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जोरू का गुलाम भाग २४५ , गीता और गाजर वाला, पृष्ठ १५२४
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वैसे तेरा पति है तो बहोत उतावला. अब उसे सुनना भी तो है. कैसे उसका गैंग बेंग करवाया. अपने दोनों जीजू से अगड़ा पिछड़ा लाल करवाया. अब तो सुनेंगे तो फिर. बस मिलन की बारी है.मेरा पति
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गुड्डी ने मुझे बोल तो दिया था, अपनी पार्टी की मस्ती जो जबरदस्त गैंग बैंग हुआ था उसका वो बताने के लिए, लेकिन मैंने इन्हे बताया नहीं, इनकी परेशानियां खतम नहीं हुयी थीं अभी. पर इसका मतलब ये नहीं की आप सब को भी नहीं बताउंगी की इनकी बहिनिया का गैंग बैंग कैसे हुआ,... बताउंगी, पूरे डिटेल के साथ चार पांच पार्ट में।
असल में थोड़ा बहुत गैंग बैंग की प्रैक्टिस तो मेरी बहिनिया रीनू ने करा दी थी, मेरे दोनों जीजू के साथ, और फिर रीनू के जीजा भी थे, गुड्डी के भैया भी यार भी।
तो कई बार तीन तीन एक साथ चढ़े गुड्डी के ऊपर, ... दोनों छेदो का मजा तो हम दोनों बहनों ने भी साथ साथ लूटा ननद के साथ, स्ट्रैप ऑन के साथ, तो तीन दिन में उसकी डी पी की अच्छी प्रैक्टिस हो गयी थी।
पार्टी जो १२ घंटो की थी असल में १८ घंटे चली , सुबह आठ बजे सबको वापस हो जाना था लेकिन दोपहर दो बजे सब लौटे, और आखिरी के आठ नौ घंटो में वही ग्रुप वाला खेल, ... चार ग्रुप थे, हर ग्रुप में चार लड़कियां आठ लड़के, दो से ढाई घंटे का टाइम, उसके बाद ग्रुप बदल जाता था, जिससे ज्यादा से ज्यादा लड़के ज्यादा से ज्यादा लड़कियों के साथ, और नाम भी बस रैंडम निकल जाता था,... और हर बार डीपी तो कभी कोई लड़की थक गयी, सरेंडर बोल दिया, गेम से बाहर निकल गयी तो तो जो बची उसके साथ थ्री सम,... और उसके पहले रानी ने जो लिस्ट दी वो या जिसका जिसके साथ मन करे और और एक दो घंटे डांस मस्ती, बीच बीच में ब्रेक भी,...
रानी का रिकार्ड गुड्डी ने तोड़ दिया,...
सब बताउंगी, लेकिन अभी उनकी बात, कुछ थर्ड परसन में कुछ वो खुद बतायंगे, बात बताने से मतलब है,... समझने से, इतना तो मुझे मालूम था की अगले पंद्रह बीस दिन क्रिटिकल थे, और उसमे उन्हें यहीं रहना था,...
तो चलिए एक बार वो कम्पनी की उठापटक आगे की बात,मेरी उनकी उठापटक के बारे में,...पहले
पता नहीं पति के बारे में आप सब की क्या धारणा है लेकिन मेरी तो,...
और वो तो टिपिकल पति भी ठीक से नहीं है, दोस्त, पार्टनर, मेरी बदमाशियों में साझीदार,
बिना कहे हम लोग एक दूसरे की बात समझ लेते थे, चेहरे से पता चल जाता था ये लड़का क्या चाहता है। भले डांट पड़ने के डर से उसकी हिम्मत न पड़ रही हो मुंह खोलने की,
मुझे लगता है पति, कम से कम मेरे लिए हवा टाइप चीज है, रहता है तो लगता है,... है तो, बल्कि पता भी नहीं लगता,
लेकिन न रहे तो जी अफनाने लगता है, कोई फोन बजे, दरवाजे की घंटी बजे, ... लगता है इन्ही का होगा, जबकि मालूम था ये फोन नहीं कर सकते, अभी आ भी नहीं सकते,... पर मन का क्या करें,... तीन चार दिन,... लगा कितने दिन बीत गए।
और चेहरे से ख़ुशी टपक रही थी, जैसे जग जीत के आये हैं, जग तो जीत के आये ही थे और वो सब ख़ुशी हवा हो जाती अगर गुड्डी से मुलाकात नहीं हो पाती, लेकिन वो भी मिल गयी,
कस के उन्होंने मुझे भींच लिया, दरवाजा भी ठीक से नहीं बंद करने दिया, और वो कुछ करते उसके पहले पागलों की तरह मैं उन्हें चूम रही थी।
पूछना तो बहुत कुछ चाहती थी, क्या हुआ, कैसे हुआ, सब ठीक है लेकिन न उस लड़के ने बोलने दिया न मैं पूछ पायी। और वो बोलता भी कैसे उसके दोनों होंठों को तो मेरे होंठों ने भींच रखा था,
लिविंग रूम में हम दोनों के कपडे चारो ओर फैले,... और मैंने धक्के देके उन्हें सोफे पे बिठा दिया,... और चिढ़ाते हुए पूछा.
" क्यों बहिनिया चली गयी इस लिए परेशान हो " मैंने चिढ़ाया।
बेचारे जब ठीक ठाक होते तो मुंह नहीं खोल पाते और अभी,... गुड्डी ने सब अपनी शरारतें बताई थीं, चुम्मी से लेकर कैसे अपने छोट छोट जोबना अपने भैया के सीने पे रगड़ा और खूंटा जैसे ही खड़ा हुआ, पहले तो ऊपर,... फिर भरी सड़क पे, पैंट के अंदर हाथ डाल के हाल चाल ली,...
और वो खूंटा अभी तक फनफनाया था, और मुझसे भी नहीं रहा गया, बस गप्प से सीधे मुंह में, पूरा नहीं बस थोड़ा, जस्ट सुपाड़ा और हलके हलके चुभलाने लगी, पर मुझे ऐसे जम नहीं रहा था, दोनों चूतड़ों पर उन के हाथ लगा के मैंने इशारा किया और वो खड़े,... उनका वो खड़ा,... और मैं मुंह खोल के बैठी, बस उन्होंने मेरा सर पकड़ के ठेल दिया, मोटा सुपाड़ा सीधे हलक तक,
इतना अच्छा लगा रहा था, उनका टच, उनकी प्रजेंस, एक जानी पहचानी सी छुअन,... बस मैंने होंठों का दबाव बनाया, मेरी आँखों उनको शरारत से देख रही थीं, चिढ़ा रही थीं, उनके बिना घर इतना सूना लगता था,... पर अब, मेरी उँगलियाँ भी बदमाशी पर उतर आयीं, ... कभी उनकी बॉल्स को छू लेती, कभी पिछवाड़े के छेद को खरोंच देती तो कभी खूंटे के बेस को दबोच देती।
चुसम चुसाई हम दोनों के लिए स्टार्टर की तरह था, बस एक टीज़र चाहे वो करें चाहे मैं, मेंन कोर्स में तो इंटरकोर्स ही था धक्कम धुक्का, पेलम पेलाई।
लेकिन आज मैं अपनी मर्जी करने वाली थी , तीन चार दिन ऐसे गायब,... अभी बताती हूँ, बस मैंने मुंह की कैद से उसे आज़ाद नहीं किया, और चूसती रही, वो भी सब कुछ भूल के मुंह में धक्क्के मारते रहे,
समय रुक गया था, बस मैं थी, वो थे और मस्ती थी,...
पता नहीं कितना टाइम गया, पांच मिनट दस मिनट, मैं तो बस उस ठोस छुअन का मजा ले रही थी, मुंह में होनेवाली रगड़ घुस का जो सुख सुहागन को मिलता है उसका मज़ा उठा रही थी,... जब वो झड़ना शुरू किये तो बस मैंने कस के दोनों हाथों से मुंह में पूरे खूंटे के बेस को जकड़ लिया,... एक बार दो बार और अब अब एक अलग स्वाद उस रबड़ी मलाई का,
थोड़ी देर बाद ही मैंने उन्हें निकालने दिया और शरारती लड़की की तरह बड़ा सा मुंह खोल के उन्हें दिखाया चिढ़ाया,
एक एक बूँद उस थक्केदार गाढ़ी रबड़ी मलाई की मेरे मुंह में थीं,...
फिर मुस्कराते हुए मुंह बंद किया,
गटक,
और थोड़ी देर बाद जब मुंह उसी तरह बड़ा सा खोल के उन्हें दिखाया, एकदम खाली,...जैसे जादूगर अब्रा कैडबरा बोल के पिंजड़े से खरगोश गायब कर दे,
और वो मुस्करा दिया, स्साली यही उनकी मुस्कराहट और आँखों की चमक तो जानमारु थी,... सब कुछ लूट लिया था मेरा
थोड़ी देर में हम दोनों बेड रूम में एक दूसरे की बांहों में वो बहुत कुछ सुना रहे थे, लेकिन मैं कुछ सुन रही थी कुछ अनसुनी कर रही थी, मेरे लिए तो उनकी देहपाश का बंधन, उनकी देहगंध, वो चिरपचित उपस्थित ही बहुत थी,...
अब जाकर मौका मिला है. अब आया बाहो मे. और खेला शुरू. साला जब तक उसकी माँ बहन चुदाई की बात ना करो. उसे जोश नहीं आता. पक्का बहनचोद मदरचोद है. माझा आ गया.मैं,वो और हम
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लेकिन एक बात मैंने सुन ली वो काम की थी, अगले बीस पच्चीस दिन वो कहीं नहीं जाएंगे, बस यहीं,...
और मैंने उन्हें कस के दबोच लिया। कहते हैं महिलायें अपनी भावनाएं कई ढंग से व्यक्त करती हैं, लेकिन मैं सिर्फ एक तरीका जानती हूँ इस लड़के के साथ, कस के दबोच के, गाल काट के चूम के और जिस जोबना का यह पहले दिन से दीवाना है उसे खुल के उसके सीने पे रगड़ के,... लेकिन इस सब का जो असर हुआ वही हुआ,
वो बदमाश फनफनाने लगा, खूंटा एकदम खड़ा, ... मैंने और कस के दबोच लिया, मुट्ठी में नहीं अपनी जाँघों के बीच और चिढ़ाया,...
" क्यों बहिनिया की याद आ रही है बड़ा जोर से खूंटा खड़ा किया है, लेकिन वो छिनार तो दस दिन के लिए गयी. "
उन्होंने अब सीधे मेरी चुनमुनिया पे रगड़ के बता दिया की किसके लिए खड़ा किया और प्रेमगली भी मेरी इस रगड़ारगड़ी में गीली हो रही थी. वो भले ही चुप थे लेकिन मैं नहीं चुप रहने वाली, मैंने फिर छेड़ा,
" अरे अब कुछ दिन बाद महतारी आएँगी तोहार, बहिन की कसी चूत क मजा बहुत ले ले लिए अब कुछ दिन अपनी महतारी के भोंसडे का मजा लेना "
बहिन की गाली तक तो ठीक था लेकिन महतारी की गारी सुन के वो एकदम फनफना जाते थे, और वही हुआ,... सीधे पलट के, ... मेरी टाँगे उनके कंधे पर और क्या धक्का मारा आधा खूंटा अंदर,
मेरी चूल चूल ढीली हो गयी, ऐसे जोर के दरेरते रगड़ते धक्के लग रहे थे और मजा भी बहुत आ रहा था,... कुछ देर बाद जब मैं बोलने वाली हालत में आयी,... तो नीचे से धक्के का जवाब धक्के से देती फिर से चिढ़ाया,
" क्यों अपनी महतारी का भोंसड़ा याद आ रहा है, बोल चोदना है न अपनी महतारी को, "
" नहीं कत्तई नहीं " वो साफ़ मुकर गए,... फिर एक बार उन्होंने मेरी दोनों टाँगे अपने कंधे पर सेट की,... खूंटा ऑलमोस्ट बाहर निकाला और क्या धक्का मारा, मेरी बच्चेदानी हिल गयी , सुपाड़ा ऐसे जोर से लगा,... और मेरे गाल काट के बोले वो,
" तेरी सास की लूंगा ऐसे ही,... "
मारे ख़ुशी के मैंने उन्हें कस के भींच लिया, गाल काट लिए, कंधे में नाख़ून गड़ा दिए और एक से एक गारी अपनी सास को दी,
" मेरी सास का खसम, अपनी सास की गाँड़ अपने मरद से मरवाऊँ, अपने खसम के खूंटे पे अपनी सास को बैठाऊँ,... मायके के यार भूल जाएंगी "
फिर हम दोनों मिल के बस, धककम धुक्का, रगड़ा रगड़ी,
सच में सिर्फ तीन दिन इनके बिना थी, लेकिन लग रहा था तीस साल निकल गए, और ये बदमाश लड़का देखने में इतना सीधा, लेकिन बिस्तर पे ऐसा बदमाश, नम्बरी चोदू, और अब मुझे तड़पना भी सीख गया था, जो थोड़ी बहुत कसर थी भी तो तीन दिन में मेरी कमीनी बहन, इनकी साली रीनू ने सिखा पढ़ा के पक्का कर दिया था,
जब मेरा मन कर रहा था, ये धमधूसर, तूफानी पेलाई करे, उस स्साले अपनी महतारी के भतार ने निकाल लिया और खूंटे के जगह पहले तो पांच मिनट उसके होंठों से, क्या जबरदस्त चुसम चुसाई की, जीभ डाल के अंदर तक, कभी मेरी जादू की बटन को चूसता
और मैं चूतड़ पटकती, अपनी सास को, गिन गिन के इसकी मायके वालियों को गरियाती,
" स्साले ये मोटा खूंटा किसके लिए खड़ा किया है, मेरी सास के लिए, अरे उसे तो मैं गली के गदहों से चुदवाउ, पेल ने "
और वो बदमाश मेरी फुदकती, फड़फड़ाती, फांको पे अपने मोटे लाल लाल सुपाड़े से रगड़ता, बस अंदर न घुसेड़ता और जब मैंने फिर से हड़काया,
" मेरी सास के भतार, मेरी ननद के यार, अभी तो मेरी सास आयी भी नहीं है किसको चोदेगा, बहन भी तेरी चली गयी है जो इतना तड़पा रहा है
" तेरी सास की बहु को " हँसते हुए वो बोला और क्या करारा धक्का मारा, और फिर जो पेलना ठेलना धुरु किया, जबतक बच्चेदानी तक मूसल नहीं घुसा पेलगाडी चलती ही रही
लेकिन वो स्साला अगर मेरी सास का पूत था तो मैं भी अपनी सास की बहू थी, और थोड़ी देर में ही पटक के उन्हें, मैं ऊपर चढ़ बैठी, मैं ऊपर वो नीचे, मेरी भी फेवरिट पोज और उनकी भी, और उनके दोनों हाथ मोड़ के उनके सर के नीचे, और अब धक्के रोक के कुछ बातें मैं पहले साफ़ कराने पे जुट गयी,
" स्साले, मेरी सास के भतार, अगर अब कहीं ऐसे अगले पंद्रह बीस दिन तक बाहर गया, बिना मुझे लिए, बोल जाएगा, "
"नहीं, नहीं, एकदम नहीं, " जोर जोर से ना में सर हिलाते हुए उन्होंने कबूला।
और झुक के उस लालची को मैंने चूम लिया और कस के दोनों जोबन का धक्का उसकी छाती पे लगा के बोली,
" अभी तो तेरी बहिनिया भी नहीं है, दस दिन के लिए बाहर है और तेरी माँ अभी आयी नहीं है, तो रोज बिना नागा तेरी लूंगी मैं, निचोड़ के रख दूंगी और इन तीनो दिनों का उधार अलग " और फिर क्या कोई मरद गौने की रात नयी नवेली कच्ची कली को पेलेगा, जिस तरह के धक्के मैंने लगाए और ये बात सही भी थी, उनकी बहन इतने दिनों से लाइन मार रही थी, लेकिन स्साले की नथ तो मैंने ही उतारी, और किसी के बस का भी नहीं था , ऊपर से लिखवा के लायी थी।
और जैसे वो मूड में आये, मेरी कमर पकड़ के नीचे से धक्के मारने लगे, मैंने उन्हें रोक दिया और खुद भी रुक गयी,
" चल स्साले, पहले मेरी सास को दस गाली दे, वो आने वाली हैं हफ्ते दस दिन में, तो सिर्फ चोदेगा ही या गाँड़ भी मारेगा अपनी माँ की "
एक दो पल के लिए झिझके लेकिन जो मैं सुनना चाहती थी, सुन के ही मानी मैं
लेकिन थोड़ी देर बाद ही मैं निहुरी थी और वो पेल रहे थे।
कितनी देर तक चला, पता नहीं,
मैं कितनी बार झड़ी पता नहीं ,
लेकिन बस ये याद है की बहुत देर बाद जब मैं झड़ी तो साथ में ये भी मेरे अंदर और हम दोनों एक दूसरे को भींच के बहुत देर चुप चाप,
लेकिन फिर मेरी वही सौतन, छिनार
इनके आफिस का फोन,... सवा घंटे बाद वीडियो कांफ्रेंस थी, दीर्घलिंगम साहेब से उनके सेक्रेटरी का फोन आया था,...
बस झटपट हम दोनों ने मिल के किचेन में कुछ बनाया वहीँ खाया, लेकिन किचेन में भी न बदमाशी कम हुयी न मेरा उनको छेड़ना, मैं गुड्डी का नाम ले के छेड़ रही थी,
,
" हे कित्ती बार मारी थी मेरी ननद की गोल फुलवारी, बहुत मजा आया था न। अरे दस दिन बाद आएगी तो फिर से मार लेना, और अब तो उसकी जब पांच दिन वाली छुट्टी होगी तो भी पिछवाड़े की एंट्री तो फ्री ही रहेगी "
एक दो बार के बाद वो जोश में आ गए,
" चल वो नहीं है तो उसकी भाभी तो है, तो जरा उसके पिछवाड़े का भी स्वाद ले लूँ , अरे तू अपना काम करती रहना, मैं अपना काम करता रहूँगा, " और वहीँ स्लैब पे झुका के अपना खूंटा मेरे पिछवाड़े सटा दिया और किचेन में लुब्रिकेंट की तो कमी नहीं होती, घी, तेल, मक्खन, सब मौजूद,
लेकिन मेरा पिछवाड़ा बचना था, बेचारे जब तक सरसों के तेल का डब्बा खोलते, मिसेज डी मेलो, उनकी सेक्रेटरी का फोन आ गया, एक और मीटिंग, यहाँ के डिपार्टमेंट हेड्स का, और वो आधे घंटे में शुरू हो जायेगी, वि सी ( वीडियो कांफ्रेंस ) का अजेंडा आ गया है उसे डिस्कस करना है, वो मिसेज डी मेलो ने उन्हें व्हाट्सअप कर दिया है। कंपनी की गाडी आ रही है , बस पन्दरह मिनट में पहुँच जायेगी।
और ये ऑफिस में,
हाँ शाम को ये जब आये तो हम दोनों बहुत दिन बाद घूमने गए , एक पार्क था बहुत बड़ा सा, शहर के बाहर,...
और कम्पनी की कार से नहीं, इन्होने किसी की बाइक मांगी, बहुत दिन बाद हम दोनों बाइक पे मैं पीछे चिपक के बैठी, ... और मैं भी मस्ती के मूड में, कुछ इन्हे छेड़ने के लिए कुछ मजे के लिए गुड्डी का स्कर्ट और टॉप पहन लिया था, साडी पहन के बाइक पे चिपक के बैठने का मजा नहीं आता।
और उस पार्क में उन्होंने बहुत कुछ बताया,
वाह मान गए. क्या बात है. पति पत्नी से कावारे प्रेमी जोड़े का एहसास लेना चाहती है री कोमलिया. स्क्रीट और टॉप. वाओ मान गए.भाग २४१ पार्क में,…
बृहस्पति वार -शाम
35,14,010
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हाँ शाम को ये जब आये तो हम दोनों बहुत दिन बाद घूमने गए , एक पार्क था बहुत बड़ा सा, शहर के बाहर,...
और कम्पनी की कार से नहीं, इन्होने किसी की बाइक मांगी, बहुत दिन बाद हम दोनों बाइक पे मैं पीछे चिपक के बैठी, ... और मैं भी मस्ती के मूड में, कुछ इन्हे छेड़ने के लिए कुछ मजे के लिए गुड्डी का स्कर्ट और टॉप पहन लिया था, साडी पहन के बाइक पे चिपक के बैठने का मजा नहीं आता।
और उस पार्क में उन्होंने बहुत कुछ बताया,
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बताती हूँ
लेकिन पहले पार्क के बारे में बताती हूँ,... काफी हिस्सा खुला, लेकिन काफी हिस्सा पेड़ पौधों से भरा, कुछ पुरानी इमारते भी रही होंगी तो उसी इलाके में उनके दीवालों के साये,... और जिन लड़के लड़कियों को ज्यादा गर्मी चढ़ती थी तो वो उसी दीवाल की आड़ में, शलवार सरका, स्कर्ट उठा,... काम चालू,... आठ दस जोड़े तो हरदम चालू रहते थे, देखकर लोग खुद रास्ता बदल देते थे, चुम्मा चाटी, मीसना रगड़ना तो एकदम खुले में भी, ... और सिर्फ टीनेजर ही नहीं कई बार शादी शुदा जोड़े भी, ... शाम को तो और ज्यादा,...
तो बस हम दोनों भी, इनके बस का तो कुछ था नहीं, लेकिन ऐसे रोमांटिक माहौल में मैंने ही शुरुआत की चुम्मा चाटी की,
ये पति भी न बड़ा अजीब चीज होता है, जिसके पास होता है उसी को पता होता है, और मर्दों को तो एकदम पता नहीं होता, पति के फायदे का। अब रहेंगे तो इतनी खीज मचती है, बार बार कहने पर भी, शर्ट बिस्तर पर पड़ी मिलेगी, टूथपेस्ट के ट्यूब का ढक्क्न हरदम खुला रह जाएगा, तौलिया तो बाहर भूलना ही है, चाय का मग बना के लाएंगे तो कोस्टर नहीं, और कोस्टर ले भी आयंगे तो वापस किचेन में मग रख देंगे पर कोस्टर जहाँ का तहाँ, घर में हर चीज की जगह है, एक बार दो बार दस बार बता दो लेकिन नहीं और सन्डे के दिन तो और,
लेकिन तीन दिन में मैं झेल गयी, जब बिस्तर पर शर्ट नहीं पड़ी थी, टूथपेस्ट का ढक्क्न नहीं खुला था, कोस्टर सही जगह रखा था, एक तिनका भी इधर का उधर नहीं हुआ, इतना ख़राब लग रहा था, बस रोना नहीं आ रहा था और सब हो गया। घर घर ही नहीं लग रहा था,
पति के रहने पर झंझट है, लेकिन न रहने पर, बस रहा नहीं जाता। बार बार लगता है, दरवाजा खुला होगा तब भी कोई घंटी बजायेगा, और आते ही जूता कहीं, मोजा कहीं, शर्ट तो बस सीधे बिस्तर पर और चाय की फरमाइश, लेकिन कोई नहीं आता
और सबसे ज्यादा दिक्कत रात को होती है, स्साली कटती ही नहीं। दो दिन तो चलिए इनकी छुटकी बहिनिया थी तो बस उसे पकड़ के,, वार्ना खाली बिस्तर के बारे में सोच के खराब लगता है पर गनीमत थी की आज ये आ गए।
जी, जी रात में वो सब जो आप सोच रहे हैं वो तो होता ही है, नहीं करेगा तो मैं उसकी माँ बहन, लेकिन उससे भी बहुत जरूरी बातें हैं। चक्कर क्या है इस फोरम में पति पत्नी से ज्यादा तो बाकी सब कहानियां रहती हैं, कुछ तो मैं शेयर कर सकती हूँ,
सबसे बड़ी बात है, रात में अगर नींद न आ रही हो और ये जनाब खरार्टे ले रहे हों, तो बस उठा के, " हे जरा देख के आओ, बाहर वाले दरवाजे को बंद किया की नहीं, और हाँ उठे हो तो फ्रिज में दूध भी रख देना " जब की अच्छी तरह से याद हो की मैंने खुद दरवाजा भी बंद किया है और दूध भी रखा है, फिर रात में उठा के, किसी की बुराई करनी हो, खास तौर से इनके मायके वालों /वालियों की, कई हफ्ते बाद पड़ने वाले किसी काम की याद दिलाना ही
और मैं तो जुडिसियरी और क़ानून दोनों में विश्वास रखती हूँ, इसलिए मैं भी मानती हूँ की मैराइटल रेप अपराध नहीं है और अगर अपराध नहीं है तो करने में क्या हर्ज है, फिर ये कहाँ लिखा है की सिर्फ पति ही कर सकता है, और वैसे भी रेप शेप इनके बस का नहीं तो मैं ही हफ्ते में दो चार बार मैराइटल रेप कर ही देती हूँ, ये भी सीख जायेंगे तो इनके मायके में बहुत सी छिपकलियां है, उनका शिकार भी इन्ही से,
तो आज जब से इनके वापस आने की खबर मिली थी तभी से बहुत अच्छा लग रहा था, हाँ एक बात और, ये एक नियम है की पति से कभी नहीं कहा जाता की तेरे साथ अच्छा लग रहा है, उसका काम है समझे। क्या अच्छा लगता है क्या बुरा उसकी बीबी को, और हाँ पति के साथ नेसेसरी अल्टेरशन करना भी जरूरी होता है, भले २०-२५ साल मायके वालियों के साथ रहे लेकिन उसके बाद के ५०-६० साल तो मेरे साथ कटाने हैं तो फिर अपनी पसंद के हिसाब से, और पसंद से ज्यादा पहले से अलग लगाना चाहिए, मूंछे हो तो क्लीन शेव्ड, वेजिटेरियन हो नॉन -वेज, उसके घर वालों को पता चल जाये,
लेकिन मेरा वाला कुछ ज्यादा ही सीधा है, और जब उन्होंने कहा की शाम को बाहर चलते हैं तो मैं भी एकदम रोमांटिक मूड में आ गयी और फिर बाइक पे बैठ के तो और
और बाइक में तो रोमांटिक होने का हक बनता है, शादी के शुरू के दिनों में, इनके मायके में तो शुरू शुरू के दिनों में, न तुम हमें जानो, न हम तुम्हे जानो टाइप, रात भर ये लड़का चढ़ा रहता था लेकिन अपनी माँ और भौजाई के सामने, एकदम अच्छा बच्चा, बस दूर दूर से ललचाता, खैर छोड़िये उन दिनों की बातों को, कित्ती बार to बता चुकी हूँ, लेकिन जब इनकी पोस्टिंग पे जिद्द करके इनके साथ आयी, पहले तो एक पुराना सा लम्ब्रेटा स्कूटर, फिर वो गया और बाइक आयी, और पीछे चिपक के, जितना ये शर्माते, उतना मैं और चिपकती, कभी चुपके से कान पे इनके चुम्मी ले लेती तो कभी गले के पिछले हिस्से पे, पहली रात को ही मुझे मालूम पड़ गया था मेरे जुबना का जादू, तो कभी खूब लो कट ब्लाउज तो कभी टाइट कुरता, और पीछे से बरछी धँसाते,
धीरे धीरे इनकी हिम्मत बढ़ी, मेरी और बढ़ी, तो बस मेरी लालची उँगलियाँ, बिच्छू की तरह इनके जींस के ऊपरी हिस्से पर भी बाइक पर डोलने लगती, अगल बगल जब कभी खेत देखती, बाग़ देखती तो इन्हे उकसाती भी, ' हे थोड़ी सी पेट पूजा, कहीं भी, कभी भी "
लेकिन बात चुम्मा चाटी से आगे कभी बढ़ी नहीं। लेकिन आज मैं ज्यादा ही गरमाई थी। तीन दिन से उपवास, ये जनाब गायब थे और असल में इनके साथ तो हफ्ते भर से ऊपर कुछ नहीं हुआ, और इतना लम्बा इस लौंडे के साथ गैप शादी के बाद पहली बार हुआ था, पीरियड में ये बेचारा बहुत तड़पता था तो लिप सर्विस तो मैं दे ही देती थी, और एक एक बूँद इसको दिखा के गड़प कर जाती, लेकिन हम बहनों का जो रूल था की साली का पहला हक़ तो तीन दिन रीनू और जीजू लोग थे तो इनके साथ इनकी बहन ने और मेरी बहन ने मस्ती की, मैं ललचा भी नहीं सकती थी।
वो मजा कार में कभी नहीं आता जो बाइक में अपने मर्द के पीछे चिपक के बैठने में आता है, और आज मौसम भी जबरदस्त था, टी ठंडी थदनि हवा चल रही थी, खरगोश ऐसे दो चार बादल आसमान में हमारे साथ साथ चल रहे थे, कभी हम आगे हो जाते, कभी बादल, दोनों और पेड़ों की कतारें और उसके बाद खेत, पार्क शहर से थोड़ा सा दूर पड़ता था, मैं गुनगुना रही थी
हवा के संग संग
और ये भी साथ दे रहे थे,
कस के एक बार जोबना का धक्का मार के मैंने हाथ बढ़ा के सीधे ' मोटू ' के ऊपर, थोड़ा सोया थोड़ा जगा कस के मैंने दबा दिया और चिढ़ाते हुए बोली,
" जागो सोने वालों, बहुत आराम कर लिए तीन दिन, अब ओवरटाइम करना होगा बच्चू। आज तो तेरी मैं ले के रहूंगी, नीले गगन के टेल, मरद मेरा, मोटू मेरा मैं चाहे जो करूँ "
और आज बजाय झिझकने के वो भी गरमाये थे। ठुनक कर मोटू ने अपना इरादा बता दिया, लेकिन जब मैं पहली रात नहीं डरी, खुद अपने हाथ से इनका पाजामे का फंसा हुआ नाड़ा खोला तो आज क्या घबड़ाती।
और थोड़ी देर में हम दोनों दीवाल की आड़ में, इनकी गोद में मैं बैठी,
दुष्ट खूंटा खड़ा मेरे पिछवाड़े घुसने की कोशिश कर रहा था. अब अपनी भौजाई बहन और साली की गाँड़ मार मार के उसे भी पिछवाड़े का मजा मिल गया था, और मैं और अपने चूतड़ से रगड़ रगड़ के उसे और तंग कर रही थी,...
और उन्होंने बात शुरू की, ‘बम्बई विजय’ में उन्होंने घर को, मुझे गुड्डी को. एकदम दूर ही रखा था,... लेकिन अब
खतरे घर के आस पास आ गए थे तो उन्होंने बात शुरू की,..
खतरों की, घर पे क्या हो रहा है क्या करना है।
" अबे मादरचोद, शुरू से बता,... " उनका गाल काट के मैं कान में बोली,..
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जोरू का गुलाम भाग २४५ , गीता और गाजर वाला, पृष्ठ १५२४ अपडेट पोस्टेड कृपया पढ़ें, लाइक करें और कमेंट जरूर करेंexforum.live
वाह एयरपोर्ट पर वो बड़े बूब्स वाली तितली ने इकोनमी से बिजनस क्लास कर दिया.बृहस्पति वार -सुबह - बम्बई - एयरपोर्ट
![]()
शक तो इन्हे भी था की लड़ाई अभी खतम नहीं हुयी है, और बंबई से निकलने के पहले ही उन्होंने कुछ काउंटर स्टेप्स ले भी लिए थे, पर असली खतरों का अंदाज पता चला, एयरपोर्ट पर,
जब वो बोर्डिंग पास ले रहे थे, काउंटर पर तो बोर्डिंग पास वाली लड़की ने उनसे कहा,
मैं रोक नहीं पायी टोकने से, ... " मम्मे कित्ते बड़े थे उसके, ... "
" छोटे थे, गुड्डी की साइज के रहे होंगे, "
मुस्कराते हुए उन्होंने कबूला। और इशारा भी समझ गए उनके हाथ अब मेरे टॉप में मेरे कबूतरों की हाल चाल ले रहे थे, ... और चालू रहे,
तो उस लड़की ने कहा, सर आपको अपग्रेड कर दिया गया है, आपको बिजनेस क्लास का बोर्डिंग पास मिल रहा है, और फ्लाइट आधे घंटे लेट है तो आप बिजनेस क्लास के लाउंज में वेट कर लीजिये,
और जब लाउंज में पहुंचे तो अपग्रेड का राज खुला, ...
वही जो दिल्ली जिमखाना में मिले थे, लाउंज में बैठे थे, इन्हे लगा की ‘बम्बई विजय’ की इन्हे बधाई मिलेगी
लेकिन वहां तो न तुम हमें जानों न तुम हमें जानो वाला मामला था. उन सज्जन के चेहरे पर इन्हे पहचानने का कोई निशान भी नहीं था,... ये बगल के सोफे पर बैठ गए, कोई मैगजीन देखने लगे, और वो जिमखाने वाले किसी से फोन पर बात कर रहे थे, लम्बी बात और जो इस उमर के लोग करते हैं, लगता है जिससे वो बात कर रहे थे और वो जिमखाने वाले, भी प्रोस्ट्रेट और बहुमूत्र के शिकार थे। बार बार बात इसी की हो रही थी की अक्सर वाशरुम जाना पड़ता है, एयरपोर्ट तो ठीक है वहां लाउंज में कम से कम साफ़ हाइजीनिक,...
और अब उनकी बत्ती जली,
उनका हाथ मेरे टॉप में था तो मेरा हाथ कैसे बाहर रहता, वो भी इनके पैंट के अंदर तन्नाए हुए, ...
एक झटके में सुपाड़ा खुल गया, मैंने हड़काया,
"स्साले तेरी बत्ती हरदम देर से जलती है, तो अनारकली ऑफ़ आजमगढ़ तेरी बहिनिया दर्जा नौ से लाइन दे रही थी और तुझे चार साल लगा बहनचोद बनने में,..."
इन्होने चूम के मेरा मुंह बंद करा दिया और अपनी बात जारी रखी,...
वो समझ गए फोन वोन स्साली नौटंकी है और उन्हें इशारा किया जा रहा है बाथरूम जाने के लिए, सु सु आयी हो न आयी हो,...
और वो बाथरूम गए, जबरदस्ती का, हाथ वाथ धोया, ... और लौटे तो जिमखाने वाले अभी भी फोन पे बात कर रहे थे, हाँ अभी जा रहा हूँ जरा बाथरूम, पहुँच के बात करूँगा।
और इनसे पहली बार बोले,... वो इकोनॉमिस्ट आपके टेबल पे है जरा इधर कर दीजियेगा,... और जो टाइम मैगजीन वो खोल के रखे थे इनकी ओर बढ़ा दी.
वो बाथरूम चले गए और ये टाइम मैगजीन खोल के देखने लगे, और वही पन्ना खुला जो जिमखाने वाले देख रहे थे, वो कत्तई टाइम मैगजीन का नहीं था, दो पेज पेपर वही प्रिंटिंग वही, लेकिन हलके से लूज और उसमें इनके लिए इंस्ट्रक्शन थे, बिंदुवार
१. आपका सर्वेलेंस हो रहा है, कौन कर रहा है अभी तक पता नहीं चला। लेकिन आप इसी तरह बिहैव करियेगा की आप को इस सर्विलेंस के बारे में पता नहीं है।
२. यह सर्वेलेंस कई टाइप का है, आपकी सारी डिवाइसेज की सायबर हैकिंग के साथ, फिजिकल फॉलो भी किया जा रहा है। चांसेज हैं आपके घर की भी फिजिकल सर्वेलेंस हो रही हो, आपके घर में आपके आफिस में यहाँ तक की कोई एयरपोर्ट पर धक्का देकर आपके कपड़ों में भी बग चिपका सकता है। लेकिन आपको यही लगने देना है की आपको इन हरकतों का अंदाजा नहीं है।
३. आपरेशन से जुडी बातें किसी से भी न करें अपनी कंपनी के लोगों से भी नहीं।
४. अगले २०-२५ दिन तक अपने शहर में या उसके २०-२५ किलोमीटर तक ही रहें, जिससे सरवायलन्स वालों को कोई और शक न हो।
५. दिन में एक से दो बार ही जहाँ एकदम सिक्योर कम्युनिकेशन वहीँ से बात करें वो भी डेढ़ से दो मिनट से ज्यादा नहीं। कोशिश करें की डाटा ही अपलोड या डाउनलोड करें वो भी एकदम सीक्रेट और सिक्योर तरीके से.
६. घर में और आफिस में नार्मल ढंग से बिहेव करें, अभी उन्हें थोड़ा बहुत ही शक है लेकिन वो सर्वेलेंस कर के चेक करना चाहते हैं की बॉम्बे ऑपरेशन के साथ कौन जुड़ा था, और इन के तार विदेशों से जुड़े हैं जो एकदम प्रोफेशनल है।
७. साथ में ये भी पता करने की कोशिश करें की बग कहाँ है जिससे डिसइन्फोर्मशन के लिए उन लोकेशन का इस्तेमाल किया जा सके. आपके शहर में उनके रिसोर्सेज लिमिटेड होंगे पर तब भी वो आपको, आपकी पत्नी को, घर और आफिस पर पूरी तरह कंसन्ट्रेट करेंगे। इसलिए इन जगहों से और इन से जुडी कम्युनिकेशन डिवाइस से कोई भी सेनिस्टिव कम्युनिकेशन न करें। चांसेज है आपकी अपनी कार, आफिस की कार में भी सरवायलंस डिवाइस होंगी।
८. आपको जो दो फोन दिए गए थे, रेड और ग्रीन वाले, उन्हें एयरपोर्ट पर ही अलग अलग गार्बेज बिन में डाल दें।
९. इस लाउंज में और एयरपोर्ट के सिक्योरटी कैमेरे की फीड हो सकता है उन्होंने हैक कर ली हो , इसलिए एकदम नार्मल बिहैव करिये,...
१०. आपको या आपके परिवार में किसी को कोई फिजिकल खतरा नहीं है, वो सिर्फ आपका मूवमेंट और कम्युनिकेशन, बिहेवियर पैटर्न वाच करेंगे, उसकी रेगुलर एनलिसिस हो सकता है उनकी स्ट्रेटजिक टीम जिसमे बिहेवियर पैटर्न के एक्सपर्ट भी होंगे कर रहे होंगे और उससे वो आपका थ्रेट पैटर्न, असेस करेंगे।
जैसे इन्होने पढ़ के पूरा किया वो जिमखाने वाले, वाशरुम से निकल आये और इनसे बोले,...
लगता है आप वाशरूम में अपना फोन भूल आये थे,...
एकदम इन्ही के आई फोन का मॉडल पुराना धुराना।
थैंक्स बोल के इन्होने फोन रख लिया, ये अच्छी तरह समझ गए थे, लाउंज में भी वाशरूम में तो कोई सर्वेलेंस कैमरा होगा नहीं, इसलिए उन सज्जन ने बिना इनसे बात किये वाशरूम का इंडिकेशन दिया, और अगर कोई ये फीड देखेगा भी तो उन दोनों लोगों को लिंक नहीं कर पायेगा।
अब वो सज्जन फिर फोन पर लग गए थे और शायद घर बात कर रहे थे,
" हाँ अब फ्लाइट लम्बी हो छोटी हो, मोबाइल है न , एयरप्लेन मोड में डिटरबेंस नहीं और मैं तो एक दो किताबे डाउनलोड कर के रखता हूँ, बस टाइम का सही इस्तेमाल, वैसे तो किताब पढ़ने का टाइम नहीं मिलता,... "
और ये समझ गए की ये बात भी इन्ही के फायदे के लिए हो रही है। टाइम मैगजीन में ब्रा पैंटी पहने लड़कियों की तस्वीरें तो होती नहीं एक दो पन्ने पलटने के
बाद उन्होंने उसे रख दिया, तबतक लाउंज की होस्ट लड़की आ गयी और टाइम ले जाके मैगजीन होल्डर में, और जिस तरह इन की निगाह वहां रही मैगजीन पर घूम रही थी, स्पोर्ट्स इलस्ट्रेटेड स्विम सूट राउंड था इन्हे ले आ के मुस्कराते हुए पकड़ा दिया।
ये कुछ टाइम मैगजीन के उन पन्नों के बारे में सोचते बोलते, उस के पहले उन जिमखाना वाले ने उस होस्टेस लड़की से बोला एक्सक्यूज मी , टाइम और फोन पर किसी से बोले अभी टाइम मैगज़ीन में देखकर क्रासवर्ड का आंसर बताता हूँ,
वो एक बार फिर से टाइम मैगजीन में और ये स्पोर्ट्स के स्विम सूट की बिकनियों में,
लेकिन तब तक थोड़ी देर में वो होस्टेस इनके पास आयी और बोली,
" आप के प्लेन के काल हो गयी, सिक्योरटी चेक में आप जिधर क्र्यू की चेकिंग होती है बिजनेस क्लास भी वहीँ " उसके बाहर जाने के बाद ये उठे अपनी अटैची ले के, और बाहर निकल ही रहे थे, की उन जिमखाना वाले ने टोका,
" एक्सक्यूज मी आपका ये बैग छूट रहा है "
एक छोटा सा लटकाने वाला पाउच था, एक बार फिर थैंक्स बोल के ये सीधे चेक वेक कर के फ्लाइट में और प्लेन उड़ने के बाद ही उन्होंने वो डिवाइस खोली जो फोन कह के उन्हें पकड़ाई गयी थी।
aap aa gaye to update bhi aayenge next week se aur tino stories peKaha gayb ho @komaalrani ?
वाह री कोमलिया ब्याह के बाद बिन ब्याहे ववाली फीलिंग ले रही है. बात तो सही है. चुदने आई है तो चुद ना. यह नए लोंड़िया लोंडी के बस का नहीं है. अमेज़िंग अपडेट.. मस्ती पार्क में
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लेकिन तभी मैंने देखा एक दो लोग चक्कर काट रहे थे,
बात सही थी. आड़ का फायदा उठा के सिर्फ गोद में बैठा के बात थोड़े ही करते हैं, अगर इतना पीछे पड़ने वालों का खतरा था, तो हम लोगों को भी काम चालू कर देना चाहिए
और एक लड़की लड़का जिनका बाइक हम लोगों की बाइक के साथ ही घुसी थी,... वो लड़की अपना स्कूल का टॉप स्कर्ट में घुसाती, टाँगे फैलाये, वापस लौट रही थी, खुश मुस्कराती। मतलब कार्यक्रम सफल रहा, गुड्डी से भी छोटी रही होगी, मुस्कराते हुए उसने मेरी ओर देखा और मैंने अंगूठे और तर्जनी को जोड़ के गोल छेद का इशारा किया और ऑलमोस्ट खिखिलाते हुए, उसने मुझे भी थम्स अप का संकेत दिया
और यहाँ कार्यक्रम अभी शुरू भी नहीं हुआ था, ...
सब कुछ मैं इनके बस पर थोड़े ही छोड़ सकती, स्कर्ट अपनी कमर के ऊपर मैंने समेटी, पैंट इनकी थोड़ी नीचे सरकायी और मूसल बाहर, ढक्कन न मैंने नीचे लगाया था न ऊपर, और तिझरिया में सरसों का तेल ढूंढने के चक्कर में जो टाइम लगा, आफिस से फोन आ गया, मेरा पिछवाड़ा बच गया, इसलिए मैं इस बार पहले से अंजुरी भर तेल अगवाड़े पिछवाड़े लगा के आयी थी।
मेरी चूतड़ की रगड़ाई का असर, ... और मैंने ही पकड़ के सेंटर भी किया,
गप्प,... सुपाड़ा अंदर चला गया, ... कितना अच्छा लगा बता नहीं सकती, कित्ते दिन बाद ऐसे खुले में साजन की गोद में साजन का खूंटा
कंट्रोल मैंने अपने हाथ में ले लिया था, जैसे शादी के बाद से ही इनकी हर चीज का कंट्रोल
अच्छा हुआ मैं अंदर तक कडुवा तेल चुपड़ के आयी थी, मोटू का मोटा सर गप्प से घुस गया, और मेरी गुलाबो उसे निचोड़ कर दबोच कर मजे ले रही थी, जल्दी न मुझे थी न इन्हे ने मेरी गुलाबो को, स्कूल के लड़के लड़कियों की तरह नहीं जो कम से कम पांच छह इस समय पार्क के अलग अलग कोने में यही काम कर रहे थे,
और मैंने टॉप भी अपना उठा दिया,
मेरे दोनों जुबना खुल के बाहर आ गए।
मैंने साजन का एक हाथ पकड़ के उन पे, दूसरे हाथ से ये मेरी पीठ पकड़े थे और एक हाथ से मैंने इनकी पीठ को पकड़ रखा था। हम दोनों एक पुरानी टूटी दीवाल के सहारे बैठे थे, करीब पांच छ फिट ऊँची रही होगी , पास ही में आम और पाकुड़ के दो चार पेड़ भी थी और सामने एक ऊँची सी हेज थी, इसलिए जब तक कोई ध्यान से न देखे, बस ये पता लगता की एक यंग कपल बैठे हैं, लड़की मर्द की गोद में है, लेकिन ज्यादातर लड़कियों के इस पार्क में बैठने का तरीका यही था, जो आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं कर पा रहे थे, उन जोड़ो ने भी लड़की को गोद में बैठा के अंदर हाथ डाल के मजे तो ले ही रहे थे।
मैंने थोड़ा सा कर जोड़ लगाया, हलके से उन्होंने भी नीचे से धक्का दिया, और पांच छह धक्के के बाद, करीब आधा चार पांच इंच तो घुस ही गया। लेकिन इतने दिनों में मैं बीसो तरीके सीख चुकी थी, कोई जरूरी नहीं है की धक्के ऊपर नीचे से ही दिए जाए, मैं कभी गोल गोल हलके हलके चक्कर काटती, तो कभी दाएं बाएं, मेरी प्रेमगली का कोई कोना नहीं बच रहा था जो अच्छे से रगड़ नहीं रहा था और ये भी अब पूरे मस्ती में, कभी गाल चूमते, कभी झुक के होंठ जोबन का रस लेते, मुझसे पहले ये भूल गए थे की हम दोनों घर में नहीं पार्क में हैं
और जब ये ऐसे मस्ती में चुदाई करते थे तो मैं भी पागल हो जाती थी, और इस तरह खुले में पार्क में, नील आसमान के नीचे, जब हवा हम दोनों की देह को सहला रही थी, चिड़ियों की आवाजें हमें और उकसा रही थी, और खस तौर से जवान हो रहे लड़के लड़कियां, जो बीच बीच में जगह की तलश में इधर उधर दिख रहे थे ,
जहाँ हम लोग चालू थे, वहां पास में ही स्कूल की एक लड़की, लड़का, और स्कूल यूनिफार्म से ही लग रहा था, स्कूल बंक कर के आये थे दोनों, लड़की ज्यादा जोश में लग रही थी, लड़का थोड़ा झिझक रहा था, और मुझे बदमाशी सूझी, मैंने इन्हे हलके से धक्का दिया, और ये दोनों हाथों के सहारे बस हरी घास पे और मैं ऊपर, एकदम वीमेन ऑन टॉप वाली पोजीशन में, और मैंने जोर से गरियाया, " स्साले आज तेरे सारे खानदान को चोद के रख दूंगी, चुदवाने के लिए आये हैं तो खुल के मजे ले न "
और अब उस लड़की लड़के का ध्यान मेरी ओर, ये तो जमीन पर लेटे थे, और मैंने कमर थोड़ी सी ऊपर की, इनका बित्ते भर का मेरी कलाई से भी मोटा खूंटा मेरी बिल से धीरे धीरे बाहर आया, सुपाड़ा अभी भी अंदर था, मेरे जोबन खुले,
और उस लड़की ने, जो अब तक अपने ब्वाय फ्रेंड के जींस के ऊपर से सहला रही थी, रगड़ रही थी, झट्ट से ज़िप खोली और सोया जागा खूंटा मुंह में गप्प कर लिया, और उस लड़के को हम लोगो की ओर इशारा किया, और मुंह में लेने से पहले बोली,
" देख न यार, इत्ते मुश्किल से तो आये हैं, तो मजे ले ले, "
और जहाँ हम लोग लेटे थे बस थोड़ी ही दूर पे एक झाडी में वो भी जोड़ा चालू हो गया।
लेकिन उसकी आवाज सुन के वो दोनों जो थोड़ी देर पहले तांक झाँक कर रहे थे, लग रहा था उस दीवाल के पीछे बैठ के हम लोगो की बात सुनने की कोशिश में थे, और अभी अपनी जगह बना रहे थे , एकदम खड़े हो गए और उनके फिर से बैठने के पहले मैंने देख लिया और इन्हे भी अंदाज हो गया, और ये भी बैठ के
और एक बार फिर से मैं इनकी गोद में बैठी, धक्को में कोई कमी नहीं आयी थी
लेकिन वो उस फोन नुमा चीज में दिखाना चाहते थे कुछ अब वो काम कैसे होता,... जो स्साले इनके पीछे पड़े थे, उन्होंने एक असेसमेंट रिपोर्ट बनायीं थी इनके बारे में, दो तीन दिन पहले की ही , और वो पूरी की पूरी हैक हो के इस फोन नुमा चीज में थी, जिसे पढ़ना भी जरूर था,... आज के जमाने में लड़की के पास मोबाइल हो और हेड फोन न और वो भी कार्डलेस,...
यार चल जरा म्यूजिक की ताल पे मस्ती करते हैं, लगा न वो भोजपुरी सात आइटम वाला
मैंने देखा की उस रिपोर्ट को आडियो में सुनने का भी जुगाड़ था, बस एक ईयर फोन मैंने इनके कान में घुसाया और एक अपने अपने कान में, फोन इनकी शर्ट के जेब में खोंसा सुन हम दोनों रिपोर्ट रहे थे लेकिन मैं ऐसे झूम रही थी जैसे वो गाना सुन रही हों, और गाने की धुन पे धक्का मार रही होऊं और ये भी साथ में गा भी रहे थे, बीच बीच में, सात आइटम , अरे सात आइटम, अरे सैंया मारे ला सेजिया पर,
रिपोर्ट की हेडिंग सुन के ही मैं जोश में आ गयी एकदम सही थी, जिसने भी बनाई अच्छी तरह से इनको समझा,
अभी भी मेरी लैपी पर कास्परस्की धमकाता रहता है, और एकाध एक्स्ट्रा वार्निंग वाला पन्ना खुलता ही है, जैसे एम् एल ने कहा की उन्हें किसी और के लैपी से ये पोस्ट करना पड़ा की उनकी पोस्टें ब्लाक हो रही हैं,रुकी हुई कहानियां ???
जै बात !!!
कोमल मैम, आप धन्य हो।
पाठकों के मन की बात आप कैसे जान जाती हो ??
पाठकों के मन में रहती हो, शायद इसीलिये।
अब बहुत इंतजार हो गया, जल्दी से सभी कहानियों पर अपडेट, दे ही दीजिए।
सादर
आप को कहानियों पर देखकर इतनी ख़ुशी होती है बता नहीं सकती, बहुत कम लोग हैं जो लिखने वाली की मेहनत समझते हैं और हर पोस्ट पर अलग लाग कमेंट देते हैं और एकदम आपकी बातें भी सटीक होती हैं