Part 1 Update 22
घर पहुँच कर ....
"हेल्लो सर ! क्या आप रमण्य सर है ?"
"हेल्लो , हा मै ही हूँ लेकिन आप कौन ?"
"सर मेरा नाम ललित है । मुझे आपसे कुछ जरुरी काम है ।"
"आइये अंदर बैठिए आकार । हा अब बताइये क्या काम है ? "
"सर वो.......... "
"घबराइए मत जो भी कहना है आप निश्चिन्त होकर कह सकते है । "
"सर मुझे आपके बारे में नेट से पता चला । मुझे कुछ जानना था आपसे ......"
"आप निःसंकोच होकर बताइये "
"सर मुझे वैम्पायर के बारे में जानना था आपसे " एक साँस में अपनी बात वो कह गया । "
"क्या.....तुम क्या और कैसे जानते हो इन सब के बारे में...... चौकते हुए रमण्य सिंह बोले । मै इन सब के बारे में कुछ भी नही जानता । "
"सर प्लीज ऐसा मत कहिये। मैने नेट पर आपके लेख पढ़े है जो अपने उनके बारे में लिखे और ये भी कि जब वो अपनी हद पर कर मानव जाति के लिए संकट उपन्न करते है तो आप उन्हें पकड़ने और मारने का काम भी करते है।"
"तुम अभी जवान हो अपनी जिंदगी अच्छे से जियो इन सबके बारे में जानने से तुम्हे कोई मतलब नही है ।"
"सर प्लीज मुझे जानना है ।"
"तुम उन सब के बारे में क्यों जानना चाहते हो । वो सब बहुत खतरनाक होते है इन सभी से दूर रहो ।अब तुम जाओ यहाँ से "
"सर प्लीज आप ही मेरी मदद कर सकते है ।" लगभग गिड़गिड़ाते हुए बोला।
"मदद कैसी मदद । कौन हो तुम और क्यों और क्या करना चाहते हो । "
"सर बस मै इतना बता सकता हूँ कि मुझे जानना बहुत जरुरी है । ये मेरी जिंदगी का सवाल है और सिर्फ आप ही मेरी मदद कर सकते है ।"
"मुझे पूरी बात बताओ , तभी मै तुम्हारी मदद करने की सोच सकता हूँ। " बिना बताये वो मदद ना करते , ये सोच कर ललित से अदिति के मिलने से उसके जाने तक की सारी घटना उन्हें विस्तार से बता दी। सब कुछ सुनकर रमण्य सिंह हैरान और परेशान हो गए ।
"ललित तुम्हे पता है तुमने क्या किया और अब क्या करने जा रहे हो । वहाँ बहुत खतरा है , किसी भी इंसान का वहाँ से जीवित आना लगभग असंभव है ।"
"मुझे पता है लेकिन मै अपने दिल के हाथों मजबूर हूँ । मै अदिति के बिना नही रह सकता और मुझे पता है वो भी मुझसे दूर खुश नही रह रही होगी।"
"तुम जो करना चाहते हो वो बहुत मुश्किल है , वो आग और तुम पानी हो । भला आग और पानी का कोई मेल हो सकता है क्या । "
"हमने प्यार किया है और एक दूसरे के साथ जीने का वादा किया है । प्लीज सर आप मेरी मदद कीजिये , नही तो मै खुद ही अकेले उस जंगल में चला जाऊंगा और अपनी अदिति को खोज लूंगा । " कहते हुए ललित वहाँ से जाने लगा ।
"रुको , मै तुम्हारी मदद करूँगा । इसके लिए तुम्हे कुछ हथियार और मन्त्र सिखने पड़ेंगे जो तुम्हारी वहाँ मदद करेंगे । "
" आप जो भी जैसे भी कहेंगे मै करने को तैयार हूँ ।" कहते हुए रमण्य सिंह ललित को खास तरह के बने एक कमरे में ले गए और उन्हें वैम्पायर के बारे में काफी कुछ बताया । कुछ मन्त्र सिखाये जिनसे जंगल में उसकी रक्षा हो सके ।
"ललित वहाँ बहुत खतरा है , मै भी तुम्हारे साथ चलता हूँ।"
"नही सर , ये मेरी लड़ाई है । मुझे अकेले ही लड़ना होगा । मेरा प्यार मेरे साथ है , मुझे किसी डर की जरुरत नही है । बस दुआ कीजिये , अपने जो भी जैसे कहा हैं मै वैसा कर के अदिति को वापस ला सकूँ। " कहते हुए ललित रमण्य सर के बताये रास्ते की तरफ जंगल की तरफ चल पड़ा ।
जंगल पहुँचते पहुँचते शाम हो गयी थी । जैसा की रमण्य सर ने बताया था उसी के हिसाब से अस्त होते सूरज की दिशा में सूरज की तरफ देखते हुए उनके द्वारा दी गयी नीली रंग का पाउडर हवा में फूंक मार के उड़ा दिया । थोड़ी ही देर में उस नीले रंग पाउडर ने एक हल्की सी धुंध का रूप ले लिया जो अँधेरे में भी दिख रही थी । अब ललित को बस उस धुंध का पीछा ही करना था।
क्रमशः