#४.काला साया
"ड्रग माफिया को खत्मा करते वक्त आरव की मौत हुई , बाद में पता चला कि उसे और हमे दोनों कोई अंदर से मरवाना चाहता था। जिस वजह ये सब हुआ।" विमल एक सोफे पर झुककर बैठा विद्या से बात कर रहा था।
विद्या कुछ नहीं बोली, उसके पास बैठी उसकी सांसु रेखा ने विद्या के कंधे पर हाथ रख दिया। और सहलाने लगी।
"मैं कोई जख्म कुरेदना वनहीं नहीं चाहता, आरव मेरे लिए भाई जैसा था,उसका सीनियर होने की वजह से मैंने बहुत सी बाते आरव से छीपाईं। उसके मौत के लिए पुलिस डिपार्टमेंट जिम्मेदार है, ये बात मैं लोगो के सामने तो नहीं कह सकता लेकिन आपको ये बात पता होनी चाहिए।" विमल ये कहते हुए लगभग रोने वाला था।
विद्या , विमल की बात सुन समझ नहीं पाई क्या बोले। वो चाहती थी कि उसकी पति की मौत के पीछे कौन था ये उसे पता चले लेकिन,वो क्या कर सकती है वो समझ नहीं रही थी।
विद्या :"अच्छा तो उस आदमी का क्या?" घर के पीछे मिली लाश के बारे जानने के लिए।
विमल : "वो ड्रग एडिक्ट था, शायद वो कुछ छानबीन करने आया हो, उसके पीछे कौन था पता नहीं, लेकिन किसीने उसे मारा होगा ये कहना कठिन है, ये बात ज्यादा तर्क नहीं बनाती।"
विद्या : " कोई भी बात तर्क नहीं बनाती।"
विमल : "इसी वजह से मैं चाहता हु कि तुम पुलिस की सुरक्षा में रहो।"
विद्या गुस्से से : "पुलिस मेरे पति की सुरक्षा नहीं कर पाई, वो तो 24 घंटे पुलिस के साथ रहते थे, उन्हें क्या हुआ?"
विमल अपनी आंखे झुकाकर: " लेकिन, ये बात अलग है, तुम्हारे घर के आसपास एक लड़का बाइक के साथ दिन भर देखा गया, अभी तक तक कुछ ज्यादा पता नहीं चला,लेकिन जल्द ही पता चल जाएगा, कौन तुम्हारे परिवार को नुकसान पहुंचाना चाहेगा? ये सवाल का जवाब मिलने तक तुम्हारी सुरक्षा पुलिस की जिम्मेदारी है।"
विद्या अपना सर गुस्से में ना में घुमाते हुए खड़ी हुई :"मुझे नहीं किसी की जरूरत खासकर पुलिस की तो बिल्कुल नहीं, पहले कह रहे थे उन्होंने ही मेरे पति को मारा है और अब वहीं हमारी सुरक्षा करेगी। वाह " आगे कुछ ना बोलते हुए वो वहां से ऊपर चली गई।
रेखा ने दुख के साथ विमल की तरफ देखा, विमल मायूस और दुखी होकर वहां से चला गया।
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श्याम का वक्त था। विद्या अपने घर के गार्डन में बैठी हुई थी। अपने दुःखो के बारे में सोच रही थी। अपने माता पिता की एक वक्त लाड़ली हुआ करती थी, लेकिन अब एक बेचारी बन गई थी, उनकी नजरों में। ये बात उसे खटकती थी।
वो खुदकी जिंदगी चाहती थी जो आरव ने दी थी। लेकिन उसके बाद जो बच्चा देने की वादा उसने आरव से किया था वो पूरा नहीं कर पाई।
अपना बच्चा खो बैठी, शायद उस दिन बच्चा जन्म लेता लेकिन उसकी देखभाल करने वाला शायद कोई नहीं रहता।
यही सब सोच रही थी कि उसकी नजर एक लड़के के ऊपर गई।
उसने छिपकरके देखने की कोशिश की , ये लड़का तो कल भी हमारे घर के पास था ये सोचते हुए। विद्या को विमल की बात याद आ गई।
विद्या खड़ी होकर उसके तरफ देखने लगी तब वो लड़का दूसरी और नजर किए खड़ा था।
विद्या ने विमल को फोन लगाने का सोचा, लेकिन उसके मन में उस लड़के को देख अजीब महसूस हुआ। वो ये भावना पहचान नहीं पाई।
लेकिन विद्या को वो लड़का उसके घर के सामने क्यों खड़ा है उसे जानना था। उसे पता था कि ये बेहद ही बचकानी हरकत थी लेकिन उसे उस लड़के को देख वो धोखा नहीं पाई।
उसने जोर से उस लड़के को आवाज दी।
"ओय!"
वो लड़का इधर उधर देखने लगा।
"इधर हु, तुम यहां क्या कर रहे हो।"
उसने हकलाते हुए: "मैं ..वो रास्ता भूल गया हु।"
विद्या ने "कल से रास्ता भूले हो क्या?"
आरव समझ नहीं पा रहा था कि क्या बोले।
"वो मैं ऐसे ही आया था।"
विद्या "अच्छा, ये बात जरा पुलिस को समझाना।"
आरव " नहीं.. ऐसा कुछ नहीं है।"
विद्याने आंखे दिखाते हुए :" फिर कैसा है?"
आरव :" सॉरी मुझे माफ कर देना, मेरा कोई गलत इरादा नहीं था।"
विद्या :" अच्छा एक औरत के घर के सामने दिन भर रहकर उसे घूरना इसमें क्या गलत नहीं ये बताओ।"
आरव :" सॉरी, मैं तो ऐसे ही ।" आरव को समझ नहीं आ रहा था कि क्या बोले।
विद्या :"ऐसे हु वैसे ही कुछ नहीं क्या था वो जल्दी बताओ वरना पुलिस के हवाले कर दूंगी।"
आरव : " नहीं पुलिस को नहीं प्लीज।"
आरव अब फंस चुका था, जब उसने विद्या को फोन लगाते हुए देखा उसने वहां से भागना ठीक समझा। उसने गाड़ी की नंबर प्लेट निकाल के रखी थी। लेकिन वो जानता था कि पुलिस उसे पकड़ लेगी। क्योंकि विद्या ने उसे पहचान लिया है, तो उसे उससे इतनी समस्या नहीं थी।
लेकिन उसे विद्या के द्वारा इस तरह गलत समझना बुरा लग रहा था।
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रात को.....
अंधेरी गली और कूड़ेदान से होकर चार नौजवान लड़के एक क्लब जैसी जगह पहुंचे। सस्ती अगरबत्ती की मीठी गंध, हवा में घुले हुए सिगरेट के धुएँ और पसीने की तीखी बदबू से झुझ रही थी। अंदर रंग बिरंगी लाइटिंग और शोर शराबा हो रहा था। जोर जोर से बज रहे गाने, और नशे में धुत वीभत्स नृत्य। छोटे कपड़े पहने हुए पांच छह लड़किया नाच रही थी। उन मादक आकृति को झुलते हुए देख अंदर आए उन लड़कों की सांसे फूल उठी। एक लड़का अपनी आंखे पूरी की पूरी खोलकर एकटक देखने लगा। उसके साथ खड़े उसके दोस्त ने उसकी गर्दन सामने की तरफ़ उनके साथ आए लड़के की तरफ की। लड़का समझते हुए चुपचाप खड़े अपने साथ आए लड़के से बोला।
गौतम : " शुभम, उस आदित्य को अच्छे से समझा देना, कोई समस्या ना खड़ी करे, माल हमे मिल रहा है, उसकी गलती की वजह से हमे मुश्किल हो सकती है।"
शुभमने हा में हा मिला दी। इसे देख गौतम भी चकित हुआ, इतने जल्दी वो शुभम नहीं मानता था, उसे लगभग जबरदस्ती करनी पड़ती थी। लेकिन शुभम एक मकसद से यह आया था। इस शहर में ड्रग्स का कारोबार इससे पहले सिर्फ शेरा चलाता था और कोई नहीं लेकिन ये नया कौन आया है उसे देखना था।
फिर भी उसने नजरअंदाज कर।
गौतम : " और विजू भाई को यहां पर विजू भाई कहकर ही बुलाना, मैं माफ कर देता हु तेरी गुस्ताखी पे, ये लोग नहीं करेंगे, हमे बस माल लेना है, नयावाला माल बहुत कड़क, तुम बस चख के देख लेना।"
शुभम फिर से अपनी गर्दन हा मैं हिलाने लगा।
गौतम ने अपने पंटरों की तरफ देखा, सभी हल्के से मुस्कुरा रहे थे।
गौतम :" तो जितने पैसे कहे थे उतने लाए ना तुमने?"
शुभम ने फिर से कुछ ना कहते हुए हा में गर्दन घुमाई। और वो तीनो ख़ुसपुसाने लगे, 'इसे बहुत लूटेंगे , अच्छा बकरा पकड़ा है भाई।' और भी कुछ बाते शुभम के बारे में बोलने लगे।
तभी गौतम का साथी ओम, अपनी हसी दबाते हुए बोला।
"अगर नहीं है तो, तेरी बहन भी चलेगी।"
इतना कहकर वो तीनो ठहाका मारके हसने लगे। शुभम एकदम शांत था। वो फिरसे कुछ नहीं बोला। हंसते हुए तीनो शांत हुए और शुभम की तरफ देखने लगे, उसके चेहरे पर कोई गुस्सा नहीं था।
उन्हें शुभम का बर्ताव अलग नजर आ रहा था। हर बार शुभम गुस्सा हो जाता और उसे गौतम फिर से धमका देता लेकिन उन्हें कहा पता था वो सामने खड़ा शुभम नहीं आरव था। और उसका गुस्सा निकालने का तरीका बहुत ही अलग था।
वो ऊपर सीढ़ियों से जाने लगे जहां पर हट्टे कट्टे काले कपड़े पहने,5-6 मर्द खड़े थे उन्होंने रुकने को कहा।
कुछ देर बाद एक धष्ट-पुष्ट आदमी ने इशारा करते हुए उन तीनों को ऊपर बुलाया।
ऊपर बहुत बड़ा कमरा था, लगभग एक हॉल की तरह, लगभग 20 से 30 इंसान वहां मौजूद थे। उनके रंग-रूप से सभी ऐसे दिख रहे थे कि वो इंसानियत से वंचित हो। वहां पर जाते ही उन सबकी नजर एक इंसान पर पड़ी जो कि एक कड़क पिला शर्ट पहने हुए थेजिसपे लाल रंग के भड़कीले चित्र बने थे। अपनी शर्ट इन किए एक सिगरेट जैसी कुछ चीज फुक रहा था ,वो सभी के बीचोंबीच बैठा हुआ जोर से बात कर रहा था।
"....कुछ ही सालों में ये शहर हमारा साम्राज्य होगा, उसके लिए हमें और लड़कों की जरूरत है और उन्हें यह लाने के लिए माल और लड़किया की भी जरूरत है, जो सबको मिलेगी अगर सभी अच्छे से अपने पत्ते खेल लेते है।"
सभी उसके इन शब्दों से खुश हुए, किसीने तो लड़कियों और माल की बात पर सीटिया बजाई। नीचे कांच के मेज़ पर पड़ी पुड़िय उसने कुछ लोगों को दी।
आरव का दिमाग पहले से फिरा हुआ था। इस गुनहगारी के अड्डे को देख उसका सर में खून फैलने लगा।
गौतम शुभम को एक तरफ देखता पाकर हल्के से बोला : "बंदूक की तरफ मत देखो वरना वो गोली चला देगा।हमे बस माल लेना है तुम पैसे दो, हम वो लेकर चले जाएंगे।"
तभी एक आदमी उनके पास आया जिसका नाम धीरु था और बोला।
"तो जितने पैसे कहे थे, वो लाए।" इतना कहकर उसने गौतम और शुभम की तरफ नजर घुमाई। तभी सभी ने शुभम की तरफ देखा इस बार शुभम की नकर विजू की तरफ थी।
धीरू ने नजर का पीछा करते हुए :"उधर क्या देख रहे हो? जल्दी पैसे दो, वरना पता है ना, तुम सबका परिवार तक जिंदा नहीं बचेगा?"
धीरू के इतना कहते ही, कुछ ही क्षणों में बंदूक उसकी जेब से शुभम ने खींच ली। एक नौजवान लड़के को धीरू पर बंदूक तानते देख सभी की नजरे उस की तरफ हो गई।
"ये! पागल हो गया है क्या? क्या कर रहा है?"धीरू ने चिल्लाकर अपना हाथ आगे कर बंदूक खींचने की कोशिश की। सभी इस हो रहे घटनाक्रम से अचानक चुप हो गए। ये देख विजू धीरू के पीछे से गुस्से से खड़ा होकर बोला।
"अरे यार, इतना क्या डर रहे हो, तुम सब उस बच्चे को कहा बंदूक चलानी आती होगी।"
*धड़ाम*
गोली धीरू के सिर के बीचों बीच लगी, इस वक्त
गौतम की गांड़ फट चुकी थी, अब तक दस के आसपास बंदूकें शुभम और गौतम के दोस्तो पर टिकी हुई थी।
विजू गुस्से से शुभम की और आते हुए बोला "बहनचोद! पागल है क्या तू?"
शुभम इस पर कुछ नहीं बोला और बंदूक का निशाना विजू की तरफ कर दिया।
विजय ने आंखे दिखाते अपने आदमियों की तरफ देखा।"खड़े खड़े देख क्या रहे हो, बंदूक ले लो उससे,बंदूक दिखा रहा है अच्छा सबक सिखाना है।"
इतना कहते ही दो लोग जो पास थे वो सामने आने लगे उनके आगे होते ही शुभम ने गोलियां चलाई, और नजरे झपकती तब तक फिर से बंदूक विजू की तरफ तान दी। आंखे विजू और उसके साथियों पर रख, नीचे गिरी एक बंदूक पर लात मार कर दूसरे हाथ में पकड़ ली।
इस वक्त उस कमरे में सभी के गले सुख चुके थे। कोई भी मानने को तैयार नहीं था की ये लड़का जिंदा यहां से जाएगा। लेकिन ये तो सबको अब तक समझ आ गया कि कुछ लाशे बिछाकर तो जरूर जाएगा, इतना तेज और सटीक उन्होंने किसी को नहीं देखा, इसलिए वो उनमें से लाश कोई नहीं होना चाहता था। और उनमें से किसी में हिलने की हिम्मत नहीं थी।
विजू के चेहरे पर पसीना छाया हुआ था। उसका पीला शर्ट गर्द रंग का हो गया था।
विजू कांपती आवाज के साथ "लड़के क्या चाहिए तुझे?"
शुभम पहली बार मुस्कुराया और भारी स्वर में:"अपने आदमियों से बोल दे कि वो अपनी बंदूक नीचे करे और यहां से भागने की कोशिश कोई भी ना करे।"
विजू ने सभीं की तरफ नजर दौड़ाई, वहां पर अभी 8 लोगों के पास बंदूकें थी और लगभग वो 25 थे। विजू कुछ ना बोलकर पसीने से भीगने लगा।
विजू को कुछ बोलता ना पा कर, और एक भी बंदूक नीचे होती न देखकर , गोलियां चलाते हुए शुभम विजू के ऊपर कूद पड़ा।
उन में से बस 3 आदमी, शुभम के ऊपर बंदूक चला पाए। उससे पहले जिन्होंने आगे आने की कोशिश की वो ढाय हो गए। और शुभम की तरफ आ रही गोलियां भी उसे भेद नहीं पाई, वो बेहद दूर ही रह गई।
शुभम ने विजू की तरफ गिरते वक्त अपनि लात से कांच के मेज़ को सबकी तरफ फेक दिया। कांच दो लोगों के ऊपर गिरकर, उसके टुकड़े गोलियां चलने से, इधर उधर बिखर गए। उस कमरे में हो रहा धुआं इस वक्त बस बंदूक का था। गोलियां थाड़ थाड़ चलने लगी, गोलीवो के साथ चीखने चिल्लाने की आवाज चारों तरफ गूंज चुकी थी। उस कमरे के नीचे भागदौड़ मच गई।
जिनके पास बंदूकें थी शुभम ने वो कबके खलास कर दिए थे, जो बचे थे उनका बचना अब नामुमकिन था।
कांच के टुकड़े, छुरी, शराब की बोतल,हाथों से लिपटी घड़ी वो समझ हथियार समझ पाते, तब तक उनकी जान लेने का साधन ये सब चीजे बन चुकी थी। शुभम का शरीर क्षीण था लेकिन वो हथियार चलाना नहीं भूला था।
आस पास की स्थिति देख गौतम और उसके दोस्त रोने लगे। वो समझ नहीं पाए क्या हुआ। शुभम जिसे वो अपनी उंगलियों पर नचाते थे। आज उसका ये रूप देख उनकी रूह कांप उठी थी। कितने दिनों तक वो सो नहीं पाएंगे ये उन्हें भी नहीं पता था। उन्हें डराने वाला काला साया उनके सामने था।
वो तीनो अपनी गांड़ को पैर लगाकर भाग गए।
आस पास बिखरी लाशों के बीच नीचे गिरा हुआ विजू ऊपर की और उस 18 साल के लड़के की तरफ देखने लगा। उसने लिया हुआ ड्रग्स भी उसके कांपते शरीर को शिथिल करने में नाकामयाब था।
शुभम उसकी आंखों आंखे डाल कर बोला: "अब तुम शायद बोलने के लायक होगा।"
विजू कांपते स्वर में :" क्या चाहिए तुम्हे?"
शुभम ने छुरी उसके गले से लगाकर : "कोई सवाल नहीं सिर्फ जवाब वरना क्या होगा तुम जानते हो, इस शहर में ये ड्रग कहा से आ रहे है।"
विजू गला गटकते हुए:"हमे तो ये ड्रग शेरा पहुंचाता था।" छुरी से खून निकलने लगा
"मैं सच कह रहा हु, शेरा ही था जो ड्रग्स पहुंचा था, लेकिन अब नई गैंग इसमें शामिल है जो कि बहुत ताकतवर है जिन्होंने पुलिस की मदत से शेरा को खत्म कर उसके कारोबार पर कब्जा कर लिया है।"
आरव उसके बात पर सोचने लगा।"कौन है? उसका नाम?"
विजू :"प्यानसी गैंग,बस इतना पता है,कि वो पुलिस में दबदबा रखती है, जिसकी वजह से उन्होंने इस इलाके में काम मुझे सौंपा। और कुछ नहीं"
विजू जानकारी बताने पर शुभम की तरफ देखने लगा जानना चाह रहा हो कि इस नियत क्या है।
विजू : "मैंने तुम्हारी तरह बस एक पुलिस अफसर को लड़ते देखा है, क्या तुम पुलिस से हो? किसने भेजा है तुम्हे?"
"यमराज ने भेजा है?"आरव ने छुरी उसके गले से आर पार निकाल दी।
......ये रही अपडेट,हो सके तो लाइक मारो स्टोरी में क्या देखना चाहते हो अपने विचार रखो।
Dhanyavad bhaiWah kya gazab ki update post ki he Anatole Bro,
Shubham ka ye wala rup dekhkar gautam & party ki to fat ke chaar ho gayi.........
Viju ko bhi nipta diya shubham ne..............
Keep rocking Bro