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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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कमाल की हैं...
नहीं, नहीं कमाल की नहीं, :shocked:😯

मेरी मम्मी हैं , सिर्फ मेरी,... मैं उनकी एकलौती बेटी हूँ,

और ये कमाल कहाँ से आगया , आपने तो एक सस्पेंस खड़ा कर दिया , कमाल की माँ का नाम तो जैबुनीसा है,.. पूछना पड़ेगा
 

komaalrani

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यहाँ मेरा मत आपसे भिन्न है...

कोमल रानी ऑलरेडी उन बुलंदियों पर लिखने वाली लेखिका हैं....
लेकिन इस फोरम पर कुछ विशिष्ट आलेख पढ़ने वालों की संख्या ज्यादा है...
इसलिए उस संख्या बल को छूने के लिए अतरिक्त प्रयास के तौर पर उन्होंने इस प्रयोग में भी हाथ डाला...

ये दर्शाता है कि साहित्य की किसी भी विधा में वो किसी से कम नहीं... ये उन्होंने सिर्फ self restriction लगाया हुआ था...
संख्या महत्वपूर्ण है लेकिन संख्या के साथ कई और महत्वपूर्ण पक्ष है , और विशेष रूप से इस फोरम के संबंध में ,

इस फोरम में कहानियों को विधा के अनुसार बांटा गया है और जैसे कोई पाठक हिंदी कहानी तक पहुंचा तो वह अपनी पसंद के अनुसार , इन्सेस्ट, इरोटिका , एडल्ट्री या हॉरर में जा सकता है , अपनी अपनी पंसद, गुजराती थाली, पंजाबी थाली, मारवाड़ी थाली, कांटिनेंटल,...

और वह बटन दबा के अपनी मनपसंद विधा में पहुँच जाता है और वहां भी अनेकानेक कहानियां जिन्हे वो पढता है और उसके आधार व्यूज या विज्ञापन की दुंनिया के हिसाब से आईबॉल्स की संख्या बढ़ती है.

अब जैसे कुश्ती या मुक्केबाजी या वेट लिफ्टिंग में तरह तरह कैटगरी होती हैं , बेंटमवेट, हैवी वेट इत्यादि और एक कैटगरी का मुकबला दूसरी कैटगरी से नहीं कर सकते,

तो इस फोरम में जैसे हम हॉरर की विधा लें तो कुछ ही कहानियां है जीके व्यूज ५०, हजार पार कर चुके हैं, और एक दो कहानियां ही जिन्होंने एक लाख व्यूज पार किये हैं तो अगर कोई हॉरर की विधा में लिखता है और उसके व्यूज एक लाख पार कर जाते हैं या उसके आस पास भी मंडरा रहे हैं तो मेरे लेखे वो कहानी बहुत पॉपुलर है,...



पर अगर हम इरोटिका की श्रेणी में जाएँ तो, ऐसी तीन कहानियां जिनके व्यूज एक मिलियन पार कर चुके हैं और उसमें सबसे ज्यादा व्यूज मोहे रंग दे के हैं जो कहानी कब की पूरी हो चुकी है , पर मैं उसे हॉरर की एक लाख व्यूज की कहानियों के समकक्ष ही मानूंगी, ...

तो मेरे लेखे , विधा और लिपि , का भी व्यूज से गहरा संबंध है ,

पर हर उस व्यक्ति की तरह जिसने कलम पकड़ी है , लालच और लालसा तो होती है , गोस्वामी जी ने कहा है ,

निज कबित्त केहि लाग न नीका। सरस होउ अथवा अति फीका॥
जे पर भनिति सुनत हरषाहीं। ते बर पुरुष बहुत जग नाहीं॥6॥


(भावार्थ-रसीली हो या अत्यन्त फीकी, अपनी कविता किसे अच्छी नहीं लगती? किन्तु जो दूसरे की रचना को सुनकर हर्षित होते हैं, ऐसे उत्तम पुरुष जगत् में बहुत नहीं हैं॥)

इसलिए में सबसे ज्यादा क्रेडिट आप जैसे रसिक,सुहृदय, मित्रों पाठको को देती हूँ जो इन कहानियों को याद रखते हैं , सराहते हैं और तमाम दोषों के बावजूद , हिम्मत बढ़ाते हैं,...
 

komaalrani

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अपडेट पोस्टेड
भाग ३३ - इन्सेस्ट गाथा - सांझ भये घर आये




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Jiashishji

दिल का अच्छा
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शर्ते





फिर उन्होंने अपनी असली शर्ते सुनाई ,

सबसे पहली शर्त , उन्हें मम्मी की समधन को चोदना होगा ,हचक हचक कर



और उनसे तीन बार तीबाचा भरवाया। उन्हें खुद अपने मुंह से बोलना पड़ा की हाँ वो मादरचोद बनेगे ,

फिर दूसरी शर्त थोड़ी टेढ़ी थी ,

उन्हें महीने भर के अंदर अपनी ममेरी बहन को गाभिन करना था।

ज़रा सा वो हिचके तो मम्मी ने तुरंत फरमान सुना दिया ,

}कोई बात नहीं ,तुम अपनी बहन को गाभिन नहीं करना चाहते हो तो कोई बात नहीं ,

कल सुबह मैं उसे बुलवा रही हूँ अपने पास ,... वो कल ही गाभिन हो जायेगी ,... सारे गाँव के लौंडो को चढ़ा दूंगी उसके ऊपर"




और उसके साथ ही उन्होंने जो शर्त सुनाई तो जमीन आसमान सब हिल गए ,


मैं भी।

गुड्डी के साथ उन्होंने मुझे भी जोड़ दिया। मुझे ही हुक्म सुना दिया ,

" सुन कल सुबह साढ़े छः बजे इसकी सोनचिरैया को ले के चल देना , .. "

फिर उनसे बोली ,

" और उसके बाद ,... मेरी बिटिया को , मुझे भूल जाना। और तेरी बहन जब गाभिन हो जायेगी ,एक दो महीने की तो वापस भिजवा दूंगी , दूध पीना उसकी। लेकिन मुझे और मेरी बेटी को को भूल जाना। "





दुर्वासा मात।

इतना बड़ा शाप।

और मम्मी की बात ,मैं तो सोच नहीं सकती थी टालने को ,... और उन्हें छोड़ने को भी ,...

मैंने बीच बचाव करने की कोशिश की ,



" नहीं नहीं मम्मी ,ये मना थोड़े ही कर रहे हैं ,बस अभी वो पिल्स पर है और फिर,...




लेकिन मम्मी का इन्फॉर्मेशन सिस्टम और गणित , मेरी भी माँ थी

बस वो चढ़ गयीं।


" मुझे सब मालूम है ,आठ दिन पहले उसकी पांच दिन वाली छुट्टी ख़तम हुयी है न , यानी १५ दिन बचे हैं तुमलोगों के पास , ... उसके पीरियड्स ,.. पांच दिन उसके ,... कुल २० दिन ,... और उसके दस दिन बाद उसका फर्टाइल पीरियड ,... ३० दिन ,.. मैंने एक महीने इसलिए तो बोला था ,.. चलो ४० दिन कर देती हूँ ,... गाभिन तो उसे होना ही है ,पर पता नहीं किसके बीज से हो , इससे अच्छा तेरे बीज से हो ये मैंने सोचा था ,लगन भी निकलवाया था , चाँद सी बिटिया होगी।,...चलो मैं आ जाउंगी आपने सामने ही गाभिन करवाउंगी उसको " "



मौक़ा देख कर उन्होंने भी स्काइप पर मम्मी के पैर पकड़ लिए।

और उन्होंने कबूल कर लिया की अपनी बहन को बस नेक्स्ट आंटी जी के बाद , पक्का ,..

पर मम्मी भी कच्ची खिलाड़ी नहीं थी। उन्होंने काम मुझे सौंप दिया , सारी प्लानिंग मेरी होगी और मम्मी को मैं सही टाइम पर इन्फॉर्म करुँगी और वो आके अपने सामने ,...

एक बार फिर तीन तिबाचा भरा उन्होंने अपनी बहन को गाभिन करने के लिए और तब मम्मी ने इजाजत दी ,

चल कल चोद देना , लेकिन हचक हचक के ,मेरा नाम मत डुबाना , अगले दिन बिस्तर पर से उठने लायक नहीं होनी चाहिए ,कित्ता भी चिल्लाये वो मूसल पूरा ठोंकना , फाड़ के रख देना तब मानूंगी मेरे सच्चे दामाद हो।'






एक बार फिर मामला सुलझ गया था , और मैं सोच रही थी



इनके बारे में
Good jab bhen gabhin ho jayegi uske baad maa ka no aayega. Nice apdate
 

Jiashishji

दिल का अच्छा
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नहीं नहीं इनकी सास का कोई दोष नहीं, न मेरा, इन्होने खुद ये वरदान अपनी सास से मांगा था, और कई बार वरदान मांगते समय अगर ज्यादा सोच समझ के नहीं मांगने से,... और इनकी सास इनकी कोई बात तो मना नहीं करतीं तो,... बस उसी दिन मेरी ननद के हाथ में बच्चे की रेखा इनके हाथ से से लिख दी गयी थी ,

जी थोड़ा सा पन्ना पलटिये, पेज ३९ पोस्ट ३९० और जवाब मिल जाएगा। जी हेडिंग है उस पोस्ट की
इनाम

इनकी पाक कला से मम्मी खुश थीं इनसे वर माँगा और इन्होने जो कहा एवमस्तु बोल दिया , अब वरदान दिया है तो उसे पूरा भी तो करना पडेगा न ,...

लिंक भी दे रही हूँ और चुने हुए अंश भी,/...



" यार तूने इतना अच्छा खाना बनाया है ,कुछ तो इनाम बनता है। बोल क्या लोगे ?"


उनका चेहरा इतना ख़ुशी से दमक रहा था मैं बता नहीं सकती ,लेकिन फिर वो बोले।

" मम्मी आप को पसंद आया ,इस से बड़ा इनाम मेरे लिए क्या हो सकता है। "

"दूधो नहाओ ,पूतो फलो , "




मैंने मम्मी की ओर से आशीष दे दिया फिर पलीता भी लगा दिया।

" अरे मौक़ा अच्छा है ,मम्मी से उनकी समधन मांग लो ,बचपन से ललचाते थे न ,.. "

" है तेरी वकालत की जरूरत नहीं है ,और मेरी समधन तो मैं वैसे ही अपने मुन्ने को मैं बहुत जल्द दिलवाऊंगी। पूरे मोहल्ले को जोबन लुटाती हैं तो बिचारा मेरा मुन्ना क्यों,... "

उन्होंने मुझे जोर से झिड़का और एक बार फिर उनके बाल बिगाड़ते हुए बोलीं ,

"बोल न मुन्ना ,क्या मांगते हो?"


बिना उनके जवाब का इन्तजार किये वो हलके से उनके कान में बोलीं ,

" बोल बच्चे चाहिए न "

" हाँ एकदम मम्मी "

ख़ुशी उनसे रोके नहीं रुक रही थी।

( असल में ये चीज वो पहले दिन से चाहते थे और मैं मना करती थी ,मैं लगातार पिल पर रहती थी "

" कितने एक दो तीन चार ,... "

मम्मी आज उनकी कोई भी ख्वाहिश पूरी करने के मूड में थी।

" पांच " झट से उनके मुंह से निकल गया।


" एवमस्तु ,चल तेरे अगले चार साल में पांच बच्चे होंगे। तू जल्द ही पांच का पिता बन जाएगा। "

एक बार तो मैं झटक गयी फिर मुझे समझ में आ गया ,मम्मी ने उनको पिता बनने का आशीर्वाद दिया था ,मेरे माँ बनने का थोड़े ही।

फिर से चिढाते हुए मम्मी से मैंने पुछा।

"ये तो एकदम एक्सप्रेस डिलीवरी हो गयी लेकिन चार साल में पांच कैसे ?"

" अरे तू भी न इसकी संगत में रह के , ....गाभिन होने और बच्चा जनने के बीच जनाना को कितना टाइम लगता है ९ महीने न तो फिर ४५ महीने हुए ,मैं तो ४८ महीने का टाइम दे रहीं हूँ ,बच्चा बाहर ,ये अंदर। "


लेकिन मेरे मन में अभी भी उथल पुथल हो रही थी कहीं मेरे साथ तो नहीं ?

और माँ से ज्यादा कौन समझ सकता था मुझे। माँ ने उन्हें थोड़ी और जेली लाने को भेजा और फिर मुझे समझाया ,

" अरे यार ये बच्चे तेरे से होंगे ये मैंने कहाँ कहा , जो तू घबड़ा रही है। बस देखती जा। "

और जैसे ही वो आये ,माँ ने स्पष्टीकरण जारी कर दिया ,

" और इन पांच बच्चो के लिए मैं जैसे कहूँगी ,जिस तरह कहूँगी ,जिस समय उस समय करना पडेगा ,समझ गए न। पहले शाट में ही गाभिन कर दोगे ,बोलो मंजूर है न। '


एकदम मम्मी कह के उन्होंने उनके पैर छू लिए।"



-----------\\\


तो बस बात ये थी की मेरा सास तो बच्चा जन नहीं सकती थीं, वरना मेरी पहली प्रायरिटी तो वही थीं,

मुझे एक सगी ननद मिल जाती और इन्हे बहन भी बेटी भी, फिर कालांतर में वो बड़ी होती और शुभ मुहूर्त देख के एक दिन ये,...जी सही समझा आपने,...

लेकिन सब कुछ चाहने से थोड़े मिल जाता है,... तो मेरा सास ने इनके बाहर निकलते ही आपरेशन करवा लिया, जिससे गहरे आर्थिक संकट में उनका पिल्स का खर्चा बचे और यारों का रबड़ सबड का,...

तो अब बची मेरी ये कुँवारी किशोर ननदिया,... तो इसी के साथ ,... तो इनकी सास बस, जो उन्होंने इनकी ही मांग पे वर दिया था उसे पूरा करने के लिए एक्शन प्लान बना रही थीं,... वो तो एकदम जो वादा किया वो निभाना पडेगा, टाइप की हैं बस इसलिए , महीने भर का टारगेट है,... और उस बेचारी को पांच दिन जो पैड लगा के दुकान बंद करना पड़ता था, वो भी बंद हो जाएगा,.. सब का फायदा,

दामाद का फायदा, दामाद के बचपन के माल का फायदा,... और उस बचपन के माल के नए नए यारों का फायदा,

इसे कहते हैं बहुजन हिताय, बहुजन सिखाय
Bahujan hitaye bahujan sukhaye ka naara sahi diya hai lekin jab gabhi ho jaye gi to kuwari ladki bacha kis ke naam ka Jane gi .
 

komaalrani

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You must have saved the english version...
I also forgot this portion of the story though many pages has been added in the same context by Komal Rani in hindi...
yes and there also are two versions, one shortened and one slightly longer, every time i post it, it remains the same but changes, reminding me of Greek Philosopher, Heraclitus,

" You can't step into the same river, twice. "
 
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Bahujan hitaye bahujan sukhaye ka naara sahi diya hai lekin jab gabhi ho jaye gi to kuwari ladki bacha kis ke naam ka Jane gi .
Ye to aapne bada tedha svaal pooch liya,... Mama bhi Baap bhi
 
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komaalrani

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पहला प्यार और पहली चुदाई याद रहती है...
तो गुड्डी की पहली चुदाई यादगार बनाने की तैयारी....

सारी शर्तों के साथ...
एकदम सही कहा आपने, आखिर पहले प्यार की, बचपन के माल के साथ होगी और अब तो उनकी भी शरम झिझक कम हो गयी है और ' वो ' भी गीता के पहलौठी के दूध की मालिश करवा करवा के मोटा मूसल हो गया है , लोहे का खम्भा भी,...
 
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हाँ वो तो है...
पर छेदों की piercing bhi मोटे-मोटे....


एवमस्तु

इसलिए तो पिछवाड़े के लिए कमल जीजू का नाम तय किया है, उसके पहले ननद रानी के पिछवाड़े सींक भी नहीं घुसेगी, ऊँगली तो छोड़ दीजिये, और जो शर्त अगवाड़े के लिए थी वही पिछवाड़े के लिए भी, एकदम सूखी सिर्फ आर्गेनिक, .... थूक,..लार तो कित्ते लौंडे उसकी गली के टपका रहे थे मटकते पिछवाड़े को देख के,
 
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