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Thriller अधूरे रहस्य [A story of Neha & Vivaan]

Drdanilovicente

Staying Healthy, Happy and Horny!
Supreme
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THE STORY IS PAUSED FOR A FEW MONTHS DUE TO LACK OF TIME. WE'LL RESTART ON 1st July 2025.

Hello Everyone!

Main Danny hoon, aur aaj main apne new mystery thriller story ka thread shuru kar raha hoon. Is story ka naam hai "अधूरे रहस्य [A story of Neha & Vivaan]" , jo ek suspense aur romantic thriller hai. Aapko yeh kahani ek aise ladki, Neha ke baare mein milegi, jise ek din apne kisi anjaane rishtedaar se ek purana mahal virasat mein milta hai.

Jaise-jaise Neha mahal pahuchti hai, waisa-waisa use kuch ajeeb aur rahasyamayi cheezon ka samna hota hai. Ham dekhenge ki kaise Neha aur Vivaan milkar is mehal ke rahasya ko dhundenge.

Agar aapko mystery, romance aur suspense pasand hai, toh yeh kahani aapke liye hai. Main is thread mein chapters share karunga aur aap sabse feedback bhi chaahunga!

Kahani me sex scenes thode kam ho sakte hai, uske lie maaf kijiega. Mera maan na hai ki emotions dheere dheere hi grow hote hain aur mai apni story ko reality ke thoda kareeb rakhna chahta hu. Aasha karunga ki aapko mera ye tareeka pasand aaega.

Toh chaliye, yeh kahani ka pehla chapter shuru karte hain....
 
Last edited:

Adirshi

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CHAPTER - 1

गहरी रात थी, और आकाश में छाए घने काले बादलों ने चारों ओर अंधेरा फैला दिया था। हल्की-हल्की बारिश की बूँदें जैसे किसी मधुर संगीत की धुन बजा रही थीं। इस बीच, नेहा अपनी कार में बैठी एक पुराने, घने जंगल से होते हुए आगे बढ़ रही थी। उसके चेहरे पर एक अजीब सा सुकून और उत्सुकता दोनों के भाव झलक रहे थे। आज वह उस महल की ओर जा रही थी जिसे उसने अब तक केवल कहानियों और परिवार की फुसफुसाहटों में ही सुना था। बचपन में उसकी दादी ने अक्सर इस महल के रहस्यों और इसके भीतर छुपे किस्सों की कहानियाँ सुनाई थीं। नेहा ने इन कहानियों में दिलचस्पी तो ली थी, पर कभी यकीन नहीं कर पाई कि उनमें सच्चाई भी हो सकती है।

यह महल, जो उसके परदादा ठाकुर प्रताप सिंह का बनवाया हुआ था, अब तक नेहा के परिवार का हिस्सा था, लेकिन समय के साथ इस जगह से सभी का लगाव कम हो गया था। लोग इसे प्राचीन और रहस्यमयी मानते थे, और कहा जाता था कि यहाँ रात को अजीबोगरीब आवाज़ें सुनाई देती हैं। नेहा को आज यह सब खुद महसूस करने का मौका मिल रहा था। उसकी मंजिल करीब थी, और उसका दिल तेजी से धड़क रहा था, मानो वह किसी रोमांचक रहस्य के दरवाजे पर खड़ी हो।



नेहा ने महल का बड़ा दरवाजा देखा, जो बरसों से बंद पड़ा था और उस पर जमी हुई धूल और बेलों ने इसे और भी डरावना बना दिया था। उसने दरवाजे को छुआ, और उस क्षण उसे एक अजीब सी सिहरन महसूस हुई, मानो यह दरवाजा उससे कुछ कहना चाह रहा हो। दरवाजे को धकेलते ही एक कड़ाके की आवाज हुई, और वह धीरे-धीरे खुल गया। अंदर का दृश्य उसे अजीब-सा लगा—सामने विशाल हॉल, ऊँची छत और दीवारों पर टंगी प्राचीन पेंटिंग्स थीं, जिन पर धूल की मोटी परत जमी थी।

महल के भीतर की खामोशी में उसे अपने दिल की धड़कनें साफ सुनाई दे रही थीं। हर कदम के साथ उसे अपने परदादा ठाकुर प्रताप सिंह की धुंधली छवि सामने आती दिख रही थी। कहा जाता है कि प्रताप सिंह एक साहसी और प्रभावशाली व्यक्ति थे, पर उनके जीवन में एक अधूरी प्रेम कहानी भी थी। इसी कारण से वे इस महल में अधिकतर अकेले रहते थे। उनके बारे में कुछ ऐसे किस्से मशहूर थे कि उनके दिल में छुपी इस पीड़ा ने उन्हें अपने ही बनाए इस महल में कैद कर दिया था। आज नेहा इस महल के उन्हीं अधूरे रहस्यों को समझने की कोशिश कर रही थी।

जैसे ही नेहा ने महल के गलियारों में कदम रखा, उसे ऐसा लगा मानो यह जगह उसे अपनी ओर खींच रही हो। यह महल न केवल एक इमारत था, बल्कि यहाँ की हर दीवार, हर कोना उस गहरी, अनकही कहानी का हिस्सा था जो अब तक किसी ने नहीं सुनी थी। वह इस महल के इतिहास को जानने के लिए बेचैन थी, और यह बेचैनी उसे लगातार आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही थी।

नेहा का दिल अब भी अजीब सी उम्मीदों और सवालों से भरा था। क्या इस महल में वाकई कुछ ऐसा था जिसे उसके परिवार ने छुपा रखा था? क्या इस महल के बंद दरवाजों के पीछे छुपी कहानियाँ सच थीं? नेहा के मन में कई सवाल थे, और इन सवालों का जवाब पाने के लिए वह हर उस बंद दरवाजे को खोलने के लिए उत्सुक थी जो अब तक इस महल की दीवारों में कैद था।

महल का प्रवेश द्वार, जिसे दशकों से कोई नहीं खोले था, अब धीरे-धीरे खुल चुका था, और नेहा के सामने वह विशाल इमारत खड़ी थी, जो अपने अतीत की कहानियाँ कहने के लिए तैयार थी। महल, जो कभी अपनी भव्यता और समृद्धि के लिए प्रसिद्ध था, अब एक शहरी खंडहर में बदल चुका था, लेकिन उसके अंदर की हवा में अभी भी एक रहस्यमयी आकर्षण था। दीवारों पर जमी धूल, टूटे-फूटे फर्श, और गहरी खामोशी यह साबित कर रहे थे कि समय ने इस जगह को अपने गहरे प्रभाव में लिया था, लेकिन इसके भीतर छुपी आत्माएँ अभी भी जागरूक थीं।

महल का आर्किटेक्चर विशेष रूप से आकर्षक था। उसकी विशाल दीवारें, ऊँची छतें, और हर कोने में फैला हुआ दरिया-सा सन्नाटा उसे एक और ही दुनिया का हिस्सा बना रहे थे। भीतर कदम रखते ही एक अजीब सी गूंज, जैसे किसी ने बहुत समय पहले चुपके से कुछ कहा हो, नेहा के कानों में पड़ी। दीवारों पर लटकी प्राचीन तस्वीरें, जो अक्सर अदृश्य धुंध से ढकी हुई थीं, जैसे खामोश तरीके से अपनी कहानियाँ बयां कर रही थीं।

यह महल रॉयल्टी का प्रतीक था, जिसे ठाकुर प्रताप सिंह ने खुद अपने हाथों से बनवाया था। महल के हर कमरे, गलियारे और कक्षों में एक विलक्षण शैली थी। पूरे महल में एक ही जैसे प्राचीन पत्थर और लकड़ी के काम का उपयोग किया गया था, जो समय की कसौटी पर खरी नहीं उतरी थी, लेकिन फिर भी उसकी सुंदरता बरकरार थी। महल की आंतरिक सजावट बेहद भव्य थी, लेकिन अब उसे धीरे-धीरे टूटते हुए देखा जा सकता था।

महल के प्रवेश द्वार से बाएं तरफ एक बहुत बड़ा हॉल था, जहाँ विशाल झूमर टंगा था, जो अब ज्यादातर बत्तियाँ बुझा चुका था। झूमर के नीचे एक प्राचीन लाल कालीन बिछा हुआ था, जिसे समय के साथ हल्का गहरा धुंधला हो चुका था। वहीं से महल के भीतर की दिशा का पता चलता था – एक और रास्ता ऊँचाई की ओर जाता था, जो एक कंगनी की तरह महल की दूसरी मंजिल की ओर ले जाता था। यह मंजिल कभी परिवार के प्रमुख सदस्यों के लिए थी, लेकिन अब वह भी खाली और सुनसान दिखती थी।

महल का माहौल थोड़ा रहस्यमयी था, जैसे यहाँ हर समय कुछ न कुछ हो रहा हो, लेकिन वह दिखाई नहीं देता। हर कमरे में एक अजीब सी खामोशी थी, लेकिन साथ ही एक हल्की सी सर्द हवा भी चल रही थी, जो कभी-कभी कानों में कोई मंत्र जैसी आवाज़ों को महसूस करवा देती थी। दीवारों पर उकेरी गई प्राचीन मूर्तियाँ और चित्रकला के दृश्य जैसे किसी अतीत की गहरी दास्तान को बयां कर रहे थे। महल में हर जगह पर पुरानी किताबें और दस्तावेज बिखरे पड़े थे, जिन्हें वर्षों से कोई नहीं छुआ था। ये किताबें उन राजसी समयों की गवाह थीं, जब यह महल धूमधाम से भरा हुआ था और यहाँ पर हर दिन महल के परिवार की बैठकें होती थीं।

महल के एक कोने में एक पुराने मंदिर का गेट था, जिसमें भगवान शिव की मूर्ति स्थापित थी। यह मंदिर कभी ठाकुर प्रताप सिंह के परिवार की पूजा का केंद्र था, लेकिन अब उसमें भी वही मौन था जो महल के बाकी हिस्सों में था। पूजा की घंटियाँ कभी-कभी हवा के झोंके से बजतीं और एक रहस्यमयी शोर पैदा कर देतीं। यह शोर सुनकर ऐसा लगता था जैसे मंदिर के अंदर कोई उपस्थित हो, जो अतीत के किसी राज़ को जानता हो।

महल के भीतर की हवा में एक ताजगी भी थी, जो उस सर्द और गहरी खामोशी को तोड़ने की कोशिश कर रही थी। जैसे कोई नया बदलाव आने वाला हो। नेहा को महसूस हुआ कि वह जितनी बार इस महल में कदम रख रही थी, उतनी ही बार यह महल उसे खुद में समेटने की कोशिश कर रहा था। कुछ ऐसा था इस जगह में, जो उसे खींच रहा था, जैसे यह महल उसे खुद अपने इतिहास की गहरी कहानियाँ सुनाने का एक मौका दे रहा हो।

यह महल अब सिर्फ एक इमारत नहीं थी, बल्कि यह एक जीवित इतिहास बन चुका था, जो अपनी पिछली पीढ़ियों की जटिलताओं और दुखों को महसूस करवा रहा था। और अब, नेहा यहाँ थी, इस रहस्य को जानने के लिए, और इसके भीतर छुपे गहरे राज़ को सुलझाने के लिए।

जैसे ही नेहा महल के विशाल हॉल में दाखिल हुई, उसकी नजर सामने खड़े एक अनजान व्यक्ति पर पड़ी। वह व्यक्ति ऊँचा, गठीला और शांत स्वभाव का था, जिसकी आँखों में एक गहरी रहस्यमयी चमक थी। उसकी आँखें नेहा पर टिकी थीं, जैसे वह उसे पहले से ही जानता हो। उस शख्स का व्यक्तित्व किसी रहस्य से भरा हुआ था। उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी, लेकिन उसकी आँखों में एक ऐसी गहराई थी जो नेहा को बेचैन कर रही थी। यह शख्स था विवान।

विवान के बारे में नेहा ने पहले कभी नहीं सुना था। यह रहस्यमयी व्यक्ति अचानक महल में कहाँ से आया? नेहा के मन में सवाल उमड़ने लगे, लेकिन उसने खुद को संयमित रखा और विवान से परिचय करवाने का निश्चय किया।



जैसे ही उसने पास जाकर बातचीत शुरू की, विवान ने बड़े ही सहजता से कहा, "मुझे मालूम था कि तुम यहाँ आओगी, नेहा। तुम्हारे परिवार और मेरे परिवार की कहानियाँ एक-दूसरे से अलग नहीं हैं।"
यह सुनकर नेहा हैरान रह गई। विवान के शब्दों में एक अजीब सी गूंज थी, जैसे वह महल का कोई पहरेदार हो जो वर्षों से यहाँ किसी का इंतजार कर रहा हो। नेहा को महसूस हुआ कि विवान का यहाँ होना महज एक संयोग नहीं था; शायद उसके और इस महल के बीच कोई गहरा संबंध था।

विवान के परिवार की कहानी भी रहस्य और विवादों से भरी हुई थी। उसके दादा, हरेंद्र सिंह, इस महल के एकमात्र रखवाले थे और ठाकुर प्रताप सिंह के सबसे करीबी लोगों में से एक थे। हरेंद्र सिंह और प्रताप सिंह के बीच न केवल एक मालिक और नौकर का संबंध था, बल्कि एक गहरी मित्रता थी। लेकिन इस दोस्ती के पीछे एक अनकहा रहस्य भी छुपा था।
कहा जाता है कि ठाकुर प्रताप सिंह की पत्नी, रानी देविका, एक बहुत ही खूबसूरत और अद्भुत महिला थीं। लेकिन उनके और हरेंद्र सिंह के बीच एक गहरा लगाव भी था, जिसे समाज ने कभी नहीं समझा। लोगों के बीच यह चर्चा थी कि रानी देविका और हरेंद्र सिंह के बीच एक ऐसा बंधन था जो किसी के लिए समझना आसान नहीं था। लेकिन इसे कभी भी सार्वजनिक तौर पर स्वीकार नहीं किया गया। यह संबंध एक अनकही प्रेम कहानी की तरह था, जिसे कभी खुलकर नहीं जीया गया।

रानी देविका की मृत्यु के बाद यह महल और भी ज्यादा रहस्यमयी हो गया। ऐसा कहा जाता है कि उनकी आत्मा अब भी इस महल में भटकती है, और उनके प्रेम के अवशेष महल की दीवारों में कहीं गहरे समाए हुए हैं। हरेंद्र सिंह ने अपनी पूरी जिंदगी इस महल की देखभाल में बिता दी, मानो वह रानी देविका की यादों का पहरेदार हो।
विवान ने अपने दादा से ये कहानियाँ सुनी थीं, और इन्हीं कहानियों में उसकी परवरिश हुई थी। वह जानता था कि उसके परिवार पर लगे बदनामी के धब्बे का कारण रानी देविका और हरेंद्र सिंह का रिश्ता था। गाँव वाले उनके परिवार को शक की निगाहों से देखते थे और कहते थे कि विवान का परिवार इसी ‘पाप’ की सजा भुगत रहा है।

लेकिन, इन बातों के बावजूद, विवान के मन में नेहा के परिवार के प्रति गहरी नाराजगी थी। उसे लगता था कि उसके परिवार के दर्द और बदनामी का कारण ठाकुर परिवार ही था। फिर भी, इस नाराजगी के पीछे एक आकर्षण भी था, जो उसे नेहा की ओर खींचता था।

"तुमसे कुछ पूछना चाहता हूँ, नेहा," विवान ने धीरे से कहा, "क्या तुम्हें यह महल अजनबी लगता है?"

नेहा चौंकी, "क्या मतलब?"

"क्या तुम महसूस कर रही हो, जैसे इस महल में कोई तुम्हारे साथ है?" विवान ने एक ठंडी मुस्कान के साथ पूछा। "क्या तुम महसूस कर रही हो कि इस महल के क़दमों के नीचे कुछ दबा हुआ है, कुछ ऐसा जिसे हम दोनों को खोजने का मौका नहीं मिला?"

नेहा ने यह सब समझने की कोशिश की, लेकिन विवान के शब्दों में एक गहरी छुपी हुई चेतावनी थी। उसे महसूस हुआ कि वह कुछ ऐसा जानने के करीब आ रही थी, जो उसके और उसके परिवार के इतिहास से जुड़ा हुआ था।

और फिर, विवान ने एक कदम पीछे हटते हुए कहा, "लेकिन सब रहस्य कभी उजागर नहीं होते, नेहा। कुछ राज़ हमेशा दबी रहती हैं, क्योंकि उन्हें उजागर करने का खामियाजा बहुत बड़ा हो सकता है।"

यह सुनकर नेहा के मन में हलचल मच गई। क्या विवान जानता था कि इस महल के भीतर कुछ ऐसा छिपा है जो उसके परिवार के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है? क्या वह सच में इस रहस्य को जानने के लिए तैयार थी?

विवान ने महल की ओर इशारा किया, और नेहा की आँखों में सवालों की एक और लहर दौड़ गई। "क्या तुम तैयार हो, नेहा? क्या तुम वो सच जानने के लिए तैयार हो, जो तुम्हारी परंपराओं और परिवार के इतिहास के नीचे दबा हुआ है?"

महल की गहरी खामोशी ने अब एक अलग रूप ले लिया था, और नेहा को महसूस हुआ कि वह किसी रहस्यमयी सफर की शुरुआत में खड़ी थी, जहाँ हर कदम उसे अपने अतीत और परिवार की दबी हुई सच्चाई की ओर ले जाएगा।

Aaj ke lie bas itna hi. I would be waiting for feedback to proceed with the second chapter. I've planned this story for 100 updates, but let's see how you readers respond to my writing!
Bro you got me hooked with this very first update, matlab kahani ke liye utsukta paisa.kar diye ho ekdum hi, I am glad ke thriller genre me kafi sahi content aa raha hai, kafi sahi premise diya hai pehle update ke liye, purana mahal, rahasyamayi mahol, aur adhure Raaz
This is what I can call a splendid start + kafi badhiya writing hai aapki, jis hisab se mahal ko describe Kiya hai pura mahal aankho ke saamne mehsus hua hai laga mano hum wahi khade ho.
Characters ke bare me to abhi kya hi boli kyuki bolne ko hai hi nahi, let's see aage kya dekhne milta hai
All the best for this story men :applause: :applause:
 

Adirshi

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CHAPTER – 2 [A Little Backstory, Character Introduction & First Conversation]

"क्या तुम तैयार हो, नेहा? क्या तुम वो सच जानने के लिए तैयार हो, जो तुम्हारी परंपराओं और परिवार के इतिहास के नीचे दबा हुआ है?"

विवान के शब्दों की गूंज महल की गहराई में खो गई, लेकिन नेहा के मन में एक हलचल पैदा कर गई। वह सन्न रह गई थी, लेकिन उसके भीतर उठ रहे सवालों की लहरें अब और तीव्र हो गई थीं।

उसने कुछ पल शांत रहकर सोचा। यह महल, जिसका ज़िक्र उसने बचपन में अपनी दादी से कहानियों में सुना था, अब उसके सामने हकीकत बनकर खड़ा था। वह अपने अतीत और अपने परिवार के अनसुलझे पहलुओं के बारे में सोचने लगी।




नेहा दिल्ली के एक सम्पन्न और शिक्षित परिवार से आती है। वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान है, और उसके जीवन का हर कदम उनके देखरेख में गुज़रा। नेहा 24 साल की एक आत्मनिर्भर और जिज्ञासु युवती है। उसकी हल्की गेहूँआ रंगत में प्राकृतिक चमक है, जो उसकी सहज सुंदरता को निखारती है। बड़ी-बड़ी आँखें, जिनमें गहराई और रहस्य का अनकहा भाव छुपा है, नेहा के व्यक्तित्व का केंद्र हैं। उसके लंबे, रेशमी काले बाल, जो अक्सर उसकी पीठ पर बिखरे रहते हैं, उसकी खूबसूरती में चार चाँद लगाते हैं। उसकी आवाज़ में एक सादगी है, लेकिन साथ ही एक दृढ़ता भी, जो उसके मजबूत स्वभाव का परिचय देती है।

नेहा की चाल में एक गरिमापूर्ण लय है। उसकी मुस्कान में एक अनकही मासूमियत झलकती है, लेकिन उसकी आँखों में वो चमक है जो उसके भीतर छिपी जिज्ञासा को दर्शाती है। नेहा का व्यक्तित्व उसकी ताकत और संवेदनशीलता का मिश्रण है, जो उसे खास बनाता है।

नेहा का जीवन एक आरामदायक अपार्टमेंट में बीता है, जो शहर के सबसे पॉश इलाकों में से एक में स्थित है। उसका कमरा किताबों, पौधों, और रंगीन पेंटिंग्स से भरा हुआ है, जो उसकी संवेदनशीलता और कलात्मक स्वभाव को दर्शाता है।

नेहा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नातक किया है और अपनी पढ़ाई के दौरान उसे अपने परिवार के अतीत के बारे में और जानने की तीव्र इच्छा हुई। हालांकि वह एक आधुनिक जीवन जी रही थी, लेकिन उसकी दादी की कहानियाँ और महल से जुड़ी परंपराएँ उसके दिल में बसी हुई थीं।

उसका रोजमर्रा का जीवन व्यस्त और सामाजिक था। वह दोस्तों के साथ समय बिताना पसंद करती थी, लेकिन उसके दिल में एक खालीपन था, मानो वह किसी अनजाने सवाल का जवाब ढूंढ रही हो। जब उसे महल का पत्र मिला, तो वह इस खालीपन को भरने के लिए तैयार हो गई।




नेहा के पिता: विवेक सिंह

नेहा के पिता, विवेक सिंह, एक जाने-माने इतिहासकार हैं। विवेक गंभीर और अनुशासनप्रिय व्यक्ति हैं, जो परिवार के मूल्यों और परंपराओं का बहुत आदर करते हैं। उनके व्यक्तित्व में एक सख्त अनुशासन और गहरी समझदारी का मिश्रण है। उन्होंने नेहा को बचपन से ही अपने वंश और इतिहास का सम्मान करना सिखाया।

विवेक अपने परिवार के वंशजों और उनके योगदान के बारे में गहराई से जानते हैं, लेकिन उन्होंने नेहा को कभी इस महल के बारे में विस्तार से नहीं बताया। उनके भीतर यह स्पष्ट था कि इस महल और परिवार के अतीत में कुछ ऐसा है, जिसे वह अपनी बेटी से छुपाए रखना चाहते थे।

नेहा ने अपने पिता को हमेशा एक सख्त लेकिन न्यायप्रिय इंसान के रूप में देखा है। वह उन्हें एक आदर्श के रूप में देखती है, लेकिन उनके व्यक्तित्व की यह गहराई उसे हमेशा सवाल करने पर मजबूर करती रही है।




नेहा की माँ: सुहानी सिंह

नेहा की माँ, सुहानी सिंह, एक सरल और कलात्मक महिला हैं। वे साहित्य और चित्रकला की गहरी प्रेमी हैं। उन्होंने नेहा को कहानी सुनाने और अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए हमेशा प्रेरित किया।

सुहानी ने अपने बचपन में नेहा को कहानियाँ सुनाने की आदत डाली। उन्होंने हमेशा उसे यह सिखाया कि हर कहानी के पीछे एक सच्चाई होती है, और हर सच्चाई में एक दर्द छुपा होता है। सुहानी के इस दृष्टिकोण ने नेहा को अतीत के प्रति जिज्ञासु बना दिया।




नेहा की दादी: सरस्वती देवी

नेहा की दादी, सरस्वती देवी, परिवार की कहानी और इस महल की रहस्यमयी कहानियों का मुख्य स्रोत थीं। उनके शब्दों में इतनी शक्ति थी कि नेहा के बाल्यकाल के सपनों में भी यह महल और उसके रहस्य झलकते थे।

सरस्वती देवी ने नेहा को ठाकुर प्रताप सिंह की बहादुरी, उनकी पत्नी रानी देविका की सुंदरता और उनकी अधूरी प्रेम कहानी के बारे में बताया था। उन कहानियों का असर इतना गहरा था कि नेहा का दिल हमेशा उन कहानियों के असली पहलुओं को जानने के लिए बेचैन रहता था।




दादा: दर्शन सिंह (Thakur Pratap Singh के बेटे)

दर्शन सिंह, नेहा के दादा, ठाकुर प्रताप सिंह के इकलौते पुत्र थे। उनका जन्म उस समय हुआ जब महल अपनी पूरी शान और रुतबे के चरम पर था। वह बचपन से ही अपने पिता की शक्ति और करिश्माई व्यक्तित्व का अनुसरण करते रहे।

दर्शन सिंह का बचपन महल के लंबे गलियारों, झूमरों की रोशनी, और परिवार की प्रतिष्ठा के बीच गुज़रा। उन्होंने अपने पिता को हमेशा एक साहसी और दृढ़ शासक के रूप में देखा, लेकिन उनकी आँखों में छिपी उदासी को भी महसूस किया। यह उदासी ठाकुर प्रताप सिंह की अधूरी प्रेम कहानी और रानी देविका के अचानक निधन से जुड़ी थी।




नेहा के परदादा, ठाकुर प्रताप सिंह, के समय तक महल शान और शक्ति का प्रतीक था। लेकिन उनके निधन के बाद, परिवार की राजनीतिक और आर्थिक स्थिति धीरे-धीरे कमजोर होने लगी। गाँव के लोग महल के रहस्यों और रानी देविका की आत्मा को लेकर तरह-तरह की बातें करने लगे।

1960 के दशक के अंत तक, परिवार को यह समझ में आ गया कि महल का रखरखाव उनके बस से बाहर है। गाँव में उनकी प्रतिष्ठा पहले ही धूमिल हो चुकी थी, और महल अब एक बोझ बन चुका था।

दर्शन सिंह ने एक रात सरस्वती देवी से कहा,

"यह महल हमारे अतीत का गौरव है, लेकिन इसे संभालना अब हमारे लिए संभव नहीं है। हमें इसे छोड़ना होगा।"

सरस्वती देवी की आँखों में आँसू थे। उन्होंने कहा,

"यह महल सिर्फ ईंट और पत्थर नहीं है। यह हमारे पूर्वजों की आत्मा है। अगर हमें इसे छोड़ना है, तो इसकी कहानियाँ ज़िंदा रखनी होंगी।"

उस रात, दर्शन सिंह और सरस्वती देवी ने अपने बच्चों, जिनमें नेहा के पिता विवेक सिंह शामिल थे, के साथ दिल्ली जाने का फैसला किया।

दर्शन सिंह और सरस्वती देवी ने दिल्ली में एक छोटा लेकिन सम्मानजनक जीवन शुरू किया। दर्शन सिंह ने एक छोटा व्यापार शुरू किया और परिवार की आर्थिक स्थिति को संभाला।




नेहा के बचपन में सरस्वती देवी ने उसे महल और ठाकुर परिवार की कहानियाँ सुनाईं। वह अक्सर कहती थीं,
"नेहा, यह महल तुम्हारे खून में है। तुम्हें एक दिन वहाँ जाना होगा और इसे समझना होगा।"

नेहा ने इन कहानियों को बचपन में एक जिज्ञासा के रूप में लिया। लेकिन जब उसे महल विरासत में मिला, तो उसने महसूस किया कि यह सिर्फ कहानियाँ नहीं थीं—यह उसके परिवार का एक अधूरा सच था।

नेहा का परिवार दिल्ली के एक बड़े अपार्टमेंट में रहता था। वहाँ के कमरे आधुनिक सुविधाओं से भरे हुए थे, लेकिन उसके भीतर हमेशा एक खालीपन था। नेहा का बचपन किताबों और अपने दादा-दादी की कहानियों के बीच बीता। जब उसकी दादी उसे महल और ठा कुर परिवार की गाथाएँ सुनाती थीं, तो नेहा के मन में अजीब सी जिज्ञासा पैदा होती थी।उसे हमेशा से इस बात में रुचि थी कि उसका परिवार इतना समृद्ध होने के बावजूद इस महल से क्यों कट चुका है। उसे कभी-कभी लगता था कि उसके पिता की सख्ती और उनकी उदासी का कारण यही अतीत था लेकिन इन कहानियों को उसने कभी गंभीरता से नहीं लिया। उसकी आधुनिक, व्यस्त ज़िंदगी ने उसे इन सब चीज़ों से दूर कर दिया था।




विवान राठौड़ एवं उसका परिवार

विवान 27 साल का एक गहन और रहस्यमयी युवक है। वह लंबा, गठीला और आकर्षक व्यक्तित्व वाला है। उसकी गहरी भूरी आँखों में एक अनकहा दर्द छिपा हुआ है, जो उसकी जिंदगी के संघर्षों की कहानी कहता है। उसके बाल घुँघराले और हल्के बिखरे हुए हैं, जो उसकी खुरदरी मर्दानगी को और बढ़ाते हैं। उसका चौड़ा सीना और मजबूत कंधे बताते हैं कि उसने अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना किया है। उसकी आवाज़ गहरी और प्रभावशाली है, जिसमें एक खामोश ताकत महसूस होती है। विवान का व्यक्तित्व उसकी आँखों में बसता है — वे आँखें, जो किसी को भी सवालों में उलझा दें।

विवान का परिवार ठाकुर परिवार के महल का रक्षक रहा है। उसके दादा, हरेंद्र सिंह, ठाकुर प्रताप सिंह के सबसे वफादार मित्र और संरक्षक थे। महल के निर्माण से लेकर इसके हर पहलू की देखरेख में हरेंद्र सिंह की भूमिका महत्वपूर्ण थी। हरेंद्र सिंह ने अपने जीवन को महल और उसके रहस्यों की रक्षा के लिए समर्पित कर दिया। उनके बारे में गाँव में कई किस्से मशहूर हैं, जिनमें से सबसे चर्चित उनका रानी देविका के प्रति गहरा लगाव है।

विवान के पिता, आकाश राठौड़, एक शांत और सरल व्यक्ति हैं। उन्होंने हमेशा अपने परिवार की सेवा की परंपरा को निभाया है। हालाँकि, वह महल के अतीत के रहस्यों और बदनामी से दूरी बनाकर रखते हैं। उनकी माँ, पद्मा राठौड़, एक करुणामयी महिला थीं, जिन्होंने विवान को सिखाया कि इतिहास के बोझ को हमेशा ढोना जरूरी नहीं है, लेकिन परिवार की जिम्मेदारियों से भागना भी नहीं चाहिए।

विवान के पिता, आकाश राठौड़, ने इस जिम्मेदारी को संभालने की कोशिश की, लेकिन गाँव वालों के शक और आलोचना ने उन्हें हमेशा परेशान रखा। विवान ने अपने पिता और दादा से इस महल की कहानियाँ सुनी थीं, लेकिन उसके दिल में एक सवाल हमेशा से था—क्या वह इन कहानियों का हिस्सा है, या सिर्फ एक मूक दर्शक? विवान का बचपन महल के पास एक छोटे से गाँव में बीता, जहाँ लोग उसके परिवार को शक की निगाहों से देखते थे।

दादा की कहानियों और उनके संघर्ष ने विवान को एक जिम्मेदार और साहसी व्यक्ति बनाया, लेकिन उनके जीवन के अंधेरे पक्ष ने विवान के मन में नेहा के परिवार के प्रति नाराजगी भी भर दी।

कहा जाता है कि ठाकुर प्रताप सिंह ने हरेंद्र सिंह से वादा लिया था कि चाहे जो भी हो, उनका परिवार इस महल की देखभाल करेगा और इसे कभी अकेला नहीं छोड़ेगा। विवान, जो इस परंपरा का अगला वारिस है, महल को न केवल अपनी पारिवारिक जिम्मेदारी मानता है, बल्कि अपनी दादी और पिता की इच्छाओं को पूरा करने का कर्तव्य भी।

हवेली धूल और मिट्टी में ढकी हुई है और बाहरी तौर पर खंडहर जैसी लगती है, जो एकदम वीरान और पुराने समय की याद दिलाती है। लेकिन यहाँ एक दिलचस्प पहलू यह है कि यह केवल बाहर से ही धूल और मिट्टी से भरी हुई लगती है—भीतर का हिस्सा ऐसा नहीं है।

विवान का परिवार सालों से इस हवेली का रक्षक रहा है, और उन्होंने हवेली के अंदर कुछ खास हिस्सों को अच्छी स्थिति में बनाए रखा है। इस रक्षक परिवार की वफादारी के कारण, हवेली के भीतर कुछ रहस्यमयी हिस्से आज भी सुरक्षात्मक जादू और पवित्रता से संरक्षित हैं। अंदरूनी कमरे, जहां विवान रहता है, इन बाहरी परिस्थितियों से अप्रभावित हैं—जैसे हवेली का दिल अभी भी जीवित हो, जबकि बाहरी हिस्सा समय की मार झेल रहा हो।

विवान का रहना यहाँ केवल उसके लिए नहीं, बल्कि उस परंपरा को बनाए रखने का प्रतीक भी है जो उसके पूर्वजों ने सदियों से निभाई है।

अब आगे…..

विवान ने नेहा को अपना परिचय दिया.


जैसे ही नेहा ने विवान की आँखों में झाँका, उसे वहाँ केवल गुस्सा और नाराजगी नहीं दिखी। उसे ऐसा लगा कि इन आँखों में कोई छुपी हुई पीड़ा है—एक ऐसा दर्द, जो सालों से किसी अंधेरे कोने में छुपा हुआ है।

"तुम यहाँ क्यों हो, विवान?" नेहा ने धीमी लेकिन दृढ़ आवाज़ में पूछा।

विवान एक पल के लिए चुप रहा, मानो यह सवाल उसने अपने आप से कभी नहीं पूछा हो।

"मैंने यहाँ रहना चुना नहीं," उसने कहा, उसकी आवाज़ में एक ठंडी गंभीरता थी। "यह महल... यह मेरे परिवार का हिस्सा है, जैसे तुम्हारा। लेकिन मेरे लिए यह सिर्फ एक कर्तव्य नहीं है।"

नेहा ने सवालिया निगाहों से उसकी ओर देखा, और वह थोड़ी हिचकिचाहट के बाद आगे बढ़ा।

"यह महल... इसमें सिर्फ तुम्हारे परिवार के राज़ नहीं छुपे हैं, नेहा। इसमें मेरे परिवार का एक हिस्सा भी दबा हुआ है। और जब तक मैं यह पता नहीं लगा लेता कि वो सच क्या है, मैं इसे छोड़ नहीं सकता।"

"कैसा सच?" नेहा ने पूछा।

विवान ने एक ठंडी साँस ली, मानो यह सवाल उसकी चेतना के सबसे गहरे हिस्से को छू गया हो।

"मेरे दादा, हरेंद्र सिंह, इस महल के रक्षक थे। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी इसे बचाने में बिताई। लेकिन कुछ ऐसा हुआ था... कुछ ऐसा, जो उन्होंने कभी किसी को नहीं बताया।"

उसने धीरे-धीरे महल की दीवार की ओर देखा, जैसे वह उनसे कुछ जवाब मांग रहा हो।

"मेरे पिता ने मुझे सिर्फ इतना बताया कि दादा अपनी मृत्यु से पहले बहुत बदल गए थे। वह शांत और संयमित इंसान थे, लेकिन उनके आखिरी दिनों में उनके चेहरे पर हमेशा एक अजीब-सा डर दिखता था। वो कुछ ढूँढ़ रहे थे... लेकिन क्या, यह किसी को नहीं पता।"

नेहा की दिलचस्पी बढ़ गई।

"तो तुम यहाँ इसलिए हो, क्योंकि तुम यह पता लगाना चाहते हो कि तुम्हारे दादा क्या ढूँढ़ रहे थे?"

विवान ने धीरे से सिर हिलाया।

"सिर्फ इतना ही नहीं। मैं यह जानना चाहता हूँ कि रानी देविका और मेरे दादा के बीच क्या था। क्या सच में उनके बीच कुछ था, जैसा गाँव वाले कहते हैं? या यह सिर्फ झूठी बातें हैं? और अगर कुछ था, तो वो क्यों... क्यों उन्होंने यह महल और मेरे परिवार को इस हालत में छोड़ दिया?"

वह रुक गया, और फिर एक पल बाद धीरे-से जोड़ा,

"लेकिन यह सिर्फ उनके बारे में नहीं है। यह महल... यह खुद एक जिंदा चीज़ की तरह है। कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है कि यह मुझसे कुछ कहना चाहता है। यह मुझे खींचता है, मुझे रोकता है, और मुझे डराता भी है।"

नेहा ने देखा कि उसकी आवाज़ में एक कंपकंपी थी।

"तुम्हें इससे डर लगता है?"

विवान ने एक कड़वी मुस्कान के साथ कहा,

"डर? हाँ, शायद। लेकिन यह डर सिर्फ मुझे यहाँ से जाने से रोकता है।"

उसने धीरे-से दीवार पर हाथ रखा, जैसे वह महल की ठंडी सतह से कुछ महसूस करने की कोशिश कर रहा हो।

"तुम सोचती हो कि यह महल सिर्फ एक खंडहर है, लेकिन नहीं। यह जिंदा है। और जब तक मैं इसके अंदर छुपे अपने सवालों का जवाब नहीं पा लेता, मैं इसे छोड़ नहीं सकता।"

नेहा को महसूस हुआ कि यह महल सिर्फ उसके परिवार की कहानी का हिस्सा नहीं है। यह विवान के अतीत और उसके परिवार की अनसुलझी पहेलियों का भी गवाह है।

"तो हम दोनों यहाँ कुछ ढूँढ़ने आए हैं," उसने कहा।

विवान ने उसकी ओर देखा, और पहली बार, उसकी आँखों में हल्की-सी मुस्कान दिखाई दी।

"शायद," उसने कहा। "लेकिन यह देखना होगा कि यह महल हमें सच बताने के लिए तैयार है या नहीं।"

To be continued......


I hope this update clears all the questions relating to the characters, and their back-stories and provides a god base for the story to continue.
A detailed character introduction and the start of the journey towards finding the truth hidden within past which the palace is witness of..
Great build up men, is Raaz ke bare me badhne me maja ayega
 

Adirshi

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अध्याय 3: परछाइयों के बीच

महल की दीवारों पर धूल की मोटी परत जमी हुई थी, लेकिन उनमें छिपा हर निशान अपनी कहानी कहने को आतुर था। नेहा के दिल में हलचल थी, और विवान की गहरी आवाज़ उसके भीतर एक अजीब-सी गूँज पैदा कर रही थी। वह दोनों महल के लंबे गलियारे में चल रहे थे, जहाँ हर कोना जैसे उनकी मौजूदगी को महसूस कर रहा था।

विवान के शब्द "यह महल जिंदा है" अब भी नेहा के मन में गूंज रहे थे। वह महल के हर कोने को देख रही थी, और हर दीवार जैसे उसे अपने रहस्यों में झाँकने का निमंत्रण दे रही थी। वह इस जगह की अजीब-सी खामोशी और इसके अंधेरे से डर तो रही थी, लेकिन कहीं न कहीं एक अनजानी कशिश उसे हर कदम पर और गहराई में खींच रही थी।

"तुम्हें लगता है, यह महल जिंदा है?" नेहा ने फुसफुसाकर पूछा।

विवान ने बिना उसकी ओर देखे कहा, "हां। और यह महल हमसे कुछ चाहता है।"

नेहा ने उसकी बात को पूरी तरह समझने की कोशिश की, लेकिन वह अभी भी इन दीवारों के बीच बह रही अदृश्य ऊर्जा को लेकर उलझन में थी।

महल का गलियारा लंबा और गहरा था, जैसे किसी अनंत अंधेरे में खो जाता हो। हर कदम पर नेहा को ऐसा महसूस हो रहा था कि दीवारें उसकी मौजूदगी को महसूस कर रही हैं। वह धीमे कदमों से चल रही थी, और उसके हर कदम की गूँज महल के सन्नाटे को तोड़ रही थी।

दीवारों पर लगी पुरानी तस्वीरें धूल और समय की मार से मुरझाई हुई लग रही थीं, लेकिन उनके भीतर कुछ ऐसा था जो उनकी कहानियों को अब भी जीवंत रखे हुए था। नेहा ने उनमें से एक तस्वीर को नज़दीक से देखने के लिए कदम बढ़ाया। वह एक युवक और महिला की तस्वीर थी। महिला का चेहरा आधा छाया में था, और उसकी आँखें जैसे किसी गहरी पीड़ा में डूबी हुई थीं।

"यह ठाकुर प्रताप सिंह और उनकी पत्नी रानी देविका हैं," विवान ने कहा, जो अब तक खामोशी से उसका पीछा कर रहा था।

"लेकिन उनकी आँखों में यह दर्द कैसा है?" नेहा ने धीमी आवाज़ में पूछा, मानो तस्वीर को तोड़ने से डर रही हो।

"कहते हैं, उनकी कहानी अधूरी थी," विवान ने जवाब दिया। "और अधूरी कहानियाँ कभी चैन से नहीं रहतीं। यह महल उनका गवाह है।"

नेहा तस्वीर को छूने के लिए आगे बढ़ी, लेकिन उसकी उंगलियाँ रुक गईं। उसे ऐसा लगा जैसे तस्वीर की आँखें उसे रोक रही हों।

"क्या तुमने कभी सोचा है, नेहा, कि क्यों यह महल इतने सालों तक खड़ा रहा है? क्यों यह हमें अपनी ओर खींचता है?" विवान की आवाज़ नेहा को वर्तमान में वापस ले आई।

"शायद क्योंकि यह हमें हमारी कहानी बताना चाहता है," नेहा ने जवाब दिया।



जैसे ही वे आगे बढ़े, नेहा ने महसूस किया कि हवा भारी होती जा रही थी। दीवारों पर बने डिजाइन और उकेरी गई मूर्तियाँ जैसे उन्हें देख रही थीं। अचानक उसकी नज़र एक पुरानी अलमारी पर पड़ी, जो गलियारे के एक कोने में धूल और जालों से ढकी हुई थी।

"यह अलमारी इतनी अलग क्यों लग रही है?" नेहा ने पूछा।

विवान ने उसकी तरफ देखा। "यह ठाकुर प्रताप सिंह की किताबों की अलमारी थी। कहते हैं, इसमें वह किताबें हैं जिन्हें उन्होंने कभी किसी को दिखाने नहीं दिया।"

"क्यों?"

"क्योंकि उनमें वह बातें थीं जो परिवार के रहस्यों को उजागर कर सकती थीं।"


नेहा ने अलमारी के दरवाजे पर हाथ रखा। वह जरा भी नहीं हिली। "यह तो बंद है। इसे कैसे खोलते हैं?"

"कहते हैं, इसे तभी खोला जा सकता है जब महल खुद चाहे।"


नेहा ने थोड़ा पीछे हटकर अलमारी को देखा। उसकी बनावट, उस पर बनी जटिल नक़्क़ाशी और लकड़ी की ठंडी सतह—सबकुछ जैसे एक रहस्य को छुपाने की कोशिश कर रहे थे।

गलियारे के दूसरी ओर एक बड़ा झरोखा था, जहाँ से हल्की-हल्की चाँदनी भीतर आ रही थी। नेहा ने झरोखे के पास जाकर बाहर झाँका। वहाँ एक पुराना बागीचा था, जो अब जंगली झाड़ियों और खरपतवार से भरा हुआ था। लेकिन उन झाड़ियों के बीच में उसे एक पत्थर की मूर्ति दिखाई दी।

"यह मूर्ति किसकी है?" नेहा ने पूछा।

"यह रानी देविका की है। ठाकुर प्रताप सिंह ने इसे उनके लिए बनवाया था।"

"लेकिन यह इतनी छुपी हुई क्यों है?"

"क्योंकि इसे बनाते वक्त कुछ ऐसा हुआ था, जो किसी को समझ नहीं आया। कहते हैं, मूर्ति बनते ही रानी देविका का स्वास्थ्य गिरने लगा था।"


नेहा ने मूर्ति को ध्यान से देखा। उसकी शक्ल रानी देविका की तस्वीर से मिलती-जुलती थी। लेकिन मूर्ति का चेहरा अधूरा था, मानो इसे बनाने वाला इसे पूरा करने से डर गया हो।

"यह सब अजीब है। यह महल, यह मूर्तियाँ, यह गलियारा... सबकुछ।"

चलते-चलते दोनों एक बड़े लकड़ी के दरवाजे के पास पहुँचे। यह दरवाजा बाकी सब जगहों से अलग था। उस पर मोटी धातु की पट्टी लगी हुई थी, जिस पर कोई अनजानी भाषा में लिखा हुआ था।

"यह दरवाजा कहाँ जाता है?" नेहा ने पूछा।

"यह महल के सबसे पुराने हिस्से की ओर ले जाता है।"

"क्या अंदर जाना सुरक्षित है?"

"सुरक्षित? शायद नहीं। लेकिन जो जवाब तुम ढूँढ़ रही हो, वे इसी के पीछे छुपे हैं।"


नेहा ने दरवाजे को छूते हुए महसूस किया कि यह ठंडा था, लेकिन उसमें एक अजीब-सी ऊर्जा थी। "यह दरवाजा कुछ कहना चाहता है।"

"यह दरवाजा सिर्फ उन्हें ही अंदर जाने देता है जो सच्चाई को स्वीकार करने के लिए तैयार होते हैं।"


नेहा के हाथ काँप रहे थे। वह जानती थी कि इस दरवाजे के पीछे उसकी जिज्ञासा का अंत हो सकता है, लेकिन यह डर भी था कि शायद उसे कुछ ऐसा पता चले जो वह जानना नहीं चाहती।

"तुम तैयार हो?" विवान ने पूछा।

नेहा ने गहरी साँस ली और दरवाजे को धक्का दिया। दरवाजा कर्कश आवाज़ के साथ खुला, और उसके पीछे अंधेरा था।



जैसे ही वे अंदर गए, ठंडी हवा का झोंका उनके चेहरे से टकराया। गलियारे की तुलना में यह जगह और भी सर्द और डरावनी थी। लालटेन की रोशनी में नेहा ने देखा कि दीवारों पर पुराने समय की आकृतियाँ उकेरी हुई थीं।

"यह जगह इतनी अलग क्यों लग रही है?" नेहा ने पूछा।

"क्योंकि यह महल का सबसे गुप्त हिस्सा है। यहाँ ठाकुर प्रताप सिंह ने वह सबकुछ छुपाया था, जिसे वह दुनिया की नजरों से दूर रखना चाहते थे।"

नेहा ने दीवारों पर हाथ फेरा। वह ठंडी थीं, लेकिन उनमें एक अनजानी गर्मी भी थी। "यह दीवारें हमें देख रही हैं।"

"यह महल जिंदा है, नेहा। और यह हमसे बात कर रहा है,"
विवान ने गंभीरता से कहा।

नेहा ने उसकी ओर देखा। उसकी आँखों में डर और जिज्ञासा का अजीब मिश्रण था।

"क्या तुमने कभी सोचा है कि अगर यह महल हमसे बात कर रहा है, तो यह हमें क्या बताना चाहता है?" नेहा ने पूछा।

"शायद यह हमें हमारी सच्चाई दिखाना चाहता है।"



नेहा और विवान ने उस अंधेरे गलियारे में कदम बढ़ाए, जहाँ हर दीवार, हर कोना जैसे उनकी हरकतों पर नजर रख रहा था। यह महल सिर्फ एक इमारत नहीं था; यह एक जीवित गवाह था, जो अपने भीतर छुपे हर राज़ को बताने के लिए तैयार था।

चलते-चलते वे एक छोटे कमरे में पहुँचे। वहाँ एक पुरानी मेज़ और टूटी-फूटी कुर्सियाँ पड़ी थीं।

"यहाँ बैठ जाओ," विवान ने कहा।

नेहा ने उसकी बात मानी और कुर्सी पर बैठ गई। कमरे की खामोशी में दोनों के दिल की धड़कनें सुनाई दे रही थीं।

"तुम्हारे हाथ ठंडे हो गए हैं," विवान ने कहा और नेहा के हाथों को अपने हाथों में ले लिया।

"तुम डर रही हो?" उसने पूछा।

नेहा ने सिर हिलाया। "नहीं। लेकिन यह जगह मुझे विचलित कर रही है।"

"यह महल ऐसा ही है। यह हमें अपनी कहानी में उलझा देता है।"


विवान ने उसके चेहरे पर जमी धूल को धीरे-से हटाया। नेहा ने उसकी उँगलियों की गर्मी को महसूस किया।

"तुम्हें लगता है, यह महल हमें कुछ बताने की कोशिश कर रहा है?" नेहा ने पूछा।

"शायद। या फिर यह हमें साथ लाने की कोशिश कर रहा है।"

उनके बीच का यह पल अचानक एक अजीब-सी गर्माहट में बदल गया। उनकी आँखें एक-दूसरे में उलझी हुई थीं। नेहा ने खुद को विवान के करीब महसूस किया।

"डरने की जरूरत नहीं है," विवान ने धीरे-से कहा।

उसने नेहा के गालों को अपने हाथों में थाम लिया। उसके चेहरे की हल्की लाली और साँसों की गर्मी नेहा को एक अजीब-से नशे में डाल रही थी।

"यह महल हमें समझने का मौका दे रहा है। हमें इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए," विवान ने कहा।

कमरे की खामोशी और अंधेरे में दोनों ने महसूस किया कि यह महल न केवल उनके अतीत का हिस्सा था, बल्कि उनके वर्तमान और भविष्य का भी।

"तुम्हें क्या लगता है, हम यहाँ से क्या लेकर जाएंगे?" नेहा ने पूछा।

"सच। और शायद खुद को भी," विवान ने जवाब दिया।

महल की दीवारों के बीच, नेहा और विवान ने महसूस किया कि यह यात्रा केवल उनके परिवार के रहस्यों को उजागर करने की नहीं थी। यह उनकी अपनी कहानियों और उनके बीच के संबंधों को भी परिभाषित करने वाली थी।

महल की हवा में अब भी वही अजीब-सी सरसराहट थी। लेकिन अब यह डराने के बजाय एक नई उम्मीद जगा रही थी। नेहा और विवान ने कमरे से बाहर कदम रखा, और उनके दिलों में एक नई ताकत थी।

"तो, नेहा," विवान ने चलते हुए कहा, "क्या तुम सच्चाई का सामना करने के लिए तैयार हो?"

"हाँ,"
नेहा ने कहा। "लेकिन शायद सच्चाई हमें बदल देगी।"

विवान ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया, "शायद यही इसकी सबसे बड़ी खूबसूरती है।"

Aaj ke lie bas itna hi. I know ki ye update thoda chota hai, but week days me likhne ka time hi nahi mila and I was buy with some personal emergency. Do LIke and Let me know your feedback. Be Happy, healthy and Horny! :hukka:


ये अपडेट रीडर को कहानी की गहराई और रहस्यमयता में और अधिक उलझाने में पूरी तरह सफल रहा है, महल की भयावहता और उसके जीवंत होने का विचार कहानी में एक अनोखा तत्व जोड़ता है, नेहा और विवान के संवाद उनकी जिज्ञासा और डर को बखूबी उजागर करते हैं, जिससे पढ़ने वाला उनके साथ-साथ उस महल की सर्द और डरावनी दीवारों के बीच खुद को महसूस करने लगता है

महल के गलियारों, तस्वीरों और अलमारी का वर्णन इतना सजीव और विस्तृत है कि मैं पढ़ते हुए खुद को उस माहौल खोया हुआ महसूस कर रहा था नेहा और विवान के बीच का अनकहा आकर्षण कहानी को भावनात्मक गहराई देता है और रीडर को उनसे जुड़ने का मौका देता है, कहानी में अब तक रहस्य और डर का संतुलन बखूबी रखा गया है, जिससे पढ़ते हुए बोरियत नही होती

हालांकि इस उड़ते में कथानक थोड़ा धीमा लगा, ऐसा प्रतीत हुआ कि लेखक ने माहौल बनाने पर ज्यादा ध्यान दिया है, जबकि कहानी को आगे बढ़ाने पर उतना जोर नहीं दिया गया कुछ जगहों पर ऐसा महसूस होता है कि माहौल का वर्णन कथानक को ओवरशैडो कर रहा है

कुल मिलाकर, ये अपडेट कहानी के रहस्यमय पहलुओं को और गहराई देता है नेहा और विवान के रिश्ते का विकास और महल की रहस्यमयता कहानी में रोमांच बनाए है लेखक ने माहौल बनाने में बेहतरीन काम किया है, लेकिन अगले अपडेट से कहानी को थोड़ा और गतिशील बनाना बेहतर होगा


अगले अपडेट का बेसब्री से इंतजार रहेगा
 

sunoanuj

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Bahut hee jabardust story hai, Har update ke baad story or ulajhti jaa rahi hai ... Kabhi kabhi lagya hai vivan ko kuch pata hai ..
or mahal ke jeevit hone ka chitran bahut hee gajab hai !

keep psoting bro ...
 
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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Hello Everyone!

Main Danny hoon, aur aaj main apne new mystery thriller story ka thread shuru kar raha hoon. Is story ka naam hai "अधूरे रहस्य [A story of Neha & Vivaan]" , jo ek suspense aur romantic thriller hai. Aapko yeh kahani ek aise ladki, Neha ke baare mein milegi, jise ek din apne kisi anjaane rishtedaar se ek purana mahal virasat mein milta hai.

Jaise-jaise Neha mahal pahuchti hai, waisa-waisa use kuch ajeeb aur rahasyamayi cheezon ka samna hota hai. Ham dekhenge ki kaise Neha aur Vivaan milkar is mehal ke rahasya ko dhundenge.

Agar aapko mystery, romance aur suspense pasand hai, toh yeh kahani aapke liye hai. Main is thread mein chapters share karunga aur aap sabse feedback bhi chaahunga!

Kahani me sex scenes thode kam ho sakte hai, uske lie maaf kijiega. Mera maan na hai ki emotions dheere dheere hi grow hote hain aur mai apni story ko reality ke thoda kareeb rakhna chahta hu. Aasha karunga ki aapko mera ye tareeka pasand aaega.

Toh chaliye, yeh kahani ka pehla chapter shuru karte hain....
Congratulations 🎊 for new story man
 
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mistyvixen

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Sushil@10

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CHAPTER – 2 [A Little Backstory, Character Introduction & First Conversation]

"क्या तुम तैयार हो, नेहा? क्या तुम वो सच जानने के लिए तैयार हो, जो तुम्हारी परंपराओं और परिवार के इतिहास के नीचे दबा हुआ है?"

विवान के शब्दों की गूंज महल की गहराई में खो गई, लेकिन नेहा के मन में एक हलचल पैदा कर गई। वह सन्न रह गई थी, लेकिन उसके भीतर उठ रहे सवालों की लहरें अब और तीव्र हो गई थीं।

उसने कुछ पल शांत रहकर सोचा। यह महल, जिसका ज़िक्र उसने बचपन में अपनी दादी से कहानियों में सुना था, अब उसके सामने हकीकत बनकर खड़ा था। वह अपने अतीत और अपने परिवार के अनसुलझे पहलुओं के बारे में सोचने लगी।




नेहा दिल्ली के एक सम्पन्न और शिक्षित परिवार से आती है। वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान है, और उसके जीवन का हर कदम उनके देखरेख में गुज़रा। नेहा 24 साल की एक आत्मनिर्भर और जिज्ञासु युवती है। उसकी हल्की गेहूँआ रंगत में प्राकृतिक चमक है, जो उसकी सहज सुंदरता को निखारती है। बड़ी-बड़ी आँखें, जिनमें गहराई और रहस्य का अनकहा भाव छुपा है, नेहा के व्यक्तित्व का केंद्र हैं। उसके लंबे, रेशमी काले बाल, जो अक्सर उसकी पीठ पर बिखरे रहते हैं, उसकी खूबसूरती में चार चाँद लगाते हैं। उसकी आवाज़ में एक सादगी है, लेकिन साथ ही एक दृढ़ता भी, जो उसके मजबूत स्वभाव का परिचय देती है।

नेहा की चाल में एक गरिमापूर्ण लय है। उसकी मुस्कान में एक अनकही मासूमियत झलकती है, लेकिन उसकी आँखों में वो चमक है जो उसके भीतर छिपी जिज्ञासा को दर्शाती है। नेहा का व्यक्तित्व उसकी ताकत और संवेदनशीलता का मिश्रण है, जो उसे खास बनाता है।

नेहा का जीवन एक आरामदायक अपार्टमेंट में बीता है, जो शहर के सबसे पॉश इलाकों में से एक में स्थित है। उसका कमरा किताबों, पौधों, और रंगीन पेंटिंग्स से भरा हुआ है, जो उसकी संवेदनशीलता और कलात्मक स्वभाव को दर्शाता है।

नेहा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नातक किया है और अपनी पढ़ाई के दौरान उसे अपने परिवार के अतीत के बारे में और जानने की तीव्र इच्छा हुई। हालांकि वह एक आधुनिक जीवन जी रही थी, लेकिन उसकी दादी की कहानियाँ और महल से जुड़ी परंपराएँ उसके दिल में बसी हुई थीं।

उसका रोजमर्रा का जीवन व्यस्त और सामाजिक था। वह दोस्तों के साथ समय बिताना पसंद करती थी, लेकिन उसके दिल में एक खालीपन था, मानो वह किसी अनजाने सवाल का जवाब ढूंढ रही हो। जब उसे महल का पत्र मिला, तो वह इस खालीपन को भरने के लिए तैयार हो गई।




नेहा के पिता: विवेक सिंह

नेहा के पिता, विवेक सिंह, एक जाने-माने इतिहासकार हैं। विवेक गंभीर और अनुशासनप्रिय व्यक्ति हैं, जो परिवार के मूल्यों और परंपराओं का बहुत आदर करते हैं। उनके व्यक्तित्व में एक सख्त अनुशासन और गहरी समझदारी का मिश्रण है। उन्होंने नेहा को बचपन से ही अपने वंश और इतिहास का सम्मान करना सिखाया।

विवेक अपने परिवार के वंशजों और उनके योगदान के बारे में गहराई से जानते हैं, लेकिन उन्होंने नेहा को कभी इस महल के बारे में विस्तार से नहीं बताया। उनके भीतर यह स्पष्ट था कि इस महल और परिवार के अतीत में कुछ ऐसा है, जिसे वह अपनी बेटी से छुपाए रखना चाहते थे।

नेहा ने अपने पिता को हमेशा एक सख्त लेकिन न्यायप्रिय इंसान के रूप में देखा है। वह उन्हें एक आदर्श के रूप में देखती है, लेकिन उनके व्यक्तित्व की यह गहराई उसे हमेशा सवाल करने पर मजबूर करती रही है।




नेहा की माँ: सुहानी सिंह

नेहा की माँ, सुहानी सिंह, एक सरल और कलात्मक महिला हैं। वे साहित्य और चित्रकला की गहरी प्रेमी हैं। उन्होंने नेहा को कहानी सुनाने और अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए हमेशा प्रेरित किया।

सुहानी ने अपने बचपन में नेहा को कहानियाँ सुनाने की आदत डाली। उन्होंने हमेशा उसे यह सिखाया कि हर कहानी के पीछे एक सच्चाई होती है, और हर सच्चाई में एक दर्द छुपा होता है। सुहानी के इस दृष्टिकोण ने नेहा को अतीत के प्रति जिज्ञासु बना दिया।




नेहा की दादी: सरस्वती देवी

नेहा की दादी, सरस्वती देवी, परिवार की कहानी और इस महल की रहस्यमयी कहानियों का मुख्य स्रोत थीं। उनके शब्दों में इतनी शक्ति थी कि नेहा के बाल्यकाल के सपनों में भी यह महल और उसके रहस्य झलकते थे।

सरस्वती देवी ने नेहा को ठाकुर प्रताप सिंह की बहादुरी, उनकी पत्नी रानी देविका की सुंदरता और उनकी अधूरी प्रेम कहानी के बारे में बताया था। उन कहानियों का असर इतना गहरा था कि नेहा का दिल हमेशा उन कहानियों के असली पहलुओं को जानने के लिए बेचैन रहता था।




दादा: दर्शन सिंह (Thakur Pratap Singh के बेटे)

दर्शन सिंह, नेहा के दादा, ठाकुर प्रताप सिंह के इकलौते पुत्र थे। उनका जन्म उस समय हुआ जब महल अपनी पूरी शान और रुतबे के चरम पर था। वह बचपन से ही अपने पिता की शक्ति और करिश्माई व्यक्तित्व का अनुसरण करते रहे।

दर्शन सिंह का बचपन महल के लंबे गलियारों, झूमरों की रोशनी, और परिवार की प्रतिष्ठा के बीच गुज़रा। उन्होंने अपने पिता को हमेशा एक साहसी और दृढ़ शासक के रूप में देखा, लेकिन उनकी आँखों में छिपी उदासी को भी महसूस किया। यह उदासी ठाकुर प्रताप सिंह की अधूरी प्रेम कहानी और रानी देविका के अचानक निधन से जुड़ी थी।




नेहा के परदादा, ठाकुर प्रताप सिंह, के समय तक महल शान और शक्ति का प्रतीक था। लेकिन उनके निधन के बाद, परिवार की राजनीतिक और आर्थिक स्थिति धीरे-धीरे कमजोर होने लगी। गाँव के लोग महल के रहस्यों और रानी देविका की आत्मा को लेकर तरह-तरह की बातें करने लगे।

1960 के दशक के अंत तक, परिवार को यह समझ में आ गया कि महल का रखरखाव उनके बस से बाहर है। गाँव में उनकी प्रतिष्ठा पहले ही धूमिल हो चुकी थी, और महल अब एक बोझ बन चुका था।

दर्शन सिंह ने एक रात सरस्वती देवी से कहा,

"यह महल हमारे अतीत का गौरव है, लेकिन इसे संभालना अब हमारे लिए संभव नहीं है। हमें इसे छोड़ना होगा।"

सरस्वती देवी की आँखों में आँसू थे। उन्होंने कहा,

"यह महल सिर्फ ईंट और पत्थर नहीं है। यह हमारे पूर्वजों की आत्मा है। अगर हमें इसे छोड़ना है, तो इसकी कहानियाँ ज़िंदा रखनी होंगी।"

उस रात, दर्शन सिंह और सरस्वती देवी ने अपने बच्चों, जिनमें नेहा के पिता विवेक सिंह शामिल थे, के साथ दिल्ली जाने का फैसला किया।

दर्शन सिंह और सरस्वती देवी ने दिल्ली में एक छोटा लेकिन सम्मानजनक जीवन शुरू किया। दर्शन सिंह ने एक छोटा व्यापार शुरू किया और परिवार की आर्थिक स्थिति को संभाला।




नेहा के बचपन में सरस्वती देवी ने उसे महल और ठाकुर परिवार की कहानियाँ सुनाईं। वह अक्सर कहती थीं,
"नेहा, यह महल तुम्हारे खून में है। तुम्हें एक दिन वहाँ जाना होगा और इसे समझना होगा।"

नेहा ने इन कहानियों को बचपन में एक जिज्ञासा के रूप में लिया। लेकिन जब उसे महल विरासत में मिला, तो उसने महसूस किया कि यह सिर्फ कहानियाँ नहीं थीं—यह उसके परिवार का एक अधूरा सच था।

नेहा का परिवार दिल्ली के एक बड़े अपार्टमेंट में रहता था। वहाँ के कमरे आधुनिक सुविधाओं से भरे हुए थे, लेकिन उसके भीतर हमेशा एक खालीपन था। नेहा का बचपन किताबों और अपने दादा-दादी की कहानियों के बीच बीता। जब उसकी दादी उसे महल और ठा कुर परिवार की गाथाएँ सुनाती थीं, तो नेहा के मन में अजीब सी जिज्ञासा पैदा होती थी।उसे हमेशा से इस बात में रुचि थी कि उसका परिवार इतना समृद्ध होने के बावजूद इस महल से क्यों कट चुका है। उसे कभी-कभी लगता था कि उसके पिता की सख्ती और उनकी उदासी का कारण यही अतीत था लेकिन इन कहानियों को उसने कभी गंभीरता से नहीं लिया। उसकी आधुनिक, व्यस्त ज़िंदगी ने उसे इन सब चीज़ों से दूर कर दिया था।




विवान राठौड़ एवं उसका परिवार

विवान 27 साल का एक गहन और रहस्यमयी युवक है। वह लंबा, गठीला और आकर्षक व्यक्तित्व वाला है। उसकी गहरी भूरी आँखों में एक अनकहा दर्द छिपा हुआ है, जो उसकी जिंदगी के संघर्षों की कहानी कहता है। उसके बाल घुँघराले और हल्के बिखरे हुए हैं, जो उसकी खुरदरी मर्दानगी को और बढ़ाते हैं। उसका चौड़ा सीना और मजबूत कंधे बताते हैं कि उसने अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना किया है। उसकी आवाज़ गहरी और प्रभावशाली है, जिसमें एक खामोश ताकत महसूस होती है। विवान का व्यक्तित्व उसकी आँखों में बसता है — वे आँखें, जो किसी को भी सवालों में उलझा दें।

विवान का परिवार ठाकुर परिवार के महल का रक्षक रहा है। उसके दादा, हरेंद्र सिंह, ठाकुर प्रताप सिंह के सबसे वफादार मित्र और संरक्षक थे। महल के निर्माण से लेकर इसके हर पहलू की देखरेख में हरेंद्र सिंह की भूमिका महत्वपूर्ण थी। हरेंद्र सिंह ने अपने जीवन को महल और उसके रहस्यों की रक्षा के लिए समर्पित कर दिया। उनके बारे में गाँव में कई किस्से मशहूर हैं, जिनमें से सबसे चर्चित उनका रानी देविका के प्रति गहरा लगाव है।

विवान के पिता, आकाश राठौड़, एक शांत और सरल व्यक्ति हैं। उन्होंने हमेशा अपने परिवार की सेवा की परंपरा को निभाया है। हालाँकि, वह महल के अतीत के रहस्यों और बदनामी से दूरी बनाकर रखते हैं। उनकी माँ, पद्मा राठौड़, एक करुणामयी महिला थीं, जिन्होंने विवान को सिखाया कि इतिहास के बोझ को हमेशा ढोना जरूरी नहीं है, लेकिन परिवार की जिम्मेदारियों से भागना भी नहीं चाहिए।

विवान के पिता, आकाश राठौड़, ने इस जिम्मेदारी को संभालने की कोशिश की, लेकिन गाँव वालों के शक और आलोचना ने उन्हें हमेशा परेशान रखा। विवान ने अपने पिता और दादा से इस महल की कहानियाँ सुनी थीं, लेकिन उसके दिल में एक सवाल हमेशा से था—क्या वह इन कहानियों का हिस्सा है, या सिर्फ एक मूक दर्शक? विवान का बचपन महल के पास एक छोटे से गाँव में बीता, जहाँ लोग उसके परिवार को शक की निगाहों से देखते थे।

दादा की कहानियों और उनके संघर्ष ने विवान को एक जिम्मेदार और साहसी व्यक्ति बनाया, लेकिन उनके जीवन के अंधेरे पक्ष ने विवान के मन में नेहा के परिवार के प्रति नाराजगी भी भर दी।

कहा जाता है कि ठाकुर प्रताप सिंह ने हरेंद्र सिंह से वादा लिया था कि चाहे जो भी हो, उनका परिवार इस महल की देखभाल करेगा और इसे कभी अकेला नहीं छोड़ेगा। विवान, जो इस परंपरा का अगला वारिस है, महल को न केवल अपनी पारिवारिक जिम्मेदारी मानता है, बल्कि अपनी दादी और पिता की इच्छाओं को पूरा करने का कर्तव्य भी।

हवेली धूल और मिट्टी में ढकी हुई है और बाहरी तौर पर खंडहर जैसी लगती है, जो एकदम वीरान और पुराने समय की याद दिलाती है। लेकिन यहाँ एक दिलचस्प पहलू यह है कि यह केवल बाहर से ही धूल और मिट्टी से भरी हुई लगती है—भीतर का हिस्सा ऐसा नहीं है।

विवान का परिवार सालों से इस हवेली का रक्षक रहा है, और उन्होंने हवेली के अंदर कुछ खास हिस्सों को अच्छी स्थिति में बनाए रखा है। इस रक्षक परिवार की वफादारी के कारण, हवेली के भीतर कुछ रहस्यमयी हिस्से आज भी सुरक्षात्मक जादू और पवित्रता से संरक्षित हैं। अंदरूनी कमरे, जहां विवान रहता है, इन बाहरी परिस्थितियों से अप्रभावित हैं—जैसे हवेली का दिल अभी भी जीवित हो, जबकि बाहरी हिस्सा समय की मार झेल रहा हो।

विवान का रहना यहाँ केवल उसके लिए नहीं, बल्कि उस परंपरा को बनाए रखने का प्रतीक भी है जो उसके पूर्वजों ने सदियों से निभाई है।

अब आगे…..

विवान ने नेहा को अपना परिचय दिया.


जैसे ही नेहा ने विवान की आँखों में झाँका, उसे वहाँ केवल गुस्सा और नाराजगी नहीं दिखी। उसे ऐसा लगा कि इन आँखों में कोई छुपी हुई पीड़ा है—एक ऐसा दर्द, जो सालों से किसी अंधेरे कोने में छुपा हुआ है।

"तुम यहाँ क्यों हो, विवान?" नेहा ने धीमी लेकिन दृढ़ आवाज़ में पूछा।

विवान एक पल के लिए चुप रहा, मानो यह सवाल उसने अपने आप से कभी नहीं पूछा हो।

"मैंने यहाँ रहना चुना नहीं," उसने कहा, उसकी आवाज़ में एक ठंडी गंभीरता थी। "यह महल... यह मेरे परिवार का हिस्सा है, जैसे तुम्हारा। लेकिन मेरे लिए यह सिर्फ एक कर्तव्य नहीं है।"

नेहा ने सवालिया निगाहों से उसकी ओर देखा, और वह थोड़ी हिचकिचाहट के बाद आगे बढ़ा।

"यह महल... इसमें सिर्फ तुम्हारे परिवार के राज़ नहीं छुपे हैं, नेहा। इसमें मेरे परिवार का एक हिस्सा भी दबा हुआ है। और जब तक मैं यह पता नहीं लगा लेता कि वो सच क्या है, मैं इसे छोड़ नहीं सकता।"

"कैसा सच?" नेहा ने पूछा।

विवान ने एक ठंडी साँस ली, मानो यह सवाल उसकी चेतना के सबसे गहरे हिस्से को छू गया हो।

"मेरे दादा, हरेंद्र सिंह, इस महल के रक्षक थे। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी इसे बचाने में बिताई। लेकिन कुछ ऐसा हुआ था... कुछ ऐसा, जो उन्होंने कभी किसी को नहीं बताया।"

उसने धीरे-धीरे महल की दीवार की ओर देखा, जैसे वह उनसे कुछ जवाब मांग रहा हो।

"मेरे पिता ने मुझे सिर्फ इतना बताया कि दादा अपनी मृत्यु से पहले बहुत बदल गए थे। वह शांत और संयमित इंसान थे, लेकिन उनके आखिरी दिनों में उनके चेहरे पर हमेशा एक अजीब-सा डर दिखता था। वो कुछ ढूँढ़ रहे थे... लेकिन क्या, यह किसी को नहीं पता।"

नेहा की दिलचस्पी बढ़ गई।

"तो तुम यहाँ इसलिए हो, क्योंकि तुम यह पता लगाना चाहते हो कि तुम्हारे दादा क्या ढूँढ़ रहे थे?"

विवान ने धीरे से सिर हिलाया।

"सिर्फ इतना ही नहीं। मैं यह जानना चाहता हूँ कि रानी देविका और मेरे दादा के बीच क्या था। क्या सच में उनके बीच कुछ था, जैसा गाँव वाले कहते हैं? या यह सिर्फ झूठी बातें हैं? और अगर कुछ था, तो वो क्यों... क्यों उन्होंने यह महल और मेरे परिवार को इस हालत में छोड़ दिया?"

वह रुक गया, और फिर एक पल बाद धीरे-से जोड़ा,

"लेकिन यह सिर्फ उनके बारे में नहीं है। यह महल... यह खुद एक जिंदा चीज़ की तरह है। कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है कि यह मुझसे कुछ कहना चाहता है। यह मुझे खींचता है, मुझे रोकता है, और मुझे डराता भी है।"

नेहा ने देखा कि उसकी आवाज़ में एक कंपकंपी थी।

"तुम्हें इससे डर लगता है?"

विवान ने एक कड़वी मुस्कान के साथ कहा,

"डर? हाँ, शायद। लेकिन यह डर सिर्फ मुझे यहाँ से जाने से रोकता है।"

उसने धीरे-से दीवार पर हाथ रखा, जैसे वह महल की ठंडी सतह से कुछ महसूस करने की कोशिश कर रहा हो।

"तुम सोचती हो कि यह महल सिर्फ एक खंडहर है, लेकिन नहीं। यह जिंदा है। और जब तक मैं इसके अंदर छुपे अपने सवालों का जवाब नहीं पा लेता, मैं इसे छोड़ नहीं सकता।"

नेहा को महसूस हुआ कि यह महल सिर्फ उसके परिवार की कहानी का हिस्सा नहीं है। यह विवान के अतीत और उसके परिवार की अनसुलझी पहेलियों का भी गवाह है।

"तो हम दोनों यहाँ कुछ ढूँढ़ने आए हैं," उसने कहा।

विवान ने उसकी ओर देखा, और पहली बार, उसकी आँखों में हल्की-सी मुस्कान दिखाई दी।

"शायद," उसने कहा। "लेकिन यह देखना होगा कि यह महल हमें सच बताने के लिए तैयार है या नहीं।"

To be continued......


I hope this update clears all the questions relating to the characters, and their back-stories and provides a god base for the story to continue.
Nice introduction
 

Drdanilovicente

Staying Healthy, Happy and Horny!
Supreme
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भाई आप बढ़िया लिख सकते हैं, पर मुझे महसूस हो रहा है कि एक ही बात पर गोल गोल घूम रहे हैं आप पिछले 3 अपडेट से।

"क्या तुम सच का सामना करने के लिए तैयार हो"

इतनी बार तो नीना गुप्ता भी नहीं पूछती थी अपने शो में 😌

Well jokes apart.

वो सच क्या है फिलहाल वो सामने आने की शुरुआत होनी चाहिए। जो शुरू से शुरू हो, पर फिलहाल आप परिणीति की ओर ज्यादा बढ़ते दिख रहे हैं, मतलब विवान और नेहा का प्रेम।

पाठक को देविका की कहानी जानने की ज्यादा उत्सुकता होगी, और शायद देविका की आत्मा ही महल में है जो इसे इतना डरावना बना रही हो।

विवान की बातें , उसके कहने का गोल मोल अंदाज कहानी को हाॅरर की तरफ ले जा रहा है ।
वैसे विवान इस पुराने जर्जर महल मे कई सालों से रह रहा है फिर भी उसने इस महल की हकीकत को समझने की कोशिश क्यों नही की ? कम से कम उस पुराने संदूक को खोलने की कोशिश तो की होती जिस मे बहुत सारी किताबें हैं !
क्या वो नेहा का इंतजार कर रहा था कि वह जब यहां आयेगी तब दोनो लोग इसे मिलकर खोलेंगे !

कभी कभी ऐसा लगता है जैसे ठाकुर साहब और रानी देविका का पुनर्जन्म विवान और नेहा के रूप मे हुआ हो ।
यह कहानी हाॅरर पर आधारित है या पुनर्जन्म पर यह आगे ही पता चलेगा ।


Bro you got me hooked with this very first update, matlab kahani ke liye utsukta paisa.kar diye ho ekdum hi, I am glad ke thriller genre me kafi sahi content aa raha hai, kafi sahi premise diya hai pehle update ke liye, purana mahal, rahasyamayi mahol, aur adhure Raaz
This is what I can call a splendid start + kafi badhiya writing hai aapki, jis hisab se mahal ko describe Kiya hai pura mahal aankho ke saamne mehsus hua hai laga mano hum wahi khade ho.
Characters ke bare me to abhi kya hi boli kyuki bolne ko hai hi nahi, let's see aage kya dekhne milta hai
All the best for this story men :applause: :applause:

A detailed character introduction and the start of the journey towards finding the truth hidden within past which the palace is witness of..
Great build up men, is Raaz ke bare me badhne me maja ayega

ये अपडेट रीडर को कहानी की गहराई और रहस्यमयता में और अधिक उलझाने में पूरी तरह सफल रहा है, महल की भयावहता और उसके जीवंत होने का विचार कहानी में एक अनोखा तत्व जोड़ता है, नेहा और विवान के संवाद उनकी जिज्ञासा और डर को बखूबी उजागर करते हैं, जिससे पढ़ने वाला उनके साथ-साथ उस महल की सर्द और डरावनी दीवारों के बीच खुद को महसूस करने लगता है

महल के गलियारों, तस्वीरों और अलमारी का वर्णन इतना सजीव और विस्तृत है कि मैं पढ़ते हुए खुद को उस माहौल खोया हुआ महसूस कर रहा था नेहा और विवान के बीच का अनकहा आकर्षण कहानी को भावनात्मक गहराई देता है और रीडर को उनसे जुड़ने का मौका देता है, कहानी में अब तक रहस्य और डर का संतुलन बखूबी रखा गया है, जिससे पढ़ते हुए बोरियत नही होती

हालांकि इस उड़ते में कथानक थोड़ा धीमा लगा, ऐसा प्रतीत हुआ कि लेखक ने माहौल बनाने पर ज्यादा ध्यान दिया है, जबकि कहानी को आगे बढ़ाने पर उतना जोर नहीं दिया गया कुछ जगहों पर ऐसा महसूस होता है कि माहौल का वर्णन कथानक को ओवरशैडो कर रहा है

कुल मिलाकर, ये अपडेट कहानी के रहस्यमय पहलुओं को और गहराई देता है नेहा और विवान के रिश्ते का विकास और महल की रहस्यमयता कहानी में रोमांच बनाए है लेखक ने माहौल बनाने में बेहतरीन काम किया है, लेकिन अगले अपडेट से कहानी को थोड़ा और गतिशील बनाना बेहतर होगा


अगले अपडेट का बेसब्री से इंतजार रहेगा

Bahut hee jabardust story hai, Har update ke baad story or ulajhti jaa rahi hai ... Kabhi kabhi lagya hai vivan ko kuch pata hai ..
or mahal ke jeevit hone ka chitran bahut hee gajab hai !

keep psoting bro ...

Congratulations 🎊 for new story man

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Next :waiting1:

Eagerly waiting for next update

Nice introduction

Hey Everyone,
I am really sorry. I had an unfortunate accident. A car hit me from behind, and my leg was fractured. I've just got discharged and have reached my home.
Please accept my Apologies. The story will be on hold for a few more days, and I'll try to copy up and start writing soon!
Thank you so much for such lovely comments.
 

neal9

The Way I'm
Banned
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Nice start. I rarely read stories here and this one had me hooked from the very beginning.

Take care, and hope you get well soon brother.
 
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