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Fantasy अदिति -एक अनोखी प्रेम कहानी

Brijesh

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Part 1 Update 17
ललित और अदिति किचन में खाना बना रहे होते है तभी अचानक से ललित का हाथ चाकू से कट जाता है और हल्का सा खून निकलने लगता है । उसे देखते ही अदिति के चेहरे के भाव बदलने लगते है । आवाज में हलकी सी गुर्राहट के साथ ही उसकी आँखों का विस्तार होने लगता है ।

"अदिति क्या हुआ तुम्हे , ऐसे क्या देख रही हो । " उसकी तरफ देखकर कहते हुए वो अपनी अंगुली को मुँह में डाल लेता है।

"कुछ नही " कहते हुए वो तुरंत ही अपना चेहरा घुमा लेती है ।
"क्या हुआ ऐसे चेहरे को क्यों घुमा लिया ।"
"तुम्हे चोट लग गयी है ना , मुझे खून देखकर घबराहट होने लगती हैं।"

"अरे बस जरा सी ही चोट लगी है। घबराने की कोई बात नही है। देखो अब तो खून भी नही निकल रहा।"
"नही मै नही देख सकती ।"
"अरे पागल मै बिलकुल ठीक हूँ , मुझे कुछ नही हुआ । देखो मेरी तरफ , एकदम सही हो गया । फालतू में परेशान होती है। " अपनी तरफ अदिति को घुमाते हुए बोला ।
"ललित वो ऐसा है ना कि मै खून नही देख सकती । जरा सी खून देख लूँ तो मुझे घबराहट सी होने लगती है।अजीब सी उलझन और बेचैनी सी होती है।"

"चलो अच्छा तुम कमरे में जाओ । मै आता हूँ । " अदिति वहाँ से हटकर तुरंत ललित के पास से बाहर चली जाती है ।

" उफ्फ्फ्फ्फ्फ , ये मुझे क्या हो रहा था । खून को देखकर तो मेरा खुद पर काबू ही नही हो पा रहा था । अगर ललित तुरंत मेरे सामने से खून को हटा नही लेता तो आज फिर मेरा असली रूप उसके सामने आ जाता , और ऐसे तो मै खुद ही ललित को नुकसान पहुँचा दूँगी । आखिर मै कैसे इस समस्या का सामना कर पाऊँगी । आखिर कब तक मै खुद को रोक पाऊँगी। मुझे कुछ ना कुछ तो करना ही होगा लेकिन करू तो क्या करूँ । ललित के साथ ही रहती रहती हूँ तो कभी भी मेरा खुद पर से काबू हट सकता है और तब तो मुझे कुछ भी याद नही रहेगा और उसे कभी भी नुकसान कर सकती हूँ । मुझे उससे दूर जाना ही होगा लेकिन दूर रहना बहुत ही मुश्किल है। " सोचते सोचते अदिति की आँखे भर आयी । तबतक ललित वहाँ आ गया और अदिति की नम आँखे देख.....

"अरे अदिति तुम्हारी आँखों में आंशू । इतना भावुक नही होते हैं । मुझे कुछ नही हुआ । देखो कहि पता चल रहा है कि मुझे चोट लगी होगी। " ललित ने अपनी अंगुली दिखाते हुए कहा।

"आँखों में आंशू लिए अदिति बिना कुछ बोले ललित के गले लग गयी और रोने लगी।

" मेरा प्यार छोटा सा बच्चा चुप हो जा , अब बिलकुल नही रोना। तुम्हे पता है ना कि मै तुम्हारी आँखों में एक भी आंशू नही देख सकता ना । मुझे कितनी तकलीफ होती है फिर भी ऐसे रोकर मुझे तकलीफ देती हो ।" अदिति की पीठ पर हाथ फेरते हुए बोला।

"अच्छा बाबा नही रोउंगी । " ओठो पर एक झूठी मुस्कान लिए वो बोली क्योंकि उसे पता था उसके रोने की वजह वो खुद ही थी । ललित से बहुत प्यार करती है इसलिए अपनी खुशी के लिए वो उसे कोई नुकसान नही पहुँचा सकती इसलिए उसने मन ही मन ललित की जिंदगी से दूर जाने का फैसला ले लिया । इसके अलावा अब उसके पास कोई चारा नही था । ना चाहते हुए भी अपने दिल पर पत्थर रखकर उसे दूर जाना ही होगा। ऐसे ही ललित को सुरक्षित रक्खा जा सकता है।

रात को खाना खाने के बाद दोनों ही लेट गए । ललित सो गया लेकिन आज अदिति की आँखों में नींद नही आ रही थी और उन आँखों में आंशू और दर्द साफ साफ दिखाई दे रहा था । अपने प्यार से दूर जाने का दर्द , उसे खो देने की तकलीफ , ललित से किये वादे को निभा ना पाने की कसक उसे मन ही रुलाये जा रही थी। आधी रात को जब ललित गहरी नींद में सो गया तो अदिति वहाँ से उठी और उसने एक कागज पर अपने बारे में सब कुछ लिख कर बेड के किनारे रक्खी मेज पर गिलास के नीचे दबा के रख दिया और दिल में असहनीय दर्द और अश्रु भरी आँखों से चुप चाप बिना आवाज किये वहाँ से निकल गयी । शायद ये उसकी और ललित की साथ का आखिरी वक्त था।

अदिति जानती थी कि ललित उसकी सच्चाई जानकार बहुत तकलीफ होगी और शायद वो उससे नफरत भी करने लगे , लेकिन कम से कम वो सुरक्षित तो रहेगा । वो उसकी नफरत तो सह कर दूर तो रह सकती है लेकिन पास रहकर उसे नुकसान नही पहुँचा सकती । सोचते सोचते वो आँखों में आंशू लिए लम्बे लम्बे कदमो से अँधेरी रातो में तेजी से आगे ही आगे जंगलों की तरफ बढ़े जा रही थी ।
 

Brijesh

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Part 1 Update 18
सुबह होते ही ललित अदिति को पास में ना पाकर सोचा आज लग रहा मुझे देर हो गयी और शायद आज अदिति जल्दी उठकर नास्ता करने लगी , इसलिए वो कुछ नही बोला । जब थोड़ी देर हो गयी और अदिति की कोई आवाज तक नही आयी तो उसे थोड़ा फ़िक्र होने लगी और तुरंत ही उठकर " अदिति अदिति " कहते हुए वो सब जगह खोजने लगा । पूरी घर में भी जब वो नही मिली तो घर के बाहर वो इधर उधर देखने लगा और पागलो की तरह सबसे पूछ रहा था । इतना परेशान और बेचैन वो आजतक नही हुआ कभी भी किसी के लिए भी। काफी देर तक अदिति को खोजते जब वो थक हार कर परेशान हो गया तो घर वापस लौट आया और रुआँसा सा अपने बेड पर बैठकर दोनों हाथों से अपने चेहरे को ढककर रोने लगा ।

"अदिति आखिर मुझसे क्या गलती हो गयी जो तुम मुझे बिना बताइये अकेला छोड़ कर चली गयी । जरा सा भी मेरा ख्याल नही आया कि मै तेरे बिन कैसे रह पाउँगा । शायद मेरे प्यार में ही कोई कमी रह गयी थी वरना कभी मुझे छोड़ के नही जाती । " ललित अपने आप से ही बाते कर रहा था । रोते रोते उसकी आंखें लाल हो गयी थी और फिर अपने आंशू पोछते हुए वो एकदम से उठा तप अचानक से उसका हाथ मेज पर रखे गिलास से टकरा गया और वो जमीन पर गिर गया । गिलास को उठाने के लिए जैसे ही ललित झुका तो उसकी नजर हवा से उड़ते उसी कागज पर पड़ी जिसपर अदिति ने अपने बारे में लिखा था ।

ललित ने वो कागज उठा लिया और उसे देखने लगा । अदिति का पत्र देखकर उसे थोडा उम्मीद जगी और वो उसे पढ़ने लगा ।

"ललित मुझे माफ़ कर देना , मै तुम्हे बिना बताइये तुम्हारे घर से जा रही हूँ , क्योंकि मेरे वहाँ से जाने में ही तुम्हारी भलाई है। मुझे पता है मैने तुमसे किये वादे निभा नही पायी लेकिन मै तुमसे खुद से भी ज्यादा प्यार करती हूँ। तुम मुझे रास्ते से उठाकर उस वक्त लाये जब मै जख्मी थी। तुमने मेरी देखभाल की , अपनी पलकों पर बिठा कर रक्खा । हर ख्वाहिश पूरी की , मुझे जिंदगी की हर ख़ुशी दी और इतना प्यार दिया जिसकी मैने कभी कल्पना तक नही की थी । मै तुमसे कभी दूर नही रह सकती लेकिन मेरी मज़बूरी थी तुमसे दूर होने की। "

" मै तुमसे बहुत प्यार करती हूँ और कहते है कि प्यार करने वाले एक दूसरे से कुछ नही छुपाते । लेकिन मैंने तुमसे अपनी जिंदगी का एक बहुत बड़ा राज छुपाया है और वो राज तुम्हे बताना चाहती हूँ । मेरी असलियत जानकार तुम मुझसे शायद नफरत करने लगोगे और मै तुम्हारी नफरत के साथ नही जी सकती । तुम्हे दूर होकर भी तुम्हे हमेशा हद से ज्यादा प्यार करती रहूँगी ।"

"इस शहर के दूसरी छोर पर एक जंगल है , जहाँ पर किसी भी इंसान का जाना वर्जित है क्योंकि वहाँ पर जो भी इंसान जाता है वो कभी भी जिन्दा वापस नही आता । वहाँ पर जो लोग रहते है वो इंसान नही है । वो तो वो जीव है जो ना तो मरे होते है और ना ही जिन्दा। वो जिन्दा और मरे इंसान के बीच की कड़ी है। उन्हें इस दुनिया में लोग वैम्पायर कहते है । वैम्पायर वो खुनी दरिंदे है जो जानवरो के खून पर ही निर्भर रहते है। "

क्रमशः
 

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Part 1 Update 17
ललित और अदिति किचन में खाना बना रहे होते है तभी अचानक से ललित का हाथ चाकू से कट जाता है और हल्का सा खून निकलने लगता है । उसे देखते ही अदिति के चेहरे के भाव बदलने लगते है । आवाज में हलकी सी गुर्राहट के साथ ही उसकी आँखों का विस्तार होने लगता है ।

"अदिति क्या हुआ तुम्हे , ऐसे क्या देख रही हो । " उसकी तरफ देखकर कहते हुए वो अपनी अंगुली को मुँह में डाल लेता है।

"कुछ नही " कहते हुए वो तुरंत ही अपना चेहरा घुमा लेती है ।
"क्या हुआ ऐसे चेहरे को क्यों घुमा लिया ।"
"तुम्हे चोट लग गयी है ना , मुझे खून देखकर घबराहट होने लगती हैं।"

"अरे बस जरा सी ही चोट लगी है। घबराने की कोई बात नही है। देखो अब तो खून भी नही निकल रहा।"
"नही मै नही देख सकती ।"
"अरे पागल मै बिलकुल ठीक हूँ , मुझे कुछ नही हुआ । देखो मेरी तरफ , एकदम सही हो गया । फालतू में परेशान होती है। " अपनी तरफ अदिति को घुमाते हुए बोला ।
"ललित वो ऐसा है ना कि मै खून नही देख सकती । जरा सी खून देख लूँ तो मुझे घबराहट सी होने लगती है।अजीब सी उलझन और बेचैनी सी होती है।"

"चलो अच्छा तुम कमरे में जाओ । मै आता हूँ । " अदिति वहाँ से हटकर तुरंत ललित के पास से बाहर चली जाती है ।

" उफ्फ्फ्फ्फ्फ , ये मुझे क्या हो रहा था । खून को देखकर तो मेरा खुद पर काबू ही नही हो पा रहा था । अगर ललित तुरंत मेरे सामने से खून को हटा नही लेता तो आज फिर मेरा असली रूप उसके सामने आ जाता , और ऐसे तो मै खुद ही ललित को नुकसान पहुँचा दूँगी । आखिर मै कैसे इस समस्या का सामना कर पाऊँगी । आखिर कब तक मै खुद को रोक पाऊँगी। मुझे कुछ ना कुछ तो करना ही होगा लेकिन करू तो क्या करूँ । ललित के साथ ही रहती रहती हूँ तो कभी भी मेरा खुद पर से काबू हट सकता है और तब तो मुझे कुछ भी याद नही रहेगा और उसे कभी भी नुकसान कर सकती हूँ । मुझे उससे दूर जाना ही होगा लेकिन दूर रहना बहुत ही मुश्किल है। " सोचते सोचते अदिति की आँखे भर आयी । तबतक ललित वहाँ आ गया और अदिति की नम आँखे देख.....

"अरे अदिति तुम्हारी आँखों में आंशू । इतना भावुक नही होते हैं । मुझे कुछ नही हुआ । देखो कहि पता चल रहा है कि मुझे चोट लगी होगी। " ललित ने अपनी अंगुली दिखाते हुए कहा।

"आँखों में आंशू लिए अदिति बिना कुछ बोले ललित के गले लग गयी और रोने लगी।

" मेरा प्यार छोटा सा बच्चा चुप हो जा , अब बिलकुल नही रोना। तुम्हे पता है ना कि मै तुम्हारी आँखों में एक भी आंशू नही देख सकता ना । मुझे कितनी तकलीफ होती है फिर भी ऐसे रोकर मुझे तकलीफ देती हो ।" अदिति की पीठ पर हाथ फेरते हुए बोला।

"अच्छा बाबा नही रोउंगी । " ओठो पर एक झूठी मुस्कान लिए वो बोली क्योंकि उसे पता था उसके रोने की वजह वो खुद ही थी । ललित से बहुत प्यार करती है इसलिए अपनी खुशी के लिए वो उसे कोई नुकसान नही पहुँचा सकती इसलिए उसने मन ही मन ललित की जिंदगी से दूर जाने का फैसला ले लिया । इसके अलावा अब उसके पास कोई चारा नही था । ना चाहते हुए भी अपने दिल पर पत्थर रखकर उसे दूर जाना ही होगा। ऐसे ही ललित को सुरक्षित रक्खा जा सकता है।

रात को खाना खाने के बाद दोनों ही लेट गए । ललित सो गया लेकिन आज अदिति की आँखों में नींद नही आ रही थी और उन आँखों में आंशू और दर्द साफ साफ दिखाई दे रहा था । अपने प्यार से दूर जाने का दर्द , उसे खो देने की तकलीफ , ललित से किये वादे को निभा ना पाने की कसक उसे मन ही रुलाये जा रही थी। आधी रात को जब ललित गहरी नींद में सो गया तो अदिति वहाँ से उठी और उसने एक कागज पर अपने बारे में सब कुछ लिख कर बेड के किनारे रक्खी मेज पर गिलास के नीचे दबा के रख दिया और दिल में असहनीय दर्द और अश्रु भरी आँखों से चुप चाप बिना आवाज किये वहाँ से निकल गयी । शायद ये उसकी और ललित की साथ का आखिरी वक्त था।

अदिति जानती थी कि ललित उसकी सच्चाई जानकार बहुत तकलीफ होगी और शायद वो उससे नफरत भी करने लगे , लेकिन कम से कम वो सुरक्षित तो रहेगा । वो उसकी नफरत तो सह कर दूर तो रह सकती है लेकिन पास रहकर उसे नुकसान नही पहुँचा सकती । सोचते सोचते वो आँखों में आंशू लिए लम्बे लम्बे कदमो से अँधेरी रातो में तेजी से आगे ही आगे जंगलों की तरफ बढ़े जा रही थी ।

Part 1 Update 18
सुबह होते ही ललित अदिति को पास में ना पाकर सोचा आज लग रहा मुझे देर हो गयी और शायद आज अदिति जल्दी उठकर नास्ता करने लगी , इसलिए वो कुछ नही बोला । जब थोड़ी देर हो गयी और अदिति की कोई आवाज तक नही आयी तो उसे थोड़ा फ़िक्र होने लगी और तुरंत ही उठकर " अदिति अदिति " कहते हुए वो सब जगह खोजने लगा । पूरी घर में भी जब वो नही मिली तो घर के बाहर वो इधर उधर देखने लगा और पागलो की तरह सबसे पूछ रहा था । इतना परेशान और बेचैन वो आजतक नही हुआ कभी भी किसी के लिए भी। काफी देर तक अदिति को खोजते जब वो थक हार कर परेशान हो गया तो घर वापस लौट आया और रुआँसा सा अपने बेड पर बैठकर दोनों हाथों से अपने चेहरे को ढककर रोने लगा ।

"अदिति आखिर मुझसे क्या गलती हो गयी जो तुम मुझे बिना बताइये अकेला छोड़ कर चली गयी । जरा सा भी मेरा ख्याल नही आया कि मै तेरे बिन कैसे रह पाउँगा । शायद मेरे प्यार में ही कोई कमी रह गयी थी वरना कभी मुझे छोड़ के नही जाती । " ललित अपने आप से ही बाते कर रहा था । रोते रोते उसकी आंखें लाल हो गयी थी और फिर अपने आंशू पोछते हुए वो एकदम से उठा तप अचानक से उसका हाथ मेज पर रखे गिलास से टकरा गया और वो जमीन पर गिर गया । गिलास को उठाने के लिए जैसे ही ललित झुका तो उसकी नजर हवा से उड़ते उसी कागज पर पड़ी जिसपर अदिति ने अपने बारे में लिखा था ।

ललित ने वो कागज उठा लिया और उसे देखने लगा । अदिति का पत्र देखकर उसे थोडा उम्मीद जगी और वो उसे पढ़ने लगा ।

"ललित मुझे माफ़ कर देना , मै तुम्हे बिना बताइये तुम्हारे घर से जा रही हूँ , क्योंकि मेरे वहाँ से जाने में ही तुम्हारी भलाई है। मुझे पता है मैने तुमसे किये वादे निभा नही पायी लेकिन मै तुमसे खुद से भी ज्यादा प्यार करती हूँ। तुम मुझे रास्ते से उठाकर उस वक्त लाये जब मै जख्मी थी। तुमने मेरी देखभाल की , अपनी पलकों पर बिठा कर रक्खा । हर ख्वाहिश पूरी की , मुझे जिंदगी की हर ख़ुशी दी और इतना प्यार दिया जिसकी मैने कभी कल्पना तक नही की थी । मै तुमसे कभी दूर नही रह सकती लेकिन मेरी मज़बूरी थी तुमसे दूर होने की। "

" मै तुमसे बहुत प्यार करती हूँ और कहते है कि प्यार करने वाले एक दूसरे से कुछ नही छुपाते । लेकिन मैंने तुमसे अपनी जिंदगी का एक बहुत बड़ा राज छुपाया है और वो राज तुम्हे बताना चाहती हूँ । मेरी असलियत जानकार तुम मुझसे शायद नफरत करने लगोगे और मै तुम्हारी नफरत के साथ नही जी सकती । तुम्हे दूर होकर भी तुम्हे हमेशा हद से ज्यादा प्यार करती रहूँगी ।"

"इस शहर के दूसरी छोर पर एक जंगल है , जहाँ पर किसी भी इंसान का जाना वर्जित है क्योंकि वहाँ पर जो भी इंसान जाता है वो कभी भी जिन्दा वापस नही आता । वहाँ पर जो लोग रहते है वो इंसान नही है । वो तो वो जीव है जो ना तो मरे होते है और ना ही जिन्दा। वो जिन्दा और मरे इंसान के बीच की कड़ी है। उन्हें इस दुनिया में लोग वैम्पायर कहते है । वैम्पायर वो खुनी दरिंदे है जो जानवरो के खून पर ही निर्भर रहते है। "

क्रमशः
:sigh: kaha me isko chudail chudail keh raha tha aur kaha ye khandaani Vampire nikli :sigh2:
By the way, amazing narration :applause: emotional kar diya pyaari Vampire ne :(
 
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अगला अपडेट आज रात तक आएगा ।
 
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Brijesh

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Part 1 Update 19
अभी तक आपने पढ़ा अदिति ललित का घर छोड़ वापस अपनी दुनिया में चली जाती है । वो ललित से बहुत प्यार करती है लेकिन उसे मज़बूरी में ललित की सलामती के लिए जाना पडता है । अदिति जाने से पहले अपनी सारी सच्चाई एक कागज पर लिखकर घर में रख जाती हैं । अब आगे ..........

प्रिय ललित, मै आज जो तमसे कहने जा रही हूँ , वो तुम्हारे लिए एक सदमा जैसा ही होगा । हो सकता है तुम मुझसे नफरत करने लगो लेकिन कभी मेरे प्यार पर शक मत करना । आज मै तुम्हे अपनी वो सच्चाई बताने जा रही हूँ , जो तुम्हे जानने का पूरा हक है।

"इस शहर के दूसरी छोर पर जो जंगल है , जहाँ पर किसी भी इंसान का जाना वर्जित है क्योंकि वहाँ पर जो भी इंसान जाता है वो कभी भी जिन्दा वापस नही आता । वहाँ पर जो लोग रहते है वो इंसान नही है । वो तो वो जीव है जो ना तो मरे होते है और ना ही जिन्दा। वो जिन्दा और मृत इंसान के बीच की कड़ी है। उन्हें इस दुनिया में लोग वैम्पायर कहते है । वैम्पायर वो खुनी दरिंदे है जो के खून पर ही निर्भर रहते है। वैसे वो सिर्फ जानवरो के खून पर ही जीवित रहते है लेकिन अगर कोई इंसान उनके इलाके में चला जाता है या फिर उनकी जिंदगी में दखलंदाजी करता है तो वो उसे भी अपना शिकार बना लेते है ।"

"मेरा असली नाम राम्या है और मै भी उन्ही में से एक वैम्पायर हूँ । समाज से दूर हम इंसानों की तरह ही रहते है । कोई भी हमें देखकर पहचान नही सकता । जब भी भेड़िये आवाज करते है या फिर पूर्णमासी के दिन हम सभी को अपने असली रूप में आना ही पडता है और उस वक्त हम खुद पर काबू नही रख पाते और जो भी सामने होता है उसका शिकार कर अपनी प्यार बुझाते है । खून को देखकर हमारे अंदर का जानवर हावी होने लगता है ।"
" एक दिन हम कई लोग जंगल में टहलते टहलते अपनी सीमा से बाहर निकल आये तो कुछ वैम्पायर हन्टर्स को हमारे बारे में पता लग गया और वो हमारा पीछा करने लगे। हम सभी उनसे बचकर भागते हुए इधर उधर भटक गए । एक ने मुझे पकड़ लिया और खास तरीके से बनाये पिंजरे में कैद कर लिया । हमें मारने के लिए लकड़ी के बने एक खास प्रकार के हथियार से सीधे दिल पर वार किया जाता है तभी हमें मारा जा सकता है। हमारे दिल तो होता है लेकिन उनमे धड़कन नही होती । वो बेजान होता है और यही खासियत हमें पहचानने में मदद करती है। उस वक्त उस वैम्पायर हन्टर के पास वो हथियार नही था इसलिए उसने मुझे यही जंगल में बने अपने गुप्त जगह पर कैद कर वो हथियार लेने चला
गया । उसने मेरी सारी शक्ति मुझसे छीन ली थी इसलिए मै चाह कर भी उसकी कैद से आजाद नही हो पा रही थी । मुझे लगा मेरा अंतिम वक्त आ गया है तो मै वही बैठकर रोने लगी । तभी वहाँ पर उसकी लड़की को मुझे रोते देख मुझ पर दया आ गयी और उसने मुझे आजाद करने में मदद की । मैने उसका आभार व्यक्त किया और वहाँ से तेजी से भाग गई । हन्टर्स को ये बात पता चल गई और वो मेरा पीछा करने लगे । मै बेहवास बस वहाँ से तेजी से गिरती पड़ती भाग रही थी । मेरा सरीर लहूलुहान हो गया था । आखिर मै थक कर चूर हो गयी थी और अधमरी सी उस पेड़ के नीचे बैठ गयी जहाँ से तुम मुझे अपने घर ले गए और मेरी बहुत देखभाल की। "

"तुम्हारे साथ बिताए वो सभी पलो ने मेरी जिंदगी ही जैसे बदल दी । सोच रही थी कि मेरी शक्तियां वापस आते ही मै वहाँ से चली जाऊंगी लेकिन कब तुम्हे मै पसंद करने लगी पता ही नही चला और ये पसंद प्यार में बदल गयी । इंसानों में प्यार को सिर्फ सुना था लेकिन पहली बार उस प्यार को महसूस किया था लेकिन कभी कह नही पायी । जिस दिन तुमने भी प्यार का इजहार किया जैसे मुझे जन्नत सी मिल गयी हो । मै सब कुछ भूल बस तुम्हारे साथ अपनी जिंदगी बिताना चाहती थी । अपना अतीत अपनी असलियत सब कुछ भूल जाना चाहती थी । "
"एक दिन मेरी माँ को मेरे यहाँ होने का पता चल गया और वो आयी और मुझे साथ चलने को कहा लेकिन मै ने अपने दिल की बात कह दी । उन्होंने मेरे प्यार और जज्बात को समझा लेकिन उन्होंने मुझसे कहा कि आने वाली पूर्णमासी को अपनी असलियत कैसे छुपाओगी । तबसे से मै बहुत परेशान रहने लगी । तुम्हे याद होगा कि मैने तुम्हे एक दिन आधी रात को आइसक्रीम के लिए जिद की थी। वो रात पूर्णमासी की रात थी और उस दिन मेरा असली रूप और मेरी शक्तियां वापस आनी थी और मै तुम्हारे सामने कभी अपनी सच्चाई आने देना नही चाहती थी इसलिए उस वक्त ही मैने तुम्हे बाहर भेजा था । "
 

Brijesh

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Part 1 Update 20
"तुम्हारे जाने के बाद मेरा असली रूप आया था और मै दर्द से बहुत तड़प रही थी लेकिन उससे ज्यादा मुझे सिर्फ इस बात की चिंता थी कि तुम्हारे आने के पहले मै सही हो जाऊ । मुझमे कुछ शक्तियां है जैसे मै किसी चीज को छू कर उस चीज के व्यक्ति के भविष्य के बारे में जान सकती हूँ । ऐसे ही एक दिन मैने जब तुम्हारा फ़ोन छुआ तो मुझे तुम्हारे साथ कुछ अनहोनी का आभास हुआ तो मैने तुम्हे रोकने की कोशिश की लेकिन उसी समय कुछ ऐसे हालात हुए की मेरा असली रूप तुम्हारे सामने आ गया । तुम् बहुत डर गए थे । मुझे दूर ही कर दिए थे । एक पल के लिए मुझे ऐसा लगा मैने तुम्हे हमेशा के लिए खो दिया । बिना कुछ सोचे समझे मैने अपनी शक्ति से तुम्हारे दिमाग से हर वो याद मिटा दी । मैने सोचा अब सब ठीक हो जायेगा लेकिन मै गलत थी । हमारे रिस्ते में बहुत सी बाधाएं आनी थी क्योंकि खून की एक बूंद तक मुझे आकर्षित करती है और मुझे वैहशी दरिंदा बना देती है । और फिर मेरा खुद पर काबू नही होता । खुद पर से अपना नियंत्रण खो जाता है । तुम्हे याद हैं ना उस दिन जब तुम्हारी अंगुली कट गई थी उस खून को देखकर मुझमे बदलाव आ रहा था और तुम पूछे भी थे
और मैने बात टाल दी थी । तभी मै वहाँ से निकल गयी लेकिन मै बहुत डर गई थी । ऐसा लगा मै ही तुम्हे कही नुकसान ना पहुँचा दू इसलिए मेरा तुमसे दूर होना ही बेहतर था । "

" मै तुमसे इतना प्यार करने लगी थी कि तुम्हे कभी कोई भी तकलीफ में नही देख सकती । मुझे पता है तुम्हे ये सब जानकर बहुत दुख होगा और तुम मुझसे नफरत करने लगोगे लेकिन मेरा भरोसा करो मैने सिर्फ तुम्हे खो देने के डर से अपनी सच्चाई छुपाई है । मैने जो भी वादे किए निभा नही सकी । इससे भी ज्यादा दुःख है कि जिससे इतना प्यार किया , जिसके बिना एक पल भी रहना मुश्किल है आज मुझे उससे ही दूर जाना पड़ रहा है । ललित हो सके मुझे माफ़ कर देना लेकिन मैने तुम्हे सच्चे मन से प्यार किया है । बस एक ही गलती की तुमसे सच्चाई छुपा कर , क्योंकि मै तुम्हे खोना नही चाहती थी ।

मै तुम्हे दूर जरूर जा रही हूँ , लेकिन हमेशा तुम्हारे पास तुम्हारी परछाई बनकर ही रहूँगी । तुम हमेशा मेरे दिल में हो और रहोगे । हो सके तो मुझे भूल जाना और अपनी जिंदगी एक नए सिरे से शुरू करना । "
#तुम्हारी अदिति #

पुरे खत में जगह जगह पड़े पानी के निशान इस बात की गवाही थे कि ये खत लिखते समय अदिति कितनी रोई होगी । ललित ये सब पढ़कर कुछ पल के लिए जैसे बुत बन गया हो । उसे समझ नही आया वो करे । पहली बार जिससे प्यार किया वो तो इंसान है ही नही । आखिर क्यों मेरी जिंदगी में आयी । मुझे प्यार का एहसास कराया । जीने की जैसे एक नई वजह दी हो और वो इंसान ही नही । आँखों से बहते आंशू उसके बेइंतिहा प्यार की गवाही दे रहे थे । कुछ सोच के उसने अपने आंशू पोछे और मन ही मन कुछ फैसला लेते हुए खत को अलमारी में रख बाहर निकल गया ।

क्रमशः
 

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