Part 1 Update 17
ललित और अदिति किचन में खाना बना रहे होते है तभी अचानक से ललित का हाथ चाकू से कट जाता है और हल्का सा खून निकलने लगता है । उसे देखते ही अदिति के चेहरे के भाव बदलने लगते है । आवाज में हलकी सी गुर्राहट के साथ ही उसकी आँखों का विस्तार होने लगता है ।
"अदिति क्या हुआ तुम्हे , ऐसे क्या देख रही हो । " उसकी तरफ देखकर कहते हुए वो अपनी अंगुली को मुँह में डाल लेता है।
"कुछ नही " कहते हुए वो तुरंत ही अपना चेहरा घुमा लेती है ।
"क्या हुआ ऐसे चेहरे को क्यों घुमा लिया ।"
"तुम्हे चोट लग गयी है ना , मुझे खून देखकर घबराहट होने लगती हैं।"
"अरे बस जरा सी ही चोट लगी है। घबराने की कोई बात नही है। देखो अब तो खून भी नही निकल रहा।"
"नही मै नही देख सकती ।"
"अरे पागल मै बिलकुल ठीक हूँ , मुझे कुछ नही हुआ । देखो मेरी तरफ , एकदम सही हो गया । फालतू में परेशान होती है। " अपनी तरफ अदिति को घुमाते हुए बोला ।
"ललित वो ऐसा है ना कि मै खून नही देख सकती । जरा सी खून देख लूँ तो मुझे घबराहट सी होने लगती है।अजीब सी उलझन और बेचैनी सी होती है।"
"चलो अच्छा तुम कमरे में जाओ । मै आता हूँ । " अदिति वहाँ से हटकर तुरंत ललित के पास से बाहर चली जाती है ।
" उफ्फ्फ्फ्फ्फ , ये मुझे क्या हो रहा था । खून को देखकर तो मेरा खुद पर काबू ही नही हो पा रहा था । अगर ललित तुरंत मेरे सामने से खून को हटा नही लेता तो आज फिर मेरा असली रूप उसके सामने आ जाता , और ऐसे तो मै खुद ही ललित को नुकसान पहुँचा दूँगी । आखिर मै कैसे इस समस्या का सामना कर पाऊँगी । आखिर कब तक मै खुद को रोक पाऊँगी। मुझे कुछ ना कुछ तो करना ही होगा लेकिन करू तो क्या करूँ । ललित के साथ ही रहती रहती हूँ तो कभी भी मेरा खुद पर से काबू हट सकता है और तब तो मुझे कुछ भी याद नही रहेगा और उसे कभी भी नुकसान कर सकती हूँ । मुझे उससे दूर जाना ही होगा लेकिन दूर रहना बहुत ही मुश्किल है। " सोचते सोचते अदिति की आँखे भर आयी । तबतक ललित वहाँ आ गया और अदिति की नम आँखे देख.....
"अरे अदिति तुम्हारी आँखों में आंशू । इतना भावुक नही होते हैं । मुझे कुछ नही हुआ । देखो कहि पता चल रहा है कि मुझे चोट लगी होगी। " ललित ने अपनी अंगुली दिखाते हुए कहा।
"आँखों में आंशू लिए अदिति बिना कुछ बोले ललित के गले लग गयी और रोने लगी।
" मेरा प्यार छोटा सा बच्चा चुप हो जा , अब बिलकुल नही रोना। तुम्हे पता है ना कि मै तुम्हारी आँखों में एक भी आंशू नही देख सकता ना । मुझे कितनी तकलीफ होती है फिर भी ऐसे रोकर मुझे तकलीफ देती हो ।" अदिति की पीठ पर हाथ फेरते हुए बोला।
"अच्छा बाबा नही रोउंगी । " ओठो पर एक झूठी मुस्कान लिए वो बोली क्योंकि उसे पता था उसके रोने की वजह वो खुद ही थी । ललित से बहुत प्यार करती है इसलिए अपनी खुशी के लिए वो उसे कोई नुकसान नही पहुँचा सकती इसलिए उसने मन ही मन ललित की जिंदगी से दूर जाने का फैसला ले लिया । इसके अलावा अब उसके पास कोई चारा नही था । ना चाहते हुए भी अपने दिल पर पत्थर रखकर उसे दूर जाना ही होगा। ऐसे ही ललित को सुरक्षित रक्खा जा सकता है।
रात को खाना खाने के बाद दोनों ही लेट गए । ललित सो गया लेकिन आज अदिति की आँखों में नींद नही आ रही थी और उन आँखों में आंशू और दर्द साफ साफ दिखाई दे रहा था । अपने प्यार से दूर जाने का दर्द , उसे खो देने की तकलीफ , ललित से किये वादे को निभा ना पाने की कसक उसे मन ही रुलाये जा रही थी। आधी रात को जब ललित गहरी नींद में सो गया तो अदिति वहाँ से उठी और उसने एक कागज पर अपने बारे में सब कुछ लिख कर बेड के किनारे रक्खी मेज पर गिलास के नीचे दबा के रख दिया और दिल में असहनीय दर्द और अश्रु भरी आँखों से चुप चाप बिना आवाज किये वहाँ से निकल गयी । शायद ये उसकी और ललित की साथ का आखिरी वक्त था।
अदिति जानती थी कि ललित उसकी सच्चाई जानकार बहुत तकलीफ होगी और शायद वो उससे नफरत भी करने लगे , लेकिन कम से कम वो सुरक्षित तो रहेगा । वो उसकी नफरत तो सह कर दूर तो रह सकती है लेकिन पास रहकर उसे नुकसान नही पहुँचा सकती । सोचते सोचते वो आँखों में आंशू लिए लम्बे लम्बे कदमो से अँधेरी रातो में तेजी से आगे ही आगे जंगलों की तरफ बढ़े जा रही थी ।