जोरू का गुलाम भाग २५६ पृष्ठ १६०७
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Thanks very much for your kind words. The feeling is absolutely mutual madam (I am not trying to say that we are part of "mutual appreciation club"...though nothing wrong in that)Thanks for such effusive praise, you are not only a brilliant author but an excellent reviewer. you read my stories in depth, enjoy it and illuminate various dimensions. It helps me to improve further. As soon as I post i hanker for your detailed comments. Thanks again
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अजय जब से आया, नदीदो की तरह मेरे जोबन देख रहा था। जो हालत मेरे पिछवाड़े को देख के कमल जीजू की होती थी वही उभारों को देख के अजय जीजू की और मैंने दोनों को ललचाती थी, तड़पाती थी। जितना तड़पेंगे उतना ही हचक हचक के लेंगे और कौन रोज रोज जीजा साली की मुलाकात होती है, तो मैं तो मानती हूँ जब भी जीजा साली मिले कभी भी एक मिनट भी मौका न गंवाएं, सीधे मुद्दे पे,
कमल जीजू तो लेटे थे, मैंने अजय को भी धक्का देके उन्ही के बगल में गिरा दिया, और हाथ में दोनों जोबन अपने पकड़ के उभार के उकसाते बोली,
" क्यों जीजू चाहिए "
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" स्साली, अब ललचा मत " लिबराते अजय बोला।
" हिलना मत स्साले, वरना कमल जीजू स्टाइल में तेरी गांड पहले मारूंगी, चूँचिया बाद में दूंगी। " मैंने उन्हें हड़काया और उनके ऊपर, मेरे जोबन अजय के होंठों से बस एक इंच की दूरी पे और मैं बोली,
" स्साली के जोबन का रस चाहे मुंह से लो चूस चूस के, "
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और फिर अजय के हाथों में मैंने अपने दोनों उभार पकड़ा दिए और बोली,
" चाहे हाथ से ले लो, मसल रगड़ के "
और फिर हाथ जीजू के झटक के हटा दिए। और अब मैं उनकी देह पर उनके ऊपर रगड़ती, फिसलती, सरकती, मेरे कड़े कड़े जोबन, गोल गोल, रसीले उनके सीने को सहलाते, पेट पे और फिर सीधे, ज्यादा जागे, थोड़ा सोये, अंगड़ाई लेते लम्बे बांस पे, मेरे निपल्स बस उसे सहला रहे थे और मैंने अगली बात बोली,
" चाहे, " और बात पूरी की टुकुर टुकुर देखते कमल जीजू ने
" लंड से ले ले पेल, पेल के "
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"एकदम जीजू "
मैं हंस के बोली, क्या कोई स्साली थाईलैंड वाली बॉडी टू बॉडी मसाज करेगी और अजय जीजू का फनफना के खड़ा होगा। जीजू का लंड खड़ा हो तो कौन साली मौका छोड़ती है, और मैं तो कभी नहीं।
और मैंने अपने दोनों हाथों में अपने उभारो के पकड़ के उसमें अजय जीजू के, रीनू के मरद के खूंटे को दबोच लिया और लगी टिट फक करने
पहले हलके हलके, फिर थोड़ी जोर से कस कस के ,जिस तरह से मेरी चूत जीजू के लंड को दबोचती है बस एकदम उसी तरह से मेरी दोनों चूँचिया अजय के खूंटे को दबोचे, सावन से भादो दूबर,...
कभी दबाते रुक जाती तो कभी कसर मसर, कसर मसर जोर जोर से आगे पीछे,
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" हाँ ऐसे ही कर, ऐसे ही बहुत मजा आ रहा है स्साली " अजय जीजू बोल रहे थे।
जीजा हो और साली बदमाशी न करे, मैंने अपने बड़े बड़े एक इंच के खड़े निपल को अजय के बौराये सुपाड़े के पेशाब के छेद में रगड़ के बोला
" जीजू किस चीज में मजा आ रहा है, जरा खुल के बोल न "
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" अरे स्साली तेरी मस्त मस्त चूँची चोदने में," अजय बोले।
" अरे जीजू चूँची वो भी स्साली की होती ही इसलिए, चाहे चूसो चाहे रगड़ो, चाहे हचक के चोदो"
" एकदम स्साली और वो भी तेरी चूँची, रात भर चोद के भी थका लंड तेरी चूँची के बारे में सोच के खड़ा हो जाता है "
मुस्कराते हुए वो बोले लेकिन अब कमान उन्होंने अपने हाथ में ले ली, मैं नीचे लेटी वो ऊपर और अब वो टिट फक कर रहे थे।
खूंटा तो उनका बांस ऐसा था ही तो सुपाड़ा बाहर निकला मेरी बड़ी बड़ी चूँचियो से और मैं कभी जीभ निकाल के चाट लेतीं, कभी चूम लेतीं
और थोड़ी देर में मैंने चूसना भी शुरू कर दिया, मुस्टंडे का मुंह मेरे मुंह में और बाकी देह मेरी चूँचियों के बीच दबी रगड़ी जा रही थी
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बहुत ताकत थी अजय की देह में दस बारह मिनट पूरी ताकत से मेरी चूँची चोदने के बाद ही वो झड़ा और सारी मलाई मेरी दोनों चूँचियों पे ।
लेकिन अजय जीजू का मन एक कटोरी मलाई मेरी दोनों चूँचियों पर बरसा के नहीं भरा, और अपनी पिचकारी को जो उन्होंने हाथ में लेके पुचकारा, दबाया तो दो बार फचर फचर कर के ढेर सारी रबड़ी मलाई फिर और वो मेरे दोनों निपल्स पे, मेरे बड़े बड़े निपल्स भी उनसे एकदम ढंक गए, वीर्य से ढंके, मेरे दोनों जोबन एकदम दूध के कटोरे लग रहे थे जिस पर मोटी गाढ़ी मलाई की परत जमी हो,
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लेकिन मैं कमल जीजू को भूली नहीं थी।
हाथ और मुंह तो मझले जीजा के खूंटे का रस ले रहे थे, लेकिन पैर तो खाली था न, तो बस पैर के अंगूठे से खोद खोद के मैंने उसे जगाया।
और जब जग गया तो दोनों तलुवों के बीच कसर मसर कसर मसर, फ़ीट मसाज, मेरे दोनों महावर लगे पैर, और उन पैरों की पायल की झंकार और बिछुओं की खनक ही मर्दों की नींद उड़ाने के लिए काफी थी लेकिन वो दोनों पैर जब जीजू लिंग मर्दन में लगे हो तो जीजू की क्या औकात, पागल न हो जाए।
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कमल जीजू भी पागल हो गए, कभी सिसकते कभी मुझसे रुकने के लिए बोलते
" स्साली, लगता है एक बार गांड मरवा के तेरा मन नहीं भरा, अबकी फाड़ना ही पडेगा "
" अरे जीजू, एक बार में किसका मन भरता है और वो भी अगर मेरी ऐसी छोटी स्साली हो तो फिर तो कतई नहीं, और फाड़ने की धमकी किसे देते हैं, ये स्साली डरने वाली नहीं है। फाड़ दीजिये, मेरी एक डाक्टर सहेली हैं, डाकटर गिल, बिना पैसे के सील देंगी और एकम नयी टाइट कसी कसी। अपनी बहन महतारी को भी भेज दीजियेगा, जिनके चिथड़े चिथड़े आप ने कर दिए, उनकी भी सिलवा दूंगी। "
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मैं कौन डरने वाली थी, पलट के बोली।
पता नहीं क्या होता है सब मर्दो में, माँ का नाम लो, जरा सा गरियाओ, बस सब का सोया थका भी फनफना के उठ खड़ा होता है, चाहे ये या मेरे दोनों जीजू ।
पता नहीं बचपन की फैंटेसी या कुछ और, लेकिन कुछ तो है, इस फोरम में भी सबसे ज्यादा डिमांड भी और इन्सेस्ट के मोहल्ले में जाइये तो हर दूसरी कहानी माँ के नाम
कमल जीजू का भी बौरा गया था, महतारी की गारी सुन के,
लेकिन मैं भी उन्ही की साली थी कौन घबड़ाने वाली, दोनों तलुओं के बीच दबा के कस कस के मसलने लगी और जोर से,
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इसलिए जैसे ही अजय जीजू अपनी मलाई निकाल के, मेरी चूँची चोद के हटे, कमल जीजू पहले से तैयार थे और उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींच लिया।
लेकिन मैं अबकी तैयार थी, इसलिए की अबकी बार अंदर तक कमल जीजू की मलाई मेरे पिछवाड़े बजबजा रही थी और मरद की मलाई से बढ़कर लुब्रिकेशन कोई नहीं होता।

तेरे वाले की तो बात की अलग है. अपनी साली तेरी बहेना को तो चुम के ही रिस्या दिया. झडा दिया. वो भी दो बार. पर कमल जीजू उसके विपरीत.मस्ती जीजू स्साली की
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कमल जीजू ने मुझे पकड़ कर दीवाल के सहारे खड़ा कर दिया, अब तक मैंने सुना था, खड़े खड़े चोद दूंगा, लेकिन खड़े खड़े पेलने की वो भी पिछवाड़े,
पर कमल जीजू तो कमल जीजू तो कमल जीजू थे, पिछवाड़े के मास्टर और मेरे, अपनी छोटी स्साली के पिछवाड़े के दीवाने, मैं दीवाल से चिपक के खड़ी और मुझसे चिपक के कमल जीजू और उनका बालिश्त भर का पगलाया खूंटा मेरे चूतड़ के बीच धक्का मारता,
हालत सिर्फ जीजू के खूंटे की नहीं खराब थी,
मेरी गोल सुरंग में भी बड़ी बड़ी चींटियां काट रही थी, सोच रही थी, अब जीजू का मूसल घुसा, अब घुसा,
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लेकिन, बस वो रगड़ रहा था, छेद खोज रहा था।
कमल जीजू वैसे बहुत ज्यादा फोरप्ले के कायल नहीं हैं, सीधे पेलने में और सीधे से नहीं तो जबरदस्ती वाले हैं।
पर कल रीनू के जीजू और मेरे मरद ने जिस तरह खिला खिला के रीनू को पागल कर दिया, उनके घुसड़ने के पहले ही उनकी स्साली दो बार झड़ गयी, वो देख के, या फिर जो मैंने उनके मोटे मूसल को अपने तलुवों से रगड़ रगड़ कर तंग कर रही थी वो भी,
उनका पहला चुम्मा मेरे कंधे पे, फिर गले पर पीछे से और उनके होंठ कभी चूमते कभी चाटते, नीचे की ओर, दायां हाथ उनका कस कस के मेरे चूतड़ दबा रहा था, मसल रहा था, मुझे पागल कर रहा था और बायां हाथ मेरे चेहरे को सहला रहा था,
फिर उसी बाएं हाथ की दो उँगलियाँ मेरे मुंह में होंठों के बीच।
मैं समझ गयी और मौका क्यों छोड़ती, जैसे थोड़ी देर पहले मैं अपने जीजू का मोटा लंड चूस रही थी, उसी तरह अब एक बार उनकी दोनों उँगलियाँ खूब थूक, लार लगा के। धीरे धीरे जीजू ने भी वो दोनों उँगलियाँ जड़ तक अंदर कर दी , टिपिकल कमल जीजू मुंह में हो या पिछवाड़े या बुर में वह पहला मौक़ा पाते ही जड़ तक ठेल देते थे, चुम्मा चाटी बाद में।
कमल जीजू ने मुझे कस के दीवाल से चिपका के दबा रखा था।
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मेरी दोनों चूँचियाँ एकदम दीवाल में दबी मसली, पिसी, जा और पीछे से रगड़ती मसलती कमल जीजू की देह अपनी पूरी ताकत से, मैं कस कस के कमल जीजू की दोनों मेरे मुंह में घुसी उँगलियों को चूस रही थी। अचानक मेरे मुंह से निकाल के जबतक मैं समझूं, सम्ह्लूं, दोनों मेरे थूक से गीली उंगलिया, मेरे पिछवाड़े,
गच्चाक,
सट्ट से उन्होंने ऊँगली घुसाई मेरी गांड में और फिर कलाई के जोर से धीरे धीरे जड़ तक अंदर, कभी गोल गोल घुमाते, कभी कैंची की फाल की तरह फैला देते और मेरी गोल कसी संकरी सुरंग फ़ैल जाती,
" ओह्ह जीजू, क्या कर रहे हो " थोड़ा चीखते, थोड़ा सिसकते मैं बोली
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अब उन्होंने दोनों अपनी उँगलियों को चम्मच की तरह मोड़ लिया और मेरी पिछवाड़े की सुरंग की दीवालों को पूरी तरह करोचते बोले,
" स्साली, तेरी ऐसी मस्त मस्त माल साली के साथ जो हर जीजू को करना चाहिए "
" तो वो करिये न " मैंने उनके खड़े खूंटे पे अपने मोटे मोटे चूतड़ों को रगड़ते हुए अपना मन जाहिर किया।
" जो चाहिए वो बोल न, तब मिलेगा "
जीजू आज मुझे तंग करने पे तुले थे, लेकिन कमल जीजू की संगत में मैं अभी अब एकदम बेशर्म पीछे हाथ कर के मैंने उनका खूंटा पकड़ लिया और बोली
" जिज्जू, आपकी स्साली को ये चाहिए "
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" ये क्या, कहाँ, साफ़ साफ़ बोल स्साली " कमल जीजू, खूब गरमाये हुए, आज मस्ती के मूड में थे।
अबकी दूसरी ओर की पिछवाड़े की अंदर की दीवार उनकी मुड़ी हुयी उँगलियाँ करोच रही थीं। पर जब तक मैं कुछ बोलती, वो दोनों उंगलिया मेरे नितम्बो के बीच की दरार से निकल कर, मेरे मुंह में। बिना कुछ सोचे समझे मैं एक बार फिर कस कस के उन्हें चूस रही थी।
उन उँगलियों का असर ये हुआ था की मेरे पिछवाड़े की दरार अब हलके गोल छेद में बदल गयी थी , दोनों तीन बार वो उँगलियाँ मुंह से पिछवाड़े और फिर वापस,
लेकिन जिस स्साली को कमल जीजू का कलाई से भी मोटा खूंटा पसंद आ जाये उसका ऊँगली से क्या काम चलेगा,
पर खड़े, खड़े मेरा छेद एकदम टाइट था, और मेरे बिना किये कुछ होने वाला नहीं था।
मैंने कस के अपने दोनों हाथों से अपने नितम्बो को पकड़ के पूरी ताकत से चियारा,
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जीजू ने एक हाथ से अपना मूसल पकड़ के सटाया, कुछ धक्का उन्होंने मारा, कुछ मैंने और सुपाड़ा फंस गया। लेकिन अभी भी पूरी तरह घुस नहीं पा रहा था, स्साला मुस्टंडा था ही इतना मोटा। एकदम मेरी मुट्ठी की तरह।
लेकिन जीजू पिछवाड़े के उस्ताद और मेरी मम्मी ने जो बचपन में मुझे जिम्नास्टिक और योग की क्लास में दाखिला दिलवाया था और मैं आके शिकायत करती थी की कितना ज्यादा टाँगे फैलवाते हैं तो वो चिढ़ा के गाल पे चिकोटी काट के बोलतीं, जवान होगी तो इसका फायदा समझ में आएगा,
तो बस जीजू ने मेरी एक टांग उठा के दीवाल के सहारे, खूब फैला के, मैंने भी उनका साथ दिया
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और अब जो उन्होंने करारा धक्का मारा, वो मोटू मुस्टंडा मेरे पिछवाड़े के अंदर, जैसे बरमे या आगर से गोल गोल घुमा के लकड़ी में छेद कर देते हैं न बिलकुल उसी तरह से
कमल जीजू ने और जब खैबर का दर्रा आया तो फिर उन्होंने कस के धक्का मारा,
" उययी जीजू जान गयी " मैं दर्द से चीखी।
" इत्ती जल्दी जान नहीं जायेगी तेरी अभी तो तुझे अपने इस जीजू से बहुत गांड मरवानी है "
हँसते हुए वो बोले और दूसरा धक्का पहले से भी तेज था। आधा मूसल अंदर।
लेकिन थोड़ी देर में मेरी फैली हुयी टांग में दर्द होने लगा तो उन्होंने छोड़ दिया पर तबतक आलमोस्ट पूरा अंदर, इतना अच्छा लग रहा था बता नहीं सकती।
मुझसे एकदम चिपके, मेरे अंदर घुसे मेरे जीजू और मैं पिछवाड़े उन्हें महसूस कर रही थी। गोल दरवाजा अच्छी तरह फैला था सुरंग फटी पड़ रही थी, लेकिन इतना अच्छा लग रहा था। वो धक्के नहीं मार रहे थे, सिर्फ मुझे महसूस कर लेने दे रहे थे अपने मोटे मुस्टंडे को मेरी गांड के अंदर।
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प्रेम गली को तो मैं खूब कस के निचोड़ लेतीं थी आज मैंने पिछवाड़े की सुरंग को भी ट्राई किया, और मस्ती के मारे जीजू उछल गए
" निचोड़ स्साली निचोड़, तेरी माँ का भोंसड़ा, माँ की लौंड़ी ओह्ह और कस के "
मैंने ढीला कर दिया और फिर दुबारा पहले से भी ज्यादा ताकत से जीजू के लंड को अपनी गांड के छेद के अंदर निचोड़ने लगी और उनकी बात का जवाब देती बोली,
" एकदम सही बोल रहे हैं जीजू, मेरी माँ का भोंसड़ा नहीं होता तो आपकी ये स्साली निकलती किधर से "
और असली बात ये थी की ये सब ट्रिक मुझे मम्मी ने ही सिखाई थीं। लेकिन उस ट्रिक का खामियाजा मैं भुगत रही थी, जीजू जोश में आ गए और क्या धक्के मारने लगे, लेकिन तभी मुझे बगल की खिड़की नजर आयी और जीजू मुझे उधर देखते ही समझ गए।
बांस अंदर किये वो खिड़की के पास सरक लिए और मैं खिड़की पकड़ के थोड़ा सा, बस थोड़ा झुक गयी, डौगी पोज में नहीं, खड़े खड़े ही लेकिन बस हलके से खिड़की पकड़ के निहुरने का सहरा मिला गया।
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मैंने इस बात की जरा भी परवाह नहीं की खुली खिड़की से किचेन दिखता था जहाँ ये गुड्डी और रीनू थे, या वो सब मुझे देख सकते थे। मुझे तो सिर्फ पिछवाड़े घुसा मजा देता जीजू का मूसल याद आ रहा था।
जीजू एक बार झड़ चुके थे तो इतना जल्दी तो झड़ते नहीं और दूसरे जब तक तीन चार आसन बदल बदल के वो नहीं पेलते थे वो झड़ नहीं सकते थे ,
थोड़ी देर में मैं गद्दे पे पेट के बल लेटी थी और कमल जीजू हुमच हुमच के पीछे से, बस पेट के नीचे मेरी एक तकिया उन्होंने लगा दिया जिसे नितम्ब थोड़े उठे थे,
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पर मैं भी कम बदमाश नहीं, इशारे से मैंने अजय जीजू को बुलाया।
देख देख के उनका भी खड़ा हो गया था बस मैंने हाथ से पकड़ के सीधे अपने मुंह में और हलके हलके बस चूस रही थी, चुभला रही थी।
थोड़ी देर बाद जब कमल जीजू झड़े तो अजय का मूसल एकदम खड़ा स्साली की सेवा करने को।
अजय मेरी हालत समझ रहा था। जिस तरह से हचक हचक के खड़े खड़े कमल जीजू ने मेरे पिछवाड़े को कूटा था, न मैं निहुर सकती थी, न ज्यादा एक्टिव हो सकती थी और मैं भी उस की हालत समझ रही थी, जिस तरह से उसका खूंटा खड़ा था, मुझे अंदर तो उसे लेना ही था।
अजय ने एकदम टिपिकल पहली रात वाली पोज का इस्तेमाल किया, मरद ऊपर, औरत नीचे। औरत आराम आराम से लेटी, सिर्फ जाँघे फैला दे, टाँगे उठा के मरद के कंधो के सिंहासन पर रख दे, और बाकी काम मरद जाने। साथ में चुम्मा चाटी, चूँची रगड़ी जाने का पूरा मजा। धक्के भी कस के लगते हैं।
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तो बस उसी तरह, लेकिन कुछ देर में ही में दुहरी थी।
ये स्साले मर्दों को सबर कहाँ होता हैं और अगर जीजा का रिश्ता है तो फिर तो जो जो चीज कभी सपने में सोचे होंगे वो सब, पर मजा सालियों को कौन कम आता है, चाहे कोरी कुँवारी हों या लरकोर बियाहता। जीजा को देखते ही सालियों की दस साल उमर घट जाती है, तो मेरी भी थकान कम हो गयी। नीचे से मैं भी चूतड़ उठा उठा के और अजय को चिढ़ाने लगी,
" ये जोर जोर धक्का पहले अपनी महतारी के साथ सीखे या बहिनिया के साथ "
" तोहरी बहिनिया के साथ " अजय कौन चुप रहने वाला था लेकिन फिर जोड़ा,
" और अब अपनी एकलौती छोटी साली के साथ "
खुश हो मैंने नीचे से एक जबरदस्त धक्का मारा और जवाब में कचकचा के अजय ने मेरा गाल काट लिया। मैं चीख उठी। लेकिन बिना चीख के चुदाई अच्छी थोड़े ही लगती है, खास तौर से जीजू लोगों के साथ,
" जीजू गाल जिन काटो, दाग पड़ जाएगा "
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झूठ मूठ का गुस्सा करते मैं बोली। और अजय जीजू ने दूसरा गाल भी कस के काट लिया और चिढ़ाया,
" ऐसे कचकचौवा गाल हो साली के तो न काटने पे साली गुस्सा हो जाएगी, और चलो दूसरे गाल पर भी काट लिया, हिसाब बराबर "
मैंने अपने ढंग से जवाब दिया। मेरे नाख़ून अजय जीजू के कंधे पर धंस गए और सीना उठा के मैंने अपने भारी भारी जोबन, अजय जीजू की छाती पे रगड़ने लगी, चूत मैंने कस के अजय जीजू के लम्बे बांस पे निचोड़ ली।
" निचोड़ स्साली, और कस के निचोड़ "
अजय अब अपनी उँगलियों से मेरी क्लिट को रगड़ रहे थे, मूसल जड़ तक घुसा था और बेस बुर पे रगड़ रहा था।
जीजू की बात टालूँ, मैं उन सालियों में नहीं थीं, तो मेरी चंद्रमुखी, कभी हलके से छोड़ती फिर दुगुने जोश से अजय के खूंटे को निचोड़ लेटी। जीजू के चेहरे की ख़ुशी, मस्ती मजा देखते ही मेरा जोश और दूना हो रहा था।
कुछ देर बात जब अजय का नंबर आया,
बोला तो था उसका मूसल बांस था एकदम, खूब लम्बा और कड़ा। इसलिए हर धक्का सीधे बच्चेदानी पे पड़ता था, और अजय ने कस कस के दस धक्के सीधे मेरी बच्चेदानी पे, पांचवें छठवें के बाद ही मैं कांपने लगी, चेहरे पे पसीना आ गया। फुद्दी की फांके फूल रही थीं, सिकुड़ रही थीं, मैं झड़ रही थी बारबार।
अजय का भी दूसरी बार था इसलिए उसे भी टाइम तो लेना ही था। मैं झड़ के थेथर हो गयी, तो भी वो नहीं रुका और पेलता रहा धकेलता रहा।
और साथ में दोनों जोबन की मसलाई, चुदाई जल्दी ही फिर पूरे जोश में और मैं दुबारा, अजय भी किनारे पर पहुँचने ही वाला था। लेकिन अबकी जैसे उसने बांस बाहर निकाला,
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रीनू की आवाज आयी, " खाना तैयार है, खिलाड़ियों बाहर आओ "
और मैंने अजय जीजू का मूसल हाथ में ले लिया और पकड़ के सीधे मुंह में, मैं पूरी ताकत से चूस रही थी, साथ में हाथ से मुठिया रही थी। अब मेरी मुनिया में और धक्के सहने की ताकत नहीं थी लेकिन जीजू का भी तो,...
अजय ने थोड़ी देर में रबड़ी मलाई छोड़नी शुरू की, वो बाहर निकालना चाहता था लेकिन मैंने इशारे से मना कर दिया और कटोरी भर माल मुंह में, दो चार बूँद रिस कर ठुड्डी पर आ गया लेकिन मैंने एक बूँद भी घोंटा नहीं।
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गाल मेरे दोनों फूले फूले।
और उन मुस्टंडो ने मुझे कपडे पहनने से भी, सिर्फ के साडी और बाहर रीनू भी खट खट कर रही थी, तो बस साडी लपेट के मैं निकली, किसी तरह। खड़ा नहीं हुआ जा रहा था , दोनों लड़कों ने पकड़ के खड़ा किया , पिछवाड़े तो अभी भी लग रहा था लकड़ी का किसी ने खूंटा थोक रखा हो
लेकिन बाहर निकल टेबल सेट करती हुयी गुड्डी को मैंने देखा तो उसकी हालत तो मुझसे भी खराब थी, रुक रुक के खड़ी हो जाती थी। रोकने पर भी सिसकी निकल जाती थी जैसे जोर की चिल्ख उठ रही हो, उसकी ये हाल उसके भैया और रीनू ने मिल के की थी।
क्या किया गुड्डी के भैया ने गुड्डी के साथ, अगले भाग में। बस इतना बता सकती हूँ की जितना मेरे दोनों जीजू ने मिल के मेरी रगड़ाई की उससे बहुत ज्यादा, मेरे मरद ने मेरी ननद की रगड़ाई की। जैसा मैं चाहती थी उससे भी बहुत ज्यादा।
इसलिए तो मैं कहती हूँ, मेरा मरद, मेरा मरद है। सारी दुनिया एक तरफ, मेरा मरद अकेले,

नहीं, लेकिन ये फैसला रीनू का था की उन्हें गोल दरवाजे का रसिया बना दिया जाएकाफी दूरंदेशी है रीनू भी,,,
क्या आपने रीनू को बता दिया था कि बंगाली रोसोगुल्ला भूखी प्यासी बैठी है...
Bahut badhiya and hot update. Ab sirf sex nhi, baaten bhi ho rhi hai us doranऑपरेशन गोल दरवाजा
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तो रीनू का आपरेशन ' गोल दरवाजा' शुरू हो गया था जिसके दो टारगेट थे, एक तो ये, उसके जीजू , उन्हें पक्का पिछवाड़े का रसिया बनाना, ....और दूसरे गुड्डी, जिसके गोल दरवाजे में सुबह सुबह ही एक मोटा बट्ट प्लग रीनू ने ठेल दिया था, जिससे गुड्डी की गांड को आदत पड़ जाए।
और अब वो गुड्डी के भैया को गुड्डी के पिछवाड़े चढ़ने के लिए उकसा रही थी। अभय दान तो रीनू ने खाली कल रात के लिए दिया था अब नई सुबह नए काम,
फिर रीनू अलग हट कर गुड्डी को सुनाते चिढ़ाते बोली ,
" जीजू मेरी ननदिया ने इत्ती बढ़िया , अपनी ,...आपको अभी , सुबह सुबह ,... तो आपको भी तो मेरी सेक्सी टीनेजर ननद के लिए कुछ करना चाहिए न , बेचारी की कसी कसी गांड ही मार लीजिये , सुबह से खुजली मच रही है , इसके पिछवाड़े ,... "
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जोरू का गुलाम तो आधे से ज्यादा मर्द होते हैं, बाकी होते हैं लेकिन मानते नहीं, कम से कम होने दोस्तों और मायके वालों के सामने। लेकिन साली के गुलाम तो सौ प्रतिशत होते हैं और ख़ुशी से होते हैं, और ये तो अपनी साली रीनू के गुलाम ही नहीं चमचे भी थे।
तो अब गुड्डी के पिछवाड़े के बचने का सवाल ही नहीं था,
और उनकी बहन गुड्डी कौन कम छिनार थी,
फिर जिसकी जिसकी गांड में कमल जीजू का मूसल घुस जाता है वो उसके पिछवाड़े हरदम चींटी काटती रहती है,
और ऊपर से इस आपरेशन गुड्डी का गोल दरवाजा में मैं भी शामिल थी, रीनू अपने जीजू के साथ और मैं अपनी ननदिया के साथ।
गुड्डी निहुरि हुयी, उसके ब्याविश लौंडा मार्का चूतड़, जिसे देख के जिन लौण्डेबाजो का इलाज नीम के पेड़ के बगल वाले, मर्दाना कमजोरी का शर्तिया इलाज करने वाले डाक्टर जैन भी नहीं कर पाते, उन का भी खूंटा गुड्डी के लौंडा छाप छोटे छोटे खूब टाइट चूतड़ देख के खड़ा हो जाता है। और अभी तो गुड्डी रानी अपने भैया को चूतड़ मटका के, उचका के उकसा भी रही थी, ललचा भी रही थी,
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और उसके भैया का खूंटा खड़ा, तन्नाया और उनकी साली ललकार रही थी,
" स्साली रंडी कुतिया बनी निहुरी है मार लो "
लेकिन मेरा यार भी आज बदमाशी पर तुला था।
उनका खूब मोटा फूला सुपाड़ा, अपनी बहन के पिछवाड़े के छेद पर बस वो रगड़ रहे थे, जब लगता अगले धक्के में अंदर घुसेगा बस छुला के हटा लेते, और गुड्डी सिसक उठती।
मेरे साथ भी तो वही करते थे, मेरे गुलाबो के साथ और मैं जैसे गरम तावे पे कोई दो बूँद पानी की डाल दे, उस तरह से छनक उठती थी, और यही हालत गुड्डी की भी हो रही थी। मैं तो उनकी भीं महतारी गरियाती थी, फिर धक्के ऐसे चालू होते थे लेकिन गुड्डी अभी नयी नयी थी, नहीं रहा गया तो बेचारी सिसकती बोली,
" भैया करो न "
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कुछ साली का असर और कुछ एक बार अपनी बहन और साली के पिछवाड़े का मजा ले लेने का असर, वो और चिढ़ाते हुए बोले,
" क्या डालूं मेरी दुलारी बहिनिया "
गुड्डी बेचारी सिसक रही थी लेकिन झिझक भी रही थी बोलने से, पर मैं उसकी भौजाई थी न उसकी हिम्मत बढ़ाने के लिए, समझाने के लिए
" अरे कस के गरिया के एकदम खुल के बोल, मैं जानती हूँ तेरे भैया की बदमाशी, ऐसे तड़पाते रहेंगे, " फुसफुसा के उसके कान में मैं बोली।
लेकिन रीनू जो अपने जीजू की ओर से थी, गुड्डी को गरियाते बोली,
" अबे स्साली रंडी, कुछ पूछ रहे हैं, बोल साफ़ साफ़, रंडी को रंडी की ही जुबान अच्छी लगाती है। "
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गुड्डी अब असली रूप में आ गयी, बोली, " अरे मेरे बहन चोद भइया, अपनी बहन की गांड मार अपने मोटे लंड से, पेल दे अपना मोटा लंड मेरी अपनी बहन की गांड में "
बस रीनू ने अपनी ननद के दोनों चूतड़ फैलाये, और रीनू के जीजू ने वो करारा धक्का मारा की एक बार में सुपाड़ा अंदर,
" उईईई, नहीं भैया, जान गयी, लग रहा है ओह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ रुक जा, ओह्ह्ह नहीं उफ्फ्फ "
दर्द से जो गुड्डी चीखी, बाहर सड़क तो उसकी चीख जरूर गयी होगी।
" ज़रा और जोर से चीख रंडी रानी, आस पास के मोहल्लों में भी खबर फ़ैल जायेगी, जबरदस्त माल है, कल से तेरी गांड के आशिकों की लाइन लगी रहेगी, "
रीनू एकदम असली भाभी की तरह गुड्डी ननदिया से बोली।
गुड्डी १६० + आई क्यू वाली थी, एक बार में ही सीख गयी थी, गांड मरवाने के लिए आइडियल पोज, निहुरी, सर एकदम नीचे सटा लेकिन चूतड़ खूब उठे और टाँगे फैली, जाँघे खुलीं, लेकिन थी उसकी बहुत कसी, वैसे भी अभी उम्र ही क्या थी, महीने भर पहले ही इंटर पास किया, और कल पहली बार पिछवाड़े का फीता कटा, और तीन तीन मूसल एक के बाद एक पिछवाड़े में चले, लेकिन रात भर में फिर जस की तस,
टाइट, चुहिया की चूत ऐसी, और मेरे मरद का ऐसा की सांड लजा जाये उसके सामने,
ये पूरी ताकत से ठेल रहे थे, पेल रहे थे, दोनों हाथों से कस के उन्होंने अपनी बहिनिया की कमर पकड़ रखी थी, एकदम धीरे धीरे सरक सरक कर, दरेरता, रगड़ता, अंदर घुस रहा था। गुड्डी को कल कमल जीजू ने सबसे पहले, और जिसकी कुँवारी बिन चुदी गांड कमल जीजू खोलें वो अंदर छिली न हो, चमड़ी अंदर की फटी न हो ये हो नहीं सकता और आज जब उसे रगड़ते गुड्डी के भैया का घुस रहा था गुड्डी जोर जोर से चिल्लाती,
" भैया लग रहा है, दर्द हो रहा है ओह्ह ओह्ह, भैया प्लीज "
" सच में दर्द हो रहा है, मेरी बहन को " धक्का रोकते हुए ये बोले,
" हाँ भैया बहुत, मिर्चे ऐसा छरछरा रहा है " सुबकते हुए वो टीनेजर बोली,
" तो निकाल लूँ क्या " अपनी बहन को चिढ़ाते छेड़ते ये मुस्करा के बोले।
अब गुड्डी अलफ़, मारे गुस्से के बोल नहीं निकल रहे थे उस टीनेजर के, बोली भी तो जहर, एकदम जैसे कोई ड्रैगन फुफकार रहा हो
" खबरदार जो निकलने के बारे में सोचा भी, मैंने निकालने के लिए कहा क्या, अगर अगली बार गलती से भी निकालने के लिए बोलै न तो जिंदगी भर राखी नहीं बांधूंगी, बिना पैसे के राखी बाँधने वाली दुनिया की अकेली बहन हूँ मैं और ऊपर से , "
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मैं और रीनू मुस्करा रहे थे, असली दर्द तो अभी बाकी था, गांड के छल्ले का और बहन की इस धमकी का तो किसी भाई के पास जवाब नहीं तो कमर पकड़ के इन्होने कस के ठेल दिया और गांड का छल्ला पार, दर्द से गुड्डी की हालत खराब थी, चेहरा एकदम टेन्स, आँखों में आंसू डबडबा रहे थे, दांतों से होंठ को काट के दर्द को रोकने की कोशिश कर रही थी, दोनों हाथों से चद्दर को कस के दबोचे थी, और बहुत रोकने के बाद भी चीख निकल गयी,
उईईई, उईईई ओह्ह्ह, नहीं उईईई
और एक कतरा शबनम का गुड्डी के दीये ऐसी बड़ी बड़ी आँखों से टपक के गालों पे, गुलाब ऐसे मुलायम ननद के गाल पर से उसके खारे आंसू चाटने का मजा ही और है और मैंने वो आंसू चाट लिया और कचकचा के अपनी ननद का गाल काट लिया, एकदम मालपुआ
गौने की रात दुल्हन की झिल्ली फाड़ने का और किसी कमसिन के गांड फाड़ने का मजा सौ गुना हो जाता है जब वो तड़पे, पानी से निकली मछली की तरह फड़फड़ाये, हाथ पैर फेंके और फिर कस के दबोच के पूरी ताकत के साथ, ठेलने का, पेलने का, धकेलने का
और गुड्डी के भैया ने वही किया।
पेल दिया, ढकेल, ठेल दिया उस सुकुमारी कन्या की कोमल कोमल गांड में,
गुड्डी एक बार फिर जोर से चीखी, दर्द से तड़पी, हवा में उछली, लेकिन फिर,
Awesome super duper gazab updatesUpdates Posted, please read, enjoy, like and comment.
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जोरू का गुलाम भाग २२५
गोल दरवाजे का जादू
Komal Ji, guddi ke sath samose wale ke yahan kya hua or vibrator je jo anjaan thi.uska bhi btaiye kuchसमोसा जलेबी
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लेकिन बात चल गयी वही जो सब के किचेन में रोज चलता है सुबह सुबह ,... नाश्ते में क्या बनेगा
और गुड्डी ने खुद अपनी मुसीबत मोल ले ली ,
" भाभी मैं बताऊं , ... एकदम हम लोगों के घर के पास ही , बस थोड़ी दूर पर मोड़ पर ,... सुबह सुबह ,... ताज़ी जलेबी और समोसे बनते हैं , वो मंगवा ले , ... सारी झंझट खतम। "
दूकान तो मुझे भी मालूम थी ,जहाँ मंजू -गीता रहती थीं एकदम उन की गली के पास , लेकिन ज्यादातर लफंगे लौंडे , लोगों के घर में काम करने वाले नौकर , बाई लोग , ... हाँ जलेबी समोसा बनाता अच्छा था , मंजू एक दो बार लायी थी।
" तो जा के ला न तू , दूकान तो तूने देख ही रखी है , ... और घबड़ा मत पिछला छेद तो तेरा मैंने सील ही कर दिया है ,... चल आगे वाली भी बिल में ,... "
और जब तक गुड्डी समझे समझे , रीनू ने उसकी टांगों के बीच में बेन वा बॉल्स ,
लेकिन दो भाभी होने का फायदा भी तो है , मैंने कस के पहले उसकी टाँगे , फिर जाँघे ,... और मेरी बहन ने उसकी बिलिया फैला आकर ,
बेन वा बॉल्स ,... तीन बॉल्स थी , ... सबसे छोटी का डायमीटर एक डेढ़ इंच और सबसे बड़ी का ढाई इंच ,... ठूंस कर तीनो बॉल्स मेरी किशोर ननदिया के बिल के अंदर , और उसका धागा , जो रोप वाली थांग थी , उसमें बाँध दी , जिसे निकलने का कोई खतरा नहीं था।
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रीनू ने ड्रेस कोड तय कर दिया था सिर्फ दो ड्रेस , ...लेकिन इस समय रोप थांग , एक्स्ट्रा परमिट कर दिया था ,
एक छोटी सी स्कर्ट और एक देह से चिपका पारभासी एकदम टॉप ,... ब्रा का सवाल ही नहीं था , उभार का कड़ापन , कटाव , और निप्स सब साफ़ झलक रहे थे , ...
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लेकिन गुड्डी रानी को अपनी मीठी भाभी की शरारत नहीं मालूम थी , बेन वा बॉल्स डिजिटल थे , रिमोट कंट्रोल्ड , ... और १५ /४ उसमें रीनू ने सेट कर दिया था मतलब १५ मिनट बाद वो एक्टिवेट हो जायेगी , और चार मिनट के लिए वाइब्रेट करेंगी , फिर चार मिनट के गैप के बाद दुबारा ,... चूत में आग लगाने के लिए काफी था ,
और कॉलर में भी गुड्डी और उसका मोबाइल नंबर , यानी जो उसके यार उसे मिलते उनके लिए मेसेज देने के लिए काफी था ,...
४० मिनट बाद वो लौटी
निप्स एकदम खड़े , और जो टॉप की हालत थी लग रहा था खूब कस के जोबन मर्दन हुआ है ,
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उसकी मीठी भाभी ने सबसे पहले यही पूछा कितनों ने ,..
गुड्डी मुस्काराती हुयी बिना बोले दोनों हाथों की सारी उँगलियाँ दिखा दी , दस।
मोबाइल उसका यही रह गया था , रीनू ने गुड्डी को थमा दिया ,... देख तेरे यारों के कितने मेसेज आये हैं , ...
सब वही समोसे के दूकान वाले पूरे १४ ,...
" अरे यार पहले झट से एक सेल्फी खींच , मस्त मस्त , ...भेज सबको ,... "
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और रीनू ने अच्छी भाभी की तरह गुड्डी की लिपस्टिक और फ्रेश कर दी , फिर जबरदस्त सेल्फी एक नहीं कई और उन चौदहों के पास ,...
" अरे यार , यारों की लिस्ट लम्बी होनी चाहिए और उसमें भी पूरा समाजवाद ,... क्या पता ,... " रीनू उसे चिढ़ा रही थी
" पर भाभी , उन सबों को मेरा नाम , नंबर कैसे ,... " गुड्डी व्हाट्सअप करते हुए सोच रही थी।
" अपनी सेल्फी देख न ,... " मैंने राज साफ़ किया , उस कॉलर में गुड्डी और उसका नंबर साफ़ ,साफ़
" और तेरा नाम ही नहीं काम भी नजर आ सकता है , चल दिखाती हूँ , " मैं बोली और होने मोबाइल के कॉलर वाले ऐप से
सबसे पहले रंडी , फिर स्लट , होर , चुदवासी , फक मी हार्ड , लव कॉक ,..बारी बारी से सब उस के कॉलर पर ,... रीनू ने उसे कॉलर के बाकी गुन भी बता दिए
असल में आइडिया रीनू का था लेकिन कुछ दिमाग मैंने भी लड़ाया था,
हम दोनों भौजाई ने उसको बोला था महीने भर में १०० यार चढ़ेंगे उसके ऊपर, और उसने मना भी नहीं किया, लेकिन सौ यार होने भी तो चाहिए।
अब तक तो सिर्फ तीन ने चढ़ाई की थी, इन्होने, उसके बचपन के यार, उसके भैया ने और मेरे दोनों जीजू ने। हाँ कोचिंग में भी आठ दस थे उसके ऊपर लाइन मारने वाले और अगले हफ्ते जब पार्टी होगी तो सब के सब मेरी ननद के आगे पीछे सेंध लगाएंगे,
लेकिन रीनू का कहना था गली मोहल्ले वाले हों तो अच्छा,
दोनों जीजू तो दो दिन में चले जाएंगे, कोचिंग वाले लौंडे तो कभी कभार,
और जो उसका बचपन का यार है उसकी ड्यूटी लिस्ट बढ़ती जा रही थी, मैं और गुड्डी तो थे ही, जल्द ही मिसेज मोइत्रा की दोनों कबूतरियां और मिसेज मोइत्रा खुद भी, पर अपनी टाउनशिप में ज्यादातर शरीफजादे, पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाले,
और रीनू चाहती थी गुड्डी के ये यार एकदम रा, रफ और रस्टिक हों, बिना गाली के बात न करें, खड़े खड़े गली के मोड़ पे लैम्पपोस्ट के नीचे चोद दें,
और मुझे याद आया, जो जलेबी समोसे की दूकान है वहां तो सुबह सुबह इन सब लौंडो का जमावड़ा रहता है,
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वहीँ से वो गली मुड़ती है जिधर मंजू गीता रहती हैं और उसके पास ही स्लम टाइप, काम करने वालियां, और उसी तरह के लौंडे, कितनी बार मैंने देखा था।
गीता के भी तो कितने यार थे और ज्यादातर उसी इलाके के, हलवाई की दूकान के बारे में गुड्डी को मुझे , गीता ने ही बताया था।
और वो हलवाई भी कम रसिया नहीं था, चमचम और रसगुल्ला खिलाने के बहाने बुला के कितनी बार दूकान के अंदर बस चीनी के बोर पे लिटा के पेल देता था।
तो बस, इसी लिए रीनू ने गुड्डी रानी की बिल में बेन वा बॉल्स, जब उसका जादू शुरू होता,
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चूत में चींटिया काटतीं, तो कोई भी लड़की चुदवासी हो जाती, चूँचिया एकदम पथरा जाती, चेहरे पे देख के लगता स्साली लंड मांग रही है।
तो बस वैसे लौंडे, गुड्डी ऐसा गरम माल, और बुर के अंदर उस बॉल्स का कमाल, गुड़ होगा तो चींटे आएंगे ही फिर कॉलर में नंबर, नाम सबको दिखा रही है, कई ने देखा भी होगा की कहाँ रहती है
बस गुड्डी का फोन जो मेरे पास था, घनघनाना शुरू हो गया और मैं रीनू समझ गए तीर चल गया, आ रहे हैं भौरें नन्द रानी के,
सेल्फी गुड्डी के भेजने के बाद तो उन सबो ने समझ लिया मछली ने चारा खा लिया, और उन सब की पिक भीआ गयी और हॉट हॉट मेसेज भी
, और गुड्डी ने स्माइली किस वाली , लिप्स वाली इमोजी, उन सब के पास,
एक की पिक दिखा के गुड्डी बोली यही था
शाहिद, नाम था उसका जाली वाली बनियाइन, चौड़ा सीना, दो दिन की दाढ़ी, उम्र १९-२० से ऊपर की नहीं लगती।
दूकान पे भीड़ बहुत थी लेकिन गुड्डी को कौन रोक सकता था वो, धक्का देके लड़को के बीच,
और फिर लौंडो ने कस के जोबन रस लिया, लेकिन गुड्डी को फरक नहीं पड़ता था, पर इस ने ऊपर ऊपर से नहीं सीधे टॉप के अंदर हाथ डाल के कस के दबाया, और गुड्डी का हाथ पकड़ के अपने नेकर के ऊपर से,
" हे कैसा था, कितना लम्बा मोटा " मैंने नन्द को छेड़ा,
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" मेरे भैया लोगों जैसा तो नहीं था लेकिन १८ भी नहीं होगा, बस उन्नीस बीस " मुस्करा के वो बोली
" पटा पटा ले छोड़ना मत स्साले को , शक्ल से नंबरी चोदू लगता है और तू कह रही है औजार भी मस्त है " रीनू बोली।
" अच्छा चल यार तैयारी करते हैं नाश्ते की, वरना अभी तेरे भाई कम जीजू ज्यादा उठेंगे और भूख भूख चिल्लायेंगे। " मैं बोली
लेकिन तभी गुड्डी के फोन पे फिर टिंग हुयी एक नया व्हाट्सऐप मेसेज, गुड्डी ने देखते ही पहचान लिया, " वही समोसे की दूकान वाला"
" कैसे लगे समोसे" मेसेज था । डबल मीनिंग बातों के लिए अब गुड्डी को सोचना नहीं पड़ता था, उसने तुरंत जवाब ठोंक दिया,
" मेरे वाले ज्यादा मस्त हैं " और कुछ रुक के फिर जोड़ा " और मेरी जलेबी भी ज्यादा रसीली है, टप टप रस टपकता है "
तुरंत उधर से जवाब आया, " यार एक बार चखा दे न अपनी जलेबी भी "
" ऐसे ही, कुछ भी, मेरी जलेबी फ्री की है क्या ?" और गुस्से वाली इमोजी के साथ गुड्डी ने जवाब तुरंत दिया,
" अरे छमिया तेरी जलेबी के बदले में तो मैं अपनी दूकान लिख दूँ पूरी " उधर से जवाब आया,
गुड्डी ने कुछ जवाब नहीं दिया तो दुबारा मेसेज आया
" बस एक बार जलेबी अपनी " और रीनू ने गुड्डी को चढ़ाया, जवाब भेज, गुड्डी ने जीभ निकाल के चिढ़ाने वाली इमोजी भेज दी और लिख दिया
" लालची, लगा रह लगा रह क्या पता, लेकिन अब और मेसेज मत करना, और आउंगी कल सुबह इसी समय समोसे जलेबी लेने " और फोन बंद कर दिया।
गुड्डी मेरे साथ किचेन में लग गयी , फिर रीनू के साथ एक बार फिर से दोनों ने मिलकर लिविंग रूम ठीक किया।