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Non-Erotic Rudra Mhanyoda

Vk1989

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Ch 47 - आठवां राजसी परिवार बनाना

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frands me Khani me likha राहु में सोचा नहीं था आप सबका प्यार मिलेगा. मी हप्ते 2/3 ch देना खा बोला था. लेकीन आप सबका प्यार देखे कोही हप्ते मी 4/5 ch deta rahuga. बस आप सबका ऐसा ही सपूत मील की प्यार.

Ch 48 - पुश्तैनी मार्शल आर्ट का खो...

Ch 49 - सौदे का खुलासा

Ch 50 - अधिपति युग अरोड़ा
 
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Ch 43 - रुद्र की योजना

अपने सामने उस हत्यारे को मारने वाले का चेहरा देखकर राजीव हैरान हो गया और फिर अगले ही पल राजीव के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई राजीव ने चिल्लाते हुए कहा "मास्टर आप. आप यहां पर कब आए?"

उस आदमी को देखकर जानवी भी खुश हो गई और उसके मुंह से निकला "उत्तम श्रेष्ठ आप।

वह आदमी दिखने में 60 वर्षीय आदमी की तरह दिखाई दे रहा था जिसके चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट थी उस आदमी ने हरे रंग के कपड़े पहन रखे थे और उसकी कमर पर तलवार बंधी हुई थी।

रुद्र की नजर उस आदमी के दाहिने हाथ पर गई जिस हाथ में बांसुरी थी उस बांसुरी को देखकर रूद्र को कुछ याद आया और उसने उस आदमी को देखते हुए कहा "राज परिवार के पांच उत्तम श्रेष्ठ मे से एक श्रेष्ठ जगत तोमर।"

रूद्र ने एक बार यशवंत के मुंह से राज परिवार के पांच उत्तम श्रेष्ठ के बारे में सुना था की अब राज परिवार की पकड़ 7 राजसी परिवार पर पहले की तरह मजबूत नहीं है पर अब भी उनमें से कोई भी परिवार राज परिवार पर आंख उठाने की हिम्मत नहीं करता है क्योंकि राज परिवार के पास पांच उत्तम
श्रेष्ठ है और उनमें से प्रत्यक्ष श्रेष्ठ की ताकत पांचवे सितारे पर है जिस वजह से राज परिवार आज भी 7 राजसी परिवारो को अपने नीचे दबा कर रखता है और उन पांच उत्तम श्रेष्ठ में से एक श्रेष्ठ का नाम जगत तोमर भी था जो बांसुरी बजाकर अपने सोचने भर से ही अपने दुश्मनों को मार देता है।

एक बार जगत तोमर ने एक साथ तीन पांचवे सितारे वाले मार्शल आर्टिस्ट का सामना करा था और उन्हें मौत के घाट भी उतरा था उसी दिन के बाद जगत तोमर का नाम पूरे राजगिरी महाद्वीप पर फैल गया

रुद्र की बात सुनकर मास्टर जगत की भौहे चढ़ गई और उन्होंने रूद्र को ऊपर से नीचे देखा तभी उस जगह पर जोरों से हंसने की आवाज आई और उस जगह पर यशवंत आ गया।

यशवंत ने मास्टर जगत की बगल में खड़े होने के बाद कहा "मैंने कहा था ना इस लड़के की नजर बहुत ज्यादा तेज है मैंने सिर्फ एक बार तुम्हारे बारे में बताया था और इसने तुम्हें एकदम पहचान लिया।"

यशवंत को देखकर जानवी की मुस्कुराहट और भी ज्यादा बड़ी हो गई और वह तुरंत यशवंत के पास चली गई जानवी ने छोटी बच्ची की तरह कहा "आप दोनों यहां पैर कब आए?"

"हम दोनों यहां पर जब से हैं जब रुद्र और तीसरे राजकुमार का द्वंद चल रहा था।"

इतना कहने के बाद यशवंत ने रुद्र की ओर देखा और कहा

"तुम्हारे अंदर सच में बहुत ज्यादा काबिलियत है तुमने तीसरे सितारे वाले मार्शल आर्टिस्ट को बहुत आसानी से संभाल लिया तुम्हारी उम्र के अंदर में भी इतना ज्यादा प्रतिभाशाली नहीं था।"

रुद्र की तारीफ सुनकर जानवी ने मुंह फेर लिया और रुद्र को तिरछी नजर से देखा हालांकि यह बात अलग थी आज उसने खुद अपनी आंखों से रुद्र की ताकत देख ली थी पर उसे रूद्र कुछ खास पसंद नहीं था।

"मास्टर अगर आप यहां पर पहले ही आ गए थे तो आप सामने क्यों नहीं आए?" इतना कहने के बाद राजीव का सीना चौड़ा हो गया और उसने किसी महान इंसान की तरह आगे कहा "इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, मेरे साथ क्या होने वाला था पर अगर मिस जानवी को कुछ हो जाता तो फिर मैं अपने आप को माफ कैसे कर पाता?"

राजीव की बात सुनकर मास्टर जगत ने हंसते हुए कहा "अगर मैं यहां पर पहले ही आ जाता तो मुझे इतना बेहतरीन दृश्य देखने को कैसे मिलता लड़के तुम सच में बहुत ज्यादा प्रतिभाशाली हो मैंने आज से पहले ऐसा दृश्य नहीं देखा।"

मास्टर जगत की बात सुनकर रूद्र सामने आया और उसने मास्टर जगत को नमस्कार करते हुए कहा "ये आपका बड़प्पन है जो आप मेरी तारीफ कर रहे हैं पर क्या मैं जान सकता हूं जब मैं उस आदमी से पूछताछ करने वाला था तो आपने उस आदमी को क्यों मारा?"

रुद्र की बात सुनकर मास्टर जगत की मुस्कुराहट गायब हो

गई और उनके चेहरे पर गंभीर भाव आ गए मास्टर जगत बोले "लड़के तुम बहुत ज्यादा समझदार हो पर तुम्हारी समझदारी तुम्हारी ताकत से बहुत ज्यादा है और जहां तक मैं समझता हूं इतना ज्यादा समझदार होना तुम्हारी जान ले सकता है।"

रूद्र को मास्टर जगत की बात समझ में आ गई और उसने उन्हें धन्यवाद करते हुए कहा "मुझे आपकी बात समझ में आ गई मुझे बचाने के लिए धन्यवाद।"

असल में मास्टर जगत ने उस हत्यारे को मार कर रुद्र की जान बचाई थी क्योंकि रुद्र के पास इतनी ज्यादा ताकत नहीं थी कि वह उन हत्यारे को भेजने वाले का सामना कर सके इसलिए रूद्र ने इस बारे में सोचना बंद कर दिया और वह पीछे हट गया।

रूद्र को पीछे हटते हुए देखकर मास्टर जगत के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गई और उन्होंने रुद्र की तारीफ करते हुए कहा "लड़के तुम सच में बहुत ज्यादा समझदार हो तुम्हें पता है कब सामना करना है और कब पीछे हटना है अगर तुम शैतानी मार्शल आर्टिस्ट नहीं होते तो तुम मेरे शिष्य बन सकते थे।

मास्टर जगत की बात सुनकर उस जगह पर मौजूद सभी लोग बहुत ज्यादा हैरान हो गए और वे रुद्र और मास्टर जगत को हैरानी में देखने लगे।


हालांकि यह बात रूद्र को नहीं पता थी की मास्टर जगत ने अभी-अभी रुद्र से क्या कहा था मास्टर जगत खुद रूद्र को अपना शिष्य बनना चाहते थे पूरे राजसी परिवार में कोई भी ऐसा राजसी परिवार नहीं था जो नहीं चाहेगा कि मास्टर जगत के पास उनके बच्चे जाए, पर मास्टर जगत बहुत ज्यादा जिद्दी थे वे किसी को भी अपने शिष्य के रूप में नहीं अपनाते थे बहुत से लोगों ने सम्राट से कहकर मास्टर जगत पर अपने बच्चों के लिए सिफारिश लगवाई, पर मास्टर जगत अपने इरादे के पक्के थे उन्होंने आज तक राजीव के अलावा किसी को भी अपने शिष्य के रूप में नहीं अपनाया।

मास्टर जगत राजीव को भी अपने शिष्य के रूप में नहीं अपनाना चाहते थे पर राजीव पूरे 1 साल तक मास्टर जगत के घर कि सीडियो पर पड़ा रहा तब जाकर मास्टर जगत ने राजीव को अपने शिष्य के रूप में अपनाया और आज तक उन्होंने राजीव को भी अपनी सभी मार्शल आर्ट के बारे में नहीं बताया बस छोटी-मोटी तीन-चार तकनीक ही शिकाई, अगर रूद्र मास्टर जगत का शिष्य बन जाता है फिर सभी 7. राजसी परिवार के लोग भी रूद्र को जानते होंगे, उन्हें भी रुद्र की इज्जत करनी होगी।

यशवंत ने राजीव और जानवी के खुले मुंह को देखा और फिर अपने आप से कहा "इन दोनों को अभी भी बहुत कुछ देखना बाकी है वही ये लड़का इन दोनों से बिल्कुल अलग है देखने से ऐसा लगता है जैसे कि इसे दुनिया का पूरा तजुर्बा है और कहीं ना कहीं मैं जानता था एक दिन जरूर ऐसा आएगा आखिरकार कौन रूद्र जैसे प्रतिभाशाली लड़के को अपना शिष्य नहीं बनना चाहेगा, चाहे दुनिया का कोई भी ताकतवर इंसान दो तह भी अपने लिए एक शिष्य जरूर चनेगा ताकि वह अपनी पूरी रियासत उसे देख सके।

इधर रुद्र के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था उसने अपने आप से कहा "क्या ये मुझे अपना शिष्य बनना चाहता है अच्छा हुआ में शैतानी मार्शल आर्टिस्ट हूं वरना मुझे इसको मना करना पड़ता अगर किसी को मेरा मास्टर बनना है उसके लिए उस आदमी का बहुत ज्यादा ताकतवर होना जरूरी है उल्टा में इसे अपना शिष्य बना सकता हूं। मेरे पास इतना ज्यादा ज्ञान है ये अपनी पूरी जिंदगी भी लगा कर इकट्ठा नहीं कर सकता।

मास्टर जगत आगे बढ़ते हैं और राजीव को पकड़ लेते हैं मास्टर जगत बोले "मुझे यहां से जाना होगा तीसरे राजकुमार को अभी कुछ काम है जो उन्होंने अभी तक नहीं किया।"

राजीव कुछ कहना चाहता था और वह बोलने ही वाला था तभी मास्टर जगत तुरंत पलक झपकने की स्पीड से उड़ते हुए उस जगह से चले जाते हैं जब कोई मार्शल आर्टिस्ट पांचवे सितारे पर पहुंच जाता है वह उड़ भी सकता है।

मास्टर जगत की स्पीड इतनी ज्यादा थी रुद्र तो उन्हें देख भी नहीं पाया रूद्र को ऐसा लगा जैसे कि मास्टर जगत उसके सामने से गायब हो गए हो।

रूद्र ने मास्टर जगत की ताकत देखने के बाद अपने आप से कहा "मुझे जल्द से जल्द पांचवें सितारे पर पहुंचना होगा वरना मुझे हर वक्त पांचवे सितारे वाले मार्शल आर्टिस्ट से डर रहेगा।"

अभी रूद्र इसी बारे में सोच रहा था तभी यशवंत, रुद्र के सामने आ गया। यशवंत का चेहरा गंभीर था और उसे देखने से ही लग रहा था कि उसे रुद्र से कुछ जरूरी बात करनी है यशवंत बोला "रुद्र चलो मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है।"

यशवंत की बात सुनकर रूद्र बोल "चलिए बड़े भाई यशवंत ।"

10 मिनट बाद वे दोनों कौशिक परिवार की बैठक के अंदर थे जहां यशवंत ने जानवी को बाहर पहरेदारी के लिए छोड़ दिया यशवंत ने एक कागज बाहर निकाला।

जिसे देखकर रुद्र के चेहरे पर कुटिल मुस्कुराहट आ गई यशवंत ने उस कागज को दिखाते हुए कहा "हम तुम्हारे परिवार के साथ सौदा करना चाहते हैं जिसके तहत हमारा परिवार तुम्हारे परिवार की रक्षा करेगा और हमारे होते हुए कोई भी तुम्हारे परिवार के ऊपर आंख उठाकर नहीं देखेगा इस सौदे को हमारे परिवार के मुखिया ने खुद बनाया है।

यशवंत की बात सुनकर रुद्र के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे उसका चेहरा बिल्कुल शांत था जैसे ही उसे पहले से ही पता हो कि यह सब होने वाला है।

यशवंत भी रूद्र को शांत देखकर हैरान हो गया और उसे झटका लगा यशवंत बोला "क्या तुम्हें पहले से ही इस बारे में पता था?"

जिस पर रूद्र बोल "बड़े भाई आप कैसी बात कर रहे हैं भला मुझे इस बारे में कैसे पता होगा।"

इतना कहने के बाद रुद्र के चेहरे पर शैतानी हंसी आ गई और वह उस कागज को देखने लगा रूद्र ने अपने आप से कहा "मैंने जैसा सोचा था बिल्कुल वैसा ही हुआ मेरी योजना सफल रही।"

असल में रुद्र जब से कौशिक परिवार के अंदर आया था उसने तभी से योजना बनानी शुरू कर दी थी की कैसे उसे कौशिक परिवार के साथ सौदा करना है उससे पहले उसने कौशिक परिवार के बारे में जानकारी इकट्ठा की और उसे पता चला कौशिक परिवार का मुखिया बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षी है और वह अपने वादे पर निडर रहता है इसलिए रूद्र ने कौशिक परिवार को अपना सहयोगी बनाने के बारे में सोचा।

सबसे पहले उसने यशवंत को तीसरे स्तर की फॉर्मेशन देकर उसे लुभाया और फिर अपनी जान की बाजी लगाकर मेहरा परिवार के दो श्रेष्ठ को मारा ताकि कौशिक परिवार, वर्मा परिवार को कम ना आके अगर रुद्र के पास वर्मा परिवार की जिम्मेदारी न होती वह कभी भी अपनी जान की बाजी लगाकर दो श्रेष्ठ को ना मारता बल्कि वह बिना लोगों के सामने आए अपनी ताकत को बढ़ाता।

रूद्र ने यशवंत का विश्वास जीतने के लिए सुनहेरी आंख को भी दाव पर लगा दिया और आखिरकार वह कामयाब रहा रूद्र को किसी की भी चिंता नहीं थी वह एक शैतानी मार्शल आर्टिस्ट था उसने सिर्फ यशवंत का इस्तेमाल किया और आज भी वह यशवंत का इस्तेमाल ही कर रहा था इस वक्त रुद्र के लिए यशवंत एक मोहरा था जिसको उसने अभी तक अपने इशारों पर नाचाया।

रूद्र ने अपने आप से कहा "अगर एक बार शोदा हो गया, मैं निश्चित हो जाऊंगा फिर खुद कौशिक परिवार वर्मा परिवार की रक्षा करेगा और मैं आसानी से अपने परिवार की ताकत बढ़ाने पर ध्यान दे पाऊंगा।"

इतना सोचने के बाद रूद्र ने यशवंत से वह कागज ले लिया और कहा "ठीक है मैं इस सौदे को मिस कनिका की आत्मा से जुडवा कर आता हूं।"

किसी सौदे को आत्मा से जुड़वाने का मतलब साइन करवाना होता है और रुद्र कनिका के पास जाकर इस सौदे को साइन करवाने वाला था क्योंकि अभी समर बहुत छोटा था इसलिए वह इस सौदे पर साइन नहीं कर सकता था पर कनिका समर की सगी बहन थी इसलिए वह इस सौदे पर साइन कर सकती थी।

रुद्र उस जगह से जाने ही वाला था तभी यशवंत ने रूद्र को रोक लिया और कहा "रुको तुम इस सौदे को कनिका की आत्मा से नहीं जुड़वा सकते।"

अब आगे क्या होगा, आखिरकार यशवंत ने रुद्र से ऐसा क्यों कहा? क्या इसके पीछे यशवंत की कोई शर्त थी? जानने के लिए पढ़ते रहिए l
 

krish1152

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Sushil@10

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Ch 43 - रुद्र की योजना

अपने सामने उस हत्यारे को मारने वाले का चेहरा देखकर राजीव हैरान हो गया और फिर अगले ही पल राजीव के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई राजीव ने चिल्लाते हुए कहा "मास्टर आप. आप यहां पर कब आए?"

उस आदमी को देखकर जानवी भी खुश हो गई और उसके मुंह से निकला "उत्तम श्रेष्ठ आप।

वह आदमी दिखने में 60 वर्षीय आदमी की तरह दिखाई दे रहा था जिसके चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट थी उस आदमी ने हरे रंग के कपड़े पहन रखे थे और उसकी कमर पर तलवार बंधी हुई थी।

रुद्र की नजर उस आदमी के दाहिने हाथ पर गई जिस हाथ में बांसुरी थी उस बांसुरी को देखकर रूद्र को कुछ याद आया और उसने उस आदमी को देखते हुए कहा "राज परिवार के पांच उत्तम श्रेष्ठ मे से एक श्रेष्ठ जगत तोमर।"

रूद्र ने एक बार यशवंत के मुंह से राज परिवार के पांच उत्तम श्रेष्ठ के बारे में सुना था की अब राज परिवार की पकड़ 7 राजसी परिवार पर पहले की तरह मजबूत नहीं है पर अब भी उनमें से कोई भी परिवार राज परिवार पर आंख उठाने की हिम्मत नहीं करता है क्योंकि राज परिवार के पास पांच उत्तम
श्रेष्ठ है और उनमें से प्रत्यक्ष श्रेष्ठ की ताकत पांचवे सितारे पर है जिस वजह से राज परिवार आज भी 7 राजसी परिवारो को अपने नीचे दबा कर रखता है और उन पांच उत्तम श्रेष्ठ में से एक श्रेष्ठ का नाम जगत तोमर भी था जो बांसुरी बजाकर अपने सोचने भर से ही अपने दुश्मनों को मार देता है।

एक बार जगत तोमर ने एक साथ तीन पांचवे सितारे वाले मार्शल आर्टिस्ट का सामना करा था और उन्हें मौत के घाट भी उतरा था उसी दिन के बाद जगत तोमर का नाम पूरे राजगिरी महाद्वीप पर फैल गया

रुद्र की बात सुनकर मास्टर जगत की भौहे चढ़ गई और उन्होंने रूद्र को ऊपर से नीचे देखा तभी उस जगह पर जोरों से हंसने की आवाज आई और उस जगह पर यशवंत आ गया।

यशवंत ने मास्टर जगत की बगल में खड़े होने के बाद कहा "मैंने कहा था ना इस लड़के की नजर बहुत ज्यादा तेज है मैंने सिर्फ एक बार तुम्हारे बारे में बताया था और इसने तुम्हें एकदम पहचान लिया।"

यशवंत को देखकर जानवी की मुस्कुराहट और भी ज्यादा बड़ी हो गई और वह तुरंत यशवंत के पास चली गई जानवी ने छोटी बच्ची की तरह कहा "आप दोनों यहां पैर कब आए?"

"हम दोनों यहां पर जब से हैं जब रुद्र और तीसरे राजकुमार का द्वंद चल रहा था।"

इतना कहने के बाद यशवंत ने रुद्र की ओर देखा और कहा

"तुम्हारे अंदर सच में बहुत ज्यादा काबिलियत है तुमने तीसरे सितारे वाले मार्शल आर्टिस्ट को बहुत आसानी से संभाल लिया तुम्हारी उम्र के अंदर में भी इतना ज्यादा प्रतिभाशाली नहीं था।"

रुद्र की तारीफ सुनकर जानवी ने मुंह फेर लिया और रुद्र को तिरछी नजर से देखा हालांकि यह बात अलग थी आज उसने खुद अपनी आंखों से रुद्र की ताकत देख ली थी पर उसे रूद्र कुछ खास पसंद नहीं था।

"मास्टर अगर आप यहां पर पहले ही आ गए थे तो आप सामने क्यों नहीं आए?" इतना कहने के बाद राजीव का सीना चौड़ा हो गया और उसने किसी महान इंसान की तरह आगे कहा "इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, मेरे साथ क्या होने वाला था पर अगर मिस जानवी को कुछ हो जाता तो फिर मैं अपने आप को माफ कैसे कर पाता?"

राजीव की बात सुनकर मास्टर जगत ने हंसते हुए कहा "अगर मैं यहां पर पहले ही आ जाता तो मुझे इतना बेहतरीन दृश्य देखने को कैसे मिलता लड़के तुम सच में बहुत ज्यादा प्रतिभाशाली हो मैंने आज से पहले ऐसा दृश्य नहीं देखा।"

मास्टर जगत की बात सुनकर रूद्र सामने आया और उसने मास्टर जगत को नमस्कार करते हुए कहा "ये आपका बड़प्पन है जो आप मेरी तारीफ कर रहे हैं पर क्या मैं जान सकता हूं जब मैं उस आदमी से पूछताछ करने वाला था तो आपने उस आदमी को क्यों मारा?"

रुद्र की बात सुनकर मास्टर जगत की मुस्कुराहट गायब हो

गई और उनके चेहरे पर गंभीर भाव आ गए मास्टर जगत बोले "लड़के तुम बहुत ज्यादा समझदार हो पर तुम्हारी समझदारी तुम्हारी ताकत से बहुत ज्यादा है और जहां तक मैं समझता हूं इतना ज्यादा समझदार होना तुम्हारी जान ले सकता है।"

रूद्र को मास्टर जगत की बात समझ में आ गई और उसने उन्हें धन्यवाद करते हुए कहा "मुझे आपकी बात समझ में आ गई मुझे बचाने के लिए धन्यवाद।"

असल में मास्टर जगत ने उस हत्यारे को मार कर रुद्र की जान बचाई थी क्योंकि रुद्र के पास इतनी ज्यादा ताकत नहीं थी कि वह उन हत्यारे को भेजने वाले का सामना कर सके इसलिए रूद्र ने इस बारे में सोचना बंद कर दिया और वह पीछे हट गया।

रूद्र को पीछे हटते हुए देखकर मास्टर जगत के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गई और उन्होंने रुद्र की तारीफ करते हुए कहा "लड़के तुम सच में बहुत ज्यादा समझदार हो तुम्हें पता है कब सामना करना है और कब पीछे हटना है अगर तुम शैतानी मार्शल आर्टिस्ट नहीं होते तो तुम मेरे शिष्य बन सकते थे।

मास्टर जगत की बात सुनकर उस जगह पर मौजूद सभी लोग बहुत ज्यादा हैरान हो गए और वे रुद्र और मास्टर जगत को हैरानी में देखने लगे।


हालांकि यह बात रूद्र को नहीं पता थी की मास्टर जगत ने अभी-अभी रुद्र से क्या कहा था मास्टर जगत खुद रूद्र को अपना शिष्य बनना चाहते थे पूरे राजसी परिवार में कोई भी ऐसा राजसी परिवार नहीं था जो नहीं चाहेगा कि मास्टर जगत के पास उनके बच्चे जाए, पर मास्टर जगत बहुत ज्यादा जिद्दी थे वे किसी को भी अपने शिष्य के रूप में नहीं अपनाते थे बहुत से लोगों ने सम्राट से कहकर मास्टर जगत पर अपने बच्चों के लिए सिफारिश लगवाई, पर मास्टर जगत अपने इरादे के पक्के थे उन्होंने आज तक राजीव के अलावा किसी को भी अपने शिष्य के रूप में नहीं अपनाया।

मास्टर जगत राजीव को भी अपने शिष्य के रूप में नहीं अपनाना चाहते थे पर राजीव पूरे 1 साल तक मास्टर जगत के घर कि सीडियो पर पड़ा रहा तब जाकर मास्टर जगत ने राजीव को अपने शिष्य के रूप में अपनाया और आज तक उन्होंने राजीव को भी अपनी सभी मार्शल आर्ट के बारे में नहीं बताया बस छोटी-मोटी तीन-चार तकनीक ही शिकाई, अगर रूद्र मास्टर जगत का शिष्य बन जाता है फिर सभी 7. राजसी परिवार के लोग भी रूद्र को जानते होंगे, उन्हें भी रुद्र की इज्जत करनी होगी।

यशवंत ने राजीव और जानवी के खुले मुंह को देखा और फिर अपने आप से कहा "इन दोनों को अभी भी बहुत कुछ देखना बाकी है वही ये लड़का इन दोनों से बिल्कुल अलग है देखने से ऐसा लगता है जैसे कि इसे दुनिया का पूरा तजुर्बा है और कहीं ना कहीं मैं जानता था एक दिन जरूर ऐसा आएगा आखिरकार कौन रूद्र जैसे प्रतिभाशाली लड़के को अपना शिष्य नहीं बनना चाहेगा, चाहे दुनिया का कोई भी ताकतवर इंसान दो तह भी अपने लिए एक शिष्य जरूर चनेगा ताकि वह अपनी पूरी रियासत उसे देख सके।

इधर रुद्र के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था उसने अपने आप से कहा "क्या ये मुझे अपना शिष्य बनना चाहता है अच्छा हुआ में शैतानी मार्शल आर्टिस्ट हूं वरना मुझे इसको मना करना पड़ता अगर किसी को मेरा मास्टर बनना है उसके लिए उस आदमी का बहुत ज्यादा ताकतवर होना जरूरी है उल्टा में इसे अपना शिष्य बना सकता हूं। मेरे पास इतना ज्यादा ज्ञान है ये अपनी पूरी जिंदगी भी लगा कर इकट्ठा नहीं कर सकता।

मास्टर जगत आगे बढ़ते हैं और राजीव को पकड़ लेते हैं मास्टर जगत बोले "मुझे यहां से जाना होगा तीसरे राजकुमार को अभी कुछ काम है जो उन्होंने अभी तक नहीं किया।"

राजीव कुछ कहना चाहता था और वह बोलने ही वाला था तभी मास्टर जगत तुरंत पलक झपकने की स्पीड से उड़ते हुए उस जगह से चले जाते हैं जब कोई मार्शल आर्टिस्ट पांचवे सितारे पर पहुंच जाता है वह उड़ भी सकता है।

मास्टर जगत की स्पीड इतनी ज्यादा थी रुद्र तो उन्हें देख भी नहीं पाया रूद्र को ऐसा लगा जैसे कि मास्टर जगत उसके सामने से गायब हो गए हो।

रूद्र ने मास्टर जगत की ताकत देखने के बाद अपने आप से कहा "मुझे जल्द से जल्द पांचवें सितारे पर पहुंचना होगा वरना मुझे हर वक्त पांचवे सितारे वाले मार्शल आर्टिस्ट से डर रहेगा।"

अभी रूद्र इसी बारे में सोच रहा था तभी यशवंत, रुद्र के सामने आ गया। यशवंत का चेहरा गंभीर था और उसे देखने से ही लग रहा था कि उसे रुद्र से कुछ जरूरी बात करनी है यशवंत बोला "रुद्र चलो मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है।"

यशवंत की बात सुनकर रूद्र बोल "चलिए बड़े भाई यशवंत ।"

10 मिनट बाद वे दोनों कौशिक परिवार की बैठक के अंदर थे जहां यशवंत ने जानवी को बाहर पहरेदारी के लिए छोड़ दिया यशवंत ने एक कागज बाहर निकाला।

जिसे देखकर रुद्र के चेहरे पर कुटिल मुस्कुराहट आ गई यशवंत ने उस कागज को दिखाते हुए कहा "हम तुम्हारे परिवार के साथ सौदा करना चाहते हैं जिसके तहत हमारा परिवार तुम्हारे परिवार की रक्षा करेगा और हमारे होते हुए कोई भी तुम्हारे परिवार के ऊपर आंख उठाकर नहीं देखेगा इस सौदे को हमारे परिवार के मुखिया ने खुद बनाया है।

यशवंत की बात सुनकर रुद्र के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे उसका चेहरा बिल्कुल शांत था जैसे ही उसे पहले से ही पता हो कि यह सब होने वाला है।

यशवंत भी रूद्र को शांत देखकर हैरान हो गया और उसे झटका लगा यशवंत बोला "क्या तुम्हें पहले से ही इस बारे में पता था?"

जिस पर रूद्र बोल "बड़े भाई आप कैसी बात कर रहे हैं भला मुझे इस बारे में कैसे पता होगा।"

इतना कहने के बाद रुद्र के चेहरे पर शैतानी हंसी आ गई और वह उस कागज को देखने लगा रूद्र ने अपने आप से कहा "मैंने जैसा सोचा था बिल्कुल वैसा ही हुआ मेरी योजना सफल रही।"

असल में रुद्र जब से कौशिक परिवार के अंदर आया था उसने तभी से योजना बनानी शुरू कर दी थी की कैसे उसे कौशिक परिवार के साथ सौदा करना है उससे पहले उसने कौशिक परिवार के बारे में जानकारी इकट्ठा की और उसे पता चला कौशिक परिवार का मुखिया बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षी है और वह अपने वादे पर निडर रहता है इसलिए रूद्र ने कौशिक परिवार को अपना सहयोगी बनाने के बारे में सोचा।

सबसे पहले उसने यशवंत को तीसरे स्तर की फॉर्मेशन देकर उसे लुभाया और फिर अपनी जान की बाजी लगाकर मेहरा परिवार के दो श्रेष्ठ को मारा ताकि कौशिक परिवार, वर्मा परिवार को कम ना आके अगर रुद्र के पास वर्मा परिवार की जिम्मेदारी न होती वह कभी भी अपनी जान की बाजी लगाकर दो श्रेष्ठ को ना मारता बल्कि वह बिना लोगों के सामने आए अपनी ताकत को बढ़ाता।

रूद्र ने यशवंत का विश्वास जीतने के लिए सुनहेरी आंख को भी दाव पर लगा दिया और आखिरकार वह कामयाब रहा रूद्र को किसी की भी चिंता नहीं थी वह एक शैतानी मार्शल आर्टिस्ट था उसने सिर्फ यशवंत का इस्तेमाल किया और आज भी वह यशवंत का इस्तेमाल ही कर रहा था इस वक्त रुद्र के लिए यशवंत एक मोहरा था जिसको उसने अभी तक अपने इशारों पर नाचाया।

रूद्र ने अपने आप से कहा "अगर एक बार शोदा हो गया, मैं निश्चित हो जाऊंगा फिर खुद कौशिक परिवार वर्मा परिवार की रक्षा करेगा और मैं आसानी से अपने परिवार की ताकत बढ़ाने पर ध्यान दे पाऊंगा।"

इतना सोचने के बाद रूद्र ने यशवंत से वह कागज ले लिया और कहा "ठीक है मैं इस सौदे को मिस कनिका की आत्मा से जुडवा कर आता हूं।"

किसी सौदे को आत्मा से जुड़वाने का मतलब साइन करवाना होता है और रुद्र कनिका के पास जाकर इस सौदे को साइन करवाने वाला था क्योंकि अभी समर बहुत छोटा था इसलिए वह इस सौदे पर साइन नहीं कर सकता था पर कनिका समर की सगी बहन थी इसलिए वह इस सौदे पर साइन कर सकती थी।

रुद्र उस जगह से जाने ही वाला था तभी यशवंत ने रूद्र को रोक लिया और कहा "रुको तुम इस सौदे को कनिका की आत्मा से नहीं जुड़वा सकते।"

अब आगे क्या होगा, आखिरकार यशवंत ने रुद्र से ऐसा क्यों कहा? क्या इसके पीछे यशवंत की कोई शर्त थी? जानने के लिए पढ़ते रहिए l
Awesome update and nice story
 

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Ch 44 - कनिका की मेहनत

रुद्र उस जगह से जाने ही वाला था तभी यशवंत ने रूद्र को रोक लिया और कहा "तुम इस सौदे को कनिका की आत्मा से नहीं जुड़वा सकते।"

यशवंत की बात सुनकर रूद्र हैरान हो गया और उसकी भौहे चढ़ गई रूद्र ने अपनी तीखी नजरों से यशवंत को दिखा और फिर पूछा "बड़े भाई आपके कहने का क्या मतलब है मुझे आपकी बात समझ में नहीं आई?"

यशवंत का चेहरा गंभीर था और उसकी आखे तालाब की तरह शांत थी यशवंत बोला "इस सौदे से तुम्हें अपनी आत्मा जोड़नी होगी।"

'पर लेकिन मैं ऐसा कैसे कर सकता हूं मैं वर्मा परिवार का सलाहकार हूँ ना की मुखिया।" रूद्र ने व्यंग्य करते हुए कहा

जिस पर यशवंत बोला "मैं जानता हूं और ये सौदे वर्मा परिवार के लिए नहीं बल्कि तुम्हारे लिए बनाया गया है इस सौदे को खासकर हमारे मुखिया ने तुम्हारे लिए बनाया है इसके अंदर लिखा है जब तक तुम जिंदा रहोगे कौशिक परिवार वर्मा परिवार की रक्षा करेगा अगर तुम्हें कुछ हो गया तो कौशिक परिवार वर्मा परिवार की रक्षा नहीं करेगा इसलिए जब तक तुम हो तब तक वर्मा परिवार है।"

यशवंत की बात सुनकर पहले तो रुद्र हैरान हो गया पर अगले ही पल उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई उसने अधने आप से कहा "मुझे लगा ही था कौशिक परिवार का मुखिया कोई समझदार इंसान होगा।"

कुछ देर और बात करने के बाद रुद्र बैठक से बाहर आ गया बाहर आने के बाद रूद्र ने देखा कि अब तक सूरज भी ढल चुका था और अंधेरे ने चारों तरफ अपना बसेरा फैला लिया,

कुछ देर चलने के बाद रूद्र को अंगद दिखाई दिया रूद्र ने अंगद से पूछा "वो मुझे मिस कनिका कहीं पर दिखाई नहीं दे रही क्या तुम्हें उसके बारे में पता है मुझे उससे बहुत जरूरी बात करनी है?"

रुद्र की बात सुनकर अंगद ने गहरी सांस ली और फिर रुद्र से कहा "चलो मैं तुम्हें उनके पास लेकर चलता हूं।"

इतना कहने के बाद अंगद रसोई की ओर चल पड़ा और जैसे ही रूद्र रसोई के अंदर आया अंगद ने एक कौने की ओर इशारा करते हुए कहा "मिस कनिका यहां पर है।"

जब रूद्र ने अंगद के इशारे की ओर देखा तो उसे कनिका दीवार के सहारे नींद में दिखाई दी कनिका सोते वक्त बहुत ज्यादा मासूम लग रही थी पर उसके गोरे चेहरे पर कालीक लगी हुई थी और उसके कपड़े भी गंदे थे देखने से ऐसा लग रहा था जैसे कि आज कनिका ने पूरा दिन इसी रसोई के अंदर बीताया है।

अंगद ने अहा भरी और कनिका के बारे में बताते हुए कहा "आज पूरे दिन से मिस कनिका यहीं पर है उन्होंने पूरा दिन रसोईया से खाना बनाने का प्रशिक्षण लिया है पूरा वर्मा परिवार जामेता है तुम कितने ज्यादा ताकतवर हो पर तुम्हें मिस कनिका की कदर करनी चाहिए। जब तुम डेढ़ महीने से अपने घाव भर रहे थे उस वक्त मिस कनिका ने पूरे डेढ़ महीने मेहनत करके तुम्हारे लिए खाना बनाया, और तुमने क्या किया उस खाने को ठुकरा दिया और तो और मिस कनिका को डाटा भी अगर तुम्हें वह खाना पसंद नहीं आया था कम से कम तुम नाटक तो कर सकते थे।

रूद्र ने अंगद की बात को नजरअंदाज किया और रसोई के अंदर रखें मेज की ओर चला गया जिसके ऊपर कुछ खाना रखा हुआ था उस खाने को देखकर रूद्र तुरंत समझ गया की इस खाने को कनिका ने बनाया है हालांकि वह खाना दिखने में इतना ज्यादा अच्छा नहीं लग रहा था पर वह पहले से बेहतर था।

रूद्र ने उस खाने का कुछ भाग उठाया और खा लिया अंगद भी रूद्र को ऐसा करते हुए देख रहा था जब रूद्र ने उस खाने को खाया तो उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे जिसे देखकर अंगद ने अपना माथा पिट लिया।

अंगद, रुद्र के पास गया और उसे समझाते हुए कहा "लगता है तुम्हें अभी तक मेरी बात समझ में नहीं आई तुम्हें मिस कनिका के खाने को खाते ही ऐसा नाटक करना है जैसे कि तुम्हें मिस कनिका का खाना बहुत ज्यादा अच्छा लगा देखो मैं तुम्हें करके दिखाता हूं।"

इतना कहने के बाद अंगद ने उस खाने का कुछ भाग उठा

लिया और अपने मुंह के अंदर रखते हुए कहा "देखो तुम्हें बिल्कुल वैसा ही करना है जैसे-जैसे मैं करूंगा।"

और जैसे ही उस खाने का स्वाद अंगद के मुंह में घुला वह एक कोने में बैठकर उस खाने को बाहर निकालने लगा उसने रुद्र से कहा "तुम सच कह रहे थे मिस कनिका को सच में खाना पकाना नहीं आता।"

पर जैसे ही उसकी नजर रूद्र पर गई वह हैरान हो गया क्योंकि रूद्र मिस कनिका का खाना बड़े चाव से खा रहा था हालांकि उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे पर उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि सच में उसे वह खाना अच्छा लगा।

अंगद तुरंत खड़ा हो गया और उसने अपनी बात को वापिस लेते हुए कहा "देखो मैंने अभी जो कुछ भी कहा उसे भूल जाओ यह खाना सच में किसी के भी खाने के लायक नहीं है।"

रूद्र ने अंगद की कोई बात नहीं सुनी बल्कि उस खाने को खाते हुए कहा "देखो मुझे भूख लगी है और वैसे भी ये खाना पहले से बहुत ज्यादा अच्छा है।"

रुद्र की बात सुनकर अंगद ने भी कुछ नहीं कहा और वह उस जगह से चला गया।

अगले दिन.

सूरज की किरणें रसोई के अंदर पड़ी और कनिका ने धीरे से अपनी आंख खोली उसने अपने आस-पास देखा और फिर

कहा "लगता है कल मैं इतनी ज्यादा थक गई थी मेरी आंख रसोई के अंदर ही लग गई अगर बाहर किसी को इस बारे में पता चल गधा की वर्मा परिवार की मिस दिन रात खाना बनाने का अभ्यास कर रही है तो वे मेरे बारे में क्या सोचेगे।"

कनिका ने गहरी सांस ली और अपने आप से कहा "पर मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता की कोई मेरे बारे में क्या सोचेगा?"

अभी कनिका इसी बारे में सोच रही थी तभी उसे कुछ एहसास हुआ उसे अपने पीछे दीवार बिल्कुल भी महसूस नहीं हो रही थी और उसके पीठ पीछे कोई मुलायम चीज थी।

कनिका ने धीरे से अपना सर घुमाया तो उसे अपने बहुत ज्यादा करीब रुद्र का चेहरा दिखाई दिया रुद्र उसके इतना ज्यादा करीब था कनिका रुद्र की गर्म सांसों को भी महसूस कर सकती थी और कनिका के पीठ पीछे मुलायम चीज और कुछ नहीं बल्कि रुद्र का हाथ था और कनिका रात भर रुद्र के कंधे पर सो रही थी।

अब आगे क्या होगा, आखिरकार कनिका रूद्र को अपने इतने ज्यादा करीब देखकर क्या करेगी? क्या वह इस चीज का दोषी रूद्र को ठहराएगी? जानने के लिए पढ़ते रहिए l
 
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Ch 44 - कनिका की मेहनत

रुद्र उस जगह से जाने ही वाला था तभी यशवंत ने रूद्र को रोक लिया और कहा "तुम इस सौदे को कनिका की आत्मा से नहीं जुड़वा सकते।"

यशवंत की बात सुनकर रूद्र हैरान हो गया और उसकी भौहे चढ़ गई रूद्र ने अपनी तीखी नजरों से यशवंत को दिखा और फिर पूछा "बड़े भाई आपके कहने का क्या मतलब है मुझे आपकी बात समझ में नहीं आई?"

यशवंत का चेहरा गंभीर था और उसकी आखे तालाब की तरह शांत थी यशवंत बोला "इस सौदे से तुम्हें अपनी आत्मा जोड़नी होगी।"

'पर लेकिन मैं ऐसा कैसे कर सकता हूं मैं वर्मा परिवार का सलाहकार हूँ ना की मुखिया।" रूद्र ने व्यंग्य करते हुए कहा

जिस पर यशवंत बोला "मैं जानता हूं और ये सौदे वर्मा परिवार के लिए नहीं बल्कि तुम्हारे लिए बनाया गया है इस सौदे को खासकर हमारे मुखिया ने तुम्हारे लिए बनाया है इसके अंदर लिखा है जब तक तुम जिंदा रहोगे कौशिक परिवार वर्मा परिवार की रक्षा करेगा अगर तुम्हें कुछ हो गया तो कौशिक परिवार वर्मा परिवार की रक्षा नहीं करेगा इसलिए जब तक तुम हो तब तक वर्मा परिवार है।"

यशवंत की बात सुनकर पहले तो रुद्र हैरान हो गया पर अगले ही पल उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई उसने अधने आप से कहा "मुझे लगा ही था कौशिक परिवार का मुखिया कोई समझदार इंसान होगा।"

कुछ देर और बात करने के बाद रुद्र बैठक से बाहर आ गया बाहर आने के बाद रूद्र ने देखा कि अब तक सूरज भी ढल चुका था और अंधेरे ने चारों तरफ अपना बसेरा फैला लिया,

कुछ देर चलने के बाद रूद्र को अंगद दिखाई दिया रूद्र ने अंगद से पूछा "वो मुझे मिस कनिका कहीं पर दिखाई नहीं दे रही क्या तुम्हें उसके बारे में पता है मुझे उससे बहुत जरूरी बात करनी है?"

रुद्र की बात सुनकर अंगद ने गहरी सांस ली और फिर रुद्र से कहा "चलो मैं तुम्हें उनके पास लेकर चलता हूं।"

इतना कहने के बाद अंगद रसोई की ओर चल पड़ा और जैसे ही रूद्र रसोई के अंदर आया अंगद ने एक कौने की ओर इशारा करते हुए कहा "मिस कनिका यहां पर है।"

जब रूद्र ने अंगद के इशारे की ओर देखा तो उसे कनिका दीवार के सहारे नींद में दिखाई दी कनिका सोते वक्त बहुत ज्यादा मासूम लग रही थी पर उसके गोरे चेहरे पर कालीक लगी हुई थी और उसके कपड़े भी गंदे थे देखने से ऐसा लग रहा था जैसे कि आज कनिका ने पूरा दिन इसी रसोई के अंदर बीताया है।

अंगद ने अहा भरी और कनिका के बारे में बताते हुए कहा "आज पूरे दिन से मिस कनिका यहीं पर है उन्होंने पूरा दिन रसोईया से खाना बनाने का प्रशिक्षण लिया है पूरा वर्मा परिवार जामेता है तुम कितने ज्यादा ताकतवर हो पर तुम्हें मिस कनिका की कदर करनी चाहिए। जब तुम डेढ़ महीने से अपने घाव भर रहे थे उस वक्त मिस कनिका ने पूरे डेढ़ महीने मेहनत करके तुम्हारे लिए खाना बनाया, और तुमने क्या किया उस खाने को ठुकरा दिया और तो और मिस कनिका को डाटा भी अगर तुम्हें वह खाना पसंद नहीं आया था कम से कम तुम नाटक तो कर सकते थे।

रूद्र ने अंगद की बात को नजरअंदाज किया और रसोई के अंदर रखें मेज की ओर चला गया जिसके ऊपर कुछ खाना रखा हुआ था उस खाने को देखकर रूद्र तुरंत समझ गया की इस खाने को कनिका ने बनाया है हालांकि वह खाना दिखने में इतना ज्यादा अच्छा नहीं लग रहा था पर वह पहले से बेहतर था।

रूद्र ने उस खाने का कुछ भाग उठाया और खा लिया अंगद भी रूद्र को ऐसा करते हुए देख रहा था जब रूद्र ने उस खाने को खाया तो उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे जिसे देखकर अंगद ने अपना माथा पिट लिया।

अंगद, रुद्र के पास गया और उसे समझाते हुए कहा "लगता है तुम्हें अभी तक मेरी बात समझ में नहीं आई तुम्हें मिस कनिका के खाने को खाते ही ऐसा नाटक करना है जैसे कि तुम्हें मिस कनिका का खाना बहुत ज्यादा अच्छा लगा देखो मैं तुम्हें करके दिखाता हूं।"

इतना कहने के बाद अंगद ने उस खाने का कुछ भाग उठा

लिया और अपने मुंह के अंदर रखते हुए कहा "देखो तुम्हें बिल्कुल वैसा ही करना है जैसे-जैसे मैं करूंगा।"

और जैसे ही उस खाने का स्वाद अंगद के मुंह में घुला वह एक कोने में बैठकर उस खाने को बाहर निकालने लगा उसने रुद्र से कहा "तुम सच कह रहे थे मिस कनिका को सच में खाना पकाना नहीं आता।"

पर जैसे ही उसकी नजर रूद्र पर गई वह हैरान हो गया क्योंकि रूद्र मिस कनिका का खाना बड़े चाव से खा रहा था हालांकि उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे पर उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि सच में उसे वह खाना अच्छा लगा।

अंगद तुरंत खड़ा हो गया और उसने अपनी बात को वापिस लेते हुए कहा "देखो मैंने अभी जो कुछ भी कहा उसे भूल जाओ यह खाना सच में किसी के भी खाने के लायक नहीं है।"

रूद्र ने अंगद की कोई बात नहीं सुनी बल्कि उस खाने को खाते हुए कहा "देखो मुझे भूख लगी है और वैसे भी ये खाना पहले से बहुत ज्यादा अच्छा है।"

रुद्र की बात सुनकर अंगद ने भी कुछ नहीं कहा और वह उस जगह से चला गया।

अगले दिन.

सूरज की किरणें रसोई के अंदर पड़ी और कनिका ने धीरे से अपनी आंख खोली उसने अपने आस-पास देखा और फिर

कहा "लगता है कल मैं इतनी ज्यादा थक गई थी मेरी आंख रसोई के अंदर ही लग गई अगर बाहर किसी को इस बारे में पता चल गधा की वर्मा परिवार की मिस दिन रात खाना बनाने का अभ्यास कर रही है तो वे मेरे बारे में क्या सोचेगे।"

कनिका ने गहरी सांस ली और अपने आप से कहा "पर मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता की कोई मेरे बारे में क्या सोचेगा?"

अभी कनिका इसी बारे में सोच रही थी तभी उसे कुछ एहसास हुआ उसे अपने पीछे दीवार बिल्कुल भी महसूस नहीं हो रही थी और उसके पीठ पीछे कोई मुलायम चीज थी।

कनिका ने धीरे से अपना सर घुमाया तो उसे अपने बहुत ज्यादा करीब रुद्र का चेहरा दिखाई दिया रुद्र उसके इतना ज्यादा करीब था कनिका रुद्र की गर्म सांसों को भी महसूस कर सकती थी और कनिका के पीठ पीछे मुलायम चीज और कुछ नहीं बल्कि रुद्र का हाथ था और कनिका रात भर रुद्र के कंधे पर सो रही थी।

अब आगे क्या होगा, आखिरकार कनिका रूद्र को अपने इतने ज्यादा करीब देखकर क्या करेगी? क्या वह इस चीज का दोषी रूद्र को ठहराएगी? जानने के लिए पढ़ते रहिए l
Bahut badiya bhai❤️
 

Vk1989

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Comments kisi he kahani
 

Vk1989

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Ch 45 - रुद्र के सामने घमंड

रूद्र को अपने इतने ज्यादा करीब देखकर कनिका चिल्लाने ही वाली थी तभी वह रुक गई और रुद्र के चेहरे को ध्यान से देखने लगी रुद्र सोते वक्त बहुत ज्यादा मनमोहक लग रहा था और जब कनिका ने इतने ज्यादा पास से रुद्र का चेहरा देखा तो वह भी कुछ पल हैरान हो गई।

रुद्र वर्मा परिवार का सलाहकार था जिस वजह से वह कुछ ज्यादा खास कपड़े नहीं पहनता था और शायद इसी वजह से आज तक कनिका ने रुद्र का इतना मनमोहक चेहरा नहीं देखा।

कनिका कुछ पल रुद्र के चेहरे को देखती रही और फिर पता. नहीं उसे क्या हो गया वह रुद्र के और करीब जाने लगी इससे पहले कनिका, रुद्र के और ज्यादा करीब पहुंच पाती तभी रसोई के बाहर से किसी की आवाज आई "रुद्र."

ये आवाज किसी और कि नहीं बल्कि अंगद की थी और वह कुछ ही पल के अंदर रसोई के अंदर आने वाला था कनिका झटके से होश में आई और वह रुद्र के कंधे पर सर रखकर सोने का नाटक करने लगी।

हालांकि यह बात अलग थी अब तक शर्म की वजह से कनिका का चेहरा पूरी तरह लाल हो गया था अंगद रसोई के

अंदर आ गया जहां अब तक अंगद की आवाज सुनकर रूद्र भी उठ गया था अंगद को देखकर रुद्र की भौहे चढ़ गई और उसने तीखी नजर से अंगद को देखते हुए कहा "तुम इस वक्त यहां पर क्या करने के लिए आए हो?"

अंगद ने रुद्र के सवाल का जवाब ना देते हुए चिंता में कहा "मिस कनिका को क्या हो गया इनका चेहरा इतना ज्यादा लाल क्यों है?"

अंगद की बात सुनकर रूद्र ने कनिका की ओर देखा और उसका सर छूने के बाद रूद्र को पता चला कि उसको बुखार है, रूद्र ने गहरी सांस ली और फिर अपने आप से कहा "यह सब मेरी वजह से हुआ, मै मिस कनिका को यहां से उठा कर ले जाने ही वाला था पर मैंने सोचा शायद इस वजह से मिस कनिका उठ जाएगी इसलिए मैंने रात भर उनकी रक्षा करने के लिए यहीं पर रुकने के बारे में सोचा पर मुझे नहीं पता मेरी आंख कब लग गई।"

इतना कहने के बाद रूद्र उठ गया और उसने कनिका को अपनी गोद में उठा लिया रुद्र उस जगह से जाने ही वाला था तभी अंगद बोला "रुद्र मिस कनिका को अभी किसी से मिलना होगा वह आदमी बहुत ज्यादा खास है।"

"तुम्हें दिख नहीं रहा मिस कनिका की तबीयत खराब है इस वक्त मिस कनिका किसी से नहीं मिल सकती।" रूद्र ने अंगद को टोकते हुए कहा

इतना कहने के बाद रूद्र उस जगह से जाने लगा पर तभी अंगद ने चिल्लाते हुए कहा "वह आदमी कोई आम आदमी नहीं है उसके पास राष्ट्रीय चिन्ह है।"

राष्ट्रीय चिन्ह के बारे में सुनकर रूद्र अपनी जगह पर रुक गया और रुकता भी क्यों नहीं जिस किसी के भी पास राष्ट्रीय चिन्ह होता है वह कोई आम आदमी नहीं होता उसका ताल्लुक राज परिवार से होता है राष्ट्रीय चिन्ह के द्वारा दिया गया आदेश सम्राट के आदेश बराबर होता है अगर कोई इस आदेश को नहीं मानता तो इसका मतलब वह सम्राट के आदेश को नहीं मान रहा और इस आदेश को ना मानने वाले की सजा भी कम से कम मौत होती है।

कुछ देर उसी जगह पर खड़े होने के बाद रूद्र अंगद से बोलो "वह आदमी जो कोई भी है उसे जाकर साफ-साफ मना कर दो फिलहाल मिस कनिका आपसे नहीं मिल सकती क्योंकि उनकी तबीयत खराब है।"

रुद्र की बात सुनकर अंगद हैरान हो गया और वह लगभग बेहोश होने ही वाला था तभी उसने अपने आप को संभाला और रुद्र से कहां "पर रुद्र."

"मैंने तुम्हें जैसा कहा बिल्कुल वैसा करो।" रूद्र ने अंगद की बात को काटते हुए कहा।

रुद्र की बात सुनकर अंगद भी रुक गया और वह रूद्र को जाते हुए देखने के अलावा कुछ नहीं कर पाया।

इधर यहां से वर्मा परिवार की ओर जाते हुए रुद्र के चेहरे पर बिल्कुल भी चिंता नहीं थी और उसने जो कुछ भी कहा था बहुत सोच समझ कर कहा था रुद्र यह बात बहुत अच्छे से

जानता था वह सम्राट के आदेश को बिल्कुल भी नहीं टाल सकता पर रूद्र ये भी जानता था ये आदेश सम्राट का नहीं बल्कि तीसरे राजकुमार राजीव का होगा और वह राष्ट्रीय चिन्ह भी राजीव ने अपने किसी सिपाही को देकर मिस कनिका को बुलवाने के लिए कहा होगा।

रूद्र ने अपने आप से कहा "मैं जानता हूं राजीव दिल का बुरा इंसान नहीं है अगर मैंने उसके आदेश को नहीं माना वह इस बात को अपने दिल से नहीं लगाएगा।"

इतना सोचने के बाद रूद्र उस जगह से जाने के लिए बिल्कुल तैयार था पर तभी कनिका झटके से रुद्र की गोद में से उठकर खड़ी हो गई और उसने तुरंत अंगद से कहा "तुम्हें कुछ भी करने की कोई जरूरत नहीं मैं कुछ देर में तैयार होकर बाहर आती हूं।"

अंगद भी कनिका को देखकर खुश हो गया और उसने अपने मन ही मन में खुशी मनाते हुए कहा "अच्छा हुआ मिस कनिका उठ गई वरना ये रूद्र मुझे मरवा डालता।"

इतना सोचने के बाद अंगद, कनिका के सामने झुका और उस जगह से जाते हुए कहा "ठीक है मिस कनिका, मै आपका बाहर इंतजार करता हूं।"

अभी तक मिस कनिका का चेहरा लगभग ठीक हो गया था पर अभी भी उनका चेहरा शर्म की वजह से थोड़ा लाल था और वह रुद्र से नजरे नहीं मिला पा रही थी।

कनिका ने गंभीर होकर रुद्र से कहा "तुम अपने आप को क्या समझते हो, क्या ऐसा करके तुम सीधा सम्राट का सामना करना चाहते हो?"

इतना कहने के बाद कनिका मुडी ओर उस जगह से चली गई इधर रूद्र अपनी जगह पर बिल्कुल स्तब्ध खड़ा था उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था अभी कुछ समय पहले कनिका बीमार थी और फिर अगले ही पल वह ठीक हो गई। रूद्र को तो ऐसा लग रहा था कि कनिका बीमार होने की वजह से बेहोश हो गई है पर उसे क्या पता था कनिका उनकी सारी बातें सुन रही है।

रूद्र ने अपने आप से कहा "मैं अपने पिछले जन्म में महान सम्राट था आज तक कोई भी इंसान ऐसा नहीं था जिसे मैं नहीं समझ पाया हूं पर मैं कभी मिस कनिका को नहीं समझ • पाया आखिरकार उनके मन में क्या चलता रहता है।"

असल में रुद्र के पिछले जन्म में रुद्र की मुलाकात ऐसी किसी भी लड़की से नहीं हुई थी जो दिल की इतनी ज्यादा साफ हो और ना ही उसे प्यार शब्द का मतलब पता था इसलिए रूद्र मिस कनिका के इरादे को नहीं समझ पाया वरना रुद्र के लिए ऐसा कुछ भी नहीं था जिसे वह नहीं समझ पाए।

रुद्र इसी बारे में सोचता हुआ वर्मा परिवार की ओर उस सिपाही से मिलने के लिए चल पड़ा जो कनिका को लेने के लिए आया था।

कुछ ही देर के अंदर रूद्र वर्मा परिवार पहुंच गया और जैसे ही वह घर के अंदर दाखिल हुआ उसे वह सिपाही दिखा जो कनिका को लेने के लिए आया था।


वह सिपाही दूसरे सितारे के सातवें स्तर पर था और उसके कपड़े देखकर कोई भी बता सकता था कि यह सिपाही राज परिवार से है।

उस सिपाही का सीना चौड़ा था और उसकी गर्दन ऊंची थी उस सिपाही की कमर पर राष्ट्रीय चिन्ह को साफ-साफ देखा जा सकता था उस सिपाही ने राष्ट्रीय चिन्ह को अपनी कमर पर इस तरह बांध रखा था जिससे सभी लोगों की नजर सबसे पहले उस राष्ट्रीय चिन्ह पर जाए।

रुद्र उस सिपाही को देखते ही समझ गया कि वह मुझे नीचा दिखाने की कोशिश कर रहा है जहां उस सिपाही ने रूद्र को देखकर कहा "लगता है तुम्हारा नाम रूद्र है हमारे राजकुमार ने तुम्हारे पूरे परिवार के साथ बात करने के लिए बुलाया है।"

उस सिपाही की बात सुनकर रूद्र उसके बगल से निकल गया और सामने रखी कुर्सी पर बैठते हुए अपने आप से कहा "यह मुझे घमंड दिखाने की कोशिश कर रहा है जब ये अपनी मां की पेट में होगा तब से मैं घमंड दिखाने वाले लोगों को मारता आ रहा हूं।"

इतना सोचने के बाद रुद्र के चेहरे पर शैतानी हंसी आ गई जहां रूद्र को इस तरह बर्ताव करते हुए देखकर उस सपाही की आंखें गुस्से में सुखड़ गई और वह भौहे चढ़ाकर रूद्र को देखने लगा।

रुद्र बोला "क्या वह मोटा ठीक है या फिर वह अभी तक घायल है।"

रुद्र की बात सुनकर वह सिपाही पलट कर जवाब देने ही वाला था तभी वह हैरान हो गया और उसने घबराते हुए अपने आप से कहा "क्या इसमें अभी-अभी हमारे राजकुमार को मोटा कहा इस पूरे महाद्वीप के अंदर 10 से भी कम लोग ऐसे हैं जो राजकुमार को मोटा कह सकते हैं।"

अब तक उस सिपाही की आवाज धीमी हो गई थी और उसके अंदर पहले जैसा जोश नहीं दिखाई दे रहा था उसने घबराते हुए कहा 'राजकुमार बिल्कुल ठीक है।"

उसकी बात सुनकर रुद्र की हंसी और भी ज्यादा डरावनी हो गई और उसने उस सिपाही को देखते हुए कहा "लगता है उसने तुम लोगों को नहीं बताया क्योंकि उसे भी अपनी इज्जत का ख्याल है वरना उसकी चोट अभी तक ठीक नहीं होगी क्योंकि मैंने उसे कल 20 से भी ज्यादा मुक्के मारे थे और लातों की तो बात ही मत करो।"

इतना कहने के बाद रूद्र जोर-जोर से हंसने लगा जहां वह सिपाही बस अपने होंठ फढफड़ाता रह गया रूद्र ने उस सिपाही से आगे कहा "वैसे क्या वह बूढ़ा मास्टर जगत कल रात गुस्से में था।"

इधर अब तक उस सिपाही की कमर झुक गई थी और उसका घमंड चकनाचूर हो गया था यहां तक कि उसने राष्ट्रीय चिन्ह भी छुपा लिया था हालांकि यह बात अलग थी उसने इस राष्ट्रीय चिन्ह की मदद से बहुत लोगों को डराया था पर रूद्र अलग था रूद्र उन लोगों में से बिल्कुल भी नहीं था जो इस मामूली से सिपाही के काबू में आ जाए और वह सिपाही भी इस बात को बहुत जल्दी समझ गया था उसने रुद्र के आगे घमंड ना दिखा कर चुप चाप उसकी बात सुनना सही समझा।

रुद्र की बात सुनकर उस सिपाही ने कहा "कल रात मास्टर जगत राजकुमार के साथ वापिस आए थे और वे बिल्कुल भी गुस्से में नहीं लग रहे थे।"

रुद्र उस सिपाही को तीखी नजरों से देख रहा था और उस सिपाही की बात सुनकर रूद्र ने गहरी सांस ली और उससे बोला "अच्छा हुआ वह बूढ़ा गुस्से में नहीं है वैसे क्या तुमको पता है वह बूढ़ा मुझसे गुस्सा क्यों था क्योंकि वो मुझे अपना शिष्य बनाना चाहता था और मैंने उसका शिष्य बनने से मना कर दिया पर तुम्हारी बात सुनकर मुझे अच्छा लगा अब मैं बेफिक्र होकर उस जगह पर जा सकता हूं।"

रुद्र के उन आखिरी शब्दों में उस सिपाही को बहुत ज्यादा हैरान कर दिया यहां तक कि वह सिपाही बहुत ज्यादा घबरा भी गया था जब उसने उस दृश्य को याद किया कि वह कैसे रूद्र को घमंड दिखा रहा था उस बारे में सोच कर वह सिपाही अपने आप को संभाल नहीं पाया और नीचे गिर गया।

अब तक उस सिपाही की हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी जहां कुछ समय पहले उसका घमंड आसमान छू रहा था वहीं अब वह खुद नीचे था और उसका दिल जोरो से धड़क रहा था उसने घबराहट में अपने आप से कहा "आखिरकार ये लड़का कौन है, मैंने आज से पहले इसके बारे में क्यों नहीं सुना जो हमारे राजकुमार का दोस्त है और मास्टर जगत भी इसे अपना शिष्य बनाना चाहते हैं।"

जब रूद्र ने देखा की वह सिपाही नीचे गिर गया है उसने उस सिपाही से कहा "क्या हुआ क्या आपको मेरी जरूरत है?"

रूद्र ने उस सिपाही से यह बात तो कही थी पर उसका उस सिपाही की मदद करने का कोई इरादा नहीं था।

अब आगे क्या होगा, क्या रूद्र उस सिपाही को जाने देगा? या फिर वह उस सिपाही को और भी ज्यादा डराएगा? और आखिरकार तीसरा राजकुमार यानी राजीव वर्मा परिवार के साथ क्या बात करना चाहता था? जानने के लिए पढ़ते रहिए l
 

Dhakad boy

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Ch 45 - रुद्र के सामने घमंड

रूद्र को अपने इतने ज्यादा करीब देखकर कनिका चिल्लाने ही वाली थी तभी वह रुक गई और रुद्र के चेहरे को ध्यान से देखने लगी रुद्र सोते वक्त बहुत ज्यादा मनमोहक लग रहा था और जब कनिका ने इतने ज्यादा पास से रुद्र का चेहरा देखा तो वह भी कुछ पल हैरान हो गई।

रुद्र वर्मा परिवार का सलाहकार था जिस वजह से वह कुछ ज्यादा खास कपड़े नहीं पहनता था और शायद इसी वजह से आज तक कनिका ने रुद्र का इतना मनमोहक चेहरा नहीं देखा।

कनिका कुछ पल रुद्र के चेहरे को देखती रही और फिर पता. नहीं उसे क्या हो गया वह रुद्र के और करीब जाने लगी इससे पहले कनिका, रुद्र के और ज्यादा करीब पहुंच पाती तभी रसोई के बाहर से किसी की आवाज आई "रुद्र."

ये आवाज किसी और कि नहीं बल्कि अंगद की थी और वह कुछ ही पल के अंदर रसोई के अंदर आने वाला था कनिका झटके से होश में आई और वह रुद्र के कंधे पर सर रखकर सोने का नाटक करने लगी।

हालांकि यह बात अलग थी अब तक शर्म की वजह से कनिका का चेहरा पूरी तरह लाल हो गया था अंगद रसोई के

अंदर आ गया जहां अब तक अंगद की आवाज सुनकर रूद्र भी उठ गया था अंगद को देखकर रुद्र की भौहे चढ़ गई और उसने तीखी नजर से अंगद को देखते हुए कहा "तुम इस वक्त यहां पर क्या करने के लिए आए हो?"

अंगद ने रुद्र के सवाल का जवाब ना देते हुए चिंता में कहा "मिस कनिका को क्या हो गया इनका चेहरा इतना ज्यादा लाल क्यों है?"

अंगद की बात सुनकर रूद्र ने कनिका की ओर देखा और उसका सर छूने के बाद रूद्र को पता चला कि उसको बुखार है, रूद्र ने गहरी सांस ली और फिर अपने आप से कहा "यह सब मेरी वजह से हुआ, मै मिस कनिका को यहां से उठा कर ले जाने ही वाला था पर मैंने सोचा शायद इस वजह से मिस कनिका उठ जाएगी इसलिए मैंने रात भर उनकी रक्षा करने के लिए यहीं पर रुकने के बारे में सोचा पर मुझे नहीं पता मेरी आंख कब लग गई।"

इतना कहने के बाद रूद्र उठ गया और उसने कनिका को अपनी गोद में उठा लिया रुद्र उस जगह से जाने ही वाला था तभी अंगद बोला "रुद्र मिस कनिका को अभी किसी से मिलना होगा वह आदमी बहुत ज्यादा खास है।"

"तुम्हें दिख नहीं रहा मिस कनिका की तबीयत खराब है इस वक्त मिस कनिका किसी से नहीं मिल सकती।" रूद्र ने अंगद को टोकते हुए कहा

इतना कहने के बाद रूद्र उस जगह से जाने लगा पर तभी अंगद ने चिल्लाते हुए कहा "वह आदमी कोई आम आदमी नहीं है उसके पास राष्ट्रीय चिन्ह है।"

राष्ट्रीय चिन्ह के बारे में सुनकर रूद्र अपनी जगह पर रुक गया और रुकता भी क्यों नहीं जिस किसी के भी पास राष्ट्रीय चिन्ह होता है वह कोई आम आदमी नहीं होता उसका ताल्लुक राज परिवार से होता है राष्ट्रीय चिन्ह के द्वारा दिया गया आदेश सम्राट के आदेश बराबर होता है अगर कोई इस आदेश को नहीं मानता तो इसका मतलब वह सम्राट के आदेश को नहीं मान रहा और इस आदेश को ना मानने वाले की सजा भी कम से कम मौत होती है।

कुछ देर उसी जगह पर खड़े होने के बाद रूद्र अंगद से बोलो "वह आदमी जो कोई भी है उसे जाकर साफ-साफ मना कर दो फिलहाल मिस कनिका आपसे नहीं मिल सकती क्योंकि उनकी तबीयत खराब है।"

रुद्र की बात सुनकर अंगद हैरान हो गया और वह लगभग बेहोश होने ही वाला था तभी उसने अपने आप को संभाला और रुद्र से कहां "पर रुद्र."

"मैंने तुम्हें जैसा कहा बिल्कुल वैसा करो।" रूद्र ने अंगद की बात को काटते हुए कहा।

रुद्र की बात सुनकर अंगद भी रुक गया और वह रूद्र को जाते हुए देखने के अलावा कुछ नहीं कर पाया।

इधर यहां से वर्मा परिवार की ओर जाते हुए रुद्र के चेहरे पर बिल्कुल भी चिंता नहीं थी और उसने जो कुछ भी कहा था बहुत सोच समझ कर कहा था रुद्र यह बात बहुत अच्छे से

जानता था वह सम्राट के आदेश को बिल्कुल भी नहीं टाल सकता पर रूद्र ये भी जानता था ये आदेश सम्राट का नहीं बल्कि तीसरे राजकुमार राजीव का होगा और वह राष्ट्रीय चिन्ह भी राजीव ने अपने किसी सिपाही को देकर मिस कनिका को बुलवाने के लिए कहा होगा।

रूद्र ने अपने आप से कहा "मैं जानता हूं राजीव दिल का बुरा इंसान नहीं है अगर मैंने उसके आदेश को नहीं माना वह इस बात को अपने दिल से नहीं लगाएगा।"

इतना सोचने के बाद रूद्र उस जगह से जाने के लिए बिल्कुल तैयार था पर तभी कनिका झटके से रुद्र की गोद में से उठकर खड़ी हो गई और उसने तुरंत अंगद से कहा "तुम्हें कुछ भी करने की कोई जरूरत नहीं मैं कुछ देर में तैयार होकर बाहर आती हूं।"

अंगद भी कनिका को देखकर खुश हो गया और उसने अपने मन ही मन में खुशी मनाते हुए कहा "अच्छा हुआ मिस कनिका उठ गई वरना ये रूद्र मुझे मरवा डालता।"

इतना सोचने के बाद अंगद, कनिका के सामने झुका और उस जगह से जाते हुए कहा "ठीक है मिस कनिका, मै आपका बाहर इंतजार करता हूं।"

अभी तक मिस कनिका का चेहरा लगभग ठीक हो गया था पर अभी भी उनका चेहरा शर्म की वजह से थोड़ा लाल था और वह रुद्र से नजरे नहीं मिला पा रही थी।

कनिका ने गंभीर होकर रुद्र से कहा "तुम अपने आप को क्या समझते हो, क्या ऐसा करके तुम सीधा सम्राट का सामना करना चाहते हो?"

इतना कहने के बाद कनिका मुडी ओर उस जगह से चली गई इधर रूद्र अपनी जगह पर बिल्कुल स्तब्ध खड़ा था उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था अभी कुछ समय पहले कनिका बीमार थी और फिर अगले ही पल वह ठीक हो गई। रूद्र को तो ऐसा लग रहा था कि कनिका बीमार होने की वजह से बेहोश हो गई है पर उसे क्या पता था कनिका उनकी सारी बातें सुन रही है।

रूद्र ने अपने आप से कहा "मैं अपने पिछले जन्म में महान सम्राट था आज तक कोई भी इंसान ऐसा नहीं था जिसे मैं नहीं समझ पाया हूं पर मैं कभी मिस कनिका को नहीं समझ • पाया आखिरकार उनके मन में क्या चलता रहता है।"

असल में रुद्र के पिछले जन्म में रुद्र की मुलाकात ऐसी किसी भी लड़की से नहीं हुई थी जो दिल की इतनी ज्यादा साफ हो और ना ही उसे प्यार शब्द का मतलब पता था इसलिए रूद्र मिस कनिका के इरादे को नहीं समझ पाया वरना रुद्र के लिए ऐसा कुछ भी नहीं था जिसे वह नहीं समझ पाए।

रुद्र इसी बारे में सोचता हुआ वर्मा परिवार की ओर उस सिपाही से मिलने के लिए चल पड़ा जो कनिका को लेने के लिए आया था।

कुछ ही देर के अंदर रूद्र वर्मा परिवार पहुंच गया और जैसे ही वह घर के अंदर दाखिल हुआ उसे वह सिपाही दिखा जो कनिका को लेने के लिए आया था।


वह सिपाही दूसरे सितारे के सातवें स्तर पर था और उसके कपड़े देखकर कोई भी बता सकता था कि यह सिपाही राज परिवार से है।

उस सिपाही का सीना चौड़ा था और उसकी गर्दन ऊंची थी उस सिपाही की कमर पर राष्ट्रीय चिन्ह को साफ-साफ देखा जा सकता था उस सिपाही ने राष्ट्रीय चिन्ह को अपनी कमर पर इस तरह बांध रखा था जिससे सभी लोगों की नजर सबसे पहले उस राष्ट्रीय चिन्ह पर जाए।

रुद्र उस सिपाही को देखते ही समझ गया कि वह मुझे नीचा दिखाने की कोशिश कर रहा है जहां उस सिपाही ने रूद्र को देखकर कहा "लगता है तुम्हारा नाम रूद्र है हमारे राजकुमार ने तुम्हारे पूरे परिवार के साथ बात करने के लिए बुलाया है।"

उस सिपाही की बात सुनकर रूद्र उसके बगल से निकल गया और सामने रखी कुर्सी पर बैठते हुए अपने आप से कहा "यह मुझे घमंड दिखाने की कोशिश कर रहा है जब ये अपनी मां की पेट में होगा तब से मैं घमंड दिखाने वाले लोगों को मारता आ रहा हूं।"

इतना सोचने के बाद रुद्र के चेहरे पर शैतानी हंसी आ गई जहां रूद्र को इस तरह बर्ताव करते हुए देखकर उस सपाही की आंखें गुस्से में सुखड़ गई और वह भौहे चढ़ाकर रूद्र को देखने लगा।

रुद्र बोला "क्या वह मोटा ठीक है या फिर वह अभी तक घायल है।"

रुद्र की बात सुनकर वह सिपाही पलट कर जवाब देने ही वाला था तभी वह हैरान हो गया और उसने घबराते हुए अपने आप से कहा "क्या इसमें अभी-अभी हमारे राजकुमार को मोटा कहा इस पूरे महाद्वीप के अंदर 10 से भी कम लोग ऐसे हैं जो राजकुमार को मोटा कह सकते हैं।"

अब तक उस सिपाही की आवाज धीमी हो गई थी और उसके अंदर पहले जैसा जोश नहीं दिखाई दे रहा था उसने घबराते हुए कहा 'राजकुमार बिल्कुल ठीक है।"

उसकी बात सुनकर रुद्र की हंसी और भी ज्यादा डरावनी हो गई और उसने उस सिपाही को देखते हुए कहा "लगता है उसने तुम लोगों को नहीं बताया क्योंकि उसे भी अपनी इज्जत का ख्याल है वरना उसकी चोट अभी तक ठीक नहीं होगी क्योंकि मैंने उसे कल 20 से भी ज्यादा मुक्के मारे थे और लातों की तो बात ही मत करो।"

इतना कहने के बाद रूद्र जोर-जोर से हंसने लगा जहां वह सिपाही बस अपने होंठ फढफड़ाता रह गया रूद्र ने उस सिपाही से आगे कहा "वैसे क्या वह बूढ़ा मास्टर जगत कल रात गुस्से में था।"

इधर अब तक उस सिपाही की कमर झुक गई थी और उसका घमंड चकनाचूर हो गया था यहां तक कि उसने राष्ट्रीय चिन्ह भी छुपा लिया था हालांकि यह बात अलग थी उसने इस राष्ट्रीय चिन्ह की मदद से बहुत लोगों को डराया था पर रूद्र अलग था रूद्र उन लोगों में से बिल्कुल भी नहीं था जो इस मामूली से सिपाही के काबू में आ जाए और वह सिपाही भी इस बात को बहुत जल्दी समझ गया था उसने रुद्र के आगे घमंड ना दिखा कर चुप चाप उसकी बात सुनना सही समझा।

रुद्र की बात सुनकर उस सिपाही ने कहा "कल रात मास्टर जगत राजकुमार के साथ वापिस आए थे और वे बिल्कुल भी गुस्से में नहीं लग रहे थे।"

रुद्र उस सिपाही को तीखी नजरों से देख रहा था और उस सिपाही की बात सुनकर रूद्र ने गहरी सांस ली और उससे बोला "अच्छा हुआ वह बूढ़ा गुस्से में नहीं है वैसे क्या तुमको पता है वह बूढ़ा मुझसे गुस्सा क्यों था क्योंकि वो मुझे अपना शिष्य बनाना चाहता था और मैंने उसका शिष्य बनने से मना कर दिया पर तुम्हारी बात सुनकर मुझे अच्छा लगा अब मैं बेफिक्र होकर उस जगह पर जा सकता हूं।"

रुद्र के उन आखिरी शब्दों में उस सिपाही को बहुत ज्यादा हैरान कर दिया यहां तक कि वह सिपाही बहुत ज्यादा घबरा भी गया था जब उसने उस दृश्य को याद किया कि वह कैसे रूद्र को घमंड दिखा रहा था उस बारे में सोच कर वह सिपाही अपने आप को संभाल नहीं पाया और नीचे गिर गया।

अब तक उस सिपाही की हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी जहां कुछ समय पहले उसका घमंड आसमान छू रहा था वहीं अब वह खुद नीचे था और उसका दिल जोरो से धड़क रहा था उसने घबराहट में अपने आप से कहा "आखिरकार ये लड़का कौन है, मैंने आज से पहले इसके बारे में क्यों नहीं सुना जो हमारे राजकुमार का दोस्त है और मास्टर जगत भी इसे अपना शिष्य बनाना चाहते हैं।"

जब रूद्र ने देखा की वह सिपाही नीचे गिर गया है उसने उस सिपाही से कहा "क्या हुआ क्या आपको मेरी जरूरत है?"

रूद्र ने उस सिपाही से यह बात तो कही थी पर उसका उस सिपाही की मदद करने का कोई इरादा नहीं था।

अब आगे क्या होगा, क्या रूद्र उस सिपाही को जाने देगा? या फिर वह उस सिपाही को और भी ज्यादा डराएगा? और आखिरकार तीसरा राजकुमार यानी राजीव वर्मा परिवार के साथ क्या बात करना चाहता था? जानने के लिए पढ़ते रहिए l
Bhut hi jabardast updates
 

krish1152

Well-Known Member
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nice update
 
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