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विभावरी बाहर अपनी एड़ी में लाली लगा के, रात की काली चादर उठा के बस हलके हलके झाँक रही थी, ..." करो न भैया,... "
लेकिन मेरे साजन ने धक्के रोक दिए,...
कुछ देर तक तो उसने बर्दास्त किया,... फिर शर्म लाज छोड़ के बोल पड़ी, गुड्डी,...
" करो न भैया,... "
" क्या करूँ " ... उन्होंने छेड़ा,...
वो हलके से मुस्करायी कुछ गुस्से में कुछ प्यार से बोली,...
" जो अबतक कर रहे थे,... "
उफ़ मैं सोच रही थी बस अब उन्हें करना नहीं चाहिए, और तड़पाना चाहिए स्साली को , खुल के अपने मुंह से जब तक न बोले न छिनार लंड न मांगे अपने भाई से तब तक,... मैं होती पास में न तो जरूर इनके कान में बोल के, इशारे से पर वो क्या कहते है न टेलीपैथी, ... बस वही,... और बिन बोले सजनी की बात साजन न समझे तो साजन क्या,.. लेकिन दूर से बिन देखे भी पर हुआ वही,...
कस के उसके निपल पे उन्होंने चिकोटी काटी और चिढ़ाया ,
" बोल न गुड्डी क्या कर रहा था मैं, बोल न,..."
वो समझ गयी चुदवाना है तो बोलना पडेगा,... और उसके बिना, फिर कुछ उस पान का असर कुछ रात भर से चल रहे मूसल का, .... थोड़ा हिचकिचा के बोली,..
" जो अबतक कर रहे थे , चोद रहे थे,... और क्या चोद न भैया , चोद, रुको नहीं प्लीज़,... "
मैं टीवी पर देख रही थी पर मन यही कर रहा था , अभी नहीं बस थोड़ा सा और,... और उन्होंने मेरी मन की बात सुन ली,... और वो बोले
" किसको चोदू, गुड्डी यार मेरी बहन साफ़ साफ़ बोल न,... "
अब वो एकदम बिफर पड़ी, खुद चूतड़ उठा के धक्के मारने की कोशिश करते बोली,
" और किसको चोदेगा, अरे मुझे गुड्डी को अपनी बहन को चोद,... इत्ते दिन से चुदवाने के लिए तड़प रही हूँ ,....अपनी बहन को नहीं तो क्या अपनी महतारी को चोदोगे, अबे स्साले चोद दोना उसको भी,... मुझे फरक नहीं पडेगा, बल्कि जरूर चोदना लेकिन अभी तो अपनी बहन चोद स्साले, ... "
बस बस यही तो मैं सुनना चाहती थी,... और उन्होंने भी बस अपना मोटा मूसल सुपाड़े तक बाहर निकाला और एक धक्के में पूरा ठोंक दिया बच्चेदानी तक फिर लेकिन दूसरा धक्का नहीं मारा बस लंड के बेस से उसकी क्लिट रगड़ते रहे,...
" अरे तेरी ऐसी बहन हो तो चोदना पाप है , ले घोंट अपने भाई का लंड, ... घोंट पूरा , भाई चोद ले,.... "
बस गुड्डी ने झड़ना शुरू कर दिया और वो उसी तरह लंड के बेस क्लिट पे रगड़ते रहे जबतक वो झड़ती रही , दो चार मिनट तक
उसके बाद उसे दुहर कर क्या धक्के मारे अगले बीस मिनट तक बिना रुके और साथ में दोनों एक से एक गन्दी गालियां,....
जब वो झड़े अपनी भीं के बिल में थोड़ी देर पहले ही पांच का घंटा बजा था, वो उसके ऊपर चढ़े दबोचे
हलकी हलकी लालिमा आसमान में छा रही थी ,
बाहर किसी मुर्गे ने बांग दी ,अंदर उनका मुरगा बांग दे रहा था , अपनी बहनिया के बिल में ,
झड़ने के बाद जैसे कोई कटा पेड़ गिरे वो अपनी बहन के अंदर उसके ऊपर, चढ़े, उसी तरह बड़ी देर तक,... जैसे चार बार चोदने और हर बार कटोरी भर मलाई छोड़ने के बाद अब वो हिलने की हालत में न हों,...
और बहन उनकी,... गुड्डी रानी की हालत तो और खराब,... चोदने के साथ साथ जिस तरह से उन्होंने उसे चूसा था, काटा था, रगड़ा था,... पूरी देह, ... कोई जगह न बची थीं जहाँ उनके निशान न हों होंठ चूस चूस के काट काट के, निचला होंठ हल्का सा जैसे फूल गया था, जगह जगह दांत के निशान ,... गालों पे भी पहले वो उस गोरी के गुलाबी गाल ले के मुंह में देर तक चूसते थे फिर मुंह में लिए लिए वहीं पर हलके से दांत का निशान,... और चोदते समय जहाँ जहाँ हलके हलके निशान थे उसी को मुंह में ले के कचकचा के काटते थे, एक बार दो बार पांच बार एक ही जगह पर,...
वो चीखती थी, चिल्लाती थी चूतड़ पटकती थी लेकिन उन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ता था,... और जितना चिल्लाती थी उनकी बहन गुड्डी उतने ही जोर से और,... गाल पर तो दसों जगह निशान,... फिर नाखूनों के निशान जोबन पर खरोंचे चूतड़ों पर,...
अब वो एकदम थकी लग रही थी , पान का असर भी कम हो रहा था,... पूरी जांघ पर अभी भी खून और वीर्य के दाग,...ऐसी थेथर लग रही थी की अब हिल भी नहीं पाएगी,...
विभावरी बाहर अपनी एड़ी में लाली लगा के, रात की काली चादर उठा के बस हलके हलके झाँक रही थी, ...
प्रत्युषा के क़दमों की बस हलकी हलकी आहट मिल रही थी,... छह बजने वाले थे,... हलके हलके बादल थे , हवा भी भीगी भीगी सी , कहीं पानी बरसा था,... लेकिन पूरब में आसमान में लाली छा गयी थी,... बस थोड़ी देर थी,... थोड़ी देर में सड़क पे साइकिल की घण्टियाँ टनटनाने लगेगी,... बगल के गाँव से दूधिये , साइकिल पे दूध के टीन लादे,... अखबार वाले, सड़क पे टाउनशिप की झाड़ू लगाने वालियां,...
बस थोड़ी देर में,...
और अंदर भी हलचल शुरू हो गयी थी,...
अंदर- बाहर दोनों तरफ हलचल शुरू हो गई..." करो न भैया,... "
लेकिन मेरे साजन ने धक्के रोक दिए,...
कुछ देर तक तो उसने बर्दास्त किया,... फिर शर्म लाज छोड़ के बोल पड़ी, गुड्डी,...
" करो न भैया,... "
" क्या करूँ " ... उन्होंने छेड़ा,...
वो हलके से मुस्करायी कुछ गुस्से में कुछ प्यार से बोली,...
" जो अबतक कर रहे थे,... "
उफ़ मैं सोच रही थी बस अब उन्हें करना नहीं चाहिए, और तड़पाना चाहिए स्साली को , खुल के अपने मुंह से जब तक न बोले न छिनार लंड न मांगे अपने भाई से तब तक,... मैं होती पास में न तो जरूर इनके कान में बोल के, इशारे से पर वो क्या कहते है न टेलीपैथी, ... बस वही,... और बिन बोले सजनी की बात साजन न समझे तो साजन क्या,.. लेकिन दूर से बिन देखे भी पर हुआ वही,...
कस के उसके निपल पे उन्होंने चिकोटी काटी और चिढ़ाया ,
" बोल न गुड्डी क्या कर रहा था मैं, बोल न,..."
वो समझ गयी चुदवाना है तो बोलना पडेगा,... और उसके बिना, फिर कुछ उस पान का असर कुछ रात भर से चल रहे मूसल का, .... थोड़ा हिचकिचा के बोली,..
" जो अबतक कर रहे थे , चोद रहे थे,... और क्या चोद न भैया , चोद, रुको नहीं प्लीज़,... "
मैं टीवी पर देख रही थी पर मन यही कर रहा था , अभी नहीं बस थोड़ा सा और,... और उन्होंने मेरी मन की बात सुन ली,... और वो बोले
" किसको चोदू, गुड्डी यार मेरी बहन साफ़ साफ़ बोल न,... "
अब वो एकदम बिफर पड़ी, खुद चूतड़ उठा के धक्के मारने की कोशिश करते बोली,
" और किसको चोदेगा, अरे मुझे गुड्डी को अपनी बहन को चोद,... इत्ते दिन से चुदवाने के लिए तड़प रही हूँ ,....अपनी बहन को नहीं तो क्या अपनी महतारी को चोदोगे, अबे स्साले चोद दोना उसको भी,... मुझे फरक नहीं पडेगा, बल्कि जरूर चोदना लेकिन अभी तो अपनी बहन चोद स्साले, ... "
बस बस यही तो मैं सुनना चाहती थी,... और उन्होंने भी बस अपना मोटा मूसल सुपाड़े तक बाहर निकाला और एक धक्के में पूरा ठोंक दिया बच्चेदानी तक फिर लेकिन दूसरा धक्का नहीं मारा बस लंड के बेस से उसकी क्लिट रगड़ते रहे,...
" अरे तेरी ऐसी बहन हो तो चोदना पाप है , ले घोंट अपने भाई का लंड, ... घोंट पूरा , भाई चोद ले,.... "
बस गुड्डी ने झड़ना शुरू कर दिया और वो उसी तरह लंड के बेस क्लिट पे रगड़ते रहे जबतक वो झड़ती रही , दो चार मिनट तक
उसके बाद उसे दुहर कर क्या धक्के मारे अगले बीस मिनट तक बिना रुके और साथ में दोनों एक से एक गन्दी गालियां,....
जब वो झड़े अपनी भीं के बिल में थोड़ी देर पहले ही पांच का घंटा बजा था, वो उसके ऊपर चढ़े दबोचे
हलकी हलकी लालिमा आसमान में छा रही थी ,
बाहर किसी मुर्गे ने बांग दी ,अंदर उनका मुरगा बांग दे रहा था , अपनी बहनिया के बिल में ,
झड़ने के बाद जैसे कोई कटा पेड़ गिरे वो अपनी बहन के अंदर उसके ऊपर, चढ़े, उसी तरह बड़ी देर तक,... जैसे चार बार चोदने और हर बार कटोरी भर मलाई छोड़ने के बाद अब वो हिलने की हालत में न हों,...
और बहन उनकी,... गुड्डी रानी की हालत तो और खराब,... चोदने के साथ साथ जिस तरह से उन्होंने उसे चूसा था, काटा था, रगड़ा था,... पूरी देह, ... कोई जगह न बची थीं जहाँ उनके निशान न हों होंठ चूस चूस के काट काट के, निचला होंठ हल्का सा जैसे फूल गया था, जगह जगह दांत के निशान ,... गालों पे भी पहले वो उस गोरी के गुलाबी गाल ले के मुंह में देर तक चूसते थे फिर मुंह में लिए लिए वहीं पर हलके से दांत का निशान,... और चोदते समय जहाँ जहाँ हलके हलके निशान थे उसी को मुंह में ले के कचकचा के काटते थे, एक बार दो बार पांच बार एक ही जगह पर,...
वो चीखती थी, चिल्लाती थी चूतड़ पटकती थी लेकिन उन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ता था,... और जितना चिल्लाती थी उनकी बहन गुड्डी उतने ही जोर से और,... गाल पर तो दसों जगह निशान,... फिर नाखूनों के निशान जोबन पर खरोंचे चूतड़ों पर,...
अब वो एकदम थकी लग रही थी , पान का असर भी कम हो रहा था,... पूरी जांघ पर अभी भी खून और वीर्य के दाग,...ऐसी थेथर लग रही थी की अब हिल भी नहीं पाएगी,...
विभावरी बाहर अपनी एड़ी में लाली लगा के, रात की काली चादर उठा के बस हलके हलके झाँक रही थी, ...
प्रत्युषा के क़दमों की बस हलकी हलकी आहट मिल रही थी,... छह बजने वाले थे,... हलके हलके बादल थे , हवा भी भीगी भीगी सी , कहीं पानी बरसा था,... लेकिन पूरब में आसमान में लाली छा गयी थी,... बस थोड़ी देर थी,... थोड़ी देर में सड़क पे साइकिल की घण्टियाँ टनटनाने लगेगी,... बगल के गाँव से दूधिये , साइकिल पे दूध के टीन लादे,... अखबार वाले, सड़क पे टाउनशिप की झाड़ू लगाने वालियां,...
बस थोड़ी देर में,...
और अंदर भी हलचल शुरू हो गयी थी,...
लगता है सारे आसन.. आज आजमा के देख लेंगे..प्रत्युषा
विभावरी बाहर अपनी एड़ी में लाली लगा के, रात की काली चादर उठा के बस हलके हलके झाँक रही थी, ...
प्रत्युषा के क़दमों की बस हलकी हलकी आहट मिल रही थी,... छह बजने वाले थे,... हलके हलके बादल थे , हवा भी भीगी भीगी सी ,
कहीं पानी बरसा था,... लेकिन पूरब में आसमान में लाली छा गयी थी,... बस थोड़ी देर थी,... थोड़ी देर में सड़क पे साइकिल की घण्टियाँ टनटनाने लगेगी,... बगल के गाँव से दूधिये , साइकिल पे दूध के टीन लादे,... अखबार वाले, सड़क पे टाउनशिप की झाड़ू लगाने वालियां,...
बस थोड़ी देर में,...
और अंदर भी हलचल शुरू हो गयी थी,...
बहन की बिल में घुसा भाई का मुर्गा भी बांग देने लगा था, ...
कोई मुझसे पूछे , सुबह के समय तो इनका मुर्गा जरूर बांग देता था , मैं सोती रहती थी ये पीछे से पकडे रहते थे मैं कुनमुनाती रहती थी
और ये पीछे से सेंध लगा देते थे बस मैं टांग थोड़ा सा उठा देती थी अपनी तो इन्हे धँसाने की पूरी जगह, और पीछे से ही ,...
और ये हालत सिर्फ मेरी नहीं थी टाउनशिप में दस में से मेरी आठ सहेलियों के साथ यही होता था रोज बिना नागा, साजन के साथ गुड मॉर्निंग,... और दो वहीँ बचती थीं जिनका मरद कहीं टूर पे गया हो या पांच दिन वाली छुट्टी चल रही हो , और इसलि सजा भी पति को मिलती थी,... गुड मॉर्निंग के बाद कौन उठने की हालत में रहता तो बेड पे बेड टी लाने का काम हबी का ही, सिर्फ मेरे साथ नहीं सबके साथ,...
मैं भी न अपनी बात ले बैठी,...
ये स्साली मेरी ननद भी एकदम मेरी बाकी ससुराल वालियों की तरह पक्की छिनार चुदवासी रहेंगी पर नखड़ा पेलेंगी,...
तो वो भी जब उसे लगा बस अब कुटाई शुरू होने वाली है,... बस हँसते खिलखिलाते हलके से इन्हे धक्का दिया और पेट के बल लेट गयी और इनकी ओर देख के इन्हे चिढ़ाने लगी ,...
लेकिन उसके क्या मालूम था मैं उसे लायी ही उसे इसी लिए हूँ ,... अभी कुछ दिन तक तो मेरे साजन नंबर लगाएंगे उसके बाद तो,... मैं मुस्करा पड़ी ,...
इनकी हरकत देख के ,... उन्होंने बिस्तर पर के सब तकिये कुशन उस किशोरी के पेट के नीचे लगा दिए,... सुबह तो मरद का इतना जबरदस्त खड़ा होता है ,... तो बस पीछे से दोनों जाँघे फैला के सीधे बिल में मूसल घुसा दिए, और घचा घच
कुछ देर में एकदम थकी पस्त ननद भी नीचे से चूतड़ हिलाने लगी,... फिर क्या था हचक के उन्होंने चोदना शुरू कर दिया, ननद कभी चीखती कभी सिसकती और अब ये आवाजें बाहर खुल के जा रही थीं,... पर किसी को फरक नहीं पड़ रहा था,...
कुछ देर में घुसाए घुसाए उन्होंने गुड्डी को पलट दिया और अब एक बार फिर वो नीचे उसकी दोनों टाँगे इनके कंधे पर,... जब दोनों झड़े तो मेरा अलार्म बजा,
ऊप्स मैं अलार्म बंद करना भूल गई थी,
सात बजकर चौदह मिनट ये अलार्म इनके मायके में मैंने सेट किया था , यहाँ तो गुड मॉर्निंग यही कराते थे,... और उसी समय ये पांचवी बार मेरी ननद की बिल में मलाई भर रहे थे,... पहले का उनका वीर्य अब गुड्डी की जाँघों पर चूतड़ पे चद्दर पे सूख चुका था,...
मैं थोड़ी देर में एक बार फिर किचेन में थी काफी का मग रखने,... मैंने खिड़की खोली , धूप दस्तक दे रही थी , एक नन्हा सा टुकड़ा, खिलंदड़ा उछलता कूदता अंदर घुस गया,...
बहुत खिलंदड़ी छिनार है...सुबह सबेरे
सात बजकर चौदह मिनट ये अलार्म इनके मायके में मैंने सेट किया था , यहाँ तो गुड मॉर्निंग यही कराते थे,... और उसी समय ये पांचवी बार मेरी ननद की बिल में मलाई भर रहे थे,... पहले का उनका वीर्य अब गुड्डी की जाँघों पर चूतड़ पे चद्दर पे सूख चुका था,...
मैं थोड़ी देर में एक बार फिर किचेन में थी काफी का मग रखने,... मैंने खिड़की खोली , धूप दस्तक दे रही थी , एक नन्हा सा टुकड़ा, खिलंदड़ा उछलता कूदता अंदर घुस गया,...
मोबाइल में मैंने,..सुबह सुबह आधे दर्जन से ज्यादा गुड मार्निग आ जाते थे, कुछ फार्वर्डेड कुछ गैलरी में से निकाल के गुलाब के फूल चिपकाए,... मैंने भी वही किया एक फूल दूसरे को चिपका के जवाब दे दिया कहीं हाथ जोड़ा कहीं अंगूठा,...
साढ़े सात तक जब मैं अपने कमरे में वापस आयी तो दोनों एक दूसरे से गुथे पर किसी की हालत हिलने की भी नहीं लग रही थी, ... मुझे लग रहा था शायद ये ये आखिरी राउंड हो , ... पांच बार मूसल चला , बल्कि चला तो सारी रात, ये पांच बार झड़े, वो तो बारह चौदह बार ,... और कोई मुझसे पूछे एक बार झड़ती थी तो पूरी देह निचुड़ जाती थी बस उस समय मन करता था न कोई बोले न छूये,
कुछ देर तक तो दोनों एकदम शिथिल पड़े, बस एक दूसरे के हाथ को पकडे,... गुड्डी की देह तो बिस्तर पर पड़े सुहागरात के फूलों से भी ज्यादा कुचली मसली लग रही थी, लग रहा था मिक्सी में डाल के किसी ने उसे निचोड़ लिया है,... पूरी देह पर रात भर उसे भैया से जो कुश्ती हुयी थी उसके निशान थे, दांतों के नाखूनों के, रगड़े जाने के, ... जगह जगह उसकी गोरी गुलाबी देह रगड़ रगड़ के लाल हो गयी,...
चूत रानी तो पहचानी नहीं जा रही थीं,
जब गयीं कल रात में तो एकदम चिपकी कसी, चिकनी गुलाबी मक्खन, गुलाब की पंखुड़ियों से भी कोमल, दोनों फांके एक दूसरे को कस के पकडे जकड़े जैसे खुलेंगी ही नहीं कभी, अलग ही नहीं होंगी,...
पर आज खुली खुली सी दरार, और उस में बजबजाती रात भर की गाढ़ी मलाई,..अभी भी बूँद बूँद कर के बाहर चू रही थी, जाँघों पर लिथड़ी,... सफ़ेद चादर पर, फूलों पर फैली और साथ में रात का हुआ खून खच्चर, चूत के आसपास अभी भी कुछ खून के धब्बे सूखे,... रात की कहानी कह रहे थे,...
रात भर की थकी चुदी, मेरी ननद रानी,...
लेकिन अब उसकी तो हर रात ही ऐसी बीतनी थी,...
पर मैं भी आज तीसरी रात रतजगा कर रहे थी बार बार आँखों के पपोटे बंद हो रहे थे, पल भर के लिए मैंने पलके बंद की, नहीं सोई नहीं, बस ननद रानी और इनकी मायकेवालीयो के बारे में सोच रही थी,...
अभी तो मेरी सासू रानी बची थीं और उनका हांका कर के मम्मी खुद ले आएँगी अपने सामने अपनी समधन के ऊपर अपने दमाद को चढ़ायेंगी, अपने हाथ से अपने दामाद का खूंटा पकड़ के उनकी माँ के भोंसडे में,... .. हाँ लेकिन मेरे सामने ही, ..
और उन्होंने मंजू बाई के साथ मिल के क्या क्या प्लांनिंग बनायीं है,... और अब तो जेठानी जी ने भी ग्रीन सिंग्नल दे दिया है उनकी सास जितने दिन हमारे यहाँ रहें उन्हें कोई परेशानी नहीं है,.... फिर तो,... अगवाड़े पिछवाड़े दोनों ओर उन के बेटे से हल चलवाउंगी अपने सामने,....
मेरी कोई सगी ननद नहीं है यही अफ़सोस है लेकिन ये गुड्डी सगी से बढ़कर,... और चचेरी, फुफेरी की तो कमी नहीं, कित्ती तो कच्ची कलियाँ, हाईस्कूल वाली,... गुड्डी से भी छोटी,... सब के शलवार का नाडा इन्ही से खुलवाउंगी,...
लेकिन इनकी माँ के बाद मिसेज मोइत्रा और उनके दोनों रसगुल्ले,...
और जब मेरी आँख खुली तो मैं घबड़ा गयी , घड़ी बाई सवा आठ का टाइम बता रही थीं बस थोड़ी देर में गीता आ रही होगी, हाँ कमरा तो इन लोगों का नौ के बाद ही खुलना है,... लेकिन क्या भाई बहन सो गए,... थक तो अच्छी तरह गए थे,...
और मैंने निगाह टीवी की ओर मोड़ दी,...
और मुस्कराने लगी,..
चुदाई चालू थी और जबरदस्त,... लेकिन बिस्तर पर नहीं थे वो,... पर गुड्डी वो इनकी टीनेजर बहन बिस्तर पर ही, .... उन्होने उसे खींच के पलंग के एकदम किनारे पे, ... चूतड़ एकदम उस स्साली के पाटी पे,... वो लेटी एकदम थकी,... पर दोनों टाँगे उठी, जाँघे फैली अपने भैया के कंधे पर और भैया उसके फर्श पे खड़े, ... लंड आधे से ज्यादा बहन की चूत में घुसा, ... और धक्के पे धक्का,... मेरी थकी हारी रात भर की चुदी ननदिया की आँखें बंद थी , मुश्किल से कोई हरकत वो कर रही थी,... जैसे बच्चे खेलते खेलते किसी गुड़िया के चिथड़े चिथड़े कर देते हैं न, एक एक अंग अलग,... बस वैसे ही लग रही थी ,...
रिकारिंग तो हो ही रही थी मैंने अपने मोबाइल पे बैक किया,... चुदाई शुरू हुए पूरे २२ मिनट हो चुके थे. और बदमाशी मेरे साजन की नहीं थी,
गुड्डी स्साली पक्की छिनार,... हिला नहीं जा रहा था,... लेकिन करवट मुड़ के इन्हे देखते हुए मुस्करा रही थी, होंठो पे जीभ फिरा रहा थी, ... आवाज नहीं निकल पा रही थी तभी बड़ी अदा से मुस्कराते बोली,...
" सो गए क्या ",... "
" नहीं तो,... तुम्हे नींद लग रही हो तो सो जा, थक गयी हो " वो प्यार दुलार से बोले,... और मारे प्यार के बहन को चिपका लिया।
मेरा सीधा साधा बालम,... पता नहीं मेरी छिनार, पैदायशी रंडी ससुरालवालियों के बीच ये कहाँ से इतने सीधे साधे,...
वो छिनार मेरी ननद बोली,...
" अरे भैया तुझसे नहीं इस से पूछ रही हूँ, इस मोटू बदमाश से, बहुत उछल कूद कर रहा था न, ... अब ऐसे सो रहा है की लगता है कई दिन की छुट्टी, बहुत थक गया है बेचारा,... अब उसके बस का,... "
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छठवां राउंड...छठवां राउंड
गुड्डी स्साली पक्की छिनार,... हिला नहीं जा रहा था,... लेकिन करवट मुड़ के इन्हे देखते हुए मुस्करा रही थी, होंठो पे जीभ फिरा रहा थी, ... आवाज नहीं निकल पा रही थी तभी बड़ी अदा से मुस्कराते बोली,...
" सो गए क्या ",... "
" नहीं तो,... तुम्हे नींद लग रही हो तो सो जा, थक गयी हो " वो प्यार दुलार से बोले,... और मारे प्यार के बहन को चिपका लिया।
मेरा सीधा साधा बालम,... पता नहीं मेरी छिनार, पैदायशी रंडी ससुरालवालियों के बीच ये कहाँ से इतने सीधे साधे,...
वो छिनार मेरी ननद बोली,... " अरे भैया तुझसे नहीं इस से पूछ रही हूँ, इस मोटू बदमाश से, बहुत उछल कूद कर रहा था न, ... अब ऐसे सो रहा है की लगता है कई दिन की छुट्टी, बहुत थक गया है बेचारा,... अब उसके बस का,... "
चिढ़ाते हुए गुड्डी न सिर्फ उनके खूंटे को देख थी थी, सच में सोया हुआ था दोनों जाँघों की तकिया लगा के दुबका,..जाहिर क. और गुड्डी ने अपनी मखमली जाँघों से उसे रगड़ के अपना इरादा जाहिर कर दिया।
गुड्डी से हिला नहीं जा रहा था लेकिन बदमाशी में,...
उसके भैया ने कस के उसे बाहों में बाँध रखा था,... हलकी हलकी धूप कमरे में पसर चुकी थी,... अब उन्होंने भी साफ़ साफ पूछ लिया,..
" क्यों मन कर रहा है , मुझे तो लगा तू बहुत,... "
उनकी बात पूरी होने के पहले ही गुड्डी ने अपने छोटे छोटे जोबन इनकी छाती पे रगड़ के अपना इरादा जाहिर कर दिया, और इन्हे चूम लिया,... और कमेंट तो उसके बाण की तरह होते थे बोली,...
" अब जाने दो ये बेचारा बहुत थक गया है, ... अब इसके बस का कुछ है नहीं,... "
बस उसके बाद उन्होंने गुड्डी को खींच के पलंग के किनारे औरक्या हचक के पेला उन्होंने लंड अपनी बहिनिया की बुर में,.... चीख स्साली की पूरे मोहल्ले में,...और अब तो दिन हो गया था,... बेचारी गुड्डी,... उसे पता नहीं था उसने गलत घर ललकार लगाई थी, उनके खूंटे को सोते से जागने में टाइम नहीं लगता था, और गियर भी ऑटोमेटिक था सीधे चौथे गियर में, फिर रात भर की मलाई थी अंदर,...
गपागप, सटासट, गपागप,
वो बेचारी रात भर की थकी, थेथर, पूरी देह दर्द में डूबी,.... और हर धक्के के साथ चीख निकलती थी,... लेकिन ललकारा भी तो उसीने था,... उन्होंने मोड़ के अपनी बहिनिया को, उस टीनेजर गुड्डी को दोहरा कर दिया था घुटने से मुड़ी हुयी और फिर पलंग के तकिये उठा के अपनी बहिनी के चूतड़ के नीचे मेरे साजन ने रख दिया, लंड पूरी तरह से जड़ तक अंदर धंसा था,... और अब दोनों हाथ दोनों जोबन पे, और एक बार फिर धक्के चालू थे,...
मारे थकान और दर्द के गुड्डी की हालत खराब थी, बीच बीच में कहर भी रही थी, लेकिन जब मैंने उसके चेहरे की ओर ध्यान दिया तो मैं मुस्करा दी,
सच्ची मेरी असली ननद थी,... मेरी ससुराल वाली पक्की,... दर्द और थकान के बीच भी जब उनका मूसल पेलते हुए गुड्डी की बच्चेदानी पे धक्का मारता था वो सिसक उठती थी, और उसका चेहरा पूरा खिल उठता था, मज़ा मस्ती से भरा हुआ,... और दोनों जोबन एकदम पथराये, निप्स एकदम टनटनाये, मस्ती की निशानी, और आठ दस धक्के मारने के बाद अगर वो जरा भी रुकते तो जिस तरह से चिढ़ाते हुए मुस्करा के वो देखती की बिन बोले मतलब साफ़ था,
" थक गए क्या "
और उसके भैया दुबारा हचक हचक के,... बोलने की क्या सिसकने की भी ताकत उसमें अब बची नहीं थी, पर थोड़ी देर में ही वो तूफ़ान में पत्ते की तरह कांपने लगी,... और उसके कुछ देर बाद ही गुड्डी के भैया, गुड्डी की बिल में ,...छठवीं बार,...
साढ़े आठ बज रहे थे,... देर तक दोनों साथ साथ,,... फिर बिना बाहर निकाले,...
गुड्डी और वो पलंग पे, ... ये अंदर तक गुड्डी के अंदर धंसे, साइड साइड अब दोनों में से किसी के अंदर हिलने डुलने की बोलने की ताकत नहीं बची थी,... गुड्डी की बिल से एक बार फिर मलाई धीरे धीरे बाहर बह रही थी,... वो कस के इनसे चिपकी,... इनका एक हाथ गुड्डी के जोबन पे और दूसरे से उसकी पीठ पकडे,...
पौने नौ बजे मैंने टीवी बंद किया,... मैं ये जानती थी की अब घंटे दो घंटे तक तो ये ,... हाँ अगर थोड़ी देर, घंटे दो घण्टे सो जायें ,.. उतना रेस्ट काफी था इन्हे रिचार्ज होने के लिए
किचेन में से खटपट की आवाज आ रही थी।
.....
गीता के पास घर की चाभी थी , और वो किचेन में थी ,
" भाभी चाय ,.. " वहीँ से उसने आवाज लगायी।
"एकदम , ले आओ यही पे " लेटे लेटे मैंने आवाज लगायी।
नौ बज गए थे , मैंने टीवी खोला और सबसे पहले फास्ट रिवाइंड ,... लास्ट राउंड आधे घंटे पहले ही ख़तम हुआ था , छठवां राउंड ,... वो तो सो गए थे लेकिन मेरी ननद अभी आधी नींद में थोड़ी अलसायी थोड़ी दर्द में डूबी , कभी सोती तो कभी करवट बदलती ,...
मैंने बगल के कमरे का हाल बंद कर दिया , और तभी गीता घुसी कमरे में चाय लेकर ,
" अभी तो आधे घंटे बचे हैं ,साढ़े नौ बजे जाउंगी नउकी भौजी का हाल चाल लेने। " गीता बोली।
"तोहरे नयकी भौजी क हाल भी ख़राब हो गयी होगी और चाल भी खराब हो गयी होगी , अपने भैय्या के नीचे आके। "
गीता बड़ी जोर से खिलखिलाई फिर बोली ,
" अरे भैया बहुत सीधे हैं ,वरना तो उसकी झांटे आने के पहले ही निहुरा के पेल दिए होते , ... "
थी तो गीता भी मेरी ननद सी ही ,मैंने चिढ़ाया ,
"अरे चल अब तो तेरे भैय्या बहनचोद हो गए न ,... "
लेकिन वो अपने भैय्या का सपोर्ट छोड़ने वाली नहीं थी ,बोली ,
"अरे आपकी ननदे ही सब पक्की भाइचोद हैं , और भैय्या हैं भी तो ऐसे ,.. फिर भौजाई तो रोजे बिना नागा मजा लेती हैं , तो कबो कबो बहिनोयो का भी ,... "
" अरे तो चलो थोड़ी देर से ही सही ,उस भाईचोद ने फड़वा तो लिया ही ,अपने भइया से ,... " मैं हंस के बोली।
" अरे अबहीं तो ,...उ का कहते हैं ,... हाँ अबहीं तो ट्रेलर भी ठीक से नहीं चला ,.. अब भाभी आप ने उस को हमरे हवाले कर दिया है न तो बस देखते जाइये ,कौन कौन चढ़ता है ,कहाँ कहाँ से कितनी बार , ... कुछ दिन बाद तो रात में उस को याद भी नहीं रहेगा आज बिल में कितने खूंटे घुसे थे , अरे ऐसी मस्त जवानी आयी है , उसकी तो मौज मस्ती तो होनी ही चाहिए ,... " गीता बोली।
मेरा जी खुश हो गया ,
एक तरफ से डालो.. दूसरे तरफ से निकालो...Mja aaya...
Aur mai ye mja pure hindustan ko dena chahta hu
Kamal komal ji❤❤
उम्दा...Aapki to har update lajabab hai didi,
आखिर में लंड को english में cock कहा जाता है...बहन की बिल में घुसा भाई का मुर्गा भी बांग देने लगा था, ...
कहाँ से लाती हो ऐसे विचार,
दिल में उतर जाता है