Ch 46 - तीनों परिवारों का राज
जब उस सिपाही को पता चला की रूद्र उनके राजकुमार और राज परिवार के पांच उत्तम श्रेष्ठ में से एक श्रेष्ठ मास्टर जगत को जानता है वह बहुत ज्यादा घबरा गया उसे नहीं लगा था की एक इतने छोटे परिवार का सलाहकार उनके राजकुमार को जानता होगा।
वह सिपाही जल्दी से खड़ा हुआ और रुद्र के सामने आकर झुक गया जहां रूद्र कुर्सी के ऊपर बैठा हुआ उसी सिपाही को देख रहा था।
रुद्र अपने पिछले जन्म में महान सम्राट था और बाकी सम्राट भी उसके सामने सोच समझ कर बोलते थे और एक सिपाही जिसकी औकात रुद्र के सामने कीड़े के बराबर भी नहीं, वह रूद्र को घमंड दिखा रहा था ये रूद्र को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हुआ और आखिरकार उसने उस सिपाही को अपने सामने झुकने पर मजबूर कर दिया।
अब तक उस सिपाही की हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी और उसे अपने ऊपर गुस्सा आ रहा था कि आखिरकार उसने रूद्र को नीचा दिखाने की कोशिश क्यों की।
इधर जैसे ही अंगद होल के अंदर दाखिल हुआ वह अपने सामने का नजारा देखकर अपनी जगह पर जम गया उसे अपनी आंखों पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था उसने अपने आप से कहा 'क्या ये वही सिपाही है जो कुछ समय पहले इतनी ज्यादा अकड़ दिखा रहा था कि मुझे कुछ ही पल के अंदर मिस कनिका यहां पर चाहिए।"
पर अगले ही पल अंगद को कुछ याद आया और उसने उस सिपाही को देखते हुए कहा "हमारे पूरे परिवार के अंदर रुद्र ही ऐसा लड़का है जो राज परिवार के दूत को भी अपने सामने झुका दे।"
रुद्र अपनी कुर्सी पर से खड़ा हो गया और उस सिपाही की बगल में से निकलते हुए कहा "वह मोटा मुझे क्यों बुला रहा है?"
इस वक्त वह सिपाही इतना ज्यादा डर गया था उसकी हिम्मत रूद्र को देखने की भी नहीं हो रही थी भले ही वह सिपाही रुद्र से ज्यादा ताकतवर था पर उसकी औकात रुद्र के सामने कुछ भी नहीं थी। उस सिपाही ने कांपते स्वर मे कहा "यंग मास्टर मुझे इस बारे में कुछ भी नहीं पता बस राजकुमार ने मुझे आपके परिवार के साथ-साथ गुप्ता पंरिवार और कुमार परिवार को भी बुलवाने के लिए कहा था।"
उस सिपाही की बात सुनकर रूद्र हैरान हो गया पर उसने अपनी हैरानी को अपने चेहरे पर बिल्कुल भी नहीं आने दिया रूद्र ने अपने आप से कहा "जरूर तीनों परिवारो का राज परिवार के साथ कोई ताल्लुक है।"
ये सिर्फ रुद्र का अंदाजा था उसे भी पूरी बात नहीं पता थी कुछ समय बाद पूरा वर्मा परिवार इकट्ठा हो गया जहां वह सिपाही उन्हें राजीव के पास लेकर जाने लगा।
लगभग डेढ़ किलोमीटर चलने के बाद वे सभी लोटस सिटी से बाहर आंगन आ पहुंचे वह आंगन चारों तरफ से 11 फुट बड़ी दीवार से ढका हुआ था उस सिपाही ने दरवाजा खोला जहां दरवाजे के अंदर पांच तीसरे स्तर के सिपाही एक कतार में खड़े थे।
उन सभी पांचो सिपाही ने उस दूत को देखा जो वर्मा परिवार के सामने झुककर खड़ा हुआ था एक पल के लिए उन सभी सिपाही को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ क्योंकि वह सिपाही उन सभी में बहुत ज्यादा घमंडी था और आज वह एक छोटे से परिवार के सामने झुका हुआ था। उन सभी सिपाहियों ने उस दूत को तिरस्कार भरी नजरों से देखा आखिरकार वे लोग कोई अरे गेरे आदमी नहीं थे जो किसी के भी सामने झुक जाए।
उस सिपाही ने भी उन पांचो सिपाहियों की भावनाओं को समझ लिया था पर उसने अपने मन ही मन सोचा "अगर इन्हें पंता चल गया सामने खड़ा लड़का कौन है इनकी हालत वैसे भी खराब हो जाएगी यह लड़का हमारे राजकुमार का दोस्त है और उत्तम श्रेष्ठ मास्टर जगत भी इसको अपने शिष्य बनना चाहते हैं।"
उस सिपाही ने उन पांचो सिपाहियों को पूरी तरह नजर अंदाज कर दिया और उन चारों को अंदर लेकर जाने लगा अंदर का नजारा काफी सुंदर था चारों तरफ शांति थी और पेड़ से फूल गिर रहे थे कुछ दूर चलने के बाद रूद्र को एक बड़े से पेड़ के नीचे कुछ आदमी दिखाई दिए जाँ कुर्सियों पर बैठे हुए थे और उनके बीच में भेज रखी हुई थी।
यह सिपाही उन सभी को उस बड़े से पेड़ के पास लेकर चला गया जहां उस बड़े से पेड़ के पास आने के बाद उस सिपाही ने रुद्र के सामने झुकते हुए कहा 'यंग मास्टर हम आ गए।"
उस पेड़ के नीचे सामने वाली कुर्सी पर राजीव बैठा हुआ था और उसकी बगल में मास्टर जगत खड़े थे साइड वाली कुर्सी पर गुप्ता परिवार कामुखिया जसवीर गुप्ता बैठा हुआ था और उसकी बगल में अवनी गुप्ता खड़ी थी। वही उसके सामने कुमार परिवार का मुखिया जंगशेर कुमार खड़ा था और उसकी बगल में उसका बेटा विवेक कुमार खड़ा था और राजीव के सामने दो कुर्सी खाली पड़ी हुई थी बेशक वे, दोनों कुर्सियां रुद्र और समर के लिए थी।
अगर कुछ महीने पहले की बात होती उस जगह पर सिर्फ एक कुर्सी होती पर अब बात अलग थी पिछले कुछ महीनों में रुद्र ने जो करनामे किए थे उस वजह से सभी लोग रूद्र को वर्मा परिवार का मुखिया समझने लगे थे इसलिए उस जगह पर रुद्र के लिए विशेष रूप से कुर्सी लाई गई थी।
उस सिपाही की बात सुनकर उन सभी की नजर रुद्र और उस सिपाही पर पड़ी जहां उस सिपाही को वर्मा परिवार के साथ इतना ज्यादा विनर्म देखकर सभी लोगों पर इस बात का अलग-अलग प्रभाव पड़ा किसी के चेहरे पर गुस्से के भाव थे और किसी के चेहरे पर हैरानी के,
सामने का नजारा देखकर मास्टर जगत के चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट थी उन्हें सब कुछ समझ में आ गया था की जरूर रूद्र ने हमारी बात को तरोड मरोड़ कर बताया होगा।
वही राजीव हैरान था उसने अपने आप से कहा "हमारे राज परिवार के सिपाही कब से इतना ज्यादा सुधर गए वे लोग तो राज परिवार के अलावा किसी को भी कुछ नहीं समझते थे।"
दूसरी तरफ कुमार परिवार के मुखिया जंगशेर के चेहरे पर गुस्से के भाव थे उन्हें रुद्र पर पहले से ही गुस्सा था पर अब उस सिपाही को रुद्र के साथ इतना ज्यादा विनर्म देखकर जंगशेर को और भी ज्यादा गुस्सा आ गया जब वह सिपाही उन्हें लेने के लिए आया था उस वक्त उसका घमंड आसमान छू रहा था और उस सिपाही ने उनके साथ कुछ ज्यादा बात भी नहीं की थी और वही अब वह सिपाही वर्मा परिवार के सामने भीगी बिल्ली की तरह खड़ा था।
रुद्र समर की बगल में खड़ा था वही कनिका और अंगद पीछे खड़े थे तभी रूद्र एक कदम पीछे हो गया जिससे समर सभी की नजरों में आया समर भी रूद्र को एक कदम पीछे हटते हुए देखकर हैरान था उसने रुद्र से कहा "क्या हुआ बड़े भाई आप पीछे क्यों हो गए?"
जिस पर रूद्र ने कहा "तुम वर्मा परिवार के मुखिया हो आज से तुम ही वर्मा परिवार को प्रतिनिधित्व करोगे।"
रुद्र की बात सुनकर कनिका को भी समझने में ज्यादा वक्त नहीं लगा की रूद्र ऐसा क्यों कर रहा है क्योंकि पिछले कुछ दिनों से सभी लोग रूद्र को ही वर्मा परिवार का मुखिया समझ रहे थे पर आज के बाद ऐसा नहीं होगा और रुद्र भी नहीं चाहता था की सभी लोग उसे वर्मा परिवार का मुखिया समझे इसलिए उसने समर को आगे किया था।
वे चारों राजीव के सामने आ गए जहां समर, कनिका और अंगद ने राजीव को नमस्कार किया मार्शल आर्ट की दुनिया में इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था की किसकी उम्र कितनी है अगर कोई आपसे ज्यादा ताकतवर है तो आपको उसके सामने झुक कर उसका सम्मान करना होगा और इस वक्त उन तीनों के सामने पूरे महाद्वीप का तीसरा राजकुमार था जिसके सामने उनकी कोई औकात नहीं थी।
कनिका, समर और अंगद ने राजीव को नमस्कार किया था पर रूद्र ने राजीव को नमस्कार नहीं किया था जहां सभी लोगों ने इस बात पर ध्यान दिया था पर किसी की भी कुछ बोलने की हिम्मत नहीं हो रही थी। जब राजीव ने ही रुद्र से कुछ नहीं कहा फिर वे लोग रुद्र से कैसे कुछ कह सकते थे।
अगर देखा जाए रूद्र ने राजीव को नमस्कार ना करके राजीव का अपमान किया था पर राजीव ने रुद्र के इस अपमान को गंभीरता से नहीं लिया और रुद्र को बैठने के लिए कहा।
राजीव की बात सुनकर रुद्र खुद कुर्सी पर नहीं बैठा बल्कि उसने कनिका और समर को कुर्सी पर बैठा दिया राजीव भी रूद्र की ऐसी हरकत देखकर हैरान था उसे नहीं लगा था इतना ज्यादा घमंडी लड़का अपने परिवार के साथ इतना ज्यादा वफादार होगा इस वक्त उसके सामने वाला रुद्र पूरी तरह बदल चुका था जो अपने परिवार के साथ बिल्कुल वफादार था। मास्टर जगत भी स्नेरवार के साथ इतना ज्यादा बफादार देखकर हैरान हो गए और उनके दिल में स्ट की और भी प्रशंसा करने का करने जितनी ताकत थी वह बड़े आराम से करना रुद्र के पास परिवार का मुखिया बन सकता था पर उसने ऐसा नहीं किया वह अपने मुखिया के साथ पूरी तरह बफादार था।
जब सभी लोग आ गए राजीव ने उन सभी से कहा 'जबकि आप सभी लोग आ गए. मैं आपको एक बात बताना चाहता हूं मैं यहां पर सम्राट के आदेश पर आया हूं आपकों एक राज बताने जो पिछले 1100 साल से गुप्त था।"
इतना कहने के बाद राजीव के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई और वह अपनी जगह से खड़ा हो गया राजीव ने आंगम का नजारा देखते हुए कहा 'आप सभी के परिवारों में सदियों से एक नियम चलता आ रहा होगा, ना हीं आप लोग एक दूसरे ये लड़ सकते हैं और ना ही लोटस सिटी छोड़कर जा सकते
राजीव की बात सुनकर रूद्रको मास्टर जसवीर की बात याद आ गई जब उन्होंने रूद्र को बताया था की हमारे परिवार का एक नियम है जो सदियों से हमारे परिवार के मुखिया को बताया जाता है कि हम वर्मा परिवार और कुमार परिवार के साथ दुस्मनी नहीं कर सकते और वर्मा परिवार के अंदर भी एक ऐसा ही नियम था।
राजीव ने आगे बताया 'असल में इस नियम को 1100 साल पहले बनाया गया था जब तुम्हारे पारिवार और हमारे राज परिवार के बीच में सौदा हुआ था।
इतना कहने के बाद राजीव ने उन सभी लोगों को देखा और अपनी बात पर जोर देते हुए कहा "मैं तुम सभी को एक राज बताने वाला हूं असल में वर्मा परिवार, गुप्ता परिवार और कुमार परिवार पहले सात राजसी परिवार की तरह एक बड़ा परिवार था और तुम्हारे परिवार ने हमारे राजगिरी महाद्वीप की नीव रखी थी तुम्हारा परिवार हमारे राजगिरी महाद्वीप का संस्थापक था।
राजीव की बात सुनकर सभी लोग बहुत ज्यादा हैरान हो गए और उनके मुंह खुले के खुले रह गए बेशक किसी को भी राजीव की बात पर विश्वास नहीं हो रहा था भला जिस परिवार ने पूरे राजगिरी महाद्वीप की नीव रखी थी वह परिवार इतना ज्यादा गरीब और कमजोर कैसे हो सकता है उन्हे राजीव की बात एक मनगढ़ंत कहानी के अलावा कुछ नहीं लग रही थी।
अब आगे क्या होगा, आखिरकार तीनों परिवार के पीछे क्या राज था? क्या सच में पहले तीनों परिवार एक थे और उनकी ताकत साथ राजसी परिवार के बराबर थी? फिर अचानक से क्या हुआ जो तीनों परिवार इतने ज्यादा कमजोर और गरीब हो गए? जानने के लिए पढ़ते रहिए l
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