साहिल तेजी से दौड़ता हुआ चुदाई लोक में घुस गया और उसने एक पानी का पाइप लिया और धीरे धीरे सारे में पानी फैलता चला गया। चुदाई लोक के आधे से ज्यादा हिस्से में पानी भर गया था करीब एक एक इंच। ये देख कर साहिल समझ गया कि उसकी योजना काम कर रही है।
सभी लोग हैरानी ने उसे देख रहे थे कि तभी साहिल ने रूबी को बोला:"
" मम्मी जल्दी से आप ज्योति का मुंह बांध दीजिए।
रूबी और लीमा ने बला की फुर्ती दिखाते हुए ज्योति का मुंह बंद कर दिया और अब वो चाह कर भी चिल्ला सकती थी।
गुंडे उसको नीचे ढूंढने के बाद उपर की तरफ आने लगे की तरफ आने लगे और साहिल जानता था कि उसे अब क्या करना हैं । उसने गुण्डो को अपनी हलकी सी झलक दिखा दी और बोला:
" मुझे मारना तो दूर तुम छू भी नहीं सकते।
इतना कहकर साहिल ने चुदाई लोक की तरफ दौड़ लगा दी और गुंडे एक के बाद एक उसके पीछे दौड़ पड़े। चुदाई लोक में घुसते ही गुण्डो की आंखे खुली की खुली रह गई। वो पूरी तरह से अचंभित थे ये अद्भुत सौंदर्य देखकर।
साहिल उन्हें उपर खड़ा हुए नजर आया और उनका सरदार बोला:"
" बच्चे क्यों आंख मिचौली खेल रहा है, आजा तेरा खेल खत्म।
साहिल:" खेल किसका खत्म हुआ होगा अभी पता चल जाएगा तुम्हे।
तभी साहिल ने अपना हाथ आगे बढाया और एक स्विच ऑन किया और तभी सरदार को बिजली की तार नजर आईं लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और पानी में करंट उतर गया और सारे गुंडे एक साथ कांप उठे। उनके जिस्म को झटके पर झटके लग रहे थे और देखते ही देखते सारे एक के बाद एक ढेर होते चले गए। बेचारे ढ़ंग से चींखं भी नहीं सके।
ज्योति कांप उठी और जोर जोर से कुछ बोलने की कोशिश कर रही थी और अपने हाथ पैर को पटक रही थी क्योंकि वो जानती थी कि उसके बाकी बचे हुए साथी भी अंदर आते ही मौत कि बली चढ़ जाएंगे। रूबी, लीमा ज्योति और अनूप ये सब देख कर हैरान हो गए कि साहिल ने एक ही झटके में सभी गुण्डो को मौत के घाट उतार दिया और उनकी बंदूक भी पानी में गिरकर अब खराब हो गई।
ज्योति की हालत देखते हुए साहिल ने बिजली का स्विच बंद कर दिया और ज्योति के चेहरे पर कुछ सुकून दिखाई दिया।
नीरज और रवि मिश्रा साहिल की आवाज सुनकर चुदाई लोक की तरफ आए और अंदर घुसते ही उन्हें अपने सारे गुण्डो की लाशे नजर आईं तो उनकी आंखे हैरानी से खुल रह गई।
साहिल सामने नजर आया और बोला:"
" देख लो नीरज तुम्हारे सारे कुत्तों की लाशे पड़ी हुई हैं। मेरे सिर्फ एक बटन दबाने पर तुम भी जल जाओगे।
नीरज और रवि ने देखा तो उन्हें एहसास हुआ कि वो पानी में अंदर खड़े हुए हैं तो डर उनके चेहरे पर साफ नजर आया और पीछे हटने लगे और नीरज का हाथ उसकी जेब की तरफ बढ़ा तो साहिल की आवाज गूंज उठी
" वहीं रुक जाओ, अगर एक कदम भी पीछे हटे तो मैं स्विच ऑन कर दूंगा।
नीरज का हाथ अपने आप रुक गया और मौत का खौफ उनके सभी के चेहरे पर साफ नजर आ रहा था।
साहिल:" प्रिया तुम आगे आओ और इनकी बंदूके निकाल कर पानी में डाल दो। अगर चालाकी की तो इन सबकी मौत के जिम्मेदार तुम होगी।
प्रिया मजबुर थी इसलिए आगे बढ़ी और बंदूक पानी में डाल दी। नीरज और रवि दोनो जानते थे कि उनका खेल खत्म हो गया है।
साहिल:" प्रिया अब तुम शांता मा को लेकर उपर अा जाओ। नीरज और रवि तुम अपनी जगह से एक इंच भी नहीं हिलोगे।
प्रिया शांता को लेकर उपर की तरफ अा गई और लीमा अपनी मा से कसकर लिपट गई। साहिल ने उनके पानी से बाहर निकलते ही साहिल ने स्विच ऑन किया और नीरज और रवि दोनो को झटके लगे और ज्योति उन्हे मौत के मुंह में जाते देखकर बेहोश हो गई।
साहिल ने अपने ही पल स्विच को बंद किया और नीरज और रवि अभी तक खड़े हुए कांप रहे थे। उन्हें अभी तक बिजली के झटके महसूस हो रहे थे। प्रिया दौड़ कर ज्योति के पास गई और उसे झिंझोड़ते हुए बोली:"
" ज्योति दीदी अपनी आंखे खोलो, आपके पति ज़िंदा हैं प्लीज़ दीदी।
ज्योति ने हिम्मत करके अपनी आंखे खोल दी और उसने रवि मिश्रा की तरफ देखा और उसके चेहरे पर राहत दिखाई दी।
साहिल:" ओह तो ज्योति तुम्हारे पति रवि मिश्रा हैं। मुझे आज पता चला कि रवि ने मुझे धोखा क्यों दिया।
रवि:' मैंने तुम्हे कोई धोखा नहीं दिया। मैंने अपनी पत्नी का साथ दिया हैं ताकि उसके बाप और भाई के हथियारों से बदला ले सकू।
साहिल:" लेकिन वो सब तो मेरे दादा केहर सिंह ने किया इसमें हम सब का क्या कुसूर। मुझे जब ये पता चला तो बहुत दुख हुआ।
ज्योति:" लेकिन तुम्हारी रगो में भी उनका ही गंदा खून दौड़ रहा है साहिल।
साहिल लगभग गुस्से से चिल्ला उठा और बोला:"
" नहीं ज्योति नहीं, मेरी रगो में सिर्फ मेरी मा को खून दौड़ रहा है। तभी तो तुम सभी जिंदा हो नहीं तो अभी तक सबको मौत के घाट उतार दिया होता। लेकिन मैं अपने बाप और दादा जैसा कमीना नहीं हू।
ज्योति:" मार दो ना, फिर हम मौत से क्यों डरा रहे हो तुम, अगर मैं ज़िंदा रही तो तुम ज़िंदा रही रह सकते।
शांता अपनी दबी हुई और कमजोर हो गई आवाज में बोली:"
" मेरी खून खराबा किसी चीज का हाल नहीं होता। साहिल अपने बाप और दादा से अलग हैं। ये तुम्हे नहीं मार रहा है जबकि तुम सबके इसकी जान के दुश्मन बने हुए हो।
साहिल:" शांता मा मुझे ये माल दौलत कुछ नहीं चाहिए। मैं तो सब कुछ तुम्हारे हवाले करके तुमसे माफी चाहता हूं।
ज्योति और रवि साहिल की बात सुनकर सोचने पर मजबूर हो गए। उनकी समझ में नहीं अा रहा था कि क्या किया जाए।
शांता:" ज्योति तुमने मुझे पिछले 10 साल से कैद में रखा और मेरी बेटी को अपनी उंगलियों पर नचाया लेकिन मै फिर भी तुम्हे माफ़ करने के लिए तैयार हूं बताओ मेरी क्या गलती थी इसमें , क्यों किया तुमने मेरे साथ ऐसा ? कोई जवाब हैं तुम्हारे पास
तुम्हे अपने बदले की आग में मेरी ज़िन्दगी तबाह कर दी।
ज्योति का सिर नीचे झुक गया और तभी रूबी बोली:"
" ज्योति तुम मा बनने वाली हो। दुनिया की सबसे बड़ी खुशी तुम्हे हासिल हो रही हैं। मै और साहिल तुम्हे ये सब माल पैसा और घर देने के लिए तैयार है। तुम्हारे पैर पकड़कर अपने बड़ों द्वारा किए गए पापो का प्रायश्चित करना चाहते हैं।
ज्योति को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। वो जानती थी साहिल और रूबी जब चाहे उसे मार सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और ये पता होने के बाद भी की मैं ज्योति हू मेरा ख्याल रखा ।
तभी चुपचाप खड़ा हुआ अनूप जोर से बोला:"
" तुम्हारा दिमाग तो खराब नहीं हो गया साहिल, ये सारी दौलत मेरी हैं और तुम्हे कोई हक नहीं हैं उसे बांट देने का।
साहिल आगे बढ़ा और उसने एक जोरदार थप्पड़ अनूप के गाल पर जड़ दिया और बोला:"
" थू है कमीने तेरे उपर, तू बाप के नाम पर सिर्फ एक कलंक हैं। मैं तुझे मार दूंगा
इतना कहकर साहिल ने उसे लात और घुसो से मारना शुरू कर दिया और यही उससे गलती हो गई। नीरज पानी से बाहर अा गया और उसने अपनी जेब में रखे हुए चाकू को बाहर निकालते हुए साहिल पर हमला कर दिया । लेकिन तभी शांता बीच में कूद पड़ी और चाकू उसके पेट में घुसता चला गया और उसके मुंह में एक दर्द भरी चींखं निकल पड़ी।
साहिल ये देखकर गुस्से से पागल हो गया और उसने नीरज पर हमला कर दिया। सभी लोग खड़े हुए थे और दोनो के बीच लड़ाई शुरू हो गई। तभी प्रिया ने एक पत्थर उठा कर साहिल पर हमला किया लेकिन उसका निशाना चूक गया और देखते ही देखते रूबी उसके उपर टूट पड़ी।
थोड़ी देर पहले बदला और मारने की बात करने वाले रवि और ज्योति को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे।
लीमा अपनी मा के कटे हुए पेट को अपने दुप्पटे से बांध रही थी और रोए जा रही थी।
प्रिया ने रूबी के सिर के बाल पकड़ कर जोर से खींच लिया और रूबी दर्द से तड़प उठी। साहिल अपनी मा की दर्द भरी आवाज सुनकर पागल हो गया और एक झटके से नीरज के हाथ से चाकू छीन लिया और जोरदार घुस्सा उसके पेट में जड़ दिया।
नीरज दर्द से दोहरा होता चला गया और साहिल ने उसे बिना मौके दिए पत्थर पर पटक दिया और उसकी रीढ़ की हड्डी चटक गई और उसकी दर्द भरी आह निकल पड़ी।
साहिल अब रूबी की तरफ बढ़ा और रूबी ने खुद ही प्रिया को पटक दिया और उसके मुंह पर लात घुसे बरसाने लगी। तभी जैसे रवि मिश्रा और ज्योति नींद से जागे और उन्होंने रूबी पर हमला कर दिया।
साहिल ने रवि मिश्रा को पकड़ लिया और लीमा भी अपनी मा को छोड़कर ज्योति पर टूट पड़ी। सिर्फ रूबी प्रिया को थप्पड़ मार रही थी जबकि साहिल ने रवि को सिर्फ पकड़ा हुआ था वहीं लीमा ने भी ज्योति को सिर्फ काबू किया हुआ था जबकि रूबी प्रिया को थप्पड़ मारे जा रही थी।
रवि:" रूबी मत मारो उसे, छोड़ दो वो मेरी बहन हैं।
रवि के मुंह से ये सब सुनते ही रूबी के हाथ अपने आप ही रुक गए लेकिन तब तक प्रिया का मुंह लाल हो गया था।
ज्योति:" ये मेरे पति की छोटी बहन हैं और ये नीरज से प्यार करती हैं। छोड़ दो उसे।
साहिल अब सब कुछ समझ गया था और वो दौड़ते हुए शांता के पास गया जोकि बेहोश हो गई थी। साहिल उसे आवाज देता रहा लेकिन शांता खामोश रही।
तभी एक कोने में पड़ा हुआ अनूप खड़ा हुआ और उसने देखा कि किसी कि नजर उस पर नहीं थी इसलिए उसने धीरे से नीरज के पास पड़ा हुआ चाकू उठाया और आंखो में खूनी भाव लिए हुए आगे बढ़ा और नीरज के मुंह पर हाथ रखते हुए उसकी गर्दन काट दी। नीरज तड़प कर रह गया और बेचारा चींखं भी नहीं सका।
अनूप आंखो में खूनी भाव लिए हुए आगे बढ़ा और उसके निशाने पर था रवि मिश्रा क्योंकि वो जानता था कि रवि मिश्रा ने ही उसकी कंपनी को बर्बाद किया है।
रवि मिश्रा और ज्योति दोनो प्रिया के पास थे तभी अनूप ने अपना हाथ उपर उठाया और साहिल की नजर चाकू पर पड़ी और वो बीच में कूद गया और चाकू उसकी पीठ में घुसता चला गया।
साहिल दर्द से तड़प उठा और ज्योति और प्रिया ये देखकर हैरान हो गई कि साहिल ने रवि को बचाने के लिए अपनी ज़िंदगी दांव पर लगा दी है। अनूप ने एक झटके से चाकू साहिल की पीठ से बाहर निकाला और उसने फिर से रवि पर हमला किया लेकिन ज्योति ने बचा लिया। लेकिन इसी बीच प्रिया के हाथ में एक बड़ा सा पत्थर अा गया और उसने पत्थर को अनूप के सिर में जोर से मार दिया और अनूप दर्द से तड़प उठा और उसने चाकू का भरपूर वार प्रिया पर किया और उसकी गर्दन एक झटके के साथ कट गई और नीरज की कटी हुई गर्दन के पास जा गिरी।
रूबी साहिल को छोड़कर अनूप की तरफ झपटी और अनूप सिर में चोट के कारण गिर पड़ा और रूबी ने उसके हाथ से चाकू लेते हुए उसके पेट में घुसा दिया।
पेट में चाकू घुसते हुए अनूप ने तड़पते हुए एक बार रूबी की तरफ देखा और अपना दम तोड़ दिया।
रूबी साहिल के पास बैठी हुई रों रही थी जबकि लीमा शांता को हिला रही थी और ज्योति और रवि प्रिया का कटे हुए जिस्म के पास बैठ कर रों रहे थे।
रूबी:" लीमा हमे शांता और साहिल को हॉस्पिटल ले जाना होगा।
रवि को जैसे होश आया और ज्योति भी उठी और दोनो साहिल की तरफ लपके। साहिल बेहोश हो गया था।
रूबी ने चाकू ज्योति की तरफ बढ़ा दिया और उसके पैरो में अपनी गर्दन झुका दी और रोते हुई बोली:"
" ज्योति मेरा बेटा बेहोश और मेरा सिर तुम्हारे क़दमों में हैं, ले लो अपना बदला तुम।
ज्योति ने चाकू हाथ में पकड़ लिया और लीमा और रवि मिश्रा दोनो उसकी आंखो में खूनी भाव देखकर कांप उठे और तभी ज्योति का हाथ चाकू सहित उपर उठा और फुर्ती के साथ नीचे आते हुए पास मरे पड़े अनूप की छाती में घुसता चला गया।
लीमा और रवि ने सुकून की सांस ली और ज्योति ने एक एक बाद कई वार मरे हुए अनूप पर किए और जोर जोर से चिल्ला उठी
" मैंने तुम्हारे मुजरिम से बदला ले लिया है पापा। देखो मैंने आज उसके पूरे परिवार को तबाह कर दिया। साहिल और रूबी को अगर मारा तो मैं जानती हूं आपको दुख होगा क्योंकि ये बेचारे मासूम और निर्दोष है पापा।
रवि आगे बढ़ा और उसने ज्योति के हाथ से चाकू फेंक दिया और बोला:"
" बस करो ज्योति, साहिल और शांता को हॉस्पिटल ले जाना होगा नहीं तो वो दम तोड देंगे।
ज्योति जैसे अपने पागलपन से बाहर अाई और बोली:"
" हान तुम जल्दी से गाड़ी निकालो। मैं उन्हें लेकर आती हूं।
रवि आगे बढ़ा और बाहर चला गया जबकि लीमा रूबी और ज्योति मिलकर साहिल और शांता को बाहर लाए और जल्दी ही सभी लोग हॉस्पिटल के अंदर थे। साहिल और शांता दोनो का ऑपरेशन हुआ और कामयाब रहा।
रूबी तो जैसे पत्थर की बन गई थी और ज्योति उसके पास गई और दोनो हाथ जोड़ते हुए बोली:"
" मुझे माफ़ कर दो बहन। मैंने तुम्हे बहुत गलत समझा और दुख दिए। आज तुम्हारे और साहिल की वजह से ही मेरे पति जिंदा हैं।
रूबी जैसे होश में आई और उसने भी ज्योति के आगे हाथ जोड़ दिए और बोली:"
" माफी तो मुझे मांगनी चाहिए क्योंकि केहर सिंह की वजह से तुम्हारा परिवार बर्बाद हो गया था।
रवि भी उनके पास अा गया और ज्योति ने रूबी का एक हाथ अपने पेट पर टिका दिया और बोली:"
" हान लेकिन आज तुम्हारी वजह से ही मेरा परिवार फिर से बस गया हैं रूबी। तुम सच में एक महान औरत हो। क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी।
रूबी पलटी और ज्योति के गले लग गई।ज्योति ने भी उसे अपनी बाहों में कस लिया और दोनो एक दूसरे से ऐसे लिपट रही थी मानो सगी बहन सदियों के बाद मिली हो।
लीमा और रवि ये देख कर भावुक हो गए और उनकी आंखे भी बह चली। साहिल को होश अा गया और उसने जब दोनो को ऐसे गले मिलता देखा तो उसके होंठो पर स्माइल अा गई और उसने फिर से अपनी आंखे बंद कर ली।
इसी बीच बीच में सुनील का रूबी को फोन आता रहा और रूबी ने इसे बता दिया कि उसके एक सड़क दुर्घटना में उसके पति की मौत हो गई और उसका बेटा अस्पताल में भर्ती हैं। सुनील उससे मिलने के लिए अस्पताल अाया और हर संभव मदद का भरोसा भी दिया। रूबी जानती थी कि सुनील ये सब क्यों कर रहा हैं इसलिए वो चुप थी।
दूसरी तरफ अब तक रवि मिश्रा सभी लाशों को ठिकाने लगा चुका था और उसने नीरज और अपनी बहन की लाश का एक साथ अंतिम संस्कार कर दिया था।
रूबी ने अनूप की लाश का अंतिम संस्कार करने से भी साफ इनकार कर दिया तो रवि ने आखिर में अनूप का भी अंतिम संस्कार कर दिया।
करीब चार दिन हॉस्पिटल में रहने के बाद आज साहिल और शांता दोनो अपने घर लौट रहे थे। घर में बेहद खुशियां थी और साहिल और शांता के स्वागत के लिए रूबी से ज्यादा ज्योति खुश नजर आ रही थी।
साहिल और शांता जैसे ही घर के अंदर आए तो ज्योति दौड़ती हुई थाली लेकर घर के दरवाजे पर अा गई और उसकी आरती उतारने लगी।
साहिल ये सब कर कर सच में बहुत खुश था क्योंकि वो समझ गया था कि अब जाकर उसके दादा के द्वारा किए गए पापो का प्रायश्चित हुआ है।
साहिल ने जैसे ही पहला कदम घर के अंदर रखा तो ज्योति ने माथा चूम कर उसका स्वागत किया और बोली:"
" भाई भगवान तुम्हारी ज़िन्दगी खुशियों से भर दे। इस बहन की दुआ तुम्हारे साथ हैं।
साहिल के बस ज्योति ने शांता की थी आरती उतारी और उसके पैरो पर सिर रखकर अपने किए के लिए माफी मांगी। शांता ने उसको उठाया और गले लगा लिया।
सच में ये सब देख कर रूबी और लीमा के साथ रवि मिश्रा की भी आंखे खुशी के मारे गीली हो गई थी। ऐसे ही कुछ दिन गुजर गए और साहिल अब पूरी तरह से ठीक हो गया था।
साहिल काम और रवि दोनो काम के लिए ऑफिस गए और शाम को रवि घर अा गया जबकि साहिल किसी काम की वजह से रुक गया था।
करीब आधे बाद साहिल घर के अंदर दाखिल हुआ और उसके साथ वकील भी था। ज्योति ये देखकर सोच में पड़ गई और हैरानी से उसकी तरफ देखने लगी।
साहिल:" वकील साहब आप और ज्योति जी आप आगे अा जाए।
ज्योति हैरानी में डूबी हुई आगे बढ़ी और वकील ने कोर्ट का लैटर पढ़ना शुरू किया।
" हम साहिल और रूबी दोनो अपने पूरे होशो हवास में अपना ये घर और अपनी कंपनी ज्योति सिंह के नाम कर रहे हैं। आज एक बाद इस प्रॉपर्टी से या कंपनी से हमारा कोई लेना देना नहीं होगा।
ज्योति की आंखे भीग गई और उसकी समझ में नहीं अा रहा था कि वो क्या करे। उसने भीगी आंखो से साहिल की तरफ देखा और साहिल ने उसे प्यार से मुस्कान दी और ज्योति रोती हुई उसके गले लग गई।
ज्योति:" नहीं साहिल, मुझे ये सब नहीं चाहिए। तुम जैसा भाई मुझे मिल गया तो लग रहा हैं कि मुझे सब कुछ वापिस मिल गया।
साहिल ने उसके आंसू साफ किए और बोला:"
" चुप हो जाए आप। भाई भी कहती हो और भाई का फर्ज निभाने से भी मना कर रही हो। ये सब मेरी बहन के लिए उसके भाई की तरफ से तोहफा हैं।
ज्योति:" नहीं मुझे ये सब नहीं चाहिए। मुझे बस तुम्हरा साथ चाहिए ज़िन्दगी भर के लिए।
साहिल ने ज्योति का हाथ पकड़ा और बोला:"
" मैं वादा करता हूं कि जब भी ज़िन्दगी में तुम्हे मेरी जरूरत होगी मैं हमेशा तुम्हरा साथ दूंगा । ये एक भाई का वादा हैं।
ज्योति ने रूबी की तरफ देखा और रूबी ने भी स्माइल देते हुए उसे इशारा किया कि वो सब उसे ले लेना चाहिए।
ज्योति को आखिरी उम्मीद शांता से थी और शांता बोली:"
" देख बेटी, तुम्हे ये सब ले लेना चाहिए नहीं तो हमेशा साहिल और रूबी के दिल पर एक बोझ रहेगा।
ज्योति सबके आगे हार गई और ना चाहते हुए भी उसने कागज पर साइन कर दिया। कागज पर साइन होते ही रूबी और साहिल ने एक दूसरे की तरफ देखा और दोनो के ही चेहरे पर सुकून साफ दिखाई दिया।
वकील जानता था कि उसका काम हो गया है इसलिए अपना बैग उठाकर वो बाहर चला गया।
रूबी जानती थी कि अब पूरी तरह से इस कंपनी की मालिक ज्योति हैं इसीलिए उसे मिला टेंडर अपने आप कैंसल हो जाएगा और सुनील से भी उसे मुक्ति मिल जाएगी।
ज्योति साइन करने के बाद बोली:"
" अच्छा मैंने आप सब का कहा मान लिया। अब मै चाहती हूं कि आपने जो पैसा टेंडर के लिए आशा मैडम से लिया था उसे मैं चुका दू ताकि आप आराम से अपनी ज़िन्दगी जी सके।
साहिल और रूबी दोनो चौंक उठे और साहिल बोला:"
" आपको कैसे मालूम कि हमने आशा से पैसा लिया था ?
ज्योति:" मुझे सब कुछ पता था कि तुम लोगो के पास कोई पैसा नही था। इसलिए तुमने आशा से पैसा लिया था ताकि टेंडर हासिल कर सकोे। मुझे लगा था कि तुम लोग शायद पैसा कमाने के लिए ये सब कर रहे थे लेकिन बाद में मुझे रवि मिश्रा ने बताया कि तुमने गरीब मजदूरों के लिए ये सब किया हैं।
रूबी:" इसका मतलब आपको सब कुछ पता था कि हम कब क्या कर रहे हैं ?
ज्योति:" हान मुझे ये भी पता था कि अनूप बनकर साहिल घूम रहा है लेकिन बस एक ही बात नहीं था कि नीरज तुम्हे हासिल करना चाहता था। मैंने खुद एक औरत हूं और दूसरी औरत का सम्मान करती हूं। लेकिन मुझे ये बात साहिल के द्वारा कि गई रिकॉर्डिंग से पता चली। उसने जैसा किया वैसा भरा।
साहिल और रूबी चुप थे। रूबी अंदर चली गई और अपना बैग लेकर बाहर अा गई।
रूबी:" अच्छा मुझे आप आज्ञा दीजिए। मैं और साहिल अब दिल्ली जा रहे हैं। अब से मैं सिर्फ लोगो को योग सिखाया करूंगी।
ज्योति:" अरे ऐसे कैसे चले जाओगे तुम। मैंने आशा को पैसा वापिस कर दिया है।
साहिल और रूबी उसकी बात सुनकर हैरान हो गए और ज्योति आगे बोली:"
" मैंने तुम्हारे लिए एक नए योगा सेंटर का निर्माण कर दिया है। आज से तुम वहां लोगो को योग की दीक्षा दोगी।
रूबी:" बस करो आप ज्योति जी। मैं अब अपने दम पर कुछ बनना चाहती हूं। मैं ये सब नहीं ले सकती।
ज्योति:" अरे मैं कौन सा फ्री में दे रही हूं। आप घर का किराया और जो पैसा योगा से आएगा उसका आधा मुझे देती रहेगी।
रूबी इससे पहले कुछ बोलती शांता बोल पड़ी:"
" अब मना मत करना बेटी आप। मेरी भी यही इच्छा हैं। फिर इसमें कोई एहसान नहीं भी नहीं हैं। तुम्हारी अपनी मेहनत होगी।
साहिल और रूबी दोनो ने शांता के पैर छुए और घर से बाहर चल दिए। सभी की आंखे भीगी हुई थी और हर कोई अपने आंसू रोक रहा था। लेकिन जाने वालो को आज तक कोई रोक नहीं सकता हैं इसलिए रूबी और साहिल दोनो अपनी गाड़ी में बैठकर दिल्ली की तरफ रवाना हो गए ।
उनके जाने के बाद शांता और लीमा सभी के साथ घर के अंदर अा गए। लीमा अंदर से अपना बैग लेकर अा गई और शांता उसके साथ चल पड़ी।
ज्योति और रवि अपने कमरे में थे और उन्हें इसका बिल्कुल भी एहसास नहीं रहा था कि लीमा और शांता घर छोड़कर जा रहे है। लीमा ने बहुत धीरे से गेट खोला और अपनी मा के साथ बाहर की तरफ निकल गई।
पिछले काफी सालों से जासूस की ज़िन्दगी जी रही ज्योति के कान हल्की सी आवाज सुनकर ही खड़े हो गए और वो तेजी से बाहर लपकी और जैसे ही उनकी नजर शांता और लीमा पर पड़ी तो वो पागलों कि तरह उनकी तरफ दौड़ पड़ी और उनसे लिपट गई।
ज्योति लगभग भवावेश में पूरी तरह से भरे हुए गले से बोली:"
" मा जी और लीमा आप क्यों जा रहे हो मुझे छोड़ कर ? क्या गलती हो गई मुझसे जो आप ऐसे बिना बताए जा रहे हैं मुझसे मुंह मोड़कर ?
रवि भी अा गया था और उसने भी शांता और लीमा के आगे हाथ जोड़ दिए और बोला:"
" मा जी बड़ी मुश्किल से मुझे आप के रूप में एक मा और लीमा के रूप में फिर से मेरी बहन प्रिया वापिस मिली हैं। हमे छोड़कर मत जाइए मा जी आप।
शांता और लीमा दोनो बिल्कुल चुप चाप खड़े हुए थे और उन्हें एहसास हो हो रहा था कि ज्योति सच में पूरी तरह से बदल गई हैं।
ज्योति शांता के पैरो में गिर पड़ी और रोते हुए उनके पैरो को आंशू से धोने लगी। शांता ये देखकर पूरी तरह से पिघल गई और उसकी भी आंखे भर आई।
ज्योति:" मा जी रूबी ने तो अपने बड़ों के द्वारा किए गए पापो का प्रायश्चित कर लिया लेकिन मैंने जो पाप किए है उनका प्रायश्चित करने से मुझे मत रोको। मैनें अपनी दुश्मनी के चलते आपको कैद करके रखा, एक मा को उसकी लड़की से दूर रखा। मा जी मैंने बहुत बड़ा गुनाह किया हैं।
शांता ने उसे उठाया और अपने गले लगा लिया और उसकी पीठ थपथपाने लगी और बोली:"
" बस करो ज्योति, तुम्हारे सारे पाप तुम्हारे कोमल आंशूओ से धूल गए हैं। मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है बेटी।
ज्योति:" बेटी भी कह रहीं हो और मुझे बेटी का फ़र्ज़ निभाने भी नहीं दे रही हो। मा जी प्लीज़ मुझ पर रहम करो, मत जाओ मुझे छोड़कर आप कहीं ।
रवि:" मा जी रूबी और साहिल ने तो अपने पापो का प्रायश्चित कर लिया लेकिन आप हमसे ये हक मत छीनिए। मत जाओ आप हमें छोड़कर।
रवि भी शांता के पैरो के गिर पड़ा। शांता ने उसे उपर उठाया और दोनो को अपने गले लगा लिया और शांता भी बिलख उठी क्योंकि आखिरकार वो भी एक औरत थी।
शांता:" नहीं जाऊंगी, कहीं नहीं जाऊंगी मैं तुम्हे छोड़कर। बस अब रोनार बंद करो आप।
ज्योति शांता की बात सुनकर चुप होने की बजाय और ज्यादा जोर से रो पड़ी और शांता उसकी पीठ सहलाती रही। बड़ी मुश्किल से ज्योति के आंसू रुक गए।
रवि ने लीमा से बैग किया और अंदर की तरफ अा गया। पीछे पीछे ज्योति और शांता भी अंदर अा गए।
ज्योति शांता की गोद में अपना सिर रखे हुए थी और बोली:"
" मा मुझे आप मिल गई तो लगता हैं जैसे सब कुछ मिल गया। दुनिया में आज भी अच्छे लोगो की कमी नहीं हैं। मैं जिस रूबी और साहिल को मिटाने के लिए दिन रात कोशिश करती रही उसी साहिल ने मेरे पति को बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी और रूबी ने तो सच्चाई का साथ देने के लिए अपने पति को ही मौत के घाट उतार दिया। सच में मा वो दोनो इंसान नहीं देवता हैं इस धरती पर।
शांता उसके बालो में उंगली करते हुए बोली:" बेटी सच में ये धरती ऐसे ही लोगों की वजह से चल रही है। मा बाप जो संस्कार अपने छोटे बच्चे को देते हैं उनके आधार पर ही उसकी आगे की ज़िन्दगी पूरी होती है। रूबी को उसके घर से अच्छे संस्कार मिले और उसने वहीं संस्कार अपने बेटे साहिल को दिए। अनूप को उसके बाप केहर सिंह से संस्कार मिले और उसका नतीजा तुमने देखा ही हैं।
शांता एक पल के लिए रुकी और फिर से बोली:"
" तुम अपने संस्कार देखो, बेशक बदले की आग ने तुम्हे पागल कर दिया था लेकिन आखिर में तुम्हारे संस्कार उस आग पर भारी पड़े और तुमने सब कुछ भूल कर रूबी और साहिल को गले लगा लिया।
ज्योति:" नहीं मा, मेरे संस्कार तो रूबी के मुकाबले कुछ नहीं, मैं सिर्फ उनकी वजह से ही बदली हूं। मेरे बारे में सब कुछ जानने के बाद भी उन्होंने कभी मुझसे नफरत नहीं बल्कि मेरी जैसी पत्थर दिल औरत को पिघला दिया। सच में रूबी जैसे लोग धरती पर बहुत कम होते हैं।
शांता ने उसकी हान में हान मिला दी और लीमा खाना बना चुकी थी और सभी लोगो ने खाना खाया और उसके बाद सोने के लिए चले गए। लीमा और शांता दोनो सो गई जबकि ज्योति और रवि दोनो आज चुदाई लोक में घुस गए और थोड़ी देर बार ज्योति की मस्ती भरी सिसकारियो से चुदाई लोक महक उठा।
आज चुदाई लोक को उसके असली वारिस मिल गए थे और चांद भी अपने नूर पर था। छोटे छोटे पेड़ पौधे मस्ती से झूम रहे थे मानो वो खुशी मना रहे हो।