Random2022
Active Member
- 546
- 1,304
- 123
Dhaga khol diya kamal jiju ne komal sali ka. कमल जीजू -लैपटॉप
लेकिन अब कमल जीजू से रहा नहीं गया, वो वहीँ गद्दे पर बैठ गए, और जैसे ही मैंने अजय जीजू का मुंह से बाहर निकाला, खींच के मुझे गोद में
"नहीं जीजू ऐसे नहीं घुस पायेगा,"
मैं उनका इरादा समझ के चिल्लाई।
" अरे कल की लौंडिया, गुड्डी,अभी कल शाम को उसकी गाँड़ फटी, वो घोंट रही थी तो तेरा नखड़ा नहीं चलेगा, मुझे आता है घोटाना "
जब कोई मरद किसी की गाँड़ मारने के लिए बेचैन हो तो न वो कुछ सुनता है न समझता है , और अगर वो आदमी कमल जीजू ऐसा हो जो गोल दरवाजे के रसिया और पिछवाड़ा उनकी छोटी स्साली का हो, तो फिर बातचीत एकदम बेकार।
अब उन्हें कौन समझाए गुड्डी की दो भाभियाँ पूरी ताकत से उसे बांस के ऊपर पुश कर रही थीं। रीनू अपनी पूरी ताकत से गुड्डी के कंधे दबा रही थी और मैंने अपने हाथ से गुड्डी के गुदा द्वार को फैला के अपने जीजू के लंड को सेट किया था,
कमल जीजू ने मेरे गुदा द्वार को फैला के अपने लंड को, अपनी साली के पिछवाड़े सेट कर दिया।
आग लग गयी, एक बार टच होते ही, मेरे तन बदन में बस यही एक बात ये अंदर जाए, अंदर जाए, फटनी हो तो आज फट जाए लें जीजू की तो मैं ले के छोडूंगी,
कुछ मैंने पुश किया नीचे की ओर, कुछ जीजू ने कमर पकड़ के और नीचे से धक्का दे के, और आधा सुपाड़ा अंदर था।
और अब कमल जीजू ने छिनरपन शुरू किया,
" हे स्साली अब आगे का तुम खुद घोंटो, "
मैं चूतड़ मटका रही थी, आगे पीछे गोल गोल लेकिन उनका सुपाड़ा इतना मोटा, कैसे अंदर जाय, और मैं गरियाने लगी,
" ये छिनरपन अपनी महतारी से सीखा है की बहिनिया से, घुसाओ ठीक से जीजू, अपनी गाँड़ की सारी ताकत अपनी महतारी के भोंसडे में निकाल के आये हो का की बहिनिया की गाँड़ में, जो धक्का नहीं लगा पा रहे हो "
बस कमल जीजू ने दो काम किये, मेरा मुंह बंद करवाया, अजय जीजू को इशारा किया, एक हाथ से कमल जीजू ने कस के मेरा गालदबोचा पूरी ताकत से
और चिरैया की तरह मैंने मुंह खोल दिया और अजय जीजू का बांस मेरे मुंह के अंदर ,
अब ऊपर का मोर्चा छोटे जीजू के हाथ, दोनों सर पकड़ के क्या पेला उन्होंने दो धक्के में सीधे मेरे हलक तक, बोल क्या निकलते, खाली गों गों की आवाज निकल रही थी।
और दूसरा काम किया, मेरी दोनों चूँची पकड़ के कस के मसलते हुए गरियाया,
" और गरियाओ हमारी बहन महतारी, अरे परसों जाने के पहले तोहरी महतारी के भोंसडे से चाकर कर के जाऊंगा तेरी गाँड़, खुद गाँड़ फैला के बैठोगी मेरे और अजय के लंड पे, महतारी ने गाँड़ में लंड लेना नहीं सिखाया क्या ? "
और दोनों चूँची पकड़ के नीचे से क्या धक्का मारा कमल जीजू ने,... दो धक्के में गाँड़ का छल्ला पार।
अगर मुंह में अजय का लंड नहीं होता तो मैं इतनी जोर से चिल्लाती की पूरे टाउनशिप में सुनाई पड़ता। पूरी देह दर्द में डूबी हुयी थी। और गलती मेरी ही थी, कमल जीजू के पास आने के पहले मैं कम से कम १०० ग्राम पीली सरसों का तेल अपने पिछवाड़े दस मिनट तक डाल के या के वाई जेली की एक ट्यूब पिचका के आती थी। मैं जानती थी गाँड़ बचेगी तो है नहीं और बचाना चाहती भी नहीं थी, लेकिन आज उस साली गुड्डी के चक्कर में कुछ भी तैयारी करना भूल गयी।
पल भर के लिए कमल जीजू रुके होंगे, और उन्होंने नीचे से चूतड़ उठा उठा के और दो चार मिनट में मैंने भी ऊपर से जोर लगा रही थी, आधा से ज्यादा करीब साढ़े चार पांच इंच अंदर घुस गया होगा तब तो रुके और फिर अजय जीजू ने मेरा मुंह चोदना शुरू किया।
एक नया जोश मेरे अंदर आ गया और मैं खुद ऊपर ऊपर नीचे कर के ऑलमोस्ट पूरा, और तब अजय जीजू ने अपना बांस बाहर निकाला
लेकिन कुछ देर बाद कमल जीजू ने पॉजिशन बदल दी,
अभी मेरी पीठ उनकी ओर थी लेकिन अब मैं उन्हें फेस कर के, लेकिन मानना पड़ेगा जीजू को, एक इंच भी खूंटा मेरी गाँड़ से बाहर नहीं निकल। पर मेरे मजे आ गए, मैं अब कस के कमल जीजू को पकडे थी अपनी दोनों चूँचिया उनके सीने पे रगड़ रही थी, उन्हें चूम रही थी, गरिया रही थी, और उनके मोटे लंड पर फिसल रही थी,
" बहिन महतारी की गाँड़ मारने में ज्यादा मजा आया था की स्साली की "और उन्हें चिढ़ा रही थी, उकसा रही थी।
" यार जो मजा मेरी इस छोटी स्साली की गाँड़ में है वो दुनिया की किसी गाँड़ में नहीं, न लौंडे की न लौंडिया की " वो नीचे से धक्के लगाते बोले
चार धक्का मैं ऊपर से मारती तो चार वो नीचे से,
लेकिन जीजू के हाथ खाली थे तो मेरी गुलाबो की भी हालचाल ली जा रही थी, कभी ऊँगली अंदर, कभी क्लिट की रगड़ाई, मैं दो बार झड़ी और फिर जीजू ने मुझे नीचे लिटा दिया ।
मेरे चूतड़ के नीचे और तकिये लगा दिए, फिर क्या कोई धुनिया रुई धुनेगा, एकदम तूफानी सैकड़ों धक्के, मैं कभी दर्द से चीखती कभी मजे से जब कमल जीजू मेरे अंदर झड़े तो मैं तीसरी बार झड़ रही थी।
लेकिन अजय अपने इन्तजार में और उसके बोले बिना मैं समझ गयी रीनू के मरद को क्या चाहिए था।
टिट फक।