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avsji bhaiya kuch naraaj ho kya![]()
No bhai. Too busy with my targets. Last financial quarter... now last month. So much work is remaining.
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avsji bhaiya kuch naraaj ho kya![]()
Thank you very much for your wonderful review and support bhaiSuperb update Raj_sharma bhai aakhir kar Shefali ke aakho ki roshni wapas aa gye
Or
Is bahane Nayantara ped ke bare me acha janne ko mila great
.
Is tarf Vega ka janamdin hai agle din jisme apne dost Vinus ko invite kia party ke leye sirf indono ke elava koi nahi or sath me iske sath Vega ko ek courier aaya jisme Yugaka ne gift ke roop me apne bhai Vega ko watch dee ab dekhte hai aage kya hota hai
बताओ,सुयश तो 'इक्ष्वाकु के वंशजों' में से एक है 'मेरी तरह'
जिन्हें साधारणतः 'सूर्यवंशी' कहते हैं
और ये अटलांटिस 'मृत्युंजयों की भूमि - मेलुहा' का ही एक भाग लगता है 'जम्वूद्वीप' की तरह... 'अराका' को 'भरतखण्ड' के समकक्ष मानें तो वहां के साम्राज्य 'आर्यावर्त', 'द्राविड़', 'तैलंग' और 'मलय' की तरह विविध सांस्कृतिक साम्राज्यों का समूह
शलाका और आकृति की समरुपता केवल एक संयोग नहीं है क्योंकि संसार में कुछ भी अकारण नहीं होता
Condition is same here, i also having the pressure of financial year end pressure, but what we can do brother, we must go onNo bhai. Too busy with my targets. Last financial quarter... now last month. So much work is remaining.
WOW mast update raha ye bhi Raj_sharma bhai#70.
चैपटर-5 (शलाका मंदिर)
(8 जनवरी 2002, मंगलवार, 12:30, मायावन, अराका द्वीप)
सूर्य अब सिर पर चढ़ आया था। पर कोई रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। सभी विचित्र से पेड़-पौधो को देखते हुए आगे बढ़ रहे थे। पीठ पर लदे बैग को सभी आदमी बारी-बारी से उठा रहे थे।
सुबह से दोपहर होने को आ गयी थी मगर कोई भी विचित्र घटना नहीं घटी थी।
“लगता है इस जंगल का कहीं अंत नहीं है?" जॉनी ने अपने होंठ पर जीभ फिराते हुए कहा- “कहीं चलते-चलते ही ना मर जाएं।"
“मर जा!" जैक ने मजा लेते हुए कहा- “वैसे भी अब तेरी जिंदगी में रखा क्या है?"
“खोपड़ी मत चाट।" जॉनी अब थोड़ा झुंझला कर बोला- “एक तो वैसे ही शराब ना मिलने से मेरे तो सिर में दर्द भी होने लगा है, जी चाहता है किसी पत्थर पर अपना सिर मार लूं।"
“ये आइिडया भी बुरा नहीं है। जा पत्थर मार कर फोड़ ले अपना सिर।" जैक तो जैसे जॉनी के पीछे ही पड़ गया था- “थोड़ा खून निकलते ही तुझे शांति मिल जायेगी।"
यह सुनते ही जॉनी ने सच में रास्ते में पड़ा एक पत्थर उठा लिया।
“अरे-अरे, क्या कर रहा है नशेड़ी?" जैक ने जॉनी को पत्थर उठाते देख चीख कर कहा- “मैं तो मजाक कर रहा था। तू इसे सच समझ बैठा क्या?"
“मैं कौन सा सीरियस हुं।" जॉनी ने भी ‘ही-ही’ करते हुए अपने दाँत चमकाये।
यह कहकर जॉनी ने पत्थर को पास के एक पेड़ पर जोर से मार दिया। पेड़ पर जहां पत्थर लगा था अचानक एलेक्स की निगाह उधर गई।
“यह तीर का निशान कैसा?" एलेक्स ने सबका ध्यान पेड़ पर उस निशान की ओर ले जाते हुए कहा।
एलेक्स के शब्द सुन अब सबकी निगाह उस पेड़ पर गयी। पेड़ पर सफेद रंग से एक तीर का निशान बना दिखाई दे रहा था। यह देख सभी पेड़ के पास पहुंच गये।
वह सफेद तीर का निशान बांयी तरफ जाने का इशारा कर रहा था। उस तीर के निशान के नीचे कुछ ना समझ में आने वाली कूट भाषा में लिखा भी था।
कूट भाषा को देख सभी की निगाहें स्वतः शैफाली की ओर चली गयी।
“क्या तुम इन निशानो को भी जानती हो शैफाली?" सुयश ने शैफाली की ओर देखते हुए पूछा।
“हां कैप्टन अंकल। मैं तीर के नीचे लिखी भाषा को पढ़ सकती हुं।" शैफाली ने पेड़ की ओर देखते हुए कहा- “इस पर लिखा है- “शलाका मंदिर!“
“शलाका मंदिर!“ सभी ने मन ही मन बुदबुदाया।
“लगता है इस द्वीप पर रहने वाले लोगों की देवी का नाम शलाका है।“ क्रिस्टी ने कहा- “और यह तीर बताता है की अवश्य ही आगे कहीं पर देवी शलाका का मंदिर है।“
“फ़िर तो हमें अवश्य ही उस दिशा में चलना चाहिए।“ अल्बर्ट ने कहा- “शायद वहां पर कोई इंसान भी हमें मिल जाए? और उसे इस द्वीप से निकलने का कोई रास्ता भी पता हो?“
अल्बर्ट की बात सभी को सही लगी अतः वह सभी उस तीर की दिशा में चल दिये।
सभी सावधानीपूर्वक इधर-उधर देखते हुए अपने कदम बढ़ा रहे थे।
“वो देखो सामने।“ जेनिथ ने सभी को एक दिशा की ओर इशारा करते हुए कहा- “वहां पर एक और तीर बना है। वह तीर भी पिछले वाले तीर के जैसा ही है।"
जेनिथ की बात सुनकर सभी की निगाहें सामने बने तीर की ओर गयी। सभी लोग दूसरे बने तीर के हिसाब से फ़िर से मुड़ गये।
ये सभी इस बात से बेखबर थे की एक रहस्यमय साया काफ़ी देर से इनका पीछा कर रहा था जो निश्चय ही युगाका का था।
युगाका के चलने से, उसके पैरों से बिल्कुल भी आवाज नही हो रही थी।
रास्ते में कई और तीर के निशान मिले जिसका पीछा करते हुए सभी लोग एक विशालकाय मंदिर के पास पहुंच गये।
मंदिर इतना विशालकाय था कि उसे पूरा घूमने में 4 से 5 घंटे का समय लग जाता। मंदिर सुनहरे पत्थर और धातु से बना था।
ऐसा लग रहा था जैसे किसी विशालकाय पहाड़ को काटकर वह मंदिर बनाया गया था।
दूर से देखने पर मंदिर की बनावट लगभग किसी हि..दू मंदिर के जैसी लग रही थी।
मंदिर के मुख्य मंडप के शीर्ष पर नटराज का एक चित्र उकेरा था। मुख्य मंडप के अगल-बगल 2 विशाल आदमकद मूर्तियाँ लगी थी।
मंदिर के पिछले हिस्से में 2 धातुओं के विशालकाय खंभे बने थे, जिन पर विचित्र सी आकृतियां बनी थी
और अजीब सी भाषा में कुछ लिखा हुआ था।
मंदिर के मुख्य मंडप में जाने के लिये लगभग 25 सीढ़ियाँ बनी हुई थी।
“यह तो कोई हि..दू मंदिर लग रहा है?" सुयश ने मंदिर को देखते हुए कहा- “और इसकी बनावट से लग रहा है की यह सैकडो साल पुराना है। इतना प्राचीन और भव्य मंदिर किसने इस जंगल में बनवाया होगा?"
सभी चमतकृत होकर इस भव्य मंदिर को निहार रहे थे।
“तो क्या देवी शलाका कोई हिं..दू देवी है?" जेनिथ ने सुयश की ओर देखते हुए पूछ लिया- “परंतु यह मंदिर तो भारत से हजारों किलोमीटर दूर है।"
“इंडिया की सभ्यता भी हजारो साल पुरानी है, हो सकता है इस द्वीप पर पहले कोई इंडियन रहता हो?" अल्बर्ट ने कहा।
सुयश ने अपने जूतों को सीढ़ियो के नीचे ही उतारा और नंगे पैर ही सीढ़ियाँ चढ़ने लगा। सुयश को ऐसा करते देख सभी ने अपने जूते सीढ़ियो के नीचे ही उतार दिये और सुयश के पीछे-पीछे चल पड़े।
मंदिर का मुख्य मंडप काफ़ी ऊंचा बना था। मुख्य मंडप के बीच का भाग, एक 10 मीटर त्रिज्या के घेरे में, 7 ऊंचे-ऊंचे स्तंभो से घिरा था। उन सातों खंभो पर एक-एक योद्धा का चित्र बना था। हर योद्धा अपने हाथो में एक खतरनाक अस्त्र पकड़े हुए था।
उन खंभो के बीचोबीच में एक पत्थर का चबूतरा बना था, जिस पर एक 6 फुट ऊंची संगमरमर की किसी देवी की प्रतिमा लगी थी।
उस प्रतिमा के चारो तरफ 7 फुट ऊंचे गोलाकार आकृती में पेड़ लगे थे, जो चारो तरफ से प्रतिमा के ऊपर झुके हुए थे। पेड़ो के ऊपर झुके होने की वजह से उस प्रतिमा का चेहरा साफ नजर नहीं आ रहा था।
शैफाली पहले घूम-घूम कर खंभे पर बने योद्धाओ को देखने लगी।
“ये कैसे योद्धा है ? और इन खंभो पर क्या लिखा है शैफाली?" अल्बर्ट ने शैफाली की ओर देखते हुए पूछा।
“देवी शलाका के 7 भाई है। हर एक खंभा एक भाई का प्रतीक है।" शैफाली ने खंभो की ओर देखते हुए कहा- “और हर एक भाई के पास एक तत्व की शक्ति है।"
“पर यह तो 7 है। हमने तो सिर्फ पंच-तत्व के बारे में सुन रखा है, यह बाकी के 2 तत्व क्या है?" सुयश ने शैफाली से पूछा।
“यह पहले भाई का खंभा है। इस भाई का नाम ‘इवान’ है, इसके पास ‘अग्नि’ की शक्तियां है।" शैफाली ने पहले खंभे की ओर देखते हुए कहा।
सभी की नजर उस खंभे की ओर गयी, जिस पर इवान कोई अग्नि का हथियार हाथ में पकड़े दिखाई दे रहा था। इसके बाद शैफाली दूसरे खंभे के पास जाकर खड़ी हो गयी और सबके पास आने का इंतजार करने लगी।
“यह देवी शलाका का दूसरा भाई ‘ओरियन’ है, इसके पास ‘वायु’ की शक्तियां है।" यह बोल शैफाली किसी गाइड की तरह तीसरे खंभे के पास पहुंच गयी।
सभी फ़िर से शैफाली के पास आ गये।
“यह तीसरा भाई ‘डोरिक्स’ है, इसके पास ‘जल’ की शक्तियां है, फ़िर चौथा भाई ‘कैलीक्स’ है, जिसके पास ‘पृथ्वी’ की शक्तियां है, फ़िर पांचवे भाई का नाम ‘नेरिस’ है, जिसके पास ‘आकाश’ की शक्तियां है, फ़िर छठा भाई ‘डेल्फी’ जिसके पास ‘ध्वनि’ की शक्तियां है और आख़िर में सातवां भाई ‘नियो’ जिसके पास ‘प्रकाश’ की शक्तियां है।"
सभी मंत्रमुग्ध से शैफाली के शब्द सुनते हुए खंभो को देख रहे थे।
उधर मंदिर के द्वार पर छिपा युगाका भी आश्चर्य से शैफाली को खंभो पर लिखी विवरण को पढ़ते हुए देख रहा था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि शैफाली ‘एरकान’ भाषा को कैसे पढ़ सकती है? वो तो ‘अटलांटियन’ है ही नहीं।"
“अच्छा तो यहां पर ‘ध्वनि’ और ‘प्रकाश’ को 2 तत्व और माना गया है।" सुयश ने कहा।
“इसका मतलब सामने चबूतरे पर खड़ी प्रतिमा जरूर शलाका की होगी? जिसे सातो भाइयो ने अपने बीच सुरक्षित रखा है।" क्रिस्टी ने मंदिर के बीच में खड़ी प्रतिमा को देखते हुए कहा।
अब सभी का ध्यान उस प्रतिमा की ओर गया। जो आधा पेड़ से ढकी होने की वजह से नजर नहीं आ रही थी।
“कैप्टन, जरा ध्यान दीजिये।" ब्रेंडन ने कहा- “उस प्रतिमा तक जाने के रास्ते में जमीन पर 7 वर्गाकार
सफेद पत्थर है। कहीं ये भी सात भाइयो के प्रतीक तो नहीं है?"
सुयश ने ध्यान से उन पत्थरो को देखा और कुछ सोचने के बाद पहले पत्थर पर कदम रख दिया।
सुयश के पहले पत्थर पर पैर रखते ही पहला पत्थर बैंगनी रंग से चमकने लगा और इसी के साथ पहले भाई ‘इवान’ का खंभा भी बैंगनी रंग का हो गया।
इसी के साथ उस खंभे से एक बैंगनी रंग की किरण निकली और शलाका की प्रतिमा को घेरे एक पेड़ पर पड़ी। रोशनी के पड़ते ही प्रतिमा के पास लगा वह पेड़ सीधा हो गया। उस पेड़ पर अब बैंगनी रंग के फूल दिखाई देने लगे।
यह देखकर असलम चीख उठा- “रुक जाइये कैप्टन। मुझे यहां पर कोई खतरा दिख रहा है? अब आप आगे मत बढिये।"
“असलम सर सही कह रहे है कैप्टन।" ब्रेंडन ने भी असलम की बात में अपनी सहमित जताई-
“आप वापस आ जाइये।"
सबको चिल्लाते देख सुयश ने अपना कदम पीछे की तरफ करना चाहा, सुयश का पैर पत्थर से उठा तो पर वह पीछे की तरफ नहीं गया। यह देख सुयश ने थोड़ा और ताकत लगायी, पर नतीजा वही रहा। सुयश पीछे ना जा सका।
“प्रोफेसर, मैं पीछे नहीं आ पा रहा।" सुयश ने अल्बर्ट की ओर देखते हुए कहा- “शायद यहां कोई ऐसी अदृश्य ताकत है जो मुझे पीछे नहीं जाने दे रही है।"
जारी रहेगा________![]()
Kahani ko naya mood milne wala hai or kyaWOW mast update raha ye bhi Raj_sharma bhai
Shalaka ke Saat Bhai or Saatoo ke pass alag alag tatva ki taqat hai lekin ye Yugaka inke piche ahe Yugaka he wahe saya to nahi jo inke pucha kar raha hai shuruvat se alag alag roop leke
Or
Ab Suyash ka pair jam kaise gaya kya hone wala hai Suyash ke sath ab
Thank you so much bhaiRaj_sharma bhai 300 shatak ki hardik badhai ho aapko
Bahut badiya or Majedar raha update Raj_sharma bhai#71.
यह देख अल्बर्ट चीख कर बोला- “यह किसी प्रकार का कोई तिलिस्म है। यहां खतरा भी हो सकता है।" यह सुन सुयश चुपचाप उसी पत्थर पर खड़ा हो गया।
“प्रोफेसर, ये तिलिस्म क्या होता है?" एलेक्स ने अल्बर्ट से पूछा।
“विज्ञान के प्रयोगो को अति आधुनिक तरीके से मैकेनिज्जम के द्वारा एक घटनाक्रम में बदल दिया जाता है, जो एक जादू की तरह दिखाई देने लगता है। इस मैकेनिज्जम को डीकोड करने का एक ही तरीका होता है, अगर किसी ने कोई गलत तरीका अपनाया तो वह तिलिस्म से बाहर नहीं आ सकता।
सरल शब्दो में ये समझ लो कि तुम अगर किसी कमरे में बंद हो गये हो और उस कमरे के दरवाजे पर अगर कोई नंबर वाला ताला लगा है तो तुम बिना सही नंबर को लगाये, ना तो ताला खोल सकते हो और ना ही कमरे से बाहर आ सकते हो।"
अल्बर्ट ने इतने सरल तरीके से समझाया कि एलेक्स तो क्या जॉनी की भी सब समझ में आ गया।
यह सुन तौफीक ने सुयश को कहा- “कैप्टन अगर आप वापस नहीं आ सकते तो एक बार आगे जाने की कोशिश करके देख लीजिये।"
तौफीक की बात सुन सुयश ने अपना दाहिना पैर आगे की ओर बढ़ाया और दूसरे पत्थर पर रख दिया।
तुरंत दूसरे पत्थर का रंग आसमानी हो गया। इसी के साथ शलाका के दूसरे भाई ‘ओरियन’ का खंभा भी आसमानी हो गया और उससे निकली किरण ने दूसरे पेड़ को भी सीधा कर दिया।
अब उस पेड़ पर लगे फूल भी आसमानी रंग के हो गए।
दूसरे पेड़ के सीधे होते ही शलाका की मूर्ति का चेहरा थोड़ा-थोड़ा नजर आने लगा। सुयश ने फ़िर पीछे पलटने की कोशिश की, पर वो फ़िर से पलट नहीं पाया।
अब सुयश ने फैसला कर लिया था कि उसे अब आगे ही बढ़ना है। यह सोच सुयश ने एक साथ सभी
पत्थरो को पार कर लिया। सभी साँस रोके सुयश के हर कदम पर कुछ ना कुछ नया होते देख रहे थे।
शलाका के भाईयों के सभी खंभे अब अलग-अलग रंगो से रोशन हो गये और इसी के साथ हट गये शलाका को घेरे, पेड़ रुपी सभी पर्दे।
अब सातों पेड़ पर भी अलग-अलग रंग के फूल खिल गये थे। परंतु सुयश की निगाह अब सिर्फ और सिर्फ शलाका की मूर्ति पर थी।
6 फुट की शलाका की मूर्ति संगमरमर के सफेद पत्थर से निर्मित थी।
मूर्ति के सिर पर एक सुनहरे रंग का छोटा सा मुकुट था। उसकी आँखो किसी हिरनी के समान लंबी और चमकीली थी। उसके बाल अग्नि के समान हवा में लहरा रहे थे। उसने किसी भारतीय नारी के समान, लंबी सी साड़ी अपने बदन पर लपेट रखी थी। उसने अपने दोनों हाथो को जोड़कर, उसमें एक फुटबाल के आकार का काले रंग का एक मोती पकड़ रखा था।
सभी मन्त्रमुग्ध से सुंदरता की उस देवी को निहार रहे थे।
तभी जैसे अल्बर्ट को कुछ याद आया। उसने अपनी जेब से अटलांटिस वाला सोने का सिक्का निकालकर अपने हाथ में ले लिया। उसमें बनी फोटो को अल्बर्ट ने मूर्ति से मिलाकर देखा।
“बिल्कुल वही है।" अल्बर्ट मन ही मन बड़बड़ाया- “सिक्के पर देवी शलाका की ही फोटो बनी है। इसका मतलब हम इस समय अटलांटिस में ही है।"
उधर सुयश शलाका का सौंदर्य देखने में इतना मग्न हो गया कि उसे आसपास का कुछ याद ही नहीं रह गया।
तभी सुयश को उस मूर्ति की आँखो में कुछ हरकत होती दिखाई दी। पता नहीं कितनी देर तक सुयश उस मूर्ति को देखता रहा और फ़िर उस मूर्ति की ओर बढ़ने लगा।
जैसे ही सुयश के पांव उस गोल चबूतरे पर पड़े, अचानक सारे पेड़ झूमकर देवी शलाका पर फूलो की बारिश करने लगे। सभी साँस रोके सुयश को देख रहे थे।
सुयश शलाका की मूर्ति के बिल्कुल पास पहुंच गया था। सुयश को अब उस मूर्ति से भीनी-भीनी सी खुशबू आती भी प्रतीत हो रही थी।
“रुक जाइये कैप्टन।" अल्बर्ट ने तेज आवाज में कहा।
इस बार सुयश ने बिना अल्बर्ट को देखे हुए अपना दाहिना हाथ उठाया, जो कि इस बात का संकेत था
कि वह होश में है और बाकी सभी लोग को वहीं रुकने का इशारा कर रहा है।
सुयश का संकेत समझ अल्बर्ट शांत हो गया। अब सभी साँस रोके हुए सुयश को देख रहे थे।
पता नहीं इस समय क्यों युगाका की भी साँस रुकी हुई थी।
सुयश ने धीरे से हाथ बढ़ाकर उस मूर्ति को स्पर्श कर लिया। मूर्ति को स्पर्श करने पर उसे ऐसा महसूस हुआ, जैसे वह पत्थर की मूर्ति ना होकर जीवित कोई शरीर हो।
इस अजीब मुलायम से स्पर्श से घबराकर सुयश ने अपना दाहिना हाथ पीछे खींच लिया।
अचानक सातों खम्भो से एक साथ अलग-अलग रंग की किरने निकली और सुयश के शरीर से टकराकर गायब हो गई।
इसी के साथ वहां से हज़ारों किलोमीटर दूर, अंटार्कटिका के बर्फ़ में दफन, शलाका महल में मौजूद, शलाका के चेहरे पर एक भीनी सी मुस्कान बिखर गयी और वह धीरे से बुदबुदाई-
“मुझे तुम्हारा हज़ारों सालो से इंतजार था। आख़िर तुम आ ही गये ‘आर्यन’। अब तिलिस्मा को टूटने से कोई भी नहीं रोक सकता।"
इधर रोशनी के पड़ते ही सुयश के शरीर को तेज झटका लगा। इस झटके की वजह से सुयश 2 कदम पीछे हो गया।
यह देखकर युगाका के चेहरे पर आश्चर्य के भाव आ गये और वह मन ही मन बड़बड़ाया-
“ये जिंदा कैसे बच गया?"
इधर सुयश के पीछे आते ही पुनः सभी पेड़ देवी शलाका की ओर झुक गये और सब कुछ पहले कि तरह सामान्य हो गया। यह देख ब्रेंडन ने भागकर सुयश को अपनी ओर खींच लिया।
“क्या कर रहे थे कैप्टन?" असलम ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “ इस द्वीप पर कोई भी चीज सामान्य नहीं है, ऐसे में किसी भी चीज को छूना खतरे से खाली नहीं है।"
“मेरे हिसाब से हमें इस मंदिर से बाहर चलना चाहिए।" एलेक्स ने कहा- “मुझे तो यह मंदिर भी तिलिस्म लग रहा है।"
एलेक्स की बात पर सभी ने सहमित जताई और सभी मंदिर के द्वार की ओर चल दिये। उन सभी को बाहर निकलता देख, युगाका मंदिर की सीढ़ियाँ उतरा और भाग कर एक पेड़ के पीछे छिप गया।
सभी मंदिर के मुख्य द्वार से बाहर आ गये।
“मैंने देवी शलाका की ऐसी ही एक मूर्ति को अपने सपने में देखा था और ऐमू भी एक डोरी के द्वारा इनके हाथ से बंधा था। फ़िर इस देवी ने ऐमू की डोरी को अपने हाथ से छोड़ दिया था, जिससे ऐमू स्वतंत्र हो गया था।" शैफाली ने कहा।
एक छण के लिये सबकी आँखो में ऐमू का ख़याल आ गया।
“इसका मतलब है कि हमारे जहाज पर घट रही हर रहस्यमयी घटना का जिम्मेदार ये द्वीप ही था।" जेनिथ ने कहा।
“शायद आप लोग सही कह रहे हो।" अल्बर्ट ने यह कहकर अटलांटिस का सिक्का सुयश के हाथों में रख दिया- “यह देखिए कैप्टन, इस सिक्के पर भी देवी शलाका का ही चित्र बना है।"
सुयश ने ध्यान से सिक्के को देखा और फ़िर धीरे से सिर हिलाकर उसे अल्बर्ट को वापस कर दिया।
सुयश की आँखो में तो बस शलाका का सौंदर्य बस गया था। वह बहुत कोशिशों के बाद भी शलाका का चेहरा अपनी आँखो के आगे से हटा नहीं पा रहा था।
“यहां पर मंदिर तो है, पर एक भी इंसान यहां पर नहीं है। यह कैसे संभव हो सकता है? यहां के सारे लोग कहीं चले गये है? या फ़िर जानबूझकर हमसे छिप रहे है।" क्रिस्टी ने कहा।
“लगता है देवी शलाका के सौंदर्य के जादू ने सबको गायब कर दिया यहां से।" एलेक्स ने क्रिस्टी को चिढ़ाते हुए कहा- “जो भी हो पर देवी थी बहुत सुंदर। इतना खूबसूरत चेहरा भुलाए नहीं भूल रहा।"
“अच्छा जी! सुंदरता भुलाए नहीं भूल रही तुम्हे।"
क्रिस्टी ने गुस्से से एलेक्स को देखते हुए कहा- “सिर पर डंडा पड़ते ही सब कुछ भूल जायेगा।"
यह कहकर क्रिस्टी ने अपनी आँखे नचाते हुए एलेक्स के सिर पर धीरे से अपने हाथ में पकड़ी लकड़ी मार दी। सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।
जेनिथ को क्रिस्टी और एलेक्स की जोड़ी बहुत अच्छी लग रही थी। उसने एक नजर तौफीक को प्यार से देखा, पर बोली कुछ नहीं। जेनिथ की आँखो ने ही सबकुछ बोल दिया था। तौफीक की नजरें भी जेनिथ से मिली, पर उसकी आँखो के भाव बिल्कुल सपाट थे।
जेनिथ जानती थी कि तौफीक उससे प्यार तो करता है, पर वह उतना एक्सप्रेसिव नहीं है।
चलते-चलते जेनिथ ने भी धीरे से तौफीक का हाथ पकड़ लिया।
सभी फ़िर से अब आगे की ओर बढ़ गये।
रहस्यमय पिरामिड
(आज से 7 दिन पहले) 1 जनवरी 2002, मंगलवार, 08:15, अटलांटिक महासागर
“रोजर!" सुयश ने रोजर को संबोधित करते हुए कहा- “तुम तुरंत एक पायलेट के साथ इस हैलीकाप्टर से जाओ और देखो, शायद आसपास से जाता हुआ, कोई और शिप दिखाई दे जाए या फ़िर कोई और सुराग मिल जाए। जिससे यह पता चल जाए कि हम इस समय किस जगह पर है? और हां यह वॉकी-टॉकी सेट भी लेते जाओ। इससे मेरे संपर्क में रहना और मुझे सारी सूचना देते रहना।" यह कहते हुए सुयश ने जेम्स हुक से, वॉकी-टॉकी सेट लेकर, रोजर को दे दिया।
रोजर, सुयश से वॉकी-टॉकी सेट लेकर, पायलेट के साथ, हैलीकाप्टर में प्रवेश कर गया।
हैलीकाप्टर में बैठने के साथ, रोजर ने एक नजर वहां खड़े सभी लोगो पर मारी और फ़िर सुयश की तरफ देखते हुए, एक झटके से ‘थम्स-अप’ की शैली में अपना अंगूठा, जोश के साथ झटका देकर उठाया और फ़िर धीरे से पायलेट की ओर देखकर, उसे हैलीकाप्टर को उड़ाने का इशारा किया।
थोड़ी ही देर में, एक गड़गड़ाहट के साथ, हैलीकाप्टर रोजर को लेकर आसमान में था।
रोजर की नजर आसमान में चारो ओर घूम रही थी। दूर-दूर तक अथाह समुंदर के सिवा कुछ नजर नहीं आ रहा था।
“सर, मुझे नहीं लगता कि इतने अथाह समुंदर में, हमें ऐसी खतरनाक जगह पर कोई दूसरा जहाज नजर भी आयेगा।" हैलीकाप्टर के पायलेट ने रोजर से कहा।
“पर कोशिश करके देखने में क्या परेशानी है?" रोजर ने वॉकी-टॉकी सेट को हाथ में नचाते हुए जवाब दिया- “तुम हैलीकाप्टर को आसमान में थोड़ा और ऊंचा लो। मैं ऊंचाई से दूरबीन से देखने की कोशिश करता हू । शायद कुछ नजर आ ही जाए।"
“ठीक है सर।" यह कहकर पायलेट ने हैलीकाप्टर को थोड़ा और ऊंचे कर लिया।
लगभग 15 मिनट तक रोजर समुंदर में चारो ओर देखता रहा, पर उसे लहरो के सिवा कुछ भी नजर ना आया।
“थोड़ा और देखते है उसके बाद वापस चलते है।" यह कहकर रोजर ने पायलेट को बांयी तरफ हैलीकाप्टर को मोड़ने का इशारा किया।
10 मिनट और बीत गये, फ़िर भी कुछ नजर नहीं आया।
यह देखकर रोजर ने वॉकी-टॉकी सेट को ऑन करते हुए कहा- “हैलो-हैलो कैप्टन! क्या आप मेरी आवाज सुन रहे है? ओवर।"
“यस रोजर सर! हमें आपकी आवाज सुनाई दे रही है। ओवर!" दूसरी तरफ से असलम की आवाज सुनाई दी। असलम की आवाज सुन रोजर थोड़ा सोच में पड़ गया।
तभी रोजर को सुयश की आवाज सुनाई दी- “यस रोजर! बताओ, क्या कहना चाहते हो तुम? ओवर!" अब शायद सुयश ने वॉकी-टॉकी सेट असलम से ले लिया था।
रोजर ने सुयश कीआवाज पहचान ली। वह बोला- “कैप्टन हम लोग इस समय शिप से काफ़ी दूर आ चुके है। पर अभी दूर-दूर तक कुछ नजर नहीं आ रहा है। लगता है कि हम वास्तव में भटक गए है।"
पायलेट का भी पूरा ध्यान सिर्फ और सिर्फ वॉकी-टॉकी सेट पर था।
रोजर का बोलना जारी रहा- “अब हम लोग और आगे बढ़ रहे है सर। हर तरफ सिर्फ समुद्र की लहरें ही नजर आ रही है। नीला समुद्र...... पानी ही पानी।"
जारी रहेगा_______![]()