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Adultery अनुभूति

nitya bansal3

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जीवन साथी और सेक्स पार्टनर के बीच अंतर समझें।

अपनी भावनाओं और शरीर का सम्मान करें।

धोखेबाज लोगों से बचें, जो आपके भरोसे और प्रेम का गलत फायदा उठाते हैं।

समझदारी से फैसले लें और अपने आप को किसी भी प्रकार के नुकसान से बचाएं।

आपकी खुशियां और सम्मान आपके अपने हाथ में हैं।

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nitya bansal3

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बिना विवाह के शारीरिक सम्बन्ध के सुख को भोगने का आसान उपाय ,लिव-इन रिलेशनशिप ,

आजकल कई लोगों के लिए एक आम विकल्प बन गया है। यह मुख्यतः उन लोगों के लिए होता है जो एक दूसरे के साथ समय बिताना चाहते हैं और शारीरिक संतुष्टि की आवश्यकता को पूरा करना चाहते हैं। लेकिन इसे सही रूप में समझना और अपनाना महत्वपूर्ण है, अन्यथा यह कई समस्याओं का कारण बन सकता है।


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लिव-इन रिलेशनशिप में शामिल लोग एक दूसरे की शारीरिक और आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने का प्रयास करते हैं। हालांकि, यदि इस संबंध को सिर्फ शारीरिक भूख और आर्थिक फायदे के लिए अपनाया जाता है, तो यह असफलता की ओर बढ़ सकता है।

यदि कोई महिला 40 वर्ष के बाद इस प्रकार के संबंध में प्रवेश करती है, तो उसे विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए। इस उम्र में स्थायित्व और सुरक्षा की आवश्यकता अधिक होती है, और किसी अस्थाई संबंध में प्रवेश करना कठिनाई पैदा कर सकता है।

हमारे समाज में पारंपरिक विवाह संबंधों में भी कई चुनौतियाँ होती हैं। माता-पिता, रिश्तेदार और समाज का दबाव होता है, जिससे पति-पत्नी का साथ बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। लिव-इन रिलेशनशिप में इस प्रकार का कोई सामाजिक समर्थन नहीं होता, जिससे यह और भी अधिक जोखिम भरा हो सकता है।

बड़े शहरों में लिव-इन रिलेशनशिप का चलन बढ़ रहा है। अमीर महिलाएँ इसे अपने शौक के लिए अपनाती हैं, और कुछ मामलों में यह एक फैशन बन गया है। हालांकि, यह समझना जरूरी है कि यह संबंध कितने टिकाऊ और सुरक्षित हैं।

यदि कोई वृद्ध व्यक्ति किसी युवा के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में है, तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। लेकिन यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि यह संबंध वास्तविकता में प्रेम और सहारा पर आधारित हो, न कि आर्थिक लाभ पर।

लिव-इन रिलेशनशिप में प्रवेश करने से पहले दोनों पक्षों को अपनी जिम्मेदारियों और अधिकारों को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए। यदि आप इस प्रकार के संबंध में प्रवेश करने की सोच रहे हैं, तो इन बिंदुओं को ध्यान में रखें:

भरोसा और पारदर्शिता: दोनों पक्षों के बीच विश्वास और पारदर्शिता होनी चाहिए।
आर्थिक समझौते: आर्थिक मामलों में स्पष्टता होनी चाहिए, ताकि किसी प्रकार की धोखाधड़ी से बचा जा सके।
कानूनी सुरक्षा: कानूनी दस्तावेजों और समझौतों की जांच करवा लें, ताकि किसी प्रकार के विवाद से बचा जा सके।

इस प्रकार, लिव-इन रिलेशनशिप में प्रवेश करते समय सतर्क रहना और सभी संभावित खतरों को ध्यान में रखना आवश्यक है।
 

nitya bansal3

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उस प्रेम की प्रतीक्षा में
बैठी प्रेमिका का अंतस अब क्षत्-विक्षत् है
जिस प्रेम ने उसे कहा था
'प्रतीक्षा करो।'
प्रेम ने उसे छला,
नहीं कहा कि प्रतीक्षित प्रेम का पथ
कभी मुड़ता नहीं है।
💙


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SKYESH

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वास्तविक नारी सशक्तिकरण l

स्त्रियों को खुलकर जिने की आजादी मिलनी चाहिए, इसके लिए पुरुष वर्ग को हर तरह से अपने आसपास ( घर हो, सड़क हो, संस्थान हो या निजी या सर्वजनिक स्थल) की महिलाओं को सपोर्ट करनी चाहिए।पुरुष वर्ग इस मामले मे उदार और कृपालु बने। पुरुष वर्ग को समझनी होगी की जबतक वो समाज में महिलाओं के लिए जगह नहीं छोड़ेंगे, महिलाओं की शोषण होती रहेगी।महिलाओं की विवशता को समझें, महसूस कीजिये और उसका सहयोग कीजिये। महिलाएं आपके सहयोग की आकांक्षी हैं।

शुक्रिया, धन्यवाद।

क्या पुरुष वर्ग इस उपकार के लिए सहमत हैं ?


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agree with you
 

nitya bansal3

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शेक्सपियर ने कहा था, ''एक लड़का कभी किसी लड़की का दोस्त नहीं हो सकता, क्योंकि उसमें जुनून है, शारीरिक इच्छा है।'' आयरिश कवि ऑस्कर वाइल्ड ने भी यही बात कही थी। "एक महिला और एक पुरुष के बीच केवल दोस्ती होना असंभव है। जो मौजूद हो सकता है वह लालसा, कमजोरी, नफरत या प्यार है।"


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somewhere i have never travelled gladly beyond
 

nitya bansal3

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संभोग के प्रति औरत तब और अधिक उतारू हो जाती है जब उसका पति उसे समझने वाला मिलता है एक औरत की शारीरिक जरूरतों से ज्यादा जरूरी उसकी मानसिक जरूरतें है, यदि वो मन से आप को अपना रही है तो अपना शरीर आप को सौंपने में उसे थोड़ा भी लज्जा नहीं आएगी लेकिन अब समय बदल गया है आज कल की औरतों को। मानसिक जरूरत पूरा करने वाला लड़का नही चाहिए बल्कि ऐसा लड़का चाहिए को उसकी फिजिकल जरूरतों को भी पूरा कर सके और फिजिकल जरूरत से मेरा मतलब शरिरक संभोग से नही है बल्कि ये वो जरूरतें हैं जिसे दुनिया को इसे दिखानी है बड़े शहर के बड़े कॉलेज में पढ़ने वाली लिबरल सोच रखने वाली लड़की थी मैं हर हफ्ते एक नई ड्रेस चाहिए थी, हर 2 महीने पर के डेस्टिनेशन पर जाना होता था, महीने में 4 बार बाहर खाना होता था, मेरे पति कोशिश तो करते थे, लेकिन मेरे खर्चे उसने संभाले नहीं जाते थे उन्होंने कभी कुछ बोला नहीं लेकिन उनके भाव से लगता।था की वो अंदर से नही चाहते की मैं इतने खर्च को करूं जब मुझे लगने लगा की अब ये मेरी जरुरते पूरी नही कर रहे तो मुझे बहुत से ऐसे लोग मिले पार्टी में या किसी टूर इवेंट pe जो मेरी जरूरतों को पूरी करते थे, कोई मुझे दोस्ती के नाम पर शॉपिंग करवाता कोई नई जगह घूमने का ऑफर करता किसी के पास कुछ भी ना रहता तो वो मेरे लिए हमेशा मेरी बात सुनने के लिए उपलब्ध रहता था, लेकिन इन सब के बीच में भी होते हुए एक परिवार वाली फीलिंग नहीं आतीं थी मुझे समय के साथ पति से भी दूरियां बढ़ने लगी थी, मेरी सारी जरुरते पूरी तो हो रहीं थी लेकिन मन खाली होता जा रहा था मैं कुछ दिन के लिए मायके चली गई मेरे मां बाप काफी उम्र के हैं मैने देखा आज भी मम्मी पापा का पूरा ध्यान रखती हैं कम पेंशन में भी खर्चा आसानी से चलता है मैने मां से बोला की तुम अपने ऊपर खर्चा क्यों नहीं करती हो, क्या तुम्हे मन नही होता है अच्छा दिखने का, नए नए कपड़े पहनने का मां ने बोला किसे दिखाना है अच्छा ??? तुम्हारे पापा को ? उन्हें अब कोई फर्क नही पड़ता है मां का जवाब बहुत छोटा सा था, लेकिन भावार्थ बहुत गहरा था और मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया, मैने इतने खर्च करती हूं अच्छे कपड़े पहनती हूं, सोशल मीडिया पर डालने के लिए, लेकिन बदले में क्या मिल रहा है मुझे ?? बस मेरे पति के साथ दूरी, मेरे पास तो बहुत लड़के हैं जो हर जरूरत पूरी करते हैं लेकिन उस जरूरत के पीछे उनकी भोगविलास की जरूरत साफ दिखाई देती है ? मुझे परेशान देख कर मां ने पूछा क्या हुआ ?? मैने जवाब से बात घूमाते हुए कहा, मेरे पति मेरे साथ समय कम बिताते हैं मां ने बोला क्या हुआ, बेटा वो समय कम बीतता है पर जितना समय उसके पास है तुम्हारे लिए उसमे भरपूर उसका ध्यान रखो वो लड़का है जब वो पैदा हुआ होगा तो घर में खुशी की लहर दौड़ गई होगी जैसे जैसे वो बड़ा हुआ होगा उसे एहसास दिलाया गया होगा की तुम्हे रोना नहीं है, क्यों की तुम लड़के हो और बड़ा हुआ तो ये बताया गया होगा की परिवार चलाना तुम्हारी जिम्मेदारी है इस बीच वो ये भूल गया की उसकी अपनी भी जिंदगी है तुम्हारे शौख पूरे करना परिवार पालना ही उसकी जिंदगी हो गई होगी इसी लिए बस ध्यान नहीं दे पा रहा, पास बैठ के बात करो उससे ।मां की ये बात मुझे सोचने पर मजबूर कर दी और मुझे खुद से घृणा होने लगी, की वो इंसान बिना कुछ सोचे मेरे लिए दिन रात मेहनत करता था और मैं अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए गैर मर्दों के साथ टहलती थी ये जानते हुए की उन्हें सिर्फ मेरे शरीर की चाहत है और किसी चीज की नही इस बात को समझते हुए मैं वापस अपने पति के पास आई और सबसे पहले बाहरी लोगो से रिश्ता तोड़ा अपनी जरुरते सीमित की हर वो खर्च जिसकी जरूरत नहीं है उसे खत्म कर दिया, हर वो चीज जो सिर्फ एक बाहरी दिखावा है उसे खत्म किया आज शादी को पूरे 7 साल हो गए हैं, मैं और मेरे पति हम दोनो का खर्च बेहद कम है पर कमाई कहीं ज्यादा क्यों की भविष्य सुरक्षित रखने के लिए कई जगह निवेश है स्वास्थ्य बीमा है घर का बना खाना खाने से हमारा स्वास्थ्य ठीक है इस लिए किसी भी अन्य चीज की टेंशन नहीं है हमे और मैं सच बोल रही हूं कम जरूरत में ही जिंदगी खूबसूरत होती है सुकून भरी होती है आजकल की लड़किया शादी करने जाती हैं तो वो ऐसा लड़का ढूंढती हैं जो उनकी हर जरूरत पूरी कर दे क्यों की मैं भी आज कल की लड़की ही थी पर आप की जरूरत हमेशा और की चाहत रखती है जो अनंत है, आपको ऐसा लड़का मिल भी जाएगा लेकिन आप को जरूरत और फिजूल खर्ची आप को और आप के परिवार को ही अंदर से खोखला करेंगी इस लिए अपने पति को ये कहने की बजाए की वो जरूरतें पूरी नही कर रहे आप अपनी जरूरतों को सीमित कीजिए धन्यवाद अपना सुझाव जरूर दीजियेगा


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nitya bansal3

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प्रेम जो दिखता नहीं ,
अपितु मेरी प्रार्थनाओं में ,
जो हर वक्त रहता,
अश्रुओं के मोतियों सा हार कि तरह,
जो प्रेम मेरी आंखो में सदैव ही,
विद्यमान रहा,
वो प्रेम को
महज़ दो शरीरों के बिछड़ने से,
भला उसे कैसे समाप्त होने देती मैं...
जहां पर प्रेम की समाप्ति निश्चित थी ,

मैंने वहीं प्रेम को विस्तृत किया....


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nitya bansal3

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सेक्स हर कोई करना चाहता है लेकिन......

सेक्स हर कोई करना चहता है चाहे वह महिला हो या पुरुष।कामुक बातें हर किसी को पसन्द हैंहर कोई कामवासना में लिप्त है।और होगा भी क्यों नहीं यह प्रकृति ने दिया है और स्वाभाविक प्रक्रिया है।सहमति से सेक्स कोई गलत नहीं है और मैं सेक्स को आम क्रियाओं की तरह ही मानती हूं।जो जीवन को, रूह कोआनंदित कर दे वह विषय खराब कैसे हो सकता है।और फिर जिस विषय पर महर्षि वात्स्यान जैसे महान दार्शनिक ने कामसूत्र पुस्तक लिखी हो और विस्तार पूर्वक वर्णन किया हो बह विषय चर्चा के योग्य क्यों नहीं हो सकता वह विषय खराब कैसे हो सकता हैसेक्स को अच्छे से किया जाए तो फिर सेक्स सबसे ज्यादा आनंदित करने बाली क्रिया है। लेकिन कुछ लोगऊपर से दिखावा ऐसा करेंगे जैसे सारे संस्कार सिर्फ इन्हीं में कूट कूट कर भर दिए हों। जब कोई सेक्स की बातें करेगा तो बहुत ही संस्कार वान बनेंगे जैसे ये सेक्स करते ही न हों और यदि सच कहूं तो ऐसे ढोंगी लोग ही कामवासना में सबसे ज्यादा लिप्त हैं यही वो लोग हैं जो अकेले में हर रोज पोर्न वीडियो देखते हैं लेकिन सबके सामने बड़े ही मर्यादित बनेंगे।सेक्स एक क्रिया है महान दार्शनिक रजनीश ओशो जी ने कहा है कि जिस प्रकार नहाना धोना,खाना पीना, सोना जागना, एक क्रिया ठीक वैसे ही सेक्स भी एक क्रिया ही है हालाकि ये सिर्फ महिला और पुरुष द्वारा एकांत में करने वाली क्रिया है।लेकिन सेक्स से संबंधित जरूरी जानकारी पर खुलकर बात करने में कोई बुराई नहीं है।इसलिए मैं तो सिर्फ सेक्स ही नहीं जिस विषय पर भी लिखती हूं खुलकर लिखती हूं।सेक्स पर लिखूंगी तो कोई बुराई ही तो देगा इससे ज्यादा और कोई क्या कर सकता है और बुराई तो वैसे भी सहज ही मिल जाती है अच्छे कामों में भी मिल जाती है बुराई तो फिर डर किस बात का।


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