कहानी हिन्दी मे हो तो ज्यादा करीब महसूस होती है, ऐसा लगता है की जैसे आसपास ही कुछ हो रहा है। हिंगलिश या इंग्लिश मे वो मजा या वो रस नहीं आता, जो अपनापन हिन्दी मे महसूस होता है।
रही बात फोटो या गिफ की, तो सामान्य तौर पर लेखकगण इसका प्रयोग कथानक के वर्तमान परिपेक्ष्य को समझाने के लिए करते है, और पाठकों को भी कहानी का हाल समझने और जानने मे ज्यादा सुविधा होती है। कभी कभी ऐसी कहानी जिसमे पाठक की बिल्कुल रुचि नहीं हो, वो भी फोटो या गिफ की वजह से काफी मजेदार जान पड़ती है।
कुल मिलाकर बात ये है की फोटो या गिफ कहानी मे "गरम मसाला" का काम करता है, सब्जी मे डालो तो जायका ज्यादा बढ़ जाता है, नहीं डालोगे तो भी सब्जी खाने लायक तो होती ही है।