Sister_Lover
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जोड़ा पलंग तोड़ पान का
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... मसल तो स्साली की तभी देना चाहिए था जब वो हाईस्कूल में पहुंची चूजों ने सिर उठाना शुरू किया था, अभी भी खैर हफ्ते भर पहले पास किया था,... पर वो दो तीन साल का सूद समेत,.. मैं उन्हें चिढ़ाती थी,
" ननदी क छोट छोट जोबन दाबे में मजा देय
अरे बहिनी तोहार चोदे में मजा देय।
वो मजे से पागल भी हो रही थी और दर्द से चिल्ला भी रही थी और अब तो उसकी चूँचिया रोज इसी तरह मसली जाएंगी , ननद रानी के जोबन छिपाने के दिन ख़तम हो गए, जोबन लुटाने के दिन आ गए,... दो चार दिन तो सिर्फ मेरे सैंया और उसके बाद,... लम्बी लाइन लगेगी,...
मिजने मसलने के साथ वो चूस भी रहे थे निपल और रह रह के काट भी लेते,
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वो भी ननद की टेनिस बाल साइज चूँचियों के ऊपर के हिस्से पे , बस अब तो कपडे पहनने के बाद भी हफ़्तों ये निशान दिखने वाले थे, भरे बाजार में, कोचिंग में,... और जैसे ही उनके दांत लगते , चीख और तेज से गूँज जाती,
" भैया काटो मत, प्लीज इत्ती जोर से नहीं,... "
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लेकिन जैसे कोई तूफ़ान थम के धीमे धीमे हलकी हवाओं में बदल जाये , बस उसी तरह उन्होंने हलके हलके ,... धक्के अब धीमे हो गए थे रात भर की तूफानी चुदाई के बाद अब उन्हें कोई जल्दी भी नहीं थी गुड्डी भी न , ... थोड़ी देर में उन्होंने थोड़ा सहारा दिया , और वो उनकी गोद में बैठी , खूंटा पूरा अंदर धंसा।
अब वो कुछ नहीं कर रहे थे ,उनकी ममेरी बहन ही ,कभी उनकी छाती पे अपने नए नए आये जोबन रगड़ती तो कभी हलके से उनके गाल चूम लेती।
पलंग तोड़ पान का रस उसके अंदर अच्छी तरह घुल चुका था।
वो हलके हलके धक्के मारते तो तो वो किशोरी भी उनका साथ देने की कोशिश करती। और खुद अपनी कच्ची अमिया उसने अपने भइया के मुंह में दे दी। अपने दोनों हाथों से गुड्डी ने उनका सर कस के पकड़ रखा था , जैसे कह रहे हो भैय्या तू बहुत तड़पा है न ले ले ,मन भर के ले। वो भी प्यार से धीरे धीरे उसकी कच्ची अमिया कुतर रहे थे। कभी दांत कस के लग जाता तो वो चीख उठती
और म्यूट होने के बाद भी चीख सीधे मेरे कमरे में , और ये चीख आस पास भी ,..
पर मेरी ननद ,... उस ने मुड़ कर बचा हुआ जोड़ा पलंग तोड़ पान का उठा लिया और अबकी पूरा का पूरा अपने मुंह में ,
वो गुड्डी की कच्ची अमिया कुतर रहे थे और वो मस्ती में भरने वाले पान को ,
लेकिन अकेले नहीं खाया उस शरारती शोख ने , थोड़ी देर में जैसे ही उन्होंने अपना मुंह उसके जोबना पर हटाया , एक बार गुड्डी के हाथों ने उनके सर को जोर से पकड़ कर दबोच लिया और गुड्डी के होंठ ,अपने भैय्या के होंठों पर , ... उनका मुंह खुल गया , और कुचला ,अधखाया ,उनकी ममेरी बहन के थूक में लिसड़ा पान ,पान का रस ,सीधे गुड्डी के मुंह से उनके मुंह में ,
और गुड्डी ने अबकी अपनी जीभ भी ठेल दी , दोनो के शरीर एक दुसरे में गुथे लिपटे , होंठ चिपके हुए ,जीभ गुड्डी की उनके मुंह में ,गुड्डी के दोनों हाथ उनके सर को दबोचे
मेरे साजन की टीनेजर बहन, गुड्डी उनकी गोद में बैठी थी, ठसके से,... और दोनों के मुंह आपस में चिपके, जीभ अंदर घुसी। पलंग तोड़ पान का रस धीरे धीरे ढलती रात की तरह दोनों के मुंह में घुल रहा था, और साथ ही उन दोनों की शरम झिझक रिश्तों की हिचक भी घुल रही थी, ... भैया का मोटा लौंड़ा बहिनिया की चूत में जड़ तक धंसा था,... और यही नजारा देखने के लिए तो मैं तड़प रही थी,...
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सामने दो दो मीठे मीठे लड्डू हों तो ललचाते होंठ कब तक दूर रह पाते और कचकच्चा के भैया ने अपनी बहना की छोटी छोटी चूँची कुतर ली. ये कच्ची अमिया स्साली तो आती ही हैं कुतरी जाने के लिए,... और ये भी न जाने कब से तरस रहे थे इन्ही कच्ची अमियों के लिए ,...
वो चीख रही थी, चिल्ला रही थी जैसे ही उसके भैया का दांत लगता और गीता ने चालाकी से जो खिड़कियां हलकी हलकी खुली छोड़ दी थीं , उनसे ये चीखें निकल के आस पड़ोस में भी,...
और कुतर भी कैसे रहे थे, निप्स के चारो और दांतों के निशान की माला सी बन गयी थी,... जब वो नहाएगी, कपडे बदलेगी,... तो देख के लजा जायेगी, गरमाएगी और उसकी बिल भैया के लिया पनिया जायेगी,... और साथ में,...
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उनकी सास ने जबरदस्त ट्रेनिंग दी थी, सारे गाढ़े पक्के निशान उन छोटे छोटे उरोजों के एकदम ऊपरी हिस्से पे,... हफ्ते भर तक तो ये निशान उसके भैया के जाने वाले नहीं थे और एकदम ऊपरी हिस्से में तो चाहे चोली पहनती या टॉप साफ साफ़ दिखते,...
पर दर्द के मारे भले ननद रानी की जान निकल रही थी,... मस्ती के मारे भी उनकी हालत खराब थी,... और अब वो अपने होंठों से कभी भैया के बाल चूमती तो कभी दोनों हाथों से कस के उनके सर को पकड़ के अपनी और खींचती तो कभी साथ साथ अपनी छोटी छोटी चूँचियाँ मेरे सैंया और अपने भैया के मुंह में ठेल देती,... पेल देती,... आधी से ज्यादा उनके मुंह में,... उनकी गोद में
बस वो मस्ती में बेबस अपनी टीनेजर बहन को गोद में बिठाये बिठाये चोद रहे थे,... दो बार की मलाई उसकी बुर में भरी पड़ी थी,...
इसलिए लंड सटासट, ...सटासट,... धीरे धीरे अंदर बाहर हो रहा था , लेकिन वो धक्के नहीं मार रहे थे जोर जोर से , बस कभी अपनी गोद में बैठी अपनी बहना गुड्डी को आगे पीछे करते, और मोटा खूंटा उस कसी चूत ( जो अभी थोड़ी देर पहले ही फटी थी ) की हर दीवाल से रगड़ रही थी. और वो भी गोद में बैठी बैठी अपने भैया से चुदवाने का मजा ले रही थी लेकिन कुछ देर में उनका एक हाथ गुड्डी के जोबन को रगड़ता मसलता और दूसरा उसके मस्त किशोर नितम्बो पर , उनका कामदण्ड उनकी बहन के अंदर धंसा और झूले की पेंगो की तरह , धक्के मारते हुए
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कुछ पान में घुली मस्ती का असर, गुड्डी ने कमान अब अपने हाथ में ले ली थी बस वो अपने भइया को मज़ा दे रही थी उसके लंड का मज़ा ले रही थी, कौन कहा सकता है उसे देख के की मेरी ननदिया इनकी बहिनिया आज पहली बार चुद रही थी, ...
कभी अपने छोटे छोटे जोबन अपने भैया के सीने में गुड्डी रगड़ती, तो कभी कस के उन्हें पकडे पकडे, ऊपर नीचे हो के गुड्डी अपने भैया के मोटे मूसल के ऊपर उछल के चोद रही थी, एकदम काम रस में डूबी,....
पल भर के लिए मेरी निगाह इधर उधर हुयी , कोई व्हाट्सएप मेसेज आया या किसी ने इंस्टा पे कुछ पोस्ट किया , आप ऑनलाइन हो और पांच मिनट में लाइक न करो तो लोग बुरा मान जाते हैं फिर आपकी पोस्ट कौन लाइक करेगा, शेयर करेगा,...
और जब निगाह फिर उधर मुड़ी , तो मैं बिन मुस्कराये नहीं रह सकी,... दोनों भाई बहन लेटे, अलग अलग नहीं साइड साइड एक दूसरे के आमने सामने और एकदम चिपके,... और क्या धक्के लग रहे थे
ऐसे ही गुंथे दोनों पलंग पर लेकिन साइड साइड ,
और अब धक्कों में गुड्डी भी साथ दे रही थी , बल्कि वही कस के धक्के लगा रही थी , ये पक्का उस पान का असर था जो उसके मुंह में घुल रहा था मंजू ने सच कहा था मुझसे की जोड़ा पान का एक भी खा ले तो कातिक की कुतिया झूठ ऐसे गर्माएगी,.. और एक दो बार की चुदाई से चूत की आग ठंडी नहीं होगी और मेरी ननद ने तो दोनों पान खाये थे,...
ये कस के उसके छोटे छोटे चूतड़ पकडे, और फिर उन्होंने भी धक्को का जवाब धक्कों से,... मेरी निगाह एक बार घड़ी की तरफ पड़ी पौने चार बज रही थे , पोरे बयालीस मिनट से इस राउंड की चुदाई चल रही थी,... ननद रानी दो बार झड़ चुकी थीं,... और तभी दोनों की जोर जोर की आवाज कानों में पड़ी,...
" ले गुड्डी ले घोंट अपने भैया का लंड, ले ले ले पूरा,... "
"दे भैया दे , आज चोद दो कस के भैया,... "
सिसकियों के बीच ननद की आवाज सुनाई पड़ी,... मैं आंखे गड़ा के देख रही थी,... और इनके धक्के तूफानी हो गए थे साथ में मस्ती भरी गारियाँ उनके मुंह से , अबे और स्साले कहने में जिनकी गाँड़ फटती थी,... और अब उनके धक्क्के एकदम तूफानी हो गए थे मैं समझ गए थे वो बस अब झड़ने वाले हैं गुड्डी ने कस के उन्हें भींच लिया और उसकी चूत भी कस के सिकुड़ रही थी अपने भैया के लंड को अंदर दबोच रही थी,
गुड्डी ने झड़ना शुरू किया और साथ में उसके भैया भी,...
कस के उन्होंने अपनी बहन को दबोच रखा था, लंड अंदर पेल रखा था जिससे सब मलाई अंदर ही रह जाये और गुड्डी भी दुबकी जैसे चूत की अंजुरी में एक एक बूँद रोप लेना चाहती हो
मैं आँख गड़ा के देख रही थी , थोड़ी देर बाद पहले एक बूँद, फिर पतली सी धार, रेंगती सरकती वीर्य की, ...भैया के वीर्य की बहन की बुर से,... बहन की चिकनी रेशमी जाँघों से होती हुयी , खून और वीर्य से सनी चद्दर पर दबे कुचले चांदनी और बेला चमेली के लाल सफ़ेद फूलों के बीच खो गई,
जलती हुई मोमबत्तियां आधी हो हो गई थीं,... घड़ी की टनटनाहट ने मेरा ध्यान बंटाया,..चार बज गए थे ये तीन बार अपनी बहिन की बुर में झड़ चुके थे,...
दोनों एकदम थके मांदे एक दूसरे को पकडे दबोचे,...
उफ्फ्फ...... बस इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकता..... बस पानी बहने से किसी तरह रोक लिया बस.....