credit goes to original writer .
आशीर्वाद
जंगल के वीराने को चीरता हुआ एक रथ बहुत तेजी से भागा जा रहा था। उस रथ पर चोदनपुर की राजकुमारी लिंगप्रिया सवार थी। उन्हें शिकार का बहुत शौक था। इस समय भी उनके हाथ में धनुष था और निशाना एक सुन्दर हिरण था। लिंगप्रिया अलौकिक सौन्दर्य की स्वामिनी थी। उसके लाल लाल होंठ मानो रस भरे अंगूर हों जिन्हें देख कर मन करता था कि उसके होंठों का रस पी जायें। उसकी चूचियाँ इतनी मनमोहक थी मानो रस से भरी नारंगियां।
तभी उसके रथ के सामने वो हिरण आया और लिंगप्रिया ने तीर चला दिया। हिरण मारा गया। लिंगप्रिया रथ से उतरी और हिरण के पेट में घुसा हुआ तीर निकाल के जैसे ही वो मुड़ी, उसकी नज़र एक योगी पर पड़ी। उसने देखा कि वो योगी पूरा नंगा एक पैर पर खड़ा हो कर तपस्या में लीन है।
तभी लिंगप्रिया की नज़र उसके शिथिल पर सुडौल नंगे लण्ड पर पड़ी. उस लण्ड को देख कर लिंगप्रिया के मुँह में पानी आ गया. वो योगी के पास गई और बोली - हे योगीराज! उठो! जागो! देखो, चोदनपुर की राजकुमारी लिंगप्रिया तुम्हारे सामने खड़ी है. मेरी विनती सुनो और मेरी प्यास बुझाओ।
उसकी आवाज़ का योगी पर कोई असर नहीं पड़ा। पर लिंगप्रिया की योनी में तो कामाग्नि भड़क चुकी थी, वो बस अपनी आग को शान्त करना चाहती थी। उसने योगी के लण्ड को अपने कोमल हाथों में पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी. परन्तु योगी पर फिर कुछ असर नहीं हुआ।
लिंगप्रिया अब पूरे कामावेश में आ चुकी थी इसलिए उसने लण्ड को अपने रस भरे होंठों से लगा लिया और योगी का मुख-मैथुन करने लगी। थोड़ी ही देर में योगी का लण्ड जागृत हो कर विशालकाय हो गया। लिंगप्रिया को यही तो चाहिये था, वो मस्त हो कर लण्ड को और जोर से चूसने लगी।
राजकुमारी की चेष्टा रंग लाई और योगी का ध्यान टूट गया. वो पीछे हटते हुए बोला - कौन हो तुम? तुमने मेरी तपस्या में विघ्न क्यों डाला? मैं सात वर्षों से चूतेश्वर महाराज की तपस्या में मग्न था।
लिंगप्रिया बोली - हे योगी, मैं चोदनपुर की राजकुमारी लिंगप्रिया हूँ. मैं तुमसे क्षमा चाहती हूँ पर तुम्हारा कमनीय और बलशाली लण्ड देख कर मैं अपने आप को रोक न सकी. योगिराज, मुझे चोद कर मेरी चूत को धन्य कर दो।
योगी ने उसके मचलते हुए अंग-प्रत्यंग को उपर से नीचे तक देखा और गुस्से से बोला - तुमने मेरी बर्षों की तपस्या भंग की है, इसका दंड तुम्हे मिलेगा. मैं तुम्हारी चूत का विध्वंस कर दूंगा.
लिंगप्रिया ने कहा - मैं भी यही चाहती हूँ, योगीराज! आइये, मेरी चूत को तहस-नहस कर दीजिये!
यह कहते हुए उसने अपने सारे वस्त्र उतार दिए. वह नंगी हो कर योगी के समक्ष बैठ गई. उसने योगी के लण्ड को पकड़ा और उसे पुनः मनोयोग से चूसने लगी। अब योगी का लंड पूरे ताव में आ गया. वो लण्ड चुसवाने का मज़ा लेने लगा। लिंगप्रिया अपने अंगूर समान होठों से और जीभ से उसके लण्ड को चाटने में लग गई। योगी का हाथ लिंगप्रिया की चूचियों पर फ़िसलने लगा। लिंगप्रिया की सुडौल चूचियों को योगी अपने हाथों से दबाने लगा।
लिंगप्रिया सिसकारियाँ भरती हुई बोली - आह ! और जोर से दबाओ, योगी!
राजकुमारी भी लण्ड को अपने मुँह में जोर जोर से लेने लगी। योगी ने लिंगप्रिया को मखमली घास पर लिटा दिया और उसकी चूचियों को अपनी जीभ से चाटने लगा, उसके निप्प्लों को मुँह से चूसने लगा।
लिंगप्रिया सिसकारियाँ भरते हुए बोली - आह! चूसो मेरे प्रियतम! चूसो मेरी चूचियों को।
योगी अपने दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियों को दबा दबा कर चूस रहा था जैसे कोइ बच्चा दूध पी रहा हो।
थोड़ी देर के स्तनपान के बाद लिंगप्रिया लम्बी आहें भरती हुई बोली - आह! अब मेरी चूत को पवित्र कर दो, योगीराज! पेल दो मुझे।
यह सुन कर योगी ने अपना एक हाथ लिंगप्रिया की बुर की तरफ़ बढ़ाया. उसने बुर पर हाथ लगाया तो उसे महसूस हुआ कि लिंगप्रिया की बुर गीली हो चुकी थी। योगी अब नीचे की ओर खिसका और उसने अपने होठों को राजकुमारी की बुर पर लगा दिया।
लिंगप्रिया कामावेग से तड़प उठी।
योगी अपने जीभ से बुर को चाटने लगा और अपनी एक उंगली बुर के अन्दर डाल कर उसे हिलाने लगा जैसे कोई चीज़ वो अन्दर ढूँढ रहा हो।
लिंगप्रिया बोली - योगिराज, अब पेल दो मेरी बुर में अपना लंड! अब देर न करो!
योगी ने अपने लण्ड पर थूक लगाया और लिंगप्रिया की टाँगों को ऊपर उठा कर उसकी बुर पर अपना लण्ड सटा दिया। लिंगप्रिया ने सिसकते हुए योगी के लण्ड को अपने बुर से सटा दिया। योगी ने एक ही झटके में पूरा लंड उसकी बुर में ठूंस दिया।
लिंगप्रिया जोर से चीखी - आ..आ..आ..ह! बहुत विशाल है, योगीराज।
पर अब क्या हो सकता था? चुदाई का निमंत्रण स्वयं उसने दिया था. अब तो उसे चुदना ही था. योगी पूरी शक्ति से आगे उसकी बुर को ठोक रहा था। कुछ देर बाद लिंगप्रिया को मज़ा आने लगा. वो भी अपने नितम्ब उठा-उठा कर चोदन-क्रिया का मज़ा लूटने लगी।
योगी अपने हाथों से लिंगप्रिया की चूचियाँ दबा रहा था और लण्ड को बुर में पेले जा रहा था। कुछ देर बाद योगी ने लिंगप्रिया को श्वान आसन में स्थित किया और पीछे से अपना लण्ड उसकी बुर में डाल कर उसे चोदना शुरु किया।
लिंगप्रिया आनन्द से मरी जा रही थी - आह! और जोर से चोदो,योगी! और जोर से!
योगी उसकी कमर को हाथों से पकड़ कर अपने लण्ड से धक्का दिये जा रहा था। उस वीराने जन्गल में लिंगप्रिया की सिसकरियाँ गूँज़ रही थी।
तभी मस्ती से सराबोर लिंगप्रिया बोली - आह! मैं आ रही हूँ, योगिराज! मैं स्खलित होने वाली हूँ।
और फिर लिंगप्रिया की चूत से रस की अविरल धारा निकलने लगी। लिंगप्रिया स्खलित होकर निढाल होने को थी लेकिन योगी अभी भी धक्के पर धक्के मारे जा रहा था। थोड़ी देर के बाद योगी चीखा - आह! लिंगप्रिया! लो, मैं भी आया।
और योगी ने लिंगप्रिया की चूत को अपने वीर्य से भर दिया। लिंगप्रिया को ऐसा लगा जैसे उसकी चूत में लंड-रस की बरसात हो रही हो. वह तृप्त हो कर घास पर लेट गई।
योगी ने अपने लण्ड को उसकी बुर से बाहर निकाला. वह उस पर से उतर कर बोला - राजकुमारी लिंगप्रिया, तुमने मेरी वर्षों की तपस्या भंग की, उसका दंड तुम्हे मिल गया है. परन्तु तुम्हारी सुकोमल चूत ने पूर्ण समर्पण से मेरे लण्ड के प्रहार स्वीकार किये और फिर उसका वीर्य ग्रहण किया इसलिये मैं तुम्हे एक आशीर्वाद भी देता हूँ. नौ महीने के बाद तुम एक पुत्र को जन्म दोगी जो अत्यंत बलवान और वीर्यवान होगा। बड़ा हो कर वह एक चूत-संहारक लंड का स्वामी बनेगा. यदि कोई पडोसी राज्य तुम्हारे राज्य पर बुरी नज़र डाले तो तुम अपने पुत्र को उस राज्य में भेज देना. उसके लंड के आक्रमण से उस राज्य की स्त्रियों में हाहाकार मच जायेगा। उसके लंड की चूत-संहारक ख्याति तुम्हारे राज्य को सुरक्षित रखेगी.
यह कह कर योगी फ़िर से ध्यानमग्न हो गया।
जब राजकुमारी लिंगप्रिया की मस्ती उतरी तो वह उठी. उसने योगी के लण्ड को चूम कर अपने वस्त्र पहने और रथ पर सवार होकर चोदनपुर चली गई।
नौ महीने के बाद उसने एक पुत्र को जन्म दिया. उसका नाम लंडेश्वर रखा गया। आगे जा कर राजकुमार लंडेश्वर एक भीमकाय लिंग और प्रचंड कामशक्ति का स्वामी बना. उसने वयस्क होने पर सर्वप्रथम अपने महल की दासियों का सेवन आरम्भ किया. दासियां उसकी चोदन-क्षमता से प्रफुल्लित हो गयीं. बात राजमहल से बाहर पहुंची तो राज्य की अन्य स्त्रियां उसके लंड के लिए लालायित हो गयीं. उसका लंड इतना आनंददायक था कि धीरे-धीरे उसकी ख्याति पूरे राज्य में फ़ैल गई. राज्य की समस्त स्त्रियों में उसका लंड ग्रहण करने की होड़ लग गई. और फिर बात पडोसी राज्यों तक पहुँच गई.
जारी रहेगा ....... Part 2 next