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भाग 247 - मेरा दिन -बूआकी लड़की पृष्ठ १५३९
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जोड़ा पलंग तोड़ पान का
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... मसल तो स्साली की तभी देना चाहिए था जब वो हाईस्कूल में पहुंची चूजों ने सिर उठाना शुरू किया था, अभी भी खैर हफ्ते भर पहले पास किया था,... पर वो दो तीन साल का सूद समेत,.. मैं उन्हें चिढ़ाती थी,
" ननदी क छोट छोट जोबन दाबे में मजा देय
अरे बहिनी तोहार चोदे में मजा देय।
वो मजे से पागल भी हो रही थी और दर्द से चिल्ला भी रही थी और अब तो उसकी चूँचिया रोज इसी तरह मसली जाएंगी , ननद रानी के जोबन छिपाने के दिन ख़तम हो गए, जोबन लुटाने के दिन आ गए,... दो चार दिन तो सिर्फ मेरे सैंया और उसके बाद,... लम्बी लाइन लगेगी,...
मिजने मसलने के साथ वो चूस भी रहे थे निपल और रह रह के काट भी लेते,
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वो भी ननद की टेनिस बाल साइज चूँचियों के ऊपर के हिस्से पे , बस अब तो कपडे पहनने के बाद भी हफ़्तों ये निशान दिखने वाले थे, भरे बाजार में, कोचिंग में,... और जैसे ही उनके दांत लगते , चीख और तेज से गूँज जाती,
" भैया काटो मत, प्लीज इत्ती जोर से नहीं,... "
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लेकिन जैसे कोई तूफ़ान थम के धीमे धीमे हलकी हवाओं में बदल जाये , बस उसी तरह उन्होंने हलके हलके ,... धक्के अब धीमे हो गए थे रात भर की तूफानी चुदाई के बाद अब उन्हें कोई जल्दी भी नहीं थी गुड्डी भी न , ... थोड़ी देर में उन्होंने थोड़ा सहारा दिया , और वो उनकी गोद में बैठी , खूंटा पूरा अंदर धंसा।
अब वो कुछ नहीं कर रहे थे ,उनकी ममेरी बहन ही ,कभी उनकी छाती पे अपने नए नए आये जोबन रगड़ती तो कभी हलके से उनके गाल चूम लेती।
पलंग तोड़ पान का रस उसके अंदर अच्छी तरह घुल चुका था।
वो हलके हलके धक्के मारते तो तो वो किशोरी भी उनका साथ देने की कोशिश करती। और खुद अपनी कच्ची अमिया उसने अपने भइया के मुंह में दे दी। अपने दोनों हाथों से गुड्डी ने उनका सर कस के पकड़ रखा था , जैसे कह रहे हो भैय्या तू बहुत तड़पा है न ले ले ,मन भर के ले। वो भी प्यार से धीरे धीरे उसकी कच्ची अमिया कुतर रहे थे। कभी दांत कस के लग जाता तो वो चीख उठती
और म्यूट होने के बाद भी चीख सीधे मेरे कमरे में , और ये चीख आस पास भी ,..
पर मेरी ननद ,... उस ने मुड़ कर बचा हुआ जोड़ा पलंग तोड़ पान का उठा लिया और अबकी पूरा का पूरा अपने मुंह में ,
वो गुड्डी की कच्ची अमिया कुतर रहे थे और वो मस्ती में भरने वाले पान को ,
लेकिन अकेले नहीं खाया उस शरारती शोख ने , थोड़ी देर में जैसे ही उन्होंने अपना मुंह उसके जोबना पर हटाया , एक बार गुड्डी के हाथों ने उनके सर को जोर से पकड़ कर दबोच लिया और गुड्डी के होंठ ,अपने भैय्या के होंठों पर , ... उनका मुंह खुल गया , और कुचला ,अधखाया ,उनकी ममेरी बहन के थूक में लिसड़ा पान ,पान का रस ,सीधे गुड्डी के मुंह से उनके मुंह में ,
और गुड्डी ने अबकी अपनी जीभ भी ठेल दी , दोनो के शरीर एक दुसरे में गुथे लिपटे , होंठ चिपके हुए ,जीभ गुड्डी की उनके मुंह में ,गुड्डी के दोनों हाथ उनके सर को दबोचे
मेरे साजन की टीनेजर बहन, गुड्डी उनकी गोद में बैठी थी, ठसके से,... और दोनों के मुंह आपस में चिपके, जीभ अंदर घुसी। पलंग तोड़ पान का रस धीरे धीरे ढलती रात की तरह दोनों के मुंह में घुल रहा था, और साथ ही उन दोनों की शरम झिझक रिश्तों की हिचक भी घुल रही थी, ... भैया का मोटा लौंड़ा बहिनिया की चूत में जड़ तक धंसा था,... और यही नजारा देखने के लिए तो मैं तड़प रही थी,...
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सामने दो दो मीठे मीठे लड्डू हों तो ललचाते होंठ कब तक दूर रह पाते और कचकच्चा के भैया ने अपनी बहना की छोटी छोटी चूँची कुतर ली. ये कच्ची अमिया स्साली तो आती ही हैं कुतरी जाने के लिए,... और ये भी न जाने कब से तरस रहे थे इन्ही कच्ची अमियों के लिए ,...
वो चीख रही थी, चिल्ला रही थी जैसे ही उसके भैया का दांत लगता और गीता ने चालाकी से जो खिड़कियां हलकी हलकी खुली छोड़ दी थीं , उनसे ये चीखें निकल के आस पड़ोस में भी,...
और कुतर भी कैसे रहे थे, निप्स के चारो और दांतों के निशान की माला सी बन गयी थी,... जब वो नहाएगी, कपडे बदलेगी,... तो देख के लजा जायेगी, गरमाएगी और उसकी बिल भैया के लिया पनिया जायेगी,... और साथ में,...
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उनकी सास ने जबरदस्त ट्रेनिंग दी थी, सारे गाढ़े पक्के निशान उन छोटे छोटे उरोजों के एकदम ऊपरी हिस्से पे,... हफ्ते भर तक तो ये निशान उसके भैया के जाने वाले नहीं थे और एकदम ऊपरी हिस्से में तो चाहे चोली पहनती या टॉप साफ साफ़ दिखते,...
पर दर्द के मारे भले ननद रानी की जान निकल रही थी,... मस्ती के मारे भी उनकी हालत खराब थी,... और अब वो अपने होंठों से कभी भैया के बाल चूमती तो कभी दोनों हाथों से कस के उनके सर को पकड़ के अपनी और खींचती तो कभी साथ साथ अपनी छोटी छोटी चूँचियाँ मेरे सैंया और अपने भैया के मुंह में ठेल देती,... पेल देती,... आधी से ज्यादा उनके मुंह में,... उनकी गोद में
बस वो मस्ती में बेबस अपनी टीनेजर बहन को गोद में बिठाये बिठाये चोद रहे थे,... दो बार की मलाई उसकी बुर में भरी पड़ी थी,...
इसलिए लंड सटासट, ...सटासट,... धीरे धीरे अंदर बाहर हो रहा था , लेकिन वो धक्के नहीं मार रहे थे जोर जोर से , बस कभी अपनी गोद में बैठी अपनी बहना गुड्डी को आगे पीछे करते, और मोटा खूंटा उस कसी चूत ( जो अभी थोड़ी देर पहले ही फटी थी ) की हर दीवाल से रगड़ रही थी. और वो भी गोद में बैठी बैठी अपने भैया से चुदवाने का मजा ले रही थी लेकिन कुछ देर में उनका एक हाथ गुड्डी के जोबन को रगड़ता मसलता और दूसरा उसके मस्त किशोर नितम्बो पर , उनका कामदण्ड उनकी बहन के अंदर धंसा और झूले की पेंगो की तरह , धक्के मारते हुए
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कुछ पान में घुली मस्ती का असर, गुड्डी ने कमान अब अपने हाथ में ले ली थी बस वो अपने भइया को मज़ा दे रही थी उसके लंड का मज़ा ले रही थी, कौन कहा सकता है उसे देख के की मेरी ननदिया इनकी बहिनिया आज पहली बार चुद रही थी, ...
कभी अपने छोटे छोटे जोबन अपने भैया के सीने में गुड्डी रगड़ती, तो कभी कस के उन्हें पकडे पकडे, ऊपर नीचे हो के गुड्डी अपने भैया के मोटे मूसल के ऊपर उछल के चोद रही थी, एकदम काम रस में डूबी,....
पल भर के लिए मेरी निगाह इधर उधर हुयी , कोई व्हाट्सएप मेसेज आया या किसी ने इंस्टा पे कुछ पोस्ट किया , आप ऑनलाइन हो और पांच मिनट में लाइक न करो तो लोग बुरा मान जाते हैं फिर आपकी पोस्ट कौन लाइक करेगा, शेयर करेगा,...
और जब निगाह फिर उधर मुड़ी , तो मैं बिन मुस्कराये नहीं रह सकी,... दोनों भाई बहन लेटे, अलग अलग नहीं साइड साइड एक दूसरे के आमने सामने और एकदम चिपके,... और क्या धक्के लग रहे थे
ऐसे ही गुंथे दोनों पलंग पर लेकिन साइड साइड ,
और अब धक्कों में गुड्डी भी साथ दे रही थी , बल्कि वही कस के धक्के लगा रही थी , ये पक्का उस पान का असर था जो उसके मुंह में घुल रहा था मंजू ने सच कहा था मुझसे की जोड़ा पान का एक भी खा ले तो कातिक की कुतिया झूठ ऐसे गर्माएगी,.. और एक दो बार की चुदाई से चूत की आग ठंडी नहीं होगी और मेरी ननद ने तो दोनों पान खाये थे,...
ये कस के उसके छोटे छोटे चूतड़ पकडे, और फिर उन्होंने भी धक्को का जवाब धक्कों से,... मेरी निगाह एक बार घड़ी की तरफ पड़ी पौने चार बज रही थे , पोरे बयालीस मिनट से इस राउंड की चुदाई चल रही थी,... ननद रानी दो बार झड़ चुकी थीं,... और तभी दोनों की जोर जोर की आवाज कानों में पड़ी,...
" ले गुड्डी ले घोंट अपने भैया का लंड, ले ले ले पूरा,... "
"दे भैया दे , आज चोद दो कस के भैया,... "
सिसकियों के बीच ननद की आवाज सुनाई पड़ी,... मैं आंखे गड़ा के देख रही थी,... और इनके धक्के तूफानी हो गए थे साथ में मस्ती भरी गारियाँ उनके मुंह से , अबे और स्साले कहने में जिनकी गाँड़ फटती थी,... और अब उनके धक्क्के एकदम तूफानी हो गए थे मैं समझ गए थे वो बस अब झड़ने वाले हैं गुड्डी ने कस के उन्हें भींच लिया और उसकी चूत भी कस के सिकुड़ रही थी अपने भैया के लंड को अंदर दबोच रही थी,
गुड्डी ने झड़ना शुरू किया और साथ में उसके भैया भी,...
कस के उन्होंने अपनी बहन को दबोच रखा था, लंड अंदर पेल रखा था जिससे सब मलाई अंदर ही रह जाये और गुड्डी भी दुबकी जैसे चूत की अंजुरी में एक एक बूँद रोप लेना चाहती हो
मैं आँख गड़ा के देख रही थी , थोड़ी देर बाद पहले एक बूँद, फिर पतली सी धार, रेंगती सरकती वीर्य की, ...भैया के वीर्य की बहन की बुर से,... बहन की चिकनी रेशमी जाँघों से होती हुयी , खून और वीर्य से सनी चद्दर पर दबे कुचले चांदनी और बेला चमेली के लाल सफ़ेद फूलों के बीच खो गई,
जलती हुई मोमबत्तियां आधी हो हो गई थीं,... घड़ी की टनटनाहट ने मेरा ध्यान बंटाया,..चार बज गए थे ये तीन बार अपनी बहिन की बुर में झड़ चुके थे,...
दोनों एकदम थके मांदे एक दूसरे को पकडे दबोचे,...
Didi guddi ke boobs aur pussy par tattoo bhi banvao achchhi lagegi bahutAapki to har update lajabab hai didi,
सही पकड़े हैंआखिर में लंड को english में cock कहा जाता है...
इसलिए सुबह-सुबह दोनों मुर्गे बांग दे रहे थे...
एक की आवाज सारा जग सुन रहा था..
और दूसरे की सिर्फ कोमल रानी...
Dus min bina ruke, 20 dhakke per minute ke hisab se 100 nhi kam se kam 200 dhakke. Bichari hath per na jode to kya kareजोरू का गुलाम भाग १६९
गुड्डी की सुहागरात, भैया के साथ,
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मज़ा पलंग तोड़ जोड़ा पान का
मैं किचेन में काफी का मग रख के आयी , मम्मी से बात भी हुयी और दो ढाई बजे तीसरा राउंड
क्या सीन था , वो पलंग तोड़ पान का जोड़ा , उनकी ममेरी बहन के हाथ में ,उन्हें दिखा के ललचा रही थी , फिर गप से उस किशोरी ने अपने मुंह में ,
" भैय्या , कुछ लेने का मन करे न तो मांगना पड़ता है ,ऐसे नहीं मिलता। " उन्हें छेड़ते हुए वो कोमलांगी बोली।
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उन्हें धक्का दे कर उस शोख ने उन्हें पलंग पर गिरा दिया , फिर उनके सीने पर सर रख कर , गुड्डी के रसीले होंठों से निकला पान , एकदम उनके मुंह से बस थोड़ी ही दूर ,...
" हे दो साल पहले मांगता तो दे देती , ...? "
गुड्डी के हाईस्कूल के दिन की याद दिला कर उन्होंने पूछा।
कहते हैं महिलायें अपनी भावनाएं कई ढंग से व्यक्त करती हैं , गुड्डी ने भी वही किया , उसके जिस कच्चे टिकोरे के उसके हाईस्कूल के दिनों से वो दीवाने थे , उनकी छुटकी बहना ने उनकी छाती पर रगड़ दिया , और शोख अंदाज में बोली,
" भैय्या जो तुम देख देख के ललचाते थे न मुझे बहुत अच्छा लगता था। मुझे , ...अरे मुझे क्या ,... मेरी सारी सहेलियों को पता था की तुम देख देख के ,.. सब मुझे खूब चिढ़ाती थीं। बोलती थीं , अरे यार दे दे न ,... क्या करेगी बचा के ,... कोई न कोई तो रगड़ेगा ही ,... वो बिचारा बहुत सीधा है ,तुझे ही उसका पैंट खोलकर ,... "
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और अब उस शोख टीनेजर के होंठ , मुश्किल से इंच भर दूर थे ,... गुड्डी ने फिर इन्हे चिढ़ाया ,
" वैसे मांगने के भी जरुरत नहीं थी , सीधे से ले लेते न मैं मना थोड़े ही करती। और उन्होंने ले लिया।
उनके होंठ उस इंटरवाली के होंठों पर , और गुड्डी के मुंह में दबा घुसा ,पान अब उनके मुंह में।
पर पान तो बहाना था ,उनकी जीभ अब अपनी बहना के मुंह में घुसी और वो धीमे धीमे चूस रही थी साथ साथ में अपनी कच्ची अमिया इनकी चौड़ी छाती पर रगड़ रही थी।
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कुछ ही देर में वो जोड़ा पान दोनों भइया बहन ने आपस में बाँट लिया था और उस पलंग तोड़ पान का रस दोनों के मुंह में घुल रहा था. कभी गुड्डी की जीभ इनके मुंह में तो कभी इनकी जीभ गुड्डी के मुंह में ,इनके मुंह से लार टपक कर उस किशोरी के चिकने चम्पई गालों पर टपक रही था ।
और उन की छुटकी बहिनिया ने वो अपने ऊँगली में लपेट कर चाट लिया।
मैं देख रही थी, मुस्करा रही थी,...
इस पलंग तोड़ पान का असर बस अब शुरू होने वाला था और दो चार घंटे तो चलता ही कम से कम, ... पान में असली चीज होती है चूना, बहुत जरा सा भी काफी है,... और मुंह के अंदर लगते ही मुंह के अंदर के म्यूकोसा में हलका सा वो काटता है, जैसे कोई रगड़ लगा जाए,, छिल जाए,... और गुड्डी रानी की प्रेम गली तो इससे सौ गुना ज्यादा छिली होगी, तो बस छिलने का असर मुंह के अंदर और जो पान का सत्त घुलता है मुंह में वो छिले हुए हिस्से से सीधे, शिराओं और धमनियों में, फिर मस्तिष्क में,... सोच नयी, वर्जिन विद वियाग्रा या हिन्दुस्तानी उदहारण दूँ तो कातिक की कुतिया जैसे गर्मायी रहती है, बस उससे भी दो हाथ आगे.
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और पान में क्या क्या पड़ा था ये तो मंजू, गीता की माँ किसी को नहीं बताती, हाँ जहाँ से लाती है ये खास पान, उसमें कुछ अपना भी,,... उसने मुझसे खुद कहा कितनी भी चुदी थकी चिल्लाती लौंडिया हो बस पांच मिनट ये पान उसके मुंह में घुल जाए,... ,
और फिर ये मेरे सैंया, मेरी ननदिया के रसिया,...
आज चुम्मा भी एकदम पागल की तरह ले रहे थे अपनी बहिनिया का, दस जगहों पर होंठ उन्होंने चूसते हुए काटा होगा, और दुल्हन का तो सुहागरात में यही आभूषण है,.. चुदती तो सब हैं ( उनकी माँ बहने भाई भेजते इसी लिए हैं, बिदा होके बेटी, बहन दिन में पंहुचे और रात में उसकी टाँगे उठ जाएँ )
पर नुचती कितनी है हैं उसी से लगता है की सुहागरात कितनी गरम थी, तो बस उन कटे हुए होंठों से भी होकर पान का रस गुड्डी रानी के अंदर,...
फिर आज तो एकदम ये डीप किस ले रहे थे, दो बार चोदने और चुदने के बाद जल्दी तो किसी को थी नहीं,...
तो बस इन्होने अपनी जीभ भी भी अपनी बहन, मेरे ननद के मुंह पे ठेल बल्कि पेल दिया था,... जहाँ वो डबल जोड़ा पलंग तोड़ पान का रिस रहा था था और फिर पांच मिनट क्या सात आठ मिनट तक भाई बहन की टंग फाइट ही चलती रही, और पान का मादक रस , मुंह के अंदर चूने से छिली जगह, होंठों पर सैंया मेरा मतलब भैया की काटी जगह से गुड्डी रानी के अंदर,... उसकी आँखों से चेहरे से लग रहा था खूब मस्त हो रही है, गरमा रही है,...
फिर वो अपने भैया के ऊपर चढ़ के, अपने मुंह से लार की तरह टपका टपका के पान की पीक अपने भैया के गौरेया की तरह खुले मुँह के अंदर एक धागे की तरह , धीरे धीरे,...
ये बात भी मंजू बाई ने मुझे बताई थी मरद पे असली असर तब पड़ता है जब गोरी आठ दस मिनट अपने मुंह में रचा बसा लेती है और उस का असर मर्द को एकदम पागल बना देता है बस उस का एक मन करता है, स्साली को पटक के चोद दें,...
और गुड्डी तो पक्की शरारती, जब से जोबना आने शुरू हुए थे तभी से लाइन मार रही थी अपने भाई को , ..
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लेकिन ये तो महा बुद्धू,...
पर अब ये एकदम बदल गए थे, ... गुड्डी इनके ऊपर सिर्फ चढ़ी नहीं थी बल्कि अपने छोट छोट जुबना इनकी चौड़ी छाती पे रगड़ रही थी, पान का असर शुरू होगया था, वो मद में डूबी टीनेजर अभी अभी फटी चुनमुनिया जो दर्द से चूर थी, अभी भी खून की बंदे लिपटी लिथड़ी थी,... उस प्यारी प्यारी गुलाबो को जिसकी सिर्फ एक झलक पाने के सारे शहर के लौंडे कुर्बान थे, अपने भैया के खूंटे पे रगड़ रही थी,... और वो थोड़ा सोया ज्यादा जागा एकदम तनतना के उठ खड़ा हुआ,...
थोड़ी ही देर में वो ऊपर और गुड्डी फिर नीचे , और उसके बाद जो होना था वही हुआ ,वो अंदर ,..
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गौरेया जो अबतक बहुत चहक रही थी ,चीख उठी पहले ही धक्के में।
मैंने टीवी का वॉल्यूम थोड़ा कम कर दिया
लेकिन उनका दूसरा धक्का और गुड्डी की कानफाड़ने वाली चीख एक बार फिर से ,... मैं समझ गयी गीता की शरारत ,... उसने भले ही परदे बंद किये होंगे लेकिन कोई खिड़की खुली छोड़ दी थी थोड़ी , जिससे होकर गुड्डी रानी की चीखें ,... यानी जब रात में फटी उस टीनेजर की ,तो सच में दूर दूर तक ,
टीवी मैंने म्यूट ही रहने दिया , एक के बाद एक चीखें , अब हर धक्का सीधे बच्चेदानी पर ,
यही तो मैं चाहती थी, बस ऐसी ही कुटाई ऐसी जबरदस्त की जिंदगी भर याद रखे,... एकदम मेरे मन की बात,
सच में जो बिन समझे मन की बात की समझ जाए, बिन बिन बोले मन की बात करे,... वही है साजन मेरा,... बहुत प्यार उमड़ रहा था मेरा उनके ऊपर, इस कुँवारी टीनेजर को देख के सोच के जो फैंटेसी मेरे मन में उभरती थी वो सब आज पूरी हो रही है , साथ में एच डी क्वालिटी में रिकार्डिंग,... एक एक पल की,...
खूब रगड़ता दरेरता फाड़ता, उस जस्ट फटी छिली झिल्ली को घिसता, ... वो आठ इंच का खूंटा, मेरी कलाई से बीयर कैन से भी मोटा और हर धक्के में आलमोस्ट पूरा निकाल के जब वो पेलते तो सीधे जड़ तक, ... जैसे ही घुसना शुरू करता मेरी ननदिया की कान फाडू चीखें कमरे को पार कर के निकलती
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और जब मोटा सुपाड़ा उस स्साली के बच्चेदानी पे पूरी ताकत से ठोकर मारता तो उसकी पूरी देह काँप जाती,... एकदम उसे दुहरी कर के जैसे उसके घुटने उसके चेहरे को छू रहे हों, दोनों हाथों से कुछ देर तक तो उसके छोटे छोटे चूतड़ों कप पकड़ के, फिर पतली कमरिया को बिना रुके, गिन के सौ धक्के तो मारे होंगे ही उन्होंने,...
मैं बीच बीच में सामने लगी दीवाल घडी देख रही थी पूरे दस मिनट तक बिना रुके , और दस मिनट तक वो चीखती रही, बिसूरती रही हाथ गोड़ जोड़ती रही, पर आज उसके भैया पर कोई असर नहीं हो रहा था चोद चोद के , क्या कोई धुनिया रुई धुनेगा,
और जो रुके भी तो मैं मुस्कराने लगी उनकी बदमाशी देख के , सच में उनकी सास ने पंद्रह दिन में एक दम मस्त ट्रेनिंग दी थी,... एक तो लगातार उन्हें मादरचोद बहन चोद बोल के उनसे ही उनकी माँ बहन को रोज दस दस गाली दिन में दस बाद दिलवा के सब झिझक ख़तम कर दी थी और उसके बाद एक से एक ट्रिक,... बस वही सीखा हुआ, उनका मोटा पिस्टन उनकी बहन की बुर में जड़ तक धंसा, फट रही होगी स्साली की दर्द के मारे,...
और अब वो लंड के जड़ से उसकी क्लिट रगड़ रहे थे, ... पहले धीरे धीरे फिर जोर जोर से,...
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और साथ में जिस तरह से वो उस छिनार की चूँची मसल रहे थे ... मसल तो स्साली की तभी देना चाहिए था जब वो हाईस्कूल में पहुंची चूजों ने सिर उठाना शुरू किया था, अभी भी खैर हफ्ते भर पहले पास किया था,... पर वो दो तीन साल का सूद समेत,.. मैं उन्हें चिढ़ाती थी,
" ननदी क छोट छोट जोबन दाबे में मजा देय
अरे बहिनी तोहार चोदे में मजा देय।
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गुड्डी की सुहागरात, भैया के साथ,
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मज़ा पलंग तोड़ जोड़ा पान का
मैं किचेन में काफी का मग रख के आयी , मम्मी से बात भी हुयी और दो ढाई बजे तीसरा राउंड
क्या सीन था , वो पलंग तोड़ पान का जोड़ा , उनकी ममेरी बहन के हाथ में ,उन्हें दिखा के ललचा रही थी , फिर गप से उस किशोरी ने अपने मुंह में ,
" भैय्या , कुछ लेने का मन करे न तो मांगना पड़ता है ,ऐसे नहीं मिलता। " उन्हें छेड़ते हुए वो कोमलांगी बोली।
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उन्हें धक्का दे कर उस शोख ने उन्हें पलंग पर गिरा दिया , फिर उनके सीने पर सर रख कर , गुड्डी के रसीले होंठों से निकला पान , एकदम उनके मुंह से बस थोड़ी ही दूर ,...
" हे दो साल पहले मांगता तो दे देती , ...? "
गुड्डी के हाईस्कूल के दिन की याद दिला कर उन्होंने पूछा।
कहते हैं महिलायें अपनी भावनाएं कई ढंग से व्यक्त करती हैं , गुड्डी ने भी वही किया , उसके जिस कच्चे टिकोरे के उसके हाईस्कूल के दिनों से वो दीवाने थे , उनकी छुटकी बहना ने उनकी छाती पर रगड़ दिया , और शोख अंदाज में बोली,
" भैय्या जो तुम देख देख के ललचाते थे न मुझे बहुत अच्छा लगता था। मुझे , ...अरे मुझे क्या ,... मेरी सारी सहेलियों को पता था की तुम देख देख के ,.. सब मुझे खूब चिढ़ाती थीं। बोलती थीं , अरे यार दे दे न ,... क्या करेगी बचा के ,... कोई न कोई तो रगड़ेगा ही ,... वो बिचारा बहुत सीधा है ,तुझे ही उसका पैंट खोलकर ,... "
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और अब उस शोख टीनेजर के होंठ , मुश्किल से इंच भर दूर थे ,... गुड्डी ने फिर इन्हे चिढ़ाया ,
" वैसे मांगने के भी जरुरत नहीं थी , सीधे से ले लेते न मैं मना थोड़े ही करती। और उन्होंने ले लिया।
उनके होंठ उस इंटरवाली के होंठों पर , और गुड्डी के मुंह में दबा घुसा ,पान अब उनके मुंह में।
पर पान तो बहाना था ,उनकी जीभ अब अपनी बहना के मुंह में घुसी और वो धीमे धीमे चूस रही थी साथ साथ में अपनी कच्ची अमिया इनकी चौड़ी छाती पर रगड़ रही थी।
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कुछ ही देर में वो जोड़ा पान दोनों भइया बहन ने आपस में बाँट लिया था और उस पलंग तोड़ पान का रस दोनों के मुंह में घुल रहा था. कभी गुड्डी की जीभ इनके मुंह में तो कभी इनकी जीभ गुड्डी के मुंह में ,इनके मुंह से लार टपक कर उस किशोरी के चिकने चम्पई गालों पर टपक रही था ।
और उन की छुटकी बहिनिया ने वो अपने ऊँगली में लपेट कर चाट लिया।
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इस पलंग तोड़ पान का असर बस अब शुरू होने वाला था और दो चार घंटे तो चलता ही कम से कम, ... पान में असली चीज होती है चूना, बहुत जरा सा भी काफी है,... और मुंह के अंदर लगते ही मुंह के अंदर के म्यूकोसा में हलका सा वो काटता है, जैसे कोई रगड़ लगा जाए,, छिल जाए,... और गुड्डी रानी की प्रेम गली तो इससे सौ गुना ज्यादा छिली होगी, तो बस छिलने का असर मुंह के अंदर और जो पान का सत्त घुलता है मुंह में वो छिले हुए हिस्से से सीधे, शिराओं और धमनियों में, फिर मस्तिष्क में,... सोच नयी, वर्जिन विद वियाग्रा या हिन्दुस्तानी उदहारण दूँ तो कातिक की कुतिया जैसे गर्मायी रहती है, बस उससे भी दो हाथ आगे.
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और पान में क्या क्या पड़ा था ये तो मंजू, गीता की माँ किसी को नहीं बताती, हाँ जहाँ से लाती है ये खास पान, उसमें कुछ अपना भी,,... उसने मुझसे खुद कहा कितनी भी चुदी थकी चिल्लाती लौंडिया हो बस पांच मिनट ये पान उसके मुंह में घुल जाए,... ,
और फिर ये मेरे सैंया, मेरी ननदिया के रसिया,...
आज चुम्मा भी एकदम पागल की तरह ले रहे थे अपनी बहिनिया का, दस जगहों पर होंठ उन्होंने चूसते हुए काटा होगा, और दुल्हन का तो सुहागरात में यही आभूषण है,.. चुदती तो सब हैं ( उनकी माँ बहने भाई भेजते इसी लिए हैं, बिदा होके बेटी, बहन दिन में पंहुचे और रात में उसकी टाँगे उठ जाएँ )
पर नुचती कितनी है हैं उसी से लगता है की सुहागरात कितनी गरम थी, तो बस उन कटे हुए होंठों से भी होकर पान का रस गुड्डी रानी के अंदर,...
फिर आज तो एकदम ये डीप किस ले रहे थे, दो बार चोदने और चुदने के बाद जल्दी तो किसी को थी नहीं,...
तो बस इन्होने अपनी जीभ भी भी अपनी बहन, मेरे ननद के मुंह पे ठेल बल्कि पेल दिया था,... जहाँ वो डबल जोड़ा पलंग तोड़ पान का रिस रहा था था और फिर पांच मिनट क्या सात आठ मिनट तक भाई बहन की टंग फाइट ही चलती रही, और पान का मादक रस , मुंह के अंदर चूने से छिली जगह, होंठों पर सैंया मेरा मतलब भैया की काटी जगह से गुड्डी रानी के अंदर,... उसकी आँखों से चेहरे से लग रहा था खूब मस्त हो रही है, गरमा रही है,...
फिर वो अपने भैया के ऊपर चढ़ के, अपने मुंह से लार की तरह टपका टपका के पान की पीक अपने भैया के गौरेया की तरह खुले मुँह के अंदर एक धागे की तरह , धीरे धीरे,...
ये बात भी मंजू बाई ने मुझे बताई थी मरद पे असली असर तब पड़ता है जब गोरी आठ दस मिनट अपने मुंह में रचा बसा लेती है और उस का असर मर्द को एकदम पागल बना देता है बस उस का एक मन करता है, स्साली को पटक के चोद दें,...
और गुड्डी तो पक्की शरारती, जब से जोबना आने शुरू हुए थे तभी से लाइन मार रही थी अपने भाई को , ..
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लेकिन ये तो महा बुद्धू,...
पर अब ये एकदम बदल गए थे, ... गुड्डी इनके ऊपर सिर्फ चढ़ी नहीं थी बल्कि अपने छोट छोट जुबना इनकी चौड़ी छाती पे रगड़ रही थी, पान का असर शुरू होगया था, वो मद में डूबी टीनेजर अभी अभी फटी चुनमुनिया जो दर्द से चूर थी, अभी भी खून की बंदे लिपटी लिथड़ी थी,... उस प्यारी प्यारी गुलाबो को जिसकी सिर्फ एक झलक पाने के सारे शहर के लौंडे कुर्बान थे, अपने भैया के खूंटे पे रगड़ रही थी,... और वो थोड़ा सोया ज्यादा जागा एकदम तनतना के उठ खड़ा हुआ,...
थोड़ी ही देर में वो ऊपर और गुड्डी फिर नीचे , और उसके बाद जो होना था वही हुआ ,वो अंदर ,..
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गौरेया जो अबतक बहुत चहक रही थी ,चीख उठी पहले ही धक्के में।
मैंने टीवी का वॉल्यूम थोड़ा कम कर दिया
लेकिन उनका दूसरा धक्का और गुड्डी की कानफाड़ने वाली चीख एक बार फिर से ,... मैं समझ गयी गीता की शरारत ,... उसने भले ही परदे बंद किये होंगे लेकिन कोई खिड़की खुली छोड़ दी थी थोड़ी , जिससे होकर गुड्डी रानी की चीखें ,... यानी जब रात में फटी उस टीनेजर की ,तो सच में दूर दूर तक ,
टीवी मैंने म्यूट ही रहने दिया , एक के बाद एक चीखें , अब हर धक्का सीधे बच्चेदानी पर ,
यही तो मैं चाहती थी, बस ऐसी ही कुटाई ऐसी जबरदस्त की जिंदगी भर याद रखे,... एकदम मेरे मन की बात,
सच में जो बिन समझे मन की बात की समझ जाए, बिन बिन बोले मन की बात करे,... वही है साजन मेरा,... बहुत प्यार उमड़ रहा था मेरा उनके ऊपर, इस कुँवारी टीनेजर को देख के सोच के जो फैंटेसी मेरे मन में उभरती थी वो सब आज पूरी हो रही है , साथ में एच डी क्वालिटी में रिकार्डिंग,... एक एक पल की,...
खूब रगड़ता दरेरता फाड़ता, उस जस्ट फटी छिली झिल्ली को घिसता, ... वो आठ इंच का खूंटा, मेरी कलाई से बीयर कैन से भी मोटा और हर धक्के में आलमोस्ट पूरा निकाल के जब वो पेलते तो सीधे जड़ तक, ... जैसे ही घुसना शुरू करता मेरी ननदिया की कान फाडू चीखें कमरे को पार कर के निकलती
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और जब मोटा सुपाड़ा उस स्साली के बच्चेदानी पे पूरी ताकत से ठोकर मारता तो उसकी पूरी देह काँप जाती,... एकदम उसे दुहरी कर के जैसे उसके घुटने उसके चेहरे को छू रहे हों, दोनों हाथों से कुछ देर तक तो उसके छोटे छोटे चूतड़ों कप पकड़ के, फिर पतली कमरिया को बिना रुके, गिन के सौ धक्के तो मारे होंगे ही उन्होंने,...
मैं बीच बीच में सामने लगी दीवाल घडी देख रही थी पूरे दस मिनट तक बिना रुके , और दस मिनट तक वो चीखती रही, बिसूरती रही हाथ गोड़ जोड़ती रही, पर आज उसके भैया पर कोई असर नहीं हो रहा था चोद चोद के , क्या कोई धुनिया रुई धुनेगा,
और जो रुके भी तो मैं मुस्कराने लगी उनकी बदमाशी देख के , सच में उनकी सास ने पंद्रह दिन में एक दम मस्त ट्रेनिंग दी थी,... एक तो लगातार उन्हें मादरचोद बहन चोद बोल के उनसे ही उनकी माँ बहन को रोज दस दस गाली दिन में दस बाद दिलवा के सब झिझक ख़तम कर दी थी और उसके बाद एक से एक ट्रिक,... बस वही सीखा हुआ, उनका मोटा पिस्टन उनकी बहन की बुर में जड़ तक धंसा, फट रही होगी स्साली की दर्द के मारे,...
और अब वो लंड के जड़ से उसकी क्लिट रगड़ रहे थे, ... पहले धीरे धीरे फिर जोर जोर से,...
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और साथ में जिस तरह से वो उस छिनार की चूँची मसल रहे थे ... मसल तो स्साली की तभी देना चाहिए था जब वो हाईस्कूल में पहुंची चूजों ने सिर उठाना शुरू किया था, अभी भी खैर हफ्ते भर पहले पास किया था,... पर वो दो तीन साल का सूद समेत,.. मैं उन्हें चिढ़ाती थी,
" ननदी क छोट छोट जोबन दाबे में मजा देय
अरे बहिनी तोहार चोदे में मजा देय।
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Guddi ki Aag kam hone ke bajaye or Badh rahi hai, yeh Bill mange moreजोड़ा पलंग तोड़ पान का
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... मसल तो स्साली की तभी देना चाहिए था जब वो हाईस्कूल में पहुंची चूजों ने सिर उठाना शुरू किया था, अभी भी खैर हफ्ते भर पहले पास किया था,... पर वो दो तीन साल का सूद समेत,.. मैं उन्हें चिढ़ाती थी,
" ननदी क छोट छोट जोबन दाबे में मजा देय
अरे बहिनी तोहार चोदे में मजा देय।
वो मजे से पागल भी हो रही थी और दर्द से चिल्ला भी रही थी और अब तो उसकी चूँचिया रोज इसी तरह मसली जाएंगी , ननद रानी के जोबन छिपाने के दिन ख़तम हो गए, जोबन लुटाने के दिन आ गए,... दो चार दिन तो सिर्फ मेरे सैंया और उसके बाद,... लम्बी लाइन लगेगी,...
मिजने मसलने के साथ वो चूस भी रहे थे निपल और रह रह के काट भी लेते,
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वो भी ननद की टेनिस बाल साइज चूँचियों के ऊपर के हिस्से पे , बस अब तो कपडे पहनने के बाद भी हफ़्तों ये निशान दिखने वाले थे, भरे बाजार में, कोचिंग में,... और जैसे ही उनके दांत लगते , चीख और तेज से गूँज जाती,
" भैया काटो मत, प्लीज इत्ती जोर से नहीं,... "
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लेकिन जैसे कोई तूफ़ान थम के धीमे धीमे हलकी हवाओं में बदल जाये , बस उसी तरह उन्होंने हलके हलके ,... धक्के अब धीमे हो गए थे रात भर की तूफानी चुदाई के बाद अब उन्हें कोई जल्दी भी नहीं थी गुड्डी भी न , ... थोड़ी देर में उन्होंने थोड़ा सहारा दिया , और वो उनकी गोद में बैठी , खूंटा पूरा अंदर धंसा।
अब वो कुछ नहीं कर रहे थे ,उनकी ममेरी बहन ही ,कभी उनकी छाती पे अपने नए नए आये जोबन रगड़ती तो कभी हलके से उनके गाल चूम लेती।
पलंग तोड़ पान का रस उसके अंदर अच्छी तरह घुल चुका था।
वो हलके हलके धक्के मारते तो तो वो किशोरी भी उनका साथ देने की कोशिश करती। और खुद अपनी कच्ची अमिया उसने अपने भइया के मुंह में दे दी। अपने दोनों हाथों से गुड्डी ने उनका सर कस के पकड़ रखा था , जैसे कह रहे हो भैय्या तू बहुत तड़पा है न ले ले ,मन भर के ले। वो भी प्यार से धीरे धीरे उसकी कच्ची अमिया कुतर रहे थे। कभी दांत कस के लग जाता तो वो चीख उठती
और म्यूट होने के बाद भी चीख सीधे मेरे कमरे में , और ये चीख आस पास भी ,..
पर मेरी ननद ,... उस ने मुड़ कर बचा हुआ जोड़ा पलंग तोड़ पान का उठा लिया और अबकी पूरा का पूरा अपने मुंह में ,
वो गुड्डी की कच्ची अमिया कुतर रहे थे और वो मस्ती में भरने वाले पान को ,
लेकिन अकेले नहीं खाया उस शरारती शोख ने , थोड़ी देर में जैसे ही उन्होंने अपना मुंह उसके जोबना पर हटाया , एक बार गुड्डी के हाथों ने उनके सर को जोर से पकड़ कर दबोच लिया और गुड्डी के होंठ ,अपने भैय्या के होंठों पर , ... उनका मुंह खुल गया , और कुचला ,अधखाया ,उनकी ममेरी बहन के थूक में लिसड़ा पान ,पान का रस ,सीधे गुड्डी के मुंह से उनके मुंह में ,
और गुड्डी ने अबकी अपनी जीभ भी ठेल दी , दोनो के शरीर एक दुसरे में गुथे लिपटे , होंठ चिपके हुए ,जीभ गुड्डी की उनके मुंह में ,गुड्डी के दोनों हाथ उनके सर को दबोचे
मेरे साजन की टीनेजर बहन, गुड्डी उनकी गोद में बैठी थी, ठसके से,... और दोनों के मुंह आपस में चिपके, जीभ अंदर घुसी। पलंग तोड़ पान का रस धीरे धीरे ढलती रात की तरह दोनों के मुंह में घुल रहा था, और साथ ही उन दोनों की शरम झिझक रिश्तों की हिचक भी घुल रही थी, ... भैया का मोटा लौंड़ा बहिनिया की चूत में जड़ तक धंसा था,... और यही नजारा देखने के लिए तो मैं तड़प रही थी,...
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सामने दो दो मीठे मीठे लड्डू हों तो ललचाते होंठ कब तक दूर रह पाते और कचकच्चा के भैया ने अपनी बहना की छोटी छोटी चूँची कुतर ली. ये कच्ची अमिया स्साली तो आती ही हैं कुतरी जाने के लिए,... और ये भी न जाने कब से तरस रहे थे इन्ही कच्ची अमियों के लिए ,...
वो चीख रही थी, चिल्ला रही थी जैसे ही उसके भैया का दांत लगता और गीता ने चालाकी से जो खिड़कियां हलकी हलकी खुली छोड़ दी थीं , उनसे ये चीखें निकल के आस पड़ोस में भी,...
और कुतर भी कैसे रहे थे, निप्स के चारो और दांतों के निशान की माला सी बन गयी थी,... जब वो नहाएगी, कपडे बदलेगी,... तो देख के लजा जायेगी, गरमाएगी और उसकी बिल भैया के लिया पनिया जायेगी,... और साथ में,...
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उनकी सास ने जबरदस्त ट्रेनिंग दी थी, सारे गाढ़े पक्के निशान उन छोटे छोटे उरोजों के एकदम ऊपरी हिस्से पे,... हफ्ते भर तक तो ये निशान उसके भैया के जाने वाले नहीं थे और एकदम ऊपरी हिस्से में तो चाहे चोली पहनती या टॉप साफ साफ़ दिखते,...
पर दर्द के मारे भले ननद रानी की जान निकल रही थी,... मस्ती के मारे भी उनकी हालत खराब थी,... और अब वो अपने होंठों से कभी भैया के बाल चूमती तो कभी दोनों हाथों से कस के उनके सर को पकड़ के अपनी और खींचती तो कभी साथ साथ अपनी छोटी छोटी चूँचियाँ मेरे सैंया और अपने भैया के मुंह में ठेल देती,... पेल देती,... आधी से ज्यादा उनके मुंह में,... उनकी गोद में
बस वो मस्ती में बेबस अपनी टीनेजर बहन को गोद में बिठाये बिठाये चोद रहे थे,... दो बार की मलाई उसकी बुर में भरी पड़ी थी,...
इसलिए लंड सटासट, ...सटासट,... धीरे धीरे अंदर बाहर हो रहा था , लेकिन वो धक्के नहीं मार रहे थे जोर जोर से , बस कभी अपनी गोद में बैठी अपनी बहना गुड्डी को आगे पीछे करते, और मोटा खूंटा उस कसी चूत ( जो अभी थोड़ी देर पहले ही फटी थी ) की हर दीवाल से रगड़ रही थी. और वो भी गोद में बैठी बैठी अपने भैया से चुदवाने का मजा ले रही थी लेकिन कुछ देर में उनका एक हाथ गुड्डी के जोबन को रगड़ता मसलता और दूसरा उसके मस्त किशोर नितम्बो पर , उनका कामदण्ड उनकी बहन के अंदर धंसा और झूले की पेंगो की तरह , धक्के मारते हुए
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कुछ पान में घुली मस्ती का असर, गुड्डी ने कमान अब अपने हाथ में ले ली थी बस वो अपने भइया को मज़ा दे रही थी उसके लंड का मज़ा ले रही थी, कौन कहा सकता है उसे देख के की मेरी ननदिया इनकी बहिनिया आज पहली बार चुद रही थी, ...
कभी अपने छोटे छोटे जोबन अपने भैया के सीने में गुड्डी रगड़ती, तो कभी कस के उन्हें पकडे पकडे, ऊपर नीचे हो के गुड्डी अपने भैया के मोटे मूसल के ऊपर उछल के चोद रही थी, एकदम काम रस में डूबी,....
पल भर के लिए मेरी निगाह इधर उधर हुयी , कोई व्हाट्सएप मेसेज आया या किसी ने इंस्टा पे कुछ पोस्ट किया , आप ऑनलाइन हो और पांच मिनट में लाइक न करो तो लोग बुरा मान जाते हैं फिर आपकी पोस्ट कौन लाइक करेगा, शेयर करेगा,...
और जब निगाह फिर उधर मुड़ी , तो मैं बिन मुस्कराये नहीं रह सकी,... दोनों भाई बहन लेटे, अलग अलग नहीं साइड साइड एक दूसरे के आमने सामने और एकदम चिपके,... और क्या धक्के लग रहे थे
ऐसे ही गुंथे दोनों पलंग पर लेकिन साइड साइड ,
और अब धक्कों में गुड्डी भी साथ दे रही थी , बल्कि वही कस के धक्के लगा रही थी , ये पक्का उस पान का असर था जो उसके मुंह में घुल रहा था मंजू ने सच कहा था मुझसे की जोड़ा पान का एक भी खा ले तो कातिक की कुतिया झूठ ऐसे गर्माएगी,.. और एक दो बार की चुदाई से चूत की आग ठंडी नहीं होगी और मेरी ननद ने तो दोनों पान खाये थे,...
ये कस के उसके छोटे छोटे चूतड़ पकडे, और फिर उन्होंने भी धक्को का जवाब धक्कों से,... मेरी निगाह एक बार घड़ी की तरफ पड़ी पौने चार बज रही थे , पोरे बयालीस मिनट से इस राउंड की चुदाई चल रही थी,... ननद रानी दो बार झड़ चुकी थीं,... और तभी दोनों की जोर जोर की आवाज कानों में पड़ी,...
" ले गुड्डी ले घोंट अपने भैया का लंड, ले ले ले पूरा,... "
"दे भैया दे , आज चोद दो कस के भैया,... "
सिसकियों के बीच ननद की आवाज सुनाई पड़ी,... मैं आंखे गड़ा के देख रही थी,... और इनके धक्के तूफानी हो गए थे साथ में मस्ती भरी गारियाँ उनके मुंह से , अबे और स्साले कहने में जिनकी गाँड़ फटती थी,... और अब उनके धक्क्के एकदम तूफानी हो गए थे मैं समझ गए थे वो बस अब झड़ने वाले हैं गुड्डी ने कस के उन्हें भींच लिया और उसकी चूत भी कस के सिकुड़ रही थी अपने भैया के लंड को अंदर दबोच रही थी,
गुड्डी ने झड़ना शुरू किया और साथ में उसके भैया भी,...
कस के उन्होंने अपनी बहन को दबोच रखा था, लंड अंदर पेल रखा था जिससे सब मलाई अंदर ही रह जाये और गुड्डी भी दुबकी जैसे चूत की अंजुरी में एक एक बूँद रोप लेना चाहती हो
मैं आँख गड़ा के देख रही थी , थोड़ी देर बाद पहले एक बूँद, फिर पतली सी धार, रेंगती सरकती वीर्य की, ...भैया के वीर्य की बहन की बुर से,... बहन की चिकनी रेशमी जाँघों से होती हुयी , खून और वीर्य से सनी चद्दर पर दबे कुचले चांदनी और बेला चमेली के लाल सफ़ेद फूलों के बीच खो गई,
जलती हुई मोमबत्तियां आधी हो हो गई थीं,... घड़ी की टनटनाहट ने मेरा ध्यान बंटाया,..चार बज गए थे ये तीन बार अपनी बहिन की बुर में झड़ चुके थे,...
दोनों एकदम थके मांदे एक दूसरे को पकडे दबोचे,...
Guddi me badi himmat hai or uske bhaiya me dum" करो न भैया,... "
लेकिन मेरे साजन ने धक्के रोक दिए,...
कुछ देर तक तो उसने बर्दास्त किया,... फिर शर्म लाज छोड़ के बोल पड़ी, गुड्डी,...
" करो न भैया,... "
" क्या करूँ " ... उन्होंने छेड़ा,...
वो हलके से मुस्करायी कुछ गुस्से में कुछ प्यार से बोली,...
" जो अबतक कर रहे थे,... "
उफ़ मैं सोच रही थी बस अब उन्हें करना नहीं चाहिए, और तड़पाना चाहिए स्साली को , खुल के अपने मुंह से जब तक न बोले न छिनार लंड न मांगे अपने भाई से तब तक,... मैं होती पास में न तो जरूर इनके कान में बोल के, इशारे से पर वो क्या कहते है न टेलीपैथी, ... बस वही,... और बिन बोले सजनी की बात साजन न समझे तो साजन क्या,.. लेकिन दूर से बिन देखे भी पर हुआ वही,...
कस के उसके निपल पे उन्होंने चिकोटी काटी और चिढ़ाया ,
" बोल न गुड्डी क्या कर रहा था मैं, बोल न,..."
वो समझ गयी चुदवाना है तो बोलना पडेगा,... और उसके बिना, फिर कुछ उस पान का असर कुछ रात भर से चल रहे मूसल का, .... थोड़ा हिचकिचा के बोली,..
" जो अबतक कर रहे थे , चोद रहे थे,... और क्या चोद न भैया , चोद, रुको नहीं प्लीज़,... "
मैं टीवी पर देख रही थी पर मन यही कर रहा था , अभी नहीं बस थोड़ा सा और,... और उन्होंने मेरी मन की बात सुन ली,... और वो बोले
" किसको चोदू, गुड्डी यार मेरी बहन साफ़ साफ़ बोल न,... "
अब वो एकदम बिफर पड़ी, खुद चूतड़ उठा के धक्के मारने की कोशिश करते बोली,
" और किसको चोदेगा, अरे मुझे गुड्डी को अपनी बहन को चोद,... इत्ते दिन से चुदवाने के लिए तड़प रही हूँ ,....अपनी बहन को नहीं तो क्या अपनी महतारी को चोदोगे, अबे स्साले चोद दोना उसको भी,... मुझे फरक नहीं पडेगा, बल्कि जरूर चोदना लेकिन अभी तो अपनी बहन चोद स्साले, ... "
बस बस यही तो मैं सुनना चाहती थी,... और उन्होंने भी बस अपना मोटा मूसल सुपाड़े तक बाहर निकाला और एक धक्के में पूरा ठोंक दिया बच्चेदानी तक फिर लेकिन दूसरा धक्का नहीं मारा बस लंड के बेस से उसकी क्लिट रगड़ते रहे,...
" अरे तेरी ऐसी बहन हो तो चोदना पाप है , ले घोंट अपने भाई का लंड, ... घोंट पूरा , भाई चोद ले,.... "
बस गुड्डी ने झड़ना शुरू कर दिया और वो उसी तरह लंड के बेस क्लिट पे रगड़ते रहे जबतक वो झड़ती रही , दो चार मिनट तक
उसके बाद उसे दुहर कर क्या धक्के मारे अगले बीस मिनट तक बिना रुके और साथ में दोनों एक से एक गन्दी गालियां,....
जब वो झड़े अपनी भीं के बिल में थोड़ी देर पहले ही पांच का घंटा बजा था, वो उसके ऊपर चढ़े दबोचे
हलकी हलकी लालिमा आसमान में छा रही थी ,
बाहर किसी मुर्गे ने बांग दी ,अंदर उनका मुरगा बांग दे रहा था , अपनी बहनिया के बिल में ,
झड़ने के बाद जैसे कोई कटा पेड़ गिरे वो अपनी बहन के अंदर उसके ऊपर, चढ़े, उसी तरह बड़ी देर तक,... जैसे चार बार चोदने और हर बार कटोरी भर मलाई छोड़ने के बाद अब वो हिलने की हालत में न हों,...
और बहन उनकी,... गुड्डी रानी की हालत तो और खराब,... चोदने के साथ साथ जिस तरह से उन्होंने उसे चूसा था, काटा था, रगड़ा था,... पूरी देह, ... कोई जगह न बची थीं जहाँ उनके निशान न हों होंठ चूस चूस के काट काट के, निचला होंठ हल्का सा जैसे फूल गया था, जगह जगह दांत के निशान ,... गालों पे भी पहले वो उस गोरी के गुलाबी गाल ले के मुंह में देर तक चूसते थे फिर मुंह में लिए लिए वहीं पर हलके से दांत का निशान,... और चोदते समय जहाँ जहाँ हलके हलके निशान थे उसी को मुंह में ले के कचकचा के काटते थे, एक बार दो बार पांच बार एक ही जगह पर,...
वो चीखती थी, चिल्लाती थी चूतड़ पटकती थी लेकिन उन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ता था,... और जितना चिल्लाती थी उनकी बहन गुड्डी उतने ही जोर से और,... गाल पर तो दसों जगह निशान,... फिर नाखूनों के निशान जोबन पर खरोंचे चूतड़ों पर,...
अब वो एकदम थकी लग रही थी , पान का असर भी कम हो रहा था,... पूरी जांघ पर अभी भी खून और वीर्य के दाग,...ऐसी थेथर लग रही थी की अब हिल भी नहीं पाएगी,...
विभावरी बाहर अपनी एड़ी में लाली लगा के, रात की काली चादर उठा के बस हलके हलके झाँक रही थी, ...
प्रत्युषा के क़दमों की बस हलकी हलकी आहट मिल रही थी,... छह बजने वाले थे,... हलके हलके बादल थे , हवा भी भीगी भीगी सी , कहीं पानी बरसा था,... लेकिन पूरब में आसमान में लाली छा गयी थी,... बस थोड़ी देर थी,... थोड़ी देर में सड़क पे साइकिल की घण्टियाँ टनटनाने लगेगी,... बगल के गाँव से दूधिये , साइकिल पे दूध के टीन लादे,... अखबार वाले, सड़क पे टाउनशिप की झाड़ू लगाने वालियां,...
बस थोड़ी देर में,...
और अंदर भी हलचल शुरू हो गयी थी,...
Wow.... kya tarika btaya hai komal bhabhi ne sabko btane ka .... jhanjhak hi khatam bas DP change aur Kaam shuru....जोरू का गुलाम भाग १६८
खून खच्चर -आधी रात को
ये चोद रहे थे ,पूरी ताकत से अपनी कुँवारी किशोरी बहना को
और एक बार फिर से उस की चीखें सिसकियों में बदल गयी
गुड्डी ने अपने भैय्या को अपनी कोमल बांहो में भींच लिया , जोर से अपनी ओर खिंच लिया ,
वो काँप रही थी , देह उसकी फिर ढीली पड़ रही थी ,
दूर कहीं से बारह का घंटा बजा ,
टन टन टन टन ,
और उन्होंने एक बार फिर लंड बाहर तक निकाल के जोरदार ठोकर सीधे उसकी बच्चेदानी पर ,... और अब वो भी उसके साथ ,..
उन्होंने भी अपनी बहन को जोर से भींच लिया ,उनका मूसल सीधे उनकी बहन की बच्चेदानी पर ,
वो भी झड़ रह थे , वीर्य की पहली फुहार उस कुँवारी की चूत में ,
टन टन टन टन ,
मैं ये सोच रही थी आज इस ननद रानी को मैंने अगर पिल्स न खिलाई होती तो ये शर्तिया गाभिन हो जाती।
कुछ देर रुक कर फिर थक्केदार गाढ़ी मलाई उनकी ममेरी बहन की चूत में
टन टन टन टन,
बारह का घंटा बजना बंद हो गया था लेकिन उनका झड़ना नहीं रुका था ,और वो भी जैसे उन्हें निचोड़ रही हो.
आठ दस मिनट तक दोनों भैया बहिनी एक दूसरे की बाँहों में बंधे,
पलंग पर चूड़ी के टुकड़े बिखरे पड़े थे , दोनों हाथों में उसने दो दो दर्जन चूड़ियां पहनी थी , एक दर्जन भी नहीं बची होंगी।
……………………………………………..
धीमे धीमे पल भर के लिए उसके ऊपर से वो हटे ,
और उनकी बहना की जाँघों के बीच गाढ़ी सफ़ेद थक्केदार मलाई अभी भी बह रही थी, किशोर जाँघे भी वीर्य से लथपथ थीं और उस के बीच
लाल लाल धब्बे ,सिर्फ उसकी जाँघों पर ही नहीं , बल्कि सफ़ेद चददर पर भी लाल दाग
दो चार बूंदे नहीं बल्कि , जाँघों के नीचे की चादर लाल , सफ़ेद धब्बो से पूरी तरह डूबी हुयी ,
पर उन्होंने एक बार फिर गुड्डी की अपनी बाँहों में भींच लिया और उसे चूमने लगे ,
हाँ उनका ' वो ' अभी भी ,... झड़ने के बाद भी वैसे का वैसा तना ,
गुड्डी थकी हारी ,देह उसकी जैसे दर्द से टूट रही हो , पर जब उन्होंने उसे अपनी बाँहों में भींचा
वो भी उनकी बाहों में आ गयी।
उनकी ममेरी बहन ,उनकी बाहों में खो गयी और मुझे भी नींद की झपकी आ रही थी,... दो रातों से लगातार जगी थी , परसों जेठानी और जेठानी के देवर के साथ, कल ननद और भैया के साथ,... और ये भी अभी झड़े थे,... इनके माल की भी दर्द से हालत खराब थी तो अभी दस मिनट तो कुछ होने का नहीं था,...
आज कितनी भी नींद आये मुझे रतजगा करना ही था ,
कितने दिन से मैं इसी का तो इन्तजार कर रही थी इन्हे इनकी 'सीधी साधी बहन ' के ऊपर चढाने की,...
उसकी कच्ची कोरी,... कोई सहेली पूछेगी हे तेरी गुल्लक किसने फोड़ी तो कुछ शर्माते कुछ हँसते वो यही बोलेगी ,
"अरे उसी ने जिसे दो साल पहले फोड़ देना चाहिए था था , जब मैं दसवीं में थीं , लेकिन देर आयद,... दुरुस्त आयद,..."
तो मैं किचन में गयी और झटपट गरम गर्म काफी का बड़ा सा मग, ... नींद भगाने का इससे अच्छा कोई तरीका नहीं था,...
सीन ज्यादा नहीं आगे बढ़ा था , वैसे भी कई कैमरे वीडियो रिकार्डिंग कर रहे थे और जब ये आफिस चले जाएंगे तो आराम से हर एंगेल से,
भैया बहुत दर्द हो रहा है,...
वो छिनार बोल रही थी, लेकिन सच में उससे उठा नहीं जा रहा था , एकदम दर्द में चूर,... लेकिन मैं चाहती थी की वो उठे,...
मुझे कुछ देखना था, रिकार्ड भी करना था स्टिल पिक्स ४ x में ज़ूम कर के, ...
बड़ी मुश्किल से उसके भैया ने अपनी जस्ट चुदी कुँवारी टीनेज बहन को सहारा देके हलके हलके, जरा सा हिलते ही उसकी चीख निकल जाती,
अभी तो ननद रानी की चीखें निकलनी शुरू हुयी हैं, अभी तो बहुत मोटे मोटे ,... मैं सोच सोच के मुस्करायी,... और फिर एकदम से उठा के पलंग के सिरहाने की ओर अपनी गोद में, पर इतने में ही वो जोर से से चीखी,....
भैया बहुत लग रहा है , आराम से सम्हाल , ... दो आँसू उसके गोरे गोरे गाल पर ढलक पड़े,... और उन्होंने सम्हाल के के सहारा देके उसे अपनी गोद में अपनी गॉड में अपनी ताज़ी ताज़ी चुदी बहन को बिठा लिया,
और मैं जोर से चीख उठी , अभी गुड्डी जैसे चीखी थी उससे भी ज्यादा तेज,... दर्द से नहीं ख़ुशी से ,
सफेद नयी चादर पर जो बेला चांदनी के सफ़ेद सफेद फूल बिछे थे कुचले मसले जैसे मेरी ननद मसली हुयी लग रही थी ,
लेकिन वो सफ़ेद फूल अब एकदम जवाकुसुम की तरह अरुणिम लग रहे थे , कम से कम दो चार बित्ते तक लाल लाल धब्बा सब सफ़ेद धवल फूल लाल हो गए थे ,... मैंने कैमरे को ज़ूम कर के ढेर सारे स्टिल
और पता नहीं उनके या गुड्डी के पैर से लग के वो खून में सने फूल सरक गए,... और उसके बाद तो देख के एकदम सफ़ेद नयी चादर,
हचक के फटी थी गुड्डी रानी की,...
चादर अच्छी तरह खून से सनी, दो चार बूँद नहीं कम से कम एक डेढ़ फिट तक खूब गाढ़ा और उसके बाहर के इलाके में भी फटी चूत के खून के छींटे,...
ये चादर तो मुझे अच्छी तरह सम्हाल के रखनी है, लेकिन पहला काम था उसके भी पिक्स और कैमरे को ज़ूम कर के,....
वो अपने भैया के गोद में बैठी थी,... और उसके भैया ने हलके से अपनी बहन की टाँगे सीधी की और मैंने देख लिया, बिल जो अभी फटी थी
एकदम खून से लथपथ सिर्फ चूत के मुहाने पे रक्त के धब्बे नहीं थे बल्कि चूत से चिपक के जांघ के अंदरूनी हिस्से में भी खून अच्छी तरह लगा था , और लाल के बीच बीच सफ़ेद सफ़ेद बहिनी के चूत से निकलते अभी भी बहते वीर्य के धब्बे,...
कैमरे को ज़ूम कर के चूत के ऑलमोस्ट अंदर तक, दर्जनों पिक्स मैंने खींच ली,
इतनी ख़ुशी हो रही थी बता नहीं सकती
उस 'सीधी साधी ननद ' की हचक के फटी थी, वो भी मेरे आँखों के सामने , और क्या खून खच्चर हुआ और सब की सब रिकार्ड, फिर फाड़ने वाला ननद का भाई,....
और तब तक उनका मूसल भी दिखा अभी भी थोड़ा थोड़ा तना , और मूसल के मुंह पे खून लग गया था
अब एक बार खून लग गया फिर तो खुद ही
फटी चूत की खून से लथपथ ननद की चूत मैंने एक फोल्डर में समेट ली , बहुत इस्तेमाल होने थे इन पिक्स के , एक तो कल सुबह ननद रानी के जो चार चार फेसबुक पेज हैं सब पे उनकी स्टेटस अपडेट होनी थी इस खून में लथपथ चूत के साथ बिन कहे ही ये पिक सब कह देती , फिर दिया को भी,... उसकी क्लास मेट्स का जो व्हाट्सएप ग्रुप है और हो सकेगा तो उसके फोन में भी उसकी डीपी में भी यही चेंज कर के डाल दूंगी।
और इन सब से निबट कर के मेरी निगाह एक बार फिर से गुड्डी रानी की ओर ,
गुड्डी रानी की हालत खराब थी , गोरी के गोरे गाल , छोटे छोटे टेनिस बाल साइज के जुबना ,सब पर दांत के नाखून के निशान,
मुझे भी यही लग रहा है या शायद इस और मेरे बाकी थ्रेड्स से उन लोगों ने छुट्टी ले ली,रेगुलर कमेंट करने वाले शयद छुट्टी मना रहे हैं...
इसलिए उन लोगों का कमेंट अभी तक नहीं आया....