उत्कृष्ट और असाधारण राइटिंग ।
इस तरह की घटनाओं पर कुछ लिखना बहुत ही पेचीदा कार्य होता है , लेकिन आप के हुनर से हम सब वाकिफ है कि आप यह कर सकती है ।
मैने पिछ्ले रिव्यू मे कहा था कि आनंद के लिए यह मिशन डबल से अधिक पेचीदा है , एक तो खुद की बचाव करो , दूसरा लड़कियों और वह भी तीन - तीन की रक्षा करो , और ऊपर से टाइमिंग का भी ध्यान रखो , अन्यथा एस टी एफ वालों की भी एन्ट्री गोला बारूद के गूंज के साथ हो सकती है ।
इस अपडेट मे हमने फिर से स्कूल के अंदर की भयावह सिचुएशन को महसूस किया । ऊपर के तल्ले से सीढ़ी के रास्ते नीचे उतरना , ऊपर बंद दरवाजे से एक के बाद एक आती हुई गोली , आनंद और तीनों लड़कियों का दीवार से सटते हुए एक्जिट द्वार तक पहुंचना , गन की गोली से एक्जिट द्वार मे कई सूराख हो जाना माहौल की भयावह तस्वीर पेश कर रहा था ।
एक एक सेकेंड का महत्व था । एक सेकेंड की चूक और किसी की जान जा सकती थी । यह सब होते हुए हमने देखा ।
बहुत खुबसूरती के साथ इस वृतांत का नरेशन किया है आपने । यही नही इस भय के माहौल मे कुछ हल्के - फुल्के मस्ती मजाक का भी समावेश किया आपने जो निश्चय ही आनंद और लड़कियों के मन मस्तिष्क से तनाव कम करने के लिए किया गया था ।
खासकर आनंद का कहना - " अरे यार , सालियों को जीजा के अलावा और कहीं फंसने की इजाजत नही है । " - विपरीत सिचुएशन मे भी सब्र और रिलेक्स करने के साथ साथ हंसी-मजाक का बानगी पेश करता है ।
आनंद ने कभी भी , कहीं भी अपना धैर्य नही खोया । धैर्यवान व्यक्ति आत्मविश्वास की नौका पर सवार होकर बड़ी से बड़ी आपदा को सफलतापूर्वक पार कर जाते हैं और वही काम आनंद ने यहां कर के दिखाया ।
लेकिन इस पुरे घटनाक्रम पर कुछ सवाल खड़े हो रहे हैं -
1. एक्जिट द्वार का दरवाजा किसने बंद किया ?
2. चुम्मन को यह आधुनिक बम कैसे और कहां से प्राप्त हो गई ?
ऐसा प्रतीत हो रहा है पुलिस डिपार्टमेन्ट के कुछ आफिसर चुम्मन से मिले हुए है और चुम्मन साहब टेररिस्ट ग्रूप के सम्पर्क मे मुंबई प्रवास के दौरान ही आ चुके है ।
बहुत ही खूबसूरत अपडेट कोमल जी ।
एक बार फिर से जगमग जगमग अपडेट ।