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भाग 247 - मेरा दिन -बूआकी लड़की पृष्ठ १५३९
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पीछे की इन घटनाओं से तारतम्य बिठा कर रखना..भाग २३४ क्राइसिस
32,09,565
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थोड़ा सा बात को पीछे ले जाती हूँ, जिस दिन जीजू लोग आये उसी दिन की सुबह की बात है।
ये एक दो दिन से परेशान से थे, आफिस की मीटिंग खास तौर से जो उनके ग्लोबल कारपोरेट आफिस से अमेरिका से मीटिंग होती थी वो बढ़ गयी थी, कई बार रात में मीटिंग, और उस दिन तो रात भर फिर वहीँ से मुम्बई चले गए थे, हाँ उन्होंने बोला जरूर था की जीजू लोगों के आने के साथ साथ पक्का आ जायेंगे ( ललचाये अपनी साली के लिए थे वो वो )
तो बात वहीँ से शुरू करती हूँ। मम्मी को मैंने बताया भी था , गुड्डी तो अपनी पढ़ाई में बहुत टफ कोचिंग चल रही थी उसकी
तो बस सुबह सुबह
मैंने ब्रेकफास्ट बनाना शुरू ही किया था की एक एन्क्रिप्टेड मेल मेरे आई फोन पर आयी।
और मुझे याद आया की कल मॉम से मैंने बात की थी , इनकी मॉर्निंग कांफ्रेंस और अचानक मीटिंग के लिए जाने के बारे में ,
लेकिन मॉम का बिजनेसवोमेन वाला एंटीना खड़ा हो गया ,
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बोलीं , किसी ने मुझे बोला था की चार पांच दिन से इसकी कंपनी का शेयर ऐबनॉर्मली बिहेव कर रहा है , लगता है कोई उसे मैनिपुलेट कर रहा है।
मुझे याद आया मीनाक्षी ने भी यही बोला था ,
लेकिन मैं शेयर की दुनिया से एकदम दूर रहती हूँ तो मुझे कुछ ज्यादा समझ में भी नहीं आता.
फिर मॉम ने ही बोला , तू चिंता न कर , मेरा दामाद कैसी भी क्राइसिस हो हैंडल कर लेता है , .. अच्छा चल मैं किसी सुरागिए को लगाती हूँ , तुझे कल दोपहर के पहले कुछ सूंघ कर बताएगा , हाँ लेकिन कल मैं टोटली इनकमयुनिकेडो रहूंगी , एक के बाद एक मीटिंग्स हैं।
मैं समझ गयी मॉम का सुरागिया , ... कोई मार्केटिंग रिसर्च , बिजेनस इंटेलिजेंस और डाटा एनेलिटिक्स वाली एजेंसी होगी , बल्कि इन सब का जोड़ , जिसका मार्केट इंटेलिजेंस और गवर्नमेंट एजेंसीज में भी डीप कांटेक्ट होगा और क्या पता कोई हैकर भी वो इम्प्लाय करता हो ,
पासवर्ड मॉम ने मुझे रात में ही मेसेज कर दिया था।
वही रिपोर्ट थी . कुछ देर के लिए मैंने ब्रेकफास्ट का काम मुल्तवी कर दिया , वैसे भी गुड्डी दस बजे तक के लिए बुक थी।
घात-प्रतिघात का दौर शुरू.... कंपनी पर संकट
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रिपोर्ट में लिखा था इनकी कंपनी ' पिंक जोन ' में है , यानी रेड जोन के ठीक पहले वाली हालत और अगर छह सात दिन तक कोई करेक्टिव एक्शन नहीं हुआ तो वो रेड जॉन में स्लाइड कर सकती है।
असल में उनकी कंपनी , एक अमेरिका बेस्ड मल्टीनेशनल की इंडियन सब्सिडयरी थी। लेकिन पैरेंट कम्पनी से बहुत ही क्लोज रिलेशन ,
दो तीन डेंजरस फैक्टर उस रिपोर्ट ने हाई लाइट की थीं ,
पहला तो था रुपये की वैल्यू में तेज गिरावट , और अब एक डालर सत्तर रूपये से ज्यादा चला गया था।
बिना रिपोर्ट में इंडिकेट हुए में समझ गयी सारी कहानी।
असल में हमारे लोकेशन में जो इक्विपमेंट बनता था ,
उसमें एक अमेरिकन इक्विपमेंट लगता था जो इनकी पैरेंट कम्पनी का प्रोप्रायटरी आइटम था। वॉल्यूम वाइज वो सिर्फ १५ % था , ७० % पार्ट जहाँ हम पोस्टेड थे वहीँ बनता था , बाकी १५ % आउटसोरस्ड था .
लेकिन वैल्यू वाइज वो पैरेंट कम्पनी से इम्पोर्टेड पार्ट, ४५ % था।
और अब रूपये की वैल्यू गिरने से इम्पोर्ट कास्ट बढ़ गयी , और वह पार्ट अब कुल कास्ट का ६५ % हो गया।
इससे प्रॉडक्ट की प्राइस भी बढ़ गयी , और जो हमें कम्पटीटिव एज थी वो सिर्फ ख़तम नहीं हुयी बल्कि एडवर्स हो गयी थी , और राइवल को फायदा हो रहा था।
और इससे कम्पनी की लिक्विडटी की प्राबलम भी पैदा हो गयी थी।
यह प्रॉब्लम सिर्फ एक्सचेंज रेट तक रहती तो गनीमत ,
पर एक पेंच और था , ... अमेरिका ने एडवर्स बैलेंस आफ पैम्नेट के चलते , ढेर सारे प्रॉडक्ट्स पर जो इण्डिया से आते हैं टैरिफ बढ़ा दी।
बस इण्डिया ने भी ,... और जिन प्रॉडक्ट्स पर ये एक्स्ट्रा सरचार्ज लगाए गए थे ,... उनमें स्टेटस से आनेवाला .. वो पार्ट भी शामिल था।
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नतीजा , इनपुट कास्ट और बढ़ गयी , ... और लिक्विडटी क्राइसिस शुरू हो गयी थी।
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था, बेचारा, ये मेरा सोना मोना ऐसी क्राइसिस में क्या कर सकता था, अब ग्लोबल टैरिफ वार में वो सीधा साधा लड़का क्या कर लेगा, और फिर रूपया डालर का एक्सचेंज रेट वो भी उसके बस में था क्या,
और मिस्टर मोइत्रा के हटने के बाद क्या क्या नहीं किया इन्होने, कम्पनी को कहाँ से कहाँ पहुंचा दिया, सप्लाई चेन इतनी फास्ट की कि, कम्पनी कि कास्ट तो कम हुयी ही, वेंडर्स कि भी इन्वेंट्री कम होने से उनको भी फायदा हुआ और उनके पेमेंट शेड्यूल चेंज कर के सप्लाई के रेट भी इन्होने कम करवाए
बीच में मिस्टर मोइत्रा, बल्कि मिसेज मोइत्रा और उनकी चमचियों के हस्बेंड जो मलाई खाते थे वो ख़तम करवा के भी उन्होंने प्रोडक्शन कास्ट काम करवाई,
और अब प्रोडक्शन कास्ट कम होने से जो थोड़े बहुत राइवल मार्केट में थे वो कम्पीट नहीं कर सकते थे तो मार्केट शेयर भी बढ़ रहा था। पर....
अब मेजर इनपुट प्रॉडक्ट जो हम लोगो के लिए प्रोप्राइटरी आइटम था, जिसका पेटेंट किसी और के पास नहीं था, उसी की इनपुट कास्ट बढ़ गयी तो प्रोडक्शन कास्ट बढ़नी थी,
फिर मार्जिन कम होता और फिर निगेटिव रिटर्न, तो जो एक्सपैंशन प्लान्स थे वो सब,....
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रिपोर्ट में शेयर की पिछले महीने की अनिलिसीस भी थी , ... और उसके हिसाब से शेयर अपने रियल वैल्यू से करीब २२-२५ % ज्यादा कोट हो रहा था।
रिपोर्ट का इंडिकेशन एजेंसी के अनुसार ये था की कोई इस कंपनी को एक्वायर करने की कोशिश कर रहा है , और वो अग्रेसिव बाइंग कर रहा है।
तीसरी प्राबलम थी ,
कंपनी ने एक डेब्ट ले रखा था , जो एक तरह से डेब्ट कम इक्विटी थी। अगर डेट की मैच्योरिटी या जब भी डेट देने वाली कम्पनी डेट वापस पन्दरह दिन की नोटिस देकर मांगे ,... और कंपनी अगर उसे न दे पाए तो उसे एक राइट था , की वो करेंट शेयर के वैल्यू के बेसिस पर उस डेब्ट को शेयर में कन्वर्ट करने के लिए इंसिस्ट सकता था। वो करीब १४ % शेयर होता।
मार्केट रयूमर्स थीं की जो कंपनी इसे एक्वायर करने की कोशिश कर रही है , उसने भी करीब पांच साढ़े पांच परसेंट शेयर खरीद रखे हैं , और वो बहुत अग्रेसिवली अभी भी शेयर खरीदने की कोशिश कर रही थी। अगर उसके जहाँ ८-९ % भी शेयर हुए वो उस डेब्ट वाली कम्पनी के साथ मिलकर , अटैक कर सकती थी। हमारी कम्पनी के पास अभी २२ -२३ % शेयर हैं। इस पूरे मामले में गवर्मेंट एजेंसीज जिनके पास करीब ५ % शेयर हैं न्यूट्रल ही रहतीं।
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एक और प्रॉब्लम इनकी कम्पनी उस रिपोर्ट के अनुसार फेस कर रही थी , वो डिस्ट्रेस्ड असेट की , कम्पनी ने पावर बिजनेस में इन्वेस्ट कर रखा था , बैकवर्ड एरिया में एक पावर प्लांट भी लगाया और वो आलमोस्ट रेडी था , लेकिन ट्रांसमिशन नेटवर्क के चोक होने से , और जहाँ पावर प्लांट था वहां डिमांड न होने से , वो एकदम घाटे का मामला था , और बैंक्स के डेब्ट भी थे.
लेकिन आखिरी बात चौंकाने वाली थी , जिस कम्पनी ने डेब्ट दिया था , वो उसी मार्केट में घुसना चाहता था , जिसमें इनकी कम्पनी थी।
लेकिन पेरेंट् कंपनी का प्रोप्रायटरी आइटम होने से , जो हमें कास्ट अडवांटेज और टेक्नोलॉजी के अपग्रेडेशन की अडवांटेज थी , वो उसे नहीं मिलती। दूसरी उस प्रॉडक्ट में इनकी कम्पनी की आलमोस्ट ,... मोनोपोली तो नहीं लेकिन ४४ % मार्किट शेयर था , जो नंबर २ से १८ % ज्यादा था।
वो कम्पनी एक्वायर कर , सिर्फ हमारी कम्पनी किल करती।
उसे हमारा पूरा मार्केटिंग चैनल मिल जाता।
जो शेयर एक्वायर कर रहा था , वो जब अक्वीजिशन के बाद शेयर के दाम बढ़ते , उस समय शेयर बेच कर बाहर निकल जाता , और हेल्प के लिए न्यू ओनरशिप उसे रियल एस्टेट ( कम्पनी तो उन्हें ख़तम ही करनी थी एक दो साल में, कम्पटीशन एलिमिनेट करने के लिए ) के लिए जहाँ प्लांट थे वहां की टाउनशिप , उसे सस्ते दाम में बेच देती।
इस बात को कनफर्म करने के लिए , उसने कुछ इ मेल की कॉपीज और एक कम्पनी का प्रजेंटेशन भी , जो किसी हैकर की कृपा थी , अटैच किया था।
मेरे तो बस पैरों के नीचे से जमीन नहीं सरकी।
हमारी कम्पनी पर उस कम्पनी की रेड बस सात आठ दिन बाद , ...
एक बात जो उसने लिखी थी और मैं भी समझ रही की एक्विजशन करने वाले ने पहले तो शेयर खरीद कर शेयर की वैल्यू बढ़ाई , लेकिन वो रेड तब करेगा जब शेयर की वैल्यू गिरने लगेगी। इससे एक तो जिससे इनकी कम्पनी ने डेब्ट लिया था , उस डेब्ट को जब शेयर में कन्वर्ट करते तो ज्यादा शेयर होते। दूसरे कम्पनी के ओनरशिप शेयर का दाम भी उन्हें औने पौने में लगाने में मदद मिलती.
मेरे आँखों के आगे अँधेरा छा रहा था , ब्रेकफास्ट की तैयारी छोड़ कर मैं वहीँ किचेन में बैठ गयी। कित्ती प्लानिंग थी ,
तीज की , रसगुल्लों की ,
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और बाहर वो लड़की बैठी डाक्टर बनने की तैयारी कर रही है , उसका क्या होगा ?
आज शाम को कमल जीजू , फुल टाइम मस्ती ,...
लेकिन तभी मेरा व्हाट्सऐप
हग्स किसेज , फिर ढेर सारे किसेज और थम्स अप
मौज-मस्ती के साथ अपने दिमाग का प्रयोग करते हुए सामने वाले को बैकफुट पर धकेलना...आपरेशन शील्ड एंड डैगर
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हग्स किसेज , फिर ढेर सारे किसेज और थम्स अप
सारा कुहासा छट गया , ये इतने चिरपी कॉन्फिडेंट , इसका मतलब ,...
और मेसेज ,... बस यही की वापस पहुँचने तक उनका फोन बंद रहेगा।
एक मीटिंग हो चुकी है दूसरी होने वाली है। और उनकी फ्लाइट वही होगी जो शेड्यूल थी, अपनी साली रीनू के आने तक वो आ जायेंगे।
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या मेसेज करूँ, सारी चिंता दूर , ये लड़का बस मेरे पास रहे, मेरा चिराग का जिन्न, जेठानी की गाँड़ मारने से गुड्डी को यहाँ लाने तक मेरी हर बात में उनका पक्का साथ था, बस मैंने वही किया जो हरदम इनसे खुश होने पर करती थी
इनकी माँ बहनों को दस मोटी मोटी गाली, अच्छी शुध्द देसी भोजपुरी में और इन्हे इनका काम याद दिलाया
फ्लाइट से लौटते हुए कोचिंग से अपनी रखेल को ले के आना, मैंने गुड्डी को बोल दिया है वो तेरा इंतजार करेगी।
और बड़ी देर तक मुस्कराती रही, उनके मेसेज को देख के।
मैंने अपने को लाख गाली दी , इनके होते हुए ,... माना थोड़े ज्यादा ही सीधे ,... कुछ बौड़म भी ,... लेकिन मेरी मम्मी ने सोच समझ कर दामाद चुना था।
मैं रोज बिजनेस पेपर देखती थी , कुछ भी नहीं हुआ। चलिए सस्पेंस क्यों रखूं ,...
उन्होंने खुद ही राज खोला , ...
उस दिन नहीं तीन दिन तक , तो बस फुल टाइम मस्ती चली , ...मेरी बहन इन्हे एक मिनट के लिए छोड़ने को तैयार नहीं , एकदम पक्की साली ,...
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बस उन लोगो के जाने वाली रात, मस्ती के बाद दोनों जीजू रात में एक के थोड़ा पहले अपना सामान पैक करने में, गुड्डी भी उन लोगो के साथ हेल्प करा रहा थी, तब उन्होंने बताया, वो भी मेरे पूछने के बाद, कैसे उस हालत में क्या क्या हुआ , ... उन्होंने बताया सब ,...
सोमवार को ,...
उन्होंने कभी नहीं बोला की उन्होंने क्या किया , वो हमेशा 'हम ' का इस्तेमाल करते थे , एकदम सेल्फ इफेसिंग , शुरू से मेरे सोना मोना की यही आदत थी ,
सबसे पहले उन्होंने शेयर वाली क्राइसिस का हल निकाला , यहाँ से चलने के पहले ही उन्होंने एक डाटा अनिलिटिक्स से वो इन्फो ले ली थी।
करीब ४२ ऐसे लोग थे जिनके पास, . २ % से १. ७ % तक शेयर थे। इन सबके शेयर का टोटल १७ % था।
और हमारे शेयर को जोड़ कर वो ४० % से ऊपर हो जाता।
हाँ हमारी कम्पनी ये शेयर एक्वायर नहीं कर सकती थी , लिक्विडिटी के साथ शेयर की वैल्यू अच्छी चल रही थी। इन्होने एक ऑफर दिया , उन सारे शेयर होल्डर्स को १०० से ५०० शेयर , नार्मल रेट पर ,... लेकिन उस में एक फाइन प्रिंट्स में एक कंडीशन थी , वो लोग जो ये बोनस शेयर एक्सेप्ट करेंगे , वो अगले छ महीने तक ओपन मार्केट में या किसी को और शेयर बेचने के पहले कम्पनी को ऑफर करेंगे। और कंपनी उस दिन जो शेयर का रेट होगा या जिस रेट पर उन्होंने शेयर खरीदा होगा , दोनों में से जो भी ज्यादा होगा , ... उस पर शेयर खरीदेगी।
हाँ अगर ४ दिन तक कम्पनी की ओर से रिस्पांड नहीं मिला तो वो मार्केट में जा सकते हैं।
और दूसरी बात थी की जो लोग ये बोनस शेयर एक्सेप्ट करेंगे , उन्हें ये शेयर , एक्सेप्टेंस की डेट से तीस दिन के अंदर शेयर ट्रांसफर होगा। जितने इम्प्लाइज शेयर थे , उसका इस्तेमाल कम्पनी ने इस काम के लिए किया।
और इससे करीब सारे १७ % तो नहीं लेकिन १२ % तक शेयर प्रोटेक्ट हो गए। अब किसी हालत में ये शेयर राइवल कम्पनी को नहीं मिल सकते थे।
ये इनका मास्टर स्ट्रोक था और ये इन्होने बंबई जाने के बाद ही कम्पनी में बताया और उसी दिन उस आपरेशन को एक्जिक्यूट भी करा दिया तो अब कम्पनी के अक्वीजिशन का खतरा थोड़ा टल गया। और रेड का खतरा उतना ही कम हो गया। इस सारे ट्रांसजेक्शन से स्टॉक एक्सचेंज और सेबी की भी इन्फॉर्म कर दिया गया जिससे वो लोग कोई अन्डरहैन्ड डीलिंग नहीं कर सकते।
दूसरा पार्ट जो ज्यादा मुश्किल था और डालर की बढ़ती दर का नतीजा था और ट्रेड वार का असर था , जिससे इनकी कम्पनी की प्रॉफिटेबिलिटी गिर रही थी और लिक्विडिटी पर असर पड़ रहा था , वो था पैरेंट कम्पनी से आने वाला पार्ट।
कई लोगों ने यह सजेस्ट किया की प्रोडक्शन किसी और कंट्री में शिफ्ट कर दिया जाए।
लेकिन इन्होने एक दूसरा रास्ता निकाल लिया।
जैसे इण्डिया में एक सब्सिडियरी थी , मारीशस में भी एक कम्पनी थी जो मोस्टली शेल कम्पनी थी और पैरेंट कंपनी उसे सिर्फ ऍफ़ डीआई के लिए इस्तेमाल करती थी।
तय हुआ की पैरेंट कम्पनी उस पार्ट को मारीशश भेजेगी , और मारीशस की कंपनी उस पार्ट में कुछ जोड़ कर ( जिसे यहाँ आने के बाद हटा दिया जाएगा ) और नाम बदल कर सीधे हमें सेल करेगी।
वहां से रुप्पी ट्रेड पॉसिबिल है , इसलिए डालर के रेट का उस पर असर नहीं पडेगा।
सेकेंडली मारीशस से जो ट्रेड ट्रीटी है उस में टैरिफ एक्जम्प्शन भी है। और मारीशश की कम्पनी हमें तीन महीने की क्रेडिट देगी , जिससे लिक्विडिटी भी हमारी कम्पनी की इम्प्रूव कर जायेगी। एक बात और ये रेट ' गोल्ड प्लेटेड ' होगा , यानी असल में कम्पनी इंवायस्ड रेट से ३० % कम देगी। प्रॉडकट की कास्ट बहुत कम नहीं होगी इससे प्रॉफिट मार्जिनल होगा , और टैक्स लाइबिल्टी कम रहेगी।
असल में पैरेंट कम्पनी के स्टेक बहुत स्ट्रांग थे , वो साउथ एशिया में अपनी पकड़ मजबूत रखना चाहती थी। इसलिए दो बातें तय हुयी , एक तो पैरेंट कम्पनी ने खुद ऑफर किया , फंड इन्फ्यूजन का , जो डेब्ट बर्डेन से थोड़ा ज्यादा था। और इस बात को खूब पब्लिसिटी दी गयी , सारे बिजनेस पेपर्स में ,
इसका सबसे बड़ा असर हुआ जो , कम्पनी एक्विजिशन वाले की हेल्प करने के लिए अपने डेब्ट को शेयर में कन्वर्ट कराना चाहती थी , हमारी पूअर लिक्विडिटी और लिमिटेड कैश फ्लो को देख कर,... वो बैक फुट पर आ गयी।
दूसरी बात ये हुयी की पैरेंट कम्पनी को जो हम फंड रायल्टी , टेक्नोलॉजी ट्रांसफर , गुडविल के लिए हर क्वार्टर में पे करते थे , उसे वो छः महीने के लिए डिफर करने को तैयार हो गए।
दस दिन में इस क्वार्टर का रिजल्ट आने वाला है , इससे जब बाकी कम्पनीज जो इम्पोर्ट बेस्ड हैं , रेड में चल रही हैं , हम लोग प्रॉफिट शो करेंगे।
और इसका सीधा असर हमारे शेयर की स्ट्रेंथ पर होगा। जब तक हमारा शेयर स्ट्रांग रहेगा।
ऑफेंस इज द बेस्ट डिफेंस...काउंटर अटैक
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और ये रही शील्ड की बात , लेकिन बिना अटैक के डिफेन्स नहीं होता , ये कह के वो चुप हो गए।
इनके होंठ बंद हुए और मैंने एक चुम्मी दे दी।
एक चुम्मी तो बनती थी न , और वो फिर चालू हो गए ,
शील्ड और डैगर में डैगर के पार्ट्स पर ,
मीटिंग वाले दिन ही ,
एक पी आई एल दाखिल हो गयी ,
और कुछ लोगों ने कम्पटीशन कमीशन और सेबी में एप्लिकेशन भी दे दी की जिस कम्पनी ने इन्हे डेब्ट दिया है वो सिमिलर प्रॉडक्ट बना रही है , और वो इस कम्पनी के डेब्ट को कंपनी को एक्वायर कर के , मोनोपोली बनाने में इस्तेमाल करेगी।
कम्पटीशन कमीशन ने एक महीने की तारीख दी और साथ में इंजक्शन भी इशू कर दिया की इस पीरियड में ओनरशिप पैटर्न में कोई चेंज नहीं होना चाहिए।
जो कम्पनी इन्हे एक्वायर करना चाह रही थी , उसके रियल एस्टेट में भी , कई पेपर में उसके बारे में आर्टिकल आनी शुरू हो गयीं की ये भी देश छोड़ कर भागने वाला है ,
सोशल मिडिया में भी , ... बस अब उसे अपने को डिफेंड करना पड़ गया लेकिन कुछ कीचड़ तो उसपर चिपक ही गया।
एक दो और छोटी मोटी कंपनियां , जो उस का साथ दे रही थीं , वहां पोलुशन कंट्रोल बोर्ड का नोटिस पहुंच गया , और उन के बारे में भी अखबारों में ,
एक एन जी ओ , जिसे ये सी एस आर में फंडिंग करते थे , उसने तो दो दिन का कैंडल मार्च और फैक्ट्री के बाहर विजिल भी अनाउंस कर दिया।
हाँ इन सब चीजों में इनका कोई दखल नहीं था।
यह क्लियर था की रेड करने वाली कम्पनी इन के फोन को हैक करने , टेप करने या इन्हे कॉनटेक्ट करने की कोशिश करेगी ,
इसलिए जिस फ्राइडे को ये लौटें थे , जिस दिन कमल जीजू आये थे , तीन दिन तक कम्प्लीट रेडियो साइलेंस ,... इन्होने अपना ऑफिसियल फोन की सिम ही निकाल दी थी।
इसी तीन दिन में जो प्लान बनाये गए थे वो इम्प्लीमेंट होने थे , जिसके लिए अलग अलग टीमें थी और हर टीम को बहुत लिमिटेड इन्फो थी।
उस वीकेंड में शील्ड वाला काम होना था , और अगले वीकेंड में भी , कम्प्लीट रेडियो साइलेंस ,... ट्यूजडे को क्वार्टरली रिजल्ट आने थे ,... फ्राइडे से ही इनका फोन बंद हो हो गया था , और मंडे को ऑफिस में भी किसी बहाने से छुट्टी कर दी गयी थी।
आफिस से कम्युनिकेशन इन्क्रिप्टेड और एक सिक्योर रूम से होता था। लेकिन वहां से भी बहुत ही लिमिटेड बात चीत ,...
इसलिए तीन दिन जबतक जीजू लोग रहे, न इन्होने यहाँ के आफिस से कोई बातचीत की न मुम्बई के कारपोरेट आफिस से न ग्लोबल स्ट्रेटजी टीम से।
अगर कोई इनका परसनल फोन हैक करता भी, घर पर तांक झाँक करता भी तो लगता की ये आदमी जबरदस्त ठरकी गई और अपनी साली के साथ मस्ती में लगा है और फोन वो तो छोड़िये इन्होने सोचा भी नहीं।
मान गयी मैं इन्हे ,... और जैसा कहते हैं औरतें अपनी भावनाये कई ढंग से व्यक्त करती हैं तो मैंने भी कर दी ,
" स्साले , गांडू , अपनी माँ बहन के भंडुए , ... तेरी गांड मारुं , ... भोंसड़ी के तू सिर्फ लौंडिया फंसाने के मामले में ढीला है , तेरी बहन हाथ में लेकर टहल रही थी , मादरचोद लेकिन तेरी नथ मुझे उतारनी पड़ी। लेकिन यार तूने सच में उस कम्पनी की गांड मार दी , बल्कि गांड मार मार के चीथड़े कर दिए ,... सोना ,... आई जस्ट लव यू. यू आर सो सो गुड ,... अगर वो स्साले मादरचोद सक्सेस हो जाते तो हमें ये टाउनशिप छोड़नी पड़ती ,... लेकिन भोंसड़ी के कैसे सक्सेसफुल होते ,.. मेरा सोना मोना था न ,... "
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और वो कुछ बोलते उसके पहले मैंने उनके खुलते मुंह में अपने निप्स डाल दिए बल्कि ठूंस दिए ,.. और देर तक उनका बाल सहलाती रही , और कान में बोलती रही , चल सो जा , तुझे उन रसगुल्लों की गांड दिलवाऊंगी , कच्ची कली की कुँवारी गांड। बहुत मेहनत लगेगी , चल सोजा अभी ,
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और वो सो गए , थोड़ी देर में मैं भी।
उसी समय आफिस से फोन आया,
सुबह क्राइस मैनेजमेंट टीम की मीटिंग है, सुबह मतलब पांच बजे यानी उसके पहले आफिस से गाडी आए जायेगी इन्हे पिकअप करने और उसी के बाद जीजू लोगो को निकलना था मॉर्निंग की फ्लाइट के लिए।
कहानी का रुख उत्तर से पूरब मे मोड़ना सिर्फ कोमल के अधिकार शेत्र मे हैजोरू का गुलाम भाग २३४ क्राइसिस पृष्ठ 1410
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आपकी बहन के जाते हीं..गड़बड़
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जीजू के जाने के बाद,...
बताया तो था, आप को याद है पिछले पोस्ट की आखिरी लाइन न
मेरे दिमाग में बस यही घूम रहा था था क्या हो गया हो उन्हें मार्निंग कांफ्रेंस , अचानक रात में एक बजे ये मेसेज और, ...और सबसे ज्यादा , पहली बार ये टेंशन में लग रहे थे।
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
जीजू लोगो को छोड़ने मैं ड्राइव करने गयी थी और आगे मेरे साथ मेरी बहन रीनू , गुड्डी दो मर्दों के बीच में, तो थोड़ी सी पेट पूजा कहीं भी कभी भी के चक्कर में मेरे दोनों जीजू ने मेरे मरद की बहन के साथ डबलिंग कर ली।
रियर व्यू मिरर में दिख तो रहा था लेकिन मैं इनकी सोच में ही
और लौट कर तीन दिन के रतजगे के बाद, हम दोनों, मैं और गुड्डी चिपक के सो गए।
सुबह मेरी नींद थोड़ी देर से खुली ,
जग के करती भी क्या , इनकी तो कांफ्रेंस चल रही थी , सुबह सुबह और पिछली तीन रातों से तो आलमोस्ट रतजगा ही चल रहा था। सोच कर ही मन गीला हो गया। बिना आँख खोले , मैंने बिस्तर पर हाथ मारा , गुड्डी नहीं थी।
लेकिन अब मैं जान गयी थी वो कहाँ होगी ,
और आज उसने किचेन के सामने ही अड्डा जमाया था , एक सोफे पर , एक चादर लपेटे , सामने उसका लैपटॉप खुला , फिजिक्स के कुछ टूटोरियल थे शायद , बगल में टैब, मोबाइल , नोट पैड्स , और फिजिक्स, कैलकुलस की किताबें ,
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ये लड़की भी सुबह सुबह ,...
बस आँखों आँखों में हम ने गुड मार्निंग की , और दो बड़े मग चाय बना कर मैं उसके बगल में बैठ गयी ,..
" हे ये वाली चाय ख़त्म कर ले , तो चल तेरी असली वाली बेड टी , हो जाय , वरना तू कहेगी , की मीठी भाभी चली गयीं तो कोई ,.... बोल चलेगी। "
मैंने गुड्डी को छेड़ा।
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" चलेगी , ... अरे भाभी दौड़ेगी। "
वो शरीर , मुझे छेड़ती बोली , लेकिन फिर उसका मुंह लटक गया।
" गलती आपकी है , वो वाली बेड टी, ... मैं तो आप के बगल में ही लेटी थी , जग भी गयी थी , आप को जगाने की भी कोशिश की , पर ,... आप भाभी , सपने में न जाने किस के साथ कबड्डी खेल रही थीं , कौन कौन से मायके के यार आगये थे सपने में आप के ,उठी ही नहीं,... तो मैं मन मार के , यहाँ। "
गुड्डी भी , एकदम मेरी असली ननद।
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" पर आज तो तेरी ढाई बजे से क्लास थी न , और ऑनलाइन सर्वर भी रिपेयर में था। " मैंने पूछा।
जवाब में गुड्डी ने एक मोटी सी गाली निकाली , और मुझे अपने मेल की ओर दिखाया ,
" स्साले सर्वर की तो मां ,... सुबह ही ठीक हो गया और ये बहनचो कोचिंग वाले , ... मेल भेजना था तो वो भेजते जिसकी टांगों के बीच में लम्बा लम्बा कड़ा कड़ा मोटा मोटा ,... ये भेज दिया।"
उसकी एक क्लास एक बजे से एक A 1 सेक्शन के साथ शेड्यूल कर दी थी।
मैंने घडी देखी दस बजने वाला था ,
" तो चल ब्रंच बना लेते हैं , तेरे भइया भी नहीं है , तुझे भी साढ़े बारह तक निकलना होगा। " मैं मग लेकर उठते हुए बोली।
" एकदम भाभी , और वैसे भी आप आज ये नहीं बोल सकतीं की ऊपर वाले मुंह से नहीं खाओगी तो नीचे वाले मुंह से ,... वहां अभी भी कमल जीजू की मलाई बुचौबूच भरी है , "
खिलखिलाते हुए वो टीनेजर बोली।
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मैं किचेन के अंदर घुसी ही थी की उसने एक और सन्देश ********* किया , ...
" भाभी , रीनू भाभी का मेसेज आया था , आधे घंटे पहले। उन लोगो की फ्लाइट एकदम राइट टाइम पहुँच गयी। कमल जीजू अपने अड्डे के लिए निकल गए और रीनू भाभी अपने घर , ग्यारह बजे तक पहुँच भी जाएंगी , मैंने तो उन्हें बोल भी दिया , जाइये अब अजय जीजू को पूरा टाइम मिलेगा , कम से कम एक राउंड , वहां न मैं हूँ न आपकी छुटकी बहिनिया , ... अजय जीजू की सारी ताकत ,... मीटिंग तो उनकी तीन बजे से है। मुझे याद था। "
याद तो मुझे भी था ,
इसी लड़की की वजह से जीजू लोग एक दिन एक्स्ट्रा रुके , वरना सब और सब से ज्यादा रीनू की संडे मॉर्निंग चले जायँगे।
रीनू ने गुड्डी को कितना डराया , एक से ऐसे वैसे वाले किंक्स के बारे में बोल कर , पर ये लड़की ,... फलाइट की बुकिंग तक चेंज कर दी , और बजाय डरने के , जहाँ रीनू भूल भी जाती , खुद उकसा उकसा के ,... कौन कह सकता है पहली बार मिली थी दोनों , जाते समय रीनू इत्ती उदास थी ,...
मैंने ब्रंच की तैयारी शुरू कर दी ,
लेकिन मेरे मन से वो सुबह की खबरे , नहीं जा रही थी , दिमाग से उनका चेहरा नहीं उतर रहा था। जब वो मीटिंग के लिए जा रहे थे कित्ते टेन्स थे .
मेरे दिमाग ने फिर उलटा पुलटा सोचना शुरू कर दिया , पिछले हफ्ते की ही तो बात है , पांच छह दिन पहले जब मुझे अंदाज हुआ थी की इनकी कम्पनी क्राइसिस में है। और खास तौर से हमारी लोकेशन
शेयर बाजार.. कंपनी के काम-काज...नयी क्राइसिस
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मैंने ब्रंच की तैयारी शुरू कर दी , लेकिन मेरे मन से वो सुबह की खबरे , नहीं जा रही थी , दिमाग से उनका चेहरा नहीं उतर रहा था। जब वो मीटिंग के लिए जा रहे थे कित्ते टेन्स थे .
मेरे दिमाग ने फिर उलटा पुलटा सोचना शुरू कर दिया , पिछले हफ्ते की ही तो बात है , पांच छह दिन पहले जब मुझे अंदाज हुआ थी की इनकी कम्पनी क्राइसिस में है। और खास तौर से हमारी लोकेशन
असल में हमारे लोकेशन में जो इक्विपमेंट बनता था , उसमें एक अमेरिकन इक्विपमेंट लगता था जो इनकी पैरेंट कम्पनी का प्रोप्रायटरी आइटम था। वॉल्यूम वाइज वो सिर्फ १५ % था , ७० % पार्ट जहाँ हम पोस्टेड थे वहीँ बनता था , बाकी १५ % आउटसोरस्ड था .
लेकिन वैल्यू वाइज वो पैरेंट कम्पनी से इम्पोर्टेड पार्ट , ४५ % था।
और अब रूपये की वैल्यू गिरने से इम्पोर्ट कास्ट बढ़ गयी , और वह पार्ट अब कुल कास्ट का ६५ % हो गया।
इससे प्रॉडक्ट की प्राइस भी बढ़ गयी , और जो हमें कम्पटीटिव एज थी वो सिर्फ ख़तम नहीं हुयी बल्कि एडवर्स हो गयी थी , और राइवल को फायदा हो रहा था।
और इससे कम्पनी की लिक्विडटी की प्राबलम भी पैदा हो गयी थी।
यह प्रॉब्लम सिर्फ एक्सचेंज रेट तक रहती तो गनीमत ,
पर एक पेंच और था , ... अमेरिका ने , ढेर सारे प्रॉडक्ट्स पर जो इण्डिया से आते हैं टैरिफ बढ़ा दी।
बस इण्डिया ने भी ,...
और जिन प्रॉडक्ट्स पर ये एक्स्ट्रा सरचार्ज लगाए गए थे ,... उनमें स्टेटस से आनेवाला .. वो पार्ट भी शामिल था।
नतीजा , इनपुट कास्ट और बढ़ गयी , ... और लिक्विडटी क्राइसिस शुरू हो गयी थी.
एक और पेंच था , शेयर बहुत ऐब्नॉर्मल बिहैव कर रहे थे , और पता यह चला की कोई परचेज कर रहा है , और हमारी लिक्विडटी क्राइसिस का फायदा उठाकर , एक्वायर करना चाहता है।
एक गड़बड़ और थी कंपनी ने एक डेब्ट ले रखा था , जो एक तरह से डेब्ट कम इक्विटी थी। अगर डेट की मैच्योरिटी या जब भी डेट देने वाली कम्पनी डेट वापस पन्दरह दिन की नोटिस देकर मांगे ,... और कंपनी अगर उसे न दे पाए तो उसे एक राइट था , की वो करेंट शेयर के वैल्यू के बेसिस पर उस डेब्ट को शेयर में कन्वर्ट करने के लिए इंसिस्ट सकता था। वो करीब १४ % शेयर होता।
जिस कम्पनी ने डेब्ट दिया था , वो उसी मार्केट में घुसना चाहता था , जिसमें इनकी कम्पनी थी।
बताया तो था आप लोगो को वो भी इसी पोस्ट में जबरदस्ती दुहरा रही हूँ ,
पर ये न , इन्होने कम्पनी के बाकी लोगों से मिल कर कुछ रास्ता निकाल लिया था , जिस दिन कमल जीजू लोग आये थे उसी दिन यह भी कारपोरेट आफिस से मीटिंग कर के लौटे थे , और रास्ता निकलने से बहुत खुश थे।
जो रस्ते उन्होंने शेयर मैनेजमनेट के लिए निकाला था ,
इसमें एक ये भी है की उन लोगों ने कुछ म्युचुअल फंड मैनेजर्स से बात कर के रखी थी , शेयर के लिए , की वो हम लोगो का शेयर ले।
खासतौर पर अगर जो कम्पनी हमें एक्वायर करने की कोशिश कर रही थी , ये पूरा शक था की वो बल्क में शेयर बेच कर के , एक ऐसी सिचुएशन क्रिएट करती की , इन शेयर्स के टेकर्स कम होते , और फिर दाम और गिरते , देखा देखी और लोग भी शेयर बेचते ऐसी हालत में , थोड़ा भी प्रेशर , शेयर्स को फ्री फाल्स में बदल देता , कम्पनी की क्रेडिबिल्टी खराब होती , और जो हमें एक्वायर करने वाला था , वो एकदम गिरे दामों पर शेयर खरीद कर अपना हिस्सा कम्पनी में बढ़ा लेता , ... इसी सिचुएशन को अवॉयड करने के लिए इन्होने कुछ फंड मैनेजर्स से बात की थी , और उन्होंने अश्योर भी किया था की क्योंकिं इनकी कम्पनी के मैक्रो पैरा मीटर्स ठीक हैं इसलिए वो सर्टेनली शेयर का दाम थोड़ा भी गिरंने पर इस कम्पनी में म्युचुअल फंड का का पैसा जरूर लगाएंगे।
ये इनकी स्ट्रेटजी का जरुरी हिस्सा था।
पर जो घर आते हुए मैंने ट्रैकर देखा था , सारे शेयर धड़ाम हो रहे थे।
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बीयर मार्केट पर हावी थे।
और जो इन्होने हल सोचा था वो सब ठीक ठाक था
पर अचानक शेयर मार्केट में बीयर आ जाएंगे, ये इन्होने क्या किसी ने नहीं सोचा था, वैसे भी कम्पलीट रेडियो सायलेंस के चक्कर में तीन दिनों से इन्होने हाल चाल पूछी भी नहीं थी
मुझे लग रहा था कुछ बड़ी गड़बड़ है जो अचानक इस तरह की मीटिंग, और कम्पनी अभी खतरे से निकली नहीं थी अगले हफ्ते दस दिन बड़े इम्पोर्टेंट थे
घर आके मैंने इकोनॉमिक पेपर्स पिछले दो तीन दिन के खगाले,...
सही कहा श्रीमंत...वाह कोमल मैम
आप लाईक की बात कर रहीं हैं ?? इस अपडेट पर तो अश: अश: करने का मन कर रहा है।
कॉरपोरेट परिदृश्य पर क्या शानदार पकड़ है आपकी ! बस मन मंत्रमुग्ध हो गया, कुछ कहते ही नहीं बन पा रहा है।
कंपनी एक्वायर पर स्वराज पाल का प्रकरण स्मृत हो आया।
मैने तो पहले भी कहा है और फिर कह रहा हूं कि आपका इरॉटिक लेखन तो कलेवर मात्र है। असली लेखन तो पृष्ठभूमि में हर विषय पर आपकी गहरी पकड़ है जो समय - समय पर आपकी कहानियों के अपडेट में दिखता है।
सादर
कहानी लिखने से पहले ये डिटेल रिसर्च का हीं नतीजा हो सकती है...Sala aajtak itna to kabhi जाना ही नहीं है शेयर बाजार या किसी कंपनी के बारे में
इनका यही कौशल अन्य कहानियों में भी झलकता है...कोमल जी,
आपकी लिखाई पर दिल से प्रशंसा व्यक्त करना चाहता हूँ.. आपने जिस प्रकार से एक एरोटिक कहानी में कॉर्पोरेट वित्तीय जमेले, शेयरों के दरों की उठापटक, अधिग्रहण से जुड़ी संजीदगियाँ, और कॉर्पोरेट सरवेलन्स जैसे जटिल विषयों को मिश्रित किया है, वह अत्यंत प्रभावशाली भी है.. आपने इन कठिन और तकनीकी विषयों को इस सटीकता से प्रस्तुत किया है कि पाठक को न केवल कहानी के रोमांचक मोड़ से जुड़ाव महसूस होता है, बल्कि वे इन कॉर्पोरेट मुद्दों को भी समझ पाते हैं.. एरोटिक तत्वों के बीच भी आपने इन मुद्दों को ऐसे रूप में समाहित किया है कि वे कहानी के मर्म को न केवल बढ़ाते हैं बल्कि उसे और भी अर्थपूर्ण बना देते हैं.. जाहीर होता है की इन सारे विषयों का ज्ञान केवल पढ़कर नहीं आ सकता.. आपने जरूर ऐसे मामलों को प्रवृत्त होकर संभाला भी होगा..
यह कहानी सिर्फ एक सामान्य एरोटिक कथा नहीं है, बल्कि यह आपकी लिखने के कौशल्य का प्रतीतिकरण है, जिसने वित्तीय और कॉर्पोरेट संस्कृति के संसार को बड़े ही सटीकता और सामंजस्य के साथ एक रोमांचक कथा में ढाल दिया है.. आपकी लेखनी ने यह साबित कर दिया है कि लेखन का कोई भी विषय हो, उसे कुशलता से प्रस्तुत किया जा सकता है, अगर उसमें समर्पण और विद्वता हो...