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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

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. कमल जीजू -लैपटॉप
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लेकिन अब कमल जीजू से रहा नहीं गया, वो वहीँ गद्दे पर बैठ गए, और जैसे ही मैंने अजय जीजू का मुंह से बाहर निकाला, खींच के मुझे गोद में



"नहीं जीजू ऐसे नहीं घुस पायेगा,"


मैं उनका इरादा समझ के चिल्लाई।

" अरे कल की लौंडिया, गुड्डी,अभी कल शाम को उसकी गाँड़ फटी, वो घोंट रही थी तो तेरा नखड़ा नहीं चलेगा, मुझे आता है घोटाना "



जब कोई मरद किसी की गाँड़ मारने के लिए बेचैन हो तो न वो कुछ सुनता है न समझता है , और अगर वो आदमी कमल जीजू ऐसा हो जो गोल दरवाजे के रसिया और पिछवाड़ा उनकी छोटी स्साली का हो, तो फिर बातचीत एकदम बेकार।

अब उन्हें कौन समझाए गुड्डी की दो भाभियाँ पूरी ताकत से उसे बांस के ऊपर पुश कर रही थीं। रीनू अपनी पूरी ताकत से गुड्डी के कंधे दबा रही थी और मैंने अपने हाथ से गुड्डी के गुदा द्वार को फैला के अपने जीजू के लंड को सेट किया था,

कमल जीजू ने मेरे गुदा द्वार को फैला के अपने लंड को, अपनी साली के पिछवाड़े सेट कर दिया।

आग लग गयी, एक बार टच होते ही, मेरे तन बदन में बस यही एक बात ये अंदर जाए, अंदर जाए, फटनी हो तो आज फट जाए लें जीजू की तो मैं ले के छोडूंगी,


कुछ मैंने पुश किया नीचे की ओर, कुछ जीजू ने कमर पकड़ के और नीचे से धक्का दे के, और आधा सुपाड़ा अंदर था।

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और अब कमल जीजू ने छिनरपन शुरू किया,

" हे स्साली अब आगे का तुम खुद घोंटो, "

मैं चूतड़ मटका रही थी, आगे पीछे गोल गोल लेकिन उनका सुपाड़ा इतना मोटा, कैसे अंदर जाय, और मैं गरियाने लगी,

" ये छिनरपन अपनी महतारी से सीखा है की बहिनिया से, घुसाओ ठीक से जीजू, अपनी गाँड़ की सारी ताकत अपनी महतारी के भोंसडे में निकाल के आये हो का की बहिनिया की गाँड़ में, जो धक्का नहीं लगा पा रहे हो "

बस कमल जीजू ने दो काम किये, मेरा मुंह बंद करवाया, अजय जीजू को इशारा किया, एक हाथ से कमल जीजू ने कस के मेरा गालदबोचा पूरी ताकत से

और चिरैया की तरह मैंने मुंह खोल दिया और अजय जीजू का बांस मेरे मुंह के अंदर ,
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अब ऊपर का मोर्चा छोटे जीजू के हाथ, दोनों सर पकड़ के क्या पेला उन्होंने दो धक्के में सीधे मेरे हलक तक, बोल क्या निकलते, खाली गों गों की आवाज निकल रही थी।

और दूसरा काम किया, मेरी दोनों चूँची पकड़ के कस के मसलते हुए गरियाया,

" और गरियाओ हमारी बहन महतारी, अरे परसों जाने के पहले तोहरी महतारी के भोंसडे से चाकर कर के जाऊंगा तेरी गाँड़, खुद गाँड़ फैला के बैठोगी मेरे और अजय के लंड पे, महतारी ने गाँड़ में लंड लेना नहीं सिखाया क्या ? "

और दोनों चूँची पकड़ के नीचे से क्या धक्का मारा कमल जीजू ने,... दो धक्के में गाँड़ का छल्ला पार।
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अगर मुंह में अजय का लंड नहीं होता तो मैं इतनी जोर से चिल्लाती की पूरे टाउनशिप में सुनाई पड़ता। पूरी देह दर्द में डूबी हुयी थी। और गलती मेरी ही थी, कमल जीजू के पास आने के पहले मैं कम से कम १०० ग्राम पीली सरसों का तेल अपने पिछवाड़े दस मिनट तक डाल के या के वाई जेली की एक ट्यूब पिचका के आती थी। मैं जानती थी गाँड़ बचेगी तो है नहीं और बचाना चाहती भी नहीं थी, लेकिन आज उस साली गुड्डी के चक्कर में कुछ भी तैयारी करना भूल गयी।

पल भर के लिए कमल जीजू रुके होंगे, और उन्होंने नीचे से चूतड़ उठा उठा के और दो चार मिनट में मैंने भी ऊपर से जोर लगा रही थी, आधा से ज्यादा करीब साढ़े चार पांच इंच अंदर घुस गया होगा तब तो रुके और फिर अजय जीजू ने मेरा मुंह चोदना शुरू किया।

एक नया जोश मेरे अंदर आ गया और मैं खुद ऊपर ऊपर नीचे कर के ऑलमोस्ट पूरा, और तब अजय जीजू ने अपना बांस बाहर निकाला

लेकिन कुछ देर बाद कमल जीजू ने पॉजिशन बदल दी,

अभी मेरी पीठ उनकी ओर थी लेकिन अब मैं उन्हें फेस कर के, लेकिन मानना पड़ेगा जीजू को, एक इंच भी खूंटा मेरी गाँड़ से बाहर नहीं निकल। पर मेरे मजे आ गए, मैं अब कस के कमल जीजू को पकडे थी अपनी दोनों चूँचिया उनके सीने पे रगड़ रही थी, उन्हें चूम रही थी, गरिया रही थी, और उनके मोटे लंड पर फिसल रही थी,

" बहिन महतारी की गाँड़ मारने में ज्यादा मजा आया था की स्साली की "और उन्हें चिढ़ा रही थी, उकसा रही थी।
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" यार जो मजा मेरी इस छोटी स्साली की गाँड़ में है वो दुनिया की किसी गाँड़ में नहीं, न लौंडे की न लौंडिया की " वो नीचे से धक्के लगाते बोले



चार धक्का मैं ऊपर से मारती तो चार वो नीचे से,

लेकिन जीजू के हाथ खाली थे तो मेरी गुलाबो की भी हालचाल ली जा रही थी, कभी ऊँगली अंदर, कभी क्लिट की रगड़ाई, मैं दो बार झड़ी और फिर जीजू ने मुझे नीचे लिटा दिया ।

मेरे चूतड़ के नीचे और तकिये लगा दिए, फिर क्या कोई धुनिया रुई धुनेगा, एकदम तूफानी सैकड़ों धक्के, मैं कभी दर्द से चीखती कभी मजे से जब कमल जीजू मेरे अंदर झड़े तो मैं तीसरी बार झड़ रही थी।



लेकिन अजय अपने इन्तजार में और उसके बोले बिना मैं समझ गयी रीनू के मरद को क्या चाहिए था।



टिट फक।
Dhaga khol diya kamal jiju ne komal sali ka
 

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टिट फक
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अजय जब से आया, नदीदो की तरह मेरे जोबन देख रहा था। जो हालत मेरे पिछवाड़े को देख के कमल जीजू की होती थी वही उभारों को देख के अजय जीजू की और मैंने दोनों को ललचाती थी, तड़पाती थी। जितना तड़पेंगे उतना ही हचक हचक के लेंगे और कौन रोज रोज जीजा साली की मुलाकात होती है, तो मैं तो मानती हूँ जब भी जीजा साली मिले कभी भी एक मिनट भी मौका न गंवाएं, सीधे मुद्दे पे,

कमल जीजू तो लेटे थे, मैंने अजय को भी धक्का देके उन्ही के बगल में गिरा दिया, और हाथ में दोनों जोबन अपने पकड़ के उभार के उकसाते बोली,

" क्यों जीजू चाहिए "
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" स्साली, अब ललचा मत " लिबराते अजय बोला।
" हिलना मत स्साले, वरना कमल जीजू स्टाइल में तेरी गांड पहले मारूंगी, चूँचिया बाद में दूंगी। " मैंने उन्हें हड़काया और उनके ऊपर, मेरे जोबन अजय के होंठों से बस एक इंच की दूरी पे और मैं बोली,

" स्साली के जोबन का रस चाहे मुंह से लो चूस चूस के, "
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और फिर अजय के हाथों में मैंने अपने दोनों उभार पकड़ा दिए और बोली,

" चाहे हाथ से ले लो, मसल रगड़ के "

और फिर हाथ जीजू के झटक के हटा दिए। और अब मैं उनकी देह पर उनके ऊपर रगड़ती, फिसलती, सरकती, मेरे कड़े कड़े जोबन, गोल गोल, रसीले उनके सीने को सहलाते, पेट पे और फिर सीधे, ज्यादा जागे, थोड़ा सोये, अंगड़ाई लेते लम्बे बांस पे, मेरे निपल्स बस उसे सहला रहे थे और मैंने अगली बात बोली,

" चाहे, " और बात पूरी की टुकुर टुकुर देखते कमल जीजू ने

" लंड से ले ले पेल, पेल के "
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"एकदम जीजू "

मैं हंस के बोली, क्या कोई स्साली थाईलैंड वाली बॉडी टू बॉडी मसाज करेगी और अजय जीजू का फनफना के खड़ा होगा। जीजू का लंड खड़ा हो तो कौन साली मौका छोड़ती है, और मैं तो कभी नहीं।

और मैंने अपने दोनों हाथों में अपने उभारो के पकड़ के उसमें अजय जीजू के, रीनू के मरद के खूंटे को दबोच लिया और लगी टिट फक करने

पहले हलके हलके, फिर थोड़ी जोर से कस कस के ,जिस तरह से मेरी चूत जीजू के लंड को दबोचती है बस एकदम उसी तरह से मेरी दोनों चूँचिया अजय के खूंटे को दबोचे, सावन से भादो दूबर,...

कभी दबाते रुक जाती तो कभी कसर मसर, कसर मसर जोर जोर से आगे पीछे,



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" हाँ ऐसे ही कर, ऐसे ही बहुत मजा आ रहा है स्साली " अजय जीजू बोल रहे थे।

जीजा हो और साली बदमाशी न करे, मैंने अपने बड़े बड़े एक इंच के खड़े निपल को अजय के बौराये सुपाड़े के पेशाब के छेद में रगड़ के बोला

" जीजू किस चीज में मजा आ रहा है, जरा खुल के बोल न "
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" अरे स्साली तेरी मस्त मस्त चूँची चोदने में," अजय बोले।

" अरे जीजू चूँची वो भी स्साली की होती ही इसलिए, चाहे चूसो चाहे रगड़ो, चाहे हचक के चोदो"
" एकदम स्साली और वो भी तेरी चूँची, रात भर चोद के भी थका लंड तेरी चूँची के बारे में सोच के खड़ा हो जाता है "

मुस्कराते हुए वो बोले लेकिन अब कमान उन्होंने अपने हाथ में ले ली, मैं नीचे लेटी वो ऊपर और अब वो टिट फक कर रहे थे।

खूंटा तो उनका बांस ऐसा था ही तो सुपाड़ा बाहर निकला मेरी बड़ी बड़ी चूँचियो से और मैं कभी जीभ निकाल के चाट लेतीं, कभी चूम लेतीं
और थोड़ी देर में मैंने चूसना भी शुरू कर दिया, मुस्टंडे का मुंह मेरे मुंह में और बाकी देह मेरी चूँचियों के बीच दबी रगड़ी जा रही थी
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बहुत ताकत थी अजय की देह में दस बारह मिनट पूरी ताकत से मेरी चूँची चोदने के बाद ही वो झड़ा और सारी मलाई मेरी दोनों चूँचियों पे ।

लेकिन अजय जीजू का मन एक कटोरी मलाई मेरी दोनों चूँचियों पर बरसा के नहीं भरा, और अपनी पिचकारी को जो उन्होंने हाथ में लेके पुचकारा, दबाया तो दो बार फचर फचर कर के ढेर सारी रबड़ी मलाई फिर और वो मेरे दोनों निपल्स पे, मेरे बड़े बड़े निपल्स भी उनसे एकदम ढंक गए, वीर्य से ढंके, मेरे दोनों जोबन एकदम दूध के कटोरे लग रहे थे जिस पर मोटी गाढ़ी मलाई की परत जमी हो,


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लेकिन मैं कमल जीजू को भूली नहीं थी।

हाथ और मुंह तो मझले जीजा के खूंटे का रस ले रहे थे, लेकिन पैर तो खाली था न, तो बस पैर के अंगूठे से खोद खोद के मैंने उसे जगाया।

और जब जग गया तो दोनों तलुवों के बीच कसर मसर कसर मसर, फ़ीट मसाज, मेरे दोनों महावर लगे पैर, और उन पैरों की पायल की झंकार और बिछुओं की खनक ही मर्दों की नींद उड़ाने के लिए काफी थी लेकिन वो दोनों पैर जब जीजू लिंग मर्दन में लगे हो तो जीजू की क्या औकात, पागल न हो जाए।

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कमल जीजू भी पागल हो गए, कभी सिसकते कभी मुझसे रुकने के लिए बोलते

" स्साली, लगता है एक बार गांड मरवा के तेरा मन नहीं भरा, अबकी फाड़ना ही पडेगा "



" अरे जीजू, एक बार में किसका मन भरता है और वो भी अगर मेरी ऐसी छोटी स्साली हो तो फिर तो कतई नहीं, और फाड़ने की धमकी किसे देते हैं, ये स्साली डरने वाली नहीं है। फाड़ दीजिये, मेरी एक डाक्टर सहेली हैं, डाकटर गिल, बिना पैसे के सील देंगी और एकम नयी टाइट कसी कसी। अपनी बहन महतारी को भी भेज दीजियेगा, जिनके चिथड़े चिथड़े आप ने कर दिए, उनकी भी सिलवा दूंगी। "
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मैं कौन डरने वाली थी, पलट के बोली।



पता नहीं क्या होता है सब मर्दो में, माँ का नाम लो, जरा सा गरियाओ, बस सब का सोया थका भी फनफना के उठ खड़ा होता है, चाहे ये या मेरे दोनों जीजू ।

पता नहीं बचपन की फैंटेसी या कुछ और, लेकिन कुछ तो है, इस फोरम में भी सबसे ज्यादा डिमांड भी और इन्सेस्ट के मोहल्ले में जाइये तो हर दूसरी कहानी माँ के नाम

कमल जीजू का भी बौरा गया था, महतारी की गारी सुन के,


लेकिन मैं भी उन्ही की साली थी कौन घबड़ाने वाली, दोनों तलुओं के बीच दबा के कस कस के मसलने लगी और जोर से,

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इसलिए जैसे ही अजय जीजू अपनी मलाई निकाल के, मेरी चूँची चोद के हटे, कमल जीजू पहले से तैयार थे और उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींच लिया।



लेकिन मैं अबकी तैयार थी, इसलिए की अबकी बार अंदर तक कमल जीजू की मलाई मेरे पिछवाड़े बजबजा रही थी और मरद की मलाई से बढ़कर लुब्रिकेशन कोई नहीं होता।
Bhala ho ajay jiju ka, sirf uper kam chala liya, varna komal sali ko bilkul rest nhi milta
 

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मस्ती जीजू स्साली की
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कमल जीजू ने मुझे पकड़ कर दीवाल के सहारे खड़ा कर दिया, अब तक मैंने सुना था, खड़े खड़े चोद दूंगा, लेकिन खड़े खड़े पेलने की वो भी पिछवाड़े,

पर कमल जीजू तो कमल जीजू तो कमल जीजू थे, पिछवाड़े के मास्टर और मेरे, अपनी छोटी स्साली के पिछवाड़े के दीवाने, मैं दीवाल से चिपक के खड़ी और मुझसे चिपक के कमल जीजू और उनका बालिश्त भर का पगलाया खूंटा मेरे चूतड़ के बीच धक्का मारता,


हालत सिर्फ जीजू के खूंटे की नहीं खराब थी,

मेरी गोल सुरंग में भी बड़ी बड़ी चींटियां काट रही थी, सोच रही थी, अब जीजू का मूसल घुसा, अब घुसा,
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लेकिन, बस वो रगड़ रहा था, छेद खोज रहा था।

कमल जीजू वैसे बहुत ज्यादा फोरप्ले के कायल नहीं हैं, सीधे पेलने में और सीधे से नहीं तो जबरदस्ती वाले हैं।

पर कल रीनू के जीजू और मेरे मरद ने जिस तरह खिला खिला के रीनू को पागल कर दिया, उनके घुसड़ने के पहले ही उनकी स्साली दो बार झड़ गयी, वो देख के, या फिर जो मैंने उनके मोटे मूसल को अपने तलुवों से रगड़ रगड़ कर तंग कर रही थी वो भी,

उनका पहला चुम्मा मेरे कंधे पे, फिर गले पर पीछे से और उनके होंठ कभी चूमते कभी चाटते, नीचे की ओर, दायां हाथ उनका कस कस के मेरे चूतड़ दबा रहा था, मसल रहा था, मुझे पागल कर रहा था और बायां हाथ मेरे चेहरे को सहला रहा था,

फिर उसी बाएं हाथ की दो उँगलियाँ मेरे मुंह में होंठों के बीच।

मैं समझ गयी और मौका क्यों छोड़ती, जैसे थोड़ी देर पहले मैं अपने जीजू का मोटा लंड चूस रही थी, उसी तरह अब एक बार उनकी दोनों उँगलियाँ खूब थूक, लार लगा के। धीरे धीरे जीजू ने भी वो दोनों उँगलियाँ जड़ तक अंदर कर दी , टिपिकल कमल जीजू मुंह में हो या पिछवाड़े या बुर में वह पहला मौक़ा पाते ही जड़ तक ठेल देते थे, चुम्मा चाटी बाद में।


कमल जीजू ने मुझे कस के दीवाल से चिपका के दबा रखा था।
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मेरी दोनों चूँचियाँ एकदम दीवाल में दबी मसली, पिसी, जा और पीछे से रगड़ती मसलती कमल जीजू की देह अपनी पूरी ताकत से, मैं कस कस के कमल जीजू की दोनों मेरे मुंह में घुसी उँगलियों को चूस रही थी। अचानक मेरे मुंह से निकाल के जबतक मैं समझूं, सम्ह्लूं, दोनों मेरे थूक से गीली उंगलिया, मेरे पिछवाड़े,

गच्चाक,

सट्ट से उन्होंने ऊँगली घुसाई मेरी गांड में और फिर कलाई के जोर से धीरे धीरे जड़ तक अंदर, कभी गोल गोल घुमाते, कभी कैंची की फाल की तरह फैला देते और मेरी गोल कसी संकरी सुरंग फ़ैल जाती,

" ओह्ह जीजू, क्या कर रहे हो " थोड़ा चीखते, थोड़ा सिसकते मैं बोली

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अब उन्होंने दोनों अपनी उँगलियों को चम्मच की तरह मोड़ लिया और मेरी पिछवाड़े की सुरंग की दीवालों को पूरी तरह करोचते बोले,

" स्साली, तेरी ऐसी मस्त मस्त माल साली के साथ जो हर जीजू को करना चाहिए "

" तो वो करिये न " मैंने उनके खड़े खूंटे पे अपने मोटे मोटे चूतड़ों को रगड़ते हुए अपना मन जाहिर किया।

" जो चाहिए वो बोल न, तब मिलेगा "

जीजू आज मुझे तंग करने पे तुले थे, लेकिन कमल जीजू की संगत में मैं अभी अब एकदम बेशर्म पीछे हाथ कर के मैंने उनका खूंटा पकड़ लिया और बोली

" जिज्जू, आपकी स्साली को ये चाहिए "


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" ये क्या, कहाँ, साफ़ साफ़ बोल स्साली " कमल जीजू, खूब गरमाये हुए, आज मस्ती के मूड में थे।

अबकी दूसरी ओर की पिछवाड़े की अंदर की दीवार उनकी मुड़ी हुयी उँगलियाँ करोच रही थीं। पर जब तक मैं कुछ बोलती, वो दोनों उंगलिया मेरे नितम्बो के बीच की दरार से निकल कर, मेरे मुंह में। बिना कुछ सोचे समझे मैं एक बार फिर कस कस के उन्हें चूस रही थी।

उन उँगलियों का असर ये हुआ था की मेरे पिछवाड़े की दरार अब हलके गोल छेद में बदल गयी थी , दोनों तीन बार वो उँगलियाँ मुंह से पिछवाड़े और फिर वापस,

लेकिन जिस स्साली को कमल जीजू का कलाई से भी मोटा खूंटा पसंद आ जाये उसका ऊँगली से क्या काम चलेगा,

पर खड़े, खड़े मेरा छेद एकदम टाइट था, और मेरे बिना किये कुछ होने वाला नहीं था।

मैंने कस के अपने दोनों हाथों से अपने नितम्बो को पकड़ के पूरी ताकत से चियारा,


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जीजू ने एक हाथ से अपना मूसल पकड़ के सटाया, कुछ धक्का उन्होंने मारा, कुछ मैंने और सुपाड़ा फंस गया। लेकिन अभी भी पूरी तरह घुस नहीं पा रहा था, स्साला मुस्टंडा था ही इतना मोटा। एकदम मेरी मुट्ठी की तरह।



लेकिन जीजू पिछवाड़े के उस्ताद और मेरी मम्मी ने जो बचपन में मुझे जिम्नास्टिक और योग की क्लास में दाखिला दिलवाया था और मैं आके शिकायत करती थी की कितना ज्यादा टाँगे फैलवाते हैं तो वो चिढ़ा के गाल पे चिकोटी काट के बोलतीं, जवान होगी तो इसका फायदा समझ में आएगा,

तो बस जीजू ने मेरी एक टांग उठा के दीवाल के सहारे, खूब फैला के, मैंने भी उनका साथ दिया


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और अब जो उन्होंने करारा धक्का मारा, वो मोटू मुस्टंडा मेरे पिछवाड़े के अंदर, जैसे बरमे या आगर से गोल गोल घुमा के लकड़ी में छेद कर देते हैं न बिलकुल उसी तरह से



कमल जीजू ने और जब खैबर का दर्रा आया तो फिर उन्होंने कस के धक्का मारा,

" उययी जीजू जान गयी " मैं दर्द से चीखी।

" इत्ती जल्दी जान नहीं जायेगी तेरी अभी तो तुझे अपने इस जीजू से बहुत गांड मरवानी है "

हँसते हुए वो बोले और दूसरा धक्का पहले से भी तेज था। आधा मूसल अंदर।



लेकिन थोड़ी देर में मेरी फैली हुयी टांग में दर्द होने लगा तो उन्होंने छोड़ दिया पर तबतक आलमोस्ट पूरा अंदर, इतना अच्छा लग रहा था बता नहीं सकती।

मुझसे एकदम चिपके, मेरे अंदर घुसे मेरे जीजू और मैं पिछवाड़े उन्हें महसूस कर रही थी। गोल दरवाजा अच्छी तरह फैला था सुरंग फटी पड़ रही थी, लेकिन इतना अच्छा लग रहा था। वो धक्के नहीं मार रहे थे, सिर्फ मुझे महसूस कर लेने दे रहे थे अपने मोटे मुस्टंडे को मेरी गांड के अंदर।
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प्रेम गली को तो मैं खूब कस के निचोड़ लेतीं थी आज मैंने पिछवाड़े की सुरंग को भी ट्राई किया, और मस्ती के मारे जीजू उछल गए

" निचोड़ स्साली निचोड़, तेरी माँ का भोंसड़ा, माँ की लौंड़ी ओह्ह और कस के "

मैंने ढीला कर दिया और फिर दुबारा पहले से भी ज्यादा ताकत से जीजू के लंड को अपनी गांड के छेद के अंदर निचोड़ने लगी और उनकी बात का जवाब देती बोली,

" एकदम सही बोल रहे हैं जीजू, मेरी माँ का भोंसड़ा नहीं होता तो आपकी ये स्साली निकलती किधर से "

और असली बात ये थी की ये सब ट्रिक मुझे मम्मी ने ही सिखाई थीं। लेकिन उस ट्रिक का खामियाजा मैं भुगत रही थी, जीजू जोश में आ गए और क्या धक्के मारने लगे, लेकिन तभी मुझे बगल की खिड़की नजर आयी और जीजू मुझे उधर देखते ही समझ गए।

बांस अंदर किये वो खिड़की के पास सरक लिए और मैं खिड़की पकड़ के थोड़ा सा, बस थोड़ा झुक गयी, डौगी पोज में नहीं, खड़े खड़े ही लेकिन बस हलके से खिड़की पकड़ के निहुरने का सहरा मिला गया।


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मैंने इस बात की जरा भी परवाह नहीं की खुली खिड़की से किचेन दिखता था जहाँ ये गुड्डी और रीनू थे, या वो सब मुझे देख सकते थे। मुझे तो सिर्फ पिछवाड़े घुसा मजा देता जीजू का मूसल याद आ रहा था।


जीजू एक बार झड़ चुके थे तो इतना जल्दी तो झड़ते नहीं और दूसरे जब तक तीन चार आसन बदल बदल के वो नहीं पेलते थे वो झड़ नहीं सकते थे ,

थोड़ी देर में मैं गद्दे पे पेट के बल लेटी थी और कमल जीजू हुमच हुमच के पीछे से, बस पेट के नीचे मेरी एक तकिया उन्होंने लगा दिया जिसे नितम्ब थोड़े उठे थे,
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पर मैं भी कम बदमाश नहीं, इशारे से मैंने अजय जीजू को बुलाया।

देख देख के उनका भी खड़ा हो गया था बस मैंने हाथ से पकड़ के सीधे अपने मुंह में और हलके हलके बस चूस रही थी, चुभला रही थी।



थोड़ी देर बाद जब कमल जीजू झड़े तो अजय का मूसल एकदम खड़ा स्साली की सेवा करने को।

अजय मेरी हालत समझ रहा था। जिस तरह से हचक हचक के खड़े खड़े कमल जीजू ने मेरे पिछवाड़े को कूटा था, न मैं निहुर सकती थी, न ज्यादा एक्टिव हो सकती थी और मैं भी उस की हालत समझ रही थी, जिस तरह से उसका खूंटा खड़ा था, मुझे अंदर तो उसे लेना ही था।

अजय ने एकदम टिपिकल पहली रात वाली पोज का इस्तेमाल किया, मरद ऊपर, औरत नीचे। औरत आराम आराम से लेटी, सिर्फ जाँघे फैला दे, टाँगे उठा के मरद के कंधो के सिंहासन पर रख दे, और बाकी काम मरद जाने। साथ में चुम्मा चाटी, चूँची रगड़ी जाने का पूरा मजा। धक्के भी कस के लगते हैं।


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तो बस उसी तरह, लेकिन कुछ देर में ही में दुहरी थी।

ये स्साले मर्दों को सबर कहाँ होता हैं और अगर जीजा का रिश्ता है तो फिर तो जो जो चीज कभी सपने में सोचे होंगे वो सब, पर मजा सालियों को कौन कम आता है, चाहे कोरी कुँवारी हों या लरकोर बियाहता। जीजा को देखते ही सालियों की दस साल उमर घट जाती है, तो मेरी भी थकान कम हो गयी। नीचे से मैं भी चूतड़ उठा उठा के और अजय को चिढ़ाने लगी,

" ये जोर जोर धक्का पहले अपनी महतारी के साथ सीखे या बहिनिया के साथ "

" तोहरी बहिनिया के साथ " अजय कौन चुप रहने वाला था लेकिन फिर जोड़ा,

" और अब अपनी एकलौती छोटी साली के साथ "

खुश हो मैंने नीचे से एक जबरदस्त धक्का मारा और जवाब में कचकचा के अजय ने मेरा गाल काट लिया। मैं चीख उठी। लेकिन बिना चीख के चुदाई अच्छी थोड़े ही लगती है, खास तौर से जीजू लोगों के साथ,

" जीजू गाल जिन काटो, दाग पड़ जाएगा "

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झूठ मूठ का गुस्सा करते मैं बोली। और अजय जीजू ने दूसरा गाल भी कस के काट लिया और चिढ़ाया,

" ऐसे कचकचौवा गाल हो साली के तो न काटने पे साली गुस्सा हो जाएगी, और चलो दूसरे गाल पर भी काट लिया, हिसाब बराबर "

मैंने अपने ढंग से जवाब दिया। मेरे नाख़ून अजय जीजू के कंधे पर धंस गए और सीना उठा के मैंने अपने भारी भारी जोबन, अजय जीजू की छाती पे रगड़ने लगी, चूत मैंने कस के अजय जीजू के लम्बे बांस पे निचोड़ ली।

" निचोड़ स्साली, और कस के निचोड़ "

अजय अब अपनी उँगलियों से मेरी क्लिट को रगड़ रहे थे, मूसल जड़ तक घुसा था और बेस बुर पे रगड़ रहा था।



जीजू की बात टालूँ, मैं उन सालियों में नहीं थीं, तो मेरी चंद्रमुखी, कभी हलके से छोड़ती फिर दुगुने जोश से अजय के खूंटे को निचोड़ लेटी। जीजू के चेहरे की ख़ुशी, मस्ती मजा देखते ही मेरा जोश और दूना हो रहा था।

कुछ देर बात जब अजय का नंबर आया,

बोला तो था उसका मूसल बांस था एकदम, खूब लम्बा और कड़ा। इसलिए हर धक्का सीधे बच्चेदानी पे पड़ता था, और अजय ने कस कस के दस धक्के सीधे मेरी बच्चेदानी पे, पांचवें छठवें के बाद ही मैं कांपने लगी, चेहरे पे पसीना आ गया। फुद्दी की फांके फूल रही थीं, सिकुड़ रही थीं, मैं झड़ रही थी बारबार।



अजय का भी दूसरी बार था इसलिए उसे भी टाइम तो लेना ही था। मैं झड़ के थेथर हो गयी, तो भी वो नहीं रुका और पेलता रहा धकेलता रहा।

और साथ में दोनों जोबन की मसलाई, चुदाई जल्दी ही फिर पूरे जोश में और मैं दुबारा, अजय भी किनारे पर पहुँचने ही वाला था। लेकिन अबकी जैसे उसने बांस बाहर निकाला,
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रीनू की आवाज आयी, " खाना तैयार है, खिलाड़ियों बाहर आओ "

और मैंने अजय जीजू का मूसल हाथ में ले लिया और पकड़ के सीधे मुंह में, मैं पूरी ताकत से चूस रही थी, साथ में हाथ से मुठिया रही थी। अब मेरी मुनिया में और धक्के सहने की ताकत नहीं थी लेकिन जीजू का भी तो,...

अजय ने थोड़ी देर में रबड़ी मलाई छोड़नी शुरू की, वो बाहर निकालना चाहता था लेकिन मैंने इशारे से मना कर दिया और कटोरी भर माल मुंह में, दो चार बूँद रिस कर ठुड्डी पर आ गया लेकिन मैंने एक बूँद भी घोंटा नहीं।


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गाल मेरे दोनों फूले फूले।

और उन मुस्टंडो ने मुझे कपडे पहनने से भी, सिर्फ के साडी और बाहर रीनू भी खट खट कर रही थी, तो बस साडी लपेट के मैं निकली, किसी तरह। खड़ा नहीं हुआ जा रहा था , दोनों लड़कों ने पकड़ के खड़ा किया , पिछवाड़े तो अभी भी लग रहा था लकड़ी का किसी ने खूंटा थोक रखा हो

लेकिन बाहर निकल टेबल सेट करती हुयी गुड्डी को मैंने देखा तो उसकी हालत तो मुझसे भी खराब थी, रुक रुक के खड़ी हो जाती थी। रोकने पर भी सिसकी निकल जाती थी जैसे जोर की चिल्ख उठ रही हो, उसकी ये हाल उसके भैया और रीनू ने मिल के की थी।



क्या किया गुड्डी के भैया ने गुड्डी के साथ, अगले भाग में। बस इतना बता सकती हूँ की जितना मेरे दोनों जीजू ने मिल के मेरी रगड़ाई की उससे बहुत ज्यादा, मेरे मरद ने मेरी ननद की रगड़ाई की। जैसा मैं चाहती थी उससे भी बहुत ज्यादा।



इसलिए तो मैं कहती हूँ, मेरा मरद, मेरा मरद है। सारी दुनिया एक तरफ, मेरा मरद अकेले
,
Komal sali ki muniya ki itni durgati ho gui ki ab dhakke sehne ke layak nhi bachi. Abhi to poora din ot raat baki hai.


Or komal ji aaj rassali ki jagah Sali word use kiya kijiye jahan par wo sali shabd ke liye prayog me ho.
 

komaalrani

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अरे साली का मजा हीं कुछ और है..
वो भी जब उसका मरद पास में बैठा हो तो...

एकदम सही कहा आपने, ' जब मरद पास में बैठा हो'

साली को भी मालूम है की उसके मरद के मन में क्या हदस मच रही होगी, और उसे दिखा दिखा के ललचा के, अपने जीजू के साथ, इसलिए ब्याहता सालियों के साथ मजा कई बार कुँवारी सालियों से ज्यादा आता है।
 

komaalrani

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क्या कमाल की लाइन है..
जब भी पढ़ो टनटना जाता है...
इसलिए तो ऐसी लाइने लिखी जाती हैं
 

komaalrani

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कमल जीजू भी अपनी साली को तो रगड़ रगड़ के वो भी दीवार से..
लेकिन असली मजा तो गुड्डी के बजाय कोमल ले गई..
गुड्डी का मजा उसके भैया के साथ, जो बचपन का यार भी है, सबके अपने अपने यार हैं

और गुड्डी के मजे के किस्से बस अगले अपडेट में
 

komaalrani

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कोक शास्त्र ... with practical and expertise in all आसन...
कोमल जी की पाठशाला में रजिस्टर करवाएं...
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
 

komaalrani

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komaalrani

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वाह री कोमलिया ये तू खुद अपने जीजू से गांड मरवा रही थी या गुड्डी छिनार नांदिया को मरवाने के सारे गुन सीखा रही थी. माझा आ गया. जब कोमलिया रुक कर गोल गोल घूमी तो गुड्डी छिनार भी बिलकुल वैसे ही अपना पिछवादा कोमल के मरद अपने भैया के खुटे पर गोल गोल घूमने लगी.
कोमल उछालती तो गुड्डी छिनार नहीं. बस फर्क इतना की कोमलिया अपने जीजू के खुटे पर तो गुड्डी छिनार अपने भैया के खुटे पर.

साली नांदिया है तो पैदाइसी रंडी. PT बचपन से इसी लिए कर रही थी. की सारी एक्सरसाइज के आसान अपने भईया के खुटे पर कर सके.


पता नहीं इन मर्दो को अपनी महतारी का नाम सुनकर क्या हो जाता है. स्पीड बढ़ जाती है. और झटके तेज़ हो जाते है. कोमलिया ने अजय जीजू को उनकी माँ याद दिलाई तो गुड्डी छिनार भी अपनी बुआ मतलब उनकी महतारी याद दिला दी वाह.

लेकिन ये सच मे दिल गुद गुदाने वाला था. उनका भी मुँह खुला. और अपनी बहेनिया के जोबन की तारीफ की. माना उनके बचपन का माल है. लालचते थे देख कर. तो अब पेल दो ना. सब तो कोमलिया की देंन है. मगर उनके मुँह से सुन ने का माझा ही कुछ और है. वाह.


लगता हे कोमलिया अपने मरद के पीछवाड़े के छेद को भी नहीं बचने देने वाली. माझा अब आएगा. कोमालिया और कमल जीजू वाह...

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pick a number 1 to 3
अरे ननद को भाभी नहीं सिखाएगी तो कौन सिखाएगी, दूसरे फायदा तो मेरे सोना मोना का ही हो रहा था, मजा तो मेरे बाबू के खूंटे को आ रहा था और एक बात और, मैं भी रीनू की तरह चाहती थी की ये भी गोल छेद के रसिया हो जाएँ, जीजा तो चार दिन की चांदनी होते हैं असली सुख तो पति के ही साथ है।
 

komaalrani

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वाह माझा आ गया कोमलजी. वहा वो अपनी साली और बहन के साथ तो कोमलिया अपने दोनों जीजू के साथ लिविंग रूम मे. किचन से लिविंग रूम और लिविंग रूम से किचन साफ देखा जा सकता है. मतलब एक दूसरे के खेल को अच्छे से देख सकते है.

कोमल के तो सच मे मज़े है. छोटी साली होने का पूरा फायदा. एक साथ दो जीजू.

कमल जीजू तो थोड़े उतावले हो रहे है. साली इतनी सुन्दर है तो रुका कैसे जाए. मिलेगा मुन्ना तुम जैसे चाहते हो जितना चाहते हो वैसे मिलेगा.

वाओ साली की वार्निंग. बारी बारी नो सेंडविच. सही है. साथ खेलने को कुछ तो चाहिये.

साली ही क्या जो अपने जीजा की फरमाइसो का खयाल ना रखे.
कमल जीजू : रे साली आज तो तेरे हर छेद का भोसड़ा बना दूंगा.
कोमल : तो मना किसने किया है.

हर बार तो इन मर्दो को अपनी महतारी बड़ी याद आती आज तो कोमलिया की महतारी याद आई. जिसने कोमल को जना है. दोनों जीजू की मौसी सास. तो कोमलिया कोनसा मना कर रही है. वो तो कोमल से 4 हाथ आगे मिलेगी.


बारी बारी दोनों जीजू के खुटो से क्या खेला है. की बहेनिया रीनू की जल गई. बहन कितना भी जलो. साली छोटी तो फायदे मे ही रहेगी.

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एकदम सही बात है तीन बहनों में सबसे छोटी होने का फायदा, एक साथ दो दो जीजू,

दोनों बहने, बचपन से चिढ़ाती थीं, " यार पहले तेरे ऊपर चीनू का मरद चढ़ेगा, रगड़ेगा, फाड़ेगा, फिर रीनू का, तेरे वाले को तो अच्छा खासा इस्तेमाल किया हुआ, खूब चौड़ा पोखर मिलेगा "

कहानी के शुरू में इस का कई बार जिक्र आया है और वो भी जवाब देना सीख गयी, " फायदा भी तो है, रीनू को सिर्फ एक जीजू, सबसे बड़ी चीनू को एक भी नहीं और मुझे दो दो "

और चीनू की शादी बाद में हुयी सबसे छोटी वाली की सबसे पहली, तो उसके सोना मोना को कच्ची कोरी, नयी नवेली ही मिली, हाँ शादी के बाद की बात और है।
 
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