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मैं नहीं कहूँगा कि सिर्फ़ शारीरिक आकर्षण के चलते उन दोनों के बीच वह सब हुआ। क्योंकि कहानी को एक ख़त के रूप में लिखा गया है तो घटनाओं के घटने की गति काफ़ी तेज है। जैसा आपने पढ़ा होगा, वे दोनों फ़र्स्ट-ईयर में घुलने मिलने लगे थे लेकिन ग्रैजूएशन पूरा होने के बाद उनके बीच एक प्रगाढ़ सम्बंध बना जिसे मैं अनैतिक का दर्जा नहीं दूँगा। दूसरा यह कि इस कहानी का कालखंड हमारे समय से थोड़ा पहले का रखा गया है। इसीलिए आप इसमें मोबाइल और कम्प्यूटर जैसी चीजों का विवरण नहीं पाते। आपके अनामिका को लेकर किए सवालों का जवाब आगे की अप्डेट में मिलेगा यह आशा करता हूँ।तीसरा भाग
बहुत ही जबरदस्त महोदय
ये उम्र ही ऐसी होती है जब सोचने समझने की शक्ति बहुत ही कमजोर होती है। इस समय बस शारीरिक आकर्षण रहता है एक दूसरे के प्रति। अमन और प्रिया में भी शुरुआत में शारीरिक आकर्षण था इसलिए उन दोनों में वो अनैतिक कार्य हो गया जो शायद कभी नहीं होना चाहिए था। आजकल कॉलेज की जिंदगी में पढ़ाई कम हो गई है, अक्सर लड़के लड़कियाँ एक दूसरे से अपनी जरूरत पूरी करने में ध्यादा ध्यान देते हैं कुछ अपनी जरूरत पूरी करकर एक दूसरे से अलग हो जाते हैं और कुछ इस जरूरत तो साकार रूप देते हुए शादी तक पहुचा देते है।
अमन भी अनामिका के प्रति शारीरिक आकर्षण को अपने जीवन मे आत्मसात करते हुए अनामिका से शादी करना चाहता था लेकिन उसकी गरीबी उसके बीच मे आ गई। लेकिन क्या अनामिका का प्यार अमन के लिए सच्चा था, क्या वो सच मे अमन से प्यार करती थी, अगर ऐसा था तो वो दूसरी शफी कैसे कर सकती थी। हो सकता है उसने घर वालों के दबाव में शादी की हो लेकिन उसे एक बार अमन से बात तो करना चाहिए था।
आपकी बात से मैं सहमत हूँ, लेकिन मैंने ये बात इसलिए कही क्योंकि आजकल यही सब हो रहा है स्कूल कॉलेजों में।मैं नहीं कहूँगा कि सिर्फ़ शारीरिक आकर्षण के चलते उन दोनों के बीच वह सब हुआ। क्योंकि कहानी को एक ख़त के रूप में लिखा गया है तो घटनाओं के घटने की गति काफ़ी तेज है। जैसा आपने पढ़ा होगा, वे दोनों फ़र्स्ट-ईयर में घुलने मिलने लगे थे लेकिन ग्रैजूएशन पूरा होने के बाद उनके बीच एक प्रगाढ़ सम्बंध बना जिसे मैं अनैतिक का दर्जा नहीं दूँगा। दूसरा यह कि इस कहानी का कालखंड हमारे समय से थोड़ा पहले का रखा गया है। इसीलिए आप इसमें मोबाइल और कम्प्यूटर जैसी चीजों का विवरण नहीं पाते। आपके अनामिका को लेकर किए सवालों का जवाब आगे की अप्डेट में मिलेगा यह आशा करता हूँ।
Aapne reviews diye, itna gehraayi se parkha, aapka haardik aabhaar. Aasha karunga ki aage bhi aapka pyar issi tarah milta rahega.पाँचवाँ भाग
बहुत ही बेहतरीन महोदय।।
एक बाप के लिए सबसे बड़ा बोझ होता है अपने कंधे पर अपनी संतान की मौत का बोझ।। नाम और हरनाम दोनों के साथ ऐसा ही हुआ। अमन अपनी बीवी और बच्चे की मौत से इस कदर टूट गया कि उसने दुनिया को अलविदा कह दिया।
हरनाम सिंह वो बदनसीब बाप थे जिन्होंने न ही बुढापे में अपने नवासे का सुख पाया और न ही अपने बेटे को अपने पास देख पाए। बस एक खत ही है उनके पास जिसको पढ़कर वो अपने गमों को भुलाने की कोशिश करते हैं और अपने बेटे को याद करते हैं।।
कहानी की शुरुआत में लगा था कि ये कहानी हरनाम सिंह की कहानी है, लेकिन ये कहानी अनामिका और अमन के सच्चे प्रेम की कहानी है जो समाज के बनाये दकियानूसी रीतियों और परंपराओं की भेंट चढ़ गई।। बहुत ही बेहतरीन कहानी है ये और इसे पेश करने का अंदाज़ उससे भी ज्यादा बेहतरीन।।
Maine kaha tha ki ye dard bhari dastaan thi .Thanks bhai, aapke shaandaar review ke liye aur Harnaam Singh ke character ko samajhne ke liye, jinpe bahut kam readers ka dhyan jaata hai.