- 23,021
- 61,750
- 259
जोरू का गुलाम भाग २४५ , गीता और गाजर वाला, पृष्ठ १५२४
अपडेट पोस्टेड
कृपया पढ़ें, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
अपडेट पोस्टेड
कृपया पढ़ें, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
Last edited:
Click anywhere to continue browsing...
Bahut bahut dhnavaad . server ke chaakkar men story men tharao aa gaya tha lekin ab bas jld hi full speed men saari stories men updates post hona shuru honge . ek bar fir se thanksHi komaal ji
Kya adbhut lekhan shaili hai aapki .aaj ke daur me aisi shaili itti gaharai vichato ki ki is tarha abhivyakti kamal hai tarif ke liye shabd nahi hai bas itta hi kah sakta hu ki isase utkristha lekhan to ab swayam ma sharda hi kr sakti hai
Kya mujhe aapki sari khaniyon ki suchi mil sakti hai jo ki n keval mere balki mujh jaise n jane aapke kitte prashanshako ke liye upyogi hogi
thanks, ek mahine se server men issues chal rahe the ab thoda stable hua hai to next part bhi jald hiBhut shandaar update
.... maja aa gya
आप का एक एक शब्द मन को लुभा लेता है, इतना अच्छा विश्लेषण और चुन चुन के दिए गए विशेषण, क्या कहूं मैं। और एक एक बात सच है। यह कहानी पिछले कई महीनों से करीब करीब नॉन एरोटिक मोड में चल रही है, सेक्स के सीन भी बस थोड़े से वो भी पति पत्नी के लेकिन फिर भी पाठकों का जुड़ाव यह दिखाता है की आप ऐसे पाठकों के लिए कहानी को कहानी ही चलाती है सिर्फ देह सुख नहींइस नवीनतम अध्याय में आप ने एक ऐसी कथा को आगे बढ़ाया है जो सरकारी गोपनीयता, औद्योगिक जासूसी और व्यक्तिगत सतर्कता के बीच की पेचीदगियों को बखूबी उकेरती है.. कहानी का केंद्रीय पात्र, जो पहले से ही एक उलझे हुए जासूसी नेटवर्क में फंसा हुआ है, अब एक और गहरी साजिश के दलदल में उतरता दिखाई देता है..
टाउनशिप में बन रहे नए सुरक्षित परिसर का वर्णन करते हुए आप ने एक ऐसी दुनिया रची है जहाँ हर कदम पर निगरानी है.. ऊँची बाड़, इलेक्ट्रिफाइड फेंसिंग, ऑटोमेटिक पिलर्स, और सीआईएसएफ की मौजूदगी, ये सभी तत्व एक ऐसे प्रोजेक्ट की ओर इशारा करते हैं जो सामान्य नहीं है.. यहाँ तक कि प्रवेश करने के लिए कई स्तरों की जाँच से गुजरना पड़ता है, जो पढ़ने वालों को भी इस बात का अहसास दिलाता है कि यह कोई साधारण सरकारी योजना नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा कोई गोपनीय मिशन है..
श्रेया रेड्डी का चरित्र इस अध्याय में विशेष रूप से उभरकर आया है.. एक सख्त, योग्य और आकर्षक सीआईएसएफ कमांडेंट के रूप में उनकी मौजूदगी, कहानी में एक नया आयाम तो जोड़ती ही है, साथ ही नायक के साथ उनके पुराने रिश्ते की झलक भी दिखाती है.. उनकी टीकाऊ और सतर्क छवि इस बात का संकेत देती है कि यह प्रोजेक्ट कितना महत्वपूर्ण है..
मीटिंग के दृश्य में विभिन्न सरकारी एजेंसियों, आईबी, एनटीआरओ, सीआईएसएफ, के प्रतिनिधियों का आना एक बार फिर इस बात को रेखांकित करता है कि यह कोई सामान्य व्यावसायिक परियोजना नहीं है.. खासकर, आईबी के वरिष्ठ अधिकारी का चरित्र, जो स्पष्ट रूप से इस मिशन का नेतृत्व कर रहा है, यह दर्शाता है कि यहाँ दांव पर कुछ बहुत बड़ा है..
विदेशी महिला एथल का परिचय भी रहस्यमय है.. क्या वह वास्तव में कंपनी के साथ जुड़ी हुई है, या कोई और भूमिका निभा रही है? यह प्रश्न वाचक के मन में उठता है और कहानी को और भी दिलचस्प बनाता है..
नायक का मन इस बात से आहत है कि उसे इस प्रोजेक्ट में क्यों शामिल किया गया.. क्या यह महज एक संयोग है, या उसकी कंपनी की कटिंग-एज टेक्नोलॉजी इससे जुड़ी हुई है? उसके द्वारा पहले की गई सरकार को सर्वर फार्म की पेशकश, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की समस्याएँ, और कंपनी पर हुए हमले, ये सभी तत्व एक बड़े षड्यंत्र की ओर इशारा करते हैं..
लेकिन सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि नायक जानता है कि उस पर नजर रखी जा रही है, और वह इस निगरानी को अपने पक्ष में इस्तेमाल करने की योजना बना रहा है.. उसका यह द्वंद्व, एक ओर सतर्क रहना, दूसरी ओर सामान्य दिखना, कहानी को गहराई देता है..
इस अध्याय के अंत में, नायक का गाजर के ठेले को देखना एक बार फिर इस बात की याद दिलाता है कि उसकी हर गतिविधि पर नजर है.. लेकिन वह इस निगरानी को चुनौती देने के बजाय, इसे अपने लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की रणनीति बना रहा है..
कुल मिलाकर, यह अध्याय जासूसी, तकनीकी रहस्यों और मनोवैज्ञानिक द्वंद्व का एक शानदार मिश्रण प्रस्तुत करता है.. अगले भाग की प्रतीक्षा इसलिए और भी ज्यादा बेचैन करने वाली है, क्या नायक इस जटिल जाल में फंसकर रह जाएगा, या वह इसे अपने पक्ष में मोड़ पाएगा?
बहोत ही शानदार..!!
komal ka ek aur gangbang patidev samne to banta hai, abhi nhi to aane wali party me, jaha patniya apne patiyo ke samne gigolos ke lun par
komal ka ek aur gangbang patidev samne to banta hai, abhi nhi to aane wali party me, jaha patniya apne patiyo ke samne gigolos ke lun par
bahoot bahoot dhanyvaad, idhar server ke chaakar men writer aur readers dono ke liye dikkat thin lekin ab thode thode readers bhi aa rahe hain to agali post July ke first week meMast update hai. Bahut technical ban gaya hai to thoda dhyaan se Sadhna pasta hai samajhne ke liye.
Poora mahina aap jaante hain kaise bita bas ab ab next week next post,Ab ek month hone ja raba hai.kahan hai aap komal g.bina aapke maan nahi lag rha hai
फिर से वही इरोटिक माहोल की कल्पना आप ने डाल दी कोमलजी. साजन जी आ रहे है. लेकिन उनकी बाहनिया थोड़ा बिजी हो गई. लेकिन फिर भी उसे काम तो समझा ही दिया. अब वो भी अपने बचपन के माल से मिले बिना रहे नहीं पाएंगे. माझा आने वाला है.भाग २४० घर आया मेरा परदेशी
34,76,465
![]()
गुड्डी
![]()
वो अगले दिन सुबह बृहस्पतिवार को लौट पाए , पर उन्हें सीधे आफिस जाना था ,
मैंने उन्हें कई बार मेसेज किया, पर मीटिंग कांफ्रेस , ट्रैफिक जाम ,
ही मिस्ड बाई अ व्हिस्कर। उनके आते आते देर हो गयी थी .
नहीं नहीं,…. मुलाक़ात हो गयी थी दोनों की।
लेकिन गुड्डी थी न, जो काम उनके बस का नहीं होता था वो आगे बढ़कर, ….और जब से उसकी हेल्प के लिए मैं आ गयी तो बस,
बस मिस नहीं हुयी।
मैंने बताया था न, गुड्डी को एक बूट्स कैम्प में हफ्ते दस दिन के लिए दिल्ली जाना था वो भी चाहती थी इनसे मिल के जाए और इनकी तो हालत खराब थी इत्ते दिन से उसे देखा नहीं था, तो बस पहुंचने के बाद, जब तक ये उसके स्कूल पहुँचते बस चल दी थी, इनकी कार ने पीछा किया भी, लेकिन बीच में एक दो लाल सिग्नल,... कानून तो जिंदगी भर इन्होने तोडा नहीं था, बस उन्हें लगा गुड्डी से नहीं मिल पाएंगे,
लेकिन इनके लगने से क्या होता है, इनके भरोसे रहती तो ये उसकी शलवार का नाड़ा भी नहीं खोल पाते, वो हाईस्कूल से ही तैयार बैठी, इशारे पर इशारे किये,लेकिन,... जब मैं आयी तभी मेरी प्यारी ननद पर उसके भइया चढ़े,... और अभी भी मैं थी न बस, मुझे मालूम था अगर ये गुड्डी से न मिल पाए तो इनका सारा मूड खराब हो जाएगा,... लेकिन मेरे बस का भी कितना था, मैंने बस इनकी लोकेशन गुड्डी को भेज दी,
और आगे का काम गुड्डी ने सम्हाल लिया,
वो लोकेशन में देख रही थी, एकदम चोर पुलिस हो रहा था, कभी लगता की उसकी भैया की कार आ ही गयी पर वो लाल सिग्नल, बस वो समझ गयी अगर उसने कुछ नहीं किया तो उस बुद्धू लड़के के बस का कुछ नहीं ही सिवाय जब तक वो लौटेगी नहीं मूड खराब कर के बैठा रहेगा,..
बस उसने २ मिनट में ११ बहाने बनाये,
वो गलती से अपने भैया का फोन ले के आ गयी है, उसके भैया की कार पीछे ही है, वो उसका फोन ले के आ रहे हैं।
वो बूट कैम्प का कागज़ भूल गयी है, उसके भैया ले के आ रहे हैं, ...
उसे बहुत तेज उलटी आ रही है अगर दो मिनट को बस नहीं रुकी तो,... प्लीज ड्राइवर साहब बस दो मिनट साइड में,...
जबतक वो इस बहाने तक पहुँचती की उसके पीरियड शुरू हो गए हैं, उसके लिए उसके भैया पैड लेकर आ रहे हैं बस सीट वीट सब, ...
उसके पहले ही बस रुक गयी.
बस भी बेबस थी गोमाता के आगे, कहते हैं जब अत्याचार बहुत बढ़ जाता है तो पृथ्वी गो माता का रूप धर के,...
तो गोमाता का एक बड़ा सा झुण्ड, सड़क पर आ गया था,... और सोच रहा था सड़क पार करें न करें या वापस लौट जाएँ,...
तो बस, बेबस बस रुकी, और बस दो मिनट कह के गुड्डी बस से उतर गयी,... अब उसे छोड़ के तो बस जा नहीं सकती थी,
मेरे पास गुड्डी के बस की लोकेशन भी थी और गुड्डी का मेसेज भी आ गया, बस रुक गयी है,
बस मैंने बस रुकने का मेसेज इन्हे भेज दिया, अब तो सिग्नल क्या आग का दरिया भी होता तो ये फांद कर अपने बचपन के माल के पास,
लो मिल गई उनके बचपन के माल. और कोमालिया ने तो सेडुल भी बनवा दिया. जाने से पहले एक दिन भी बाकि नहीं. साली तेरे भैया ना होते तो कोमलिया किस से शादी करती. अब बोल मिट्ठी भाभी.मिल गयी गुड्डी, छुटकी बहिनिया
![]()
दोनों ने कस के एक दूसरे को भींच रखा था, बात करने को बहुत कुछ था पर बात निकल नहीं रही थी मुंह से,
बस ये यही बोल पाए, " अपना ख्याल रखना"
गुड्डी चालू हो गयी, टिपिकल गुड्डी,
" स्साले गांडू, भोंसड़ी के, अपना ख्याल मैं रखूंगी तो तुझे क्यों इत्ते साल से राखी बाँध रही हूँ, वो भी बिना पैसे के,"
फिर कस कस के दस बीस चुम्मी ली, वहीँ बीच सड़क पे, और पैंट के ऊपर से उनका खूंटा कस के रगड़ दिया, आखिर इसी ने तो उसकी प्रेम गली का दरवाजा खोला था और जैसे उससे बात कर रही हो, बिना खूंटे को छोड़े बोली,
" बुद्धू, जब अक्ल बँट रही थी तो क्या गाँड़ मरवाने गए थे, इतना मुंह काहें लटकाये हो। अपने बहनोई के साथ नहीं बिदा कर रहे हो,… अपने बहनोई भी अब तुम्ही हो, और मेरी मीठी भौजी के नन्दोई भी समझ गए, …सिर्फ दस दिन के लिए जा रही हूँ, और उसमें भी पांच दिन तो नीचे की दूकान में कल से ताला लग जाएगा। और साले जो चौदह नर्ड मेरे साथ जा रहे हैं उन्हें चुदाई का एबीसीडी नहीं मालूम, उन सालों का खाली फिजिक्स का न्यूमेरिकल देख के खड़ा होता है , उनके सामने उनकी माँ बहन चोद लो कुछ उन्हें फरक नहीं पडेगा, और वैसे भी बूट कैम्प में १० घण्टे तो पढ़ाई होगी रोज, ४ घंटे एग्जाम और बाकी के दस घंटे में ४-५ घंटे रिवीजन, और सुन ले,... "
गुड्डी पल भर के लिए चुप्प हुयी, उन्होंने सोचा कुछ बोले, लेकिन जब तक वो तय कर पातें क्या बोले गुड्डी ने अबकी पैंट के अंदर हाथ डाल के कस के उनके मोटू को कस के दबा दिया और साफ़ साफ़ बोली,
" देख मोटू, मैं दस दिन नहीं रहूंगी, लेकिन एक दिन भी उपवास नहीं होना चाहिए, मेरे भैया की दो मीठी मीठी सालियाँ है न फाड़ के रख देना, अगवाड़ा भी पिछवाड़ा भी , साली की भी, सास की भी. "
बस वाला बार बार हार्न दे रहा था, बस में से लड़के पीछे मुड़ के देख रहे थे, गुड्डी ने बिना पैंट में से हाथ निकाले उन्हें फाइनल होमवर्क पकड़ाया,...
" सुन गांडू, कान खोल के पहली बात मेरी भाभी की बात आँख मूँद के मानना,
दूसरी उन तीनो बंगलिनों की जम के लेना, मेरी नाक मत कटाना, अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों माँ बेटियों की, जब मैं लौट के आऊं तो दोनों की चूत का भोंसड़ा बन जाना चाहिए, मैं तीन ऊँगली डाल के चेक करुँगी, बिना थूक लगाए, ..सट्ट से घुसना चाहिए, “
गुड्डी ने एक पल के लिए साँस ली, मुट्ठी में पकडे हुए इनके मोटू को गिन के पांच बार दबाया, छोड़ा, स्साले को दबोचे पूरे तीन दिन हो गए थे और अब फिर दस दिन कम से कम इस मोटे अजगर से दूर रहना था, और उसको काम भी पकड़ाया,
" सुन स्साले, सिर्फ भरतपुर के कूँवे में ही डुबकी मत मारते रहना, पिछवाड़ा भी फाड़ना, वो भी खूब हचक के, ज्यादा तेल क्रीम के चक्कर में नहीं, चिल्लाएं ससुरी, चोकरे, लेकिन एक बार में पूरा, अपनी बहन का पिछवाड़ा तो रसोई में ही तीन बार मार लिया था, एक दिन में आधा दर्जन बार मेरी गांड मारी थी, तो स्साली के साथ कोई दया दिखाने की जरूरत नहीं है और उस बंगालिन का भी पिछवाड़ा कोरा है, उन दोनों की माँ का, उस का भी उद्घाटन कर देना बल्कि माँ बेटी का साथ साथ "
उधर बस वाला हार्न पर हार्न दे रहा था लेकिन गुड्डी की क्लास चालू थी।
अगर मेरी बात मानी तो इनाम में याद है हम दोनों ने गीता को क्या प्रॉमिस किया था,... जियो जियो रे लला, बस वो ताला डाक्टरनी भाभी को जा के वापिस कर के आउंगी, पांच दिन की मेरी छुट्टी, बस वही, ... और नहीं मानी अगर वो तीनो बंगालिन बचीं तो ऐसी गाँड़ मारूंगी की, ... और मेरे उपवास की चिंता मत करना कोचिंग की पार्टी में मैंने ऐसी दावत उड़ाई है, की दस पंद्रह दिन का उपवास कुछ नहीं है, भाभी को पूरा किस्सा मालूम है वो सुना देंगी,... "
तबतक बस का ड्राइवर और एक दो लड़के उतर के गुड्डी की ओर आने लगे,
गुड्डी को कोई फरक नहीं पड़ रहा था, कस के दबोच के चार चुम्मी ली, और हंस के कान में बोली, " अपना ख्याल रखना, और मेरा कुछ नहीं होगा, तू है न "
गुड्डी को कुछ याद पड़ गया था वो उसने बिसराया और झटके से मुड़ी की उसकी आँखों में तिरता आंसू का एक टुकड़ा कहीं नजर न आये, और दौड़ के ड्राइवर के पहले बस में,
गुड्डी के मन में वो बात दौड़ रही थी जब भाभी और भैया आये थे, पंद्रह दिन भी तो नहीं हुए थे उसकी कोचिंग के एडमिशन की बात बस चल ही रही थी,
उसके मुंह से निकल गया " अगर आप न होते "
और भाभी ने जोर से हड़काया, " वाह क्यों न होते, अगर ये न होते तो मेरी शादी किससे होती, किसके मैं कान पकड़ती, " और कित्ती जोर से हड़काया था इनको,
" मेरी ननद तेरी भी कुछ लगती है, खाली मुफ्त में राखी बंधवाने के लिए या इसकी कच्ची अमिया देख के ललचाने के लिए, आज ही उस स्साले मल्होत्रा से बात करो, कल तक एडमिशन पक्का करो, वरना ये मेरी ननद तो मिलेगी ही नहीं, मेरी भी टाँगे सिकुड़ जाएंगी करते रहना ६१-६२. "
गुड्डी मुस्करायी लेकिन फिर सिहर गयी अपनी बड़ी भाभीकी पिलानिंग सोच के, दिया ने उसे सब बता दिया था, कैसे वो अपने उस कजिन कम यार के आगे, उसे फ़ोर्स करतीं की वो माफ़ी मांगती, खुद अपने शलवार का नाड़ा खोलती, और कैसे सबको बेवकूफ बना के उनका प्लान था डाक्टरी के नाम पे किसी नर्सों के कालेज में, बल्कि मिडवाइफ के कोर्स में उसकी भर्ती कराने का, उसकी रगड़ रगड़ के दुर्गत करने के,... और अब वो न सिर्फ बेस्ट कोचिंग में हैं बल्कि उसमे भी चुने हुए स्टूडेंट्स,
वो खिड़की से बाहर देख रही थी, बस चलती जा रही थी, दूर भैया अभी भी दिख रहे थे, हाथ हिलाते,... मुस्कराते हुए गुड्डी ने एक फ़्लाइंग किस उछाल दिया, तब तक के नर्ड आ कर उसके बगल में बैठ गया, बोला,
" अभी दिल्ली पहुंचने में काफी टाइम लाएगा, चलो टाइम पास करने के लिए थर्मोडायनिक्स के फार्मूले चेक करते हैं "
" ठीक, मैं एन्ट्रोपी से शुरू करती हूँ , दस मैं बताउंगी, दो मिनट के अंदर, उसके बाद अगले दस तुम, ... " गुड्डी मान गयी।
वाह कोमलिया वाह. मान गए तेरी शारारतबृहस्पतिवार -सुबह -अपने शहर, अपने घर
![]()
कई बार बाजी हार कर भी जीत जाते हैं लोग और गुड्डी के साथ भी यही हुआ। गुड्डी आम वाली बाजी हार गयी थी और जबरदस्त हारी थी, मेरे इनके घर आने के अगले दिन ही मुझे दस घंटे में कम से कम बीस बार पता चल गया था, इनकी आम वाली चिढ के बारे में, 'खाना तो दूर नाम भी नहीं ले सकते, आप को अगर पसंद हो तो आप भी छोड़ दीजिये, एकदम खाना क्या छूना भी,'
लेकिन मैंने भी तय कर लिया था, ये स्साला मर्द अब मेरा है और सिर्फ मेरा, और सबसे पहले और जितनी जल्दी इन स्साली इनके मायकेवालियों को मालूम हो जाए उतना अच्छा, उनके लिए भी और मेरे लिए भी, बस गुड्डी ने बाजी लगा ली, की मैं उसके भैया को उसके सामने उसके हाथ से आम खिलवाउंगी, साल भर के अंदर
और बाजी हार गयी, हारनी ही थी, और साथ में हार गयी अपना जोबन और भरतपुर ( जो वो खुद मेरे मर्द पे लुटाना चाहती थी ) लेकिन हारने के बाद कभी कभी ननद भी अच्छी लगने लगती हैं और गुड्डी भी मेरे कैम्प में आ गयी और उस दिन से लेकर आज तक, मेरी सबसे बड़ी चमची भी, दोस्त भी,
पर पिछले तीन दिन से वो एकदम जबरदस्त बिजी हो गयी थी और हुड़क रही थी अपने भैया कम भतार के लिए।
लांग वीकेंड में तो तीन दिन मेरे दोनों जीजू ने रगड़ के उसे चोदा और मेरे बहन रीनू के जीजू, मतलब मेरे मर्द ने भी, पर सोमवार की सुबह जीजू लोग गए, उनके निकलंने के पहले ये अपनी ग्लोबल कांफ्रेंस के चक्कर में आफिस चले गए और फिर तब से, और गुड्डी भी, उसकी सुबह सुबह ऑनलाइन क्लास, फिर टेस्ट, पूरे दिन, रात में नौ बजे के बाद ही कोचिंग से फ्री हुयी।
मेरे और मेरी बहन के जीजू लोगों के साथ तो पिछले हफते के लांग वीकेंड में २४ घंटे में १४ घंटे जो चुद ही रही थी और जब मर्दो का इंटरवल हो दोनों भाभियाँ, और सबसे ज्यादा रीनू ने अपने जीजा को, गुड्डी के भैया को क्या इस टीनेजर के पिछवाड़े का स्वाद लगाया, सेक्स में इन्हे खूब मजा आता था लेकिन पिछवाड़े के ये ज्यादा शौक़ीन नहीं थे, पर पहली बार अपनी स्साली के चक्कर में बहन के पिछवाड़े का वो मजा लगा उन्हें , गुड्डी की गाँड़ उन तीन दिनों में दर्जन भर बार तो कम से कम मारी गयी होगी, लेकिन उस दर्जन भर में से आधे दर्जन से ज्यादा उसके भैया और मेरे सैंया ने ही मारी
लेकिन मस्ती में जो हाल था गुड्डी का वही पढ़ाई में कम से कम १६ घंटे तो वो लड़की नान -स्टॉप पढ़ती थी और मेरे ख्याल से सोते हुए भी सपने में फिजिक्स के फार्मूले दुहराती थी। और मंडे को वो रिकार्ड भी उसने तोडा, पता चला की कोई टेस्ट था।
लेकिन एक टेस्ट और था अगले दिन, जिसके बारे में मुझे मिसेज मल्होत्रा ने पहले दिन ही दिन बता दिया था और गुड्डी को मैंने और मुझसे ज्यादा उसकी सहेली रानी ने।
देह का टेस्ट, जबरदस्त रगड़ाई वाला, कोचिंग की पार्टी,.... और गुड्डी तो उसका इन्तजार कर ही रही थी, गुड्डी के दर्जनों चाहने वाले भी, तो मंडे को जब वो घर लौटी तो पहले तो रानी का मेसेज आया आधी रात को और फिर थोड़ी देर बाद सोशल कोआर्डिनेटर का, पार्टी का और थोड़े डिटेल।
अगले दिन क्लास तो हल्का था, लेकिन पार्टी की तैयारी और लेट इविनिंग घर से निकलना
और उसके अगले दिन मैं गयी उसे पार्टी के बाद पिक अप करने गयी, दोपहर होने को आ रही थी, टाँगे फैली, किसी भी तरह खड़ी नहीं हो रही थी, कैसे कर के मैं ले आयी और बुधवार के दिन पहले तो आराम, फिर एक स्पा में हम दोनों ने मसाज कराया, थोड़ी साथ साथ स्वीमिंग की तो वो फिर फ्रेश हुयी, फिर घर लौटी तो गीता ने ही उस दिन सब काम सम्हाला लेकिन फिर उसी रात मेसेज आया और मैडम जी पहले खूब खुश,... फिर चेहरा उतर गया
बूट कैम्प के लिए मंडे को जो मैराथन टेस्ट हुए थे, मैडम गुड्डी जी सेलेक्ट हो गयीं थीं
और ये टेस्ट स्काई कोचिंग की लोकल मिसेज महोत्र वाली ब्रांच ने नहीं बल्कि एक साथ ऑनलाइन ऑल इण्डिया हुआ था, और उसमे गुड्डी रानी सेलेक्ट हो गयी थीं। और ये ख़ुशी की बात ही थी। इस सेंटर से सिर्फ १५ लोगों का सेलेक्शन हुआ जिनमें मेरी ननद थी और मिसेज मल्होत्रा ने मुझे बताया था ( हालांकि मैंने गुड्डी को ये बात नहीं बताई थी ) की पिछले ७ सालों का रिकार्ड है इस सेंटर का, जिन जिन स्टूडेंट्स का बूट कैम्प के लिए सेलेक्शन हुआ उनका मेडिकल में जरूर सेलेक्शन हुआ और बहुत ही रीगरस पढ़ाई होती है बूट कैम्प में। गुड्डी ने झट झट अपने सारे फेसबुक पेजों पर, इंस्टा पर, हर जगह अपनी स्टेटस अपडेट की, लेकिन उसके बाद उदास हो गयी।
'सुबह बारह बजे के पहले बस निकल जायेगी, और बिना भैया से मिले,...
उस समय तक न मुझे मालूम था न उसे ये कहाँ हैं,.... हाँ थोड़ी देर बाद उनका मेसेज भी आ गया और गुड्डी से मिल भी लिए, ...जिसके लिए असली क्रेडिट गुड्डी को ही जाती है।
तो आज बृहस्पति का दिन, और गुड्डी से मिलने के बाद ये ख़ुशी ख़ुशी घर