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लग रहा है. अपने पापा को भी साथ ले जाओ.” अर्चना ने अपनी उसी घबराई आवाज़ में कहा जिसमे उनका डर और बेटे की चिंता दोनों शामिल थी. “मम्मी चिंता मत करो. अगर वहाँ कोई हुआ तो पापा को आवाज़ लगा दूंगा और वो आ जायेंगे मदद के लिए. अभी उस व्यक्ति की मदद करना जरुरी है प्लीज...हमें अब तक पता नही है वो कोई जंगली जानवर ही था या इंसान, खून के धब्बों को देखने के बाद दोनों ही सूरतों में मैं उस ज़ख़्मी को यहाँ अकेले नही छोड़ सकता.” राहुल ने अर्चना को समझाया और फिर संग्राम सिंह से कहा – “पापा! आप तब तक यहाँ मदद देखिये. कोई भी गाड़ी आये उसे हाथ दीजियेगा. गीता! मम्मी को संभालो मुझे कुछ नहीं होगा मैं दो मिनट में आया.” राहुल सड़क किनारे उन झाड़ियो की तरफ बढ गया. अगर वो संग्राम सिंह जैसे फौजी का बेटा न होता तो शायद ही कोई इन्सान उन घने काले जंगलों में अपने कदम भी बढा पाता. क्यूंकि वो जंगल कोई मामूली सा जंगल अब तक नही लग रहा था. शायद इस अमावस की रात ने इसे ऐसा भयानक बना दिया था जिसे देखकर ही दिल काँप उठे और डरने लगे.