रजत जड़ित वह द्वार शायद गजराजों के जोर से भी नहीं हिलता, लेकिन अपने आप, एक अलग ढंग की रौशनी और दरवाजे के ठीक ऊपर एक तोते की आकृति,... जैसे पन्ने का हो, पल भर के लिए चमका, नीचे कुछ मंत्र सा लिखा,... और उसी समय भाभी ने गुड्डो की ओर दिखा के कुछ इशारा किया,
ऊँची सी चौखट, गुड्डो को गोद में उठाकर मैं द्वार के पार, बांये भाभी,
बिन बोले जैसे मन मना कर रहा हो पीछे मुड़ के देखने को,
जीवन और समय आगे ही चलते हैं,
और अब आगे ढेर सारे पेड़, अशोक के छोटे छोटे लाल फूलों से लदे, आम्र मंजरी से भरे पड़े ढेर सारे आम के पेड़, उन सब पर सैकड़ों तोते,... चमेली की बेल और लताओं पेड़ों का एक गझिन गुम्फन लेकिन उनको पार करती सूरज की विदा लेती सुनहली किरणे, और उन पेड़ों के बीच एक बहुत ही पुराना मंदिर,
एक बहुत ही अलग ढंग की हवा, सुरभित मंद मलय समीर,आम की बौर की महक के साथ चम्पा और चमेली की महक,
भाभी ने इशारा किया और पूजा की सामग्री जो भाभी के हाथ में थी उसके अलावा हमारे पहने कपडे, झोले सा गुड्डो का पर्स , बाकी सब सामान एक पेड़ के नीचे रख दिया, और भाभी के साथ हम दोनों, पेड़ों का झुरमुट और उसके ठीक बीचोबीच एक पुराना सा मंदिर और उसके शिखर पर डूबते सूर्य की किरणें पड़ रही थी और सूरज की उन किरणों से वो सोने सा चमक रहा था।
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एक मृदुल स्मिति,... और फिर वही आवाज,
' ये तो तेरा कर्म है और कर्मों का फल भी,... "
जैसे बच्चा माँ की गोद में सर घुसेड़े, तोड़े मरोड़े, बस उसे अच्छा लग रहा और कुछ भी समझ में न आ रहा हो,...
काम,... शक्ति,.. आनंद,... पुरुष,... बस कुछ कुछ,... और ये भी
स्मरण और विस्मरण दोनों ही जरूरी हैं और दोनों एक दूसरे के पूरक,... यहाँ से जाते ही सब कुछ विस्मृत के गर्त में और कुछ यादों का धंधलका जिसमें याद भी न रहे की क्या याद है या क्या कल्पना,...
फिर वो देसी शराब के चार,... मैं चढ़ा रहा भी था और देवता के प्रसाद का पान भी, अंजुरी रोप कर के,.. ... मैंने और गुड्डो ने साथ वो भांग की मिठाई,... जैसे एकदम संवेदन शून्य होकर या संवेदना की आखिरी चढ़ाई पार कर के,
पुजारी जी ने कुछ भाभी को इशारा किया और उन्होंने गुड्डो का हाथ पकड़ के,... वो छोटा सा सफेद बिन सिला कपडा जो कटि प्रदेश के नीचे बस लपेटा सा,... और गुड्डो का हाथ लग के, सरसरा के जमीन पर जहाँ चमेली और अशोक के फूल बिख्ररे थे,... वही मदिरा प्रसाद, मेरी देह से होकर,कटि प्रदेश के नीचे बस बूँद बूँद होकर , जैसे आसव टपक रहा हो, ... और ओक लगाकर ,... वहां से गिरता टपकता , गुड्डो,.. और फिर भाभी भी,...