Iron Man
Try and fail. But never give up trying
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Hamesha ke tarah lajawab update.....#156.
ऊर्जा द्वार:
आज से 3 दिन पहले...........(13.01.02, रविवार, 14:00, दूसरा पिरामिड, सीनोर राज्य, अराका द्वीप)
अराका द्वीप के सीनोर राज्य में मकोटा ने 4 पिरामिड का निर्माण कराया था।
इन चारो पिरामिड में क्या होता था, यह मकोटा के अलावा राज्य का कोई व्यक्ति नहीं जानता था।
पहले पिरामिड में अंधेरे का देवता जैगन बेहोश पड़ा था, जिसे उठा कर मकोटा पूर्ण अराका द्वीप पर राज्य करना चाहता था।
दूसरे पिरामिड में मकोटा की वेधशाला थी, जहां से वुल्फा अंतरिक्ष पर नजर रखता था। यहां से वुल्फा हरे कीड़ों के द्वारा कुछ नये प्रयोग भी करता था।
तीसरे और चौथे पिरामिड में मकोटा के सिवा कोई नहीं जाता था। वहां क्या था? यह किसी को नहीं पता था।
वुल्फा- आधा भेड़िया और आधा मानव। वुल्फा, मकोटा का सबसे विश्वासपात्र और एकमात्र सेवक था।
वुल्फा के अलावा मकोटा ने अपने महल में सिर्फ भेड़ियों को रखा था, उसे किसी भी अटलांटियन पर विश्वास नहीं था।
वुल्फा हर रोज की भांति आज भी दूसरे पिरामिड में मशीनों के सामने बैठकर, अंतरिक्ष का अध्ययन कर रहा था।
उसके सामने की स्क्रीन पर कुछ आड़ी-तिरछी लाइनें बन कर आ रही थीं। वुल्फा के सामने की ओर कुछ विचित्र सी मशीनों पर हरे कीड़े काम कर रहे थे।
उस वेधशाला में 2 हरे कीड़े मानव के आकार के भी थे।
वुल्फा की निगाहें स्क्रीन पर ही जमीं थीं। तभी वुल्फा को अपने सामने लगी मशीन पर एक अजीब सी हरकत होती दिखाई दी, जिसे देख वुल्फा आश्चर्य में पड़ गया।
“यह क्या? यह तो कोई अंजान सी ऊर्जा है, जो कि हमारे सीनोर द्वीप से ही निकल रही है।” वुल्फा ने ध्यान से देखते हुए कहा- “क्या हो सकता है यह?”
अब वुल्फा तेजी से एक स्क्रीन के पास पहुंच गया। इस स्क्रीन पर सीनोर द्वीप के बहुत से हिस्से दिखाई दे रहे थे।
वुल्फा के हाथ अब तेजी से उस मशीन के बटनों पर दौड़ रहे थे। कुछ ही देर में वुल्फा को सीनोर द्वीप का वह हिस्सा दिखाई देने लगा, जहां पर दूसरी मशीन अभी कोई हलचल दिखा रही थी।
वह स्थान चौथे पिरमिड से कुछ दूर वाला ही भाग था। उसके आगे से पोसाईडन पर्वत का क्षेत्र शुरु हो जाता था, पर पोसाईडन पर्वत का वह भाग, सीनोर द्वीप की ओर से किसी अदृश्य दीवार से बंद था।
तभी उस स्थान पर वुल्फा को हवा में तैरती कुछ ऊर्जा दिखाई दी।
“यह तो ऊर्जा से बना कोई द्वार लग रहा है। क्या हो सकता है इस द्वार में?....लगता है मुझे उस स्थान पर चलकर देखना होगा।” यह सोच वुल्फा उस मशीन के आगे से हटा और उस वेधशाला से कुछ यंत्र ले पिरामिड के पीछे की ओर चल दिया।
कुछ ही देर में वुल्फा पिरामिड के पीछे की ओर था। अब वुल्फा को हवा में मौजूद वह ऊर्जा द्वार धुंधला सा दिखाई देने लगा था।
वह ऊर्जा द्वार जमीन से 5 फुट की ऊंचाई पर था और वह बहुत ही हल्का दिखाई दे रहा था।
अगर वुल्फा ने उस द्वार को मशीन पर नहीं देखा होता, तो उसे ढूंढ पाना लगभग असंभव था।
अब वुल्फा उस ऊर्जा द्वार के काफी पास पहुंच गया। तभी वुल्फा को उस ऊर्जा द्वार से, किसी के कराहने की आवाज सुनाई दी। यह आवाज सुन वुल्फा हैरान हो गया।
“क्या इस ऊर्जा द्वार में कोई जीव छिपा है?” यह सोच वुल्फा ने अपनी आँखें लगा कर उस ऊर्जा द्वार के अंदर झांका, पर उसे अंधेरे के सिवा कुछ नजर नहीं आया।
कुछ नजर ना आते देख वुल्फा ने अपना हाथ उस ऊर्जा द्वार के अंदर डाल दिया।
वुल्फा का हाथ किसी जीव से टकराया, जिसे वुल्फा ने अपने हाथों से पकड़कर बाहर की ओर खींच लिया।
‘धम्म’ की आवाज करता एक जीव का शरीर उस ऊर्जा द्वार से बाहर आ गिरा।
वुल्फा ने जैसे ही उस जीव पर नजर डाली, वह आश्चर्य से भर उठा- “गोंजालो !....यह गोंजालो यहां पर कैसे आ गया? और....और इसके शरीर पर तो बहुत से जख्म भी हैं। ऐसा कौन हो सकता है? जिसने गोंजालो को घायल कर दिया.... मुझे इसे तुरंत पिरामिड में ले चलना चाहिये और मालिक को सारी बात बता देनी चाहिये....हां यही ठीक रहेगा।” यह कहकर वुल्फा ने गोंजालो के शरीर को किसी बोरे की भांति अपने शरीर पर लादा और पिरामिड की ओर चल दिया।
पर अभी वुल्फा 10 कदम भी नहीं चल पाया होगा कि उसे ऊर्जा द्वार की ओर से एक और आवाज सुनाई दी।
वुल्फा अब पलटकर पीछे की ओर देखने लगा।
तभी उस ऊर्जा द्वार से एक विचित्र सा जीव निकला, जो कि 8 फुट लंबा था, उसकी 3 आँखें थीं और 4 हाथ थे। उसकी पीठ पर कछुए के समान एक कवच लगा हुआ था।
उसके पैर और हाथ के पंजे किसी स्पाइनासोरस की तरह बड़े थे ।उसकी बलिष्ठ भुजाओ को देखकर साफ पता चल रहा था, कि उसमें असीम ताकत होगी। उसके हाथों में कोई अजीब सी, गन के समान मशीन थी।
वुल्फा ने कभी भी ऐसा जीव नहीं देखा था, इसलिये वह सावधानी से वहीं घास में बैठकर उसे देखने लगा।
अब उस जीव की नजर भी वुल्फा पर पड़ गई। उस जीव ने वुल्फा को ध्यान से देखा।
उसके ऐसा करते ही उस जीव की तीसरी आँख से लाल रंग की किरणे निकलकर वुल्फा पर ऐसे पड़ीं, मानो वह जीव उसे स्कैन करने की कोशिश कर रहा हो।
वुल्फा साँस रोके, वहीं घास में बैठा रहा। वुल्फा को स्कैन करने के बाद उस जीव ने पास पड़े गोंजालो को भी स्कैन किया।
इसके बाद वह उन दोनों को वहीं छोड़ आसमान में उड़ चला।
“मुझे लगता है कि इसने मुझे भेड़िया और गोंजालो को बिल्ली समझ छोड़ दिया, अगर यह जान जाता कि हम भी इंसानों की तरह से ही काम करते हैं, तो शायद इससे मेरा युद्ध हो रहा होता....या फिर मैं मरा पड़ा होता....क्यों कि वह जीव मुझसे तो ज्यादा ही ताकतवर दिख रहा था।”
यह सोच वुल्फा फिर से उठकर खड़ा हो गया और गोंजालो को अपनी पीठ पर लाद पिरामिड की ओर बढ़ गया।
चैपटर-5
जलदर्पण: (तिलिस्मा 2.2)
ऑक्टोपस का तिलिस्म पार करने के बाद सभी एक दरवाजे के अंदर घुसे, पर जैसे ही सभी उस द्वार के अंदर आये, उन्हें सामने एक काँच की ट्यूब दिखाई दी।
“यह कैसा द्वार है? क्या हमें अब इस ट्यूब के अंदर जाना होगा?” क्रिस्टी ने आश्चर्य से ट्यूब को देखते हुए कहा।
“इस ट्यूब के अलावा यहां और कोई ऑप्शन भी नहीं है, इसलिये जाना तो इसी में पड़ेगा।” जेनिथ ने क्रिस्टी को देखते हुए कहा।
और कोई उपाय ना देख सभी उस काँच की ट्यूब में आगे बढ़ गये।
ट्यूब बिल्कुल गोलाकार थी और धीरे-धीरे उसका झुकाव इस प्रकार नीचे की ओर हो रहा था, मानो वह एक ट्यूब ना होकर किसी वाटर पार्क की राइड हो।
उस ट्यूब में पकड़ने के लिये कुछ नहीं था और फिसलन भी थी।
सबसे पीछे तौफीक चल रहा था। अचानक तौफीक का पैर फिसला और वह अपने आगे चल रहे ऐलेक्स से जा टकराया। जिसकी वजह से ऐलेक्स भी गिर गया।
तभी उस ट्यूब में पीछे की ओर पानी के बहने की आवाज आयी। इस आवाज को सुनकर सभी डर गये।
“कैप्टेन लगता है, पीछे से पानी आ रहा है और हमारे पास भागने के लिये भी कोई जगह नहीं है....जल्दी बताइये कि अब हम क्या करें।” ऐलेक्स ने सुयश से पूछा।
“ऐसी स्थिति में कुछ नहीं कर सकते, बस जितनी ज्यादा से ज्यादा देर तक साँस रोक सकते हो रोक लो।” सुयश ने सभी को सुझाव दिया।
सभी ने जोर की साँस खींच ली, तभी उनके पीछे से एक जोर का प्रवाह आया और वह सभी इस बहाव में ट्यूब के अंदर बह गये।
ट्यूब लगातार उन्हें लेकर बहता जा रहा था, पानी आँखों में भी तेजी से जा रहा था इसलिये किसी की आँखें खुली नहीं रह पायीं।
कुछ देर ऐसे ही बहते रहने के बाद आखिरकार पानी की तेज आवाज थम गई।
सभी ने डरकर अपनी आँखें खोलीं, पर आँखें खोलते ही सभी भौचक्के से रह गये, ऐसा लग रहा था कि वह सभी समुद्र के अंदर हैं, पर आश्चर्यजनक तरीके से सभी साँस ले रहे थे।
“कैप्टेन, यह कैसा पानी है, हम इसमें साँस भी ले पा रहे हैं और आपस में बिना किसी अवरोध के बात भी कर पा रहे हैं।” जेनिथ ने सुयश से कहा।
“यही तो कमाल है तिलिस्मा का... यह ऐसी तकनीक का प्रयोग कर रहा है, जिसे हम जरा सा भी नहीं जानते हैं।” सुयश ने भी आश्चर्यचकित होते हुए कहा।
“तिलिस्मा का नहीं ये मेरे कैस्पर का कमाल है।” शैफाली ने मुस्कुराते हुए कहा।
“अरे वाह, संकट में भी तुम अपने कैस्पर को नहीं भूली...अरे जरा ध्यान लगा कर अपने चारो ओर देखो, हम इस समय किसी बड़े से पिंजरे में बंद हैं। अब जरा कुछ देर के लिये कैस्पर को भूल जाओ।” जेनिथ ने मुस्कुराते हुए शैफाली को आसपास की स्थिति का अवलोकन कराया।
अब शैफाली की नजर अपने चारो ओर गई, इस समय वह लोग एक बड़ी सी चट्टान पर रखे एक विशाल पिंजरे में थे।
उस पिंजरे के दरवाजे पर एक 4 डिजिट का नम्बर वाला ताला लगा था। उस ताले के ऊपर लाल रंग की एल.ई.डी. से 3 लिखकर आ रहा था।
“कैप्टेन यह डिजिटल ताला तो समझ में आया, पर यहां 3 क्यों लिखा है?” क्रिस्टी ने सुयश से पूछा।
“मुझे लग रहा है कि शायद हम 3 बार ही इसके नम्बर को ट्राई कर सकते हैं।” शैफाली ने बीच में ही बोलते हुए कहा- “मतलब 3 बार में ही हमें इस ताले को खोलना होगा और अगर नहीं खोल पाये तो हम यहीं फंसे रह जायेंगे।”
“दोस्तों पहले हमें सभी चीजों को एक बार ध्यान से देखना होगा, तभी हम उन चीजों का सही से उपयोग कर पायेंगे।” सुयश ने सभी को नियम याद दिलाते हुए कहा।
“आप सही कह रहे हैं कैप्टेन।” तौफीक ने कहा- “तो सबसे पहले पिंजरे पर ही ध्यान देते हैं....पिंजरे के अंदर कुछ भी नहीं है और यह 6 तरफ से किसी वर्गाकार डिब्बे की तरह है...यह किसी धातु की सुनहरी
सलाखों से बना है...इन सलाखों के बीच में इतना गैप नहीं है कि कोई यहां से बाहर निकल सके...अब आते हैं बाहर की ओर....बाहर हमारे दाहिनी ओर, हमें कुछ दूरी पर एक जलपरी की मूर्ति दिख रही है।
“हमारे बांई ओर एक दरवाजा बना है, जो कि बंद है। शायद यही हमारे निकलने का द्वार हो , मगर दरवाजे पर एक ताला लगा है, जिस पर एक चाबी लगने की जगह भी दिखाई दे रही है। हमारे पीछे की ओर दूर-दूर तक पानी है...अब उसके आगे भी अगर कुछ हो तो कह नहीं सकते?” इतना कहकर तौफीक चुप हो गया।
“कैप्टेन कुछ चीजें मैं भी इसमें जोड़ना चाहता हूं।” ऐलेक्स ने कहा- “हमारे सामने की ओर कुछ दूरी पर मौजूद एक पत्थर पर एक छोटा सा बॉक्स रखा है, पता नहीं उसमें क्या है? और मैंने अभी-अभी पानी में
अल्ट्रासोनिक तरंगे महसूस कीं.... जो शायद किसी डॉल्फिन के यहां होने का इशारा कर रही है। और इस सामने वाले दरवाजे की चाबी, उस जलपरी वाली मूर्ति की मुठ्ठी में बंद है, उसका थोड़ा सा सिरा बाहर निकला है, जो कि मुझे यहां से दिख रहा है।”
“अरे वाह, ऐलेक्स ने तो कई गुत्थियों को सुलझा दिया।” क्रिस्टी ने खुश होते हुए कहा- “इसका मतलब हमें इस द्वार को पार करने के लिये पहले इस पिंजरे से निकलना होगा और पिंजरे से निकलने के लिये पहले हमें 4 अंकों का कोड चाहिये होगा।....पर वह कोड हो कहां सकता है?” क्रिस्टी यह कहकर चारो ओर देखने लगी, पर उसे कोड जैसा कुछ भी दिखाई नहीं दिया।
“मुझे लगता है कि हमारे सामने की ओर पत्थर पर जो बॉक्स रखा है, अवश्य ही हमारे पिंजरे का कोड उसी में होगा?” शैफाली ने बॉक्स की ओर इशारा करते हुए कहा- “पर बिना पिंजरे से निकले तो हम उस बॉक्स तक पहुंच भी नहीं सकते.... फिर...फिर उस बॉक्स को कैसे खोला जा सकता है?”
“कुछ ना कुछ तो हमारे आस-पास जरुर है जो कि हम देख नहीं पा रहे हैं?” सुयश मन ही मन बुदबुदाया।
तभी जेनिथ को पिंजरे में एक जगह पर पतली डोरी लटकती दिखाई दी, जेनिथ ने सिर ऊपर उठाकर उस डोरी का स्रोत जानने के कोशिश की।
पर सिर ऊपर उठाते ही वह मुस्कुरा दी क्यों कि ऊपर पिंजरे की सलाखों से चिपका उसे ‘फिशिंग रॉड’ दिखाई दे गया।
जेनिथ ने सुयश को इशारा करके वह फिशिंग रॉड दिखाई।
चूंकि वह फिशिंग रॉड पिंजरे की छत पर थी और पिंजरे के छत की ऊंचाई 10 फुट के पास थी, इसलिये सुयश ने शैफाली को अपने कंधों पर उठा लिया।
शैफाली ने उस फिशिंग रॉड को पिंजरे के ऊपर से खोल लिया।
फिशिंग रॉड के आगे वाले भाग में एक हुक बंधा था और डोरी के लिये एक चकरी लगी थी।
“हहममममम् फिशिंग रॉड तो हमें मिल गयी, पर इसमें मौजूद डोरी तो मात्र 10 मीटर ही है। जबकि वह बॉक्स हमसे कम से कम 20 मीटर की दूरी पर है। यानि कि हम अब भी इस फिशिंग रॉड के द्वारा उस बॉक्स तक नहीं पहुंच सकते। हमें कोई और ही तरीका ढूंढना पड़ेगा।” सुयश ने लंबी साँस भरते हुए कहा।
तभी शैफाली की नजर अपने दाहिनी ओर जमीन पर लगी हरे रंग की घास की ओर गई। उस घास को देखकर शैफाली को एक झटका लगा, अब वह तेजी से अपने चारो ओर देखने लगी।
उसे ऐसा करते देख सुयश ने हैरानी से कहा- “क्या हुआ शैफाली? तुम क्या ढूंढने की कोशिश कर रही हो?”
“यह जो घास सामने मौजूद है, इसे ‘टर्टल ग्रास’ कहते हैं, यह घास वयस्क समुद्री कछुए खाते हैं। अब उस घास के बीच में कटी हुई घास का एक छोटा सा गठ्ठर रखा है, जो कि ध्यान से देखने पर ही दिख रहा है। अब बात ये है कि ये जगह प्राकृतिक नहीं है, बल्कि कैश्वर द्वारा बनायी गयी है, अब कैश्वर ऐसे किसी चीज का तो निर्माण नहीं करेगा, जिसका कोई मतलब ना हो। यानि कि हमारे आस-पास जरुर कोई कछुआ भी है। मैं उसी कछुए को ढूंढ रही थी।”
शैफाली की बात सुन ऐलेक्स ने अपनी आँखें बंद करके अपनी नाक पर जोर देना शुरु कर दिया।
शायद वह कछुए की गंध सूंघने की कोशिश कर रहा था। कुछ ही देर में ऐलेक्स ने अपनी आँखें खोल दीं, मगर अब उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी।
“शैफाली सही कह रही है कैप्टेन... हमारे पास एक कछुआ है।” ऐलेक्स के चेहरे पर अभी भी मुस्कान बिखरी थी। ऐलेक्स की बात सुन सभी उसकी ओर देखने लगे।
“कैप्टेन, हमारा पिंजरा जिस पत्थर पर रखा है, वह पत्थर नहीं बल्कि एक विशाल कछुआ ही है। मैंने उसकी गंध पहचान ली है।” ऐलेक्स ने सस्पेंस खोलते हुए कहा।
अब सबका ध्यान उस विशाल कछुए की ओर गया।
“अगर यह कछुआ है तो अब हम उस बॉक्स तक पहुंच सकते हैं।” शैफाली ने कहा और सुयश के हाथ में पकड़ा फिशिंग रॉड तौफीक को देते हुए कहा- “तौफीक अंकल, जरा अपने निशाने का कमाल दिखाकर इस फिशिंग रॉड से उस घास के गठ्ठर को उठाइये।”
घास का वह गठ्ठर पिंजरे से मात्र 8 मीटर की ही दूरी पर था और इतनी कम दूरी से घास को उठाना तौफीक के बाएं हाथ का खेल था।
बामुश्किल 5 मिनट में ही वह घास का गठ्ठर तौफीक के हाथों में था। तौफीक ने वह घास का गठ्ठर शैफाली को पकड़ा दिया।
शैफाली ने उस घास के गठ्ठर को अच्छी तरह से फिशिंग रॉड के आगे वाले हुक में बांध दिया और अपना एक हाथ बाहर निकालकर, उस घास के गठ्ठर को कछुए के मुंह के सामने लहराया। घास का गठ्ठर देख कछुए ने अपना सिर गर्दन से बाहर निकाल लिया।
अब वह आगे बढ़कर घास को खाने की कोशिश करने लगा, पर जैसे ही वह कछुआ आगे बढ़ता उसके आगे लटक रहा घास का गठ्ठर स्वतः ही और आगे बढ़ जाता।
और इस प्रकार से शैफाली उस कछुए को लेकर पत्थर के पास वाले बॉक्स तक पहुंच गई। अब शैफाली ने फिशिंग रॉड को वापस पिंजरे में खींच लिया।
फिशिंग रॉड के खींचते ही कछुआ फिर से पत्थर बनकर वहीं बैठ गया।
शैफाली ने फिशिंग रॉड के हुक से घास का गठ्ठर हटाकर फिशिंग रॉड एक बार फिर तौफीक के हाथों में दे दी।
“तौफीक अंकल अब आपको इस फिशिंग रॉड से उस बॉक्स को उठाना है, ध्यान से देख लीजिये उस बॉक्स के ऊपर एक छोटा सा रिंग जुड़ा हुआ है, आपको फिशिंग रॉड का हुक उस रिंग में ही फंसाना है।”
शैफाली ने तौफीक से कहा।
तौफीक ने धीरे से सिर हिलाया और एक बार फिर नयी कोशिश में जुट गया।
यह कार्य पहले वाले कार्य से थोड़ा मुश्किल था, पर तौफीक ने इस कार्य को भी आसान बना दिया।
बॉक्स का आकार, पिंजरे में लगे सरियों के गैप से ज्यादा था, इसलिये वह बॉक्स अंदर नहीं आ सकता था।
अतः शैफाली ने उसे पिंजरे के बाहर ही खोल लिया।
उस बॉक्स में एक छोटा सा रोल किया हुआ सुनहरी धातु का एक पतला कागज सा था, जिस पर ताले का कोड नहीं बल्कि एक कविता की पंक्तियां लिखीं थीं, जो कि इस प्रकार थी-
“जीव, अंक सब तुमको अर्पण,
जब देखोगे जल में दर्पण।”
जारी रहेगा______![]()
Thank you very much parkas bhai for your valuable review and supportBahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....

Jab ye pata lagega ki wo urja dwar waha kaise aaya? To dekhne wali baat hogiHamesha ke tarah lajawab update.....
Nayi paheli naya रोमांच

Wonderful update brother, itna toh pata hai ki Mayur aur Dhara marne wale nahi hain khair ab dono pani se bahar ja rahe hain matlab ab unke paas aur bhi powers hogi jisse wo dono A1 aur A7 ka mukabla kar sakte hain.#155.
एण्ड्रोनिका: (आज से 3 दिन पहले.......... 13.01.02, रविवार, 17:00, वाशिंगटन डी.सी से कुछ दूर, अटलांटिक महासागर)
शाम ढलने वाली थी, समुद्र की लहरों में उछाल बढ़ता जा रहा था।
इन्हीं लहरों के बीच 2 साये समुद्र में तेजी से तैरते किसी दिशा की ओर बढ़ रहे थे।
यह दोनों साये और कोई नहीं बल्कि धरा और मयूर थे, जो कि आसमान से उल्का पिंड को गिरता देख वेगा और वीनस को छोड़ समुद्र की ओर आ गये थे।
“क्या तुम्हारा फैसला इस समय सही है धरा?” मयूर ने धरा को देखते हुए कहा- “क्या हमारा इस समय उल्का पिंड देखने जाना ठीक है? वैसे भी समुद्र का क्षेत्र हमारा नहीं है और तुमने कौस्तुभ और धनुषा को खबर भी कर दी है, और ...और अभी तो शाम भी ढलने वाली है। एक बार फिर सोच लो धरा, क्यों कि पानी में हमारी शक्तियां काम नहीं करती हैं। अगर हम किसी मुसीबत में पड़ गये तो?”
धरा और मयूर पानी में मानसिक तरंगों के द्वारा बात कर रहे थे।
“क्या मयूर, तुम भी इस समय शाम, समुद्र और क्षेत्र की बात करने लगे। क्या तुम्हें पता भी है? कि कुछ ही देर में अमेरिकन नेवी इस स्थान को चारो ओर से घेर लेगी, फिर उन सबके बीच किसी का भी छिपकर
अंदर घुस पाना मुश्किल हो जायेगा। इसी लिये मैं कौस्तुभ और धनुषा के आने का इंतजार नहीं कर सकती। हमें तुरंत उस उल्कापिंड का निरीक्षण करना ही होगा।
"हमें भी तो पता चले कि आखिर ऐसा कौन सा उल्का पिंड है? जो बिना किसी पूर्व निर्धारित सूचना के हमारे वैज्ञानिकों की आँखों में धूल झोंक कर, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में आ गया। अवश्य ही इसमें कोई ना कोई रहस्य छिपा है? और पृथ्वी के रक्षक होने के नाते ये हमारा कर्तव्य बनता है कि हम क्षेत्र और दायरे को छोड़कर, एक दूसरे की मदद करें।”
“अच्छा ठीक है...ठीक है यार, ये भाषण मत सुनाओ, अब मैं तुम्हारे साथ चल तो रहा हूं।” मयूर ने हथियार डालते हुए कहा- “तुम्हीं सही हो, मैं गलत सोच रहा था।”
उल्का पिंड को आसमान से गिरे अभी ज्यादा देर नहीं हुआ था।
धरा और मयूर पानी के अंदर ही अंदर, तेजी से उस दिशा की ओर तैर रहे थे।
तभी धरा को बहुत से समुद्री जीव-जंतु उल्का पिंड की दिशा से भाग कर आते हुए दिखाई दिये, इनमें छोटे और बड़े दोनों ही प्रकार के जीव थे।
“ये सारे जीव-जंतु उस दिशा से भागकर क्यों आ रहें हैं?” धरा ने कहा- “और इनके चेहरे पर भय भी दिख रहा है।”
“अब तुमने उनके चेहरे के भाव इतने गहरे पानी में कैसे पढ़ लिये, जरा मुझे भी बताओगी?” मयूर ने धरा से पूछा।
“अरे बुद्धू मैंने उनके चेहरे के भाव नहीं पढ़े, पर तुमने ये नहीं देखा कि उन सभी जीवों में छोटे-बड़े हर प्रकार के जीव थे और बड़े जीव हमेशा से छोटे जीवों को खा जाते है। अब अगर सभी साथ भाग रहे हैं और कोई एक-दूसरे पर हमला नहीं कर रहा, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि इन सबको एक समान ही कोई बड़ा खतरा नजर आया है, जिसकी वजह से यह शिकार करना छोड़ अपनी जान बचाने की सोच रहे हैं। ये तो कॉमन सेंस की बात है।” धरा ने मुस्कुराकर कहा।
“कॉमन सेंस...हुंह....अपना कॉमन सेंस अपने ही पास रखो।” मयूर ने धरा को चिढ़ाते हुए कहा- “मैं तो पहले ही समझ गया था, मैं तुम्हें चेक कर रहा था, कि तुम्हें समझ में आया कि नहीं?”
“वाह मयूर जी....आप कितने महान हैं।” धरा ने कटाक्ष करते हुए कहा- “अब जरा रास्ते पर भी ध्यान दीजिये, कहीं ऐसा ना हो कि कोई बड़ी मछली आपको भी गपक कर चली जाये?”
मयूर ने मुस्कुराकर धरा की ओर देखा और फिर सामने देखकर तैरने लगा।
लगभग आधे घंटे के तैरने के बाद धरा और मयूर को पानी में गिरा वह उल्का पिंड दिखाई देने लगा।
वह उल्का पिंड लगभग 100 मीटर बड़ा दिख रहा था।
“यह तो काफी विशालकाय है, तभी शायद यह पृथ्वी के घर्षण से बचकर जमीन पर आने में सफल हो गया।” धरा ने उल्का पिंड को देखते हुए कहा।
अब दोनों उल्का पिंड के पास पहुंच गये।
वह कोई गोल आकार का बड़ा सा पत्थर लग रहा था, उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे वह ज्वालामुखी से निकले लावे से निर्मित हो।
“इसका आकार तो बिल्कुल गोल है, इसे देखकर लग रहा है कि यह किसी जीव द्वारा निर्मित है।” मयूर ने कहा।
अब धरा छूकर उस विचित्र उल्का पिंड को देखने लगी। तभी उसे उल्कापिंड पर बनी हुई कुछ रेखाएं दिखाई दीं, जिसे देखकर कोई भी बता देता कि यह रेखाएं स्वयं से नहीं बन सकतीं।
अब धरा ने अपने हाथ में पहने कड़े से, उस उल्का पिंड पर धीरे से चोट मारी। एक हल्की सी, अजीब सी आवाज उभरी।
“यह पत्थर नहीं है मयूर, यह कोई धातु की चट्टान है, बल्कि अब तो इसे चट्टान कहना भी सही नहीं होगा, मुझे तो ये कोई अंतरिक्ष यान लग रहा है, जो कि शायद भटककर यहां आ गिरा है।” धरा के चेहरे पर बोलते हुए पूरी गंभीरता दिख रही थी- “अब इसके बारे में जानना और जरुरी हो गया है। कहीं ऐसा ना हो कि ये पृथ्वी पर आने वाले किसी संकट की शुरुआत हो?”
अब धरा ने समुद्र की मिट्टी को धीरे से थपथपाया और इसी के साथ समुद्र की मिट्टी एक बड़ी सी ड्रिल मशीन का आकार लेने लगी।
अब धरा ने उस ड्रिल मशीन से उस उल्का पिंड में सुराख करना शुरु कर दिया, पर कुछ देर के बाद ड्रिल मशीन का अगला भाग टूटकर समुद्र की तली में बिखर गया, परंतु उस उल्का पिंड पर एक खरोंच भी ना आयी।
अब मयूर ने समुद्र की चट्टानों को छूकर एक बड़े से हथौड़े का रुप दे दिया और उस हथौड़े की एक भीषण चोट उस उल्का पिंड पर कराई, पर फिर वही अंजाम हुआ जो कि ड्रिल मशीन का हुआ था।
हथौड़ा भी टूटकर बिखर गया, पर उस उल्का पिंड का कुछ नहीं हुआ।
“लगता है कि ये किसी दूसरे ग्रह की धातु से बना है और यह ऐसे नहीं टूटेगा....हमें कोई और उपाय सोचना होगा मयूर?” धरा ने कहा।
लेकिन इससे पहले कि धरा और मयूर कोई और उपाय सोच पाते, कि तभी उस उल्का पिंड में एक स्थान पर एक छोटा सा दरवाजा खुला और उसमें से 2 मनुष्य की तरह दिखने वाले जीव निकलकर बाहर आ गये।
उनके शरीर हल्के नीले रंग के थे। उन दोनों ने एक सी दिखने वाली नेवी ब्लू रंग की चुस्त सी पोशाक पहन रखी थी।
उनकी पोशाक के बीच में एक सुनहरे रंग का गोला बना था। एक गोले में A1 और एक के गोले में A7 लिखा था। उन्हें देख धरा और मयूर तुरंत एक समुद्री चट्टान के पीछे छिप गये।
“यह अवश्य ही एलियन हैं।” मयूर ने कहा- “इनके शरीर का रंग तो देखो हमसे कितना अलग है।”
“रंग को छोड़ो, पहले ये देखो कि ये अंग्रेजी भाषा जानते हैं।” धरा ने दोनों की ओर देखते हुए कहा- “तभी तो इनकी पोशाक पर अंग्रेजी भाषा के अक्षर अंकों के साथ लिखे हुए हैं।”
बाहर निकले वह दोनों जीव पानी में भी आसानी से साँस ले रहे थे और आपस में कुछ बात कर रहे थे, जो कि दूर होने की वजह से धरा और मयूर को सुनाई नहीं दे रही थी।
तभी जिस द्वार से वह दोनों निकले थे, उसमें से कुछ धातु का कबाड़ आकर बाहर गिरा, जिसे देख वह दोनों खुश हो गये।
“क्या इन दोनों पर हमें हमला करना चाहिये?” मयूर ने धरा से पूछा।
“अभी नहीं....अभी तो हमें ये भी पता नहीं है कि ये दोनों हमारे दुश्मन हैं या फिर दोस्त? और ना ही हमें इनकी शक्तियां पता हैं....और वैसे भी समुद्र में हमारी शक्तियां सीमित हैं, पता नहीं यहां हम इनसे मुकाबला कर भी पायेंगे या नहीं?”
धरा के शब्दों में लॉजिक था इसलिये मयूर चुपचाप चट्टान के पीछे छिपा उन दोनों को देखता रहा।
तभी उनमें से A1 वाले ने अंतरिक्ष यान से निकले कबाड़ की ओर ध्यान से देखा। उसके घूरकर देखते ही वह कबाड़ आपस में स्वयं जुड़ना शुरु हो गया।
कुछ देर में ही उस कबाड़ ने एक 2 मुंह वाले भाले का रुप ले लिया। अब A1 ने उस भाले को उठाकर अपने हाथ में ले लिया।
“अब तुम दोनों उस चट्टान से निकलकर सामने आ जाओ, नहीं तो हम तुम्हें स्वयं निकाल लेंगे।” A7 ने उस चट्टान की ओर देखते हुए कहा, जिस चट्टान के पीछे धरा और मयूर छिपे थे।
“धत् तेरे की....उन्हें पहले से ही हमारे बारे में पता है।” मयूर ने खीझते हुए कहा- “अब तो बाहर निकलना ही पड़ेगा। पर सावधान रहना धरा, जिस प्रकार से उस जीव ने, उस कबाड़ से हथियार बनाया है, वह अवश्य ही खतरनाक होगा।”
मयूर और धरा निकलकर उनके सामने आ गये।
“कौन हो तुम दोनों? और हमारी पृथ्वी पर क्या करने आये हो?” धरा ने उन दोनों की ओर देखते हुए पूछा।
“अच्छा तो तुम अपने ग्रह को पृथ्वी कहते हो।” A7 ने कहा- “हम पृथ्वी से 2.5 मिलियन प्रकाशवर्ष दूर, एण्ड्रोवर्स आकाशगंगा के फेरोना ग्रह से आये हैं। A1 का नाम ‘एलनिको’ है और मेरा नाम ‘एनम’ है। तुम लोगों से हमारी कोई दुश्मनी नहीं है। हम यहां बस अपने एक पुराने दुश्मन को ढूंढते हुए आये हैं और उसे लेकर वापस चले जायेंगे, पर अगर हमारे काम में किसी ने बाधा डाली, तो हम इस पृथ्वी को बर्बाद करने की भी ताकत रखते हैं।”
“अगर हमारी कोई दुश्मनी नहीं है, तो बर्बाद करने वाली बातें करना तो छोड़ ही दो।” मयूर ने कहा- “अब रही तुम्हारे दुश्मन की बात, तो तुम हमें उसके बारे में बता दो, हम तुम्हारे दुश्मन को ढूंढकर तुम्हारे पास पहुंचा देंगे और फिर तुम शांति से उसे लेकर पृथ्वी से चल जाओगे। बोलो क्या यह शर्त मंजूर है?”
“हम किसी शर्तों पर काम नहीं करते।” एलनिको ने कहा- “और हम अपने दुश्मन को स्वयं ढूंढने में सक्षम हैं। इसलिये हमें किसी की मदद की जरुरत नहीं है। अब रही बात तुम्हारी बकवास सुनने की.... तो वह हमनें काफी सुन ली। अब निकल जाओ यहां से।” यह कहकर एलनिको ने अपने हाथ में पकड़े दो मुंहे भाले को धरा की ओर घुमाया।
भाले से किसी प्रकार की शक्तिशाली तरंगें निकलीं और धरा के शरीर से जा टकराईं।
धरा का शरीर इस शक्तिशाली तरंगों की वजह से दूर जाकर एक चट्टान से जा टकराया।
यह देख मयूर ने गुस्से से पत्थरों का एक बड़ा सा चक्र बनाकर उसे एलनिको और एनम की ओर उछाल दिया।
चक्र पानी को काटता हुआ तेजी से एलनिको और एनम की ओर झपटा।
परंतु इससे पहले कि वह चक्र उन दोनों को कोई नुकसान पहुंचा पाता, एलनिको ने अपने हाथ में पकड़े भाले को उस चक्र की ओर कर दिया।
चक्र से तरंगें निकलीं और भाले को उसने हवा में ही रोक दिया।
अब एलनिको ने भाले को दांयी ओर, एक जोर का झटका दिया, इस झटके की वजह से, वह मयूर का बनाया चक्र दाहिनी ओर जाकर, वहां मौजूद समुद्री पत्थरों से जा टकराया और इसी के साथ टूटकर बिखर गया।
तभी एनम के शरीर से सैकड़ों छाया शरीर निकले। अब हर दिशा में एनम ही दिखाई दे रहा था।
यह देख मयूर घबरा गया, उसे समझ में नहीं आया कि उनमें से कौन सा एनम असली है और वह किस पर वार करे।
तभी एलनिको ने मयूर का ध्यान एनम की ओर देख, अपना भाला मयूर की ओर उछाल दिया।
एलनिको का भाला आकर मयूर की गर्दन में फंस गया और उसे घसीटता हुआ समुद्र में जाकर धंस गया।
अब मयूर बिल्कुल भी हिल नहीं पा रहा था।
यह देख मयूर ने धरा से मानसिक तरंगों के द्वारा बात करना शुरु कर दिया- “धरा, हम पानी में अपने शरीर को कणों में विभक्त नहीं कर सकते, पानी हमारी कमजोरी है, इसलिये हमें किसी तरह यहां से निकलना ही होगा, बाद में हम अपने साथियों के साथ दोबारा आ जायेंगे इनसे निपटने के लिये।”
यह सुन धरा उठी और एक बड़ी सी समुद्री चट्टान पर जाकर खड़ी हो गई। धरा ने एक बार ध्यान से चारो ओर फैले सैकड़ों एनम को देखा और फिर अपने पैरों से उस समुद्री चट्टान को थपथपाया।
धरा के ऐसा करते ही वह समुद्री चट्टान सैकड़ों टुकड़ों में विभक्त हो गई और चट्टान का हर एक टुकड़ा नुकीली कीलों में परिवर्तित हो गया और इससे पहले कि एनम कुछ समझता, वह सारी कीलें अपने आसपास मौजूद सभी एनम के शरीर में जाकर धंस गई।
इसी के साथ एनम के सभी छाया शरीर गायब हो गये।
“मुझे नहीं पता था कि पृथ्वी के लोगों में इतनी शक्तियां हैं....तुम्हारे पास तो कण शक्ति है लड़की....पर चिंता ना करो, अब यह कण शक्ति मैं तुम्हारे मरने के बाद तुम्हारे शरीर से निकाल लूंगा।” एलनिको ने कहा और इसी के साथ उसने अपना बांया हाथ समुद्र की लहरों में गोल नचाया।
एलनिको के ऐसा करते ही अचानक बहुत ही महीन नन्हें काले रंग के कण धरा की नाक के पास मंडराने लगे।
धरा इस समय एलनिको के भाले से सावधान थी, उसे तो पता ही नहीं था कि एलनिको के पास और कौन सी शक्ति है, इसलिये वह धोखा खा गई।
उन काले नन्हे कणों ने धरा की नाक के इर्द-गिर्द जमा हो कर उसकी श्वांस नली को अवरोधित कर दिया।
अब धरा को साँस आनी बंद हो गई थी, पर धरा अब भी अपने को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी।
धरा ने खतरा भांप कर समुद्री चट्टान से एक बड़ा सा हाथ बनाया और उस हाथ ने मयूर के गले में फंसा भाला खींचकर निकाल दिया।
अब मयूर आजाद हो चुका था, वह एलनिको पर हमला करना छोड़, लड़खड़ाती हुई धरा की ओर लपका।
तभी एलनिको ने इन काले कणों का वार मयूर पर भी कर दिया। अब मयूर का भी दम घुटना शुरु हो गया था।
“मुझे पता था कि तुम दोनों मेरी चुम्बकीय शक्ति को नहीं झेल पाओगे।” एलनिको ने मुस्कुराते हुए कहा।
कुछ ही देर में धरा और मयूर दोनों मूर्छित होकर, उसी समुद्र के धरातल पर गिर पड़े।
यह देख एलनिको और एनम ने धरा और मयूर को अपने कंधों पर उठाया और अपने यान एण्ड्रोनिका के उस खुले द्वार की ओर बढ़ गये।
जारी रहेगा______![]()
Nice update.....#156.
ऊर्जा द्वार:
आज से 3 दिन पहले...........(13.01.02, रविवार, 14:00, दूसरा पिरामिड, सीनोर राज्य, अराका द्वीप)
अराका द्वीप के सीनोर राज्य में मकोटा ने 4 पिरामिड का निर्माण कराया था।
इन चारो पिरामिड में क्या होता था, यह मकोटा के अलावा राज्य का कोई व्यक्ति नहीं जानता था।
पहले पिरामिड में अंधेरे का देवता जैगन बेहोश पड़ा था, जिसे उठा कर मकोटा पूर्ण अराका द्वीप पर राज्य करना चाहता था।
दूसरे पिरामिड में मकोटा की वेधशाला थी, जहां से वुल्फा अंतरिक्ष पर नजर रखता था। यहां से वुल्फा हरे कीड़ों के द्वारा कुछ नये प्रयोग भी करता था।
तीसरे और चौथे पिरामिड में मकोटा के सिवा कोई नहीं जाता था। वहां क्या था? यह किसी को नहीं पता था।
वुल्फा- आधा भेड़िया और आधा मानव। वुल्फा, मकोटा का सबसे विश्वासपात्र और एकमात्र सेवक था।
वुल्फा के अलावा मकोटा ने अपने महल में सिर्फ भेड़ियों को रखा था, उसे किसी भी अटलांटियन पर विश्वास नहीं था।
वुल्फा हर रोज की भांति आज भी दूसरे पिरामिड में मशीनों के सामने बैठकर, अंतरिक्ष का अध्ययन कर रहा था।
उसके सामने की स्क्रीन पर कुछ आड़ी-तिरछी लाइनें बन कर आ रही थीं। वुल्फा के सामने की ओर कुछ विचित्र सी मशीनों पर हरे कीड़े काम कर रहे थे।
उस वेधशाला में 2 हरे कीड़े मानव के आकार के भी थे।
वुल्फा की निगाहें स्क्रीन पर ही जमीं थीं। तभी वुल्फा को अपने सामने लगी मशीन पर एक अजीब सी हरकत होती दिखाई दी, जिसे देख वुल्फा आश्चर्य में पड़ गया।
“यह क्या? यह तो कोई अंजान सी ऊर्जा है, जो कि हमारे सीनोर द्वीप से ही निकल रही है।” वुल्फा ने ध्यान से देखते हुए कहा- “क्या हो सकता है यह?”
अब वुल्फा तेजी से एक स्क्रीन के पास पहुंच गया। इस स्क्रीन पर सीनोर द्वीप के बहुत से हिस्से दिखाई दे रहे थे।
वुल्फा के हाथ अब तेजी से उस मशीन के बटनों पर दौड़ रहे थे। कुछ ही देर में वुल्फा को सीनोर द्वीप का वह हिस्सा दिखाई देने लगा, जहां पर दूसरी मशीन अभी कोई हलचल दिखा रही थी।
वह स्थान चौथे पिरमिड से कुछ दूर वाला ही भाग था। उसके आगे से पोसाईडन पर्वत का क्षेत्र शुरु हो जाता था, पर पोसाईडन पर्वत का वह भाग, सीनोर द्वीप की ओर से किसी अदृश्य दीवार से बंद था।
तभी उस स्थान पर वुल्फा को हवा में तैरती कुछ ऊर्जा दिखाई दी।
“यह तो ऊर्जा से बना कोई द्वार लग रहा है। क्या हो सकता है इस द्वार में?....लगता है मुझे उस स्थान पर चलकर देखना होगा।” यह सोच वुल्फा उस मशीन के आगे से हटा और उस वेधशाला से कुछ यंत्र ले पिरामिड के पीछे की ओर चल दिया।
कुछ ही देर में वुल्फा पिरामिड के पीछे की ओर था। अब वुल्फा को हवा में मौजूद वह ऊर्जा द्वार धुंधला सा दिखाई देने लगा था।
वह ऊर्जा द्वार जमीन से 5 फुट की ऊंचाई पर था और वह बहुत ही हल्का दिखाई दे रहा था।
अगर वुल्फा ने उस द्वार को मशीन पर नहीं देखा होता, तो उसे ढूंढ पाना लगभग असंभव था।
अब वुल्फा उस ऊर्जा द्वार के काफी पास पहुंच गया। तभी वुल्फा को उस ऊर्जा द्वार से, किसी के कराहने की आवाज सुनाई दी। यह आवाज सुन वुल्फा हैरान हो गया।
“क्या इस ऊर्जा द्वार में कोई जीव छिपा है?” यह सोच वुल्फा ने अपनी आँखें लगा कर उस ऊर्जा द्वार के अंदर झांका, पर उसे अंधेरे के सिवा कुछ नजर नहीं आया।
कुछ नजर ना आते देख वुल्फा ने अपना हाथ उस ऊर्जा द्वार के अंदर डाल दिया।
वुल्फा का हाथ किसी जीव से टकराया, जिसे वुल्फा ने अपने हाथों से पकड़कर बाहर की ओर खींच लिया।
‘धम्म’ की आवाज करता एक जीव का शरीर उस ऊर्जा द्वार से बाहर आ गिरा।
वुल्फा ने जैसे ही उस जीव पर नजर डाली, वह आश्चर्य से भर उठा- “गोंजालो !....यह गोंजालो यहां पर कैसे आ गया? और....और इसके शरीर पर तो बहुत से जख्म भी हैं। ऐसा कौन हो सकता है? जिसने गोंजालो को घायल कर दिया.... मुझे इसे तुरंत पिरामिड में ले चलना चाहिये और मालिक को सारी बात बता देनी चाहिये....हां यही ठीक रहेगा।” यह कहकर वुल्फा ने गोंजालो के शरीर को किसी बोरे की भांति अपने शरीर पर लादा और पिरामिड की ओर चल दिया।
पर अभी वुल्फा 10 कदम भी नहीं चल पाया होगा कि उसे ऊर्जा द्वार की ओर से एक और आवाज सुनाई दी।
वुल्फा अब पलटकर पीछे की ओर देखने लगा।
तभी उस ऊर्जा द्वार से एक विचित्र सा जीव निकला, जो कि 8 फुट लंबा था, उसकी 3 आँखें थीं और 4 हाथ थे। उसकी पीठ पर कछुए के समान एक कवच लगा हुआ था।
उसके पैर और हाथ के पंजे किसी स्पाइनासोरस की तरह बड़े थे ।उसकी बलिष्ठ भुजाओ को देखकर साफ पता चल रहा था, कि उसमें असीम ताकत होगी। उसके हाथों में कोई अजीब सी, गन के समान मशीन थी।
वुल्फा ने कभी भी ऐसा जीव नहीं देखा था, इसलिये वह सावधानी से वहीं घास में बैठकर उसे देखने लगा।
अब उस जीव की नजर भी वुल्फा पर पड़ गई। उस जीव ने वुल्फा को ध्यान से देखा।
उसके ऐसा करते ही उस जीव की तीसरी आँख से लाल रंग की किरणे निकलकर वुल्फा पर ऐसे पड़ीं, मानो वह जीव उसे स्कैन करने की कोशिश कर रहा हो।
वुल्फा साँस रोके, वहीं घास में बैठा रहा। वुल्फा को स्कैन करने के बाद उस जीव ने पास पड़े गोंजालो को भी स्कैन किया।
इसके बाद वह उन दोनों को वहीं छोड़ आसमान में उड़ चला।
“मुझे लगता है कि इसने मुझे भेड़िया और गोंजालो को बिल्ली समझ छोड़ दिया, अगर यह जान जाता कि हम भी इंसानों की तरह से ही काम करते हैं, तो शायद इससे मेरा युद्ध हो रहा होता....या फिर मैं मरा पड़ा होता....क्यों कि वह जीव मुझसे तो ज्यादा ही ताकतवर दिख रहा था।”
यह सोच वुल्फा फिर से उठकर खड़ा हो गया और गोंजालो को अपनी पीठ पर लाद पिरामिड की ओर बढ़ गया।
चैपटर-5
जलदर्पण: (तिलिस्मा 2.2)
ऑक्टोपस का तिलिस्म पार करने के बाद सभी एक दरवाजे के अंदर घुसे, पर जैसे ही सभी उस द्वार के अंदर आये, उन्हें सामने एक काँच की ट्यूब दिखाई दी।
“यह कैसा द्वार है? क्या हमें अब इस ट्यूब के अंदर जाना होगा?” क्रिस्टी ने आश्चर्य से ट्यूब को देखते हुए कहा।
“इस ट्यूब के अलावा यहां और कोई ऑप्शन भी नहीं है, इसलिये जाना तो इसी में पड़ेगा।” जेनिथ ने क्रिस्टी को देखते हुए कहा।
और कोई उपाय ना देख सभी उस काँच की ट्यूब में आगे बढ़ गये।
ट्यूब बिल्कुल गोलाकार थी और धीरे-धीरे उसका झुकाव इस प्रकार नीचे की ओर हो रहा था, मानो वह एक ट्यूब ना होकर किसी वाटर पार्क की राइड हो।
उस ट्यूब में पकड़ने के लिये कुछ नहीं था और फिसलन भी थी।
सबसे पीछे तौफीक चल रहा था। अचानक तौफीक का पैर फिसला और वह अपने आगे चल रहे ऐलेक्स से जा टकराया। जिसकी वजह से ऐलेक्स भी गिर गया।
तभी उस ट्यूब में पीछे की ओर पानी के बहने की आवाज आयी। इस आवाज को सुनकर सभी डर गये।
“कैप्टेन लगता है, पीछे से पानी आ रहा है और हमारे पास भागने के लिये भी कोई जगह नहीं है....जल्दी बताइये कि अब हम क्या करें।” ऐलेक्स ने सुयश से पूछा।
“ऐसी स्थिति में कुछ नहीं कर सकते, बस जितनी ज्यादा से ज्यादा देर तक साँस रोक सकते हो रोक लो।” सुयश ने सभी को सुझाव दिया।
सभी ने जोर की साँस खींच ली, तभी उनके पीछे से एक जोर का प्रवाह आया और वह सभी इस बहाव में ट्यूब के अंदर बह गये।
ट्यूब लगातार उन्हें लेकर बहता जा रहा था, पानी आँखों में भी तेजी से जा रहा था इसलिये किसी की आँखें खुली नहीं रह पायीं।
कुछ देर ऐसे ही बहते रहने के बाद आखिरकार पानी की तेज आवाज थम गई।
सभी ने डरकर अपनी आँखें खोलीं, पर आँखें खोलते ही सभी भौचक्के से रह गये, ऐसा लग रहा था कि वह सभी समुद्र के अंदर हैं, पर आश्चर्यजनक तरीके से सभी साँस ले रहे थे।
“कैप्टेन, यह कैसा पानी है, हम इसमें साँस भी ले पा रहे हैं और आपस में बिना किसी अवरोध के बात भी कर पा रहे हैं।” जेनिथ ने सुयश से कहा।
“यही तो कमाल है तिलिस्मा का... यह ऐसी तकनीक का प्रयोग कर रहा है, जिसे हम जरा सा भी नहीं जानते हैं।” सुयश ने भी आश्चर्यचकित होते हुए कहा।
“तिलिस्मा का नहीं ये मेरे कैस्पर का कमाल है।” शैफाली ने मुस्कुराते हुए कहा।
“अरे वाह, संकट में भी तुम अपने कैस्पर को नहीं भूली...अरे जरा ध्यान लगा कर अपने चारो ओर देखो, हम इस समय किसी बड़े से पिंजरे में बंद हैं। अब जरा कुछ देर के लिये कैस्पर को भूल जाओ।” जेनिथ ने मुस्कुराते हुए शैफाली को आसपास की स्थिति का अवलोकन कराया।
अब शैफाली की नजर अपने चारो ओर गई, इस समय वह लोग एक बड़ी सी चट्टान पर रखे एक विशाल पिंजरे में थे।
उस पिंजरे के दरवाजे पर एक 4 डिजिट का नम्बर वाला ताला लगा था। उस ताले के ऊपर लाल रंग की एल.ई.डी. से 3 लिखकर आ रहा था।
“कैप्टेन यह डिजिटल ताला तो समझ में आया, पर यहां 3 क्यों लिखा है?” क्रिस्टी ने सुयश से पूछा।
“मुझे लग रहा है कि शायद हम 3 बार ही इसके नम्बर को ट्राई कर सकते हैं।” शैफाली ने बीच में ही बोलते हुए कहा- “मतलब 3 बार में ही हमें इस ताले को खोलना होगा और अगर नहीं खोल पाये तो हम यहीं फंसे रह जायेंगे।”
“दोस्तों पहले हमें सभी चीजों को एक बार ध्यान से देखना होगा, तभी हम उन चीजों का सही से उपयोग कर पायेंगे।” सुयश ने सभी को नियम याद दिलाते हुए कहा।
“आप सही कह रहे हैं कैप्टेन।” तौफीक ने कहा- “तो सबसे पहले पिंजरे पर ही ध्यान देते हैं....पिंजरे के अंदर कुछ भी नहीं है और यह 6 तरफ से किसी वर्गाकार डिब्बे की तरह है...यह किसी धातु की सुनहरी
सलाखों से बना है...इन सलाखों के बीच में इतना गैप नहीं है कि कोई यहां से बाहर निकल सके...अब आते हैं बाहर की ओर....बाहर हमारे दाहिनी ओर, हमें कुछ दूरी पर एक जलपरी की मूर्ति दिख रही है।
“हमारे बांई ओर एक दरवाजा बना है, जो कि बंद है। शायद यही हमारे निकलने का द्वार हो , मगर दरवाजे पर एक ताला लगा है, जिस पर एक चाबी लगने की जगह भी दिखाई दे रही है। हमारे पीछे की ओर दूर-दूर तक पानी है...अब उसके आगे भी अगर कुछ हो तो कह नहीं सकते?” इतना कहकर तौफीक चुप हो गया।
“कैप्टेन कुछ चीजें मैं भी इसमें जोड़ना चाहता हूं।” ऐलेक्स ने कहा- “हमारे सामने की ओर कुछ दूरी पर मौजूद एक पत्थर पर एक छोटा सा बॉक्स रखा है, पता नहीं उसमें क्या है? और मैंने अभी-अभी पानी में
अल्ट्रासोनिक तरंगे महसूस कीं.... जो शायद किसी डॉल्फिन के यहां होने का इशारा कर रही है। और इस सामने वाले दरवाजे की चाबी, उस जलपरी वाली मूर्ति की मुठ्ठी में बंद है, उसका थोड़ा सा सिरा बाहर निकला है, जो कि मुझे यहां से दिख रहा है।”
“अरे वाह, ऐलेक्स ने तो कई गुत्थियों को सुलझा दिया।” क्रिस्टी ने खुश होते हुए कहा- “इसका मतलब हमें इस द्वार को पार करने के लिये पहले इस पिंजरे से निकलना होगा और पिंजरे से निकलने के लिये पहले हमें 4 अंकों का कोड चाहिये होगा।....पर वह कोड हो कहां सकता है?” क्रिस्टी यह कहकर चारो ओर देखने लगी, पर उसे कोड जैसा कुछ भी दिखाई नहीं दिया।
“मुझे लगता है कि हमारे सामने की ओर पत्थर पर जो बॉक्स रखा है, अवश्य ही हमारे पिंजरे का कोड उसी में होगा?” शैफाली ने बॉक्स की ओर इशारा करते हुए कहा- “पर बिना पिंजरे से निकले तो हम उस बॉक्स तक पहुंच भी नहीं सकते.... फिर...फिर उस बॉक्स को कैसे खोला जा सकता है?”
“कुछ ना कुछ तो हमारे आस-पास जरुर है जो कि हम देख नहीं पा रहे हैं?” सुयश मन ही मन बुदबुदाया।
तभी जेनिथ को पिंजरे में एक जगह पर पतली डोरी लटकती दिखाई दी, जेनिथ ने सिर ऊपर उठाकर उस डोरी का स्रोत जानने के कोशिश की।
पर सिर ऊपर उठाते ही वह मुस्कुरा दी क्यों कि ऊपर पिंजरे की सलाखों से चिपका उसे ‘फिशिंग रॉड’ दिखाई दे गया।
जेनिथ ने सुयश को इशारा करके वह फिशिंग रॉड दिखाई।
चूंकि वह फिशिंग रॉड पिंजरे की छत पर थी और पिंजरे के छत की ऊंचाई 10 फुट के पास थी, इसलिये सुयश ने शैफाली को अपने कंधों पर उठा लिया।
शैफाली ने उस फिशिंग रॉड को पिंजरे के ऊपर से खोल लिया।
फिशिंग रॉड के आगे वाले भाग में एक हुक बंधा था और डोरी के लिये एक चकरी लगी थी।
“हहममममम् फिशिंग रॉड तो हमें मिल गयी, पर इसमें मौजूद डोरी तो मात्र 10 मीटर ही है। जबकि वह बॉक्स हमसे कम से कम 20 मीटर की दूरी पर है। यानि कि हम अब भी इस फिशिंग रॉड के द्वारा उस बॉक्स तक नहीं पहुंच सकते। हमें कोई और ही तरीका ढूंढना पड़ेगा।” सुयश ने लंबी साँस भरते हुए कहा।
तभी शैफाली की नजर अपने दाहिनी ओर जमीन पर लगी हरे रंग की घास की ओर गई। उस घास को देखकर शैफाली को एक झटका लगा, अब वह तेजी से अपने चारो ओर देखने लगी।
उसे ऐसा करते देख सुयश ने हैरानी से कहा- “क्या हुआ शैफाली? तुम क्या ढूंढने की कोशिश कर रही हो?”
“यह जो घास सामने मौजूद है, इसे ‘टर्टल ग्रास’ कहते हैं, यह घास वयस्क समुद्री कछुए खाते हैं। अब उस घास के बीच में कटी हुई घास का एक छोटा सा गठ्ठर रखा है, जो कि ध्यान से देखने पर ही दिख रहा है। अब बात ये है कि ये जगह प्राकृतिक नहीं है, बल्कि कैश्वर द्वारा बनायी गयी है, अब कैश्वर ऐसे किसी चीज का तो निर्माण नहीं करेगा, जिसका कोई मतलब ना हो। यानि कि हमारे आस-पास जरुर कोई कछुआ भी है। मैं उसी कछुए को ढूंढ रही थी।”
शैफाली की बात सुन ऐलेक्स ने अपनी आँखें बंद करके अपनी नाक पर जोर देना शुरु कर दिया।
शायद वह कछुए की गंध सूंघने की कोशिश कर रहा था। कुछ ही देर में ऐलेक्स ने अपनी आँखें खोल दीं, मगर अब उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी।
“शैफाली सही कह रही है कैप्टेन... हमारे पास एक कछुआ है।” ऐलेक्स के चेहरे पर अभी भी मुस्कान बिखरी थी। ऐलेक्स की बात सुन सभी उसकी ओर देखने लगे।
“कैप्टेन, हमारा पिंजरा जिस पत्थर पर रखा है, वह पत्थर नहीं बल्कि एक विशाल कछुआ ही है। मैंने उसकी गंध पहचान ली है।” ऐलेक्स ने सस्पेंस खोलते हुए कहा।
अब सबका ध्यान उस विशाल कछुए की ओर गया।
“अगर यह कछुआ है तो अब हम उस बॉक्स तक पहुंच सकते हैं।” शैफाली ने कहा और सुयश के हाथ में पकड़ा फिशिंग रॉड तौफीक को देते हुए कहा- “तौफीक अंकल, जरा अपने निशाने का कमाल दिखाकर इस फिशिंग रॉड से उस घास के गठ्ठर को उठाइये।”
घास का वह गठ्ठर पिंजरे से मात्र 8 मीटर की ही दूरी पर था और इतनी कम दूरी से घास को उठाना तौफीक के बाएं हाथ का खेल था।
बामुश्किल 5 मिनट में ही वह घास का गठ्ठर तौफीक के हाथों में था। तौफीक ने वह घास का गठ्ठर शैफाली को पकड़ा दिया।
शैफाली ने उस घास के गठ्ठर को अच्छी तरह से फिशिंग रॉड के आगे वाले हुक में बांध दिया और अपना एक हाथ बाहर निकालकर, उस घास के गठ्ठर को कछुए के मुंह के सामने लहराया। घास का गठ्ठर देख कछुए ने अपना सिर गर्दन से बाहर निकाल लिया।
अब वह आगे बढ़कर घास को खाने की कोशिश करने लगा, पर जैसे ही वह कछुआ आगे बढ़ता उसके आगे लटक रहा घास का गठ्ठर स्वतः ही और आगे बढ़ जाता।
और इस प्रकार से शैफाली उस कछुए को लेकर पत्थर के पास वाले बॉक्स तक पहुंच गई। अब शैफाली ने फिशिंग रॉड को वापस पिंजरे में खींच लिया।
फिशिंग रॉड के खींचते ही कछुआ फिर से पत्थर बनकर वहीं बैठ गया।
शैफाली ने फिशिंग रॉड के हुक से घास का गठ्ठर हटाकर फिशिंग रॉड एक बार फिर तौफीक के हाथों में दे दी।
“तौफीक अंकल अब आपको इस फिशिंग रॉड से उस बॉक्स को उठाना है, ध्यान से देख लीजिये उस बॉक्स के ऊपर एक छोटा सा रिंग जुड़ा हुआ है, आपको फिशिंग रॉड का हुक उस रिंग में ही फंसाना है।”
शैफाली ने तौफीक से कहा।
तौफीक ने धीरे से सिर हिलाया और एक बार फिर नयी कोशिश में जुट गया।
यह कार्य पहले वाले कार्य से थोड़ा मुश्किल था, पर तौफीक ने इस कार्य को भी आसान बना दिया।
बॉक्स का आकार, पिंजरे में लगे सरियों के गैप से ज्यादा था, इसलिये वह बॉक्स अंदर नहीं आ सकता था।
अतः शैफाली ने उसे पिंजरे के बाहर ही खोल लिया।
उस बॉक्स में एक छोटा सा रोल किया हुआ सुनहरी धातु का एक पतला कागज सा था, जिस पर ताले का कोड नहीं बल्कि एक कविता की पंक्तियां लिखीं थीं, जो कि इस प्रकार थी-
“जीव, अंक सब तुमको अर्पण,
जब देखोगे जल में दर्पण।”
जारी रहेगा______![]()
Wonderful update brother, Taufiq ke paas koi powers na hokar bhi wah apni skills se sabhi ko kaphi help kar pa raha hai, toh kya Taufiq ne jo gunah kiya hai France Government ke sath uske liye isko maafi mil jaani chahiye.#156.
ऊर्जा द्वार:
आज से 3 दिन पहले...........(13.01.02, रविवार, 14:00, दूसरा पिरामिड, सीनोर राज्य, अराका द्वीप)
अराका द्वीप के सीनोर राज्य में मकोटा ने 4 पिरामिड का निर्माण कराया था।
इन चारो पिरामिड में क्या होता था, यह मकोटा के अलावा राज्य का कोई व्यक्ति नहीं जानता था।
पहले पिरामिड में अंधेरे का देवता जैगन बेहोश पड़ा था, जिसे उठा कर मकोटा पूर्ण अराका द्वीप पर राज्य करना चाहता था।
दूसरे पिरामिड में मकोटा की वेधशाला थी, जहां से वुल्फा अंतरिक्ष पर नजर रखता था। यहां से वुल्फा हरे कीड़ों के द्वारा कुछ नये प्रयोग भी करता था।
तीसरे और चौथे पिरामिड में मकोटा के सिवा कोई नहीं जाता था। वहां क्या था? यह किसी को नहीं पता था।
वुल्फा- आधा भेड़िया और आधा मानव। वुल्फा, मकोटा का सबसे विश्वासपात्र और एकमात्र सेवक था।
वुल्फा के अलावा मकोटा ने अपने महल में सिर्फ भेड़ियों को रखा था, उसे किसी भी अटलांटियन पर विश्वास नहीं था।
वुल्फा हर रोज की भांति आज भी दूसरे पिरामिड में मशीनों के सामने बैठकर, अंतरिक्ष का अध्ययन कर रहा था।
उसके सामने की स्क्रीन पर कुछ आड़ी-तिरछी लाइनें बन कर आ रही थीं। वुल्फा के सामने की ओर कुछ विचित्र सी मशीनों पर हरे कीड़े काम कर रहे थे।
उस वेधशाला में 2 हरे कीड़े मानव के आकार के भी थे।
वुल्फा की निगाहें स्क्रीन पर ही जमीं थीं। तभी वुल्फा को अपने सामने लगी मशीन पर एक अजीब सी हरकत होती दिखाई दी, जिसे देख वुल्फा आश्चर्य में पड़ गया।
“यह क्या? यह तो कोई अंजान सी ऊर्जा है, जो कि हमारे सीनोर द्वीप से ही निकल रही है।” वुल्फा ने ध्यान से देखते हुए कहा- “क्या हो सकता है यह?”
अब वुल्फा तेजी से एक स्क्रीन के पास पहुंच गया। इस स्क्रीन पर सीनोर द्वीप के बहुत से हिस्से दिखाई दे रहे थे।
वुल्फा के हाथ अब तेजी से उस मशीन के बटनों पर दौड़ रहे थे। कुछ ही देर में वुल्फा को सीनोर द्वीप का वह हिस्सा दिखाई देने लगा, जहां पर दूसरी मशीन अभी कोई हलचल दिखा रही थी।
वह स्थान चौथे पिरमिड से कुछ दूर वाला ही भाग था। उसके आगे से पोसाईडन पर्वत का क्षेत्र शुरु हो जाता था, पर पोसाईडन पर्वत का वह भाग, सीनोर द्वीप की ओर से किसी अदृश्य दीवार से बंद था।
तभी उस स्थान पर वुल्फा को हवा में तैरती कुछ ऊर्जा दिखाई दी।
“यह तो ऊर्जा से बना कोई द्वार लग रहा है। क्या हो सकता है इस द्वार में?....लगता है मुझे उस स्थान पर चलकर देखना होगा।” यह सोच वुल्फा उस मशीन के आगे से हटा और उस वेधशाला से कुछ यंत्र ले पिरामिड के पीछे की ओर चल दिया।
कुछ ही देर में वुल्फा पिरामिड के पीछे की ओर था। अब वुल्फा को हवा में मौजूद वह ऊर्जा द्वार धुंधला सा दिखाई देने लगा था।
वह ऊर्जा द्वार जमीन से 5 फुट की ऊंचाई पर था और वह बहुत ही हल्का दिखाई दे रहा था।
अगर वुल्फा ने उस द्वार को मशीन पर नहीं देखा होता, तो उसे ढूंढ पाना लगभग असंभव था।
अब वुल्फा उस ऊर्जा द्वार के काफी पास पहुंच गया। तभी वुल्फा को उस ऊर्जा द्वार से, किसी के कराहने की आवाज सुनाई दी। यह आवाज सुन वुल्फा हैरान हो गया।
“क्या इस ऊर्जा द्वार में कोई जीव छिपा है?” यह सोच वुल्फा ने अपनी आँखें लगा कर उस ऊर्जा द्वार के अंदर झांका, पर उसे अंधेरे के सिवा कुछ नजर नहीं आया।
कुछ नजर ना आते देख वुल्फा ने अपना हाथ उस ऊर्जा द्वार के अंदर डाल दिया।
वुल्फा का हाथ किसी जीव से टकराया, जिसे वुल्फा ने अपने हाथों से पकड़कर बाहर की ओर खींच लिया।
‘धम्म’ की आवाज करता एक जीव का शरीर उस ऊर्जा द्वार से बाहर आ गिरा।
वुल्फा ने जैसे ही उस जीव पर नजर डाली, वह आश्चर्य से भर उठा- “गोंजालो !....यह गोंजालो यहां पर कैसे आ गया? और....और इसके शरीर पर तो बहुत से जख्म भी हैं। ऐसा कौन हो सकता है? जिसने गोंजालो को घायल कर दिया.... मुझे इसे तुरंत पिरामिड में ले चलना चाहिये और मालिक को सारी बात बता देनी चाहिये....हां यही ठीक रहेगा।” यह कहकर वुल्फा ने गोंजालो के शरीर को किसी बोरे की भांति अपने शरीर पर लादा और पिरामिड की ओर चल दिया।
पर अभी वुल्फा 10 कदम भी नहीं चल पाया होगा कि उसे ऊर्जा द्वार की ओर से एक और आवाज सुनाई दी।
वुल्फा अब पलटकर पीछे की ओर देखने लगा।
तभी उस ऊर्जा द्वार से एक विचित्र सा जीव निकला, जो कि 8 फुट लंबा था, उसकी 3 आँखें थीं और 4 हाथ थे। उसकी पीठ पर कछुए के समान एक कवच लगा हुआ था।
उसके पैर और हाथ के पंजे किसी स्पाइनासोरस की तरह बड़े थे ।उसकी बलिष्ठ भुजाओ को देखकर साफ पता चल रहा था, कि उसमें असीम ताकत होगी। उसके हाथों में कोई अजीब सी, गन के समान मशीन थी।
वुल्फा ने कभी भी ऐसा जीव नहीं देखा था, इसलिये वह सावधानी से वहीं घास में बैठकर उसे देखने लगा।
अब उस जीव की नजर भी वुल्फा पर पड़ गई। उस जीव ने वुल्फा को ध्यान से देखा।
उसके ऐसा करते ही उस जीव की तीसरी आँख से लाल रंग की किरणे निकलकर वुल्फा पर ऐसे पड़ीं, मानो वह जीव उसे स्कैन करने की कोशिश कर रहा हो।
वुल्फा साँस रोके, वहीं घास में बैठा रहा। वुल्फा को स्कैन करने के बाद उस जीव ने पास पड़े गोंजालो को भी स्कैन किया।
इसके बाद वह उन दोनों को वहीं छोड़ आसमान में उड़ चला।
“मुझे लगता है कि इसने मुझे भेड़िया और गोंजालो को बिल्ली समझ छोड़ दिया, अगर यह जान जाता कि हम भी इंसानों की तरह से ही काम करते हैं, तो शायद इससे मेरा युद्ध हो रहा होता....या फिर मैं मरा पड़ा होता....क्यों कि वह जीव मुझसे तो ज्यादा ही ताकतवर दिख रहा था।”
यह सोच वुल्फा फिर से उठकर खड़ा हो गया और गोंजालो को अपनी पीठ पर लाद पिरामिड की ओर बढ़ गया।
चैपटर-5
जलदर्पण: (तिलिस्मा 2.2)
ऑक्टोपस का तिलिस्म पार करने के बाद सभी एक दरवाजे के अंदर घुसे, पर जैसे ही सभी उस द्वार के अंदर आये, उन्हें सामने एक काँच की ट्यूब दिखाई दी।
“यह कैसा द्वार है? क्या हमें अब इस ट्यूब के अंदर जाना होगा?” क्रिस्टी ने आश्चर्य से ट्यूब को देखते हुए कहा।
“इस ट्यूब के अलावा यहां और कोई ऑप्शन भी नहीं है, इसलिये जाना तो इसी में पड़ेगा।” जेनिथ ने क्रिस्टी को देखते हुए कहा।
और कोई उपाय ना देख सभी उस काँच की ट्यूब में आगे बढ़ गये।
ट्यूब बिल्कुल गोलाकार थी और धीरे-धीरे उसका झुकाव इस प्रकार नीचे की ओर हो रहा था, मानो वह एक ट्यूब ना होकर किसी वाटर पार्क की राइड हो।
उस ट्यूब में पकड़ने के लिये कुछ नहीं था और फिसलन भी थी।
सबसे पीछे तौफीक चल रहा था। अचानक तौफीक का पैर फिसला और वह अपने आगे चल रहे ऐलेक्स से जा टकराया। जिसकी वजह से ऐलेक्स भी गिर गया।
तभी उस ट्यूब में पीछे की ओर पानी के बहने की आवाज आयी। इस आवाज को सुनकर सभी डर गये।
“कैप्टेन लगता है, पीछे से पानी आ रहा है और हमारे पास भागने के लिये भी कोई जगह नहीं है....जल्दी बताइये कि अब हम क्या करें।” ऐलेक्स ने सुयश से पूछा।
“ऐसी स्थिति में कुछ नहीं कर सकते, बस जितनी ज्यादा से ज्यादा देर तक साँस रोक सकते हो रोक लो।” सुयश ने सभी को सुझाव दिया।
सभी ने जोर की साँस खींच ली, तभी उनके पीछे से एक जोर का प्रवाह आया और वह सभी इस बहाव में ट्यूब के अंदर बह गये।
ट्यूब लगातार उन्हें लेकर बहता जा रहा था, पानी आँखों में भी तेजी से जा रहा था इसलिये किसी की आँखें खुली नहीं रह पायीं।
कुछ देर ऐसे ही बहते रहने के बाद आखिरकार पानी की तेज आवाज थम गई।
सभी ने डरकर अपनी आँखें खोलीं, पर आँखें खोलते ही सभी भौचक्के से रह गये, ऐसा लग रहा था कि वह सभी समुद्र के अंदर हैं, पर आश्चर्यजनक तरीके से सभी साँस ले रहे थे।
“कैप्टेन, यह कैसा पानी है, हम इसमें साँस भी ले पा रहे हैं और आपस में बिना किसी अवरोध के बात भी कर पा रहे हैं।” जेनिथ ने सुयश से कहा।
“यही तो कमाल है तिलिस्मा का... यह ऐसी तकनीक का प्रयोग कर रहा है, जिसे हम जरा सा भी नहीं जानते हैं।” सुयश ने भी आश्चर्यचकित होते हुए कहा।
“तिलिस्मा का नहीं ये मेरे कैस्पर का कमाल है।” शैफाली ने मुस्कुराते हुए कहा।
“अरे वाह, संकट में भी तुम अपने कैस्पर को नहीं भूली...अरे जरा ध्यान लगा कर अपने चारो ओर देखो, हम इस समय किसी बड़े से पिंजरे में बंद हैं। अब जरा कुछ देर के लिये कैस्पर को भूल जाओ।” जेनिथ ने मुस्कुराते हुए शैफाली को आसपास की स्थिति का अवलोकन कराया।
अब शैफाली की नजर अपने चारो ओर गई, इस समय वह लोग एक बड़ी सी चट्टान पर रखे एक विशाल पिंजरे में थे।
उस पिंजरे के दरवाजे पर एक 4 डिजिट का नम्बर वाला ताला लगा था। उस ताले के ऊपर लाल रंग की एल.ई.डी. से 3 लिखकर आ रहा था।
“कैप्टेन यह डिजिटल ताला तो समझ में आया, पर यहां 3 क्यों लिखा है?” क्रिस्टी ने सुयश से पूछा।
“मुझे लग रहा है कि शायद हम 3 बार ही इसके नम्बर को ट्राई कर सकते हैं।” शैफाली ने बीच में ही बोलते हुए कहा- “मतलब 3 बार में ही हमें इस ताले को खोलना होगा और अगर नहीं खोल पाये तो हम यहीं फंसे रह जायेंगे।”
“दोस्तों पहले हमें सभी चीजों को एक बार ध्यान से देखना होगा, तभी हम उन चीजों का सही से उपयोग कर पायेंगे।” सुयश ने सभी को नियम याद दिलाते हुए कहा।
“आप सही कह रहे हैं कैप्टेन।” तौफीक ने कहा- “तो सबसे पहले पिंजरे पर ही ध्यान देते हैं....पिंजरे के अंदर कुछ भी नहीं है और यह 6 तरफ से किसी वर्गाकार डिब्बे की तरह है...यह किसी धातु की सुनहरी
सलाखों से बना है...इन सलाखों के बीच में इतना गैप नहीं है कि कोई यहां से बाहर निकल सके...अब आते हैं बाहर की ओर....बाहर हमारे दाहिनी ओर, हमें कुछ दूरी पर एक जलपरी की मूर्ति दिख रही है।
“हमारे बांई ओर एक दरवाजा बना है, जो कि बंद है। शायद यही हमारे निकलने का द्वार हो , मगर दरवाजे पर एक ताला लगा है, जिस पर एक चाबी लगने की जगह भी दिखाई दे रही है। हमारे पीछे की ओर दूर-दूर तक पानी है...अब उसके आगे भी अगर कुछ हो तो कह नहीं सकते?” इतना कहकर तौफीक चुप हो गया।
“कैप्टेन कुछ चीजें मैं भी इसमें जोड़ना चाहता हूं।” ऐलेक्स ने कहा- “हमारे सामने की ओर कुछ दूरी पर मौजूद एक पत्थर पर एक छोटा सा बॉक्स रखा है, पता नहीं उसमें क्या है? और मैंने अभी-अभी पानी में
अल्ट्रासोनिक तरंगे महसूस कीं.... जो शायद किसी डॉल्फिन के यहां होने का इशारा कर रही है। और इस सामने वाले दरवाजे की चाबी, उस जलपरी वाली मूर्ति की मुठ्ठी में बंद है, उसका थोड़ा सा सिरा बाहर निकला है, जो कि मुझे यहां से दिख रहा है।”
“अरे वाह, ऐलेक्स ने तो कई गुत्थियों को सुलझा दिया।” क्रिस्टी ने खुश होते हुए कहा- “इसका मतलब हमें इस द्वार को पार करने के लिये पहले इस पिंजरे से निकलना होगा और पिंजरे से निकलने के लिये पहले हमें 4 अंकों का कोड चाहिये होगा।....पर वह कोड हो कहां सकता है?” क्रिस्टी यह कहकर चारो ओर देखने लगी, पर उसे कोड जैसा कुछ भी दिखाई नहीं दिया।
“मुझे लगता है कि हमारे सामने की ओर पत्थर पर जो बॉक्स रखा है, अवश्य ही हमारे पिंजरे का कोड उसी में होगा?” शैफाली ने बॉक्स की ओर इशारा करते हुए कहा- “पर बिना पिंजरे से निकले तो हम उस बॉक्स तक पहुंच भी नहीं सकते.... फिर...फिर उस बॉक्स को कैसे खोला जा सकता है?”
“कुछ ना कुछ तो हमारे आस-पास जरुर है जो कि हम देख नहीं पा रहे हैं?” सुयश मन ही मन बुदबुदाया।
तभी जेनिथ को पिंजरे में एक जगह पर पतली डोरी लटकती दिखाई दी, जेनिथ ने सिर ऊपर उठाकर उस डोरी का स्रोत जानने के कोशिश की।
पर सिर ऊपर उठाते ही वह मुस्कुरा दी क्यों कि ऊपर पिंजरे की सलाखों से चिपका उसे ‘फिशिंग रॉड’ दिखाई दे गया।
जेनिथ ने सुयश को इशारा करके वह फिशिंग रॉड दिखाई।
चूंकि वह फिशिंग रॉड पिंजरे की छत पर थी और पिंजरे के छत की ऊंचाई 10 फुट के पास थी, इसलिये सुयश ने शैफाली को अपने कंधों पर उठा लिया।
शैफाली ने उस फिशिंग रॉड को पिंजरे के ऊपर से खोल लिया।
फिशिंग रॉड के आगे वाले भाग में एक हुक बंधा था और डोरी के लिये एक चकरी लगी थी।
“हहममममम् फिशिंग रॉड तो हमें मिल गयी, पर इसमें मौजूद डोरी तो मात्र 10 मीटर ही है। जबकि वह बॉक्स हमसे कम से कम 20 मीटर की दूरी पर है। यानि कि हम अब भी इस फिशिंग रॉड के द्वारा उस बॉक्स तक नहीं पहुंच सकते। हमें कोई और ही तरीका ढूंढना पड़ेगा।” सुयश ने लंबी साँस भरते हुए कहा।
तभी शैफाली की नजर अपने दाहिनी ओर जमीन पर लगी हरे रंग की घास की ओर गई। उस घास को देखकर शैफाली को एक झटका लगा, अब वह तेजी से अपने चारो ओर देखने लगी।
उसे ऐसा करते देख सुयश ने हैरानी से कहा- “क्या हुआ शैफाली? तुम क्या ढूंढने की कोशिश कर रही हो?”
“यह जो घास सामने मौजूद है, इसे ‘टर्टल ग्रास’ कहते हैं, यह घास वयस्क समुद्री कछुए खाते हैं। अब उस घास के बीच में कटी हुई घास का एक छोटा सा गठ्ठर रखा है, जो कि ध्यान से देखने पर ही दिख रहा है। अब बात ये है कि ये जगह प्राकृतिक नहीं है, बल्कि कैश्वर द्वारा बनायी गयी है, अब कैश्वर ऐसे किसी चीज का तो निर्माण नहीं करेगा, जिसका कोई मतलब ना हो। यानि कि हमारे आस-पास जरुर कोई कछुआ भी है। मैं उसी कछुए को ढूंढ रही थी।”
शैफाली की बात सुन ऐलेक्स ने अपनी आँखें बंद करके अपनी नाक पर जोर देना शुरु कर दिया।
शायद वह कछुए की गंध सूंघने की कोशिश कर रहा था। कुछ ही देर में ऐलेक्स ने अपनी आँखें खोल दीं, मगर अब उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी।
“शैफाली सही कह रही है कैप्टेन... हमारे पास एक कछुआ है।” ऐलेक्स के चेहरे पर अभी भी मुस्कान बिखरी थी। ऐलेक्स की बात सुन सभी उसकी ओर देखने लगे।
“कैप्टेन, हमारा पिंजरा जिस पत्थर पर रखा है, वह पत्थर नहीं बल्कि एक विशाल कछुआ ही है। मैंने उसकी गंध पहचान ली है।” ऐलेक्स ने सस्पेंस खोलते हुए कहा।
अब सबका ध्यान उस विशाल कछुए की ओर गया।
“अगर यह कछुआ है तो अब हम उस बॉक्स तक पहुंच सकते हैं।” शैफाली ने कहा और सुयश के हाथ में पकड़ा फिशिंग रॉड तौफीक को देते हुए कहा- “तौफीक अंकल, जरा अपने निशाने का कमाल दिखाकर इस फिशिंग रॉड से उस घास के गठ्ठर को उठाइये।”
घास का वह गठ्ठर पिंजरे से मात्र 8 मीटर की ही दूरी पर था और इतनी कम दूरी से घास को उठाना तौफीक के बाएं हाथ का खेल था।
बामुश्किल 5 मिनट में ही वह घास का गठ्ठर तौफीक के हाथों में था। तौफीक ने वह घास का गठ्ठर शैफाली को पकड़ा दिया।
शैफाली ने उस घास के गठ्ठर को अच्छी तरह से फिशिंग रॉड के आगे वाले हुक में बांध दिया और अपना एक हाथ बाहर निकालकर, उस घास के गठ्ठर को कछुए के मुंह के सामने लहराया। घास का गठ्ठर देख कछुए ने अपना सिर गर्दन से बाहर निकाल लिया।
अब वह आगे बढ़कर घास को खाने की कोशिश करने लगा, पर जैसे ही वह कछुआ आगे बढ़ता उसके आगे लटक रहा घास का गठ्ठर स्वतः ही और आगे बढ़ जाता।
और इस प्रकार से शैफाली उस कछुए को लेकर पत्थर के पास वाले बॉक्स तक पहुंच गई। अब शैफाली ने फिशिंग रॉड को वापस पिंजरे में खींच लिया।
फिशिंग रॉड के खींचते ही कछुआ फिर से पत्थर बनकर वहीं बैठ गया।
शैफाली ने फिशिंग रॉड के हुक से घास का गठ्ठर हटाकर फिशिंग रॉड एक बार फिर तौफीक के हाथों में दे दी।
“तौफीक अंकल अब आपको इस फिशिंग रॉड से उस बॉक्स को उठाना है, ध्यान से देख लीजिये उस बॉक्स के ऊपर एक छोटा सा रिंग जुड़ा हुआ है, आपको फिशिंग रॉड का हुक उस रिंग में ही फंसाना है।”
शैफाली ने तौफीक से कहा।
तौफीक ने धीरे से सिर हिलाया और एक बार फिर नयी कोशिश में जुट गया।
यह कार्य पहले वाले कार्य से थोड़ा मुश्किल था, पर तौफीक ने इस कार्य को भी आसान बना दिया।
बॉक्स का आकार, पिंजरे में लगे सरियों के गैप से ज्यादा था, इसलिये वह बॉक्स अंदर नहीं आ सकता था।
अतः शैफाली ने उसे पिंजरे के बाहर ही खोल लिया।
उस बॉक्स में एक छोटा सा रोल किया हुआ सुनहरी धातु का एक पतला कागज सा था, जिस पर ताले का कोड नहीं बल्कि एक कविता की पंक्तियां लिखीं थीं, जो कि इस प्रकार थी-
“जीव, अंक सब तुमको अर्पण,
जब देखोगे जल में दर्पण।”
जारी रहेगा______![]()
Bahar hi to nahi pahuche dono, dono ko wo log pakad liya bhaiWonderful update brother, itna toh pata hai ki Mayur aur Dhara marne wale nahi hain khair ab dono pani se bahar ja rahe hain matlab ab unke paas aur bhi powers hogi jisse wo dono A1 aur A7 ka mukabla kar sakte hain.
 