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Horror प्रायश्चित (Completed)

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भाग~24
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पूरी रात राजन तड़पता रहा और कमला ने भोली और रानी उन दोनों की शरीर को माध्यम बनाकर उसे तड़पाती रही उसके मांस को नोचती रही और उसका खून पीती नहीं। प्यार के नाम पर किसी के संग बलात्कार करने की कितनी कठोर सजा हो सकती है, अब राजन को इस बात का एहसास हो गया था।

सुबह होने पर भोली और रानी दोनों नॉर्मल थी। लेकिन उनके बीच में राजन की स्थिति बहुत खराब थी। इस समय भी वो दर्द से कराह रहा था।

भोली ने राजन से पूछा क्या हुआ क्या रात में कमला आई थी?

राजन ने कहा हां आई थी। कमला ने तुम दोनों के जिस्म में प्रवेश कर बारी-बारी से मुझको घोर यातनाएं दी । मेरा मांस नोचा और मेरा लहू भी पिया..! मैं दर्द से चींखना चाहता था, मगर मेरी जुबान बंद हो जाती थी। वह बहुत ताकतवर है। और मुझे मेरे किए की बहुत बड़ी सजा दे रही है।

मगर हम दोनों तो तुम्हारे आजूबाजू ही सोए थे। हम दोनों को पता नही लगा।

तुम दोनों को पता कैसे लगता ? तुम दोनों को अपना माध्यम बना कर ही तो वह मुझ को नोच रही थी।

"मॉय गॉड..! यह तो वाकई बहुत ही खतरनाक स्थिति है। क्योंकि हम दोनों ही सारी रात तेरे को सताते रहे, पर हमें इसकी खबर ही नहीं। अब तू ऐसा कर फटाफट तैयार हो जा, क्योंकि 6:00 बजे बाबा रूद्र के यहां हमें पहुंचना है। और इस समय 5:00 बजने वाले हैं। वहां जाने में भी आधा घंटा टाइम लगेगा।"

रानी ने कहा-" हां और मुझे भी बिल्कुल नहीं पता लगा रात में कि मैंने अपने राजन के साथ कुछ गलत किया हो..! यह रियली बहुत ही खतरनाक स्थिति है। इसलिए तू जल्दी तैयार हो जा और मैं भी तब तक फ्रेश हो लेती हूं ।"

और फिर थोड़ी देर में ही तीनों तैयार होकर बाबा रूद्र के यहां पहुंच गए और उनका चरण स्पर्श किया।

बाबा रूद्र अपने आसन पर बैठ गए उनके अगल-बगल रानी और भोली बैठी और सामने राजन। उन्होंने हवन शुरू किया और मन ही मन मंत्रों का जाप करते रहे। थोड़ी देर बाद ही कमरे में एक औरत की आकृति उभरी। बाबा रूद्र ने उसे प्रणाम किया और उससे पूछा-"तू कौन है और क्या चाहती है..?"

"मैं कमला की आत्मा हूं और मुझे इस इंसान से बदला लेना है क्योंकि इसने मुझे धोखा दिया है। और धोखे से मेरी जान ली है। यह प्यार के नाम पर कलंक है, क्योंकि इसने प्यार को कलंकित किया है। मेरे विश्वास को तोड़ा है और मेरे साथ बलात्कार करने की कोशिश की है। और जब मैंने इसका विरोध किया, तो इसने मेरी जान ले ली। ये अन्याय है गुरु जी। और आपको इस अन्यायी का साथ नहीं देना चाहिए। क्योंकि मैं इसे को तड़पा तड़पा कर मारना चाहती हूं।"

"कमला, हम सिर्फ इस अन्यायी का साथ नहीं दे रहे हैं, बल्कि तुम्हारे भले का भी हम सोच रहे हैं। तू जितना इसको सजा देगी, तेरी मुक्ति होने में उतना ही समय ज्यादा लगेगा, क्योंकि कर्मों की सजा देने का अधिकार यमराज को है। राजन को सजा देकर यमराज के कार्य में व्यवधान उत्पन्न कर रही है तू। और इससे तेरा नुकसान हो रहा है। तेरी सजा राजन को तड़पा तो सकती है, उसे दर्द तो दे सकती है, लेकिन तू राजन से ज्यादा खुद का नुकसान कर रही है। क्योंकि जब तू राजन को सजा दे देगी तो यमराज का तुझ पर कोप होगा और इसकी सजा तुझे मिलेगी। इसलिए तू राजन को छोड़ दे और अपनी मुक्ति का उपाय कर..!"

" गुरुजी, मैं जब रात में राजन को देखती हूं तो मैं बेकाबू हो जाती हूं और मैं खुद को रोक नहीं पाती। जब यह मेरे प्रहार से तड़पता है तो मुझे बहुत सुकून मिलता है।"

"और तेरा यह सुकून ही तेरी मुक्ति में बाधक है। ईश्वर भी उन पर दया करता है जो उनकी शरण में होते हैं, चाहे वो जितने बड़े पापी हो। इसलिए जो हो गया सो हो गया, लेकिन जो होना है उसके बारे में सोच। और यह सोच ऐसी होनी चाहिए जिसमें तेरा भी कल्याण हो और इस पापी राजन का भी कल्याण हो।'

"पापी का कल्याण..? यह किस तरह की बात कर रहे हैं आप गुरुजी..?"

"बेटी, इस दुनिया में सारी समस्याएं बुरे लोगों से हैं। अच्छे लोगों से कोई समस्या नहीं है। और हमारा कानून अच्छे लोगों का तो साथ देता है और बुरे लोगों के साथ ऐसा सुलूक करता है कि वो और भी बुराई की ओर अग्रसर हो जाते हैं और उनके पाप बढ़ते जाते हैं, जबकि कानून ऐसा होना चाहिए कि बुरे लोग अपनी बुराई को छोड़ दें। और कोई अपनी बुराई तभी छोड़ सकता है जब उस बुरे इंसान को भी कुछ लोग अच्छा कहे और उसे कुछ अच्छा करने को प्रेरित करें।

क्योंकि अच्छे लोगों के अच्छा होने से कुछ नहीं होना है। लेकिन जब बुरे लोग भी अच्छे हो जाएंगे तब समाज में परिवर्तन आएगा। और तब अपराधों में कमी होगी और आम आदमी खुशहाल होगा।"

"गुरुजी, इसलिए सिर्फ मुझ को ही नहीं मारा, बल्कि मुझे मारने के बाद इसमें एक और लड़की का खून किया!"

"यही तो प्रश्न है,मेरा कि इस पापी ने तेरा खून किया और फिर तेरे बदला लेने के कारण इससे एक और खून हुआ। यद्यपि यह दूसरा खून भी राजन ने ही किया, मगर इस खून के "कारण' मैं तेरा नाम भी शरीक हो गया। इस तरह तुम दोनों के पाप में वृद्धि हुई। मतलब ये कि इस तरह से इसे तड़पाने से अच्छा तो ये था, कि तू इस राजन की जान ही ले लेती।

और इसीलिए मैं यह कहना चाहता हूं कि, कोई ऐसा रास्ता बता जिसमें तेरा भी कल्याण हो और इस राजन का भी। क्योंकि जिस बदले की राह पर तू चल रही है उसका अंजाम यह भी हो सकता है कि कल को यही राजन दो चार और लोगों का भी खून कर दे। और तब अप्रत्यक्ष रूप से तू भी इसमें भागीदार मानी जाएगी और तेरी आत्मा की मुक्ति की राह और भी कठिन हो जाएगी..!"

" ठीक है गुरुजी। इससे संकल्प लीजिए कि अब यह किसी के भी साथ भी बलात्कार नहीं करेगा। किसी की जान नहीं लेगा। किसी की इच्छा के विरुद्ध कोई काम नहीं करेगा। अपने स्वार्थ के लिए किसी गरीब को नहीं सताएगा। और सब की मदद करेगा। तो मैं इसे माफ कर सकती हूं। लेकिन इसने 2 लोगों की हत्याएँ की हैं। इसको पूर्ण माफी तब तक नहीं मिलेगी, जब तक किन्हीं दो मजबूर लड़कियों की जान बचाने का इसे सुअवसर नहीं मिलेगा..! और इससे कहिए कि मेरे पैरों पर गिर कर मुझसे माफी मांगे कि मुझसे गलती हुई और अब मैं ऐसी गलती कभी किसी लड़की के साथ नहीं करूंगा।"

बाबा रूद्र में देखा की अग्नि कुंड के सामने दो पैरों के निशान बन गए हैं। तब बाबा रुद्र राजन से कहा, कि इन पैरों के निशान पर अपना सर रख और बोल कि मैं अब कभी भी किसी लड़की के साथ जबरदस्ती नहीं करूंगा। कभी किसी लड़की के मर्जी के विरुद्ध उसकी भावनाओं से नहीं खेलूंगा। और किसी जरूरतमंद की मदद को हमेशा तत्पर रहूंगा और मुझे खुशी होगी अगर किसी मजबूर लड़की की जिंदगी बचाने का मुझे शुभ अवसर प्राप्त हो। ऐसी स्थिति में अपनी जान देकर भी मैं उसकी मदद करूंगा लेकिन अन्याय नहीं होने दूंगा।

तब राजन ने उन पैरों के निशान पर अपना सर रख कर इस संकल्प को दोहराया।

राजन के संकल्प दोहराने के बाद बाबा रूद्र में कमला की आत्मा से से पूछा-"अब बता, तेरी और क्या ख्वाहिश है?"

कमला की आत्मा बोली-" मेरी मुक्ति कैसे होगी..?"

बाबा रूद्र ने कहा-" तू इस राजन को खुद सजा देने की बजाय इसकी सजा ईश्वर के विधान पर छोड़ दें। और ईश्वर का नाम लेते हुए हरि ओम का जाप कर और इस पूरी दुनिया के कल्याण के बारे में सोच। यही एक सुगम उपाय है तेरी आत्मा की मुक्ति का..!"

" जो आज्ञा गुरुदेव।" यह कहकर कमला की आत्मा अंतरिक्ष में विलीन हो गई।
 

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भाग ~25
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ईश्वर का लाख-लाख धन्यवाद जो कमला की आत्मा से तुझे मुक्ति मिल गई..! लेकिन आज से कभी भी तू किसी के साथ कोई जबरदस्ती नहीं करेगा। अच्छे से रहेगा वरना वह कमला की आत्मा फिर से तुझ को सताना शुरू कर देगी..!

ना ..ना.. मुझे कुछ भी गड़बड़ नहीं करना है और वैसे भी जब तक तुम तो सुंदरियों का साथ है मेरा मुझे कहीं जाने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि अब तो तुम दोनों के साथ में ही मुझको जन्नत कि खुशी नजर आती है। और तुम दोनों की इच्छा के विरूद्ध मैं कोई काम नहीं करूंगा, यह मेरा वादा है।

"ओके।" चल अब घर चलते हैं..!

राजन, रानी और भोली तीनों ने रूद्र बाबा को नमन किया और भोली जब रूद्र बाबा को ₹101 देने को हुई तो बाबा ने सिर्फ ₹1 लिए और कहा-" तुझसे में कोई रुपए नहीं ले सकता लेकिन यह ₹1 इसलिए ले रहा हूं, क्योंकि बिना दक्षिणा के यज्ञ फलीभूत नहीं होता। मगर तू कभी-कभी आती ज़रूर रहना।"

" जरूर आती रहूंगी गुरुजी..!" भोली ने कहा।

और फिर राजन और रानी के साथ बाहर आते ही उनसे बोली-यार मैं अपना मोबाइल अंदर ही भूल गई तुम दोनों धीरे धीरे चलो मैं अभी आती हूं।"

"Ok" रानी ने कहा। और भोली वापस गुरुजी के पास आ गई।

"क्यों..? क्या हुआ..?" गुरुजी ने भोली को वापस आकर देख पूछा।

" गुरु जी एक बात पूछनी थी। आप तो गुरु जी हैं पर आप इतने ज्ञानी हैं और महान है कि आपने राजन को कमला की आत्मा से मुक्ति दिला दी। और उससे यह वादा लिया कि वह कोई भी गलत काम आज से नहीं करेगा मतलब किसी के जिस्म से नहीं खेलेगा। तो गुरुजी अगर मैं राजन के साथ मस्ती करना चाहूं तो क्या या अनुचित होगा..? और दूसरा प्रश्न कि आप भी तो मेरे जिस्म का भोग कर चुके हैं। तो क्या यह पाप कर्म नहीं है..?"

" कोई संत महात्मा या कोई आम इंसान हो। मैं और लोगों की विद्या के बारे में नहीं जानता। लेकिन इतना जानता हूं कि काम इच्छा से हर इंसान पीड़ित होता है और अगर उसकी इच्छा पूर्ति ना हो तो उसमें भी दोष उत्पन्न हो जाता है। मेरी विद्या उस दिन समाप्त हो जाएगी जिस दिन मैं किसी के साथ जबरदस्ती करूंगा। मैंने अगर तेरे जिस्म को भोगा है, तो इसमें तेरी मर्जी भी शामिल थी। और तू अपने जिस्म को बेचने का धंधा करती है। और मैंने तेरे जिस्म की पूरी कीमत तुझे दी है। इसलिए मैंने कोई पाप नहीं किया है बल्कि तेरी मदद की है और तुझे तेरी कीमत से ज्यादा रुपए दिए हैं और जब तुम मेरे पास से खुश होकर गई तुम उस पर पाप कैसे लगेगा क्योंकि मैंने तुझको खुशी दी है,तेरी भी इच्छा की पूर्ति की है, और तेरे धंधे में तेरी मदद भी की है।"

इसका मतलब यह हुआ गुरुजी कि अगर मैं स्वेच्छा से राजन के साथ भोग करती हूं, तो यह पाप नहीं है। अगर दिल साफ है और कोई जबरदस्ती नहीं है दोनों की मर्जी शामिल है तो इसमें कोई पाप नहीं है। क्योंकि पुराने समय में भी इस तरह के खेल होते थे बल्कि गुरु की इच्छा पर लड़कियां खुद अपने आपको उनके समक्ष समर्पित कर देती थी, तो अपनी इच्छा से तुम लोग का आपस में मिलना जुलना और आपस में संबंध बनाना गलत कैसे हो सकता है। और कमला की आत्मा ने भी यही कहा है कि किसी की इच्छा के विरुद्ध राजन उसके साथ कोई गलत काम नहीं करेगा और अगर किसी की इच्छा क्योंकि तुम गलत काम करेगा तो उसको सजा जरूर मिलेगी और उसे मुक्ति तभी मिलेगी जब किसी मरते हुए इंसान की वो जान बचाए और हर इंसान को खुश रखने का प्रयास करें मतलब उसे इस बात का ध्यान हमेशा रखना पड़ेगा कि उसके कारण किसी की भी आत्मा को किसी के भी दिल को दुख ना पहुंचे।"

तो गुरु जी अगर किसी लड़की की इच्छा हो राजन के साथ मौज मस्ती करने की तब उस स्थिति में राजन को पाप तो नहीं लगेगा..?"

सामाजिक नियमों के अंतर्गत ये पाप है। मगर वेश्याओं को भी पापी नहीं माना गया है क्योंकि वह पुरुषों की कामेच्छा की पूर्ति कर उन्हें गलत लोगों से संबंध बनाने से रोकती है। इसलिए किसी लड़की की इच्छा होने पर अगर राजन उसके साथ कुछ गलत भी करता है तो उसका यह पाप क्षम्य है। मगर सामाजिक मर्यादाओं का पालन करना भी उसे जरूरी है. !

"जी, प्रणाम गुरुजी। फिर कभी फुर्सत में आपकी सेवा में हाज़िर होऊंगी। क्योंकि मेरा तो धंधा ही यही है..!"

"तेरा स्वागत है। तुम जब चाहे यहां आ सकती है..!"

"जी गुरुजी। मेरा तो तन मन धन सब आपको समर्पित है।" यह कहकर रानी गुरु जी के आश्रम से वापस हो ली और रास्ते मे रानी और राजन से मिल कर उनके साथ अपने घर आ गई..!
 

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भाग -26
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घर पहुंचते ही भोली में रानी से कहा-"यार बहुत भूख लगी है। तू फटाफट प्याज काट दे, और मैं तब तक बेसन फेंटती हूँ। पकौड़ी चाय खाने में मजा भी आएगा और पेट भी भरेगा..!"

"ठीक है।" रानी ने कहा और फटाफट उसने प्याज कतर दिए। फिर दोनों ने मिलकर पकौड़ी और चाय बनाया और मेज़ पर सजा दिया।

"अरे, यह राजन कहां गया..?" भोली ने कहा

"शायद बाहर होगा। मैं देखती हूं।" रानी ने कहा।

रानी ने बाहर देखा तो राजन नदी में नहा कर वापस लौट रहा था। इसी बीच भोली भी बाहर आ गई। राजन के करीब आते ही भोली ने उससे कहा-"अरे यार, चाय पीकर जाना था न..? बिना बताए चला गया..!"

"तो क्या हुआ डियर।" राजन ने कहा-"नहाने से मन साफ हो जाता है।"

"वो तो ठीक है मगर हम दोनों भी तेरे साथ चलती तो नहाने में हमे भी मजा आता और तेरे को भी..!" भोली बोली।

"ओके कोई बात नहीं। गर्मी का दिन है दोबारा तेरे संग चल कर नहा लूंगा। "

"फिर ठीक है।" भोली ने कहा-"अब चल पहले पकौड़ी चाय का मजा ले।"

"ठीक है।" राजन ने कहा और उन दोनों के साथ अंदर आ गया।

भोली ने कहा-"चल बैठ कुर्सी पर।"

"बैठता हूं, मगर पहले कपड़े तो पहन लूं..!" यह कह कर वो अपने कमरे में जाने लगा, मगर भोली ने उसका हाथ पकड़कर उसे वैसे ही कुर्सी पर बैठा दिया और बोली-"कोई जरूरत नहीं है कपड़े पहनने की। तू मेरे को ऐसे ही ज्यादा अच्छा लगता है। क्योंकि तेरी बॉडी बहुत सुंदर है और गठीली भी है।"

"ओके, थैंक्स, मगर पैंट तो पहन लूं.?" राजन ने कहा।

"क्यों..? शरम आ रही है क्या..? अगर मेरा भाई गोलू इस समय घर पर ना होता, तो तूने ये जो कच्छा पहना है न, इसे भी उतार देती..!" भोली ने मुस्कुराते हुए कहा।-"चल, ऐसे ही बैठ..! अभी गुरुजी ने क्या कहा था..? तुझे वही करना है जो हम चाहेंगे या जिसमें हमें खुशी मिलेगी..?"

राजन ने कहा-"ओके, जैसी तेरी इच्छा। लेकिन क्यों न हम बाहर पत्थर पर बैठ कर नाश्ता करें।"

भोली बोली-" चाय ठंडी हो रही है। अंदर बाहर लाने ले जाने में और ठंडी हो जाएगी। इसलिए नाश्ता करने के बाद बाहर आकर बैठेंगे।"

"Ok" राजन ने कहा और नंगे बदन ही उन दोनों के बीच में बैठ गया।

भोली ने गोलू और माँ का नाश्ता पहले से ही अलग निकाल रखा था।

फिर तीनों ने भरपेट साथ नाश्ता किया और बाहर ठंडी हवा में पत्थर पर आकर बैठ गई। फिर भोली ने रानी से कहा-" बहुत भूख लगी थी यार आज। अब जाकर थोड़ी राहत मिली।"

रानी बोली-" सही कहा। मेरे को भी बहुत भूख लगी थी।

भोली बोली-" पेट तो भर गया हम दोनों का। अब क्या थोड़ी मस्ती वस्ती भी की जाए। क्योंकि राजन तो अब वही करेगा, जो हम चाहेंगे। और इसमें गुरुजी से वादा भी किया है।"

राजन बोला-"हाँ। अब मैं वही करूंगा जो तुम दोनों चाहोगी..!"

यह सुनकर भोली राजन के समीप आई और बोली-तेरी किस्मत बहुत अच्छी है जो गुरुजी ने तेरी सारी मुरादें पूरी कर दी। क्योंकि तुझे जवान लड़कियां बहुत पसंद है। और इस समय दो दो जवान लड़कियां तेरे साथ है। और सबसे अच्छी बात तो यह है, कि हम दोनों को भी तू बहुत पसंद है। इसलिए अब तू कमला और सोनी इनको हमेशा के लिए भुला दे और सिर्फ हम दोनों से प्यार किया कर। ये कहकर भोली ने उसके अंडर वियर का नारा खोल दिया।

"यार क्या कर रही है तू..?" राजन ने भोली से कहा।

"तू तो जानता है यार कि मैं वेश्या हूं। इसलिए मेरे अंदर शर्म नहीं है। लेकिन एक बात बता मेरे को। तूने अभी कहा है, कि तू वही करेगा, जो हम चाहेंगे । फिर तू आज इतना शर्मा क्यों रहा है। अभी थोड़ी देर पहले तू शर्ट और पैंट पहनने के लिए परेशान था जबकि तुझे तो लड़कियों के संग रेप करने में कपड़े उतारने में ज़्यादा मजा आता है। फिर तू कुछ बदला-बदला सा क्यों लग रहा है आज..? क्या हमारे हुस्न की दौलत आज देखने की तुझे इच्छा नहीं है..?"

" तुमने सही कहा भोली। लेकिन क्यों..? ये मुझे खुद नहीं मालूम कि आज क्यों अंदर से इच्छा नहीं हो रही तुम दोनों के संग मस्ती करने की जबकि आज पूरी तरह से मैं स्वतंत्र हूं।" अपने खुले हुए नारे को बांधते हुए राजन ने कहा।"

" इसका मतलब आज सचमुच तेरी इच्छा नहीं है एन्जॉय करने की..!"

"हाँ यार..! मालुम नही क्या हो गया है मेरे को आज, कि ये सब बहुत ही अजीब सा लग रहा है..!"

"दोस्त, ऐसे ही कभी-कभी लड़की की भी इच्छा नही होती है अपना जिस्म किसी पुरुष की बाहों में देने की। लेकिन तब पुरुष किसी लड़की की भावनाओं को नहीं समझता और उसके साथ जबरदस्ती करता है उसके संग बलात्कार करता है।

बलात्कार करने पर कभी किसी लड़की को आनंद नहीं आता बल्कि बहुत तकलीफ होती है। बहुत दर्द होता है।

इसीलिए यह कहा गया है की एक लड़की और एक लड़का जब तक उन दोनों की इच्छा ना हो तब तक यह संबंध अनुचित होता है लेकिन इस नियम का लड़कियां तो पालन करती हैं मगर लड़के नहीं पालन करते और उनकी इच्छा के विरुद्ध उनके साथ इंजॉय करते हैं और उनका बलात्कार करते हैं।"

"लेकिन ये अधिकार सिर्फ लड़कों को क्यों..? क्या लड़कियां लड़कों के संग बलात्कार नहीं कर सकती..? और एक बलात्कारी लड़के के साथ तो बलात्कार करना कोई गलत भी नहीं है..?" भोली ने राजन के ज़िस्म से चिपकते हुए कहा।

"हम मस्ती करेंगे यार। लेकिन प्लीज़.. अभी नही..!" राजन ने भोली से छूटने का प्रयास करते हुए कहा।

"ओह नो डियर..! तुझे तो लड़कियों के संग रेप करने की आदत है। लेकिन आज हम दोनों मिलकर तेरा रेप करेंगे ताकि तुझे भी इस बात का एहसास तो हो कि किसी के साथ जबरदस्ती करने पर कैसा लगता है..!"

ये कहते हुए एक बार फिर से भोली ने उसके कच्छे का नारा खोल दिया और बोली-" तुझे छटपटाने की तो छूट है, मगर भागने की छूट नहीं है..!

फिर रानी से बोली-"आजा यार तू भी..! क्योंकि आज पहली बार एक ऐसे लड़के से मजा लेने को मिल रहा है, जो हमारे समीप नहीं आना चाहता और इस समय सम्भोग करने की उसकी इच्छा नहीं है।

"ओके डियर।" ये कह कर रानी भी आ गई और राजन से चिपक गई।

राजन के कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आज क्यों इनका साथ उसे अच्छा नहीं लग रहा है। उसने एक बार फिर कहा-" यार रात में हम सब मजा लेंगे आपस में। प्लीज इस समय रहने दो..!"

तब रानी और भोली दोनों एक साथ बोली-" रात में भी इंजॉय करेंगे डियर, और इस समय भी..!' और ये कहकर उन दोनों ने मिलकर ज़बरदस्ती राजन को निचोड़ डाला।

आज राजन को पहली बार इस बात का एहसास हुआ, किसी के साथ जबरदस्ती करने पर कैसा फील होता है..!"
 

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भाग~27
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कोई भी लड़का हो या लड़की। जिस्म की भूख आप शांत नहीं कर सकते अगर आपके साथी की इच्छा ना हो. ! दूसरे शब्दों में बलात्कार की घटनाएं इसीलिए बहुत ज्यादा तकलीफदेह होती है, क्योंकि जिसके साथ आप जबरदस्ती कर रहे होते हैं उसके तन और मन दोनों के विरुद्ध आप काम करते हैं.! ऐसी स्थिति में आप अपने जिस्म की प्यास भले बुझा लो, लेकिन पूर्ण तृप्ति आपको नहीं मिलेगी..! और पूर्ण तृप्ति न मिलने के कारण कभी-कभी इंसान इतना गुस्से में आ जाता है, कि बलात्कार करने के बाद अपने पार्टनर की, या जिसके साथ जबरदस्ती कर रहा हो, उसकी जान ले लेता है..!

राजन की आज एन्जॉय करने की इच्छा नहीं थी फिर भी भोली और रानी दोनों उसके पीछे पड़ गई थी। राजन का तन भी इसके लिए तैयार नहीं था और मन भी राजी न था, जिसका नतीजा यह हुआ कि राजन बदहवास की स्थिति में पहुंच गया। और भोली व रानी ने उसके जिस्म को जी भर कर निचोड़ा लेकिन उन्हें भी आनंद की प्राप्ति न हुई, क्योंकि राजन उन्हें संतुष्ट ना कर सका। और ये पहली बार ऐसा हुआ था, कि दो खूबसूरत जिस्म के साथ वो न्याय ना कर सका था और किसी नामर्द की भांति हारा थका उनसे दूर हो गया था।

चूंकि रानी और भोली, दोनों के जिस्म की आग को वो ठीक तरह से बुझा ना सका, इसलिए वो दोनों ही आज बहुत गुस्से में थी।

रानी-"सो कूल यार..! जिंदगी में पहली बार ऐसा नामर्द देखा मैंने..!"

भोली-" हां यार, मुझको तो देखते ही युवाओं में जोश आ जाता है। पर ये तो बिल्कुल ठंडा निकला ..!"

रानी-"सही बात है। आज बिल्कुल मजा नही आया । अब माना कि आज उसकी इच्छा नहीं थी । लेकिन इसका क्या मतलब, कि उसकी इच्छा हो तो हम हाज़िर और अगर हमारी इच्छा हुई तो ये ना.. ना.. का नाटक। ये तो कोई बात नहीं हुई..!"

भोली-"बिल्कुल सही कहा। इस लड़के को पाने के लिए कितनी मेहनत की मैंने। रूद्र बाबा से मिलवाया उसे। कमला से मुक्ति दिलाया उसे..! और जब सब कुछ ठीक हो गया तब उसको खुद विरक्ति हो गई इन बातों से..! मतलब कल तक जो लड़कियों के कपड़े उतारता रहा, आज शराफत का नाटक करने लगा..। मुझे तो अब डाउट होने लगा है कि कहीं ये नपुंसक न हो..? क्योंकि जब भी रात होती है, तो कमला का मामला फंस जाता है। और दिन में अवॉयड करता है।"

रानी-अगर नपुंसक होता है, तो कमला के संग बलात्कार क्यों करता..? क्यों उसकी हत्या करता..? फिर भी कुछ तो गड़बड़ ज़रूर है। क्योंकि शादी के बाद अभी तक हमने मस्ती तो खूब की है, लेकिन सुहागरात का असली आनन्द नहीं मिला। अब तक तो कमला की रूह इसे सता रही थी.! मगर आज जब कमला के चंगुल से मुक्त हो गया है, तब तो खुल कर एन्जॉय करना चाहिए था..! इसीलिए मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है..!

भोली~यार,कहीं ऐसा तो नहीं, कि इसके दिमाग में सुधरने की बात आ गई हो..! और इसलिए सम्भोग से विरक्ति होने लगी हो..? क्योंकि ऐसी सोच वाला इंसान भी नपुंसक हो जाता है..!"

रानी-"अगर ये सच है, फिर तो हम दोनों बर्बाद हो जाएंगे..! क्योंकि हमें तो थोड़ा बिगड़ैल टाइप के लड़कों की ही ज़रूरत है और यही सोच कर हमने इससे दोस्ती की, और इसे अपना नकली पति बनाया, जिससे ज़िंदगी मौज मस्ती से कटती रहे..!

भोली-"हाँ यार, ये तो सही बात है। वैसे अगर ये सुधर जाता है, तो एक तरह से अच्छा भी है .! क्योंकि फिर अपने घर परिवार से भी मिल सकता है और अब तक जो बुरे काम किये हैं इसने, उनकी सजा से मुक्ति पा सकता है..!"

रानी-" बात तो तेरी सही है। लेकर परिवार वालों का सुख तो इसे अब जिंदगी भर नहीं मिलेगा। क्योंकि इसने दो दो खून किया है और ऐसे खूनी को न परिवार एक्सेप्ट कर सकता है और न समाज ..! और मैंने यही सोच कर उसे अपना बनाया कि अब ये अपने घर परिवार में कभी नहीं जाएगा और हमेशा मेरे साथ रहेगा क्योंकि अपन को ऐसे से ही शादी करनी थी, जो अपने घर वालों को हमेशा के लिए छोड़ दें, जिससे हमारी मस्ती में घर परिवार रिश्ते नाते बाधा ना बने।"

भोली-" और मैंने भी यही सोचा था कि अब ये यहां से कहीं नहीं जाएगा, और जब हमारा दिल चाहेगा, हम इसके साथ मज़े कर सकेंगे..!"

रानी-" यह सब रूद्र बाबा ने किया है। हम दोनों की ख्वाहिश थी कि उसे कमला से मुक्ति मिले और दर्द से मुक्ति मिले, लेकिन तेरे बाबा की कृपा से ऐसा प्रतीत होता है कि अब ये वास्तव में सुधार के रास्ते चल पड़ा है..!"

भोली- मैं बाबा से इस बारे में पूछूंगी।"

रानी-" ठीक है वैसे एक काम करते हैं डिअर। आज रात तक और इंतजार कर लेते हैं। इससे कमला के बारे में भी पता लग जाएगा, कि आज कमला उसको परेशान करती है या नहीं। और अगर कमला उसको परेशान नहीं करती तो आज हम दोनों सारी रात उसके साथ खूब ऐश करेंगे।"

भोली-"ok dear..! मगर आज मैं बहुत मूड में थी। और इस समय बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा है मेरे को तेरे इस राजन पर..!"

रानी-" गुस्सा तो मेरे को भी बहुत आ रहा है डियर। लेकिन इस समय कुछ कर भी तो नहीं सकते हम..?"

भोली-"सही कहा, वैसे गया गया कहाँ ये..?"

रानी-"वो देख, तेरे झोपड़े से बाहर आ रहा है..! पूरी बाजू की कमीज और पैंट पहने..!"

भोली-"उफ्फ..! इतने मस्त मौसम में इन कपडों में होने का क्या मतलब है, जबकि दो दो खूबसूरत जवान लड़कियां साथ में हैं?"

तभी राजन उनके बिल्कुल करीब आ गया। फिर उसने कहा-" मैं सोच रहा हूं डियर कि आज से एक नई जिंदगी की शुरुआत करूँ। रूद्र बाबा ने मेरे से कहा है, कि मुझे अच्छा आदमी बनना है। लोगों की मदद करनी है।और किसी की जान भी बचानी है। तभी मुझे अपने बुरे कामों से मुक्ति मिल सकती है। तो मैं सोच रहा हूं कि सबसे पहले कमला के घर जाऊं और उनके घर वालों से माफी मांगू। फिर सोनी के घर जाऊं और उनके घर वालों से भी माफी मांगू। और फिर अपने घर जाऊं और अपने पापा से लाख दो लाख जो भी मिले, उसे लेकर यहां आ जाऊं, तुम दोनों के पास, हमेशा के लिए . ! क्योंकि तुम दोनों ने जो कुछ भी मेरे साथ किया, उसका एहसान पूरी जिंदगी में नहीं चुका पाऊंगा। लेकिन जितना हो सकता है उतना तो करूंगा ही। और चूंकि मैंने दो खून किए हैं, इसलिए मेरे घर पर रहना मेरा असंभव है। और इसलिए मैं सारी उम्र यही रहूंगा तुम दोनों के साथ। लेकिन अगर लाख दो लाख मेरे पास होंगे तो इससे तुम दोनों का भी भला होगा और मेरे को भी बहुत खुशी मिलेगी.!"
 

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भाग - 28
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राजन ने रानी और भोली से जब घर जाने के बाद कहीं तब भोली ने कहा -"तुझे जहां जाना हो तू जा सकता है लेकिन आज तू कहीं नहीं जाएगा आज रात तुझे हम दोनों के साथ रहना है क्योंकि अभी रानी ने भी तेरे साथ सही तरह से सुहागरात नहीं मनाई है और मेरी भी इच्छा है कि कम से कम एक दिन तो तेरे साथ खुशी-खुशी मौज मस्ती कर लूं क्योंकि इस समय हम दोनों को तेरे साथ बिल्कुल मजा नहीं आया।"

"मुझे रुकने में कोई आपत्ति नहीं है।"

राजन ने कहा-" लेकिन अगर रात में भी मेरी इच्छा न हुई, तब क्या होगा..? क्योंकि कुछ बातें अपने बस में नहीं होती। शायद तुम मेरा इशारा समझ गई होगी। और यह तो तुमने जान ही लिया होगा, कि जब इंसान की इच्छा नहीं होती तब वह कुछ भी कर सकने में असमर्थ होता है क्योंकि ऐसी स्थिति में उसकी इंद्रियां उसका साथ नहीं देती।"

"भोली, मैं बलात्कार का अर्थ समझ गया हूं, क्योंकि आज पहली बार मुझे इसका अनुभव हुआ है कि एक तरफा मोहब्बत करना असंभव होता है। किसी की इच्छा के विरुद्ध कभी कोई किसी के साथ गलत नहीं कर सकता। और अगर गलत करता है, तो उसको वो सुख नहीं प्राप्त हो सकता, जो सुख दो तरफा मोहब्बत में मिलता है।"

"रानी और भोली, मैं तुम दोनों से माफी मांगता हूं। क्योंकि आज मुझे ऐसा लग रहा है, जैसे वास्तव में मैने कोई बहुत बड़ा गुनाह किया है कमला के साथ जबरदस्ती करके। और सोनी के साथ मैंने जानबूझकर कोई गलत काम नहीं किया, मगर वह बेचारी कमला के कारण धोखे से मारी गई। क्योंकि जब मैंने उसकी जान ली, उस समय उसके जिस्म में कमला की रूह का वास था। सोनी के साथ मैंने जबरदस्ती नहीं की थी क्योंकि उसकी खुद की इच्छा थी मेरे साथ सुहागरात मनाने की और उसने मेरे साथ सुहागरात मनाई भी।"

रानी और भोली के कुछ समझ में ना आया कि राजन की बातों का क्या जवाब दें। लेकिन उसके ठंडे जिस्म को देखकर उन दोनों को ऐसा लग रहा था, जैसे उनका सब कुछ लुट गया हो और उनकी सारी तमन्नाएं मिट्टी में मिल गई हो।

कुछ देर तक जब रानी और भोली ने उसे कोई उत्तर न दिया तब राजन ने उनसे कहा-"कमला मुझे मेरे गुनाहों के खुद सजा दे रही थी। मेरा खून पी रही थी। और मेरे जिंदा मांस को नोच कर खा रही थी। मैं दर्द में बुरी तरह से तड़प रहा था। और शायद वो यही चाहती थी, कि मैं जिंदा रहूं, लेकिन तड़प तड़प कर रोज मेरी मौत हो और मैं हजार बार मरू। लेकिन रुद्र बाबा ने उसके बदले की आग को शांत कर दिया और मेरे जिस्म को घोर पीड़ा से मुक्ति प्रदान कर दी। लेकिन अब मुझे ऐसा लग रहा है, जैसे कमला ने मुझे आजाद तो कर दिया है, लेकिन मैं किसी से प्यार और मोहब्बत करूं, इस सुख को ही उसने मुझसे छीन लिया है। रानी और भोली, मैं सच कह रहा हूं, कि मुझे कमला द्वारा दी गई है सजा तो मंजूर है, लेकिन आज मुझे अपनी नाकामी पर बहुत ज्यादा शर्मिंदगी हो रही है। और यह शर्मिंदगी इसलिए नहीं है, कि इस सजा को देकर मेरी सारी खुशी उसने छीन ली, बल्कि इसलिए, क्योकि इस सजा को देकर उसने तुम दोनों की खुशी क्यों छीन ली..?"

" भोली, अब मैं अपने लिए नहीं जीना चाहता हूं, बल्कि तुम दोनों के लिए जीना चाहता हूं ! और इसलिए जीना चाहता हूं, जिससे कमला की आत्मा जो चाहती है, मैं उसे पूरा कर सकूं। किसी मरते की जिंदगी बचा सकूं और अपने जीवन को पापों से मुक्त कर सकूं।"

"भोली, मैं चाहूं तो अपने को कानून के हवाले भी कर सकता हूं। लेकिन तब शायद मैं अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाऊंगा। क्योंकि अगर कुछ अच्छा काम करना है और किसी की जान बचाना है, तो इसके लिए मुझे जेल से बाहर रहना होगा। क्योंकि जेल के अंदर मुझे बंदिश में रहना होगा। और तब किसी का भला मैं नहीं कर सकता। किसी की जान में नहीं बचा सकता। जबकि जेल के बाहर रहने पर मैं कुछ अच्छा काम करने के बारे में भी सोच सकता हूं । मैं किसी का भला करने के बारे में भी सोच सकता हूं। और सजा का जहां तक सवाल है, तो मैं खुद अपने को सजा देने को तैयार हूं। इतनी कठोर सजा, जितनी कठोर सजा जेल में भी इंसान को ना मिलती हो।

कोई इंसान अपने कर्मों का प्रायश्चित जेल के अंदर रहकर नहीं कर सकता। इसके लिए उसे जेल से बाहर ही रहना होगा। और जेल से बाहर जितनी खूबसूरत जगह यह निर्दोष पहाड़ियां है, इतनी खूबसूरत जगह शायद कोई और नहीं हो सकती।

पुलिस मुझको तलाशेगी शहरों में, क्लबों में, रंडी खानों में..! क्योंकि खून करने वाले ऐसो आराम की जिंदगी जीते हैं। होटलों और क्लबों में जाते हैं। अय्याशी के अड्डे पर जाते हैं। किसी निर्जन पहाड़ी पर नहीं जाते। इसलिए पुलिस यहां कभी नहीं पहुंचेगी और मैं अपनी पूरी जिंदगी तुम दोनों के साथ, या जब तक तुम दोनों चाहो, तुम्हारे साथ बिता सकता हूं। और उसके बाद मैं कहां रहूंगा, कुछ नहीं पता। बल्कि यह भी हो सकता है, कि तुम्हारे से अलग होने के बाद मैं अपने आप को कानून के हवाले कर दूं और अपनी शेष जिंदगी जेल में ही बिता दूं। क्योंकि इस समय हमारे जीने का मकसद सिर्फ तुम दोनों हो। और यह सत्य है, कि आज अगर मैं जीना चाहता हूं तो सिर्फ तुम दोनों के लिए। और मैं चाहता हूं कि तुम दोनों की मैं सारी इच्छाएं पूरी करूं और मेरे कारण तुम दोनों को कभी कोई तकलीफ ना हो। और इसीलिए आज जो कुछ भी हुआ, यद्यपि इसमें मुझे बहुत तकलीफ हुई। बहुत दर्द हुआ। लेकिन तब भी हमें ज्यादा तकलीफ इस बात की है, कि तुम दोनों को मेरे कारण तकलीफ हुई और तुम्हारी इच्छाओं को मैं पूरी ना कर सका। क्या तुम दोनों इसके लिए मुझे माफ करोगी..?

भोली ने कहा यह बड़ी विचित्र बात है कि आज तुम एक अच्छे इंसान बनना चाहते हो लेकिन तुम्हारी अच्छाई पर हमें गुस्सा आ रहा है जबकि हमें खुश होना चाहिए तुम्हारी इस बदलें हुए रूप को देखकर।

हमें मालूम है कि आज हम गलत हैं और तुम सही हो, लेकिन ईश्वर भी न जाने कैसे खेल रचता है कि कभी इंसान को अच्छा बनने में खुशी होती है और कभी बुरा बनने में। लेकिन एक बात बताओ राजन क्या तुम लौट कर आ पाओगे..? और अगर आओगे तो कब तक आओगे
राजन ने कहा मुझे नहीं पता कि शहर जाने पर मेरे साथ क्या होगा लेकिन मुझे इतना जरूर मालूम है कि जब तक मैं वहां रहूंगा घुट घुट कर रहूंगा और हर पल तुम दोनों को याद करूंगा। कहने का अर्थ यह है भोली कि मैं खुद तुरंत वापस आना चाहूंगा और शहर में 1 दिन रहना भी मुझ पर भारी होगा क्योंकि वैसे भी पुलिस मुझे तलाश रही है और अगर मैं शहर गया तो मुझे पुलिस से बचकर रहना होगा और मुझे उम्मीद है कि तुम दोनों की ताकत मुझे पुलिस के फंदे से बचा लेगी और जब मैं वापस आऊंगा तो तुम्हें निराश नहीं होना पड़ेगा..!

लेकिन मुझे तुम दोनों की दुआओं की जरूरत है, क्योंकि शहर जाकर जब मैं कमला के घर वालों से मिलूंगा, तब मेरा क्या होगा और सोनू के घर वालों से जब मिलूंगा ,तब मेरा क्या होगा, यह मुझे नहीं पता। क्योंकि अगर उन्होंने मुझे पुलिस के हवाले नहीं किया, तभी मैं आ सकूंगा और यह सिर्फ तभी संभव है, जब तुम दोनों की दुआएं हमारे साथ होंगी।"

इतना कहकर राजन वहां से जाने लगा।

भोली और रानी दोनों उसे जाते देखती रही, लेकिन उसे रोकने की ताकत शायद अब उनमें नहीं थी। और थोड़ी देर में ही वो उन दोनों से ओझल हो गया..!
 
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भाग ~ 29
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अपने बेटे को राजन को अचानक अपने घर पर देख कर हैरान रह गए रत्तीलाल..! वो भाग कर आए और अपने बेटे के गले लग गए..!

राजन ने पापा के पांव छुए और रत्तीलाल ने बेटे को अपने सीने से लगा कर कहा-"बेटा, कहां था तू इतने दिन..?"

पापा-"अब तक तो आपको सच्चाई मालूम हो गई होगी। मैंने कमला का खून किया और यह मेरी गलती थी। गलती नहीं बल्कि पाप और महापाप था। फिर एक खून मैंने और किया सोनी का! और ये खून कमला के धोखे में हुआ। आपके इस नालायक बेटे ने दो खून किये हैं..!

और एक खूनी लड़के के मां-बाप पर क्या गुजरती होगी यह आप अनुभव कर चुके होंगे..! और उस लड़के पर क्या गुजरी होगी, इस बात का अनुभव मुझे हो चुका है..!

लेकिन पापा, जो हो गया, अब उसके लिए हम क्या कर सकते हैं..! और आप भी क्या कर सकते हैं।

आपकी उम्मीदों के सारे सपने टूट चुके हैं। और मां के भी सारे सपने टूट चुके हैं। और मेरी बहन राधा की भी जिंदगी बर्बाद हो चुकी है। और इन सब का कारण मैं हूं..! लेकिन पापा, आज मैं इसलिए आया हूं क्योकि मैं अपने गुनाहों का प्रायश्चित करना चाहता हूं। लेकिन मुश्किल ये है पापा.., कि अगर मैं अपने गुनाहों का प्रायश्चित करूं भी तो कैसे..? क्या आप मुझे कोई रास्ता सुझा सकते हैं..? अगर मैं ईमानदारी से जीना चाहूं, तो क्या मैं इस घर में रहकर इमानदारी से जी सकता हूं.? अगर मैं किसी की कुछ मदद करना चाहूं, तो क्या मैं यहां रह कर किसी की कोई मदद कर सकता हूं..?

पापा। यह समाज बहुत बेरहम है। यहां जब कोई एक बार गुनाह कर लेता है, तो उसकी सजा सिर्फ जेल होती है उसके पास और कोई रास्ता नहीं बचता अपने गुनाहों का प्रायश्चित करने का..!

लोग कहते हैं, कि कानून इसलिए होता है, कि अपराधी को सुधरने का मौका मिले। लेकिन पापा, अगर मैं जेल में चला जाता हूं, तो क्या मैं वहां जाकर सुधर जाऊंगा..? और अगर मैं वहां जाकर सुधरता नहीं, तो इस कानून का क्या अर्थ हुआ..? इस सजा का क्या अर्थ हुआ..?

पापा, आप मुझे बताओ कि मैं क्या करूं..? क्या मेरे पास कोई रास्ता ऐसा है, कि मैं ईमानदारी से अपना जीवन जी सकूं..?

क्यों हमारा कानून ऐसा है, कि अगर एक अपराधी इंसान बनना चाहे, तो वह उसे इंसान नहीं बनने देता..! क्यों हमारे यहां ऐसा सिस्टम है, कि जो एक बार बिगड़ जाए, फिर उसको बिगाड़ने वाले ही मिलते हैं..! उसके दोस्त, यार तो होते ही हैं उसको बिगाड़ने वाले..!

लेकिन हमारा समाज, हमारा कानून, हमारा पुलिस महकमा और वकील. सब मिलकर उसे बिगाड़ते हैं और उसकी मदद कोई नहीं करता..!.

बताइए पापा..? मैं हर किसी से माफी मांगने को तैयार हूं! मैं हर किसी के आगे अपना सर झुकाने को तैयार हूं! मैं हर एक के पांव छूने को तैयार हूं। मगर यह कैसा सिस्टम है, जो मुझे माफ नहीं कर सकता..! जो मुझ पर दया नहीं कर सकता ..!

जो सिर्फ मुझे जेल की दीवारों के पीछे देखना चाहता है और जो मेरे गुनाहों की सजा मेरे साथ साथ आपको भी देना चाहता है मेरी मां को भी देना चाहता है और मेरी बहन को भी देना चाहता है..! ऐसा क्यों है पापा..??

बेटा, तूने जो भी किया, मगर यह सच है, कि होनी को कोई टाल नहीं सकता। और बीते समय को कोई वापस भी नहीं ला सकता। लेकिन कोई भी जख्म ऐसा नहीं होता, जिसका इलाज ना हो। लेकिन इलाज करने वाला होना चाहिए। और यह बात भी तेरी सही है, कि हमारे यहां इलाज का सिस्टम ही कुछ गलत हो गया है। हमारे यहां इलाज के नाम पर रोग को और भी बढ़ा दिया था है और उसका अंजाम और भी बुरा होता है।

पापा, आप तो जानते हैं, कि आज के हालात में आप लोगों के साथ में अपने घर पर रहना अब हमारे लिए संभव नहीं है। इसलिए अब हमारे पास सिर्फ दो रास्ता है। एक रास्ता मौत की तरफ जाता है और दूसरा रास्ता एक ऐसी जिंदगी की तरफ जाता है, जहां वीरानी हो, सन्नाटा हो आबादी ना हो, पुलिस न हो, कानून ना हो और जहां ना कोई अपना हो और न कोई पराया हो। बल्कि एक ऐसी दुनिया हो जहां सिर्फ दो चार लोग हो और उन्हीं के बीच रहकर चुपचाप शान्ति से अपनी जिंदगी गुजार दूं।

अब फैसला आपको ही करना है पापा, कि मैं क्या करूं..? पहला रास्ता अपनाऊँ या दूसरा रास्ता..!

अगर आप पहला रास्ता चुनते हैं, तो मुझे स्वीकार है। मैं एक सुसाइड नोट लिखकर आपको देता हूं और फिर अपने जीवन को समाप्त कर लूंगा। मेरे ऐसा करने से कुछ दिनों के बाद ही सब कुछ नॉर्मल हो जाएगा और आप लोगों की भी थोड़ी बहुत इज्जत बच जाएगी। और दूसरा रास्ता है एकांतवास का। इस दूसरे रास्ते को अपनाने पर हो सकता है, कि 15-20 साल बाद मैं वापस अपने घर आ जाऊं, क्योंकि आजीवन कारावास का सजायाफ्ता अपराधी भी अक्सर 20 साल बाद छूट जाता है। और मेरे हिसाब से मेरा ये अज्ञातवास ही मेरी सज़ा होगी, मेरी जेल होगी। और 20 साल बाद कौन किसको याद करता है..? इतने समय मे सब कुछ बदल चुका होता है।

"बेटा, आज मुझे बहुत सुकून मिला तेरी इस बात को सुनकर कि तुझको अपने किए पर पश्चाताप है। हमारे औघड़ बाबा ने भी यही कहा था, कि तेरे अपराध की माफी सिर्फ तेरे पश्चाताप में ही है। बेटा, तू जहां भी रह, खुश रह और मेरी दुआएं हमेशा तेरे साथ हैं।"

"लेकिन पापा, मुझे कुछ रुपए चाहिए। अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए। किसी जरूरतमंद की मदद के लिए। अपने पापों को धोने के लिए।"

"बेटा, आज मेरे पास लाखों की संपत्ति है। लाखों रुपए का घर है। और यह सब तेरा ही तो है। तू मेरा इकलौता बेटा है। अगर मैं मर जाऊं, तो मेरी ये करोड़ों की संपत्ति तेरे नाम ही होगी। लेकिन अगर मर कर मैंने तुझको कुछ दिया भी, तो इसको देना नहीं कहा जाएगा। और बेटा जिंदगी में कौन ऐसा है, जिसने कोई पाप ना किया हो। पाप तो मैंने भी बहुत किया है, लेकिन यहाँ जो पकड़ा जाए, वही पापी है। और जब तक वह पकड़ा ना जाए, तब तक यहां हर इंसान निर्दोष है और निष्पाप है।

इसलिए बेटा, तुझे जब जितना भी पैसा चाहिए, तू मेरे से ले सकता है। मैं तुझको अपना एटीएम कार्ड दे दूंगा। तू एटीएम कार्ड से बैलेंस चेक कर लेना और जब जितनी रकम भी तुझको चाहिए, तू निकाल लेना। मुझे तुझ पर भरोसा है कि आगे से तू कोई गलत काम नहीं करेग। या मेरे पैसों का दुरुपयोग नहीं करेगा। क्योकि यही एक मेरी शर्त है.. यही एक उम्मीद है..और यही एक विश्वास है और मेरा ये विश्वास और तेरी ईमानदारी ही मेरी आत्मा को मुक्ति दिल सकती है।
और बेटा, मैं तेरे को विश्वास दिलाता हूं, कि मेरी जिंदा रहते मैं तेरे एटीएम को कभी खाली नहीं होने दूंगा। मतलब तुझे कभी अपने पापा से निराशा नहीं मिलेगी। जब तक मेरी कोई मजबूरी ना हो, या आर्थिक रूप से मैं पूरी तरह से टूट ना जाऊँ..!

तभी मम्मी और राधा भी आ गई। राजा ने मम्मी के पैर छुए और राधा से भी हाथ जोड़ कर अपने किए की माफी मांगी।

फिर पापा से बोला-"मैंने दो खून किए हैं पापा। लेकिन मैं खूनी नहीं हूं, क्योंकि कोर्ट जब तक किसी अपराधी को सजा नहीं सुना देती, तब तक वो अपराधी नहीं माना जाता। और मैं उम्मीद करता हूं कि वह दिन कभी नहीं आएगा जब कोर्ट मुझे मेरी गुनाहों की सजा देगी, क्योंकि मैं खुद ही अपने आप को अपने गुनाहों की सजा देने को तैयार हूं। पापा आप लोगों से भी यही उम्मीद है कि आप मेरे लिए दुआ करना कि कभी कोर्ट जाने कि मेरी नौबत ना आए।

और पापा, आप मेरे लापता होने की खबर अखबार में निकलवा देना और अपने रिश्ते नाते परिवार में सबसे यही कहना, कि मेरे बेटे ने किसी का खून नहीं किया बल्कि शायद उसका किसी ने किडनैप कर लिया है। यही एक रास्ता है आप लोगों को अपनी इज्जत बचाने का।

और बाकी कोई क्या कहता है, उससे कोई बहुत ज़्यादा फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि आपका बेटा गुनहगार तभी माना जाएगा जब कोर्ट में यह साबित हो जाए, कि उसने गुनाह किया है।

वैसे आप कहे, तो मैं अपने आप को कानून के भी हवाले कर सकता हूं।

पर आप इस बात को अच्छी तरह जानते हैं, कि इंसान की सबसे बड़ी अदालत ऊपर वाले की अदालत होती है और ऊपर वाला ही सबसे बड़ा न्यायाधिकारी है। और उस ऊपर वाले द्वारा दी गई सजा को मैं खुशी-खुशी भुगतने को तैयार हूं।

"ठीक है बेटा। मैं गुमशुदा मैं तेरा नाम अखबारों में छपवा दूंगा।

"ठीक है पापा। अब अगर किसी ने मेरा पता आपको या पुलिस को बता भी दिया, तो मैं समझ लूंगा कि कि शायद ऊपर वाले की भी यही मर्जी है, कि मैं अपने आप को कानून के हवाले कर दूँ। और तब मैं खुशी खुशी अपने आप को कानून के हवाले कर दूंगा। और अगर ईश्वर मेरी गुमनामी में रजामंद है, तो मैं अपना पूरा जीवन एकांतवास में बिता दूंगा। लेकिन पापा, कभी-कभी मैं आप सबसे मिलने ज़रूर आऊंगा..!

अब मै चलता हूँ।

खुश रहो बेटा। और ये लो एक लाख रुपये नकद और atm card..!

राजन ने एक बार फिर पापा के, मम्मी के, और अपनी छोटी बहन के भी पांव छूए और सजल नेत्रों से उन सबसे दूर हो गया..!
 
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भाग~27
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कोई भी लड़का हो या लड़की। जिस्म की भूख आप शांत नहीं कर सकते अगर आपके साथी की इच्छा ना हो. ! दूसरे शब्दों में बलात्कार की घटनाएं इसीलिए बहुत ज्यादा तकलीफदेह होती है, क्योंकि जिसके साथ आप जबरदस्ती कर रहे होते हैं उसके तन और मन दोनों के विरुद्ध आप काम करते हैं.! ऐसी स्थिति में आप अपने जिस्म की प्यास भले बुझा लो, लेकिन पूर्ण तृप्ति आपको नहीं मिलेगी..! और पूर्ण तृप्ति न मिलने के कारण कभी-कभी इंसान इतना गुस्से में आ जाता है, कि बलात्कार करने के बाद अपने पार्टनर की, या जिसके साथ जबरदस्ती कर रहा हो, उसकी जान ले लेता है..!

राजन की आज एन्जॉय करने की इच्छा नहीं थी फिर भी भोली और रानी दोनों उसके पीछे पड़ गई थी। राजन का तन भी इसके लिए तैयार नहीं था और मन भी राजी न था, जिसका नतीजा यह हुआ कि राजन बदहवास की स्थिति में पहुंच गया। और भोली व रानी ने उसके जिस्म को जी भर कर निचोड़ा लेकिन उन्हें भी आनंद की प्राप्ति न हुई, क्योंकि राजन उन्हें संतुष्ट ना कर सका। और ये पहली बार ऐसा हुआ था, कि दो खूबसूरत जिस्म के साथ वो न्याय ना कर सका था और किसी नामर्द की भांति हारा थका उनसे दूर हो गया था।

चूंकि रानी और भोली, दोनों के जिस्म की आग को वो ठीक तरह से बुझा ना सका, इसलिए वो दोनों ही आज बहुत गुस्से में थी।

रानी-"सो कूल यार..! जिंदगी में पहली बार ऐसा नामर्द देखा मैंने..!"

भोली-" हां यार, मुझको तो देखते ही युवाओं में जोश आ जाता है। पर ये तो बिल्कुल ठंडा निकला ..!"

रानी-"सही बात है। आज बिल्कुल मजा नही आया । अब माना कि आज उसकी इच्छा नहीं थी । लेकिन इसका क्या मतलब, कि उसकी इच्छा हो तो हम हाज़िर और अगर हमारी इच्छा हुई तो ये ना.. ना.. का नाटक। ये तो कोई बात नहीं हुई..!"

भोली-"बिल्कुल सही कहा। इस लड़के को पाने के लिए कितनी मेहनत की मैंने। रूद्र बाबा से मिलवाया उसे। कमला से मुक्ति दिलाया उसे..! और जब सब कुछ ठीक हो गया तब उसको खुद विरक्ति हो गई इन बातों से..! मतलब कल तक जो लड़कियों के कपड़े उतारता रहा, आज शराफत का नाटक करने लगा..। मुझे तो अब डाउट होने लगा है कि कहीं ये नपुंसक न हो..? क्योंकि जब भी रात होती है, तो कमला का मामला फंस जाता है। और दिन में अवॉयड करता है।"

रानी-अगर नपुंसक होता है, तो कमला के संग बलात्कार क्यों करता..? क्यों उसकी हत्या करता..? फिर भी कुछ तो गड़बड़ ज़रूर है। क्योंकि शादी के बाद अभी तक हमने मस्ती तो खूब की है, लेकिन सुहागरात का असली आनन्द नहीं मिला। अब तक तो कमला की रूह इसे सता रही थी.! मगर आज जब कमला के चंगुल से मुक्त हो गया है, तब तो खुल कर एन्जॉय करना चाहिए था..! इसीलिए मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है..!

भोली~यार,कहीं ऐसा तो नहीं, कि इसके दिमाग में सुधरने की बात आ गई हो..! और इसलिए सम्भोग से विरक्ति होने लगी हो..? क्योंकि ऐसी सोच वाला इंसान भी नपुंसक हो जाता है..!"

रानी-"अगर ये सच है, फिर तो हम दोनों बर्बाद हो जाएंगे..! क्योंकि हमें तो थोड़ा बिगड़ैल टाइप के लड़कों की ही ज़रूरत है और यही सोच कर हमने इससे दोस्ती की, और इसे अपना नकली पति बनाया, जिससे ज़िंदगी मौज मस्ती से कटती रहे..!

भोली-"हाँ यार, ये तो सही बात है। वैसे अगर ये सुधर जाता है, तो एक तरह से अच्छा भी है .! क्योंकि फिर अपने घर परिवार से भी मिल सकता है और अब तक जो बुरे काम किये हैं इसने, उनकी सजा से मुक्ति पा सकता है..!"

रानी-" बात तो तेरी सही है। लेकर परिवार वालों का सुख तो इसे अब जिंदगी भर नहीं मिलेगा। क्योंकि इसने दो दो खून किया है और ऐसे खूनी को न परिवार एक्सेप्ट कर सकता है और न समाज ..! और मैंने यही सोच कर उसे अपना बनाया कि अब ये अपने घर परिवार में कभी नहीं जाएगा और हमेशा मेरे साथ रहेगा क्योंकि अपन को ऐसे से ही शादी करनी थी, जो अपने घर वालों को हमेशा के लिए छोड़ दें, जिससे हमारी मस्ती में घर परिवार रिश्ते नाते बाधा ना बने।"

भोली-" और मैंने भी यही सोचा था कि अब ये यहां से कहीं नहीं जाएगा, और जब हमारा दिल चाहेगा, हम इसके साथ मज़े कर सकेंगे..!"

रानी-" यह सब रूद्र बाबा ने किया है। हम दोनों की ख्वाहिश थी कि उसे कमला से मुक्ति मिले और दर्द से मुक्ति मिले, लेकिन तेरे बाबा की कृपा से ऐसा प्रतीत होता है कि अब ये वास्तव में सुधार के रास्ते चल पड़ा है..!"

भोली- मैं बाबा से इस बारे में पूछूंगी।"

रानी-" ठीक है वैसे एक काम करते हैं डिअर। आज रात तक और इंतजार कर लेते हैं। इससे कमला के बारे में भी पता लग जाएगा, कि आज कमला उसको परेशान करती है या नहीं। और अगर कमला उसको परेशान नहीं करती तो आज हम दोनों सारी रात उसके साथ खूब ऐश करेंगे।"

भोली-"ok dear..! मगर आज मैं बहुत मूड में थी। और इस समय बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा है मेरे को तेरे इस राजन पर..!"

रानी-" गुस्सा तो मेरे को भी बहुत आ रहा है डियर। लेकिन इस समय कुछ कर भी तो नहीं सकते हम..?"

भोली-"सही कहा, वैसे गया गया कहाँ ये..?"

रानी-"वो देख, तेरे झोपड़े से बाहर आ रहा है..! पूरी बाजू की कमीज और पैंट पहने..!"

भोली-"उफ्फ..! इतने मस्त मौसम में इन कपडों में होने का क्या मतलब है, जबकि दो दो खूबसूरत जवान लड़कियां साथ में हैं?"

तभी राजन उनके बिल्कुल करीब आ गया। फिर उसने कहा-" मैं सोच रहा हूं डियर कि आज से एक नई जिंदगी की शुरुआत करूँ। रूद्र बाबा ने मेरे से कहा है, कि मुझे अच्छा आदमी बनना है। लोगों की मदद करनी है।और किसी की जान भी बचानी है। तभी मुझे अपने बुरे कामों से मुक्ति मिल सकती है। तो मैं सोच रहा हूं कि सबसे पहले कमला के घर जाऊं और उनके घर वालों से माफी मांगू। फिर सोनी के घर जाऊं और उनके घर वालों से भी माफी मांगू। और फिर अपने घर जाऊं और अपने पापा से लाख दो लाख जो भी मिले, उसे लेकर यहां आ जाऊं, तुम दोनों के पास, हमेशा के लिए . ! क्योंकि तुम दोनों ने जो कुछ भी मेरे साथ किया, उसका एहसान पूरी जिंदगी में नहीं चुका पाऊंगा। लेकिन जितना हो सकता है उतना तो करूंगा ही। और चूंकि मैंने दो खून किए हैं, इसलिए मेरे घर पर रहना मेरा असंभव है। और इसलिए मैं सारी उम्र यही रहूंगा तुम दोनों के साथ। लेकिन अगर लाख दो लाख मेरे पास होंगे तो इससे तुम दोनों का भी भला होगा और मेरे को भी बहुत खुशी मिलेगी.!"
superbbbbb mst
 
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Raj Yadav

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भाग - 28
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राजन ने रानी और भोली से जब घर जाने के बाद कहीं तब भोली ने कहा -"तुझे जहां जाना हो तू जा सकता है लेकिन आज तू कहीं नहीं जाएगा आज रात तुझे हम दोनों के साथ रहना है क्योंकि अभी रानी ने भी तेरे साथ सही तरह से सुहागरात नहीं मनाई है और मेरी भी इच्छा है कि कम से कम एक दिन तो तेरे साथ खुशी-खुशी मौज मस्ती कर लूं क्योंकि इस समय हम दोनों को तेरे साथ बिल्कुल मजा नहीं आया।"

"मुझे रुकने में कोई आपत्ति नहीं है।"

राजन ने कहा-" लेकिन अगर रात में भी मेरी इच्छा न हुई, तब क्या होगा..? क्योंकि कुछ बातें अपने बस में नहीं होती। शायद तुम मेरा इशारा समझ गई होगी। और यह तो तुमने जान ही लिया होगा, कि जब इंसान की इच्छा नहीं होती तब वह कुछ भी कर सकने में असमर्थ होता है क्योंकि ऐसी स्थिति में उसकी इंद्रियां उसका साथ नहीं देती।"

"भोली, मैं बलात्कार का अर्थ समझ गया हूं, क्योंकि आज पहली बार मुझे इसका अनुभव हुआ है कि एक तरफा मोहब्बत करना असंभव होता है। किसी की इच्छा के विरुद्ध कभी कोई किसी के साथ गलत नहीं कर सकता। और अगर गलत करता है, तो उसको वो सुख नहीं प्राप्त हो सकता, जो सुख दो तरफा मोहब्बत में मिलता है।"

"रानी और भोली, मैं तुम दोनों से माफी मांगता हूं। क्योंकि आज मुझे ऐसा लग रहा है, जैसे वास्तव में मैने कोई बहुत बड़ा गुनाह किया है कमला के साथ जबरदस्ती करके। और सोनी के साथ मैंने जानबूझकर कोई गलत काम नहीं किया, मगर वह बेचारी कमला के कारण धोखे से मारी गई। क्योंकि जब मैंने उसकी जान ली, उस समय उसके जिस्म में कमला की रूह का वास था। सोनी के साथ मैंने जबरदस्ती नहीं की थी क्योंकि उसकी खुद की इच्छा थी मेरे साथ सुहागरात मनाने की और उसने मेरे साथ सुहागरात मनाई भी।"

रानी और भोली के कुछ समझ में ना आया कि राजन की बातों का क्या जवाब दें। लेकिन उसके ठंडे जिस्म को देखकर उन दोनों को ऐसा लग रहा था, जैसे उनका सब कुछ लुट गया हो और उनकी सारी तमन्नाएं मिट्टी में मिल गई हो।

कुछ देर तक जब रानी और भोली ने उसे कोई उत्तर न दिया तब राजन ने उनसे कहा-"कमला मुझे मेरे गुनाहों के खुद सजा दे रही थी। मेरा खून पी रही थी। और मेरे जिंदा मांस को नोच कर खा रही थी। मैं दर्द में बुरी तरह से तड़प रहा था। और शायद वो यही चाहती थी, कि मैं जिंदा रहूं, लेकिन तड़प तड़प कर रोज मेरी मौत हो और मैं हजार बार मरू। लेकिन रुद्र बाबा ने उसके बदले की आग को शांत कर दिया और मेरे जिस्म को घोर पीड़ा से मुक्ति प्रदान कर दी। लेकिन अब मुझे ऐसा लग रहा है, जैसे कमला ने मुझे आजाद तो कर दिया है, लेकिन मैं किसी से प्यार और मोहब्बत करूं, इस सुख को ही उसने मुझसे छीन लिया है। रानी और भोली, मैं सच कह रहा हूं, कि मुझे कमला द्वारा दी गई है सजा तो मंजूर है, लेकिन आज मुझे अपनी नाकामी पर बहुत ज्यादा शर्मिंदगी हो रही है। और यह शर्मिंदगी इसलिए नहीं है, कि इस सजा को देकर मेरी सारी खुशी उसने छीन ली, बल्कि इसलिए, क्योकि इस सजा को देकर उसने तुम दोनों की खुशी क्यों छीन ली..?"

" भोली, अब मैं अपने लिए नहीं जीना चाहता हूं, बल्कि तुम दोनों के लिए जीना चाहता हूं ! और इसलिए जीना चाहता हूं, जिससे कमला की आत्मा जो चाहती है, मैं उसे पूरा कर सकूं। किसी मरते की जिंदगी बचा सकूं और अपने जीवन को पापों से मुक्त कर सकूं।"

"भोली, मैं चाहूं तो अपने को कानून के हवाले भी कर सकता हूं। लेकिन तब शायद मैं अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाऊंगा। क्योंकि अगर कुछ अच्छा काम करना है और किसी की जान बचाना है, तो इसके लिए मुझे जेल से बाहर रहना होगा। क्योंकि जेल के अंदर मुझे बंदिश में रहना होगा। और तब किसी का भला मैं नहीं कर सकता। किसी की जान में नहीं बचा सकता। जबकि जेल के बाहर रहने पर मैं कुछ अच्छा काम करने के बारे में भी सोच सकता हूं । मैं किसी का भला करने के बारे में भी सोच सकता हूं। और सजा का जहां तक सवाल है, तो मैं खुद अपने को सजा देने को तैयार हूं। इतनी कठोर सजा, जितनी कठोर सजा जेल में भी इंसान को ना मिलती हो।

कोई इंसान अपने कर्मों का प्रायश्चित जेल के अंदर रहकर नहीं कर सकता। इसके लिए उसे जेल से बाहर ही रहना होगा। और जेल से बाहर जितनी खूबसूरत जगह यह निर्दोष पहाड़ियां है, इतनी खूबसूरत जगह शायद कोई और नहीं हो सकती।

पुलिस मुझको तलाशेगी शहरों में, क्लबों में, रंडी खानों में..! क्योंकि खून करने वाले ऐसो आराम की जिंदगी जीते हैं। होटलों और क्लबों में जाते हैं। अय्याशी के अड्डे पर जाते हैं। किसी निर्जन पहाड़ी पर नहीं जाते। इसलिए पुलिस यहां कभी नहीं पहुंचेगी और मैं अपनी पूरी जिंदगी तुम दोनों के साथ, या जब तक तुम दोनों चाहो, तुम्हारे साथ बिता सकता हूं। और उसके बाद मैं कहां रहूंगा, कुछ नहीं पता। बल्कि यह भी हो सकता है, कि तुम्हारे से अलग होने के बाद मैं अपने आप को कानून के हवाले कर दूं और अपनी शेष जिंदगी जेल में ही बिता दूं। क्योंकि इस समय हमारे जीने का मकसद सिर्फ तुम दोनों हो। और यह सत्य है, कि आज अगर मैं जीना चाहता हूं तो सिर्फ तुम दोनों के लिए। और मैं चाहता हूं कि तुम दोनों की मैं सारी इच्छाएं पूरी करूं और मेरे कारण तुम दोनों को कभी कोई तकलीफ ना हो। और इसीलिए आज जो कुछ भी हुआ, यद्यपि इसमें मुझे बहुत तकलीफ हुई। बहुत दर्द हुआ। लेकिन तब भी हमें ज्यादा तकलीफ इस बात की है, कि तुम दोनों को मेरे कारण तकलीफ हुई और तुम्हारी इच्छाओं को मैं पूरी ना कर सका। क्या तुम दोनों इसके लिए मुझे माफ करोगी..?

भोली ने कहा यह बड़ी विचित्र बात है कि आज तुम एक अच्छे इंसान बनना चाहते हो लेकिन तुम्हारी अच्छाई पर हमें गुस्सा आ रहा है जबकि हमें खुश होना चाहिए तुम्हारी इस बदलें हुए रूप को देखकर।

हमें मालूम है कि आज हम गलत हैं और तुम सही हो, लेकिन ईश्वर भी न जाने कैसे खेल रचता है कि कभी इंसान को अच्छा बनने में खुशी होती है और कभी बुरा बनने में। लेकिन एक बात बताओ राजन क्या तुम लौट कर आ पाओगे..? और अगर आओगे तो कब तक आओगे
राजन ने कहा मुझे नहीं पता कि शहर जाने पर मेरे साथ क्या होगा लेकिन मुझे इतना जरूर मालूम है कि जब तक मैं वहां रहूंगा घुट घुट कर रहूंगा और हर पल तुम दोनों को याद करूंगा। कहने का अर्थ यह है भोली कि मैं खुद तुरंत वापस आना चाहूंगा और शहर में 1 दिन रहना भी मुझ पर भारी होगा क्योंकि वैसे भी पुलिस मुझे तलाश रही है और अगर मैं शहर गया तो मुझे पुलिस से बचकर रहना होगा और मुझे उम्मीद है कि तुम दोनों की ताकत मुझे पुलिस के फंदे से बचा लेगी और जब मैं वापस आऊंगा तो तुम्हें निराश नहीं होना पड़ेगा..!

लेकिन मुझे तुम दोनों की दुआओं की जरूरत है, क्योंकि शहर जाकर जब मैं कमला के घर वालों से मिलूंगा, तब मेरा क्या होगा और सोनू के घर वालों से जब मिलूंगा ,तब मेरा क्या होगा, यह मुझे नहीं पता। क्योंकि अगर उन्होंने मुझे पुलिस के हवाले नहीं किया, तभी मैं आ सकूंगा और यह सिर्फ तभी संभव है, जब तुम दोनों की दुआएं हमारे साथ होंगी।"

इतना कहकर राजन वहां से जाने लगा।

भोली और रानी दोनों उसे जाते देखती रही, लेकिन उसे रोकने की ताकत शायद अब उनमें नहीं थी। और थोड़ी देर में ही वो उन दोनों से ओझल हो गया..!
nice update
 
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