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कोमल के घर का नजारा
शीतल अपने कमरे थी। वह अपने बापू के लाये हुए कपड़े देख रही थी। उसके साथ महल्ले की कल्लो चाची की लड्की सपना बेठी हुई थी। दोनों आपस में हंसी मजाक भरी बातें कर रही थीं। राधा मौसी को देख कर शीतल का चेहरा खिल उठता है।
मौसी तुम कब आई" शीतल अपनी जगह से उठती हूई बोली।
तेरी शादी में तो मुझे आना ही था" राधा उसके माथे पर हाथ रख देती है। और अपने सीने से लगा लेती है।
"राधा मौसी कल से ही यह खुशी के मारे झूम रही है" पास बेठी सपना बोल पडी।
राधा उसके शरीर को टटोलती " और नहीं तो क्या! मेरी लाड्ली बिटिया की शादी है। खुश तो वह होगी ही ना!"
"मौसी! रेखा नहीं आई"
राधा: हाँ। वह बस घर का कुछ काम है। वह निपटाके आ जायेगी। और तेरी माँ कहाँ है? कहीं आस पास दिख भी नहीं रही?
शीतल सपना के पास बेठ्ती हूई "होगी आस पास कहीं। बाथरूम में तो नहीं है! मौसी यह देखो ना बापू मेरे लिये शादी का जोड़ा लाये हैं।"
राधा कपड़ों देखती हूई बोली "सारे कपड़े अच्छे हैं। तेरे उपर अच्छा दिखेगा। और अब कमल तेरे बापू नहीं रहे। जब उन्के साथ मंडप में सात फेरे लेगी। उन्के हाथों से अपने गले में मंगल्सूत्र पहनेगी। तो क्या उसी आदमी को तू बापू बापू कह कर बुलाया करेगी!
शीतल थोडी शरमा जाती है "तो क्या कह कर बुलाऊं मौसी?"
राधा: अब से तो उन्हें अजी सुनते हो। अजी क्या खाओगे। यही कह कर पुकारना पडेगा।" यह बोल के राधा और सपना दोनों हंसने लग जाते हैं।
अच्छा तुम दोनों बातें करो। मैं कोमल के पास जाती हुँ।" यह बोल कर राधा शीतल के कमरे से निकल आती है।
कोमल का एक मंजिले का घर था। जिस में नीचे तीन कमरे बने हुए थे। साथ में छोटा सा आँगन, बाथरूम और रसोई। राधा कोमल के कमरे में जा के देखती है वह कमरा खाली है। फिर उसे एहसास होता है कोमल जो इस कमरे में कमल के साथ रहती थी वह शायद कमल के लिये आज के बाद छोड़ने वाली है। इसी लिये कमरे का आधा सामान यहां से खाली किया गया है। मतलब शीतल और कमल की शादी के बाद वह दौनों इसी कमरे में अपनी जिन्दगी शुरु करने जा रहे हैं। राधा इधर उधर देखती हूई जिस कमरे में कोमल का बेटा रामू रहता वहाँ जाती है। कमरे के पास जाते ही कमरे के अन्दर से रामू और कोमल दोनों माँ बेटे की फुसफुसाने की आवाज आती है। कमरे का दरवाजा थोड़ा सा खुला था। रामू के कमरे में दायीं तरफ पलंग था। जिस से दरवाजे से झांकने से दौनों दिख रहे थे। लेकिन उन दोनो माँ बेटे का कोई ध्यान नहीं था। द्रष्य व नजारा कुछ एसा था। रामू अपनी माँ कोमल को अपनी बाहों में लिये अपने पलंग में पड़ा था। कोमल की साड़ी का पल्लू उसके सीने से हट चुका था। दोनो माँ बेटे एक दूसरे की आंखों में खोये बातें कर रहे थे। और प्यार करने की कोशिश कर रहे थे। कोमल का मुड देख के राधा समझ नहीं पाई कोमल अपने बेटे का साथ दे रही है या उसके बेटे रामू ने जबर्दस्ती कोमल को पकड़ रखा है। दोनो को इस हालत में देख कर राधा का दिल घबरा जाता है। इसी बीच रामू की आवाज आने लगती है।
रामू: माँ। अब तो मेरे से रहा भी नहीं जा रहा है। अब तुम ही बताओ माँ मैं क्या करूं।" रामू अपनी माँ कोमल के उभरे हुए चुची पर अपना मुंह फेरता रहता है।
कोमल: जब मैं पूरी तरह से तेरी हो जाऊँगी तब तेरी हर इच्छाएं मैं पूरी कर दूँगी।
रामू: तो क्या मुझे और कुछ इन्तज़ार करना पड़ेगा?
कोमल: बेटा इन्तज़ार तो करना ही पड़ेगा। अगर तुझे मैं चाहिये तो सबर करना ही पड़ेगा। अब तू भी तो समझ रहा है ना की आज शीतल की शादी होने जा रही है। अब इस हालत में सब मे सामने मैं किस तरह तेरे पास आ सकती हुँ बोल।
रामू: तो क्या हम कल ही उस घर में चले जायेंगे?
कोमल:देखते हैं। अब तू मुझे छोड़ेगा तभी तो मैं कुछ इन्तज़ाम कर सकूँगी। जिस दिन से मैं ने तेरे हँ में हामी भरी तू जब चाहे मुझे अपने कमरे में खींच लाता है। एक तो तेरे बापू से साथ भी मैं ने लेटना छोड़ दिया। अब एसे में अगर मुझे इस तरह रगडता रहेगा तो तू ही बोल मेरा क्या हाल होता होगा?
रामू अपनी माँ को और ज्यादा कस के बोलता है: तुम चिंता क्यों करती हो माँ। एकबार तुम्हारी पेतिकोट उतारने का मौका तो दो मैं तुम्हारी सारी गर्मी और खुजली मिटा दूँगा।
कोमल: आह।। इस तरह अपने डंडे से धक्का क्यों मार रहा है रामू।
रामू: माँ किस धक्के की बात कर रही हो तुम?
कोमल उसकी आंखों में देखती हुई बोली: जो तेरे पेन्ट के अन्दर छुपा है उस डंडे की बात कर रही हुँ पग्ले!
रामू अपनी माँ को एक किस करता हुया बोलता है: अब मेरा डंडा मेरी बात नहीं सुनता। जब भी तुम्हारी मोटी गांड देखता है यह बदमाश गुस्से से अपना मुंह फुला लेता है।
कोमल: हाँ मैं भी देखूँगी उसका मुंह कितना फूलता है। उसकी सारी अकड निकाल दूँगी मैं। कोमल मुस्कुराने लगती है।
रामू अपने लण्ड को अपनी माँ के पेट में औरज्यादा घिस्ता हुया बोलता है: तुम इसकी अकड कभी भी निकाल नहीं सकोगी। मैं रोज तेल से इसकी मालिश करता हुँ। जब यह तुम्हारे कब्जे में आयेगा उसका गुस्सा और ज्यादा बड़ जायेगा। देख लेना।
कोमल अपने हाथों से रामू के लण्ड को नीचे से पकड़ लेती है। जिस से रामू मारे मजे के सटपटा जाता है। बाहर से राधा को रामू के लण्ड के साईज का एहसास हो जाता है। रामू का साईज देख कर ही राधा का दिल मचलने लगता है। हाय राम। इतना मोटा लण्ड। केसे लेगी इसे कोमल अपनी चुत में। कमल का लण्ड राधा ने देख रखा है। उसका लण्ड रामू का आधा ही होगा। लेकिन कमल चोद्ता बहुत अच्छा है।
कोमल रामू का लण्ड पकड़ के कहती है: अरे पग्ले! इसकी जितनी भी अकड हो उसे काबू करने के लिये मजबुत गुफा की जरुरत होती है। और वह गुफा तेरी माँ के पास है। एकबार जब इसे लुंगी तो मैं भी देखूँगी तेरी और इसकी अकड कितनी है।
रामू अपने लण्ड पर माँ के हाथों का स्पर्श मह्सुस करता हुया बोलता है: तो अभी आजमा लेते हैं। देखते हैं तुम्हारे उस गुफा की मजबूती कितनी है?
कोमल अपने बेटे रामू को धक्के मार के अपने उपर से हटा देती है: हाय दईया! तू तो अभी से शुरु होना चाहता है। तेरे चक्कर में मैं भी फंस गई। आज राधा रेखा सभी आनेवाले हैं। क्या तुझे पता नहीं। अगर उनकी नजरों में मैं तेरे से इस तरह लिपटी पाई गईं मैं तो शर्म से पानी पानी हो जाऊंगी। अब जा बाहर जा।
रामू का मुड खराब हो गया।:: क्या माँ। तुम भी। हर बार मुझे इसी तरह हटा देती हो। मैं भी देखता हुँ आखिर कब तक तुम मुझ से इस तरह दूर भागती हो।
कोमल: गुस्सा क्यों करता है मेरे लाल। आज बहुत काम पड़ा है। कोमल अपनी साड़ी ठीक करके उठ खड़ी होती है। राधा को यह महसुस होते ही की कोमल अब कमरे से निकलने वाली है वह झट से वहाँ से दौड़ भागती है।