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आप पूनो के चाँद की तरह जब भी आते हैं एक लाइन में ही छटा बिखेर देते हैं ,सही पकड़े हैं
बहुत बहुत धन्यवाद, आभार
आप पूनो के चाँद की तरह जब भी आते हैं एक लाइन में ही छटा बिखेर देते हैं ,सही पकड़े हैं
एकदम इतना लम्बा इन्तजार,वाह वाह भौजी ...ननद रानी की जबर्दस्त सुहागरात करवाई हो... भैय्या से सैंया बहुत मेहनत से बने है ...आपकी मेहनत सैंया की शर्म तोड़ने में और भैय्या की मेहनत झिल्ली तोड़ने में ....लैंड महराज तो पिचकारी ही मारे जा रहे है ...
Bhut hi lajawab tarike se aam ka ras piya ja rha hau..... kabhi taji fati chut k sathरात अभी बाकी है, बात अभी बाकी है
( बहन की सुहागरात -भैया के साथ )
फटी चूत की खून से लथपथ ननद की चूत मैंने एक फोल्डर में समेट ली , बहुत इस्तेमाल होने थे इन पिक्स के , एक तो कल सुबह ननद रानी के जो चार चार फेसबुक पेज हैं सब पे उनकी स्टेटस अपडेट होनी थी इस खून में लथपथ चूत के साथ बिन कहे ही ये पिक सब कह देती , फिर दिया को भी,... उसकी क्लास मेट्स का जो व्हाट्सएप ग्रुप है और हो सकेगा तो उसके फोन में भी उसकी डीपी में भी यही चेंज कर के डाल दूंगी।
और इन सब से निबट कर के मेरी निगाह एक बार फिर से गुड्डी रानी की ओर ,
गुड्डी रानी की हालत खराब थी , गोरी के गोरे गाल , छोटे छोटे टेनिस बाल साइज के जुबना ,सब पर दांत के नाखून के निशान,
लेकिन वो उसकी ये हालत करने वाले की गोद में प्यार से बैठी थी , उसके छोटे छोटे चूतड़ अपने भैया की जाँघों पर , उनका एक हाथ उसके जोबना पर ,
और अभी भी गुड्डी ज़रा सा अपनी पोजीशन बदलती तो उसकी चीख निकल जाती। उस किशोरी की जाँघों के बीच सफ़ेद लाल थक्के अभी भी थे।
गुड्डी के एक हाथ में दूध का बड़ा सा ग्लास ,... वही जो मैंने उन दोनों के लिए बनाया था दो बड़े दसहरी आमों के पल्प के साथ औटा कर ,
मैं रोकते रोकते भी फ़्लैश बैक में चली गयी ,
भाभी आप मेरे भइया के सामने नाम भी मत लीजियेगा ,
और जब मैं आम खा रही थी तो कितनी नसीहतें इसी ननदिया ने दी थी ,
ये क्या कर रही है भाभी ,..
तभी तो बाजी लग गयी और जीती मैं ही ,उन्होंने गुड्डी को अपनी भाभी के सामने अपने हाथ से , और फिर ,...
गुड्डी बड़े इसरार के साथ अपने भइया को पिला रही थी और उन्होंने गुड्डी का दूसरा हाथ अपने तन्नाए खूंटे पर रख दिया ,
उन्होंने तो अपनी ममेरी बहना का हाथ सिर्फ अपने खूंटे पर रखा था , पर वो हलके हलके सहलाने लगी , उसी दुष्ट को जिसने अभी थोड़ी देर पहले उसकी फाड़ कर रख दी थी।
दूध में दो आमों के पल्प के साथ बादाम पाक , केसर और चुटकी भी स्वर्ण भस्म भी पड़ी थी।
जो दूध गुड्डी उन्हें पिला रही थी , वो उनके होंठों से उनकी बहना के होंठों से ,गुड्डी के अंदर भी जा रहा था।
थोड़ा सा आम का पल्प निकाल कर उन्होंने गुड्डी की कच्ची अमिया पर भी लपेट दी।
" भैय्या आप बहुत गंदे हो , मुझे भी ,.. चलिए आप ही से साफ़ करवाउंगी ,"
बड़े ही शोख अदा से वो छोरी बोली , और जब तक वो कुछ समझते , गुड्डी ने ग्लास वापस टेबल पर रख दिया और अपनी कच्ची अमिया सीधे उनके होंठों पर रगड़ने लगी ,और जब वो अपने होंठों में उसके निप्स पकड़ने की कोशिश करते तो वो अपने टिकोरे हटा लेती।
दो चार बार उन्हें तड़पाने के बाद , गुड्डी ने अपने भैय्या के मुंह में अपनी कच्ची अमिया खुद ठेल दी।
ये तो उनकी बहन को भी मालूम था और उसने खुद मुझसे कबूला था की जब वो हाईस्कूल में आयी थी तबसे उसके भैय्या उसके कच्चे टिकोरों को देख कर ललचाते थे , और उसे भी बहुत अच्छा लगता था ,...
थोड़ी देर चूसते चुभलाते रहे वो , फिर उनका दूसरा हाथ अपनी बहन के दूसरे जोबन पर , एक चूसा जा रहा था , दूसरा रगड़ा मीजा जा रहा था
गुड्डी अब अच्छी तरह अपने भैय्या की गोद में आ गयी थी। उसका एक हाथ कस के भइया के पीठ पर और दूसरा भैया के मोटे बौराये तन्नाए लंड पर ,...
गुड्डी के छोटे छोटे कोमल हाथ में तो वो पूरी तरह नहीं आ रहा था पर जितना आ रहा था , उतना ही पकड़ के वो मुठियाने की कोशिश कर रही थी ,
सच में मेरी छुटकी ननदिया में सेक्सुएलिटी कूट कूट कर भरी थी।
और उसके भइया ने उसे धकेल कर पलंग पर ,...
पर अभी भी उनके होंठों के बीच से अपनी किशोरी बहना के चुचुक बाहर नहीं निकले थे ,उसके ऊपर लेटे लेटे उस टीनेजर के एक जोबन को वो चूस रहे थे दूसरे को मसल रहे थे , ....
" तू कह रही थी न मैंने तुझे गन्दा कर दिया ,अभी बताता हूँ ,.. "
वो उस शोख को चिढ़ाते हुए बोले , और ग्लास से बचा खुचा पल्प निकाल कर उसकी चूत पर लिथेड़ दिया।
" भैय्या , गंदे गंदे , गंदे गंदे "... वो शरारत से चीखी ,
पर ये तो एक बहाना था उनके लिए उसकी नयी फटी चूत को चखने का , उनके होंठ उस टीनेजर की चूत पर लगे दूध में डूबे पल्प को साफ़ कर रहे थे
और अब दोनों हाथ दोनों कच्ची अमिया का मजा ले रहे थे।
चूत चटोरे तो वो पैदायशी थे, और आज बचपन का माल मिला था , वो भी कुँवारी कच्ची कसी कसी ताज़ी फ़टी चूत ,
वो भी अपनी बहन की कसी चूत ,
मेरी निगाह भी टीवी पर गड़ी थी , उनकी जीभ उनकी ममेरी बहन की गुलबिया के चारों ओर , बस जीभ की नोक ,
और वही काफी थी उसे तड़पाने के लिए ,
पर वो अपनी ममेरी बहन को इत्ती आसानी से नहीं छोड़ने वाले थे ,और अब उनकी जीभ लपड़ लपड़ उस टीनेजर की ताजा चुदी चूत पर थोड़ी देर में गुड्डी रानी की हालत ख़राब ,
कुछ देर में चीख चीख कर , रो रो कर उसकी बुरी हालत हो रही थी , अब सिसक सिसक कर , मस्ती में उसकी बुरी हालात हो रही थी ,
और उसकी ये हालत देख कर मुझे भी खूब मस्ती चढ़ रही थी ,
आखिर उसके बुर की बुरी हालत करने वाले उसके प्यारे भैय्या ही तो थे।
लेकिन उस बिचारी को क्या मालूम था की अभी तो बस शुरुआत हुयी है ,
Kya gajab maal h yu....फिर चढ़े भैया, बहिनिया पर
( दूसरा राउंड )
कुछ देर में चीख चीख कर , रो रो कर उसकी बुरी हालत हो रही थी ,अब सिसक सिसक कर , मस्ती में उसकी बुरी हालात हो रही थी ,और उसकी ये हालत देख कर मुझे भी खूब मस्ती चढ़ रही थी ,
आखिर उसके बुर की बुरी हालत करने वाले उसके प्यारे भैय्या ही तो थे।
लेकिन उस बिचारी को क्या मालूम था की अभी तो बस शुरुआत हुयी है ,
थोड़ी देर में उन्होंने अंगूठे से अपनी बहिनिया की बिलिया को थोड़ा फैलाया और फिर हचाक , क्या कोई लंड पेलेगा ,जिस तरह से उन्होंने अपनी जीभ अपनी ममेरी बहन की चूत में ठेली , फिर चारो ओर हलके हलके और थोड़ी देर में सटासट सटासट
मस्ती में मेरी ननद की हालत खराब थी ,उसकी आँखे बंद हो रही थीं , दोनों हाथों से उसने बेडशीट जोर से दबोच रखी , जीभ के हर धक्के के साथ ननद की सिसकी निकल रही थी। और फिर उन्होंने गीयर चेंज कर दिया साथ साथ गुड्डी की कुँवारी चूत के गुलाबी पपोटों को लेकर वो जोर जोर से चूसने लगे ,जीभ अंदर दंगा मचा रही थी।
कुछ ही देर में उनकी ममेरी बहन पलंग पर बित्ता बित्ता भर चूतड़ पटक रही थी लग रहा था अब झड़ी तब झड़ी ,
पर तड़पाने में उनका सानी नहीं था ,
और वो भी तो अपने कच्चे टिकोरे दिखा दिखा के ,ललचा ललचा के उन्हें तड़पा रही थी ,
उन्होंने अपनी ममेरी बहन की सोनचिरैया से अपनी जीभ निकाल ली ,चाटना भी बंद कर दिया और बस ,...
थोड़ी देर में
वो आलमोस्ट नार्मल ,...
और अब जो वो शुरू हुए तो सीधे तीसरे गियर में और अबकी उन्होंने अपने होंठों के बीच अपनी ममेरी बहन के निचले गुलाबी रसीले होंठों को कस के दबोच लिया था और जोर जोर से चूस रहे थे , कुछ देर में जीभ उनकी उस किशोरी की कुँवारी चूत की फांको के बीच,
गुड्डी की एक बार फिर बड़ी बड़ी दियली ऐसे आँखे बंद हो चुकी थीं , चेहरे पर एक अजब सी मस्ती छायी थी , कुछ ही देर में वो फिर सिसकने लगी,उसकी रेशमी जाँघे अपने आप फ़ैल रही थी , दोनों हाथों से उसने अपने बचपन के यार के सर को कस कर दबा रखा था , अपनी ओर भींच रखा था ,
कुछ ही देर में गुड्डी की सिसकियाँ बढ़ने लगी ,वो खुद अपने चूतड़ उचका उचका कर ,...
पर अबकी वो रुक नहीं रहे थे ,चूत की चुसाई , और जीभ से चूत के अंदर बाहर ,.. अंदर बाहर
एक बार फिर गुड्डी झड़ने के कगार पर पहुँच रही थी ,मुझे लगा वो अब गयी ,तब गयी , और ऊपर से उन्होंने जीभ बाहर निकाल के ,
हलके से जीभ की टिप से उसकी क्लिट को सहला दिया
जैसे ४४० वोल्ट का झटका लगा हो ,
उनकी बहन ने झड़ना शुरू कर दिया था ,
पर वो , इतनी आसानी से थोड़े ही आज अपनी बहन को झड़ने देने वाले थे ,वो भी बहुत तड़पे थे। जोर से उन्होंने उसके ताजे आये निप्स को कस के मरोड़ दिया , दर्द से वो बिलबिला गयी।
वो जोर से चीखी , और मेरे चेहरे पे मुस्कान फ़ैल गयी
वो समझ गए थे इसकी असलियत , दर्द और मजे दोनों में ही इसे मजा मिलता है।
लेकिन उन्होंने उसके निपल को मरोड़ना नहीं छोड़ा ,और गुड्डी की आँखों में आंसू तैर गए।
उन्होंने अपनी ममेरी बहन की बुर पर से होंठ हटा लिया और बस थोड़ी देर में ही मस्ती ख़तम हो गयी।
दो चार मिनट रुकने के बाद वो फिर चालू हो गए , लेकिन अबकी थोड़े स्लो मोशन में,पहले उन्होंने जाँघों से शुरुआत की छोटे छोटे चुम्मो से, फिर भगोष्ठों के बाहरी भाग के किनारे किनारे जीभ की नोक से रगड़ा , और भगोष्ठों के बीच,
गुड्डी एक बार फिर सुलग रही थी ,
उन्होंने उस छोरी के सिर्फ एक लव लिप्स को अपने होंठों में लेकर हलके हलके चूसना शुरू किया , फिर, दोनों निचले होंठ उनके होंठों के बीच ,वो उस यंत्र वाली की टीनेजर चूत बस हलके हलके चूस रहे थे , चूत खूब गीली हो रही थी। गुड्डी ने एकबार फिर अपनी मुट्ठी भींच ली थी ,उसकी आँखे बंद हो गयी थी ,साँसे लम्बी लमबी चल रही थी ,पर वो उसी तरह धीमे धीमे चूस रहे थे , और अब उनकी जीभ एक बार दोनों फांको के बीच तेजी से फ्लिक करने लगी ,
जादू की तरह असर हुआ मेरी ननदिया पर ,
ओह्ह्ह ुह्ह्ह्ह हाँ हाँ भइया ,.. ओह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ नहीं नहीं हाँ ओह्ह भैय्या क्या कर रहे हो ,... भइय्याँआ ओह्ह्ह्हह्हहह
वो एक बार फिर चूतड़ पटक रही थी , और उन्होंने जीभ को उसकी चूत से हटा कर सीधे उसकी क्लिट पर लगा दिया,
बस बित्ते भर चूतड़ पटका उसने , क्या चीखी मस्ती से वो ,
अबकी जो उन्होंने होंठ हटाया तो बस सीधे से अपना मोटा मूसल एक झटके में अंदर ढकेल दिया।
उनकी ममेरी बहन की टाँगे उनके कंधे पर थीं ,जाँघे खूब फैली और उसके बीच में उस टीनेजर के भइया का मोटा खूंटा अंदर घुसा ,
दोनों गोरी गोरी चूड़ियों से भरी नरम कलाइयां उनकी बहन की उनके हाथ में कस के जकड़ी , और अब गुड्डी की चूत पूरी तरह इनकी गाढ़ी थक्केदार मलाई से भरी हुयी थी , जबरदस्त चूत चुसाई से भी वो गीली हो गयी थी ,इसलिए लंड सटासट अंदर जा रहा था ,लेकिन अभी थोड़ी देर पहले ही तो फटी थी उसकी ,और उमर भी उस टीनेजर की बारी ,
कभी वो सिसकती तो कभी चीखती , लेकिन तभी जाने या अनजाने ,उनका लंड ,शायद जहां उसकी झिल्ली फटी थी बस वहां से जोर से रगड़ते हुए
और जोर से चीखी वो ,
उय्य्यी उईईईईई ओह्ह्ह्ह जान गयी ईईईईईई नहीं उईईईईई
मेरी चेहरे पर मुस्कान फ़ैल गयी , अबकी उन्होंने जान बूझ कर उसी जगह पर एक बार फिर से और ताकत से रगड़ते हुए,
भैय्या , नहीं भईय्या उफ्फ्फ निकाल लो , उईईईईईई लगता है , ओह्ह्ह्हह्
जैसे कान फट जाय वैसी चीख ,एक के बाद एक ,...
पर वो रगड़ रगड़ कर ,और दो चार धक्को के बाद जिस ताकत से उन्होने पूरा मूसल निकाल के ठेला ,
सीधे बच्चेदानी पर , और अबकी गुड्डी की चीख,
ऐसे धक्के पर तो मेरी सास की भी चीख निकल जाती , और हर तीसरा चौथा धक्का सीधे उस किशोरी की बच्चेदानी पर ,
नतीजा वही हुआ जो होना था ,कुछ देर तक तो वो दर्द से तड़पती रही पर चीखें उसकी सिसकियों में बदल गयीं ,देह उसकी ढीली पड़ गयी ,साँसे लम्बी हो गयी
और अब जो मेरी ननद ने झड़ना शुरू किया तो उसके भइया रुके नहीं ,उसी तरह धक्के पर धक्के
वो बार बार काँप रही थी ,रुक रुक कर झड़ रही थी ,उसकी बोली नहीं निकल रही थी ,एकदम थेथर ,
Abhi tk duh ka asar chal rhai hajपायल की झंकार
और अब जो मेरी ननद ने झड़ना शुरू किया तो उसके भइया रुके नहीं ,उसी तरह धक्के पर धक्के
वो बार बार काँप रही थी ,रुक रुक कर झड़ रही थी ,उसकी बोली नहीं निकल रही थी ,एकदम थेथर ,
पर वो आज तो जैसे ,.. बस उन्होंने थोड़ा सा पोज चेंज किया , गुड्डी को उन्होंने दुहरा कर दिया , उस कोमल किशोरी के घुटने उसके पेट से लगे , और उनके दोनों हाथ उस गोरी के चूतड़ पर ,एक बार फिर धक्के पर धक्के
वो न उसके उरोजों को छू रहे थे न कोई चुम्मा चाटी , सिर्फ धक्के पर धक्के
लेकिन अब धक्के वो रुक के लगा रहे थे , एक बार लंड जड़ तक घुसा कर फिर धीमे धीमे पूरा निकाल कर फिर एक झटके में पूरी ताकत से एकदम जड़ तक पेल देते
,
हर धक्के के साथ जो झटका लगता तो गुड्डी के पैरों की हजार घुंघरुओं वाली पाजेब गुनगुना उठती। उस कुँवारी के पैरों में बिछिया झनक उठती। उस टीनेजर, कुँवारी बहिना के पैर अपने भैया के कंधे पर चढ़े और उसके भैया अपनी कच्ची उमर वाली कमसिन बहिनिया पर चढ़े
हर धक्का सीधे बच्चेदानी से लग रहा था और जड़ तक घुसेड़ने के बाद ,अपने खूंटे के बेस से उस किशोरी की क्लीट वो कस कस के रगड़ देते ,
अब नीचे उनकी बहन भी अपने चूतड़ हलके से ही ,लेकिन , उठा देती ,
और मेरी ननद की कमर की चांदी की करधनिया भी जैसे वो चूतड़ उठाती ,झनझना उठती।
गुड्डी थी दर्द से चूर थी लेकिन कोशिश कर रही थी अपने भैय्या का साथ देने का , इस धुंआधार चुदाई का असर भी दस बारह मिनट में आ गया जब वो एक बार फिर झड़ने लगी ,
लेकिन फिर वो नहीं रुके
वो चोदते रहे ,
वो झड़ती रही
वो चोदते रहे ,अपनी बहन को ,...
मेरा व्हाट्स ऐप पर कोई मेसेज आया , मैंने इग्नोर किया मेरी निगाह अपनी ननद से चिपकी थी।
अब उस का झड़ना बंद हो गया था , वो लस्त पस्त बिस्तर पर थकी पड़ी थी, वो भी जैसे पल भर के लिए ठहर गए थे ,लेकिन मूसल पूरी तरह अंदर था ,.
मैं मेसेज देखा।
सिर्फ दो शब्द ,
" चुद गयी ?
टिपिकल दिया।
मैंने सामने टी वी से एक स्क्रीन शॉट लेकर जवाब में व्हाट्सऐप कर दिया,
फिर मेसेज आया ,
," राउंड नंबर ?"
" दो " मैंने जवाब दिया और उलटे पूछा,
" और तुम ?"
फिर जवाब आया
" अरे भाभी आपकी पक्की ननद हूँ ,खाने में उपवास हो जाए नीचे वाले मुंह को मैं भूखा नहीं रखती। भैय्या ने अभी छोड़ा , चलिए अब मेरी सहेली भी मेरी तरह ,अपने भइया से,... "
और फिर मेसेज से दिया सीधे वीडियो काल पर आ गयी। मैंने प्रॉमिस किया कल सुबह सुबह उसकी सहेली की फटने की वीडियो रिकार्डिंग उसे व्हाट्सएप कर दूंगी।
फिर दिया ने जेठानी की हाल चाल बतायी।
दिया के गुर्गे ,शाम के ७ बजे के आसपास चले गए थे ,फिर नहा धो कर सीधे पल्ले की साडी पहनकर ,जेठानी मेरी एक बार फिर से संस्कारी बहू बन गयी थीं।
दिया आठ बजे के करीब चली आयी थी ,लेकिन जेठानी का ही फोन उसके पास आया था , दस बजे के करीब। सासु जी और जेठ जी साढ़े नौ बजे के करीब आ गए थे। सासु जी ने खुद जेठानी को पहुंचने के बाद मेरे यहां आने का प्रोग्राम ,मेरी जेठानी को बता दिया।
जेठ जी ने हालांकि बोला भी की उसी पीरियड में उन्हें हफ्ते भर के लिए बम्बई ट्रेनिंग में जाना है , तो जेठानी जी ने ही उन्हें चुप करा दिया ,
' तो क्या हुआ ,दो चार दिन मैं अकेले नहीं रह सकती क्या। 'और अपनी सास से भी बोलीं, " अरे माता जी आप आराम से जाइए और जब तक मर्जी हो रहिएगा, वो भी तो आपका ही घर है , इस बार वो लोग आपसे मिल भी नहीं पाए,... मैं सब सम्हाल लूंगी, फुरसत से आइयेगा। मुझे कोई परेशानी नहीं होगी। "
मैं समझ गयी , एक बार जेठानी के हड़काने के बाद जेठ जी की हिम्मत नहीं थी दुबारा टांग अड़ाएं।
यानी अब सासू जी का यहाँ आना पक्का ,और जेठानी जी का चंपा बाई के कोठे पर चढ़ना पक्का।
दस मिनट तक दिया से गप्पें होती रहीं ,जब वो सोने चली गयी ,वीडियो काल बंद हुयी पर मेरी निगाह टीवी की ओर, एक पल का भी भैया बहिनी का सीन मैंने मिस नहीं किया
गुड्डी खूब जोर में थी ,पायल करधनी बिछुए सब की आवाजें गूँज रही थीं।
सिसकियाँ और चीखें दोनों साथ साथ ,
वो भी बिना रुके धक्के पर धक्का ,
और अबकी गुड्डी झड़ी तो साथ साथ वो भी , देर तक ,... और उसी के ऊपर ढेर हो गए।
मेरी निगाह घडी पर पड़ी , पौने दो हो रहे थे।
मान गयी मैं इन्हे पहला राउंड पूरे एक घंटे का था और अबकी तो एक घंटे से भी ज्यादा क्या हचक हचक के चोदा अपनी बहिनिया को ,
लेकिन अब बेचारी उठने लायक नहीं थी टाँगे छितरी , मलाई जाँघों तक बह रही थी
और उसका भाई भी उसके अंदर धंसा , आधे घंटे तक उसके अंदर ही फिर जैसे बाहर निकाला तो गुड्डी ने खुद उसे रोक लिया, फिर कुछ देर वो ऐसे ही,
मैं किचेन में काफी का मग रख के आयी , मम्मी से बात भी हुयी और दो ढाई बजे तीसरा राउंड
क्या सीन था , वो पलंग तोड़ पान का जोड़ा , उनकी ममेरी बहन के हाथ में ,उन्हें दिखा के ललचा रही थी , फिर गप से उस किशोरी ने अपने मुंह में ,
Komal ji alarm 7:14 baje karne ka kya raaj hai, 7 ya 7:30 kyun nhiप्रत्युषा
विभावरी बाहर अपनी एड़ी में लाली लगा के, रात की काली चादर उठा के बस हलके हलके झाँक रही थी, ...
प्रत्युषा के क़दमों की बस हलकी हलकी आहट मिल रही थी,... छह बजने वाले थे,... हलके हलके बादल थे , हवा भी भीगी भीगी सी ,
कहीं पानी बरसा था,... लेकिन पूरब में आसमान में लाली छा गयी थी,... बस थोड़ी देर थी,... थोड़ी देर में सड़क पे साइकिल की घण्टियाँ टनटनाने लगेगी,... बगल के गाँव से दूधिये , साइकिल पे दूध के टीन लादे,... अखबार वाले, सड़क पे टाउनशिप की झाड़ू लगाने वालियां,...
बस थोड़ी देर में,...
और अंदर भी हलचल शुरू हो गयी थी,...
बहन की बिल में घुसा भाई का मुर्गा भी बांग देने लगा था, ...
कोई मुझसे पूछे , सुबह के समय तो इनका मुर्गा जरूर बांग देता था , मैं सोती रहती थी ये पीछे से पकडे रहते थे मैं कुनमुनाती रहती थी
और ये पीछे से सेंध लगा देते थे बस मैं टांग थोड़ा सा उठा देती थी अपनी तो इन्हे धँसाने की पूरी जगह, और पीछे से ही ,...
और ये हालत सिर्फ मेरी नहीं थी टाउनशिप में दस में से मेरी आठ सहेलियों के साथ यही होता था रोज बिना नागा, साजन के साथ गुड मॉर्निंग,... और दो वहीँ बचती थीं जिनका मरद कहीं टूर पे गया हो या पांच दिन वाली छुट्टी चल रही हो , और इसलि सजा भी पति को मिलती थी,... गुड मॉर्निंग के बाद कौन उठने की हालत में रहता तो बेड पे बेड टी लाने का काम हबी का ही, सिर्फ मेरे साथ नहीं सबके साथ,...
मैं भी न अपनी बात ले बैठी,...
ये स्साली मेरी ननद भी एकदम मेरी बाकी ससुराल वालियों की तरह पक्की छिनार चुदवासी रहेंगी पर नखड़ा पेलेंगी,...
तो वो भी जब उसे लगा बस अब कुटाई शुरू होने वाली है,... बस हँसते खिलखिलाते हलके से इन्हे धक्का दिया और पेट के बल लेट गयी और इनकी ओर देख के इन्हे चिढ़ाने लगी ,...
लेकिन उसके क्या मालूम था मैं उसे लायी ही उसे इसी लिए हूँ ,... अभी कुछ दिन तक तो मेरे साजन नंबर लगाएंगे उसके बाद तो,... मैं मुस्करा पड़ी ,...
इनकी हरकत देख के ,... उन्होंने बिस्तर पर के सब तकिये कुशन उस किशोरी के पेट के नीचे लगा दिए,... सुबह तो मरद का इतना जबरदस्त खड़ा होता है ,... तो बस पीछे से दोनों जाँघे फैला के सीधे बिल में मूसल घुसा दिए, और घचा घच
कुछ देर में एकदम थकी पस्त ननद भी नीचे से चूतड़ हिलाने लगी,... फिर क्या था हचक के उन्होंने चोदना शुरू कर दिया, ननद कभी चीखती कभी सिसकती और अब ये आवाजें बाहर खुल के जा रही थीं,... पर किसी को फरक नहीं पड़ रहा था,...
कुछ देर में घुसाए घुसाए उन्होंने गुड्डी को पलट दिया और अब एक बार फिर वो नीचे उसकी दोनों टाँगे इनके कंधे पर,... जब दोनों झड़े तो मेरा अलार्म बजा,
ऊप्स मैं अलार्म बंद करना भूल गई थी,
सात बजकर चौदह मिनट ये अलार्म इनके मायके में मैंने सेट किया था , यहाँ तो गुड मॉर्निंग यही कराते थे,... और उसी समय ये पांचवी बार मेरी ननद की बिल में मलाई भर रहे थे,... पहले का उनका वीर्य अब गुड्डी की जाँघों पर चूतड़ पे चद्दर पे सूख चुका था,...
मैं थोड़ी देर में एक बार फिर किचेन में थी काफी का मग रखने,... मैंने खिड़की खोली , धूप दस्तक दे रही थी , एक नन्हा सा टुकड़ा, खिलंदड़ा उछलता कूदता अंदर घुस गया,...
Yeh guddi to badi badmash hai, sixer lagwa hi liya, first nightसुबह सबेरे
सात बजकर चौदह मिनट ये अलार्म इनके मायके में मैंने सेट किया था , यहाँ तो गुड मॉर्निंग यही कराते थे,... और उसी समय ये पांचवी बार मेरी ननद की बिल में मलाई भर रहे थे,... पहले का उनका वीर्य अब गुड्डी की जाँघों पर चूतड़ पे चद्दर पे सूख चुका था,...
मैं थोड़ी देर में एक बार फिर किचेन में थी काफी का मग रखने,... मैंने खिड़की खोली , धूप दस्तक दे रही थी , एक नन्हा सा टुकड़ा, खिलंदड़ा उछलता कूदता अंदर घुस गया,...
मोबाइल में मैंने,..सुबह सुबह आधे दर्जन से ज्यादा गुड मार्निग आ जाते थे, कुछ फार्वर्डेड कुछ गैलरी में से निकाल के गुलाब के फूल चिपकाए,... मैंने भी वही किया एक फूल दूसरे को चिपका के जवाब दे दिया कहीं हाथ जोड़ा कहीं अंगूठा,...
साढ़े सात तक जब मैं अपने कमरे में वापस आयी तो दोनों एक दूसरे से गुथे पर किसी की हालत हिलने की भी नहीं लग रही थी, ... मुझे लग रहा था शायद ये ये आखिरी राउंड हो , ... पांच बार मूसल चला , बल्कि चला तो सारी रात, ये पांच बार झड़े, वो तो बारह चौदह बार ,... और कोई मुझसे पूछे एक बार झड़ती थी तो पूरी देह निचुड़ जाती थी बस उस समय मन करता था न कोई बोले न छूये,
कुछ देर तक तो दोनों एकदम शिथिल पड़े, बस एक दूसरे के हाथ को पकडे,... गुड्डी की देह तो बिस्तर पर पड़े सुहागरात के फूलों से भी ज्यादा कुचली मसली लग रही थी, लग रहा था मिक्सी में डाल के किसी ने उसे निचोड़ लिया है,... पूरी देह पर रात भर उसे भैया से जो कुश्ती हुयी थी उसके निशान थे, दांतों के नाखूनों के, रगड़े जाने के, ... जगह जगह उसकी गोरी गुलाबी देह रगड़ रगड़ के लाल हो गयी,...
चूत रानी तो पहचानी नहीं जा रही थीं,
जब गयीं कल रात में तो एकदम चिपकी कसी, चिकनी गुलाबी मक्खन, गुलाब की पंखुड़ियों से भी कोमल, दोनों फांके एक दूसरे को कस के पकडे जकड़े जैसे खुलेंगी ही नहीं कभी, अलग ही नहीं होंगी,...
पर आज खुली खुली सी दरार, और उस में बजबजाती रात भर की गाढ़ी मलाई,..अभी भी बूँद बूँद कर के बाहर चू रही थी, जाँघों पर लिथड़ी,... सफ़ेद चादर पर, फूलों पर फैली और साथ में रात का हुआ खून खच्चर, चूत के आसपास अभी भी कुछ खून के धब्बे सूखे,... रात की कहानी कह रहे थे,...
रात भर की थकी चुदी, मेरी ननद रानी,...
लेकिन अब उसकी तो हर रात ही ऐसी बीतनी थी,...
पर मैं भी आज तीसरी रात रतजगा कर रहे थी बार बार आँखों के पपोटे बंद हो रहे थे, पल भर के लिए मैंने पलके बंद की, नहीं सोई नहीं, बस ननद रानी और इनकी मायकेवालीयो के बारे में सोच रही थी,...
अभी तो मेरी सासू रानी बची थीं और उनका हांका कर के मम्मी खुद ले आएँगी अपने सामने अपनी समधन के ऊपर अपने दमाद को चढ़ायेंगी, अपने हाथ से अपने दामाद का खूंटा पकड़ के उनकी माँ के भोंसडे में,... .. हाँ लेकिन मेरे सामने ही, ..
और उन्होंने मंजू बाई के साथ मिल के क्या क्या प्लांनिंग बनायीं है,... और अब तो जेठानी जी ने भी ग्रीन सिंग्नल दे दिया है उनकी सास जितने दिन हमारे यहाँ रहें उन्हें कोई परेशानी नहीं है,.... फिर तो,... अगवाड़े पिछवाड़े दोनों ओर उन के बेटे से हल चलवाउंगी अपने सामने,....
मेरी कोई सगी ननद नहीं है यही अफ़सोस है लेकिन ये गुड्डी सगी से बढ़कर,... और चचेरी, फुफेरी की तो कमी नहीं, कित्ती तो कच्ची कलियाँ, हाईस्कूल वाली,... गुड्डी से भी छोटी,... सब के शलवार का नाडा इन्ही से खुलवाउंगी,...
लेकिन इनकी माँ के बाद मिसेज मोइत्रा और उनके दोनों रसगुल्ले,...
और जब मेरी आँख खुली तो मैं घबड़ा गयी , घड़ी बाई सवा आठ का टाइम बता रही थीं बस थोड़ी देर में गीता आ रही होगी, हाँ कमरा तो इन लोगों का नौ के बाद ही खुलना है,... लेकिन क्या भाई बहन सो गए,... थक तो अच्छी तरह गए थे,...
और मैंने निगाह टीवी की ओर मोड़ दी,...
और मुस्कराने लगी,..
चुदाई चालू थी और जबरदस्त,... लेकिन बिस्तर पर नहीं थे वो,... पर गुड्डी वो इनकी टीनेजर बहन बिस्तर पर ही, .... उन्होने उसे खींच के पलंग के एकदम किनारे पे, ... चूतड़ एकदम उस स्साली के पाटी पे,... वो लेटी एकदम थकी,... पर दोनों टाँगे उठी, जाँघे फैली अपने भैया के कंधे पर और भैया उसके फर्श पे खड़े, ... लंड आधे से ज्यादा बहन की चूत में घुसा, ... और धक्के पे धक्का,... मेरी थकी हारी रात भर की चुदी ननदिया की आँखें बंद थी , मुश्किल से कोई हरकत वो कर रही थी,... जैसे बच्चे खेलते खेलते किसी गुड़िया के चिथड़े चिथड़े कर देते हैं न, एक एक अंग अलग,... बस वैसे ही लग रही थी ,...
रिकारिंग तो हो ही रही थी मैंने अपने मोबाइल पे बैक किया,... चुदाई शुरू हुए पूरे २२ मिनट हो चुके थे. और बदमाशी मेरे साजन की नहीं थी,
गुड्डी स्साली पक्की छिनार,... हिला नहीं जा रहा था,... लेकिन करवट मुड़ के इन्हे देखते हुए मुस्करा रही थी, होंठो पे जीभ फिरा रहा थी, ... आवाज नहीं निकल पा रही थी तभी बड़ी अदा से मुस्कराते बोली,...
" सो गए क्या ",... "
" नहीं तो,... तुम्हे नींद लग रही हो तो सो जा, थक गयी हो " वो प्यार दुलार से बोले,... और मारे प्यार के बहन को चिपका लिया।
मेरा सीधा साधा बालम,... पता नहीं मेरी छिनार, पैदायशी रंडी ससुरालवालियों के बीच ये कहाँ से इतने सीधे साधे,...
वो छिनार मेरी ननद बोली,...
" अरे भैया तुझसे नहीं इस से पूछ रही हूँ, इस मोटू बदमाश से, बहुत उछल कूद कर रहा था न, ... अब ऐसे सो रहा है की लगता है कई दिन की छुट्टी, बहुत थक गया है बेचारा,... अब उसके बस का,... "
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yahi toKya gajab maal h yu....
Bahanchod jitna Dard do utna maja leti h.... malum nahi kya hoga ab komal k sahar ka.......
aayega aayega usaka asar to aur jordaar hoga kyonki paan single nahi double khaayegi bhi khilaayegi bhi vasatv men palang tod kushti hogiAbhi tk duh ka asar chal rhai haj
.palang tod paan aana abhi baki hai
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