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जोरू का गुलाम भाग 246 ----तीज प्रिंसेज कांटेस्ट पृष्ठ १५३३
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दोनों ओर की प्यास बुझ जाएगी...Part 7B
बहुरानी तुमने भगवान से सच मे इतनी सुन्दरता पाई
जरा बताओ कोलज में तुमने कितनी की नींद उड़ाई
घूमते थे पीछे काफी लड़के लेकर मन में कुछ आस
हमने कभी किसी लड़के को नहीं डाली जरा भी घास
बहूरानी मेरा बेटा बिस्तर में तुझे क्या पूरा सुख है देता
एक पूरे हफ्ते में वो तेरी यह चूत कितनी बार है लेता
बाबूजी ये सब मत पूछिए हमसे हम कैसे कह पायेंगे
ऐसी बातें आप से करेंगे तो हम शर्म से ही मर जायेंगे
बहू रानी तुम मेरी बेटी जैसी हो फिर हमसे कैसी शर्म
अपनी बहू का दुख दर्द समझना हमारा है परम धरम
बाबूजी वो जब भी मांगे चूत मेरी मैं नहीं करती इंकार
लेकिन मेरी चूत तो एक हफ्ते में वो लेते हैं एक ही बार
बहू हमारा बेटा है नालायक और वो बिल्कुल है बेकार तुम्हारी जैसी बीवी मुझे मिले तो तुझे लन पे रखु सवार
तेरी उम्र में तो बहू हर औरत में होती है भरपुर चुदासी
एक बार ही चुदने में तो तुम रह ही जाती होगी प्यासी
बहू तुम्हारी मालिश से आज हमें मिला है बहुत आराम
कहना था कुछ और भी तुमसे अगर कर पायो वो काम
अगर बुरा ना लगे तुम्हें तो जरासा और ऊपर को आओ
और खोल के लंगोट हमारा जरा वहां भी तेल लगाओ
जिसका था इंतज़ार मुझे कब से घड़ी आज वो आई
मेरी चूत को फाड़ेगा जो लंड आज देगा मुझे दिखाई
लंड और चूत की भाषा हम दोनों खुल के रहें थे बोल
इतने मे खुद मैंने ही उनके लंगोट की गाँठ दी खोल
लंगोट के फिर अंदर जो देखा मैंने देख के मैं चिल्लाई
गधे के जैसा ससुर का देख के लौड़ा मैं सच में घबराई
जिसकी चूत में बाबूजी ये अपना मोटा लौड़ा धक देंगे
चुदी चुदायी चुत को भी ये फिर से फाड़ के रख देंगे
अपने इसी फ़ौलादी लौड़े पे बहू तुमको आज बिठाएँगे
चोद के तुमको अपने लौड़े से तुम्हारी प्यास बुझाएंगे
बाबूजी ये कैसा हो सकता है मेरे पिता समान है आप
अगर कभी मैं आपसे चुदवा बैठी तो मुझे लगेगा पाप
अगर पाप पुण्य के भेद में पड़ जाओगी तुम बहुरानी
फिर तुम तो बेकार में करोगी अपनी बरबाद जवानी
हमसे नहीं चुदवा सकती तो हम और कोई बुलवा देंगे
फिर उससे ही हम चुदवा के तुमको गर्मी तेरी मिटा देंगे
अब आप के होते ससुर जी मैं क्यों चुदवाउंगी गैरो से
इतना बोल के मैंने कच्ची निकाल दी अपनी पैरो से
इस से बेहतर क्या है बहू जो तू मुझसे ही चुदवायेगी
इस से बेटी अपने घर की इज्जत घर में ही रह जाएगी
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आग दोनों तरफ लगी है...खेल शुरू
बहुत ही बढ़िया अपडेट और बहुत ही नेचुरल, ससुर जी मौके की तलाश में और बहू उनसे भी चतुर
इन अपडेट्स की सबसे अच्छी बात है की ये धीमी आंच वाला सेक्स है जो स्टार्ट तो स्लो होता है लेकिन एक बार हो गया तो फिर चौथे गियर में ही चलता है, ससुर और बहू जो परदे वाला रिश्ता है उसमे यही तरीका स्वाभाविक लगता है की दोनों पक्ष धीमे धीमे आगे बढ़ रहे हैं जैसे इस भाग में बहू ने कैसे बहाना बना के साड़ी उतारी,
करने लगी टांगों की मालिश मैं हाथों में ले कर तेल
जान बुझ तेल की शीशी मैंने अपने ऊपर ली उड़ेल
तेल लग गया साड़ी पे तो ये साड़ी हो जाएगी ख़राब
अपनी सासू मां को बहू फिर तुम क्या दोगी जवाब
अगर तुम्हें दिक्कत ना हो तो उतार के रख दो साड़ी
बिना साड़ी के तुम मेरी मालिश रख सकती हो जारी
और साडी के बाद पेटीकोट के अंदर की कच्छी भी और क्या अच्छा बहाना बनाया इसके लिए
बाबूजी मैं थोड़ा सा मुड़ जाती हूँ मालिश होगी अच्छी
मुड़ने से पेटीकोट से मेरी दिखने लगी गुलाबी कच्छी
दोनों ओर से जिस तरह से चाल पर चाल चली जा रही है वो इस कविता की मूल कहानी की तरह काल जयी बनाने की ताकत रखती है। आपकी लेखनी को और शक्ति और ऊर्जा मिले।
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समाज की वर्जना और घर पर मन चाहा हथियार..यह भाग एक नयी ऊंचाई छूता है की किसी तरह से दोनों ने अपने मन की बात रख दी
कंचन ने बिना पति की बुराई किये साफ़ साफ़ कह भी दिया,
बाबूजी वो जब भी मांगे चूत मेरी मैं नहीं करती इंकार
लेकिन मेरी चूत तो एक हफ्ते में वो लेते हैं एक ही बार
और ससुर ने भी अपनी बात कह दी और बहु ने भी हामी भर दी
अब आप के होते ससुर जी मैं क्यों चुदवाउंगी गैरो से
इतना बोल के मैंने कच्ची निकाल दी अपनी पैरो से
इस से बेहतर क्या है बहू जो तू मुझसे ही चुदवायेगी
इस से बेटी अपने घर की इज्जत घर में ही रह जाएगी
दोनों ने ही होने मन को समझाने के लिए एक वर्जित संबंधो में भी देह की प्यास बुझाने का कितना सटीक तर्क निकाला, " घर की इज्जत घर में रह जायेगी "
यह कविता निस्संदेह एक लम्बी कविता और और संबधो के सहज विकास को बहुत अच्छे ढंग से रेखांकित करती है।
बहुत बहुत साधुवाद,...
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जिसका दोनों को इंतजार था...Part 8A
खुल जाएगी चूत मेरी बाबूजी चुद गई जो मैं आप से
और कैसे कहूंगी पतिदेव से कि मैं चुद गई तेरे बाप से
तेरी चूत की फाँको पे ही हम ये लन अपना सहलाएँगे
जब तुम मांगो ना हमसे हम अपना लौडा नहीं घुसाएंगे
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बहुत दिनों से अरमान था बहू कि मैं चखू तेरी जवानी
बाहर खींच लेगे लौड़ा अपना पिला तेरी चूत का पानी
खोल के मेरी कोमल जांघें बाबूजी अब लगे सुंघने चूत
मेरे सर पर भी चढ़ के बोल रहा था अब चुदने का भूत
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तेरी चूत की खुशबू बहूरानी मुझे लगे है बड़ी नशीली
हाथ लगा के देख जरा तू तेरी पूरी चूत पड़ी है गीली
आप ने अपनी बातों से बाबूजी इसको किया है गिली
आप ने इसको घुसा दिया तो मेरी हो जाएगी ढिल्ली
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ज्यादा ढिल्ली ना करे रखेंगे ख्याल हम इस बात का
सारी चिंता छोड़ दो मजा लो अब इस मुलाकात का
मेरी चूत की फाँको पे बाबू जी लगे अब जीभ चलाने
और अपने हाथों में थाम के मेरी मोटी चुची लगे दबाने
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फिर धीरे से मेरी पीठ के पीछे अपना हाथ दिया डाल
और खोल के मेरे योवन से चोली बिस्तर पे दी उछाल
हाय बाबूजी आपने आज हमें पूरा ही कर दिया नंगा
अगर सासुजी वापस आ गई जल्दी तो हो जाएगा पंगा
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पूरी नंगी हो औरत जो बिस्तर पे मजा तभी ही आता है
नंगी औरत को ही बिस्तर पे मर्द अच्छी तरह बजाता है
आज हम अपनी बहू को गांव का गन्ना खूब चुसवायेंगे
अपने इस मोटे गन्ने का रस भी तुमको खूब पिलायेंगे
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खोल के अपना मुँह बहुरानी अपने होठों में इसे दबाओ
चाटो इसका टोपा और लौड़े पर अपनी जीभ चलाओ
अपने प्यारे खिलोने को जैसे कोई बच्चे करता है प्यार
अपने मुँह में ले के बाबूजी लौड़ा मैं करने लगी दुलार
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मुँह में भर के लगी चुस्ने बाबूजी के भारी टट्टो का जोड़ा
लोहे के जैसा सख्त हो चुका था अब बाबूजी का लौड़ा
आ जाइये अब बाबूजी बहुत लगी है मेरी चूत में आग
मेरे बिल में घुसा दीजिये अब अपना काला मोटा नाग
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जिसका इंतजार था मुझे महीनों से घड़ी आज वो आई
प्यासी तड़पती इस चूत की अब आज होगी खूब ठुकाई
लोहा तो गरम अब हो चुका उनको मारना होगा हथौड़ा
ऐसा ही कुछ सोच बाबूजी ने लगाया मेरी चूत पे लौड़ा
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https://poetandpoem.com/Robert-William-Service
अब आहें कराहें निकालने से क्या फायदा....Part 8B
रख के चूत के होठों पर अपने लौड़े को जरा दबाया
और देकर हल्का सा धक्का मेरी फुद्दी में उसे घुसाया
चीख पड़ी मैं बाबूजी के इसधक्के से पूरी दर्द के मारे
दिन के पूरे उजाले में ही मुझे दोस्तो नज़र आ गए तारे
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बाबूजी इस लौड़े ने फाड़ दी मेरी बाहर इसे निकालो
हाय मेरी अम्मा आकर मुझको इनसे आज बचा लो
बहु क्यो इतना चिल्लाती हो जरा रखो हौसला थोड़ा
पहली बार लिया है तुमने क्या अपनी चूत में लौड़ा
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लिया कई बार चूत में अपनी आपके बेटे का हाथियार
लेकिन एक गधे के लंड से मैं चुदवा रही हूं पहली बार
हर औरत चाहे है चूत अपनी ऐसे ही लौड़े से मारवानी
ऐसे लौड़े का पानी लेकर ही बहु निखारेगी तेरी जवानी
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बहु ये लौड़ा पूरा घुस लेने दे मेरा अभी घुसा है आधा
उछल उछल के फिर देगी तू अपनी चूत मेरा है ये वादा
बन जाएगा चूत का भोसड़ा जो आप से मैं चुद जाउंगी
फिर वापस जाके आपके बेटे को मैं क्या मुंह दिखाऊंगी
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बाबूजी ने नीचे हाथ डाल के कंधो से मुझको पकड़ा
हल्का लंड निकल के बाहर लगया एक धक्का तगड़ा
शेर के पंजे में बकरी की भँति मैं लगी ख़ूब मिमियाने
पर बाबूजी तो पूरे जोश में लगे थे अपना लंड घुसाने
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कुछ देर पहले बाबूजी आप ने बोला था मुझको बेटी
अभी देखिए खोल के टांगे मैं हूं आपको नीचे लेटी
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पकड़ के चुची भर ली मुँह में और बाबूजी लगे सहलाने
सुपाड़े तक निकालके बाहर लौड़ा उसे अंदरलगे घुसाने
अपनी गोद में लेके बाबूजी ने नीचे से ऐसा धक्का मारा
मस्त हो गई मैं उनका जोश देखकर दर्द भूल गई सारा
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अलग-अलग आसन में बाबूजी ने मेरी ऐसी चूत बजाई
चुदी चुदाई चूत भी मेरी अब अब वो भी देने लगी दुहाई
बहूरानी अब हम हैं छूटने वाले हो अब जाओ तुम त्यार
मेरे पूरे बदन पे कर दी बाबूजी ने अपने वीर्य की बौछार
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सचमुच शब्द और चित्रों का संगम लाजवाब है...आपकी हर पोस्ट अनूठी होती है और सबसे बड़ी बात की चाहे चित्र हो या शब्द मन की बात जरूर चेहरे पर भी आती है और मुंह से शब्दों में भी आती है जैसे पाठक भी समझ लें,...
अब इस पोस्ट की शुरुआत में क्योंकि रिश्ता ही कुछ ऐसा है, ससुर ने इस बात का ख्याल रखा की बहू को चाहे विमला का इस्तेमाल कर पटाने, में या झलक दिखला कर गरमाने में,... या फोरप्ले में, ... बहुत खुद अपने मुंह से मांगे, खुद अपनी जाँघे फैला दे जिससे कोई ये न कहे की ससुर ने बहू का फायदा उठाया, बहू से जबरदस्ती की या अकेली बहू को पा के उसके ना ना करने पे चढ़ गया,
ससुर ने साफ़ साफ़ कहा और एकदम शुरू में इस पार्ट के
तेरी चूत की फाँको पे ही हम ये लंड अपना सहलाएँगे
जब तुम मांगो ना हमसे हम अपना लौड़ा नहीं घुसाएंगे।
और कोई भी सोच सकता है की फांको पे रगड़ खाने के बाद प्यासी बहू का क्या हाल होगा और ससुर को दोष भी नहीं दे सकते, इसी भाग में आगे वो हालत भी जब तड़पती हुयी बहू खुद कहती है
मेरे सर पर भी चढ़ के बोल रहा था अब चुदने का भूत
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आ जाइये अब बाबूजी बहुत लगी है मेरी चूत में आग
मेरे बिल में घुसा दीजिये अब अपना काला मोटा नाग
देह के रिश्ते के बारे में तो कोई लिख लेता है लेकिन मन का द्वन्द इस प्रकार दिखाएं की वो बोझिल हो , उस कामुक माहौल में बाधा न पड़े और चित्र भी एक भारतीय नारी के इस्तेमाल करती हैं, और कंचन एक शादीशुदा औरत है, एक गौने की कल की आयी दुल्हिन नहीं, कंचन ऐसी है जिसे देह का सुख मालूम है और चित्र भी उसी आयु की नारी की है तो कविता के साथ संगत करता है ,
एक और अच्छी पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाई,...
और बाकी कोर-कसर मंजू और गीता ने पूरी कर दी.....जोरू का गुलाम भाग २१८
ब्रेक -
गुड्डी का पिछवाड़ा और उनके भैया
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गुड्डी एकदम थेथर, अभी तीन बार तो उसकी गाँड़ कूटी गयी थी, तीन मर्दो की मलाई भरी थी गुड्डी की गांड में। मेरे दोनों जीजू, अजय और कमल और रीनू के जीजू मेरे ये, मेरा सोना मोना।
मेरी कमीनी बहिनिया की आँखे फटी पड़ रह थी जिस तरह से ये अपनी बहन की मार रहे थे अब तक हम सब कमल जीजू जो ही पिछवाड़े का पी एच डी मानते थे लेकिन रीनू ने इन्हे देख कर पूछा, पी एच डी के आगे कौन सी डिग्री होती है।
सच में जबरदस्त मारी थी गाँड़ इन्होने अपनी बहना की और अब ये अपनी साली के साथ,... अजय जीजू वाली पेसल सिगी, रीनू ने गुड्डी के मुंह में भी एक खोंस दी थी। गुड्डी और रीनू में खूब दोस्ती भी हो गयी थी, गुड्डी रीनू को मीठी भाभी कहने लगी थी।
दोनों जीजू फ्रेश होने गए थे और मैं सोच रही थी,... थोड़ी देर पहले के बारे में
गुड्डी को दर्द के साथ मजे भी दे रहे थे ये,...ऐसी बात नहीं थी की मेरी ननद को दर्द नहीं हो रहा था , बीच बीच में उसे चिलख उठती थी तो वो जोर से चीख उठती थी , चेहरे से दर्द छलक उठता था , तूफान में पत्ते की तरह उसकी देह लरज़ उठती थी , ... लेकिन वो साथ भी दे रही थी , जब वो झुक के उसके होंठों को चूमते , ... तो इनकी ममेरी बहन के थके होंठ एक बार फिर खुल उठते , वो भी चुम्मी का जवाब चुम्मी से देती , खुद उनके होठ चूस लेती , अपनी जीभ इनके मुंह में डाल देती ,
और जब कभी उसकी दर्द भरी चीखें सुन के ये थोड़ा असहज से हो उठते , धक्के मारना बंद कर देते तो वो खुद , उन्हें अपनी ओर खींच कर अपने उभार इनके सीने से रगड़ देती , इन्हे देख कर मुस्करा देती , इन्हे चूम लेती ,
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और ये एक बार फिर अगला धक्का और ज्यादा ताकत से ,
और वो फिर चीख उठती ,...
असली बात ये थी की बचपन का मामला ,
न सिर्फ मेरी ननदिया उनके बचपन का माल थी , बल्कि , मेरी ननद भी जवान होते ही , उन्हें देख कर ,... पुराना यार था वो ,...
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और साथ में ये थे भी तो नवल रसिया , कामशास्त्र के पक्के खिलाड़ी और जो थोड़ी बहुत कसर थी , वो इनकी सास ने पढ़ा लिखा कर , सिखा कर पूरी कर दी थी।
ये जानते थे सेक्स पूरी देह का खेल है न सिर्फ लिंग और योनि का , और देह से ज्यादा ये दिमाग और दिल का खेल है ,...अगर मन में वितृष्णा भरी हो , किसी को आप न पसंद करते हो , तो सारा का सारा मजा , ... गायब।
लिंग के साथ साथ इनकी उंगलियां , इनके होंठ और सबसे ज्यादा दुष्ट तो थीं इनकी आँखे , एकदम डाकू , देखते देखते दिल चुराकर अपने हवाले
और इनके नीचे इनकी बचपन का माल थी ,
गुड्डी एक बार फिर चीख ज्यादा रही थी , सिसक कम रही थी ,
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लेकिन उसके बावजूद ये अगर ज़रा भी रुक गए , तो बस वो शोख उन्हें ऐसे देखती की ,... जैसे कह रही हो , रुक क्यों गए। और उसकी निगाहों का जादू वो फिर ,..
और अब कई बार तो मेरी ननद खुद इनके धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी , टीस चिलख और दर्द के बावजूद खुद भी चूतड़ उठा उठा के धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी।
कुछ इनके धक्कों का असर , कुछ उँगलियों और जीभ का , तीन बार झड़ी वो , लेकिन झड़ते हुए भी उन्हें उकसाती रहती , चढाती रहती ,
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अजय और कमल जीजू से दस पांच मिनट ज्यादा ही इन्होने गांड मारी होगी अपनी बहना की ,...
और गुड्डी ने खुद इनका , अपने पिछवाड़े से निकला हथियार मुंह में लेकर खूब जोर जोर से चूस चूस कर एक दम साफ , चिकन
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तब तक अजय और कमल जीजू वापस आ गए थे साथ में व्हिस्की की एक नयी बॉटल , रीनू से उनके हाथ से छीन कर , एक बार पहले अपने होंठों में , फिर मेरे ,...
और उसके बाद गुड्डी के गले में तो एक दो पेग एक साथ ,
वो आकर अजय और कमल जीजू के साथ बैठ गए थे ,
रीनू ने गुड्डी को उठाने की कोशिश की पर , उसकी देह एकदम दर्द से ,... थकान से ,...मैं भी पहुँच गयी सहारा देने को ,
उधर कमल जीजू ने चिढ़ाया ,
आज खाना वाना नहीं मिलेगा क्या , मलाई तो सब निचोड़ ली ,... अब गाडी में डीजल भरा जाएगा तभी गाडी आगे बढ़ेगी।
" हे बहुत मस्ती कर ली , चल ज़रा किचेन में , हमारे साथ , कुछ तेरे यारों के लिए , बहुत मस्ती कर ली तूने ,... " रीनू गुड्डी से बोली
हम दोनों ने मिल का गुड्डी को खड़ा किया ,
भले उसकी ली तीन बार गयी थी , पर उसके सारे कपडे नहीं उतरे थे वो बित्ते भर की माइक्रो स्कर्ट , छल्ले की तरह उसकी कमर में फंसी पड़ी थी , और पैरों में मोज़े भी , हाँ टॉप , ब्रा , थांग सब जमीन पर बिखरे पड़े, ,... मैंने उसकी छोटी सी टाई वाली स्कूल टॉप उसे दे दी और उसने किसी तरह अपने जुबना पर टांग लिया , और हम दोनों के सहारे किचेन में ,...
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किचेन ,.. ऐसी जगह जो औरतों के लिए सैंक्चुरी होती है।
जो बात बोल के नहीं कही जा सकती...किचेन
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गुड्डी खड़ी भी नहीं हो पा रही थी , चलने की कौन कहे , इत्ता जबरदस्त मूसल चला था उसके पिछवाड़े पर उसकी दोनों भौजाइयां , मैं और रीनू , उसकी बगल में हाथ डाले , आलमोस्ट टांग कर किचेन में ले आये।
और किचेन में पहुँचते ही फिर , जैसे कोई हिरन शाविका , दो शेरनियों के बीच में ,...
गुड्डी किसी तरह किचेन सिल पकड़ कर खड़ी हुयी , रीनू ने उसे छेड़ते हुए बोला ,
" क्यों मेरी ननदो मजा आया ,... "
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गुड्डी बड़ी मुश्किल से किचेन के सिल का सहारा छोड़कर अलग हुयी , मुस्करायी और जवाब उसके होंठों ने दिया ,
लेकिन बिना बोले ,... जोर से उसने अपनी नयकी भौजी को गपुच लिया , और सीधे अपने रसीले होंठ रीनू के होंठों पर ,
उसके छोटे छोटे उभार , रीनू के गदराये बड़े बड़े उभारों को दबा रहे थे , खूब कस के हग कर लिया इनकी ममेरी बहन ने मेरी मौसेरी बहन को।
रीनू को जवाब मिल गया था , और वो भी मौका क्यों चूकती , एक हाथ से उसने ननद को कस के दबोच रखा था , दूसरे से उसके टेनिस बाल साइज बूब्स का टॉप के ऊपर से ही हालचाल ले रही थी।
और जब गुड्डी के होंठ अलग हुए तो , गुड्डी मीठी मीठी आवाज में बोली ,
" मेरी इत्ती प्यारी मीठी मीठी भाभी , और मैंने हग ही नहीं किया ,... "
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रीनू ने जवाब दुबारा चुम्मी ले कर दिया और अब वो एकदम भाभी जैसे किसी छोटी ननद की , रीनू के होंठों ने कस के , गुड्डी के होंठों को दबोच रखा था , हलके से काट भी रही थी , ... और धीरे से अपनी जीभ उसने गुड्डी के खुले होंठों के बीच ठेल दी।
गुड्डी मजे ले ले कर उसे चूस रही थी , उसके दोनों हाथों ने कस के रीनू को पकड़ रखा था , ... और उसने अब अपने को पूरी तरह नयी मिली भाभी के हवाले कर दिया था , और उसकी नयी मिली भाभी भी पक्की लड़की खोर ,... और गुड्डी ऐसा माल देख कर तो कोई स्ट्रेट औरत भी लेस्बियन हो जाए ,...
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और जब गुड्डी के होंठ रीनू के होंठों के चंगुल से छूटे तो मैंने वो बात पूछ ली , जिसके लिए मेरा मन बहुत देर से बैचैन था ,
" हे बहुत दर्द तो नहीं हुआ न ,.... "
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वो शरीर शोख बदमाश , मेरी बहन के होंठो से हेट होंठ उसने मेरे होंठों पर चिपका दिए , और जब होंठ हटाए तो बड़ी अदा से बोली ,
" भाभी,... आप ही ने तो सिखाया था , जितना ज्यादा दर्द , उतना ज्यादा मजा ,... और साथ देने के लिए ये मेरी मीठी मीठी भाभी तो थी न , सच में ये न होती न तो मैं नहीं झेल पाती , बीच मैदान से खूंटा छुड़ा के भाग जाती ,... "
और मेरे होंठों से हटे ननद के रसीले होंठ एक बार फिर नयी आयी भाभी के होंठों पर चिपक गए।
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और जब होंठ अलग हुए तो अबकी उसकी मीठी मीठी भाभी बोल उठीं ,
" अरे वाह मैं क्यों नहीं होती ,... इत्ती प्यारी सेक्सी ननद , ये मेरी कमीनी बहन अकेले अकेले मजा लूट रही थी ,... मैं तो आयी ही तेरे लिए ,... और जब ननद की फट रही हो तो उसकी भौजी साथ नहीं देगी तो कौन देगा।
और एक बार फिर दोनों ननद भाभी चिपक गयीं , लेकिन मैंने हड़काया
अच्छा बहुत चुम्मा चाटी , चिपका चिपकी हो गयी हो ,... बहुत काम पड़ा है , थोड़ी देर में फिर भूख भूख का हल्ला मचेगा। और डीजल नहीं डालोगी तो गाडी आगे कैसे चलेगी अभी तो रात भर ,... लांग ड्राइव ,.... गुड्डी तूने तो मजा ले लिया लेकिन हम दोनों तो सूखी ही पड़ी हैं , ... "
गुड्डी रीनू से अलग होते हुए हँस कर बोली ,
" एक दम भाभी , अब आगे के राउंड आप दोनों के , ... चलिए बोलिये क्या करना है ,... "
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चिकनाई का इंतजाम भी पूरा हो गया....रीनू और गुड्डी
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उसकी मीठी मीठी भाभी बोल उठीं ,
" अरे वाह मैं क्यों नहीं होती ,... इत्ती प्यारी सेक्सी ननद , ये मेरी कमीनी बहन अकेले अकेले मजा लूट रही थी ,... मैं तो आयी ही तेरे लिए ,... और जब ननद की फट रही हो तो उसकी भौजी साथ नहीं देगी तो कौन देगा।
और एक बार फिर दोनों ननद भाभी चिपक गयीं , लेकिन मैंने हड़काया
अच्छा बहुत चुम्मा चाटी , चिपका चिपकी हो गयी हो ,... बहुत काम पड़ा है , थोड़ी देर में फिर भूख भूख का हल्ला मचेगा। और डीजल नहीं डालोगी तो गाडी आगे कैसे चलेगी अभी तो रात भर ,... लांग ड्राइव ,.... गुड्डी तूने तो मजा ले लिया लेकिन हम दोनों तो सूखी ही पड़ी हैं , ... "
गुड्डी रीनू से अलग होते हुए हँस कर बोली ,
" एक दम भाभी , अब आगे के राउंड आप दोनों के , ... चलिए बोलिये क्या करना है ,... "
जबतक रीनू गुड्डी की चिपका चिपकी चल रही थी मैंने टेक अवे वाले को ऑर्डर दे दिया था , असल में वीकेंड रश थी तो मैंने शाम को ही , लेकिन फाइनल अभी
मेरे दोनों जीजू नान वेज के बिना तो ,... और आज तो एक्स्ट्रा एनर्जी चाहिए थी दोनों को ,...
बल्कि इन्हे भी , रीनू रानी आदमखोर की तरह इन्तजार कर रहीं थी इन पर टूट पड़ने को ,
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लेकिन तब भी किचेन में बहुत काम बचा था ,... स्टार्टर कुछ डीप फ्राई करने थे , कुछ बस ओवन में ,... वाइन की बॉटल्स चिल करने के लिए रखनी थी ,.... सलाद बनानी थी ,... टेबल सेट करनी थी ,... और टेक अवे से खाना आने के बाद , ... लगाना भी था ,.. जल्दी जल्दी हम तीनो करेंगी तो भी आधे घंटे तो लगेगा ही , ... नौ बज रहे थे ,... मेरा टारगेट था दस बजे तक खाना ख़तम हो जाए और ,....
रीनू और गुड्डी में एकदम पक्की दोस्ती हो गयी थी बल्कि , गुड्डी अपनी रीनू भाभी की पूरी फैन , नम्बरी चमची पक्की ननद भाभी की छेड़खानी , चुहुलबाजी,…
... जहाँ जहां रीनू जाती ,पीछे पीछे गुड्डी , जो काम रीनू अपने हाथ में लेती , हाथ बटाने के लिए वो शोख किशोरी , टेबल सेट करने में रीनू लगी तो साथ में गुड्डी ,...
मुश्किल से चल पा रही थी वो , दो कदम चलती तो जोर से चिलख उठती ,... किसी न किसी चीज को पकड़ के वो लड़की सहारा ले लेती ,
लेकिन मेरी बहन के साथ एकदम लगी , चिपकी ,
और रीनू भी उसे न सिर्फ बातों से छेड़ रही थी बल्कि , मैंने कहा था न हम तीन बहनों में , वो तो , ... बिना गाली के उसकी बात शुरू ही नहीं होती थी और फिर साथ में एक नयी जवान होती , टीनेजर ननद हो ,... तो उससे तो रिश्ता ही गाली का और रीनू तो गुड्डी को जबसे आयी थी , गुड्डी कम बोल रही थी , रंडी ज्यादा ,...
लेकिन ननद हो ऐसी मस्त गोरी जस्ट इंटर पास की , खूबसूरत, नए नए जुबना वाली , तो भौजाई की छेड़छाड़ सिर्फ जुबान से थोड़े ही होती है ,
रीनू के हाथ भी चल रहे थे ,
कभी वो टेबल का सहारा लेकर खड़ी गुड्डी के ब्वायिश हिप्स को हाथ में लेकर कस के दबोच लेतीं , और छेड़तीं ,
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" हे दर्द हो रहा है न , ... लेकिन सुन मेरी ननद रानी , यार इत्ती मस्त गांड हो और न मारी जाय ये भी तो नाइंसाफी है न , और मैं एकदम इन्साफ पसंद इंसान हूँ। "
और गुड्डी एक चिलख के साथ खिलखिला उठती।
" भाभी मेरी जान निकल गयी और आप भी न ,... "
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और रीनू भाभी की ऊँगली अबतक सीधे स्कर्ट के ऊपर से ही पिछवाड़े की दरार में , गोल गोल घूमने लगती ,
" और जो चूतड़ मटका मटका के चलती है और लौंडो की जान लेती है उसका कुछ नहीं , "
गुड्डी अब जोर से हंसी और स्कर्ट के साथ रीनू की ऊँगली थोड़ी सी दरार में घुस जाती , ...
" सुन मेरी प्यारी दुलारी रंडी , ये मत सोच की एक बार दर्द हो गया न तो आगे नहीं होगा। आगे भी होगा और ऐसा ही होगा, अरे गुड्डी बाई , गांड मारने और मरवाने का मजा , ये दर्द ही है। लेकिन मैं हूँ न , तेरे पिछवाड़े की अच्छी ट्रेनिंग कर दूंगी ,... असली मरवाने वाली तो वही है जो खुद चियार कर के खूंटे पर बैठे और ,... चीखती चिल्लाती खूंटा घोंट जाए , बिना मरद के एक भी झटके मारे ,...
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बस थोड़ी सी हिम्मत और थोड़ी सी प्रैक्टिस और थोड़ी सी जबरदस्ती ,... "
और गुड्डी भी प्यार से रीनू की कमर पकड़ लेती और उस की ओर मुड़ कर वो कमसिन , मृगनयनी अपनी बड़ी बड़ी आँखे खोल के बोल उठती ,
" आप ऐसी मीठी मीठी भाभी हों , तो जबरदस्ती थोड़ी क्यों ,... ज्यादा क्यों नहीं ,.. "
और बस रीनू हलके से झुक के गुड्डी के होंठ चूम लेती।
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टेबल सेट करते हए रीनू बोली , " सुन आज तुझे मैं अपने पास बिठाउंगी खाने में ,... और खूब ठूंस ठूंस कर खिलाऊंगी ,... सुबह खूब आसानी होगी तेरे पिछवाड़े को घोंटने में ,
गुड्डी सच में अभी भी बच्ची थी , मुंह खोल के बोली , "क्यों भाभी ,... "
" अरे नासमझ , .... अभी जो ऊपर वाले मुंह से अंदर जाएगा वो सुबह तक नीचे वाले मुंह के पास पहुँच जाएगा न , बस तेरे कोई भइया अंदर घुसेड़ेंगे तो ,.... भले ही चिकनाई न लगाएं ,... अंदर घुसते ही ,... समझ गयी या और खोल के समझाऊं ,.. "
हंसती हुयी रीनू बोली और एक बार फिर गुड्डी को चूम लिया।
गुड्डी बीर बहुटी हो गयी , चम्पई गाल गुलाब हो गए। हलके से बोली
"समझ गयी भाभी ,... "
रीनू की अभी जाऊं जाऊं की रट ने जान निकाला है....डिनर की तैयारी
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गुड्डी इस लिए भी रीनू के साथ लगी थी की इत्ते दिनों में गीता ने न सिर्फ उसे किचेन के काम में ट्रेंड कर दिया था बल्कि अब कौन चीज कहाँ रखी है , कितनी है , मुझसे ज्यादा उसे मालूम थी ,
इसलिए वाइन को दो बॉटल्स भी उसी ने निकाली , चिल करने के लिए रखी , वाइन के ग्लासेज ,...
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खाना मैने टेक अवे से ऑर्डर कर दिया था , और जीजू दोनों मेरे शुद्ध नान वेज ,... और अब तो ये भी खाने लगे थे , ज्यादा नहीं बस दो चार चीजें
चिकन हांडी , काश्मीरी मटन रोगन जोश ,
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मटन दो प्याजा , भुना गोश्त , और हैदराबादी बिरयानी ,
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साथ में रुमाली रोटी और लच्छे पराठे। स्वीट डिश में मैंगो फिरनी
हाँ स्टार्टर मैंने बने हुए रखे थे , बस उन्हें सेंकना था , शामी कबाब , चिकन टिक्का , काकोरी कबाब
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और चिकेन लॉलीपॉप साथ में एक प्लैटर चीज , ग्रेप्स , चेरी और क्रेकर का
जब तक मैं प्लैटर सेट कर रही थी , इनकी बहन और मेरी बहन ने मिल कर कबाब सेंकने का काम सम्हाल लिया ,...
और उसी समय रीनू की वापसी की बात खड़ी हो गयी , वही जिसके लिए मैं उसे तीन दिन से नान स्टाप गालियां दे रही थी ,...
और गुड्डी अल्लफ , जैसे उसे पता चला की ,...ये लोग संडे को ही निकल जाएंगे, बस आज की रात और कल की रात
" भाभी आप मंडे रात तक तो रुकिए न , मैं भी इस बहाने मंडे को कोचिंग से छुट्टी मार लूंगी , रोज रोज वही ,... "
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और मेरे मुंह से निकल गया ,
" ये तेरी भाभी न ,... मंडे छोड़ सन्डे की रात रुकने के लिए भी तैयार नहीं , सन्डे की शाम को ही जाने का प्रोग्राम बना के आयी हैं , ... " मेरे मुंह से निकल ही गया।
बस गुड्डी का मुंह जैसे झांवा ,... एकदम उदास ,... वो तवे पर सिंकते कबाब भी भूल गयी।
बस रीनू का मुंह देखती रही , और बोल निकले तो एकदम उदास ,...
" भाभी ये तो ,... आज तो आप मिली हैं , आज तो बस हेलो हाय में ,... कल की रात , और बस परसों आप गायब ,... एकदम फाउल है। नॉट डन , मैं अब आपसे नहीं बोलूंगी , परसों क्यों कल ही चली जाइये , अगर आपको मैं अच्छी नहीं लग रही तो ,... "
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बस रीनू ने भी पैंतरा बदला और एकदम अग्रेसिव
" अच्छी तो तुम से कौन होगी लेकिन तू नहीं जानती मैं कितनी बुरी हूँ , और तुझे देखकर , तू मुझे रोक रही है लेकिन अगर मालूम पड़ जाए न की मुझे क्या क्या अच्छा लगता है , क्या क्या करुँगी मैं ,... तो सच में कहोगी की मैं कल ही क्यों नहीं चली गयी , ... मेरी ननद रानी। "
अब गुड्डी मुस्करायी और रीनू की ओर मुड़ कर बोली ,
" भाभी , मुझे ये बुरी वाली भाभी ही चाहिए , मेरी खूब मीठी मीठी भाभी ,... सच्ची और आप को जो करना हो करिये , मैं सच्ची बुरा नहीं मानेगी , हाँ अगर आप इत्ती जल्दी चली गयी न तो एकदम पक्की वाली कुट्टी , आपको फेसबुक से ब्लाक कर दूंगी , व्हाट्सऐप में भी ,.. आपको जो करना हो करियेगा , मैं मना नहीं करुँगी , चलिए एडवांस में प्रॉमिस और आपकी ये छोटी बहन गवाह। "
"यार तू समझती नहीं , ... मेरी बड़ी किंकी च्वॉयसज हैं , एकदम गन्दी वाली , वाइल्ड ,... और ये सब तू खाली एक बार सुन लेगी न तो बस ,.. "
मेरी कमीनी बहन रीनू ने गुड्डी को डराने की कोशिश की।
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गुड्डी एक बार फिर मन लगा के कबाब सेंकने में लग गयी थी , सेंकते सेंकते बोली ,
" भाभी , मुझे कुछ नहीं सुनना ,... मैं बस ये सुनना चाहती हूँ की सन्डे रात तक आप लोग यहाँ हैं , बस सिम्पल , मैं आप की सब बात मन लुंगी , बस आप मेरी ये बात मान लीजिये , मंडे के पहले नहीं जाना ,... आपकी छोटी ननद की जिद्द , ..इस घर में सबसे छोटी मैं हूँ , .. और जिद्द जो सबसे छोटा होता है उस की चलती है। मैं आप की सब बात मान लूंगी , लेकिन आप को मेरी ये बात माननी है ,... और माननी है तो माननी है , ... "
" तू जानती है बेड टी पिलाये बिना ,... " रीनू ने उसे घबड़वाने की कोशिश की ,