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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Ye to khatarnak aur takatwar bhi h ,kya vedalaya inhe rok payege aur inhe shaktiyo(dhra) ke baare mei bhi pta h .
Ye prithvi wasiyo se kai guna aage h science tech and powers( jadui Shakti) mei bhi
Ye log wakai me khatarnaak hain mitra, aur inka vigyan ati unnat hai,
Sath bane rahiye, thanks for your valuable review bhai :hug:
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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बहुत ही शानदार लाजवाब और रोमांचकारी अपडेट है भाई मजा आ गया
सुयश और टीम ने तिलिस्मा के दुसरे व्दार के प्रथम चरण तो पुर्ण किया
अब दुसरा चरण देखते हैं क्या रोमांच लाता हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
Doosra charan us se bhi Khatarnaak hai dost, balki ab har charan aur bhi Khatarnaak hi hoga :approve: Thank you very much for yourwonderful review and support bhai :hug:
 
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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय रहस्य पुर्ण अपडेट हैं भाई मजा आ गया
Thanks for your valuable review and support bhai :thanx:
 
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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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#156.

ऊर्जा द्वार:

आज से 3 दिन पहले...........(13.01.02, रविवार, 14:00, दूसरा पिरामिड, सीनोर राज्य, अराका द्वीप)

अराका द्वीप के सीनोर राज्य में मकोटा ने 4 पिरामिड का निर्माण कराया था।

इन चारो पिरामिड में क्या होता था, यह मकोटा के अलावा राज्य का कोई व्यक्ति नहीं जानता था।

पहले पिरामिड में अंधेरे का देवता जैगन बेहोश पड़ा था, जिसे उठा कर मकोटा पूर्ण अराका द्वीप पर राज्य करना चाहता था।

दूसरे पिरामिड में मकोटा की वेधशाला थी, जहां से वुल्फा अंतरिक्ष पर नजर रखता था। यहां से वुल्फा हरे कीड़ों के द्वारा कुछ नये प्रयोग भी करता था।

तीसरे और चौथे पिरामिड में मकोटा के सिवा कोई नहीं जाता था। वहां क्या था? यह किसी को नहीं पता था।

वुल्फा- आधा भेड़िया और आधा मानव। वुल्फा, मकोटा का सबसे विश्वासपात्र और एकमात्र सेवक था।

वुल्फा के अलावा मकोटा ने अपने महल में सिर्फ भेड़ियों को रखा था, उसे किसी भी अटलांटियन पर विश्वास नहीं था।

वुल्फा हर रोज की भांति आज भी दूसरे पिरामिड में मशीनों के सामने बैठकर, अंतरिक्ष का अध्ययन कर रहा था।

उसके सामने की स्क्रीन पर कुछ आड़ी-तिरछी लाइनें बन कर आ रही थीं। वुल्फा के सामने की ओर कुछ विचित्र सी मशीनों पर हरे कीड़े काम कर रहे थे।

उस वेधशाला में 2 हरे कीड़े मानव के आकार के भी थे।

वुल्फा की निगाहें स्क्रीन पर ही जमीं थीं। तभी वुल्फा को अपने सामने लगी मशीन पर एक अजीब सी हरकत होती दिखाई दी, जिसे देख वुल्फा आश्चर्य में पड़ गया।

“यह क्या? यह तो कोई अंजान सी ऊर्जा है, जो कि हमारे सीनोर द्वीप से ही निकल रही है।” वुल्फा ने ध्यान से देखते हुए कहा- “क्या हो सकता है यह?”

अब वुल्फा तेजी से एक स्क्रीन के पास पहुंच गया। इस स्क्रीन पर सीनोर द्वीप के बहुत से हिस्से दिखाई दे रहे थे।

वुल्फा के हाथ अब तेजी से उस मशीन के बटनों पर दौड़ रहे थे। कुछ ही देर में वुल्फा को सीनोर द्वीप का वह हिस्सा दिखाई देने लगा, जहां पर दूसरी मशीन अभी कोई हलचल दिखा रही थी।

वह स्थान चौथे पिरमिड से कुछ दूर वाला ही भाग था। उसके आगे से पोसाईडन पर्वत का क्षेत्र शुरु हो जाता था, पर पोसाईडन पर्वत का वह भाग, सीनोर द्वीप की ओर से किसी अदृश्य दीवार से बंद था।

तभी उस स्थान पर वुल्फा को हवा में तैरती कुछ ऊर्जा दिखाई दी।

“यह तो ऊर्जा से बना कोई द्वार लग रहा है। क्या हो सकता है इस द्वार में?....लगता है मुझे उस स्थान पर चलकर देखना होगा।” यह सोच वुल्फा उस मशीन के आगे से हटा और उस वेधशाला से कुछ यंत्र ले पिरामिड के पीछे की ओर चल दिया।

कुछ ही देर में वुल्फा पिरामिड के पीछे की ओर था। अब वुल्फा को हवा में मौजूद वह ऊर्जा द्वार धुंधला सा दिखाई देने लगा था।

वह ऊर्जा द्वार जमीन से 5 फुट की ऊंचाई पर था और वह बहुत ही हल्का दिखाई दे रहा था।

अगर वुल्फा ने उस द्वार को मशीन पर नहीं देखा होता, तो उसे ढूंढ पाना लगभग असंभव था।

अब वुल्फा उस ऊर्जा द्वार के काफी पास पहुंच गया। तभी वुल्फा को उस ऊर्जा द्वार से, किसी के कराहने की आवाज सुनाई दी। यह आवाज सुन वुल्फा हैरान हो गया।

“क्या इस ऊर्जा द्वार में कोई जीव छिपा है?” यह सोच वुल्फा ने अपनी आँखें लगा कर उस ऊर्जा द्वार के अंदर झांका, पर उसे अंधेरे के सिवा कुछ नजर नहीं आया।

कुछ नजर ना आते देख वुल्फा ने अपना हाथ उस ऊर्जा द्वार के अंदर डाल दिया।

वुल्फा का हाथ किसी जीव से टकराया, जिसे वुल्फा ने अपने हाथों से पकड़कर बाहर की ओर खींच लिया।

‘धम्म’ की आवाज करता एक जीव का शरीर उस ऊर्जा द्वार से बाहर आ गिरा।

वुल्फा ने जैसे ही उस जीव पर नजर डाली, वह आश्चर्य से भर उठा- “गोंजालो !....यह गोंजालो यहां पर कैसे आ गया? और....और इसके शरीर पर तो बहुत से जख्म भी हैं। ऐसा कौन हो सकता है? जिसने गोंजालो को घायल कर दिया.... मुझे इसे तुरंत पिरामिड में ले चलना चाहिये और मालिक को सारी बात बता देनी चाहिये....हां यही ठीक रहेगा।” यह कहकर वुल्फा ने गोंजालो के शरीर को किसी बोरे की भांति अपने शरीर पर लादा और पिरामिड की ओर चल दिया।

पर अभी वुल्फा 10 कदम भी नहीं चल पाया होगा कि उसे ऊर्जा द्वार की ओर से एक और आवाज सुनाई दी।

वुल्फा अब पलटकर पीछे की ओर देखने लगा।

तभी उस ऊर्जा द्वार से एक विचित्र सा जीव निकला, जो कि 8 फुट लंबा था, उसकी 3 आँखें थीं और 4 हाथ थे। उसकी पीठ पर कछुए के समान एक कवच लगा हुआ था।

उसके पैर और हाथ के पंजे किसी स्पाइनासोरस की तरह बड़े थे ।उसकी बलिष्ठ भुजाओ को देखकर साफ पता चल रहा था, कि उसमें असीम ताकत होगी। उसके हाथों में कोई अजीब सी, गन के समान मशीन थी।

वुल्फा ने कभी भी ऐसा जीव नहीं देखा था, इसलिये वह सावधानी से वहीं घास में बैठकर उसे देखने लगा।

अब उस जीव की नजर भी वुल्फा पर पड़ गई। उस जीव ने वुल्फा को ध्यान से देखा।

उसके ऐसा करते ही उस जीव की तीसरी आँख से लाल रंग की किरणे निकलकर वुल्फा पर ऐसे पड़ीं, मानो वह जीव उसे स्कैन करने की कोशिश कर रहा हो।

वुल्फा साँस रोके, वहीं घास में बैठा रहा। वुल्फा को स्कैन करने के बाद उस जीव ने पास पड़े गोंजालो को भी स्कैन किया।

इसके बाद वह उन दोनों को वहीं छोड़ आसमान में उड़ चला।

“मुझे लगता है कि इसने मुझे भेड़िया और गोंजालो को बिल्ली समझ छोड़ दिया, अगर यह जान जाता कि हम भी इंसानों की तरह से ही काम करते हैं, तो शायद इससे मेरा युद्ध हो रहा होता....या फिर मैं मरा पड़ा होता....क्यों कि वह जीव मुझसे तो ज्यादा ही ताकतवर दिख रहा था।”

यह सोच वुल्फा फिर से उठकर खड़ा हो गया और गोंजालो को अपनी पीठ पर लाद पिरामिड की ओर बढ़ गया।

चैपटर-5

जलदर्पण:
(तिलिस्मा 2.2)

ऑक्टोपस का तिलिस्म पार करने के बाद सभी एक दरवाजे के अंदर घुसे, पर जैसे ही सभी उस द्वार के अंदर आये, उन्हें सामने एक काँच की ट्यूब दिखाई दी।

“यह कैसा द्वार है? क्या हमें अब इस ट्यूब के अंदर जाना होगा?” क्रिस्टी ने आश्चर्य से ट्यूब को देखते हुए कहा।

“इस ट्यूब के अलावा यहां और कोई ऑप्शन भी नहीं है, इसलिये जाना तो इसी में पड़ेगा।” जेनिथ ने क्रिस्टी को देखते हुए कहा।

और कोई उपाय ना देख सभी उस काँच की ट्यूब में आगे बढ़ गये।
ट्यूब बिल्कुल गोलाकार थी और धीरे-धीरे उसका झुकाव इस प्रकार नीचे की ओर हो रहा था, मानो वह एक ट्यूब ना होकर किसी वाटर पार्क की राइड हो।

उस ट्यूब में पकड़ने के लिये कुछ नहीं था और फिसलन भी थी।

सबसे पीछे तौफीक चल रहा था। अचानक तौफीक का पैर फिसला और वह अपने आगे चल रहे ऐलेक्स से जा टकराया। जिसकी वजह से ऐलेक्स भी गिर गया।

तभी उस ट्यूब में पीछे की ओर पानी के बहने की आवाज आयी। इस आवाज को सुनकर सभी डर गये।

“कैप्टेन लगता है, पीछे से पानी आ रहा है और हमारे पास भागने के लिये भी कोई जगह नहीं है....जल्दी बताइये कि अब हम क्या करें।” ऐलेक्स ने सुयश से पूछा।

“ऐसी स्थिति में कुछ नहीं कर सकते, बस जितनी ज्यादा से ज्यादा देर तक साँस रोक सकते हो रोक लो।” सुयश ने सभी को सुझाव दिया।

सभी ने जोर की साँस खींच ली, तभी उनके पीछे से एक जोर का प्रवाह आया और वह सभी इस बहाव में ट्यूब के अंदर बह गये।

ट्यूब लगातार उन्हें लेकर बहता जा रहा था, पानी आँखों में भी तेजी से जा रहा था इसलिये किसी की आँखें खुली नहीं रह पायीं।

कुछ देर ऐसे ही बहते रहने के बाद आखिरकार पानी की तेज आवाज थम गई।

सभी ने डरकर अपनी आँखें खोलीं, पर आँखें खोलते ही सभी भौचक्के से रह गये, ऐसा लग रहा था कि वह सभी समुद्र के अंदर हैं, पर आश्चर्यजनक तरीके से सभी साँस ले रहे थे।

“कैप्टेन, यह कैसा पानी है, हम इसमें साँस भी ले पा रहे हैं और आपस में बिना किसी अवरोध के बात भी कर पा रहे हैं।” जेनिथ ने सुयश से कहा।

“यही तो कमाल है तिलिस्मा का... यह ऐसी तकनीक का प्रयोग कर रहा है, जिसे हम जरा सा भी नहीं जानते हैं।” सुयश ने भी आश्चर्यचकित होते हुए कहा।

“तिलिस्मा का नहीं ये मेरे कैस्पर का कमाल है।” शैफाली ने मुस्कुराते हुए कहा।

“अरे वाह, संकट में भी तुम अपने कैस्पर को नहीं भूली...अरे जरा ध्यान लगा कर अपने चारो ओर देखो, हम इस समय किसी बड़े से पिंजरे में बंद हैं। अब जरा कुछ देर के लिये कैस्पर को भूल जाओ।” जेनिथ ने मुस्कुराते हुए शैफाली को आसपास की स्थिति का अवलोकन कराया।

अब शैफाली की नजर अपने चारो ओर गई, इस समय वह लोग एक बड़ी सी चट्टान पर रखे एक विशाल पिंजरे में थे।

उस पिंजरे के दरवाजे पर एक 4 डिजिट का नम्बर वाला ताला लगा था। उस ताले के ऊपर लाल रंग की एल.ई.डी. से 3 लिखकर आ रहा था।

“कैप्टेन यह डिजिटल ताला तो समझ में आया, पर यहां 3 क्यों लिखा है?” क्रिस्टी ने सुयश से पूछा।

“मुझे लग रहा है कि शायद हम 3 बार ही इसके नम्बर को ट्राई कर सकते हैं।” शैफाली ने बीच में ही बोलते हुए कहा- “मतलब 3 बार में ही हमें इस ताले को खोलना होगा और अगर नहीं खोल पाये तो हम यहीं फंसे रह जायेंगे।”

“दोस्तों पहले हमें सभी चीजों को एक बार ध्यान से देखना होगा, तभी हम उन चीजों का सही से उपयोग कर पायेंगे।” सुयश ने सभी को नियम याद दिलाते हुए कहा।

“आप सही कह रहे हैं कैप्टेन।” तौफीक ने कहा- “तो सबसे पहले पिंजरे पर ही ध्यान देते हैं....पिंजरे के अंदर कुछ भी नहीं है और यह 6 तरफ से किसी वर्गाकार डिब्बे की तरह है...यह किसी धातु की सुनहरी
सलाखों से बना है...इन सलाखों के बीच में इतना गैप नहीं है कि कोई यहां से बाहर निकल सके...अब आते हैं बाहर की ओर....बाहर हमारे दाहिनी ओर, हमें कुछ दूरी पर एक जलपरी की मूर्ति दिख रही है।

“हमारे बांई ओर एक दरवाजा बना है, जो कि बंद है। शायद यही हमारे निकलने का द्वार हो , मगर दरवाजे पर एक ताला लगा है, जिस पर एक चाबी लगने की जगह भी दिखाई दे रही है। हमारे पीछे की ओर दूर-दूर तक पानी है...अब उसके आगे भी अगर कुछ हो तो कह नहीं सकते?” इतना कहकर तौफीक चुप हो गया।

“कैप्टेन कुछ चीजें मैं भी इसमें जोड़ना चाहता हूं।” ऐलेक्स ने कहा- “हमारे सामने की ओर कुछ दूरी पर मौजूद एक पत्थर पर एक छोटा सा बॉक्स रखा है, पता नहीं उसमें क्या है? और मैंने अभी-अभी पानी में
अल्ट्रासोनिक तरंगे महसूस कीं.... जो शायद किसी डॉल्फिन के यहां होने का इशारा कर रही है। और इस सामने वाले दरवाजे की चाबी, उस जलपरी वाली मूर्ति की मुठ्ठी में बंद है, उसका थोड़ा सा सिरा बाहर निकला है, जो कि मुझे यहां से दिख रहा है।”

“अरे वाह, ऐलेक्स ने तो कई गुत्थियों को सुलझा दिया।” क्रिस्टी ने खुश होते हुए कहा- “इसका मतलब हमें इस द्वार को पार करने के लिये पहले इस पिंजरे से निकलना होगा और पिंजरे से निकलने के लिये पहले हमें 4 अंकों का कोड चाहिये होगा।....पर वह कोड हो कहां सकता है?” क्रिस्टी यह कहकर चारो ओर देखने लगी, पर उसे कोड जैसा कुछ भी दिखाई नहीं दिया।

“मुझे लगता है कि हमारे सामने की ओर पत्थर पर जो बॉक्स रखा है, अवश्य ही हमारे पिंजरे का कोड उसी में होगा?” शैफाली ने बॉक्स की ओर इशारा करते हुए कहा- “पर बिना पिंजरे से निकले तो हम उस बॉक्स तक पहुंच भी नहीं सकते.... फिर...फिर उस बॉक्स को कैसे खोला जा सकता है?”

“कुछ ना कुछ तो हमारे आस-पास जरुर है जो कि हम देख नहीं पा रहे हैं?” सुयश मन ही मन बुदबुदाया।

तभी जेनिथ को पिंजरे में एक जगह पर पतली डोरी लटकती दिखाई दी, जेनिथ ने सिर ऊपर उठाकर उस डोरी का स्रोत जानने के कोशिश की।

पर सिर ऊपर उठाते ही वह मुस्कुरा दी क्यों कि ऊपर पिंजरे की सलाखों से चिपका उसे ‘फिशिंग रॉड’ दिखाई दे गया।

जेनिथ ने सुयश को इशारा करके वह फिशिंग रॉड दिखाई।

चूंकि वह फिशिंग रॉड पिंजरे की छत पर थी और पिंजरे के छत की ऊंचाई 10 फुट के पास थी, इसलिये सुयश ने शैफाली को अपने कंधों पर उठा लिया।

शैफाली ने उस फिशिंग रॉड को पिंजरे के ऊपर से खोल लिया।

फिशिंग रॉड के आगे वाले भाग में एक हुक बंधा था और डोरी के लिये एक चकरी लगी थी।

“हहममममम् फिशिंग रॉड तो हमें मिल गयी, पर इसमें मौजूद डोरी तो मात्र 10 मीटर ही है। जबकि वह बॉक्स हमसे कम से कम 20 मीटर की दूरी पर है। यानि कि हम अब भी इस फिशिंग रॉड के द्वारा उस बॉक्स तक नहीं पहुंच सकते। हमें कोई और ही तरीका ढूंढना पड़ेगा।” सुयश ने लंबी साँस भरते हुए कहा।

तभी शैफाली की नजर अपने दाहिनी ओर जमीन पर लगी हरे रंग की घास की ओर गई। उस घास को देखकर शैफाली को एक झटका लगा, अब वह तेजी से अपने चारो ओर देखने लगी।

उसे ऐसा करते देख सुयश ने हैरानी से कहा- “क्या हुआ शैफाली? तुम क्या ढूंढने की कोशिश कर रही हो?”

“यह जो घास सामने मौजूद है, इसे ‘टर्टल ग्रास’ कहते हैं, यह घास वयस्क समुद्री कछुए खाते हैं। अब उस घास के बीच में कटी हुई घास का एक छोटा सा गठ्ठर रखा है, जो कि ध्यान से देखने पर ही दिख रहा है। अब बात ये है कि ये जगह प्राकृतिक नहीं है, बल्कि कैश्वर द्वारा बनायी गयी है, अब कैश्वर ऐसे किसी चीज का तो निर्माण नहीं करेगा, जिसका कोई मतलब ना हो। यानि कि हमारे आस-पास जरुर कोई कछुआ भी है। मैं उसी कछुए को ढूंढ रही थी।”

शैफाली की बात सुन ऐलेक्स ने अपनी आँखें बंद करके अपनी नाक पर जोर देना शुरु कर दिया।

शायद वह कछुए की गंध सूंघने की कोशिश कर रहा था। कुछ ही देर में ऐलेक्स ने अपनी आँखें खोल दीं, मगर अब उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी।

“शैफाली सही कह रही है कैप्टेन... हमारे पास एक कछुआ है।” ऐलेक्स के चेहरे पर अभी भी मुस्कान बिखरी थी। ऐलेक्स की बात सुन सभी उसकी ओर देखने लगे।

“कैप्टेन, हमारा पिंजरा जिस पत्थर पर रखा है, वह पत्थर नहीं बल्कि एक विशाल कछुआ ही है। मैंने उसकी गंध पहचान ली है।” ऐलेक्स ने सस्पेंस खोलते हुए कहा।

अब सबका ध्यान उस विशाल कछुए की ओर गया।

“अगर यह कछुआ है तो अब हम उस बॉक्स तक पहुंच सकते हैं।” शैफाली ने कहा और सुयश के हाथ में पकड़ा फिशिंग रॉड तौफीक को देते हुए कहा- “तौफीक अंकल, जरा अपने निशाने का कमाल दिखाकर इस फिशिंग रॉड से उस घास के गठ्ठर को उठाइये।”

घास का वह गठ्ठर पिंजरे से मात्र 8 मीटर की ही दूरी पर था और इतनी कम दूरी से घास को उठाना तौफीक के बाएं हाथ का खेल था।

बामुश्किल 5 मिनट में ही वह घास का गठ्ठर तौफीक के हाथों में था। तौफीक ने वह घास का गठ्ठर शैफाली को पकड़ा दिया।

शैफाली ने उस घास के गठ्ठर को अच्छी तरह से फिशिंग रॉड के आगे वाले हुक में बांध दिया और अपना एक हाथ बाहर निकालकर, उस घास के गठ्ठर को कछुए के मुंह के सामने लहराया। घास का गठ्ठर देख कछुए ने अपना सिर गर्दन से बाहर निकाल लिया।

अब वह आगे बढ़कर घास को खाने की कोशिश करने लगा, पर जैसे ही वह कछुआ आगे बढ़ता उसके आगे लटक रहा घास का गठ्ठर स्वतः ही और आगे बढ़ जाता।

और इस प्रकार से शैफाली उस कछुए को लेकर पत्थर के पास वाले बॉक्स तक पहुंच गई। अब शैफाली ने फिशिंग रॉड को वापस पिंजरे में खींच लिया।

फिशिंग रॉड के खींचते ही कछुआ फिर से पत्थर बनकर वहीं बैठ गया।
शैफाली ने फिशिंग रॉड के हुक से घास का गठ्ठर हटाकर फिशिंग रॉड एक बार फिर तौफीक के हाथों में दे दी।

“तौफीक अंकल अब आपको इस फिशिंग रॉड से उस बॉक्स को उठाना है, ध्यान से देख लीजिये उस बॉक्स के ऊपर एक छोटा सा रिंग जुड़ा हुआ है, आपको फिशिंग रॉड का हुक उस रिंग में ही फंसाना है।”
शैफाली ने तौफीक से कहा।

तौफीक ने धीरे से सिर हिलाया और एक बार फिर नयी कोशिश में जुट गया।

यह कार्य पहले वाले कार्य से थोड़ा मुश्किल था, पर तौफीक ने इस कार्य को भी आसान बना दिया।

बॉक्स का आकार, पिंजरे में लगे सरियों के गैप से ज्यादा था, इसलिये वह बॉक्स अंदर नहीं आ सकता था।
अतः शैफाली ने उसे पिंजरे के बाहर ही खोल लिया।

उस बॉक्स में एक छोटा सा रोल किया हुआ सुनहरी धातु का एक पतला कागज सा था, जिस पर ताले का कोड नहीं बल्कि एक कविता की पंक्तियां लिखीं थीं, जो कि इस प्रकार थी-

“जीव, अंक सब तुमको अर्पण,
जब देखोगे जल में दर्पण।”


जारी रहेगा______✍️
 

Sushil@10

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#156.

ऊर्जा द्वार:

आज से 3 दिन पहले...........(13.01.02, रविवार, 14:00, दूसरा पिरामिड, सीनोर राज्य, अराका द्वीप)

अराका द्वीप के सीनोर राज्य में मकोटा ने 4 पिरामिड का निर्माण कराया था।

इन चारो पिरामिड में क्या होता था, यह मकोटा के अलावा राज्य का कोई व्यक्ति नहीं जानता था।

पहले पिरामिड में अंधेरे का देवता जैगन बेहोश पड़ा था, जिसे उठा कर मकोटा पूर्ण अराका द्वीप पर राज्य करना चाहता था।

दूसरे पिरामिड में मकोटा की वेधशाला थी, जहां से वुल्फा अंतरिक्ष पर नजर रखता था। यहां से वुल्फा हरे कीड़ों के द्वारा कुछ नये प्रयोग भी करता था।

तीसरे और चौथे पिरामिड में मकोटा के सिवा कोई नहीं जाता था। वहां क्या था? यह किसी को नहीं पता था।

वुल्फा- आधा भेड़िया और आधा मानव। वुल्फा, मकोटा का सबसे विश्वासपात्र और एकमात्र सेवक था।

वुल्फा के अलावा मकोटा ने अपने महल में सिर्फ भेड़ियों को रखा था, उसे किसी भी अटलांटियन पर विश्वास नहीं था।

वुल्फा हर रोज की भांति आज भी दूसरे पिरामिड में मशीनों के सामने बैठकर, अंतरिक्ष का अध्ययन कर रहा था।

उसके सामने की स्क्रीन पर कुछ आड़ी-तिरछी लाइनें बन कर आ रही थीं। वुल्फा के सामने की ओर कुछ विचित्र सी मशीनों पर हरे कीड़े काम कर रहे थे।

उस वेधशाला में 2 हरे कीड़े मानव के आकार के भी थे।

वुल्फा की निगाहें स्क्रीन पर ही जमीं थीं। तभी वुल्फा को अपने सामने लगी मशीन पर एक अजीब सी हरकत होती दिखाई दी, जिसे देख वुल्फा आश्चर्य में पड़ गया।

“यह क्या? यह तो कोई अंजान सी ऊर्जा है, जो कि हमारे सीनोर द्वीप से ही निकल रही है।” वुल्फा ने ध्यान से देखते हुए कहा- “क्या हो सकता है यह?”

अब वुल्फा तेजी से एक स्क्रीन के पास पहुंच गया। इस स्क्रीन पर सीनोर द्वीप के बहुत से हिस्से दिखाई दे रहे थे।

वुल्फा के हाथ अब तेजी से उस मशीन के बटनों पर दौड़ रहे थे। कुछ ही देर में वुल्फा को सीनोर द्वीप का वह हिस्सा दिखाई देने लगा, जहां पर दूसरी मशीन अभी कोई हलचल दिखा रही थी।

वह स्थान चौथे पिरमिड से कुछ दूर वाला ही भाग था। उसके आगे से पोसाईडन पर्वत का क्षेत्र शुरु हो जाता था, पर पोसाईडन पर्वत का वह भाग, सीनोर द्वीप की ओर से किसी अदृश्य दीवार से बंद था।

तभी उस स्थान पर वुल्फा को हवा में तैरती कुछ ऊर्जा दिखाई दी।

“यह तो ऊर्जा से बना कोई द्वार लग रहा है। क्या हो सकता है इस द्वार में?....लगता है मुझे उस स्थान पर चलकर देखना होगा।” यह सोच वुल्फा उस मशीन के आगे से हटा और उस वेधशाला से कुछ यंत्र ले पिरामिड के पीछे की ओर चल दिया।

कुछ ही देर में वुल्फा पिरामिड के पीछे की ओर था। अब वुल्फा को हवा में मौजूद वह ऊर्जा द्वार धुंधला सा दिखाई देने लगा था।

वह ऊर्जा द्वार जमीन से 5 फुट की ऊंचाई पर था और वह बहुत ही हल्का दिखाई दे रहा था।

अगर वुल्फा ने उस द्वार को मशीन पर नहीं देखा होता, तो उसे ढूंढ पाना लगभग असंभव था।

अब वुल्फा उस ऊर्जा द्वार के काफी पास पहुंच गया। तभी वुल्फा को उस ऊर्जा द्वार से, किसी के कराहने की आवाज सुनाई दी। यह आवाज सुन वुल्फा हैरान हो गया।

“क्या इस ऊर्जा द्वार में कोई जीव छिपा है?” यह सोच वुल्फा ने अपनी आँखें लगा कर उस ऊर्जा द्वार के अंदर झांका, पर उसे अंधेरे के सिवा कुछ नजर नहीं आया।

कुछ नजर ना आते देख वुल्फा ने अपना हाथ उस ऊर्जा द्वार के अंदर डाल दिया।

वुल्फा का हाथ किसी जीव से टकराया, जिसे वुल्फा ने अपने हाथों से पकड़कर बाहर की ओर खींच लिया।

‘धम्म’ की आवाज करता एक जीव का शरीर उस ऊर्जा द्वार से बाहर आ गिरा।

वुल्फा ने जैसे ही उस जीव पर नजर डाली, वह आश्चर्य से भर उठा- “गोंजालो !....यह गोंजालो यहां पर कैसे आ गया? और....और इसके शरीर पर तो बहुत से जख्म भी हैं। ऐसा कौन हो सकता है? जिसने गोंजालो को घायल कर दिया.... मुझे इसे तुरंत पिरामिड में ले चलना चाहिये और मालिक को सारी बात बता देनी चाहिये....हां यही ठीक रहेगा।” यह कहकर वुल्फा ने गोंजालो के शरीर को किसी बोरे की भांति अपने शरीर पर लादा और पिरामिड की ओर चल दिया।

पर अभी वुल्फा 10 कदम भी नहीं चल पाया होगा कि उसे ऊर्जा द्वार की ओर से एक और आवाज सुनाई दी।

वुल्फा अब पलटकर पीछे की ओर देखने लगा।

तभी उस ऊर्जा द्वार से एक विचित्र सा जीव निकला, जो कि 8 फुट लंबा था, उसकी 3 आँखें थीं और 4 हाथ थे। उसकी पीठ पर कछुए के समान एक कवच लगा हुआ था।

उसके पैर और हाथ के पंजे किसी स्पाइनासोरस की तरह बड़े थे ।उसकी बलिष्ठ भुजाओ को देखकर साफ पता चल रहा था, कि उसमें असीम ताकत होगी। उसके हाथों में कोई अजीब सी, गन के समान मशीन थी।

वुल्फा ने कभी भी ऐसा जीव नहीं देखा था, इसलिये वह सावधानी से वहीं घास में बैठकर उसे देखने लगा।

अब उस जीव की नजर भी वुल्फा पर पड़ गई। उस जीव ने वुल्फा को ध्यान से देखा।

उसके ऐसा करते ही उस जीव की तीसरी आँख से लाल रंग की किरणे निकलकर वुल्फा पर ऐसे पड़ीं, मानो वह जीव उसे स्कैन करने की कोशिश कर रहा हो।

वुल्फा साँस रोके, वहीं घास में बैठा रहा। वुल्फा को स्कैन करने के बाद उस जीव ने पास पड़े गोंजालो को भी स्कैन किया।

इसके बाद वह उन दोनों को वहीं छोड़ आसमान में उड़ चला।

“मुझे लगता है कि इसने मुझे भेड़िया और गोंजालो को बिल्ली समझ छोड़ दिया, अगर यह जान जाता कि हम भी इंसानों की तरह से ही काम करते हैं, तो शायद इससे मेरा युद्ध हो रहा होता....या फिर मैं मरा पड़ा होता....क्यों कि वह जीव मुझसे तो ज्यादा ही ताकतवर दिख रहा था।”

यह सोच वुल्फा फिर से उठकर खड़ा हो गया और गोंजालो को अपनी पीठ पर लाद पिरामिड की ओर बढ़ गया।

चैपटर-5

जलदर्पण:
(तिलिस्मा 2.2)

ऑक्टोपस का तिलिस्म पार करने के बाद सभी एक दरवाजे के अंदर घुसे, पर जैसे ही सभी उस द्वार के अंदर आये, उन्हें सामने एक काँच की ट्यूब दिखाई दी।

“यह कैसा द्वार है? क्या हमें अब इस ट्यूब के अंदर जाना होगा?” क्रिस्टी ने आश्चर्य से ट्यूब को देखते हुए कहा।

“इस ट्यूब के अलावा यहां और कोई ऑप्शन भी नहीं है, इसलिये जाना तो इसी में पड़ेगा।” जेनिथ ने क्रिस्टी को देखते हुए कहा।

और कोई उपाय ना देख सभी उस काँच की ट्यूब में आगे बढ़ गये।
ट्यूब बिल्कुल गोलाकार थी और धीरे-धीरे उसका झुकाव इस प्रकार नीचे की ओर हो रहा था, मानो वह एक ट्यूब ना होकर किसी वाटर पार्क की राइड हो।

उस ट्यूब में पकड़ने के लिये कुछ नहीं था और फिसलन भी थी।

सबसे पीछे तौफीक चल रहा था। अचानक तौफीक का पैर फिसला और वह अपने आगे चल रहे ऐलेक्स से जा टकराया। जिसकी वजह से ऐलेक्स भी गिर गया।

तभी उस ट्यूब में पीछे की ओर पानी के बहने की आवाज आयी। इस आवाज को सुनकर सभी डर गये।

“कैप्टेन लगता है, पीछे से पानी आ रहा है और हमारे पास भागने के लिये भी कोई जगह नहीं है....जल्दी बताइये कि अब हम क्या करें।” ऐलेक्स ने सुयश से पूछा।

“ऐसी स्थिति में कुछ नहीं कर सकते, बस जितनी ज्यादा से ज्यादा देर तक साँस रोक सकते हो रोक लो।” सुयश ने सभी को सुझाव दिया।

सभी ने जोर की साँस खींच ली, तभी उनके पीछे से एक जोर का प्रवाह आया और वह सभी इस बहाव में ट्यूब के अंदर बह गये।

ट्यूब लगातार उन्हें लेकर बहता जा रहा था, पानी आँखों में भी तेजी से जा रहा था इसलिये किसी की आँखें खुली नहीं रह पायीं।

कुछ देर ऐसे ही बहते रहने के बाद आखिरकार पानी की तेज आवाज थम गई।

सभी ने डरकर अपनी आँखें खोलीं, पर आँखें खोलते ही सभी भौचक्के से रह गये, ऐसा लग रहा था कि वह सभी समुद्र के अंदर हैं, पर आश्चर्यजनक तरीके से सभी साँस ले रहे थे।

“कैप्टेन, यह कैसा पानी है, हम इसमें साँस भी ले पा रहे हैं और आपस में बिना किसी अवरोध के बात भी कर पा रहे हैं।” जेनिथ ने सुयश से कहा।

“यही तो कमाल है तिलिस्मा का... यह ऐसी तकनीक का प्रयोग कर रहा है, जिसे हम जरा सा भी नहीं जानते हैं।” सुयश ने भी आश्चर्यचकित होते हुए कहा।

“तिलिस्मा का नहीं ये मेरे कैस्पर का कमाल है।” शैफाली ने मुस्कुराते हुए कहा।

“अरे वाह, संकट में भी तुम अपने कैस्पर को नहीं भूली...अरे जरा ध्यान लगा कर अपने चारो ओर देखो, हम इस समय किसी बड़े से पिंजरे में बंद हैं। अब जरा कुछ देर के लिये कैस्पर को भूल जाओ।” जेनिथ ने मुस्कुराते हुए शैफाली को आसपास की स्थिति का अवलोकन कराया।

अब शैफाली की नजर अपने चारो ओर गई, इस समय वह लोग एक बड़ी सी चट्टान पर रखे एक विशाल पिंजरे में थे।

उस पिंजरे के दरवाजे पर एक 4 डिजिट का नम्बर वाला ताला लगा था। उस ताले के ऊपर लाल रंग की एल.ई.डी. से 3 लिखकर आ रहा था।

“कैप्टेन यह डिजिटल ताला तो समझ में आया, पर यहां 3 क्यों लिखा है?” क्रिस्टी ने सुयश से पूछा।

“मुझे लग रहा है कि शायद हम 3 बार ही इसके नम्बर को ट्राई कर सकते हैं।” शैफाली ने बीच में ही बोलते हुए कहा- “मतलब 3 बार में ही हमें इस ताले को खोलना होगा और अगर नहीं खोल पाये तो हम यहीं फंसे रह जायेंगे।”

“दोस्तों पहले हमें सभी चीजों को एक बार ध्यान से देखना होगा, तभी हम उन चीजों का सही से उपयोग कर पायेंगे।” सुयश ने सभी को नियम याद दिलाते हुए कहा।

“आप सही कह रहे हैं कैप्टेन।” तौफीक ने कहा- “तो सबसे पहले पिंजरे पर ही ध्यान देते हैं....पिंजरे के अंदर कुछ भी नहीं है और यह 6 तरफ से किसी वर्गाकार डिब्बे की तरह है...यह किसी धातु की सुनहरी
सलाखों से बना है...इन सलाखों के बीच में इतना गैप नहीं है कि कोई यहां से बाहर निकल सके...अब आते हैं बाहर की ओर....बाहर हमारे दाहिनी ओर, हमें कुछ दूरी पर एक जलपरी की मूर्ति दिख रही है।

“हमारे बांई ओर एक दरवाजा बना है, जो कि बंद है। शायद यही हमारे निकलने का द्वार हो , मगर दरवाजे पर एक ताला लगा है, जिस पर एक चाबी लगने की जगह भी दिखाई दे रही है। हमारे पीछे की ओर दूर-दूर तक पानी है...अब उसके आगे भी अगर कुछ हो तो कह नहीं सकते?” इतना कहकर तौफीक चुप हो गया।

“कैप्टेन कुछ चीजें मैं भी इसमें जोड़ना चाहता हूं।” ऐलेक्स ने कहा- “हमारे सामने की ओर कुछ दूरी पर मौजूद एक पत्थर पर एक छोटा सा बॉक्स रखा है, पता नहीं उसमें क्या है? और मैंने अभी-अभी पानी में
अल्ट्रासोनिक तरंगे महसूस कीं.... जो शायद किसी डॉल्फिन के यहां होने का इशारा कर रही है। और इस सामने वाले दरवाजे की चाबी, उस जलपरी वाली मूर्ति की मुठ्ठी में बंद है, उसका थोड़ा सा सिरा बाहर निकला है, जो कि मुझे यहां से दिख रहा है।”

“अरे वाह, ऐलेक्स ने तो कई गुत्थियों को सुलझा दिया।” क्रिस्टी ने खुश होते हुए कहा- “इसका मतलब हमें इस द्वार को पार करने के लिये पहले इस पिंजरे से निकलना होगा और पिंजरे से निकलने के लिये पहले हमें 4 अंकों का कोड चाहिये होगा।....पर वह कोड हो कहां सकता है?” क्रिस्टी यह कहकर चारो ओर देखने लगी, पर उसे कोड जैसा कुछ भी दिखाई नहीं दिया।

“मुझे लगता है कि हमारे सामने की ओर पत्थर पर जो बॉक्स रखा है, अवश्य ही हमारे पिंजरे का कोड उसी में होगा?” शैफाली ने बॉक्स की ओर इशारा करते हुए कहा- “पर बिना पिंजरे से निकले तो हम उस बॉक्स तक पहुंच भी नहीं सकते.... फिर...फिर उस बॉक्स को कैसे खोला जा सकता है?”

“कुछ ना कुछ तो हमारे आस-पास जरुर है जो कि हम देख नहीं पा रहे हैं?” सुयश मन ही मन बुदबुदाया।

तभी जेनिथ को पिंजरे में एक जगह पर पतली डोरी लटकती दिखाई दी, जेनिथ ने सिर ऊपर उठाकर उस डोरी का स्रोत जानने के कोशिश की।

पर सिर ऊपर उठाते ही वह मुस्कुरा दी क्यों कि ऊपर पिंजरे की सलाखों से चिपका उसे ‘फिशिंग रॉड’ दिखाई दे गया।

जेनिथ ने सुयश को इशारा करके वह फिशिंग रॉड दिखाई।

चूंकि वह फिशिंग रॉड पिंजरे की छत पर थी और पिंजरे के छत की ऊंचाई 10 फुट के पास थी, इसलिये सुयश ने शैफाली को अपने कंधों पर उठा लिया।

शैफाली ने उस फिशिंग रॉड को पिंजरे के ऊपर से खोल लिया।

फिशिंग रॉड के आगे वाले भाग में एक हुक बंधा था और डोरी के लिये एक चकरी लगी थी।

“हहममममम् फिशिंग रॉड तो हमें मिल गयी, पर इसमें मौजूद डोरी तो मात्र 10 मीटर ही है। जबकि वह बॉक्स हमसे कम से कम 20 मीटर की दूरी पर है। यानि कि हम अब भी इस फिशिंग रॉड के द्वारा उस बॉक्स तक नहीं पहुंच सकते। हमें कोई और ही तरीका ढूंढना पड़ेगा।” सुयश ने लंबी साँस भरते हुए कहा।

तभी शैफाली की नजर अपने दाहिनी ओर जमीन पर लगी हरे रंग की घास की ओर गई। उस घास को देखकर शैफाली को एक झटका लगा, अब वह तेजी से अपने चारो ओर देखने लगी।

उसे ऐसा करते देख सुयश ने हैरानी से कहा- “क्या हुआ शैफाली? तुम क्या ढूंढने की कोशिश कर रही हो?”

“यह जो घास सामने मौजूद है, इसे ‘टर्टल ग्रास’ कहते हैं, यह घास वयस्क समुद्री कछुए खाते हैं। अब उस घास के बीच में कटी हुई घास का एक छोटा सा गठ्ठर रखा है, जो कि ध्यान से देखने पर ही दिख रहा है। अब बात ये है कि ये जगह प्राकृतिक नहीं है, बल्कि कैश्वर द्वारा बनायी गयी है, अब कैश्वर ऐसे किसी चीज का तो निर्माण नहीं करेगा, जिसका कोई मतलब ना हो। यानि कि हमारे आस-पास जरुर कोई कछुआ भी है। मैं उसी कछुए को ढूंढ रही थी।”

शैफाली की बात सुन ऐलेक्स ने अपनी आँखें बंद करके अपनी नाक पर जोर देना शुरु कर दिया।

शायद वह कछुए की गंध सूंघने की कोशिश कर रहा था। कुछ ही देर में ऐलेक्स ने अपनी आँखें खोल दीं, मगर अब उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी।

“शैफाली सही कह रही है कैप्टेन... हमारे पास एक कछुआ है।” ऐलेक्स के चेहरे पर अभी भी मुस्कान बिखरी थी। ऐलेक्स की बात सुन सभी उसकी ओर देखने लगे।

“कैप्टेन, हमारा पिंजरा जिस पत्थर पर रखा है, वह पत्थर नहीं बल्कि एक विशाल कछुआ ही है। मैंने उसकी गंध पहचान ली है।” ऐलेक्स ने सस्पेंस खोलते हुए कहा।

अब सबका ध्यान उस विशाल कछुए की ओर गया।

“अगर यह कछुआ है तो अब हम उस बॉक्स तक पहुंच सकते हैं।” शैफाली ने कहा और सुयश के हाथ में पकड़ा फिशिंग रॉड तौफीक को देते हुए कहा- “तौफीक अंकल, जरा अपने निशाने का कमाल दिखाकर इस फिशिंग रॉड से उस घास के गठ्ठर को उठाइये।”

घास का वह गठ्ठर पिंजरे से मात्र 8 मीटर की ही दूरी पर था और इतनी कम दूरी से घास को उठाना तौफीक के बाएं हाथ का खेल था।

बामुश्किल 5 मिनट में ही वह घास का गठ्ठर तौफीक के हाथों में था। तौफीक ने वह घास का गठ्ठर शैफाली को पकड़ा दिया।

शैफाली ने उस घास के गठ्ठर को अच्छी तरह से फिशिंग रॉड के आगे वाले हुक में बांध दिया और अपना एक हाथ बाहर निकालकर, उस घास के गठ्ठर को कछुए के मुंह के सामने लहराया। घास का गठ्ठर देख कछुए ने अपना सिर गर्दन से बाहर निकाल लिया।

अब वह आगे बढ़कर घास को खाने की कोशिश करने लगा, पर जैसे ही वह कछुआ आगे बढ़ता उसके आगे लटक रहा घास का गठ्ठर स्वतः ही और आगे बढ़ जाता।

और इस प्रकार से शैफाली उस कछुए को लेकर पत्थर के पास वाले बॉक्स तक पहुंच गई। अब शैफाली ने फिशिंग रॉड को वापस पिंजरे में खींच लिया।

फिशिंग रॉड के खींचते ही कछुआ फिर से पत्थर बनकर वहीं बैठ गया।
शैफाली ने फिशिंग रॉड के हुक से घास का गठ्ठर हटाकर फिशिंग रॉड एक बार फिर तौफीक के हाथों में दे दी।

“तौफीक अंकल अब आपको इस फिशिंग रॉड से उस बॉक्स को उठाना है, ध्यान से देख लीजिये उस बॉक्स के ऊपर एक छोटा सा रिंग जुड़ा हुआ है, आपको फिशिंग रॉड का हुक उस रिंग में ही फंसाना है।”
शैफाली ने तौफीक से कहा।

तौफीक ने धीरे से सिर हिलाया और एक बार फिर नयी कोशिश में जुट गया।

यह कार्य पहले वाले कार्य से थोड़ा मुश्किल था, पर तौफीक ने इस कार्य को भी आसान बना दिया।

बॉक्स का आकार, पिंजरे में लगे सरियों के गैप से ज्यादा था, इसलिये वह बॉक्स अंदर नहीं आ सकता था।
अतः शैफाली ने उसे पिंजरे के बाहर ही खोल लिया।

उस बॉक्स में एक छोटा सा रोल किया हुआ सुनहरी धातु का एक पतला कागज सा था, जिस पर ताले का कोड नहीं बल्कि एक कविता की पंक्तियां लिखीं थीं, जो कि इस प्रकार थी-

“जीव, अंक सब तुमको अर्पण,
जब देखोगे जल में दर्पण।”


जारी रहेगा______✍️
OUTSTANDING UPDATE AND BRILLIANT STORY
 

sunoanuj

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#156.

ऊर्जा द्वार:

आज से 3 दिन पहले...........(13.01.02, रविवार, 14:00, दूसरा पिरामिड, सीनोर राज्य, अराका द्वीप)

अराका द्वीप के सीनोर राज्य में मकोटा ने 4 पिरामिड का निर्माण कराया था।

इन चारो पिरामिड में क्या होता था, यह मकोटा के अलावा राज्य का कोई व्यक्ति नहीं जानता था।

पहले पिरामिड में अंधेरे का देवता जैगन बेहोश पड़ा था, जिसे उठा कर मकोटा पूर्ण अराका द्वीप पर राज्य करना चाहता था।

दूसरे पिरामिड में मकोटा की वेधशाला थी, जहां से वुल्फा अंतरिक्ष पर नजर रखता था। यहां से वुल्फा हरे कीड़ों के द्वारा कुछ नये प्रयोग भी करता था।

तीसरे और चौथे पिरामिड में मकोटा के सिवा कोई नहीं जाता था। वहां क्या था? यह किसी को नहीं पता था।

वुल्फा- आधा भेड़िया और आधा मानव। वुल्फा, मकोटा का सबसे विश्वासपात्र और एकमात्र सेवक था।

वुल्फा के अलावा मकोटा ने अपने महल में सिर्फ भेड़ियों को रखा था, उसे किसी भी अटलांटियन पर विश्वास नहीं था।

वुल्फा हर रोज की भांति आज भी दूसरे पिरामिड में मशीनों के सामने बैठकर, अंतरिक्ष का अध्ययन कर रहा था।

उसके सामने की स्क्रीन पर कुछ आड़ी-तिरछी लाइनें बन कर आ रही थीं। वुल्फा के सामने की ओर कुछ विचित्र सी मशीनों पर हरे कीड़े काम कर रहे थे।

उस वेधशाला में 2 हरे कीड़े मानव के आकार के भी थे।

वुल्फा की निगाहें स्क्रीन पर ही जमीं थीं। तभी वुल्फा को अपने सामने लगी मशीन पर एक अजीब सी हरकत होती दिखाई दी, जिसे देख वुल्फा आश्चर्य में पड़ गया।

“यह क्या? यह तो कोई अंजान सी ऊर्जा है, जो कि हमारे सीनोर द्वीप से ही निकल रही है।” वुल्फा ने ध्यान से देखते हुए कहा- “क्या हो सकता है यह?”

अब वुल्फा तेजी से एक स्क्रीन के पास पहुंच गया। इस स्क्रीन पर सीनोर द्वीप के बहुत से हिस्से दिखाई दे रहे थे।

वुल्फा के हाथ अब तेजी से उस मशीन के बटनों पर दौड़ रहे थे। कुछ ही देर में वुल्फा को सीनोर द्वीप का वह हिस्सा दिखाई देने लगा, जहां पर दूसरी मशीन अभी कोई हलचल दिखा रही थी।

वह स्थान चौथे पिरमिड से कुछ दूर वाला ही भाग था। उसके आगे से पोसाईडन पर्वत का क्षेत्र शुरु हो जाता था, पर पोसाईडन पर्वत का वह भाग, सीनोर द्वीप की ओर से किसी अदृश्य दीवार से बंद था।

तभी उस स्थान पर वुल्फा को हवा में तैरती कुछ ऊर्जा दिखाई दी।

“यह तो ऊर्जा से बना कोई द्वार लग रहा है। क्या हो सकता है इस द्वार में?....लगता है मुझे उस स्थान पर चलकर देखना होगा।” यह सोच वुल्फा उस मशीन के आगे से हटा और उस वेधशाला से कुछ यंत्र ले पिरामिड के पीछे की ओर चल दिया।

कुछ ही देर में वुल्फा पिरामिड के पीछे की ओर था। अब वुल्फा को हवा में मौजूद वह ऊर्जा द्वार धुंधला सा दिखाई देने लगा था।

वह ऊर्जा द्वार जमीन से 5 फुट की ऊंचाई पर था और वह बहुत ही हल्का दिखाई दे रहा था।

अगर वुल्फा ने उस द्वार को मशीन पर नहीं देखा होता, तो उसे ढूंढ पाना लगभग असंभव था।

अब वुल्फा उस ऊर्जा द्वार के काफी पास पहुंच गया। तभी वुल्फा को उस ऊर्जा द्वार से, किसी के कराहने की आवाज सुनाई दी। यह आवाज सुन वुल्फा हैरान हो गया।

“क्या इस ऊर्जा द्वार में कोई जीव छिपा है?” यह सोच वुल्फा ने अपनी आँखें लगा कर उस ऊर्जा द्वार के अंदर झांका, पर उसे अंधेरे के सिवा कुछ नजर नहीं आया।

कुछ नजर ना आते देख वुल्फा ने अपना हाथ उस ऊर्जा द्वार के अंदर डाल दिया।

वुल्फा का हाथ किसी जीव से टकराया, जिसे वुल्फा ने अपने हाथों से पकड़कर बाहर की ओर खींच लिया।

‘धम्म’ की आवाज करता एक जीव का शरीर उस ऊर्जा द्वार से बाहर आ गिरा।

वुल्फा ने जैसे ही उस जीव पर नजर डाली, वह आश्चर्य से भर उठा- “गोंजालो !....यह गोंजालो यहां पर कैसे आ गया? और....और इसके शरीर पर तो बहुत से जख्म भी हैं। ऐसा कौन हो सकता है? जिसने गोंजालो को घायल कर दिया.... मुझे इसे तुरंत पिरामिड में ले चलना चाहिये और मालिक को सारी बात बता देनी चाहिये....हां यही ठीक रहेगा।” यह कहकर वुल्फा ने गोंजालो के शरीर को किसी बोरे की भांति अपने शरीर पर लादा और पिरामिड की ओर चल दिया।

पर अभी वुल्फा 10 कदम भी नहीं चल पाया होगा कि उसे ऊर्जा द्वार की ओर से एक और आवाज सुनाई दी।

वुल्फा अब पलटकर पीछे की ओर देखने लगा।

तभी उस ऊर्जा द्वार से एक विचित्र सा जीव निकला, जो कि 8 फुट लंबा था, उसकी 3 आँखें थीं और 4 हाथ थे। उसकी पीठ पर कछुए के समान एक कवच लगा हुआ था।

उसके पैर और हाथ के पंजे किसी स्पाइनासोरस की तरह बड़े थे ।उसकी बलिष्ठ भुजाओ को देखकर साफ पता चल रहा था, कि उसमें असीम ताकत होगी। उसके हाथों में कोई अजीब सी, गन के समान मशीन थी।

वुल्फा ने कभी भी ऐसा जीव नहीं देखा था, इसलिये वह सावधानी से वहीं घास में बैठकर उसे देखने लगा।

अब उस जीव की नजर भी वुल्फा पर पड़ गई। उस जीव ने वुल्फा को ध्यान से देखा।

उसके ऐसा करते ही उस जीव की तीसरी आँख से लाल रंग की किरणे निकलकर वुल्फा पर ऐसे पड़ीं, मानो वह जीव उसे स्कैन करने की कोशिश कर रहा हो।

वुल्फा साँस रोके, वहीं घास में बैठा रहा। वुल्फा को स्कैन करने के बाद उस जीव ने पास पड़े गोंजालो को भी स्कैन किया।

इसके बाद वह उन दोनों को वहीं छोड़ आसमान में उड़ चला।

“मुझे लगता है कि इसने मुझे भेड़िया और गोंजालो को बिल्ली समझ छोड़ दिया, अगर यह जान जाता कि हम भी इंसानों की तरह से ही काम करते हैं, तो शायद इससे मेरा युद्ध हो रहा होता....या फिर मैं मरा पड़ा होता....क्यों कि वह जीव मुझसे तो ज्यादा ही ताकतवर दिख रहा था।”

यह सोच वुल्फा फिर से उठकर खड़ा हो गया और गोंजालो को अपनी पीठ पर लाद पिरामिड की ओर बढ़ गया।

चैपटर-5

जलदर्पण:
(तिलिस्मा 2.2)

ऑक्टोपस का तिलिस्म पार करने के बाद सभी एक दरवाजे के अंदर घुसे, पर जैसे ही सभी उस द्वार के अंदर आये, उन्हें सामने एक काँच की ट्यूब दिखाई दी।

“यह कैसा द्वार है? क्या हमें अब इस ट्यूब के अंदर जाना होगा?” क्रिस्टी ने आश्चर्य से ट्यूब को देखते हुए कहा।

“इस ट्यूब के अलावा यहां और कोई ऑप्शन भी नहीं है, इसलिये जाना तो इसी में पड़ेगा।” जेनिथ ने क्रिस्टी को देखते हुए कहा।

और कोई उपाय ना देख सभी उस काँच की ट्यूब में आगे बढ़ गये।
ट्यूब बिल्कुल गोलाकार थी और धीरे-धीरे उसका झुकाव इस प्रकार नीचे की ओर हो रहा था, मानो वह एक ट्यूब ना होकर किसी वाटर पार्क की राइड हो।

उस ट्यूब में पकड़ने के लिये कुछ नहीं था और फिसलन भी थी।

सबसे पीछे तौफीक चल रहा था। अचानक तौफीक का पैर फिसला और वह अपने आगे चल रहे ऐलेक्स से जा टकराया। जिसकी वजह से ऐलेक्स भी गिर गया।

तभी उस ट्यूब में पीछे की ओर पानी के बहने की आवाज आयी। इस आवाज को सुनकर सभी डर गये।

“कैप्टेन लगता है, पीछे से पानी आ रहा है और हमारे पास भागने के लिये भी कोई जगह नहीं है....जल्दी बताइये कि अब हम क्या करें।” ऐलेक्स ने सुयश से पूछा।

“ऐसी स्थिति में कुछ नहीं कर सकते, बस जितनी ज्यादा से ज्यादा देर तक साँस रोक सकते हो रोक लो।” सुयश ने सभी को सुझाव दिया।

सभी ने जोर की साँस खींच ली, तभी उनके पीछे से एक जोर का प्रवाह आया और वह सभी इस बहाव में ट्यूब के अंदर बह गये।

ट्यूब लगातार उन्हें लेकर बहता जा रहा था, पानी आँखों में भी तेजी से जा रहा था इसलिये किसी की आँखें खुली नहीं रह पायीं।

कुछ देर ऐसे ही बहते रहने के बाद आखिरकार पानी की तेज आवाज थम गई।

सभी ने डरकर अपनी आँखें खोलीं, पर आँखें खोलते ही सभी भौचक्के से रह गये, ऐसा लग रहा था कि वह सभी समुद्र के अंदर हैं, पर आश्चर्यजनक तरीके से सभी साँस ले रहे थे।

“कैप्टेन, यह कैसा पानी है, हम इसमें साँस भी ले पा रहे हैं और आपस में बिना किसी अवरोध के बात भी कर पा रहे हैं।” जेनिथ ने सुयश से कहा।

“यही तो कमाल है तिलिस्मा का... यह ऐसी तकनीक का प्रयोग कर रहा है, जिसे हम जरा सा भी नहीं जानते हैं।” सुयश ने भी आश्चर्यचकित होते हुए कहा।

“तिलिस्मा का नहीं ये मेरे कैस्पर का कमाल है।” शैफाली ने मुस्कुराते हुए कहा।

“अरे वाह, संकट में भी तुम अपने कैस्पर को नहीं भूली...अरे जरा ध्यान लगा कर अपने चारो ओर देखो, हम इस समय किसी बड़े से पिंजरे में बंद हैं। अब जरा कुछ देर के लिये कैस्पर को भूल जाओ।” जेनिथ ने मुस्कुराते हुए शैफाली को आसपास की स्थिति का अवलोकन कराया।

अब शैफाली की नजर अपने चारो ओर गई, इस समय वह लोग एक बड़ी सी चट्टान पर रखे एक विशाल पिंजरे में थे।

उस पिंजरे के दरवाजे पर एक 4 डिजिट का नम्बर वाला ताला लगा था। उस ताले के ऊपर लाल रंग की एल.ई.डी. से 3 लिखकर आ रहा था।

“कैप्टेन यह डिजिटल ताला तो समझ में आया, पर यहां 3 क्यों लिखा है?” क्रिस्टी ने सुयश से पूछा।

“मुझे लग रहा है कि शायद हम 3 बार ही इसके नम्बर को ट्राई कर सकते हैं।” शैफाली ने बीच में ही बोलते हुए कहा- “मतलब 3 बार में ही हमें इस ताले को खोलना होगा और अगर नहीं खोल पाये तो हम यहीं फंसे रह जायेंगे।”

“दोस्तों पहले हमें सभी चीजों को एक बार ध्यान से देखना होगा, तभी हम उन चीजों का सही से उपयोग कर पायेंगे।” सुयश ने सभी को नियम याद दिलाते हुए कहा।

“आप सही कह रहे हैं कैप्टेन।” तौफीक ने कहा- “तो सबसे पहले पिंजरे पर ही ध्यान देते हैं....पिंजरे के अंदर कुछ भी नहीं है और यह 6 तरफ से किसी वर्गाकार डिब्बे की तरह है...यह किसी धातु की सुनहरी
सलाखों से बना है...इन सलाखों के बीच में इतना गैप नहीं है कि कोई यहां से बाहर निकल सके...अब आते हैं बाहर की ओर....बाहर हमारे दाहिनी ओर, हमें कुछ दूरी पर एक जलपरी की मूर्ति दिख रही है।

“हमारे बांई ओर एक दरवाजा बना है, जो कि बंद है। शायद यही हमारे निकलने का द्वार हो , मगर दरवाजे पर एक ताला लगा है, जिस पर एक चाबी लगने की जगह भी दिखाई दे रही है। हमारे पीछे की ओर दूर-दूर तक पानी है...अब उसके आगे भी अगर कुछ हो तो कह नहीं सकते?” इतना कहकर तौफीक चुप हो गया।

“कैप्टेन कुछ चीजें मैं भी इसमें जोड़ना चाहता हूं।” ऐलेक्स ने कहा- “हमारे सामने की ओर कुछ दूरी पर मौजूद एक पत्थर पर एक छोटा सा बॉक्स रखा है, पता नहीं उसमें क्या है? और मैंने अभी-अभी पानी में
अल्ट्रासोनिक तरंगे महसूस कीं.... जो शायद किसी डॉल्फिन के यहां होने का इशारा कर रही है। और इस सामने वाले दरवाजे की चाबी, उस जलपरी वाली मूर्ति की मुठ्ठी में बंद है, उसका थोड़ा सा सिरा बाहर निकला है, जो कि मुझे यहां से दिख रहा है।”

“अरे वाह, ऐलेक्स ने तो कई गुत्थियों को सुलझा दिया।” क्रिस्टी ने खुश होते हुए कहा- “इसका मतलब हमें इस द्वार को पार करने के लिये पहले इस पिंजरे से निकलना होगा और पिंजरे से निकलने के लिये पहले हमें 4 अंकों का कोड चाहिये होगा।....पर वह कोड हो कहां सकता है?” क्रिस्टी यह कहकर चारो ओर देखने लगी, पर उसे कोड जैसा कुछ भी दिखाई नहीं दिया।

“मुझे लगता है कि हमारे सामने की ओर पत्थर पर जो बॉक्स रखा है, अवश्य ही हमारे पिंजरे का कोड उसी में होगा?” शैफाली ने बॉक्स की ओर इशारा करते हुए कहा- “पर बिना पिंजरे से निकले तो हम उस बॉक्स तक पहुंच भी नहीं सकते.... फिर...फिर उस बॉक्स को कैसे खोला जा सकता है?”

“कुछ ना कुछ तो हमारे आस-पास जरुर है जो कि हम देख नहीं पा रहे हैं?” सुयश मन ही मन बुदबुदाया।

तभी जेनिथ को पिंजरे में एक जगह पर पतली डोरी लटकती दिखाई दी, जेनिथ ने सिर ऊपर उठाकर उस डोरी का स्रोत जानने के कोशिश की।

पर सिर ऊपर उठाते ही वह मुस्कुरा दी क्यों कि ऊपर पिंजरे की सलाखों से चिपका उसे ‘फिशिंग रॉड’ दिखाई दे गया।

जेनिथ ने सुयश को इशारा करके वह फिशिंग रॉड दिखाई।

चूंकि वह फिशिंग रॉड पिंजरे की छत पर थी और पिंजरे के छत की ऊंचाई 10 फुट के पास थी, इसलिये सुयश ने शैफाली को अपने कंधों पर उठा लिया।

शैफाली ने उस फिशिंग रॉड को पिंजरे के ऊपर से खोल लिया।

फिशिंग रॉड के आगे वाले भाग में एक हुक बंधा था और डोरी के लिये एक चकरी लगी थी।

“हहममममम् फिशिंग रॉड तो हमें मिल गयी, पर इसमें मौजूद डोरी तो मात्र 10 मीटर ही है। जबकि वह बॉक्स हमसे कम से कम 20 मीटर की दूरी पर है। यानि कि हम अब भी इस फिशिंग रॉड के द्वारा उस बॉक्स तक नहीं पहुंच सकते। हमें कोई और ही तरीका ढूंढना पड़ेगा।” सुयश ने लंबी साँस भरते हुए कहा।

तभी शैफाली की नजर अपने दाहिनी ओर जमीन पर लगी हरे रंग की घास की ओर गई। उस घास को देखकर शैफाली को एक झटका लगा, अब वह तेजी से अपने चारो ओर देखने लगी।

उसे ऐसा करते देख सुयश ने हैरानी से कहा- “क्या हुआ शैफाली? तुम क्या ढूंढने की कोशिश कर रही हो?”

“यह जो घास सामने मौजूद है, इसे ‘टर्टल ग्रास’ कहते हैं, यह घास वयस्क समुद्री कछुए खाते हैं। अब उस घास के बीच में कटी हुई घास का एक छोटा सा गठ्ठर रखा है, जो कि ध्यान से देखने पर ही दिख रहा है। अब बात ये है कि ये जगह प्राकृतिक नहीं है, बल्कि कैश्वर द्वारा बनायी गयी है, अब कैश्वर ऐसे किसी चीज का तो निर्माण नहीं करेगा, जिसका कोई मतलब ना हो। यानि कि हमारे आस-पास जरुर कोई कछुआ भी है। मैं उसी कछुए को ढूंढ रही थी।”

शैफाली की बात सुन ऐलेक्स ने अपनी आँखें बंद करके अपनी नाक पर जोर देना शुरु कर दिया।

शायद वह कछुए की गंध सूंघने की कोशिश कर रहा था। कुछ ही देर में ऐलेक्स ने अपनी आँखें खोल दीं, मगर अब उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी।

“शैफाली सही कह रही है कैप्टेन... हमारे पास एक कछुआ है।” ऐलेक्स के चेहरे पर अभी भी मुस्कान बिखरी थी। ऐलेक्स की बात सुन सभी उसकी ओर देखने लगे।

“कैप्टेन, हमारा पिंजरा जिस पत्थर पर रखा है, वह पत्थर नहीं बल्कि एक विशाल कछुआ ही है। मैंने उसकी गंध पहचान ली है।” ऐलेक्स ने सस्पेंस खोलते हुए कहा।

अब सबका ध्यान उस विशाल कछुए की ओर गया।

“अगर यह कछुआ है तो अब हम उस बॉक्स तक पहुंच सकते हैं।” शैफाली ने कहा और सुयश के हाथ में पकड़ा फिशिंग रॉड तौफीक को देते हुए कहा- “तौफीक अंकल, जरा अपने निशाने का कमाल दिखाकर इस फिशिंग रॉड से उस घास के गठ्ठर को उठाइये।”

घास का वह गठ्ठर पिंजरे से मात्र 8 मीटर की ही दूरी पर था और इतनी कम दूरी से घास को उठाना तौफीक के बाएं हाथ का खेल था।

बामुश्किल 5 मिनट में ही वह घास का गठ्ठर तौफीक के हाथों में था। तौफीक ने वह घास का गठ्ठर शैफाली को पकड़ा दिया।

शैफाली ने उस घास के गठ्ठर को अच्छी तरह से फिशिंग रॉड के आगे वाले हुक में बांध दिया और अपना एक हाथ बाहर निकालकर, उस घास के गठ्ठर को कछुए के मुंह के सामने लहराया। घास का गठ्ठर देख कछुए ने अपना सिर गर्दन से बाहर निकाल लिया।

अब वह आगे बढ़कर घास को खाने की कोशिश करने लगा, पर जैसे ही वह कछुआ आगे बढ़ता उसके आगे लटक रहा घास का गठ्ठर स्वतः ही और आगे बढ़ जाता।

और इस प्रकार से शैफाली उस कछुए को लेकर पत्थर के पास वाले बॉक्स तक पहुंच गई। अब शैफाली ने फिशिंग रॉड को वापस पिंजरे में खींच लिया।

फिशिंग रॉड के खींचते ही कछुआ फिर से पत्थर बनकर वहीं बैठ गया।
शैफाली ने फिशिंग रॉड के हुक से घास का गठ्ठर हटाकर फिशिंग रॉड एक बार फिर तौफीक के हाथों में दे दी।

“तौफीक अंकल अब आपको इस फिशिंग रॉड से उस बॉक्स को उठाना है, ध्यान से देख लीजिये उस बॉक्स के ऊपर एक छोटा सा रिंग जुड़ा हुआ है, आपको फिशिंग रॉड का हुक उस रिंग में ही फंसाना है।”
शैफाली ने तौफीक से कहा।

तौफीक ने धीरे से सिर हिलाया और एक बार फिर नयी कोशिश में जुट गया।

यह कार्य पहले वाले कार्य से थोड़ा मुश्किल था, पर तौफीक ने इस कार्य को भी आसान बना दिया।

बॉक्स का आकार, पिंजरे में लगे सरियों के गैप से ज्यादा था, इसलिये वह बॉक्स अंदर नहीं आ सकता था।
अतः शैफाली ने उसे पिंजरे के बाहर ही खोल लिया।

उस बॉक्स में एक छोटा सा रोल किया हुआ सुनहरी धातु का एक पतला कागज सा था, जिस पर ताले का कोड नहीं बल्कि एक कविता की पंक्तियां लिखीं थीं, जो कि इस प्रकार थी-

“जीव, अंक सब तुमको अर्पण,
जब देखोगे जल में दर्पण।”


जारी रहेगा______✍️
बहुत ही खूबसूरत और बेहतरीन अपडेट दिया है !

👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
 

Raj_sharma

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Oh toh kahani ka villan Makota :roll3: hai! Poore aarka 🏝️ dweep par raaj karne ke liye usne Jaigan 🐛 ka sahara liya.

Aakruti 🤵‍♀️ ko Shalaka 👸 banakar usne Lufasa 🦁 aur Sanura 🐈‍⬛ ko bhi behka diya.

Supreme 🛳️ ke Bermuda Triangle mei aane ke baad jo bhi musibate aayi woh kahina kahi usi ke wajah se hai.

Supreme par se sabhi laasho ke gayab hone ka raaz toh woh keede 🐛 hi thay.

Lekin Lufasa 🐀 aur Sanura 🐈‍⬛ ne Aakruti aur Makota ki baate sunn hi li. Shayad ab ab woh sahi raasta chune.

Iss Aarka / Atlantis ke chakkar mei hum Supreme par hue sab se pehle khoon ki baat toh bhool hi gaye Aur kyo Aslam ne jahaaz ko Bermuda Triangle ki taraf moda! Aur Woh Vega ki kahani bhi wahi chhut gayi.
Lekin aaj ke iss update mei kaafi sawaalo ke jawaab mil hi gaye. :cool3:





Nahi bhai esa nahi hai
Wo kya hai na is bar ki pehli holi Sasural me manaee bahut he ache se pocho mat bahut enjoy kia maine bhai kya batao bs busy tha usme he

Awesome update

Badhiya update bhai

To Toffik hi tha jisne sab kiya tha lekin loren ko kyun mar diya usne wo to usse pyar karta tha na or bechari loren bhi uske pyar me andhi hoker uski baten man rahi thi or jis jenith se badla lena chahta tha use abhi tak jinda rakha ha usne usse pyar ka natak karta ja raha ha Jenith ki sab sachhai pata pad gayi ha dekhte han kab tak Toffik babu apni sachhai chhupa pate han waise bure karm ki saja milti hi ha or jis jagah ye sab han usse lagta ha jaise Aslam miya ko saja mili usi prakar Toffik ka bhi number lag sakta ha

avsji बन्धु आपका तर्क स्वीकारणीय है लेकिन अकाट्य नहीं।
वास्तव में किसी भी
उपलब्ध इतिहास, प्रसिद्ध व्यक्ति और सामाजिक व्यवस्था से पहले भी संस्कृति, परम्परा और समाज होता था।
Raj_sharma भाई अपनी संस्कृति दूसरे पर थोप रहे हैं ऐसा आपको लगा, लेकिन मुझे इसका दूसरा पहलू जो समझ आया, आपके सामने रख रहा हूं, पढ़कर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें
सम्पूर्ण पृथ्वी पर समान संस्कृति या सभ्यता थी, समय के साथ नये सामाजिक, सांस्कृतिक व साम्प्रदायिक समूह बनने पर उन समूहों ने सभ्यता या संस्कृति को अपने अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर अलग-अलग रुप में परिभाषित किया जिससे अलग-अलग शब्दों में एक ही बात को कहा जाने लगा और साधारण मनुष्यों ने उनको अलग-अलग ही सभ्यता मान लिया।
विदेशी सभ्यताओं के ऊपर कुछ साम्प्रदायिक समूह इतने हावी हो गये कि वहां के आमजन उन सम्प्रदायों के संस्थापकों और पुस्तकों को ही सभ्यता और संस्कृति का सृजन मानने लगे और उनके पूर्व की सभ्यता-संस्कृति का अस्तित्व ही मानने को तैयार नहीं।
जबकि भारतीय सनातन संस्कृति से जुड़े ज्यादातर लोग आज भी संस्कृति, परम्परा, सभ्यता को अपने आराध्य व्यक्ति और पुस्तकों से प्राचीन मानते हैं
इसीलिए उनकी सभ्यता की कहानी 1500-2000 साल पहले जन्मे व्यक्ति और उसकी लिखी पुस्तक पर समाप्त हो जाती है जबकि हम सांस्कृतिक इतिहास को किसी विशेष क्षेत्र, व्यक्ति या पुस्तक से भी पहले सम्पूर्ण पृथ्वी ही नहीं सम्पूर्ण विश्व तक गणना करते हैं सृष्टि काल से....
जो शर्मा जी यहां कर रहे हैं।

शब्दों का फेर है पोसाइडन कहो या वरुण, जैसे ऑसन कहो या समुद्र....मूल में तत्व तो एक ही है

चौदह वर्ष पूर्व कलिका - जो दिल्ली के एक मैग्जीन की संपादक थी - ने यक्षलोक के प्रहरी युवान के कठिन सवालों का जो जवाब दिया वह बिल्कुल महाभारत के एक प्रसंग ( युधिष्ठिर और यक्ष संवाद ) की तरह था ।
क्या ही कठिन सवाल थे और क्या ही अद्भुत जवाब थे ! यह सब कैसे कर लेते है आप शर्मा जी ! पहले तो दिमाग मे कठिन सवाल लाना और फिर उस सवाल का जवाब ढूंढना , यह कैसे कर लेते है आप !
यह वाकई मे अद्भुत था । इस अपडेट के लिए आप की जितनी तारीफ की जाए कम है ।

शायद सम्राट शिप से चौदह साल पहले जो शिप बरमूडा ट्राइंगल मे डुब गया था , उस शिप मे ही कलिका की बेटी सफर कर रही होगी । वह लड़की आकृति हो सकती है । वह आकृति जो शलाका का क्लोन धारण कर रखी है ।

दूसरी तरफ सामरा प्रदेश मे व्योम साहब पर कुदरत बहुत ही अधिक मेहरबान हो रखा है । वगैर मांगे छप्पर फाड़ कर कृपा बरसा रहा है । पहले अमृत की प्राप्ति हुई और अब राजकुमारी त्रिकाली का दिल उनपर धड़क गया है ।
मंदिर मे जिस तरह दोनो ने एक दूसरे को रक्षा सूत्र पहनाया , उससे लगता है यह रक्षा सूत्र नही विवाह सूत्र की प्रक्रिया थी ।


इन दो घटनाक्रम के बाद तीसरी तरफ कैस्पर का दिल भी मैग्ना पर मचल उठा है और खास यह है कि यह धड़कन हजारों वर्ष बाद हुआ है । लेकिन सवाल यह है कि मैग्ना है कहां !
कहीं शैफाली ही मैग्ना तो नही ! शैफाली कहीं मैग्ना का पुनर्जन्म तो नही !

कुकुरमुत्ता को छाते की तरह इस्तेमाल करते हुए सुयश साहब और उनकी टीम का तेजाबी बारिश से खुद को रक्षा करना एक और खुबसूरत अपडेट था । पांच लोग बचे हुए हैं और एलेक्स को मिला दिया जाए तो छ लोग । तौफिक साहब की जान जाते जाते बची , लेकिन लगता नही है यह साहब अधिक दिन तक जीवित रह पायेंगे ।
कुछ मिलाकर पांच प्राणी ही सम्राट शिप के जीवित बचेंगे , बशर्ते राइटर साहब ने कुछ खुराफाती न सोच रखा हो ।
ये मिश्रित पांडव जीवित रहने चाहिए पंडित जी ! :D

सभी अपडेट बेहद खुबसूरत थे ।
रोमांच से भरपूर ।
एक अलग तरह की कहानी , एक अद्भुत कहानी ।
और आउटस्टैंडिंग राइटिंग ।

Radhe Radhe guruji,, break pe chala gya tha uske baad is id ka password issue ho gya tha so sign in nahi tha itne time se ab wapas aaya hu to dubara se updates ki demand rakhunga...waise stock to abhi full hai kuch time ke liye so read karta hu

Shandar update bro

Bahut hi shandar update he Raj_sharma Bhai

Is update se ek baat to clear ho gayi he ki apne dar se jo jit gaya vo manjil bhi jarur paa lega...........

Sabhi ke miljule efforts se ye pehla dwar to paar ho gaya.........

Keep posting Bro

अरे मेरे भाई - ऐसा कुछ भी नहीं है।
आज कल एक व्यक्तिगत सरोकार के चलते बेहद व्यस्त हूँ। समय ही नहीं मिल रहा है।
ऐसी स्थिति आगे एक महीना तक रहने वाली लगती है।
न तो कुछ लिख रहे हैं और न ही पढ़ रहे हैं। ऐसा न सोचिए कि कोई नाराज़गी वाराज़गी है।
हाँ - संजू भाई का नहीं कह सकता। 😂 😂

बहुत ही उम्दा अपडेट है!

nice update

Nice update.....

Bhut hi badhiya update Bhai
Sabhi ne milkar dusre dvar ke pahle padav ko par kar liya
Dhekte hai us auctopus vale dusre padav me kya hota hai

Beautiful update and outstanding story

शानदार अपडेट राज भाई

Wonderful update brother!

Alex, Cristy, Shefali, Suyash aur Taufiq sabhi ka thoda thoda role raha octopus ko marne mein lekin Jenith bechari yahan par sirf ek darshak bani rahi.

Alex ki sense powers jo sabhi se thoda jyada hai wo iska istemaal bahut achhe se kar raha hai.

To hanuka yati ka ye rahasya hai, aur hanuka maay tak kis tarah pahucha tha ye bhi pata lag gaya bhai, aapke lekhan kausal ka jabaab nahi mitra 🙏🏼
Awesome update and superb writing ✍️

Nice update....

Lets Review Start

To suprise Suprise Suyash [Aryan] Ka Bacha Bhi Hain wo Bhi 5000 Ya 7000 Years Se

Lekin Dimag Ke Ghode Dodhane Ke Baad Bhi Abhi Tak Bhi Ye Pata Nahi Chala Ki Wo Bacha Kya Abhi Bhi Jameen Me Hain Ya Kisi Ne Usse Nikal Liya ,

Wese Ju Aur Dusre Reader Hasoge Ki kya Kya Soch Leta Hu Me
Mere Dimag Me Sabse Pehla Thought
Wo Bacha ko Lekar aaya ki Wo Shayad vyom Hoga Pata Nahi Kyu Par Hosakta Hain Male Character Me Abhi Tak Wahi Mila Mujhe India se Mujhe Lekin Iske Possibility Shayad Kam Hi Hain Mere According Kyuki Wo Bacha Vyom Hota To Vyom Bhaiya ke Purnar Janam ki Kya Theory Rehti Aur dusra Vyom Bhaiya fir Shuru Se Jyada Takat War Dikhte Hame Kyuki Aryan Ke Balak To Bachpan Se TeJasVi Haina

Mere According Wo bacha Shayad shalaka hi Jameen Se Nikale Gi abhi Tak Uss Balak Ko Kisine Nahi Nikala HOGA
BAS ek Hi Thought Hain wo Bacha Kisi Galat Hato Me Na Padh Gaya Ho, Kyuki uske Pass Iss Duniya Sabse Kimti Khazana Hain Jisko Khareda Nahi Ja sakta Wo Sirf Hasil Kiya Jasakta Hain

AMRATTAV:

Agar Koi AMRTA ka Gyan Rakhta Ho Wo Shayad Iss Balak Ka Galat Istemaal Kare Wese Suyash Ne Usse Deva adi Dev ke Sanraskshan ki Nigrani Ke Rakha To Bacha Awashya Hi Theek Bhi Hoga'

Suprise : Mene Kya Find Kiya Hain wo Ye Hain Ki GILBERT Ne Vedanta Rahashya Ko Hi Pedh Par Rakha Thaa

Reason: Mene Vedant Rahashya Ka Description Padha Thaa ki Red Color se Covered Hain book Then Confirmation Ke Liye me Gaya update 90-91 Me waha Me Gilbert ko Padha Usme Gaya Thaa Ki wo kisi Darr se Pedh Par Chhip Gaya Thaa Then Fir Uska Kahi Pata Nahi Chala According To Moin Ali Ki Book'

Bas Ye Samjh Nahi Aaraha Hain Ki Vedenat Rahashya Ko aryan Se alag Kisne Kiya Hoga Kyuki No Way Ki 1984 Me Gilbert Ne Hi Alag Kiya Ho ,kyuki Fir To abhi Suyash 17 18 ka Rehta Lekin Yaha abhi Suyash Aram se 30s me hoga To Timeline Me Locha Hain.

Just Thinking Kahi 1970s ka Timeline likha Kya Ju Ne agar aisa Likha Rehta Then Me pata Kar Leta Akhir Suyash Ke Rebirth Chapter Kese Huwa kon Hoga wo Jisne suyash Se vedent Rahashya Ko alag Kiya.

Kya black panther ke pehle Bhi Yaha Koi Dweep par Aaya Hoga ,Ya Yaha Ki Jann Jatiya Me Se Kisine PusTak Hata Di .

Wese Jenith Ke Gale LaTaKa Nakshtra
pehle shalkaa Ke Gale Me The.

Yaha Akriti Ka Ab Kuch Nahi Bigada Ja Sakta Kyuki Amarta Ka Todd Kuch Nahi Hain Lekin Amarta Shrap Bhi Hain
Wo Marna Chahegi Lekin Mar Nahi PaYegi .
Wo Jeena Chahegi Lekin Chain Se Je Nahi Payegi .

Log Kehte hain Amarta vardan , Me Kehta Hu amarta Sharap

Kyuki Apke sathi Sare Mruityu ka vahan Karge aur amarta wala Vyakti Iss Duniya me Akela Reh Jata Hain.

Then Baat kare Suyash Ne Jo bhavyashya 5000 Saal pehle Ka Dekhaa
Uske According To Cheeze Ache Se Ghategi ,
But Sawal Uthta Hain kaha Tak Bhaviyashya Dekha Kya Shalaka Se Phir Milne Tak Ya Tilism Ka Bhaiyashya Dekh Liye Bhaya .

Ye Jo Bacha Ko aryan Ne Jameen Ne Chhupaya Thaa Uska Dand Kya Hame Suyash Ko Milna Chahiye Ya Usse Wo Dand Mil Gaya
Kyuki Mene Pichle Jo Story Read Kiya Uske Experience Par Raj bhai Wo
bache Ko Nyay Dilwaye Ga Aur Suyash Ki Bali Fir ChadhwaYe ga , kyuki Pichle Baar Aryan Ne shalaka Ko Nahi Pehchane Ke Karan Apne Aap Ko Sazaa Di .
Iss Baar Ki sazaa To Due Haina .

Iss Ek Aur Surprise Find Shayad Jo Me
Story me Ek Connection Find Kar Raha Thaa Wo Milgaya .

Kisine Socha Hain:

Shalaka Ki Mumma To Alena Thee Lekin Shalaka Ke Father Kaha Se Thee : shalaka Ke Father Arien Galaxy Ke Yodha Aargas Thee To Technically Shalaka Ke Relations Arein Galaxy Se Bhi Hain .

Kyuki Shalaka Arein Galaxy Se Connected Hain Issilye Story Me Arein Galaxy Hame Shalaka Ki Side Se Fight Karte Huwe Nazar Aayege .Yaha Agar Kuch Alag Situation Tabhi Bann Sakti aargas Ya Titans Ke Dusman Iss Waqt Arein Galaxy Ki Throne pe Virajmaan Ho.

Sath Hi Jese Jab araka Dweep Ka Vega Ne Discussed kiya Uss Book Me Mentioned Thaa Ki Ye yudh Dev Yudha Bana Thaa Jisme
Arein Ke Titan Yodha Bhi Part Thee Jo Atlas Ke Sath Thee To Inka History Me Titas Vs Posedian Raha To Yaha Mauka Hain To Titans Yodha Bichme Shalaka KI side Aane Chahiye .

overall Ab Kya Appreciation Karu Itna Likh Diya Mene Matlab Update Shandaar Hi Hai Hamesha Ki Tarah

Raj_sharma Review Dediya
ab Agla Update 154 Wala Jab 155 update Aayega Tab Uske Bare Me Aaram Se Milega
kyuki Isko likhte Likhte Band Bajj Gayi

ab To Me Hu Legend Dekha Kitni Mystery solve Ki Maine , Ju Ke Update Se Todha Hi Chhota Hain Review shayad

Issilye ladies and Gentle Man Declare Avaran Is Goated Reviewer, Detective Reader Hain Apun ab

agla Update Jaldi chahiye

romanchak update. octopus ki paheli jyada hi dimag laganewali nikli.alex ne achcha dimag chalaya aaj .khopdi octopus ki aankh kaam aa gayi aur kankal ko jinda karke octopus ko harane me kamiyab ho gaye .ab agli paheli kya hai dekhte hai .

nice update

Shandaar update and awesome story

Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and beautiful update....

romanchak update. a1 aur a7 to bahut powerful nikle jinhone dhara aur mayur ko bandi bana liya ,isme ek baat ye bhi hai ki dhara aur mayur ki shaktiya paani me jyada effective nahi hai ,
par ye kaustubh aur dhanusha abhi tak pahuche kyu nahi shayad wo bhari padte in aliens par .kyunki wo unka khsetra hai .

Awesome update👌👌

Nice update....

Shaandar update

Bhut shandaar update



Par ye charo hai kon....


Aur Q lad rahe h aapas me

Ye to khatarnak aur takatwar bhi h ,kya vedalaya inhe rok payege aur inhe shaktiyo(dhra) ke baare mei bhi pta h .
Ye prithvi wasiyo se kai guna aage h science tech and powers( jadui Shakti) mei bhi

बहुत ही शानदार लाजवाब और रोमांचकारी अपडेट है भाई मजा आ गया
सुयश और टीम ने तिलिस्मा के दुसरे व्दार के प्रथम चरण तो पुर्ण किया
अब दुसरा चरण देखते हैं क्या रोमांच लाता हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है

Update posted friends 👍
 

Raj_sharma

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Raj_sharma

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बहुत ही खूबसूरत और बेहतरीन अपडेट दिया है !

👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
Thank you very much bhai :thanx:
Btw happy Diwali 💥💥🪔🪔🪔🪔🪔💫💫
 
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#156.

ऊर्जा द्वार:

आज से 3 दिन पहले...........(13.01.02, रविवार, 14:00, दूसरा पिरामिड, सीनोर राज्य, अराका द्वीप)

अराका द्वीप के सीनोर राज्य में मकोटा ने 4 पिरामिड का निर्माण कराया था।

इन चारो पिरामिड में क्या होता था, यह मकोटा के अलावा राज्य का कोई व्यक्ति नहीं जानता था।

पहले पिरामिड में अंधेरे का देवता जैगन बेहोश पड़ा था, जिसे उठा कर मकोटा पूर्ण अराका द्वीप पर राज्य करना चाहता था।

दूसरे पिरामिड में मकोटा की वेधशाला थी, जहां से वुल्फा अंतरिक्ष पर नजर रखता था। यहां से वुल्फा हरे कीड़ों के द्वारा कुछ नये प्रयोग भी करता था।

तीसरे और चौथे पिरामिड में मकोटा के सिवा कोई नहीं जाता था। वहां क्या था? यह किसी को नहीं पता था।

वुल्फा- आधा भेड़िया और आधा मानव। वुल्फा, मकोटा का सबसे विश्वासपात्र और एकमात्र सेवक था।

वुल्फा के अलावा मकोटा ने अपने महल में सिर्फ भेड़ियों को रखा था, उसे किसी भी अटलांटियन पर विश्वास नहीं था।

वुल्फा हर रोज की भांति आज भी दूसरे पिरामिड में मशीनों के सामने बैठकर, अंतरिक्ष का अध्ययन कर रहा था।

उसके सामने की स्क्रीन पर कुछ आड़ी-तिरछी लाइनें बन कर आ रही थीं। वुल्फा के सामने की ओर कुछ विचित्र सी मशीनों पर हरे कीड़े काम कर रहे थे।

उस वेधशाला में 2 हरे कीड़े मानव के आकार के भी थे।

वुल्फा की निगाहें स्क्रीन पर ही जमीं थीं। तभी वुल्फा को अपने सामने लगी मशीन पर एक अजीब सी हरकत होती दिखाई दी, जिसे देख वुल्फा आश्चर्य में पड़ गया।

“यह क्या? यह तो कोई अंजान सी ऊर्जा है, जो कि हमारे सीनोर द्वीप से ही निकल रही है।” वुल्फा ने ध्यान से देखते हुए कहा- “क्या हो सकता है यह?”

अब वुल्फा तेजी से एक स्क्रीन के पास पहुंच गया। इस स्क्रीन पर सीनोर द्वीप के बहुत से हिस्से दिखाई दे रहे थे।

वुल्फा के हाथ अब तेजी से उस मशीन के बटनों पर दौड़ रहे थे। कुछ ही देर में वुल्फा को सीनोर द्वीप का वह हिस्सा दिखाई देने लगा, जहां पर दूसरी मशीन अभी कोई हलचल दिखा रही थी।

वह स्थान चौथे पिरमिड से कुछ दूर वाला ही भाग था। उसके आगे से पोसाईडन पर्वत का क्षेत्र शुरु हो जाता था, पर पोसाईडन पर्वत का वह भाग, सीनोर द्वीप की ओर से किसी अदृश्य दीवार से बंद था।

तभी उस स्थान पर वुल्फा को हवा में तैरती कुछ ऊर्जा दिखाई दी।

“यह तो ऊर्जा से बना कोई द्वार लग रहा है। क्या हो सकता है इस द्वार में?....लगता है मुझे उस स्थान पर चलकर देखना होगा।” यह सोच वुल्फा उस मशीन के आगे से हटा और उस वेधशाला से कुछ यंत्र ले पिरामिड के पीछे की ओर चल दिया।

कुछ ही देर में वुल्फा पिरामिड के पीछे की ओर था। अब वुल्फा को हवा में मौजूद वह ऊर्जा द्वार धुंधला सा दिखाई देने लगा था।

वह ऊर्जा द्वार जमीन से 5 फुट की ऊंचाई पर था और वह बहुत ही हल्का दिखाई दे रहा था।

अगर वुल्फा ने उस द्वार को मशीन पर नहीं देखा होता, तो उसे ढूंढ पाना लगभग असंभव था।

अब वुल्फा उस ऊर्जा द्वार के काफी पास पहुंच गया। तभी वुल्फा को उस ऊर्जा द्वार से, किसी के कराहने की आवाज सुनाई दी। यह आवाज सुन वुल्फा हैरान हो गया।

“क्या इस ऊर्जा द्वार में कोई जीव छिपा है?” यह सोच वुल्फा ने अपनी आँखें लगा कर उस ऊर्जा द्वार के अंदर झांका, पर उसे अंधेरे के सिवा कुछ नजर नहीं आया।

कुछ नजर ना आते देख वुल्फा ने अपना हाथ उस ऊर्जा द्वार के अंदर डाल दिया।

वुल्फा का हाथ किसी जीव से टकराया, जिसे वुल्फा ने अपने हाथों से पकड़कर बाहर की ओर खींच लिया।

‘धम्म’ की आवाज करता एक जीव का शरीर उस ऊर्जा द्वार से बाहर आ गिरा।

वुल्फा ने जैसे ही उस जीव पर नजर डाली, वह आश्चर्य से भर उठा- “गोंजालो !....यह गोंजालो यहां पर कैसे आ गया? और....और इसके शरीर पर तो बहुत से जख्म भी हैं। ऐसा कौन हो सकता है? जिसने गोंजालो को घायल कर दिया.... मुझे इसे तुरंत पिरामिड में ले चलना चाहिये और मालिक को सारी बात बता देनी चाहिये....हां यही ठीक रहेगा।” यह कहकर वुल्फा ने गोंजालो के शरीर को किसी बोरे की भांति अपने शरीर पर लादा और पिरामिड की ओर चल दिया।

पर अभी वुल्फा 10 कदम भी नहीं चल पाया होगा कि उसे ऊर्जा द्वार की ओर से एक और आवाज सुनाई दी।

वुल्फा अब पलटकर पीछे की ओर देखने लगा।

तभी उस ऊर्जा द्वार से एक विचित्र सा जीव निकला, जो कि 8 फुट लंबा था, उसकी 3 आँखें थीं और 4 हाथ थे। उसकी पीठ पर कछुए के समान एक कवच लगा हुआ था।

उसके पैर और हाथ के पंजे किसी स्पाइनासोरस की तरह बड़े थे ।उसकी बलिष्ठ भुजाओ को देखकर साफ पता चल रहा था, कि उसमें असीम ताकत होगी। उसके हाथों में कोई अजीब सी, गन के समान मशीन थी।

वुल्फा ने कभी भी ऐसा जीव नहीं देखा था, इसलिये वह सावधानी से वहीं घास में बैठकर उसे देखने लगा।

अब उस जीव की नजर भी वुल्फा पर पड़ गई। उस जीव ने वुल्फा को ध्यान से देखा।

उसके ऐसा करते ही उस जीव की तीसरी आँख से लाल रंग की किरणे निकलकर वुल्फा पर ऐसे पड़ीं, मानो वह जीव उसे स्कैन करने की कोशिश कर रहा हो।

वुल्फा साँस रोके, वहीं घास में बैठा रहा। वुल्फा को स्कैन करने के बाद उस जीव ने पास पड़े गोंजालो को भी स्कैन किया।

इसके बाद वह उन दोनों को वहीं छोड़ आसमान में उड़ चला।

“मुझे लगता है कि इसने मुझे भेड़िया और गोंजालो को बिल्ली समझ छोड़ दिया, अगर यह जान जाता कि हम भी इंसानों की तरह से ही काम करते हैं, तो शायद इससे मेरा युद्ध हो रहा होता....या फिर मैं मरा पड़ा होता....क्यों कि वह जीव मुझसे तो ज्यादा ही ताकतवर दिख रहा था।”

यह सोच वुल्फा फिर से उठकर खड़ा हो गया और गोंजालो को अपनी पीठ पर लाद पिरामिड की ओर बढ़ गया।

चैपटर-5

जलदर्पण:
(तिलिस्मा 2.2)

ऑक्टोपस का तिलिस्म पार करने के बाद सभी एक दरवाजे के अंदर घुसे, पर जैसे ही सभी उस द्वार के अंदर आये, उन्हें सामने एक काँच की ट्यूब दिखाई दी।

“यह कैसा द्वार है? क्या हमें अब इस ट्यूब के अंदर जाना होगा?” क्रिस्टी ने आश्चर्य से ट्यूब को देखते हुए कहा।

“इस ट्यूब के अलावा यहां और कोई ऑप्शन भी नहीं है, इसलिये जाना तो इसी में पड़ेगा।” जेनिथ ने क्रिस्टी को देखते हुए कहा।

और कोई उपाय ना देख सभी उस काँच की ट्यूब में आगे बढ़ गये।
ट्यूब बिल्कुल गोलाकार थी और धीरे-धीरे उसका झुकाव इस प्रकार नीचे की ओर हो रहा था, मानो वह एक ट्यूब ना होकर किसी वाटर पार्क की राइड हो।

उस ट्यूब में पकड़ने के लिये कुछ नहीं था और फिसलन भी थी।

सबसे पीछे तौफीक चल रहा था। अचानक तौफीक का पैर फिसला और वह अपने आगे चल रहे ऐलेक्स से जा टकराया। जिसकी वजह से ऐलेक्स भी गिर गया।

तभी उस ट्यूब में पीछे की ओर पानी के बहने की आवाज आयी। इस आवाज को सुनकर सभी डर गये।

“कैप्टेन लगता है, पीछे से पानी आ रहा है और हमारे पास भागने के लिये भी कोई जगह नहीं है....जल्दी बताइये कि अब हम क्या करें।” ऐलेक्स ने सुयश से पूछा।

“ऐसी स्थिति में कुछ नहीं कर सकते, बस जितनी ज्यादा से ज्यादा देर तक साँस रोक सकते हो रोक लो।” सुयश ने सभी को सुझाव दिया।

सभी ने जोर की साँस खींच ली, तभी उनके पीछे से एक जोर का प्रवाह आया और वह सभी इस बहाव में ट्यूब के अंदर बह गये।

ट्यूब लगातार उन्हें लेकर बहता जा रहा था, पानी आँखों में भी तेजी से जा रहा था इसलिये किसी की आँखें खुली नहीं रह पायीं।

कुछ देर ऐसे ही बहते रहने के बाद आखिरकार पानी की तेज आवाज थम गई।

सभी ने डरकर अपनी आँखें खोलीं, पर आँखें खोलते ही सभी भौचक्के से रह गये, ऐसा लग रहा था कि वह सभी समुद्र के अंदर हैं, पर आश्चर्यजनक तरीके से सभी साँस ले रहे थे।

“कैप्टेन, यह कैसा पानी है, हम इसमें साँस भी ले पा रहे हैं और आपस में बिना किसी अवरोध के बात भी कर पा रहे हैं।” जेनिथ ने सुयश से कहा।

“यही तो कमाल है तिलिस्मा का... यह ऐसी तकनीक का प्रयोग कर रहा है, जिसे हम जरा सा भी नहीं जानते हैं।” सुयश ने भी आश्चर्यचकित होते हुए कहा।

“तिलिस्मा का नहीं ये मेरे कैस्पर का कमाल है।” शैफाली ने मुस्कुराते हुए कहा।

“अरे वाह, संकट में भी तुम अपने कैस्पर को नहीं भूली...अरे जरा ध्यान लगा कर अपने चारो ओर देखो, हम इस समय किसी बड़े से पिंजरे में बंद हैं। अब जरा कुछ देर के लिये कैस्पर को भूल जाओ।” जेनिथ ने मुस्कुराते हुए शैफाली को आसपास की स्थिति का अवलोकन कराया।

अब शैफाली की नजर अपने चारो ओर गई, इस समय वह लोग एक बड़ी सी चट्टान पर रखे एक विशाल पिंजरे में थे।

उस पिंजरे के दरवाजे पर एक 4 डिजिट का नम्बर वाला ताला लगा था। उस ताले के ऊपर लाल रंग की एल.ई.डी. से 3 लिखकर आ रहा था।

“कैप्टेन यह डिजिटल ताला तो समझ में आया, पर यहां 3 क्यों लिखा है?” क्रिस्टी ने सुयश से पूछा।

“मुझे लग रहा है कि शायद हम 3 बार ही इसके नम्बर को ट्राई कर सकते हैं।” शैफाली ने बीच में ही बोलते हुए कहा- “मतलब 3 बार में ही हमें इस ताले को खोलना होगा और अगर नहीं खोल पाये तो हम यहीं फंसे रह जायेंगे।”

“दोस्तों पहले हमें सभी चीजों को एक बार ध्यान से देखना होगा, तभी हम उन चीजों का सही से उपयोग कर पायेंगे।” सुयश ने सभी को नियम याद दिलाते हुए कहा।

“आप सही कह रहे हैं कैप्टेन।” तौफीक ने कहा- “तो सबसे पहले पिंजरे पर ही ध्यान देते हैं....पिंजरे के अंदर कुछ भी नहीं है और यह 6 तरफ से किसी वर्गाकार डिब्बे की तरह है...यह किसी धातु की सुनहरी
सलाखों से बना है...इन सलाखों के बीच में इतना गैप नहीं है कि कोई यहां से बाहर निकल सके...अब आते हैं बाहर की ओर....बाहर हमारे दाहिनी ओर, हमें कुछ दूरी पर एक जलपरी की मूर्ति दिख रही है।

“हमारे बांई ओर एक दरवाजा बना है, जो कि बंद है। शायद यही हमारे निकलने का द्वार हो , मगर दरवाजे पर एक ताला लगा है, जिस पर एक चाबी लगने की जगह भी दिखाई दे रही है। हमारे पीछे की ओर दूर-दूर तक पानी है...अब उसके आगे भी अगर कुछ हो तो कह नहीं सकते?” इतना कहकर तौफीक चुप हो गया।

“कैप्टेन कुछ चीजें मैं भी इसमें जोड़ना चाहता हूं।” ऐलेक्स ने कहा- “हमारे सामने की ओर कुछ दूरी पर मौजूद एक पत्थर पर एक छोटा सा बॉक्स रखा है, पता नहीं उसमें क्या है? और मैंने अभी-अभी पानी में
अल्ट्रासोनिक तरंगे महसूस कीं.... जो शायद किसी डॉल्फिन के यहां होने का इशारा कर रही है। और इस सामने वाले दरवाजे की चाबी, उस जलपरी वाली मूर्ति की मुठ्ठी में बंद है, उसका थोड़ा सा सिरा बाहर निकला है, जो कि मुझे यहां से दिख रहा है।”

“अरे वाह, ऐलेक्स ने तो कई गुत्थियों को सुलझा दिया।” क्रिस्टी ने खुश होते हुए कहा- “इसका मतलब हमें इस द्वार को पार करने के लिये पहले इस पिंजरे से निकलना होगा और पिंजरे से निकलने के लिये पहले हमें 4 अंकों का कोड चाहिये होगा।....पर वह कोड हो कहां सकता है?” क्रिस्टी यह कहकर चारो ओर देखने लगी, पर उसे कोड जैसा कुछ भी दिखाई नहीं दिया।

“मुझे लगता है कि हमारे सामने की ओर पत्थर पर जो बॉक्स रखा है, अवश्य ही हमारे पिंजरे का कोड उसी में होगा?” शैफाली ने बॉक्स की ओर इशारा करते हुए कहा- “पर बिना पिंजरे से निकले तो हम उस बॉक्स तक पहुंच भी नहीं सकते.... फिर...फिर उस बॉक्स को कैसे खोला जा सकता है?”

“कुछ ना कुछ तो हमारे आस-पास जरुर है जो कि हम देख नहीं पा रहे हैं?” सुयश मन ही मन बुदबुदाया।

तभी जेनिथ को पिंजरे में एक जगह पर पतली डोरी लटकती दिखाई दी, जेनिथ ने सिर ऊपर उठाकर उस डोरी का स्रोत जानने के कोशिश की।

पर सिर ऊपर उठाते ही वह मुस्कुरा दी क्यों कि ऊपर पिंजरे की सलाखों से चिपका उसे ‘फिशिंग रॉड’ दिखाई दे गया।

जेनिथ ने सुयश को इशारा करके वह फिशिंग रॉड दिखाई।

चूंकि वह फिशिंग रॉड पिंजरे की छत पर थी और पिंजरे के छत की ऊंचाई 10 फुट के पास थी, इसलिये सुयश ने शैफाली को अपने कंधों पर उठा लिया।

शैफाली ने उस फिशिंग रॉड को पिंजरे के ऊपर से खोल लिया।

फिशिंग रॉड के आगे वाले भाग में एक हुक बंधा था और डोरी के लिये एक चकरी लगी थी।

“हहममममम् फिशिंग रॉड तो हमें मिल गयी, पर इसमें मौजूद डोरी तो मात्र 10 मीटर ही है। जबकि वह बॉक्स हमसे कम से कम 20 मीटर की दूरी पर है। यानि कि हम अब भी इस फिशिंग रॉड के द्वारा उस बॉक्स तक नहीं पहुंच सकते। हमें कोई और ही तरीका ढूंढना पड़ेगा।” सुयश ने लंबी साँस भरते हुए कहा।

तभी शैफाली की नजर अपने दाहिनी ओर जमीन पर लगी हरे रंग की घास की ओर गई। उस घास को देखकर शैफाली को एक झटका लगा, अब वह तेजी से अपने चारो ओर देखने लगी।

उसे ऐसा करते देख सुयश ने हैरानी से कहा- “क्या हुआ शैफाली? तुम क्या ढूंढने की कोशिश कर रही हो?”

“यह जो घास सामने मौजूद है, इसे ‘टर्टल ग्रास’ कहते हैं, यह घास वयस्क समुद्री कछुए खाते हैं। अब उस घास के बीच में कटी हुई घास का एक छोटा सा गठ्ठर रखा है, जो कि ध्यान से देखने पर ही दिख रहा है। अब बात ये है कि ये जगह प्राकृतिक नहीं है, बल्कि कैश्वर द्वारा बनायी गयी है, अब कैश्वर ऐसे किसी चीज का तो निर्माण नहीं करेगा, जिसका कोई मतलब ना हो। यानि कि हमारे आस-पास जरुर कोई कछुआ भी है। मैं उसी कछुए को ढूंढ रही थी।”

शैफाली की बात सुन ऐलेक्स ने अपनी आँखें बंद करके अपनी नाक पर जोर देना शुरु कर दिया।

शायद वह कछुए की गंध सूंघने की कोशिश कर रहा था। कुछ ही देर में ऐलेक्स ने अपनी आँखें खोल दीं, मगर अब उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी।

“शैफाली सही कह रही है कैप्टेन... हमारे पास एक कछुआ है।” ऐलेक्स के चेहरे पर अभी भी मुस्कान बिखरी थी। ऐलेक्स की बात सुन सभी उसकी ओर देखने लगे।

“कैप्टेन, हमारा पिंजरा जिस पत्थर पर रखा है, वह पत्थर नहीं बल्कि एक विशाल कछुआ ही है। मैंने उसकी गंध पहचान ली है।” ऐलेक्स ने सस्पेंस खोलते हुए कहा।

अब सबका ध्यान उस विशाल कछुए की ओर गया।

“अगर यह कछुआ है तो अब हम उस बॉक्स तक पहुंच सकते हैं।” शैफाली ने कहा और सुयश के हाथ में पकड़ा फिशिंग रॉड तौफीक को देते हुए कहा- “तौफीक अंकल, जरा अपने निशाने का कमाल दिखाकर इस फिशिंग रॉड से उस घास के गठ्ठर को उठाइये।”

घास का वह गठ्ठर पिंजरे से मात्र 8 मीटर की ही दूरी पर था और इतनी कम दूरी से घास को उठाना तौफीक के बाएं हाथ का खेल था।

बामुश्किल 5 मिनट में ही वह घास का गठ्ठर तौफीक के हाथों में था। तौफीक ने वह घास का गठ्ठर शैफाली को पकड़ा दिया।

शैफाली ने उस घास के गठ्ठर को अच्छी तरह से फिशिंग रॉड के आगे वाले हुक में बांध दिया और अपना एक हाथ बाहर निकालकर, उस घास के गठ्ठर को कछुए के मुंह के सामने लहराया। घास का गठ्ठर देख कछुए ने अपना सिर गर्दन से बाहर निकाल लिया।

अब वह आगे बढ़कर घास को खाने की कोशिश करने लगा, पर जैसे ही वह कछुआ आगे बढ़ता उसके आगे लटक रहा घास का गठ्ठर स्वतः ही और आगे बढ़ जाता।

और इस प्रकार से शैफाली उस कछुए को लेकर पत्थर के पास वाले बॉक्स तक पहुंच गई। अब शैफाली ने फिशिंग रॉड को वापस पिंजरे में खींच लिया।

फिशिंग रॉड के खींचते ही कछुआ फिर से पत्थर बनकर वहीं बैठ गया।
शैफाली ने फिशिंग रॉड के हुक से घास का गठ्ठर हटाकर फिशिंग रॉड एक बार फिर तौफीक के हाथों में दे दी।

“तौफीक अंकल अब आपको इस फिशिंग रॉड से उस बॉक्स को उठाना है, ध्यान से देख लीजिये उस बॉक्स के ऊपर एक छोटा सा रिंग जुड़ा हुआ है, आपको फिशिंग रॉड का हुक उस रिंग में ही फंसाना है।”
शैफाली ने तौफीक से कहा।

तौफीक ने धीरे से सिर हिलाया और एक बार फिर नयी कोशिश में जुट गया।

यह कार्य पहले वाले कार्य से थोड़ा मुश्किल था, पर तौफीक ने इस कार्य को भी आसान बना दिया।

बॉक्स का आकार, पिंजरे में लगे सरियों के गैप से ज्यादा था, इसलिये वह बॉक्स अंदर नहीं आ सकता था।
अतः शैफाली ने उसे पिंजरे के बाहर ही खोल लिया।

उस बॉक्स में एक छोटा सा रोल किया हुआ सुनहरी धातु का एक पतला कागज सा था, जिस पर ताले का कोड नहीं बल्कि एक कविता की पंक्तियां लिखीं थीं, जो कि इस प्रकार थी-

“जीव, अंक सब तुमको अर्पण,
जब देखोगे जल में दर्पण।”


जारी रहेगा______✍️
Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....
 
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