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Incest अनोखा करवाचौथ

Incestlala

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साहिल जल्दी ही ऑफिस पहुंच गया और सबसे पहले उसकी मुलाकात मैनेजर दुबे जी से हुई तो साहिल ने उनकी उम्र का लिहाज करते हुए उनके पैर छुए तो दुबे पूरी तरह से गदगद हो गए। उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था जिस कंपनी में उन्होंने अपनी सारी ज़िन्दगी गुज़ार दी उसका होने वाला मालिक उन्हें इतना बड़ा सम्मान देगा। दुबे ने दो हाथ साहिल के सिर पर रखे और बोले:"

" जुग जुग जियो बेटा, भगवान तुम्हे इज्जत, धन दौलत से मालामाल कर दे।

साहिल ने उन्हें स्माइल दी और उन्हें पास ही पड़ी हुई चेयर पर बैठ गया। दुबे जी एकदम से बोले:"

" अरे साहिल सर ये कुर्सी अापके लिए नहीं हैं, आपके लिए तक अंदर बहुत ही मुलायम और गद्देदार घूमने वाली कुर्सी लगी हुई हैं बेटा।

साहिल के होंठो पर एक हल्की सी स्माइल अाई और बोला:"

" बाबा जी कुर्सी तो कुर्सी ही होती हैं, क्या मुलायम और क्या कठोर। इंसान को वक़्त पर जो मिल जाए वहीं अच्छी होती है।

दुबे को आज एहसास हुआ कि दोनो बाप बेटे में कितना अंतर है। वो समझ गए कि ये सब जरूर उसकी मालकिन रूबी के संस्कारों का ही कमाल हैं।

दुबे:" बेटा आप तो सचमुच एक बेहद अच्छे इंसान हैं, हमेशा इन्हीं आदर्शो और संस्कारों पर चलना।

साहिल:" जी बाबा बस आपका आश्रीवाद चाहिए मुझे।

दुबे:" बेटा मेरा आशीर्वाद हमेशा आपके साथ रहेगा। अच्छा ये बताओ आज इधर कैसे आना हुआ ?

साहिल ने एक गहरी सांस ली और बोला:" बस ऐसे ही पापा आज नहीं आयेंगे तो वो बोलकर गए थे कि ऑफिस चले जाना और दुबे जी से सब कुछ अच्छे से समझ लेना। पापा आपकी बहुत तारीफ कर रहे थे।

साहिल ने अपन अपना काम निकालने के लिए दुबे जी को मक्खन लगाया लेकिन दुबे जी अनूप को भली भांति जानते थे इसलिए बोले:"

" क्या बेटा सच में उन्होंने ऐसा बोला ? मुझे तो यकीन नहीं हो रहा हैं बेटा।

साहिल दुबे जी के चेहरे पर आए हैरानी के भावों को देखकर समझ गया कि अनूप का जितना खराब व्यवहार घर पर हैं उससे कहीं ज्यादा ऑफिस में हैं।

साहिल:" जी पापा ने ऐसा ही बोला हैं। अच्छा आप मुझे बताए ऑफिस के बारे में, मुझे सारी कंपनी घुमा दीजिए एक बार।

दुबे जी और साहिल दोनो खड़े हो गए और दुबे जी ने साहिल को जब जगह दिखाना शुरू कर दिया। साहिल एक एक चीज को ध्यान से देख और समझ रहा था।
करीब दो घंटे के अंदर साहिल ने सब कुछ देखा लिया और एक डायरी में नोट करता रहा। बाद में दोनो अनूप के ऑफिस में आकर बैठ गए।

साहिल:" अच्छा मैंने देखा कि हमारी आधे से ज्यादा अच्छी मशीन तो बंद पड़ी हुई हैं ऐसा क्यों दुबे जी ?

दुबे जी के माथे पर पसीना छलक उठा और उन्होंने अपना रुमाल निकाल कर मुंह साफ किया और बोले:" बेटा अब बेचारे कर्मचारी बिना वेतन के कितने दिन काम कर सकते हैं, एक महीना या दो महीना, अधिकतर छोड़ कर चले और अब तो बस जो कुछ बचे हुए हैं वो अपने नमक का हक अदा कर रहे हैं। पता नहीं कब कब ये भी छोड़कर चले जाए।


साहिल के दिमाग में धमाका सा हुआ और चौंकते हुए बोला"

" क्या क्या है भगवान, क्या आपको जो कह रहे हैं वो सच हैं ?

दुबे:" हान बेटा, बिल्कुल सत्य हैं, सच तो ये हैं कि कंपनी पूरी तरह से कर्ज में डूब चुकी हैं और बैंक लॉन में गिरवी रखी हुई हैं।

साहिल के सामने आज रहस्य की पट्टियां खुल रही थी और उसे यकीन करना मुश्किल हो रहा था। साहिल:"

" लेकिन बाबा ये सब हुआ कैसे ? हमारी तो इतनी बड़ी मार्केट थी, ये सब डूब कैसे गया ?

दुबे जी:" बेटा सही तो नहीं पता, लेकिन सच्चाई हैं कि हमें पिछले पांच साल से कोई भी टेंडर नहीं मिला हैं , ये सब बिजनेस जो तुम्हारे दादा जी ने खड़ा किया था आपके पिता जी ने सब अपनी अय्याशी में डूबो दिया हैं।

साहिल:" लेकिन एकदम से इतना नुकसान कैसे हो सकता हैं?

दुबे:" बेटा अनूप साहब तो बस नशे में डूबे रहे और देखते ही देखते नीरज मिश्रा सब टेंडर और काम लेते गए। हर टेंडर में नुकसान होता रहा और धीरे धीरे सब डूब गया।

नीरज का नाम आते ही साहिल समझ गया कि उनके बिजनेस को तबाह करने में सबका बड़ा हाथ उसका ही हैं। लेकिन वो ये सब कर क्यों रहा हैं। साहिल:"

" अच्छा सर आप एक बात बताए कि ये नीरज कौन हैं और उसने इतनी जल्दी इतना नाम कैसे कमाया ?

दुबे ने बहुत ही अजीब सी नजरो से साहिल की तरफ देखा और बोला:" नीरज तुम्हारे पिता जी के सबसे अच्छे दोस्त हैं। बेटा इससे ज्यादा तो मुझे नहीं पता लेकिन एक बात जान लो कि समय अपने आपको दोहरा रहा हैं।

साहिल:" वो कैसे समय अपने आपको दोहरा रहा हैं ?

दुबे:" बेटा मुझे ठीक से कुछ नही पता हैं इसलिए क्या बताऊं।

साहिल:" आपको जो भी पता हैं आप मुझे सब बता दीजिए ताकि मैं इस डूबती हुई कंपनी को बचा सकू।

दुबे ने घबरा कर दोनो हाथ जोड़ दिए और बोला:" माफ करना बेटे , मैं इससे आगे कुछ नहीं जानता ।

साहिल समझ गया कि दुबे जी जरूर कुछ छिपा रहे हैं और उसने उन्हें जायदा मजबुर करना जरूरी नाही समझा। फिर कुछ सोचते हुए बोला:"

" अच्छा बाबा आप एक बात बताओ कंपनी के पैसे का हिसाब कौन रखता था ? पापा कितने दिन बाद ये सब देखते थे ?

दुबे को लगा जैसे किसी ने उसके जख्मों को कुरेद दिया हो। अपनी पीड़ा को छुपाते हुए बोले:"

" बेटा पहले तो मैं ही देखता था फिर उन्होंने प्रिया और लीमा को काम पर रख लिया और वो दोनो ही ऑफिस का ज्यादातर काम देखने लगी। वैसे प्रिया ही सारा हिसाब देखती थी क्योंकि लीमा और वो दोनो एक दूसरे से बात करना पसंद नहीं करती थी। लीमा का स्वभाव थोड़ा अलग था क्योंकि उसने एक बार प्रिया को थप्पड़ मार दिया था और उसके बाद भी प्रिया सब अपमान सहन कर गई और यहीं जॉब करती रही।

साहिल को तो लगा रहा था कि दोनो अच्छी दोनो होनी चाहिए लेकिन दोनो के बीच की दुश्मनी ने मामले को और उलझा दिया।
साहिल आगे बोला:"

" अच्छा बाबा मैं चलता हूं, आपका बहुत धन्यवाद। मैं अपनी कंपनी को बचाकर फिर से सभी मजदूरों के घरों को आबाद करना चाहता हु। अगर आपको लगे कि मुझे और कुछ बताना चाहिए तो आप मुझे कॉल करना।

इतना कहकर साहिल ने उन्हें अपना मोबाइल नंबर दिया और उनके पैर छूकर घर की तरफ चल पड़ा। दुबे जी साहिल के इस व्यवहार से एक बार फिर से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके।

उधर रूबी भी योगा सेंटर पहुंच गई और उसने लोगो को योग कराया और उसके बाद अपने ऑफिस में बैठी हुई रात हुई घटनाओं के बारे में सोच रही थी कि किस तरह से रात उसने भोली बनकर अपने बेटे के साथ मस्ती करी थी। मेरा बेटा तो अब पूरा मर्द बन गया हैं, सच में हीरो लगता हैं मेरा बेटा।

लेकिन क्या मैंने जो रात किया वो सब सही था। लेकिन मैं और क्या करू, अनूप तो अब किसी काम का रहा नहीं। लेकिन साहिल पहले से ही मुझे खराब चरित्र की मान रहा था और अब क्या सोच रहा होगा वो मेरे बारे में !!

मुझे साहिल को अपनी तरफ आकर्षित करना है तो उसकी मर्जी होनी चाहिए। वैसे वो भी ये ही सब चाहता है लेकिन फिर भी मुझे सावधानी से काम लेना होगा ताकि उसे कहीं से भी ये ना लगे कि मैं खुद ये सब सोच रही हूं।

रूबी खड़ी हुई और ऑफिस बंद करने के बाद घर की तरफ चल पड़ी।

रूबी घर के अंदर दाखिल हो गई और थोड़ी देर आराम करने के बाद उसने साहिल को फोन किया

" साहिल कहां हो बेटा ?

साहिल घर की तरफ की अा रहा था तो बोला:"

" बस मम्मी घर आने वाला हूं थोड़ी देर बाद।

रूबी ने फोन काट दिया और देखा कि शांता खाना बना चुकी थी और बाहर ही गैलरी में घूम रही थी। रूबी को उसका इस तरह से घूमना ना जाने क्यों पसंद नहीं आया और बोली:'

मम्मी क्या हुआ आपकी तबीयत तो ठीक हैं ना ?

शांता:" हान ठीक हूं मैं, खाना लगा दू क्या आपके लिए ?

रूबी:" हान लगा दो आप, साहिल भी आने वाला हैं , तब तक आप खाना गर्म कीजिए।

शांता किचेन में चली गई और अपना काम करने लगी। थोड़ी देर के बाद साहिल अा गया और उसने अपनी मा देखते ही स्माइल दी और बोला:"

" मम्मी मुझसे आपसे बहुत जरूरी बात करनी हैं, मैं आज पापा के ऑफिस गया था।

रूबी:_ बेटा पहले तुम जाकर फ्रेश हो जाओ और फिर खाना खाकर आराम से बात करते हैं।

साहिल ना चाहते हुए भी नहाने के लिए चला गया और थोड़ी देर बाद सभी लोग खाना खा चुके तो शांता बाहर सफाई में लग गई तो रूबी बोली:"

" मा जी आप रहने दीजिए, मैं खुद काम कर लूंगी, आप थक जाती होगी।

शांता थोड़ा नाराज होते हुए बोली:" पिछले कुछ दिनों से देख रही हूं कि तुम मुझे काम नहीं करने दे रही हो, मुझसे कोई गलती हुई हैं क्या ?

रूबी:" नहीं मा जी बस आपकी उम्र का ख्याल रखती हूं मैं, आप आराम कीजिए। बाकी मैं खुद कर लूंगी।

शांता रूबी की बात सुनकर बहुत दुखी हुई और ना चाहते हुए भी बाहर की तरफ चल पड़ी। शांता के जाने के बाद रूबी और साहिल दोनो सोफे पर बैठ गए और रूबी बोली:"

" हान बेटा बताओ क्या हुआ ?

साहिल:" मम्मी आज ऑफिस गया तो वहां दुबे जी से मेरी बात हुई और पता चला कि हमारी कंपनी तो बर्बाद हो चुकी हैं। बुरी तरह से कर्ज में डूब गई है।

रूबी एकदम से चौंकते हुए बोली:"

" क्या बेटा ऐसा कैसे हो गया ? क्या ये सच बात हैं क्या ?

साहिल:" हान मम्मी, सच हैं और ये सब कहीं का कही उस नीरज की वजह से हुआ है, साथ ही साथ प्रिया और लीमा दोनो ने मिलकर हमे बर्बाद किया हैं।

रूबी:* है भगवान, इसका मतलब नीरज बहुत कमीना आदमी निकला, प्रिया और लीमा दोनो इसके लिए ही काम करती हैं।

साहिल:" नहीं , मुझे लगता हैं कि कोई और भी हैं जो हमें बर्बाद देखना चाहता है क्योंकि लीमा और प्रिया आपस में जानी दुश्मन हैं। कोई तो हैं जो ये सब करना चाह रहा हैं।

रूबी:" है भगवान कौन हो सकता हैं और , ये सब तेरे कमीने बाप की वजह से हो रहा हैं।

साहिल:" लेकिन हमें अब ये सब ठीक करना होगा। मुझे तो लगता हैं कि पापा को मिला नया टेंडर भी उन्हें फसाने की कोई साजिश हैं, मम्मी मुझे आपका साथ चाहिए इस मुश्किल से निकलने के लिए।

रूबी ने साहिल का हाथ पकड़ लिया और बोली:" बेटा हर कदम पर तेरे साथ हूं। बोल क्या करना होगा मुझे ?

साहिल:" अभी तक कुछ नहीं, बस पहले आज शाम को अनूप अा जाए , उसके बाद देखता हूं क्या करना होगा।

दोनो की बात जैसे ही खत्म हुई तो साहिल को बाहर किसी के क़दमों की आहट हुई तो वो बाहर आया लेकिन दूर दूर तक कोई नहीं दिखा। रूबी भी साथ थी लेकिन उसे भी कोई नहीं दिखा। रूबी बोली:"

" क्या हुआ बेटा ?

साहिल:" मुझे लगा जैसे बाहर कोई हैं और छुपकर हमारी बाते सुन रहा हैं। लेकिन यहां तो कोई भी नहीं हैं।

रूबी कुछ सोचते हुए बोली:"

" कहीं शांता तो नहीं थी ? बेटा पता नहीं आजकल क्यों मुझे उसका व्यवहार ठीक नहीं लग रहा हैं ?

साहिल:" ओह मम्मी आप भी ना, वो तो एक गरीब बूढ़ी औरत हैं। वो नहीं हो सकती।

रूबी:" लेकिन मेरा दिल नहीं मान रहा बेटा, एक बार देखे कि क्या वो अपनी कमरे में हैं या नहीं ?

साहिल और रूबी दोनो बाहर नौकरों के लिए बने कमरे में आए तो खिड़की से देखा कि शांता तो पड़े हुए खर्राटे मार रही थी। दोनो वापिस घर के अंदर अा गए और थके होने के कारण सो गए।

शाम को रूबी की आंखे खुली तो देखा कि शांता खाना बना रही थी तो वो भी उसकी मदद करने में जुट गई।

शांता:" रूबी मेरी बेटी का कुछ पता चला क्या ? कहां गई मेरी सपना फिर से ?

रूबी:" मा जी हम धुंध रहे हैं जैसे ही मिल जाएगी आपके हवाले कर दिया जाएगा।

शांता पूरी तरह से उदास हो गई और उसकी आंखो से आंसू टपक पड़े और सुबकते हुए बोली

" पता नहीं कहां होगी , किस हाल में होगी मेरी बेटी ?

रूबी:" आप परेशान मत हो मा जी, हम बहुत ही जल्दी धुंध लेंगे।

शांता थोड़ा शांत हुई और काम में लग गई। दूसरी तरफ साहिल भी उठ गया था और और उसने बाहर घूमने का सोचा क्योंकि वो अक्सर घूमने जाया करता था।

साहिल:" मम्मी मैं बाहर जा रहा हूं, कुछ काम हैं आप चलेगी क्या ?

रूबी:" क्या काम हैं बेटा तुम्हे ? कहां जाना हैं ?

साहिल:" वो मम्मी बाजार का कुछ काम हैं। आओ जल्दी वापिस अा जाएंगे।

रूबी:" ठीक हैं तुम गाड़ी निकालो मैं अा रही हूं।

साहिल ने गाड़ी निकाली और रूबी के साथ मार्केट की तरफ बढ़ गया। रूबी;"

" अरे बेटा तुम्हे अचानक से क्या काम अा गया जो एक दम से अा गए ?

साहिल स्माइल करते हुए बोला:"

" काम तो कुछ नहीं मम्मी, बस आपके साथ थोड़ा घूमने का मन था। और कोई तो मेरा दोस्त हैं नहीं तो आप ही हो मेरी सबसे अच्छी दोस्त।

रूबी:" अच्छा तुम तो बड़े तेज निकले बेटा, तुम्हे कोई और नहीं मिली दोस्त बनाने के लिए ?

साहिल:" मम्मी आपके जैसा कोई नहीं हो सकता, और सच कहूं तो आपकी ज़िन्दगी में एक दोस्त की बहुत ज्यादा जरूरत हैं। जो आपका ध्यान रखे, केयर करे और आपको हंसाए।

रूबी:" हान बेटा, सच हैं ये बात तो मेरी ज़िन्दगी बेरंग सी हो गई हैं, अनूप ने सिर्फ मेरे विश्वास ही नहीं बल्कि मेरी आत्मा तक को छलनी कर दिया हैं।

साहिल:" बस मम्मी अब आपको चिंता करने की कोई ज़रुरत नहीं है, आपका बेटा अब आपकी ज़िन्दगी में प्यार के रंग भर देगा।

रूबी ने साहिल का हाथ पकड़ लिया और बोली:".

" ठीक है फिर आज से हम दोस्त हुए, पक्का प्रोमिस।

साहिल: पक्का एकदम पक्का।


साहिल ने थोड़ी देर गाड़ी चलाने के बाद एक सुंदर से होटल के सामने रोक दी और बोला:"

" चलो ठीक हैं फिर दोस्त बनने की पहली पार्टी हो जाए।

रूबी:" लेकिन बेटा खाना तो मैं बनाकर आई हूं। बाहर नहीं खाना ना फिर।

साहिल:" ओह मम्मी, हूं सिर्फ आइस क्रीम खाएंगे। आपको पता हैं मेरठ की सबसे अच्छी आइस क्रीम यहीं मिलती है। वानीला के एक से बढकर ब्रांड हैं यहां।



रूबी स्माइल के साथ गाड़ी से उतर गई और दोनो मा बेटे अंदर घुस गए। दोनो आइस क्रीम खाकर निकलने ही वाले थे कि तभी रूबी ने साहिल को बाथरूम जाने का इशारा किया और बाथरूम की तरफ चल पड़ी। साहिल वहीं बिल चुकाने के बाद उसका इंतजार करने लगा।

बाथरूम अंदर से बंद था और जैसे ही बाथरूम खुला तो रूबी को 440 वोल्ट का झटका लगा क्योंकि अंदर से लीमा बाहर निकली और उसे देखते ही रूबी ने साहिल को पुकारा और उसे दबोच लिया।

लीमा छूटने की कोशिश करने लगी और दोनो फर्श गिर पड़ी। साहिल तब तक पहुंच गया और रूबी तेजी से बोली:"

" साहिल ये लीमा हैं, उठाओ उसे और भागो।

साहिल ने बिना देर किए उसे कंधे पर उठाया और गाड़ी की तरफ दौड़ लगा दी। पीछे पीछे किडनैप होते देखकर होटल की सिक्योरिटी दौड़ पड़ी। लेकिन साहिल ने तेजी से लीमा को पीछे की सीट पर पटका और रूबी भी बिजली की गति से अंदर घुस गई और साहिल ने तूफान की गति से गाड़ी दौड़ा दी। सिक्योरिटी वाले देखते ही रह गए और कुछ नहीं कर पाए।

अंदर गाड़ी में बैठी लीमा ने रूबी पर हमला कर दिया और रूबी के साथ उसकी लड़ाई शुरू हो गई। लीमा ने रूबी को दो तीन थप्पड लगा दिए लेकिन लीमा रूबी के स्टेमिना के आगे टिक नहीं पाई और रूबी ने मार मारकर उसका हाल खराब कर दिया।

साहिल ने गाड़ी को गति से दौड़ते हुए कच्चे रास्ते पर उतार दिया और रोककर उसने लीमा पर दो चार तेज थप्पड़ दिए तो लीमा के कस बल ढीले हो गए और वो रोते हुए बोली:"

" आह मुझे छोड़ दो, माफ कर दो मुझे साहिल।

साहिल:" कमीनी मेरी मा पर हाथ उठाती है तेरे हाथ तोड़ दूंगा साली कुतिया कहीं की।

साहिल ने ताबड़तोड़ कई थप्पड़ लीमा को जड़े तो लीमा बेहोश हो गई। रूबी और साहिल एक पल के लिए डर गए कि कहीं मर तो नहीं गई। लेकिन साहिल ने उसकी नाड़ी देखी और सुकून की सांस ली।

साहिल:" बेहोश हो गई है ये, मम्मी आपको कहीं चोट तो नहीं अाई ना ?

रूबी का गाल हल्का लाल हो गया था लेकिन हिम्मत दिखाते हुए बोली:" नहीं बेटा मैं ठीक हूं, आज किस्मत अच्छी थी जो ये कमीनी मिल गई।

साहिल:' हान मा लेकिन अब तक होटल वाले इसके किडनैप होने की पुलिस में रिपोर्ट करा चुका होंगे और इसके मालिक को भी पता चल गया होगा। अब इसका क्या करे ? अगर ये हमारे साथ रही तो हम फंस जायेंगे।

रूबी:' बेटा इसे हम घर पर तक तो नहीं रख सकते, हान एक तरीका है इसे हम मेरे योगा सेंटर में बंद कर सकते है। वहां कोई होता भी नहीं हैं। लेकिन वहां तक हम जाएंगे कैसे ? पुलिस सक्रिय हो गई होंगी।

साहिल ने कुछ देर सोचा और गाड़ी को वापिस उसी दिशा में घुमा दिया जहां से वो वापिस आए थे। रूबी बौखला गई और बोली:"

" अरे बेटा ये तुम क्या कर रहे हों? वहां से निकले तो हम फंस जाएंगे। वहां तो बहुत ज्यादा पुलिस होगी।

साहिल:" मम्मी दीपक तले ही सबसे ज्यादा अंधेरा होता हैं। जहां केस हुआ हैं पुलिस सोच भी नहीं सकती कि हम वापिस वहीं से निकल सकते हैं।

रूबी ने कुछ नहीं बोला और साहिल की बात सच साबित हुई। रास्ते में कहीं कोई दिक्कत नहीं था। हान होटल के सामने जरूर कुछ पुलिस वाले थे लेकिन उन्होंने गाड़ी चैक करने की जरूरत महसूस नहीं करी और जल्दी ही उनकी गाड़ी रूबी जे के योगा सेंटर के सामने खड़ी हुई थी।

साहिल ने लीमा को कंधे पर उठाया और रूबी ने सेंटर का दरवाजा खोल दिया। साहिल ने लीमा को वहीं के सोफे पर लिटा दिया और एक रस्सी से उसके हाथ पैर बांध दिए।

साहिल ने लीमा के मुंह पर पानी के छींटे मारे और उसने आंखे खोल दी और अपने आपको बंधे हुए पाकर दया की भीख मांगने लगी और बोली:'

" मुझे छोड़ दो मैडम आप प्लीज़, मेरी कोई गलती नहीं हैं, मैं मजबूर थी।

इतना कहकर लीमा फिर से बेहोश हो गई।

इससे पहले कि वो फिर से होश में आती रूबी का मोबाइल बज उठा और उसने देखा कि अनूप का कॉल था।

रूबी:" हान अनूप बोलो क्या हुआ ?

अनूप:" मैं घर बैठा हुआ हूं, तुम दोनो मा बेटे दिख नहीं रहे हो। कहां चले गए तुम ?

रूबी:* तुमसे मतलब, तुम कौन होते हो पूछने वाले, तुम्हे कोई जरूरत नहीं हैं मुझसे बात करने की समझे तुम।

अनूप को रूबी की बात सुनकर गुस्सा तो बहुत आया लेकिन अपमान का घूूट पीकर रह गया। साहिल को लगा कि अगर अनूप जायदा नाराज हो गया तो उसका प्लान जो वो बना रहा था खराब हो जाएगा। इसलिए उसने रूबी से फोन लिया और बोला:"

" जी पापा, हम दोनों तो यहीं शहर में ही हैं और बाद घूमने आए थे। कुछ ही देर में पहुंच जायेगे।

अनूप:" बेटा थोड़ा जल्दी आओ, मुझे कुछ जरूरी काम के लिए बाहर जाना होगा आज भी।

साहिल:" बस पापा आप थोड़ी देर प्रतीक्षा कीजिए, मैं और मम्मी अा रहे हैं। मुझे आपको एक बहुत बड़ी खुशखबरी देनी हैं

अनूप:" ठीक हैं बेटा आओ जल्दी। मैं घर ही मिलता हूं।

अनूप को कुछ तसल्ली हुई कि आज कम से कम उसके बेटे ने तो उससे इज्जत से बात करी हैं। अनूप ने फोन काट दिया और दारू की बॉटल निकाल कर पीने बैठा गया।


वहीं दूसरी तरफ रूबी ने हैरानी से साहिल की तरफ देखा और बोली

" अब तुम क्या करना चाह रहे हो ? ऐसी कौन सी खुश खबरी है जो मुझे नहीं बताई तुमने।

साहिल ने रूबी मक को स्माइल दी और बोला:'

" मम्मी ऐसा कुछ नहीं नहीं हैं, दरअसल मैंने एक प्लान किया हैं बस अब उस पर ही काम करना हैं और वो बिना अनूप के नहीं हो सकता।

रूबी ने शून्य दृष्टि से साहिल की तरफ देखा और साहिल बोला:"

" मम्मी आपको रास्ते में सब बताता हूं, पहले यहां से निकलो जल्दी कहीं ऐसा ना हो अनूप निकल जाए तो बड़ी दिक्कत हो जाएगी।

रूबी:" लेकिन लीमा का क्या करे ? इससे भी तो हमे बहुत कुछ पूछना हैं अभी।

साहिल:" इसको कल दिन में देख लेंगे। अभी फिलहाल अनूप से मिलना बहुत जरूरी हैं।

इतना कहकर साहिल ने एक बॉटल में रखी हुई क्लोरोफॉर्म लीमा को अच्छे से सूंघा दी तो लीमा एक बार के लिए हल्की सी छटपटाई और बेहोश हो गई। साहिल ने एक कपडा लिया और उसे कसकर लीमा के मुंह पर बांध दिया ताकि वो आवाज ना निकाल सके।


साहिल ने अच्छे से दरवाजा बंद किया और घर की तरफ दोनो मा बेटे चल पड़े। रास्ते में साहिल ने अपनी मा को अपना प्लान बनाया शुरू कर दिया और रूबी की आंखे हैरानी से खुलती जा रही थी।
Superb update
 

Kawal Kumar

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साहिल जल्दी ही ऑफिस पहुंच गया और सबसे पहले उसकी मुलाकात मैनेजर दुबे जी से हुई तो साहिल ने उनकी उम्र का लिहाज करते हुए उनके पैर छुए तो दुबे पूरी तरह से गदगद हो गए। उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था जिस कंपनी में उन्होंने अपनी सारी ज़िन्दगी गुज़ार दी उसका होने वाला मालिक उन्हें इतना बड़ा सम्मान देगा। दुबे ने दो हाथ साहिल के सिर पर रखे और बोले:"

" जुग जुग जियो बेटा, भगवान तुम्हे इज्जत, धन दौलत से मालामाल कर दे।

साहिल ने उन्हें स्माइल दी और उन्हें पास ही पड़ी हुई चेयर पर बैठ गया। दुबे जी एकदम से बोले:"

" अरे साहिल सर ये कुर्सी अापके लिए नहीं हैं, आपके लिए तक अंदर बहुत ही मुलायम और गद्देदार घूमने वाली कुर्सी लगी हुई हैं बेटा।

साहिल के होंठो पर एक हल्की सी स्माइल अाई और बोला:"

" बाबा जी कुर्सी तो कुर्सी ही होती हैं, क्या मुलायम और क्या कठोर। इंसान को वक़्त पर जो मिल जाए वहीं अच्छी होती है।

दुबे को आज एहसास हुआ कि दोनो बाप बेटे में कितना अंतर है। वो समझ गए कि ये सब जरूर उसकी मालकिन रूबी के संस्कारों का ही कमाल हैं।

दुबे:" बेटा आप तो सचमुच एक बेहद अच्छे इंसान हैं, हमेशा इन्हीं आदर्शो और संस्कारों पर चलना।

साहिल:" जी बाबा बस आपका आश्रीवाद चाहिए मुझे।

दुबे:" बेटा मेरा आशीर्वाद हमेशा आपके साथ रहेगा। अच्छा ये बताओ आज इधर कैसे आना हुआ ?

साहिल ने एक गहरी सांस ली और बोला:" बस ऐसे ही पापा आज नहीं आयेंगे तो वो बोलकर गए थे कि ऑफिस चले जाना और दुबे जी से सब कुछ अच्छे से समझ लेना। पापा आपकी बहुत तारीफ कर रहे थे।

साहिल ने अपन अपना काम निकालने के लिए दुबे जी को मक्खन लगाया लेकिन दुबे जी अनूप को भली भांति जानते थे इसलिए बोले:"

" क्या बेटा सच में उन्होंने ऐसा बोला ? मुझे तो यकीन नहीं हो रहा हैं बेटा।

साहिल दुबे जी के चेहरे पर आए हैरानी के भावों को देखकर समझ गया कि अनूप का जितना खराब व्यवहार घर पर हैं उससे कहीं ज्यादा ऑफिस में हैं।

साहिल:" जी पापा ने ऐसा ही बोला हैं। अच्छा आप मुझे बताए ऑफिस के बारे में, मुझे सारी कंपनी घुमा दीजिए एक बार।

दुबे जी और साहिल दोनो खड़े हो गए और दुबे जी ने साहिल को जब जगह दिखाना शुरू कर दिया। साहिल एक एक चीज को ध्यान से देख और समझ रहा था।
करीब दो घंटे के अंदर साहिल ने सब कुछ देखा लिया और एक डायरी में नोट करता रहा। बाद में दोनो अनूप के ऑफिस में आकर बैठ गए।

साहिल:" अच्छा मैंने देखा कि हमारी आधे से ज्यादा अच्छी मशीन तो बंद पड़ी हुई हैं ऐसा क्यों दुबे जी ?

दुबे जी के माथे पर पसीना छलक उठा और उन्होंने अपना रुमाल निकाल कर मुंह साफ किया और बोले:" बेटा अब बेचारे कर्मचारी बिना वेतन के कितने दिन काम कर सकते हैं, एक महीना या दो महीना, अधिकतर छोड़ कर चले और अब तो बस जो कुछ बचे हुए हैं वो अपने नमक का हक अदा कर रहे हैं। पता नहीं कब कब ये भी छोड़कर चले जाए।


साहिल के दिमाग में धमाका सा हुआ और चौंकते हुए बोला"

" क्या क्या है भगवान, क्या आपको जो कह रहे हैं वो सच हैं ?

दुबे:" हान बेटा, बिल्कुल सत्य हैं, सच तो ये हैं कि कंपनी पूरी तरह से कर्ज में डूब चुकी हैं और बैंक लॉन में गिरवी रखी हुई हैं।

साहिल के सामने आज रहस्य की पट्टियां खुल रही थी और उसे यकीन करना मुश्किल हो रहा था। साहिल:"

" लेकिन बाबा ये सब हुआ कैसे ? हमारी तो इतनी बड़ी मार्केट थी, ये सब डूब कैसे गया ?

दुबे जी:" बेटा सही तो नहीं पता, लेकिन सच्चाई हैं कि हमें पिछले पांच साल से कोई भी टेंडर नहीं मिला हैं , ये सब बिजनेस जो तुम्हारे दादा जी ने खड़ा किया था आपके पिता जी ने सब अपनी अय्याशी में डूबो दिया हैं।

साहिल:" लेकिन एकदम से इतना नुकसान कैसे हो सकता हैं?

दुबे:" बेटा अनूप साहब तो बस नशे में डूबे रहे और देखते ही देखते नीरज मिश्रा सब टेंडर और काम लेते गए। हर टेंडर में नुकसान होता रहा और धीरे धीरे सब डूब गया।

नीरज का नाम आते ही साहिल समझ गया कि उनके बिजनेस को तबाह करने में सबका बड़ा हाथ उसका ही हैं। लेकिन वो ये सब कर क्यों रहा हैं। साहिल:"

" अच्छा सर आप एक बात बताए कि ये नीरज कौन हैं और उसने इतनी जल्दी इतना नाम कैसे कमाया ?

दुबे ने बहुत ही अजीब सी नजरो से साहिल की तरफ देखा और बोला:" नीरज तुम्हारे पिता जी के सबसे अच्छे दोस्त हैं। बेटा इससे ज्यादा तो मुझे नहीं पता लेकिन एक बात जान लो कि समय अपने आपको दोहरा रहा हैं।

साहिल:" वो कैसे समय अपने आपको दोहरा रहा हैं ?

दुबे:" बेटा मुझे ठीक से कुछ नही पता हैं इसलिए क्या बताऊं।

साहिल:" आपको जो भी पता हैं आप मुझे सब बता दीजिए ताकि मैं इस डूबती हुई कंपनी को बचा सकू।

दुबे ने घबरा कर दोनो हाथ जोड़ दिए और बोला:" माफ करना बेटे , मैं इससे आगे कुछ नहीं जानता ।

साहिल समझ गया कि दुबे जी जरूर कुछ छिपा रहे हैं और उसने उन्हें जायदा मजबुर करना जरूरी नाही समझा। फिर कुछ सोचते हुए बोला:"

" अच्छा बाबा आप एक बात बताओ कंपनी के पैसे का हिसाब कौन रखता था ? पापा कितने दिन बाद ये सब देखते थे ?

दुबे को लगा जैसे किसी ने उसके जख्मों को कुरेद दिया हो। अपनी पीड़ा को छुपाते हुए बोले:"

" बेटा पहले तो मैं ही देखता था फिर उन्होंने प्रिया और लीमा को काम पर रख लिया और वो दोनो ही ऑफिस का ज्यादातर काम देखने लगी। वैसे प्रिया ही सारा हिसाब देखती थी क्योंकि लीमा और वो दोनो एक दूसरे से बात करना पसंद नहीं करती थी। लीमा का स्वभाव थोड़ा अलग था क्योंकि उसने एक बार प्रिया को थप्पड़ मार दिया था और उसके बाद भी प्रिया सब अपमान सहन कर गई और यहीं जॉब करती रही।

साहिल को तो लगा रहा था कि दोनो अच्छी दोनो होनी चाहिए लेकिन दोनो के बीच की दुश्मनी ने मामले को और उलझा दिया।
साहिल आगे बोला:"

" अच्छा बाबा मैं चलता हूं, आपका बहुत धन्यवाद। मैं अपनी कंपनी को बचाकर फिर से सभी मजदूरों के घरों को आबाद करना चाहता हु। अगर आपको लगे कि मुझे और कुछ बताना चाहिए तो आप मुझे कॉल करना।

इतना कहकर साहिल ने उन्हें अपना मोबाइल नंबर दिया और उनके पैर छूकर घर की तरफ चल पड़ा। दुबे जी साहिल के इस व्यवहार से एक बार फिर से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके।

उधर रूबी भी योगा सेंटर पहुंच गई और उसने लोगो को योग कराया और उसके बाद अपने ऑफिस में बैठी हुई रात हुई घटनाओं के बारे में सोच रही थी कि किस तरह से रात उसने भोली बनकर अपने बेटे के साथ मस्ती करी थी। मेरा बेटा तो अब पूरा मर्द बन गया हैं, सच में हीरो लगता हैं मेरा बेटा।

लेकिन क्या मैंने जो रात किया वो सब सही था। लेकिन मैं और क्या करू, अनूप तो अब किसी काम का रहा नहीं। लेकिन साहिल पहले से ही मुझे खराब चरित्र की मान रहा था और अब क्या सोच रहा होगा वो मेरे बारे में !!

मुझे साहिल को अपनी तरफ आकर्षित करना है तो उसकी मर्जी होनी चाहिए। वैसे वो भी ये ही सब चाहता है लेकिन फिर भी मुझे सावधानी से काम लेना होगा ताकि उसे कहीं से भी ये ना लगे कि मैं खुद ये सब सोच रही हूं।

रूबी खड़ी हुई और ऑफिस बंद करने के बाद घर की तरफ चल पड़ी।

रूबी घर के अंदर दाखिल हो गई और थोड़ी देर आराम करने के बाद उसने साहिल को फोन किया

" साहिल कहां हो बेटा ?

साहिल घर की तरफ की अा रहा था तो बोला:"

" बस मम्मी घर आने वाला हूं थोड़ी देर बाद।

रूबी ने फोन काट दिया और देखा कि शांता खाना बना चुकी थी और बाहर ही गैलरी में घूम रही थी। रूबी को उसका इस तरह से घूमना ना जाने क्यों पसंद नहीं आया और बोली:'

मम्मी क्या हुआ आपकी तबीयत तो ठीक हैं ना ?

शांता:" हान ठीक हूं मैं, खाना लगा दू क्या आपके लिए ?

रूबी:" हान लगा दो आप, साहिल भी आने वाला हैं , तब तक आप खाना गर्म कीजिए।

शांता किचेन में चली गई और अपना काम करने लगी। थोड़ी देर के बाद साहिल अा गया और उसने अपनी मा देखते ही स्माइल दी और बोला:"

" मम्मी मुझसे आपसे बहुत जरूरी बात करनी हैं, मैं आज पापा के ऑफिस गया था।

रूबी:_ बेटा पहले तुम जाकर फ्रेश हो जाओ और फिर खाना खाकर आराम से बात करते हैं।

साहिल ना चाहते हुए भी नहाने के लिए चला गया और थोड़ी देर बाद सभी लोग खाना खा चुके तो शांता बाहर सफाई में लग गई तो रूबी बोली:"

" मा जी आप रहने दीजिए, मैं खुद काम कर लूंगी, आप थक जाती होगी।

शांता थोड़ा नाराज होते हुए बोली:" पिछले कुछ दिनों से देख रही हूं कि तुम मुझे काम नहीं करने दे रही हो, मुझसे कोई गलती हुई हैं क्या ?

रूबी:" नहीं मा जी बस आपकी उम्र का ख्याल रखती हूं मैं, आप आराम कीजिए। बाकी मैं खुद कर लूंगी।

शांता रूबी की बात सुनकर बहुत दुखी हुई और ना चाहते हुए भी बाहर की तरफ चल पड़ी। शांता के जाने के बाद रूबी और साहिल दोनो सोफे पर बैठ गए और रूबी बोली:"

" हान बेटा बताओ क्या हुआ ?

साहिल:" मम्मी आज ऑफिस गया तो वहां दुबे जी से मेरी बात हुई और पता चला कि हमारी कंपनी तो बर्बाद हो चुकी हैं। बुरी तरह से कर्ज में डूब गई है।

रूबी एकदम से चौंकते हुए बोली:"

" क्या बेटा ऐसा कैसे हो गया ? क्या ये सच बात हैं क्या ?

साहिल:" हान मम्मी, सच हैं और ये सब कहीं का कही उस नीरज की वजह से हुआ है, साथ ही साथ प्रिया और लीमा दोनो ने मिलकर हमे बर्बाद किया हैं।

रूबी:* है भगवान, इसका मतलब नीरज बहुत कमीना आदमी निकला, प्रिया और लीमा दोनो इसके लिए ही काम करती हैं।

साहिल:" नहीं , मुझे लगता हैं कि कोई और भी हैं जो हमें बर्बाद देखना चाहता है क्योंकि लीमा और प्रिया आपस में जानी दुश्मन हैं। कोई तो हैं जो ये सब करना चाह रहा हैं।

रूबी:" है भगवान कौन हो सकता हैं और , ये सब तेरे कमीने बाप की वजह से हो रहा हैं।

साहिल:" लेकिन हमें अब ये सब ठीक करना होगा। मुझे तो लगता हैं कि पापा को मिला नया टेंडर भी उन्हें फसाने की कोई साजिश हैं, मम्मी मुझे आपका साथ चाहिए इस मुश्किल से निकलने के लिए।

रूबी ने साहिल का हाथ पकड़ लिया और बोली:" बेटा हर कदम पर तेरे साथ हूं। बोल क्या करना होगा मुझे ?

साहिल:" अभी तक कुछ नहीं, बस पहले आज शाम को अनूप अा जाए , उसके बाद देखता हूं क्या करना होगा।

दोनो की बात जैसे ही खत्म हुई तो साहिल को बाहर किसी के क़दमों की आहट हुई तो वो बाहर आया लेकिन दूर दूर तक कोई नहीं दिखा। रूबी भी साथ थी लेकिन उसे भी कोई नहीं दिखा। रूबी बोली:"

" क्या हुआ बेटा ?

साहिल:" मुझे लगा जैसे बाहर कोई हैं और छुपकर हमारी बाते सुन रहा हैं। लेकिन यहां तो कोई भी नहीं हैं।

रूबी कुछ सोचते हुए बोली:"

" कहीं शांता तो नहीं थी ? बेटा पता नहीं आजकल क्यों मुझे उसका व्यवहार ठीक नहीं लग रहा हैं ?

साहिल:" ओह मम्मी आप भी ना, वो तो एक गरीब बूढ़ी औरत हैं। वो नहीं हो सकती।

रूबी:" लेकिन मेरा दिल नहीं मान रहा बेटा, एक बार देखे कि क्या वो अपनी कमरे में हैं या नहीं ?

साहिल और रूबी दोनो बाहर नौकरों के लिए बने कमरे में आए तो खिड़की से देखा कि शांता तो पड़े हुए खर्राटे मार रही थी। दोनो वापिस घर के अंदर अा गए और थके होने के कारण सो गए।

शाम को रूबी की आंखे खुली तो देखा कि शांता खाना बना रही थी तो वो भी उसकी मदद करने में जुट गई।

शांता:" रूबी मेरी बेटी का कुछ पता चला क्या ? कहां गई मेरी सपना फिर से ?

रूबी:" मा जी हम धुंध रहे हैं जैसे ही मिल जाएगी आपके हवाले कर दिया जाएगा।

शांता पूरी तरह से उदास हो गई और उसकी आंखो से आंसू टपक पड़े और सुबकते हुए बोली

" पता नहीं कहां होगी , किस हाल में होगी मेरी बेटी ?

रूबी:" आप परेशान मत हो मा जी, हम बहुत ही जल्दी धुंध लेंगे।

शांता थोड़ा शांत हुई और काम में लग गई। दूसरी तरफ साहिल भी उठ गया था और और उसने बाहर घूमने का सोचा क्योंकि वो अक्सर घूमने जाया करता था।

साहिल:" मम्मी मैं बाहर जा रहा हूं, कुछ काम हैं आप चलेगी क्या ?

रूबी:" क्या काम हैं बेटा तुम्हे ? कहां जाना हैं ?

साहिल:" वो मम्मी बाजार का कुछ काम हैं। आओ जल्दी वापिस अा जाएंगे।

रूबी:" ठीक हैं तुम गाड़ी निकालो मैं अा रही हूं।

साहिल ने गाड़ी निकाली और रूबी के साथ मार्केट की तरफ बढ़ गया। रूबी;"

" अरे बेटा तुम्हे अचानक से क्या काम अा गया जो एक दम से अा गए ?

साहिल स्माइल करते हुए बोला:"

" काम तो कुछ नहीं मम्मी, बस आपके साथ थोड़ा घूमने का मन था। और कोई तो मेरा दोस्त हैं नहीं तो आप ही हो मेरी सबसे अच्छी दोस्त।

रूबी:" अच्छा तुम तो बड़े तेज निकले बेटा, तुम्हे कोई और नहीं मिली दोस्त बनाने के लिए ?

साहिल:" मम्मी आपके जैसा कोई नहीं हो सकता, और सच कहूं तो आपकी ज़िन्दगी में एक दोस्त की बहुत ज्यादा जरूरत हैं। जो आपका ध्यान रखे, केयर करे और आपको हंसाए।

रूबी:" हान बेटा, सच हैं ये बात तो मेरी ज़िन्दगी बेरंग सी हो गई हैं, अनूप ने सिर्फ मेरे विश्वास ही नहीं बल्कि मेरी आत्मा तक को छलनी कर दिया हैं।

साहिल:" बस मम्मी अब आपको चिंता करने की कोई ज़रुरत नहीं है, आपका बेटा अब आपकी ज़िन्दगी में प्यार के रंग भर देगा।

रूबी ने साहिल का हाथ पकड़ लिया और बोली:".

" ठीक है फिर आज से हम दोस्त हुए, पक्का प्रोमिस।

साहिल: पक्का एकदम पक्का।


साहिल ने थोड़ी देर गाड़ी चलाने के बाद एक सुंदर से होटल के सामने रोक दी और बोला:"

" चलो ठीक हैं फिर दोस्त बनने की पहली पार्टी हो जाए।

रूबी:" लेकिन बेटा खाना तो मैं बनाकर आई हूं। बाहर नहीं खाना ना फिर।

साहिल:" ओह मम्मी, हूं सिर्फ आइस क्रीम खाएंगे। आपको पता हैं मेरठ की सबसे अच्छी आइस क्रीम यहीं मिलती है। वानीला के एक से बढकर ब्रांड हैं यहां।



रूबी स्माइल के साथ गाड़ी से उतर गई और दोनो मा बेटे अंदर घुस गए। दोनो आइस क्रीम खाकर निकलने ही वाले थे कि तभी रूबी ने साहिल को बाथरूम जाने का इशारा किया और बाथरूम की तरफ चल पड़ी। साहिल वहीं बिल चुकाने के बाद उसका इंतजार करने लगा।

बाथरूम अंदर से बंद था और जैसे ही बाथरूम खुला तो रूबी को 440 वोल्ट का झटका लगा क्योंकि अंदर से लीमा बाहर निकली और उसे देखते ही रूबी ने साहिल को पुकारा और उसे दबोच लिया।

लीमा छूटने की कोशिश करने लगी और दोनो फर्श गिर पड़ी। साहिल तब तक पहुंच गया और रूबी तेजी से बोली:"

" साहिल ये लीमा हैं, उठाओ उसे और भागो।

साहिल ने बिना देर किए उसे कंधे पर उठाया और गाड़ी की तरफ दौड़ लगा दी। पीछे पीछे किडनैप होते देखकर होटल की सिक्योरिटी दौड़ पड़ी। लेकिन साहिल ने तेजी से लीमा को पीछे की सीट पर पटका और रूबी भी बिजली की गति से अंदर घुस गई और साहिल ने तूफान की गति से गाड़ी दौड़ा दी। सिक्योरिटी वाले देखते ही रह गए और कुछ नहीं कर पाए।

अंदर गाड़ी में बैठी लीमा ने रूबी पर हमला कर दिया और रूबी के साथ उसकी लड़ाई शुरू हो गई। लीमा ने रूबी को दो तीन थप्पड लगा दिए लेकिन लीमा रूबी के स्टेमिना के आगे टिक नहीं पाई और रूबी ने मार मारकर उसका हाल खराब कर दिया।

साहिल ने गाड़ी को गति से दौड़ते हुए कच्चे रास्ते पर उतार दिया और रोककर उसने लीमा पर दो चार तेज थप्पड़ दिए तो लीमा के कस बल ढीले हो गए और वो रोते हुए बोली:"

" आह मुझे छोड़ दो, माफ कर दो मुझे साहिल।

साहिल:" कमीनी मेरी मा पर हाथ उठाती है तेरे हाथ तोड़ दूंगा साली कुतिया कहीं की।

साहिल ने ताबड़तोड़ कई थप्पड़ लीमा को जड़े तो लीमा बेहोश हो गई। रूबी और साहिल एक पल के लिए डर गए कि कहीं मर तो नहीं गई। लेकिन साहिल ने उसकी नाड़ी देखी और सुकून की सांस ली।

साहिल:" बेहोश हो गई है ये, मम्मी आपको कहीं चोट तो नहीं अाई ना ?

रूबी का गाल हल्का लाल हो गया था लेकिन हिम्मत दिखाते हुए बोली:" नहीं बेटा मैं ठीक हूं, आज किस्मत अच्छी थी जो ये कमीनी मिल गई।

साहिल:' हान मा लेकिन अब तक होटल वाले इसके किडनैप होने की पुलिस में रिपोर्ट करा चुका होंगे और इसके मालिक को भी पता चल गया होगा। अब इसका क्या करे ? अगर ये हमारे साथ रही तो हम फंस जायेंगे।

रूबी:' बेटा इसे हम घर पर तक तो नहीं रख सकते, हान एक तरीका है इसे हम मेरे योगा सेंटर में बंद कर सकते है। वहां कोई होता भी नहीं हैं। लेकिन वहां तक हम जाएंगे कैसे ? पुलिस सक्रिय हो गई होंगी।

साहिल ने कुछ देर सोचा और गाड़ी को वापिस उसी दिशा में घुमा दिया जहां से वो वापिस आए थे। रूबी बौखला गई और बोली:"

" अरे बेटा ये तुम क्या कर रहे हों? वहां से निकले तो हम फंस जाएंगे। वहां तो बहुत ज्यादा पुलिस होगी।

साहिल:" मम्मी दीपक तले ही सबसे ज्यादा अंधेरा होता हैं। जहां केस हुआ हैं पुलिस सोच भी नहीं सकती कि हम वापिस वहीं से निकल सकते हैं।

रूबी ने कुछ नहीं बोला और साहिल की बात सच साबित हुई। रास्ते में कहीं कोई दिक्कत नहीं था। हान होटल के सामने जरूर कुछ पुलिस वाले थे लेकिन उन्होंने गाड़ी चैक करने की जरूरत महसूस नहीं करी और जल्दी ही उनकी गाड़ी रूबी जे के योगा सेंटर के सामने खड़ी हुई थी।

साहिल ने लीमा को कंधे पर उठाया और रूबी ने सेंटर का दरवाजा खोल दिया। साहिल ने लीमा को वहीं के सोफे पर लिटा दिया और एक रस्सी से उसके हाथ पैर बांध दिए।

साहिल ने लीमा के मुंह पर पानी के छींटे मारे और उसने आंखे खोल दी और अपने आपको बंधे हुए पाकर दया की भीख मांगने लगी और बोली:'

" मुझे छोड़ दो मैडम आप प्लीज़, मेरी कोई गलती नहीं हैं, मैं मजबूर थी।

इतना कहकर लीमा फिर से बेहोश हो गई।

इससे पहले कि वो फिर से होश में आती रूबी का मोबाइल बज उठा और उसने देखा कि अनूप का कॉल था।

रूबी:" हान अनूप बोलो क्या हुआ ?

अनूप:" मैं घर बैठा हुआ हूं, तुम दोनो मा बेटे दिख नहीं रहे हो। कहां चले गए तुम ?

रूबी:* तुमसे मतलब, तुम कौन होते हो पूछने वाले, तुम्हे कोई जरूरत नहीं हैं मुझसे बात करने की समझे तुम।

अनूप को रूबी की बात सुनकर गुस्सा तो बहुत आया लेकिन अपमान का घूूट पीकर रह गया। साहिल को लगा कि अगर अनूप जायदा नाराज हो गया तो उसका प्लान जो वो बना रहा था खराब हो जाएगा। इसलिए उसने रूबी से फोन लिया और बोला:"

" जी पापा, हम दोनों तो यहीं शहर में ही हैं और बाद घूमने आए थे। कुछ ही देर में पहुंच जायेगे।

अनूप:" बेटा थोड़ा जल्दी आओ, मुझे कुछ जरूरी काम के लिए बाहर जाना होगा आज भी।

साहिल:" बस पापा आप थोड़ी देर प्रतीक्षा कीजिए, मैं और मम्मी अा रहे हैं। मुझे आपको एक बहुत बड़ी खुशखबरी देनी हैं

अनूप:" ठीक हैं बेटा आओ जल्दी। मैं घर ही मिलता हूं।

अनूप को कुछ तसल्ली हुई कि आज कम से कम उसके बेटे ने तो उससे इज्जत से बात करी हैं। अनूप ने फोन काट दिया और दारू की बॉटल निकाल कर पीने बैठा गया।


वहीं दूसरी तरफ रूबी ने हैरानी से साहिल की तरफ देखा और बोली

" अब तुम क्या करना चाह रहे हो ? ऐसी कौन सी खुश खबरी है जो मुझे नहीं बताई तुमने।

साहिल ने रूबी मक को स्माइल दी और बोला:'

" मम्मी ऐसा कुछ नहीं नहीं हैं, दरअसल मैंने एक प्लान किया हैं बस अब उस पर ही काम करना हैं और वो बिना अनूप के नहीं हो सकता।

रूबी ने शून्य दृष्टि से साहिल की तरफ देखा और साहिल बोला:"

" मम्मी आपको रास्ते में सब बताता हूं, पहले यहां से निकलो जल्दी कहीं ऐसा ना हो अनूप निकल जाए तो बड़ी दिक्कत हो जाएगी।

रूबी:" लेकिन लीमा का क्या करे ? इससे भी तो हमे बहुत कुछ पूछना हैं अभी।

साहिल:" इसको कल दिन में देख लेंगे। अभी फिलहाल अनूप से मिलना बहुत जरूरी हैं।

इतना कहकर साहिल ने एक बॉटल में रखी हुई क्लोरोफॉर्म लीमा को अच्छे से सूंघा दी तो लीमा एक बार के लिए हल्की सी छटपटाई और बेहोश हो गई। साहिल ने एक कपडा लिया और उसे कसकर लीमा के मुंह पर बांध दिया ताकि वो आवाज ना निकाल सके।


साहिल ने अच्छे से दरवाजा बंद किया और घर की तरफ दोनो मा बेटे चल पड़े। रास्ते में साहिल ने अपनी मा को अपना प्लान बनाया शुरू कर दिया और रूबी की आंखे हैरानी से खुलती जा रही थी।
:superb: :good: amazing update hai bhai,
behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai,
Aakhir kar lima haath lag hi gayi,
aur ye shanta ki harkatein bhi ab thik nahin lag rahi hai,
Ab dekhte hain ki saahil ne kya plan banaya hai,
Waiting for next update
 
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