इंडियन सीक्रेट सर्विस है तो काल्पनिक खुफ़िया एजेन्सी ही पर इस का प्रयोग हमारे उपन्यासों मे करीब पचास साल से किया जा रहा है। वेद प्रकाश काम्बोज और वेद प्रकाश शर्मा के उपन्यास मे इसका प्रयोग बहुत अधिक किया हुआ है।
यहां भी ऐसी ही एक एजेन्सी की एक काबिल और तेज तर्रार एजेंट मेडी नामक एक महिला है जो इमानदार भी है। इनकी मौजूदगी हैदराबाद मे शर्तिया ' मर्चेंट आफ डेथ ' की वजह से है। और ए पी के लिए अच्छी बात यह है कि वो ' मोड ' को चेहरे से नही पहचानती है।
यह बहुत बढ़िया मौका था कि डुप्लीकेट ' मोड ' मारा जाता और उसके साथ जरायम के पेशे एवं गवर्नमेंट के खुफ़िया एजेन्सी की नजर से हमेशा के लिए ' मोड ' का अस्तित्व खतम हो जाता।
मतलब ए पी की पहचान इन लोगो के लिए ब्लैक मनी से ह्वाइट मनी की तरह हो जाता।
डुप्लीकेट मोड की हरकते यह भी इशारे कर रही थी कि वह इस पुरे खेल का एक मोहरा मात्र है। अगर वह प्रमुख साजिश कर्ता होता तो वो ए पी को पहली नजर मे पहचान लेता।
इनका मकसद क्या है , इसके लिए डुप्लीकेट का पकड़ा जाना बहुत जरूरी है। और वह भी जिंदा।
बहुत ही खूबसूरत अपडेट ए पी भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट।