• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Fantasy WO BHAYANAK RAAT

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
लग रहा है. अपने पापा को भी साथ ले जाओ.” अर्चना ने अपनी उसी घबराई आवाज़ में कहा जिसमे उनका डर और बेटे की चिंता दोनों शामिल थी. “मम्मी चिंता मत करो. अगर वहाँ कोई हुआ तो पापा को आवाज़ लगा दूंगा और वो आ जायेंगे मदद के लिए. अभी उस व्यक्ति की मदद करना जरुरी है प्लीज...हमें अब तक पता नही है वो कोई जंगली जानवर ही था या इंसान, खून के धब्बों को देखने के बाद दोनों ही सूरतों में मैं उस ज़ख़्मी को यहाँ अकेले नही छोड़ सकता.” राहुल ने अर्चना को समझाया और फिर संग्राम सिंह से कहा – “पापा! आप तब तक यहाँ मदद देखिये. कोई भी गाड़ी आये उसे हाथ दीजियेगा. गीता! मम्मी को संभालो मुझे कुछ नहीं होगा मैं दो मिनट में आया.” राहुल सड़क किनारे उन झाड़ियो की तरफ बढ गया. अगर वो संग्राम सिंह जैसे फौजी का बेटा न होता तो शायद ही कोई इन्सान उन घने काले जंगलों में अपने कदम भी बढा पाता. क्यूंकि वो जंगल कोई मामूली सा जंगल अब तक नही लग रहा था. शायद इस अमावस की रात ने इसे ऐसा भयानक बना दिया था जिसे देखकर ही दिल काँप उठे और डरने लगे.
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
“मुझे तो कुछ ठीक नहीं लग रहा...यहाँ दूर-दूर तक कोई गाड़ी नही दिख रही. जब से हम यहाँ फंसे हैं, मुझे तो एक भी गाड़ी सडक से गुजरते नही दिखी. न जाने ये काली मनहूस अमावस की रात आज क्या बुरी बला लेकर आयी है हमारे लिए.” अर्चना पूरी तरह डरी हुई थी और बार-बार भगवान का नाम जप रही थी. दूर-दूर तक वाकई कोई गाड़ी नजर नही आ रही थी. संग्राम सिंह भी गहन चिंता में डूबने लगे थे. पर वो अर्चना की बात का समर्थन नही कर पा रहे थे. क्योंकि ये रात मुसीबत से भरी जरुर थी, पर ये अमावस और भूत प्रेत की बाते संग्राम सिंह जैसा फ़ौज में कई साल काम करने वाला दिलेर आदमी कभी नही मानने वाला था. पर क्या वाकई किसी चीज़ को ना मानने से उस चीज़ के होने को नकारा जा सकता है. पर आज की रात किसी ऐसी भयानकता का संकेत दे रही थी जो किस हद तक मनहूस थी ये कोई नही जानता था. अभी तक ऐसा कुछ भी नही हुआ था जिससे कोई भी व्यक्ति ये मान ले कि इन घटनाओं में अमावस की काली रात में घूमने वाली अंजान शक्तियों का कोई हाथ
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
है. दरअसल सच्चाई जब तक सामने नही आती लोग उसे टाल देते हैं पर जब वो नंगी होकर सामने आ खड़ी होती है तो उसे झुठलाना नामुमकिन हो जाता है. राहुल को गए हुए अब तक दस मिनट से ज्यादा हो चुके थे. न जाने राहुल सड़क किनारे दिख रही उन झाड़ियों में कहाँ गुम हो गया था? चिंता का विषय बन जाना अब लाजमी था. “ये... राहुल अभी तक क्यों नही आया? जरा देखिये न...कही कोई मुसीबत में ना फंस गया हो.” अर्चना का डर अब भी चरम पर था. और गीता बिना बोले अर्चना का हाथ थामे अपने डर को अपने में समाये थी. “राहुल...राहुल...” संग्राम सिंह और गीता ने अगले ही पल आवाज देना चालू किया. पर कोई भी जवाब नही मिला. न ही राहुल उन झाड़ियो में कहीं नजर आया. “पापा! राहुल कहाँ गये? मुझे अब वाकई और भी ज्यादा डर लगने लगा है. प्लीज! आप कुछ कीजिये न. मम्मी! ये सब क्या हो रहा है? हमें राहुल को उधर जाने ही नहीं देना चाहिए था. पापा प्लीज कुछ कीजिये.” अब गीता ने लगभग रोना चालू कर दिया. “दूसरो की मदद करने के चक्कर में हम खुद मुसीबत मे न फंस जाएँ.” अर्चना का ममतामयी दिल राहुल के लिए
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
चिंतित था. “ऐसा कुछ नहीं होगा ये सब बकवास बातें बंद करो, वो जरुर आएगा.” संग्राम सिंह उस स्थिति को सँभालने में लगे थे. पर कुछ देर के बाद गीता और अर्चना की बातो से संग्राम सिंह भी अपने इकलौते बेटे राहुल की चिंता से घिर गए चुके थे. उन्होंने अब जोर- जोर से राहुल का नाम लेकर चिल्लाना शुरू कर दिया. पर जाने क्यूँ ऐसा लग रहा था जंगल उन लोगों की आवाज उस तक पहुँचने नही दे रहा था. ये रात ऐसी लग रही थी जैसे पूरा आकाश काली स्याही में डूब गया हो. ***** उनके कार एक्सीडेंट के बाद से ही जंगल ने जैसे अपना रंग बदल लिया हो. इतनी रात सड़क पर एक फॅमिली और उसमे से एक सदस्य गायब था और कार का लगभग एक्सीडेंट हो चुका था जिसमे पूरा परिवार बाल-बाल बचा था. क्या वाकई ये सब किसी नियति का खेल होने जा रहा था या संयोग मात्र था बस. पर शायद चुपचाप सडक पर खड़े होकर तमाशा देखने का समय अब जा चुका था. संग्राम सिंह राहुल को ढूँढने के लिए सड़क से नीचे उतर के उन झाड़ियो की तरफ धीरे
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
धीरे बढ़ने लगे. कार की जलती हुई लाइट्स ही आस-पास थोडा उजाला फैलाए हुए थी जो कि ज्यादा साफ तो नही थी पर उसके अलावा कोई चारा था भी नही उनके पास. “गीता! मम्मी को लेकर कार में बैठो. मैं राहुल को देख कर आता हूँ.'' ''नहीं पापा आप भी मत जाइये.'' ''जैसा कहता हूँ वैसा करो...कार के अन्दर जाओ मैं नही चाहता कोई और मुसीबत आये.” संग्राम सिंह ने झाड़ियों की तरफ़ बढ़ते हुए पीछे मुड कर कहा. संग्राम सिंह अपनी फॅमिली को इस मुसीबत से निकालने की भरसक कोशिश कर रहे थे. लेकिन चिंता उन्हें सताए जा रही थी. न तो वो राहुल को छोड़ के भाग सकते थे और ना ही उसका पता लगा पा रहे थे, क्योंकि अगर फॅमिली को छोड के जंगल में गए तो इन पर कोई मुसीबत आ सकती थी. पर अब जाने के अलावा कोई चारा ही नही रह गया था. क्यूंकि अब तक कोई उस सड़क से गुजरा भी नहीं था जिससे मदद की गुहार लगायी जा सके. संग्राम सिंह बेटे का नाम ले-लेकर जंगल में बढने लगे. संग्राम की चाल आज डगमगा रही थी जबकि उन जैसे फौजी के साथ ये नहीं होना चाहिए था पर शायद ये एक
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
फौजी के कदम नहीं एक बाप के कदम थे जो अपने बेटे को ढूंढ रहे थे. आंखे सिर्फ राहुल को ही तलाश रही थी. संग्राम सिंह झाड़ियों की तरफ बढ़ते हुए बार-बार पीछे मुड़ कर गीता और अर्चना को भी देख रहे थे जो कि कार के पास ही अब तक खड़े थे एक दूसरे को पकडे हुए. संग्राम सिंह राहुल का नाम पुकारना चाहते थे पर उनके लफ़्ज़ों पर जैसे ताला लग गया था वो लगातार जंगल में अन्दर बढ़ रहे थे, गीता और अर्चना की नज़रों से ये भी ओझल हो चुके थे. संग्राम सिंह आज किसी फ़ौज के मिशन पर नही बल्कि बेटे की तलाश में थे. चारो तरफ ऊँचे-ऊँचे पेड़ और घना काला अँधेरा अपने पैर पूरी तरह पसारे हुआ था. राहुल का अब तक कोई अता-पता नहीं चल पाया था. तभी सामने संग्राम सिंह को एक और झाड़ियों का झुण्ड नज़र आया. अचानक...झाड़ियो से कुछ सर-सराहट की आवाज आने लगी. वो सड़क से दूर उन झाड़ियों के अन्दर आ चुके थे. गीता और अर्चना अब नज़र नही आ रहे थे और संग्राम सिंह को इस बात का अब कोई अहसास नही था. उनके कदम उस तरफ बढ़ने लगे. कुछ ऐसा ही दृश्य था जैसे कोई इंसान न चाह कर भी मूसल में अपना सर देने जा रहा हो. तभी ऐसा लगा कोई तेज़ी से उन झाड़ियों से बाहर आ रहा हो. संग्राम सिंह का दिल अब जोरो से धडकने लगा था, लेकिन बेटे को ढूँढने के जूनून ने उनके डर
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
Staff member
Moderator
33,244
150,028
304

Hello Everyone :hello:
We are Happy to present to you The annual story contest of Xforum "The Ultimate Story Contest" (USC)..

Jaisa ki aap sabko maalum hai abhi pichle hafte he humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time Pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit chat thread toh pehle se he Hind section mein khulla hai.

Iske baare Mein thoda aapko btaadun ye ek short story contest hai jisme aap kissi bhi prefix ki short story post kar shaktey ho jo minimum 700 words and maximum 7000 words takk ho shakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap Iss contest Mein apne khayaalon ko shabdon kaa Rupp dekar isme apni stories daalein jisko pura Xforum dekhega ye ek bahot acha kadam hoga aapke or aapki stories k liye kyunki USC Ki stories ko pure Xforum k readers read kartey hain.. Or jo readers likhna nahi caahtey woh bhi Iss contest Mein participate kar shaktey hain "Best Readers Award" k liye aapko bus karna ye hoga ki contest Mein posted stories ko read karke unke Uppar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske aalwa aapko apna thread apne section mein sticky karne kaa mouka bhi milega Taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab k liye ye ek behtareen mouka hai Xforum k sabhi readers k Uppar apni chaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna suru kar shaktey hain or woh thread 21st February takk open rahega Iss dauraan aap apni story daal shaktey hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna suru kardein toh aapke liye better rahega.

Koi bhi issue ho toh aap kissi bhi staff member ko Message kar shaktey hain..

Rules Check karne k liye Iss thread kaa use karein :- Rules And Queries Thread.

Contest k regarding Chit chat karne k liye Iss thread kaa use karein :- Chit Chat Thread.

Regards :Xforum Staff.

 
Top