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Bohot khub sarkarPart 1 Update 26(Last Update 2)
"अदिति तुम्हे क्या हो रहा है , बाबा देखिये ना क्या हो रहा है अदिति को । " परेशान होते हुए ललित ने उसे पकड़ना चाहा ।
"तुम परेशान मत हो , उसे कुछ नही हुआ । वो अभी ठीक हो जायेगी । तुम्हारे रक्त से उसके रक्त का मिलन हो रहा है आखिर एक वैम्पायर और इंसान के रक्त का आपस में संपर्क स्थापित करना आसान नही है । उसे तकलीफ हो रही है और ये तकलीफ उसे सहनी ही होगी ।"
थोड़ी देर में ही अदिति की चीखे वहाँ उपस्थित सभी लोग के दिलो को दहलाने लगी। ये नजारा देख सभी दंग थे ।इस तरह से अदिति को देख ललित बहुत ही परेशान था । थोड़ी देर में ही अदिति नार्मल हो गयी और बेहवास सी जमीन पर बेसुध गिर पड़ी । ललित उसे उठाने के लिए भागा लेकिन मुखिया ने उसे रोक दिया ।
मुखिया उसके पास गए मन्त्र पढ़कर कुछ भभूति जैसी उसके ऊपर फेंकी तो अदिति को होश आने लगा। उस समय वो बहुत ही कमजोर और असहाय महसूस हो रही थी । किसी तरह वो संभलते हुए उठकर अपनी जगह बैठ गयी । मुखिया ने ललित को अदिति के समीप पर बैठने को कहा ।
मुखिया ने अदिति और ललित को अपना हाथ आगे बढाने को कहा और दोनों की उंगली को जिसपर कट का निशान था एक दूसरे के ऊपर रखते हुए एक धागे से बांध दिया और कुछ मंत्रोउच्चारण करने लगे।
" तुम दोनों का आपस में रक्तमिलन हो चूका है अब तुम्हे अदिति से कोई नुकसान नही होगा और अदिति तुम्हे ललित को किसी भी परिस्थिति में देखकर खुद पर काबू हो जायेगा । तुम दोनों एक साथ सामान्य जीवन बिता सकते हो । " दोनों को समझाते हुए मुखिया ने कहा ।
"आपका बहुत बहुत धन्यवाद , हम दोनों के प्यार को एक करने के लिए । हम सदा आपके आभारी रहेंगे। " अदिति और ललित हाथ जोड़ नतमस्तक होते हुए कहा। वहाँ उपस्थित सभी लोग बहुत खुश थे । एक अनोखा रिश्ता बना था आज एक इंसान और वैम्पायर के बीच , एक ऐसा प्यार जो शायद सदियों तक याद किया जायेगा ।
"लेकिन तुम दोनों को खासकर ललित तुम्हे कुछ बातों का ध्यान रखना होगा वर्ना समस्याएं आ सकती है।" मुखिया ने उन्हें कहा।
"हा बताइये बाबा , मै अदिति के लिए सब कुछ करूँगा। "
"एक इंसान और वैम्पायर के बीच कोई भी समानता नही है एक आग है तो दूसरा पानी । ललित तुम्हारा तुम् एक इंसान हो तुम्हारा जीवन साधारण होगा लेकिन अदिति का जीवन साधारण नही है । वो एक जिन्दा इंसान नही है मेरी पूजा पाठ ने उसे काफी कुछ बदलाव कर दिए है लेकिन फिर भी तुम्हे कुछ प्रक्रिया काफी समय तक करनी होगी । तुम्हे 60 पूर्णमासी को पूरे चाँद की रोशनी में अपने रक्त की एक बूंद से अदिति के माथे पर तिलक करना होगा जिससे तुम्हारा रक्त मिलन मजबूत होता रहेगा तुम्हारे प्यार की तरह । कभी अदिति को ज्यादा देर भीड़ भाड़ की जगह पर मत रखना । कभी किसी वजह से अगर इस पर वैम्पायर प्रकृति हावी होने लगे तो याद रखना सिर्फ तुम्ही इसे काबू कर सकते हो । तुम दोनों आपसी प्यार समझ और विश्वास के साथ जीवन यापन कर सकते हो ।"
"आप निश्चिंत रहिये बाबा , मै अदिति का पूरा ख्याल रखूँगा और इसे कभी कोई तकलीफ नही होने दूंगा । इस पर कभी भी इसका वैहशीपन हावी नही होने दूंगा। "
"ठीक है अब तुम् दोनों जा सकते हो और अपनी जिंदगी नये सिरे से शुरू कर सकते हो । हम सभी बहुत खुश है।"
ललित अदिति को लेकर घर आ गया और वो दोनों अपने प्यार को पाकर बहुत खुश थे । दोनों को जैसे एक नई जिंदगी मिल गयी हो । दोनों का प्रेम रोज नए आयाम को छु रहा था । ललित अदिति का पूरा ख्याल रखता था और मुखिया की बताई बिधि को समय से पूरा करने का पूरा ख्याल रखता था । एक इंसान और वैम्पायर के प्रेम की अनोखी दास्तान पूरी हो चुकी थी ।
हमें लगता है कि ये दास्तान पूरी हो चुकी है लेकिन अभी तो ये शुरुआत है । मिलन जितना कठिन था उससे भी कही ज्यादा आगे आने वाली चुनोतियों का सामना करना। अभी तो ना जाने दोनों को कितनी मुस्किलो का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि एक इंसान और वैम्पायर क्या जीवन भर साथ रह सकते है ? एक की मौत निश्चित है और दूसरा तो मौत को पार कर चुका है । क्या हर जरुरत पूरी हो सकती है ? या फिर प्यार उनकी हर कमी और जरुरत को पूरा कर देगा । इस कहानी का ये एक अधूरा अध्याय है ।
समाप्त
इस कहानी का नया अध्याय " प्यार की एक अनोखी दास्तान " नाम से जल्दी ही शुरू होगी ।
OK fir intjaar rahegaInternet issue sahi ho jaye phir new update deta hu
इंतज़ार रहेगा मित्रNew update 1 ya 2 day m deta hu idhar time hee nahi mil raha hai
प्यार की अनोखी दास्तान
अपडेट 1 पार्ट 1
*अदिति एक अनोखी कहानी * के आज एक नया सफर की शुरुआत । अदिति के पिछले अध्याय में आप पढ़ चुके है कि ललित की मुलाकात जख्मी हालत में एक लड़की मिलती है और वो उसे घर ले आता है और उसका नाम अदिति रख देता है । साथ साथ रहते हुए उन्हें एक दूसरे से प्यार हो जाता है लेकिन एक दिन ललित के सामने अदिति के वैम्पायर होने की सच्चाई सामने आ जाती है और अदिति को लगा उसने सब कुछ खो दिया लेकिन ललित ने भी उससे प्यार किया था और वो उसे हर हाल में अपनाना चाहता था लेकिन ये बहुत ही मुश्किल था क्योंकि जब अदिति वैहशीपन सवार हो जाता था तो वो सब कुछ भूल जाती थी और किसी को भी नुकसान पहुचाँ सकती थी इसलिए वो ललित की जिंदगी से दिर्ड जाना चाहती थी । लेकिन ललित उसकर बिना नही रहना चाहता था , इसके लिए वो खुद वैम्पायर बनने को भी तैयार था लेकिन अदिति ने ऐसा करने से मना कर दिया फिर काफी परेशानियों के बावजूद कुछ लोगो की मदद और प्रक्रिया से उनके सामने आने वाली चुनौतियों का सामना किया और उन दोनों के प्यार ने अपनी संपूर्णता प्राप्त कर ली । आखिर उनका प्यार जीत गया और एक इंसान और वैम्पायर का प्यार एक मिसाल बन गया ।वो दोनों साथ रहने लगे और उन्होंने शादी कर ली और ख़ुशी ख़ुशी साथ रहने लगे ।
अब इसके आगे की कहानी एक नए शीर्षक के साथ नये रोमांच और प्यार के नए आयाम को छूती हुई एक अनोखी दास्तान
21 साल बाद ................
शाम का समय लेकिन ऐसा लग रहा मानो चारो तरह घना अँधेरा छा गया हो। घने काले बादलों से घिरा आसमान और उस पर चमकती कड़कती हुई बिजली किसी के भी मन में डर का एहसास कराने के लिए काफी था । प्रकति की लीला भला कौन जान सकता है , पल में क्या से क्या हो जाय । अभी थोड़ी देर पहले धुप थी और अभी अचानक से चारो ओर घना अँधेरा । ऐसा लग रहा बहुत तेज बारिश होने वाली है । सभी अपने घरों की ओर भाग रहे थे । हर किसी को जल्दी से जल्दी अपने गंतव्य पर पहुँचने की होड़ मची थी और हो भी क्यों ना । मुंबई की बारिश का कोई भरोसा भी नही है । क्या पता एक पल में बंद हो जाय और कहो तो कई दिन तक बरसती रहे । फिर तो घर जाने में ही समस्या उत्पन्न हो जाय। लो देखते ही देखते बारिश शुरू हो गयी । चारो तरफ सुनसान सड़के । दूर दूर तक रास्ते खाली हो चुके है। कही भी दूर तक कोई भी नजर नही आ रहा है। देखते ही देखते बारिश तेज हो गयी और चारो तरफ सिर्फ पानी ही पानी ही नजर आने लगा।
ऐसे में ही सुनसान सड़क पर किसी के तेजी से दौड़ने भागने की आवाजें आ रही थी और उसके पीछे कुछ और कदमो की हलचल सुनाई देने लगी। ऐसा लग रहा जैसे कई कदम किसी से कदम का पीछा कर रहे हो ।
" पकड़ो पकड़ो इसे , हाथ से जाने ना पाये। " सुनसान काली घनी अँधेरी रात और उस पर जोरदार बारिश में एक लड़की भाग रही थी और कुछ लड़कों का एक झुण्ड लड़की का पीछा करते पकड़ो पकड़ो चिल्लाते हुए उसके पीछे भाग रहे थे और वो लड़की पूरी हिम्मत से बचाओ बचाओ चिल्लाते हुए उन लड़को से पीछा छुड़ाते हुए खुद को बचाने की पूरी कोशिश करते हुए भाग रही थी । कभी कभी वो लड़के एकदम पास आ जाते और पकड़ने की कोशिश करते लेकिन वो हिम्मत करके और तेजी से भाग लेती । भागते भागते अचानक से उसका पैर एक पत्थर से टकरा गया और वो तेजी से जमीन पर गिर पड़ी। वो सभी लड़के उसके पास आ गए और चारो तरह से उसे घेर लिया और शैतानी हँसी से हँसने लगे।
"अब कहाँ भाग के जाओगी रानी । कितना भागोगी और कहाँ तक भाग के जाओगी हमसे।"
" मुझे जाने दो , मैने क्या बिगाड़ा है तुम लोगो का । भगवान के लिए मुझे जाने दो ।" वो लड़की हाथ जोड़ उन लड़कों से अपनी इज्जत की भीख मांग रही थी।
" इतनी मुश्किल से तो हाथ आयी हो । कैसे जाने दे तुम्हे। इतना हसीन मौसम और बस तेरा एक साथ , वाह बड़ा मजा आ जायेगा आज ...क्यों यारो ।" उनमे से एक लड़के ने बोला ।
" सही कहा आज तो मजा ही आ जायेगा ।" सब एक साथ खिलखिला कर हँस पड़े ।
" अभी क्या अभी तो देखते जाओ "कहते हुए सामने खड़े एक लड़के ने उस लड़की के दुपट्टे को हाथ से झटके से खींचने के लिए जैसे ही अपने हाथ बढ़ाए और वो लड़की अपने दोनों हाथों को चेहरे पर रखते हुए जोर से चिल्ला दी । उस लड़के के हाथ उसके दुपट्टे को उसके शरीर से खींचने ही वाले थे लेकिन रुक गए । ऐसा लगा जैसे किसी से उसके हाथ को कस के जकड दिया हो ।
" क्या हुआ बे " उसे लगा उसके ही किसी दोस्त ने पकड़ा है तो कहते हुए वो उधर देखने लगा लेकिन वो कोई अजनबी था जिसने उसका हाथ पकड़ा हुआ था । उसके देखते ही उसने जोरदार धक्का मारा जिससे वो वही जमीन में गिर गया और उसके साथ के सभी उसे उठाने लगे । सभी गुस्से से लाल उस अजनबी को देखने लगे ।वो लड़की ने जब अपनी मदद के लिए आये उस व्यक्ति को देखा तो अपना दुपट्टा सँभालते हुए वो एक मासूम सी बच्ची की तरह एकदम उसके पीछे खड़ी हो गयी ।
" कौन है बे , यहाँ से फुट ले वर्ना फोकट में मारा जायेगा ।" उन्ही में से एक ने गरजते हुए कहा।
" मै कौन हूँ इससे तुझे मतलब नही है , तुम् सभी के लिए यही अच्छा होगा । यहाँ से भाग जाओ।" उनसे भी ज्यादा कर्कश आवाज में अजनबी इंसान बोला ।
" अरे तू है कौन , जो हमसे ऐसे बोल रहा है । तू अभी मुझे सही से जनता नही है कि हम तुम्हारा क्या हाल कर सकते है । उस लड़की को मेरे हवाले कर दे तो तुझे छोड़ देंगे ।"
"नही करता बता क्या करोगे तुम लोग " अजनबी ने उस लड़की की तरफ देखा जैसे वो विनती कर रही हो मुझे बचा लो इनके हवाले मत करना ।
" तू ऐसे नही मानेगा तुझे अब सबक सिखाना ही पड़ेगा " कहते हुए उन लड़कों में से एक उसे मारने के लिए आगे बढ़ा और जैसे वो उसे मरता जमीन पर गिर तड़पने लगा । एक पल को किसी को समझ ही नही आया कि उसके साथ क्या हुआ और वो कैसे गिर गया । अचानक से उसकी ऐसी हालत कैसे हो गयी । उसकी हालत देख सभी सहम से गये और उसे लेकर वहाँ से उस समय भागने में ही अपनी सलामती समझी और तुरंत ही वहाँ से नौ दो ग्यारह हो गए ।
Bohot badhiya shuruvat ki he Brijesh bhaiअपडेट 1 पार्ट 2
" आप ठीक तो है ना , अब सब ठीक है । वो वापस नही आएंगे । आप घर जाइये । कहाँ है आपका घर ?"
" यही थोड़ी दूर पर है ।"
" ओके , अब आप निश्चिन्त होकर घर जा सकती है , घबराने की कोई जरुरत नही है। कहिये तो मै आपको छोड़ दू घर तक ।"
" नही मै ठीक हूँ , चली जाऊंगी " कहते हुए वो आगे बढ़ती है लेकिन संभल नही पाती और गिरने लगती है तभी वो अजनबी उसे पकड़ लेता है । पत्थर से टकरा कर गिरने से उसके पैर में चोट लग गयी थी और उसे मोच आ गयी थी और उससे सीधे खड़े भी नही हुआ जा रहा था ।
"आप परेशान मत होइए , आप घर बताइये मै आपको घर तक छोड़ देता हूँ ।" अपने कंधे का सहारा देकर वो उस लड़की को लेकर चलता है लेकिन उसे चलने में परेशानी हो रही थी बहुत मुश्किल से उसके कदम बढ़ रहे थे और उसे बहुत दर्द हो रहा था । उसने उस लड़की के चेहरे की तरफ देखा और उसके दर्द को महसूस करते हुए वो उसे अपनी बाहों में उठाकर चलने लगता है । उस लड़की के मुँह से एक भी शब्द नही निकले और वो बस उसे देखे जा रही थी । बिजली के कड़कने से जो रोशनी हो रही थी उसमें उस अजनबी का चेहरा बहुत ही आकर्षक सा लग रहा था । आँखों में एक अजब सी चमक थी और एक सुकून सा चेहरे में नजर आ रहा था । वो चाहती थी कि एक बार वो उसकी तरफ देखे लेकिन अजनबी ने उसकी तरफ एक नजर उठाकर भी नही देखा ।
"कहाँ है आप का घर ? " उसकी आवाज से ही उसकी जैसे वो किसी नींद से जागी हो । वो तो जैसे उसमे खो सी गयी थी ।
" बस यही पर रुक जाइये " एक घर के सामने ही पहुँचकर बोली। उस लड़की को घर के सामने ही उतार कर घर की बेल बजा दिया ।
" मेरा नाम श्रेया है और आपका नाम ।" उसकी तरफ देखते हुए बोली लेकिन उसने कोई जवाब नही दिया । तब तक घर का दरवाजा खुला और सामने अपनी माँ को देखते ही उनसे लिपट गयी ।
" क्या हुआ बेटा , कहाँ रह गयी थी और तुम तो पूरा भीग गयी हो । ये तुम्हारे पैर में क्या हो गया ।" सही से चलते हुए ना देखकर माँ ने पूछा।
माँ अंदर चलो बताती हूँ । इनसे मिलो आज इन्होंने ही मुझे बचाया है " कहते हुए वो पीछे पलटी तो वहाँ कोई नही था ।
" अरे कौन बेटा , किसको देख रही हो ।"
" माँ वो "
" कौन वो "
"अरे जिसने मुझे यहाँ तक पहुँचाया ।"
" यहाँ तुम्हारे सिवा कोई नही था बेटा ।"
"अभी उसी ने तो घर की बेल बजायी ।"
"बेटा जब मैने दरवाजा खोला तो यहाँ कोई नही था । चलो अच्छा अब अंदर आ जाओ।"
" पता नही कौन था ? कहाँ रहता है ? अपना नाम भी नही बताया । मै उसे धन्यवाद भी नही कह पायी । एक फरिस्ते की तरह आया और गायब हो गया ।" मन ही मन सोचते हुए उसके ख्यालो में खोयी वो घर के अंदर आ गयी ।
क्रमशः