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Tab kya choukidar ne usase se ye sawal nahi kiya hoga ki wah nelesh tiwari ke bare me puchtach kyo kar raha tha
Kiya tha, jawab ne us ladke ne bataya ki use nilesh se koi purana udhar chukta karna tha. Isliye wo janana chahata thaki nelesh ko paise kab mele.
Kamal hai ye konsa tarika hai.udhar...
“यही कि बीवी को मार चुकने के बाद अब वो बीवी के यार को भी खत्म कर देना चाहता है। तभी तो उसका बदला पूरा होगा।” “और तू समझती है कि अपना बदला वो मेरे हाथों पूरा करवाना चाहता है।” “नहीं, करेगा तो अपने ही हाथों! अब जाओ देर हो रही है। तब तक मैं तुम्हारे कफन-दफन का इंतजाम करके रखती हूं।” तब जाकर मेरी...
“वो गिरफ्तार है!” “गिरफ्तार तो है मगर आम मुजरिमों की तरह नहीं, अभी वो यहीं डीसीपी ऑफिस में है, उससे पूछताछ चल रही है। अलबत्ता गिरफ्तार तो उसने होना ही है, क्योंकि बंदा रंगे हाथों गिरफ्तार हुआ है।” “वो क्या कहता है कत्ल की बाबत?” “गोखले आज तू बहुत बिजी है क्या, जो डीसीपी ऑफिस तक पहुंचने में इतनी...
भाव देता था! इतना कि ऐसी बातें भी मुझे बता देता था जिसे पुलिस टॉप सीक्रेट रख रही होती थी। “गुडमॉर्निंग जनाब!” मैं आवाज पहचानकर बोला। “गुडमॉर्निंग! कैसा है गोखले?” “मेहरबानी है जनाब आपकी, बनाए रखेंगे तो सबकुछ अच्छा-अच्छा ही होगा।” “वो तो खैर हमेशा बनी रहेगी, तब तक तो यकीनन बनी रहेगी जब तक कि...
मौका तो मिलेगा! आखिर कटोरे की यही तो नियति होती है।” जवाब में उसने कुछ क्षण मुझे घूरकर देखा फिर बोली, “फास इशारे करने में जैसे पीएचडी किए बैठे हो, इतनी मेहनत अगर धंधे में करते तो अब तक किसी बुलंदी पर पहुंच चुके होते।” “मुझे ऊंचाई से डर लगता है, अलबत्ता गहराई मुझे बहुत-बहुत पसंद है।” “किसी दिन...
मैंने जी-भरकर उसका नख-शिख मुआयना किया फिर बोला, ‘गुड मॉर्निंग ब्यूटी क्वीन‘ “गुडमॉर्निंग हैंडसम!” “क्या कर रही है?” “इंतजार!” “मेरा!” “नहीं फोन का!” “कोई खास कॉल आने वाली है।” “आई, तो खास ही होगी वरना कैसी भी हो क्या फर्क पड़ता है?” “ठीक कहती है खास लोगों को खास कॉल्स ही आती हैं, या फिर आती ही...
मैंने एक गहरी सांस ली और अखबार एक तरफ फेंककर बचे हुए नाश्ते को हलक में उतारने लगा। इस दौरान एक ही सवाल मेरे जहन में गूंजता रहा - क्या सचमुच साहिल ने अपनी बीवी की हत्या की थी, अगर ऐसा था तो उसने महेश बाली को जिंदा क्यों छोड़ दिया था। तभी मुझे याद हो आया कि कत्ल के वक्त तो महेश बाली बाहर सड़क पर खड़ा...
उसी दौरान मेरी निगाह दरवाजे केे नीचे से झांकते अखबार पर पड़ी। मैंने अखबार उठाकर सैंट्रल टेबल पर रख लिया और कॉफी चुसकते हुए एक सरसरी निगाह उसपर डाली, फ्रंट पेज पर छपी खबर पर निगाह पड़ते ही मैं नाश्ता करना भूल गया। मोटे-मोटे अक्षरों में लिखा था - ‘मशहूर बिजनेसमैन साहिल भगत की बीवी, सोनाली भगत की...
जेब से निकालकर कोई चीज उसे पकड़ाई। दोनों के बीच फिर कुछ बातें हुईं, इसके बाद लड़की वापिस उसी ऑटो में सवार हो गई। लड़की के जाने के बाद बाली वापिस घूमा और एक बार फिर शामियाना के कंपाउंड में दाखिल हो गया। यानि किस्मत बस थोड़ी ही देर के लिए उसके साथ थी। अगर मेरे क्लाइंट का मुझे वहां से चले जाने का हुक्म...
ही अजीब लगा। उसे सिगरेट के कश ही लगाने थे तो वो वापिस फ्लैट में जाकर लगा सकता था। या चलते-चलते लगा सकता था। मगर वो तो यूं तसल्ली से वहां खड़ा था जैसे उसे वापिस लौटने की कोई जल्दी ही ना हो। क्या माजरा था! क्या सोनाली वहां से कहीं और चली गई थी। मगर उसकी कार गेट से बाहर निकलती तो दिखाई नहीं दी थी।...
रूकना चाहिए। वक्त-गुजारी के लिए मैंने एक सिगरेट सुलगा लिया और इंतजार करने लगा। अपनी मौजूदा पोजीशन में मुझे वो बिल्डिंग तो नहीं दिखाई दे रही थी जिसमें सोनाली और बाली का का मधुर-मिलन हो रहा था। मगर सिक्योरिटी गेट - जो कि इकलौता वहां पहुंचने का रास्ता था - मेरे एकदम सामने था। उसपर नजर रखकर हर आये...
नीचे पहुंचकर मैंने साहिल भगत को फोन किया। तत्काल कॉल अटैंड की गई। “बोलो!” उधर से कहा गया। मैंने कम शब्दों में उसे वस्तुस्थिति समझाई और जानना चाहा कि आगे वो क्या चाहता था। “तुम्हारा काम खत्म!” - वो बोला - “मेरी तरफ से तुम वहां खड़े रहने के अलावा कहीं भी जाने को आजाद हो। कल बिल भेज देना, चाहो तो...
हुआ और भीतर से उभरती कोई आहट सुनने की कोशिश करने लगा। मगर कामयाब नहीं हो सका। तब मैंने झुककर अपनी एक आंख की-होल से सटा दी। आगे जो नजारा मुझे दिखाई दिया वो उसी घड़ी शुरू हुई पॉर्न मूवी के स्टार्टिंग सीन जैसा था। महेश बाली सोनाली के तन से से एक-एक करके कपड़ों का आवरण हटाए जा रहा था। कुछ ही क्षणों...
जानी जाने वाली एक हाउसिंग कॉम्प्लैक्स में दाखिल हो गयी। मैं बदस्तूर उनके पीछे लगा रहा। कॉम्प्लैक्स के भीतर दाखिल होकर उनकी कार करीब दो सौ मीटर आगे गई फिर एक तीन मंजिला इमारत के सामने जाकर खड़ी हो गई। मैंने अपनी कार उस इमारत से एक ब्लॉक पहले ही रोक दी! रोककर इंतजार करने लगा। मेरे देखते ही देखते...
भी सामने वाले की नख-शिख तस्वीर उतारने में सक्षम था। लिहाजा उस काम में मुझे कोई असुविधा नहीं हो रही थी। उस वक्त ग्यारह बजने को थे जब महेश बाली ने वेटर को बिल लाने का इशारा किया। वो इशारा वेटर के साथ-साथ मैंने भी कैच किया। गिलास में बची ब्रांडी को एक ही सांस में अपने हलक में उतारने के बाद मैं उठकर...