ए. पी. साहब - दो जहां का मालिक झूठ न बुलवाए - इश्क के मामले मे आप मजनू और रांझा के भी उस्ताद निकले !
आशिकी और शराफत का अद्भुत मिश्रण है ए. पी. साहब ।
रिया और मोनी - दो सहेलियाँ आपस मे गपशप कर रही थी -
रिया - " मेरा ब्वॉय फ्रैंड ऐसा है जो कि नेतागिरी के कारोबार मे अप्रेंटिस है । वो मेरे को बहुत अच्छी अच्छी बातें सुनाता है । "
मोनी - " बस बातें ही सुनाता है ! करता कुछ नही ? "
रिया - " करता है । "
मोनी - " अच्छा , करता है ! और तू करने देती है ?
रिया - " हां । "
मोनी - " सत्यानाश हो तेरा । क्या करता है भला ? "
रिया - " मेरी इज्ज़त करता है । "
बहुत ही खूबसूरत सीन्स था जब पांव पर काफी गहरी चोट और दर्द के बावजूद भी ए. पी. साहब न सिर्फ रिया के भाई के बर्थ डे पर उसके आवास गए , बल्कि रिया के कहने पर उसके साथ डांस भी किया ।
खुद को तकलीफ मे रखकर अपने आशिक को आभास तक न होने देना सच्चे प्यार की बानगी ही तो है ।
लेकिन इस हेलुसूनेशन का कुछ कीजिए ! यह रोग अब फर्स्ट स्टेज पर नही है । यह चौथे स्टेज पर पहुंच चुका है । और चौथा स्टेज - जैसा कि डॉक्टर अमूमन कहते हैं - काफी डेंजर होता है ।
सभी अपडेट बेहद ही खूबसूरत थे ए. पी. भाई । आउटस्टैंडिंग अपडेट ।