Sometimes it is necessary to attend social call.sad but true
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Yes but aap update dete raheiye ek sath sab padne ka maza aayega aur reply dene ka bhi![]()
लेकिन यहाँ तो एपिसोड दर एपिसोड हीं संभव है...वो तो आपकी बात ठीक हे , कमेन्ट पढने लालच तो होता ही हे, पर मेरे जेसे पाठक जो कहानी शुरू होने के काफी समय बाद जुड़ते हें , या कहानी पूरी होने के बाद जुड़ते हें , वो भी तो पूरी कहानी पढने के बाद अपने कमेन्ट देना चाहते हें , और फिर एपिसोड की तरह से कहानियां पढने में वो मजा नही आता , जो एक नोवल को लेकर पढने बेठे और जब उस में रम गये तो जब तक नोवल पूरा पढ़ नही लिया तबतक नोवल को छोड़ा ही नही , टीवी सिरिअल देखना मेने बंद कर दिया क्यूंकि सिरिअल देखने में फिल्म वाला मजा नही आता ,
शुरुआत मस्त लेकिन अंत में पस्त होगी गुड्डी....Ufff, kya shuruat hai
अरमानों भरी सुहागरात...Ek idle suhagraat, kisi kuwari ki
Idle suhagraat, jese ki kachhi kali ki honi chahiye
अरे छटल छिनार है...Bechari guddi , bhurta bana diya guddi hai, ghante ghnte karke, desi dawaon ka asar
लड़ाई नहीं...Abhi to ye angadyi hai, aage aur,... ladayi hai .
पलंग तोड़ पान...जोरू का गुलाम भाग १६९
गुड्डी की सुहागरात, भैया के साथ,
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मज़ा पलंग तोड़ जोड़ा पान का
मैं किचेन में काफी का मग रख के आयी , मम्मी से बात भी हुयी और दो ढाई बजे तीसरा राउंड
क्या सीन था , वो पलंग तोड़ पान का जोड़ा , उनकी ममेरी बहन के हाथ में ,उन्हें दिखा के ललचा रही थी , फिर गप से उस किशोरी ने अपने मुंह में ,
" भैय्या , कुछ लेने का मन करे न तो मांगना पड़ता है ,ऐसे नहीं मिलता। " उन्हें छेड़ते हुए वो कोमलांगी बोली।
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उन्हें धक्का दे कर उस शोख ने उन्हें पलंग पर गिरा दिया , फिर उनके सीने पर सर रख कर , गुड्डी के रसीले होंठों से निकला पान , एकदम उनके मुंह से बस थोड़ी ही दूर ,...
" हे दो साल पहले मांगता तो दे देती , ...? "
गुड्डी के हाईस्कूल के दिन की याद दिला कर उन्होंने पूछा।
कहते हैं महिलायें अपनी भावनाएं कई ढंग से व्यक्त करती हैं , गुड्डी ने भी वही किया , उसके जिस कच्चे टिकोरे के उसके हाईस्कूल के दिनों से वो दीवाने थे , उनकी छुटकी बहना ने उनकी छाती पर रगड़ दिया , और शोख अंदाज में बोली,
" भैय्या जो तुम देख देख के ललचाते थे न मुझे बहुत अच्छा लगता था। मुझे , ...अरे मुझे क्या ,... मेरी सारी सहेलियों को पता था की तुम देख देख के ,.. सब मुझे खूब चिढ़ाती थीं। बोलती थीं , अरे यार दे दे न ,... क्या करेगी बचा के ,... कोई न कोई तो रगड़ेगा ही ,... वो बिचारा बहुत सीधा है ,तुझे ही उसका पैंट खोलकर ,... "
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और अब उस शोख टीनेजर के होंठ , मुश्किल से इंच भर दूर थे ,... गुड्डी ने फिर इन्हे चिढ़ाया ,
" वैसे मांगने के भी जरुरत नहीं थी , सीधे से ले लेते न मैं मना थोड़े ही करती। और उन्होंने ले लिया।
उनके होंठ उस इंटरवाली के होंठों पर , और गुड्डी के मुंह में दबा घुसा ,पान अब उनके मुंह में।
पर पान तो बहाना था ,उनकी जीभ अब अपनी बहना के मुंह में घुसी और वो धीमे धीमे चूस रही थी साथ साथ में अपनी कच्ची अमिया इनकी चौड़ी छाती पर रगड़ रही थी।
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कुछ ही देर में वो जोड़ा पान दोनों भइया बहन ने आपस में बाँट लिया था और उस पलंग तोड़ पान का रस दोनों के मुंह में घुल रहा था. कभी गुड्डी की जीभ इनके मुंह में तो कभी इनकी जीभ गुड्डी के मुंह में ,इनके मुंह से लार टपक कर उस किशोरी के चिकने चम्पई गालों पर टपक रही था ।
और उन की छुटकी बहिनिया ने वो अपने ऊँगली में लपेट कर चाट लिया।
मैं देख रही थी, मुस्करा रही थी,...
इस पलंग तोड़ पान का असर बस अब शुरू होने वाला था और दो चार घंटे तो चलता ही कम से कम, ... पान में असली चीज होती है चूना, बहुत जरा सा भी काफी है,... और मुंह के अंदर लगते ही मुंह के अंदर के म्यूकोसा में हलका सा वो काटता है, जैसे कोई रगड़ लगा जाए,, छिल जाए,... और गुड्डी रानी की प्रेम गली तो इससे सौ गुना ज्यादा छिली होगी, तो बस छिलने का असर मुंह के अंदर और जो पान का सत्त घुलता है मुंह में वो छिले हुए हिस्से से सीधे, शिराओं और धमनियों में, फिर मस्तिष्क में,... सोच नयी, वर्जिन विद वियाग्रा या हिन्दुस्तानी उदहारण दूँ तो कातिक की कुतिया जैसे गर्मायी रहती है, बस उससे भी दो हाथ आगे.
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और पान में क्या क्या पड़ा था ये तो मंजू, गीता की माँ किसी को नहीं बताती, हाँ जहाँ से लाती है ये खास पान, उसमें कुछ अपना भी,,... उसने मुझसे खुद कहा कितनी भी चुदी थकी चिल्लाती लौंडिया हो बस पांच मिनट ये पान उसके मुंह में घुल जाए,... ,
और फिर ये मेरे सैंया, मेरी ननदिया के रसिया,...
आज चुम्मा भी एकदम पागल की तरह ले रहे थे अपनी बहिनिया का, दस जगहों पर होंठ उन्होंने चूसते हुए काटा होगा, और दुल्हन का तो सुहागरात में यही आभूषण है,.. चुदती तो सब हैं ( उनकी माँ बहने भाई भेजते इसी लिए हैं, बिदा होके बेटी, बहन दिन में पंहुचे और रात में उसकी टाँगे उठ जाएँ )
पर नुचती कितनी है हैं उसी से लगता है की सुहागरात कितनी गरम थी, तो बस उन कटे हुए होंठों से भी होकर पान का रस गुड्डी रानी के अंदर,...
फिर आज तो एकदम ये डीप किस ले रहे थे, दो बार चोदने और चुदने के बाद जल्दी तो किसी को थी नहीं,...
तो बस इन्होने अपनी जीभ भी भी अपनी बहन, मेरे ननद के मुंह पे ठेल बल्कि पेल दिया था,... जहाँ वो डबल जोड़ा पलंग तोड़ पान का रिस रहा था था और फिर पांच मिनट क्या सात आठ मिनट तक भाई बहन की टंग फाइट ही चलती रही, और पान का मादक रस , मुंह के अंदर चूने से छिली जगह, होंठों पर सैंया मेरा मतलब भैया की काटी जगह से गुड्डी रानी के अंदर,... उसकी आँखों से चेहरे से लग रहा था खूब मस्त हो रही है, गरमा रही है,...
फिर वो अपने भैया के ऊपर चढ़ के, अपने मुंह से लार की तरह टपका टपका के पान की पीक अपने भैया के गौरेया की तरह खुले मुँह के अंदर एक धागे की तरह , धीरे धीरे,...
ये बात भी मंजू बाई ने मुझे बताई थी मरद पे असली असर तब पड़ता है जब गोरी आठ दस मिनट अपने मुंह में रचा बसा लेती है और उस का असर मर्द को एकदम पागल बना देता है बस उस का एक मन करता है, स्साली को पटक के चोद दें,...
और गुड्डी तो पक्की शरारती, जब से जोबना आने शुरू हुए थे तभी से लाइन मार रही थी अपने भाई को , ..
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लेकिन ये तो महा बुद्धू,...
पर अब ये एकदम बदल गए थे, ... गुड्डी इनके ऊपर सिर्फ चढ़ी नहीं थी बल्कि अपने छोट छोट जुबना इनकी चौड़ी छाती पे रगड़ रही थी, पान का असर शुरू होगया था, वो मद में डूबी टीनेजर अभी अभी फटी चुनमुनिया जो दर्द से चूर थी, अभी भी खून की बंदे लिपटी लिथड़ी थी,... उस प्यारी प्यारी गुलाबो को जिसकी सिर्फ एक झलक पाने के सारे शहर के लौंडे कुर्बान थे, अपने भैया के खूंटे पे रगड़ रही थी,... और वो थोड़ा सोया ज्यादा जागा एकदम तनतना के उठ खड़ा हुआ,...
थोड़ी ही देर में वो ऊपर और गुड्डी फिर नीचे , और उसके बाद जो होना था वही हुआ ,वो अंदर ,..
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गौरेया जो अबतक बहुत चहक रही थी ,चीख उठी पहले ही धक्के में।
मैंने टीवी का वॉल्यूम थोड़ा कम कर दिया
लेकिन उनका दूसरा धक्का और गुड्डी की कानफाड़ने वाली चीख एक बार फिर से ,... मैं समझ गयी गीता की शरारत ,... उसने भले ही परदे बंद किये होंगे लेकिन कोई खिड़की खुली छोड़ दी थी थोड़ी , जिससे होकर गुड्डी रानी की चीखें ,... यानी जब रात में फटी उस टीनेजर की ,तो सच में दूर दूर तक ,
टीवी मैंने म्यूट ही रहने दिया , एक के बाद एक चीखें , अब हर धक्का सीधे बच्चेदानी पर ,
यही तो मैं चाहती थी, बस ऐसी ही कुटाई ऐसी जबरदस्त की जिंदगी भर याद रखे,... एकदम मेरे मन की बात,
सच में जो बिन समझे मन की बात की समझ जाए, बिन बिन बोले मन की बात करे,... वही है साजन मेरा,... बहुत प्यार उमड़ रहा था मेरा उनके ऊपर, इस कुँवारी टीनेजर को देख के सोच के जो फैंटेसी मेरे मन में उभरती थी वो सब आज पूरी हो रही है , साथ में एच डी क्वालिटी में रिकार्डिंग,... एक एक पल की,...
खूब रगड़ता दरेरता फाड़ता, उस जस्ट फटी छिली झिल्ली को घिसता, ... वो आठ इंच का खूंटा, मेरी कलाई से बीयर कैन से भी मोटा और हर धक्के में आलमोस्ट पूरा निकाल के जब वो पेलते तो सीधे जड़ तक, ... जैसे ही घुसना शुरू करता मेरी ननदिया की कान फाडू चीखें कमरे को पार कर के निकलती
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और जब मोटा सुपाड़ा उस स्साली के बच्चेदानी पे पूरी ताकत से ठोकर मारता तो उसकी पूरी देह काँप जाती,... एकदम उसे दुहरी कर के जैसे उसके घुटने उसके चेहरे को छू रहे हों, दोनों हाथों से कुछ देर तक तो उसके छोटे छोटे चूतड़ों कप पकड़ के, फिर पतली कमरिया को बिना रुके, गिन के सौ धक्के तो मारे होंगे ही उन्होंने,...
मैं बीच बीच में सामने लगी दीवाल घडी देख रही थी पूरे दस मिनट तक बिना रुके , और दस मिनट तक वो चीखती रही, बिसूरती रही हाथ गोड़ जोड़ती रही, पर आज उसके भैया पर कोई असर नहीं हो रहा था चोद चोद के , क्या कोई धुनिया रुई धुनेगा,
और जो रुके भी तो मैं मुस्कराने लगी उनकी बदमाशी देख के , सच में उनकी सास ने पंद्रह दिन में एक दम मस्त ट्रेनिंग दी थी,... एक तो लगातार उन्हें मादरचोद बहन चोद बोल के उनसे ही उनकी माँ बहन को रोज दस दस गाली दिन में दस बाद दिलवा के सब झिझक ख़तम कर दी थी और उसके बाद एक से एक ट्रिक,... बस वही सीखा हुआ, उनका मोटा पिस्टन उनकी बहन की बुर में जड़ तक धंसा, फट रही होगी स्साली की दर्द के मारे,...
और अब वो लंड के जड़ से उसकी क्लिट रगड़ रहे थे, ... पहले धीरे धीरे फिर जोर जोर से,...
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और साथ में जिस तरह से वो उस छिनार की चूँची मसल रहे थे ... मसल तो स्साली की तभी देना चाहिए था जब वो हाईस्कूल में पहुंची चूजों ने सिर उठाना शुरू किया था, अभी भी खैर हफ्ते भर पहले पास किया था,... पर वो दो तीन साल का सूद समेत,.. मैं उन्हें चिढ़ाती थी,
" ननदी क छोट छोट जोबन दाबे में मजा देय
अरे बहिनी तोहार चोदे में मजा देय।
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गुड्डी भी जबरदस्त टक्कर दे रही है... अपने भैया कम सैंया को...जोड़ा पलंग तोड़ पान का
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... मसल तो स्साली की तभी देना चाहिए था जब वो हाईस्कूल में पहुंची चूजों ने सिर उठाना शुरू किया था, अभी भी खैर हफ्ते भर पहले पास किया था,... पर वो दो तीन साल का सूद समेत,.. मैं उन्हें चिढ़ाती थी,
" ननदी क छोट छोट जोबन दाबे में मजा देय
अरे बहिनी तोहार चोदे में मजा देय।
वो मजे से पागल भी हो रही थी और दर्द से चिल्ला भी रही थी और अब तो उसकी चूँचिया रोज इसी तरह मसली जाएंगी , ननद रानी के जोबन छिपाने के दिन ख़तम हो गए, जोबन लुटाने के दिन आ गए,... दो चार दिन तो सिर्फ मेरे सैंया और उसके बाद,... लम्बी लाइन लगेगी,...
मिजने मसलने के साथ वो चूस भी रहे थे निपल और रह रह के काट भी लेते,
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वो भी ननद की टेनिस बाल साइज चूँचियों के ऊपर के हिस्से पे , बस अब तो कपडे पहनने के बाद भी हफ़्तों ये निशान दिखने वाले थे, भरे बाजार में, कोचिंग में,... और जैसे ही उनके दांत लगते , चीख और तेज से गूँज जाती,
" भैया काटो मत, प्लीज इत्ती जोर से नहीं,... "
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लेकिन जैसे कोई तूफ़ान थम के धीमे धीमे हलकी हवाओं में बदल जाये , बस उसी तरह उन्होंने हलके हलके ,... धक्के अब धीमे हो गए थे रात भर की तूफानी चुदाई के बाद अब उन्हें कोई जल्दी भी नहीं थी गुड्डी भी न , ... थोड़ी देर में उन्होंने थोड़ा सहारा दिया , और वो उनकी गोद में बैठी , खूंटा पूरा अंदर धंसा।
अब वो कुछ नहीं कर रहे थे ,उनकी ममेरी बहन ही ,कभी उनकी छाती पे अपने नए नए आये जोबन रगड़ती तो कभी हलके से उनके गाल चूम लेती।
पलंग तोड़ पान का रस उसके अंदर अच्छी तरह घुल चुका था।
वो हलके हलके धक्के मारते तो तो वो किशोरी भी उनका साथ देने की कोशिश करती। और खुद अपनी कच्ची अमिया उसने अपने भइया के मुंह में दे दी। अपने दोनों हाथों से गुड्डी ने उनका सर कस के पकड़ रखा था , जैसे कह रहे हो भैय्या तू बहुत तड़पा है न ले ले ,मन भर के ले। वो भी प्यार से धीरे धीरे उसकी कच्ची अमिया कुतर रहे थे। कभी दांत कस के लग जाता तो वो चीख उठती
और म्यूट होने के बाद भी चीख सीधे मेरे कमरे में , और ये चीख आस पास भी ,..
पर मेरी ननद ,... उस ने मुड़ कर बचा हुआ जोड़ा पलंग तोड़ पान का उठा लिया और अबकी पूरा का पूरा अपने मुंह में ,
वो गुड्डी की कच्ची अमिया कुतर रहे थे और वो मस्ती में भरने वाले पान को ,
लेकिन अकेले नहीं खाया उस शरारती शोख ने , थोड़ी देर में जैसे ही उन्होंने अपना मुंह उसके जोबना पर हटाया , एक बार गुड्डी के हाथों ने उनके सर को जोर से पकड़ कर दबोच लिया और गुड्डी के होंठ ,अपने भैय्या के होंठों पर , ... उनका मुंह खुल गया , और कुचला ,अधखाया ,उनकी ममेरी बहन के थूक में लिसड़ा पान ,पान का रस ,सीधे गुड्डी के मुंह से उनके मुंह में ,
और गुड्डी ने अबकी अपनी जीभ भी ठेल दी , दोनो के शरीर एक दुसरे में गुथे लिपटे , होंठ चिपके हुए ,जीभ गुड्डी की उनके मुंह में ,गुड्डी के दोनों हाथ उनके सर को दबोचे
मेरे साजन की टीनेजर बहन, गुड्डी उनकी गोद में बैठी थी, ठसके से,... और दोनों के मुंह आपस में चिपके, जीभ अंदर घुसी। पलंग तोड़ पान का रस धीरे धीरे ढलती रात की तरह दोनों के मुंह में घुल रहा था, और साथ ही उन दोनों की शरम झिझक रिश्तों की हिचक भी घुल रही थी, ... भैया का मोटा लौंड़ा बहिनिया की चूत में जड़ तक धंसा था,... और यही नजारा देखने के लिए तो मैं तड़प रही थी,...
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सामने दो दो मीठे मीठे लड्डू हों तो ललचाते होंठ कब तक दूर रह पाते और कचकच्चा के भैया ने अपनी बहना की छोटी छोटी चूँची कुतर ली. ये कच्ची अमिया स्साली तो आती ही हैं कुतरी जाने के लिए,... और ये भी न जाने कब से तरस रहे थे इन्ही कच्ची अमियों के लिए ,...
वो चीख रही थी, चिल्ला रही थी जैसे ही उसके भैया का दांत लगता और गीता ने चालाकी से जो खिड़कियां हलकी हलकी खुली छोड़ दी थीं , उनसे ये चीखें निकल के आस पड़ोस में भी,...
और कुतर भी कैसे रहे थे, निप्स के चारो और दांतों के निशान की माला सी बन गयी थी,... जब वो नहाएगी, कपडे बदलेगी,... तो देख के लजा जायेगी, गरमाएगी और उसकी बिल भैया के लिया पनिया जायेगी,... और साथ में,...
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उनकी सास ने जबरदस्त ट्रेनिंग दी थी, सारे गाढ़े पक्के निशान उन छोटे छोटे उरोजों के एकदम ऊपरी हिस्से पे,... हफ्ते भर तक तो ये निशान उसके भैया के जाने वाले नहीं थे और एकदम ऊपरी हिस्से में तो चाहे चोली पहनती या टॉप साफ साफ़ दिखते,...
पर दर्द के मारे भले ननद रानी की जान निकल रही थी,... मस्ती के मारे भी उनकी हालत खराब थी,... और अब वो अपने होंठों से कभी भैया के बाल चूमती तो कभी दोनों हाथों से कस के उनके सर को पकड़ के अपनी और खींचती तो कभी साथ साथ अपनी छोटी छोटी चूँचियाँ मेरे सैंया और अपने भैया के मुंह में ठेल देती,... पेल देती,... आधी से ज्यादा उनके मुंह में,... उनकी गोद में
बस वो मस्ती में बेबस अपनी टीनेजर बहन को गोद में बिठाये बिठाये चोद रहे थे,... दो बार की मलाई उसकी बुर में भरी पड़ी थी,...
इसलिए लंड सटासट, ...सटासट,... धीरे धीरे अंदर बाहर हो रहा था , लेकिन वो धक्के नहीं मार रहे थे जोर जोर से , बस कभी अपनी गोद में बैठी अपनी बहना गुड्डी को आगे पीछे करते, और मोटा खूंटा उस कसी चूत ( जो अभी थोड़ी देर पहले ही फटी थी ) की हर दीवाल से रगड़ रही थी. और वो भी गोद में बैठी बैठी अपने भैया से चुदवाने का मजा ले रही थी लेकिन कुछ देर में उनका एक हाथ गुड्डी के जोबन को रगड़ता मसलता और दूसरा उसके मस्त किशोर नितम्बो पर , उनका कामदण्ड उनकी बहन के अंदर धंसा और झूले की पेंगो की तरह , धक्के मारते हुए
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कुछ पान में घुली मस्ती का असर, गुड्डी ने कमान अब अपने हाथ में ले ली थी बस वो अपने भइया को मज़ा दे रही थी उसके लंड का मज़ा ले रही थी, कौन कहा सकता है उसे देख के की मेरी ननदिया इनकी बहिनिया आज पहली बार चुद रही थी, ...
कभी अपने छोटे छोटे जोबन अपने भैया के सीने में गुड्डी रगड़ती, तो कभी कस के उन्हें पकडे पकडे, ऊपर नीचे हो के गुड्डी अपने भैया के मोटे मूसल के ऊपर उछल के चोद रही थी, एकदम काम रस में डूबी,....
पल भर के लिए मेरी निगाह इधर उधर हुयी , कोई व्हाट्सएप मेसेज आया या किसी ने इंस्टा पे कुछ पोस्ट किया , आप ऑनलाइन हो और पांच मिनट में लाइक न करो तो लोग बुरा मान जाते हैं फिर आपकी पोस्ट कौन लाइक करेगा, शेयर करेगा,...
और जब निगाह फिर उधर मुड़ी , तो मैं बिन मुस्कराये नहीं रह सकी,... दोनों भाई बहन लेटे, अलग अलग नहीं साइड साइड एक दूसरे के आमने सामने और एकदम चिपके,... और क्या धक्के लग रहे थे
ऐसे ही गुंथे दोनों पलंग पर लेकिन साइड साइड ,
और अब धक्कों में गुड्डी भी साथ दे रही थी , बल्कि वही कस के धक्के लगा रही थी , ये पक्का उस पान का असर था जो उसके मुंह में घुल रहा था मंजू ने सच कहा था मुझसे की जोड़ा पान का एक भी खा ले तो कातिक की कुतिया झूठ ऐसे गर्माएगी,.. और एक दो बार की चुदाई से चूत की आग ठंडी नहीं होगी और मेरी ननद ने तो दोनों पान खाये थे,...
ये कस के उसके छोटे छोटे चूतड़ पकडे, और फिर उन्होंने भी धक्को का जवाब धक्कों से,... मेरी निगाह एक बार घड़ी की तरफ पड़ी पौने चार बज रही थे , पोरे बयालीस मिनट से इस राउंड की चुदाई चल रही थी,... ननद रानी दो बार झड़ चुकी थीं,... और तभी दोनों की जोर जोर की आवाज कानों में पड़ी,...
" ले गुड्डी ले घोंट अपने भैया का लंड, ले ले ले पूरा,... "
"दे भैया दे , आज चोद दो कस के भैया,... "
सिसकियों के बीच ननद की आवाज सुनाई पड़ी,... मैं आंखे गड़ा के देख रही थी,... और इनके धक्के तूफानी हो गए थे साथ में मस्ती भरी गारियाँ उनके मुंह से , अबे और स्साले कहने में जिनकी गाँड़ फटती थी,... और अब उनके धक्क्के एकदम तूफानी हो गए थे मैं समझ गए थे वो बस अब झड़ने वाले हैं गुड्डी ने कस के उन्हें भींच लिया और उसकी चूत भी कस के सिकुड़ रही थी अपने भैया के लंड को अंदर दबोच रही थी,
गुड्डी ने झड़ना शुरू किया और साथ में उसके भैया भी,...
कस के उन्होंने अपनी बहन को दबोच रखा था, लंड अंदर पेल रखा था जिससे सब मलाई अंदर ही रह जाये और गुड्डी भी दुबकी जैसे चूत की अंजुरी में एक एक बूँद रोप लेना चाहती हो
मैं आँख गड़ा के देख रही थी , थोड़ी देर बाद पहले एक बूँद, फिर पतली सी धार, रेंगती सरकती वीर्य की, ...भैया के वीर्य की बहन की बुर से,... बहन की चिकनी रेशमी जाँघों से होती हुयी , खून और वीर्य से सनी चद्दर पर दबे कुचले चांदनी और बेला चमेली के लाल सफ़ेद फूलों के बीच खो गई,
जलती हुई मोमबत्तियां आधी हो हो गई थीं,... घड़ी की टनटनाहट ने मेरा ध्यान बंटाया,..चार बज गए थे ये तीन बार अपनी बहिन की बुर में झड़ चुके थे,...
दोनों एकदम थके मांदे एक दूसरे को पकडे दबोचे,...
रात भर न सोया और न हीं सोने दिया....साकिया आज मुझे नींद नहीं आएगी,..सुना है तेरी महफ़िल में आज रतजगा है ,
दोनों एकदम थके मांदे एक दूसरे को पकडे दबोचे,...
नींद तो मुझे भी आ रही थी लेकिन आज की रात सोने की नहीं थी,... मैं एक बार फिर किचेन की ओर,...
अब अगले आधे घंटे तक तो कुछ होना नहीं था और अभी भी साढ़े पांच घंटे पूरे बचे थे,... दोनों के पास,... गीता साढ़े नौ के पहले तो कमरे का ताला नहीं ही खोलती,...
मम्मी का फोन भी आया , बड़ी खुश,... मुझसे नहीं अपने दामाद से,... वो लाइव शो देख रही थी और उन्होंने भविष्यवाणी कर दी,...
"उनका दमाद एकदम आज्ञाकारी है , और जिस तरह वो अपनी बहन चोद रहा है उससे भी हचक हचक के अपनी माँ,... मेरी सास और अपनी सास की समधन को चोदेगा और वो सीन हम माँ बेटी स्क्रीन पे नहीं देखेंगी एकदम अपनी आँखों के सामने और मम्मी तो उकसाएंगी भी गरियायेंगी भी,... बस हफते भर की बात , मम्मी खुद जा के अपनी समधन को ले आएंगी और एक बार यहां आने के बाद तो , बस जो मैं और मम्मी चाहेंगे,"
जैसे बस अब एक बार इनकी बहन आ गयी है तो बस जैसा मैं चाहूंगी,..
मैं काफी पीते हुए गुनगनाते हुए लौटी,
" साकिया आज मुझे नींद नहीं आएगी,.. नींद नहीं आएगी, सुना है तेरी महफ़िल में आज रतजगा है ,
आँखों ही आँखों में रात गुजर जायेगी, सुना है तेरी महफ़िल में रतजगा है, ... साकिया आज मुझे नींद नहीं आएगी,...
साकी है और शाम भी, उल्फत का ज़ाम भी हो तक़दीर है उसी की जो इनसे ले काम भी,
रंग महफ़िल है आज रात भर के लिए , सोचना क्या है सहर के लिए,...
तेरा चेहरा है तेरा जलवा है और,...
और ननद मेरी जलवा दिखा रही थीं,... और जबरदस्त दिखा रही थीं,... साढ़े चार बज रहे थे, सुबह अभी थोड़ी दूर थी,... और गुड्डी झुकी हुयी, निहुरी हुयी अपने भैया लंड चूस रही थी, सिर्फ सुपाड़ा मुंह के अंदर था लेकिन कोमल मुट्ठी लंड के बेस पे और बहुत हलके हलके मुट्ठ नहीं मार रही थीं, बस सहला रही थीं,...
साढ़े चार बजने वाले थे
ये हलके से थके लग रहे थे, पिछले छह सात घंटे से लगातार,.... लेकिन ननद रानी एकदम मस्ता रही थीं, .... और चौथा राउंड शुरू हो गया था
कोई भी मरद हो, अगर एक टीनेजर बहन इस तरह से झुक के खूंटा मुंह में ले के चूसेगी, चुभलायेगी ,... तो पागल हो जाएगा , बस चाहेगा पटक के चोद दे स्साली को,...
पर इस समय ननद मेरी छिनरपन पे उतारू थी,... जब वो एकदम पागल हो गए मस्ती से, तो बस उनकी ओर पीठ कर के लेट गई. करवट,...
न पीठ के बल न पेट के और न उनकी ओर मुंह कर के, बल्कि पीठ कर के,...ये सोच के की अब गुड्डी चुदने से बच गयी,... लेकिन जब वो हमारे साथ कार में बैठी थी यभी से उसकी लिख गयी थी अब तो कोई रात बिन मूसल के उसकी चूत को आराम नहीं मिलाना
पर बदमाश, खिलखिलाते हुए अपने चूतड़ सेउनके फनफनाते हुए मोटे खूंटे को रगड़ रही थी, ये सोच सोच के की भैया अब इधर से तो हमला कर नहीं सकते
और मैं मुस्करा रही थी उस पगली को क्या मालूम अब उसके भैया पहले वाले नहीं रहें अब मेरे सैंया और उससे भी बढ़ के मेरी मम्मी के दामाद हो गए है और ८४ आसन के एक्सपर्ट,... कितनी आसानी से उस की कसी चूत चोद के चिथड़ा कर देंगे उस बेचारी को नहीं मालूम था, और उन के तरकस में एक से एक तीर हैं,
पहले तो एक हाथ से उन्होंने अपनी किशोरी बहन के मस्त जोबन को पीछे से ही पकड़ के दबाना रगड़ना शुरू किया, और दूसरे हाथ से उसकी चिकनी जांघ को सहलाना शुरू किया,... वो पिघलने लगी, झटके से ही उन्होंने उसी हाथ से उसकी ऊपर वाली टांग को फैलाया उठाया और पीछे से ही सेट करके उसकी चूत में पूरी ताकत से पेल दिया और
गच्चाक,...गच्च से मोटा सुपाड़ा अंदर घुस गया, और बहन की चूत ने उसे दबोच लिया,
अब एक बार लंड घुस गया था तो निकलने का सवाल नहीं था,... बस एक हाथ से उन्होंने गुड्डी की जांघों को पकड़ के कस के एक पैर उठा लिया , वो अभी भी साइड से ही लेटी थी उन की ओर पीठ किये लेकिन क्योंकि एक पैर उठा हुआ था चूत खुल गयी थी
और लंड आराम से अंदर बाहर हो रहा था, साथ में चूँची भी मसली जा रही थी,...
बहुत अच्छा लग रहा देखने में, बहन के पीछे से भाई धंसा हुआ,... उसने बहुत तड़पाया था उनके लंड पे अपने छोटे छोटे चूतड़ रगड़ के अब उनकी बारी थी, उन्होंने आधे घुसे लंड को अंदर छोड़ के धक्के मारने बंद कर दिए,...
वो आग से सुलग रही थी, उसने खुद ही कमर आगे पीछे कर के धक्के मारने शुरू कर दिए अपने भैया का लंड अपनी चूत में लेना शुरू कर दिया,... उसके भैया का लंड रगड़ता सटकता अंदर जा रहा कभी बाहर निकलता,... लेकिन इस पोज में आधे तिहे से ज्यादा घुसना मुश्किल से घुस पा रहा था,
उन्होंने पलटा खाया और अब बहन उनकी पीठ के बल लेटी थी, चुदवासी, मस्त लंड के लिए दीवानी,...
यही तो मैं चाहती थी की ये इतनी बड़ी छिनार हो पूरे शहर में मशहूर खुद रोज नए नए लंड खोजे,... किस दिन दो चार से कम न खाये,...
और ये बैठे थे, एक पैर इनका फर्श पे दूसरा बिस्तर, पूरी ताकत से उन्होंने अपनी बहिनिया को अपने लंड पे खींचा और लगे धक्के कस के मारने ,
एक पैर जो उन्होंने फर्श पे रखा तो धक्के अब पूरी ताकत से लग रहे थे और वो छिनार, गुड्डी भी उसी तरह से उछल उछल के अपने भैया का लंड अपनी कसी चूत में घोंट रही थी, साथ में कभी कभी वो कस के गुड्डी क्लिट रगड़ दे रहे थे,... वो कांपने लगी, ... मैं समझ रही थी की बस अब वो झड़ने वाली है, पूरी देह मथ रही थी , अपने चूतड़ पटक रही थी,... बस पांच छह धक्कों की बात थी,...
लेकिन मेरे साजन ने धक्के रोक दिए,...
कुछ देर तक तो उसने बर्दास्त किया,... फिर शर्म लाज छोड़ के बोल पड़ी, गुड्डी,...
" करो न भैया,... "
" क्या करूँ " ... उन्होंने छेड़ा,...