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Incest अनोखे संबंध ।।। (Completed)

Which role you like to see

  • Maa beta

    Votes: 248 81.0%
  • Baap beti

    Votes: 73 23.9%
  • Aunty bhatija

    Votes: 59 19.3%
  • Uncle bhatiji

    Votes: 21 6.9%

  • Total voters
    306
  • Poll closed .
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221
58
लेखक महोदय, आपके हाल तो बता देवे। सकुशल तो है।

आपकी बहुत चिंता है हमारे को।

ऐसी लेखनी वाले लेखक को हम खोना नहीं चाहते।
 

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अपडेट 1

आज राधा बहुत ख़ुश है शहर से उसका पति राकेश आनेवाला है। हफ़्तेमें बस दो दिन ही राकेश गाँव में अपने परिवार के साथ रह पाता है। शहर में उसकी अपनी फ़ेक्ट्री है। उसकी देखभाल वह वहीं रह के किया करता था ।

शाम के पहले ही राकेश आ चुका था । राधा का घर बढ़ा सारा है । नीचे दो और ऊपर तीन कमरें थे । नीचे के एक कमरें में रघु और ऊपर के दो कमरें में उसकी बेटी रेखा और वह रहतीथी। रात के खाने के बाद सब अपने अपने कमरे में जा चुके थे। राधा आज ख़ुश इस लिए थी क्योंकि उसे अपनी पति से आज अच्छी तरह चूदवाणी थी।

राधा एक नाइटी में अपने पति के सामने थी।
राकेश : आज तो लग रहा है काफ़ी गरम हो।
राधा : तो रहूँगी नहीं क्या। पिछली बार जब तुम आए थे तब तो मेरी माहवारी चल रही थी। आज तो मैं उसका भी हिसाब लूँगी। आज मुझे तीन बार चूदाईं चाहिए।
राकेश: अच्छा जी। तब तो सचमें तुम गरम हो गयी हो। देखना कहीं चूत में आग ना लग जाए। यह कहते हुए वह राधा को पीछे से पकड लेता है।

राधा: उससे आप को क्या।आप तो शहर में बिंदास ठुकाई करते जाते हैं। और इधर मैं लंड के लिए तरसी जा रही हूँ।
राकेश: मेरी राधा तुम्हें तो पता है तुम्हारा पति बिना चूदाईं के रह नहीं सकता। और उधर कारख़ाने की देखभाल भी करनी है। अब मैं रहूँ तो कैसे । तुम ने भी मुझे छूट दे रखी है। और मैं ने तुम्हें आज़ादी दी है इसी लिए तो हम एक दूसरे से इतना प्यार करते हैं।
राकेश अपनी बीबी को चूमने लगता है। और धीरे धीरे उसके कपड़े खोल देता है।

राधा: हाँ बाबा। दी है तुम्हें छूट। वह भी तुम्हारी ख़ुशी के लिए। अपने पति के बाँहों में समाते हुए। लेकिन मेरे बारे में भी ज़रा सोचके देखो किस तरह रहूँ मैं । जहाँ तुम रोज़ एक एक लड़की को चोदते रहते हो वहाँ मैं बस मैं हफ़्ते एक या दो दिन।

राकेश उसके बड़े बड़े मम्मे को मसलता हुया : लेकिन राधा इसकी वजह तो तुम ख़ुद हो। तुम ही बोलती हो तुम्हें किसी से चूदवाना अच्छा नहीं लगता।

राधा: हाँ तो सही तो बोलती हूँ। हाय इस तरह क्यों काट रहे हैं ।

राकेश उसके दूध चूसता चूसता बिस्तर पे लिटा देता है। और बालों से बिलकुल साफ़ चिकनी चूत पे अपना हाथ फेरता है। राधा मजे में सहम रही थी ।

राकेश: आज ही साफ़ किया है ना मेरी जान।

राधा:हाँ। उतने ग़ौर से क्या देख रहे हैं? वहीं मेरी चूत है जिसे आप ने चोद चोद के भोसढा बना दिया है। नया कुछ नहीं हैं।

राकेश: जो भी बोलो आज भी तुम मस्त लगती हो। तुम्हारी चूत देखके कोई बता नहीं सकता के इसी से दो दो बच्चों को निकाल चुकी हो। और यह कह कर वह अपना मुँह उसकी चूत में डुबो देता है।

राधा: आह आह धीरे धीरे चूसो । मैं आज बहुत गरम हूँ। कहीं चूस के ही मेरा पानी निकाल मत देना। मुझे आज दमदार चूदाईं की ज़रूरत है। हाँ हाँ इसी तरह चूसो। खा लो अपनी राधा की चूत। हाय कितना सुख मिल रहा है। कभी कभी जी करता है के किसी से चूत ही चूसवॉ लूँ। इस की गरमी बर्दाश्त नहीं होती।

राकेश चूसता हया अपना मुँह उठाता है। : तो चूसवा ही लेती।

राधा: पर तुम मर्दों को मैं अच्छे से जानती हूँ। वह चूस के मान ने वाला नहीं। वह चोदेगा तभी उसका मन भरेगा। आह आह राकेश मैं झड़ जाऊँगी। और ना चूसो अब घुसा दो अपना लंड। मैं दो हफ़्ते की भूकी हूँ।

राकेश: हाँ हाँ दे तो रहा हूँ! यह लो अपनी अमानत। और अपना 6 इंच का लण्ड निकाल उसके चुत के दरारों मैं घिसने लगता है।: आज मैं अपनी जान की सारी भूख मिटा दूंगा। अपना लौडा चुत के छेद पर घिसते घिसते हल्के से एक धक्के के आधा लण्ड अपनी बीबी की जानी पहचानी चुत में चला जाता है। और फिर एक और धक्के से पुरा लण्ड राधा की चुत मे गायब हो जाता है। राधा मुहं से एक हल्की सी आह निकलती है।

राकेश: अब दिल को शांति मिली ना!
राधा राकेश चेहरे को देखते हुये और मुस्कुरा के कहती है: शांति तो तब मिलेगी ना जब तुम अपना काम चालू रखोगे।

राकेश: तो यह लो ना। और चुत पे धक्के की शुरुयात करता है।

राधा: मुझे तो शांति और सुख तभी मिलेगा जब तुम मुझे रोजाना इसी अन्दाज से ठुकाई करोगे।

राकेश उसके होंटों को चुम्ता हुया: कौसे बोलो। मैं ने तुम्हें बता रखा है। अपनी पसंद का कोई देख लो।

राधा अपने दोनों टाँगें अपने पति के कमर के उपर रख के चुदाई का मजा लेते हुये: तुम्हें गावँ के हालात के बारे में कुछ पता भी है या नहीँ? वह तो मुझे भी पता है अगर मैं ने सोचा तो किसी से भी चूदवा सकती हूँ। पर अब गावँ के माहोल अच्छे नहीं रहे। यहां तो अब तुम्हारे उम्र के लोग जवान लडकियों के पीछे और जवान लौंडे औरतों पीछे लगे हुये हैं। और जिसे पटा लिया उसी को चोद लिया। यही चल रहा है ।

राकेश धक्के की तेज़ को और बढाकर: तो तुम भी किसी जवान लौंडे से अपनी चुत की ठुकाई करवा लेती।

राधा: नहीँ जी नहीं। मुझे बढ़ी शर्म आती है। अपने ही बेटे की उम्र के,,,,,,,,,,
Bhot sexy update diya bhai, beta toh ghar pe hai usi se kaam chalap.
 

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अपडेट 3


रघु और रेखा ( भाई बहन)

रघु एक 20 साल का गाँव का तगड़ा लौंडा था। उसका जिगरी यार था रामू। रामू और रघु के खेत पास पास लगे हुये थे। रघु का बाप तो शहर मे रहा करता था तो खेतों की देखभाल वही करता था। और रामू अपने बाप का हाथ बटाता था।

दो पहर को रेखा अपने भाई के लिए खेत में खाना लेकर आती है। और दोनों भाई बहन खाने को बैठ जाते हैं।

रेखा: भाई आज तो बापू आने वाले हैं।

रघु रोटी मुहं मे डालते हुये बोलता है: हाँ पता है।

रेखा उसकी तरफ एक शरारत भरी मुस्कराहट से बोलती है: फिर आह रात का शो देखना है ना?

रघु उसकी बात पर मुस्कुरा देता है: और नहीं तो क्या। हफ्ते में एक ही दिन तो देखनो को मिलता है। आज शायद ज्यादा मजा मिले।

रेखा: हाँ पता है। पिछ्ले हफ्ते माँ चुदवा नहीं पाई। उनका पीरियड चल रहा था।

रघु: तुझे भी याद है।

रेखा: भाई आप अपनी दिल की बात माँ को कब बतायेंगे?यूं तो दिन गुजरते ही जायेंगे। कम से कम इशारों से या कुछ और तरीकों से बताने की कोशिश तो करो।

रघु: जानता हूँ रे पगली। पर मेरे से होता नहीं। बहुत ट्राई कर चुका हूँ। बात जबान पर आके रुक जाती है।

रेखा: भाई देखो आप को इस काम में जल्दी करनी होगी। क्यों के मुझे नहीं लगता बापू मुझे और ज्यादा दिन यहां छोड़ ने को राजी होंगे। शीतल से मेरी बात हो चुकी है। बहुत जल्द वह अपने बापू से फेरे लेने जा रही है। एक बार वह हो गया तो मुझे भी बापू शहर ले के चले जायेंगे। फिर रहना यहां घुट घुट कर।

रघु थोडा मायुस हो जाता है।: देख मैं और कर भी क्या सकता हूँ। कोमल चाची से एकबार मैं ने कहा था कि आप माँ से कह दो। लेकिन उस वक्त उन्होँने कहा कि बेटा हर एक काम का एक समय होता है। तेरा टाईम भी आयेगा। चिंता मत कर।

रेखा: ठीक है। फिर देखते हैं क्या होता है। चलो अब घर चलते हैं । बापू शाम होते ही आ जायेंगे।




रात को कमरे के अन्दर राधा राकेश की चुदाई चल रही थी। और बाहर खिडक़ी से दोनों भाई बहन अपने माँ बाप का लाइव शो देख रहे थे। और उनकी मनोरंजक बातें सुन मस्त हो रहे थे। रेखा अपने भाई रघु का मस्त लण्ड अपने कोमल हाथों से मसल रही थी। और रघु अपनी बहन की मासूम चुत पे उंगली फेर रहा था।

रेखा: भाई और नही देखा जा रहा है। तुम मुझे कमरे में लेके चलो। आह बर्दाश्त से बाहर होता जा रहा है। मेरी चुत में आग जल रही है।

रघु उसके उभरे हुये दुध पर हाथ फेरता हुया बोलता: और कितना अपने आप को तडपायेगी। कब से कह रहा हूँ मुझे अपनी चुत की सेवा करने दे। आज तक दिया है क्या? हर बार बोलती है नहीं मुझे मेरी चुत का सिल बापू से तुड़वाना है।

और रघु नंगी रेखा को अपनी गोदी में उठा कर कमरे की तरफ चल देता है । रेखा अपने भाई के गाल पर किस करते हुये बोलती है: भाई चिंता मत करो वह दिन भी जल्द ही आयेगा। मेरी चुत में तुम्हारा लौडा जरुर घुसेगा। दुखी मत हो।

रघु अपनी बहन को बैड पर लिटा देता है। और उसके नंगी शरीर को देख कर रघु सहम जाता है। कितनी मस्त है उसकी बहन। जिसे भी मिलेगी उसकी किस्मत खुल जायेगी । लेकिन यह किस्मत शायद उसके बाप को मिलनी है।

रेखा: क्या देख रहे हो भाई?

रघु: देख रहा हूँ कि मेरी बहन कितनी खुबसूरत है। मेरे बापू के भाग्य खुल जायेंगे। जब वह तुझे चोदेगा ना तेरी भी हवा टाईट हो जायेगी।

रेखा: चिंता ना करो मेरी चुत में मैं तुम्हें भी उतना हक दूंगी जितना मैं बापू को दूंगी। और मुझे पता है मेरी चुत की गहराई तक तुम ही पहँच सकते हो।

रघु उसके टांगो के पास आते आते बोलता है: एसा क्यों?

रेखा उसकी मस्त लण्ड पकड़ के बोलती है: इसे देखा है। यह साईज मेरे लायेक नहीं है। बापू का साईज 6 इंच का हो सकता है। पर तुम्हारा 8 से 9 इंच का है। कोई कुंवारी लड़की पहली बार तुम्हारा लौडा नहीं ले सकती। हाँ ले सकती है पर उसके लिए उस लड़की को पह्ले अपने चुत एक दो बच्चे निकाल ने होंगे।

रघु उसकी चुत सहलाता हुया पूछता है: और इस तरह की औरत मुझे कहाँ मिलेगी मेरी बहना?

रेखा: क्यों खुद तुम्हारी माँ है ना तुम्हारे इस घोड़े जय्सा लौडा लेने को।

रघु अपना मुहं रेखा की चुत पर रखते हुये: पता नहीं वह दिन कब आयेगा जब मैं रेखा की जगह राधा की चुत को इस तरह चुसूनगा। और राधा को अपनी लूगाई बनाकर उसकी चुत का मालिक बनूँगा।

रेखा मस्ती में: आयेगा भाई वह दिन भी जल्द ही आयेगा। मैं बनूँगी बापू की दुल्हन और माँ बनेगी आप की दुल्हन।

दोनों भाई बहन इसी तरह मस्ती में लगे हुये थे।
Mazedaar update👍👍👍
 

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Isi tarh saath bane rahen. Story agar aap logon ko acchi lagegi to ham jaise ko likhne ki bhi icchayen hoti hain. Thank you
Likhte raho, Babu bhai. Majja aa rha hai.
 

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Update 6


राधा के घर

रेखा: माँ वह देखो कोमल चाची और शीतल आ रही है।

कोमल अपनी बेटी शीतल को लेकर अपनी सहेली राधा के घर आज कुछ खास काम की वजा से आ रही थी। कोमल और राधा बचपन से दोस्त हैं। उनका घर भी पास पास था। लेकिन कमल के साथ शादी के बाद वह कमल के घर रहने लग गयी थी। वैसे हफ्ते एक दो दिन तो मुलाकात हो ही जाती है इन दोनों की। जब राकेश घर नहीं रह्ता तभी ज्यादतर वह आती रहती है ।

राधा: अरी कोमल आज तो सुबह सुबह आ गई। कहीं मेरी याद तो नहीं आ रही थी ना तुझे?

कोमल: और नहीँ तो क्या। तेरे सेवा कहीं मेरा चलता है क्या? और बता केसे कट रही है?

राधा: अब तुझे नये तरीकों से क्या बताऊँ बोल। सब कुछ तो तुझे पता है। शीतल बिटिया तू जा रेखा साथ उसके कमरे में।

रेखा: हाँ चल शीतल। अब यह दोनों अपने दुख दर्द की बातें करेंगे।

राधा: मारूंगी ना तुझे। जा यहां से।

कोमल: और बोल राधा। कल रात तो भाई साहब आये हुये थे। अच्छी तरह से कसर पूरी कर ली ना! और हंस देती है।

राधा मासुस सी होकर बोलती है: कहाँ!! मेरी कसर क्या एक रात में पूरी हो सकती है? मुझे अगर इस तरह की ठपकी रोजाना मिले तभी मेरी कसर पूरी हो सकती है।

कोमल: देख राधा! तू जो भी बोल। अब इसी तरह तुझे रहना पडेगा। क्यौंकि राकेश भैया अब गावँ में रहने वाले नहीं है। उन्हें तो जवान लडकियों का चसका लग गया है ।

राधा: हाँ मुझे पता है।

कोमल: इस लिए कह रही हूँ अब तू भी मन बना ले।

राधा: पता नहीं मेरे भाग्य में क्या है?

को: वह तो तुझे ही फेस्ला करना है।

रा: मेरी बात छोड़। तू बता तेरा घर केसे चल रहा है?

को: अरे हाँ। उसी वास्ते तो आई हुई थी। कल को शीतल की शादी है। तुझे और घर में सब को रहना है।

रा: ओह हो। अच्छा। तो मतलब जो तू बोल रही थी सब सही था?

को: अब इसमें इनका भी दोष नहीं है। शीतल और के तीन चार फ्रेंड ने अब तक अपने हो बापू से शादी कर ली है। और हमारे पडौस में कल्लो भाभी तो खुद अपनी बड़ी बिध्बा बेटी के साथ बाप का बियाह करवा रही है। वह खुद अपने देवर से फंस चुकी है। अब वह देवर से शादी करेगी।

रा: हाँ यह तो होना ही था। लेकिन तेरा क्या होगा? अपने बारे में कुछ सोचा है तुने?

कोमल मांद मांद मुस्कुरा कर बोली: अब क्या बोलूं मैं। मैं बहुत जल्द तेरे साथ रहने आ रही हूँ।

राधा: सच में?? वह बहुत खुशी में थी

कोमल: अरे हाँ पगली। रामू के बापू ने कहा के वअब से इस घर में मैं और रामू रहेंगे। और वह घर उनका। जो भी हो बेटी है मेरी। मैं नहीं चाह्ती मेरी वजा से उसकी खुशियाँ मे कोई रुकावट आये। इसी लिए मैं मान गई। और तुम्हारा भतीजा जिस तरह मेरे पीछे लगा हुया है मुझे नहीं लगता कि ज्यादा दिन मैं एकेले रह पाऊँगी। यह बोल के कोमल शरमा जाती है।

राधा: अच्छा। तो यह सब चल रहा है। और उसके चेहरो को उपर करती है।

कोमल: अब क्या करूं बोल। बेटी जब बाप के गले पड़ गई तो बेटा तो मेरे ही गोद आने वाला है ना।

राधा: तो क्या। रामू तेरे गोद में आकर तुझे छोड़ देगा?

कोमल: भला कहीं मुझे छोड़ सके क्या? वह तो कह रहा बापू की तरह मैं भी तुम से बियाह करूंगा। और फिर तुम्हें अपनी बीबी बनाऊंगा। और उसके बाद अपने बच्चे की माँ भी बनाऊंगा।

राधा: हाय राम। एसा कहा उसने?

कोमल: उस ने तो कह रक्खा है वह इस घर में आते ही वह मेरे शादी कर लेगा। ता की मुझे अकेला ना सोना पड़े।

राधा: तू खुश है ना।

कोमल: बहुत खुश हूँ राधा।
Babu bhai mast plot chuna hai kahani ka. Update dete jao, mast karte jao.
 

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Update 8


रघु और उसकी इच्छाएं

यूँ तो रघु एक सीधा साधा गावँ का प्यारा लड़का था। गावँ के आबो हवा में उसकी परवरिश हुई। और गावँ के स्कुल में ही उसने पढाई की। फिर अपने बापू के शहर चले जाने के बाद उसे अपने घर की जिम्मेदारी उठानी पड़ी। इस घटना को हुये पांच साल हो चुके है। उस के बापू को उसके नानाजी की फेक्ट्री मिल गई। उसके नानाजी भी शहर में रह कर कारखाने की देखभाल किया करते थे। अब जब नानाजी चल बसे तो उसके बापू को वह काम संभालना पड़ा।

शुरु शुरु में घर की जिम्मेदारी में उसे उतना लगाव नहीं था। भला पंद्रह साल की उम्र में कौन सा लड़का परिवार का बोझ उठाने लाएक बनता है! उसे भी परेशानी हुई। लेकिन जब उसे लगा कि अब किस्मत पे रोके कोई फायदा नहीं है। यूँ पेसे की तो कोई कमी नहीं थी। लेहाजा धीरे धीरे वह घर का लड़का कम घर का मुखिया ज्यादा बनता जा रहा था। और यहीं से शुरु हुई रघु की वह इच्छायें जिसे वह सोच सोच के खुद रोमांचित हो जाता। जब कभी घर में कुछ जरुरत होती तो उसकी बहन रेखा और उसकी माँ राधा उससे वह सब लाने को कहती। शुरु शुरु में राधा को कुछ मह्सुस नहीं होता था। लेकिन धीरे धीरे वह भी हर चीज़ के बारे में रघु को बता नहीं पाती थी । राधा उस वक्त अपनी बेटी रेखा को कहती तेरे भाई को बोल यह सामान चाहिये।

रेखा भी माँ की इस शरमाहट को महसूस करके अपनी माँ को छेड़ देती। रेखा बोलती: माँ आप तो एसे बता रही हो जेसे रघु मेरा भाई कम और आप का पति ज्यादा है।

राधा उसे डांट देती। तू ना दिन दिन बेशरम होती जा रही है। जरा अपनी जबान को लगाम दे।

और इसी तरह की छेड़खानी जूं जूं रघु सुनता रहता तो उसके दिल पे प्यार व महब्बत के अम्बार लगते। वह अपनी माँ के बारे में यही सब सपने देखता रहता। और दिन गुजरता गया और रघु अब राधा का बेटा कम ज्यादा उसका प्रेमी था। और अपनी माँ को हासिल करना उसकी सब से बड़ी कामना बन सामने आ गई।
Awesome update and story👍👍👍.
 

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Update 10


हमारे बीच में इसी तरह की बातें घर हुया करती थी। मैं और शीतल माँ से छेड़खानी करते रहते थे। इसी दौरान एक दिन शाम के टाईम पे माँ को मास्टर जी के घर जाते हुये देखा। जैसा की मुझे पता था माँ की माहवारी पिछ्ले दिन ही खतम हूई थी। जाहिर सी बात है माहवारी के बाद हर औरत का चुदाई का मन करता है। उस दिन बापू भी अनाज ले कर शहर गए हुये थे। माँ को मास्टर जी के घर जाते देख कर मेरा खुन खौलने लगा। मैं इधर माँ को पटाने की कोशिश कर रहा था उधर साला मास्टर सारा मजा लुट रहा था। मैं ने सोच लिया आज माँ से आमने सामने बात करनी होगी।

अन्धेरा हो चुका था। मास्टर के घर से कुछ दुरी पर मैं नदी के पुल के उपर माँ का इन्तज़ार करने लगा। देखा माँ बड़े मजे में इत्राती हुई चली आ रही थी। पुल के पास आ के जब मुझे माँ ने देखा तो एकदम सहम गई।

वह पास आकर बोली: रामू तू यहां क्या कर रहा है?

मैं ने माँ को पलट कर जवाब दिया: माँ यह बात तो मुझे आप से पूछनी चाहिए आप इस वक्त यहां क्या कर रही हैं?

माँ:मतलब?

मैं: मतलब,,, माँ मुझे यह अच्छा नहीं लगता की आप इस तरह किसी के पास चली जाओ। माँ मेरे सामने खडी थी। और मुझे देख रही थी।

माँ: तुझे क्या फर्क पड़ता है मैं किसी के पास जाऊँ या ना जाऊँ?

मैं: पर माँ मुझे यह बर्दाश्त नहीं होता की कोई आप को।।।। और चुप हो गया।

माँ: क्या बर्दाश्त नहीं होता? बोल रामू।

मैं: यही कि आप किसी और के साथ…!

माँ: लेकिन क्यूँ?

मैं: मैनें एक लम्बी सांस ली और एक दम से बोल दिया:: क्यौंकि मैं तुम से प्यार करता हूँ और मैं नहीं चाहता कि आपको कोई छुए।

माँ मांद मांद मुस्कुरा ने लगी। माँ ने नदी की तरह देखते हुये बोला: देख रामू: यह नदी का पानी एक लहर में बहता जा रहा है। उसे कोई रोकने वाला नहीं है। लेकिन नदी के पास अगर कोई अपनी नाली बनाएगा तो नदी के पानी का मोड़ उस तरफ भी बहने लगेगा। है ना।

मैं ने बोला: मैं समझा नहीं माँ।

माँ फिर मेरी तरफ मुहं फेरके बोलने लगी: मैं भी इस नदी की लहर की तरह हूँ रामू।

मैं ने माँ को अपनी तरफ घुमा के उनकी आंखों में देखते हुये कहा: मेरी माँ सिर्फ मेरी है। और उस्पे किसी का हक नहीं । और यह कहते हुए माँ को अपनी बाहों में भर लिया। माँ भी मेरे से लिपट गई।
हम दौनों काफी देर तक इसी तरह एक दुसरे से लिपटे रहे।

माँ मेरे से लिपटे हुए बोली: जब मेरे से इतना प्यार करता है तो फिर कभी मुझे कहा क्यों नहीं। और हम अलग होके एक दुसरे की आंखों में देखने लगे।

मैं: क्या कहता! कई बार अपने दिल की बात तुम्हें बोलने की कोशिश की। लेकिन तुम क्या सोचोगी इस लिये कह नहीं पाया।

माँ: अगर तू नहीं बोल पाया तो फिर मैं भी केसे आगे बड़ती?

मैं: अब तुम मेरे वादा करो तुम कहीं भी कभी भी नहीं जायोगी!

माँ: फिर कहाँ जाऊँगी बोल। आखिर मेरी भी तो कुछ इच्छाएं हैं।

मैं: अब जब तुम मेरी हो गई हो तो तुम्हारी सारी इच्छाएं मैं पूरी करूंगा।

माँ: चल घर चलते हैं। काफी देर हो गई है। और हम घर की और चलने लगे।

माँ ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया। और हम दौनों कुछ दूर तक चुपचाप चलते रहे।
मैं ने माँ से पुछा: माँ तुम ने मेरी बात पर कुछ बोला नहीं।

माँ ने मेरी तरफ देख कर कहा: अब जब तू ने तय कर ही लिया है अब मैं क्या बोलूं।

मेरे दिल एक उलझन सी थी। मुझे सब पता तो था लेकिन मुझे माँ के मुहं से सुनना था।

मैं: मतलब! क्या मैं तुम्हें पसंद नहीं हूँ?

माँ: एसा तो मैं ने नहीं कहा।

मैं: लेकिन तुम्हारी बातों से लग रहा है जैसे मैं तुम पर जबरदस्ती कर रहा हूँ।

माँ: एसा नहीं है मेरे लाल। मैं तेरी माँ हूँ। तू मुझ पर जबरदस्ती नहीं कर सकता यह मुझे भी पता है। मैं तो बस यह बोल रही थी की देखा जायेगा मेरा बेटा केसे मेरी सारी इच्छाएं पूरी करता है। और हंस देती है।

इस तरह हम घर आ जाते हैं। घर के आँगन में शीतल रात की सब्जी काट रही थी। शीतल ने माँ से पुछा: माँ तुम इतनी देर कहाँ थी?

माँ ने मेरी तरफ घुरते हुए कहा: वह मैं और रामू जरा गावँ घुमने गए थे। वैसे शीतल अब अपने भाई को जरा अच्छी अच्छी चीजें खिलाया कर, क्यौंकि बहुत जल्द तेरे भाई को शायद मेरी सेवा करनी पड़े।

मैं और शीतल दौनों इस बात पर मुस्कुरा रहे थे। माँ यह कह कर जाने ही लग रही थी की शीतल ने माँ को सुनाते हुए मुझे कहा: भाई माँ की खुब मन लगाकर सेवा करना कहीं उन्हें दुसरे किसी के पास जाने की जरुरत न पड़े। फिर वह भी तुझे जी जान लगाकर प्यार देगी। शीतल की इस बात पर मैं और माँ एक दुसरे को देख मुस्कुरा रहे थे।
Mast update👍👍.
 

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Update 17


रघु अपनी बहन की इन सपनों भरी बातों से रोमांचित हो जाता है। कुछ देर पहले ही उसका लण्ड पानी छोड़ चुका था। लेकिन बहन की इन सपनों भरी बातों से उसका लण्ड फिर से तन जाता है। वह अपनी बहन को प्यार से और ताकत से अपने शरीर के साथ समा लेता है। उसके अन्दर खो जाना चाहता है।

रघु: मेरी प्यारी बहना। आज तेरी बात सुनकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मुझे तो अभी से लग रहा है के तुझे बापू के पास जाने न दूँ। और माँ के साथ साथ मैं तुझे भी एक ही मंडप पे शादी कर लूँ। लेकिन मुझे पता है यह मुमकिन नहीं है। बापू के भी तुझे लेकर बहुत अरमान है। जो वह तेरे साथ पुरा करना चाहता है। तेरे साथ एक नई जिन्दगी की शुरुआत करना चाहता है।

रेखा: हाँ भईया! और हमें अपने साथ साथ बापू का भी ख्याल रखना चाहिये!

रघु: हाँ। तू सही कह रही है। वैसे मुझे और माँ को भी यहां थोड़ा एकान्त मिल जायेगा और तू और बापू शहर जाके अपने अपने मन की कर सकेंगें।

रेखा: हाँ भईया।

रघु: अच्छा रेखा क्या तू बापू से चुदवा के गर्भवती हो जायेगी?

रेखा: अरे भईया। चिंता क्यौ करते हो। वैसे भी मैं ने अभी तक इस बारे में ज्यादा कुछ सोचा नहीं। और वैसे भी मुझे लगता है अभी आप को अपने कमरे में जाना चाहिये। माँ रात को एकबार जरुर बाथरुम जाती है। अगर उन्होनें तुम्हे मेरे साथ यहाँ देखा तो वह बुरा मान जायेगी।

रघु: अच्छा अच्छा ठीक है। तुझे भी सोना है। कल तो तुझे शीतल के घर भी जाना है। चल मैं चलता हुँ। आज मैं इस उम्मीद के तेरे से जा रहा हुँ के एक दिन हमारा कमरा एक होगा। एक पति पत्नी के कमरे के जैसा।" और यह बोल के वह रेखा को प्यार भरे एक चुम्बन देता है। और अपने कमरे में चला जाता है।

अगला दिन

दो पहर से पहले ही राकेश और कमल शादी की खरीदारी करके अपने घर आ गए थे। राकेश नहा धोकर अपने कमरे में आराम कर रहा था। वहीं राधा और रेखा घर का काम सम्भाल के कोमल के घर जाने की तैयारी कर रही थीं। रेखा ने अपनी माँ से कहा उसे जाने में थोड़ा टाईम लगेगा।

रेखा बोलती है: माँ। एक साथ चलते है ना!

राधा: नहीं रे। अगर एसी हालात में हमने तेरी मौसी का साथ नहीं दिया तो वह बुरा मान जायेगी। वैसे भी शीतल तेरी फ्रेंड कम बहन ज्यादा लगती है। उसकी खुशीवाले दिन में तुझे उसके साथ रहना चाहिए।

रेखा: हाँ माँ। लेकिन शीतल से मेरी बात हो चुकी है। मुहुरत रात के 9 बजे है। अगर मैं शाम को भी जाऊँगी तब भी चलेगा। वैसे माँ आप को जाना चाहिये क्योंकि फिलहाल वहाँ मौसी का हाथ बटाने में आप की जरुरत पड़ेगी। मेरी नहीं।

राधा: ठीक है फिर। मैं कोमल के पास चली जाती हुँ। खाना तो बन ही गया। तेरे बापू को किसी चीज़ की ज़रूरत पड़ेगी तो सम्भाल लेना।

रेखा: कोई बात नहीं माँ। मैं देख लुंगी। आप कोमल मौसी के पास चली जाओ।

राधा, रेखा और राकेश को घर पे छोड़ के कोमल के घर चली जाती है। अपनी माँ के जाते ही रेखा के दिल की धड़कन बढ्ने लगी। कल जब बापू घर आये थे तो एक बार बापू ने रेखा को कहा था" रेखा तेरे से कुछ बात करनी है, जब तेरी माँ आस पास नहीं होगी तो मेरे पास आ जाना" रेखा को कल से यह बात सताने लगी के उसके बापू पता नहीं उसके साथ क्या बात करने वाले हैं! लेकिन अब लगता है बापू से बात करनी पड़ेगी। शायद कुछ देर बाद वह भी कमल अंकल के पास चले जाये। रेखा अपने दिल की धड़कनों को मह्सूस करती हुई अपने बापू के कमरे की तरफ पावँ जाने लगती है।।।
Bhai har ek update ek se bath kar ek hai. Mast likh rahe ho. Gajab ki kahani hai.
 
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