला, जिसमें लकी और जानवी एक बेंच पर बैठे..... बात कर रहे थे..

काव्या जाके..... अपने डिबेट पार्टनर की पीछे वाली बेंच पर बैठ जाती है.... और उससे टॉपिक से संबंधित बातचीत करने लगती है.....तभी लकी जानवी के कान में कुछ बोलके चला गया.......तो जानवी उठ के काव्या के पास पहुंच गई..


जानवी: यार! काव्या काफी दिन हो गए....इससे पहले कि वो आगे कुछ बोल पाती....
काव्या: अभी नहीं यार बिजी हूं...और फिर से टॉपिक पर बात करने लग जाती है !
जानवी: अरे! काव्या सुन तो।।।
काव्या: 😠नहीं न...


जानवी: अरे! भड़क क्यों रही है, चल ब्रेक में बाहर घूम के आते है
काव्या: नहीं...
जानवी: अरे! सनसेट व्यूपॉइंट तक ही चल ले ना....

काव्या: फिर तू अकेली ही चली जा, वैसे वहां जाके करेगी क्या??


😄आस पास के सभी लोग हंसने लगे😆...."ये दोपहर में सनसेट देखेगी"....😀



मजाक उड़ाए जाने पर गुस्सा तो बहुत आया जानवी को .....लेकिन वो कर भी क्या सकती थी....चुपचाप जाके अपनी बेंच पर बैठ गई...

जलन~ दोस्तों, एक ऐसी चीज है जो व्यक्ति को कहां से कहां पहुंचा देती है ....... अगर सही तरीके से काम में लिया..... जाए तो अर्श पर .....नहीं तो फर्श पर...


लकी के ब्लैकमैल करने... मात्र से जानवी इतने आगे नहीं बढ़ी थी, उसके पीछे और भी बोहोत सारे कारण थे..... जैसे मार्क्स, काव्या के मार्क्स हमेशा ही जानवी से अच्छे आते थे (हालांकि वह टॉपर नहीं थी) ....


काव्या के पास अक्सर ही पैसे खत्म हो जाया करते, लेकिन जानवी......... जब भी उसे देखती, खुश ही देखती (अब उसे कौन बताए? जो टॉर्चर काव्या के साथ घर में सुबह शाम होता था..... बाहर आना तो उसके लिए स्वर्ग जैसा था)......


और लड़के भी जानवी के पास आके, हमेशा ......काव्या के बारे में पूंछा करते!!!!


जानवी ने इन छोटी छोटी बातों को इतनी तवज्जो दी कि ........आज वह उसके लिए नफरत का कारण बन गई...... अब उसे काव्या की खुशियां ..... पल भर के लिए भी बर्दाश्त नहीं थी...



थोड़ी देर बाद जानवी, काव्या के पास फिर से गई .....और उससे साथ बैठने के लिए कहा, तो..

काव्या ने डिबेट की बातचीत का वास्ता देकर उसे वापिस भेजना चाहा... पर जानवी
जानवी: अरे! क्लास का टाइम हो गया है, अब क्या ही बात हो पाएगी चल न वहां साथ बैठते है
काव्या: नहीं...


जानवी😡: देख काव्या बोहोत हो गई नौटंकी, चलती है कि ... इतने क्लास टीचर की एंट्री हो गई....और जानवी को अपनी जगह वापिस आना पड़ा

(आज की ये सारी बातें कोई और भी...... बहुत ही करीब से नोटिस कर रहा था)

जैसे~जैसे क्लासेस चलती गई, जानवी का गुस्सा बढ़ता रहा...... और जब ब्रेक हुआ....... काव्या उठके सीधे निकल गई, यशस्वी के पास...... वो भी इतनी जल्दी कि .....जानवी उसे रोक ही नहीं पाई।।।.....


पर फिर वो भी निकल पड़ी..... काव्या के पीछे~पीछे...


काव्या के आते ही यशस्वी.... दी!! ✋🏻हाई~फाइव🫸🫷 और दोनों साथ बैठ जाती है...

यशस्वी: तो दी, कैसा रहा आज?......मजा तो आया ही होगा😉
काव्या: हां~हां बहुत मजा आया.....पहले कुछ ऑर्डर करलें, फिर खाते खाते बताती हूं


यशस्वी ने ऑर्डर दिया ही था कि जानवी वहां पहुंच गई...

तू मुझे इग्नोर क्यों कर रही है??
काव्या: मैने ऐसा कुछ नहीं किया??
जानवी: देख काव्या, सुबह से देख रही हूं, अब तेरा बहुत हो गया...
काव्या:🤔पर मैने क्या किया है???

मन ही मन दोनो तरफ के मजे लेते हुए यशस्वी 🥳🥳🥳
..... वाह! काव्या दी .....क्या एक्टिंग करती हो👏 👏👏


काव्या: बता ना!!! आखिर मुझे भी तो पता चले....... मैने क्या गलती कर दी?
जानवी(गुस्से से): ज्यादा नाटक मत कर ......


इस बार वो थोड़ा, ज़ोर से बोल गई ....और जब सभी लोग उसे ही देखने लगे....तो वो कैंटीन से ही बाहर निकल गई...


यशस्वी: ये हुई न मेरी दी वाली बात.... मजा ही आ गया👏
काव्या: हम्मम....लेकिन मैने उसे कुछ ज्यादा ही ......गुस्सा दिला दिया ???

यशस्वी(ओम पूरी की मिमिक्री करते हुए): अरे! उसके गुस्सा होने से कोन्हों फरक पड़ता है का???.....

काव्या और यशस्वी, दोनो इस बात पर, बहुत जोर से हंसी.....


वहीं कैंटीन से बाहर आते ही जानवी को लकी मिल गया.....क्या हुआ, मान गई??
जानवी: मुंडी हिलाते हुए, नहीं!....
लकी: रण्डी तुझसे एक काम ढंग से नहीं होता, ....साली तू उसकी दोस्त है, भी या नहीं?......


जानवी: पता नहीं!! उसे क्या हो गया है?? जो मेरी एक बात नहीं सुन रही..... कही ऐसा तो नहीं...... उसे हमारे प्लान के बारे में सब पता चल गया हो..


लकी: इसके बारे में तेरे अलावा किसी को नहीं पता था, कुतिया... कहीं तूने ही तो..
जानवी: नहीं! नहीं! मैने किसी को कुछ नहीं बताया

"वैसे भी मै ज्यादा नफरत...उसी से तो करती हूं "


तभी पीछे से सोनू आते हुए: क्या बात है! भाई, नहीं आ रही क्या वो??


जानवी: तो तुमने! इसे भी बताया है...??
लकी: वो मेरा दोस्त है, कुतिया ....जो मैं खाता वो भी वही खाता है, शुक्र मना उसे तुझमें जरा भी दिलचस्पी नहीं है..


सोनू: लेकिन भाई! अब मेरा मूड बदल रहा है, क्यों न इसे भी चख कर देख ही लूं
लकी: जब भी चाहिए हो.... कॉल कर देना, ये रण्डी दौड़ी चली आएगी...


जानवी: न..नहीं, मै नहीं आऊंगी?
लकी😡: सुन कुतिया!!! अगर आज तूने उस रण्डी को नहीं मनाया.... तो तुझे कुत्तों के सामने डालने से पहले........ ज़रा भी नहीं सोचूंगा

सोनू: समझ गई न रानी चल अब...... निकल यहां से!!


जानवी जाके पेड़ के नीचे एक बेंच पर बैठ जाती है...... 🤔और सोचती है,
आज ये क्या हो रहा है, मेरे साथ??


सुबह से जो कुछ भी उसके साथ हुआ था ....उसे सोच सोचकर उसका गुस्सा .....बढ़ता ही जा रहा था.... काव्या की बच्ची🤬

तभी उसके पास से काव्या और यशस्वी निकलने ही वाली थी कि.....वो उन्हें रोक लेती हैं...



जानवी: काव्या! तुझे हुआ क्या है?.... अब तू कैंटीन जाने लगी है, मुझसे ठीक से बात नहीं करती, पैसों का ज्यादा घमंड आ गया है क्या??.......
भूल मत जब भी तुझे पैसों की जरूरत पड़ती थी ..........मै ही काम आती थी!!


यशस्वी: और वो पैसे कितने होते थे?
जानवी: ये! तू चुप रह.... मै काव्या से बात कर रही हूं
यशस्वी: हां हां सौ पचास का ताना देने में शर्म तो आ नहीं रही होगी..


काव्या: अरे! यशु तू रुक.......तो तुम्हें और क्या चाहिए?...... जितने दिनों के लिए मै पैसे उधार लेती थी...... उससे ज्यादा तो तुम्हारी पढ़ाई में मदद कर देती थी..
जानवी: तू न बोहोत बदल गई है, काव्या.... अब इस जैसी लड़कियों के साथ रहेगी तो...... ऐसा तो होगा ही..

यशस्वी:😠 क्या मतलब, इस जैसी लड़कियां.... मै न तुमसे हजार गुना अच्छी हूं..... और जल्दी से मोबाइल निकाल के उसके साथ सेल्फी 🤳ले लेती है..


काव्या को दिखाते हुए 🤳 ...ये देखो दी मै इससे ज्यादा सुंदर हु कि नहीं??.....ये देख के काव्या हंसी ही छूट गई??


जानवी: हंस लो जितना हंसना है, फिर आगे से मेरी मदद मांगने मत आना...


तो यशस्वी काव्या की तरफ देखती है... और फिर से जोर जोर से हंसने लगती है.... काव्या यशस्वी का हंसना देख के अपनी हंसी छुपा रही थी..

जानवी: बहुत हो गया काव्या, आखिर बार पूंछ रही हूं छुट्टी के बाद मेरे साथ चलेगी कि नहीं?


यशस्वी:

images


और दोनों जोर जोर से हंसने लगती हैं....


जानवी गुस्से से लाल पीली होके.... वहां से चली गई....दूर खड़ा एक लड़का ये सब नोटिस कर रहा था...साथ ही किसी और की भी नज़रे काव्या पर थी


वहीं दूसरी अशोक को भी कन्फर्मेशन आ गया था.... वो 2 दिन बाद से अस्पताल ज्वाइन करने वाला था..


ब्रिजपुर~

कीर्ति, रूही और मम्मी बैठे गप्पे लड़ा रही थी..
रूही: मम्मी! मै परसों भाभी के पास जा रही हूं तीन दिनों के लिए....
मम्मी: हां हां चली जाना....और कीर्ति तू जाएगी या नहीं?
कीर्ति: नहीं मम्मी मेरे बोर्ड्स है.... और अगर मैं वहां चली गई तो आपकी यहां मदद कौन करेगा??...तभी बाहर से आते हुए..


ये छुटकी मै हूं न.... तुझे जाना है तो बिंदास जा
कीर्ति: अरे! मेरे भाई...मै कही नहीं जा रही, और वैसे भी भाभी की छुटियां तो अगले महीने होंगी ही... तब मेरी भी छुटियां रहेगी..... तो सारी मस्ती यहीं करेंगे...


रूही: लेकिन, मै तो जाऊंगी ...... वहां भाभी को एक छोटी बहन मिल गई है, उसके साथ मस्ती करनी है और रिया दीदी से भी काफी समय हो
गया ......नहीं मिली, तो उनके साथ भी मस्ती करूंगी
मम्मी: ठीक है!..ठीक है!... जिसको जिसको जाना है जा सकता है..


कॉलेज~

क्लासेस खत्म होते ही एक बार फिर काव्या और जानवी का आमना सामना हुआ.... काव्या नॉर्मल रही पर जानवी ने उसे खा जाने वाली नजरों से देखा, ..... वो समझ नहीं पा रही थी...कल तक तो सब ठीक था....आखिर ऐसा हुआ क्या ??? जो काव्या उसकी बातों को इग्नोर करने लगी


जानवी: 🤔पहले तो खुद ही मनाने आ जाती थी.... अब पैसे आ गए, आईफोन ले लिया..... कुछ तो बात है जो काव्या मुझे इग्नोर कर रही है..... इन्हीं ख्यालों में डूबी जानवी, पार्किंग की ओर जा रही थी, तभी उसके बगल में सोनू आ जाता है


सोनू: क्या हुआ?.......नहीं मना पाई, चल अब तू कुछ मत कर......आगे का हम सम्हाल लेंगे........ तू बस संडे को आके मुझे खुश कर दे...और हंसते हुए उसके बगल से निकल गया..


पार्किंग में.....यशस्वी~चले
काव्या: हम्मम!........और दोनों निकल पड़ती है घर की ओर....वह गाड़ी भी उनका पीछा कर रही थी...

यशस्वी: दी! क्या हुआ? ....सब ठीक रहा न...आप इतने चुप क्यों हो??
काव्या: हम्मम, सब ठीक रहा....लेकिन अगर तुमने मुझे वो रिकॉर्डिंग न सुनाई होती, तो..
यशस्वी बीच में ही..... तो भी आपको कुछ नहीं होता, ज्यादा फालतू सोचने की जरूरत नहीं है ....चिल करो!!!....और गाड़ी एक कैफे की तरफ मोड देती है...


काव्या: अरे! अरे!!.... यहां क्यू ले आई??
यशस्वी: यहीं तो मजा है....आओ जल्दी से, बैठो यहां पे .......और दो एस्प्रेसो, साथ में वेज सैंडविच ऑर्डर कर देती है


काव्या: अरे! इसकी क्या जरूरत थी..
यशस्वी: मैने बोला न.... चिल!!
काव्या: ठीक है, ठीक है..


और दोनो काफी एंजॉय करते हुए बातें करती है....
काव्या: कल, क्लासेस खत्म होने के बाद .... मेरी एक डिबेट है, तो क्या...
यशस्वी: अरे! अरे! बिल्कुल.... मै भी आपकी डिबेट सुन लूंगी......तभी काव्या का मोबाईल रिंग करने लगा..


काव्या ने स्क्रीन को देखा तो उसके चेहरे पे मुस्कान खिल गई....
यशस्वी: अरे जल्दी उठाओ न .....मुझे भी सुनना है.....
काव्या, कॉल पिक करते हुए~हेलो!!


वीर: कहां हो वाइफी?....पीछे से म्यूजिक की भी आवाज आ रही है..
काव्या: नहीं बस, कैफे आई थी..
वीर: ठीक है, एंजॉय करो..
काव्या: अरे! अरे! ...रखना मत, आपका इंटरव्यू कैसा रहा???
वीर: बाद में बताता हूं, तुम एंजॉय करो और डिबेट की प्रिपरेशन भी
काव्या: पर आपको कैसे पता डिबेट के बारे में....??
वीर: वो..वो! मुझे रिया दी ने बताया था...... ठीक है तुम एंजॉय करो मै. रखता हूं.....और कॉल कट कर देता है..



यशस्वी....जो कान लगाए बैठी थी....इस म्यूजिक ने सब बिगाड़ दिया🤬.... नहीं तो जीजू इतनी जल्दी फोन थोड़े न रखते ..
काव्या:🤔...पर मैने तो रिया दी को डिबेट के बारे में कुछ नहीं बताया... हम्मम
.. 🤔कही तुमने तो ...


यशस्वी: अरे! दी, 🤦🏻मुझे तो अभी~अभी डिबेट के बारे में पता चला है ..... तो मैं उन्हें कैसे, कुछ बता सकती हूं..🤷??
काव्या: फिर उन्हें कैसे पता....मेरी डिबेट के बारे में🤔


यशस्वी: अरे! दी चिल .... इससे तो यही लगता है...जीजू को आपकी बहुत फिक्र है..
काव्या (शर्माते हुए): हम्म... सही कहा🙃


....और दोनों ऐसे ही थोड़ी देर बातचीत करती है, फिर घर के लिए निकल जाती है...(उसी काली गाड़ी ने उन्हें घर तक फॉलो किया)


~~

वीर: अरे! बच गया!!!.......🤔है, तो ये लड़की भोली~ भाली....पर न कई बार बात पकड़ लेती है.....तभी वीर का फोन रिंग करने लगता है.... 🤔अब ये क्यूँ कॉल कर रहा है???

वीर: हां, संकलित...... "तो संकलित आज घटित सारी कहानी वीर को संक्षेप में बताता है".... (और संकलित वही लड़का है, जिससे वीर कॉलेज के पहले दिन, गेट पर मिला था और...... उससे काव्या का ध्यान रखने के लिए कहा था)

संकलित: हां,!! भैया..... मैंने पार्किंग तक भी देखा, भाभी ने उससे बात तक नहीं की......... 🤔कल तक तो साथ ही जाया करती थीं???

वीर: जरूर कुछ हुआ होगा, उनके बीच....(🤔या कहीं उसे...नहीं नहीं, ऐसी कोई बात होती तो वो मुझसे जरूर बताती)

वीर: ठीक है! डिबेट की तैयारी पूरी रखना,हारना मत!....चलो रखता हूं...
संकलित: जी भैया!.... और कॉल कट जाती है (यही है, काव्या का डिबेट पार्टनर भी ~संकलित)


तभी वीर के पास उसका दोस्त आ जाता है, दरअसल इंटरव्यू के तुरंत बाद ही वो वीर को मॉल ले आया था..
फ्रेंड: हां भाई! क्या बात करी भाभी से ???
वीर: अबे! हट न यार.... कबसे कपड़े ही नहीं सिलेक्ट कर पा रहा है, और अब अंडरवेयर लेने गया तो इतनी देर लगा दी
फ्रेंड: अरे! वो सेक्शन ढूंढने में ही बहुत टाइम लग गया.....लेकिन तू टॉपिक चेंज मत कर, बता ना क्या कहा भाभी ने..



वीर: कह रही थी... चिपकू दोस्तों से दूर रहना.....और तू, तेरी गर्लफ्रेंड है तो सही....उससे बात क्यू नहीं करता??
फ्रेंड: ठीक है!!! ठीक है!!!..... मै तो ये जानना चाह रहा था कि...... मैरिड कपल आखिर बात.... क्या करते है??
वीर: कुछ नहीं करते.... तू चल चुपचाप



तभी जैसे ही वीर मॉल से बाहर आया .... उसे एक जानी पहचानी सी आवाज सुनाई दी..

ओए, वीरू??....वीर ने अगल बगल देखा... अरे!!... सुमित भाई, क्या हाल चाल ??
सुमित:बढ़िया भाई! तू बता ....यहां कैसे ??
वीर: बस यार! इंटरव्यू था आज..
सुमित: तो कैसा रहा, हो तो जाएगा न इस बार
वीर: हम्मम.... उम्मीद तो पूरी है


सुमित: वैसे यहां कहा रुका है??.....वीर अपने फ्रेंड की ओर इशारा करते हुए, इसके साथ रुका हूं, हम साथ ही तैयारी करते थे ....अब ये यहां बच्चों को कोचिंग देता है...


सुमित: बढ़िया भाई बढ़िया.....वैसे तूने अपना नंबर बदल दिया क्या??
वीर: हां, लेकिन मेरे पास तेरा नंबर है ....मै कॉल करता हूं, सेव करले....

.....ऐसे ही थोड़ी देर बातचीत के बाद वीर ने सुमित से विदा ली..


रात में~


वीर और उसका फ्रेंड...... दोनो खाना बना रहे थे....यार तेरे इंटरव्यू के चक्कर में हमने ज्यादा बाते ही नहीं की??
वीर: हां यार!! तुझे तो पता ही है, ऐसी सिचुएशन सिर पे हो तो.... मैं ज्यादा बातें नहीं करता!!


फ्रेंड: चलो, आखिर तेरे एकांत में रहने का ड्रामा..... तो खत्म हुआ!!
वीर: अबे यार, तू फिर शुरू हो गया, बोला ना तुझे......केवल कल ही मुझे एकांत चाहिए था


फ्रेंड: ठीक है, ठीक है....वैसे तूने शादी के लिए इंदौर क्यों छोड़ दिया, शादी करके भाभी को यहीं ले आता!!
वीर: अबे ऐसा नहीं है..... मैने पहले ही सोच रखा था, शादी के बाद बाद घर में ही रहूंगा ... वहीं से एग्जाम्स दूंगा, हुआ तो ठीक ....नहीं तो कोई बिज़नेस डाल लेंगे..


फ्रेंड: ठीक है! चल खाना खाते हैं....तो फिर दोनों साथ में....डिनर करते है


~~

रात में काव्या आज जो कुछ हुआ...... उसके बारे में ही सोच रही थी...... साथ ही ....डिबेट को लेकर भी परेशान थी.....

~~

वहीं वीर खाने के बाद लेटे~लेटे अपने कॉलेज के दिनों में चला गया.... और वजह थी सुमित का यूं अचानक से मिल जाना ......फिर उसे याद आता है, कि उन दिनों वह कितना एमेच्योर था...

स्कूल लाइफ खत्म हो जाने के बाद भी कॉलेज के शुरुआती दिनों में.....वो कैसे अपने स्कूल लव को ही याद करता रहता ........

जब तक उसे श्रेया नजर नहीं आई थी और बाद में श्रेया भी उसे ........उसी की तरह ही......छोड़ के चली गई..

फिर किरण आई और वीर के चेहरे पे मुस्कान खिल गई ..... अब चाहे जो भी हुआ हो लेकिन उसी की वजह से आज वो काव्या...... के साथ था..


~इसी तरह दोनों अपने ख्यालों और परेशानियों के विषय में गहराई से सोच रहे थे~
.
.
.
.
.
अब आगे क्या होने वाला है
जानने के लिया बने रहिए!!❣️
Nice update bro .
Veer has alot of reserves fir bhi wo interview de raha hai matlab ye hua ki wo kavya ke sath city mein hi future dekh raha hai .
Kavya aur jhanvi ki friendship bhi kuch din ki hi mehman hai aur lucky ka kya hi hone wala hai jab wo apni limit cross karega .
Kavya aur yashasvi ki bonding bhi improve ho rahi hai .
Keep it up bro
I am waiting for next
 

shivsharma

Ride to death
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Update 13




सुबह, जैसे ही नींद खुलती है वीर सामने काव्या के चेहरे को देखकर सोचता है🤔 "ये सोते हुए भी कितनी प्यारी लगती है" और मुस्कुराते हुए उसके चेहरे पे आए बालों को कान के पीछे कर देता है, जिससे काव्या जाग जाती है लेकिन, अपनी आंखें नहीं खोलती ....... तभी वीर आह्ह्हह!!!....करके चिल्लाता है!

दरअसल काव्या ने उसके के हाथ पर काट लिया था.. ....और हंस रही थी...


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तो वीर भी काव्या के बमटे पर मारते हुए "मेरी बिल्ली कुछ ज्यादा ही जंगली हो रही है"

काव्या(प्यार से): वीर के गले में हाथ डालते हुए, अच्छा! और रात में कौन जंगली हुआ जा रहा था .....देखो!!! (कपड़े हटाकर दिखाते हुए) ये क्या किया आपने "अभी तक बॉडी में पेन हो रहा है" (आखिर ये इतने एनर्जेटिक क्यूं है🤔)



वीर(काव्या के माथे पर किस करते हुए): अच्छा! पर मेरी वाइफी ने तो रात बोहोत एंजॉय किया...
काव्या: हम्मम...लेकिन दर्द तो अभी तक हो रहा है न..

वीर काव्या को गले लगाते हुए... अच्छा!!! आओ तुम्हारा सारा का सारा दर्द अभी निकलता हूं.....
उसे किस करने ही वाला था के..

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काव्या : अरे!! हटो आप भी न 🫣......
"सुबह सुबह रोमांस सूझ रहा है"


वो उठकर बाथरूम भाग जाती है..

जबकि वीर यहां, लेटे लेटे सोच रहा था..... इतने दिनों तक दूर......कैसे रहेगा???
काव्या अब उसकी आदत बन गई थी..



तो वो उठकर जाता है और बाथरूम का गेट नोक करता है.....
काव्या: अंदर से ही....हां, क्या है???
वीर: जरा एक मिनट, गेट खोलना......काव्या जैसे ही गेट खोलती है....वीर उसपर झपट पड़ता है और बाथरूम की दीवार से लगाते हुए, किस करने लगता है...


वीर का एक हाथ काव्या के सिर के पीछे था..... पहले तो काव्या उसका साथ नही दे रही थी, लेकिन जैसे ही वीर का दूसरा हाथ उसकी बैक पर चलते हुए ब्रा स्ट्रैप से टकराता है...
वह चिहुंक उठती है और किस का रिस्पॉन्स करने लगती है...



किस करते हुए ही वीर उसे उठा लेता है....अब काव्या के दोनों पैर वीर की कमर के इर्द गिर्द लिपटे हुए थे...इस बीच उनका किस ज़रा सी देर के लिए भी नहीं टूटता


वीर उसे दूसरी दीवार पर लगाते हुए ऊपर से शावर ऑन कर देता है दोनो भीगते हुए भी किस किए ही जा रहे थे...दोनों एक दूसरे में मगन थे



और जब उनकी किस टूटती है.....
काव्या: मुझे कॉलेज भी जाना है, तो अभी नहीं, ....लेकिन वीर उसे पकड़ लेता है "कल मेरा इंटरव्यू है" आज तो मै चला जाऊंगा लेकिन उससे पहले..



वीर जब काव्या के कंधों को पकड़कर नीचे की तरफ पुश करता है तो काव्या नीचे बैठ जाती है ....और वीर के लंड को जल्दी जल्दी चूसने लगती है....


जैसे वीर का लंड चिकना हुआ उसने काव्या को दीवार के सहारे आगे की तरफ झुकाया और पैंटी साइड में करते ही...एक झटके में अपना पूरा का पूरा लंड काव्या के अंदर उतार दिया.... आह्हह्ह... करके काव्या काफी जोर से चीखी, अभी वो इस तरह हमले के लिए पूरी तरह से तैयार भी नहीं हो पाई थी....



वीर धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगता है अआआआहहहह्.... आआआ... हम््ममम... यंय्ययययय ..उम्ममम ....
वीर अपनी रफ्तार को अब और गति दे रहा था जिससे काव्या की सिसकियां और भी तेज होती जा रही थी....अम्मम ममम...आहहाहाहहह.. तेज़जज.....औऔ...र्रृररर तेजज्ज्ज ....


वीर काव्या की सिसकियां सुनकर उसके बालों को खींचकर पकड़ता है और तेजी से धक्के लगाने लगता है .....
काव्या: आह्हह्ह मैं गई.... आह्हह्ह..अह्न


दोनों को ही जल्दी थी इसीलिए काव्या तो झड़ गई लेकिन वीर का अभी नहीं हुआ था ....तो वह अपनी रफ्तार और बढ़ाने लगा


काव्या....ओह्ह मांअ्अआ धीरे .....थोड़अ्अ् ....धीर््रररे.....आह्हहह.. आह्ह्.... अम्मम....
गांड़ पर थप्पड़ जड़ते हुए वीर, तेजी से काव्या की ले रहा था..... काव्या अइस्ससस..... आंह्हह.... आंह्हह.... अम्मम .... इस्ससस.... अहहहहह...हु्म्मम की आवाजे निकाल रही थी

वीर भी अब जल्दी से जल्दी झड़ना चाहता था लेकिन उसका हो ही नहीं रहा था...


वीर सटाक से अपना लंड बाहर निकलता है और गांड पर सेट करते ही...एक जोर के झटके के साथ काव्या की गांड में उतार देता है...
आह्हह्ह...काव्या पहले से भी ज्यादा जोर से चीखी...अब वह थक चुकी थी...


तभी वीर ने दूसरा झटका दिया....और अब पूरा का पूरा लंड काव्या की गांड में चला गया

काव्या आह्ह् करके चिल्लाती है....वीर अब धीरे धीरे धक्के लगाना चालू करता है


काव्या... ्अ्यियी...यस्स्स.. अहह... आंह्हह धध्धधीरर््र्र्रे अ्म्मम...

्वीर अब काफी जोर से काव्या को चोद रहा था काव्या.. अंह्हहहंहु.... आअह्हह...ओहह््ह.... अब वीर झड़ने के काफी करीब था इसीलिए और भी जोर से धक्के लगाता है.... अहहह अब्ब... बस्ससस......कर्र्रररो...आंह्््हहह..... अंह्ह.. ...हहंहु..... आह्ह्.... और वीर झड़ जाता है


दोनो साथ में नहाते है........इस बीच भी वीर काव्या को किस करने का कोई मौका नहीं छोड़ता..
दोनो एक दूसरे पर साबुन मलते है और
जब दोनो बाहर आते है तो वीर तैयार होके अपनी पैकिंग करने लगता है....


जबकि काव्या तैयार होते ही नाश्ता बनाने चली गई...... अभी उसने अपने बाल खोले हुए थे क्योंकि वीर ने अभी अभी उसे वहां निशान दे दिया था जो सीधे ही नजर आ रहा था...


काव्या उसे बालों से छुपाने की कोशिश कर रही थी
तभी रिया भी किचेन में आती है और काव्या की मदद करती है नाश्ता बनाने में.....


थोड़ी देर बाद सभी नाश्ता करते है, रंभा नाश्ता करते ही अस्पताल के लिए निकल जाती है वहीं काव्या.... भी कॉलेज के लिए रेडी होने चली जाती है!!



रिया: तो बेटू....अब कब तक वापिस आओगे??
वीर: पता नहीं दी, वहां मुझे कुछ और भी काम निपटाने है तो वक्त लग सकता है... आप काव्या का ध्यान रखना!!


रिया (घूरते हुए) : ऐसा क्या!!
वीर: अरे!! दी... गलत मत समझना... मैं तो यूं ही कह रहा था......😓
रिया(हँसते हुए): 😅अरे!! बाबा मैं भी तो अपने भाई की खिंचाई कर रही थी!!!
तभी यशस्वी वहां आ जाती है...


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यशस्वी : तो चले!! जीजू ...
वीर(यशस्वी से): आज तो तुम्हे ही काव्या को ले जाना होगा... मैं तो बाहर जा रहा हूं
यशस्वी: ओके! ☺️.....और तिरछी नजरों से वीर की ओर देखने लगती है..


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तभी काव्या बाहर आती है और छिच््छ....

करके
वीर को अंदर आने का इशारा करती हैं.... वहीं यशस्वी, काव्या के इस अंदाज को देखकर मन ही मन ख्याली पुलाव पकाती है...

अगर मेरी शादी जीजू से हुई होती तो🙄


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वो मन ही मन मुस्कुरा ही रही थी....तभी
रिया: क्या बात है?? यशी... हुम्म!!....
और जोरो से हंसने लगती है....
यशस्वी शर्माकर अपना चेहरा हाथों से धक लेती है


वहीं रूम में
काव्या: यहां आइए.....
वीर जब उसके पास जाता है तो वो उसे बेड पर बैठा देती है..


काव्या अब उसे अपना हाथ आगे लाने को कहती है..

वीर जब अपना हाथ आगे बढ़ाता है तो काव्या एक लाल धागा उसके हाथ में बांध देती है...

वीर: ये क्या है?....
काव्या: इसे बांध कर रखना ये धागा आपकी हर बाधा को पार करने में मदद करेगा!!
वीर ने उसकी तरफ हैरानी से देखा....


जब मैं सोमवार व्रत रखती थी... तो मंदिर में, एक बाबा जी ने मुझे ये दिया था!! और कहा था
जब सुहागन हो जाना तब आवश्यक होने पर इसे बांध लेना


वीर: तो बाबा ने ये धागा तो तुम्हें दि...(
काव्या उसके मुंह पर हाथ रखते हुए)....आपके और मेरे बीच सब कुछ हमारा है


वीर(इमोशनल होकर): काव्या को गले लगा लेता है...

"मेरे लिए ये संभव नहीं, कि पूरी दुनिया तुम्हारे नाम कर दूं, लेकिन मेरी जो दुनिया है, वो बस तुम्हारी है"

और माथे पर किस करते हुए काव्या से अलग हो जाता है



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तभी बाहर से (यशस्वी की आवाज आती है)..
काव्या: आई!....
और जल्दी से वीर के गाल पर किस करते हुए बाहर चली जाती है



यशस्वी काव्या को ही...मुस्कुराते हुए देखे जा रही थी, दोनो जैसे ही घर के बाहर आती है..
यशस्वी: अरे दी!! अपने दुपट्टा ऐसे क्यूँ पहना है?
उसे ठीक करने लगती है.......तभी उसकी नजर काव्या के गले के लव बाइट पर जाती है जो अभी तक लाल था...


यशस्वी(छेड़ते हुए): 😗वाओ दी!!...क्या? इसी के लिए अभी जीजू को रूम बुलाया था?
काव्या: अरे! पागल, ये अभी का थोड़े है....और अपनी जीभ दांतों तले दबा लेती है (ये क्या बोल गई मैं)

यशस्वी: अब तो पक्का हो गया !! ये वही है.....
काव्या: अरे! छोड़ न, चल जल्दी.....कही देर न हो जाए और दोनों स्कूटी के पास पहुंच जाती है..


वहीं दूसरी ओर....
अशोक रंभा के ख्यालों में खोया हुआ था...


[जब यशस्वी का जन्म हुआ.... तो इसकी सबसे ज्यादा खुशी अशोक को हुई थी, लेकिन उसके कुछ ही समय बाद, उसकी बीवी किसी और के साथ भाग गई...
इसीलिए उसने आगे किसी और औरत पर कभी भरोसा नहीं किया और खुद ही यशस्वी की परवरिश की.... यहां तक कि जब यशस्वी स्कूल जाने लायक हुई तो उसने अपनी डाक्टरी छोड़ दी....(जब यशस्वी छोटी थी तो वो उसे अपने साथ ही हॉस्पिटल ले जाता था)....
उसने रिजाइन किया और उसी स्कूल का टीचर बना जिसमें यशस्वी को भेजना था ....
लेकिन अब यशस्वी कॉलेज जाने लगी है]


...इस वक्त अशोक के दिमाग में यही चल रहा था, क्यूं न सरकारी अस्पताल ज्वाइन किया जाए जहां वह रंभा से भी मिल पाएगा!!!


घर पर...
रिया: बेटू! सब तैयारी हो गई??....
अच्छे से जाना और हां इस बार इंटरव्यू निकाल कर ही आना!
वीर: हम्मम!!


रिया: वहां कहां रुकोगे?
वीर: दी! मेरे फ्रेंड्स है वहां पर.... आप उसकी टेंशन मत लो..
रिया: ठीक है 'बेस्ट ऑफ लक'.....
वीर रिया के पैर छूकर.... सिटी में बैठकर निकल पड़ता है मंजिल के लिए...


वहीं यशस्वी और काव्या दोनो कॉलेज जा रही थी....
यशस्वी: दी!! इस संडे रेडी रहना मै आपको स्कूटी सिखाऊंगी .....
काव्या: ओके!!🥰
(उनके पीछे ही एक गाड़ी उन्हें फॉलो कर रही थी)



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काव्या: यशु! क्या तुम्हे कभी प्यार हुआ है?
यशस्वी: नो वे!! मैं कभी प्यार व्यार के चक्कर में नहीं पड़ती ....मुझे सिर्फ अपने पापा से प्यार है....
इतना सुनते ही काव्या अपनी पुरानी यादों में चली जाती है.... जहां न तो उसे मां का प्यार मिला न ही बाप ने.. कभी उसका साथ दिया!


यशस्वी: क्या हुआ दीदी....कहा खो गई??
काव्या: क्क..कहीं नहीं.... तभी कॉलेज आ गया!.....

काव्या और यशस्वी को तो पार्किंग वाले गेट से एंट्री मिल गई जहां गाड़ी खड़ी करके वो अंदर जा सकती थी!!


लेकिन जो उनके पीछे गाड़ी थी उसे गार्ड ने रोक दिया....आप गेट न.1 से जाइए (दरअसल! यहां से केवल स्टूडेंट्स की एंट्री होती है..... लेकिन अगर कोई किसी और कारण से कॉलेज विजिट करना चाहता है तो उसे मैंन गेट से एंट्री करके जाना पड़ता है)....खैर उसने गाड़ी चालू की और अगले गेट पर दस्तखत करते हुए एंट्री ली


काव्या और यशस्वी दोनो ही बाते करते हुए अपनी अपनी क्लास की ओर बढ़ रही थी....... वही उनके पीछे वो शख्स भी अपनी नजरे बनाए हुए था!!

काव्या अपनी क्लास में पहुंचती है... वहां कुछ ही स्टूडेंट्स थे, जिनमें जानवी और लकी साथ बैठे बातें कर रहे थे....और काव्या के आते ही दोनों के एक दूसरे को अजीब तरीके से देखने लगे...


काव्या दूसरे बेंच पर बैठने जा ही रही थी कि..
जानवी: अरे! काव्या यहां आ!! (दरअसल दोनो अक्सर ही साथ में बैठा करती थी लेकिन अभी वहां लकी था, तो काव्या उसके जाने का ही वेट कर रही थी)
लकी बेंच से उठते हुए मैं अपनी क्लास ही जाने वाला था...


लेकिन काव्या उसकी ओर देखती तक नहीं और उसी बेंच पर बैठ जाती है.....तो
लकी(जानवी से): तू ब्रेक में आके मुझसे मिल और काव्या की तरफ स्माइल करते हुए बाहर चला जाता है..



यहां इनकी क्लासेस चल रही थी...
वहीं अशोक जो पहले प्राइवेट हॉस्पिटल में डॉक्टर था... अब सरकारी अस्पताल ज्वाइन करना चाहता था इसीलिए अपने कॉन्टैक्ट्स से जुगाड़ सेट करने की कोशिश करता है... ताकि प्रोसैस के पचड़े से न गुजरना पड़े...
(वो भी अपने समय में सिटी का जाना माना डॉक्टर था)



क्लास खत्म होने पर..... जैसे ही ब्रेक होता है जानवी बाहर जाने लगती है...
काव्या: अरे! "रुक.... में भी आती हू"
(अब जानवी को तो अकेले जाना था क्योंकि लकी ने उसे बुलाया था.... अब वो करे तो क्या करे...यही सोच रही थी)
तभी
उनके पास क्लास की CR आती है और दोनों से आने वाले डिबेट कंप्टीशन में भाग लेने के लिए कहती है..


जानवी(CR से): अभी मुझे जरूरी काम है तुम काव्या से बात करो...और उन्हें वहां छोड़कर जानवी पहुंच जाती है रूफ टॉप तक जाने वाली सीढ़ियों के पास....
(अब छत पर जाना तो एलाऊड था नहीं इसलिए ऊपर का गेट हमेशा ही बंद रहता था लेकिन बच्चे एकांत के लिए सीढ़ियों पर बैठ जाया करते थे)


तभी लकी आता है, और जानवी से बातें करने लगता है...
सीढ़ियों के ऊपर ही....यशस्वी बैठे अपने मोबाइल में कुछ मॉडल्स की तस्वीरों को जूम कर-करके देख रही थी....और मुस्कुरा रही थी

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(सीढ़ियां घुमावदार थी थोड़ा स्पेस छोड़कर 90 डिग्री के 3 टर्न थे)


जानवी और लकी सीढ़ियों के बीच बैठे बाते कर रहे थे, जिसे उनसे थोड़ा ऊपर उनके बगल में बैठी यशस्वी भी सुन पा रही थी....दीवार की आड़ होने की वजह से उन्हें पता ही नहीं लगा कि उनके दूसरी तरफ भी कोई है


यहां CR और काव्या के बीच टॉपिक को लेकर चर्चा हो रही थी... क्योंकि उसने लगभग सभी विषयों के लिए कैंडिडेट्स चुन लिए थे...अब बस उसे इक्वलिटी(समानता) पर डिबेट करने के लिए ही एक कैंडिडेट की जरूरत थी, और अंत में काव्या को वो मना ही लेती है...



वहीं, जानवी और लकी की बातें....अब खत्म हो चुकी थी इसलिए जानवी, जल्दी से काव्या के पास पहुंच जाती है...
लेकिन काव्या तो उसके डिबेट पार्टनर के साथ बातचीत पर बिजी थी...


काव्या; इक्वलिटी एक ऐसा विषय है जिसे हमें व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखना होगा........पता नहीं डिबेट किस प्रकार की समानता की ओर जाएगी वो लोग इसे जेंडर इक्वलिटी या अधिकारों की समानता पता नहीं कहां से कहां तक ले जाए... इसीलिए इस बारे में अभी से सोचना शुरू कर दो......


खैर ब्रेक खत्म होता है...और क्लास में टीचर की एंट्री होती है
......अब काव्या ने डिबेट में भाग तो ले लिया था....लेकिन...उसे...इसका जरा भी अनुभव नहीं था........
इसलिए क्लास में भी सारा वक्त उसका ध्यान डिबेट की ओर ही रहा....

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(उसके पास सिर्फ दो दिन थे तैयारी के लिए) ....




क्लासेस खत्म करने के बाद काव्या पार्किंग में जाती है जहां यशस्वी उसका इंतेज़ार कर रही थी....
अब क्योंकि हॉस्टल वैन भी पार्किंग तक आती थी इसीलिए काव्या के साथ साथ जानवी भी वहीं आ रही थी ....
यशस्वी जो बात काव्या से करना चाहती थी वो वहां होना संभव नहीं थी..



यशस्वी: दी! चलें
काव्या: जानवी को बाय करते हुए.... हम्म..चलो और दोनों निकल पड़ती है घर के लिए...
जैसी ही पार्किंग से निकलकर वो मैंन रोड पर आतीं है फिर से वही गाड़ी उनका पीछा करने लगती है...

यशस्वी: दीदी, मुझे आपको कुछ बताना था

काव्या: हम्म, बताओ क्या है??
यशस्वी: यहां नहीं घर चलके!....वैसे आपकी ओर जानवी दी की दोस्ती हुई कैसे...


काव्या.. पहले कुछ देर चुप रहती है लेकिन कुछ देर सोचने के बाद उसे बताती है....
कैसे वो हॉस्टल में एक ही रूम में रहती थी... . और जरूरत पड़ने पर जानवी.... कैसे? काव्या को पैसे देती थी और काव्या भी उसकी पढ़ाई में मदद करती इत्यादि इत्यादि...



यशस्वी: तो क्या आपने अभी भी उसके पैसे लिए हुए है??
काव्या: अरे नहीं!! वो तो कभी कभार इमर्जेंसी आ जाती थी तो ले लेती थी, लेकिन जल्दी से लौटा भी देती थी.....
पर तुम ये सब क्यूँ पूछ रही हो??
यशस्वी: नहीं! बस ऐसे ही....और गाड़ी चलाते वक्त उनकी ज्यादा बातें नहीं हुई ..



अब काव्या और जानवी दोनो ही घर पहुंच चुकी थी....
यशस्वी: दी! आपके रूम में चलो आपसे कुछ जरूरी बातें करनी है!!
काव्या: हम्म.... आओ पता नहीं तुम्हारे दिमाग में क्या क्या चलता रहता, बताओ क्या बात है??...


दोनों काव्या के रूम में आ जाती है, यशस्वी पहले तो गेट बंद करती है और फिर अपना मोबाइल निकालर रिकॉर्डिंग प्ले कर देती है..


जानवी: मैं कर तो रही हूँ जितना कर सकती हूं..
लकी: अरे! क्या खाक कर रही है.....तू साली कुतिया किसी काम की नहीं है, तुझसे एक छोटा सा काम भी नहीं होता...
अब मेरी सुन!! तू उस रण्डी को किसी तरह मना और सनसेट व्यूपॉइंट की तरफ उसे घुमाने ले आ बाकी मैं सम्हाल लूंगा...
जानवी: लल्ल..लेकिन जबसे उसकी शादी हुई है ....उसके सामने तुम्हारी बात करने पर लगता है कहीं वो मेरा खून ही न कर दे...


लकी: तेरे दिमाग में भूसा भरा है क्या??
मैंने कब कहा तू उससे मेरी बात कर.... तू बस उसे वहां तक लेके आ....
जानवी: लेकिन...."अगर काव्या नहीं मानी तो"
लकी(गुस्से से): तेरी दोस्त है न वो... और अपने हाथ से जानवी का मुंह दबाते हुए..... मुझे न सुनने की आदत नहीं है.....समझी!!..
जानवी: ठ्ठठ..ठीक है!!..


रिकॉर्डिंग खत्म...
काव्या की आंखों में आंसु थे....तो यशस्वी ने उसे गले लगा लिया....
यशस्वी: अरे! दीदी में हूं न.... मै आपको कहीं अकेले जाने ही नहीं दूंगी... बस अब आप उस कुतिया की बात मत सुनना....
यशस्वी: वैसे दी! क्या आप इस आवाज वाले लड़के को जानती हो???


काव्या कुछ बोल ही नहीं रही थी उसे बहुत बड़ा झटका लगा था...
तभी काव्या का मोबाइल रिंग करने लगता है जिसे वह उठा तो लेती है...लेकिन उसके मुंह से आवाज ही नहीं निकलती...

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फोन पर रूही थी..
रूही: हेलो!! ..भाभी....हेलो!!...(पर जब उसे काव्या की आवाज नहीं आई तो उसने कॉल काट दिया)
यशस्वी: दीदी! आप चिंता क्यों करती हो मै हूं न .....तभी फिर से रूही का कॉल आने लगता है.....इस बार वीडियो कॉल था जिसे यशस्वी उठा लेती है!!


रूही: अरे! तुम कौन हो, और भाभी कहा है....फोन स्पीकर पर था इसीलिए काव्या अपने आंसु पोंछने लगती है
यशस्वी: मै, आपकी भाभी की छोटी बहन😊और फिर काव्या को भी फ्रेम में ले लेती है...



रूही: भाभी!!..क्या मै आपके पास आ जाऊं
मेरी 3 दिन की छुटियां आने वाली है....काव्या तो कुछ नहीं बोलती लेकिन...
यशस्वी: हां हां बिल्कुल आ जाओ, खूब मस्ती करेंगे ..... और दोनों यहां वहां की बातें करने लगती है....
फिर काव्या भी थोड़ी देर रूही से बातें करती है और कॉल कट हो जाता है..




यशस्वी खड़े होकर अपने डोले जो कि थे नहीं😅 दिखाते हुए...
"मेरे रहते आपको घबराने की जरूरत नहीं है.... मैं सबको देख लूंगी"
यशस्वी की बातों से काव्या का मन पहले ही हल्का हो चुका था इसीलिए वो भी हंस देती है..




यशस्वी: अच्छा! दी अब मैं चलती हूं.....यशस्वी के जाते ही काव्या के मन में फिर से तरह तरह के विचार आने लगे....
वो वीर को ये सब बताकर इंटरव्यू से पहले परेशान नहीं कर सकती थी..कल ही उसका इंटरव्यू था....वह सोचती है अगर वह जानवी की बात नहीं मानेगी तो कुछ नहीं होगा...


तभी वीर का कॉल आता है...वो पहुंच चुका था, इसीलिए काव्या से यहां वहां की बातें करता है काव्या भी उसे कल के लिए बेस्ट ऑफ लक कहके फोन काटने ही वाली थी कि...वीर, मेरी बिल्ली को कॉल रखने की इतनी जल्दी क्यों है??



काव्या: न्ननहीं तो.... वो मै, अभी अभी कॉलेज से आई ....फिर रूही से बातें करने लगी तो अभी तक चेंज नहीं किया है..
वीर: अच्छा! बाबा ठीक है ... रख दो फिर.. काव्या उसे कॉल पर ही किस करते हुए फोन रख देती है!!!



यशस्वी के घर...
अशोक: यशु बेटा! मैने सोचा है, क्यों न फिर से डॉक्टर बन जाऊ!!!
यशस्वी: पापा! आप तो मेरे सुपरमैन हो.... आपको जो ठीक लगे??
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(अब यशस्वी को क्या पता कि उसके पापा उसके लिए मम्मी लाने की फ़िराक में है)
अशोक: ठीक है, बेटा......
'अशोक ने तो पूरी तैयारी पहले ही कर ली थी... बस उसे किस दिन से ज्वाइन करना है इसी का इंतजार था'


रात में..
डिनर के बाद काव्या, आने वाली डिबेट के लिए तैयारी कर रही थी.... और ज्यादा से ज्यादा पॉइंट्स तैयार कर रही थी जिससे डिबेट का रुख मोड़ जा सके लेकिन बीच बीच में उसे फिर वही ख्याल आ रहे थे!!!



काव्या: नहीं!! जानवी ऐसा कैसे कर सकती है? मेरे साथ???
मैं यहां तक कभी क्यों नहीं सोच पाई? उसने हमेशा से ही मुझसे सिर्फ लकी की बातें की .... इसके पीछे उसका मकसद इतना घिनौना होगा मैने सोचा ही नहीं था😞....


मैने उसके अलावा किसी और को कभी इतना करीबी दोस्त नहीं बनाया...
और जिसे बनाया वो ही मुझसे मेरा सबकुछ छीनना चाहती है....
इन्हीं सब बातों से परेशान काव्या पढ़ाई पर अपना ध्यान नहीं लगा पा रही थी..


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इसीलिए बिस्तर पर आके लेट जाती है.... और मोबाइल में अपनी और वीर की शादी की फोटो देखने लगती है,
फिर पिछले एक डेढ़ महीने के बारे में सोचती है....



कैसे जल्दबाजी में उसकी शादी हुई और उसकी जिंदगी में इतनी सारी खुशियां एक साथ आ गई...
उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है, जिस प्यार की उसने कल्पना भी नहीं की थी वो उसे मिला...

साथ ही एक ऐसा परिवार जहां सास के रूप में एक मां और ननद के रूप में दो बहने मिली .....उसके लिए ये किसी सपने से कम नहीं था.....जिंदगी में पहली बार उसे पता चला कि घर क्या होता है...
यही सब सोचते सोचते वह नींद के आगोश में चली जाती है..
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Thank you❣️....yaha tak bane rehne k liye

Nice update bro
 

shivsharma

Ride to death
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Update 14



फ्रेश सुबह~


कल जब "दोस्ती के नकाब" .....के पीछे का चेहरा ....काव्या के सामने आया, तो .......वह टूट गई थी..... लेकिन आज... उसके लिए एक नई सुबह थी_


उम्म‌अह्ह... अंगड़ाई लेते हुए वह नींद से बाहर आती है, पर उसके सामने....... आज वीर का चेहरा नहीं था..


वह टेबल पर रखी..... अपनी और वीर की तस्वीर को देख.... मुस्कुराती है,
और उठाके चूमते हुए .....कहती है "आप कब आओगे"??
जैसी उसकी रात बीती थी, उस हिसाब से उसे बहुत ही फ्रेश महसूस हो रहा था...


काव्या:🤔 बहुत दिन हो गए ध्यान नहीं लगाया.... यही सोचकर वह नीचे आके पद्मासन की स्थिति में..... ध्यान मुद्रा धारण करके बैठ जाती है...

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इंदौर~

वीर, सुबह-सुबह ही ध्यानवस्था से बाहर आया था...... एक तो इन्टरव्यू की टैंशन में वह जल्दी सो नहीं पाया .... ऊपर से उसकी नींद भी जल्दी खुल गई........ कल तक इसे लेकर वह इतना परेशान नहीं था लेकिन जैसे जैसे साक्षात्कार की घड़ियां पास आती जा रही थी...... उसके अंदर एक अजीब सी मनोवस्था ने जन्म ले लिया था

जिसकी वजह से.... कभी वो ध्यान लगता तो कभी कुछ और ....करता, जिससे उसका मन शांत बना रहे!!


यही होता है जब आप बार बार साक्षात्कार तक पहुंच के भी अपना सिलेक्शन न ले पाएं.... वीर अपनी मनोस्थिति को सुधारने के लिए इंटरनेट से अच्छे अच्छे उद्धरण पढ़ने लगा (उद्धरण~कोट्स)


थोड़ी देर बाद जब उसका मूड थोड़ा अच्छा हुआ ...तो वह काव्या की तस्वीरें देखने लगा..... 'काव्या का ब्राइडल लुक' आज भी उसके मन में बसा हुआ था...ऐसे ही स्क्रॉल करते करते उसे काव्या की एक काफी पुरानी तस्वीर दिखाई दी...

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ये उसने तब खींची थी ......जब वह काव्या के बर्थडे पर वह किरण से मिलने से मिलने गया था....
वीर के गिफ्ट को देख कितनी खुश हुई थी काव्या...... उसे सब याद आने लगा


खैर अब उसका मन हल्का हो चुका था ....तो वह नाश्ता करने के लिए बाहर निकल आता है.... सुबह-सुबह पोहा जलेबी खाना उसे बहुत पसंद था.....ये आदत भी उसे इंदौर आने के बाद ही लगी थी..




भोपाल~

काव्या अब, ध्यान से बाहर आ चुकी थी साथ ही उसने स्नान भी कर लिया था....

किचेन में गाना गुनगुनाते हुए वो नाश्ता तैयार कर रही थी तभी रिया वहां आती है..


रिया: क्या बात है, भाभी आज बहुत खुश लग रही हो??
काव्या: हां दी! आज बहुत ही हल्का लग रहा है

रिया: लाओ भाभी, इसे मै कर देती हूं.......और नाश्ता बनाने में ......वह काव्या की मदद करने लगी


थोड़ी देर बाद:

जब सभी नाश्ता कर चुके थे.... काव्या अपने रूम में तैयार हो रही थी...... तभी उसका फोन रिंग करने लगता है..


काव्या: हेलो😊
कीर्ति: हां, भाभी! कैसे हो ??

काव्या: मै तो बढ़िया हूं.....लेकिन तुम कहां बिजी रहती हो.....रूही तो कॉल करती रहती है, .......तुम्हारा ही कहीं पता ही नहीं चलता...
कीर्ति: भाभी!! ऐसा बिल्कुल नहीं है,आप ही...... मुझे कभी याद नहीं करती ... जबसे भोपाल गई हो एक बार भी कॉल किया आपने


काव्या: ठीक है, बाबा! मेरी गलती ....... मां कैसी है??
कीर्ति: यहां सब ठीक है भाभी..... भैया यहां है नहीं तो जैक भाई ही घर का सारा काम देखते है....

डिंग डांग..
कीर्ति, कॉलेज के लिए लेट हो जाएगा ....मै तुम्हे बाद में कॉल करती हूं....

रिया ने दरवाजा खोल दिया था तो.....यशस्वी चहकते हुए काव्या के रूम में घुस जाती है..


यशस्वी: क्या बात है....आज तो पार्टी बहुत खुश लग रही है?
काव्या: पार्टी?? कौन सी पार्टी??
यशस्वी: अरे! दी आप और कौन.....

मुझे तो लगा था, कल की बात से आप अभी तक परेशान होंगी, इसलिए जल्दी आ गई थी


काव्या😀: 5 मिनिट पहले आने को जल्दी नही बोलते..
यशस्वी: लेकिन मुझे तो 5 ही मिनिट लगते है.... किसी का भी मूड ठीक करने में .....

देखो आपको हंसा दिया न...... ऐसी ही गोल मोल बाते करते हुए यशस्वी, काव्या को तैयार होते देखती है..


और थोड़ी देर बाद.....दोनों निकल पड़ती है कॉलेज ......आज भी वही गाड़ी उनका पीछा कर रही थी

यशस्वी: दी! याद है न आज ........आपको अकेले .....कहीं .....भी नहीं जाना ???
काव्या: याद हैं बाबा..... अगर जाऊंगी भी...... तो पहले..... तुम्हे कॉल करूंगी!!!


यशस्वी(गुस्साते हुए): नहीं दी!!! जाना ही नहीं है??.....बस
काव्या: ठीक है!....ठीक है, मेरी मां....अब तू क्लास में जा..


~~~

वहीं इंदौर में, वीर भी ....बढ़िया से तैयार होके निकल चुका था........ इंटरव्यू के लिए, आज..... उसे एक अलग ही फीलिंग आ रही थी.... उसने अपनी कलाई पे बंधे लाल धागे को चूमा और आगे बढ़ गया...

~~~

क्लास पहुंचते ही, काव्या को वही सेम....कल वाला शो देखने को मिला, जिसमें लकी और जानवी एक बेंच पर बैठे..... बात कर रहे थे..

काव्या जाके..... अपने डिबेट पार्टनर की पीछे वाली बेंच पर बैठ जाती है.... और उससे टॉपिक से संबंधित बातचीत करने लगती है.....तभी लकी जानवी के कान में कुछ बोलके चला गया.......तो जानवी उठ के काव्या के पास पहुंच गई..


जानवी: यार! काव्या काफी दिन हो गए....इससे पहले कि वो आगे कुछ बोल पाती....
काव्या: अभी नहीं यार बिजी हूं...और फिर से टॉपिक पर बात करने लग जाती है !
जानवी: अरे! काव्या सुन तो।।।
काव्या: 😠नहीं न...


जानवी: अरे! भड़क क्यों रही है, चल ब्रेक में बाहर घूम के आते है
काव्या: नहीं...
जानवी: अरे! सनसेट व्यूपॉइंट तक ही चल ले ना....

काव्या: फिर तू अकेली ही चली जा, वैसे वहां जाके करेगी क्या??


😄आस पास के सभी लोग हंसने लगे😆...."ये दोपहर में सनसेट देखेगी"....😀



मजाक उड़ाए जाने पर गुस्सा तो बहुत आया जानवी को .....लेकिन वो कर भी क्या सकती थी....चुपचाप जाके अपनी बेंच पर बैठ गई...

जलन~ दोस्तों, एक ऐसी चीज है जो व्यक्ति को कहां से कहां पहुंचा देती है ....... अगर सही तरीके से काम में लिया..... जाए तो अर्श पर .....नहीं तो फर्श पर...


लकी के ब्लैकमैल करने... मात्र से जानवी इतने आगे नहीं बढ़ी थी, उसके पीछे और भी बोहोत सारे कारण थे..... जैसे मार्क्स, काव्या के मार्क्स हमेशा ही जानवी से अच्छे आते थे (हालांकि वह टॉपर नहीं थी) ....


काव्या के पास अक्सर ही पैसे खत्म हो जाया करते, लेकिन जानवी......... जब भी उसे देखती, खुश ही देखती (अब उसे कौन बताए? जो टॉर्चर काव्या के साथ घर में सुबह शाम होता था..... बाहर आना तो उसके लिए स्वर्ग जैसा था)......


और लड़के भी जानवी के पास आके, हमेशा ......काव्या के बारे में पूंछा करते!!!!


जानवी ने इन छोटी छोटी बातों को इतनी तवज्जो दी कि ........आज वह उसके लिए नफरत का कारण बन गई...... अब उसे काव्या की खुशियां ..... पल भर के लिए भी बर्दाश्त नहीं थी...



थोड़ी देर बाद जानवी, काव्या के पास फिर से गई .....और उससे साथ बैठने के लिए कहा, तो..

काव्या ने डिबेट की बातचीत का वास्ता देकर उसे वापिस भेजना चाहा... पर जानवी
जानवी: अरे! क्लास का टाइम हो गया है, अब क्या ही बात हो पाएगी चल न वहां साथ बैठते है
काव्या: नहीं...


जानवी😡: देख काव्या बोहोत हो गई नौटंकी, चलती है कि ... इतने क्लास टीचर की एंट्री हो गई....और जानवी को अपनी जगह वापिस आना पड़ा

(आज की ये सारी बातें कोई और भी...... बहुत ही करीब से नोटिस कर रहा था)

जैसे~जैसे क्लासेस चलती गई, जानवी का गुस्सा बढ़ता रहा...... और जब ब्रेक हुआ....... काव्या उठके सीधे निकल गई, यशस्वी के पास...... वो भी इतनी जल्दी कि .....जानवी उसे रोक ही नहीं पाई।।।.....


पर फिर वो भी निकल पड़ी..... काव्या के पीछे~पीछे...


काव्या के आते ही यशस्वी.... दी!! ✋🏻हाई~फाइव🫸🫷 और दोनों साथ बैठ जाती है...

यशस्वी: तो दी, कैसा रहा आज?......मजा तो आया ही होगा😉
काव्या: हां~हां बहुत मजा आया.....पहले कुछ ऑर्डर करलें, फिर खाते खाते बताती हूं


यशस्वी ने ऑर्डर दिया ही था कि जानवी वहां पहुंच गई...

तू मुझे इग्नोर क्यों कर रही है??
काव्या: मैने ऐसा कुछ नहीं किया??
जानवी: देख काव्या, सुबह से देख रही हूं, अब तेरा बहुत हो गया...
काव्या:🤔पर मैने क्या किया है???

मन ही मन दोनो तरफ के मजे लेते हुए यशस्वी 🥳🥳🥳
..... वाह! काव्या दी .....क्या एक्टिंग करती हो👏 👏👏


काव्या: बता ना!!! आखिर मुझे भी तो पता चले....... मैने क्या गलती कर दी?
जानवी(गुस्से से): ज्यादा नाटक मत कर ......


इस बार वो थोड़ा, ज़ोर से बोल गई ....और जब सभी लोग उसे ही देखने लगे....तो वो कैंटीन से ही बाहर निकल गई...


यशस्वी: ये हुई न मेरी दी वाली बात.... मजा ही आ गया👏
काव्या: हम्मम....लेकिन मैने उसे कुछ ज्यादा ही ......गुस्सा दिला दिया ???

यशस्वी(ओम पूरी की मिमिक्री करते हुए): अरे! उसके गुस्सा होने से कोन्हों फरक पड़ता है का???.....

काव्या और यशस्वी, दोनो इस बात पर, बहुत जोर से हंसी.....


वहीं कैंटीन से बाहर आते ही जानवी को लकी मिल गया.....क्या हुआ, मान गई??
जानवी: मुंडी हिलाते हुए, नहीं!....
लकी: रण्डी तुझसे एक काम ढंग से नहीं होता, ....साली तू उसकी दोस्त है, भी या नहीं?......


जानवी: पता नहीं!! उसे क्या हो गया है?? जो मेरी एक बात नहीं सुन रही..... कही ऐसा तो नहीं...... उसे हमारे प्लान के बारे में सब पता चल गया हो..


लकी: इसके बारे में तेरे अलावा किसी को नहीं पता था, कुतिया... कहीं तूने ही तो..
जानवी: नहीं! नहीं! मैने किसी को कुछ नहीं बताया

"वैसे भी मै ज्यादा नफरत...उसी से तो करती हूं "


तभी पीछे से सोनू आते हुए: क्या बात है! भाई, नहीं आ रही क्या वो??


जानवी: तो तुमने! इसे भी बताया है...??
लकी: वो मेरा दोस्त है, कुतिया ....जो मैं खाता वो भी वही खाता है, शुक्र मना उसे तुझमें जरा भी दिलचस्पी नहीं है..


सोनू: लेकिन भाई! अब मेरा मूड बदल रहा है, क्यों न इसे भी चख कर देख ही लूं
लकी: जब भी चाहिए हो.... कॉल कर देना, ये रण्डी दौड़ी चली आएगी...


जानवी: न..नहीं, मै नहीं आऊंगी?
लकी😡: सुन कुतिया!!! अगर आज तूने उस रण्डी को नहीं मनाया.... तो तुझे कुत्तों के सामने डालने से पहले........ ज़रा भी नहीं सोचूंगा

सोनू: समझ गई न रानी चल अब...... निकल यहां से!!


जानवी जाके पेड़ के नीचे एक बेंच पर बैठ जाती है...... 🤔और सोचती है,
आज ये क्या हो रहा है, मेरे साथ??


सुबह से जो कुछ भी उसके साथ हुआ था ....उसे सोच सोचकर उसका गुस्सा .....बढ़ता ही जा रहा था.... काव्या की बच्ची🤬

तभी उसके पास से काव्या और यशस्वी निकलने ही वाली थी कि.....वो उन्हें रोक लेती हैं...



जानवी: काव्या! तुझे हुआ क्या है?.... अब तू कैंटीन जाने लगी है, मुझसे ठीक से बात नहीं करती, पैसों का ज्यादा घमंड आ गया है क्या??.......
भूल मत जब भी तुझे पैसों की जरूरत पड़ती थी ..........मै ही काम आती थी!!


यशस्वी: और वो पैसे कितने होते थे?
जानवी: ये! तू चुप रह.... मै काव्या से बात कर रही हूं
यशस्वी: हां हां सौ पचास का ताना देने में शर्म तो आ नहीं रही होगी..


काव्या: अरे! यशु तू रुक.......तो तुम्हें और क्या चाहिए?...... जितने दिनों के लिए मै पैसे उधार लेती थी...... उससे ज्यादा तो तुम्हारी पढ़ाई में मदद कर देती थी..
जानवी: तू न बोहोत बदल गई है, काव्या.... अब इस जैसी लड़कियों के साथ रहेगी तो...... ऐसा तो होगा ही..

यशस्वी:😠 क्या मतलब, इस जैसी लड़कियां.... मै न तुमसे हजार गुना अच्छी हूं..... और जल्दी से मोबाइल निकाल के उसके साथ सेल्फी 🤳ले लेती है..


काव्या को दिखाते हुए 🤳 ...ये देखो दी मै इससे ज्यादा सुंदर हु कि नहीं??.....ये देख के काव्या हंसी ही छूट गई??


जानवी: हंस लो जितना हंसना है, फिर आगे से मेरी मदद मांगने मत आना...


तो यशस्वी काव्या की तरफ देखती है... और फिर से जोर जोर से हंसने लगती है.... काव्या यशस्वी का हंसना देख के अपनी हंसी छुपा रही थी..

जानवी: बहुत हो गया काव्या, आखिर बार पूंछ रही हूं छुट्टी के बाद मेरे साथ चलेगी कि नहीं?


यशस्वी:

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और दोनों जोर जोर से हंसने लगती हैं....


जानवी गुस्से से लाल पीली होके.... वहां से चली गई....दूर खड़ा एक लड़का ये सब नोटिस कर रहा था...साथ ही किसी और की भी नज़रे काव्या पर थी


वहीं दूसरी अशोक को भी कन्फर्मेशन आ गया था.... वो 2 दिन बाद से अस्पताल ज्वाइन करने वाला था..


ब्रिजपुर~

कीर्ति, रूही और मम्मी बैठे गप्पे लड़ा रही थी..
रूही: मम्मी! मै परसों भाभी के पास जा रही हूं तीन दिनों के लिए....
मम्मी: हां हां चली जाना....और कीर्ति तू जाएगी या नहीं?
कीर्ति: नहीं मम्मी मेरे बोर्ड्स है.... और अगर मैं वहां चली गई तो आपकी यहां मदद कौन करेगा??...तभी बाहर से आते हुए..


ये छुटकी मै हूं न.... तुझे जाना है तो बिंदास जा
कीर्ति: अरे! मेरे भाई...मै कही नहीं जा रही, और वैसे भी भाभी की छुटियां तो अगले महीने होंगी ही... तब मेरी भी छुटियां रहेगी..... तो सारी मस्ती यहीं करेंगे...


रूही: लेकिन, मै तो जाऊंगी ...... वहां भाभी को एक छोटी बहन मिल गई है, उसके साथ मस्ती करनी है और रिया दीदी से भी काफी समय हो
गया ......नहीं मिली, तो उनके साथ भी मस्ती करूंगी
मम्मी: ठीक है!..ठीक है!... जिसको जिसको जाना है जा सकता है..


कॉलेज~

क्लासेस खत्म होते ही एक बार फिर काव्या और जानवी का आमना सामना हुआ.... काव्या नॉर्मल रही पर जानवी ने उसे खा जाने वाली नजरों से देखा, ..... वो समझ नहीं पा रही थी...कल तक तो सब ठीक था....आखिर ऐसा हुआ क्या ??? जो काव्या उसकी बातों को इग्नोर करने लगी


जानवी: 🤔पहले तो खुद ही मनाने आ जाती थी.... अब पैसे आ गए, आईफोन ले लिया..... कुछ तो बात है जो काव्या मुझे इग्नोर कर रही है..... इन्हीं ख्यालों में डूबी जानवी, पार्किंग की ओर जा रही थी, तभी उसके बगल में सोनू आ जाता है


सोनू: क्या हुआ?.......नहीं मना पाई, चल अब तू कुछ मत कर......आगे का हम सम्हाल लेंगे........ तू बस संडे को आके मुझे खुश कर दे...और हंसते हुए उसके बगल से निकल गया..


पार्किंग में.....यशस्वी~चले
काव्या: हम्मम!........और दोनों निकल पड़ती है घर की ओर....वह गाड़ी भी उनका पीछा कर रही थी...

यशस्वी: दी! क्या हुआ? ....सब ठीक रहा न...आप इतने चुप क्यों हो??
काव्या: हम्मम, सब ठीक रहा....लेकिन अगर तुमने मुझे वो रिकॉर्डिंग न सुनाई होती, तो..
यशस्वी बीच में ही..... तो भी आपको कुछ नहीं होता, ज्यादा फालतू सोचने की जरूरत नहीं है ....चिल करो!!!....और गाड़ी एक कैफे की तरफ मोड देती है...


काव्या: अरे! अरे!!.... यहां क्यू ले आई??
यशस्वी: यहीं तो मजा है....आओ जल्दी से, बैठो यहां पे .......और दो एस्प्रेसो, साथ में वेज सैंडविच ऑर्डर कर देती है


काव्या: अरे! इसकी क्या जरूरत थी..
यशस्वी: मैने बोला न.... चिल!!
काव्या: ठीक है, ठीक है..


और दोनो काफी एंजॉय करते हुए बातें करती है....
काव्या: कल, क्लासेस खत्म होने के बाद .... मेरी एक डिबेट है, तो क्या...
यशस्वी: अरे! अरे! बिल्कुल.... मै भी आपकी डिबेट सुन लूंगी......तभी काव्या का मोबाईल रिंग करने लगा..


काव्या ने स्क्रीन को देखा तो उसके चेहरे पे मुस्कान खिल गई....
यशस्वी: अरे जल्दी उठाओ न .....मुझे भी सुनना है.....
काव्या, कॉल पिक करते हुए~हेलो!!


वीर: कहां हो वाइफी?....पीछे से म्यूजिक की भी आवाज आ रही है..
काव्या: नहीं बस, कैफे आई थी..
वीर: ठीक है, एंजॉय करो..
काव्या: अरे! अरे! ...रखना मत, आपका इंटरव्यू कैसा रहा???
वीर: बाद में बताता हूं, तुम एंजॉय करो और डिबेट की प्रिपरेशन भी
काव्या: पर आपको कैसे पता डिबेट के बारे में....??
वीर: वो..वो! मुझे रिया दी ने बताया था...... ठीक है तुम एंजॉय करो मै. रखता हूं.....और कॉल कट कर देता है..



यशस्वी....जो कान लगाए बैठी थी....इस म्यूजिक ने सब बिगाड़ दिया🤬.... नहीं तो जीजू इतनी जल्दी फोन थोड़े न रखते ..
काव्या:🤔...पर मैने तो रिया दी को डिबेट के बारे में कुछ नहीं बताया... हम्मम
.. 🤔कही तुमने तो ...


यशस्वी: अरे! दी, 🤦🏻मुझे तो अभी~अभी डिबेट के बारे में पता चला है ..... तो मैं उन्हें कैसे, कुछ बता सकती हूं..🤷??
काव्या: फिर उन्हें कैसे पता....मेरी डिबेट के बारे में🤔


यशस्वी: अरे! दी चिल .... इससे तो यही लगता है...जीजू को आपकी बहुत फिक्र है..
काव्या (शर्माते हुए): हम्म... सही कहा🙃


....और दोनों ऐसे ही थोड़ी देर बातचीत करती है, फिर घर के लिए निकल जाती है...(उसी काली गाड़ी ने उन्हें घर तक फॉलो किया)


~~

वीर: अरे! बच गया!!!.......🤔है, तो ये लड़की भोली~ भाली....पर न कई बार बात पकड़ लेती है.....तभी वीर का फोन रिंग करने लगता है.... 🤔अब ये क्यूँ कॉल कर रहा है???

वीर: हां, संकलित...... "तो संकलित आज घटित सारी कहानी वीर को संक्षेप में बताता है".... (और संकलित वही लड़का है, जिससे वीर कॉलेज के पहले दिन, गेट पर मिला था और...... उससे काव्या का ध्यान रखने के लिए कहा था)

संकलित: हां,!! भैया..... मैंने पार्किंग तक भी देखा, भाभी ने उससे बात तक नहीं की......... 🤔कल तक तो साथ ही जाया करती थीं???

वीर: जरूर कुछ हुआ होगा, उनके बीच....(🤔या कहीं उसे...नहीं नहीं, ऐसी कोई बात होती तो वो मुझसे जरूर बताती)

वीर: ठीक है! डिबेट की तैयारी पूरी रखना,हारना मत!....चलो रखता हूं...
संकलित: जी भैया!.... और कॉल कट जाती है (यही है, काव्या का डिबेट पार्टनर भी ~संकलित)


तभी वीर के पास उसका दोस्त आ जाता है, दरअसल इंटरव्यू के तुरंत बाद ही वो वीर को मॉल ले आया था..
फ्रेंड: हां भाई! क्या बात करी भाभी से ???
वीर: अबे! हट न यार.... कबसे कपड़े ही नहीं सिलेक्ट कर पा रहा है, और अब अंडरवेयर लेने गया तो इतनी देर लगा दी
फ्रेंड: अरे! वो सेक्शन ढूंढने में ही बहुत टाइम लग गया.....लेकिन तू टॉपिक चेंज मत कर, बता ना क्या कहा भाभी ने..



वीर: कह रही थी... चिपकू दोस्तों से दूर रहना.....और तू, तेरी गर्लफ्रेंड है तो सही....उससे बात क्यू नहीं करता??
फ्रेंड: ठीक है!!! ठीक है!!!..... मै तो ये जानना चाह रहा था कि...... मैरिड कपल आखिर बात.... क्या करते है??
वीर: कुछ नहीं करते.... तू चल चुपचाप



तभी जैसे ही वीर मॉल से बाहर आया .... उसे एक जानी पहचानी सी आवाज सुनाई दी..

ओए, वीरू??....वीर ने अगल बगल देखा... अरे!!... सुमित भाई, क्या हाल चाल ??
सुमित:बढ़िया भाई! तू बता ....यहां कैसे ??
वीर: बस यार! इंटरव्यू था आज..
सुमित: तो कैसा रहा, हो तो जाएगा न इस बार
वीर: हम्मम.... उम्मीद तो पूरी है


सुमित: वैसे यहां कहा रुका है??.....वीर अपने फ्रेंड की ओर इशारा करते हुए, इसके साथ रुका हूं, हम साथ ही तैयारी करते थे ....अब ये यहां बच्चों को कोचिंग देता है...


सुमित: बढ़िया भाई बढ़िया.....वैसे तूने अपना नंबर बदल दिया क्या??
वीर: हां, लेकिन मेरे पास तेरा नंबर है ....मै कॉल करता हूं, सेव करले....

.....ऐसे ही थोड़ी देर बातचीत के बाद वीर ने सुमित से विदा ली..


रात में~


वीर और उसका फ्रेंड...... दोनो खाना बना रहे थे....यार तेरे इंटरव्यू के चक्कर में हमने ज्यादा बाते ही नहीं की??
वीर: हां यार!! तुझे तो पता ही है, ऐसी सिचुएशन सिर पे हो तो.... मैं ज्यादा बातें नहीं करता!!


फ्रेंड: चलो, आखिर तेरे एकांत में रहने का ड्रामा..... तो खत्म हुआ!!
वीर: अबे यार, तू फिर शुरू हो गया, बोला ना तुझे......केवल कल ही मुझे एकांत चाहिए था


फ्रेंड: ठीक है, ठीक है....वैसे तूने शादी के लिए इंदौर क्यों छोड़ दिया, शादी करके भाभी को यहीं ले आता!!
वीर: अबे ऐसा नहीं है..... मैने पहले ही सोच रखा था, शादी के बाद बाद घर में ही रहूंगा ... वहीं से एग्जाम्स दूंगा, हुआ तो ठीक ....नहीं तो कोई बिज़नेस डाल लेंगे..


फ्रेंड: ठीक है! चल खाना खाते हैं....तो फिर दोनों साथ में....डिनर करते है


~~

रात में काव्या आज जो कुछ हुआ...... उसके बारे में ही सोच रही थी...... साथ ही ....डिबेट को लेकर भी परेशान थी.....

~~

वहीं वीर खाने के बाद लेटे~लेटे अपने कॉलेज के दिनों में चला गया.... और वजह थी सुमित का यूं अचानक से मिल जाना ......फिर उसे याद आता है, कि उन दिनों वह कितना एमेच्योर था...

स्कूल लाइफ खत्म हो जाने के बाद भी कॉलेज के शुरुआती दिनों में.....वो कैसे अपने स्कूल लव को ही याद करता रहता ........

जब तक उसे श्रेया नजर नहीं आई थी और बाद में श्रेया भी उसे ........उसी की तरह ही......छोड़ के चली गई..

फिर किरण आई और वीर के चेहरे पे मुस्कान खिल गई ..... अब चाहे जो भी हुआ हो लेकिन उसी की वजह से आज वो काव्या...... के साथ था..


~इसी तरह दोनों अपने ख्यालों और परेशानियों के विषय में गहराई से सोच रहे थे~
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अब आगे क्या होने वाला है
जानने के लिया बने रहिए!!❣️
Nice update bro
 

Gaurav1969

Nobody dies as Virgin. .... Life fucks us all.
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Waiting bro
 

Gaurav1969

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Next update kab de rahe ho lootera bro . Intezaar kar rahe hai .
 

Gaurav1969

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Its 1 week past let the update be dropped
 
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